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ेणी- । िजनका पुनवास तकाल �कए जाना अपेि�त हो यानी एक वष के अंदर। ेणी- ।। िजह� �नगरानी के अंतगत रखे जाना अपेि�त है और कायम आहार पर इनको पुनवास हेतु �लए जाना हो। ुप- । पुल� के �लए �डेस के �चह (I) फाउंडेशन : - फाउंडेशन का सेटलम�ट, पाइपर/ एबटम�ट के आसपास गहर� मँजाई ( Scour) (II) पायर और एबटम�ट मेजनर� क�शंग , टाइड (Tilled) पायर और एबटम�ट, एबटम�ट/ पायरम� चौड़ दरार तथा मेजनर� क�शंग। (III) बैड (bed) लॉक, बेय�रंग : �हले हुए/ �वथा�पत/ दरार पड़े बैड लॉक, बेय�रंग म� दरार या अय कोई खराबी। (IV) आच : आच म� आड़� दरार और ेक आचय म� आड़ापन (t ranskerse)आच म� खराबी आना, आच �रंग म�ट/ प थर का हटना। (V) �व�वध : ीेड कं �ट/ ट�ल गडर के क � बर म� ोे�सव लॉस, र�इफोसड कं �ट/ ीेड कं�ट म�बर म� चौड़� दरार �। ट�ल गडर क� लोड �बय�रंग के म�बर� म� दरार/ भार� जंग लगना। कमजोर/ जंगत कमजोर/ जंग लगी/ ेड पाइल� �वशेषकर ढलवां लोहा ू पाइप और �रवर कनै�पंगा । ुप ।। पुल� के �लए �डेस के �चह: - (i ) अबटम�ट ायर, �वंग बॉल और �रटन बॉल : - �रटन बॉल/ �वंग बॉल म� ेक, �रटन बॉल/ �वंग वाल म� मैजनर� का हक� सा झुकाव/ उभार (bul gi ng) पथर/ �ट मेजनर� म� पता लगने वाली �वकृ �त (ii) चाप : चाप अबटम�ट और पर म� चौड़� आड़� दरार �, चाप क� पैरापेट म� दरारा लीन/ उभार तथा चाप बैरल से पैल का उभाड़ अथवा अलग होना (iii) �व�वध : - बीम और लैब म� कं�ट के �हजे (पै �लंग) और �कसी भी वाइंट पर 20 �तशत से उपर के लूज �र�वट तथा पुल के �हस� म�कसी भी कार क� अया�धक कंपन का पता लगाना। ेणी �नर�ण अव�ध I (a) �नर�क (संब) माह म� एक बार (b) सहा. इंजी�नयर या एबीइ माह म� दो बार (c) मंडल इंजी�नयर या व�र. इंजी तीन माह म� एक बार II (a) �नर�क (संब) तीन माह म� एक बार (b) सहा. इंजी�नयर या एबीइ छ: माह म� एक बार

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  • श्रणेी-। िजनका पनुवार्स तत् काल �कए जाना अपेि�त हो यानी एक वषर् के अंदर।

    श्रणेी-।। िजन् ह� �नगरानी के अंतगर्त रखे जाना अपेि�त है और कायर्क्रम आहार पर इनको पुनवार्स हेतु �लए जाना

    हो।

    ग्रुप-। पुल� के �लए �डस् टे्रस के �चन् ह

    (I) फाउंडेशन :- फाउंडेशन का सेटलम�ट, पाइपर/ एबटम�ट के आसपास गहर� मँजाई (Scour) (II) पायर और एबटम�ट – मेजनर� क� ब्र�शंग , टाइल् ड (Tilled) पायर और एबटम�ट, एबटम�ट/ पायर�

    म� चौड़ दरार तथा मेजनर� क� क्र�शंग।

    (III) बैड (bed) ब् लॉक, बेय�रंग : �हले हुए/ �वस् था�पत/ दरार पड़े बैड ब् लॉक, बेय�रंग म� दरार या अन् य कोई खराबी।

    (IV) आचर् : आचर् म� आड़� दरार और के्रक आचयर् म� आड़ापन (t ranskerse)आचर् म� खराबी आना, आचर् �रंग म� �ट/ पत् थर का हटना।

    (V) �व�वध : प्रीस् टे्रस् ड कंक्र�ट/ स् ट�ल गडर्र के क� बर म� प्रो ग्रे�सव लॉस, र�इन् फोसर्ड कंक्र�ट/ प्रीस् टे्रस् ड कंक्र�ट म�बर म� चौड़� दरार�। स् ट�ल गडर्र क� लोड �बय�रंग के म�बर� म� दरार/ भार� जंग लगना।

    कमजोर/ जंगग्रस् त कमजोर/ जंग लगी/ ब्रेक् ड पाइल� �वशेषकर ढलवां लोहा कू्र पाइप और �रवर क�

    स् नै�पंगा ।

    ग्रुप ।। पुल� के �लए �डस् टे्रस के �चन् ह:-

    (i ) अबटम�ट प्रायर, �वगं बॉल और �रटनर् बॉल :- �रटनर् बॉल/ �वंग बॉल म� के्रक, �रटनर् बॉल/ �वंग वाल म� मैजनर� का हल् क� सा झुकाव/ उभार (bul gi ng) पत् थर/ �ट मेजनर� म� पता लगने वाली

    �वकृ�त

    (i i ) चाप : चाप अबटम�ट और पत् थ् र म� चौड़� आड़� दरार�, चाप क� पैरापेट म� दरारा लीन/ उभार तथा चाप बैरल से स् पनै् ड्रल का उभाड़ अथवा अलग होना

    (i i i ) �व�वध :- बीम और स् लैब म� कंक्र�ट के �हज् जे (स् पै�लंग) और �कसी भी प् वाइंट पर 20 प्र�तशत से उपर के लूज �र�वट तथा पुल के �हस् स� म� �कसी भी प्रकार क� अत् या�धक कंपन् न का पता

    लगाना।

    श्रणेी �नर��ण अव�ध I (a) �नर��क (संबद्ध) माह म� एक बार (b) सहा. इंजी�नयर या एबीइ माह म� दो बार (c) मंडल इंजी�नयर या व�र. इंजी तीन माह म� एक बार II (a) �नर��क (संबद्ध) तीन माह म� एक बार (b) सहा. इंजी�नयर या एबीइ छ: माह म� एक बार

  • (c) मंडल इंजी�नयर या व�र. इंजी वषर् म� एक बार

    (d) संवेदनशील स् थ् ल: रेल पथ, पुल�, आ�द म� �चिन्हत ऐसे संवेदनशील स् थल जहॉ ं �व�नमार्ण के साथ् -साथ ्

    प्राकृ�तक दशाओं क� कारण ् �वफलता होने क� संभवना बनी हो◌ा वे स् थल ऑ�फस म� सचूीबद्ध और सुरि�त रख�

    जात� है। ऐसे स् थल� का तत् काल �नर��ण �कया जाए। अत् या�धक प्र�तकुल दशाओं के मामल� म� �कसी◌ा प्रकार क�

    ��त क� जॉचं करने के �लए इन स् थल� क� �नय�मत �नगरानी रखी जाए।

    मानसून पूव�पाय :-

    (I) �प�चंग स् टोन, बाउल् डर के �रजवर् स् टाफ तथा अन् य मानूसन �रजवर् के स् थन� और मात्रा को

    अपे�ानुसार �नयत �कया जाए और स् टाक सु�नि�त �कया जाए।

    (II) लदान �कए गए वैगन� म� या स् टैक (चटटो) म� �न�दष् टर् स् थान िस्थत मानूसन क� शुभारम् भ स ेपहल े

    इनके स् टॉक �कए जाने क� व् यवस् था क� जानी चा�हए।

    (III) आरि�त स् टाक का उपयोग न कर� �सवाए आपातकाल म�, जहॉ ंइसका उपयोग है वहॉ ंइसक� प्र�तपू�त

    क� जाए।

    (IV) बचाव काय� और पुल के �नकट एच.जी.एल. से ऊपर उपयुक् त स् थल� पर पुल� म� उपयोग हेतु �रजवर्

    को सुरि�त रख�।

    (V) �प�चंग स् टोन, बाडल् डर और मॉनसून �रजवर् क� वा�षर्क �ववरणी प्रस् तुत क� जाए। �रजवर् म� कमी या

    व�ृद्ध के �लए अनुशंषा स�हत वषर् के दौरान संक�लत या छोड़े गए प्र�श�ण� का एक �ववरण संलग् न

    �कया जाए।

    (VI) अ�धकतर मामल� म�, या थाशीघ्र यथासंभव, स् थाई �नवारक उपाए �कए जाए और खच� से बचे अथवा

    कम-से-कम �कया जाए।

    प्र.सं.(7) �कन् ह�ं दस पर संि�प् त �टप् प् णी �लख� :

    अ�धक अन् न उगाएं अ�भयान – रेलपथ के पास पड़� अ�तरेक भू�म को रेल कम� ग्रुप ‘ड�’ स् टाफ

    को कम प्रभार म� अवश् य द� जाए िजनक� सेवा�नव�ृत का समय पॉचं वषर् से कम का रह गया हो। स् थान और

    �ेत्र स�हत एक बोडर् प्रद�शर्त �कया जा सकता है। इस आशय क� प्र�व�� को सेवा पुिस्तका म� दजर् क� जाए।

    सेवा�नव�ृत के दौरान जीएमएफ क� सभी देनदा�रय� का िक्लयर�स �कया जाए।

    कैच साइ�डंग :- उच् च ग्रडे के �लए साइ�डंग म� टे्रक् / इंजन क� सुर�ा के �लए पवर्तीय �ते्र म� इसे बनाया जाता

    है।

    अस् पताल छुट्ट� सु�वधा :- (।) ग्रुप ‘ए’ और ग्रुप ‘बी’ के अलावा रेल क�मर्य� को अस् पताल छुट्ट� प्रदान क�

    जा सकती है बशर्ते �कसी बीमार� या घायल के �लए �च�कत् सा उपचार के अधीन हो तथा सरकार� ड्यूट� के

    दौरान सीधे जोिखम� के कारण ऐसे रोग या घायलवस् था के संबंध म� (2) अस् पताल छुट्ट� �कसी अ�धकृत

  • �च�कत् सा प�रचारक �ारा जार� �च�कत् सा प्रमाण-पत्र प्रस् तुत करने पर प्रदान क� जाएगी। (3) (ए) अस् पताल

    छुट्ट� उस अव�ध के �लए प्रदान क� जा सकती है जहॉ ंअनुमतोदन प्रा�धकार� वेतन छुट्ट� पर �वचार करना

    आवश् यक समझ� :- जो वेतन छुट्ट� के बराबर है जब�क इस प्रकार क� छुट्ट� क� �कसी अव�ध के पहले 120

    �दन� के �लए औसत वेतन छुट्ट� हो और ऐसी छुट्ट� क� शेष अव�ध के �लए अधर् वेतन छुट्ट� के दौरान वेतन

    छुट्ट� के बराबर (बी) महाप्रबधंक �ारा अस् पताल छुट्ट� �कसी रेलकम� को असी�मत रूप से द� जा सकती है

    (4) अस् पताल छुट्ट� को छुट्ट� खाते से डे�बट क� जाएगी और अन् य प्रकार क� छुट्ट� के साथ जोड़ा जा सकता

    है जो स ् वीकायर् हो बशर्ते इस प्रकार के संयोजन के बाद कुल छुट्ट� क� अव�ध 28 माह स ेअ�धक नह�ं हो।

    �टप् प् णी :- य�द रेलकम� िजस पर कमर्वार प्र�तप्र�तर् अ�ध�नयम (डब् ल् यू.सी. एक् ट), 1923 लागू होगा वहॉ ं

    अस् पताल छुट्ट� के दौरान देय वेतन छुट्ट� को इस -----अ�ध�नयम क� धारा 4 (1) (ए) के तहत देय प्र�तपू�तर्

    राशी से कम कर �दया जाएगा।

    काप�रेट उपक्रम ग्रुप और इसक� कम् पोिजशन तथा इसके प्रकायर्

    रेलवे कायर्�नष् पादन म� सुधार लाने के �लए टे्रड यू�नयन, उ�ोग और यात्री संघ� थे प्र�त�न�धय� से और रेलवे क�

    कायर्प्रणाली संबंधी इनक� वास् त�वक समस् याओं को समझने के दृ��काण से कुछ प्रबुद्ध अथर्शाि�य� से भी

    समीचीन सुझाव आमं�त्रत �कये जाऍ।ं इन लाभप्रद चचार्ओं के बाद म� रेलवे क� प्रशास�नक मशीनर� को सह�

    मागर् पर लाने क� सोच रहा हँू और यात्रीगण�, �वशेषकर �तीय श्रणेी के या�त्रय� के �लए बेहतर सु�वधाओं का

    प्रावधान करना।

    �नयं�त्रत कंक्र�ट:- इसम� �डजाइनर �ारा �व�न�दर्ष् ट कं क्र�ट के अनुपात� का �मश्रण है �कंतु �मश्रण अनुपात

    कंक्र�ट के उत् पादक �ारा �नधार्�रत �कया जाता है �सवाय न् यूनतम सीम�ट कंटेन् ट िजस �नधार्�रत �कया जा

    सकता है। अ�धक या कम �व�शष् ट �वशेषताओं को ध् यान म� रखते हुए �व�शष् ट सामग्री के साथ �मश्रण स े

    समानुपात� के चयन म� यह अत् या�धक तकर् संगत दृ��कोण है। इस दृ��कोण के फलस् वरूप उ�चत �वशेषताओं

    स�हत अत् य�धक �कफायत रूप म� कंक्र�ट का उत् पादन होगा तथा�प इस प्रकार का �डजाइ�नंग �मक् स गाइड के

    तौर पर कायर् नह�ं करता चँू�क यह �नधार्�रत �नष् पादन के �लए सह� �मश्रण अनुपात क� गारंट� नह�ं देता है।

    अत् यावश् यकता का प्रमाण-पत्र:- केवल �नम् न कायर् क� श्रिेणयॉ ंिजस पर साधारण �नयम� के अंतगर्त प्राकूलन

    अनुमो�दत करने वाले स�म प्रा�धकरण के अनुमोदन क� प्रा�� से पहले व् यय अथवा देनदार� क� जा सकती है:-

    जीवन या संप�� के बचाव या बाढ़, दघुर्टना, या अन् य अप्रत् या�शत घ् टनाओं के कारण ��तगस् त लाइन� क�

    मरम् म�त संबंधी काय� क� अत् यावश् यकता पर �वचार �कया जाता है ता�क संपूणर् संचार को बहाल अथवा

    अनुरि�त रखा जा सक� । उपरोक् त पैरा म� श्रणेी (।) के संबधं म� मंडल इंजी�नयर कायर् को आरंभ करने के �लए

    अ�धकृत कर सकता है �कंतु उ�चत माध् यम से कायर् का प्रशास�नक अनुमोदन देने वाली स�म प्रा�धकार� क�

    एक �रपोटर् तुरंत प्रस् तुत क� जाए और अपिे�त धनरा�श आंव�टत क� जाए। यह �रपोटर् िजसे ‘अत् यावश् यकता

    प्रमाण-पत्र’ या ‘अत् यावश् यकता �रपोटर्’ के नाम सेा भी जाना जाता है (प्रपत्र-ई 1104) इसम� �नम् न उिल्लिखत

    है :

  • (i) कायर् का ब् योरा

    (ii) आरम् भ करने क� �त�थ

    (iii) प�रिस्थ�त िजसके कारण कायर् को इस श्रणेी के अंतगर्त रख गया है।

    (iv) कैलक् यूलेशन के अबस् टे्रन् ट वाले एनक् लोजर स�हत कायर् क� अ�धकतम संभा�वत लागत तथा,

    (v) िजस �त�थ तक लागत का �वस् ततृ प्राकल् लन प्रस् तुत �कया जाएगा। इसी दौरान मंडल इंजी�नयर इस

    �रपोटर् क� एक प्र�त प्र�षत कर�।

    स् टाक शीट और ओवरहॉ�लंग क� �रपोटर् :- स् टाक सत् यापन �ारा स् टाक सत् यापन के दौरान ग्राउंड बैल�स और

    बह�-खाता बैल�स के अंतर के आशय क� एक समर�शीट आथार्त ्स् टाक शीट तैयार कर�। स् टाक सत् यापन के बाद

    आइ.एस.ए. बह�-खाते िजसे ओवरहॉ�लंग �रपोटर् भी कहते है के प्रत् येक मद क� जार� और �रलीज क� गई मात्रा

    क� उ�चत जॉचं कर�।

    ब् याना रा�श और प्र�तभ�त जमा :-

    1. (ए) �न�वदाकतार् �ारा �न�वदा शात� के अंतगर्त यथ�व�न�दर्ष् ट �त�थ तक प्रस् ताव खोले जाने तक क�

    �नधार्�रत अव�ध स�हत उ�चत �नष् पादन के �लए �न�वदा स�हत धरोहर रा�श जमा करना अपेि�त होगा। ब् याना

    रा�श �नम् नानुसार होगी :- �कसी कायर् क� ब् याना जमा रा�श :- (ए) एक करोड़ रूपया के अनुमा�नत कायर् के �लए

    अनुमा�नत लागत का 2 प्र�तशत (बी) रू 1 करोड़ से अ�धक क� अनुमा�नत लागत के अ�तरेक का ½ प्र�तशत

    (आधा प्र�तशत) जो अ�धकतम 1 करोड़ तक के �लए है। ब् याना रा�श को �नकतम रू 10 म� पूणा��कत �कया

    जाएगा। ब् याना रा�श �न�वदा के सभी तक�क� के �लए लाग ूहोगी (एफ) ये �व�दत होगा �क �न�वदाकतार् को �न�वदा

    प्रल् लेख बेचे/ जार� �कए गए है और �न�वदाकातार् को स् वयं के अनुसार �नधार्�रत अव�ध।

    अपनी �न�वदा प्रस् तुत करने के बाद �न�वदाकार अपने प्रस् ताव से न हटेगा या �नयम व शत� को न ह�

    आशो�धत करेगा जो पद्ध�त इंजी�नयर के �लए स् वीकायर् न हो। य�द �न�वदाकार उक् त शत� का अनुपालन या

    अनुसरण करने म� �वफल रहता है तो उपरोक् त रा�श रेलव े�ारा जब् त क� जाएगी।

    (सी) य�द उनक� �न�वदा स् वीकृत क� जाती है तो उक् त उप �नयम (ए) म� विणर्त इस ब् याना रा�श को ठेका क�

    सामान् य शत� के उप�नयम 16 के अनुसार ठेका को उ�चत प्र�तद्धताओं को पूरा करने के �लए प्र�तभू�त रा�श के तौर

    पर रख जाएगा। अन् य �न�वदाकार� क� ब् याना रा�श जो सरुि�त रखी गई थी, उन् ह� वा�पस �कया जाएगा, �कन् तु

    रेलवे इसके �कसी प्रकार क� हा�न या अवमूल् यन के �लए िजम् मेवार नह�ं होगा, न ह� इस पर कोई ब् याज देगा।

    कलेन् डर है�मल् टन स् पैन :- आधु�नक �दन� का प्रीफेब्रीकोट� पेनल/ फ्लोर बीम/ डेक प्रणाली सबसे पहले ए.एम.

    है�मल् टन ने 1935 म� शुरू क� थी। ऐसे पुल दगूर्म स् थल� पर सैन् य पहँूच को शीघ्र जुटाने के �लए अनुमान �कए

    जाते थे अथवा सघंषर् के समय �वनष् ट हुए पुल� को बदलने के �लए �कया जाता था। इसका �डजाइन गुसेट

    (Gusset) प् लोट� क� श्रृखंला पर कंिन्द्रत होता था इससे अनुलम् ब (लांगीट्यूड�नल) , �तरछा (डायग् नोल), लम् बवत ्

    (व�टर्कल) और क्रॉस फे्र�मंग �हस् सो को सीधे जोड़ता है। प् वाइंट के कनेक् शन के सेन् ट्रलाइिजंग से �नमार्ण क� ग�त

  • म� व�ृद्ध होती है और समरूपी �हस् स� स ेसमरूप पैनल� को भी फेब्रीकेट �कया जा सकता है इसके बाद उन् ह� साइट

    पर इन् सटाल �कया जाता है वतर्मान म� इस प्रणाली को ‘ ’कलैन् डर है�मल् टन प्रणाली’’ से जाना जाता है।

    स् पैन के दघुर्टना, बाढ़ या दशुमन क� कारर्वाई के कारण ��तग्रस् त मानक स् पैन के स् थान पर यथासंभव यथा शीघ्र

    लम् बे स् पैन बनाने के उदे्दश् य से �डजाइन �कया जाता है। इनका प्रयोग मल् ट�पल स् पनै के बह जाने और नद� �कनारे

    पर अस् थाई उप-संरचना बनाने के कोई अवसर न होने क� िस्थ�त म� भी �कया जाता है।

    समापन �रपोटर् :- समापन क� सूचना प्राप् त होने पर तुरंत कायर् पिंजका का रख-रखाव करने वाला �ल�पक प्रपत्र स े

    डब् ल् यू 1469 म� एक समापन �रपोटर् तैयार कर� । वास् त�वक व् यय� का आंकड़� के साथ-साथ अनुमा�नत रा�श इसी

    �ववरण म� दशार्ई जाए जैसा प्राक् कलन तैयार करने से पहले यहा देखा जाए �क (1) क् या प्राक् कलन के �ववरण

    उपशीष� के अंतगर्त सभी प्रभार बुक �कए गए है और (2) क् या �रलीज क� गई सामग्री के �लए के्र�डट को

    समायोिजत �कया गया है।

    पटर� के नवीकरण के �लए मानदंड :- पटर� नवीकरण के मानदंड के संबंध म� �नम् न पर �वचार �कया जाता है:-

    पटर� के फे्रक् चर/ �वफलता के मामल े

    पटर� क� टूट-फुट

    मानक �नधार्रण के �लए रेलपथ क� अनुर� णता

    ढोया गया सकल �म�लयन म� प्रत् या�शत सेवा जीवन

    योजना आधा�रत नवीकरण

    (9) पटर� का फे्रक् चर/ �वफलता के मामल े:- अल् ट्रासा�नक रूप से पाए गए फे्रक् चर और / या पटर� म� ख् राबी

    के कारण प्र�त वषर् प्र�त 10 �क.मी. पर पटर� के पांच �वदड्रायल वाल ेसेक् शन �वशेष पर पटर� फे्रक् चर का समूह

    आइ.एम.आर. और आर.ई.एम. श्रणेी के अंतगर्त आते है, पटनी के नवीकरण के दौरान इन पर प्राथ�मकता द�

    जाएगी। �फश प् ले�टड/ वेिल्डंड ज् वाइंट िस्थत पटर� के फे्रक् चर क� प्रबल संभवता के मामल� म� बेिल्डंग स�हत या

    वेिल्डंग स�हत एन् ड क्रॉ�संग पर �वचार �कया जा सकता है।

    (ड�) पटर� क� टूट-फूट :- (1) सेक् शन का �ल�म�टंग लॉस :- पटर� नवीकरण संस् तुत करने के �लए रेल सेक् शन

    म� �ल�म�टंग लॉस बतौर मानदंड �नम् नानुसार होगा:-

    गेज पटर� सेक् शन सेक् शन म� हा�न प्र�तशत म�

    बड़� लाइन 52 �क.ग्रा./ मी. 6

    90 आर 5

    ज् वाइंट� को अन�फट करने के बाद एन् ड्स पर पटर� प्रोफाइल लेते हुए वास् त�वक तोल-भर �ारा पटनी क� टूट-फूट

    �नधार्�रत क� जा सकती है और �वशेष प्रोफाइल मानक गजे तो स�हत पटर� प्रोफाइल �लया जाए।

  • (i ) सं�रण के कारण टूट-फूट :- वेव और फुट म� 1.5 �म.मी. से अ�धक के सं� रण को सं� रण के कारण होने

    वाला टूट-फूट के �लए मानदंड के तौर पर �लया जा सकता है। लोकलाइज् ड सं� रण जैसे सं� रण �पट

    �वशेष् त: फुट के अंडरसाइड पर, को कट�ण के्रक शुरू होने को स् टे्रस रोजर के तौर कायर् करता है। अनुलंब

    टूट-फूट क� दरार िजसका नवीकरण �कए जाना �नयोिजत �कया जाता है को नीचे �दया गया है:-

    गेज पटर� सेक् शन व�टर्कल (अनुलंब) टूट-फूट

    बड़� लाइन 60 �क. ग्रा./ मी. 13.00 �म.मी.

    52 ,, ,, 08.00 ,, ,,

    90 आर ,, 05.00 ,, ,,

    मीटर ग◌े्ज 75 आर ,, 04.50 ,, ,,

    60 आर ,, 03.00 ,, ,,

    (1) समपार� क� गणना :-

    मानसून पेट्रो�लंग : सेक् शन िजनक� मानूसन के दौरान सामान् त: पेट्रो�लंग क� जाती है इनका मंडल

    इंजी�नयर �ारा �चिन्हत और अ�धसू�चत �कया जाएगा। मंडल इंजी�नयर, प्रत् येक ऐसे सेक् शन के �लए इसक� अव�ध

    �नधर्�रत करेगा। जहॉ ंमानूसन क� सामान् य पेट्रो�लगं क� जानी है और �नधार्�रत �त�थय� पर इन अ�धसू�चत सेक् शन�

    पर पेट्रो�लंग (�नगरानी) शुरू क� जाए। स् थानीय प�रिस्थ�तय� के अनुसार सवर् संबं�धत� को �व�धवत ्सू�चत करते

    हुए संबंद्ध सेक् शन का रेलपथ �नर��क �नधार्�रत �त�थय� पर इन अ�धसू�चत सेक् शन� पर पेट��लंग आरंभ करेगा।

    पेट्रोल चाटर् तैयार करना :

    (1) अव�ध के दौरान समय-सारणी म� टे्रन समय पर �वचा करते हुए मंडल इंजी�नयर प्रत् येक सके् शन के �लए

    पेट्रोल चाटर् तैयार करेगा जहॉ ंमानसून पटे्रो�लंग क� जानी अपेि�त है । पेटे्रोल चाटर् तैयार करने के �लए शा�सत

    करने वाले �सद्धांत �नम् न ह�गे :-

    (ए) साधारण पेट्रो�लंग �संगल पेट्रोलम�न �ारा �कया जाएगा �कंतु ऐसे �ते्र जहॉ ं जंगली जानवर, डाकूओं से

    खतरा और घाट सेक् शन� म� अन् य जोिखम �व�मान हो तो वहॉ ंमुख् य इंजी�नयर के अनुमोदन स�हत जोड़� म� (पेयर

    म�) पेट्रो�लंग क� जा सकती है।

    (बी) सूयार्स् त और सूय�दय के बीच सभी यात्री गाि़डय� को संभा�वत अ�धकतम सुर�ा द� जाए।

    (सी) यथासंभव प्रत् येक ब् लाक सेक् शन को एक यू�नट माना जाएगा और लंबाई को बराबर बीट� म� बांट� जाएगी।

    प्रत् येक पटे्रोल क� लंबाई सामन् यत: 5 �क.मी. से अ�धक नह�ं होनी चा�हएा जहॉ ं ब् लॉक सेक् शन 10 �क.मी. स े

  • अ�धक है वहॉ ंमध् यवत� फ्लैग स् टेशन य�द कोई हो, या अन् य �कसी उपयुक् त प् वाइंट को मध् यवत� स् टेशन के तौर

    पर �नयत �कया जा सकता है ता�क बीट क� लंबाई को लगभग 5 �क.मी. तक रखा जा सके।

    (ड�) पेट्रोलम�न �ारा एक �दन म� सामान् यत: अ�धकतम तय क� गई दरू� 20 �क.मी. से अ�धक नह�ं हो।

    (एफ) लगातार बीट� के बीच कम-से-कम ½ घंटे क� �वश्राम अव�ध वांछनीय है।

    (जी) य�द टे्रन सेवाओं क� बारंबारता अ�धक है और पेट्रोलमैन का एक सेट सेक् शन म� सभी ट्रोन� को पूरा करने

    मे समथर् नह�ं है तो अतंराल कम करने के �लए पेट्रोलमैन का दसूरा सेट आरंभ �कया जा सकता है।

    (एच) सूयार्स् त और सूय�दय के बीच सभी पैस�जर टे्रन� को बेहतर सुर� प्रदान करने के �लए यह लाभदायक होगा

    �क सभी पैस�जर टे्रन� का �नधार्�रत मागर् प् लॉट �कया जाए और इसके बाद पेट्रोल मूवम�ट को इस प्रकार प् लाट करे

    ता�क बीट क� पेट्रो�लंग और टे्रन को पा�सज करने के बीच समय-अंतराल को कम-से-कम �कया जा सके।

    (10) समपार� क� गणना :-

    मानव स�हत समपार के मामल� म� वग�करण क� समी�ा करने के �लए कम-से-कम तीन साल म� एक बार� सभी

    समपार� मानवर�हत/ स�हत पर यातायात क� अव�धक गणना क� जाए तथा मानवर�हत समपार के मामल� म� इस े

    मानव स�हत करने क� आहवश् यकता है। कुल टे्रन वाहन यू�नट/ �दन (टे्रन यू�नट X वाहन यू�नट) प्राप् त करने के

    �लए साप् ता�हक गणना क� जाए। टे्रन मोटर वाहन, बैल गाड़� और घोड़ा गाड़� को एक यू�नट माना जाए, साई�कल

    �रक् शा/ ऑटो �रक् शा को आधी यू�नट माना जाए। गणना यातायात �नर��क, रेलपथ �नर��क और एस.आई. क�

    उपिस्थ�त म� यह गणना क� जाए।

    प्रशन 8. �नम् न पर संि�प् त �टप् प् णी �लख� :-

    (i ) पानी सीम�ट अनुपात

    (i i ) कंक्र�ट उपयो�गता

    (i i i ) माड्यूल् स क� शुद्धता

    (i v) कंक्र�ट क� क् वाट�रंग

    (v) िस्थर पानी का स् तर और पं�पंग पानी स् तार

    (vi ) उत् तर पानी सीम�ट अनुपात

    (i ) पानी सीम�ट अनुपात :- कंक्र�ट �मश्रण म� पानी के दो प्रकायर् होते है :-

    यह रासाय�नक अ�भक्रया को प्रशक् त करता है िजससे सीम�ट से�टंग और कठोरपन बना रहता है।

    प् लो�संग को सु�वधजनक बनाने के �लए यह सूखे कंक्र�ट को ल् यूश्रीकेट करता है।

    य�द पानी कम मात्रा �म�श्रत क� जाती है तो कंक्र�ट सह� नह� बनेगा जब�क पानी क� अ�धक

    मात्रा डाले जाने पर सीम�ट क� मात्रा को व् यथर् कर सकता है, प�रणामस् वरूप कंक्र�ट क� मजबूती को

    कम करेगा । अ�धकतम सघनता प्राप् त करने के �लए अपिे�त कायर्�मता स�हत पानी �व�शष् ट मात्रा

  • का प्रयोग करके ठोस और मजबूत कंक्र�ट प्राप् त �कया जा सकता हैा अत: पानी और सीम�ट �व�शष् ट

    अनुपात अपेि�त होता है। इस अनुपात म� कंक्र�ट अ�धक और द�घर्कालीन बना रहता है। इस अनुापात

    को पानी सीम�ट अनुपात से जाना जाता ह� और पानी/ सीम�ट अनुपात से दशार्या जाता है।

    (i i ) कंक्र�ट क� कायर् �मता :- कायर्�मता से आशय है कंक्र�ट िजसे आसानी से सह� रूप और आकार म�

    रखा जा सके। पानी क� मात्रा आकार का रूप और स�मश्रण क� ग्रे(aggorzal i ) ग्रे�डंग कंक्र�ट क� कायर्

    � मता को प्रभा�वत करती है। कंक्र�ट क� अपिे�त मजबूती और इसके प्रयोजन पर कायर्-�मता का

    स् तर �नभर्र करता है। अत: अ�धकतम संघनता प्राप् त करने के �लए अ�तरेक मात्रा क� आवश् यकता से

    बचने हेतु �नमार्ण के प्रकार और कंपेक् शन क� �व�ध के संबंध म� कायर् �मता पर अवश् य �वचार �कया

    जाए।

    (i i i ) मापांक क� शुद्धता :- �कसी सूचकांक सखं् या म� स�मश्रण का मापांक शुद्धता जो स�मश्रण म� कन का

    औसत आकार, दशार्ती है। मापांक शुद्धता मोटे तौर पर स�मश्रण म� कण के औसत आकार के

    सामनुपा�तक होती है। स�मश्रण िजतना अ�धक असमान होगा इतनी ह� अ�धक मापांक शुद्धता होगी

    और इसके �वपर�त इसका �नधार्रण �नम् न टेस् ट सीव (Si eve) के अपे� असमान सामग्री क� संचयी

    प्र�तशतता को जोड़कर �कया जाता है और इसे 100 से �वभािजत कर� । टेस् ट सीव 3.35 �म.मी. 2.36

    �म.मी., 1.8 �म.मी., 600 माइक्रॉन, 300 माइक्रॉन, 150 माइक्रॉन और 75 माईक्रान

    कंक्र�ट क� क् यू�रंग :- कंक्र�ट क� सतह पर नमी बनाए रख् ने के �लए कंक्र�ट क� क् यू�रंग आवश् यक है और कंक्र�ट

    का तापमान �नयं�त्रत रखा जाए। कंक्र�ट ठोस आरंभ होने के बाद आथार्त ्इसके �वछाए जाने के लगभग एक स ेदो

    घंटो के बाद bls xhys xUUkh cSx] feÍh ds lkFk

  • A. leikj ds izdkj%&

    jksM@jsy ;krk;kr vkoktkgh ds okY;we vkSj budh n`’;rk fLFkfr;ksa ds vk/kkj ij lM+d izkf/kdj.kksa ds lkFk ijke’kZ djds leikjksa dks fofHkUu Jsf.k;kssa esa oxhZd`r fd;k x;k gSA bUgs fuEukuqlkj

    oxhZd`r fd;k x;k gS%&

    dz-la- Lkeikj dk oxhZdj.k ekunaM 1 2 3 4 5

    ^fo'ks”k* Js.kh ^A* Js.kh ^B* Js.kh vkxs vkSj oxhZdj.k ^B1* Js.kh ^B2* Js.kh ^C* Js.kh ^D* Js.kh

    50]000 ls vf/kd Vh-oh-;w Vh-oh-;w 50]000 ls 30]000 vFkok ykbZu {kerk mi;ksx 80% vkSj lM+d okgu

  • VII. xsVeSu xsV dh {kfr lfgr lHkh vlkekU; ?kVukvksaa ls fudVre LVs’ku ekLVj vkSj jsyiFk fujh{kd dks voxr djk,xkA

    VIII. Vsªu dh ikfVaZx%& ;fn xsVeSu dks Vsªu vyx gksus ¼parted½ dk irk pys rks og MªkbZoj LVki gSaM flxuy ugh fn[kk;sxk ijarq fpYYkkdj] b’kkjksa ;k vU; fdlh lk/ku ls MªkbZoj vkSj xkMZ dk

    /;ku vkdf”kZr djkus dk iz;kl djsxkA

    IX. vkikrdky esa leikj dh lqj{kk%& og laj{kk vkjs[kksa ds vuqlkj jsyiFk dh lqj{kk djsxkA

    D. iVjh dh ;w-,l-,Q-Mh ijh{k.k dh ckjackjrk%&;w-,l-,Q-Mh ijh{k.k ,d egRoiw.kZ dk;Zdyki gS D;ksfd blls vfxze #i ls iVfj;ksa esa vkus okyh dbZ dfe;ksa dk irk yxk;k tk jgk gSA

    lSD’ku dh GMT ds vk/kkj ij ;w-,l-,Q-Mh ijh{k.k dh ckjackjrk fuHkZj djrh gSA

    orZeku esa ckjackjrk fuEukuqlkj gS%&

    ekxZ th-,e-Vh okys ekxZ vof/k esa ,d ckj ifj{k.k ckjackjrk

    lHkh cM+h ykbZu ds ekxZ ¼jsy gS½ lsUVj vkSj xst Qsl lsaVj ijh{k.k

    58121624406080 01 ekg

    E. LWR jsyiFk esa QzsDpj ejEer%& ;fn LWR/CWR esa dksbZ QzsDpj gksrk gS rks QzsDpj ns[kus okys vkWfQf’k;y rRdky dkjZokbZ djsaxsaA ejEer fuEukuqlkj of.kZr 4 pj.kksa esa dh tk;sxhA

    I. ;krk;kr ‘kh?kz ikl djus ds fy, vkikr ejEer II. vLFkkbZ ejEer III. LFkkbZ ejEer IV. Mh& LVsªflax (i). vkikr ejEer%& iVjh ds QzsDpj dks DykWi dh lgk;rk ls lk/kkj.k@tksxy fQ’k IysV }kjk tksM+k tk,xk ;fn QzsDpj dk xsi 30 fe-eh- ls vf/kd ugh gS rks iVjh ds ihl dks can djus dh vko’;drk ugha gS] igyh Vsªu LVkWi MsM dh xfr 10 fd-eh- izfr?kaVk ls ikl dh tk, vkSj blds

    ckn okyh xkfM+;ksa dks 20 fd-eh- izfr?kaVk ls ikl djus dh vuqefr nh tk,A

    (ii). vLFkkbZ ejEer%& CykWd ds nkSjku VwVh iVjh dks 6-5 eh- dh iVjh ls cnyk tk,A iVjh dh dfVax dk ewY;kadu bl vk’k; ls djsa fd gVkbZ xbZ iVjh dh dqy yackbZ yxkbZ xbZ iVjh dh yackbZ ds cjkcj gks ftlesa osfYMax dh Hkh O;oLFkk gksA blds ckn xfr dks 30fd-eh- izfr ?kaVk

    rd c

  • (iv). Mh&LVsªflax%& Mh&LVsªflax de&ls&de czhfdax ysUFk vFkkZr QzsDpj ds bl vksj ;k nwljh vksj yxHkx 70 ehVj ds cjkcj gksuh pkfg,A

    F. lh-,l-,e dh fMtkbu eksM iz.kkyh%& vPNh jsyiFk T;kWesVªh izkIr djus ds fy, fMtkbu eksM esa CSM ds mi;ksx ls PRC jsyiFk dh iSfdax dh tk, ;Fkkfi ;fn CSM ds vis{kk ,ykbaesaV ds lkFk&lkFk yscy esa fopyu cgqr de gS rks Lewfdax eksM+ }kjk VSafiax dh tk ldrh gSA fMtkbu eksM+ esa jsyiFk ds fdlh lsD’ku fo’ks”k dh VSafiax jsy ysoy dks xzsfM;aV lfgr ysofyax bULVwesaV

    Qkbuy ysoy }kjk ntZ fd;k tk, vkSj vuqyEc ?kqeko (vertical curve) /;kuiwoZd fofuf’pr fd;k tk;sA izR;sd ,dkarj Lyhij ij visf{kr fyQV vkSj LY;w (slew) vafre #i ls ntZ fd, tkrs gSA ysofyax vkSj ykbZfuax dk fMtkbu eksM viukrs gq, QzkaV VkWoj] fLFkr fyQV vkSj LY;w esa izos’k

    djrs gq, VSafiax dh tk,A fMtkbu eksM+ VSafiax }kjk okafNr jsyiFk T;kWfefr izkIr dh tk ldrh gSA

    (G). cM+h ykbZu ds fy, jsyiFk {kerk (tolerance):- izeq[kr% ftl jsyiFk T;kfefr vkSj ekud ftUgsa cuk, j[kk tkrk gS ftl ij lajf{kr vkSj lq[kn jsy ;k=k fuHkZj djrh gSA O;ogk;Zrk esa ;g laHko ugh gS fd deh jfgr vkSj lVhd jsyiFk izkIr fd;k tk ldsA jsyiFk T;kfefr dks ‘kkflr djus okys ekunaMks esa lnSo dqN ifjorZu jgrk gSA jsyiFk T;kfefr ls lEcaf/kr fofHkUu

    ekunaMks dh ifjorZrk dh lhekvkas ds #i esa jsyiFk {kerk ifjHkkf”kr dh tk ldrh gSA

    jsyiFk {kerk ds izdkj fuEuor gS%&

    (i). ubZ jsyiFk ogu {kerk (ii). vuqj{k.k {kerk (iii). baMsEl {kerk (iv). vPNh MkbZfMax {kerk (v). LyksMkmu {kerk (vi). laj{k.k {kerk mijksDr lHkh {kerk,Wa jsyiFk ekunaM vFkkZr ,ykbuesaV fMQsDV] fVoLV] xst fofo/krk vkSj vlekurk ds vk/kkj ij ifjHkkf”kr dh tkrh gSA

    fuEu esa ls fdUgh ikWap ij laf{kIr fVIi.kh fy[ks%&

    (a). o”kkZ ty laj{k.k (b). ekuo vif’k”V ds fuiVku gsrq ekxZn’kZu (c). fuekZ.k dk;Z ds fy, fljkfed@foVªhQkbM VkbYl dk p;u (d). ty foladze.k (e). fMLVªsLM iqy (f). jhoj izf’k{k.k vkSj lqj{kk dk;Z (g). ewyd`r ;k=h lqfo/kk,Wa

    (a) o”kkZ ty laj{k.k%&

    (i). izLrkouk%& o”kkZ ty laj{k.k ls rkRi;Z blds iqu;qZi;ksx ds fy, o”kkZ ty dk lap;u vkSj Hkjko rkfd bl O;FkZ esa u cgk;k tk ldsA दसूरे शब् द� म� एक ऐसी तकनीक िजसम� वषार्

    जल को सतह या जमीन म� इकट्ठा और स् टोर कर रखना है ।

    (।।) आवश् यकता – पानी मौजदूा जीव� के अत् य�धक अ�नवायर् आवश् यकता है । भार� भू�गत जल क� मांग के

    कारण जल स् तर �दन-प्र�त-�दन कम होने से सतह� जल और भू�मगत जल पानी के दो प्रमुख स्रोत ह� जल संर�ण

  • से जल स् तर चाजर् होता रहता है। (।।।) बे�सक टाइप-

    क) रूफ टाप जल संर�ण और ट�क म� भंडारण ख) रूफ टाप जल संर�ण और सब सफ� स एक् वाफाइर पुन: चाजर् होना । ग) सतह� जल का संर�ण और सब सफ� स एिक्वफाइर पुन: चाजर् करना

    (।V) लाभ: - क) भू�मगत जल क� पयार्प् त व् यवस् था ख) सूखे के प्रभाव को कम करना ग) मदृा �रण क होता है क् य��क सफ� स रन ऑफ कम रहता है । घ) स् ट्रॉम वाटर, �नपटान प्रणाली पर लोड को कम करता है ।सतह� जल-भंडारण क� अपे�ा सब-सफ� स एिक्वफायर

    र�चािज�ग क� लागत कम आती है । ङ) भू�मगत जल भंडारण पयार्वरण �हतैषी होता है ।

    (B) मानव अप�शष् ट के �नपटान के �लए मागर्दशर्न :-

    वाटर क् लोिजट यू�रनल, �संक पश ुबाड़� क� ग�लय� आ�द से प्रभा�वत अप�शष् ट को मदृा अप�शष् ट से जाना जाता है । मानव अप�शष् ट के �नपटान के �लए पयार्प् त ल प्रबधंन स�हत डब् ल् य ूसी अपेि�त होता है आगे क� डब् ल् य ूसी कनैक् शन �नम ् न तर�क� से क� जाती है :- 1. जहॉ ंजल उपलब् ध पयार्प् त है और सीवर लाइन �बछ� हुई है वहां फल�शंग �सस् टनर् क� व् यवस् था �ारा । इसके

    अ�त�रक् त, सीवर लाइन से सीवेज को ट्र�टम�ट प् लांट से जोड़ा जाता है । 2. जहॉ ंसीवर लाइन मौजूद नह�ं है और उपयोगकतार् अ�धक है वहॉ ंमानव अप�शष् ट के �नपटान के �लए सेिप्टक

    ट�क उपयोग म� लाया जाए । 3. जहॉ ंपयार्प् त जलापू�तर् क� व् यवस् था नह�ं है वहॉ ंजैव शौचालय/ सॉक�पट स�हत डब् ल् यू सी क� व् यवस् था क�

    जाएगी ।

    (C) भवन कायर् के �लए �सरे�मक / �वट्र�फाइड टाइल् स का चयन : उ�चत �डजाइन, रंग और टेक् सचर क� द�वार टाइल� और फशर् से इमारत के स�दयर् म� व�ृद्ध होती है तथा�प य�द उपयुक् त टाइल� का चयन नह�ं �कया जाता तो संभा�वत स�दयर् म� सुधार प्राप् त नह�ं �कया जा सकता । सावर्ज�नक �ेत्र� म� ख् या�तप्राप् त मैन् यफेूक् चर� क� अच् छ� टाइल� का चयन करने क� आवश् यकता है जो आई एस : 15622 के अनुरूप, टूट- फुट रोधी, एंट� िस्कड, आधु�नक �डजाइन, रंग अच् छ� स् क�म और संयोजक वाली हो । पे्रस् ड �सरां�मक/ �वट्र�फाइड टाइल :- 1. �सरा�मक वाल टाइल – ये टाइल� उच् च जल अवशोषक वाली होती है, अ�धक जल अवशोषक होने के कारण इन

    टाइल� पर द्रव् य से संपकर् के बाद धब् बे रह जाते ह� । 2. �सरा�मक फलोर टाइल : ये टाइल� सामान् य जल अवशोषण वाली होती ह� सामान् यत: ये उन �ेत्र� के �लए

    उपयुक् त है जो बारंबार गीला नह�ं होती और पैदल चलने वाले जहॉ ंकम ह� । 3. �सरा�मक पोस�लेन टाइल : ये कम जल अवशोषक वाली और कठोर तथा धब् बा रोधी आ�द ह� ये भार� पैदल

    या�त्रय� के �लए उपयुक् त है । 4. �सरा�मक �वट्र�फाइड टाइल : इन टाइल� म� बहुत कम जल अवशोषण होता है ये बहुत मजबूत और �टकाऊ होती

    है । ये टाइल� भार� पैदल यात्री वाले �ेत्र� के �लए उपयुक् त होती है जब रंग, �डजाइन आ�द का चयन �कया जाना हो तब मैन् यफेूचरर का नवीनतम कैटालॉग देखा जाए और इसका �रकॉडर् देख� । टाइल लगाने के �लए केवल योग् य / प्र�शि�त राज�मस् त्री ह� अनुमत �कए जाऍ ं। यह देखना चा�हए �क टाइल लगाने से पहले ह� प् ल�कंग / वाय�रंग के �लए सभ् �ी सीलबंद पाइप �फक् स �कए जाए ं।

  • (d) जल का �वसंक्रमण : �डस् ट्र�ब् यशून प्रणाली म� प्रवेश करनेसे पहले रोग उत् पन् न करने वाले जीवाणुओ ंके �नवारण के �लए पानी का �वसंक्रमण अपेि�त होता है। पानी के �वसंक्रमण के �लए प्रयुक् त सामग्री को रोगाणुनाशी कहते ह� । एक अच् छा रोगाणुनाशी �कफायती और भार� मात्रा म� सरलता से उपलब् ध होना चा�हए। ये सभी हा�नकारक जीवाणु और अन् य अवयव� को �वनष् ट करता है । पानी म� �कसी भी प्रकार का क�चड़ इत् या�द नह�ं बनना चा�हए । �वसंक्रमण के बाद प् लांट क� व�क� ग और रोगाणुनाशक का �मश्रण सरल होना चा�हए और पानी �वषैला नह�ं और इसम� कोई अमान् य दगु�ध और पदाथर् नह�ं हो । डोज इस तरह द� जाए �क जल भंडारण के दौरान जल को द�ुषत होने से बचाने के �लए इसका कुछ अवशेष संकेद्रण सदा रहना चा�हए और स�ंवतरण प्रणाली के माध् यम से जल आपू�तर् बनी रहनी चा�हए। �वसंक्रमण क� �व�ध �नम् नवत है :

    1. पानी उबालना 2. पोटै�शयम परमैगनेट का �मश्रण 3. अ�त रेक चूना उपचार 4. ओजोन गैस उपचार 5. आयोड�न और प्रोमाइन उपचार 6. पराबैगनी �करण� 7. क् लोर�न �मश्रण अथार्त क् लोर�नेशन प्रत् येक प�रिस्थ�त म� न् यनूतम क् लोर�न अवशेष उपलब् ध रहना चा�हए जो प्र�त लीटर 0.5 माइक्रोग्राम होगा

    । मानसून माह के दौरान अथवा �वशेष �शकायत के मामले म� �वषाणुओं से प्रभावी रूप से �नपटने के �लए उच् च क् लो�रनेशन यानी 2 ड�एमपी रखा जा सकता है ।

    (e) �डस् टे्रस् ट पुल :- यह एक ऐसा पलु होता है जहॉ ंइसक� अवस् था म� �रण के �चन् ह नजर आने लगे िजसम� �वशेष

    मरम् मत, स् टे्रथ�नंग या पनु�नर्माण (गडर्र के प्र�तस् थापन स�हत) के माध् यम इसे पुन: चालू करने क� आवश् यकता हो। 1. मंडल इंजी�नयर/ व�र. मं. इंजी. �डस् टे्रस् ड पुल म� �कसी पुल को शा�मल करने के दौरान �नम् नानुसार �डस् टे्रस् ड

    क� प्रकृ�त और �मता के अनुसार प्राथ�मकता वग�करण का भी उल् लेख कर� । क) श्रणेी -। म� उन पुल� को शा�मल कर� जहॉ ं �डस् टे्रस् ट इस प्रकार क� हो �क पुनवार्स कायर् को तत् काल �कया

    जाना अपेि�त है । ख) श्रणेी -।। म� उन सभी पुल� को शा�मल कर� जो श्रणेी -। म� नह�ं आते हो।

    इन् ह� कायर्क्रम आधार पर पुनवार्स के �लए �लया जा सकता है । �डस् टे्रस पुल� का �नर��ण �नम् नानुसार

    �नष् पा�दत �कया जाए :-

    श्रणेी �ारा �नर�ि�त अव�ध । संबद्ध �नर��क माह म� एक बार सहा० इंजी�नयर / ए.बी.ई 2 माह म� एक बार मं. इंजी./ व�र.मं.इंजी�नयर 3 माह म� एक बार ।। संबद्ध �नर��क 3 माह म� एक बार सहा० इंजी�नयर / ए.बी.ई 6 माह म� एक बार मं. इंजी./ व�र.मं.इंजी�नयर वषर् म� एक बार

    2. ग�त प्र�तबंध लागू करना : सभी �डस् टे्रस पलु� पर ग�त प्र�तबंध अपेि�त नह�ं होता है । यह संभव नह�ं है

    �क �डस् टे्रस पुल पर ग�त प्र�तबधं लागू करने के �लए �नधार्�रत �दशा-�नद�श जार� �कए जाए ं । प्रत् येक मामला �डस् टे्रस क� प्रकृ�त और �मता के मदे्दनजर �नर��ण अ�धकार� �ारा �नधार्�रत मे�रट पर �व�नश् चत �कया जाता है

  • तथा�पत सामान् य �दशा �नद�शानसुार, गु्रप -। के �डस् टे्रस् ड पुल के �लए अ�धकतम 15 �कमी प्र�तघंटा और गु्रप-।। के �डस् ट�स पुल� के �लए 25 से 50 �कमी. प्र�तघंटा का ग�त प्र�तबंध है । गु्रप-। गु्रप-।। जहॉ ं�डस् टे्रस के �चन् ह होते ह� :- 1. फाउंडेशन का सेटल् म�ट 1. �रटनर्वाल/ �वंग वाल म� दरार 2. मुडे पायर और एबटम�ट 2. स् लाइट/ �टिल्टंग, एबटम�ट क� उभार 3. पायर और एबटम�ट के आस-पास गहर� मंजई 3. �रटनर्वाल म� मेजनर� का झकेु जाना/ फूल जाना 4. �वस् था�पत/ �हला हुआ दरार यकु् त बेड 4. पैरा �पट वाल म� दरार/ झकुाव / उभार 5. �बय�रंग म� दरार या अन् य कोई �डस् टे्रस 5. बीम और स् लैब म� कंक्र�ट क� 6. आकर् म� �तरछा दरार 6. �कसी ज् वाइंट म� 20% से उपर का लूज �रवट

    ज् वाइंट

    (f ) र�वर टे्र�नंग और प्रोटेक् शन कायर् :-

    र�वर टे्र�नंग / प्रोटेक् शन कायर् का उदे्दश् य रेलवे क� पुल संरचना और अन् य संरचनाओं को नद� के प्रभाव से बचाना है । भारतीय रेलवे म� सामान् यत: �नम् न प्रकार का र�वर टे्र�नंग कायर् अपनाया जाता है ।

    क) गाइड बंद : गाइड बंद से तात् पयर् है �क नद� के प्रवाह को इस प्रकार �नयं�त्रत और �दशा देना िजससे यह संरचना और इसके एपरोच� को ��त पहंूचाए �बना प्रवा�हत क� जा सके ।

    ख) यह एक ऐसी संरचना है िजसे नद� प्रवाह के आड़े रूप म� बनाई जाती है और नद� के �कनारे से प्रोजेिक्टड �कया जाता है ।

    ग) मािजर्नल बंद : नद� के फैलाव को �नयं�त्रत करने के �लए इसक� व् यवस् था क� जाती है जब बाढ़ क� िस्थ�त म� नद� का प्रवाह �कनार� तक फैल जाए और पलु के काफ� �ेत्र को प्रभा�वत करता हो तथा �नकटवत� के बाहर कोस� म� फैल जाने क� सभंावना हो ।

    घ) बंद का रोके जाना :- कई बार यह आवश् यक हो जाता है �क पलु के �नमार्ण के बाद नद� के एक या अ�धक चैनल� को पूणर्त: ब् लॉक �कया जाता है ता�क इस प्रकार के चैनल� को मुख् य नद� म� प्रवा�हत होने से रोका जा सके । तट माग� क� सुर�ा :-

    1. �नम् न िस्थ�तय� म� पुल� के तट मागर् अत् य�धक रूप से प्रभा�वत हो सकते ह� । क) जब पुल म� उच् च प्रवाह स् तर बहुत अ�धक होता हो और प्रवा�हत चैनल उत् प्रवा�हत हो रहा हो । ख) जब पुल क� डाउनस् ट्र�म �कसी मखु् य नद� म� �मलती हो । ग) अपयार्प् त जलमागर् स�हत पुल के मामले म� उपरोक् त ् सभी मामल� म� पयार्प् त फ्र� बोडर् स�हत एम एफ एल तक एप्राच तट क� �प�चंग एक प्रभावी समाधान है । कुछ मामल� म� टो (Toe) वाल और सकंर एप्रॉन क� व् यवस् था भी उपयोगी होगी । 2. य�द तट के एप्रोच पर टो (Toe) के �नकट ड�प बौरो �पट खोदे जाते ह� तो �पत के माध् यम से जल प्रवाह

    धीरे-धीरे एक जल मागर् �न�मर्त करेगा जो अंतत: तट के आसपास क� संर�ा के �लए खतरनाक हो सकता है । इस मामले म� वेग को कम करने के �लए प्रवाह के �लए रूबल ट�- स् पर रखा जा सकता है ।

    3. तटबंध के �वरूद्ध िस्थर जल स�हत सभ स् थल� क� �वशेष �नगरानी रख� जब जल स् तर तेजी से कम हो रहा हो तथा जब िस्लप होने क� संभावना हो ।

  • (g) मूलभूत यात्री सु�वधाऍ ं: जब कोई स् टेशन बनाया जाता है तो स् टेशन क� प्रत् येक श्रणेी के �लए क�तपय न् यूनतम सु�वधाएं के नाम से पुकारा जाता है । �व�भन् न श्रणेी के स् टेशन� के �लए न् यूनतम अ�नवायर् सु�वधाएं �नमार्ण कायर् �नयमावली म� �व�न�दर्ष् ट मानदंड और रेलवे बोडर् के �दनांक 11.09.2012 के पत्र सं० 2012/ एलएम/ सीपीए/ 3/ 5 के अनुसार �नम् नवत वाव�त है : स् टेशन:- बु�कंग सु�वधा, पेयजल, प्रती�ालय, �स�टाग प्रबंधन, प् लेटफामर् शेल् टर या छायादार व�ृ, यू�रनल, स् नानागार, शौचालय, लाइ�टंग, एफओबी, समय- सारणी, घड़�, वाटर कॉलर, प�र�ेत्र स�हत पा�क� ग, संकेत बोडर्, जन उ�ोषणा प्रणाली, पूछताछ पटल, स् टाल, प्रपीड टैक् सी बूथ, अल् पाहार क� । उपरोक् त सु�वधाओ ं के अ�त�रक् त अन् य सु�वधाए ं यथा र�प, �व�हत पा�क� ग, नॉन स् लीपर� वाक वे, साइनेज, एक पेयजल, भूतल िस्थत एक शौचालय, सहायता क� क� भी व् यवस् था �दव् यांग� के �लए क� जाए ।

    प्र. 11. �नम् न म� से �कन् ह�ं पांच पर संि�प् त �टप् पणी �लख� । क) ठेकेदार के नवीकरण स् थल� पर गुणवत् ता �नयंत्रण उपाय ख) इम् पे्रस् ट स् टोर ग) क�मय� का वग�करण, यूएसएफड� म� क� गई कारर्वाई और मा�क� ग घ) एल. डब् ल् यू. आर. रेलपथ म� अनरु�ण पूव�पाय ङ) एल. डब् ल् यू. आर का अनुमत स् थल च) स् टॉक शीट छ) ए.ड�.ई. एन क� मुख् य ड्यू�टयां

    उत् तर :- क) ठेकेदार के नवीकरण स् थल� पर गुणवत् ता �नयंत्रण उपाय :- यह बहुत महत् वपूणर् है �क नवीकरण स् थल पर कायर् क� गुणवत् ता सु�नि�त क� ◌ाए क् य��क संरि�त अनुमत् य सीमाओ ं के अदंर श्र�मक ठेकेदार रेलपथ मानदंड के अनुर�ण के बारे म� सजग नह�ं होता है, अत: संरि�त और अनमुत् य सीमाओ ंके अदंर रेलपथ मानदंड� को सु�नि�त करने के �लए �नम् न उपाय �कए जाते ह� :- 1. कायर् �नष् पादन के �लए केवल योग् य और अनभुवी पयर्वे�क क� तनैाती क� जाए । 2. ठेकेदार का पयर्व��क योग् य और अनुभवी होना चा�हए इनक� जानकार� एड�इएन के पद से कम के

    अ�धकार� से कम नह�ं होनीचा�हए और इस संबंध म� स�मता प्रमाण पत्र जार� क� जाए। 3. दोन� पयर्वे�क क� उपिस्थ�त के �बना कायर् आरंभ नह�ं �कया जाए । 4. कायर् शुरू करने से पहले पयार्प् त और कुशल श्र�मक उपलब् ध रहना चा�हए। 5. कायर् स् थल पर उ�चत साइट आडर्र बुक रखी जाए और �नय�मत �नर��ण और रेलपथ मानदंड� क�

    �नगरानी अवश् यक सु�नि�त क� जाए । 6. साइट पर गुणवत् ता �नयंत्रण रिजस् टर नामक एक अलग रिजस् टर रखा जाए। 7. �दन के कायर् के समापन पर गुणवत् ता �नयंत्रण रिजस् टर म� मापे गए सभी अपेि��त रेलपथ मानदंड�

    को ध् यानपूवर्क दजर् �कया जाए । रेलवे पयर्वे�क �ारा इस आशय का एक संर�ा प्रमाण पत्र �दया जाएगा �क ‘ आज के �दन के �कए गए काय� के रेलपथ मानदंड को ध् यान से दजर् �कया गया और साइट श् पर लागू ग�त पर टे्रन को पास करने के �लए सुरि�त पाया गया ।

    8. साइट छोड़ने से पहले �कसी भी असामान् य / असुरि�त रेलपथ मानदंड� का अवश् य पालन �कया जाए ।

    9. अ�धका�रय� �ारा जार� सभी अनदेुश� का कड़ाई से अनुसरण �कया जाए।

    ख) इम् पे्रस् ट स् टोर: यह ऐसा स् टोर है जो �कसी �व�शष् ट कायर् के �लए होता है �कंतु इसे अ�ग्रम रूप से रखा जाता है

  • ता�क आपात प�रिस्थ�तय� यथा दघुर्टना/ �डटेलम�ट अथवा आपात नवीकरण को �नष् पा�दत �कया जा सके । ये स् टोर जब दघुर्टना के दौरान प्रयुक् त ् क� जाती है तो इसे राजस् व से डे�बट �कया जाए और जब इसे आपात नवीकरण के उपयोग के �लए अपेि�त हो तो यइसे ड�आरएफ से डे�बट �कया जाता है । इम् पे्रस् ट स् टोर के �लए �नम् न बात� पर ध् यान देना अपेि�त होता है । 1. सीट�आई �ारा इम् पे्रस् ट स् टोर क� प्रमात्रा �नयत �कया जाता है । 2. यह स् टोर अलग से सुरि�त रखा जाए 3. इन स् टोर� को अन् य स् टॉक होल् डर म� अंत�रत ना �कया जाए । 4. ये स् टोर नैमी अनुर�ण के प्रयोग के �लए नह�ं लाया जाना चा�हए। ग). क�मय� का वग�करण, यूएसएफड� म� मा�क� ग और क� गई कारर्वाई: पटर� क� यूएसएफड� के पर��ण के दौरान �नम् न कारर्वाई क� जाए :

    क्र. सं.

    कमी क� श्रणेी मा�क� ग क� जाने वाली कारर्वाई

    1 आई एक आर और आई एम आर डब् ल् य ू

    प�ट स�हत तीन क्रॉस

    पता लगने के तीन �दन के अंदर खराब �हस् से को 6 मी० से ल�थ से अ�धक वाले मजबूत और पवर�ि�त पटर� के टुकड़े से बदली जाए । अंत�रम उपाय के तौर पर एस ई/ जे ई / यएूसएफड� तत् काल 30 �कमी०/ घटंा क� �ग त प्र�तबंध कड़ाई से लागू कराएगा और जब तक खराब पटर�/ वेल् ड नह�ं बदले जाते तब तक इन् ह� जार� रखा जाए । यह खराब लोकेशन के सबंंध म� सेक् शनल एसई/ जे.ई(रेलपथ) से संपकर् कर� जो स�ुनि�त करेगा �क कलैम् पड जाग् लड �फश प् लेट 24 घंटे के अदंर उपलब् ध कटाई गई हो।

    2 ओबी एस और ओबीएस डब् ल् यू

    लाल प�ट स�हत एक क्रॉस

    तीन �दन के कलैम् पड �फश प् लेट स�हत पटर�/ बेल् ड क� व् यवस् था क� जाए । एस ई / जे ई (रेलपथ) / यूएसएफड� पर��ण के बाद के दौर� के बाद अपने रिजस् टर म� लोकेशन क� �टप् पिणय� का �वशेषत: दजर् करेगा । एस ई / जे ई (रेलपथ) यूएसएफड� 24 घंटे के अंदर कमी वाले लोकेशन के बारे म� सेक् शनल एस ई/ जे ई (रेलपथ) को बताएगा और जब तक जागेल् ड प् ले�टड नह�ं �कया जाता तब तक दै�नक पेट्रॉ�लंग के दौरान क� मनै �नगरानी रखेगा ।

    3 ड�.एफ.डब् ल् य.ू ओ. लाल प�ट स�हत एक वतृ् त

    एस ई / जे ई / यूएसएफड� तत् काल रूप से 30 �कमी प्र�त घंटा के ग�त प्र�तबंध का कड़े रूप म� लागू कराएगा और सेक् शनल एस एस ई / जे ई को कमी वाले लोकेशन के बारे म� बताएगा । जो दो टाइट कलैम् प के प्रयोग से जोगल् ड �फश प् लेट �ारा पटर� क� खराब वेिल्डंग को सुरि�त रखेगा । तीन �दन के अंदर होल क� चैम् फ�रंग के साथ अं�तम छोर के दो टाइट बोल् ट स�हत जोगल् ड �फश प् लेट �ारा ड�एफडब् ल् यू ओ वेल् ड क� सुर�ा के बाद ग�त प्र�तबंध को सामान् य रूप म� बहाल �कया जा सकता है ।

    4 ड�.एफ.डब् ल् य.ू आर लाल प�ट स�हत दो क्रॉस

    एस ई / जे ई (रेलपथ) / यूएसएफड� तत् काल कड़े रूप म� 30 �कमी० / घंटा का ग�त प्र�तबंध लागू करेगा और खराब

  • लोकेशन के बारे म� सेक् शनल एस.एस.ई/ जेई को अवगत कराएगा जो तत् काल कम-से-कम दो टाइट क् ल�प का प्रयोग से जोगल् ड �फश प् लेट �ारा ड�एफडब् ल् यू आर वेल् ड क� सुर�ा सुनि�त करेगा । होल क� चफै�रंग स�हत प्रत् येक साइड पर एक बोल् ड क� चफै�रंग के साथ जोगल् ड �फश प् लेट क� व् यवस् था कराने ◌े बाद 30 �कमी/ घंटा का ग�त प्र�तबंध को सामान् य �कया जा सकता है । पता लगने के तीन माह के अंदर ड� एफ डब् ल् यू आर वेल् ड को बदला जाएगा । ड� एफ डब् ल् यू आर वेल् ड को हटाने के �लए पयार्प् त यातायात ब् लॉक क� अनुम�त द� जाए । तीन माह के अंदर हटाए न जाने के मामले म� लोडेड मालगाड़� के �लए 75 �कमी/ घंटा का ग�त प्र�तबंध और पैस�जर गाि़डय� के �लए 100 �कमी/ घंटा का ग�त प्र�तबंध लागू �कया जाना चा�हए।

    घ. एल. डब् ल् य.ू आर. रेलपथ म� पूव�पाय �कए जाना:- एल डब् ल् य ूआर का अनुर�ण बहुत संवेदनशील होता है और

    इसके �लए �वशेष ध् यान �दए जाना अपेि�त है तथा अपेि�त कुछ पूव�पाय �नम् नवत है :- 1) �कसी भी प्रकार के एल डब् ल् यू आर / सी डब् ल् य ूआर का अनुर�ण �म और प्र�शि�त का�मर्क� क� देखरेख म�

    �कया जाए । 2) अनुर�ण कायर् घंट� तक सी�मत रखा जाए बशत� पटर� का तापमान ट�ड� +10 और ट�ड�-20 के बीच का हो ।

    य�द अनुर�ण प�रचालन के बाद पटर� का तापमान ट�ड�+20 स�ट�ग्रड से अ�धक है तब समे�कत अव�ध के दौरान 50 �कमी/ घंटा का ग�त प्र�तबंध लागू �कया जाएगा।

    3) बैलास् ट सेक् शन उ�चत रूप म� अनुरि�त रखा जाए और क्रॉ बॉर के �ारा ठ�क करके एलाइनम�ट के दौरान रेलपथ क� �ल�फ�टंग से बच� ।

    4) सभी �फ�टंग और फािस्टंग प्रभावी, पूणर् और सुरि�त हो 5) एक ह� बार म� 30 �नरंतर िस्लपर� म� एक से अ�धक िस्लपर को प्र�तस् था�पत न कर� । 6) फास् ट�नंग बदलने म� जब पटर� को उठाना अपेि�त नहो तब एक ह� बार केवल एक िस्लपर �कया जाएगा और

    इस बीच म� कम – से-कम 15 स् लीपर� को यथावत रखा जाएगा और क�मैन के देख-रेख म� कायर् �कया जाए । 7) फािस् ट �नंग को बदलने म� जब पटर� को उठाना अपेि�त हो तो एक स् लीपर �कया जाए और कम-से-कम 30

    स् लीपर यथावत रखा जाएगा तथा कायर् ग�गमैन क� देख-रेख म� �कया जाए । ड़. एल. डब् ल् य.ू आर. के �लए अनुमत स् थल : (1) एल. डब् ल् य.ू आर./ सी डब् ल् यू आर स�हत पूरा रेलपथ नवीकरण �कया जाएगा । अनुमत स् थान पर �बछ� हुई

    मौजूदा पटर� को भी एलडब् ल्य ूआर/ सी डब् ल् य ूआर म� प�रव�तर्त �कया जा सकता है । (2) एल. डब् ल् यू. आर./ सी डब् ल् य ूआर स�हत नया �नमार्ण / दोहर�करण/ गेज प�रवतर्न शुरू �कया जाएगा । (3) गुड्स र�नंग लाइन� म� जहॉ ंसभी रेलपथ उपस् थर� क� िस्थ�त ठ�क है । (4) एल. डब् ल् यू. आर./ सी डब् ल् यू आर क� अनुम�त वहॉ ंनह� द� जाएगी जहॉ पट�रय� क� भर� टूट-फुट, �रण

    और िजनका बारंबार नवीकरण करना आवश् यक हो । (5) एल. डब् ल् य.ू आर./ सी डब ् ल् यू आर क� अनमु�त वहॉ ंन द� जाएगी जहॉ ंफोम�शन कमजोर है या फोरमेशन

    स् वाइल (6) एल. डब् ल् यू. आर./ सी डब् ल् य ूआर 440 मीटर अद्धर्व् यास से अ�धक वाले मोड़ पर अनुमत न क� जाएगी । (7) एल. डब् ल् य.ू आर./ सी डब् ल् य ूआर 875 मीटर अद्धर्व् यास से अ�धक वाले �रवसर् मोड़ पर अनुभव नह�ं क�

  • जाएगी । (8) तीव्रतम अनुभव गे्रड 100 म� एक होगा । (9) व�टर्कल कवर् के �लए एल. डब् ल् यू. आर./ सी डब् ल् यू आर के �लए न् यूनतम अद्धर्व् यास ए रूट के �लए 4000

    मीटर, बी रूट के �लए 3000 मीटर तथा सी ड� और ई रूट के �लए 2500 मीटर का होगा । च. स् टॉक शीट : �व�न�दर्ष् ट अंतराल पर लेखा �वभाग को स् टॉक सत् यापक �ारा अ�धनस् थ� के अंतगर्त स् टोर का �वभागी सत् यापन �कया जाता है, जो अपनी फ�ल् ड बुक म� प्राय: स् टोर प्र�व��य� का �फिजकली सत् यापन करता है । सत् यापन क� �रपोटर् स् टॉक सत् यापक �ारा मानक प्रारूप� अथार्त स् टॉक सत् यापन शीट या स् टॉक शीट के रूप म� प्रस्तुत क� जाती है। सत् यापन के दौरान य�द कोई अ�नय�मतता हुई है संबंधी स् टॉक शीट 4 प्र�तय� म� तैयार क� जाती है । मूल प्र�त लेखा अ�धकार� को भेजी जाती है और स् टॉक होल् डर का स् पष् ट�करण दसूर� और तीसर� प्र�त म� दजर् क� जाती है और मंडल इंजी�नयर को भेजी जाए जो तीसर� प्र�त अपने पास रखेगा तथा दसूर� प्र�त आगामी कारर्वाई के �लए लेखा अ�धकार� को भेजी जाए। चौथी प्र�त कायार्लय प्र�त के तौर पर स् टॉक होल् डर �ारा रखी जाती है । च. ए.ड�.ई.एन. क� मुख् य डयू�टयां : एड�ईएन नए कायर् क� सट�कता, गुणवत् ता और प्रग�त के �लए अपने अंतगर्त के सभी प्रकार के काय� के अनुर�ण और संर�ा के �लए सामान् यत: उत् तरदायी होता है तथा बजट आवटंन से संबं�धत सभी व् यय� का �नयंत्रण करता है । एड�ईएन क� मुख् य डयू�टय