गीता की महिमा · गीता की महिमा page 1...

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Page 1: गीता की महिमा · गीता की महिमा  Page 1 प्रकाशकीय. ăÚतrत पÚतक a¨ गor ांधqिq कx गqतo -

गीता की महिमा गीता क मिततव पर परकाश डालन वाल उदबोधक लख

मो क ग ाधी

परक शक

ससता साहितय मडल

एन-७७ पहली माजिल कनॉट सकक स नई जिलली-११००००१

फोन 23310505 41523565

ईमल sastasahityamandalgmailcom

वबस इट wwwsastasahityamandalorg

गीता की महिमा

wwwmkgandhiorg Page 1

परकाशकीय

परसतत पसतक म ग ाधीिी क गीत -जवषयक लखो क सागरह जकय गय ह | ग ाधीिी क

परिचय गीत स जकस परक ि हआ उनकी रची उसम जकस परक ि उततिोति बढ़ती गई उसकी जशकष एा

कस उनक िीवन की अजिनन अाग बनी गीत को का ठसथ किन स कय ल ि होत ह गीत की

वय वह रिक उपयोजगत कय ह गीत क मलित जसद ात कय ह इन तथ अनय अनक ब तो को

ग ाधीिी न इस पसतक क लखो म सपषट जकय ह |

हम जनजित रप स कह सकत ह जक इस पसतक को िो िी पढ़ग उनकी गीत म जिलचसपी

पि होगी औि उनह यह पत चलग जक हम ि िश म ही नही स ि सास ि म गीत को इतनी

लोकजपरयत कयो पर पत हई ह |

प ठको स हम ि अनिोध ह जक व इस पसतक को अवशय पढ़ | उनह म लम होग जक मनषय

क िीवन क उददशय कय ह औि उसकी पर जपत जकस परक ि हो सकती ह |

- मतरी

गीता की महिमा

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अनकरम

1 गीत -म त

2 गीत स परथम परिचय

3 गीत क अधययन

4 गीत -धय न

5 गीत पि आसथ

6 गीत क अथक

7 गीत का ठ किो

8 जनतय वयवह ि म गीत

9 िगविगीत अथव अन सजि योग

10 गीत -ियाती

11 गीत औि ि म यण

12 ि षरीय श ल ओ ा म गीत

13 अजहास पिमोधमक

14 गीत िी

गीता की महिमा

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गीता-माता

गीत श सतरो क िोहन ह | मन कही पढ़ थ जक सि उपजनषिो क जनचोड़ उसक ७०० शलोको म आ

ि त ह | इसजलए मन जनिय जकय जक कछ न हो सक तो िी गीत क जञ न पर पत कि ल | आि

गीत मि जलए कवल ब इजबल नही ह कवल कि न नही ह मि जलए वह म त ही गई ह | मझ िनम

िनव ली म त तो चली गई पि साकट क समय गीत -म त क प स ि न म सीख गय ह | उस

जञ न मत स वह तपत किती ह |

कछ लोग कहत ह जक गीत तो मह गढ़ गराथ ह | सव लोकम नय जतलक न अनक गराथो क

मनन किक पाजित की दजषट स उसक अभय स जकय औि उसक गढ़ अथो को व परक श म ल य |

उसपि एक मह ि पय की िचन िी की | जतलक मह ि ि क जलए यह गढ़ गराथ थ पि हम ि िस

स ध िण मनषय क जलए वह गढ़ नही ह | स िी गीत क व चन आपको कजठन म लम हो तो आप

पहल कवल तीन अधय य पढ़ ल | गीत क सब स ि इन तीन अधय यो म आ ि त ह | ब की क

अधय य म वही ब त अजधक जवसत ि स औि अनक दजषटओ ा स जसद की गई ह | यह िी जकसी को

कजठन म लम हो तो इन तीन अधय यो म स कछ ऐस शलोक छ ाट ि सकत ह जिनम गीत क

जनचोड़ आ ि त ह | तीन िगहो पि तो गीत म यह िी आत ह जक सब धमो को छोड़कि त कवल

मिी ही शिण ल | इसस अजधक सिल औि स ि उपिश कय हो सकत ह िो मनषय गीत म स

अपन जलए आशव सन पर पत किन च ह तो उस उसम स वह पि -पि जमल ि त ह | िो मनषय गीत

क िि होत ह उसक जलए जनि श की कोई िगह नही ह वह हमश आनाि म िहत ह |

पि इसक जलए बजदव ि नही बजलक अवयजिच रिणी िजि च जहए | अबतक मन एक िी

ऐस आिमी को नही ि न जिसन गीत क अवयजिच रिणी िजि स सवन जकय हो औि जिस गीत

स आशव सन न जमल हो | तम जवदय थी लोग कही पिीकष म फल हो ि त हो तो जनि श क स गि म

िब ि त हो | गीत जनि श होनव लो को परष थक जसख ती ह आलसय औि वयजिच ि क तय ग

बत ती ह | एक वसत क धय न किन िसिी चीि बोलन औि तीसि को सनन इसको वयजिच ि

कहत ह | गीत जसख ती ह जक प स हो य फल िोनो चीज़ो सम न ह | मनषयो को कवल परयतन

किन क अजधक ि ह फल पि कोई अजधक ि नही | यह आशव सन मझ कोई नही ि सकत वह तो

अननय िजि स ही पर पत होत ह | सतय गरही की ह जसयत स म कह सकत ह जक इसम स जनतय ही

गीता की महिमा

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मझ कछ-न-कछ नई वसत जमलती िहती ह | कोई मझ कहग की यह तमह िी मखकत ह तो म उस

कह ग जक म अपनी इस मखकत पि अटल िह ग | इसजलए सब जवदय थीयो स म कह ग जक सवि

उठकि तम इसक अभय स किो | तलसीि स क म िि ह पि तम लोगो को इस समय म

तलसीि स नही सझ त ह | जवदय थी की हजसयत स तम गीत क ही अभय स किो पि दवष-ि व स

नही िजि-ि व स | तम उसम िजिपवकक परवश किोग तो िो तमह च जहए वह उसम स जमलग |

अठ िहो अधय य का ठ किन कोई खल नही ह पि किन िसी चीज़ तो ह ही | तम एक ब ि उसक

आशरय लोग तो िखोग जक जिनो-जिन उसम तमह ि अनि ग बढ़ग | जफि तम क ि गह म हो य

िागल म आक श म हो य अाधिी कोठिी म गीत क िटन तो जनिाति तमह ि हिय म चलत ही िहग

औि उसम स तमह आशव सन जमलग | तमस यह आध ि तो कोई छीन ही नही सकत | इसक िटन

म जिसक पर ण ि यग उसक जलए तो वह सवकसव ही ह कवल जनव कण नही बजलक बरहम-जनव कण ह

|

गीता की महिमा

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गीता स परथम पररचय

जवल यत म िहत हए कोई एक स ल हआ होग इस बीच िो जथयोसजफसट जमतरो स मल क़ त

हई | िोनो सग ि ई थ औि अजवव जहत थ | उहोन मझस गीत की ब त चल ई | उन जिनो य

एिजवन आिनॉलि-कत गीत क अागरज़ी अनव ि को पढ़ िह थ पि मझ उनहोन अपन स थ सासकत म

गीत पढ़न क जलए कह | म लजजित हआ कयोजक मन तो गीत न सासकत म न ि ष म ही पढ़ी

थी | मझ उनस यह ब त झपत हए कहनी पड़ी पि स थ यह िी कह जक म आपक स थ पढ़न क

जलए तय ि ह | यो तो मि सासकत-जञ न नही क बि बि ह जफि िी म इतन समझ सक ग जक अनव ि

कही गिबि होग तो वह बत सका | इस तिह इन ि इयो क स थ मि गीत -व चन आिाि हआ |

िसि अधय य क अाजतम शलोको म

धय यतो जवषय नपास सागसतषपि यत |

सग तसाि यत क म कम तकोधोऽजिि यत | |

कोध ििवजत सामोह सामोहतसमजतजवभरम |

समजतभरनश त बजदन शो बजदन श तपरणशयजत | | १

इन शलोको क मि जिल पि गहि असि हआ | बीएस क नो म उनकी धवनी जिन-ि त गि किती |

तब मझ परतीत हआ जक िगविगीत तो अमलय गराथ ह | यह ध िण जिन-जिन अजधक दढ़ होती गई

औि अब तो तततव जञ न क जलए म उस सवोततम गराथ म नत ह | जनि श क समय इस गराथ न मिी

अमलय सह यत की ह | यो इसक लगिग तम म अागरज़ी अनव ि म पढ़ गय ह पिात एिजवन

आिनॉलि क अनव ि सबम शरषठ िकष की ह औि जतसपि िी वह अनव ि िस नही म लम होत |

जफि िी यह नही कह सकत जक इस समय मन िगविगीत क अचछ अधय य कि जलय ह |

उसक िोिमि क प ठ तो वषो ब ि शर हआ |

lsquoआतमकथ rsquo नव ा सासकिण पषठ ७१

१ जवषयक क जचनतन किन स पहल तो उसक स थ साग पि होत ह औि साग स क म की उतपजतत होती ह |

क मन क पीछ-पीछ करोध स सामोह स समजतभरम औि समजतभरम स बजद क न श होत ह औि अात म परष सवया

ही नषट हो ि त ह |

गीता की महिमा

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गीता का अधययन

गीत क अधययन शर जकय | एक छोट -स lsquoजिजञ स-मािलrsquo िी बन य गय औि

जनयमपकक अधययन आिाि हआ | गीत िी क परजत मि परम औि शरद तो पहल ही स थी | अब

उसक गहि ई क स थ िहसय समझन की आवशयकत जिख ई िी | मि प स एक-िो अनव ि िख थ

उनकी सह यत स मल सासकत समझन क परयतन जकय औि जनतय एक य िो शलोक का ठ किन क

जनिय जकय |

सबह क ितौन औि सन न क समय म गीत िी का ठ किन म लग त | ितौन म १५ औि

सन न म २० जमनट लगत | ितौन अागरज़ी रिव ि क मत जबक खड़-खड़ कित | स मन िीव ि पि

गीत िी क शलोक जलखकि जचपक ित औि उनह िख-िखकि िटत िहत | इस तिह िट हए शलोक

सन न किन तक पकक हो ि त | बीच म जपछल शलोको को िी िहि ि त | इस परक ि मझ य ि

पड़त ह जक १३ अधय य तक गीत का ठ कि ली थी पि ब ि म क म की झाझट बढ़ गई ा | सतय गरह

क िनम हो गय औि उस ब लक की परिवरिश क ि ि मझपि आ पड़ जिसस जवच ि किन क

समय िी उसक ल लन-प लन म बीत औि कह सकत ह जक अब िी बीत िह ह |

गीत -प ठ क असि मि सह धय जययो पि तो िो कछ पड़ हो वह वही बत सकत ह जका त

मि जलए तो गीत आच ि की एक परौढ़ म गकिजशकक बन गई ह | वह मि ध जमकक कोश हो गई ह |

अपरिजचत अागरज़ी शबि क जहजि य अथक को िखन क जलए जिस तिह म अागरज़ी कोश को खोलत

उसी तिह आच ि साबाधी कजठन इयो औि उसकी अटपटी गजतथयो को गीत िी क दव ि सलझ य |

उसक अपरिगरह समि व इतय जि शबिो न मझ जगिफत ि कि जलय | यही धन िहन लगी जक

समि व कस पर पत करा कस उसक प लन करा िो अजधक िी हम ि अपम न कि िो रिशवखोि ह

ि सत चलत िो जविोध कित ह िो कल क स थी ह उनम औि उन सजिनो म जिनहोन हम पि ि िी

उपक ि जकय ह कय कछ िि नही ह अपरिगरह क प लन जकस तिह ममजकन ह कय यह हम िी

िह ही हम ि जलए कम परिगरह सतरी-परष आजि यजि परिगरह नही तो जफि कय ह कय पसतको स ििी

इन अलम रियो म आग लग ि पि यह तो घि िल कि तीथक किन हआ | अािि स तिात उतति

जमल lsquolsquoह घिब ि को ख़ क जकए जबन तीथक नही जकय ि सकत | rsquorsquo इसम अागरज़ी क नन क

गीता की महिमा

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अधययन न मिी सह यत की | सनल-िजचत क नन क जसद ातो की चच क य ि आई | रसटी शबि क

अथक गीत िी क अधययन की बिौलत अचछी तिह समझ म आय | क़ ननश सतर क परजत मन म

आिि बढ उसक अािि िी मझ धमक क तततव जिख ई पड़ | रसटी यो किोड़ो की सापजतत िखत ह जफि

िी उसकी एक प ई पि उनक अजधक ि नही होत | इसी तिह ममकष को अपन आचिण िखन

च जहए यह प ठ मन गीत िी स सीख | अपरिगरही होन क जलए समि व िखन क जलए हत क

औि हिय क परिवतकन आवशयक ह यह ब त मझ िीपक की तिह सपषट जिख ई िन लगी | बस कि

िीजिए | कछ रपय व पस जमल ि य तो ठीक नही तो खि | ब ल-बचचो औि गजहणी की िकष

वह ईशवि किग जिसन उनको औि हमको पि जकय ह | यह आशय मि उस पतर क थ | जपत क

सम न अपन बड़ ि ई को जलख lsquolsquoआितक म िो कछ बच त िह आपक अपकण कित िह |

अब मिी आश छोड़ िीजिए | अब िो कछ बच िहग वह यही क स वकिजनक क मो म लगग | rsquorsquo

आतमकथ नव ा सासकिण पषठ २६५

गीता की महिमा

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गीता-धयान

कलपन क जचतर कछ िी खीच हो औि उसक धय न जकय हो तो इसम िोष नही िखत |

लजकन गीत म त क धय न स सातोष होत हो तो औि कय च जहए गीत क धय न िो तिह स हो

सकत ह एक तो उस म त क रप म म न ह | इसजलए स मन म त की तसवीि की िरित िहती हो

तो य तो अपनी म म ही यजि वह मि गई हो तो क मधन क आिोपण किक गीत क रप म

म नकि उसक धय न किन च जहए य कोई िी क लपजनक जचतर मन म खीच जलय ि य | उस गो-

म त क रप जिय हो तो िी क म चल सकत ह | िसिी तिह हो सक तो इस म जय ि अचछ

समझत ह | हम हमश िो अधय य बोलत हो उसम स य जकसी िी अधय य क जकसी िी शलोक य

जकसी शबि क धय न धिन ही उसक जचातवन किन ह | गीत म जितन शबि ह उतन ही उसक

आिषण ह औि जपरयिनो क आिषणो क धय न किन नही उनही क धय न धिन क बि बि ह | यही

ब त गीत की ह | लजकन इसक जसव जकसी को औि कोई ढाग जमल ि य तो िल ही वह उस ढाग स

धय न धि | जितन जिम ग उतनी ही जवजवधत होती ह | कोई िो वयजि एक ही तिीक स एक ही

चीि क धय न नही कित | िोनो क वणकन औि कलपन म कछ-न-कछ फकक तो िहग ही |

छठ अधय य क अनस ि िि -सी िी की हई स धन बक ि नही ि ती औि िह स िह गई

हो वह ा स िसि िनम म आग चलती ह | इसी तिह जिसम कलय णम गक की तिफ मड़न की इचछ तो

िरि हो जिसस िसि िनम म उसकी यह इचछ दढ़ हो | इस ब ि म िी मि मन म कोई शाक नही ह |

मगि इसक यह अथक न जकय ि य जक तब तो हम िनम म जशजथल िह तो िी क म चलग | ऐसी

इचछ इचछ नही ह य वह बौजदक ह मगि ह जिकक नही ह | बौजदक इचछ क जलए कोई सथ न ही

नही ह | वह मिन क ब ि नही िहती पि िो इचछ जिल म पठ ि ती ह उसक पीछ परयतन तो होन

ही च जहए | मगि कई क िणो स औि शिीि की कमिोिी स सािव ह जक यह इचछ इस िनम म पिी न

हो औि इस तिह क अनिव हम िोि होत ह | मगि इस इचछ को लकि िीव िह को छोड़त ह

औि िसि िनम म इस िनम की उप जधय ा कम होकि यह इचछ फलती ह य जय ि मिबत तो होती

ही ह | इस तिह कलय णकत लग त ि आग बढ़त ही िहत ह |

गीता की महिमा

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जञ नशवि मह ि ि न जनवजततन थ क िीत हए उनक धय न धि हो तो िल ही धि हो लजकन

इतन होन पि िी मि पककी ि य ह जक वह हम ि नकल किन ल यक नही ह | जिसक धय न किन

ह वह पणकत को प य हआ वयजि होन च जहए | िीजवत वयजि क जलए इस तिह क खय ल किन

जबलकल बि औि गििरिी ह | जका त यह हो सकत ह जक जञ नशवि मह ि ि न शिीिध िी जनवजततन थ

क धय न जकय हो | मगि हम इस झगड़ म कह पड़ औि िब िीजवत मजतक क धय न किन क

सव ल उठत ह तब कलपन की मजतक की गाि यश नही िहती औि इसक उललख किक िव ब जिय

हो तो इस िव ब स बजदभरषट होन सािव ह |

पहल अधय य म िो न म जिय ह व सब न म मिी ि य म वयजिव चक होन क बि य

गणव चक जय ि ह | िवी औि आसिी वजततयो क बीच की लड़ ई क बय न कित हए कजव न

वजततयो को मजतकम न बन य ह | इस कलपन म इस ब त स इनक ि नही जकय गय ह जक प ािवो

औि कौिवो क बीच हजसतन पि क प स सचमच यद हआ होग | मिी ऐसी कलपन ह जक उस

िम न क कोई दषट ात लकि कजव न इस मह न गराथ की िचन की ह | इसम िल हो सकती ह य य

सब न म ऐजतह जसक हो तो ऐजतह जसक आिाि क जलए य न म िन बि िी नही म न ि सकत |

जवषय-जवच ि क जलए पहल अधय य िरिी ह इसजलए गीत -प ठ क वि उस पढ़ लन िी िरिी ह

|

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo पहल ि ग पषठ २२३ १८ िन १९३२

वह जिन य ि आत ह िब जम बकि मझ वजलागटन कनवशन म चलो | वह ा समथक लोग

आयाग | आप उनस जमलग तो आपको

गीता की महिमा

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गीता पर आसथा

जफि एक lsquoजवश ल बजदrsquo परष-गीत क परणत उतपनन हआ | उसन जहनि-सम ि को गहि

ततवजञ न स िि औि स थ ही जहाि-धमक क ऐस िोहन अजपकत जकय जक िो मगध जिजञ स को सहि ही

समझ म आ सकत ह | जहाि-धमक क अधययन किन की इचछ िखनव ल परतयक जहनि क जलए यह

एकम तर सलि गराथ ह औि यजि अनय सिी धमकश सतर िलकि िसम हो ि या तब िी इस अमि गराथ क

स त सौ शलोक यह बनन क जलए पय कपत होग जक जहाि-धमक कय ह औि उस िीवन म जकस परक ि

उत ि ि य | म सन तनी होन क ि व कित ह कयोजक च लीस वषो स उस गराथ क उपिशो को

िीवन म अकषिश उत िन क म परयतन कित आय ह | गीत क मखय जसद ात क जवपिीत िो कछ

िी हो उस म जहाि-धमक क जविोध म नकि असवीक ि कित ह | गीत म जकसी िी धमक य धमक-गर

क परजत दवष नही | मझ यह कहत बड़ आनाि होत ह जक मन गीत क परजत जितन पजय ि व िख ह

उतन ही पजय ि व स मन ब इजबल कि न िािअवसत औि सास ि क अनय धमक-गराथ पढ़ ह | इस

व चन न गीत क परजत मिी शरद को दढ़ बन य ह | उसस मिी दजषट औि उसस मिी जहनि धमक जवश ल

हआ ह | िस जक ििथसतर ईस औि महममि क िीवन-चरितर को मन परक श ि ल ह | इसस इन

सन तनी जमतरो न मझ िो त न जिय ह वह मि जलए तो आशव सन क क िण बन गय ह | म अपन

को जहाि कहन म गौिव म नत ह कयोजक मि मन म यह शबि इतन जवश ल ह जक पथवी क चिो कोनो

क पगाबिो क परजत यह कवल सजहषणत ही नही िखत विन उनह आतमस त कि लत ह | इस

िीवन-साजहत म कही िी असपशयत को सथ न हो ऐस म नही िखत | इसक जवपिीत लौह-चाबक

क सम न जचत कषकक व णी म मिी बजद को सपशक किक औि इसक िी आग मि हिय को पणकतय

सपशक किक मि मन म यह आसथ उतपनन किती ह जक ितम तर एक-रप ह व सिी ईशवि म स जनकल

ह औि उसी म जवलीन हो ि नव ल ह | िगवती गीत म त दव ि उपजिषट सन तन धमक क अनस ि

िीवन क स फलय बहम आच ि औि कमकक ाि म नही विन समपणक जचतत-शजद म औि शिीि मन

औि आतम -सजहत समगर वयजितव को पिबरहम क स थ एक क ि कि िन म ह | गीत क इस सनिश

को अपन िीवन म ओट-परोत किक म किोड़ो की म नवमजिनी क प स गय ह औि उनहोन मिी ब त

सनी ह सो मिी ि िनीजतजञत क क िण अथव मिी व णी की छट क क िण नही बजलक मि जवशव स

गीता की महिमा

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ह जक मझ अपन अपन धमक क म नकि सनी ह | समय क स थ-स थ मिी यह शरद अजधक जधक

दढ़ होती गई ह जक म सन तन-धमी होन क ि व करा यह चीि गलत नही औि यजि ईशवि की इचछ

होगी तो वह मझ इस ि व पि मिी मतय की महि लग लन िग |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग २ पषठ ४३५ ४ नवाबि १९३२

गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
Page 2: गीता की महिमा · गीता की महिमा  Page 1 प्रकाशकीय. ăÚतrत पÚतक a¨ गor ांधqिq कx गqतo -

गीता की महिमा

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परकाशकीय

परसतत पसतक म ग ाधीिी क गीत -जवषयक लखो क सागरह जकय गय ह | ग ाधीिी क

परिचय गीत स जकस परक ि हआ उनकी रची उसम जकस परक ि उततिोति बढ़ती गई उसकी जशकष एा

कस उनक िीवन की अजिनन अाग बनी गीत को का ठसथ किन स कय ल ि होत ह गीत की

वय वह रिक उपयोजगत कय ह गीत क मलित जसद ात कय ह इन तथ अनय अनक ब तो को

ग ाधीिी न इस पसतक क लखो म सपषट जकय ह |

हम जनजित रप स कह सकत ह जक इस पसतक को िो िी पढ़ग उनकी गीत म जिलचसपी

पि होगी औि उनह यह पत चलग जक हम ि िश म ही नही स ि सास ि म गीत को इतनी

लोकजपरयत कयो पर पत हई ह |

प ठको स हम ि अनिोध ह जक व इस पसतक को अवशय पढ़ | उनह म लम होग जक मनषय

क िीवन क उददशय कय ह औि उसकी पर जपत जकस परक ि हो सकती ह |

- मतरी

गीता की महिमा

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अनकरम

1 गीत -म त

2 गीत स परथम परिचय

3 गीत क अधययन

4 गीत -धय न

5 गीत पि आसथ

6 गीत क अथक

7 गीत का ठ किो

8 जनतय वयवह ि म गीत

9 िगविगीत अथव अन सजि योग

10 गीत -ियाती

11 गीत औि ि म यण

12 ि षरीय श ल ओ ा म गीत

13 अजहास पिमोधमक

14 गीत िी

गीता की महिमा

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गीता-माता

गीत श सतरो क िोहन ह | मन कही पढ़ थ जक सि उपजनषिो क जनचोड़ उसक ७०० शलोको म आ

ि त ह | इसजलए मन जनिय जकय जक कछ न हो सक तो िी गीत क जञ न पर पत कि ल | आि

गीत मि जलए कवल ब इजबल नही ह कवल कि न नही ह मि जलए वह म त ही गई ह | मझ िनम

िनव ली म त तो चली गई पि साकट क समय गीत -म त क प स ि न म सीख गय ह | उस

जञ न मत स वह तपत किती ह |

कछ लोग कहत ह जक गीत तो मह गढ़ गराथ ह | सव लोकम नय जतलक न अनक गराथो क

मनन किक पाजित की दजषट स उसक अभय स जकय औि उसक गढ़ अथो को व परक श म ल य |

उसपि एक मह ि पय की िचन िी की | जतलक मह ि ि क जलए यह गढ़ गराथ थ पि हम ि िस

स ध िण मनषय क जलए वह गढ़ नही ह | स िी गीत क व चन आपको कजठन म लम हो तो आप

पहल कवल तीन अधय य पढ़ ल | गीत क सब स ि इन तीन अधय यो म आ ि त ह | ब की क

अधय य म वही ब त अजधक जवसत ि स औि अनक दजषटओ ा स जसद की गई ह | यह िी जकसी को

कजठन म लम हो तो इन तीन अधय यो म स कछ ऐस शलोक छ ाट ि सकत ह जिनम गीत क

जनचोड़ आ ि त ह | तीन िगहो पि तो गीत म यह िी आत ह जक सब धमो को छोड़कि त कवल

मिी ही शिण ल | इसस अजधक सिल औि स ि उपिश कय हो सकत ह िो मनषय गीत म स

अपन जलए आशव सन पर पत किन च ह तो उस उसम स वह पि -पि जमल ि त ह | िो मनषय गीत

क िि होत ह उसक जलए जनि श की कोई िगह नही ह वह हमश आनाि म िहत ह |

पि इसक जलए बजदव ि नही बजलक अवयजिच रिणी िजि च जहए | अबतक मन एक िी

ऐस आिमी को नही ि न जिसन गीत क अवयजिच रिणी िजि स सवन जकय हो औि जिस गीत

स आशव सन न जमल हो | तम जवदय थी लोग कही पिीकष म फल हो ि त हो तो जनि श क स गि म

िब ि त हो | गीत जनि श होनव लो को परष थक जसख ती ह आलसय औि वयजिच ि क तय ग

बत ती ह | एक वसत क धय न किन िसिी चीि बोलन औि तीसि को सनन इसको वयजिच ि

कहत ह | गीत जसख ती ह जक प स हो य फल िोनो चीज़ो सम न ह | मनषयो को कवल परयतन

किन क अजधक ि ह फल पि कोई अजधक ि नही | यह आशव सन मझ कोई नही ि सकत वह तो

अननय िजि स ही पर पत होत ह | सतय गरही की ह जसयत स म कह सकत ह जक इसम स जनतय ही

गीता की महिमा

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मझ कछ-न-कछ नई वसत जमलती िहती ह | कोई मझ कहग की यह तमह िी मखकत ह तो म उस

कह ग जक म अपनी इस मखकत पि अटल िह ग | इसजलए सब जवदय थीयो स म कह ग जक सवि

उठकि तम इसक अभय स किो | तलसीि स क म िि ह पि तम लोगो को इस समय म

तलसीि स नही सझ त ह | जवदय थी की हजसयत स तम गीत क ही अभय स किो पि दवष-ि व स

नही िजि-ि व स | तम उसम िजिपवकक परवश किोग तो िो तमह च जहए वह उसम स जमलग |

अठ िहो अधय य का ठ किन कोई खल नही ह पि किन िसी चीज़ तो ह ही | तम एक ब ि उसक

आशरय लोग तो िखोग जक जिनो-जिन उसम तमह ि अनि ग बढ़ग | जफि तम क ि गह म हो य

िागल म आक श म हो य अाधिी कोठिी म गीत क िटन तो जनिाति तमह ि हिय म चलत ही िहग

औि उसम स तमह आशव सन जमलग | तमस यह आध ि तो कोई छीन ही नही सकत | इसक िटन

म जिसक पर ण ि यग उसक जलए तो वह सवकसव ही ह कवल जनव कण नही बजलक बरहम-जनव कण ह

|

गीता की महिमा

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गीता स परथम पररचय

जवल यत म िहत हए कोई एक स ल हआ होग इस बीच िो जथयोसजफसट जमतरो स मल क़ त

हई | िोनो सग ि ई थ औि अजवव जहत थ | उहोन मझस गीत की ब त चल ई | उन जिनो य

एिजवन आिनॉलि-कत गीत क अागरज़ी अनव ि को पढ़ िह थ पि मझ उनहोन अपन स थ सासकत म

गीत पढ़न क जलए कह | म लजजित हआ कयोजक मन तो गीत न सासकत म न ि ष म ही पढ़ी

थी | मझ उनस यह ब त झपत हए कहनी पड़ी पि स थ यह िी कह जक म आपक स थ पढ़न क

जलए तय ि ह | यो तो मि सासकत-जञ न नही क बि बि ह जफि िी म इतन समझ सक ग जक अनव ि

कही गिबि होग तो वह बत सका | इस तिह इन ि इयो क स थ मि गीत -व चन आिाि हआ |

िसि अधय य क अाजतम शलोको म

धय यतो जवषय नपास सागसतषपि यत |

सग तसाि यत क म कम तकोधोऽजिि यत | |

कोध ििवजत सामोह सामोहतसमजतजवभरम |

समजतभरनश त बजदन शो बजदन श तपरणशयजत | | १

इन शलोको क मि जिल पि गहि असि हआ | बीएस क नो म उनकी धवनी जिन-ि त गि किती |

तब मझ परतीत हआ जक िगविगीत तो अमलय गराथ ह | यह ध िण जिन-जिन अजधक दढ़ होती गई

औि अब तो तततव जञ न क जलए म उस सवोततम गराथ म नत ह | जनि श क समय इस गराथ न मिी

अमलय सह यत की ह | यो इसक लगिग तम म अागरज़ी अनव ि म पढ़ गय ह पिात एिजवन

आिनॉलि क अनव ि सबम शरषठ िकष की ह औि जतसपि िी वह अनव ि िस नही म लम होत |

जफि िी यह नही कह सकत जक इस समय मन िगविगीत क अचछ अधय य कि जलय ह |

उसक िोिमि क प ठ तो वषो ब ि शर हआ |

lsquoआतमकथ rsquo नव ा सासकिण पषठ ७१

१ जवषयक क जचनतन किन स पहल तो उसक स थ साग पि होत ह औि साग स क म की उतपजतत होती ह |

क मन क पीछ-पीछ करोध स सामोह स समजतभरम औि समजतभरम स बजद क न श होत ह औि अात म परष सवया

ही नषट हो ि त ह |

गीता की महिमा

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गीता का अधययन

गीत क अधययन शर जकय | एक छोट -स lsquoजिजञ स-मािलrsquo िी बन य गय औि

जनयमपकक अधययन आिाि हआ | गीत िी क परजत मि परम औि शरद तो पहल ही स थी | अब

उसक गहि ई क स थ िहसय समझन की आवशयकत जिख ई िी | मि प स एक-िो अनव ि िख थ

उनकी सह यत स मल सासकत समझन क परयतन जकय औि जनतय एक य िो शलोक का ठ किन क

जनिय जकय |

सबह क ितौन औि सन न क समय म गीत िी का ठ किन म लग त | ितौन म १५ औि

सन न म २० जमनट लगत | ितौन अागरज़ी रिव ि क मत जबक खड़-खड़ कित | स मन िीव ि पि

गीत िी क शलोक जलखकि जचपक ित औि उनह िख-िखकि िटत िहत | इस तिह िट हए शलोक

सन न किन तक पकक हो ि त | बीच म जपछल शलोको को िी िहि ि त | इस परक ि मझ य ि

पड़त ह जक १३ अधय य तक गीत का ठ कि ली थी पि ब ि म क म की झाझट बढ़ गई ा | सतय गरह

क िनम हो गय औि उस ब लक की परिवरिश क ि ि मझपि आ पड़ जिसस जवच ि किन क

समय िी उसक ल लन-प लन म बीत औि कह सकत ह जक अब िी बीत िह ह |

गीत -प ठ क असि मि सह धय जययो पि तो िो कछ पड़ हो वह वही बत सकत ह जका त

मि जलए तो गीत आच ि की एक परौढ़ म गकिजशकक बन गई ह | वह मि ध जमकक कोश हो गई ह |

अपरिजचत अागरज़ी शबि क जहजि य अथक को िखन क जलए जिस तिह म अागरज़ी कोश को खोलत

उसी तिह आच ि साबाधी कजठन इयो औि उसकी अटपटी गजतथयो को गीत िी क दव ि सलझ य |

उसक अपरिगरह समि व इतय जि शबिो न मझ जगिफत ि कि जलय | यही धन िहन लगी जक

समि व कस पर पत करा कस उसक प लन करा िो अजधक िी हम ि अपम न कि िो रिशवखोि ह

ि सत चलत िो जविोध कित ह िो कल क स थी ह उनम औि उन सजिनो म जिनहोन हम पि ि िी

उपक ि जकय ह कय कछ िि नही ह अपरिगरह क प लन जकस तिह ममजकन ह कय यह हम िी

िह ही हम ि जलए कम परिगरह सतरी-परष आजि यजि परिगरह नही तो जफि कय ह कय पसतको स ििी

इन अलम रियो म आग लग ि पि यह तो घि िल कि तीथक किन हआ | अािि स तिात उतति

जमल lsquolsquoह घिब ि को ख़ क जकए जबन तीथक नही जकय ि सकत | rsquorsquo इसम अागरज़ी क नन क

गीता की महिमा

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अधययन न मिी सह यत की | सनल-िजचत क नन क जसद ातो की चच क य ि आई | रसटी शबि क

अथक गीत िी क अधययन की बिौलत अचछी तिह समझ म आय | क़ ननश सतर क परजत मन म

आिि बढ उसक अािि िी मझ धमक क तततव जिख ई पड़ | रसटी यो किोड़ो की सापजतत िखत ह जफि

िी उसकी एक प ई पि उनक अजधक ि नही होत | इसी तिह ममकष को अपन आचिण िखन

च जहए यह प ठ मन गीत िी स सीख | अपरिगरही होन क जलए समि व िखन क जलए हत क

औि हिय क परिवतकन आवशयक ह यह ब त मझ िीपक की तिह सपषट जिख ई िन लगी | बस कि

िीजिए | कछ रपय व पस जमल ि य तो ठीक नही तो खि | ब ल-बचचो औि गजहणी की िकष

वह ईशवि किग जिसन उनको औि हमको पि जकय ह | यह आशय मि उस पतर क थ | जपत क

सम न अपन बड़ ि ई को जलख lsquolsquoआितक म िो कछ बच त िह आपक अपकण कित िह |

अब मिी आश छोड़ िीजिए | अब िो कछ बच िहग वह यही क स वकिजनक क मो म लगग | rsquorsquo

आतमकथ नव ा सासकिण पषठ २६५

गीता की महिमा

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गीता-धयान

कलपन क जचतर कछ िी खीच हो औि उसक धय न जकय हो तो इसम िोष नही िखत |

लजकन गीत म त क धय न स सातोष होत हो तो औि कय च जहए गीत क धय न िो तिह स हो

सकत ह एक तो उस म त क रप म म न ह | इसजलए स मन म त की तसवीि की िरित िहती हो

तो य तो अपनी म म ही यजि वह मि गई हो तो क मधन क आिोपण किक गीत क रप म

म नकि उसक धय न किन च जहए य कोई िी क लपजनक जचतर मन म खीच जलय ि य | उस गो-

म त क रप जिय हो तो िी क म चल सकत ह | िसिी तिह हो सक तो इस म जय ि अचछ

समझत ह | हम हमश िो अधय य बोलत हो उसम स य जकसी िी अधय य क जकसी िी शलोक य

जकसी शबि क धय न धिन ही उसक जचातवन किन ह | गीत म जितन शबि ह उतन ही उसक

आिषण ह औि जपरयिनो क आिषणो क धय न किन नही उनही क धय न धिन क बि बि ह | यही

ब त गीत की ह | लजकन इसक जसव जकसी को औि कोई ढाग जमल ि य तो िल ही वह उस ढाग स

धय न धि | जितन जिम ग उतनी ही जवजवधत होती ह | कोई िो वयजि एक ही तिीक स एक ही

चीि क धय न नही कित | िोनो क वणकन औि कलपन म कछ-न-कछ फकक तो िहग ही |

छठ अधय य क अनस ि िि -सी िी की हई स धन बक ि नही ि ती औि िह स िह गई

हो वह ा स िसि िनम म आग चलती ह | इसी तिह जिसम कलय णम गक की तिफ मड़न की इचछ तो

िरि हो जिसस िसि िनम म उसकी यह इचछ दढ़ हो | इस ब ि म िी मि मन म कोई शाक नही ह |

मगि इसक यह अथक न जकय ि य जक तब तो हम िनम म जशजथल िह तो िी क म चलग | ऐसी

इचछ इचछ नही ह य वह बौजदक ह मगि ह जिकक नही ह | बौजदक इचछ क जलए कोई सथ न ही

नही ह | वह मिन क ब ि नही िहती पि िो इचछ जिल म पठ ि ती ह उसक पीछ परयतन तो होन

ही च जहए | मगि कई क िणो स औि शिीि की कमिोिी स सािव ह जक यह इचछ इस िनम म पिी न

हो औि इस तिह क अनिव हम िोि होत ह | मगि इस इचछ को लकि िीव िह को छोड़त ह

औि िसि िनम म इस िनम की उप जधय ा कम होकि यह इचछ फलती ह य जय ि मिबत तो होती

ही ह | इस तिह कलय णकत लग त ि आग बढ़त ही िहत ह |

गीता की महिमा

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जञ नशवि मह ि ि न जनवजततन थ क िीत हए उनक धय न धि हो तो िल ही धि हो लजकन

इतन होन पि िी मि पककी ि य ह जक वह हम ि नकल किन ल यक नही ह | जिसक धय न किन

ह वह पणकत को प य हआ वयजि होन च जहए | िीजवत वयजि क जलए इस तिह क खय ल किन

जबलकल बि औि गििरिी ह | जका त यह हो सकत ह जक जञ नशवि मह ि ि न शिीिध िी जनवजततन थ

क धय न जकय हो | मगि हम इस झगड़ म कह पड़ औि िब िीजवत मजतक क धय न किन क

सव ल उठत ह तब कलपन की मजतक की गाि यश नही िहती औि इसक उललख किक िव ब जिय

हो तो इस िव ब स बजदभरषट होन सािव ह |

पहल अधय य म िो न म जिय ह व सब न म मिी ि य म वयजिव चक होन क बि य

गणव चक जय ि ह | िवी औि आसिी वजततयो क बीच की लड़ ई क बय न कित हए कजव न

वजततयो को मजतकम न बन य ह | इस कलपन म इस ब त स इनक ि नही जकय गय ह जक प ािवो

औि कौिवो क बीच हजसतन पि क प स सचमच यद हआ होग | मिी ऐसी कलपन ह जक उस

िम न क कोई दषट ात लकि कजव न इस मह न गराथ की िचन की ह | इसम िल हो सकती ह य य

सब न म ऐजतह जसक हो तो ऐजतह जसक आिाि क जलए य न म िन बि िी नही म न ि सकत |

जवषय-जवच ि क जलए पहल अधय य िरिी ह इसजलए गीत -प ठ क वि उस पढ़ लन िी िरिी ह

|

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo पहल ि ग पषठ २२३ १८ िन १९३२

वह जिन य ि आत ह िब जम बकि मझ वजलागटन कनवशन म चलो | वह ा समथक लोग

आयाग | आप उनस जमलग तो आपको

गीता की महिमा

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गीता पर आसथा

जफि एक lsquoजवश ल बजदrsquo परष-गीत क परणत उतपनन हआ | उसन जहनि-सम ि को गहि

ततवजञ न स िि औि स थ ही जहाि-धमक क ऐस िोहन अजपकत जकय जक िो मगध जिजञ स को सहि ही

समझ म आ सकत ह | जहाि-धमक क अधययन किन की इचछ िखनव ल परतयक जहनि क जलए यह

एकम तर सलि गराथ ह औि यजि अनय सिी धमकश सतर िलकि िसम हो ि या तब िी इस अमि गराथ क

स त सौ शलोक यह बनन क जलए पय कपत होग जक जहाि-धमक कय ह औि उस िीवन म जकस परक ि

उत ि ि य | म सन तनी होन क ि व कित ह कयोजक च लीस वषो स उस गराथ क उपिशो को

िीवन म अकषिश उत िन क म परयतन कित आय ह | गीत क मखय जसद ात क जवपिीत िो कछ

िी हो उस म जहाि-धमक क जविोध म नकि असवीक ि कित ह | गीत म जकसी िी धमक य धमक-गर

क परजत दवष नही | मझ यह कहत बड़ आनाि होत ह जक मन गीत क परजत जितन पजय ि व िख ह

उतन ही पजय ि व स मन ब इजबल कि न िािअवसत औि सास ि क अनय धमक-गराथ पढ़ ह | इस

व चन न गीत क परजत मिी शरद को दढ़ बन य ह | उसस मिी दजषट औि उसस मिी जहनि धमक जवश ल

हआ ह | िस जक ििथसतर ईस औि महममि क िीवन-चरितर को मन परक श ि ल ह | इसस इन

सन तनी जमतरो न मझ िो त न जिय ह वह मि जलए तो आशव सन क क िण बन गय ह | म अपन

को जहाि कहन म गौिव म नत ह कयोजक मि मन म यह शबि इतन जवश ल ह जक पथवी क चिो कोनो

क पगाबिो क परजत यह कवल सजहषणत ही नही िखत विन उनह आतमस त कि लत ह | इस

िीवन-साजहत म कही िी असपशयत को सथ न हो ऐस म नही िखत | इसक जवपिीत लौह-चाबक

क सम न जचत कषकक व णी म मिी बजद को सपशक किक औि इसक िी आग मि हिय को पणकतय

सपशक किक मि मन म यह आसथ उतपनन किती ह जक ितम तर एक-रप ह व सिी ईशवि म स जनकल

ह औि उसी म जवलीन हो ि नव ल ह | िगवती गीत म त दव ि उपजिषट सन तन धमक क अनस ि

िीवन क स फलय बहम आच ि औि कमकक ाि म नही विन समपणक जचतत-शजद म औि शिीि मन

औि आतम -सजहत समगर वयजितव को पिबरहम क स थ एक क ि कि िन म ह | गीत क इस सनिश

को अपन िीवन म ओट-परोत किक म किोड़ो की म नवमजिनी क प स गय ह औि उनहोन मिी ब त

सनी ह सो मिी ि िनीजतजञत क क िण अथव मिी व णी की छट क क िण नही बजलक मि जवशव स

गीता की महिमा

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ह जक मझ अपन अपन धमक क म नकि सनी ह | समय क स थ-स थ मिी यह शरद अजधक जधक

दढ़ होती गई ह जक म सन तन-धमी होन क ि व करा यह चीि गलत नही औि यजि ईशवि की इचछ

होगी तो वह मझ इस ि व पि मिी मतय की महि लग लन िग |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग २ पषठ ४३५ ४ नवाबि १९३२

गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
Page 3: गीता की महिमा · गीता की महिमा  Page 1 प्रकाशकीय. ăÚतrत पÚतक a¨ गor ांधqिq कx गqतo -

गीता की महिमा

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अनकरम

1 गीत -म त

2 गीत स परथम परिचय

3 गीत क अधययन

4 गीत -धय न

5 गीत पि आसथ

6 गीत क अथक

7 गीत का ठ किो

8 जनतय वयवह ि म गीत

9 िगविगीत अथव अन सजि योग

10 गीत -ियाती

11 गीत औि ि म यण

12 ि षरीय श ल ओ ा म गीत

13 अजहास पिमोधमक

14 गीत िी

गीता की महिमा

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गीता-माता

गीत श सतरो क िोहन ह | मन कही पढ़ थ जक सि उपजनषिो क जनचोड़ उसक ७०० शलोको म आ

ि त ह | इसजलए मन जनिय जकय जक कछ न हो सक तो िी गीत क जञ न पर पत कि ल | आि

गीत मि जलए कवल ब इजबल नही ह कवल कि न नही ह मि जलए वह म त ही गई ह | मझ िनम

िनव ली म त तो चली गई पि साकट क समय गीत -म त क प स ि न म सीख गय ह | उस

जञ न मत स वह तपत किती ह |

कछ लोग कहत ह जक गीत तो मह गढ़ गराथ ह | सव लोकम नय जतलक न अनक गराथो क

मनन किक पाजित की दजषट स उसक अभय स जकय औि उसक गढ़ अथो को व परक श म ल य |

उसपि एक मह ि पय की िचन िी की | जतलक मह ि ि क जलए यह गढ़ गराथ थ पि हम ि िस

स ध िण मनषय क जलए वह गढ़ नही ह | स िी गीत क व चन आपको कजठन म लम हो तो आप

पहल कवल तीन अधय य पढ़ ल | गीत क सब स ि इन तीन अधय यो म आ ि त ह | ब की क

अधय य म वही ब त अजधक जवसत ि स औि अनक दजषटओ ा स जसद की गई ह | यह िी जकसी को

कजठन म लम हो तो इन तीन अधय यो म स कछ ऐस शलोक छ ाट ि सकत ह जिनम गीत क

जनचोड़ आ ि त ह | तीन िगहो पि तो गीत म यह िी आत ह जक सब धमो को छोड़कि त कवल

मिी ही शिण ल | इसस अजधक सिल औि स ि उपिश कय हो सकत ह िो मनषय गीत म स

अपन जलए आशव सन पर पत किन च ह तो उस उसम स वह पि -पि जमल ि त ह | िो मनषय गीत

क िि होत ह उसक जलए जनि श की कोई िगह नही ह वह हमश आनाि म िहत ह |

पि इसक जलए बजदव ि नही बजलक अवयजिच रिणी िजि च जहए | अबतक मन एक िी

ऐस आिमी को नही ि न जिसन गीत क अवयजिच रिणी िजि स सवन जकय हो औि जिस गीत

स आशव सन न जमल हो | तम जवदय थी लोग कही पिीकष म फल हो ि त हो तो जनि श क स गि म

िब ि त हो | गीत जनि श होनव लो को परष थक जसख ती ह आलसय औि वयजिच ि क तय ग

बत ती ह | एक वसत क धय न किन िसिी चीि बोलन औि तीसि को सनन इसको वयजिच ि

कहत ह | गीत जसख ती ह जक प स हो य फल िोनो चीज़ो सम न ह | मनषयो को कवल परयतन

किन क अजधक ि ह फल पि कोई अजधक ि नही | यह आशव सन मझ कोई नही ि सकत वह तो

अननय िजि स ही पर पत होत ह | सतय गरही की ह जसयत स म कह सकत ह जक इसम स जनतय ही

गीता की महिमा

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मझ कछ-न-कछ नई वसत जमलती िहती ह | कोई मझ कहग की यह तमह िी मखकत ह तो म उस

कह ग जक म अपनी इस मखकत पि अटल िह ग | इसजलए सब जवदय थीयो स म कह ग जक सवि

उठकि तम इसक अभय स किो | तलसीि स क म िि ह पि तम लोगो को इस समय म

तलसीि स नही सझ त ह | जवदय थी की हजसयत स तम गीत क ही अभय स किो पि दवष-ि व स

नही िजि-ि व स | तम उसम िजिपवकक परवश किोग तो िो तमह च जहए वह उसम स जमलग |

अठ िहो अधय य का ठ किन कोई खल नही ह पि किन िसी चीज़ तो ह ही | तम एक ब ि उसक

आशरय लोग तो िखोग जक जिनो-जिन उसम तमह ि अनि ग बढ़ग | जफि तम क ि गह म हो य

िागल म आक श म हो य अाधिी कोठिी म गीत क िटन तो जनिाति तमह ि हिय म चलत ही िहग

औि उसम स तमह आशव सन जमलग | तमस यह आध ि तो कोई छीन ही नही सकत | इसक िटन

म जिसक पर ण ि यग उसक जलए तो वह सवकसव ही ह कवल जनव कण नही बजलक बरहम-जनव कण ह

|

गीता की महिमा

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गीता स परथम पररचय

जवल यत म िहत हए कोई एक स ल हआ होग इस बीच िो जथयोसजफसट जमतरो स मल क़ त

हई | िोनो सग ि ई थ औि अजवव जहत थ | उहोन मझस गीत की ब त चल ई | उन जिनो य

एिजवन आिनॉलि-कत गीत क अागरज़ी अनव ि को पढ़ िह थ पि मझ उनहोन अपन स थ सासकत म

गीत पढ़न क जलए कह | म लजजित हआ कयोजक मन तो गीत न सासकत म न ि ष म ही पढ़ी

थी | मझ उनस यह ब त झपत हए कहनी पड़ी पि स थ यह िी कह जक म आपक स थ पढ़न क

जलए तय ि ह | यो तो मि सासकत-जञ न नही क बि बि ह जफि िी म इतन समझ सक ग जक अनव ि

कही गिबि होग तो वह बत सका | इस तिह इन ि इयो क स थ मि गीत -व चन आिाि हआ |

िसि अधय य क अाजतम शलोको म

धय यतो जवषय नपास सागसतषपि यत |

सग तसाि यत क म कम तकोधोऽजिि यत | |

कोध ििवजत सामोह सामोहतसमजतजवभरम |

समजतभरनश त बजदन शो बजदन श तपरणशयजत | | १

इन शलोको क मि जिल पि गहि असि हआ | बीएस क नो म उनकी धवनी जिन-ि त गि किती |

तब मझ परतीत हआ जक िगविगीत तो अमलय गराथ ह | यह ध िण जिन-जिन अजधक दढ़ होती गई

औि अब तो तततव जञ न क जलए म उस सवोततम गराथ म नत ह | जनि श क समय इस गराथ न मिी

अमलय सह यत की ह | यो इसक लगिग तम म अागरज़ी अनव ि म पढ़ गय ह पिात एिजवन

आिनॉलि क अनव ि सबम शरषठ िकष की ह औि जतसपि िी वह अनव ि िस नही म लम होत |

जफि िी यह नही कह सकत जक इस समय मन िगविगीत क अचछ अधय य कि जलय ह |

उसक िोिमि क प ठ तो वषो ब ि शर हआ |

lsquoआतमकथ rsquo नव ा सासकिण पषठ ७१

१ जवषयक क जचनतन किन स पहल तो उसक स थ साग पि होत ह औि साग स क म की उतपजतत होती ह |

क मन क पीछ-पीछ करोध स सामोह स समजतभरम औि समजतभरम स बजद क न श होत ह औि अात म परष सवया

ही नषट हो ि त ह |

गीता की महिमा

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गीता का अधययन

गीत क अधययन शर जकय | एक छोट -स lsquoजिजञ स-मािलrsquo िी बन य गय औि

जनयमपकक अधययन आिाि हआ | गीत िी क परजत मि परम औि शरद तो पहल ही स थी | अब

उसक गहि ई क स थ िहसय समझन की आवशयकत जिख ई िी | मि प स एक-िो अनव ि िख थ

उनकी सह यत स मल सासकत समझन क परयतन जकय औि जनतय एक य िो शलोक का ठ किन क

जनिय जकय |

सबह क ितौन औि सन न क समय म गीत िी का ठ किन म लग त | ितौन म १५ औि

सन न म २० जमनट लगत | ितौन अागरज़ी रिव ि क मत जबक खड़-खड़ कित | स मन िीव ि पि

गीत िी क शलोक जलखकि जचपक ित औि उनह िख-िखकि िटत िहत | इस तिह िट हए शलोक

सन न किन तक पकक हो ि त | बीच म जपछल शलोको को िी िहि ि त | इस परक ि मझ य ि

पड़त ह जक १३ अधय य तक गीत का ठ कि ली थी पि ब ि म क म की झाझट बढ़ गई ा | सतय गरह

क िनम हो गय औि उस ब लक की परिवरिश क ि ि मझपि आ पड़ जिसस जवच ि किन क

समय िी उसक ल लन-प लन म बीत औि कह सकत ह जक अब िी बीत िह ह |

गीत -प ठ क असि मि सह धय जययो पि तो िो कछ पड़ हो वह वही बत सकत ह जका त

मि जलए तो गीत आच ि की एक परौढ़ म गकिजशकक बन गई ह | वह मि ध जमकक कोश हो गई ह |

अपरिजचत अागरज़ी शबि क जहजि य अथक को िखन क जलए जिस तिह म अागरज़ी कोश को खोलत

उसी तिह आच ि साबाधी कजठन इयो औि उसकी अटपटी गजतथयो को गीत िी क दव ि सलझ य |

उसक अपरिगरह समि व इतय जि शबिो न मझ जगिफत ि कि जलय | यही धन िहन लगी जक

समि व कस पर पत करा कस उसक प लन करा िो अजधक िी हम ि अपम न कि िो रिशवखोि ह

ि सत चलत िो जविोध कित ह िो कल क स थी ह उनम औि उन सजिनो म जिनहोन हम पि ि िी

उपक ि जकय ह कय कछ िि नही ह अपरिगरह क प लन जकस तिह ममजकन ह कय यह हम िी

िह ही हम ि जलए कम परिगरह सतरी-परष आजि यजि परिगरह नही तो जफि कय ह कय पसतको स ििी

इन अलम रियो म आग लग ि पि यह तो घि िल कि तीथक किन हआ | अािि स तिात उतति

जमल lsquolsquoह घिब ि को ख़ क जकए जबन तीथक नही जकय ि सकत | rsquorsquo इसम अागरज़ी क नन क

गीता की महिमा

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अधययन न मिी सह यत की | सनल-िजचत क नन क जसद ातो की चच क य ि आई | रसटी शबि क

अथक गीत िी क अधययन की बिौलत अचछी तिह समझ म आय | क़ ननश सतर क परजत मन म

आिि बढ उसक अािि िी मझ धमक क तततव जिख ई पड़ | रसटी यो किोड़ो की सापजतत िखत ह जफि

िी उसकी एक प ई पि उनक अजधक ि नही होत | इसी तिह ममकष को अपन आचिण िखन

च जहए यह प ठ मन गीत िी स सीख | अपरिगरही होन क जलए समि व िखन क जलए हत क

औि हिय क परिवतकन आवशयक ह यह ब त मझ िीपक की तिह सपषट जिख ई िन लगी | बस कि

िीजिए | कछ रपय व पस जमल ि य तो ठीक नही तो खि | ब ल-बचचो औि गजहणी की िकष

वह ईशवि किग जिसन उनको औि हमको पि जकय ह | यह आशय मि उस पतर क थ | जपत क

सम न अपन बड़ ि ई को जलख lsquolsquoआितक म िो कछ बच त िह आपक अपकण कित िह |

अब मिी आश छोड़ िीजिए | अब िो कछ बच िहग वह यही क स वकिजनक क मो म लगग | rsquorsquo

आतमकथ नव ा सासकिण पषठ २६५

गीता की महिमा

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गीता-धयान

कलपन क जचतर कछ िी खीच हो औि उसक धय न जकय हो तो इसम िोष नही िखत |

लजकन गीत म त क धय न स सातोष होत हो तो औि कय च जहए गीत क धय न िो तिह स हो

सकत ह एक तो उस म त क रप म म न ह | इसजलए स मन म त की तसवीि की िरित िहती हो

तो य तो अपनी म म ही यजि वह मि गई हो तो क मधन क आिोपण किक गीत क रप म

म नकि उसक धय न किन च जहए य कोई िी क लपजनक जचतर मन म खीच जलय ि य | उस गो-

म त क रप जिय हो तो िी क म चल सकत ह | िसिी तिह हो सक तो इस म जय ि अचछ

समझत ह | हम हमश िो अधय य बोलत हो उसम स य जकसी िी अधय य क जकसी िी शलोक य

जकसी शबि क धय न धिन ही उसक जचातवन किन ह | गीत म जितन शबि ह उतन ही उसक

आिषण ह औि जपरयिनो क आिषणो क धय न किन नही उनही क धय न धिन क बि बि ह | यही

ब त गीत की ह | लजकन इसक जसव जकसी को औि कोई ढाग जमल ि य तो िल ही वह उस ढाग स

धय न धि | जितन जिम ग उतनी ही जवजवधत होती ह | कोई िो वयजि एक ही तिीक स एक ही

चीि क धय न नही कित | िोनो क वणकन औि कलपन म कछ-न-कछ फकक तो िहग ही |

छठ अधय य क अनस ि िि -सी िी की हई स धन बक ि नही ि ती औि िह स िह गई

हो वह ा स िसि िनम म आग चलती ह | इसी तिह जिसम कलय णम गक की तिफ मड़न की इचछ तो

िरि हो जिसस िसि िनम म उसकी यह इचछ दढ़ हो | इस ब ि म िी मि मन म कोई शाक नही ह |

मगि इसक यह अथक न जकय ि य जक तब तो हम िनम म जशजथल िह तो िी क म चलग | ऐसी

इचछ इचछ नही ह य वह बौजदक ह मगि ह जिकक नही ह | बौजदक इचछ क जलए कोई सथ न ही

नही ह | वह मिन क ब ि नही िहती पि िो इचछ जिल म पठ ि ती ह उसक पीछ परयतन तो होन

ही च जहए | मगि कई क िणो स औि शिीि की कमिोिी स सािव ह जक यह इचछ इस िनम म पिी न

हो औि इस तिह क अनिव हम िोि होत ह | मगि इस इचछ को लकि िीव िह को छोड़त ह

औि िसि िनम म इस िनम की उप जधय ा कम होकि यह इचछ फलती ह य जय ि मिबत तो होती

ही ह | इस तिह कलय णकत लग त ि आग बढ़त ही िहत ह |

गीता की महिमा

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जञ नशवि मह ि ि न जनवजततन थ क िीत हए उनक धय न धि हो तो िल ही धि हो लजकन

इतन होन पि िी मि पककी ि य ह जक वह हम ि नकल किन ल यक नही ह | जिसक धय न किन

ह वह पणकत को प य हआ वयजि होन च जहए | िीजवत वयजि क जलए इस तिह क खय ल किन

जबलकल बि औि गििरिी ह | जका त यह हो सकत ह जक जञ नशवि मह ि ि न शिीिध िी जनवजततन थ

क धय न जकय हो | मगि हम इस झगड़ म कह पड़ औि िब िीजवत मजतक क धय न किन क

सव ल उठत ह तब कलपन की मजतक की गाि यश नही िहती औि इसक उललख किक िव ब जिय

हो तो इस िव ब स बजदभरषट होन सािव ह |

पहल अधय य म िो न म जिय ह व सब न म मिी ि य म वयजिव चक होन क बि य

गणव चक जय ि ह | िवी औि आसिी वजततयो क बीच की लड़ ई क बय न कित हए कजव न

वजततयो को मजतकम न बन य ह | इस कलपन म इस ब त स इनक ि नही जकय गय ह जक प ािवो

औि कौिवो क बीच हजसतन पि क प स सचमच यद हआ होग | मिी ऐसी कलपन ह जक उस

िम न क कोई दषट ात लकि कजव न इस मह न गराथ की िचन की ह | इसम िल हो सकती ह य य

सब न म ऐजतह जसक हो तो ऐजतह जसक आिाि क जलए य न म िन बि िी नही म न ि सकत |

जवषय-जवच ि क जलए पहल अधय य िरिी ह इसजलए गीत -प ठ क वि उस पढ़ लन िी िरिी ह

|

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo पहल ि ग पषठ २२३ १८ िन १९३२

वह जिन य ि आत ह िब जम बकि मझ वजलागटन कनवशन म चलो | वह ा समथक लोग

आयाग | आप उनस जमलग तो आपको

गीता की महिमा

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गीता पर आसथा

जफि एक lsquoजवश ल बजदrsquo परष-गीत क परणत उतपनन हआ | उसन जहनि-सम ि को गहि

ततवजञ न स िि औि स थ ही जहाि-धमक क ऐस िोहन अजपकत जकय जक िो मगध जिजञ स को सहि ही

समझ म आ सकत ह | जहाि-धमक क अधययन किन की इचछ िखनव ल परतयक जहनि क जलए यह

एकम तर सलि गराथ ह औि यजि अनय सिी धमकश सतर िलकि िसम हो ि या तब िी इस अमि गराथ क

स त सौ शलोक यह बनन क जलए पय कपत होग जक जहाि-धमक कय ह औि उस िीवन म जकस परक ि

उत ि ि य | म सन तनी होन क ि व कित ह कयोजक च लीस वषो स उस गराथ क उपिशो को

िीवन म अकषिश उत िन क म परयतन कित आय ह | गीत क मखय जसद ात क जवपिीत िो कछ

िी हो उस म जहाि-धमक क जविोध म नकि असवीक ि कित ह | गीत म जकसी िी धमक य धमक-गर

क परजत दवष नही | मझ यह कहत बड़ आनाि होत ह जक मन गीत क परजत जितन पजय ि व िख ह

उतन ही पजय ि व स मन ब इजबल कि न िािअवसत औि सास ि क अनय धमक-गराथ पढ़ ह | इस

व चन न गीत क परजत मिी शरद को दढ़ बन य ह | उसस मिी दजषट औि उसस मिी जहनि धमक जवश ल

हआ ह | िस जक ििथसतर ईस औि महममि क िीवन-चरितर को मन परक श ि ल ह | इसस इन

सन तनी जमतरो न मझ िो त न जिय ह वह मि जलए तो आशव सन क क िण बन गय ह | म अपन

को जहाि कहन म गौिव म नत ह कयोजक मि मन म यह शबि इतन जवश ल ह जक पथवी क चिो कोनो

क पगाबिो क परजत यह कवल सजहषणत ही नही िखत विन उनह आतमस त कि लत ह | इस

िीवन-साजहत म कही िी असपशयत को सथ न हो ऐस म नही िखत | इसक जवपिीत लौह-चाबक

क सम न जचत कषकक व णी म मिी बजद को सपशक किक औि इसक िी आग मि हिय को पणकतय

सपशक किक मि मन म यह आसथ उतपनन किती ह जक ितम तर एक-रप ह व सिी ईशवि म स जनकल

ह औि उसी म जवलीन हो ि नव ल ह | िगवती गीत म त दव ि उपजिषट सन तन धमक क अनस ि

िीवन क स फलय बहम आच ि औि कमकक ाि म नही विन समपणक जचतत-शजद म औि शिीि मन

औि आतम -सजहत समगर वयजितव को पिबरहम क स थ एक क ि कि िन म ह | गीत क इस सनिश

को अपन िीवन म ओट-परोत किक म किोड़ो की म नवमजिनी क प स गय ह औि उनहोन मिी ब त

सनी ह सो मिी ि िनीजतजञत क क िण अथव मिी व णी की छट क क िण नही बजलक मि जवशव स

गीता की महिमा

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ह जक मझ अपन अपन धमक क म नकि सनी ह | समय क स थ-स थ मिी यह शरद अजधक जधक

दढ़ होती गई ह जक म सन तन-धमी होन क ि व करा यह चीि गलत नही औि यजि ईशवि की इचछ

होगी तो वह मझ इस ि व पि मिी मतय की महि लग लन िग |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग २ पषठ ४३५ ४ नवाबि १९३२

गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
Page 4: गीता की महिमा · गीता की महिमा  Page 1 प्रकाशकीय. ăÚतrत पÚतक a¨ गor ांधqिq कx गqतo -

गीता की महिमा

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गीता-माता

गीत श सतरो क िोहन ह | मन कही पढ़ थ जक सि उपजनषिो क जनचोड़ उसक ७०० शलोको म आ

ि त ह | इसजलए मन जनिय जकय जक कछ न हो सक तो िी गीत क जञ न पर पत कि ल | आि

गीत मि जलए कवल ब इजबल नही ह कवल कि न नही ह मि जलए वह म त ही गई ह | मझ िनम

िनव ली म त तो चली गई पि साकट क समय गीत -म त क प स ि न म सीख गय ह | उस

जञ न मत स वह तपत किती ह |

कछ लोग कहत ह जक गीत तो मह गढ़ गराथ ह | सव लोकम नय जतलक न अनक गराथो क

मनन किक पाजित की दजषट स उसक अभय स जकय औि उसक गढ़ अथो को व परक श म ल य |

उसपि एक मह ि पय की िचन िी की | जतलक मह ि ि क जलए यह गढ़ गराथ थ पि हम ि िस

स ध िण मनषय क जलए वह गढ़ नही ह | स िी गीत क व चन आपको कजठन म लम हो तो आप

पहल कवल तीन अधय य पढ़ ल | गीत क सब स ि इन तीन अधय यो म आ ि त ह | ब की क

अधय य म वही ब त अजधक जवसत ि स औि अनक दजषटओ ा स जसद की गई ह | यह िी जकसी को

कजठन म लम हो तो इन तीन अधय यो म स कछ ऐस शलोक छ ाट ि सकत ह जिनम गीत क

जनचोड़ आ ि त ह | तीन िगहो पि तो गीत म यह िी आत ह जक सब धमो को छोड़कि त कवल

मिी ही शिण ल | इसस अजधक सिल औि स ि उपिश कय हो सकत ह िो मनषय गीत म स

अपन जलए आशव सन पर पत किन च ह तो उस उसम स वह पि -पि जमल ि त ह | िो मनषय गीत

क िि होत ह उसक जलए जनि श की कोई िगह नही ह वह हमश आनाि म िहत ह |

पि इसक जलए बजदव ि नही बजलक अवयजिच रिणी िजि च जहए | अबतक मन एक िी

ऐस आिमी को नही ि न जिसन गीत क अवयजिच रिणी िजि स सवन जकय हो औि जिस गीत

स आशव सन न जमल हो | तम जवदय थी लोग कही पिीकष म फल हो ि त हो तो जनि श क स गि म

िब ि त हो | गीत जनि श होनव लो को परष थक जसख ती ह आलसय औि वयजिच ि क तय ग

बत ती ह | एक वसत क धय न किन िसिी चीि बोलन औि तीसि को सनन इसको वयजिच ि

कहत ह | गीत जसख ती ह जक प स हो य फल िोनो चीज़ो सम न ह | मनषयो को कवल परयतन

किन क अजधक ि ह फल पि कोई अजधक ि नही | यह आशव सन मझ कोई नही ि सकत वह तो

अननय िजि स ही पर पत होत ह | सतय गरही की ह जसयत स म कह सकत ह जक इसम स जनतय ही

गीता की महिमा

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मझ कछ-न-कछ नई वसत जमलती िहती ह | कोई मझ कहग की यह तमह िी मखकत ह तो म उस

कह ग जक म अपनी इस मखकत पि अटल िह ग | इसजलए सब जवदय थीयो स म कह ग जक सवि

उठकि तम इसक अभय स किो | तलसीि स क म िि ह पि तम लोगो को इस समय म

तलसीि स नही सझ त ह | जवदय थी की हजसयत स तम गीत क ही अभय स किो पि दवष-ि व स

नही िजि-ि व स | तम उसम िजिपवकक परवश किोग तो िो तमह च जहए वह उसम स जमलग |

अठ िहो अधय य का ठ किन कोई खल नही ह पि किन िसी चीज़ तो ह ही | तम एक ब ि उसक

आशरय लोग तो िखोग जक जिनो-जिन उसम तमह ि अनि ग बढ़ग | जफि तम क ि गह म हो य

िागल म आक श म हो य अाधिी कोठिी म गीत क िटन तो जनिाति तमह ि हिय म चलत ही िहग

औि उसम स तमह आशव सन जमलग | तमस यह आध ि तो कोई छीन ही नही सकत | इसक िटन

म जिसक पर ण ि यग उसक जलए तो वह सवकसव ही ह कवल जनव कण नही बजलक बरहम-जनव कण ह

|

गीता की महिमा

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गीता स परथम पररचय

जवल यत म िहत हए कोई एक स ल हआ होग इस बीच िो जथयोसजफसट जमतरो स मल क़ त

हई | िोनो सग ि ई थ औि अजवव जहत थ | उहोन मझस गीत की ब त चल ई | उन जिनो य

एिजवन आिनॉलि-कत गीत क अागरज़ी अनव ि को पढ़ िह थ पि मझ उनहोन अपन स थ सासकत म

गीत पढ़न क जलए कह | म लजजित हआ कयोजक मन तो गीत न सासकत म न ि ष म ही पढ़ी

थी | मझ उनस यह ब त झपत हए कहनी पड़ी पि स थ यह िी कह जक म आपक स थ पढ़न क

जलए तय ि ह | यो तो मि सासकत-जञ न नही क बि बि ह जफि िी म इतन समझ सक ग जक अनव ि

कही गिबि होग तो वह बत सका | इस तिह इन ि इयो क स थ मि गीत -व चन आिाि हआ |

िसि अधय य क अाजतम शलोको म

धय यतो जवषय नपास सागसतषपि यत |

सग तसाि यत क म कम तकोधोऽजिि यत | |

कोध ििवजत सामोह सामोहतसमजतजवभरम |

समजतभरनश त बजदन शो बजदन श तपरणशयजत | | १

इन शलोको क मि जिल पि गहि असि हआ | बीएस क नो म उनकी धवनी जिन-ि त गि किती |

तब मझ परतीत हआ जक िगविगीत तो अमलय गराथ ह | यह ध िण जिन-जिन अजधक दढ़ होती गई

औि अब तो तततव जञ न क जलए म उस सवोततम गराथ म नत ह | जनि श क समय इस गराथ न मिी

अमलय सह यत की ह | यो इसक लगिग तम म अागरज़ी अनव ि म पढ़ गय ह पिात एिजवन

आिनॉलि क अनव ि सबम शरषठ िकष की ह औि जतसपि िी वह अनव ि िस नही म लम होत |

जफि िी यह नही कह सकत जक इस समय मन िगविगीत क अचछ अधय य कि जलय ह |

उसक िोिमि क प ठ तो वषो ब ि शर हआ |

lsquoआतमकथ rsquo नव ा सासकिण पषठ ७१

१ जवषयक क जचनतन किन स पहल तो उसक स थ साग पि होत ह औि साग स क म की उतपजतत होती ह |

क मन क पीछ-पीछ करोध स सामोह स समजतभरम औि समजतभरम स बजद क न श होत ह औि अात म परष सवया

ही नषट हो ि त ह |

गीता की महिमा

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गीता का अधययन

गीत क अधययन शर जकय | एक छोट -स lsquoजिजञ स-मािलrsquo िी बन य गय औि

जनयमपकक अधययन आिाि हआ | गीत िी क परजत मि परम औि शरद तो पहल ही स थी | अब

उसक गहि ई क स थ िहसय समझन की आवशयकत जिख ई िी | मि प स एक-िो अनव ि िख थ

उनकी सह यत स मल सासकत समझन क परयतन जकय औि जनतय एक य िो शलोक का ठ किन क

जनिय जकय |

सबह क ितौन औि सन न क समय म गीत िी का ठ किन म लग त | ितौन म १५ औि

सन न म २० जमनट लगत | ितौन अागरज़ी रिव ि क मत जबक खड़-खड़ कित | स मन िीव ि पि

गीत िी क शलोक जलखकि जचपक ित औि उनह िख-िखकि िटत िहत | इस तिह िट हए शलोक

सन न किन तक पकक हो ि त | बीच म जपछल शलोको को िी िहि ि त | इस परक ि मझ य ि

पड़त ह जक १३ अधय य तक गीत का ठ कि ली थी पि ब ि म क म की झाझट बढ़ गई ा | सतय गरह

क िनम हो गय औि उस ब लक की परिवरिश क ि ि मझपि आ पड़ जिसस जवच ि किन क

समय िी उसक ल लन-प लन म बीत औि कह सकत ह जक अब िी बीत िह ह |

गीत -प ठ क असि मि सह धय जययो पि तो िो कछ पड़ हो वह वही बत सकत ह जका त

मि जलए तो गीत आच ि की एक परौढ़ म गकिजशकक बन गई ह | वह मि ध जमकक कोश हो गई ह |

अपरिजचत अागरज़ी शबि क जहजि य अथक को िखन क जलए जिस तिह म अागरज़ी कोश को खोलत

उसी तिह आच ि साबाधी कजठन इयो औि उसकी अटपटी गजतथयो को गीत िी क दव ि सलझ य |

उसक अपरिगरह समि व इतय जि शबिो न मझ जगिफत ि कि जलय | यही धन िहन लगी जक

समि व कस पर पत करा कस उसक प लन करा िो अजधक िी हम ि अपम न कि िो रिशवखोि ह

ि सत चलत िो जविोध कित ह िो कल क स थी ह उनम औि उन सजिनो म जिनहोन हम पि ि िी

उपक ि जकय ह कय कछ िि नही ह अपरिगरह क प लन जकस तिह ममजकन ह कय यह हम िी

िह ही हम ि जलए कम परिगरह सतरी-परष आजि यजि परिगरह नही तो जफि कय ह कय पसतको स ििी

इन अलम रियो म आग लग ि पि यह तो घि िल कि तीथक किन हआ | अािि स तिात उतति

जमल lsquolsquoह घिब ि को ख़ क जकए जबन तीथक नही जकय ि सकत | rsquorsquo इसम अागरज़ी क नन क

गीता की महिमा

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अधययन न मिी सह यत की | सनल-िजचत क नन क जसद ातो की चच क य ि आई | रसटी शबि क

अथक गीत िी क अधययन की बिौलत अचछी तिह समझ म आय | क़ ननश सतर क परजत मन म

आिि बढ उसक अािि िी मझ धमक क तततव जिख ई पड़ | रसटी यो किोड़ो की सापजतत िखत ह जफि

िी उसकी एक प ई पि उनक अजधक ि नही होत | इसी तिह ममकष को अपन आचिण िखन

च जहए यह प ठ मन गीत िी स सीख | अपरिगरही होन क जलए समि व िखन क जलए हत क

औि हिय क परिवतकन आवशयक ह यह ब त मझ िीपक की तिह सपषट जिख ई िन लगी | बस कि

िीजिए | कछ रपय व पस जमल ि य तो ठीक नही तो खि | ब ल-बचचो औि गजहणी की िकष

वह ईशवि किग जिसन उनको औि हमको पि जकय ह | यह आशय मि उस पतर क थ | जपत क

सम न अपन बड़ ि ई को जलख lsquolsquoआितक म िो कछ बच त िह आपक अपकण कित िह |

अब मिी आश छोड़ िीजिए | अब िो कछ बच िहग वह यही क स वकिजनक क मो म लगग | rsquorsquo

आतमकथ नव ा सासकिण पषठ २६५

गीता की महिमा

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गीता-धयान

कलपन क जचतर कछ िी खीच हो औि उसक धय न जकय हो तो इसम िोष नही िखत |

लजकन गीत म त क धय न स सातोष होत हो तो औि कय च जहए गीत क धय न िो तिह स हो

सकत ह एक तो उस म त क रप म म न ह | इसजलए स मन म त की तसवीि की िरित िहती हो

तो य तो अपनी म म ही यजि वह मि गई हो तो क मधन क आिोपण किक गीत क रप म

म नकि उसक धय न किन च जहए य कोई िी क लपजनक जचतर मन म खीच जलय ि य | उस गो-

म त क रप जिय हो तो िी क म चल सकत ह | िसिी तिह हो सक तो इस म जय ि अचछ

समझत ह | हम हमश िो अधय य बोलत हो उसम स य जकसी िी अधय य क जकसी िी शलोक य

जकसी शबि क धय न धिन ही उसक जचातवन किन ह | गीत म जितन शबि ह उतन ही उसक

आिषण ह औि जपरयिनो क आिषणो क धय न किन नही उनही क धय न धिन क बि बि ह | यही

ब त गीत की ह | लजकन इसक जसव जकसी को औि कोई ढाग जमल ि य तो िल ही वह उस ढाग स

धय न धि | जितन जिम ग उतनी ही जवजवधत होती ह | कोई िो वयजि एक ही तिीक स एक ही

चीि क धय न नही कित | िोनो क वणकन औि कलपन म कछ-न-कछ फकक तो िहग ही |

छठ अधय य क अनस ि िि -सी िी की हई स धन बक ि नही ि ती औि िह स िह गई

हो वह ा स िसि िनम म आग चलती ह | इसी तिह जिसम कलय णम गक की तिफ मड़न की इचछ तो

िरि हो जिसस िसि िनम म उसकी यह इचछ दढ़ हो | इस ब ि म िी मि मन म कोई शाक नही ह |

मगि इसक यह अथक न जकय ि य जक तब तो हम िनम म जशजथल िह तो िी क म चलग | ऐसी

इचछ इचछ नही ह य वह बौजदक ह मगि ह जिकक नही ह | बौजदक इचछ क जलए कोई सथ न ही

नही ह | वह मिन क ब ि नही िहती पि िो इचछ जिल म पठ ि ती ह उसक पीछ परयतन तो होन

ही च जहए | मगि कई क िणो स औि शिीि की कमिोिी स सािव ह जक यह इचछ इस िनम म पिी न

हो औि इस तिह क अनिव हम िोि होत ह | मगि इस इचछ को लकि िीव िह को छोड़त ह

औि िसि िनम म इस िनम की उप जधय ा कम होकि यह इचछ फलती ह य जय ि मिबत तो होती

ही ह | इस तिह कलय णकत लग त ि आग बढ़त ही िहत ह |

गीता की महिमा

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जञ नशवि मह ि ि न जनवजततन थ क िीत हए उनक धय न धि हो तो िल ही धि हो लजकन

इतन होन पि िी मि पककी ि य ह जक वह हम ि नकल किन ल यक नही ह | जिसक धय न किन

ह वह पणकत को प य हआ वयजि होन च जहए | िीजवत वयजि क जलए इस तिह क खय ल किन

जबलकल बि औि गििरिी ह | जका त यह हो सकत ह जक जञ नशवि मह ि ि न शिीिध िी जनवजततन थ

क धय न जकय हो | मगि हम इस झगड़ म कह पड़ औि िब िीजवत मजतक क धय न किन क

सव ल उठत ह तब कलपन की मजतक की गाि यश नही िहती औि इसक उललख किक िव ब जिय

हो तो इस िव ब स बजदभरषट होन सािव ह |

पहल अधय य म िो न म जिय ह व सब न म मिी ि य म वयजिव चक होन क बि य

गणव चक जय ि ह | िवी औि आसिी वजततयो क बीच की लड़ ई क बय न कित हए कजव न

वजततयो को मजतकम न बन य ह | इस कलपन म इस ब त स इनक ि नही जकय गय ह जक प ािवो

औि कौिवो क बीच हजसतन पि क प स सचमच यद हआ होग | मिी ऐसी कलपन ह जक उस

िम न क कोई दषट ात लकि कजव न इस मह न गराथ की िचन की ह | इसम िल हो सकती ह य य

सब न म ऐजतह जसक हो तो ऐजतह जसक आिाि क जलए य न म िन बि िी नही म न ि सकत |

जवषय-जवच ि क जलए पहल अधय य िरिी ह इसजलए गीत -प ठ क वि उस पढ़ लन िी िरिी ह

|

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo पहल ि ग पषठ २२३ १८ िन १९३२

वह जिन य ि आत ह िब जम बकि मझ वजलागटन कनवशन म चलो | वह ा समथक लोग

आयाग | आप उनस जमलग तो आपको

गीता की महिमा

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गीता पर आसथा

जफि एक lsquoजवश ल बजदrsquo परष-गीत क परणत उतपनन हआ | उसन जहनि-सम ि को गहि

ततवजञ न स िि औि स थ ही जहाि-धमक क ऐस िोहन अजपकत जकय जक िो मगध जिजञ स को सहि ही

समझ म आ सकत ह | जहाि-धमक क अधययन किन की इचछ िखनव ल परतयक जहनि क जलए यह

एकम तर सलि गराथ ह औि यजि अनय सिी धमकश सतर िलकि िसम हो ि या तब िी इस अमि गराथ क

स त सौ शलोक यह बनन क जलए पय कपत होग जक जहाि-धमक कय ह औि उस िीवन म जकस परक ि

उत ि ि य | म सन तनी होन क ि व कित ह कयोजक च लीस वषो स उस गराथ क उपिशो को

िीवन म अकषिश उत िन क म परयतन कित आय ह | गीत क मखय जसद ात क जवपिीत िो कछ

िी हो उस म जहाि-धमक क जविोध म नकि असवीक ि कित ह | गीत म जकसी िी धमक य धमक-गर

क परजत दवष नही | मझ यह कहत बड़ आनाि होत ह जक मन गीत क परजत जितन पजय ि व िख ह

उतन ही पजय ि व स मन ब इजबल कि न िािअवसत औि सास ि क अनय धमक-गराथ पढ़ ह | इस

व चन न गीत क परजत मिी शरद को दढ़ बन य ह | उसस मिी दजषट औि उसस मिी जहनि धमक जवश ल

हआ ह | िस जक ििथसतर ईस औि महममि क िीवन-चरितर को मन परक श ि ल ह | इसस इन

सन तनी जमतरो न मझ िो त न जिय ह वह मि जलए तो आशव सन क क िण बन गय ह | म अपन

को जहाि कहन म गौिव म नत ह कयोजक मि मन म यह शबि इतन जवश ल ह जक पथवी क चिो कोनो

क पगाबिो क परजत यह कवल सजहषणत ही नही िखत विन उनह आतमस त कि लत ह | इस

िीवन-साजहत म कही िी असपशयत को सथ न हो ऐस म नही िखत | इसक जवपिीत लौह-चाबक

क सम न जचत कषकक व णी म मिी बजद को सपशक किक औि इसक िी आग मि हिय को पणकतय

सपशक किक मि मन म यह आसथ उतपनन किती ह जक ितम तर एक-रप ह व सिी ईशवि म स जनकल

ह औि उसी म जवलीन हो ि नव ल ह | िगवती गीत म त दव ि उपजिषट सन तन धमक क अनस ि

िीवन क स फलय बहम आच ि औि कमकक ाि म नही विन समपणक जचतत-शजद म औि शिीि मन

औि आतम -सजहत समगर वयजितव को पिबरहम क स थ एक क ि कि िन म ह | गीत क इस सनिश

को अपन िीवन म ओट-परोत किक म किोड़ो की म नवमजिनी क प स गय ह औि उनहोन मिी ब त

सनी ह सो मिी ि िनीजतजञत क क िण अथव मिी व णी की छट क क िण नही बजलक मि जवशव स

गीता की महिमा

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ह जक मझ अपन अपन धमक क म नकि सनी ह | समय क स थ-स थ मिी यह शरद अजधक जधक

दढ़ होती गई ह जक म सन तन-धमी होन क ि व करा यह चीि गलत नही औि यजि ईशवि की इचछ

होगी तो वह मझ इस ि व पि मिी मतय की महि लग लन िग |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग २ पषठ ४३५ ४ नवाबि १९३२

गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
Page 5: गीता की महिमा · गीता की महिमा  Page 1 प्रकाशकीय. ăÚतrत पÚतक a¨ गor ांधqिq कx गqतo -

गीता की महिमा

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मझ कछ-न-कछ नई वसत जमलती िहती ह | कोई मझ कहग की यह तमह िी मखकत ह तो म उस

कह ग जक म अपनी इस मखकत पि अटल िह ग | इसजलए सब जवदय थीयो स म कह ग जक सवि

उठकि तम इसक अभय स किो | तलसीि स क म िि ह पि तम लोगो को इस समय म

तलसीि स नही सझ त ह | जवदय थी की हजसयत स तम गीत क ही अभय स किो पि दवष-ि व स

नही िजि-ि व स | तम उसम िजिपवकक परवश किोग तो िो तमह च जहए वह उसम स जमलग |

अठ िहो अधय य का ठ किन कोई खल नही ह पि किन िसी चीज़ तो ह ही | तम एक ब ि उसक

आशरय लोग तो िखोग जक जिनो-जिन उसम तमह ि अनि ग बढ़ग | जफि तम क ि गह म हो य

िागल म आक श म हो य अाधिी कोठिी म गीत क िटन तो जनिाति तमह ि हिय म चलत ही िहग

औि उसम स तमह आशव सन जमलग | तमस यह आध ि तो कोई छीन ही नही सकत | इसक िटन

म जिसक पर ण ि यग उसक जलए तो वह सवकसव ही ह कवल जनव कण नही बजलक बरहम-जनव कण ह

|

गीता की महिमा

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गीता स परथम पररचय

जवल यत म िहत हए कोई एक स ल हआ होग इस बीच िो जथयोसजफसट जमतरो स मल क़ त

हई | िोनो सग ि ई थ औि अजवव जहत थ | उहोन मझस गीत की ब त चल ई | उन जिनो य

एिजवन आिनॉलि-कत गीत क अागरज़ी अनव ि को पढ़ िह थ पि मझ उनहोन अपन स थ सासकत म

गीत पढ़न क जलए कह | म लजजित हआ कयोजक मन तो गीत न सासकत म न ि ष म ही पढ़ी

थी | मझ उनस यह ब त झपत हए कहनी पड़ी पि स थ यह िी कह जक म आपक स थ पढ़न क

जलए तय ि ह | यो तो मि सासकत-जञ न नही क बि बि ह जफि िी म इतन समझ सक ग जक अनव ि

कही गिबि होग तो वह बत सका | इस तिह इन ि इयो क स थ मि गीत -व चन आिाि हआ |

िसि अधय य क अाजतम शलोको म

धय यतो जवषय नपास सागसतषपि यत |

सग तसाि यत क म कम तकोधोऽजिि यत | |

कोध ििवजत सामोह सामोहतसमजतजवभरम |

समजतभरनश त बजदन शो बजदन श तपरणशयजत | | १

इन शलोको क मि जिल पि गहि असि हआ | बीएस क नो म उनकी धवनी जिन-ि त गि किती |

तब मझ परतीत हआ जक िगविगीत तो अमलय गराथ ह | यह ध िण जिन-जिन अजधक दढ़ होती गई

औि अब तो तततव जञ न क जलए म उस सवोततम गराथ म नत ह | जनि श क समय इस गराथ न मिी

अमलय सह यत की ह | यो इसक लगिग तम म अागरज़ी अनव ि म पढ़ गय ह पिात एिजवन

आिनॉलि क अनव ि सबम शरषठ िकष की ह औि जतसपि िी वह अनव ि िस नही म लम होत |

जफि िी यह नही कह सकत जक इस समय मन िगविगीत क अचछ अधय य कि जलय ह |

उसक िोिमि क प ठ तो वषो ब ि शर हआ |

lsquoआतमकथ rsquo नव ा सासकिण पषठ ७१

१ जवषयक क जचनतन किन स पहल तो उसक स थ साग पि होत ह औि साग स क म की उतपजतत होती ह |

क मन क पीछ-पीछ करोध स सामोह स समजतभरम औि समजतभरम स बजद क न श होत ह औि अात म परष सवया

ही नषट हो ि त ह |

गीता की महिमा

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गीता का अधययन

गीत क अधययन शर जकय | एक छोट -स lsquoजिजञ स-मािलrsquo िी बन य गय औि

जनयमपकक अधययन आिाि हआ | गीत िी क परजत मि परम औि शरद तो पहल ही स थी | अब

उसक गहि ई क स थ िहसय समझन की आवशयकत जिख ई िी | मि प स एक-िो अनव ि िख थ

उनकी सह यत स मल सासकत समझन क परयतन जकय औि जनतय एक य िो शलोक का ठ किन क

जनिय जकय |

सबह क ितौन औि सन न क समय म गीत िी का ठ किन म लग त | ितौन म १५ औि

सन न म २० जमनट लगत | ितौन अागरज़ी रिव ि क मत जबक खड़-खड़ कित | स मन िीव ि पि

गीत िी क शलोक जलखकि जचपक ित औि उनह िख-िखकि िटत िहत | इस तिह िट हए शलोक

सन न किन तक पकक हो ि त | बीच म जपछल शलोको को िी िहि ि त | इस परक ि मझ य ि

पड़त ह जक १३ अधय य तक गीत का ठ कि ली थी पि ब ि म क म की झाझट बढ़ गई ा | सतय गरह

क िनम हो गय औि उस ब लक की परिवरिश क ि ि मझपि आ पड़ जिसस जवच ि किन क

समय िी उसक ल लन-प लन म बीत औि कह सकत ह जक अब िी बीत िह ह |

गीत -प ठ क असि मि सह धय जययो पि तो िो कछ पड़ हो वह वही बत सकत ह जका त

मि जलए तो गीत आच ि की एक परौढ़ म गकिजशकक बन गई ह | वह मि ध जमकक कोश हो गई ह |

अपरिजचत अागरज़ी शबि क जहजि य अथक को िखन क जलए जिस तिह म अागरज़ी कोश को खोलत

उसी तिह आच ि साबाधी कजठन इयो औि उसकी अटपटी गजतथयो को गीत िी क दव ि सलझ य |

उसक अपरिगरह समि व इतय जि शबिो न मझ जगिफत ि कि जलय | यही धन िहन लगी जक

समि व कस पर पत करा कस उसक प लन करा िो अजधक िी हम ि अपम न कि िो रिशवखोि ह

ि सत चलत िो जविोध कित ह िो कल क स थी ह उनम औि उन सजिनो म जिनहोन हम पि ि िी

उपक ि जकय ह कय कछ िि नही ह अपरिगरह क प लन जकस तिह ममजकन ह कय यह हम िी

िह ही हम ि जलए कम परिगरह सतरी-परष आजि यजि परिगरह नही तो जफि कय ह कय पसतको स ििी

इन अलम रियो म आग लग ि पि यह तो घि िल कि तीथक किन हआ | अािि स तिात उतति

जमल lsquolsquoह घिब ि को ख़ क जकए जबन तीथक नही जकय ि सकत | rsquorsquo इसम अागरज़ी क नन क

गीता की महिमा

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अधययन न मिी सह यत की | सनल-िजचत क नन क जसद ातो की चच क य ि आई | रसटी शबि क

अथक गीत िी क अधययन की बिौलत अचछी तिह समझ म आय | क़ ननश सतर क परजत मन म

आिि बढ उसक अािि िी मझ धमक क तततव जिख ई पड़ | रसटी यो किोड़ो की सापजतत िखत ह जफि

िी उसकी एक प ई पि उनक अजधक ि नही होत | इसी तिह ममकष को अपन आचिण िखन

च जहए यह प ठ मन गीत िी स सीख | अपरिगरही होन क जलए समि व िखन क जलए हत क

औि हिय क परिवतकन आवशयक ह यह ब त मझ िीपक की तिह सपषट जिख ई िन लगी | बस कि

िीजिए | कछ रपय व पस जमल ि य तो ठीक नही तो खि | ब ल-बचचो औि गजहणी की िकष

वह ईशवि किग जिसन उनको औि हमको पि जकय ह | यह आशय मि उस पतर क थ | जपत क

सम न अपन बड़ ि ई को जलख lsquolsquoआितक म िो कछ बच त िह आपक अपकण कित िह |

अब मिी आश छोड़ िीजिए | अब िो कछ बच िहग वह यही क स वकिजनक क मो म लगग | rsquorsquo

आतमकथ नव ा सासकिण पषठ २६५

गीता की महिमा

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गीता-धयान

कलपन क जचतर कछ िी खीच हो औि उसक धय न जकय हो तो इसम िोष नही िखत |

लजकन गीत म त क धय न स सातोष होत हो तो औि कय च जहए गीत क धय न िो तिह स हो

सकत ह एक तो उस म त क रप म म न ह | इसजलए स मन म त की तसवीि की िरित िहती हो

तो य तो अपनी म म ही यजि वह मि गई हो तो क मधन क आिोपण किक गीत क रप म

म नकि उसक धय न किन च जहए य कोई िी क लपजनक जचतर मन म खीच जलय ि य | उस गो-

म त क रप जिय हो तो िी क म चल सकत ह | िसिी तिह हो सक तो इस म जय ि अचछ

समझत ह | हम हमश िो अधय य बोलत हो उसम स य जकसी िी अधय य क जकसी िी शलोक य

जकसी शबि क धय न धिन ही उसक जचातवन किन ह | गीत म जितन शबि ह उतन ही उसक

आिषण ह औि जपरयिनो क आिषणो क धय न किन नही उनही क धय न धिन क बि बि ह | यही

ब त गीत की ह | लजकन इसक जसव जकसी को औि कोई ढाग जमल ि य तो िल ही वह उस ढाग स

धय न धि | जितन जिम ग उतनी ही जवजवधत होती ह | कोई िो वयजि एक ही तिीक स एक ही

चीि क धय न नही कित | िोनो क वणकन औि कलपन म कछ-न-कछ फकक तो िहग ही |

छठ अधय य क अनस ि िि -सी िी की हई स धन बक ि नही ि ती औि िह स िह गई

हो वह ा स िसि िनम म आग चलती ह | इसी तिह जिसम कलय णम गक की तिफ मड़न की इचछ तो

िरि हो जिसस िसि िनम म उसकी यह इचछ दढ़ हो | इस ब ि म िी मि मन म कोई शाक नही ह |

मगि इसक यह अथक न जकय ि य जक तब तो हम िनम म जशजथल िह तो िी क म चलग | ऐसी

इचछ इचछ नही ह य वह बौजदक ह मगि ह जिकक नही ह | बौजदक इचछ क जलए कोई सथ न ही

नही ह | वह मिन क ब ि नही िहती पि िो इचछ जिल म पठ ि ती ह उसक पीछ परयतन तो होन

ही च जहए | मगि कई क िणो स औि शिीि की कमिोिी स सािव ह जक यह इचछ इस िनम म पिी न

हो औि इस तिह क अनिव हम िोि होत ह | मगि इस इचछ को लकि िीव िह को छोड़त ह

औि िसि िनम म इस िनम की उप जधय ा कम होकि यह इचछ फलती ह य जय ि मिबत तो होती

ही ह | इस तिह कलय णकत लग त ि आग बढ़त ही िहत ह |

गीता की महिमा

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जञ नशवि मह ि ि न जनवजततन थ क िीत हए उनक धय न धि हो तो िल ही धि हो लजकन

इतन होन पि िी मि पककी ि य ह जक वह हम ि नकल किन ल यक नही ह | जिसक धय न किन

ह वह पणकत को प य हआ वयजि होन च जहए | िीजवत वयजि क जलए इस तिह क खय ल किन

जबलकल बि औि गििरिी ह | जका त यह हो सकत ह जक जञ नशवि मह ि ि न शिीिध िी जनवजततन थ

क धय न जकय हो | मगि हम इस झगड़ म कह पड़ औि िब िीजवत मजतक क धय न किन क

सव ल उठत ह तब कलपन की मजतक की गाि यश नही िहती औि इसक उललख किक िव ब जिय

हो तो इस िव ब स बजदभरषट होन सािव ह |

पहल अधय य म िो न म जिय ह व सब न म मिी ि य म वयजिव चक होन क बि य

गणव चक जय ि ह | िवी औि आसिी वजततयो क बीच की लड़ ई क बय न कित हए कजव न

वजततयो को मजतकम न बन य ह | इस कलपन म इस ब त स इनक ि नही जकय गय ह जक प ािवो

औि कौिवो क बीच हजसतन पि क प स सचमच यद हआ होग | मिी ऐसी कलपन ह जक उस

िम न क कोई दषट ात लकि कजव न इस मह न गराथ की िचन की ह | इसम िल हो सकती ह य य

सब न म ऐजतह जसक हो तो ऐजतह जसक आिाि क जलए य न म िन बि िी नही म न ि सकत |

जवषय-जवच ि क जलए पहल अधय य िरिी ह इसजलए गीत -प ठ क वि उस पढ़ लन िी िरिी ह

|

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo पहल ि ग पषठ २२३ १८ िन १९३२

वह जिन य ि आत ह िब जम बकि मझ वजलागटन कनवशन म चलो | वह ा समथक लोग

आयाग | आप उनस जमलग तो आपको

गीता की महिमा

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गीता पर आसथा

जफि एक lsquoजवश ल बजदrsquo परष-गीत क परणत उतपनन हआ | उसन जहनि-सम ि को गहि

ततवजञ न स िि औि स थ ही जहाि-धमक क ऐस िोहन अजपकत जकय जक िो मगध जिजञ स को सहि ही

समझ म आ सकत ह | जहाि-धमक क अधययन किन की इचछ िखनव ल परतयक जहनि क जलए यह

एकम तर सलि गराथ ह औि यजि अनय सिी धमकश सतर िलकि िसम हो ि या तब िी इस अमि गराथ क

स त सौ शलोक यह बनन क जलए पय कपत होग जक जहाि-धमक कय ह औि उस िीवन म जकस परक ि

उत ि ि य | म सन तनी होन क ि व कित ह कयोजक च लीस वषो स उस गराथ क उपिशो को

िीवन म अकषिश उत िन क म परयतन कित आय ह | गीत क मखय जसद ात क जवपिीत िो कछ

िी हो उस म जहाि-धमक क जविोध म नकि असवीक ि कित ह | गीत म जकसी िी धमक य धमक-गर

क परजत दवष नही | मझ यह कहत बड़ आनाि होत ह जक मन गीत क परजत जितन पजय ि व िख ह

उतन ही पजय ि व स मन ब इजबल कि न िािअवसत औि सास ि क अनय धमक-गराथ पढ़ ह | इस

व चन न गीत क परजत मिी शरद को दढ़ बन य ह | उसस मिी दजषट औि उसस मिी जहनि धमक जवश ल

हआ ह | िस जक ििथसतर ईस औि महममि क िीवन-चरितर को मन परक श ि ल ह | इसस इन

सन तनी जमतरो न मझ िो त न जिय ह वह मि जलए तो आशव सन क क िण बन गय ह | म अपन

को जहाि कहन म गौिव म नत ह कयोजक मि मन म यह शबि इतन जवश ल ह जक पथवी क चिो कोनो

क पगाबिो क परजत यह कवल सजहषणत ही नही िखत विन उनह आतमस त कि लत ह | इस

िीवन-साजहत म कही िी असपशयत को सथ न हो ऐस म नही िखत | इसक जवपिीत लौह-चाबक

क सम न जचत कषकक व णी म मिी बजद को सपशक किक औि इसक िी आग मि हिय को पणकतय

सपशक किक मि मन म यह आसथ उतपनन किती ह जक ितम तर एक-रप ह व सिी ईशवि म स जनकल

ह औि उसी म जवलीन हो ि नव ल ह | िगवती गीत म त दव ि उपजिषट सन तन धमक क अनस ि

िीवन क स फलय बहम आच ि औि कमकक ाि म नही विन समपणक जचतत-शजद म औि शिीि मन

औि आतम -सजहत समगर वयजितव को पिबरहम क स थ एक क ि कि िन म ह | गीत क इस सनिश

को अपन िीवन म ओट-परोत किक म किोड़ो की म नवमजिनी क प स गय ह औि उनहोन मिी ब त

सनी ह सो मिी ि िनीजतजञत क क िण अथव मिी व णी की छट क क िण नही बजलक मि जवशव स

गीता की महिमा

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ह जक मझ अपन अपन धमक क म नकि सनी ह | समय क स थ-स थ मिी यह शरद अजधक जधक

दढ़ होती गई ह जक म सन तन-धमी होन क ि व करा यह चीि गलत नही औि यजि ईशवि की इचछ

होगी तो वह मझ इस ि व पि मिी मतय की महि लग लन िग |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग २ पषठ ४३५ ४ नवाबि १९३२

गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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गीता स परथम पररचय

जवल यत म िहत हए कोई एक स ल हआ होग इस बीच िो जथयोसजफसट जमतरो स मल क़ त

हई | िोनो सग ि ई थ औि अजवव जहत थ | उहोन मझस गीत की ब त चल ई | उन जिनो य

एिजवन आिनॉलि-कत गीत क अागरज़ी अनव ि को पढ़ िह थ पि मझ उनहोन अपन स थ सासकत म

गीत पढ़न क जलए कह | म लजजित हआ कयोजक मन तो गीत न सासकत म न ि ष म ही पढ़ी

थी | मझ उनस यह ब त झपत हए कहनी पड़ी पि स थ यह िी कह जक म आपक स थ पढ़न क

जलए तय ि ह | यो तो मि सासकत-जञ न नही क बि बि ह जफि िी म इतन समझ सक ग जक अनव ि

कही गिबि होग तो वह बत सका | इस तिह इन ि इयो क स थ मि गीत -व चन आिाि हआ |

िसि अधय य क अाजतम शलोको म

धय यतो जवषय नपास सागसतषपि यत |

सग तसाि यत क म कम तकोधोऽजिि यत | |

कोध ििवजत सामोह सामोहतसमजतजवभरम |

समजतभरनश त बजदन शो बजदन श तपरणशयजत | | १

इन शलोको क मि जिल पि गहि असि हआ | बीएस क नो म उनकी धवनी जिन-ि त गि किती |

तब मझ परतीत हआ जक िगविगीत तो अमलय गराथ ह | यह ध िण जिन-जिन अजधक दढ़ होती गई

औि अब तो तततव जञ न क जलए म उस सवोततम गराथ म नत ह | जनि श क समय इस गराथ न मिी

अमलय सह यत की ह | यो इसक लगिग तम म अागरज़ी अनव ि म पढ़ गय ह पिात एिजवन

आिनॉलि क अनव ि सबम शरषठ िकष की ह औि जतसपि िी वह अनव ि िस नही म लम होत |

जफि िी यह नही कह सकत जक इस समय मन िगविगीत क अचछ अधय य कि जलय ह |

उसक िोिमि क प ठ तो वषो ब ि शर हआ |

lsquoआतमकथ rsquo नव ा सासकिण पषठ ७१

१ जवषयक क जचनतन किन स पहल तो उसक स थ साग पि होत ह औि साग स क म की उतपजतत होती ह |

क मन क पीछ-पीछ करोध स सामोह स समजतभरम औि समजतभरम स बजद क न श होत ह औि अात म परष सवया

ही नषट हो ि त ह |

गीता की महिमा

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गीता का अधययन

गीत क अधययन शर जकय | एक छोट -स lsquoजिजञ स-मािलrsquo िी बन य गय औि

जनयमपकक अधययन आिाि हआ | गीत िी क परजत मि परम औि शरद तो पहल ही स थी | अब

उसक गहि ई क स थ िहसय समझन की आवशयकत जिख ई िी | मि प स एक-िो अनव ि िख थ

उनकी सह यत स मल सासकत समझन क परयतन जकय औि जनतय एक य िो शलोक का ठ किन क

जनिय जकय |

सबह क ितौन औि सन न क समय म गीत िी का ठ किन म लग त | ितौन म १५ औि

सन न म २० जमनट लगत | ितौन अागरज़ी रिव ि क मत जबक खड़-खड़ कित | स मन िीव ि पि

गीत िी क शलोक जलखकि जचपक ित औि उनह िख-िखकि िटत िहत | इस तिह िट हए शलोक

सन न किन तक पकक हो ि त | बीच म जपछल शलोको को िी िहि ि त | इस परक ि मझ य ि

पड़त ह जक १३ अधय य तक गीत का ठ कि ली थी पि ब ि म क म की झाझट बढ़ गई ा | सतय गरह

क िनम हो गय औि उस ब लक की परिवरिश क ि ि मझपि आ पड़ जिसस जवच ि किन क

समय िी उसक ल लन-प लन म बीत औि कह सकत ह जक अब िी बीत िह ह |

गीत -प ठ क असि मि सह धय जययो पि तो िो कछ पड़ हो वह वही बत सकत ह जका त

मि जलए तो गीत आच ि की एक परौढ़ म गकिजशकक बन गई ह | वह मि ध जमकक कोश हो गई ह |

अपरिजचत अागरज़ी शबि क जहजि य अथक को िखन क जलए जिस तिह म अागरज़ी कोश को खोलत

उसी तिह आच ि साबाधी कजठन इयो औि उसकी अटपटी गजतथयो को गीत िी क दव ि सलझ य |

उसक अपरिगरह समि व इतय जि शबिो न मझ जगिफत ि कि जलय | यही धन िहन लगी जक

समि व कस पर पत करा कस उसक प लन करा िो अजधक िी हम ि अपम न कि िो रिशवखोि ह

ि सत चलत िो जविोध कित ह िो कल क स थी ह उनम औि उन सजिनो म जिनहोन हम पि ि िी

उपक ि जकय ह कय कछ िि नही ह अपरिगरह क प लन जकस तिह ममजकन ह कय यह हम िी

िह ही हम ि जलए कम परिगरह सतरी-परष आजि यजि परिगरह नही तो जफि कय ह कय पसतको स ििी

इन अलम रियो म आग लग ि पि यह तो घि िल कि तीथक किन हआ | अािि स तिात उतति

जमल lsquolsquoह घिब ि को ख़ क जकए जबन तीथक नही जकय ि सकत | rsquorsquo इसम अागरज़ी क नन क

गीता की महिमा

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अधययन न मिी सह यत की | सनल-िजचत क नन क जसद ातो की चच क य ि आई | रसटी शबि क

अथक गीत िी क अधययन की बिौलत अचछी तिह समझ म आय | क़ ननश सतर क परजत मन म

आिि बढ उसक अािि िी मझ धमक क तततव जिख ई पड़ | रसटी यो किोड़ो की सापजतत िखत ह जफि

िी उसकी एक प ई पि उनक अजधक ि नही होत | इसी तिह ममकष को अपन आचिण िखन

च जहए यह प ठ मन गीत िी स सीख | अपरिगरही होन क जलए समि व िखन क जलए हत क

औि हिय क परिवतकन आवशयक ह यह ब त मझ िीपक की तिह सपषट जिख ई िन लगी | बस कि

िीजिए | कछ रपय व पस जमल ि य तो ठीक नही तो खि | ब ल-बचचो औि गजहणी की िकष

वह ईशवि किग जिसन उनको औि हमको पि जकय ह | यह आशय मि उस पतर क थ | जपत क

सम न अपन बड़ ि ई को जलख lsquolsquoआितक म िो कछ बच त िह आपक अपकण कित िह |

अब मिी आश छोड़ िीजिए | अब िो कछ बच िहग वह यही क स वकिजनक क मो म लगग | rsquorsquo

आतमकथ नव ा सासकिण पषठ २६५

गीता की महिमा

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गीता-धयान

कलपन क जचतर कछ िी खीच हो औि उसक धय न जकय हो तो इसम िोष नही िखत |

लजकन गीत म त क धय न स सातोष होत हो तो औि कय च जहए गीत क धय न िो तिह स हो

सकत ह एक तो उस म त क रप म म न ह | इसजलए स मन म त की तसवीि की िरित िहती हो

तो य तो अपनी म म ही यजि वह मि गई हो तो क मधन क आिोपण किक गीत क रप म

म नकि उसक धय न किन च जहए य कोई िी क लपजनक जचतर मन म खीच जलय ि य | उस गो-

म त क रप जिय हो तो िी क म चल सकत ह | िसिी तिह हो सक तो इस म जय ि अचछ

समझत ह | हम हमश िो अधय य बोलत हो उसम स य जकसी िी अधय य क जकसी िी शलोक य

जकसी शबि क धय न धिन ही उसक जचातवन किन ह | गीत म जितन शबि ह उतन ही उसक

आिषण ह औि जपरयिनो क आिषणो क धय न किन नही उनही क धय न धिन क बि बि ह | यही

ब त गीत की ह | लजकन इसक जसव जकसी को औि कोई ढाग जमल ि य तो िल ही वह उस ढाग स

धय न धि | जितन जिम ग उतनी ही जवजवधत होती ह | कोई िो वयजि एक ही तिीक स एक ही

चीि क धय न नही कित | िोनो क वणकन औि कलपन म कछ-न-कछ फकक तो िहग ही |

छठ अधय य क अनस ि िि -सी िी की हई स धन बक ि नही ि ती औि िह स िह गई

हो वह ा स िसि िनम म आग चलती ह | इसी तिह जिसम कलय णम गक की तिफ मड़न की इचछ तो

िरि हो जिसस िसि िनम म उसकी यह इचछ दढ़ हो | इस ब ि म िी मि मन म कोई शाक नही ह |

मगि इसक यह अथक न जकय ि य जक तब तो हम िनम म जशजथल िह तो िी क म चलग | ऐसी

इचछ इचछ नही ह य वह बौजदक ह मगि ह जिकक नही ह | बौजदक इचछ क जलए कोई सथ न ही

नही ह | वह मिन क ब ि नही िहती पि िो इचछ जिल म पठ ि ती ह उसक पीछ परयतन तो होन

ही च जहए | मगि कई क िणो स औि शिीि की कमिोिी स सािव ह जक यह इचछ इस िनम म पिी न

हो औि इस तिह क अनिव हम िोि होत ह | मगि इस इचछ को लकि िीव िह को छोड़त ह

औि िसि िनम म इस िनम की उप जधय ा कम होकि यह इचछ फलती ह य जय ि मिबत तो होती

ही ह | इस तिह कलय णकत लग त ि आग बढ़त ही िहत ह |

गीता की महिमा

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जञ नशवि मह ि ि न जनवजततन थ क िीत हए उनक धय न धि हो तो िल ही धि हो लजकन

इतन होन पि िी मि पककी ि य ह जक वह हम ि नकल किन ल यक नही ह | जिसक धय न किन

ह वह पणकत को प य हआ वयजि होन च जहए | िीजवत वयजि क जलए इस तिह क खय ल किन

जबलकल बि औि गििरिी ह | जका त यह हो सकत ह जक जञ नशवि मह ि ि न शिीिध िी जनवजततन थ

क धय न जकय हो | मगि हम इस झगड़ म कह पड़ औि िब िीजवत मजतक क धय न किन क

सव ल उठत ह तब कलपन की मजतक की गाि यश नही िहती औि इसक उललख किक िव ब जिय

हो तो इस िव ब स बजदभरषट होन सािव ह |

पहल अधय य म िो न म जिय ह व सब न म मिी ि य म वयजिव चक होन क बि य

गणव चक जय ि ह | िवी औि आसिी वजततयो क बीच की लड़ ई क बय न कित हए कजव न

वजततयो को मजतकम न बन य ह | इस कलपन म इस ब त स इनक ि नही जकय गय ह जक प ािवो

औि कौिवो क बीच हजसतन पि क प स सचमच यद हआ होग | मिी ऐसी कलपन ह जक उस

िम न क कोई दषट ात लकि कजव न इस मह न गराथ की िचन की ह | इसम िल हो सकती ह य य

सब न म ऐजतह जसक हो तो ऐजतह जसक आिाि क जलए य न म िन बि िी नही म न ि सकत |

जवषय-जवच ि क जलए पहल अधय य िरिी ह इसजलए गीत -प ठ क वि उस पढ़ लन िी िरिी ह

|

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo पहल ि ग पषठ २२३ १८ िन १९३२

वह जिन य ि आत ह िब जम बकि मझ वजलागटन कनवशन म चलो | वह ा समथक लोग

आयाग | आप उनस जमलग तो आपको

गीता की महिमा

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गीता पर आसथा

जफि एक lsquoजवश ल बजदrsquo परष-गीत क परणत उतपनन हआ | उसन जहनि-सम ि को गहि

ततवजञ न स िि औि स थ ही जहाि-धमक क ऐस िोहन अजपकत जकय जक िो मगध जिजञ स को सहि ही

समझ म आ सकत ह | जहाि-धमक क अधययन किन की इचछ िखनव ल परतयक जहनि क जलए यह

एकम तर सलि गराथ ह औि यजि अनय सिी धमकश सतर िलकि िसम हो ि या तब िी इस अमि गराथ क

स त सौ शलोक यह बनन क जलए पय कपत होग जक जहाि-धमक कय ह औि उस िीवन म जकस परक ि

उत ि ि य | म सन तनी होन क ि व कित ह कयोजक च लीस वषो स उस गराथ क उपिशो को

िीवन म अकषिश उत िन क म परयतन कित आय ह | गीत क मखय जसद ात क जवपिीत िो कछ

िी हो उस म जहाि-धमक क जविोध म नकि असवीक ि कित ह | गीत म जकसी िी धमक य धमक-गर

क परजत दवष नही | मझ यह कहत बड़ आनाि होत ह जक मन गीत क परजत जितन पजय ि व िख ह

उतन ही पजय ि व स मन ब इजबल कि न िािअवसत औि सास ि क अनय धमक-गराथ पढ़ ह | इस

व चन न गीत क परजत मिी शरद को दढ़ बन य ह | उसस मिी दजषट औि उसस मिी जहनि धमक जवश ल

हआ ह | िस जक ििथसतर ईस औि महममि क िीवन-चरितर को मन परक श ि ल ह | इसस इन

सन तनी जमतरो न मझ िो त न जिय ह वह मि जलए तो आशव सन क क िण बन गय ह | म अपन

को जहाि कहन म गौिव म नत ह कयोजक मि मन म यह शबि इतन जवश ल ह जक पथवी क चिो कोनो

क पगाबिो क परजत यह कवल सजहषणत ही नही िखत विन उनह आतमस त कि लत ह | इस

िीवन-साजहत म कही िी असपशयत को सथ न हो ऐस म नही िखत | इसक जवपिीत लौह-चाबक

क सम न जचत कषकक व णी म मिी बजद को सपशक किक औि इसक िी आग मि हिय को पणकतय

सपशक किक मि मन म यह आसथ उतपनन किती ह जक ितम तर एक-रप ह व सिी ईशवि म स जनकल

ह औि उसी म जवलीन हो ि नव ल ह | िगवती गीत म त दव ि उपजिषट सन तन धमक क अनस ि

िीवन क स फलय बहम आच ि औि कमकक ाि म नही विन समपणक जचतत-शजद म औि शिीि मन

औि आतम -सजहत समगर वयजितव को पिबरहम क स थ एक क ि कि िन म ह | गीत क इस सनिश

को अपन िीवन म ओट-परोत किक म किोड़ो की म नवमजिनी क प स गय ह औि उनहोन मिी ब त

सनी ह सो मिी ि िनीजतजञत क क िण अथव मिी व णी की छट क क िण नही बजलक मि जवशव स

गीता की महिमा

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ह जक मझ अपन अपन धमक क म नकि सनी ह | समय क स थ-स थ मिी यह शरद अजधक जधक

दढ़ होती गई ह जक म सन तन-धमी होन क ि व करा यह चीि गलत नही औि यजि ईशवि की इचछ

होगी तो वह मझ इस ि व पि मिी मतय की महि लग लन िग |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग २ पषठ ४३५ ४ नवाबि १९३२

गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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गीता का अधययन

गीत क अधययन शर जकय | एक छोट -स lsquoजिजञ स-मािलrsquo िी बन य गय औि

जनयमपकक अधययन आिाि हआ | गीत िी क परजत मि परम औि शरद तो पहल ही स थी | अब

उसक गहि ई क स थ िहसय समझन की आवशयकत जिख ई िी | मि प स एक-िो अनव ि िख थ

उनकी सह यत स मल सासकत समझन क परयतन जकय औि जनतय एक य िो शलोक का ठ किन क

जनिय जकय |

सबह क ितौन औि सन न क समय म गीत िी का ठ किन म लग त | ितौन म १५ औि

सन न म २० जमनट लगत | ितौन अागरज़ी रिव ि क मत जबक खड़-खड़ कित | स मन िीव ि पि

गीत िी क शलोक जलखकि जचपक ित औि उनह िख-िखकि िटत िहत | इस तिह िट हए शलोक

सन न किन तक पकक हो ि त | बीच म जपछल शलोको को िी िहि ि त | इस परक ि मझ य ि

पड़त ह जक १३ अधय य तक गीत का ठ कि ली थी पि ब ि म क म की झाझट बढ़ गई ा | सतय गरह

क िनम हो गय औि उस ब लक की परिवरिश क ि ि मझपि आ पड़ जिसस जवच ि किन क

समय िी उसक ल लन-प लन म बीत औि कह सकत ह जक अब िी बीत िह ह |

गीत -प ठ क असि मि सह धय जययो पि तो िो कछ पड़ हो वह वही बत सकत ह जका त

मि जलए तो गीत आच ि की एक परौढ़ म गकिजशकक बन गई ह | वह मि ध जमकक कोश हो गई ह |

अपरिजचत अागरज़ी शबि क जहजि य अथक को िखन क जलए जिस तिह म अागरज़ी कोश को खोलत

उसी तिह आच ि साबाधी कजठन इयो औि उसकी अटपटी गजतथयो को गीत िी क दव ि सलझ य |

उसक अपरिगरह समि व इतय जि शबिो न मझ जगिफत ि कि जलय | यही धन िहन लगी जक

समि व कस पर पत करा कस उसक प लन करा िो अजधक िी हम ि अपम न कि िो रिशवखोि ह

ि सत चलत िो जविोध कित ह िो कल क स थी ह उनम औि उन सजिनो म जिनहोन हम पि ि िी

उपक ि जकय ह कय कछ िि नही ह अपरिगरह क प लन जकस तिह ममजकन ह कय यह हम िी

िह ही हम ि जलए कम परिगरह सतरी-परष आजि यजि परिगरह नही तो जफि कय ह कय पसतको स ििी

इन अलम रियो म आग लग ि पि यह तो घि िल कि तीथक किन हआ | अािि स तिात उतति

जमल lsquolsquoह घिब ि को ख़ क जकए जबन तीथक नही जकय ि सकत | rsquorsquo इसम अागरज़ी क नन क

गीता की महिमा

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अधययन न मिी सह यत की | सनल-िजचत क नन क जसद ातो की चच क य ि आई | रसटी शबि क

अथक गीत िी क अधययन की बिौलत अचछी तिह समझ म आय | क़ ननश सतर क परजत मन म

आिि बढ उसक अािि िी मझ धमक क तततव जिख ई पड़ | रसटी यो किोड़ो की सापजतत िखत ह जफि

िी उसकी एक प ई पि उनक अजधक ि नही होत | इसी तिह ममकष को अपन आचिण िखन

च जहए यह प ठ मन गीत िी स सीख | अपरिगरही होन क जलए समि व िखन क जलए हत क

औि हिय क परिवतकन आवशयक ह यह ब त मझ िीपक की तिह सपषट जिख ई िन लगी | बस कि

िीजिए | कछ रपय व पस जमल ि य तो ठीक नही तो खि | ब ल-बचचो औि गजहणी की िकष

वह ईशवि किग जिसन उनको औि हमको पि जकय ह | यह आशय मि उस पतर क थ | जपत क

सम न अपन बड़ ि ई को जलख lsquolsquoआितक म िो कछ बच त िह आपक अपकण कित िह |

अब मिी आश छोड़ िीजिए | अब िो कछ बच िहग वह यही क स वकिजनक क मो म लगग | rsquorsquo

आतमकथ नव ा सासकिण पषठ २६५

गीता की महिमा

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गीता-धयान

कलपन क जचतर कछ िी खीच हो औि उसक धय न जकय हो तो इसम िोष नही िखत |

लजकन गीत म त क धय न स सातोष होत हो तो औि कय च जहए गीत क धय न िो तिह स हो

सकत ह एक तो उस म त क रप म म न ह | इसजलए स मन म त की तसवीि की िरित िहती हो

तो य तो अपनी म म ही यजि वह मि गई हो तो क मधन क आिोपण किक गीत क रप म

म नकि उसक धय न किन च जहए य कोई िी क लपजनक जचतर मन म खीच जलय ि य | उस गो-

म त क रप जिय हो तो िी क म चल सकत ह | िसिी तिह हो सक तो इस म जय ि अचछ

समझत ह | हम हमश िो अधय य बोलत हो उसम स य जकसी िी अधय य क जकसी िी शलोक य

जकसी शबि क धय न धिन ही उसक जचातवन किन ह | गीत म जितन शबि ह उतन ही उसक

आिषण ह औि जपरयिनो क आिषणो क धय न किन नही उनही क धय न धिन क बि बि ह | यही

ब त गीत की ह | लजकन इसक जसव जकसी को औि कोई ढाग जमल ि य तो िल ही वह उस ढाग स

धय न धि | जितन जिम ग उतनी ही जवजवधत होती ह | कोई िो वयजि एक ही तिीक स एक ही

चीि क धय न नही कित | िोनो क वणकन औि कलपन म कछ-न-कछ फकक तो िहग ही |

छठ अधय य क अनस ि िि -सी िी की हई स धन बक ि नही ि ती औि िह स िह गई

हो वह ा स िसि िनम म आग चलती ह | इसी तिह जिसम कलय णम गक की तिफ मड़न की इचछ तो

िरि हो जिसस िसि िनम म उसकी यह इचछ दढ़ हो | इस ब ि म िी मि मन म कोई शाक नही ह |

मगि इसक यह अथक न जकय ि य जक तब तो हम िनम म जशजथल िह तो िी क म चलग | ऐसी

इचछ इचछ नही ह य वह बौजदक ह मगि ह जिकक नही ह | बौजदक इचछ क जलए कोई सथ न ही

नही ह | वह मिन क ब ि नही िहती पि िो इचछ जिल म पठ ि ती ह उसक पीछ परयतन तो होन

ही च जहए | मगि कई क िणो स औि शिीि की कमिोिी स सािव ह जक यह इचछ इस िनम म पिी न

हो औि इस तिह क अनिव हम िोि होत ह | मगि इस इचछ को लकि िीव िह को छोड़त ह

औि िसि िनम म इस िनम की उप जधय ा कम होकि यह इचछ फलती ह य जय ि मिबत तो होती

ही ह | इस तिह कलय णकत लग त ि आग बढ़त ही िहत ह |

गीता की महिमा

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जञ नशवि मह ि ि न जनवजततन थ क िीत हए उनक धय न धि हो तो िल ही धि हो लजकन

इतन होन पि िी मि पककी ि य ह जक वह हम ि नकल किन ल यक नही ह | जिसक धय न किन

ह वह पणकत को प य हआ वयजि होन च जहए | िीजवत वयजि क जलए इस तिह क खय ल किन

जबलकल बि औि गििरिी ह | जका त यह हो सकत ह जक जञ नशवि मह ि ि न शिीिध िी जनवजततन थ

क धय न जकय हो | मगि हम इस झगड़ म कह पड़ औि िब िीजवत मजतक क धय न किन क

सव ल उठत ह तब कलपन की मजतक की गाि यश नही िहती औि इसक उललख किक िव ब जिय

हो तो इस िव ब स बजदभरषट होन सािव ह |

पहल अधय य म िो न म जिय ह व सब न म मिी ि य म वयजिव चक होन क बि य

गणव चक जय ि ह | िवी औि आसिी वजततयो क बीच की लड़ ई क बय न कित हए कजव न

वजततयो को मजतकम न बन य ह | इस कलपन म इस ब त स इनक ि नही जकय गय ह जक प ािवो

औि कौिवो क बीच हजसतन पि क प स सचमच यद हआ होग | मिी ऐसी कलपन ह जक उस

िम न क कोई दषट ात लकि कजव न इस मह न गराथ की िचन की ह | इसम िल हो सकती ह य य

सब न म ऐजतह जसक हो तो ऐजतह जसक आिाि क जलए य न म िन बि िी नही म न ि सकत |

जवषय-जवच ि क जलए पहल अधय य िरिी ह इसजलए गीत -प ठ क वि उस पढ़ लन िी िरिी ह

|

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo पहल ि ग पषठ २२३ १८ िन १९३२

वह जिन य ि आत ह िब जम बकि मझ वजलागटन कनवशन म चलो | वह ा समथक लोग

आयाग | आप उनस जमलग तो आपको

गीता की महिमा

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गीता पर आसथा

जफि एक lsquoजवश ल बजदrsquo परष-गीत क परणत उतपनन हआ | उसन जहनि-सम ि को गहि

ततवजञ न स िि औि स थ ही जहाि-धमक क ऐस िोहन अजपकत जकय जक िो मगध जिजञ स को सहि ही

समझ म आ सकत ह | जहाि-धमक क अधययन किन की इचछ िखनव ल परतयक जहनि क जलए यह

एकम तर सलि गराथ ह औि यजि अनय सिी धमकश सतर िलकि िसम हो ि या तब िी इस अमि गराथ क

स त सौ शलोक यह बनन क जलए पय कपत होग जक जहाि-धमक कय ह औि उस िीवन म जकस परक ि

उत ि ि य | म सन तनी होन क ि व कित ह कयोजक च लीस वषो स उस गराथ क उपिशो को

िीवन म अकषिश उत िन क म परयतन कित आय ह | गीत क मखय जसद ात क जवपिीत िो कछ

िी हो उस म जहाि-धमक क जविोध म नकि असवीक ि कित ह | गीत म जकसी िी धमक य धमक-गर

क परजत दवष नही | मझ यह कहत बड़ आनाि होत ह जक मन गीत क परजत जितन पजय ि व िख ह

उतन ही पजय ि व स मन ब इजबल कि न िािअवसत औि सास ि क अनय धमक-गराथ पढ़ ह | इस

व चन न गीत क परजत मिी शरद को दढ़ बन य ह | उसस मिी दजषट औि उसस मिी जहनि धमक जवश ल

हआ ह | िस जक ििथसतर ईस औि महममि क िीवन-चरितर को मन परक श ि ल ह | इसस इन

सन तनी जमतरो न मझ िो त न जिय ह वह मि जलए तो आशव सन क क िण बन गय ह | म अपन

को जहाि कहन म गौिव म नत ह कयोजक मि मन म यह शबि इतन जवश ल ह जक पथवी क चिो कोनो

क पगाबिो क परजत यह कवल सजहषणत ही नही िखत विन उनह आतमस त कि लत ह | इस

िीवन-साजहत म कही िी असपशयत को सथ न हो ऐस म नही िखत | इसक जवपिीत लौह-चाबक

क सम न जचत कषकक व णी म मिी बजद को सपशक किक औि इसक िी आग मि हिय को पणकतय

सपशक किक मि मन म यह आसथ उतपनन किती ह जक ितम तर एक-रप ह व सिी ईशवि म स जनकल

ह औि उसी म जवलीन हो ि नव ल ह | िगवती गीत म त दव ि उपजिषट सन तन धमक क अनस ि

िीवन क स फलय बहम आच ि औि कमकक ाि म नही विन समपणक जचतत-शजद म औि शिीि मन

औि आतम -सजहत समगर वयजितव को पिबरहम क स थ एक क ि कि िन म ह | गीत क इस सनिश

को अपन िीवन म ओट-परोत किक म किोड़ो की म नवमजिनी क प स गय ह औि उनहोन मिी ब त

सनी ह सो मिी ि िनीजतजञत क क िण अथव मिी व णी की छट क क िण नही बजलक मि जवशव स

गीता की महिमा

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ह जक मझ अपन अपन धमक क म नकि सनी ह | समय क स थ-स थ मिी यह शरद अजधक जधक

दढ़ होती गई ह जक म सन तन-धमी होन क ि व करा यह चीि गलत नही औि यजि ईशवि की इचछ

होगी तो वह मझ इस ि व पि मिी मतय की महि लग लन िग |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग २ पषठ ४३५ ४ नवाबि १९३२

गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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अधययन न मिी सह यत की | सनल-िजचत क नन क जसद ातो की चच क य ि आई | रसटी शबि क

अथक गीत िी क अधययन की बिौलत अचछी तिह समझ म आय | क़ ननश सतर क परजत मन म

आिि बढ उसक अािि िी मझ धमक क तततव जिख ई पड़ | रसटी यो किोड़ो की सापजतत िखत ह जफि

िी उसकी एक प ई पि उनक अजधक ि नही होत | इसी तिह ममकष को अपन आचिण िखन

च जहए यह प ठ मन गीत िी स सीख | अपरिगरही होन क जलए समि व िखन क जलए हत क

औि हिय क परिवतकन आवशयक ह यह ब त मझ िीपक की तिह सपषट जिख ई िन लगी | बस कि

िीजिए | कछ रपय व पस जमल ि य तो ठीक नही तो खि | ब ल-बचचो औि गजहणी की िकष

वह ईशवि किग जिसन उनको औि हमको पि जकय ह | यह आशय मि उस पतर क थ | जपत क

सम न अपन बड़ ि ई को जलख lsquolsquoआितक म िो कछ बच त िह आपक अपकण कित िह |

अब मिी आश छोड़ िीजिए | अब िो कछ बच िहग वह यही क स वकिजनक क मो म लगग | rsquorsquo

आतमकथ नव ा सासकिण पषठ २६५

गीता की महिमा

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गीता-धयान

कलपन क जचतर कछ िी खीच हो औि उसक धय न जकय हो तो इसम िोष नही िखत |

लजकन गीत म त क धय न स सातोष होत हो तो औि कय च जहए गीत क धय न िो तिह स हो

सकत ह एक तो उस म त क रप म म न ह | इसजलए स मन म त की तसवीि की िरित िहती हो

तो य तो अपनी म म ही यजि वह मि गई हो तो क मधन क आिोपण किक गीत क रप म

म नकि उसक धय न किन च जहए य कोई िी क लपजनक जचतर मन म खीच जलय ि य | उस गो-

म त क रप जिय हो तो िी क म चल सकत ह | िसिी तिह हो सक तो इस म जय ि अचछ

समझत ह | हम हमश िो अधय य बोलत हो उसम स य जकसी िी अधय य क जकसी िी शलोक य

जकसी शबि क धय न धिन ही उसक जचातवन किन ह | गीत म जितन शबि ह उतन ही उसक

आिषण ह औि जपरयिनो क आिषणो क धय न किन नही उनही क धय न धिन क बि बि ह | यही

ब त गीत की ह | लजकन इसक जसव जकसी को औि कोई ढाग जमल ि य तो िल ही वह उस ढाग स

धय न धि | जितन जिम ग उतनी ही जवजवधत होती ह | कोई िो वयजि एक ही तिीक स एक ही

चीि क धय न नही कित | िोनो क वणकन औि कलपन म कछ-न-कछ फकक तो िहग ही |

छठ अधय य क अनस ि िि -सी िी की हई स धन बक ि नही ि ती औि िह स िह गई

हो वह ा स िसि िनम म आग चलती ह | इसी तिह जिसम कलय णम गक की तिफ मड़न की इचछ तो

िरि हो जिसस िसि िनम म उसकी यह इचछ दढ़ हो | इस ब ि म िी मि मन म कोई शाक नही ह |

मगि इसक यह अथक न जकय ि य जक तब तो हम िनम म जशजथल िह तो िी क म चलग | ऐसी

इचछ इचछ नही ह य वह बौजदक ह मगि ह जिकक नही ह | बौजदक इचछ क जलए कोई सथ न ही

नही ह | वह मिन क ब ि नही िहती पि िो इचछ जिल म पठ ि ती ह उसक पीछ परयतन तो होन

ही च जहए | मगि कई क िणो स औि शिीि की कमिोिी स सािव ह जक यह इचछ इस िनम म पिी न

हो औि इस तिह क अनिव हम िोि होत ह | मगि इस इचछ को लकि िीव िह को छोड़त ह

औि िसि िनम म इस िनम की उप जधय ा कम होकि यह इचछ फलती ह य जय ि मिबत तो होती

ही ह | इस तिह कलय णकत लग त ि आग बढ़त ही िहत ह |

गीता की महिमा

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जञ नशवि मह ि ि न जनवजततन थ क िीत हए उनक धय न धि हो तो िल ही धि हो लजकन

इतन होन पि िी मि पककी ि य ह जक वह हम ि नकल किन ल यक नही ह | जिसक धय न किन

ह वह पणकत को प य हआ वयजि होन च जहए | िीजवत वयजि क जलए इस तिह क खय ल किन

जबलकल बि औि गििरिी ह | जका त यह हो सकत ह जक जञ नशवि मह ि ि न शिीिध िी जनवजततन थ

क धय न जकय हो | मगि हम इस झगड़ म कह पड़ औि िब िीजवत मजतक क धय न किन क

सव ल उठत ह तब कलपन की मजतक की गाि यश नही िहती औि इसक उललख किक िव ब जिय

हो तो इस िव ब स बजदभरषट होन सािव ह |

पहल अधय य म िो न म जिय ह व सब न म मिी ि य म वयजिव चक होन क बि य

गणव चक जय ि ह | िवी औि आसिी वजततयो क बीच की लड़ ई क बय न कित हए कजव न

वजततयो को मजतकम न बन य ह | इस कलपन म इस ब त स इनक ि नही जकय गय ह जक प ािवो

औि कौिवो क बीच हजसतन पि क प स सचमच यद हआ होग | मिी ऐसी कलपन ह जक उस

िम न क कोई दषट ात लकि कजव न इस मह न गराथ की िचन की ह | इसम िल हो सकती ह य य

सब न म ऐजतह जसक हो तो ऐजतह जसक आिाि क जलए य न म िन बि िी नही म न ि सकत |

जवषय-जवच ि क जलए पहल अधय य िरिी ह इसजलए गीत -प ठ क वि उस पढ़ लन िी िरिी ह

|

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo पहल ि ग पषठ २२३ १८ िन १९३२

वह जिन य ि आत ह िब जम बकि मझ वजलागटन कनवशन म चलो | वह ा समथक लोग

आयाग | आप उनस जमलग तो आपको

गीता की महिमा

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गीता पर आसथा

जफि एक lsquoजवश ल बजदrsquo परष-गीत क परणत उतपनन हआ | उसन जहनि-सम ि को गहि

ततवजञ न स िि औि स थ ही जहाि-धमक क ऐस िोहन अजपकत जकय जक िो मगध जिजञ स को सहि ही

समझ म आ सकत ह | जहाि-धमक क अधययन किन की इचछ िखनव ल परतयक जहनि क जलए यह

एकम तर सलि गराथ ह औि यजि अनय सिी धमकश सतर िलकि िसम हो ि या तब िी इस अमि गराथ क

स त सौ शलोक यह बनन क जलए पय कपत होग जक जहाि-धमक कय ह औि उस िीवन म जकस परक ि

उत ि ि य | म सन तनी होन क ि व कित ह कयोजक च लीस वषो स उस गराथ क उपिशो को

िीवन म अकषिश उत िन क म परयतन कित आय ह | गीत क मखय जसद ात क जवपिीत िो कछ

िी हो उस म जहाि-धमक क जविोध म नकि असवीक ि कित ह | गीत म जकसी िी धमक य धमक-गर

क परजत दवष नही | मझ यह कहत बड़ आनाि होत ह जक मन गीत क परजत जितन पजय ि व िख ह

उतन ही पजय ि व स मन ब इजबल कि न िािअवसत औि सास ि क अनय धमक-गराथ पढ़ ह | इस

व चन न गीत क परजत मिी शरद को दढ़ बन य ह | उसस मिी दजषट औि उसस मिी जहनि धमक जवश ल

हआ ह | िस जक ििथसतर ईस औि महममि क िीवन-चरितर को मन परक श ि ल ह | इसस इन

सन तनी जमतरो न मझ िो त न जिय ह वह मि जलए तो आशव सन क क िण बन गय ह | म अपन

को जहाि कहन म गौिव म नत ह कयोजक मि मन म यह शबि इतन जवश ल ह जक पथवी क चिो कोनो

क पगाबिो क परजत यह कवल सजहषणत ही नही िखत विन उनह आतमस त कि लत ह | इस

िीवन-साजहत म कही िी असपशयत को सथ न हो ऐस म नही िखत | इसक जवपिीत लौह-चाबक

क सम न जचत कषकक व णी म मिी बजद को सपशक किक औि इसक िी आग मि हिय को पणकतय

सपशक किक मि मन म यह आसथ उतपनन किती ह जक ितम तर एक-रप ह व सिी ईशवि म स जनकल

ह औि उसी म जवलीन हो ि नव ल ह | िगवती गीत म त दव ि उपजिषट सन तन धमक क अनस ि

िीवन क स फलय बहम आच ि औि कमकक ाि म नही विन समपणक जचतत-शजद म औि शिीि मन

औि आतम -सजहत समगर वयजितव को पिबरहम क स थ एक क ि कि िन म ह | गीत क इस सनिश

को अपन िीवन म ओट-परोत किक म किोड़ो की म नवमजिनी क प स गय ह औि उनहोन मिी ब त

सनी ह सो मिी ि िनीजतजञत क क िण अथव मिी व णी की छट क क िण नही बजलक मि जवशव स

गीता की महिमा

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ह जक मझ अपन अपन धमक क म नकि सनी ह | समय क स थ-स थ मिी यह शरद अजधक जधक

दढ़ होती गई ह जक म सन तन-धमी होन क ि व करा यह चीि गलत नही औि यजि ईशवि की इचछ

होगी तो वह मझ इस ि व पि मिी मतय की महि लग लन िग |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग २ पषठ ४३५ ४ नवाबि १९३२

गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
Page 9: गीता की महिमा · गीता की महिमा  Page 1 प्रकाशकीय. ăÚतrत पÚतक a¨ गor ांधqिq कx गqतo -

गीता की महिमा

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गीता-धयान

कलपन क जचतर कछ िी खीच हो औि उसक धय न जकय हो तो इसम िोष नही िखत |

लजकन गीत म त क धय न स सातोष होत हो तो औि कय च जहए गीत क धय न िो तिह स हो

सकत ह एक तो उस म त क रप म म न ह | इसजलए स मन म त की तसवीि की िरित िहती हो

तो य तो अपनी म म ही यजि वह मि गई हो तो क मधन क आिोपण किक गीत क रप म

म नकि उसक धय न किन च जहए य कोई िी क लपजनक जचतर मन म खीच जलय ि य | उस गो-

म त क रप जिय हो तो िी क म चल सकत ह | िसिी तिह हो सक तो इस म जय ि अचछ

समझत ह | हम हमश िो अधय य बोलत हो उसम स य जकसी िी अधय य क जकसी िी शलोक य

जकसी शबि क धय न धिन ही उसक जचातवन किन ह | गीत म जितन शबि ह उतन ही उसक

आिषण ह औि जपरयिनो क आिषणो क धय न किन नही उनही क धय न धिन क बि बि ह | यही

ब त गीत की ह | लजकन इसक जसव जकसी को औि कोई ढाग जमल ि य तो िल ही वह उस ढाग स

धय न धि | जितन जिम ग उतनी ही जवजवधत होती ह | कोई िो वयजि एक ही तिीक स एक ही

चीि क धय न नही कित | िोनो क वणकन औि कलपन म कछ-न-कछ फकक तो िहग ही |

छठ अधय य क अनस ि िि -सी िी की हई स धन बक ि नही ि ती औि िह स िह गई

हो वह ा स िसि िनम म आग चलती ह | इसी तिह जिसम कलय णम गक की तिफ मड़न की इचछ तो

िरि हो जिसस िसि िनम म उसकी यह इचछ दढ़ हो | इस ब ि म िी मि मन म कोई शाक नही ह |

मगि इसक यह अथक न जकय ि य जक तब तो हम िनम म जशजथल िह तो िी क म चलग | ऐसी

इचछ इचछ नही ह य वह बौजदक ह मगि ह जिकक नही ह | बौजदक इचछ क जलए कोई सथ न ही

नही ह | वह मिन क ब ि नही िहती पि िो इचछ जिल म पठ ि ती ह उसक पीछ परयतन तो होन

ही च जहए | मगि कई क िणो स औि शिीि की कमिोिी स सािव ह जक यह इचछ इस िनम म पिी न

हो औि इस तिह क अनिव हम िोि होत ह | मगि इस इचछ को लकि िीव िह को छोड़त ह

औि िसि िनम म इस िनम की उप जधय ा कम होकि यह इचछ फलती ह य जय ि मिबत तो होती

ही ह | इस तिह कलय णकत लग त ि आग बढ़त ही िहत ह |

गीता की महिमा

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जञ नशवि मह ि ि न जनवजततन थ क िीत हए उनक धय न धि हो तो िल ही धि हो लजकन

इतन होन पि िी मि पककी ि य ह जक वह हम ि नकल किन ल यक नही ह | जिसक धय न किन

ह वह पणकत को प य हआ वयजि होन च जहए | िीजवत वयजि क जलए इस तिह क खय ल किन

जबलकल बि औि गििरिी ह | जका त यह हो सकत ह जक जञ नशवि मह ि ि न शिीिध िी जनवजततन थ

क धय न जकय हो | मगि हम इस झगड़ म कह पड़ औि िब िीजवत मजतक क धय न किन क

सव ल उठत ह तब कलपन की मजतक की गाि यश नही िहती औि इसक उललख किक िव ब जिय

हो तो इस िव ब स बजदभरषट होन सािव ह |

पहल अधय य म िो न म जिय ह व सब न म मिी ि य म वयजिव चक होन क बि य

गणव चक जय ि ह | िवी औि आसिी वजततयो क बीच की लड़ ई क बय न कित हए कजव न

वजततयो को मजतकम न बन य ह | इस कलपन म इस ब त स इनक ि नही जकय गय ह जक प ािवो

औि कौिवो क बीच हजसतन पि क प स सचमच यद हआ होग | मिी ऐसी कलपन ह जक उस

िम न क कोई दषट ात लकि कजव न इस मह न गराथ की िचन की ह | इसम िल हो सकती ह य य

सब न म ऐजतह जसक हो तो ऐजतह जसक आिाि क जलए य न म िन बि िी नही म न ि सकत |

जवषय-जवच ि क जलए पहल अधय य िरिी ह इसजलए गीत -प ठ क वि उस पढ़ लन िी िरिी ह

|

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo पहल ि ग पषठ २२३ १८ िन १९३२

वह जिन य ि आत ह िब जम बकि मझ वजलागटन कनवशन म चलो | वह ा समथक लोग

आयाग | आप उनस जमलग तो आपको

गीता की महिमा

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गीता पर आसथा

जफि एक lsquoजवश ल बजदrsquo परष-गीत क परणत उतपनन हआ | उसन जहनि-सम ि को गहि

ततवजञ न स िि औि स थ ही जहाि-धमक क ऐस िोहन अजपकत जकय जक िो मगध जिजञ स को सहि ही

समझ म आ सकत ह | जहाि-धमक क अधययन किन की इचछ िखनव ल परतयक जहनि क जलए यह

एकम तर सलि गराथ ह औि यजि अनय सिी धमकश सतर िलकि िसम हो ि या तब िी इस अमि गराथ क

स त सौ शलोक यह बनन क जलए पय कपत होग जक जहाि-धमक कय ह औि उस िीवन म जकस परक ि

उत ि ि य | म सन तनी होन क ि व कित ह कयोजक च लीस वषो स उस गराथ क उपिशो को

िीवन म अकषिश उत िन क म परयतन कित आय ह | गीत क मखय जसद ात क जवपिीत िो कछ

िी हो उस म जहाि-धमक क जविोध म नकि असवीक ि कित ह | गीत म जकसी िी धमक य धमक-गर

क परजत दवष नही | मझ यह कहत बड़ आनाि होत ह जक मन गीत क परजत जितन पजय ि व िख ह

उतन ही पजय ि व स मन ब इजबल कि न िािअवसत औि सास ि क अनय धमक-गराथ पढ़ ह | इस

व चन न गीत क परजत मिी शरद को दढ़ बन य ह | उसस मिी दजषट औि उसस मिी जहनि धमक जवश ल

हआ ह | िस जक ििथसतर ईस औि महममि क िीवन-चरितर को मन परक श ि ल ह | इसस इन

सन तनी जमतरो न मझ िो त न जिय ह वह मि जलए तो आशव सन क क िण बन गय ह | म अपन

को जहाि कहन म गौिव म नत ह कयोजक मि मन म यह शबि इतन जवश ल ह जक पथवी क चिो कोनो

क पगाबिो क परजत यह कवल सजहषणत ही नही िखत विन उनह आतमस त कि लत ह | इस

िीवन-साजहत म कही िी असपशयत को सथ न हो ऐस म नही िखत | इसक जवपिीत लौह-चाबक

क सम न जचत कषकक व णी म मिी बजद को सपशक किक औि इसक िी आग मि हिय को पणकतय

सपशक किक मि मन म यह आसथ उतपनन किती ह जक ितम तर एक-रप ह व सिी ईशवि म स जनकल

ह औि उसी म जवलीन हो ि नव ल ह | िगवती गीत म त दव ि उपजिषट सन तन धमक क अनस ि

िीवन क स फलय बहम आच ि औि कमकक ाि म नही विन समपणक जचतत-शजद म औि शिीि मन

औि आतम -सजहत समगर वयजितव को पिबरहम क स थ एक क ि कि िन म ह | गीत क इस सनिश

को अपन िीवन म ओट-परोत किक म किोड़ो की म नवमजिनी क प स गय ह औि उनहोन मिी ब त

सनी ह सो मिी ि िनीजतजञत क क िण अथव मिी व णी की छट क क िण नही बजलक मि जवशव स

गीता की महिमा

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ह जक मझ अपन अपन धमक क म नकि सनी ह | समय क स थ-स थ मिी यह शरद अजधक जधक

दढ़ होती गई ह जक म सन तन-धमी होन क ि व करा यह चीि गलत नही औि यजि ईशवि की इचछ

होगी तो वह मझ इस ि व पि मिी मतय की महि लग लन िग |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग २ पषठ ४३५ ४ नवाबि १९३२

गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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जञ नशवि मह ि ि न जनवजततन थ क िीत हए उनक धय न धि हो तो िल ही धि हो लजकन

इतन होन पि िी मि पककी ि य ह जक वह हम ि नकल किन ल यक नही ह | जिसक धय न किन

ह वह पणकत को प य हआ वयजि होन च जहए | िीजवत वयजि क जलए इस तिह क खय ल किन

जबलकल बि औि गििरिी ह | जका त यह हो सकत ह जक जञ नशवि मह ि ि न शिीिध िी जनवजततन थ

क धय न जकय हो | मगि हम इस झगड़ म कह पड़ औि िब िीजवत मजतक क धय न किन क

सव ल उठत ह तब कलपन की मजतक की गाि यश नही िहती औि इसक उललख किक िव ब जिय

हो तो इस िव ब स बजदभरषट होन सािव ह |

पहल अधय य म िो न म जिय ह व सब न म मिी ि य म वयजिव चक होन क बि य

गणव चक जय ि ह | िवी औि आसिी वजततयो क बीच की लड़ ई क बय न कित हए कजव न

वजततयो को मजतकम न बन य ह | इस कलपन म इस ब त स इनक ि नही जकय गय ह जक प ािवो

औि कौिवो क बीच हजसतन पि क प स सचमच यद हआ होग | मिी ऐसी कलपन ह जक उस

िम न क कोई दषट ात लकि कजव न इस मह न गराथ की िचन की ह | इसम िल हो सकती ह य य

सब न म ऐजतह जसक हो तो ऐजतह जसक आिाि क जलए य न म िन बि िी नही म न ि सकत |

जवषय-जवच ि क जलए पहल अधय य िरिी ह इसजलए गीत -प ठ क वि उस पढ़ लन िी िरिी ह

|

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo पहल ि ग पषठ २२३ १८ िन १९३२

वह जिन य ि आत ह िब जम बकि मझ वजलागटन कनवशन म चलो | वह ा समथक लोग

आयाग | आप उनस जमलग तो आपको

गीता की महिमा

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गीता पर आसथा

जफि एक lsquoजवश ल बजदrsquo परष-गीत क परणत उतपनन हआ | उसन जहनि-सम ि को गहि

ततवजञ न स िि औि स थ ही जहाि-धमक क ऐस िोहन अजपकत जकय जक िो मगध जिजञ स को सहि ही

समझ म आ सकत ह | जहाि-धमक क अधययन किन की इचछ िखनव ल परतयक जहनि क जलए यह

एकम तर सलि गराथ ह औि यजि अनय सिी धमकश सतर िलकि िसम हो ि या तब िी इस अमि गराथ क

स त सौ शलोक यह बनन क जलए पय कपत होग जक जहाि-धमक कय ह औि उस िीवन म जकस परक ि

उत ि ि य | म सन तनी होन क ि व कित ह कयोजक च लीस वषो स उस गराथ क उपिशो को

िीवन म अकषिश उत िन क म परयतन कित आय ह | गीत क मखय जसद ात क जवपिीत िो कछ

िी हो उस म जहाि-धमक क जविोध म नकि असवीक ि कित ह | गीत म जकसी िी धमक य धमक-गर

क परजत दवष नही | मझ यह कहत बड़ आनाि होत ह जक मन गीत क परजत जितन पजय ि व िख ह

उतन ही पजय ि व स मन ब इजबल कि न िािअवसत औि सास ि क अनय धमक-गराथ पढ़ ह | इस

व चन न गीत क परजत मिी शरद को दढ़ बन य ह | उसस मिी दजषट औि उसस मिी जहनि धमक जवश ल

हआ ह | िस जक ििथसतर ईस औि महममि क िीवन-चरितर को मन परक श ि ल ह | इसस इन

सन तनी जमतरो न मझ िो त न जिय ह वह मि जलए तो आशव सन क क िण बन गय ह | म अपन

को जहाि कहन म गौिव म नत ह कयोजक मि मन म यह शबि इतन जवश ल ह जक पथवी क चिो कोनो

क पगाबिो क परजत यह कवल सजहषणत ही नही िखत विन उनह आतमस त कि लत ह | इस

िीवन-साजहत म कही िी असपशयत को सथ न हो ऐस म नही िखत | इसक जवपिीत लौह-चाबक

क सम न जचत कषकक व णी म मिी बजद को सपशक किक औि इसक िी आग मि हिय को पणकतय

सपशक किक मि मन म यह आसथ उतपनन किती ह जक ितम तर एक-रप ह व सिी ईशवि म स जनकल

ह औि उसी म जवलीन हो ि नव ल ह | िगवती गीत म त दव ि उपजिषट सन तन धमक क अनस ि

िीवन क स फलय बहम आच ि औि कमकक ाि म नही विन समपणक जचतत-शजद म औि शिीि मन

औि आतम -सजहत समगर वयजितव को पिबरहम क स थ एक क ि कि िन म ह | गीत क इस सनिश

को अपन िीवन म ओट-परोत किक म किोड़ो की म नवमजिनी क प स गय ह औि उनहोन मिी ब त

सनी ह सो मिी ि िनीजतजञत क क िण अथव मिी व णी की छट क क िण नही बजलक मि जवशव स

गीता की महिमा

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ह जक मझ अपन अपन धमक क म नकि सनी ह | समय क स थ-स थ मिी यह शरद अजधक जधक

दढ़ होती गई ह जक म सन तन-धमी होन क ि व करा यह चीि गलत नही औि यजि ईशवि की इचछ

होगी तो वह मझ इस ि व पि मिी मतय की महि लग लन िग |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग २ पषठ ४३५ ४ नवाबि १९३२

गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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गीता पर आसथा

जफि एक lsquoजवश ल बजदrsquo परष-गीत क परणत उतपनन हआ | उसन जहनि-सम ि को गहि

ततवजञ न स िि औि स थ ही जहाि-धमक क ऐस िोहन अजपकत जकय जक िो मगध जिजञ स को सहि ही

समझ म आ सकत ह | जहाि-धमक क अधययन किन की इचछ िखनव ल परतयक जहनि क जलए यह

एकम तर सलि गराथ ह औि यजि अनय सिी धमकश सतर िलकि िसम हो ि या तब िी इस अमि गराथ क

स त सौ शलोक यह बनन क जलए पय कपत होग जक जहाि-धमक कय ह औि उस िीवन म जकस परक ि

उत ि ि य | म सन तनी होन क ि व कित ह कयोजक च लीस वषो स उस गराथ क उपिशो को

िीवन म अकषिश उत िन क म परयतन कित आय ह | गीत क मखय जसद ात क जवपिीत िो कछ

िी हो उस म जहाि-धमक क जविोध म नकि असवीक ि कित ह | गीत म जकसी िी धमक य धमक-गर

क परजत दवष नही | मझ यह कहत बड़ आनाि होत ह जक मन गीत क परजत जितन पजय ि व िख ह

उतन ही पजय ि व स मन ब इजबल कि न िािअवसत औि सास ि क अनय धमक-गराथ पढ़ ह | इस

व चन न गीत क परजत मिी शरद को दढ़ बन य ह | उसस मिी दजषट औि उसस मिी जहनि धमक जवश ल

हआ ह | िस जक ििथसतर ईस औि महममि क िीवन-चरितर को मन परक श ि ल ह | इसस इन

सन तनी जमतरो न मझ िो त न जिय ह वह मि जलए तो आशव सन क क िण बन गय ह | म अपन

को जहाि कहन म गौिव म नत ह कयोजक मि मन म यह शबि इतन जवश ल ह जक पथवी क चिो कोनो

क पगाबिो क परजत यह कवल सजहषणत ही नही िखत विन उनह आतमस त कि लत ह | इस

िीवन-साजहत म कही िी असपशयत को सथ न हो ऐस म नही िखत | इसक जवपिीत लौह-चाबक

क सम न जचत कषकक व णी म मिी बजद को सपशक किक औि इसक िी आग मि हिय को पणकतय

सपशक किक मि मन म यह आसथ उतपनन किती ह जक ितम तर एक-रप ह व सिी ईशवि म स जनकल

ह औि उसी म जवलीन हो ि नव ल ह | िगवती गीत म त दव ि उपजिषट सन तन धमक क अनस ि

िीवन क स फलय बहम आच ि औि कमकक ाि म नही विन समपणक जचतत-शजद म औि शिीि मन

औि आतम -सजहत समगर वयजितव को पिबरहम क स थ एक क ि कि िन म ह | गीत क इस सनिश

को अपन िीवन म ओट-परोत किक म किोड़ो की म नवमजिनी क प स गय ह औि उनहोन मिी ब त

सनी ह सो मिी ि िनीजतजञत क क िण अथव मिी व णी की छट क क िण नही बजलक मि जवशव स

गीता की महिमा

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ह जक मझ अपन अपन धमक क म नकि सनी ह | समय क स थ-स थ मिी यह शरद अजधक जधक

दढ़ होती गई ह जक म सन तन-धमी होन क ि व करा यह चीि गलत नही औि यजि ईशवि की इचछ

होगी तो वह मझ इस ि व पि मिी मतय की महि लग लन िग |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग २ पषठ ४३५ ४ नवाबि १९३२

गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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ह जक मझ अपन अपन धमक क म नकि सनी ह | समय क स थ-स थ मिी यह शरद अजधक जधक

दढ़ होती गई ह जक म सन तन-धमी होन क ि व करा यह चीि गलत नही औि यजि ईशवि की इचछ

होगी तो वह मझ इस ि व पि मिी मतय की महि लग लन िग |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग २ पषठ ४३५ ४ नवाबि १९३२

गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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गीता का अथथ

एक जमतर इस परक ि परशन कित ह

lsquolsquoगीत क सनिश कय ह जहास य अजहास म लम होत ह जक यह झगड़ हमश ही चलत

िहग | यह ब त औि ह जक हम गीत म जकस सनिश को िखन च हत ह औि उसम स कौन-स

सनिश जनक लन च हत ह औि यह िसिी ही ब त ह जक उसको सीध ही पढ़न पि कय छ प पड़ती ह |

जिसक जिल म यह ब त िम गई ह जक अजहास -तततव ही िीवन-सनिश ह उसक जलए तो यह परशन गौण

ह | वह तो यही कहग जक गीत म स अजहास जनकलती हो तो मझ वह गर हम ह | इतन िवय गराथ म

स अजहास िस िवय ध जमकक जसद ात ही जनक लन च जहए जकता यजि न जनकलत हो तो गीत को

िी िहन िीजिए | उसको आिि स पिग लजकन उस परम ण गराथ नही म नग | rsquorsquo

lsquolsquoपरथम अधय य को पढ़न पि यही परतीत होत ह जक अजहास -वजतत स पररित अिकन अशसतर

होकि कौिवो क ह थो मिन को तय ि ह | जहास स होनव ल प प औि ह जन उसकी जनग ह म स फ

निि आत ह | जवष ि स वह क ाप उठत ह औि कहत

अहो बत महतप पा कततक वयवजसत वयम | rsquo इस पि शरीकषण उसस कहत ह- lsquoसमझि ि होकि

िी यह कय बोलत हो कोई जकसी को न म ित ह न कोई मित ही ह | आतम अमि ह औि शिीि

क न श तो होग ही | इसजलए इस धमक पर पत यद को लि लो | िय कय औि पि िय कय कवल

अपन कतकवय पि किो | rsquo

lsquolsquoगय िहव अधय य म िी उस जवशवरप जिख कि िगव न शरीकषण यही कहत ह

क लोऽजसम लोक कषयकतपरवदो

लोक तसमह ततकजमहो परवत | rsquorsquo

मय हत नसतवन िजह म वयजथषठ

lsquolsquoईशवि की दजषट म जहास औि अजहास िोनो सम न ही ह लजकन मनषय क जलए ईशवि क

सनिश कय हो सकत हrsquorsquo

गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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lsquoयधयसव ित जस िण सपतन न | rsquo

यह कय गीत क सनिश यजि अजहास हो तो १ औि ११ अधय य ससमबद नही म लम होत

| व उसक पोषक तो ह ही नही | ऐसी शाक ओ ा क सम ध न कौन कि

lsquolsquoक म की िीड़ म स कछ समय जनक लकि आप इसक िव ब ि तो जकतन अचछ होrsquorsquo

ऐस परशन तो हआ ही किग | जिसन कछ अधययन जकय ह उस उनक यथ शजि िव ब िी

िन होग जका त इनक सम ध न किन पि िी आजखि मझ यह तो कहन ही पड़ग जक मनषय वही

किग िो उसक हिय उस किन को कहग | परथम हिय ह औि जफि बजद परथम जसद ात औि जफि

परम ण परथम सफिण औि जफि उसक अनकल तकक परथम कमक औि जफि बजद इसजलए बजद

कम कनस रिणी खी गई ह | मनषय क जलए परम ण िी ढढ जनकलत ह |

इसजलए म समझत ह जक मि गीत क अथक सबक अनकल न होग | ऐसी जसथजत म यजि म

इतन खन जक गीत क मि अथक पि म जकस तिह पहाच औि धमकश जसतरयो क अथक जनक लन म मन

जकन-जकन जसद ातो को म नी िख ह तो यही बस होग | lsquolsquoपरिण म च ह कछ आव मझ तो यद

किन च जहए | िो शतर मिन योगय ह व तो सवया ही मि हए ह | मझ तो उनको म िन म म तर जनजमतत

बनन ह | rsquorsquo

१८८९ क स ल म गीत िी स मि परथम परिचय हआ | उस समय मिी उमर २० स ल की थी

| म अजहास धमक को बहत ही थोड़ समझत थ | शतर को िी परम स िीतन च जहए यह म गिि ती

कजव श मल िटट क इस छपपय स lsquolsquoप णी आप न व य िला िोिन तो िीिrsquorsquo सीख थ | इसम िो

सतय ह वह मि हिय म अचछी तिह बठ गय थ जका त उस समय मझ उसम स िीव-िय की सफिण

नही हई थी | इसक पहल म िश ही म म ास ह ि कि चक थ | म म नत थ जक सप कजिक न श

किन धमक ह | मझ य ि आत ह जक मन खटमल इतय जि िीव म ि ह | मझ तो यह िी य ि आत ह

जक मन एक जबचछ को िी म ि थ | आि यह समझ ह जक ऐस िहिील िीवो को िी न म िन

च जहए | उस समय म यह म नत थ जक हम अागरिो क स थ लड़न क जलए तय िी किनी होगी |

lsquoअागरिी ि जय कित ह इसम आियक ही कय हrsquo- इस आशय की एक कजवत गनगन य कित थ |

मि म ास ह ि इसी तय िी क क िण थ | जवल यत ि न क पहल मि ऐस जवच ि थ | म म ास ह ि

इतय जि स बच गय इसक क िण म त को जिय हए वचनो को मित िम तक प लन प लन किन की

मिी वजतत ही थी | सतय क परजत मि परम न बहत-सी आपजततयो म स मिी िकष की ह |

गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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अब िो अागरिो स परसाग पड़न पि मझ गीत पढनी पड़ी | lsquoपढनी पड़ीrsquo इसजलए कहत ह

कयोजक उस पढ़न की मझ कोई ख़ स इचछ न थी लजकन िब इन िो ि इयो न मझ उनक स थ गीत

पढ़न को कह तब म शजमिि हआ | मझ अपन धमश कतरो क कछ िी जञ न नही ह इस खय ल स मझ

बड़ िख हआ | म लम होत ह इस िख क क िण अजिम न थ | मि सासकत क अधययन ऐस

तो थ ही नही जक गीत िी क सब शलोको क अथक म जबन जकसी मिि क ठीक-ठीक समझ ल | य

िोनो ि ई तो कछ नही न समझत थ | उनहोन सि एिजवन आिनॉलि क गीत िी क उततमोततम

क वय नव ि मि स मन िख जिय | मन तो फ़ौिन ही उस पसतक को पढ़ ि ल औि उस पि मगध हो

गय | तब स लकि आितक िसि अधय य क अाजतम १९ धलोक मि हिय म अाजकत ह | मि जलए

तो सब धमक उनही म आ ि त ह | उसम सापणक जञ न ह | उसम कह हए जसद ात अचल ह | उसम बजद

क िी सापणक परयोग जकय गय ह लजकन यह बजद सासक िी बजद ह | उसम अनिव जञ न ह |

इस परिचय क ब ि तो मन बहत-स अनव ि पढ़ बहत-सी टीक ए पढ़ी कई स तकक जकय

औि सनो लजकन उस पढ़न पि िो छ प मझ पि पड़ी थी वह िि नही हई | य शलोक गीत िी क अथक

को समझन की का िी ह | उसस जविोधी अथक व ल वचन यजि जमल तो उनह तय ग किन की िी सल ह

म िग | नमर औि जवनयी मनषय को तय ग किन की िी िरित नही ह | वह तो जसफक योही कह ि जक

िसि धलोको क आि इसक स थ मल जमलत ह तो यह मिी बजद क ही िोष ह | समय बीतन पि

इनक औि इन उननीस शलोको म ख गय जसद ातो क िी मल बठ ि यग | अपन मन स औि िसिो

स यह कहकि वह श ात हो ि यग |

श सतर क अथक किन म सासक ि औि अनिव की आवशयकत ह | lsquoशदर को वि क अभय स

नही होत rsquo यह व कय सवकथ गलत नही ह | शदर अथ कत असासक िी मखक अजञ न | वह वि जि क

अभय स किक उनक अनथक किग | बड़ी उमर क िी सब लोग बीिगजणत क कजठन परशन अपन-आप

समझन क अजशकिी नही ह | उनको समझन क पहल उनह कछ पर थजमक जशकष गरहण किनी पड़ती ह

| वयजिच िी क मख स lsquoअहा बरहम जसमrsquo कय शोि िग उसक वह कय अथक (य अनथक) किग

अथ कत श सतर क अथक किनव ल यम जि क प लन किनव ल होन च जहए | यम जि क

शषक प लन िस कजठन ह वस ही जनिथकक िी ह | श सतरो न गर क होन आवशयक म न ह

लजकन इस िम न म गरओ ा क तो किीब-किीब लोप-स हो गय ह | जञ नी लोग इसीजलए िजि-

परध न पर कत गराथो क पठन-प ठन किन की जशकष ित ह जका त जिनम िजि नही शरद नही व श सतर

क अथक किन क अजधक िी नही होत | जवदव न लोग जवदवतत पणक अथक उसम स िल ही जनक ल

लजकन वह श सतर थक नही | श सतर थक तो अनिवी ही कि सकत ह |

गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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पिात पर कत मनषयो क जलए िी कछ जसद ात तो ह ही | श सतरो क व अथक िो सतय क जविोधी

ह सही नही हो सकत | जिस सतय क सतय होन क ब ि म शाक ह उसक जलए श सतर ह ही नही

अथव यो कजहए जक उसक जलए सब श सतर अश सतर ह | उसको कोई नही पहच सकत | जिस श सतर

म स अजहास पर पत नही हई ह उसक जलए िी ह लजकन यह ब त नही जक उसक उद ि न हो | सतय

जवधय तमक ह अजहास जनषध तमक ह | सतय वसत क स कषी ह अजहास वसत होन पि िी उसक

जनषध किती ह | सतय ह असतय नही ह | जहास ह अजहास नही ह | जफि िी अजहास ही होनी

च जहए | यही पिम धमक ह | सतय सवयाजसद ह | अजहास उसक सापणक फल ह | सतय म वह छीपी हई

ही ह जका त वह सतय की तिह वयि नही ह | इसजलए उसको म नी जकए जबन मनषय िल ही श सतर

की शोध कि उसक सतय आजखि उस अजहास ही जसख वग |

सतय क अथक तपिय क तो ह ही | सतय क स कष तक ि किनव ल तपसवी न च िो ओि फ़ली

हई जहास म स अजहास िवी को सास ि क स मन परकट किक कह -जहास जमथय ह म य ह अजहास

ही सतय वसत ह | अजहास क जबन सतय क स कष तक ि असाि जवत ह | बरहमचयक असतय अपरिगरह

िी अजहास क अथक म ह | य अजहास को जसद किनव ल ह | अजहास सतय क पर ण ह | उसक जबन

मनषय पश ह | सतय थी अपनी शोध क जलए परयतन कित हए यह सब बड़ी िलिी समझ लग औि

जफि उस श सतर क अथक किन म कोई मसीबत पश नही आवगी |

श सतर क अथक किन म िसि जनयम यह ह जक उसक परतयक अकषि को न पकड़कि उसकी

धवजन खोिनी च जहए उसक िहसय समझन च जहए | तलसीि सिी की ि म यण उततम गराथ ह

कयोजक उसकी धवजन सवचछत ह िय ह िजि ह | उसन lsquoशदर गाव ि ढोल पश न िी य सब त िन

क अजधक िीrsquo इसजलए यजि कोई परष अपनी सतरी को म ि तो उसकी अधोगजत होगी | ि मचनदरिी न

सीत िी पि किी परह ि नही जकय | इतन ही नही उनह किी िख िी नही पहाच य | तलसीि सिी

न कवल परचजलत व कय को जलख जिय | उनह इस ब त क खय ल किी न हआ होग जक इस व कय

क आध ि लकि अपनी अधिगन क त िन किनव ल पश िी कही जनकल पड़ग | यजि सवया

तलसीि सिी न िी रिव ि क वशवतती होकि अपनी पतनी क त िन जकय हो तो िी कय यह

त िन अवशय ही िोष ह | जफि िी ि म यण पतनी क त िन क जलए नही जलखी गई ह | ि म यण तो

पणक-परष क िशकन कि न क जलए सती-जशिोमजण सीत िी क परिचय कि न क जलए औि िित की

आिशक िजि क चरितर जचजतरत किन क जलए जलखी गई ह | उसम जमलनव ल िोषयि रिव िो क

समथकन तय जय ह | तलसीि सिी न िगोल जसख न क जलए अपन अमलय गराथ नही बन य ह

इसजलए उनक गराथ म यजि गलत िगोल प य ि य तो उसक तय ग किन अपन धमक ह |

गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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अब गीत िी िख | बरहमजञ न-पर जपत औि उसक स धन यही गीत िी क जवषय ह | िो सन ओ ा

क बीच यद क होन जनजमतत ह | िल ही ऐस कह जक कजव सवया यद जि को जनजषद नही म नत थ

औि इसजलए उनहोन यद क परसाग क इस परक ि उपयोग जकय ह | मह ि ित पढ़न क ब ि तो मि

ऊपि िसिी ही छ प पड़ी ह | वय सिी न इतन सािि गराथ की िचन किक यद क जमथय तव क ही

कौिव ह ि तो उसस कय हआ औि प ािव िीत तो िी कय हआ जवियी जकतन बच उनक कय

हआ का ती म त क कय ह ल हआ औि आि य िव-कल कह ह

िह जवषय यद-वणकन औि जहास क परजतप िन नही ह वह ा उसपि िोि िन जबलकल

अनजचत ही म न ि यग औि यजि कछ शलोको क साबाध अजहास क स थ बठन मजशकल म लम

होत ह तो स िी गीत िी को जहास क चौखटो म मढन तो उसस कही जय ि मजशकल ह |

कजव िब जकसी गराथ की िचन कित ह तो वह उसक सब अथो की कलपन नही कि लत ह

| क वय की यही खबी ह जक वह कजव स िी बढ़ ि त ह | जिस सतय क वह अपनी तनमयत म

उचच िण कित ह वही सतय उसक िीवन म अकसि नही प य ि त | इसजलए बहति कजवयो क

िीवन उनक क वयो क स थ ससागत नही म लम होत | िसि अधय य जिसस जवषय क आिाि

होत ह औि अठ िहव अधय य जिसम उसकी पण कहजत होती ह िखन स यही परतीत होग की

गीत िी क सव िश त तपयक जहास नही विन अजहास ह | मधय म िखोग तो िी यही पतीत होग |

जबन करोध ि ग य दवष क जहास क होन सािव नही औि गीत तो करोध जि को प ि किक गण तीत

की जसथजत म पहचन क परयतन किती ह | गण तीत म करोध क सवकथ अि व होत ह | अिकन न

क न तक खीचकि िब-िब धनष चढ य उस समय की उसकी ल ल-ल ल आख म आि िी िख

सकत ह |

पिात अिकन न कब अजहास क जलए यद छोड़न की हठ की थी | उसन तो बहत स यद जकए

थ | उस तो एक एक मोह हो गय थ | वह तो अपन सग-साबाजधयो को नही म िन च हत थ |

अिकन न िसिो को जिनह वह प पी समझत हो न म िन की ब त तो की न थी | शरीकषण तो

अनतय कमी ह | वह अिकन क यह कषजणक मोह समझ लत ह औि इसजलए उसस कहत ह lsquolsquoतम जहास

तो कि चक हो | अब इस परक ि एक एक समझि ि बनन क िाि किक तम अजहास नही सीख

सकोग | इसजलए जिस क म क तमन आिाि जकय ह उस अब तमह पि ही किन च जहए |rdquo घाट म

च लीस मील क वग स ि नव ली िलग ड़ी म बठ हआ वयजि एक एक परव स स जविि होकि यजि

चलती हई ग ड़ी स ही कि पड़ तो यही कह ि यग जक उसन आतम-हतय की ह | उसस उसन परव स

य िलग ड़ी म बठन क जमथय तव को कछ नही सीख ह | अिकन क िी यही ह ल थ | अजहासक

गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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कषण अिकन को िसिी सल ह ि ही नही सकत थ लजकन उसस यह अथक नही जनकल सकत जक

गीत िी म जहास ही क परजतप िन जकय गय ह | यह अथक जनक लन उतन ही अनजचत ह जितन

जक यह कहन जक शिीि-वय प ि क जलए कछ जहास अजनव यक ह औि इसजलए जहास ही धमक ह |

सकषमिशी इस जहास मय शिीि स अशिीिी होन क अथ कत मोकष क ही धमक जसख त ह |

लजकन धति षर कौन थ ियोधन यजधजषठि औि अिकन कौन थ कषण कौन थ कय य सब

ऐजतह जसक परष थ औि कय गीत िी म उनक सथल वयवह ि क ही वणकन जकय गय ह

अकसम त अिकन सव ल कित ह औि कषण सिी गीत पढ़ ि त ह औि अिकन यह कहकि िी जक

उसक मोह नषट हो गय ह यही गीत जफि िल ि त ह औि कषण स िब ि अनगीत कहलव त ह

म तो ियोधन जि को आसिी औि आिकन जि को िवी वजतत म नत ह | धमककषतर यह शिीि ही ह

| उसम दवनदव चलत ही िहत ह औि अनिवी ऋजष कजव उसक त दश वणकन कित ह | कषण तो

अनतय कमी ह औि हमश शद-जचतत म घड़ी की तिह तक-तक कित िहत ह | यजि जचतत को शदरपी

च बी नही िी गई तो अनतय कमी यदयजप वह ा िहत तो ह तथ जप उनक जटक-जटक न तो अवशय ही बाि

हो ि त ह |

कहन क आशय यह नही जक इसम सथल यद क जलए अवक श ही नही ह | जिस अजहास

सझी ही नही ह उस यह धमक नही जसख य गय ह जक क यि बनन च जहए | जिस िी लगत ह िो

सागरह कित ह िो जवषय म ित ह वह अवशय ही जहास मय यद किग लजकन उसक वह धमक नही ह

| धमक तो एक ही ह | अजहास क म नी ह मोकष औि मोकष ह सतयन ि यण क स कष तक ि | इसम पीठ

जिख न को तो कही अवक श ही नही ह | इस जवजचतर सास ि म जहास तो होती ही िहगी | उसस बचन

क म गक गीत जिखती ह लजकन स थ-ही-स थ गीत यह िी कहती ह जक क यि होकि ि गन स

जहास स नही बच सकोग | िो ि गन क जवच ि कित ह वह तो मिग औि मिग |

परशनकतत क न जिन शलोको क उललख जकय ह उनक अथक यजि अब िी उनकी समझ म न

आव तो म समझ न म असमथक ह | सवकशजिम न ईशवि कत क ितत क औि साहतत क ह औि वह ऐस ही

होन च जहए | इस जवषय म कोई शाक तो न होगी न िो उतपनन कित ह वह उसक न श किन क

अजधक ि िी िखत ह | जफि िी वह जकसी को नही म ित कयोजक वह उतपनन िी नही कित |

जनयम यह ह जक जिसन िनम जलय ह उसन मिन ही क जलए िनम जलय ह | ईशवि िी इस जनयम को

नही तोड़ सकत | यही उसकी िय ह | यजि ईशवि ही सवचछाि औि सवचछ च िी बन ि य तो जफि

हम सब कह ि वग

१५ अकटबि १९२५

गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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गीता कठ करो

गीत को का ठ किन क जवषय म म बहत ब ि जलख चक ह ख चक ह | मि अपन जकय यह न हो

सक इसजलए यह कहन मझ शोि नही ित | जफि िी इस ब त क ब िाब ि कहत मझ शमक नही

म लम होती इसजलए जक उसक ल ि म समझत ह | मिी ग ड़ी जयो-तयो चल गई ह कयोजक एक

ब ि तो म तिहव अधय य तक का ठ कि गय थ औि गीत क मनन तो बिसो स चल िह ह |

इसजलए यह म न जलय ि सकत ह जक उसकी छ य क नीच मि कछ जनव कह हो गय पि म उस

का ठ कि सक होत अब िी उसम अजधक गहि ई म पठ सक होत तो हो सकत ह मन बहत

अजधक प य होत पि मि च ह िो हआ हो औि हो मि समय बीत हआ म न ि सकत ह य

मनन च जहए | यदयजप मझ सहि ही इसक सयोग जमल ि य तो गीत का ठ किन क परयतन आिाि कि

ि |

यह ा गीत ल अथक थोड़ जवसतत किन च जहए | गीत अथ कत हम ि आध िरप गराथ | हमम

स ितो क अआधि गीत ह इसजलए मन गीत क न म जलय ह | पि अमतल (अमतससल म)

पर थकन य किशी गीत क बिल कि न-शिीफ पि य उसक कोई ि ग का ठ कि सकत ह | जिनह

सासकत न आती हो िो अब उस सीख न सकत हो व गिि ती य जहनिी म का ठ कि | जिनह गीत पि

आसथ न हो औि िसि जकसी धमक-गराथ पि हो व उस का ठ कि |

औि का ठ किन क अथक िी समझ लीजिए | जिस चीि को हम का ठ कि उसक आिश नस ि

आचिण किन क हम ि आगरह होन च जहए | वह मल जसद ातो क घटक न होन च जहए | उसक

अथक हम समझ चक हो |

इसक फल ह | हम ि प स गराथ न हो चोिी हो ि य िल ि य हम िल ि य हम िी आख

चली ि य हम व कशजि स िजहत हो ि या पि समझ बनी हो-ऐस औि िी िवयोग सोच ि सकत

ह-उस समय अगि अपन जपरय आध ि-रप गराथ का ठ हो तो वह हम ि जलए ििी श ाजत िनव ल हो

ि यग औि म गकिशकक होग साकट क स थी होग |

िजनय क अनिव िी यही ह | हम ि पिख -जहनि-मसलम न ईस ई प िसी-कछ जवशष प ठ

का ठ जकय कित थ | आि िी बहति कित ह | इन सबक अमलय अनिव को हम फ क न ि | इसम

कछ अाशो म हम िी शरद की पिीकष ह |

आशरमव जसयो स ३१ िल ई १९३२

गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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हनतय वयविार म गीता

कछ यवको न यह आत ही मझ अनक परशन जिय | उनक िव ब ही मि आि क ि षण होग |

परशन- जहािसत न की वतकम न परिजसथजत म कय आपको ऐस नही लगत जक बतौि जहनि क

आपको शरद नाि सम िक कोश पि औि अजधक िोि िन च जहए अगि आपको ऐस म लम होत हो

तो जफि यह कोष इकटठ किन म आप कयो ह थ नही बाट त

उतति- म तो एक अपणक मनषय ह | सापणक सवकशजिम न तो एक ईशवि ह | म अथकश सतर ि नत

ह | मि प स िो समय औि शजि ह वह सब मन िश को अपकण कि िी ह | मझ यह अजिम न नही

जक स ि क म म ही करा | जिस क म म पाजित म लवीयिी औि ल ल िी क सम न अनिवी नत

पड़ हए हो उसम मझ औि अजधक कय किन थ िब कलकतत म शरद -ननि-सम िक क जलए ५०

हि ि रपय इकटठ कय गय उस समय म लवीयिी की आजञ स म वह ा उपजसथत थ | इसक ब ि

औि कछ अजधक की आश म लवीयिी न मझस िकखी नही | मि क यककषतर की मय कि बाधी हई ह |

िगव न शरीकषण क गीत क उपिश नस ि चलन क परयतन किनव ल म एक अलप मनषय ह औि म

यह समझत ह जक मि अपन धमक थोड़-स-थोड़ म िी कय ह

शरय ासवधमो जवगण पधकमकतसवनजषठत त |

सवधम जनधन शरय पिधमो िय वह | |

िसि धमक च ह जितन अचछ लगत हो पि मि जलए मि मय कजित धमक ही िल ह िसि िय वह ह|

परशन-आि आप िो चाि इकठठ कि िह ह कय वह कवल ख िी क जलए ही ह अगि यह

ठीक हो तो आप उसक जकस परक ि उपयोग किग

उतति-ह यह धन कवल ख िी क जलए ही ह कयोजक यह अजखल ि ित िशबाध क न म

कवल इसीजलए लग य गय ह जक िह ात क थोड़ ही जिनो पहल उनहोन ख िी की योिन तय ि की

थी औि ख िी-क यक उनको जपरय थ | ख िी क जलए चाि उग हकि उसकी वयवसथ किन क जलए ही

अजखल ि ित चख क-साघ की योिन की गई ह | इस कोष प ई-प ई क जहस ब िकख ि त ह औि

िखन क जकसी िी मनषय को अजधक ि ह | इस साघ क एक क यकव हक मािल ह जहस ब

ि ाचनव ल ह जनिीकषक ह | इस साघ न अिी िश क स मन ख िी-सवक-साघ की योिन पश की ह |

गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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आप कहग जक ि न जलय आपक मािल | िीजिएग तीस रपलली | उसस िल होग कय ह

हम ि मािल तो जिख िी-मािल ह कयोजक बहत स गिीब जिख रियो स पस लकि यह सथ जपत हआ

ह | यह कछ इाजियन जसजवल सजवकस नही ह जक हम हि िो रपय वतनो म िन पड़ | इाजियन जसजवल

सजवकस तो लोगो क किो पि अवलाजबत ह | वह तो लोगो पि ि जय किन क जलए ह औि हम ि मािल

तो लोगो को सव क जलए ह |

परशन-आप मसलम नो क जलए पकषप त कयो कित ह जकतन मसलम न नत आप पि

वयजिगत आकषप कित ह | उनक आप िव ब िी नही ित | ऐस कयो

उतति-पिम धमक क शद पकष लन म म अपन धमक की िकष ही कित ह | म जहनि धमक क न श

नही च हत म न श कि नही सकत कयोजक म जहनि मह स गि की एक बि िि ह | मसलम न मझ

क जफ़ि कह तो उसस कय हआ उसक िव ब कय िन ह मि ििन मि स थ ही िहत थ | िब

िसिो को लग जक म उसक पकषप त कित ह उस समय मन औि उसन िी समझ जक म उसक स थ

नय य ही कित थ | मसलम न िब मझपि आकषप कित ह तो इसस श यि यह म लम होत ह जक म

उनह पि नय य न ित होऊा ग | मझ िव ब िन की आवशयकत जकसजलए हो मि तो चौबीसो घाट

शरीकषण िगवन को समजपकत ह | वही मिी िकष कित ह औि ि स नि स शरीकषण िगव न स म सि

पर थकन कित ह जक lsquoह कषणमिी ओि स िो िव ब िन हो वह त ही ि कि ि आ | rsquo

परशन-आपन जखल फत की लड़ ई िी-ि न स लड़ी | उसी परक ि आि जहनि-सागठन क जलए

कयो नही िट ि त

उतति-जखल फत क जलए पर ण अपकण किन की मिी परजतजञ थी | पिधमी क जलए िो कछ िी

हो सक मन जकय | म म नत थ औि अब िी म नत ह जक मिी इस सव स गोिकष होगी | आप

पछग जक गोिकष हई गोिकषण नही हआ इसस पि मझ कय म तो परयतन क अजधक िी थ | फल

क अजधक िी तो शरीकषण िगव न ह | िगव न न कह जक महममि अली स जमल शौकत अली स

जमल उनक स थ क म कि मन वही जकय | उनह जितनी मिि िी ि सकी िी | इस क म क जलए

मझ िि िी पछत व नही ह | जफि ऐस परसाग आव तो म यही कर ग | गीत -ि गवत आजि धमक-

गराथ मझ यही जसखल त ह | लोग मिी जनाि कि मि अपम न कि इसक उतति म म िी उनकी जनाि

औि अपम न किनव ल नही | म तो वही कर ग िो किन क तलसीि स न उपिश जिय ह य नी

तपिय क | मिी परकजत ही ऐसी बनी ह | मझस िसि कय होग गीत िी न कह ह न जक सब िीव

अपनी परकजत क अनस ि ही चलत ह जनगरह कय किग इसजलए मझ तो तपिय क किनी िही | िब

मसलम नो क जिल म बसग औि िब एक जिन ऐस आवग जक जहनिओ ा क सम न व िी गोिकष

गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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किग म िजवषयव णी कित ह की तब आप कहग जक यह गोिकष पि न िम न क जकसी ग ाधी न म क

प गल की आि िी ह |

म नही म नत जक आि क िसी तबलीग य शजद य धमक-परिवतकन किन की आजञ इसल म

य जहनिधमक य ईस ईधमक म ह | तब म शजद म जकस परक ि ह थ बाट सकत ह तलसीि स औि

गीत तो मझ जसखल त ह जक िब तमह ि धमक पि हमल हो तो तम आतमशजद कि लन | औि िो

जपाि म ह वह बरहम ाि म | आतमशजद-तपिय क किन क मि परयतन चौबीसो घाटो चल िह ह | प वकती

क नसीब म अशि लकषणोव ल पीटीआई थ | ऐस लकषण होन पि िी शिाकि तो जशविी ही थ |

प वकती न उनह तपोबल स प य | साकट क समय म ऐस ही तप जहािधमक जसखल त ह | इस धमक

जञ नक स कषी जहम लय ह वही जहम लय जिसक ऊपि जहािधमक की िकष क जलए ल खो ऋजष-मजनयो

न अपन शिीि गल ि ल ह | वि कछ क गि पि जलख अकषि नही ह | वि तो अनतय कमी ह औि

अनतय कमी न मझ बतल य ह जक यम-जनयम जि क प लन कि औि कषण क न म ल | म जवनय क

स थ पिात सतयत स कहत ह जक जहािधमक की सव जहािधमक की िकष क जसव मिी िसिी परवजतत नही

| ह उस किन की मिी िीजत िल ही जनि ली हो |

परशन-आि िप पस आपको जमलत ह उस िनव ल अजधक ाश म जवल यती कपड़ो क ही

वय प िी ह औि आपको व िो पस ित ह वह आपक परम क क िण ित ह ख िी क परम क किण

नही | कय आप यह ि नत ह

उतति-परम स मझ एक पस िी नही च जहए | म च हत ह जक मि क म को समझकि लोग मझ

पस ि | परम स आप मझ िसिी वसत ि सकत ह परम स आप मझ अपन जवल यती कपड़ ि सकत ह

पि पस नही च जहए | सचची ब त तो यह ह जक वय प िी लोग मझ पस ित ह तो यह समझकि जक

मि वय पि िम तो उसस उनकी य िश की ह जन नही ह | व ि नत ह जक अनत म उनह ख िी क ही

वय पि किन पड़ग | व इस खब समझत ह पिात उनम आि जनिय-बल नही ह | यह बल उनह जमल

इसक जलए व मझ ईशवि स पर थकन किन को कहत ह | इस बीच म व धन िकि इस परवजतत क पोषण

कित ह | व मझ फसल न को धन नही ित |

परशन-कवल ख िी क ही क म किक आप िसि ऐस ही महततवपणक य इसस िी अजधक महततव

क ि िनजतक क मो की ओि स ल पिव ह कयो ह

उतति-म कह चक ह जक मि क यककषतर मय कजित ह | ियोधन न िी अपन योद ओ ा की मय कि

क वणकन जकय थ | lsquoयथ ि गमवजसथत rsquo सिी को अपन-अपन सथ न पि िहन को औि अपन सथ न

पि िहकि िीषम की िकष किन को कह थ | गीत क वण कशरम धमक यही कहत ह | वह सबको अपन-

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
Page 23: गीता की महिमा · गीता की महिमा  Page 1 प्रकाशकीय. ăÚतrत पÚतक a¨ गor ांधqिq कx गqतo -

गीता की महिमा

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अपनी मय कि समझन को कहत ह | जहािसत न को अगि मझस क म लन हो तो उस मिी मय कि

समझनी होगी | यह िल ही सािव हो जक म िसि क म िल पि कर कि सका पि उनह िसि लोग कित

ह | ख िी क क म जिस म पिम कतकवय म नत ह यही जवशव स होन क क िण कि िह ह की उस

मि िस कोई नही किग | मझ सतय गरह पसाि ह मझ वह किन ह पिात उसक जलए अनकल

व त विण कह ह ख िी स वह मझ पि किन ह | सतय गरह तो मिी पर णव य क सम न ह पिात

उस ख िी क जबन अशकय म नत ह |

परशन-िि यह तो बतल इयग जक इस िौि म आपको मसलम नो स जकतनी परतयकष सह यत

जमली ह

उतति-यह ब त सचची ह जक आि मसलम न ख िी क क म म मिी नही क बि बि ही मिि कि

िह ह पि इसस कय हआ म अपनी सतरी य ि ई क स थ कछ वय पि नही कित | घि म उनक स थ

म य सौि कित ही नही जक तम यह किो तो म वह करा | उसस परक ि मसलम न ि इयो क स थ य

पाजितिी य कलकि क स थ अिल -बिल क सौि किन नही च हत | मसलम न स हम

जकसजलए िि पिमशवि स कयो न िि मनषय स ििन न च जहए मनषय स धोख ख न क िी ही नही

िखन च जहए | ईशवि क ऊपि जवशव स िखकि जक लोग धोख िग तो िी ईशवि िख लग सवधमक

किन च जहए |

३ म चक १९२१

गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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भगवद गीता अथवा अनासहियोग

गीत पढ़त जवचित औि उसक अनसिण कित हए अब मझ च लीस स ल स जय ि हो चक ह |

जमतरो न यह इचछ परकट की थी जक म िनत को बत ऊ जक मन गीत को जकस रप म समझ ह |

फलत मन अनव ि शर जकय | १ जवदव न की दजषट स िखन बठा तो अनव ि किन की मिी अपनी

योगयत कछ िी नही ठहिती | ह आचिण किनव ल की दजषट स ठीक-ठीक म नी ि सकती ह |

यह अनव ि अब छप ह | बहतिी गीतो क स थ सासकत िी होती ह | इसम ि न-बझकि सासकत

नही िखी | सासकत सब ि न समझ तो मझ अचछ लग लजकन सब सासकत किी ि नग नही औि

सासकत क तो अनक ससत सासकिण जमल सकत ह | इसजलए सासकत छोड़कि आक ि औि कीमत

बच न क जनिय जकय | अतएव १८ सफो की परसत वन औि १९१ सफो क अनव िव ल िबी

सासकिण छपव य ह | इसकी कीमत िो आन िखी ह | मि लोि तो यह ह जक हिएक जहािी-ि ष -

ि षी इस गीत को पढ़ जवच ि औि वस आचिण कि | इसक जवच ि क सिल उप य यह ह की

सासकत क खय ल जकए जबन ही इसक अथक को समझन क परयतन जकय ि य औि जफि तिनस ि

आचिण जकय ि य | मसलन िी यह कहत ह जक गीत तो अपन-पि य क िि िख जबन िषटो क

साह ि किन की जशकष िती ह उनह अपन िषट म त -जपत य अनय जपरयिनो क साह ि शर कि िन

च जहए | पि व वस तो कि नही सकत | तो जफि िह साह ि क जिकर आत ह वह ा उसक कोई

िसि अथक होन सािव ह यह ब त प ठको को सहि ही सझगी | अपन-पि य क बीच िि न िखन

की ब त तो गीत क पनन-पनन म आती ह | पि यह कस हो सकत ह यो सोचत-सोचत हम इस

जनिय पि पहाचग जक अन सजिपवकक सब क म किन ही गीत की परध न धवजन ह कयोजक पहल ही

अधय य म अिकन क स मन अपन-पि य क झगड़ खड़ होत ह | गीत क परतयक अधय य म यह

बत य गय ह जक ऐस िि जमथय औि ह जनक िक ह | गीत को मन lsquoअन सजियोगrsquo क न म जिय

ह | यह कय ह कस जसद हो सकत ह अन सजि क लकषण कय ह यजि तम म ब तो क िव ब

इस पसतक म ह | गीत क अनसिण कित हए म इस यद को पर िाि जकए जबन न िह सकत | एक

जमतर क शबिो म मि मन यह यद धमकयद ह | औि ठीक इस आजख़िी फसल क मौक पि इस पसतक

क परक जशत होन मि जलए शि शकन ह |

२२ मई १९३०

गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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१०

गीता-जयती

पन स lsquoकसिीrsquo व ल शरी िीवी कतकि जलखत ह

lsquolsquoइस वषक गीत -ियाती शकरव ि २२ जिसाबि को पड़ती ह | िो पर थकन म कई स ल स आपस

कित आय ह वही इस ब ि िी िहि त ह जक आप lsquoहरििनrsquo म गीत औि गीत -ियाती पि जलख |

एक ब त औि िी जपछल वषक खी थी वह जफि स कहत ह | गीत पि आपन अपन वय खय नो म

एक िगह कह ह जक जिनह ७०० शलोको की पिी गीत क प ि यण किन क अवक श नही उनक

जलए िसि औि तीसि अधय य पढ़ लन क फी ह | अपन यह िी कह ह जक इन िो अधयययो क

िी स ि जकय ि सकत ह | सािव हो तो आप समझ इए जक आप िसि औि तीसि अधय य को

कयो आध िित म नत ह मन िी िसि औि तीसि अधय य क धलोक गीत -बीि क रप म परक जशत

किक यही जवच ि िनत क स मन िखन क परयतन जकय ह | अवशय ही आपक इस जवषय पि

जलखन क परि व अजधक पड़ग | rsquorsquo

अबतक मन शरी कतकि की ब त नही म नी थी | म नही ि नत जक जिस उददशय स य

ियाजतय ा मन ई ि ती ह वह इस तिह पि होत ह | आधय जतमक जवषयो म जवजञ पन क स ध िण

स धनो क सथ न नही होत | आधय जतमक वसतओ ा क उततम जवजञ पन तो उनक अनरप कमक ही

होत ह | मि जवशव स ह जक सिी आधय जतमक गराथो क परि व िो ब त होन स पड़त ह | एक तो

यह जक उनम लखको क अनिवो क सचच इजतह स हो औि िसि उनक ििो क िीवन यथ -सािव

उनक उपिशो क अनस ि िह हो | इस परक ि गराथक ि अपन गराथो म पर ण-साच ि कित ह औि

अनय यी उनक अनस ि आचिण किक उनक पोषण कित ह मिी सममजत म किोड़ो पि गीत

तलसीकत ि म यण आजि पसतको क परि व क यही िहसय ह | शरी कतकि क आगरह को म नन म म

यह आश िखत ह जक आग मी ियाती-उतसव म ि ग लनव ल उजचत ि वन स पररित होग औि

गीत क पजवतर सनिश क अनस ि अपन िीवन बन न क दढ़ जनिय किग | मन यह जसद किन क

परयतन जकय ह जक यह सािश आसजि छोड़कि सवधमकप लन किन ही ह | मि यह मत िह ह जक

गीत क मखय जवषय िसि अधय य म ह औि उसक अनस ि आचिण किन की जवजध तीसि अधय य

म बत ई गई ह | ऐस कहन क यह अथक नही ह जक िसि अधय यो की मजहम कम ह | व सतव म

एक अधय य क अपन महततव अलग ही ह | जवनोब न गीत क lsquoगीत ईrsquo अथ कत lsquoगीत -म त rsquo

गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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कहकि पक ि ह | उनहोन उसक बहत ही सिल औि ओिसवी मि ठी म पदय नव ि जकय ह |

उसक छाि िी वही िख ह िो मल सासकत म ह | हि िो क जलए गीत ही सचची म त ह कयोजक

वह कजठन इयो म स ातवन -रपी पौजषटक िध िती ह | मन उस अपन आधय जतमक कोश कह ह

कयोजक िख म म उसस किी जनि श नही हआ ह | इसक अजतरिि यह ऐसी पसतक ह जिसम

स मपरि जयकत औि ध जमकक अजधक िव ि क न म िी नही ह | यह मनषय-म तर को परिण िती ह |

म गीत को जकलषट पसतक नही म नत | जनसािह पाजितो क तो िो चीि िी ह थ पड़ ि य उसी म व

गहनत िख लत ह पिता मिी सममजत म स ध िण बजद क मनषय को िी गीत क सिल सािश को

समझ लन म कोई कजठन ई नही होनी च जहए | इसकी सासकत तो अतयात सिल ह | मन गीत क

कई अागरज़ी अनव ि पढ़ ह पिात एिजवन आिनॉलि क छननि नव ि की तलन क एक िी नही ह |

इसक न म िी उनहोन lsquoसवगीय गीतrsquo बहत सकसदर औि उपयि िख ह |

११ जिसाबि १९३९

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
Page 27: गीता की महिमा · गीता की महिमा  Page 1 प्रकाशकीय. ăÚतrत पÚतक a¨ गor ांधqिq कx गqतo -

गीता की महिमा

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११

गीता और रामायण

बहति नौिव न कोजशश कित हए िी प प स बच नही प त जिसस व जहममत खो बठत ह

औि जफि जिन-जिन प प की गहि ई म उतित ि त ह | बहति त ब ि म प प ही को पणय िी म नन

लगत ह | ऐसो को म बहत ब ि सल ह ित ह जक व गीत िी औि ि म यण क ब ि-ब ि अधययन

औि मनन कि लजकन व इस ब त म जिलचसपी नही लत | इसी तिह क नौिव नो की जिलिमई क

जलए उनह धीिि बाधन की गिि स एक नौिव न क पतर क कछ जहसस िो इस जवषय स साबाध

िखत ह नीच ित ह |

lsquolsquoमन स ध िणत सवसथ ह जका त िब कछ जिनो तक मन जबलकल सवसथ िह चकत ह औि

खि इस ब त क खय ल हो आत ह तो जफि स पछ ड़ ख नी ही पड़ती ह | जवक ि इतन िबिकसत

बन ि त ह जक उनक जविोध किन म बजदम नी नही म लम पड़ती लजकन ऐस समय पर थकन गीत -

प ठ औि तलसी-ि म यण स बड़ी मिि जमलती ह | ि म यण को एक ब ि पढ़ चक ह िब ि सती

की कथ तक आ पहाच ह | एक समय थ िब ि म यण क न म सनत ही िी घबि त थ लजकन

आि तो उसक पनन-पनन म िस प िह ह | एक ही पषठ को प च-प च ब ि पढ़त ह जफि िी जिल

ऊबत नही | क ग-िशणििी की जिस कथ क क िण मि जिल म तलसी-ि म यण क परजत घण पि

हो गई थी औि वह बिी लगती थी वही आि सबस अचछी म लम होती ह | उसम म गीत क ११व

अधय य स िी जय ि क वय िख िह ह | िो-च ि स ल पहल आध जिल स सवचछत प न की

कोजशश किन पि िी उस न प कि िो जनि श पि होती थी आि उस जनि श क पत िी नही ह

उलट मन म जवच ि आत ह जक िो जवक स अनात कल ब ि होनव ल ह उस आि ही प लन क

हठ किन मखकत ह सि जिन म क तत समय औि ि म यण क अभय स कित समय आि म जमलत

ह|rdquo

इस पतर क लखक म जितनी जनि श औि जितन अजवशव स थ श यि ही जकसी िसि

नौिव न म उतनी जनि श औि उतन अजवशव स हो | िोनो न उसक शिीि म घि कि जलय थ लजकन

आि उसम जिस शरद क उिय हआ ह िो लोग अपनी इजनदरयो को िीत सक ह उनक अनिव पि

ििोस किक लगन क स थ ि म यण आजि क अभय स किनव ल क जिल जपघल जबन िह ही नही

सकत | म मली जवषयो क अभय स क जलए िी िब हम अकसि बिसो तक महनत किनी पड़ती ह

गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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कई तिकीबो स क म लन पड़त ह तो जफि जिस जवषय म स िी जिनिगी की औि उसक ब ि की

श ाजत क िी परशन जछप हआ ह उस जवषय क अभय स क जलए हमम जकतनी लगन होनी च जहए इस

पि िी िो लोग थोड़-स-थोड़ समय औि धय न िकि ि म यण तथ गीत म स िसप न किन की

आश िखत ह उनक जलए कय कह ि य

ऊपि क पतर म जलख ह जक पतर-लखक को िस ही अपन तािरसत होन क खय ल आत ह

जवक ि जफि स चढ़ िौड़त ह | िो ब त शिीि क जलए ह उस मन क जलए िी ह | जिसक शिीि

जबलकल चाग ह उस अपन अचछपन क खय ल किी आत ही नही न उसकी कोई िरित ही ह

कयोजक तािरसती तो शिीि क सवि व ह | यही ब त मन को िी ल ग होती ह | जिस जिन मन की

तािरसती क खय ल आव समझ ल जक जवक ि प स आकि झ ाक िह ह | अत मन को हमश सवसथ

बन य िखन क एकम तर उप य उस हमश अचछ जवच िो म लग य िखन ह ही ह | इसी किण

ि मन म आजि क िप की ब त की शोध हई औि व ग य गए | जिसक हिय म हि घड़ी ि म क

जनव स हो उसपि जवक िो क हमल हो ही नही सकत | सच तो यह ह जक िो शद बजद स ि मन म

क िप कित ह समय प कि ि मन म उसक हिय म घि कि लत ह | इस तिह हिय-परवश होन क

ब ि ि मन म उस मनषय क जलए एक अिदय जकल बन ि त ह | बि ई बि ई क खय ल कित िहन

स नही जमटती | ह अचछ ई क जवच ि किन स बि ई िरि जमट ि ती ह | लजकन बहत ब ि िख

गय ह जक लोग सचची नीयत स उलटी तिकीब क म म लट ह |

lsquoयह कस आई कह स आई-वगि जवच ि किन स बि ई क धय न बढ़त ि त ह | बि ई

को मटन क यह उप य जहासक कह ि सकत ह | इसक सचच उप य तो बि ई स असहयोग

करन ह ई | िब बि ई हम पि आकरमण कि तो उसस lsquoि ग ि न rsquo कहन की कोई िरित नही | हम

तो यह समझ लन च जहए जक बि ई न म की कोई चीि ह ही नही औि हमश सवचछत क अचछ ई

क जवच ि कित िहन च जहए | lsquoि ग ि rsquo कहन म िि क ि व ह | उसक जवच ि तक न किन म

जनिित ह | हम सि यह जवशव स बढ़त िहन च जहए जक बि ई मझ छ तक नही सकती | अनिव

दव ि यह जसद जकय ि सकत ह |

१८ अपरल १९२९

गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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१२

राषटरीय शालाओ म गीता

एक साव िि त पछत ह जक कय ि षरीय श ल ओ ा म जहाि औि अजहाि सब ब लको को गीत

अजनव यक रप म जसख ई ि सकती ह िो स ल पहल िब म मसि म सफि कि िह थ मझ यह

िख क स थ कहन पड़ थ जक एक ह ईसकल क जहाि ब लक गीत स परिजचत न थ | इस तिह

गीत क परजत मि पकषप त सपषट ह | म तो च हत ह जक गीत न कवल ि षरीय श ल ओ ा म ही

बजलक परतयक जशकष -सासथ म पढ़ ई ि य | एक जहनि ब लक क जलए गीत क न ि नन शमक की

ब त होनी च जहए | मगि अजनव यकत क ब ि म मि आगरह कम हो ि त ह ख सकि ि षरीय

श ल ओ ा क साबाध म | यह सच ह जक गीत जवशव-धमक की एक पसतक ह जफि िी यह एक ि व ह

िो जकसी पि लड़ नही ि सकत | सािव ह कोई ईस ई मसलम न य प िसी इस ि व क जविोध

कि औि ब इजबल कि न य अवसत क ब ि म ऐस ही ि व पश कि | मझ िी ह जक जहाि कह

ि नव लो क जलए िी गीत की जशकष अजनव यक नही बन ि सकती ह | कई सीख औि िन अपन

आपको जहाि म नत ह मगि सािव ह व अपन ब लक-ब जलक ओ ा को अजनव यक रप स गीत क

पढ़ य ि न क जविोध कि | स ापरि जयक य ि तीय श ल ओ ा की ब त ही िसिी होगी | मसलन

एक वषणवश ल क जलए गीत को ध जमकक जशकष क अाग बन न मिी ि य म जबलकल उजचत होग

| परतयक सवतातर श ल को हक ह जक वह अपनी पढ़ ई क प ठयकरम सवया जनजित कि | मगि एक

ि षरीय श ल को तो सपषट मय कि ओ ा म िहकि क म किन पड़त ह | िह अजधक ि य हक म

िसताि िी नही होती वह ा अजनव यकत क िी परशन नही उठत | एक ख नगी प ठश ल म परवश

किन क कोई ि व नही कि सकत मगि यह म नी हई ब त ह जक ि षर क परतयक सिसय को ि षरीय

श ल म ि न क अजधक ि ह | अतएव एक िगह िो ब त परवश की शतक म नी ि यगी वही िसिी

िगह अजनव यक न होगी | वह जवशव-वय जपनी तो तिी होगी िब उसक परशासक उस िबिकसती िसिो

क गल न उतिक सवया अपन िीवन दव ि उसकी जशकष ओ ा को मतकरप िग |

१८ म चक १९२९

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
Page 30: गीता की महिमा · गीता की महिमा  Page 1 प्रकाशकीय. ăÚतrत पÚतक a¨ गor ांधqिq कx गqतo -

गीता की महिमा

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१३

अहिसा परमोधमथ

कनन शपपिक औि िसि सचच औि उतस ही ईस ई इागलि म यदो क जखल फ आनिोलन कि

िह ह | जिलली क lsquoसटटसमनrsquo न च ि लख जलखकि इस आनिोलन की बहि जनाि की ह | इस पतर

म अपन पकष-समथकन म िगवि गीत को िी घसीट ह

lsquolsquoअसल म जकरजियजनटी की व सतजवक जका त कजठन जशकष यही म लम पड़ती ह जक सम ि

को अपन शतरओ ा स लड़न च जहए पि स थ ही उनस परम िी किन च जहए | rsquorsquo

lsquolsquoजमसटि ग ाधी िी इस ब त पि ख सति स धय न ि जक गीत की िी स फ-स फ यही जशकष ह

| कषण न अिकन स कह ह जक जविय उस ही जमलती ह िो पणकतय जनिकि औि जनवि होकि लड़त

ह | सचमच इस मह क वय क जदवतीय अधय य न एक जववकशील यदजविोधी तथ एक सचच योद

क बीच सवोचच िजमक पि सोचन पि िी स ि जवव ि खतम कि जिय ह | सथ न ि व क क िण

हम उनम स अजधक उदिण तो नही ि सकत पि वह स ि क वय (गीत ) एक ब ि नही ब िाब ि पढ़न

की चीज़ ह | rsquorsquo

इन लखो क लखक श यि यह नही िनत जक आताकव जियो न िी इनही शलोको क हव ल

जिय ह | सचची ब त तो यह ह जक जनजवकक ि जचतत स पढ़न पि मझ तो िगवि गीत म इस लखक न

िो अथक लग य ह उसस ठीक जवपिीत अथक जमल ह | वह िल ि त ह जक पजिम क यद-जविोधी

जिस अथक म जववकशील ख ि त ह वस अिकन नही थ | अिकन तो यद क जहम यती थ | कौिवो

की सन स पहल वह कई ब ि लोह ल चक थ | उसक हट-पि तो तब ढील पड़ गय िब उसन

िोनो सन ओ ा को यद क जलए ट यि िख औि उनम अपन पय ि-स-पय ि सविनो तथ पजय गरिनो

को प य | न तो वह ा म नवत क परजत परम थ औि न यद क परजत घण ही थी जिसस पररित होकि

अिकन न कषण स व परशन पछ थ औि कषण िी ऐसी परिजसथजत म िसि कोई उतति ि ही नही सकत थ

| मह ि ित तो ितनो की एक ख न ह जिनम स गीत कवल एक जका त सबस अजधक ििीपयम न ितन

ह | जलख ह जक उस यद म ल खो योद एकतर हए थ औि िोनो तिफ स अवणकनीय अमनजषकत एा

बिती गई थी | इन ल खो की सन म स कवल स त को िीजवत िखकि तथ उनह वह जनस ि जविय

परि न किक इस मह क वय क अमि कजव न तो यद की जनिथ ककत ही जसद की ह जककसत यद को

कवल एक मखकत पणक धोख की चीि जसद किन क आल व िी मह ि ित एक उसस िी ऊ च

गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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सनिश हम ित ह | मनषय को अगि एक अमि पर णी समझ ि य तो मह ि ित उसक एक

आधय जतमक इजतह स ह औि इसक वणकन म एक ऐजतह जसक घटन क उसन उपयोगम तर जकय ह िो

ततक लीन छोट-स िगत क जलए तो बड़ी महततपणक थी पि आिकल की िजनय क जलए कोई िी

महतवपणक नही िखती | अनक आधजनक आजवषक िो क क िण आि तो यह स ि सास ि हथली पि

िख हए आावल क सम न म लम होन लग ह | उसक जकसी एक कोन म घटी हई घटन क असि िि-

िि तक सि सास ि म फ़ल ि त ह | यह ब त उस समय नही थी | हमि हियो म िो जिन-ित सत

औि असत क बीच सन तन साघषक चल िह ह मह ि ितक ि उस इस कथ नक दव ि एक अमि क वय

क रप म हम ि स मन परसतत कित ह | वह बत त ह जक यदयजप अनत म तो सतय ही की जविय होती

ह तो िी असत जकस तिह सशि होकि अतयात जववकशील परष को िी lsquoजका कतकवय-जवमढ़rsquo बन

ित ह | मह ि ित सि च ि क एक-म तर म गक िी हम बत त ह |

लजकन िगवि गीत क व सतजवक सनिश िो कछ िी हो श ाजत-सथ पन आनिोलन क

नत ओ ा क जलए तो गीत की जशकष नही ब ईजबल की जशकष महततव िखती ह कयोजक उसी को उनहोन

अपन आधय जतमक म गक-िशकक बन िख ह | जफि ब इजबल क वह अथक सवीक ि नही ह िो

स ध िनतय ईस ई धम कजधक िी लग त ह | उनह तो वह अथक मािि ह िो इसक शरद यि अनतकिण

स पढ़न पि म लम होत ह | असल म सबस महततवपणक चीि तो ह यद जविोजधयो क अजहास अथ कत

परम-धमकजवषयक जञ न | अजहास क अथक बहत वय पक ह | अागरज़ी क lsquoन न-व यलसrsquo शबि उसक

जलए जबलकल अपय कपत ह | lsquoसटटसमनrsquo क य लख यद-जविोजधयो क जलए एक ख सी चनौती ही ह

| मझ िख ह इस आनिोलन क जवषय म मझ पिी ि नक िी नही ह | यद-जविोजधओ ा क नििीक

िल ही मि जवक िो क जवशष महततव न हो पि िह तक मझ िीतिी ब तो क पत ह कछ लोग तो

िरि उसक खय ल किग कयोजक व िी अकसि मझस पतर-वयवह ि कित ह औि अब तो व एक

किम औि आग बढ़ गय ह कयोजक उनहोन रिचिक गरग की lsquoअहास की शजिrsquo न मक पसतक को

लगिग अपनी प ठयपसतक बन जलय ह | लखक (शरी गरग) क शबिो म यह पसतक अजहास क ि व

क िस जक म उस समझ ह प ि तय सास ि की ि ष म परजतप िन ह | इसजलए बगि जकसी परक ि

की िलील वगि जिय अगि म यह ा अजहास की सफलत की कछ शत तथ अपरकट अथक जलख ि तो

श यि धषटत न होगी |

१ अजहास पिमशरषठ म नव-धमक ह पशबल स वह अनात गन मह न औि उचच ह |

२ अनततोगतव वह उन लोगो को कोई ल ि नही पहाच सकती जिनकी उस परमरपी

पिमशवि म सिीव शरद नही ह |

गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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३ मनषय क सव जिम न औि समम न-ि वन की वह सबस बड़ी िकषक ह | ह वह मनषय

की चल-अचल समपजतत की हमश िकष किन क आशव सन नही िती ह ल जक अगि मनषय उसक

अभय स कि ल तो शसतरध रियो की सन ओ ा की अपकष वह इसकी अजधक अचछी तिह िकष कि

सकती ह | यही तो सपषट ह की अनय य स अजिकत समपजतत तथ िि च ि की िकष म वह िि िी

सह यक नही हो सकती |

४ िो वयजि औि ि षर अजहास क अवलाबन किन च ह उनह आतम-समम न को छोड़कि

प न सवकसव (ि षरो को तो एक-एक आिमी) गाव न क जलए तय ि िहन च जहए | इसजलए वह िसि

क मलको को हिपन अथ कत आधजनक स मर जयव ि स िो जक अपनी िकष क जलए पशबल पि

जनिकि िहत ह जबलकल मल नही ख सकत |

५ अजहास एक ऐसी शजि ह जिसक सह ि ब लक यव वद सतरी-परष सब ल सकत ह

बशत जक उनकी उस करण मय म थ मनषय-म तर म सिीव शरद हो | िब हम अजहास को अपन

िीवन-जसद ात बन ल तो वह हम ि सापणक िीवन म वय पत होन च जहए यो किी-किी उस पकड़न

औि छोड़न स ल ि नही हो सकत |

६ यह समझन एक िबिकसत िल ह जक अजहास कवल वयजियो क जलए ही ल िि यक ह

िन-समह क जलए नही | जितन वह वयजि क जलए धमक ह उतन ही वह ि षरो क जलए िी धमक ह |

५ जसताबि १९३६

गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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१४

गीताजी

मि जलए तो गीत िीजवत म ह क मधन ह | गीत क जनतय वचन नीिस लगत ह कयोजक

उसक मनन नही होत | हम िोि ि सत जिखनव ली म त ह इअस समझकि पढ़ तो नीिस नही

लगगी | हि िोि क प ठ क ब ि एक जमनट क जलए उसपि जवच ि कि ल | िोज़ ही कछ-न-कछ

नय जमलग | ह ा सापणक मनषय को उसम स कछ नही जमलग | पि जिसस जनतय कोई िोष हो ि त

हो उस उबिनवली यह गीत म त ह यह समझकि जनतय-प ठ स थक नही |

तमह गीत क सतत अभय स स सब जचात ओ ा स मि िहन सीखन ह | हम सबकी जफ़कर

िखनव ल ईशवि बठ ह | तब यह बोझ वयथक ही हम कयो धोत जफि हम तो अपन जहसस आय

हआ क म कित िहन ह |

जयो-जयो शरद बढ़गी तयो-तयो बजद बढ़गी | गीत तो यह जसख ती म लम िती ह जक

बजदयोग ईशवि कि त ह | शरद बढ़ न हम ि कततकवय ह | यह ा शरद औि बजद क अथक समझन

िहत ह | यह समझ िी वय खय किन स नही आती बजलक सचची नमरत क जवक स किन स आती

ह | िो यह म नत ह जक वह सबकछ ि नत ह वह कछ नही ि नत | िो म नत ह जक वह कछ

नही ि नत उस यथ समय जञ न पर पत हो ि त ह | िि हए घड़ म गाग िल ईशवि िी नही िि सकत

| इसजलए हम तो ईशवि क स मन िोि ख ली ह थ ही खड़ होन ह | हम ि अपरिगरहवरत िी यही

बत त ह |

गीत िी िो धमक जसख ती ह उस समझो औि उसक अनस ि अपन आचिण िखो |

गीत क मधयजबाि कय ह उसक जनिय कि लन | जफि परतयक शलोक क अथक िो अपन

िीवन म उपयोगी ह उसको आच ि म िखन | यह सबस बड़ी टीक ह औि यही गीत क सचच

अभय स ह | गीत क मधयजबाि अन सजि ही ह इसम थोड़ िी शक नही होन च जहए | िसि

जकसी क िण स गीत नही जलखी गई उसम कछ मझ िी शाक नही ह औि म तो यह अनिव स

ि नत ह जक वगि अन सजि क न मनषय सतय क प लन कि सकत ह न अजहास क | अन सि

गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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होन कजठन ह इसम सािह नही लजकन उसम आियक कय ह सतयन ि यण क िशकन किन म परिशरम

तो होन ही च जहए औि बगि अन सजि क यह िशकन अशकय ह |

lsquoमह िवि ईनीrsquo ि ग २ पषठ १९१ ३१ अकटबि १९३२

गीत क मखय जसद ात स असागत कोई ब त च ह िह िी जलखी हई हो मि मन उस श सतर

नही म नत | मि रढीगरसत जमतरो को आघ त न लग तो म अपन अथक औि अजधक सपषट किन

च हत ह | सि च ि क जवशवम नय मलतततवो को म श सतरपरम णय म नही म नत | श सरो क उददशय

इन मलततवो को उख ड़ फ कन नही विन इनह जटक य िखन ह औि गीत मि जलए सापणक ह इसक

क िण यह ह जक वह इन मलततवो क समथकन किती ह | इतन ही नही बजलक वह जकसी िी मलय पि

इनस जचपक िहन क जलए अचक क िण बत ती ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६० १७ नवाबि १९३२

इसजलए िगवि गीत म एक ही िगहिह lsquoश सतरrsquo शबि आत ह वह ा मन उसक अथक यह

नही जकय जक गीत क जसव कोई अनय गराथ य जवजधव कय बजलक इसक गराथ जकसी िीजवत

परम णित वयजि म मजतकम न होनव ल सि च ि ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquorsquo ि ग २ पषठ ४६१ १७ नवाबि १९३२

गीत िी क तीसि अधय य क प ाचव ा शलोक बहत ही चमतक रिक ह | िौजतकश सतरी बत

चक ह जक इसम बत य हआ जसद ात सवकवय पक ह | इसक अथक यह ह जक कोई आिमी एक कषण

िी कमक जकय जबन नही िह सकत | कमक क अथक ह गजत औि यह जनयम िि-चतन सबक जलए

ल ग ह | मनषय इस जनयम पि जनषक म ि व स चलत ह तो यही उसक जञ न औि यही उसकी

जवशषत ह | इसीकी पजतक म ईशोपजनषि क िो मातर ह | व िी इतन ही चमतक िी ह |

lsquoमह िवि ईनी ि यिीrsquo ि ग १ पषठ ३७४ २३ अगसत १९३२

आशरम की एक बहन न जलख ह ldquoगीत की बि य अनय पसतक पढन मझ जय ि अचछ

लगत ह | rdquo

गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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तन तो ऐसी ब त जलखी जक मझ पकौजड़य ख न अचछ लगत ह औि िोटी अचछी नही

लगती | जककसत जिसक शिीि ऐस हो ि य वह िोगी म न ि यग | जनिोगी क पट पकौजड़यो स

किी िि नही सकत | वह तो िोटी ही म ागग | इसी तिह गीत को समझ | अातपकट खलनपि तो

गीत अचछी लगगी ही | िबतक गीत अचछी नही लगती तबतक यह समझन च जहए जक कछ

कचच पन ह लजकन इसम मझ िसोइय क िी िोष तो ह ही | मन िो गीत ििी वह कचची थी

इसजलए तझ पची नही अब कय हो

गीत का ठ किन म समिण-शजि क क म ह िो सिल ह | गीत क िथ समझन म बजद क

क म ह | यह कजठन ह | इसस तमह िस नही जमलत जका त िब बजद क क म म िस जमलन लगग

तब अथक समझन की इचछ ि गगी इसजलए बजद क जवषयो म िस लन लगो |

मझ तो ऐस ही लगत ह जक मनषय कमक कित हआ ही सचची औि श शवत जचततशजद को

स ध सकग |

कमक जकए जबन जकसी को जसजद नही जमली | िो कमक आसजि जबन नही हो सकत हो व

सब तय जय ह |

जिस परक ि आलसय तय जय ह उसी परक ि अजत परिशरम तयजय ह | lsquoसमतवा योग उचयतrsquo

मन म िमत ही िहत ह |

ldquoत िो कछ िी कि वह मझ अजपकत किक मि जनजमतत किन | rdquo

ldquoिजि किोग तो जञ न तो पर पत होकि ही िहग | rdquo

ldquoजनषक म होकि कमक किो | rdquo

गीत -म त न इसक उतति तो जिय ही ह जक हम प प किन क जलए कौन पररित कित ह |

क म औि करोध हमस प प किव त ह | अपन जपछल समिणो स तम सब इस ब त को अनिव कि

सकोग |

गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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जचधीर१

ति पतर जमल | नय वषक तझ फल औि त औि अचछ सवक बन | गीत तन का ठ कि ली

अब उस हिय म उत ि | ऐस किन क जलए तझ उसक अथक समझन च जहए | lsquoअन सजि-योगrsquo की

परसत वन िस-बीस पढ़ ि औि जफि अथक समझन की कोजशश कि | उस समझन क जलए सासकत

क अभय स पढ़ | िस िी बन वस इस पि कि | नय वषक क यही ति वरत हो

२३ अपरल१९३१ ब प क आशीव कि

हम सब लोग िब किी बीम ि पड़त ह स धिणतय उसक पीछ न कवल आह ि-साबाधी तरटी

ही होती ह अजपत हम ि मजसतषक क ठीक-ठीक क म न किन िी होत ह | गीतक ि न सपषटत इस

चीि को िख औि स फ-स फ ि ष म सासक ि को इसकी ि मब ण औषजध बत य | इसजलए िब

किी कोई चीि तमह ि मजसतषक को हि न किती हो तो तमह गीत की मखय जशकष पि अपन धय न

कजनदरत किन च जहए औि अपन बोझ को उत ि फ कन च जहए |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ जिसाबि १९३०

ldquoजबन उपव स क पर थकन सािव नहीrdquo- यह कथन पणकतय सतय ह | यह ा उपव स को

वय पक अथक म लन च जहए | शिीि क उपव स क स थ-स थ सिी इजनदरयो क उपव स होन

आवशयक ह औि गीत म वजणकत lsquoअलप ह िrsquo िी शिीि क उपव स ह | गीत िोिन-जनगरह क

आिश नही िती बजलक अलप ह ि क जलए कहती ह | अलप ह ि सि चलन व ल उपव स ह |

अलपत क अथक ह जक कवल उतन ही िोिन जकय ि य जितन शिीि को उस सव क जलए

क यम िखन को पय कपत हो जिसक किन क जलए उसक जनम कण हआ ह | इसकी कसौटी पन इस

कथन म जमलती ह जक जिस परक ि सव ि क जलए नही बजलक शिीि की जनिोगत क जलए नपी-तली

म तर म औि जनजित समय पि औषजध क सवन जकय ि त ह उसी परक ि आह ि िी जकय ि य |

lsquoनपी-तली म तर rsquo म lsquoअलपत rsquo क ि व श यि अजधक अचछी तिह स आ ि त ह | आिनॉलि क

रप ातिण मझ समिण नही ह | पि िोिन लन ईशवि औि म नव क परजत प प ह | म नव क परजत

इसजलए जक पि िोिन किक हम अपन पड़ोजसयो को उनक ि ग स वाजचत कित ह | िगव न की

अथक-वयवसथ म कवल औषजधक म तर म परजतजिन सबको िोिन लन की गाि इश ह | हम सब-क-

गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

  • गीता की महिमा
    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी
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गीता की महिमा

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सब पि िोिन लनव ली ि जत क लोग ह | अनतपरवजतत स यह ि न लन जक औषजधक म तर कय

ह िगीिथ क म ह कयोजक म -ब प क जशकषण हम ऐस जमलत ह जक हम पट बन ि त ह | तब

िब हम अभयसत हो ि त ह हम पत चलत ह जक िोिन क उपयोग सव ि क जलए नही बजलक

अपन ि स क रप म अपन शिीि को क यम िखन क जलए होन च जहए | उस घड़ी स आनाि क

जलए िोिन कि क पतक औि सव-अजिकत सवि व क जवरद घमस न शर हो ि त ह | इसजलए

किी-किी पणक उपव स औि सिव आाजशक उपव स किन की आवशयकत होती ह | आाजशक

उपव स क अथक अलप ह ि अथव गीत क अनस ि-नप -तल िोिन लन ह | इस परक ि lsquoउपव स

क जबन पर थकन सािव नहीrsquo यह कथन वजञ जनक ह औि इसकी सच ई की पिीकष परयोग औि अनिव

क दव ि की ि सकती ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२६ िनविी१९३३

म गीत म त क सनिश को हिय म ध िण कर ग | यह जवलकषण म त ह | मि खय ल ह

तम ि नती हो की वह म त कहल ती ह | गीत क अथक ह गय | वह शबि जवशषण क रप म

lsquoउपजनषिrsquo क स थ परयि होत ह िो सतरीजलाग ह | गीत क मधन की ि ाजत ह िो सापणक इचछ ओ ा

की पजतक किती ह | इसीजलए वह म त कहल ती ह | अपन आधय जतमक िीवन को क यम िखन क

जलए हम जितन िध की आवशयकत ह उसक जलए अगि हम य चक िधमाह बचच की तिह म ग कि

तो वह अमि म त हम सापणक िध ि िती ह | उसम अपन ल खो बचचो को अपन अिसतर थनो स िध

िन की कषमत ह |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

२४ फिविी१९३३

गीत धमक क अनय यी परसननत पवकक जबन चीिो क क म चल न सीखत ह | गीत की

ि ष म इस जसथतपरजञ कहत ह क िण जक गीत म वजणकत सख औि िख सम न ह | जसथतपरजञ की

अवसथ सख-िःख स ऊा ची ह | गीत क िि न सखी होत ह न िखी औि िब ऐसी अवसथ

पर पत हो ि ती ह तब पीड़ आनाि जविय पि िय चयजत पर जपत जकसी की िी अनिजत नही होती |

lsquoब पि लटसक ट मीि rsquo

४ म चक१९३३

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    • परकाशकीय
    • अनकरम
    • १ गीता-माता
    • 2 गीता स परथम परिचय13
    • ३13गीता का अधययन
    • ४13गीता-धयान
    • ५13गीता पर आसथा
    • ६ गीता का अरथ13
    • ७13गीता कठ करो
    • 8 नितय वयवहार म गीता
    • ९भगवदगीता अथवा अनासकतियोग
    • १०13गीता-जयती
    • ११13गीता और रामायण
    • १२13राषटरीय शालाओ म गीता
    • १३अहिसा परमोधरम
    • १४13गीताजी