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EDITOR EDITOR EDITOR EDITOR - - - - PUBLISHER PUBLISHER PUBLISHER PUBLISHER : : : : Dr. Sneh Thakore Dr. Sneh Thakore Dr. Sneh Thakore Dr. Sneh Thakore Awarded By The President Of India Awarded By The President Of India Awarded By The President Of India Awarded By The President Of India Limka Book Record Holder Limka Book Record Holder Limka Book Record Holder Limka Book Record Holder VASUDHA VASUDHA VASUDHA VASUDHA A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI ON ON ON ON Year 16, Issue 61 Year 16, Issue 61 Year 16, Issue 61 Year 16, Issue 61 Jan. Jan. Jan. Jan.-March, 2019 March, 2019 March, 2019 March, 2019 kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka vsu2a vsu2a vsu2a vsu2a s.padn v p/kaxn s.padn v p/kaxn s.padn v p/kaxn s.padn v p/kaxn MkW- Sneh #akur Sneh #akur Sneh #akur Sneh #akur wart ke ra*3 wart ke ra*3 wart ke ra*3 wart ke ra*3^ ^ ^ ^ pit μara purS¡t pit μara purS¡t pit μara purS¡t pit μara purS¡t ilMka buk irka ilMka buk irka ilMka buk irka ilMka buk irka$ $ $ $ DR ho DR ho DR ho DR hoLDr LDr LDr LDr v8R ÉÎ - A.k ÎÉ, jnvrI - macR ÊÈÉÑ

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Page 1: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

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मर पयार भारत

बराम हलिलत (मि भाषा - रोमानी)

भावानवाद पदमशरी डॉ शयाम स िह शलश

तम मर हदय की कमपन हो

मरी आतमा हो

पराचीनतम दश हो

लवशव की परातन िसकलत को माए

धन-धानय मपनन

मरी लपत-भलम

तम नही जानती

अपन लबछड़ िािो का

भारतविलशयो का ददद

यालन हमारा ददद

जो इमयन कर गया ह हम

ग चमबरो की तपन हत- हत

लजनम भन ददय गए थ

हमार पवदज

फ़ाल सट लहटिर दवारा

परतयक रोमा का पना होता ह

की वह लपत-ऋण उऋण हो

पलवतर गिगा क दश

भारत की पररकरमा कर

पि-पि ोचत ह हम

तमहार बार म

गीत गात ह तमहार दलनयाा-भर म

ब हो तम

लहमािय सहिदकश तक

हमार पराणो म

मर भारत

तम हदय हो मरा

अलवनाशी आतमा हो

और दखो मर-मर कर जीलवत ह

हम अपन को ोव म आज भी

16 61 2019 1

डॉ (पोसट-डॉकटरल फ़लोशिप अवाडी)

भारत क राषटरपशत दवारा राषटरपशत भवन म शिनदी सवी सममान स सममाशनत

सवागत ि नव वरष तमिारा रमि जोिी ३

नव वरष मदन लाल गपता ४

तम सवय दीपक बनो परो शगरीशवर शमशर ७

म और तम डॉ अजय शरीवासतव ९

अधकार म परभाकज सवामी शववकानद सतोर खनना १०

ग़ज़ल सजीव गौतम १३

शवदरी माता मतरयी डॉ अिोक आयष १४

ग़ज़ल दयानद पाणडय १६

परम की पराकाषठा उपासना गौतम १८

बड़पपन मनोज कमार िकल ldquoमनोजrdquo १९

कक जान कसी परीत लगाई अरण शतवारी २३

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी सिील िमाष २५

शनशचलता मोिनजीत ककरजा २९

इनसान स इनसान का िो भाईचारा

यिी पगाम िमारा अशनता िमाष ३०

नक कमष डॉ िशि ऋशर ३२

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता

दिषन योग जञान और शवजञान डॉ मदल कीरतष ३३

शवशवास ि परारषना अजय जन ldquoशवकलपrdquo ३७

जातयातरण धमनर कमार ३८

मरी पसद निी अलरड घर शलशलगटो

अनवादक डॉ अशमत सारवाल ४१

पदाष ि पदाष कदलीप कमार ससि ४२

मर पयार भारत बराम िशलशत (मल भारा - रोमानी) भावानवाद पदमशरी डॉ शयाम ससि ldquoिशिrdquo १अ

डॉ सनि ठाकर का रचना ससार ४४अ

16 Revlis Crescent Toronto Ontario M1V-1E9 Canada TEL 416-291-9534

Annual subscription$2500

By Mail $3500 International Mail $4000

Website httpwwwVasudha1webscom

e-mail drsnehthakoregmailcom

16 61 2019 2

इस नव-वरष वसधा अपन जीवन क सोलिव वरष म पदापषण कर रिी ि इस बलखाती इठलाती रोडिी

को रचनाकारो और पाठको न अपन सनि स सीच कर उमर क इस सनिर मक़ाम पर पहचाया ि शजसक शलए वि

सभी की आभारी ि और आिा करती ि कक सज़दगी क िर पड़ाव पर उस इसी परकार आप सबका आिीवाषद परापत

िोता रिगा

आगामी िोली की गलाल-भरी िभ-कामनाए िोली जिा ईशवर की सतता सवीकार करन का तयोिार ि

कक िर शवरम स शवरम पररशसरशत म ईशवर अपन भकत की रकषा करता ि शवकट स शवकट अवसरा म उस

सरशकषत रखता ि िोशलका-दिन व शिरणयकशिप-वध स बराई का अत कर भगवान म परम आसरा रखन वाल

अपन भकत परहलाद का मन सत-शचत-आनद स भर दता ि विी यि तयोिार अगली-शपछली वमनसयता भला

कर शमतरता का िार राम सवय की व दसर की काशलमा कलरता शमटाकर सौिारषपणष भाव स एक-दसर पर

सशिदानद क िभ रगो की वराष करन की शिकषा भी दता ि जब आप कलरता की काशलमा को तयाग भाईचार

क पावन-पनीत िभ रगो स दसर को पलाशवत करत ि तो उसक छीट आप पर भी पड़त ि जो न कवल दसरो क

जीवन म वरन आपक जीवन म भी खशियो की बिार लात ि आइए इस भावावयशकत क सार िम िोली का

सकलप ल और मानवता को आदिष-परम क रग म रग कर सराबोर कर भारतीय िोली का उतकषट िभ सदि

शवशव म सराशपत कर िम दि म रि चाि शवदि म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय ससकशत जो िम शवरासत

म शमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा वतषमान व भावी पीढ़ी क शलए चाि वि भारतीय

िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकशत की मिाल जलाय रखन क शलए िम परशतबदध िोना ि इस िभ

सकलप स जड़ी आप सबकी परशतबदधता भारतीय ससकारो क मानदणडो को सराशपत कर परसपर सहदयता एव

परम भावना बढ़ा शजस दि-परदि म भी आप शनवास करत ि उस परममय बना दगी और अनततोगतवा ऐसा

सौिारषपणष वातावरण िर दि काल क शलए अनकरणीय िोगा िर दशषट स सरािनीय िोगा इशतिास अतीत की

वयाखया ि साशितय वतषमान का दपषण ि और समाज का भशवषय शनमाषता भी सामाशजक एव साशिशतयक

गशतशवशधयो दवारा िी िम भारतीय समाज - आपरवासी भारतीय समाज व भारतवशियो का न कवल वतषमान

उजजवल बनाएग वरन उजजवल भशवषय की नीव ठोस आधार-शिला का शनमाषण भी करग ऐसी मरी मानयता ि

भारत क ससद भवन क भवय कनरीय ककष म सयोजक - माननीया सतया बशिन पवष सासद राजयसभा अधयकष

ldquoससदीय शिनदी परररदrdquo माननीया सतोर खनना मिासशचव ldquoशवशध भारतीय परररदrdquo एव माननीया उरमषल

सतयभरण अधयकष ldquoपररचय साशितय परररदrdquo ndash दवारा ldquoससदीय शिनदी परररदrdquo का गौरविाली राषटरभारा

उतसव पदमभरण डॉ सभार कशयप पवष मिासशचव लोकसभा एव भारत क परशतशषठत सशवधान शवद की

अधयकषता म एव मखय अशतशर डॉ सतय नारायण जरटया पवष कनरीय मतरी राजयसभा क उपसभापशत एव

ससदीय राजसभा सशमशत क उपाधयकष क साशननदधधय म सफलतापवषक समपनन हआ गणमानय शवशिषट अशतशर र-

डॉ रमा पराचायष िसराज कॉलज कदलली शवशवशवदयालय डॉ अवनीि कमार अधयकष वजञाशनक एव तकनीकी

िबदावली आयोग एव शनदिक कनरीय शिनदी शनदिालय मानव ससाधन शवकास मतरालय भारत सरकार डॉ

रामिरण गौड़ अधयकष कदलली लाइबररी बोडष परो डॉ परन चद टडन परो शिनदी शवभाग कदलली शवशवशवदयालय

राषटर भारा मिोतसव क परशत समरपषत ऐस भवय समारोि म सवय क शलए परदतत ldquoराषटर भारा गौरव सममानrdquo

ित शरीमती सतोर खनना एव सभी समबशधत आदरणीय एव शपरयजनो की आभारी ह सभी का िारदषक धनयवाद

ईशरवर कपा और आप सभी शितशरयो की िभकामनाओ स मर उपनयास ldquoलोक-नायक रामrdquo का चतरष

ससकरण परकाशित िो गया ि एव उपनयास ldquoदिानन रावणrdquo परकािनाधीन ि

नव वरष सभी क शलए मगलमय िो शवशव िाशत की कामना शलए ससनह सनह ठाकर

16 61 2019 3

सवागत ि नव वरष तमिारा

रमि जोिी

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

कर कामना सब को सखकर िो यि नतन वरष |

कोई भरम िका िो तो भी बद न िो सवाद |

आपस म शमल-जल सलझा ल िो यकद कोई शववाद |

दःख-पीड़ा आपस म बाट बाट उतसव-िरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

सभी पररशरम कर िशकत भर कोई न कर परमाद |

जल िोशलका शवशवासो का बचा रि परहलाद |

कवल कछ का निी सभी का िो समशचत उतकरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

सवारष छोड़ कततषवय कर वि पररोततम शरीराम |

यि आदिष िमारा िोव िोग िभ पररणाम |

नयाय-जानकी अपहत िो तो शमल कर सघरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

16 61 2019 4

नव-वरष

मदन लाल गपता

आजकल सामानयत गरगोररयन कलडर का परयोग ककया जाता ि यि जशलयन कलडर को सधार करक

1852 म बनाया गया रा इस कोड म ए डी या सी ई शलखा जाता ि भारत म तयौिार मनान क शलए ldquoलनरrdquo

तरा दशनक उपयोग क शलए ldquoसोलरrdquo कलडर ि गरगोररयन कलडर म1 जनवरी स नया साल आरमभ िोता ि

भारत म नए साल क कदन शवदिी पयषटको का आगमन अपन चरम पर ि खासकर गोवा जस सरानो म जो एक

पसदीदा पयषटन सरल माना जाता ि

वरष 2019 का आरमभ मगलवार क िभ कदन स िोगा मगलवार का कदन भगवान िनमान को समरपषत

ि दशकषण भारत म य कदन सकद उफष मरगन या कारतषकय क शलए समरपषत ि भकत लोग इस कदन िनमान

चालीसा को हनमान दवता को समरपषत करत ि मगलवार का वरत उन दपशतयो क दवारा ककया जाता ि जो एक

बटा िोन की इचछा करत ि जो लोग जयोशतर म शवशवास रखत ि वो लोग मगल गरि स जड़ िाशनकारक परभाव

को कम करन क शलए और गरि िाशत क शलए मगलवार का वरत रखत ि अशधकाि सिद 21 मगलवार क वरत

रखत ि मगल को एक मसीबत शनमाषता क रप म माना जाता ि और मगलवार का वरत रखकर लोग मसीबतो

और बराइयो को रासत स िटा सकत ि

मगल (मासष) नौ गरिो म स एक ि उस अनय नामो जस अगारक और खज क नाम स भी जाना जाता ि उस

पथवी दवी या भशम का पतर भी माना जाता ि पथवी दवी का नाम िशकत वीरता और सािस क सार जड़ा हआ

ि मगल को धमष का रकषक और जीवन का उददशय माना जाता ि 12 अवतार क समय परमशवर की चमक

आकाि म िजारो सयष क बराबर री यि पथवी दवी क शलए असिनीय रा तब भगवान पथवी दवी की

इचछाओ को परा करन क शलए सदर और मल रप म कदखाई कदए उनिोन िादी कर ली और बाद म एक वरष

बाद उनि मगल पदा हआ रा

नए साल का सकत ि कक बीत चक साल क शलए शवदाई करन और नए साल का सवागत करन का समय

आ गया ि दशनया भर म पशशचमी ससकशत क शवकास क सार गरगोररयन कलडर का 1 जनवरी को नया साल

का कदन भारत क कई समारोिो म स एक रिा ि कछ कित ि कक यि तब िर हआ जब अगरजो न भारत का

उपशनवि ककया जबकक अनय कित ि कक इसकी लोकशपरयता 1940 क दिक क बाद शवकशसत हई यि धयान

रखना मितवपणष ि कक भारत म शवशभनन समिो क बीच अलग-अलग कलडर का उपयोग ककया जाता ि

इसशलए इन कलडरो म शचशनित िोन पर आधाररत नए साल को अलग-अलग समय म मनाया जाता ि

गजरात म नया वरष कदवाली स िर िोता ि

भारत म (पिली जनवरी) नए वरष क िभावसर पर लोग नदी पर सनान करत ि और नदी का जल

शछड़क कर घर को पशवतर करत ि नय कपड़ पिनत ि मकदर जात ि कई लोग घर पर िवन करत ि और दान

करत ि आपस म एक दसर को नय वरष की िभ कामना दत ि सदिो का आदान-परदान गरीटटग कारडसष और

उपिार नए साल क उतसव का शिससा ि भारत क सभी शिससो म लोग गायन खल नतय और पारटषयो म भाग

लन जसी मज़दार गशतशवशधयो म िाशमल िोत ि नाइट कलब मवी शरयटर ररसॉरटसष रसतरा और मनोरजन

पाकष सभी उमर क लोगो स भर हए िोत ि जो लोग घर क अदर रिन का फसला करत ि व मनोरजन और

16 61 2019 5

मसती क शलए नए साल क मीशडया क कायषकरमो का सिारा लत ि आगामी वरष क शलए नए परसतावो की

योजना बनान की परानी परमपरा एक आम बात ि बड़ ििरो म लाइव सगीत कायषकरम आयोशजत िोत ि

शजनम बॉलीवड शसतार और अनय परशसदध वयशकततव िाशमल ि बड़ी भीड़ ऐस िो म भाग लन क शलए इकटठा

िोती ि नव वरष मज़ स भर अवसर को आपक जीवन म शपरयजनो क करीब आन और खोए गए दोसतो क समपकष

को पनजीशवत करन का एक िानदार अवसर माना जाता ि

वरष 2019 का मितव 4 फरवरी सोमवार को परयागराज म अधष कमभ का मिोतसव ि इस कदन

सोमवती अमावस िोन स अधषकमभी क सार-सार िररदवार आकद अनय तीरष सरानो का भी शविर मािातमय

रिगा शजस परकार िररदवार परयागराज उजजन और नाशसक - इन चार परमख तीरो पर परशत बारि वरष कमभ

मिापवष मनाया जाता ि उसी परकार कवल परयागराज और िररदवार म 6 वरो क पशचात अधषकमभी का पवष

मनाया जाता ि यि अधषकमभ पवष उजजन और नाशसक म मनान की परमपरा निी ि कमभ एवम अधषकमभी क

िभ पवष गगा-यमना तरा सरसवती क जलो म कदवय वयोम स अमत ततव का समावि हआ माना जाता ि 56

जनवरी िशनरशववार को खणडगरास सयषगरिण तरा 21 जनवरी सोमवार को खगरास चनरगरिण ि

गड नयज़ इरोशपया इरोशपया का नया साल 11 (लीप 12) शसतमबर को मनाया जाता ि तदनसार

शमलशननयम 2000 का उतसव 12 शसतमबर 2007 को मनाया गया इरोशपया का समय जी ऍम टी स 3 घट

आग ि तरा रात और कदन 12 12 घट क ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स लगभग 8 वरष पीछ ि

इरोशपयन वरष 13 मिीन तरा 365 (लीप 366) कदन का िोता ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स

शसतमबर कदसमबर म 7 वरष 8 मिीन तरा जनवरी अगसत म 8 वरष 4 मिीन पीछ ि पिल 12 मिीन 30 30

कदन तरा 13 वा मिीना 56 कदन का िोता ि

गरगोररयन कलडर की सारषकता िर वरष का िर तरा अनत का कदन एक िी िोता ि 2001 सोमवार

2002 मगलवार िर वरष जनवरी तरा अकटबर एक िी कदन िर िोत ि 2003 बधवार 2006 रशववार िर

वरष फरवरी माचष और नवमबर एक िी कदन िर िोत ि 2001 गरवार और 2003 िशनवार िर वरष अपरल

और जलाई एक िी कदन िर िोत ि 2003 मगलवार और 2006 िशनवार िर वरष शसतमबर और कदसमबर

एक िी कदन िर िोत ि 2003 सोमवार और 2006 िकरवार

शवशचतर जनम अलग-अलग वरष अलग-अलग कदन अलग-अलग समय परनत जनम कदन एक सार

मनाया गया िनना का जनम मगलवार 31 कदसमबर 2013 को राशतर 1159 पर हआ उसकी शरटवन शससटर

डशनयल का जनम बधवार1 जनवरी 2014 की आधी रात क 40 सकड बाद हआ (उस टकसास अमररका म

वरष 2014 म पदा िोन वाला पिला बिा घोशरत ककया गया) दोनो का पिला जनम कदन एक सार बधवार को

मनाया गया

नय यॉकष Time Square म नए वरष का उतसव नय यॉकष टाइम सवायर पर नए वरष का उतसव 1904

स लगातार मनाया जा रिा ि परनत 1907 म नय ईव बाल को पिली बार वन टाइम सवायर क ऊपर लग

फलगपोल स उतारा गया लोि और लकड़ी स बन नय ईव बाल का भार 700 पौड और वयास 5 फट रा इस

25 वाट परकाि वाल 100 बलबो स सजाया गया रा टाइम सवायर क आस-पास क िोटलो क वटरो को बटरी

चशलत बलबो स नबर 1908 स सज हए िट पिनाय गय र ठीक आधी रात पर जब उनिन अपन िटो स पदाष

16 61 2019 6

उठाया तो उनक मारो पर बलबो स बना नमबर 1908 नय साल का सकत करन क शलए परकाि स जगमगा

उठा

परारषना- नय वरष म परभ स परारषना करता ह कक ससार क सभी पराशणयो को सदबशदध द ससार क लोगो

म परम और सदभाव बढ़ सब भाई-बिन शबना दवर क परम स शमल जल कर रि ससार क सभी लोग माता-शपता

तरा बड़ो का आदर रखत हए कल परमपरा का पालन कर कटमब क बड़ लोग सबक परशत ममता और करणा

रख तरा छोट सदसय शवनयी नमर और आजञाकारी बन सब मधर सतय वाणी बोल नय वरष म ससार क सब

लोगो का सवासथय अचछा रि और रोग सचताओ स मकत रि सब सौ वरष या इस स भी अशधक सखमय आय

पाय नय वरष म सबको परभ कपा स सफलता शमल ससार क सभी लोग सिाई क रासत स कमाय और सब

शमल कर उसका उपभोग कर िमारा जञान िम सनमागष की ओर ल जाव ससार क लोगो म सतय सवा और

सियोग की भावना पदा िो ससार क सभी लोग शमल कर आतकवाकदयो का नाि कर

आजकल िर दि िाशत-िाशत की रट लगा रिा ि और सार-सार घातक स घातक बम बना रिा ि िर

बड़ दि की दसर बड़ दि का भय रात की नीद उड़ा रिा ि नय वरष म परभ स परारषना ि कक सब दि िाशत क

मागष पर चल

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म जल म रल म और गगन म

अनतररकष म अशि पवन म औरशध वनसपशत वन उपवन म

सकल शवशव म जड़ चतन म िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

बराहमण क उपदि वचन म कषशतरय क दवारा िो रण म

वशयजनो क िोव धन म और िर क िो तन मन म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

िाशनत राषटर-शनमाषण सजन म नगर गराम म और भवन म

जीवमातर क तन म मन म और जगत क िो कण कण म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

ॐ िाशनत िाशनत िाशनत

16 61 2019 7

तम सवय दीपक बनो

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत मिातमा गाधी अतराषषटरीय शिनदी शवशवशवदयालय)

दीपावली पवष क अवसर पर भाशत-भाशत क परकाि क आयोजन बड़ िी धम-धाम स ककए जात ि

भारतीय पचाग क शिसाब स कषण पकष की अमावासया यानी गिन अधकार भरी काली रात म दीपावली मनाई

जाती ि वस भी अधरा िोन पर िी िम परकाि की जररत महसस िोती ि तब िम परकाि का आवािन करत

ि वस जब भी कोई पजा-अचषना िोती ि तो परकाि की उपशसरशत अशनवायष ि परतयक दव-पजा म भी दीप

जलात ि और पजा समपनन िोन पर आरती भी की जाती ि परकाि और जञान क बीच का भी गिरा ररशता ि

दीप का अरष यि भी समझ म आता ि कक भरमो को िटात हए सवय को आलोककत करो सदधगण का परकाि िी

जगत को आलोककत करता ि आशखर अिकार (क अधकार) स मकत िो कर िी जञान की राि बनती ि जञान की

तातकाशलक पररणशत भी शवनय ि शजसस पातरता आती ि जो भी िो परकाि क परशत भारतीय मानस की गिरी

आसरा रिी ि धीर-धीर परकाि सभय सससकत िोन की िमारी वयवसरा का शिससा बन गया मलय क रप म

वकदक काल स िी अधकार स परकाि की ओर आग बढन की कामना की जाती रिी ि

किा जाता ि कक राजा राम क अयोधया आगमन क अवसर पर नगरजनो न सवागत दीप जलाए और

तभी स दीपावली की परमपरा िर हई री शपछल साल स उततर परदि की सरकार न अयोधया म दीपावली का

बड़ पमान पर आयोजन िर ककया ि इस वरष सरय तट पर तीन लाख स जयादा दीय जलाए गए और

lsquoफजाबादrsquo क नाम स दजष अयोधया को कफर lsquoअयोधयाrsquo नाम द कदया गया आयोजन का आकरषण पषपक शवमान

(िलीकॉपटर) स रामावतरण और राम राजयाशभरक की लीला का आयोजन रा इस अवसर पर आकाि स

पषपवशषट भी हई दशकषण कोररया की पररम मशिला ककम जग सक का साशननधय भी शमला शजस पराचीन काल म

घरटत अयोधया की राजकमारी की कोररया क राजकमार क सार शववाि की घटना क सार जोड़ कर दखा गया

यि परा कायषकरम बड़ा िी भवय रा मयाषदा पररोततम राम क अनरप यि अलग बात ि कक शसयासी िलक इस

आयोजन का राजनशतक आिय दख रि ि वस भी राम मयाषदा की याद कदलात ि और जनकलयाण क आग सब

कछ तयाग दन को तयार रित ि राजनीशतजञो को इस भी धयान म रखना चाशिए परशतमा म छशव सरशकषत

करन स अशधक ज़ररी ि जनकलयाण की मशिम

कदय क सवभाव पर धयान दत हए भगवान बदध की भी याद आती ि उनिोन कभी गिन आतम-शनरीकषण

क कषणो म बड़ शवचार क बाद शनणषयातमक सवर म अपन अनभवो क शनचोड़ क रप म अपन अनयाशययो को

यि शनदि कदया रा lsquoअपप दीपो भवrsquo यानी खद अपन आप को िी दीया बनाओ उनिोन सब क सामन आतम-

सधान की एक करठन चनौती रखी शजसक शलए सतत साधना की जररत पड़ती ि वस तो दीपक और िरीर

दोनो शमटटी िी ि पाररषव ततव स शनरमषत ि परनत परकाि स आलोक शबखरन वाला दीप बनना आसान निी

दीपक अपन अशसततव की परवाि ककए शबना चतना (परकाि) का शवसतार करता चलता ि यि करठन चनौती

ि दीप बनना मनषय क आतम-िोधन और आतम-दान की माग करता ि शजसक शलए शनषठा और समपषण की

आवशयकता पड़ती ि

यि सामानय अनभव ि कक दीया जलता ि और जलत िी अपन चतरदषक क पर पररवि को आलोककत

कर जाता ि गरीब की झोपड़ी स अमीर की अटटाशलका तक दीय का जोर रिा ि छोट स शमटटी क दीय क

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परकाि क आगमन क सार िी घोर स घोर अधकार की भी ततकषण छटटी िो जाती ि इसीशलए दीप को lsquoजयोशत-

तीरषrsquo भी किा जाता ि परकाि स ऊजाष और ऊषमा भी शमलती ि जो जीवन को समभव करती ि परी सशषट को

िी ऊषमा की शनरतर दरकार बनी रिती ि मनषय िी निी पड़-पौध खत-खशलिान जीव-जत सब-क-सब

ककसी न ककसी मातरा म परकाि की चाि रखत ि और तो और ऋत चकर भी मलत परकाि का िी खल ि परकाि

जीवन को शनयशमत-वयवशसरत करता ि किा जा सकता ि कक परकाि ि तो जीवन ि परकशत क परसाद क रप

म सयषदव का परकाि समसत जगत को न जान कब स शमलता आ रिा ि परत परकाि की िी तरि अधकार भी

एक अटल जीवन-सतय ि और उसस शनरतर लड़त रिना और पार पाना मनषय जाशत की शनयशत ि सबका

अनभव ि कक जीवन कभी सीधी रखा म निी चला करता कयोकक सब कछ पवषशनशशचत निी िोता मानव

सभयता क इशतिास म िर यग म और िर जगि ऐसा िोता रिा ि ऐस म परकाि-अनधकार सख-दख शपरय-

अशपरय िाशन-लाभ जय-शवजय सभी तरि क खटट-मीठ शवपयाषसो क बीच स गजरत हए िी मनषय क जीवन

की गशत आग बढती ि

जब मनषय क शलए दीपक बनन क आदिष की बात भगवान बदध कि रि र तो शनशचय िी उनका आिय

कछ वयापक रा दीपक कई दशषटयो स एक अदधभत रचना ि जो रच जान क बाद अपन रचना-जगत का हशलया

िी बदल दता ि वि ससकशत की समगर सकलप-िशकत का समपणष परतीक ि उसकी दढता उसका सािस उसकी

सनि स आपररत रचना मनषय की एक लाजबाब कशत ि दसरो को परकाि दत समय दीपक ककसी तरि का भद-

भाव निी करता वि एक अदधभत दाता ि जो शबना ककसी कारण शनवयाषज भाव स और शबना ककसी स पछ जो

भी उसक समपकष म आता ि सबको अकठ भाव स परकाि बाटता-दता रिता ि उसका सवभाव िी ि दसरो को

शनरतर दत रिना शबना इसकी सचता ककए कक इस दान म उसका सवय का जीवन करमिः शनिर िोता जाता ि

दीपक सवय तो शनरपकष रिता ि वि एक शसरतपरजञ योगी की भाशत शबना ककसी तरि की आिा क (शनरािी)

और शबना मोि क (शनमषम) िो कर अधकार क शवरदध सतत यदधरत रिता ि यिी उसकी परकशत ि और इसी म

उसकी सारषकता ि दीप बनन क शलए आवािन करत हए भगवान बदध यि भी चाित ि कक परतयक वयशकत ककसी

दसर शरोत पर अवलशमबत न रि कर सवय अपन िी ससाधनो स तपत रि ndash आतमतपत उधार शलए हए परकाि या

िशकत पर भरोसा करन क अपन खतर और जोशखम िोत ि

मिाभारत म भी दीप की मानव मलयो क एक दीप की पररकलपना की गई ि शजसम सतय का आधार

तप (अराषत सयम) का तल दया की बाती (दखी जनो की सचता ) और कषमा की लौ की बात किी गई ि अत म

सभल कर दीया जलान की शिदायत दी गई ि शजसस अधकार स अचछी तरि लड़ा जा सक और रोका जा सक

अधकार आसरी परवशतत ि वि और कछ निी सिसा दवर कलि और लोभ आकद की दबषलताए ि इनि ककसी भी

कीमत पर जीवन पर िाबी निी िोन दना चाशिए आज जीवन म शनरािा और अशवशवास बढ रिा ि अनगषल

उपभोकता की तीवर परवशतत उफान पर ि इस पररशसरशत म वयशकत वभव पर अशधकार क शलए सननदध ि पर यि

निी भलना चशिए कक गणि जी गण दवता ि अराषत व सामानय जन समाज का परशतशनशधतव करत ि और

लकषमी जी की पजा उनक सार िी करन का शवधान ि

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म और तम

डॉ अजय शरीवासतव

मन कब किा रा कक तम घनी काली

बदरी बनकर आसमा म छा जाना

मन तो सोचा रा कक काि तम मनद मनद

बिती हई मरी बशगया मिका दती

मन कब किा रा कक तम कफजाओ म

अपनी रगत शबखर दना

मन तो सोचा रा कक काि तम िमसाया बनकर

जीवन भर मर lsquoवासतrsquo िी बनी रिती

मन कब किा रा कक तमिारी घनी छाव म

िरएक अपना पड़ाव डाल द

मन तो सोचा रा कक काि तम एक पौधा

सरीखा मर आगन म बनी रिती

मन कब किा रा कक चटटानो क बीच स शनकली

बलखाती एक नदी क माशननद तम िरएक को रोमाशचत करती

मन तो सोचा रा कक काि तमिार िानत

धीर जल म शसफष और शसफष म िी अपना अकस दख लता

मन कब किा रा कक तम अपनी पगधवशनयो

स चपप-चपप को गजायमान करना

मन तो सोचा रा कक काि तम मरी िर खिी गम म

अपन कदमो की आिट स मझ को बाध रखती

मन कब किा रा कक तम अपन आचल स

एक बि जसा मझ परी तरि स ढक लना

मन तो सोचा रा कक काि तमिारा िमसफर बनकर

म दशवाररयो भरी शजनदगी को जी लता

तमिारी राि अलग और मरी अलग

इन दो रािो का शमलना ममककन निी

लककन अननत पर य जदा राि शमल िी जावगी

तब तक म तमिारी बाट जोहगा

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अधकार म परभापज सवामी शववकानद ( १२ जनवरी सवामी शववकानद जी क जनम-कदवस पर शविर ndash समपादक )

सनतोर खनना

सवामी शववकानद भारतीय अधयाशतमक और धारमषक मनीरा क शसरमौर वयशकततव र ४० वरष की

अलपाय म िी उनिोन दि और शवशव को अपन अवदान स इतना अनपराशणत और समदध कर कदया कक दि की

यवा पीकढ़या उनक कदखाए मागष पर चल कर अपना तो भागय सवार िी सकती ि वि पर शवशव म भारत का

परचम लिरा कर उपभोकतावाद और शनर भौशतकतावाद क भवर म फ स आज क सतपत और अशभिपत मानव को

एक सारषक कदिा परदान कर सकती ि

भारत क गौरविाली वदात दिषन क माधयम स सवामी शववकानद न ततकालीन अध यग की

पररशसरशतयो को शचशहनत कर मानवीय सशिषणता शवशव बधता और असिसा का सदि कदया रा आज स

लगभग १२५ वरष पिल उनिोन यवाओ का आहवान करत हए कठोपशनरद क एक मतर को अपना जीवन दिषन

माना रा जो आज भी सभी क शलए शविर रप स यवाओ क शलए उतना िी सारषक एव परासशगक ि शजतना

उस समय रा बशलक आज उसस भी किी अशधक सारषक ि वि अमर सदि रा- lsquoउशततशषठत जागत परापय

वराशनबोधतः lsquoअराषत उठो जागो तरा तब तक मत रको जब तक कक अपन लकषय तक न पहच जाओ इसी

आहवान को उनिोन अगरजी भारा क पररक िबदो म किा रा - Awake arise and stop not till the goal

is reached

सवामी शववकानद न मातर ३० वरष की आय म अमररका शसरत शिकागो म ११ शसतमबर १८९३ म

आयोशजत शवशव धमषसभा म भारत की ओर स सनातन धमष का परशतशनशधतव ककया रा भारत का अधयाशतमकता

स पररपणष वदात दिषन अमररका और यरोप क िर दि म सवामी शववकानद की वाकतततता क कारण िी पहचा

उनका शिकागो म शवशव धमषसभा म कदया गया भारण एक ऐसा अमर भारण ि शजस तरि का समानानतर

भारण िायद िी किी उपलबध िो आज का यग एक चतनिील यग ि सभी परकार का जञान पसतको और

अनतजाषल पर उपलबध ि िो सकता ि आज बहत स मनीरी अचछ-अचछ भारण द तो िायद इतना आशचयष न

िो ककनत १८वी-१९वी िती क उस अधकार काल म सवामी शववकानद न जो भारण कदया वि सवय म एक

शमसाल ि उनिोन अपनी धीर एव गमभीर वाणी म अपन भारण का आरमभ िी ककया रा lsquolsquoअमररका क

भाईयो और बशिनोlsquolsquo स (शजसका उस सभागार म जोरदार तरा बड़ी दर तक करतल धवशन स सवागत हआ रा)

इस समबोधन क पीछ भी वदात का वि गौरविाली शसदधात िी रा शजस िम बड़ गवष स lsquoवसधव कटमबकमlsquo क

नाम स अशभशित करत ि शववकानद जी क उस समपणष भारण को सन कर ऐसा निी लगता कक वि भारण

१८९३ म कदया गया बशलक ऐसा लगता ि कक मानो व आज िमार सममख बोल रि ि कयोकक उस भारण म

शजन बातो का उललख ि उन पर आज भी िम उतनी ततपरता स आतममरन करत ि

उनक भारण की कई ऐसी उललखनीय बात ि शजनको म यिा रखाककत करना चािती ह शपछल २-३

वरष स कछ लोग भारत म सशिषणता पर कई तरि क परशनशचहन लगा रि ि ककत उनको यिा समरण कदलान की

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आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

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सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

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ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

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शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

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द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

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ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

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उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

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परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

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बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

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सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

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बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

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इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

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कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

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राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

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2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 2: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

मर पयार भारत

बराम हलिलत (मि भाषा - रोमानी)

भावानवाद पदमशरी डॉ शयाम स िह शलश

तम मर हदय की कमपन हो

मरी आतमा हो

पराचीनतम दश हो

लवशव की परातन िसकलत को माए

धन-धानय मपनन

मरी लपत-भलम

तम नही जानती

अपन लबछड़ िािो का

भारतविलशयो का ददद

यालन हमारा ददद

जो इमयन कर गया ह हम

ग चमबरो की तपन हत- हत

लजनम भन ददय गए थ

हमार पवदज

फ़ाल सट लहटिर दवारा

परतयक रोमा का पना होता ह

की वह लपत-ऋण उऋण हो

पलवतर गिगा क दश

भारत की पररकरमा कर

पि-पि ोचत ह हम

तमहार बार म

गीत गात ह तमहार दलनयाा-भर म

ब हो तम

लहमािय सहिदकश तक

हमार पराणो म

मर भारत

तम हदय हो मरा

अलवनाशी आतमा हो

और दखो मर-मर कर जीलवत ह

हम अपन को ोव म आज भी

16 61 2019 1

डॉ (पोसट-डॉकटरल फ़लोशिप अवाडी)

भारत क राषटरपशत दवारा राषटरपशत भवन म शिनदी सवी सममान स सममाशनत

सवागत ि नव वरष तमिारा रमि जोिी ३

नव वरष मदन लाल गपता ४

तम सवय दीपक बनो परो शगरीशवर शमशर ७

म और तम डॉ अजय शरीवासतव ९

अधकार म परभाकज सवामी शववकानद सतोर खनना १०

ग़ज़ल सजीव गौतम १३

शवदरी माता मतरयी डॉ अिोक आयष १४

ग़ज़ल दयानद पाणडय १६

परम की पराकाषठा उपासना गौतम १८

बड़पपन मनोज कमार िकल ldquoमनोजrdquo १९

कक जान कसी परीत लगाई अरण शतवारी २३

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी सिील िमाष २५

शनशचलता मोिनजीत ककरजा २९

इनसान स इनसान का िो भाईचारा

यिी पगाम िमारा अशनता िमाष ३०

नक कमष डॉ िशि ऋशर ३२

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता

दिषन योग जञान और शवजञान डॉ मदल कीरतष ३३

शवशवास ि परारषना अजय जन ldquoशवकलपrdquo ३७

जातयातरण धमनर कमार ३८

मरी पसद निी अलरड घर शलशलगटो

अनवादक डॉ अशमत सारवाल ४१

पदाष ि पदाष कदलीप कमार ससि ४२

मर पयार भारत बराम िशलशत (मल भारा - रोमानी) भावानवाद पदमशरी डॉ शयाम ससि ldquoिशिrdquo १अ

डॉ सनि ठाकर का रचना ससार ४४अ

16 Revlis Crescent Toronto Ontario M1V-1E9 Canada TEL 416-291-9534

Annual subscription$2500

By Mail $3500 International Mail $4000

Website httpwwwVasudha1webscom

e-mail drsnehthakoregmailcom

16 61 2019 2

इस नव-वरष वसधा अपन जीवन क सोलिव वरष म पदापषण कर रिी ि इस बलखाती इठलाती रोडिी

को रचनाकारो और पाठको न अपन सनि स सीच कर उमर क इस सनिर मक़ाम पर पहचाया ि शजसक शलए वि

सभी की आभारी ि और आिा करती ि कक सज़दगी क िर पड़ाव पर उस इसी परकार आप सबका आिीवाषद परापत

िोता रिगा

आगामी िोली की गलाल-भरी िभ-कामनाए िोली जिा ईशवर की सतता सवीकार करन का तयोिार ि

कक िर शवरम स शवरम पररशसरशत म ईशवर अपन भकत की रकषा करता ि शवकट स शवकट अवसरा म उस

सरशकषत रखता ि िोशलका-दिन व शिरणयकशिप-वध स बराई का अत कर भगवान म परम आसरा रखन वाल

अपन भकत परहलाद का मन सत-शचत-आनद स भर दता ि विी यि तयोिार अगली-शपछली वमनसयता भला

कर शमतरता का िार राम सवय की व दसर की काशलमा कलरता शमटाकर सौिारषपणष भाव स एक-दसर पर

सशिदानद क िभ रगो की वराष करन की शिकषा भी दता ि जब आप कलरता की काशलमा को तयाग भाईचार

क पावन-पनीत िभ रगो स दसर को पलाशवत करत ि तो उसक छीट आप पर भी पड़त ि जो न कवल दसरो क

जीवन म वरन आपक जीवन म भी खशियो की बिार लात ि आइए इस भावावयशकत क सार िम िोली का

सकलप ल और मानवता को आदिष-परम क रग म रग कर सराबोर कर भारतीय िोली का उतकषट िभ सदि

शवशव म सराशपत कर िम दि म रि चाि शवदि म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय ससकशत जो िम शवरासत

म शमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा वतषमान व भावी पीढ़ी क शलए चाि वि भारतीय

िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकशत की मिाल जलाय रखन क शलए िम परशतबदध िोना ि इस िभ

सकलप स जड़ी आप सबकी परशतबदधता भारतीय ससकारो क मानदणडो को सराशपत कर परसपर सहदयता एव

परम भावना बढ़ा शजस दि-परदि म भी आप शनवास करत ि उस परममय बना दगी और अनततोगतवा ऐसा

सौिारषपणष वातावरण िर दि काल क शलए अनकरणीय िोगा िर दशषट स सरािनीय िोगा इशतिास अतीत की

वयाखया ि साशितय वतषमान का दपषण ि और समाज का भशवषय शनमाषता भी सामाशजक एव साशिशतयक

गशतशवशधयो दवारा िी िम भारतीय समाज - आपरवासी भारतीय समाज व भारतवशियो का न कवल वतषमान

उजजवल बनाएग वरन उजजवल भशवषय की नीव ठोस आधार-शिला का शनमाषण भी करग ऐसी मरी मानयता ि

भारत क ससद भवन क भवय कनरीय ककष म सयोजक - माननीया सतया बशिन पवष सासद राजयसभा अधयकष

ldquoससदीय शिनदी परररदrdquo माननीया सतोर खनना मिासशचव ldquoशवशध भारतीय परररदrdquo एव माननीया उरमषल

सतयभरण अधयकष ldquoपररचय साशितय परररदrdquo ndash दवारा ldquoससदीय शिनदी परररदrdquo का गौरविाली राषटरभारा

उतसव पदमभरण डॉ सभार कशयप पवष मिासशचव लोकसभा एव भारत क परशतशषठत सशवधान शवद की

अधयकषता म एव मखय अशतशर डॉ सतय नारायण जरटया पवष कनरीय मतरी राजयसभा क उपसभापशत एव

ससदीय राजसभा सशमशत क उपाधयकष क साशननदधधय म सफलतापवषक समपनन हआ गणमानय शवशिषट अशतशर र-

डॉ रमा पराचायष िसराज कॉलज कदलली शवशवशवदयालय डॉ अवनीि कमार अधयकष वजञाशनक एव तकनीकी

िबदावली आयोग एव शनदिक कनरीय शिनदी शनदिालय मानव ससाधन शवकास मतरालय भारत सरकार डॉ

रामिरण गौड़ अधयकष कदलली लाइबररी बोडष परो डॉ परन चद टडन परो शिनदी शवभाग कदलली शवशवशवदयालय

राषटर भारा मिोतसव क परशत समरपषत ऐस भवय समारोि म सवय क शलए परदतत ldquoराषटर भारा गौरव सममानrdquo

ित शरीमती सतोर खनना एव सभी समबशधत आदरणीय एव शपरयजनो की आभारी ह सभी का िारदषक धनयवाद

ईशरवर कपा और आप सभी शितशरयो की िभकामनाओ स मर उपनयास ldquoलोक-नायक रामrdquo का चतरष

ससकरण परकाशित िो गया ि एव उपनयास ldquoदिानन रावणrdquo परकािनाधीन ि

नव वरष सभी क शलए मगलमय िो शवशव िाशत की कामना शलए ससनह सनह ठाकर

16 61 2019 3

सवागत ि नव वरष तमिारा

रमि जोिी

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

कर कामना सब को सखकर िो यि नतन वरष |

कोई भरम िका िो तो भी बद न िो सवाद |

आपस म शमल-जल सलझा ल िो यकद कोई शववाद |

दःख-पीड़ा आपस म बाट बाट उतसव-िरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

सभी पररशरम कर िशकत भर कोई न कर परमाद |

जल िोशलका शवशवासो का बचा रि परहलाद |

कवल कछ का निी सभी का िो समशचत उतकरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

सवारष छोड़ कततषवय कर वि पररोततम शरीराम |

यि आदिष िमारा िोव िोग िभ पररणाम |

नयाय-जानकी अपहत िो तो शमल कर सघरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

16 61 2019 4

नव-वरष

मदन लाल गपता

आजकल सामानयत गरगोररयन कलडर का परयोग ककया जाता ि यि जशलयन कलडर को सधार करक

1852 म बनाया गया रा इस कोड म ए डी या सी ई शलखा जाता ि भारत म तयौिार मनान क शलए ldquoलनरrdquo

तरा दशनक उपयोग क शलए ldquoसोलरrdquo कलडर ि गरगोररयन कलडर म1 जनवरी स नया साल आरमभ िोता ि

भारत म नए साल क कदन शवदिी पयषटको का आगमन अपन चरम पर ि खासकर गोवा जस सरानो म जो एक

पसदीदा पयषटन सरल माना जाता ि

वरष 2019 का आरमभ मगलवार क िभ कदन स िोगा मगलवार का कदन भगवान िनमान को समरपषत

ि दशकषण भारत म य कदन सकद उफष मरगन या कारतषकय क शलए समरपषत ि भकत लोग इस कदन िनमान

चालीसा को हनमान दवता को समरपषत करत ि मगलवार का वरत उन दपशतयो क दवारा ककया जाता ि जो एक

बटा िोन की इचछा करत ि जो लोग जयोशतर म शवशवास रखत ि वो लोग मगल गरि स जड़ िाशनकारक परभाव

को कम करन क शलए और गरि िाशत क शलए मगलवार का वरत रखत ि अशधकाि सिद 21 मगलवार क वरत

रखत ि मगल को एक मसीबत शनमाषता क रप म माना जाता ि और मगलवार का वरत रखकर लोग मसीबतो

और बराइयो को रासत स िटा सकत ि

मगल (मासष) नौ गरिो म स एक ि उस अनय नामो जस अगारक और खज क नाम स भी जाना जाता ि उस

पथवी दवी या भशम का पतर भी माना जाता ि पथवी दवी का नाम िशकत वीरता और सािस क सार जड़ा हआ

ि मगल को धमष का रकषक और जीवन का उददशय माना जाता ि 12 अवतार क समय परमशवर की चमक

आकाि म िजारो सयष क बराबर री यि पथवी दवी क शलए असिनीय रा तब भगवान पथवी दवी की

इचछाओ को परा करन क शलए सदर और मल रप म कदखाई कदए उनिोन िादी कर ली और बाद म एक वरष

बाद उनि मगल पदा हआ रा

नए साल का सकत ि कक बीत चक साल क शलए शवदाई करन और नए साल का सवागत करन का समय

आ गया ि दशनया भर म पशशचमी ससकशत क शवकास क सार गरगोररयन कलडर का 1 जनवरी को नया साल

का कदन भारत क कई समारोिो म स एक रिा ि कछ कित ि कक यि तब िर हआ जब अगरजो न भारत का

उपशनवि ककया जबकक अनय कित ि कक इसकी लोकशपरयता 1940 क दिक क बाद शवकशसत हई यि धयान

रखना मितवपणष ि कक भारत म शवशभनन समिो क बीच अलग-अलग कलडर का उपयोग ककया जाता ि

इसशलए इन कलडरो म शचशनित िोन पर आधाररत नए साल को अलग-अलग समय म मनाया जाता ि

गजरात म नया वरष कदवाली स िर िोता ि

भारत म (पिली जनवरी) नए वरष क िभावसर पर लोग नदी पर सनान करत ि और नदी का जल

शछड़क कर घर को पशवतर करत ि नय कपड़ पिनत ि मकदर जात ि कई लोग घर पर िवन करत ि और दान

करत ि आपस म एक दसर को नय वरष की िभ कामना दत ि सदिो का आदान-परदान गरीटटग कारडसष और

उपिार नए साल क उतसव का शिससा ि भारत क सभी शिससो म लोग गायन खल नतय और पारटषयो म भाग

लन जसी मज़दार गशतशवशधयो म िाशमल िोत ि नाइट कलब मवी शरयटर ररसॉरटसष रसतरा और मनोरजन

पाकष सभी उमर क लोगो स भर हए िोत ि जो लोग घर क अदर रिन का फसला करत ि व मनोरजन और

16 61 2019 5

मसती क शलए नए साल क मीशडया क कायषकरमो का सिारा लत ि आगामी वरष क शलए नए परसतावो की

योजना बनान की परानी परमपरा एक आम बात ि बड़ ििरो म लाइव सगीत कायषकरम आयोशजत िोत ि

शजनम बॉलीवड शसतार और अनय परशसदध वयशकततव िाशमल ि बड़ी भीड़ ऐस िो म भाग लन क शलए इकटठा

िोती ि नव वरष मज़ स भर अवसर को आपक जीवन म शपरयजनो क करीब आन और खोए गए दोसतो क समपकष

को पनजीशवत करन का एक िानदार अवसर माना जाता ि

वरष 2019 का मितव 4 फरवरी सोमवार को परयागराज म अधष कमभ का मिोतसव ि इस कदन

सोमवती अमावस िोन स अधषकमभी क सार-सार िररदवार आकद अनय तीरष सरानो का भी शविर मािातमय

रिगा शजस परकार िररदवार परयागराज उजजन और नाशसक - इन चार परमख तीरो पर परशत बारि वरष कमभ

मिापवष मनाया जाता ि उसी परकार कवल परयागराज और िररदवार म 6 वरो क पशचात अधषकमभी का पवष

मनाया जाता ि यि अधषकमभ पवष उजजन और नाशसक म मनान की परमपरा निी ि कमभ एवम अधषकमभी क

िभ पवष गगा-यमना तरा सरसवती क जलो म कदवय वयोम स अमत ततव का समावि हआ माना जाता ि 56

जनवरी िशनरशववार को खणडगरास सयषगरिण तरा 21 जनवरी सोमवार को खगरास चनरगरिण ि

गड नयज़ इरोशपया इरोशपया का नया साल 11 (लीप 12) शसतमबर को मनाया जाता ि तदनसार

शमलशननयम 2000 का उतसव 12 शसतमबर 2007 को मनाया गया इरोशपया का समय जी ऍम टी स 3 घट

आग ि तरा रात और कदन 12 12 घट क ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स लगभग 8 वरष पीछ ि

इरोशपयन वरष 13 मिीन तरा 365 (लीप 366) कदन का िोता ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स

शसतमबर कदसमबर म 7 वरष 8 मिीन तरा जनवरी अगसत म 8 वरष 4 मिीन पीछ ि पिल 12 मिीन 30 30

कदन तरा 13 वा मिीना 56 कदन का िोता ि

गरगोररयन कलडर की सारषकता िर वरष का िर तरा अनत का कदन एक िी िोता ि 2001 सोमवार

2002 मगलवार िर वरष जनवरी तरा अकटबर एक िी कदन िर िोत ि 2003 बधवार 2006 रशववार िर

वरष फरवरी माचष और नवमबर एक िी कदन िर िोत ि 2001 गरवार और 2003 िशनवार िर वरष अपरल

और जलाई एक िी कदन िर िोत ि 2003 मगलवार और 2006 िशनवार िर वरष शसतमबर और कदसमबर

एक िी कदन िर िोत ि 2003 सोमवार और 2006 िकरवार

शवशचतर जनम अलग-अलग वरष अलग-अलग कदन अलग-अलग समय परनत जनम कदन एक सार

मनाया गया िनना का जनम मगलवार 31 कदसमबर 2013 को राशतर 1159 पर हआ उसकी शरटवन शससटर

डशनयल का जनम बधवार1 जनवरी 2014 की आधी रात क 40 सकड बाद हआ (उस टकसास अमररका म

वरष 2014 म पदा िोन वाला पिला बिा घोशरत ककया गया) दोनो का पिला जनम कदन एक सार बधवार को

मनाया गया

नय यॉकष Time Square म नए वरष का उतसव नय यॉकष टाइम सवायर पर नए वरष का उतसव 1904

स लगातार मनाया जा रिा ि परनत 1907 म नय ईव बाल को पिली बार वन टाइम सवायर क ऊपर लग

फलगपोल स उतारा गया लोि और लकड़ी स बन नय ईव बाल का भार 700 पौड और वयास 5 फट रा इस

25 वाट परकाि वाल 100 बलबो स सजाया गया रा टाइम सवायर क आस-पास क िोटलो क वटरो को बटरी

चशलत बलबो स नबर 1908 स सज हए िट पिनाय गय र ठीक आधी रात पर जब उनिन अपन िटो स पदाष

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उठाया तो उनक मारो पर बलबो स बना नमबर 1908 नय साल का सकत करन क शलए परकाि स जगमगा

उठा

परारषना- नय वरष म परभ स परारषना करता ह कक ससार क सभी पराशणयो को सदबशदध द ससार क लोगो

म परम और सदभाव बढ़ सब भाई-बिन शबना दवर क परम स शमल जल कर रि ससार क सभी लोग माता-शपता

तरा बड़ो का आदर रखत हए कल परमपरा का पालन कर कटमब क बड़ लोग सबक परशत ममता और करणा

रख तरा छोट सदसय शवनयी नमर और आजञाकारी बन सब मधर सतय वाणी बोल नय वरष म ससार क सब

लोगो का सवासथय अचछा रि और रोग सचताओ स मकत रि सब सौ वरष या इस स भी अशधक सखमय आय

पाय नय वरष म सबको परभ कपा स सफलता शमल ससार क सभी लोग सिाई क रासत स कमाय और सब

शमल कर उसका उपभोग कर िमारा जञान िम सनमागष की ओर ल जाव ससार क लोगो म सतय सवा और

सियोग की भावना पदा िो ससार क सभी लोग शमल कर आतकवाकदयो का नाि कर

आजकल िर दि िाशत-िाशत की रट लगा रिा ि और सार-सार घातक स घातक बम बना रिा ि िर

बड़ दि की दसर बड़ दि का भय रात की नीद उड़ा रिा ि नय वरष म परभ स परारषना ि कक सब दि िाशत क

मागष पर चल

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म जल म रल म और गगन म

अनतररकष म अशि पवन म औरशध वनसपशत वन उपवन म

सकल शवशव म जड़ चतन म िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

बराहमण क उपदि वचन म कषशतरय क दवारा िो रण म

वशयजनो क िोव धन म और िर क िो तन मन म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

िाशनत राषटर-शनमाषण सजन म नगर गराम म और भवन म

जीवमातर क तन म मन म और जगत क िो कण कण म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

ॐ िाशनत िाशनत िाशनत

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तम सवय दीपक बनो

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत मिातमा गाधी अतराषषटरीय शिनदी शवशवशवदयालय)

दीपावली पवष क अवसर पर भाशत-भाशत क परकाि क आयोजन बड़ िी धम-धाम स ककए जात ि

भारतीय पचाग क शिसाब स कषण पकष की अमावासया यानी गिन अधकार भरी काली रात म दीपावली मनाई

जाती ि वस भी अधरा िोन पर िी िम परकाि की जररत महसस िोती ि तब िम परकाि का आवािन करत

ि वस जब भी कोई पजा-अचषना िोती ि तो परकाि की उपशसरशत अशनवायष ि परतयक दव-पजा म भी दीप

जलात ि और पजा समपनन िोन पर आरती भी की जाती ि परकाि और जञान क बीच का भी गिरा ररशता ि

दीप का अरष यि भी समझ म आता ि कक भरमो को िटात हए सवय को आलोककत करो सदधगण का परकाि िी

जगत को आलोककत करता ि आशखर अिकार (क अधकार) स मकत िो कर िी जञान की राि बनती ि जञान की

तातकाशलक पररणशत भी शवनय ि शजसस पातरता आती ि जो भी िो परकाि क परशत भारतीय मानस की गिरी

आसरा रिी ि धीर-धीर परकाि सभय सससकत िोन की िमारी वयवसरा का शिससा बन गया मलय क रप म

वकदक काल स िी अधकार स परकाि की ओर आग बढन की कामना की जाती रिी ि

किा जाता ि कक राजा राम क अयोधया आगमन क अवसर पर नगरजनो न सवागत दीप जलाए और

तभी स दीपावली की परमपरा िर हई री शपछल साल स उततर परदि की सरकार न अयोधया म दीपावली का

बड़ पमान पर आयोजन िर ककया ि इस वरष सरय तट पर तीन लाख स जयादा दीय जलाए गए और

lsquoफजाबादrsquo क नाम स दजष अयोधया को कफर lsquoअयोधयाrsquo नाम द कदया गया आयोजन का आकरषण पषपक शवमान

(िलीकॉपटर) स रामावतरण और राम राजयाशभरक की लीला का आयोजन रा इस अवसर पर आकाि स

पषपवशषट भी हई दशकषण कोररया की पररम मशिला ककम जग सक का साशननधय भी शमला शजस पराचीन काल म

घरटत अयोधया की राजकमारी की कोररया क राजकमार क सार शववाि की घटना क सार जोड़ कर दखा गया

यि परा कायषकरम बड़ा िी भवय रा मयाषदा पररोततम राम क अनरप यि अलग बात ि कक शसयासी िलक इस

आयोजन का राजनशतक आिय दख रि ि वस भी राम मयाषदा की याद कदलात ि और जनकलयाण क आग सब

कछ तयाग दन को तयार रित ि राजनीशतजञो को इस भी धयान म रखना चाशिए परशतमा म छशव सरशकषत

करन स अशधक ज़ररी ि जनकलयाण की मशिम

कदय क सवभाव पर धयान दत हए भगवान बदध की भी याद आती ि उनिोन कभी गिन आतम-शनरीकषण

क कषणो म बड़ शवचार क बाद शनणषयातमक सवर म अपन अनभवो क शनचोड़ क रप म अपन अनयाशययो को

यि शनदि कदया रा lsquoअपप दीपो भवrsquo यानी खद अपन आप को िी दीया बनाओ उनिोन सब क सामन आतम-

सधान की एक करठन चनौती रखी शजसक शलए सतत साधना की जररत पड़ती ि वस तो दीपक और िरीर

दोनो शमटटी िी ि पाररषव ततव स शनरमषत ि परनत परकाि स आलोक शबखरन वाला दीप बनना आसान निी

दीपक अपन अशसततव की परवाि ककए शबना चतना (परकाि) का शवसतार करता चलता ि यि करठन चनौती

ि दीप बनना मनषय क आतम-िोधन और आतम-दान की माग करता ि शजसक शलए शनषठा और समपषण की

आवशयकता पड़ती ि

यि सामानय अनभव ि कक दीया जलता ि और जलत िी अपन चतरदषक क पर पररवि को आलोककत

कर जाता ि गरीब की झोपड़ी स अमीर की अटटाशलका तक दीय का जोर रिा ि छोट स शमटटी क दीय क

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परकाि क आगमन क सार िी घोर स घोर अधकार की भी ततकषण छटटी िो जाती ि इसीशलए दीप को lsquoजयोशत-

तीरषrsquo भी किा जाता ि परकाि स ऊजाष और ऊषमा भी शमलती ि जो जीवन को समभव करती ि परी सशषट को

िी ऊषमा की शनरतर दरकार बनी रिती ि मनषय िी निी पड़-पौध खत-खशलिान जीव-जत सब-क-सब

ककसी न ककसी मातरा म परकाि की चाि रखत ि और तो और ऋत चकर भी मलत परकाि का िी खल ि परकाि

जीवन को शनयशमत-वयवशसरत करता ि किा जा सकता ि कक परकाि ि तो जीवन ि परकशत क परसाद क रप

म सयषदव का परकाि समसत जगत को न जान कब स शमलता आ रिा ि परत परकाि की िी तरि अधकार भी

एक अटल जीवन-सतय ि और उसस शनरतर लड़त रिना और पार पाना मनषय जाशत की शनयशत ि सबका

अनभव ि कक जीवन कभी सीधी रखा म निी चला करता कयोकक सब कछ पवषशनशशचत निी िोता मानव

सभयता क इशतिास म िर यग म और िर जगि ऐसा िोता रिा ि ऐस म परकाि-अनधकार सख-दख शपरय-

अशपरय िाशन-लाभ जय-शवजय सभी तरि क खटट-मीठ शवपयाषसो क बीच स गजरत हए िी मनषय क जीवन

की गशत आग बढती ि

जब मनषय क शलए दीपक बनन क आदिष की बात भगवान बदध कि रि र तो शनशचय िी उनका आिय

कछ वयापक रा दीपक कई दशषटयो स एक अदधभत रचना ि जो रच जान क बाद अपन रचना-जगत का हशलया

िी बदल दता ि वि ससकशत की समगर सकलप-िशकत का समपणष परतीक ि उसकी दढता उसका सािस उसकी

सनि स आपररत रचना मनषय की एक लाजबाब कशत ि दसरो को परकाि दत समय दीपक ककसी तरि का भद-

भाव निी करता वि एक अदधभत दाता ि जो शबना ककसी कारण शनवयाषज भाव स और शबना ककसी स पछ जो

भी उसक समपकष म आता ि सबको अकठ भाव स परकाि बाटता-दता रिता ि उसका सवभाव िी ि दसरो को

शनरतर दत रिना शबना इसकी सचता ककए कक इस दान म उसका सवय का जीवन करमिः शनिर िोता जाता ि

दीपक सवय तो शनरपकष रिता ि वि एक शसरतपरजञ योगी की भाशत शबना ककसी तरि की आिा क (शनरािी)

और शबना मोि क (शनमषम) िो कर अधकार क शवरदध सतत यदधरत रिता ि यिी उसकी परकशत ि और इसी म

उसकी सारषकता ि दीप बनन क शलए आवािन करत हए भगवान बदध यि भी चाित ि कक परतयक वयशकत ककसी

दसर शरोत पर अवलशमबत न रि कर सवय अपन िी ससाधनो स तपत रि ndash आतमतपत उधार शलए हए परकाि या

िशकत पर भरोसा करन क अपन खतर और जोशखम िोत ि

मिाभारत म भी दीप की मानव मलयो क एक दीप की पररकलपना की गई ि शजसम सतय का आधार

तप (अराषत सयम) का तल दया की बाती (दखी जनो की सचता ) और कषमा की लौ की बात किी गई ि अत म

सभल कर दीया जलान की शिदायत दी गई ि शजसस अधकार स अचछी तरि लड़ा जा सक और रोका जा सक

अधकार आसरी परवशतत ि वि और कछ निी सिसा दवर कलि और लोभ आकद की दबषलताए ि इनि ककसी भी

कीमत पर जीवन पर िाबी निी िोन दना चाशिए आज जीवन म शनरािा और अशवशवास बढ रिा ि अनगषल

उपभोकता की तीवर परवशतत उफान पर ि इस पररशसरशत म वयशकत वभव पर अशधकार क शलए सननदध ि पर यि

निी भलना चशिए कक गणि जी गण दवता ि अराषत व सामानय जन समाज का परशतशनशधतव करत ि और

लकषमी जी की पजा उनक सार िी करन का शवधान ि

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म और तम

डॉ अजय शरीवासतव

मन कब किा रा कक तम घनी काली

बदरी बनकर आसमा म छा जाना

मन तो सोचा रा कक काि तम मनद मनद

बिती हई मरी बशगया मिका दती

मन कब किा रा कक तम कफजाओ म

अपनी रगत शबखर दना

मन तो सोचा रा कक काि तम िमसाया बनकर

जीवन भर मर lsquoवासतrsquo िी बनी रिती

मन कब किा रा कक तमिारी घनी छाव म

िरएक अपना पड़ाव डाल द

मन तो सोचा रा कक काि तम एक पौधा

सरीखा मर आगन म बनी रिती

मन कब किा रा कक चटटानो क बीच स शनकली

बलखाती एक नदी क माशननद तम िरएक को रोमाशचत करती

मन तो सोचा रा कक काि तमिार िानत

धीर जल म शसफष और शसफष म िी अपना अकस दख लता

मन कब किा रा कक तम अपनी पगधवशनयो

स चपप-चपप को गजायमान करना

मन तो सोचा रा कक काि तम मरी िर खिी गम म

अपन कदमो की आिट स मझ को बाध रखती

मन कब किा रा कक तम अपन आचल स

एक बि जसा मझ परी तरि स ढक लना

मन तो सोचा रा कक काि तमिारा िमसफर बनकर

म दशवाररयो भरी शजनदगी को जी लता

तमिारी राि अलग और मरी अलग

इन दो रािो का शमलना ममककन निी

लककन अननत पर य जदा राि शमल िी जावगी

तब तक म तमिारी बाट जोहगा

16 61 2019 10

अधकार म परभापज सवामी शववकानद ( १२ जनवरी सवामी शववकानद जी क जनम-कदवस पर शविर ndash समपादक )

सनतोर खनना

सवामी शववकानद भारतीय अधयाशतमक और धारमषक मनीरा क शसरमौर वयशकततव र ४० वरष की

अलपाय म िी उनिोन दि और शवशव को अपन अवदान स इतना अनपराशणत और समदध कर कदया कक दि की

यवा पीकढ़या उनक कदखाए मागष पर चल कर अपना तो भागय सवार िी सकती ि वि पर शवशव म भारत का

परचम लिरा कर उपभोकतावाद और शनर भौशतकतावाद क भवर म फ स आज क सतपत और अशभिपत मानव को

एक सारषक कदिा परदान कर सकती ि

भारत क गौरविाली वदात दिषन क माधयम स सवामी शववकानद न ततकालीन अध यग की

पररशसरशतयो को शचशहनत कर मानवीय सशिषणता शवशव बधता और असिसा का सदि कदया रा आज स

लगभग १२५ वरष पिल उनिोन यवाओ का आहवान करत हए कठोपशनरद क एक मतर को अपना जीवन दिषन

माना रा जो आज भी सभी क शलए शविर रप स यवाओ क शलए उतना िी सारषक एव परासशगक ि शजतना

उस समय रा बशलक आज उसस भी किी अशधक सारषक ि वि अमर सदि रा- lsquoउशततशषठत जागत परापय

वराशनबोधतः lsquoअराषत उठो जागो तरा तब तक मत रको जब तक कक अपन लकषय तक न पहच जाओ इसी

आहवान को उनिोन अगरजी भारा क पररक िबदो म किा रा - Awake arise and stop not till the goal

is reached

सवामी शववकानद न मातर ३० वरष की आय म अमररका शसरत शिकागो म ११ शसतमबर १८९३ म

आयोशजत शवशव धमषसभा म भारत की ओर स सनातन धमष का परशतशनशधतव ककया रा भारत का अधयाशतमकता

स पररपणष वदात दिषन अमररका और यरोप क िर दि म सवामी शववकानद की वाकतततता क कारण िी पहचा

उनका शिकागो म शवशव धमषसभा म कदया गया भारण एक ऐसा अमर भारण ि शजस तरि का समानानतर

भारण िायद िी किी उपलबध िो आज का यग एक चतनिील यग ि सभी परकार का जञान पसतको और

अनतजाषल पर उपलबध ि िो सकता ि आज बहत स मनीरी अचछ-अचछ भारण द तो िायद इतना आशचयष न

िो ककनत १८वी-१९वी िती क उस अधकार काल म सवामी शववकानद न जो भारण कदया वि सवय म एक

शमसाल ि उनिोन अपनी धीर एव गमभीर वाणी म अपन भारण का आरमभ िी ककया रा lsquolsquoअमररका क

भाईयो और बशिनोlsquolsquo स (शजसका उस सभागार म जोरदार तरा बड़ी दर तक करतल धवशन स सवागत हआ रा)

इस समबोधन क पीछ भी वदात का वि गौरविाली शसदधात िी रा शजस िम बड़ गवष स lsquoवसधव कटमबकमlsquo क

नाम स अशभशित करत ि शववकानद जी क उस समपणष भारण को सन कर ऐसा निी लगता कक वि भारण

१८९३ म कदया गया बशलक ऐसा लगता ि कक मानो व आज िमार सममख बोल रि ि कयोकक उस भारण म

शजन बातो का उललख ि उन पर आज भी िम उतनी ततपरता स आतममरन करत ि

उनक भारण की कई ऐसी उललखनीय बात ि शजनको म यिा रखाककत करना चािती ह शपछल २-३

वरष स कछ लोग भारत म सशिषणता पर कई तरि क परशनशचहन लगा रि ि ककत उनको यिा समरण कदलान की

16 61 2019 11

आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

16 61 2019 12

सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

16 61 2019 13

ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

16 61 2019 14

शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

16 61 2019 15

द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

16 61 2019 16

ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

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राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

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ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 3: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 1

डॉ (पोसट-डॉकटरल फ़लोशिप अवाडी)

भारत क राषटरपशत दवारा राषटरपशत भवन म शिनदी सवी सममान स सममाशनत

सवागत ि नव वरष तमिारा रमि जोिी ३

नव वरष मदन लाल गपता ४

तम सवय दीपक बनो परो शगरीशवर शमशर ७

म और तम डॉ अजय शरीवासतव ९

अधकार म परभाकज सवामी शववकानद सतोर खनना १०

ग़ज़ल सजीव गौतम १३

शवदरी माता मतरयी डॉ अिोक आयष १४

ग़ज़ल दयानद पाणडय १६

परम की पराकाषठा उपासना गौतम १८

बड़पपन मनोज कमार िकल ldquoमनोजrdquo १९

कक जान कसी परीत लगाई अरण शतवारी २३

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी सिील िमाष २५

शनशचलता मोिनजीत ककरजा २९

इनसान स इनसान का िो भाईचारा

यिी पगाम िमारा अशनता िमाष ३०

नक कमष डॉ िशि ऋशर ३२

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता

दिषन योग जञान और शवजञान डॉ मदल कीरतष ३३

शवशवास ि परारषना अजय जन ldquoशवकलपrdquo ३७

जातयातरण धमनर कमार ३८

मरी पसद निी अलरड घर शलशलगटो

अनवादक डॉ अशमत सारवाल ४१

पदाष ि पदाष कदलीप कमार ससि ४२

मर पयार भारत बराम िशलशत (मल भारा - रोमानी) भावानवाद पदमशरी डॉ शयाम ससि ldquoिशिrdquo १अ

डॉ सनि ठाकर का रचना ससार ४४अ

16 Revlis Crescent Toronto Ontario M1V-1E9 Canada TEL 416-291-9534

Annual subscription$2500

By Mail $3500 International Mail $4000

Website httpwwwVasudha1webscom

e-mail drsnehthakoregmailcom

16 61 2019 2

इस नव-वरष वसधा अपन जीवन क सोलिव वरष म पदापषण कर रिी ि इस बलखाती इठलाती रोडिी

को रचनाकारो और पाठको न अपन सनि स सीच कर उमर क इस सनिर मक़ाम पर पहचाया ि शजसक शलए वि

सभी की आभारी ि और आिा करती ि कक सज़दगी क िर पड़ाव पर उस इसी परकार आप सबका आिीवाषद परापत

िोता रिगा

आगामी िोली की गलाल-भरी िभ-कामनाए िोली जिा ईशवर की सतता सवीकार करन का तयोिार ि

कक िर शवरम स शवरम पररशसरशत म ईशवर अपन भकत की रकषा करता ि शवकट स शवकट अवसरा म उस

सरशकषत रखता ि िोशलका-दिन व शिरणयकशिप-वध स बराई का अत कर भगवान म परम आसरा रखन वाल

अपन भकत परहलाद का मन सत-शचत-आनद स भर दता ि विी यि तयोिार अगली-शपछली वमनसयता भला

कर शमतरता का िार राम सवय की व दसर की काशलमा कलरता शमटाकर सौिारषपणष भाव स एक-दसर पर

सशिदानद क िभ रगो की वराष करन की शिकषा भी दता ि जब आप कलरता की काशलमा को तयाग भाईचार

क पावन-पनीत िभ रगो स दसर को पलाशवत करत ि तो उसक छीट आप पर भी पड़त ि जो न कवल दसरो क

जीवन म वरन आपक जीवन म भी खशियो की बिार लात ि आइए इस भावावयशकत क सार िम िोली का

सकलप ल और मानवता को आदिष-परम क रग म रग कर सराबोर कर भारतीय िोली का उतकषट िभ सदि

शवशव म सराशपत कर िम दि म रि चाि शवदि म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय ससकशत जो िम शवरासत

म शमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा वतषमान व भावी पीढ़ी क शलए चाि वि भारतीय

िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकशत की मिाल जलाय रखन क शलए िम परशतबदध िोना ि इस िभ

सकलप स जड़ी आप सबकी परशतबदधता भारतीय ससकारो क मानदणडो को सराशपत कर परसपर सहदयता एव

परम भावना बढ़ा शजस दि-परदि म भी आप शनवास करत ि उस परममय बना दगी और अनततोगतवा ऐसा

सौिारषपणष वातावरण िर दि काल क शलए अनकरणीय िोगा िर दशषट स सरािनीय िोगा इशतिास अतीत की

वयाखया ि साशितय वतषमान का दपषण ि और समाज का भशवषय शनमाषता भी सामाशजक एव साशिशतयक

गशतशवशधयो दवारा िी िम भारतीय समाज - आपरवासी भारतीय समाज व भारतवशियो का न कवल वतषमान

उजजवल बनाएग वरन उजजवल भशवषय की नीव ठोस आधार-शिला का शनमाषण भी करग ऐसी मरी मानयता ि

भारत क ससद भवन क भवय कनरीय ककष म सयोजक - माननीया सतया बशिन पवष सासद राजयसभा अधयकष

ldquoससदीय शिनदी परररदrdquo माननीया सतोर खनना मिासशचव ldquoशवशध भारतीय परररदrdquo एव माननीया उरमषल

सतयभरण अधयकष ldquoपररचय साशितय परररदrdquo ndash दवारा ldquoससदीय शिनदी परररदrdquo का गौरविाली राषटरभारा

उतसव पदमभरण डॉ सभार कशयप पवष मिासशचव लोकसभा एव भारत क परशतशषठत सशवधान शवद की

अधयकषता म एव मखय अशतशर डॉ सतय नारायण जरटया पवष कनरीय मतरी राजयसभा क उपसभापशत एव

ससदीय राजसभा सशमशत क उपाधयकष क साशननदधधय म सफलतापवषक समपनन हआ गणमानय शवशिषट अशतशर र-

डॉ रमा पराचायष िसराज कॉलज कदलली शवशवशवदयालय डॉ अवनीि कमार अधयकष वजञाशनक एव तकनीकी

िबदावली आयोग एव शनदिक कनरीय शिनदी शनदिालय मानव ससाधन शवकास मतरालय भारत सरकार डॉ

रामिरण गौड़ अधयकष कदलली लाइबररी बोडष परो डॉ परन चद टडन परो शिनदी शवभाग कदलली शवशवशवदयालय

राषटर भारा मिोतसव क परशत समरपषत ऐस भवय समारोि म सवय क शलए परदतत ldquoराषटर भारा गौरव सममानrdquo

ित शरीमती सतोर खनना एव सभी समबशधत आदरणीय एव शपरयजनो की आभारी ह सभी का िारदषक धनयवाद

ईशरवर कपा और आप सभी शितशरयो की िभकामनाओ स मर उपनयास ldquoलोक-नायक रामrdquo का चतरष

ससकरण परकाशित िो गया ि एव उपनयास ldquoदिानन रावणrdquo परकािनाधीन ि

नव वरष सभी क शलए मगलमय िो शवशव िाशत की कामना शलए ससनह सनह ठाकर

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सवागत ि नव वरष तमिारा

रमि जोिी

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

कर कामना सब को सखकर िो यि नतन वरष |

कोई भरम िका िो तो भी बद न िो सवाद |

आपस म शमल-जल सलझा ल िो यकद कोई शववाद |

दःख-पीड़ा आपस म बाट बाट उतसव-िरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

सभी पररशरम कर िशकत भर कोई न कर परमाद |

जल िोशलका शवशवासो का बचा रि परहलाद |

कवल कछ का निी सभी का िो समशचत उतकरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

सवारष छोड़ कततषवय कर वि पररोततम शरीराम |

यि आदिष िमारा िोव िोग िभ पररणाम |

नयाय-जानकी अपहत िो तो शमल कर सघरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

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नव-वरष

मदन लाल गपता

आजकल सामानयत गरगोररयन कलडर का परयोग ककया जाता ि यि जशलयन कलडर को सधार करक

1852 म बनाया गया रा इस कोड म ए डी या सी ई शलखा जाता ि भारत म तयौिार मनान क शलए ldquoलनरrdquo

तरा दशनक उपयोग क शलए ldquoसोलरrdquo कलडर ि गरगोररयन कलडर म1 जनवरी स नया साल आरमभ िोता ि

भारत म नए साल क कदन शवदिी पयषटको का आगमन अपन चरम पर ि खासकर गोवा जस सरानो म जो एक

पसदीदा पयषटन सरल माना जाता ि

वरष 2019 का आरमभ मगलवार क िभ कदन स िोगा मगलवार का कदन भगवान िनमान को समरपषत

ि दशकषण भारत म य कदन सकद उफष मरगन या कारतषकय क शलए समरपषत ि भकत लोग इस कदन िनमान

चालीसा को हनमान दवता को समरपषत करत ि मगलवार का वरत उन दपशतयो क दवारा ककया जाता ि जो एक

बटा िोन की इचछा करत ि जो लोग जयोशतर म शवशवास रखत ि वो लोग मगल गरि स जड़ िाशनकारक परभाव

को कम करन क शलए और गरि िाशत क शलए मगलवार का वरत रखत ि अशधकाि सिद 21 मगलवार क वरत

रखत ि मगल को एक मसीबत शनमाषता क रप म माना जाता ि और मगलवार का वरत रखकर लोग मसीबतो

और बराइयो को रासत स िटा सकत ि

मगल (मासष) नौ गरिो म स एक ि उस अनय नामो जस अगारक और खज क नाम स भी जाना जाता ि उस

पथवी दवी या भशम का पतर भी माना जाता ि पथवी दवी का नाम िशकत वीरता और सािस क सार जड़ा हआ

ि मगल को धमष का रकषक और जीवन का उददशय माना जाता ि 12 अवतार क समय परमशवर की चमक

आकाि म िजारो सयष क बराबर री यि पथवी दवी क शलए असिनीय रा तब भगवान पथवी दवी की

इचछाओ को परा करन क शलए सदर और मल रप म कदखाई कदए उनिोन िादी कर ली और बाद म एक वरष

बाद उनि मगल पदा हआ रा

नए साल का सकत ि कक बीत चक साल क शलए शवदाई करन और नए साल का सवागत करन का समय

आ गया ि दशनया भर म पशशचमी ससकशत क शवकास क सार गरगोररयन कलडर का 1 जनवरी को नया साल

का कदन भारत क कई समारोिो म स एक रिा ि कछ कित ि कक यि तब िर हआ जब अगरजो न भारत का

उपशनवि ककया जबकक अनय कित ि कक इसकी लोकशपरयता 1940 क दिक क बाद शवकशसत हई यि धयान

रखना मितवपणष ि कक भारत म शवशभनन समिो क बीच अलग-अलग कलडर का उपयोग ककया जाता ि

इसशलए इन कलडरो म शचशनित िोन पर आधाररत नए साल को अलग-अलग समय म मनाया जाता ि

गजरात म नया वरष कदवाली स िर िोता ि

भारत म (पिली जनवरी) नए वरष क िभावसर पर लोग नदी पर सनान करत ि और नदी का जल

शछड़क कर घर को पशवतर करत ि नय कपड़ पिनत ि मकदर जात ि कई लोग घर पर िवन करत ि और दान

करत ि आपस म एक दसर को नय वरष की िभ कामना दत ि सदिो का आदान-परदान गरीटटग कारडसष और

उपिार नए साल क उतसव का शिससा ि भारत क सभी शिससो म लोग गायन खल नतय और पारटषयो म भाग

लन जसी मज़दार गशतशवशधयो म िाशमल िोत ि नाइट कलब मवी शरयटर ररसॉरटसष रसतरा और मनोरजन

पाकष सभी उमर क लोगो स भर हए िोत ि जो लोग घर क अदर रिन का फसला करत ि व मनोरजन और

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मसती क शलए नए साल क मीशडया क कायषकरमो का सिारा लत ि आगामी वरष क शलए नए परसतावो की

योजना बनान की परानी परमपरा एक आम बात ि बड़ ििरो म लाइव सगीत कायषकरम आयोशजत िोत ि

शजनम बॉलीवड शसतार और अनय परशसदध वयशकततव िाशमल ि बड़ी भीड़ ऐस िो म भाग लन क शलए इकटठा

िोती ि नव वरष मज़ स भर अवसर को आपक जीवन म शपरयजनो क करीब आन और खोए गए दोसतो क समपकष

को पनजीशवत करन का एक िानदार अवसर माना जाता ि

वरष 2019 का मितव 4 फरवरी सोमवार को परयागराज म अधष कमभ का मिोतसव ि इस कदन

सोमवती अमावस िोन स अधषकमभी क सार-सार िररदवार आकद अनय तीरष सरानो का भी शविर मािातमय

रिगा शजस परकार िररदवार परयागराज उजजन और नाशसक - इन चार परमख तीरो पर परशत बारि वरष कमभ

मिापवष मनाया जाता ि उसी परकार कवल परयागराज और िररदवार म 6 वरो क पशचात अधषकमभी का पवष

मनाया जाता ि यि अधषकमभ पवष उजजन और नाशसक म मनान की परमपरा निी ि कमभ एवम अधषकमभी क

िभ पवष गगा-यमना तरा सरसवती क जलो म कदवय वयोम स अमत ततव का समावि हआ माना जाता ि 56

जनवरी िशनरशववार को खणडगरास सयषगरिण तरा 21 जनवरी सोमवार को खगरास चनरगरिण ि

गड नयज़ इरोशपया इरोशपया का नया साल 11 (लीप 12) शसतमबर को मनाया जाता ि तदनसार

शमलशननयम 2000 का उतसव 12 शसतमबर 2007 को मनाया गया इरोशपया का समय जी ऍम टी स 3 घट

आग ि तरा रात और कदन 12 12 घट क ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स लगभग 8 वरष पीछ ि

इरोशपयन वरष 13 मिीन तरा 365 (लीप 366) कदन का िोता ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स

शसतमबर कदसमबर म 7 वरष 8 मिीन तरा जनवरी अगसत म 8 वरष 4 मिीन पीछ ि पिल 12 मिीन 30 30

कदन तरा 13 वा मिीना 56 कदन का िोता ि

गरगोररयन कलडर की सारषकता िर वरष का िर तरा अनत का कदन एक िी िोता ि 2001 सोमवार

2002 मगलवार िर वरष जनवरी तरा अकटबर एक िी कदन िर िोत ि 2003 बधवार 2006 रशववार िर

वरष फरवरी माचष और नवमबर एक िी कदन िर िोत ि 2001 गरवार और 2003 िशनवार िर वरष अपरल

और जलाई एक िी कदन िर िोत ि 2003 मगलवार और 2006 िशनवार िर वरष शसतमबर और कदसमबर

एक िी कदन िर िोत ि 2003 सोमवार और 2006 िकरवार

शवशचतर जनम अलग-अलग वरष अलग-अलग कदन अलग-अलग समय परनत जनम कदन एक सार

मनाया गया िनना का जनम मगलवार 31 कदसमबर 2013 को राशतर 1159 पर हआ उसकी शरटवन शससटर

डशनयल का जनम बधवार1 जनवरी 2014 की आधी रात क 40 सकड बाद हआ (उस टकसास अमररका म

वरष 2014 म पदा िोन वाला पिला बिा घोशरत ककया गया) दोनो का पिला जनम कदन एक सार बधवार को

मनाया गया

नय यॉकष Time Square म नए वरष का उतसव नय यॉकष टाइम सवायर पर नए वरष का उतसव 1904

स लगातार मनाया जा रिा ि परनत 1907 म नय ईव बाल को पिली बार वन टाइम सवायर क ऊपर लग

फलगपोल स उतारा गया लोि और लकड़ी स बन नय ईव बाल का भार 700 पौड और वयास 5 फट रा इस

25 वाट परकाि वाल 100 बलबो स सजाया गया रा टाइम सवायर क आस-पास क िोटलो क वटरो को बटरी

चशलत बलबो स नबर 1908 स सज हए िट पिनाय गय र ठीक आधी रात पर जब उनिन अपन िटो स पदाष

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उठाया तो उनक मारो पर बलबो स बना नमबर 1908 नय साल का सकत करन क शलए परकाि स जगमगा

उठा

परारषना- नय वरष म परभ स परारषना करता ह कक ससार क सभी पराशणयो को सदबशदध द ससार क लोगो

म परम और सदभाव बढ़ सब भाई-बिन शबना दवर क परम स शमल जल कर रि ससार क सभी लोग माता-शपता

तरा बड़ो का आदर रखत हए कल परमपरा का पालन कर कटमब क बड़ लोग सबक परशत ममता और करणा

रख तरा छोट सदसय शवनयी नमर और आजञाकारी बन सब मधर सतय वाणी बोल नय वरष म ससार क सब

लोगो का सवासथय अचछा रि और रोग सचताओ स मकत रि सब सौ वरष या इस स भी अशधक सखमय आय

पाय नय वरष म सबको परभ कपा स सफलता शमल ससार क सभी लोग सिाई क रासत स कमाय और सब

शमल कर उसका उपभोग कर िमारा जञान िम सनमागष की ओर ल जाव ससार क लोगो म सतय सवा और

सियोग की भावना पदा िो ससार क सभी लोग शमल कर आतकवाकदयो का नाि कर

आजकल िर दि िाशत-िाशत की रट लगा रिा ि और सार-सार घातक स घातक बम बना रिा ि िर

बड़ दि की दसर बड़ दि का भय रात की नीद उड़ा रिा ि नय वरष म परभ स परारषना ि कक सब दि िाशत क

मागष पर चल

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म जल म रल म और गगन म

अनतररकष म अशि पवन म औरशध वनसपशत वन उपवन म

सकल शवशव म जड़ चतन म िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

बराहमण क उपदि वचन म कषशतरय क दवारा िो रण म

वशयजनो क िोव धन म और िर क िो तन मन म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

िाशनत राषटर-शनमाषण सजन म नगर गराम म और भवन म

जीवमातर क तन म मन म और जगत क िो कण कण म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

ॐ िाशनत िाशनत िाशनत

16 61 2019 7

तम सवय दीपक बनो

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत मिातमा गाधी अतराषषटरीय शिनदी शवशवशवदयालय)

दीपावली पवष क अवसर पर भाशत-भाशत क परकाि क आयोजन बड़ िी धम-धाम स ककए जात ि

भारतीय पचाग क शिसाब स कषण पकष की अमावासया यानी गिन अधकार भरी काली रात म दीपावली मनाई

जाती ि वस भी अधरा िोन पर िी िम परकाि की जररत महसस िोती ि तब िम परकाि का आवािन करत

ि वस जब भी कोई पजा-अचषना िोती ि तो परकाि की उपशसरशत अशनवायष ि परतयक दव-पजा म भी दीप

जलात ि और पजा समपनन िोन पर आरती भी की जाती ि परकाि और जञान क बीच का भी गिरा ररशता ि

दीप का अरष यि भी समझ म आता ि कक भरमो को िटात हए सवय को आलोककत करो सदधगण का परकाि िी

जगत को आलोककत करता ि आशखर अिकार (क अधकार) स मकत िो कर िी जञान की राि बनती ि जञान की

तातकाशलक पररणशत भी शवनय ि शजसस पातरता आती ि जो भी िो परकाि क परशत भारतीय मानस की गिरी

आसरा रिी ि धीर-धीर परकाि सभय सससकत िोन की िमारी वयवसरा का शिससा बन गया मलय क रप म

वकदक काल स िी अधकार स परकाि की ओर आग बढन की कामना की जाती रिी ि

किा जाता ि कक राजा राम क अयोधया आगमन क अवसर पर नगरजनो न सवागत दीप जलाए और

तभी स दीपावली की परमपरा िर हई री शपछल साल स उततर परदि की सरकार न अयोधया म दीपावली का

बड़ पमान पर आयोजन िर ककया ि इस वरष सरय तट पर तीन लाख स जयादा दीय जलाए गए और

lsquoफजाबादrsquo क नाम स दजष अयोधया को कफर lsquoअयोधयाrsquo नाम द कदया गया आयोजन का आकरषण पषपक शवमान

(िलीकॉपटर) स रामावतरण और राम राजयाशभरक की लीला का आयोजन रा इस अवसर पर आकाि स

पषपवशषट भी हई दशकषण कोररया की पररम मशिला ककम जग सक का साशननधय भी शमला शजस पराचीन काल म

घरटत अयोधया की राजकमारी की कोररया क राजकमार क सार शववाि की घटना क सार जोड़ कर दखा गया

यि परा कायषकरम बड़ा िी भवय रा मयाषदा पररोततम राम क अनरप यि अलग बात ि कक शसयासी िलक इस

आयोजन का राजनशतक आिय दख रि ि वस भी राम मयाषदा की याद कदलात ि और जनकलयाण क आग सब

कछ तयाग दन को तयार रित ि राजनीशतजञो को इस भी धयान म रखना चाशिए परशतमा म छशव सरशकषत

करन स अशधक ज़ररी ि जनकलयाण की मशिम

कदय क सवभाव पर धयान दत हए भगवान बदध की भी याद आती ि उनिोन कभी गिन आतम-शनरीकषण

क कषणो म बड़ शवचार क बाद शनणषयातमक सवर म अपन अनभवो क शनचोड़ क रप म अपन अनयाशययो को

यि शनदि कदया रा lsquoअपप दीपो भवrsquo यानी खद अपन आप को िी दीया बनाओ उनिोन सब क सामन आतम-

सधान की एक करठन चनौती रखी शजसक शलए सतत साधना की जररत पड़ती ि वस तो दीपक और िरीर

दोनो शमटटी िी ि पाररषव ततव स शनरमषत ि परनत परकाि स आलोक शबखरन वाला दीप बनना आसान निी

दीपक अपन अशसततव की परवाि ककए शबना चतना (परकाि) का शवसतार करता चलता ि यि करठन चनौती

ि दीप बनना मनषय क आतम-िोधन और आतम-दान की माग करता ि शजसक शलए शनषठा और समपषण की

आवशयकता पड़ती ि

यि सामानय अनभव ि कक दीया जलता ि और जलत िी अपन चतरदषक क पर पररवि को आलोककत

कर जाता ि गरीब की झोपड़ी स अमीर की अटटाशलका तक दीय का जोर रिा ि छोट स शमटटी क दीय क

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परकाि क आगमन क सार िी घोर स घोर अधकार की भी ततकषण छटटी िो जाती ि इसीशलए दीप को lsquoजयोशत-

तीरषrsquo भी किा जाता ि परकाि स ऊजाष और ऊषमा भी शमलती ि जो जीवन को समभव करती ि परी सशषट को

िी ऊषमा की शनरतर दरकार बनी रिती ि मनषय िी निी पड़-पौध खत-खशलिान जीव-जत सब-क-सब

ककसी न ककसी मातरा म परकाि की चाि रखत ि और तो और ऋत चकर भी मलत परकाि का िी खल ि परकाि

जीवन को शनयशमत-वयवशसरत करता ि किा जा सकता ि कक परकाि ि तो जीवन ि परकशत क परसाद क रप

म सयषदव का परकाि समसत जगत को न जान कब स शमलता आ रिा ि परत परकाि की िी तरि अधकार भी

एक अटल जीवन-सतय ि और उसस शनरतर लड़त रिना और पार पाना मनषय जाशत की शनयशत ि सबका

अनभव ि कक जीवन कभी सीधी रखा म निी चला करता कयोकक सब कछ पवषशनशशचत निी िोता मानव

सभयता क इशतिास म िर यग म और िर जगि ऐसा िोता रिा ि ऐस म परकाि-अनधकार सख-दख शपरय-

अशपरय िाशन-लाभ जय-शवजय सभी तरि क खटट-मीठ शवपयाषसो क बीच स गजरत हए िी मनषय क जीवन

की गशत आग बढती ि

जब मनषय क शलए दीपक बनन क आदिष की बात भगवान बदध कि रि र तो शनशचय िी उनका आिय

कछ वयापक रा दीपक कई दशषटयो स एक अदधभत रचना ि जो रच जान क बाद अपन रचना-जगत का हशलया

िी बदल दता ि वि ससकशत की समगर सकलप-िशकत का समपणष परतीक ि उसकी दढता उसका सािस उसकी

सनि स आपररत रचना मनषय की एक लाजबाब कशत ि दसरो को परकाि दत समय दीपक ककसी तरि का भद-

भाव निी करता वि एक अदधभत दाता ि जो शबना ककसी कारण शनवयाषज भाव स और शबना ककसी स पछ जो

भी उसक समपकष म आता ि सबको अकठ भाव स परकाि बाटता-दता रिता ि उसका सवभाव िी ि दसरो को

शनरतर दत रिना शबना इसकी सचता ककए कक इस दान म उसका सवय का जीवन करमिः शनिर िोता जाता ि

दीपक सवय तो शनरपकष रिता ि वि एक शसरतपरजञ योगी की भाशत शबना ककसी तरि की आिा क (शनरािी)

और शबना मोि क (शनमषम) िो कर अधकार क शवरदध सतत यदधरत रिता ि यिी उसकी परकशत ि और इसी म

उसकी सारषकता ि दीप बनन क शलए आवािन करत हए भगवान बदध यि भी चाित ि कक परतयक वयशकत ककसी

दसर शरोत पर अवलशमबत न रि कर सवय अपन िी ससाधनो स तपत रि ndash आतमतपत उधार शलए हए परकाि या

िशकत पर भरोसा करन क अपन खतर और जोशखम िोत ि

मिाभारत म भी दीप की मानव मलयो क एक दीप की पररकलपना की गई ि शजसम सतय का आधार

तप (अराषत सयम) का तल दया की बाती (दखी जनो की सचता ) और कषमा की लौ की बात किी गई ि अत म

सभल कर दीया जलान की शिदायत दी गई ि शजसस अधकार स अचछी तरि लड़ा जा सक और रोका जा सक

अधकार आसरी परवशतत ि वि और कछ निी सिसा दवर कलि और लोभ आकद की दबषलताए ि इनि ककसी भी

कीमत पर जीवन पर िाबी निी िोन दना चाशिए आज जीवन म शनरािा और अशवशवास बढ रिा ि अनगषल

उपभोकता की तीवर परवशतत उफान पर ि इस पररशसरशत म वयशकत वभव पर अशधकार क शलए सननदध ि पर यि

निी भलना चशिए कक गणि जी गण दवता ि अराषत व सामानय जन समाज का परशतशनशधतव करत ि और

लकषमी जी की पजा उनक सार िी करन का शवधान ि

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म और तम

डॉ अजय शरीवासतव

मन कब किा रा कक तम घनी काली

बदरी बनकर आसमा म छा जाना

मन तो सोचा रा कक काि तम मनद मनद

बिती हई मरी बशगया मिका दती

मन कब किा रा कक तम कफजाओ म

अपनी रगत शबखर दना

मन तो सोचा रा कक काि तम िमसाया बनकर

जीवन भर मर lsquoवासतrsquo िी बनी रिती

मन कब किा रा कक तमिारी घनी छाव म

िरएक अपना पड़ाव डाल द

मन तो सोचा रा कक काि तम एक पौधा

सरीखा मर आगन म बनी रिती

मन कब किा रा कक चटटानो क बीच स शनकली

बलखाती एक नदी क माशननद तम िरएक को रोमाशचत करती

मन तो सोचा रा कक काि तमिार िानत

धीर जल म शसफष और शसफष म िी अपना अकस दख लता

मन कब किा रा कक तम अपनी पगधवशनयो

स चपप-चपप को गजायमान करना

मन तो सोचा रा कक काि तम मरी िर खिी गम म

अपन कदमो की आिट स मझ को बाध रखती

मन कब किा रा कक तम अपन आचल स

एक बि जसा मझ परी तरि स ढक लना

मन तो सोचा रा कक काि तमिारा िमसफर बनकर

म दशवाररयो भरी शजनदगी को जी लता

तमिारी राि अलग और मरी अलग

इन दो रािो का शमलना ममककन निी

लककन अननत पर य जदा राि शमल िी जावगी

तब तक म तमिारी बाट जोहगा

16 61 2019 10

अधकार म परभापज सवामी शववकानद ( १२ जनवरी सवामी शववकानद जी क जनम-कदवस पर शविर ndash समपादक )

सनतोर खनना

सवामी शववकानद भारतीय अधयाशतमक और धारमषक मनीरा क शसरमौर वयशकततव र ४० वरष की

अलपाय म िी उनिोन दि और शवशव को अपन अवदान स इतना अनपराशणत और समदध कर कदया कक दि की

यवा पीकढ़या उनक कदखाए मागष पर चल कर अपना तो भागय सवार िी सकती ि वि पर शवशव म भारत का

परचम लिरा कर उपभोकतावाद और शनर भौशतकतावाद क भवर म फ स आज क सतपत और अशभिपत मानव को

एक सारषक कदिा परदान कर सकती ि

भारत क गौरविाली वदात दिषन क माधयम स सवामी शववकानद न ततकालीन अध यग की

पररशसरशतयो को शचशहनत कर मानवीय सशिषणता शवशव बधता और असिसा का सदि कदया रा आज स

लगभग १२५ वरष पिल उनिोन यवाओ का आहवान करत हए कठोपशनरद क एक मतर को अपना जीवन दिषन

माना रा जो आज भी सभी क शलए शविर रप स यवाओ क शलए उतना िी सारषक एव परासशगक ि शजतना

उस समय रा बशलक आज उसस भी किी अशधक सारषक ि वि अमर सदि रा- lsquoउशततशषठत जागत परापय

वराशनबोधतः lsquoअराषत उठो जागो तरा तब तक मत रको जब तक कक अपन लकषय तक न पहच जाओ इसी

आहवान को उनिोन अगरजी भारा क पररक िबदो म किा रा - Awake arise and stop not till the goal

is reached

सवामी शववकानद न मातर ३० वरष की आय म अमररका शसरत शिकागो म ११ शसतमबर १८९३ म

आयोशजत शवशव धमषसभा म भारत की ओर स सनातन धमष का परशतशनशधतव ककया रा भारत का अधयाशतमकता

स पररपणष वदात दिषन अमररका और यरोप क िर दि म सवामी शववकानद की वाकतततता क कारण िी पहचा

उनका शिकागो म शवशव धमषसभा म कदया गया भारण एक ऐसा अमर भारण ि शजस तरि का समानानतर

भारण िायद िी किी उपलबध िो आज का यग एक चतनिील यग ि सभी परकार का जञान पसतको और

अनतजाषल पर उपलबध ि िो सकता ि आज बहत स मनीरी अचछ-अचछ भारण द तो िायद इतना आशचयष न

िो ककनत १८वी-१९वी िती क उस अधकार काल म सवामी शववकानद न जो भारण कदया वि सवय म एक

शमसाल ि उनिोन अपनी धीर एव गमभीर वाणी म अपन भारण का आरमभ िी ककया रा lsquolsquoअमररका क

भाईयो और बशिनोlsquolsquo स (शजसका उस सभागार म जोरदार तरा बड़ी दर तक करतल धवशन स सवागत हआ रा)

इस समबोधन क पीछ भी वदात का वि गौरविाली शसदधात िी रा शजस िम बड़ गवष स lsquoवसधव कटमबकमlsquo क

नाम स अशभशित करत ि शववकानद जी क उस समपणष भारण को सन कर ऐसा निी लगता कक वि भारण

१८९३ म कदया गया बशलक ऐसा लगता ि कक मानो व आज िमार सममख बोल रि ि कयोकक उस भारण म

शजन बातो का उललख ि उन पर आज भी िम उतनी ततपरता स आतममरन करत ि

उनक भारण की कई ऐसी उललखनीय बात ि शजनको म यिा रखाककत करना चािती ह शपछल २-३

वरष स कछ लोग भारत म सशिषणता पर कई तरि क परशनशचहन लगा रि ि ककत उनको यिा समरण कदलान की

16 61 2019 11

आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

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सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

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ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

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शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

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द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

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ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

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उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

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सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

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बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

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इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

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कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

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राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

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2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

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ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

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इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

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नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 4: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 2

इस नव-वरष वसधा अपन जीवन क सोलिव वरष म पदापषण कर रिी ि इस बलखाती इठलाती रोडिी

को रचनाकारो और पाठको न अपन सनि स सीच कर उमर क इस सनिर मक़ाम पर पहचाया ि शजसक शलए वि

सभी की आभारी ि और आिा करती ि कक सज़दगी क िर पड़ाव पर उस इसी परकार आप सबका आिीवाषद परापत

िोता रिगा

आगामी िोली की गलाल-भरी िभ-कामनाए िोली जिा ईशवर की सतता सवीकार करन का तयोिार ि

कक िर शवरम स शवरम पररशसरशत म ईशवर अपन भकत की रकषा करता ि शवकट स शवकट अवसरा म उस

सरशकषत रखता ि िोशलका-दिन व शिरणयकशिप-वध स बराई का अत कर भगवान म परम आसरा रखन वाल

अपन भकत परहलाद का मन सत-शचत-आनद स भर दता ि विी यि तयोिार अगली-शपछली वमनसयता भला

कर शमतरता का िार राम सवय की व दसर की काशलमा कलरता शमटाकर सौिारषपणष भाव स एक-दसर पर

सशिदानद क िभ रगो की वराष करन की शिकषा भी दता ि जब आप कलरता की काशलमा को तयाग भाईचार

क पावन-पनीत िभ रगो स दसर को पलाशवत करत ि तो उसक छीट आप पर भी पड़त ि जो न कवल दसरो क

जीवन म वरन आपक जीवन म भी खशियो की बिार लात ि आइए इस भावावयशकत क सार िम िोली का

सकलप ल और मानवता को आदिष-परम क रग म रग कर सराबोर कर भारतीय िोली का उतकषट िभ सदि

शवशव म सराशपत कर िम दि म रि चाि शवदि म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय ससकशत जो िम शवरासत

म शमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा वतषमान व भावी पीढ़ी क शलए चाि वि भारतीय

िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकशत की मिाल जलाय रखन क शलए िम परशतबदध िोना ि इस िभ

सकलप स जड़ी आप सबकी परशतबदधता भारतीय ससकारो क मानदणडो को सराशपत कर परसपर सहदयता एव

परम भावना बढ़ा शजस दि-परदि म भी आप शनवास करत ि उस परममय बना दगी और अनततोगतवा ऐसा

सौिारषपणष वातावरण िर दि काल क शलए अनकरणीय िोगा िर दशषट स सरािनीय िोगा इशतिास अतीत की

वयाखया ि साशितय वतषमान का दपषण ि और समाज का भशवषय शनमाषता भी सामाशजक एव साशिशतयक

गशतशवशधयो दवारा िी िम भारतीय समाज - आपरवासी भारतीय समाज व भारतवशियो का न कवल वतषमान

उजजवल बनाएग वरन उजजवल भशवषय की नीव ठोस आधार-शिला का शनमाषण भी करग ऐसी मरी मानयता ि

भारत क ससद भवन क भवय कनरीय ककष म सयोजक - माननीया सतया बशिन पवष सासद राजयसभा अधयकष

ldquoससदीय शिनदी परररदrdquo माननीया सतोर खनना मिासशचव ldquoशवशध भारतीय परररदrdquo एव माननीया उरमषल

सतयभरण अधयकष ldquoपररचय साशितय परररदrdquo ndash दवारा ldquoससदीय शिनदी परररदrdquo का गौरविाली राषटरभारा

उतसव पदमभरण डॉ सभार कशयप पवष मिासशचव लोकसभा एव भारत क परशतशषठत सशवधान शवद की

अधयकषता म एव मखय अशतशर डॉ सतय नारायण जरटया पवष कनरीय मतरी राजयसभा क उपसभापशत एव

ससदीय राजसभा सशमशत क उपाधयकष क साशननदधधय म सफलतापवषक समपनन हआ गणमानय शवशिषट अशतशर र-

डॉ रमा पराचायष िसराज कॉलज कदलली शवशवशवदयालय डॉ अवनीि कमार अधयकष वजञाशनक एव तकनीकी

िबदावली आयोग एव शनदिक कनरीय शिनदी शनदिालय मानव ससाधन शवकास मतरालय भारत सरकार डॉ

रामिरण गौड़ अधयकष कदलली लाइबररी बोडष परो डॉ परन चद टडन परो शिनदी शवभाग कदलली शवशवशवदयालय

राषटर भारा मिोतसव क परशत समरपषत ऐस भवय समारोि म सवय क शलए परदतत ldquoराषटर भारा गौरव सममानrdquo

ित शरीमती सतोर खनना एव सभी समबशधत आदरणीय एव शपरयजनो की आभारी ह सभी का िारदषक धनयवाद

ईशरवर कपा और आप सभी शितशरयो की िभकामनाओ स मर उपनयास ldquoलोक-नायक रामrdquo का चतरष

ससकरण परकाशित िो गया ि एव उपनयास ldquoदिानन रावणrdquo परकािनाधीन ि

नव वरष सभी क शलए मगलमय िो शवशव िाशत की कामना शलए ससनह सनह ठाकर

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सवागत ि नव वरष तमिारा

रमि जोिी

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

कर कामना सब को सखकर िो यि नतन वरष |

कोई भरम िका िो तो भी बद न िो सवाद |

आपस म शमल-जल सलझा ल िो यकद कोई शववाद |

दःख-पीड़ा आपस म बाट बाट उतसव-िरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

सभी पररशरम कर िशकत भर कोई न कर परमाद |

जल िोशलका शवशवासो का बचा रि परहलाद |

कवल कछ का निी सभी का िो समशचत उतकरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

सवारष छोड़ कततषवय कर वि पररोततम शरीराम |

यि आदिष िमारा िोव िोग िभ पररणाम |

नयाय-जानकी अपहत िो तो शमल कर सघरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

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नव-वरष

मदन लाल गपता

आजकल सामानयत गरगोररयन कलडर का परयोग ककया जाता ि यि जशलयन कलडर को सधार करक

1852 म बनाया गया रा इस कोड म ए डी या सी ई शलखा जाता ि भारत म तयौिार मनान क शलए ldquoलनरrdquo

तरा दशनक उपयोग क शलए ldquoसोलरrdquo कलडर ि गरगोररयन कलडर म1 जनवरी स नया साल आरमभ िोता ि

भारत म नए साल क कदन शवदिी पयषटको का आगमन अपन चरम पर ि खासकर गोवा जस सरानो म जो एक

पसदीदा पयषटन सरल माना जाता ि

वरष 2019 का आरमभ मगलवार क िभ कदन स िोगा मगलवार का कदन भगवान िनमान को समरपषत

ि दशकषण भारत म य कदन सकद उफष मरगन या कारतषकय क शलए समरपषत ि भकत लोग इस कदन िनमान

चालीसा को हनमान दवता को समरपषत करत ि मगलवार का वरत उन दपशतयो क दवारा ककया जाता ि जो एक

बटा िोन की इचछा करत ि जो लोग जयोशतर म शवशवास रखत ि वो लोग मगल गरि स जड़ िाशनकारक परभाव

को कम करन क शलए और गरि िाशत क शलए मगलवार का वरत रखत ि अशधकाि सिद 21 मगलवार क वरत

रखत ि मगल को एक मसीबत शनमाषता क रप म माना जाता ि और मगलवार का वरत रखकर लोग मसीबतो

और बराइयो को रासत स िटा सकत ि

मगल (मासष) नौ गरिो म स एक ि उस अनय नामो जस अगारक और खज क नाम स भी जाना जाता ि उस

पथवी दवी या भशम का पतर भी माना जाता ि पथवी दवी का नाम िशकत वीरता और सािस क सार जड़ा हआ

ि मगल को धमष का रकषक और जीवन का उददशय माना जाता ि 12 अवतार क समय परमशवर की चमक

आकाि म िजारो सयष क बराबर री यि पथवी दवी क शलए असिनीय रा तब भगवान पथवी दवी की

इचछाओ को परा करन क शलए सदर और मल रप म कदखाई कदए उनिोन िादी कर ली और बाद म एक वरष

बाद उनि मगल पदा हआ रा

नए साल का सकत ि कक बीत चक साल क शलए शवदाई करन और नए साल का सवागत करन का समय

आ गया ि दशनया भर म पशशचमी ससकशत क शवकास क सार गरगोररयन कलडर का 1 जनवरी को नया साल

का कदन भारत क कई समारोिो म स एक रिा ि कछ कित ि कक यि तब िर हआ जब अगरजो न भारत का

उपशनवि ककया जबकक अनय कित ि कक इसकी लोकशपरयता 1940 क दिक क बाद शवकशसत हई यि धयान

रखना मितवपणष ि कक भारत म शवशभनन समिो क बीच अलग-अलग कलडर का उपयोग ककया जाता ि

इसशलए इन कलडरो म शचशनित िोन पर आधाररत नए साल को अलग-अलग समय म मनाया जाता ि

गजरात म नया वरष कदवाली स िर िोता ि

भारत म (पिली जनवरी) नए वरष क िभावसर पर लोग नदी पर सनान करत ि और नदी का जल

शछड़क कर घर को पशवतर करत ि नय कपड़ पिनत ि मकदर जात ि कई लोग घर पर िवन करत ि और दान

करत ि आपस म एक दसर को नय वरष की िभ कामना दत ि सदिो का आदान-परदान गरीटटग कारडसष और

उपिार नए साल क उतसव का शिससा ि भारत क सभी शिससो म लोग गायन खल नतय और पारटषयो म भाग

लन जसी मज़दार गशतशवशधयो म िाशमल िोत ि नाइट कलब मवी शरयटर ररसॉरटसष रसतरा और मनोरजन

पाकष सभी उमर क लोगो स भर हए िोत ि जो लोग घर क अदर रिन का फसला करत ि व मनोरजन और

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मसती क शलए नए साल क मीशडया क कायषकरमो का सिारा लत ि आगामी वरष क शलए नए परसतावो की

योजना बनान की परानी परमपरा एक आम बात ि बड़ ििरो म लाइव सगीत कायषकरम आयोशजत िोत ि

शजनम बॉलीवड शसतार और अनय परशसदध वयशकततव िाशमल ि बड़ी भीड़ ऐस िो म भाग लन क शलए इकटठा

िोती ि नव वरष मज़ स भर अवसर को आपक जीवन म शपरयजनो क करीब आन और खोए गए दोसतो क समपकष

को पनजीशवत करन का एक िानदार अवसर माना जाता ि

वरष 2019 का मितव 4 फरवरी सोमवार को परयागराज म अधष कमभ का मिोतसव ि इस कदन

सोमवती अमावस िोन स अधषकमभी क सार-सार िररदवार आकद अनय तीरष सरानो का भी शविर मािातमय

रिगा शजस परकार िररदवार परयागराज उजजन और नाशसक - इन चार परमख तीरो पर परशत बारि वरष कमभ

मिापवष मनाया जाता ि उसी परकार कवल परयागराज और िररदवार म 6 वरो क पशचात अधषकमभी का पवष

मनाया जाता ि यि अधषकमभ पवष उजजन और नाशसक म मनान की परमपरा निी ि कमभ एवम अधषकमभी क

िभ पवष गगा-यमना तरा सरसवती क जलो म कदवय वयोम स अमत ततव का समावि हआ माना जाता ि 56

जनवरी िशनरशववार को खणडगरास सयषगरिण तरा 21 जनवरी सोमवार को खगरास चनरगरिण ि

गड नयज़ इरोशपया इरोशपया का नया साल 11 (लीप 12) शसतमबर को मनाया जाता ि तदनसार

शमलशननयम 2000 का उतसव 12 शसतमबर 2007 को मनाया गया इरोशपया का समय जी ऍम टी स 3 घट

आग ि तरा रात और कदन 12 12 घट क ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स लगभग 8 वरष पीछ ि

इरोशपयन वरष 13 मिीन तरा 365 (लीप 366) कदन का िोता ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स

शसतमबर कदसमबर म 7 वरष 8 मिीन तरा जनवरी अगसत म 8 वरष 4 मिीन पीछ ि पिल 12 मिीन 30 30

कदन तरा 13 वा मिीना 56 कदन का िोता ि

गरगोररयन कलडर की सारषकता िर वरष का िर तरा अनत का कदन एक िी िोता ि 2001 सोमवार

2002 मगलवार िर वरष जनवरी तरा अकटबर एक िी कदन िर िोत ि 2003 बधवार 2006 रशववार िर

वरष फरवरी माचष और नवमबर एक िी कदन िर िोत ि 2001 गरवार और 2003 िशनवार िर वरष अपरल

और जलाई एक िी कदन िर िोत ि 2003 मगलवार और 2006 िशनवार िर वरष शसतमबर और कदसमबर

एक िी कदन िर िोत ि 2003 सोमवार और 2006 िकरवार

शवशचतर जनम अलग-अलग वरष अलग-अलग कदन अलग-अलग समय परनत जनम कदन एक सार

मनाया गया िनना का जनम मगलवार 31 कदसमबर 2013 को राशतर 1159 पर हआ उसकी शरटवन शससटर

डशनयल का जनम बधवार1 जनवरी 2014 की आधी रात क 40 सकड बाद हआ (उस टकसास अमररका म

वरष 2014 म पदा िोन वाला पिला बिा घोशरत ककया गया) दोनो का पिला जनम कदन एक सार बधवार को

मनाया गया

नय यॉकष Time Square म नए वरष का उतसव नय यॉकष टाइम सवायर पर नए वरष का उतसव 1904

स लगातार मनाया जा रिा ि परनत 1907 म नय ईव बाल को पिली बार वन टाइम सवायर क ऊपर लग

फलगपोल स उतारा गया लोि और लकड़ी स बन नय ईव बाल का भार 700 पौड और वयास 5 फट रा इस

25 वाट परकाि वाल 100 बलबो स सजाया गया रा टाइम सवायर क आस-पास क िोटलो क वटरो को बटरी

चशलत बलबो स नबर 1908 स सज हए िट पिनाय गय र ठीक आधी रात पर जब उनिन अपन िटो स पदाष

16 61 2019 6

उठाया तो उनक मारो पर बलबो स बना नमबर 1908 नय साल का सकत करन क शलए परकाि स जगमगा

उठा

परारषना- नय वरष म परभ स परारषना करता ह कक ससार क सभी पराशणयो को सदबशदध द ससार क लोगो

म परम और सदभाव बढ़ सब भाई-बिन शबना दवर क परम स शमल जल कर रि ससार क सभी लोग माता-शपता

तरा बड़ो का आदर रखत हए कल परमपरा का पालन कर कटमब क बड़ लोग सबक परशत ममता और करणा

रख तरा छोट सदसय शवनयी नमर और आजञाकारी बन सब मधर सतय वाणी बोल नय वरष म ससार क सब

लोगो का सवासथय अचछा रि और रोग सचताओ स मकत रि सब सौ वरष या इस स भी अशधक सखमय आय

पाय नय वरष म सबको परभ कपा स सफलता शमल ससार क सभी लोग सिाई क रासत स कमाय और सब

शमल कर उसका उपभोग कर िमारा जञान िम सनमागष की ओर ल जाव ससार क लोगो म सतय सवा और

सियोग की भावना पदा िो ससार क सभी लोग शमल कर आतकवाकदयो का नाि कर

आजकल िर दि िाशत-िाशत की रट लगा रिा ि और सार-सार घातक स घातक बम बना रिा ि िर

बड़ दि की दसर बड़ दि का भय रात की नीद उड़ा रिा ि नय वरष म परभ स परारषना ि कक सब दि िाशत क

मागष पर चल

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म जल म रल म और गगन म

अनतररकष म अशि पवन म औरशध वनसपशत वन उपवन म

सकल शवशव म जड़ चतन म िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

बराहमण क उपदि वचन म कषशतरय क दवारा िो रण म

वशयजनो क िोव धन म और िर क िो तन मन म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

िाशनत राषटर-शनमाषण सजन म नगर गराम म और भवन म

जीवमातर क तन म मन म और जगत क िो कण कण म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

ॐ िाशनत िाशनत िाशनत

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तम सवय दीपक बनो

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत मिातमा गाधी अतराषषटरीय शिनदी शवशवशवदयालय)

दीपावली पवष क अवसर पर भाशत-भाशत क परकाि क आयोजन बड़ िी धम-धाम स ककए जात ि

भारतीय पचाग क शिसाब स कषण पकष की अमावासया यानी गिन अधकार भरी काली रात म दीपावली मनाई

जाती ि वस भी अधरा िोन पर िी िम परकाि की जररत महसस िोती ि तब िम परकाि का आवािन करत

ि वस जब भी कोई पजा-अचषना िोती ि तो परकाि की उपशसरशत अशनवायष ि परतयक दव-पजा म भी दीप

जलात ि और पजा समपनन िोन पर आरती भी की जाती ि परकाि और जञान क बीच का भी गिरा ररशता ि

दीप का अरष यि भी समझ म आता ि कक भरमो को िटात हए सवय को आलोककत करो सदधगण का परकाि िी

जगत को आलोककत करता ि आशखर अिकार (क अधकार) स मकत िो कर िी जञान की राि बनती ि जञान की

तातकाशलक पररणशत भी शवनय ि शजसस पातरता आती ि जो भी िो परकाि क परशत भारतीय मानस की गिरी

आसरा रिी ि धीर-धीर परकाि सभय सससकत िोन की िमारी वयवसरा का शिससा बन गया मलय क रप म

वकदक काल स िी अधकार स परकाि की ओर आग बढन की कामना की जाती रिी ि

किा जाता ि कक राजा राम क अयोधया आगमन क अवसर पर नगरजनो न सवागत दीप जलाए और

तभी स दीपावली की परमपरा िर हई री शपछल साल स उततर परदि की सरकार न अयोधया म दीपावली का

बड़ पमान पर आयोजन िर ककया ि इस वरष सरय तट पर तीन लाख स जयादा दीय जलाए गए और

lsquoफजाबादrsquo क नाम स दजष अयोधया को कफर lsquoअयोधयाrsquo नाम द कदया गया आयोजन का आकरषण पषपक शवमान

(िलीकॉपटर) स रामावतरण और राम राजयाशभरक की लीला का आयोजन रा इस अवसर पर आकाि स

पषपवशषट भी हई दशकषण कोररया की पररम मशिला ककम जग सक का साशननधय भी शमला शजस पराचीन काल म

घरटत अयोधया की राजकमारी की कोररया क राजकमार क सार शववाि की घटना क सार जोड़ कर दखा गया

यि परा कायषकरम बड़ा िी भवय रा मयाषदा पररोततम राम क अनरप यि अलग बात ि कक शसयासी िलक इस

आयोजन का राजनशतक आिय दख रि ि वस भी राम मयाषदा की याद कदलात ि और जनकलयाण क आग सब

कछ तयाग दन को तयार रित ि राजनीशतजञो को इस भी धयान म रखना चाशिए परशतमा म छशव सरशकषत

करन स अशधक ज़ररी ि जनकलयाण की मशिम

कदय क सवभाव पर धयान दत हए भगवान बदध की भी याद आती ि उनिोन कभी गिन आतम-शनरीकषण

क कषणो म बड़ शवचार क बाद शनणषयातमक सवर म अपन अनभवो क शनचोड़ क रप म अपन अनयाशययो को

यि शनदि कदया रा lsquoअपप दीपो भवrsquo यानी खद अपन आप को िी दीया बनाओ उनिोन सब क सामन आतम-

सधान की एक करठन चनौती रखी शजसक शलए सतत साधना की जररत पड़ती ि वस तो दीपक और िरीर

दोनो शमटटी िी ि पाररषव ततव स शनरमषत ि परनत परकाि स आलोक शबखरन वाला दीप बनना आसान निी

दीपक अपन अशसततव की परवाि ककए शबना चतना (परकाि) का शवसतार करता चलता ि यि करठन चनौती

ि दीप बनना मनषय क आतम-िोधन और आतम-दान की माग करता ि शजसक शलए शनषठा और समपषण की

आवशयकता पड़ती ि

यि सामानय अनभव ि कक दीया जलता ि और जलत िी अपन चतरदषक क पर पररवि को आलोककत

कर जाता ि गरीब की झोपड़ी स अमीर की अटटाशलका तक दीय का जोर रिा ि छोट स शमटटी क दीय क

16 61 2019 8

परकाि क आगमन क सार िी घोर स घोर अधकार की भी ततकषण छटटी िो जाती ि इसीशलए दीप को lsquoजयोशत-

तीरषrsquo भी किा जाता ि परकाि स ऊजाष और ऊषमा भी शमलती ि जो जीवन को समभव करती ि परी सशषट को

िी ऊषमा की शनरतर दरकार बनी रिती ि मनषय िी निी पड़-पौध खत-खशलिान जीव-जत सब-क-सब

ककसी न ककसी मातरा म परकाि की चाि रखत ि और तो और ऋत चकर भी मलत परकाि का िी खल ि परकाि

जीवन को शनयशमत-वयवशसरत करता ि किा जा सकता ि कक परकाि ि तो जीवन ि परकशत क परसाद क रप

म सयषदव का परकाि समसत जगत को न जान कब स शमलता आ रिा ि परत परकाि की िी तरि अधकार भी

एक अटल जीवन-सतय ि और उसस शनरतर लड़त रिना और पार पाना मनषय जाशत की शनयशत ि सबका

अनभव ि कक जीवन कभी सीधी रखा म निी चला करता कयोकक सब कछ पवषशनशशचत निी िोता मानव

सभयता क इशतिास म िर यग म और िर जगि ऐसा िोता रिा ि ऐस म परकाि-अनधकार सख-दख शपरय-

अशपरय िाशन-लाभ जय-शवजय सभी तरि क खटट-मीठ शवपयाषसो क बीच स गजरत हए िी मनषय क जीवन

की गशत आग बढती ि

जब मनषय क शलए दीपक बनन क आदिष की बात भगवान बदध कि रि र तो शनशचय िी उनका आिय

कछ वयापक रा दीपक कई दशषटयो स एक अदधभत रचना ि जो रच जान क बाद अपन रचना-जगत का हशलया

िी बदल दता ि वि ससकशत की समगर सकलप-िशकत का समपणष परतीक ि उसकी दढता उसका सािस उसकी

सनि स आपररत रचना मनषय की एक लाजबाब कशत ि दसरो को परकाि दत समय दीपक ककसी तरि का भद-

भाव निी करता वि एक अदधभत दाता ि जो शबना ककसी कारण शनवयाषज भाव स और शबना ककसी स पछ जो

भी उसक समपकष म आता ि सबको अकठ भाव स परकाि बाटता-दता रिता ि उसका सवभाव िी ि दसरो को

शनरतर दत रिना शबना इसकी सचता ककए कक इस दान म उसका सवय का जीवन करमिः शनिर िोता जाता ि

दीपक सवय तो शनरपकष रिता ि वि एक शसरतपरजञ योगी की भाशत शबना ककसी तरि की आिा क (शनरािी)

और शबना मोि क (शनमषम) िो कर अधकार क शवरदध सतत यदधरत रिता ि यिी उसकी परकशत ि और इसी म

उसकी सारषकता ि दीप बनन क शलए आवािन करत हए भगवान बदध यि भी चाित ि कक परतयक वयशकत ककसी

दसर शरोत पर अवलशमबत न रि कर सवय अपन िी ससाधनो स तपत रि ndash आतमतपत उधार शलए हए परकाि या

िशकत पर भरोसा करन क अपन खतर और जोशखम िोत ि

मिाभारत म भी दीप की मानव मलयो क एक दीप की पररकलपना की गई ि शजसम सतय का आधार

तप (अराषत सयम) का तल दया की बाती (दखी जनो की सचता ) और कषमा की लौ की बात किी गई ि अत म

सभल कर दीया जलान की शिदायत दी गई ि शजसस अधकार स अचछी तरि लड़ा जा सक और रोका जा सक

अधकार आसरी परवशतत ि वि और कछ निी सिसा दवर कलि और लोभ आकद की दबषलताए ि इनि ककसी भी

कीमत पर जीवन पर िाबी निी िोन दना चाशिए आज जीवन म शनरािा और अशवशवास बढ रिा ि अनगषल

उपभोकता की तीवर परवशतत उफान पर ि इस पररशसरशत म वयशकत वभव पर अशधकार क शलए सननदध ि पर यि

निी भलना चशिए कक गणि जी गण दवता ि अराषत व सामानय जन समाज का परशतशनशधतव करत ि और

लकषमी जी की पजा उनक सार िी करन का शवधान ि

16 61 2019 9

म और तम

डॉ अजय शरीवासतव

मन कब किा रा कक तम घनी काली

बदरी बनकर आसमा म छा जाना

मन तो सोचा रा कक काि तम मनद मनद

बिती हई मरी बशगया मिका दती

मन कब किा रा कक तम कफजाओ म

अपनी रगत शबखर दना

मन तो सोचा रा कक काि तम िमसाया बनकर

जीवन भर मर lsquoवासतrsquo िी बनी रिती

मन कब किा रा कक तमिारी घनी छाव म

िरएक अपना पड़ाव डाल द

मन तो सोचा रा कक काि तम एक पौधा

सरीखा मर आगन म बनी रिती

मन कब किा रा कक चटटानो क बीच स शनकली

बलखाती एक नदी क माशननद तम िरएक को रोमाशचत करती

मन तो सोचा रा कक काि तमिार िानत

धीर जल म शसफष और शसफष म िी अपना अकस दख लता

मन कब किा रा कक तम अपनी पगधवशनयो

स चपप-चपप को गजायमान करना

मन तो सोचा रा कक काि तम मरी िर खिी गम म

अपन कदमो की आिट स मझ को बाध रखती

मन कब किा रा कक तम अपन आचल स

एक बि जसा मझ परी तरि स ढक लना

मन तो सोचा रा कक काि तमिारा िमसफर बनकर

म दशवाररयो भरी शजनदगी को जी लता

तमिारी राि अलग और मरी अलग

इन दो रािो का शमलना ममककन निी

लककन अननत पर य जदा राि शमल िी जावगी

तब तक म तमिारी बाट जोहगा

16 61 2019 10

अधकार म परभापज सवामी शववकानद ( १२ जनवरी सवामी शववकानद जी क जनम-कदवस पर शविर ndash समपादक )

सनतोर खनना

सवामी शववकानद भारतीय अधयाशतमक और धारमषक मनीरा क शसरमौर वयशकततव र ४० वरष की

अलपाय म िी उनिोन दि और शवशव को अपन अवदान स इतना अनपराशणत और समदध कर कदया कक दि की

यवा पीकढ़या उनक कदखाए मागष पर चल कर अपना तो भागय सवार िी सकती ि वि पर शवशव म भारत का

परचम लिरा कर उपभोकतावाद और शनर भौशतकतावाद क भवर म फ स आज क सतपत और अशभिपत मानव को

एक सारषक कदिा परदान कर सकती ि

भारत क गौरविाली वदात दिषन क माधयम स सवामी शववकानद न ततकालीन अध यग की

पररशसरशतयो को शचशहनत कर मानवीय सशिषणता शवशव बधता और असिसा का सदि कदया रा आज स

लगभग १२५ वरष पिल उनिोन यवाओ का आहवान करत हए कठोपशनरद क एक मतर को अपना जीवन दिषन

माना रा जो आज भी सभी क शलए शविर रप स यवाओ क शलए उतना िी सारषक एव परासशगक ि शजतना

उस समय रा बशलक आज उसस भी किी अशधक सारषक ि वि अमर सदि रा- lsquoउशततशषठत जागत परापय

वराशनबोधतः lsquoअराषत उठो जागो तरा तब तक मत रको जब तक कक अपन लकषय तक न पहच जाओ इसी

आहवान को उनिोन अगरजी भारा क पररक िबदो म किा रा - Awake arise and stop not till the goal

is reached

सवामी शववकानद न मातर ३० वरष की आय म अमररका शसरत शिकागो म ११ शसतमबर १८९३ म

आयोशजत शवशव धमषसभा म भारत की ओर स सनातन धमष का परशतशनशधतव ककया रा भारत का अधयाशतमकता

स पररपणष वदात दिषन अमररका और यरोप क िर दि म सवामी शववकानद की वाकतततता क कारण िी पहचा

उनका शिकागो म शवशव धमषसभा म कदया गया भारण एक ऐसा अमर भारण ि शजस तरि का समानानतर

भारण िायद िी किी उपलबध िो आज का यग एक चतनिील यग ि सभी परकार का जञान पसतको और

अनतजाषल पर उपलबध ि िो सकता ि आज बहत स मनीरी अचछ-अचछ भारण द तो िायद इतना आशचयष न

िो ककनत १८वी-१९वी िती क उस अधकार काल म सवामी शववकानद न जो भारण कदया वि सवय म एक

शमसाल ि उनिोन अपनी धीर एव गमभीर वाणी म अपन भारण का आरमभ िी ककया रा lsquolsquoअमररका क

भाईयो और बशिनोlsquolsquo स (शजसका उस सभागार म जोरदार तरा बड़ी दर तक करतल धवशन स सवागत हआ रा)

इस समबोधन क पीछ भी वदात का वि गौरविाली शसदधात िी रा शजस िम बड़ गवष स lsquoवसधव कटमबकमlsquo क

नाम स अशभशित करत ि शववकानद जी क उस समपणष भारण को सन कर ऐसा निी लगता कक वि भारण

१८९३ म कदया गया बशलक ऐसा लगता ि कक मानो व आज िमार सममख बोल रि ि कयोकक उस भारण म

शजन बातो का उललख ि उन पर आज भी िम उतनी ततपरता स आतममरन करत ि

उनक भारण की कई ऐसी उललखनीय बात ि शजनको म यिा रखाककत करना चािती ह शपछल २-३

वरष स कछ लोग भारत म सशिषणता पर कई तरि क परशनशचहन लगा रि ि ककत उनको यिा समरण कदलान की

16 61 2019 11

आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

16 61 2019 12

सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

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ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

16 61 2019 14

शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

16 61 2019 15

द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

16 61 2019 16

ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

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ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

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इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

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नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 5: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 3

सवागत ि नव वरष तमिारा

रमि जोिी

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

कर कामना सब को सखकर िो यि नतन वरष |

कोई भरम िका िो तो भी बद न िो सवाद |

आपस म शमल-जल सलझा ल िो यकद कोई शववाद |

दःख-पीड़ा आपस म बाट बाट उतसव-िरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

सभी पररशरम कर िशकत भर कोई न कर परमाद |

जल िोशलका शवशवासो का बचा रि परहलाद |

कवल कछ का निी सभी का िो समशचत उतकरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

सवारष छोड़ कततषवय कर वि पररोततम शरीराम |

यि आदिष िमारा िोव िोग िभ पररणाम |

नयाय-जानकी अपहत िो तो शमल कर सघरष |

सवागत ि नव वरष तमिारा सवागत ि नव वरष |

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नव-वरष

मदन लाल गपता

आजकल सामानयत गरगोररयन कलडर का परयोग ककया जाता ि यि जशलयन कलडर को सधार करक

1852 म बनाया गया रा इस कोड म ए डी या सी ई शलखा जाता ि भारत म तयौिार मनान क शलए ldquoलनरrdquo

तरा दशनक उपयोग क शलए ldquoसोलरrdquo कलडर ि गरगोररयन कलडर म1 जनवरी स नया साल आरमभ िोता ि

भारत म नए साल क कदन शवदिी पयषटको का आगमन अपन चरम पर ि खासकर गोवा जस सरानो म जो एक

पसदीदा पयषटन सरल माना जाता ि

वरष 2019 का आरमभ मगलवार क िभ कदन स िोगा मगलवार का कदन भगवान िनमान को समरपषत

ि दशकषण भारत म य कदन सकद उफष मरगन या कारतषकय क शलए समरपषत ि भकत लोग इस कदन िनमान

चालीसा को हनमान दवता को समरपषत करत ि मगलवार का वरत उन दपशतयो क दवारा ककया जाता ि जो एक

बटा िोन की इचछा करत ि जो लोग जयोशतर म शवशवास रखत ि वो लोग मगल गरि स जड़ िाशनकारक परभाव

को कम करन क शलए और गरि िाशत क शलए मगलवार का वरत रखत ि अशधकाि सिद 21 मगलवार क वरत

रखत ि मगल को एक मसीबत शनमाषता क रप म माना जाता ि और मगलवार का वरत रखकर लोग मसीबतो

और बराइयो को रासत स िटा सकत ि

मगल (मासष) नौ गरिो म स एक ि उस अनय नामो जस अगारक और खज क नाम स भी जाना जाता ि उस

पथवी दवी या भशम का पतर भी माना जाता ि पथवी दवी का नाम िशकत वीरता और सािस क सार जड़ा हआ

ि मगल को धमष का रकषक और जीवन का उददशय माना जाता ि 12 अवतार क समय परमशवर की चमक

आकाि म िजारो सयष क बराबर री यि पथवी दवी क शलए असिनीय रा तब भगवान पथवी दवी की

इचछाओ को परा करन क शलए सदर और मल रप म कदखाई कदए उनिोन िादी कर ली और बाद म एक वरष

बाद उनि मगल पदा हआ रा

नए साल का सकत ि कक बीत चक साल क शलए शवदाई करन और नए साल का सवागत करन का समय

आ गया ि दशनया भर म पशशचमी ससकशत क शवकास क सार गरगोररयन कलडर का 1 जनवरी को नया साल

का कदन भारत क कई समारोिो म स एक रिा ि कछ कित ि कक यि तब िर हआ जब अगरजो न भारत का

उपशनवि ककया जबकक अनय कित ि कक इसकी लोकशपरयता 1940 क दिक क बाद शवकशसत हई यि धयान

रखना मितवपणष ि कक भारत म शवशभनन समिो क बीच अलग-अलग कलडर का उपयोग ककया जाता ि

इसशलए इन कलडरो म शचशनित िोन पर आधाररत नए साल को अलग-अलग समय म मनाया जाता ि

गजरात म नया वरष कदवाली स िर िोता ि

भारत म (पिली जनवरी) नए वरष क िभावसर पर लोग नदी पर सनान करत ि और नदी का जल

शछड़क कर घर को पशवतर करत ि नय कपड़ पिनत ि मकदर जात ि कई लोग घर पर िवन करत ि और दान

करत ि आपस म एक दसर को नय वरष की िभ कामना दत ि सदिो का आदान-परदान गरीटटग कारडसष और

उपिार नए साल क उतसव का शिससा ि भारत क सभी शिससो म लोग गायन खल नतय और पारटषयो म भाग

लन जसी मज़दार गशतशवशधयो म िाशमल िोत ि नाइट कलब मवी शरयटर ररसॉरटसष रसतरा और मनोरजन

पाकष सभी उमर क लोगो स भर हए िोत ि जो लोग घर क अदर रिन का फसला करत ि व मनोरजन और

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मसती क शलए नए साल क मीशडया क कायषकरमो का सिारा लत ि आगामी वरष क शलए नए परसतावो की

योजना बनान की परानी परमपरा एक आम बात ि बड़ ििरो म लाइव सगीत कायषकरम आयोशजत िोत ि

शजनम बॉलीवड शसतार और अनय परशसदध वयशकततव िाशमल ि बड़ी भीड़ ऐस िो म भाग लन क शलए इकटठा

िोती ि नव वरष मज़ स भर अवसर को आपक जीवन म शपरयजनो क करीब आन और खोए गए दोसतो क समपकष

को पनजीशवत करन का एक िानदार अवसर माना जाता ि

वरष 2019 का मितव 4 फरवरी सोमवार को परयागराज म अधष कमभ का मिोतसव ि इस कदन

सोमवती अमावस िोन स अधषकमभी क सार-सार िररदवार आकद अनय तीरष सरानो का भी शविर मािातमय

रिगा शजस परकार िररदवार परयागराज उजजन और नाशसक - इन चार परमख तीरो पर परशत बारि वरष कमभ

मिापवष मनाया जाता ि उसी परकार कवल परयागराज और िररदवार म 6 वरो क पशचात अधषकमभी का पवष

मनाया जाता ि यि अधषकमभ पवष उजजन और नाशसक म मनान की परमपरा निी ि कमभ एवम अधषकमभी क

िभ पवष गगा-यमना तरा सरसवती क जलो म कदवय वयोम स अमत ततव का समावि हआ माना जाता ि 56

जनवरी िशनरशववार को खणडगरास सयषगरिण तरा 21 जनवरी सोमवार को खगरास चनरगरिण ि

गड नयज़ इरोशपया इरोशपया का नया साल 11 (लीप 12) शसतमबर को मनाया जाता ि तदनसार

शमलशननयम 2000 का उतसव 12 शसतमबर 2007 को मनाया गया इरोशपया का समय जी ऍम टी स 3 घट

आग ि तरा रात और कदन 12 12 घट क ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स लगभग 8 वरष पीछ ि

इरोशपयन वरष 13 मिीन तरा 365 (लीप 366) कदन का िोता ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स

शसतमबर कदसमबर म 7 वरष 8 मिीन तरा जनवरी अगसत म 8 वरष 4 मिीन पीछ ि पिल 12 मिीन 30 30

कदन तरा 13 वा मिीना 56 कदन का िोता ि

गरगोररयन कलडर की सारषकता िर वरष का िर तरा अनत का कदन एक िी िोता ि 2001 सोमवार

2002 मगलवार िर वरष जनवरी तरा अकटबर एक िी कदन िर िोत ि 2003 बधवार 2006 रशववार िर

वरष फरवरी माचष और नवमबर एक िी कदन िर िोत ि 2001 गरवार और 2003 िशनवार िर वरष अपरल

और जलाई एक िी कदन िर िोत ि 2003 मगलवार और 2006 िशनवार िर वरष शसतमबर और कदसमबर

एक िी कदन िर िोत ि 2003 सोमवार और 2006 िकरवार

शवशचतर जनम अलग-अलग वरष अलग-अलग कदन अलग-अलग समय परनत जनम कदन एक सार

मनाया गया िनना का जनम मगलवार 31 कदसमबर 2013 को राशतर 1159 पर हआ उसकी शरटवन शससटर

डशनयल का जनम बधवार1 जनवरी 2014 की आधी रात क 40 सकड बाद हआ (उस टकसास अमररका म

वरष 2014 म पदा िोन वाला पिला बिा घोशरत ककया गया) दोनो का पिला जनम कदन एक सार बधवार को

मनाया गया

नय यॉकष Time Square म नए वरष का उतसव नय यॉकष टाइम सवायर पर नए वरष का उतसव 1904

स लगातार मनाया जा रिा ि परनत 1907 म नय ईव बाल को पिली बार वन टाइम सवायर क ऊपर लग

फलगपोल स उतारा गया लोि और लकड़ी स बन नय ईव बाल का भार 700 पौड और वयास 5 फट रा इस

25 वाट परकाि वाल 100 बलबो स सजाया गया रा टाइम सवायर क आस-पास क िोटलो क वटरो को बटरी

चशलत बलबो स नबर 1908 स सज हए िट पिनाय गय र ठीक आधी रात पर जब उनिन अपन िटो स पदाष

16 61 2019 6

उठाया तो उनक मारो पर बलबो स बना नमबर 1908 नय साल का सकत करन क शलए परकाि स जगमगा

उठा

परारषना- नय वरष म परभ स परारषना करता ह कक ससार क सभी पराशणयो को सदबशदध द ससार क लोगो

म परम और सदभाव बढ़ सब भाई-बिन शबना दवर क परम स शमल जल कर रि ससार क सभी लोग माता-शपता

तरा बड़ो का आदर रखत हए कल परमपरा का पालन कर कटमब क बड़ लोग सबक परशत ममता और करणा

रख तरा छोट सदसय शवनयी नमर और आजञाकारी बन सब मधर सतय वाणी बोल नय वरष म ससार क सब

लोगो का सवासथय अचछा रि और रोग सचताओ स मकत रि सब सौ वरष या इस स भी अशधक सखमय आय

पाय नय वरष म सबको परभ कपा स सफलता शमल ससार क सभी लोग सिाई क रासत स कमाय और सब

शमल कर उसका उपभोग कर िमारा जञान िम सनमागष की ओर ल जाव ससार क लोगो म सतय सवा और

सियोग की भावना पदा िो ससार क सभी लोग शमल कर आतकवाकदयो का नाि कर

आजकल िर दि िाशत-िाशत की रट लगा रिा ि और सार-सार घातक स घातक बम बना रिा ि िर

बड़ दि की दसर बड़ दि का भय रात की नीद उड़ा रिा ि नय वरष म परभ स परारषना ि कक सब दि िाशत क

मागष पर चल

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म जल म रल म और गगन म

अनतररकष म अशि पवन म औरशध वनसपशत वन उपवन म

सकल शवशव म जड़ चतन म िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

बराहमण क उपदि वचन म कषशतरय क दवारा िो रण म

वशयजनो क िोव धन म और िर क िो तन मन म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

िाशनत राषटर-शनमाषण सजन म नगर गराम म और भवन म

जीवमातर क तन म मन म और जगत क िो कण कण म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

ॐ िाशनत िाशनत िाशनत

16 61 2019 7

तम सवय दीपक बनो

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत मिातमा गाधी अतराषषटरीय शिनदी शवशवशवदयालय)

दीपावली पवष क अवसर पर भाशत-भाशत क परकाि क आयोजन बड़ िी धम-धाम स ककए जात ि

भारतीय पचाग क शिसाब स कषण पकष की अमावासया यानी गिन अधकार भरी काली रात म दीपावली मनाई

जाती ि वस भी अधरा िोन पर िी िम परकाि की जररत महसस िोती ि तब िम परकाि का आवािन करत

ि वस जब भी कोई पजा-अचषना िोती ि तो परकाि की उपशसरशत अशनवायष ि परतयक दव-पजा म भी दीप

जलात ि और पजा समपनन िोन पर आरती भी की जाती ि परकाि और जञान क बीच का भी गिरा ररशता ि

दीप का अरष यि भी समझ म आता ि कक भरमो को िटात हए सवय को आलोककत करो सदधगण का परकाि िी

जगत को आलोककत करता ि आशखर अिकार (क अधकार) स मकत िो कर िी जञान की राि बनती ि जञान की

तातकाशलक पररणशत भी शवनय ि शजसस पातरता आती ि जो भी िो परकाि क परशत भारतीय मानस की गिरी

आसरा रिी ि धीर-धीर परकाि सभय सससकत िोन की िमारी वयवसरा का शिससा बन गया मलय क रप म

वकदक काल स िी अधकार स परकाि की ओर आग बढन की कामना की जाती रिी ि

किा जाता ि कक राजा राम क अयोधया आगमन क अवसर पर नगरजनो न सवागत दीप जलाए और

तभी स दीपावली की परमपरा िर हई री शपछल साल स उततर परदि की सरकार न अयोधया म दीपावली का

बड़ पमान पर आयोजन िर ककया ि इस वरष सरय तट पर तीन लाख स जयादा दीय जलाए गए और

lsquoफजाबादrsquo क नाम स दजष अयोधया को कफर lsquoअयोधयाrsquo नाम द कदया गया आयोजन का आकरषण पषपक शवमान

(िलीकॉपटर) स रामावतरण और राम राजयाशभरक की लीला का आयोजन रा इस अवसर पर आकाि स

पषपवशषट भी हई दशकषण कोररया की पररम मशिला ककम जग सक का साशननधय भी शमला शजस पराचीन काल म

घरटत अयोधया की राजकमारी की कोररया क राजकमार क सार शववाि की घटना क सार जोड़ कर दखा गया

यि परा कायषकरम बड़ा िी भवय रा मयाषदा पररोततम राम क अनरप यि अलग बात ि कक शसयासी िलक इस

आयोजन का राजनशतक आिय दख रि ि वस भी राम मयाषदा की याद कदलात ि और जनकलयाण क आग सब

कछ तयाग दन को तयार रित ि राजनीशतजञो को इस भी धयान म रखना चाशिए परशतमा म छशव सरशकषत

करन स अशधक ज़ररी ि जनकलयाण की मशिम

कदय क सवभाव पर धयान दत हए भगवान बदध की भी याद आती ि उनिोन कभी गिन आतम-शनरीकषण

क कषणो म बड़ शवचार क बाद शनणषयातमक सवर म अपन अनभवो क शनचोड़ क रप म अपन अनयाशययो को

यि शनदि कदया रा lsquoअपप दीपो भवrsquo यानी खद अपन आप को िी दीया बनाओ उनिोन सब क सामन आतम-

सधान की एक करठन चनौती रखी शजसक शलए सतत साधना की जररत पड़ती ि वस तो दीपक और िरीर

दोनो शमटटी िी ि पाररषव ततव स शनरमषत ि परनत परकाि स आलोक शबखरन वाला दीप बनना आसान निी

दीपक अपन अशसततव की परवाि ककए शबना चतना (परकाि) का शवसतार करता चलता ि यि करठन चनौती

ि दीप बनना मनषय क आतम-िोधन और आतम-दान की माग करता ि शजसक शलए शनषठा और समपषण की

आवशयकता पड़ती ि

यि सामानय अनभव ि कक दीया जलता ि और जलत िी अपन चतरदषक क पर पररवि को आलोककत

कर जाता ि गरीब की झोपड़ी स अमीर की अटटाशलका तक दीय का जोर रिा ि छोट स शमटटी क दीय क

16 61 2019 8

परकाि क आगमन क सार िी घोर स घोर अधकार की भी ततकषण छटटी िो जाती ि इसीशलए दीप को lsquoजयोशत-

तीरषrsquo भी किा जाता ि परकाि स ऊजाष और ऊषमा भी शमलती ि जो जीवन को समभव करती ि परी सशषट को

िी ऊषमा की शनरतर दरकार बनी रिती ि मनषय िी निी पड़-पौध खत-खशलिान जीव-जत सब-क-सब

ककसी न ककसी मातरा म परकाि की चाि रखत ि और तो और ऋत चकर भी मलत परकाि का िी खल ि परकाि

जीवन को शनयशमत-वयवशसरत करता ि किा जा सकता ि कक परकाि ि तो जीवन ि परकशत क परसाद क रप

म सयषदव का परकाि समसत जगत को न जान कब स शमलता आ रिा ि परत परकाि की िी तरि अधकार भी

एक अटल जीवन-सतय ि और उसस शनरतर लड़त रिना और पार पाना मनषय जाशत की शनयशत ि सबका

अनभव ि कक जीवन कभी सीधी रखा म निी चला करता कयोकक सब कछ पवषशनशशचत निी िोता मानव

सभयता क इशतिास म िर यग म और िर जगि ऐसा िोता रिा ि ऐस म परकाि-अनधकार सख-दख शपरय-

अशपरय िाशन-लाभ जय-शवजय सभी तरि क खटट-मीठ शवपयाषसो क बीच स गजरत हए िी मनषय क जीवन

की गशत आग बढती ि

जब मनषय क शलए दीपक बनन क आदिष की बात भगवान बदध कि रि र तो शनशचय िी उनका आिय

कछ वयापक रा दीपक कई दशषटयो स एक अदधभत रचना ि जो रच जान क बाद अपन रचना-जगत का हशलया

िी बदल दता ि वि ससकशत की समगर सकलप-िशकत का समपणष परतीक ि उसकी दढता उसका सािस उसकी

सनि स आपररत रचना मनषय की एक लाजबाब कशत ि दसरो को परकाि दत समय दीपक ककसी तरि का भद-

भाव निी करता वि एक अदधभत दाता ि जो शबना ककसी कारण शनवयाषज भाव स और शबना ककसी स पछ जो

भी उसक समपकष म आता ि सबको अकठ भाव स परकाि बाटता-दता रिता ि उसका सवभाव िी ि दसरो को

शनरतर दत रिना शबना इसकी सचता ककए कक इस दान म उसका सवय का जीवन करमिः शनिर िोता जाता ि

दीपक सवय तो शनरपकष रिता ि वि एक शसरतपरजञ योगी की भाशत शबना ककसी तरि की आिा क (शनरािी)

और शबना मोि क (शनमषम) िो कर अधकार क शवरदध सतत यदधरत रिता ि यिी उसकी परकशत ि और इसी म

उसकी सारषकता ि दीप बनन क शलए आवािन करत हए भगवान बदध यि भी चाित ि कक परतयक वयशकत ककसी

दसर शरोत पर अवलशमबत न रि कर सवय अपन िी ससाधनो स तपत रि ndash आतमतपत उधार शलए हए परकाि या

िशकत पर भरोसा करन क अपन खतर और जोशखम िोत ि

मिाभारत म भी दीप की मानव मलयो क एक दीप की पररकलपना की गई ि शजसम सतय का आधार

तप (अराषत सयम) का तल दया की बाती (दखी जनो की सचता ) और कषमा की लौ की बात किी गई ि अत म

सभल कर दीया जलान की शिदायत दी गई ि शजसस अधकार स अचछी तरि लड़ा जा सक और रोका जा सक

अधकार आसरी परवशतत ि वि और कछ निी सिसा दवर कलि और लोभ आकद की दबषलताए ि इनि ककसी भी

कीमत पर जीवन पर िाबी निी िोन दना चाशिए आज जीवन म शनरािा और अशवशवास बढ रिा ि अनगषल

उपभोकता की तीवर परवशतत उफान पर ि इस पररशसरशत म वयशकत वभव पर अशधकार क शलए सननदध ि पर यि

निी भलना चशिए कक गणि जी गण दवता ि अराषत व सामानय जन समाज का परशतशनशधतव करत ि और

लकषमी जी की पजा उनक सार िी करन का शवधान ि

16 61 2019 9

म और तम

डॉ अजय शरीवासतव

मन कब किा रा कक तम घनी काली

बदरी बनकर आसमा म छा जाना

मन तो सोचा रा कक काि तम मनद मनद

बिती हई मरी बशगया मिका दती

मन कब किा रा कक तम कफजाओ म

अपनी रगत शबखर दना

मन तो सोचा रा कक काि तम िमसाया बनकर

जीवन भर मर lsquoवासतrsquo िी बनी रिती

मन कब किा रा कक तमिारी घनी छाव म

िरएक अपना पड़ाव डाल द

मन तो सोचा रा कक काि तम एक पौधा

सरीखा मर आगन म बनी रिती

मन कब किा रा कक चटटानो क बीच स शनकली

बलखाती एक नदी क माशननद तम िरएक को रोमाशचत करती

मन तो सोचा रा कक काि तमिार िानत

धीर जल म शसफष और शसफष म िी अपना अकस दख लता

मन कब किा रा कक तम अपनी पगधवशनयो

स चपप-चपप को गजायमान करना

मन तो सोचा रा कक काि तम मरी िर खिी गम म

अपन कदमो की आिट स मझ को बाध रखती

मन कब किा रा कक तम अपन आचल स

एक बि जसा मझ परी तरि स ढक लना

मन तो सोचा रा कक काि तमिारा िमसफर बनकर

म दशवाररयो भरी शजनदगी को जी लता

तमिारी राि अलग और मरी अलग

इन दो रािो का शमलना ममककन निी

लककन अननत पर य जदा राि शमल िी जावगी

तब तक म तमिारी बाट जोहगा

16 61 2019 10

अधकार म परभापज सवामी शववकानद ( १२ जनवरी सवामी शववकानद जी क जनम-कदवस पर शविर ndash समपादक )

सनतोर खनना

सवामी शववकानद भारतीय अधयाशतमक और धारमषक मनीरा क शसरमौर वयशकततव र ४० वरष की

अलपाय म िी उनिोन दि और शवशव को अपन अवदान स इतना अनपराशणत और समदध कर कदया कक दि की

यवा पीकढ़या उनक कदखाए मागष पर चल कर अपना तो भागय सवार िी सकती ि वि पर शवशव म भारत का

परचम लिरा कर उपभोकतावाद और शनर भौशतकतावाद क भवर म फ स आज क सतपत और अशभिपत मानव को

एक सारषक कदिा परदान कर सकती ि

भारत क गौरविाली वदात दिषन क माधयम स सवामी शववकानद न ततकालीन अध यग की

पररशसरशतयो को शचशहनत कर मानवीय सशिषणता शवशव बधता और असिसा का सदि कदया रा आज स

लगभग १२५ वरष पिल उनिोन यवाओ का आहवान करत हए कठोपशनरद क एक मतर को अपना जीवन दिषन

माना रा जो आज भी सभी क शलए शविर रप स यवाओ क शलए उतना िी सारषक एव परासशगक ि शजतना

उस समय रा बशलक आज उसस भी किी अशधक सारषक ि वि अमर सदि रा- lsquoउशततशषठत जागत परापय

वराशनबोधतः lsquoअराषत उठो जागो तरा तब तक मत रको जब तक कक अपन लकषय तक न पहच जाओ इसी

आहवान को उनिोन अगरजी भारा क पररक िबदो म किा रा - Awake arise and stop not till the goal

is reached

सवामी शववकानद न मातर ३० वरष की आय म अमररका शसरत शिकागो म ११ शसतमबर १८९३ म

आयोशजत शवशव धमषसभा म भारत की ओर स सनातन धमष का परशतशनशधतव ककया रा भारत का अधयाशतमकता

स पररपणष वदात दिषन अमररका और यरोप क िर दि म सवामी शववकानद की वाकतततता क कारण िी पहचा

उनका शिकागो म शवशव धमषसभा म कदया गया भारण एक ऐसा अमर भारण ि शजस तरि का समानानतर

भारण िायद िी किी उपलबध िो आज का यग एक चतनिील यग ि सभी परकार का जञान पसतको और

अनतजाषल पर उपलबध ि िो सकता ि आज बहत स मनीरी अचछ-अचछ भारण द तो िायद इतना आशचयष न

िो ककनत १८वी-१९वी िती क उस अधकार काल म सवामी शववकानद न जो भारण कदया वि सवय म एक

शमसाल ि उनिोन अपनी धीर एव गमभीर वाणी म अपन भारण का आरमभ िी ककया रा lsquolsquoअमररका क

भाईयो और बशिनोlsquolsquo स (शजसका उस सभागार म जोरदार तरा बड़ी दर तक करतल धवशन स सवागत हआ रा)

इस समबोधन क पीछ भी वदात का वि गौरविाली शसदधात िी रा शजस िम बड़ गवष स lsquoवसधव कटमबकमlsquo क

नाम स अशभशित करत ि शववकानद जी क उस समपणष भारण को सन कर ऐसा निी लगता कक वि भारण

१८९३ म कदया गया बशलक ऐसा लगता ि कक मानो व आज िमार सममख बोल रि ि कयोकक उस भारण म

शजन बातो का उललख ि उन पर आज भी िम उतनी ततपरता स आतममरन करत ि

उनक भारण की कई ऐसी उललखनीय बात ि शजनको म यिा रखाककत करना चािती ह शपछल २-३

वरष स कछ लोग भारत म सशिषणता पर कई तरि क परशनशचहन लगा रि ि ककत उनको यिा समरण कदलान की

16 61 2019 11

आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

16 61 2019 12

सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

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ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

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शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

16 61 2019 15

द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

16 61 2019 16

ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

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ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

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इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

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नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 6: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 4

नव-वरष

मदन लाल गपता

आजकल सामानयत गरगोररयन कलडर का परयोग ककया जाता ि यि जशलयन कलडर को सधार करक

1852 म बनाया गया रा इस कोड म ए डी या सी ई शलखा जाता ि भारत म तयौिार मनान क शलए ldquoलनरrdquo

तरा दशनक उपयोग क शलए ldquoसोलरrdquo कलडर ि गरगोररयन कलडर म1 जनवरी स नया साल आरमभ िोता ि

भारत म नए साल क कदन शवदिी पयषटको का आगमन अपन चरम पर ि खासकर गोवा जस सरानो म जो एक

पसदीदा पयषटन सरल माना जाता ि

वरष 2019 का आरमभ मगलवार क िभ कदन स िोगा मगलवार का कदन भगवान िनमान को समरपषत

ि दशकषण भारत म य कदन सकद उफष मरगन या कारतषकय क शलए समरपषत ि भकत लोग इस कदन िनमान

चालीसा को हनमान दवता को समरपषत करत ि मगलवार का वरत उन दपशतयो क दवारा ककया जाता ि जो एक

बटा िोन की इचछा करत ि जो लोग जयोशतर म शवशवास रखत ि वो लोग मगल गरि स जड़ िाशनकारक परभाव

को कम करन क शलए और गरि िाशत क शलए मगलवार का वरत रखत ि अशधकाि सिद 21 मगलवार क वरत

रखत ि मगल को एक मसीबत शनमाषता क रप म माना जाता ि और मगलवार का वरत रखकर लोग मसीबतो

और बराइयो को रासत स िटा सकत ि

मगल (मासष) नौ गरिो म स एक ि उस अनय नामो जस अगारक और खज क नाम स भी जाना जाता ि उस

पथवी दवी या भशम का पतर भी माना जाता ि पथवी दवी का नाम िशकत वीरता और सािस क सार जड़ा हआ

ि मगल को धमष का रकषक और जीवन का उददशय माना जाता ि 12 अवतार क समय परमशवर की चमक

आकाि म िजारो सयष क बराबर री यि पथवी दवी क शलए असिनीय रा तब भगवान पथवी दवी की

इचछाओ को परा करन क शलए सदर और मल रप म कदखाई कदए उनिोन िादी कर ली और बाद म एक वरष

बाद उनि मगल पदा हआ रा

नए साल का सकत ि कक बीत चक साल क शलए शवदाई करन और नए साल का सवागत करन का समय

आ गया ि दशनया भर म पशशचमी ससकशत क शवकास क सार गरगोररयन कलडर का 1 जनवरी को नया साल

का कदन भारत क कई समारोिो म स एक रिा ि कछ कित ि कक यि तब िर हआ जब अगरजो न भारत का

उपशनवि ककया जबकक अनय कित ि कक इसकी लोकशपरयता 1940 क दिक क बाद शवकशसत हई यि धयान

रखना मितवपणष ि कक भारत म शवशभनन समिो क बीच अलग-अलग कलडर का उपयोग ककया जाता ि

इसशलए इन कलडरो म शचशनित िोन पर आधाररत नए साल को अलग-अलग समय म मनाया जाता ि

गजरात म नया वरष कदवाली स िर िोता ि

भारत म (पिली जनवरी) नए वरष क िभावसर पर लोग नदी पर सनान करत ि और नदी का जल

शछड़क कर घर को पशवतर करत ि नय कपड़ पिनत ि मकदर जात ि कई लोग घर पर िवन करत ि और दान

करत ि आपस म एक दसर को नय वरष की िभ कामना दत ि सदिो का आदान-परदान गरीटटग कारडसष और

उपिार नए साल क उतसव का शिससा ि भारत क सभी शिससो म लोग गायन खल नतय और पारटषयो म भाग

लन जसी मज़दार गशतशवशधयो म िाशमल िोत ि नाइट कलब मवी शरयटर ररसॉरटसष रसतरा और मनोरजन

पाकष सभी उमर क लोगो स भर हए िोत ि जो लोग घर क अदर रिन का फसला करत ि व मनोरजन और

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मसती क शलए नए साल क मीशडया क कायषकरमो का सिारा लत ि आगामी वरष क शलए नए परसतावो की

योजना बनान की परानी परमपरा एक आम बात ि बड़ ििरो म लाइव सगीत कायषकरम आयोशजत िोत ि

शजनम बॉलीवड शसतार और अनय परशसदध वयशकततव िाशमल ि बड़ी भीड़ ऐस िो म भाग लन क शलए इकटठा

िोती ि नव वरष मज़ स भर अवसर को आपक जीवन म शपरयजनो क करीब आन और खोए गए दोसतो क समपकष

को पनजीशवत करन का एक िानदार अवसर माना जाता ि

वरष 2019 का मितव 4 फरवरी सोमवार को परयागराज म अधष कमभ का मिोतसव ि इस कदन

सोमवती अमावस िोन स अधषकमभी क सार-सार िररदवार आकद अनय तीरष सरानो का भी शविर मािातमय

रिगा शजस परकार िररदवार परयागराज उजजन और नाशसक - इन चार परमख तीरो पर परशत बारि वरष कमभ

मिापवष मनाया जाता ि उसी परकार कवल परयागराज और िररदवार म 6 वरो क पशचात अधषकमभी का पवष

मनाया जाता ि यि अधषकमभ पवष उजजन और नाशसक म मनान की परमपरा निी ि कमभ एवम अधषकमभी क

िभ पवष गगा-यमना तरा सरसवती क जलो म कदवय वयोम स अमत ततव का समावि हआ माना जाता ि 56

जनवरी िशनरशववार को खणडगरास सयषगरिण तरा 21 जनवरी सोमवार को खगरास चनरगरिण ि

गड नयज़ इरोशपया इरोशपया का नया साल 11 (लीप 12) शसतमबर को मनाया जाता ि तदनसार

शमलशननयम 2000 का उतसव 12 शसतमबर 2007 को मनाया गया इरोशपया का समय जी ऍम टी स 3 घट

आग ि तरा रात और कदन 12 12 घट क ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स लगभग 8 वरष पीछ ि

इरोशपयन वरष 13 मिीन तरा 365 (लीप 366) कदन का िोता ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स

शसतमबर कदसमबर म 7 वरष 8 मिीन तरा जनवरी अगसत म 8 वरष 4 मिीन पीछ ि पिल 12 मिीन 30 30

कदन तरा 13 वा मिीना 56 कदन का िोता ि

गरगोररयन कलडर की सारषकता िर वरष का िर तरा अनत का कदन एक िी िोता ि 2001 सोमवार

2002 मगलवार िर वरष जनवरी तरा अकटबर एक िी कदन िर िोत ि 2003 बधवार 2006 रशववार िर

वरष फरवरी माचष और नवमबर एक िी कदन िर िोत ि 2001 गरवार और 2003 िशनवार िर वरष अपरल

और जलाई एक िी कदन िर िोत ि 2003 मगलवार और 2006 िशनवार िर वरष शसतमबर और कदसमबर

एक िी कदन िर िोत ि 2003 सोमवार और 2006 िकरवार

शवशचतर जनम अलग-अलग वरष अलग-अलग कदन अलग-अलग समय परनत जनम कदन एक सार

मनाया गया िनना का जनम मगलवार 31 कदसमबर 2013 को राशतर 1159 पर हआ उसकी शरटवन शससटर

डशनयल का जनम बधवार1 जनवरी 2014 की आधी रात क 40 सकड बाद हआ (उस टकसास अमररका म

वरष 2014 म पदा िोन वाला पिला बिा घोशरत ककया गया) दोनो का पिला जनम कदन एक सार बधवार को

मनाया गया

नय यॉकष Time Square म नए वरष का उतसव नय यॉकष टाइम सवायर पर नए वरष का उतसव 1904

स लगातार मनाया जा रिा ि परनत 1907 म नय ईव बाल को पिली बार वन टाइम सवायर क ऊपर लग

फलगपोल स उतारा गया लोि और लकड़ी स बन नय ईव बाल का भार 700 पौड और वयास 5 फट रा इस

25 वाट परकाि वाल 100 बलबो स सजाया गया रा टाइम सवायर क आस-पास क िोटलो क वटरो को बटरी

चशलत बलबो स नबर 1908 स सज हए िट पिनाय गय र ठीक आधी रात पर जब उनिन अपन िटो स पदाष

16 61 2019 6

उठाया तो उनक मारो पर बलबो स बना नमबर 1908 नय साल का सकत करन क शलए परकाि स जगमगा

उठा

परारषना- नय वरष म परभ स परारषना करता ह कक ससार क सभी पराशणयो को सदबशदध द ससार क लोगो

म परम और सदभाव बढ़ सब भाई-बिन शबना दवर क परम स शमल जल कर रि ससार क सभी लोग माता-शपता

तरा बड़ो का आदर रखत हए कल परमपरा का पालन कर कटमब क बड़ लोग सबक परशत ममता और करणा

रख तरा छोट सदसय शवनयी नमर और आजञाकारी बन सब मधर सतय वाणी बोल नय वरष म ससार क सब

लोगो का सवासथय अचछा रि और रोग सचताओ स मकत रि सब सौ वरष या इस स भी अशधक सखमय आय

पाय नय वरष म सबको परभ कपा स सफलता शमल ससार क सभी लोग सिाई क रासत स कमाय और सब

शमल कर उसका उपभोग कर िमारा जञान िम सनमागष की ओर ल जाव ससार क लोगो म सतय सवा और

सियोग की भावना पदा िो ससार क सभी लोग शमल कर आतकवाकदयो का नाि कर

आजकल िर दि िाशत-िाशत की रट लगा रिा ि और सार-सार घातक स घातक बम बना रिा ि िर

बड़ दि की दसर बड़ दि का भय रात की नीद उड़ा रिा ि नय वरष म परभ स परारषना ि कक सब दि िाशत क

मागष पर चल

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म जल म रल म और गगन म

अनतररकष म अशि पवन म औरशध वनसपशत वन उपवन म

सकल शवशव म जड़ चतन म िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

बराहमण क उपदि वचन म कषशतरय क दवारा िो रण म

वशयजनो क िोव धन म और िर क िो तन मन म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

िाशनत राषटर-शनमाषण सजन म नगर गराम म और भवन म

जीवमातर क तन म मन म और जगत क िो कण कण म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

ॐ िाशनत िाशनत िाशनत

16 61 2019 7

तम सवय दीपक बनो

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत मिातमा गाधी अतराषषटरीय शिनदी शवशवशवदयालय)

दीपावली पवष क अवसर पर भाशत-भाशत क परकाि क आयोजन बड़ िी धम-धाम स ककए जात ि

भारतीय पचाग क शिसाब स कषण पकष की अमावासया यानी गिन अधकार भरी काली रात म दीपावली मनाई

जाती ि वस भी अधरा िोन पर िी िम परकाि की जररत महसस िोती ि तब िम परकाि का आवािन करत

ि वस जब भी कोई पजा-अचषना िोती ि तो परकाि की उपशसरशत अशनवायष ि परतयक दव-पजा म भी दीप

जलात ि और पजा समपनन िोन पर आरती भी की जाती ि परकाि और जञान क बीच का भी गिरा ररशता ि

दीप का अरष यि भी समझ म आता ि कक भरमो को िटात हए सवय को आलोककत करो सदधगण का परकाि िी

जगत को आलोककत करता ि आशखर अिकार (क अधकार) स मकत िो कर िी जञान की राि बनती ि जञान की

तातकाशलक पररणशत भी शवनय ि शजसस पातरता आती ि जो भी िो परकाि क परशत भारतीय मानस की गिरी

आसरा रिी ि धीर-धीर परकाि सभय सससकत िोन की िमारी वयवसरा का शिससा बन गया मलय क रप म

वकदक काल स िी अधकार स परकाि की ओर आग बढन की कामना की जाती रिी ि

किा जाता ि कक राजा राम क अयोधया आगमन क अवसर पर नगरजनो न सवागत दीप जलाए और

तभी स दीपावली की परमपरा िर हई री शपछल साल स उततर परदि की सरकार न अयोधया म दीपावली का

बड़ पमान पर आयोजन िर ककया ि इस वरष सरय तट पर तीन लाख स जयादा दीय जलाए गए और

lsquoफजाबादrsquo क नाम स दजष अयोधया को कफर lsquoअयोधयाrsquo नाम द कदया गया आयोजन का आकरषण पषपक शवमान

(िलीकॉपटर) स रामावतरण और राम राजयाशभरक की लीला का आयोजन रा इस अवसर पर आकाि स

पषपवशषट भी हई दशकषण कोररया की पररम मशिला ककम जग सक का साशननधय भी शमला शजस पराचीन काल म

घरटत अयोधया की राजकमारी की कोररया क राजकमार क सार शववाि की घटना क सार जोड़ कर दखा गया

यि परा कायषकरम बड़ा िी भवय रा मयाषदा पररोततम राम क अनरप यि अलग बात ि कक शसयासी िलक इस

आयोजन का राजनशतक आिय दख रि ि वस भी राम मयाषदा की याद कदलात ि और जनकलयाण क आग सब

कछ तयाग दन को तयार रित ि राजनीशतजञो को इस भी धयान म रखना चाशिए परशतमा म छशव सरशकषत

करन स अशधक ज़ररी ि जनकलयाण की मशिम

कदय क सवभाव पर धयान दत हए भगवान बदध की भी याद आती ि उनिोन कभी गिन आतम-शनरीकषण

क कषणो म बड़ शवचार क बाद शनणषयातमक सवर म अपन अनभवो क शनचोड़ क रप म अपन अनयाशययो को

यि शनदि कदया रा lsquoअपप दीपो भवrsquo यानी खद अपन आप को िी दीया बनाओ उनिोन सब क सामन आतम-

सधान की एक करठन चनौती रखी शजसक शलए सतत साधना की जररत पड़ती ि वस तो दीपक और िरीर

दोनो शमटटी िी ि पाररषव ततव स शनरमषत ि परनत परकाि स आलोक शबखरन वाला दीप बनना आसान निी

दीपक अपन अशसततव की परवाि ककए शबना चतना (परकाि) का शवसतार करता चलता ि यि करठन चनौती

ि दीप बनना मनषय क आतम-िोधन और आतम-दान की माग करता ि शजसक शलए शनषठा और समपषण की

आवशयकता पड़ती ि

यि सामानय अनभव ि कक दीया जलता ि और जलत िी अपन चतरदषक क पर पररवि को आलोककत

कर जाता ि गरीब की झोपड़ी स अमीर की अटटाशलका तक दीय का जोर रिा ि छोट स शमटटी क दीय क

16 61 2019 8

परकाि क आगमन क सार िी घोर स घोर अधकार की भी ततकषण छटटी िो जाती ि इसीशलए दीप को lsquoजयोशत-

तीरषrsquo भी किा जाता ि परकाि स ऊजाष और ऊषमा भी शमलती ि जो जीवन को समभव करती ि परी सशषट को

िी ऊषमा की शनरतर दरकार बनी रिती ि मनषय िी निी पड़-पौध खत-खशलिान जीव-जत सब-क-सब

ककसी न ककसी मातरा म परकाि की चाि रखत ि और तो और ऋत चकर भी मलत परकाि का िी खल ि परकाि

जीवन को शनयशमत-वयवशसरत करता ि किा जा सकता ि कक परकाि ि तो जीवन ि परकशत क परसाद क रप

म सयषदव का परकाि समसत जगत को न जान कब स शमलता आ रिा ि परत परकाि की िी तरि अधकार भी

एक अटल जीवन-सतय ि और उसस शनरतर लड़त रिना और पार पाना मनषय जाशत की शनयशत ि सबका

अनभव ि कक जीवन कभी सीधी रखा म निी चला करता कयोकक सब कछ पवषशनशशचत निी िोता मानव

सभयता क इशतिास म िर यग म और िर जगि ऐसा िोता रिा ि ऐस म परकाि-अनधकार सख-दख शपरय-

अशपरय िाशन-लाभ जय-शवजय सभी तरि क खटट-मीठ शवपयाषसो क बीच स गजरत हए िी मनषय क जीवन

की गशत आग बढती ि

जब मनषय क शलए दीपक बनन क आदिष की बात भगवान बदध कि रि र तो शनशचय िी उनका आिय

कछ वयापक रा दीपक कई दशषटयो स एक अदधभत रचना ि जो रच जान क बाद अपन रचना-जगत का हशलया

िी बदल दता ि वि ससकशत की समगर सकलप-िशकत का समपणष परतीक ि उसकी दढता उसका सािस उसकी

सनि स आपररत रचना मनषय की एक लाजबाब कशत ि दसरो को परकाि दत समय दीपक ककसी तरि का भद-

भाव निी करता वि एक अदधभत दाता ि जो शबना ककसी कारण शनवयाषज भाव स और शबना ककसी स पछ जो

भी उसक समपकष म आता ि सबको अकठ भाव स परकाि बाटता-दता रिता ि उसका सवभाव िी ि दसरो को

शनरतर दत रिना शबना इसकी सचता ककए कक इस दान म उसका सवय का जीवन करमिः शनिर िोता जाता ि

दीपक सवय तो शनरपकष रिता ि वि एक शसरतपरजञ योगी की भाशत शबना ककसी तरि की आिा क (शनरािी)

और शबना मोि क (शनमषम) िो कर अधकार क शवरदध सतत यदधरत रिता ि यिी उसकी परकशत ि और इसी म

उसकी सारषकता ि दीप बनन क शलए आवािन करत हए भगवान बदध यि भी चाित ि कक परतयक वयशकत ककसी

दसर शरोत पर अवलशमबत न रि कर सवय अपन िी ससाधनो स तपत रि ndash आतमतपत उधार शलए हए परकाि या

िशकत पर भरोसा करन क अपन खतर और जोशखम िोत ि

मिाभारत म भी दीप की मानव मलयो क एक दीप की पररकलपना की गई ि शजसम सतय का आधार

तप (अराषत सयम) का तल दया की बाती (दखी जनो की सचता ) और कषमा की लौ की बात किी गई ि अत म

सभल कर दीया जलान की शिदायत दी गई ि शजसस अधकार स अचछी तरि लड़ा जा सक और रोका जा सक

अधकार आसरी परवशतत ि वि और कछ निी सिसा दवर कलि और लोभ आकद की दबषलताए ि इनि ककसी भी

कीमत पर जीवन पर िाबी निी िोन दना चाशिए आज जीवन म शनरािा और अशवशवास बढ रिा ि अनगषल

उपभोकता की तीवर परवशतत उफान पर ि इस पररशसरशत म वयशकत वभव पर अशधकार क शलए सननदध ि पर यि

निी भलना चशिए कक गणि जी गण दवता ि अराषत व सामानय जन समाज का परशतशनशधतव करत ि और

लकषमी जी की पजा उनक सार िी करन का शवधान ि

16 61 2019 9

म और तम

डॉ अजय शरीवासतव

मन कब किा रा कक तम घनी काली

बदरी बनकर आसमा म छा जाना

मन तो सोचा रा कक काि तम मनद मनद

बिती हई मरी बशगया मिका दती

मन कब किा रा कक तम कफजाओ म

अपनी रगत शबखर दना

मन तो सोचा रा कक काि तम िमसाया बनकर

जीवन भर मर lsquoवासतrsquo िी बनी रिती

मन कब किा रा कक तमिारी घनी छाव म

िरएक अपना पड़ाव डाल द

मन तो सोचा रा कक काि तम एक पौधा

सरीखा मर आगन म बनी रिती

मन कब किा रा कक चटटानो क बीच स शनकली

बलखाती एक नदी क माशननद तम िरएक को रोमाशचत करती

मन तो सोचा रा कक काि तमिार िानत

धीर जल म शसफष और शसफष म िी अपना अकस दख लता

मन कब किा रा कक तम अपनी पगधवशनयो

स चपप-चपप को गजायमान करना

मन तो सोचा रा कक काि तम मरी िर खिी गम म

अपन कदमो की आिट स मझ को बाध रखती

मन कब किा रा कक तम अपन आचल स

एक बि जसा मझ परी तरि स ढक लना

मन तो सोचा रा कक काि तमिारा िमसफर बनकर

म दशवाररयो भरी शजनदगी को जी लता

तमिारी राि अलग और मरी अलग

इन दो रािो का शमलना ममककन निी

लककन अननत पर य जदा राि शमल िी जावगी

तब तक म तमिारी बाट जोहगा

16 61 2019 10

अधकार म परभापज सवामी शववकानद ( १२ जनवरी सवामी शववकानद जी क जनम-कदवस पर शविर ndash समपादक )

सनतोर खनना

सवामी शववकानद भारतीय अधयाशतमक और धारमषक मनीरा क शसरमौर वयशकततव र ४० वरष की

अलपाय म िी उनिोन दि और शवशव को अपन अवदान स इतना अनपराशणत और समदध कर कदया कक दि की

यवा पीकढ़या उनक कदखाए मागष पर चल कर अपना तो भागय सवार िी सकती ि वि पर शवशव म भारत का

परचम लिरा कर उपभोकतावाद और शनर भौशतकतावाद क भवर म फ स आज क सतपत और अशभिपत मानव को

एक सारषक कदिा परदान कर सकती ि

भारत क गौरविाली वदात दिषन क माधयम स सवामी शववकानद न ततकालीन अध यग की

पररशसरशतयो को शचशहनत कर मानवीय सशिषणता शवशव बधता और असिसा का सदि कदया रा आज स

लगभग १२५ वरष पिल उनिोन यवाओ का आहवान करत हए कठोपशनरद क एक मतर को अपना जीवन दिषन

माना रा जो आज भी सभी क शलए शविर रप स यवाओ क शलए उतना िी सारषक एव परासशगक ि शजतना

उस समय रा बशलक आज उसस भी किी अशधक सारषक ि वि अमर सदि रा- lsquoउशततशषठत जागत परापय

वराशनबोधतः lsquoअराषत उठो जागो तरा तब तक मत रको जब तक कक अपन लकषय तक न पहच जाओ इसी

आहवान को उनिोन अगरजी भारा क पररक िबदो म किा रा - Awake arise and stop not till the goal

is reached

सवामी शववकानद न मातर ३० वरष की आय म अमररका शसरत शिकागो म ११ शसतमबर १८९३ म

आयोशजत शवशव धमषसभा म भारत की ओर स सनातन धमष का परशतशनशधतव ककया रा भारत का अधयाशतमकता

स पररपणष वदात दिषन अमररका और यरोप क िर दि म सवामी शववकानद की वाकतततता क कारण िी पहचा

उनका शिकागो म शवशव धमषसभा म कदया गया भारण एक ऐसा अमर भारण ि शजस तरि का समानानतर

भारण िायद िी किी उपलबध िो आज का यग एक चतनिील यग ि सभी परकार का जञान पसतको और

अनतजाषल पर उपलबध ि िो सकता ि आज बहत स मनीरी अचछ-अचछ भारण द तो िायद इतना आशचयष न

िो ककनत १८वी-१९वी िती क उस अधकार काल म सवामी शववकानद न जो भारण कदया वि सवय म एक

शमसाल ि उनिोन अपनी धीर एव गमभीर वाणी म अपन भारण का आरमभ िी ककया रा lsquolsquoअमररका क

भाईयो और बशिनोlsquolsquo स (शजसका उस सभागार म जोरदार तरा बड़ी दर तक करतल धवशन स सवागत हआ रा)

इस समबोधन क पीछ भी वदात का वि गौरविाली शसदधात िी रा शजस िम बड़ गवष स lsquoवसधव कटमबकमlsquo क

नाम स अशभशित करत ि शववकानद जी क उस समपणष भारण को सन कर ऐसा निी लगता कक वि भारण

१८९३ म कदया गया बशलक ऐसा लगता ि कक मानो व आज िमार सममख बोल रि ि कयोकक उस भारण म

शजन बातो का उललख ि उन पर आज भी िम उतनी ततपरता स आतममरन करत ि

उनक भारण की कई ऐसी उललखनीय बात ि शजनको म यिा रखाककत करना चािती ह शपछल २-३

वरष स कछ लोग भारत म सशिषणता पर कई तरि क परशनशचहन लगा रि ि ककत उनको यिा समरण कदलान की

16 61 2019 11

आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

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सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

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ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

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शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

16 61 2019 15

द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

16 61 2019 16

ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

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सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

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बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

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इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

16 61 2019 27

7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

16 61 2019 28

कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

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इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

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नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 7: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 5

मसती क शलए नए साल क मीशडया क कायषकरमो का सिारा लत ि आगामी वरष क शलए नए परसतावो की

योजना बनान की परानी परमपरा एक आम बात ि बड़ ििरो म लाइव सगीत कायषकरम आयोशजत िोत ि

शजनम बॉलीवड शसतार और अनय परशसदध वयशकततव िाशमल ि बड़ी भीड़ ऐस िो म भाग लन क शलए इकटठा

िोती ि नव वरष मज़ स भर अवसर को आपक जीवन म शपरयजनो क करीब आन और खोए गए दोसतो क समपकष

को पनजीशवत करन का एक िानदार अवसर माना जाता ि

वरष 2019 का मितव 4 फरवरी सोमवार को परयागराज म अधष कमभ का मिोतसव ि इस कदन

सोमवती अमावस िोन स अधषकमभी क सार-सार िररदवार आकद अनय तीरष सरानो का भी शविर मािातमय

रिगा शजस परकार िररदवार परयागराज उजजन और नाशसक - इन चार परमख तीरो पर परशत बारि वरष कमभ

मिापवष मनाया जाता ि उसी परकार कवल परयागराज और िररदवार म 6 वरो क पशचात अधषकमभी का पवष

मनाया जाता ि यि अधषकमभ पवष उजजन और नाशसक म मनान की परमपरा निी ि कमभ एवम अधषकमभी क

िभ पवष गगा-यमना तरा सरसवती क जलो म कदवय वयोम स अमत ततव का समावि हआ माना जाता ि 56

जनवरी िशनरशववार को खणडगरास सयषगरिण तरा 21 जनवरी सोमवार को खगरास चनरगरिण ि

गड नयज़ इरोशपया इरोशपया का नया साल 11 (लीप 12) शसतमबर को मनाया जाता ि तदनसार

शमलशननयम 2000 का उतसव 12 शसतमबर 2007 को मनाया गया इरोशपया का समय जी ऍम टी स 3 घट

आग ि तरा रात और कदन 12 12 घट क ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स लगभग 8 वरष पीछ ि

इरोशपयन वरष 13 मिीन तरा 365 (लीप 366) कदन का िोता ि इरोशपयन कलडर गरीगोररयन कलडर स

शसतमबर कदसमबर म 7 वरष 8 मिीन तरा जनवरी अगसत म 8 वरष 4 मिीन पीछ ि पिल 12 मिीन 30 30

कदन तरा 13 वा मिीना 56 कदन का िोता ि

गरगोररयन कलडर की सारषकता िर वरष का िर तरा अनत का कदन एक िी िोता ि 2001 सोमवार

2002 मगलवार िर वरष जनवरी तरा अकटबर एक िी कदन िर िोत ि 2003 बधवार 2006 रशववार िर

वरष फरवरी माचष और नवमबर एक िी कदन िर िोत ि 2001 गरवार और 2003 िशनवार िर वरष अपरल

और जलाई एक िी कदन िर िोत ि 2003 मगलवार और 2006 िशनवार िर वरष शसतमबर और कदसमबर

एक िी कदन िर िोत ि 2003 सोमवार और 2006 िकरवार

शवशचतर जनम अलग-अलग वरष अलग-अलग कदन अलग-अलग समय परनत जनम कदन एक सार

मनाया गया िनना का जनम मगलवार 31 कदसमबर 2013 को राशतर 1159 पर हआ उसकी शरटवन शससटर

डशनयल का जनम बधवार1 जनवरी 2014 की आधी रात क 40 सकड बाद हआ (उस टकसास अमररका म

वरष 2014 म पदा िोन वाला पिला बिा घोशरत ककया गया) दोनो का पिला जनम कदन एक सार बधवार को

मनाया गया

नय यॉकष Time Square म नए वरष का उतसव नय यॉकष टाइम सवायर पर नए वरष का उतसव 1904

स लगातार मनाया जा रिा ि परनत 1907 म नय ईव बाल को पिली बार वन टाइम सवायर क ऊपर लग

फलगपोल स उतारा गया लोि और लकड़ी स बन नय ईव बाल का भार 700 पौड और वयास 5 फट रा इस

25 वाट परकाि वाल 100 बलबो स सजाया गया रा टाइम सवायर क आस-पास क िोटलो क वटरो को बटरी

चशलत बलबो स नबर 1908 स सज हए िट पिनाय गय र ठीक आधी रात पर जब उनिन अपन िटो स पदाष

16 61 2019 6

उठाया तो उनक मारो पर बलबो स बना नमबर 1908 नय साल का सकत करन क शलए परकाि स जगमगा

उठा

परारषना- नय वरष म परभ स परारषना करता ह कक ससार क सभी पराशणयो को सदबशदध द ससार क लोगो

म परम और सदभाव बढ़ सब भाई-बिन शबना दवर क परम स शमल जल कर रि ससार क सभी लोग माता-शपता

तरा बड़ो का आदर रखत हए कल परमपरा का पालन कर कटमब क बड़ लोग सबक परशत ममता और करणा

रख तरा छोट सदसय शवनयी नमर और आजञाकारी बन सब मधर सतय वाणी बोल नय वरष म ससार क सब

लोगो का सवासथय अचछा रि और रोग सचताओ स मकत रि सब सौ वरष या इस स भी अशधक सखमय आय

पाय नय वरष म सबको परभ कपा स सफलता शमल ससार क सभी लोग सिाई क रासत स कमाय और सब

शमल कर उसका उपभोग कर िमारा जञान िम सनमागष की ओर ल जाव ससार क लोगो म सतय सवा और

सियोग की भावना पदा िो ससार क सभी लोग शमल कर आतकवाकदयो का नाि कर

आजकल िर दि िाशत-िाशत की रट लगा रिा ि और सार-सार घातक स घातक बम बना रिा ि िर

बड़ दि की दसर बड़ दि का भय रात की नीद उड़ा रिा ि नय वरष म परभ स परारषना ि कक सब दि िाशत क

मागष पर चल

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म जल म रल म और गगन म

अनतररकष म अशि पवन म औरशध वनसपशत वन उपवन म

सकल शवशव म जड़ चतन म िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

बराहमण क उपदि वचन म कषशतरय क दवारा िो रण म

वशयजनो क िोव धन म और िर क िो तन मन म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

िाशनत राषटर-शनमाषण सजन म नगर गराम म और भवन म

जीवमातर क तन म मन म और जगत क िो कण कण म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

ॐ िाशनत िाशनत िाशनत

16 61 2019 7

तम सवय दीपक बनो

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत मिातमा गाधी अतराषषटरीय शिनदी शवशवशवदयालय)

दीपावली पवष क अवसर पर भाशत-भाशत क परकाि क आयोजन बड़ िी धम-धाम स ककए जात ि

भारतीय पचाग क शिसाब स कषण पकष की अमावासया यानी गिन अधकार भरी काली रात म दीपावली मनाई

जाती ि वस भी अधरा िोन पर िी िम परकाि की जररत महसस िोती ि तब िम परकाि का आवािन करत

ि वस जब भी कोई पजा-अचषना िोती ि तो परकाि की उपशसरशत अशनवायष ि परतयक दव-पजा म भी दीप

जलात ि और पजा समपनन िोन पर आरती भी की जाती ि परकाि और जञान क बीच का भी गिरा ररशता ि

दीप का अरष यि भी समझ म आता ि कक भरमो को िटात हए सवय को आलोककत करो सदधगण का परकाि िी

जगत को आलोककत करता ि आशखर अिकार (क अधकार) स मकत िो कर िी जञान की राि बनती ि जञान की

तातकाशलक पररणशत भी शवनय ि शजसस पातरता आती ि जो भी िो परकाि क परशत भारतीय मानस की गिरी

आसरा रिी ि धीर-धीर परकाि सभय सससकत िोन की िमारी वयवसरा का शिससा बन गया मलय क रप म

वकदक काल स िी अधकार स परकाि की ओर आग बढन की कामना की जाती रिी ि

किा जाता ि कक राजा राम क अयोधया आगमन क अवसर पर नगरजनो न सवागत दीप जलाए और

तभी स दीपावली की परमपरा िर हई री शपछल साल स उततर परदि की सरकार न अयोधया म दीपावली का

बड़ पमान पर आयोजन िर ककया ि इस वरष सरय तट पर तीन लाख स जयादा दीय जलाए गए और

lsquoफजाबादrsquo क नाम स दजष अयोधया को कफर lsquoअयोधयाrsquo नाम द कदया गया आयोजन का आकरषण पषपक शवमान

(िलीकॉपटर) स रामावतरण और राम राजयाशभरक की लीला का आयोजन रा इस अवसर पर आकाि स

पषपवशषट भी हई दशकषण कोररया की पररम मशिला ककम जग सक का साशननधय भी शमला शजस पराचीन काल म

घरटत अयोधया की राजकमारी की कोररया क राजकमार क सार शववाि की घटना क सार जोड़ कर दखा गया

यि परा कायषकरम बड़ा िी भवय रा मयाषदा पररोततम राम क अनरप यि अलग बात ि कक शसयासी िलक इस

आयोजन का राजनशतक आिय दख रि ि वस भी राम मयाषदा की याद कदलात ि और जनकलयाण क आग सब

कछ तयाग दन को तयार रित ि राजनीशतजञो को इस भी धयान म रखना चाशिए परशतमा म छशव सरशकषत

करन स अशधक ज़ररी ि जनकलयाण की मशिम

कदय क सवभाव पर धयान दत हए भगवान बदध की भी याद आती ि उनिोन कभी गिन आतम-शनरीकषण

क कषणो म बड़ शवचार क बाद शनणषयातमक सवर म अपन अनभवो क शनचोड़ क रप म अपन अनयाशययो को

यि शनदि कदया रा lsquoअपप दीपो भवrsquo यानी खद अपन आप को िी दीया बनाओ उनिोन सब क सामन आतम-

सधान की एक करठन चनौती रखी शजसक शलए सतत साधना की जररत पड़ती ि वस तो दीपक और िरीर

दोनो शमटटी िी ि पाररषव ततव स शनरमषत ि परनत परकाि स आलोक शबखरन वाला दीप बनना आसान निी

दीपक अपन अशसततव की परवाि ककए शबना चतना (परकाि) का शवसतार करता चलता ि यि करठन चनौती

ि दीप बनना मनषय क आतम-िोधन और आतम-दान की माग करता ि शजसक शलए शनषठा और समपषण की

आवशयकता पड़ती ि

यि सामानय अनभव ि कक दीया जलता ि और जलत िी अपन चतरदषक क पर पररवि को आलोककत

कर जाता ि गरीब की झोपड़ी स अमीर की अटटाशलका तक दीय का जोर रिा ि छोट स शमटटी क दीय क

16 61 2019 8

परकाि क आगमन क सार िी घोर स घोर अधकार की भी ततकषण छटटी िो जाती ि इसीशलए दीप को lsquoजयोशत-

तीरषrsquo भी किा जाता ि परकाि स ऊजाष और ऊषमा भी शमलती ि जो जीवन को समभव करती ि परी सशषट को

िी ऊषमा की शनरतर दरकार बनी रिती ि मनषय िी निी पड़-पौध खत-खशलिान जीव-जत सब-क-सब

ककसी न ककसी मातरा म परकाि की चाि रखत ि और तो और ऋत चकर भी मलत परकाि का िी खल ि परकाि

जीवन को शनयशमत-वयवशसरत करता ि किा जा सकता ि कक परकाि ि तो जीवन ि परकशत क परसाद क रप

म सयषदव का परकाि समसत जगत को न जान कब स शमलता आ रिा ि परत परकाि की िी तरि अधकार भी

एक अटल जीवन-सतय ि और उसस शनरतर लड़त रिना और पार पाना मनषय जाशत की शनयशत ि सबका

अनभव ि कक जीवन कभी सीधी रखा म निी चला करता कयोकक सब कछ पवषशनशशचत निी िोता मानव

सभयता क इशतिास म िर यग म और िर जगि ऐसा िोता रिा ि ऐस म परकाि-अनधकार सख-दख शपरय-

अशपरय िाशन-लाभ जय-शवजय सभी तरि क खटट-मीठ शवपयाषसो क बीच स गजरत हए िी मनषय क जीवन

की गशत आग बढती ि

जब मनषय क शलए दीपक बनन क आदिष की बात भगवान बदध कि रि र तो शनशचय िी उनका आिय

कछ वयापक रा दीपक कई दशषटयो स एक अदधभत रचना ि जो रच जान क बाद अपन रचना-जगत का हशलया

िी बदल दता ि वि ससकशत की समगर सकलप-िशकत का समपणष परतीक ि उसकी दढता उसका सािस उसकी

सनि स आपररत रचना मनषय की एक लाजबाब कशत ि दसरो को परकाि दत समय दीपक ककसी तरि का भद-

भाव निी करता वि एक अदधभत दाता ि जो शबना ककसी कारण शनवयाषज भाव स और शबना ककसी स पछ जो

भी उसक समपकष म आता ि सबको अकठ भाव स परकाि बाटता-दता रिता ि उसका सवभाव िी ि दसरो को

शनरतर दत रिना शबना इसकी सचता ककए कक इस दान म उसका सवय का जीवन करमिः शनिर िोता जाता ि

दीपक सवय तो शनरपकष रिता ि वि एक शसरतपरजञ योगी की भाशत शबना ककसी तरि की आिा क (शनरािी)

और शबना मोि क (शनमषम) िो कर अधकार क शवरदध सतत यदधरत रिता ि यिी उसकी परकशत ि और इसी म

उसकी सारषकता ि दीप बनन क शलए आवािन करत हए भगवान बदध यि भी चाित ि कक परतयक वयशकत ककसी

दसर शरोत पर अवलशमबत न रि कर सवय अपन िी ससाधनो स तपत रि ndash आतमतपत उधार शलए हए परकाि या

िशकत पर भरोसा करन क अपन खतर और जोशखम िोत ि

मिाभारत म भी दीप की मानव मलयो क एक दीप की पररकलपना की गई ि शजसम सतय का आधार

तप (अराषत सयम) का तल दया की बाती (दखी जनो की सचता ) और कषमा की लौ की बात किी गई ि अत म

सभल कर दीया जलान की शिदायत दी गई ि शजसस अधकार स अचछी तरि लड़ा जा सक और रोका जा सक

अधकार आसरी परवशतत ि वि और कछ निी सिसा दवर कलि और लोभ आकद की दबषलताए ि इनि ककसी भी

कीमत पर जीवन पर िाबी निी िोन दना चाशिए आज जीवन म शनरािा और अशवशवास बढ रिा ि अनगषल

उपभोकता की तीवर परवशतत उफान पर ि इस पररशसरशत म वयशकत वभव पर अशधकार क शलए सननदध ि पर यि

निी भलना चशिए कक गणि जी गण दवता ि अराषत व सामानय जन समाज का परशतशनशधतव करत ि और

लकषमी जी की पजा उनक सार िी करन का शवधान ि

16 61 2019 9

म और तम

डॉ अजय शरीवासतव

मन कब किा रा कक तम घनी काली

बदरी बनकर आसमा म छा जाना

मन तो सोचा रा कक काि तम मनद मनद

बिती हई मरी बशगया मिका दती

मन कब किा रा कक तम कफजाओ म

अपनी रगत शबखर दना

मन तो सोचा रा कक काि तम िमसाया बनकर

जीवन भर मर lsquoवासतrsquo िी बनी रिती

मन कब किा रा कक तमिारी घनी छाव म

िरएक अपना पड़ाव डाल द

मन तो सोचा रा कक काि तम एक पौधा

सरीखा मर आगन म बनी रिती

मन कब किा रा कक चटटानो क बीच स शनकली

बलखाती एक नदी क माशननद तम िरएक को रोमाशचत करती

मन तो सोचा रा कक काि तमिार िानत

धीर जल म शसफष और शसफष म िी अपना अकस दख लता

मन कब किा रा कक तम अपनी पगधवशनयो

स चपप-चपप को गजायमान करना

मन तो सोचा रा कक काि तम मरी िर खिी गम म

अपन कदमो की आिट स मझ को बाध रखती

मन कब किा रा कक तम अपन आचल स

एक बि जसा मझ परी तरि स ढक लना

मन तो सोचा रा कक काि तमिारा िमसफर बनकर

म दशवाररयो भरी शजनदगी को जी लता

तमिारी राि अलग और मरी अलग

इन दो रािो का शमलना ममककन निी

लककन अननत पर य जदा राि शमल िी जावगी

तब तक म तमिारी बाट जोहगा

16 61 2019 10

अधकार म परभापज सवामी शववकानद ( १२ जनवरी सवामी शववकानद जी क जनम-कदवस पर शविर ndash समपादक )

सनतोर खनना

सवामी शववकानद भारतीय अधयाशतमक और धारमषक मनीरा क शसरमौर वयशकततव र ४० वरष की

अलपाय म िी उनिोन दि और शवशव को अपन अवदान स इतना अनपराशणत और समदध कर कदया कक दि की

यवा पीकढ़या उनक कदखाए मागष पर चल कर अपना तो भागय सवार िी सकती ि वि पर शवशव म भारत का

परचम लिरा कर उपभोकतावाद और शनर भौशतकतावाद क भवर म फ स आज क सतपत और अशभिपत मानव को

एक सारषक कदिा परदान कर सकती ि

भारत क गौरविाली वदात दिषन क माधयम स सवामी शववकानद न ततकालीन अध यग की

पररशसरशतयो को शचशहनत कर मानवीय सशिषणता शवशव बधता और असिसा का सदि कदया रा आज स

लगभग १२५ वरष पिल उनिोन यवाओ का आहवान करत हए कठोपशनरद क एक मतर को अपना जीवन दिषन

माना रा जो आज भी सभी क शलए शविर रप स यवाओ क शलए उतना िी सारषक एव परासशगक ि शजतना

उस समय रा बशलक आज उसस भी किी अशधक सारषक ि वि अमर सदि रा- lsquoउशततशषठत जागत परापय

वराशनबोधतः lsquoअराषत उठो जागो तरा तब तक मत रको जब तक कक अपन लकषय तक न पहच जाओ इसी

आहवान को उनिोन अगरजी भारा क पररक िबदो म किा रा - Awake arise and stop not till the goal

is reached

सवामी शववकानद न मातर ३० वरष की आय म अमररका शसरत शिकागो म ११ शसतमबर १८९३ म

आयोशजत शवशव धमषसभा म भारत की ओर स सनातन धमष का परशतशनशधतव ककया रा भारत का अधयाशतमकता

स पररपणष वदात दिषन अमररका और यरोप क िर दि म सवामी शववकानद की वाकतततता क कारण िी पहचा

उनका शिकागो म शवशव धमषसभा म कदया गया भारण एक ऐसा अमर भारण ि शजस तरि का समानानतर

भारण िायद िी किी उपलबध िो आज का यग एक चतनिील यग ि सभी परकार का जञान पसतको और

अनतजाषल पर उपलबध ि िो सकता ि आज बहत स मनीरी अचछ-अचछ भारण द तो िायद इतना आशचयष न

िो ककनत १८वी-१९वी िती क उस अधकार काल म सवामी शववकानद न जो भारण कदया वि सवय म एक

शमसाल ि उनिोन अपनी धीर एव गमभीर वाणी म अपन भारण का आरमभ िी ककया रा lsquolsquoअमररका क

भाईयो और बशिनोlsquolsquo स (शजसका उस सभागार म जोरदार तरा बड़ी दर तक करतल धवशन स सवागत हआ रा)

इस समबोधन क पीछ भी वदात का वि गौरविाली शसदधात िी रा शजस िम बड़ गवष स lsquoवसधव कटमबकमlsquo क

नाम स अशभशित करत ि शववकानद जी क उस समपणष भारण को सन कर ऐसा निी लगता कक वि भारण

१८९३ म कदया गया बशलक ऐसा लगता ि कक मानो व आज िमार सममख बोल रि ि कयोकक उस भारण म

शजन बातो का उललख ि उन पर आज भी िम उतनी ततपरता स आतममरन करत ि

उनक भारण की कई ऐसी उललखनीय बात ि शजनको म यिा रखाककत करना चािती ह शपछल २-३

वरष स कछ लोग भारत म सशिषणता पर कई तरि क परशनशचहन लगा रि ि ककत उनको यिा समरण कदलान की

16 61 2019 11

आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

16 61 2019 12

सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

16 61 2019 13

ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

16 61 2019 14

शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

16 61 2019 15

द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

16 61 2019 16

ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

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बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

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इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

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कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

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शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

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राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

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2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

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पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 8: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 6

उठाया तो उनक मारो पर बलबो स बना नमबर 1908 नय साल का सकत करन क शलए परकाि स जगमगा

उठा

परारषना- नय वरष म परभ स परारषना करता ह कक ससार क सभी पराशणयो को सदबशदध द ससार क लोगो

म परम और सदभाव बढ़ सब भाई-बिन शबना दवर क परम स शमल जल कर रि ससार क सभी लोग माता-शपता

तरा बड़ो का आदर रखत हए कल परमपरा का पालन कर कटमब क बड़ लोग सबक परशत ममता और करणा

रख तरा छोट सदसय शवनयी नमर और आजञाकारी बन सब मधर सतय वाणी बोल नय वरष म ससार क सब

लोगो का सवासथय अचछा रि और रोग सचताओ स मकत रि सब सौ वरष या इस स भी अशधक सखमय आय

पाय नय वरष म सबको परभ कपा स सफलता शमल ससार क सभी लोग सिाई क रासत स कमाय और सब

शमल कर उसका उपभोग कर िमारा जञान िम सनमागष की ओर ल जाव ससार क लोगो म सतय सवा और

सियोग की भावना पदा िो ससार क सभी लोग शमल कर आतकवाकदयो का नाि कर

आजकल िर दि िाशत-िाशत की रट लगा रिा ि और सार-सार घातक स घातक बम बना रिा ि िर

बड़ दि की दसर बड़ दि का भय रात की नीद उड़ा रिा ि नय वरष म परभ स परारषना ि कक सब दि िाशत क

मागष पर चल

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म जल म रल म और गगन म

अनतररकष म अशि पवन म औरशध वनसपशत वन उपवन म

सकल शवशव म जड़ चतन म िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

बराहमण क उपदि वचन म कषशतरय क दवारा िो रण म

वशयजनो क िोव धन म और िर क िो तन मन म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

िाशनत राषटर-शनमाषण सजन म नगर गराम म और भवन म

जीवमातर क तन म मन म और जगत क िो कण कण म

िाशनत कीशजय परभ शतरभवन म I

ॐ िाशनत िाशनत िाशनत

16 61 2019 7

तम सवय दीपक बनो

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत मिातमा गाधी अतराषषटरीय शिनदी शवशवशवदयालय)

दीपावली पवष क अवसर पर भाशत-भाशत क परकाि क आयोजन बड़ िी धम-धाम स ककए जात ि

भारतीय पचाग क शिसाब स कषण पकष की अमावासया यानी गिन अधकार भरी काली रात म दीपावली मनाई

जाती ि वस भी अधरा िोन पर िी िम परकाि की जररत महसस िोती ि तब िम परकाि का आवािन करत

ि वस जब भी कोई पजा-अचषना िोती ि तो परकाि की उपशसरशत अशनवायष ि परतयक दव-पजा म भी दीप

जलात ि और पजा समपनन िोन पर आरती भी की जाती ि परकाि और जञान क बीच का भी गिरा ररशता ि

दीप का अरष यि भी समझ म आता ि कक भरमो को िटात हए सवय को आलोककत करो सदधगण का परकाि िी

जगत को आलोककत करता ि आशखर अिकार (क अधकार) स मकत िो कर िी जञान की राि बनती ि जञान की

तातकाशलक पररणशत भी शवनय ि शजसस पातरता आती ि जो भी िो परकाि क परशत भारतीय मानस की गिरी

आसरा रिी ि धीर-धीर परकाि सभय सससकत िोन की िमारी वयवसरा का शिससा बन गया मलय क रप म

वकदक काल स िी अधकार स परकाि की ओर आग बढन की कामना की जाती रिी ि

किा जाता ि कक राजा राम क अयोधया आगमन क अवसर पर नगरजनो न सवागत दीप जलाए और

तभी स दीपावली की परमपरा िर हई री शपछल साल स उततर परदि की सरकार न अयोधया म दीपावली का

बड़ पमान पर आयोजन िर ककया ि इस वरष सरय तट पर तीन लाख स जयादा दीय जलाए गए और

lsquoफजाबादrsquo क नाम स दजष अयोधया को कफर lsquoअयोधयाrsquo नाम द कदया गया आयोजन का आकरषण पषपक शवमान

(िलीकॉपटर) स रामावतरण और राम राजयाशभरक की लीला का आयोजन रा इस अवसर पर आकाि स

पषपवशषट भी हई दशकषण कोररया की पररम मशिला ककम जग सक का साशननधय भी शमला शजस पराचीन काल म

घरटत अयोधया की राजकमारी की कोररया क राजकमार क सार शववाि की घटना क सार जोड़ कर दखा गया

यि परा कायषकरम बड़ा िी भवय रा मयाषदा पररोततम राम क अनरप यि अलग बात ि कक शसयासी िलक इस

आयोजन का राजनशतक आिय दख रि ि वस भी राम मयाषदा की याद कदलात ि और जनकलयाण क आग सब

कछ तयाग दन को तयार रित ि राजनीशतजञो को इस भी धयान म रखना चाशिए परशतमा म छशव सरशकषत

करन स अशधक ज़ररी ि जनकलयाण की मशिम

कदय क सवभाव पर धयान दत हए भगवान बदध की भी याद आती ि उनिोन कभी गिन आतम-शनरीकषण

क कषणो म बड़ शवचार क बाद शनणषयातमक सवर म अपन अनभवो क शनचोड़ क रप म अपन अनयाशययो को

यि शनदि कदया रा lsquoअपप दीपो भवrsquo यानी खद अपन आप को िी दीया बनाओ उनिोन सब क सामन आतम-

सधान की एक करठन चनौती रखी शजसक शलए सतत साधना की जररत पड़ती ि वस तो दीपक और िरीर

दोनो शमटटी िी ि पाररषव ततव स शनरमषत ि परनत परकाि स आलोक शबखरन वाला दीप बनना आसान निी

दीपक अपन अशसततव की परवाि ककए शबना चतना (परकाि) का शवसतार करता चलता ि यि करठन चनौती

ि दीप बनना मनषय क आतम-िोधन और आतम-दान की माग करता ि शजसक शलए शनषठा और समपषण की

आवशयकता पड़ती ि

यि सामानय अनभव ि कक दीया जलता ि और जलत िी अपन चतरदषक क पर पररवि को आलोककत

कर जाता ि गरीब की झोपड़ी स अमीर की अटटाशलका तक दीय का जोर रिा ि छोट स शमटटी क दीय क

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परकाि क आगमन क सार िी घोर स घोर अधकार की भी ततकषण छटटी िो जाती ि इसीशलए दीप को lsquoजयोशत-

तीरषrsquo भी किा जाता ि परकाि स ऊजाष और ऊषमा भी शमलती ि जो जीवन को समभव करती ि परी सशषट को

िी ऊषमा की शनरतर दरकार बनी रिती ि मनषय िी निी पड़-पौध खत-खशलिान जीव-जत सब-क-सब

ककसी न ककसी मातरा म परकाि की चाि रखत ि और तो और ऋत चकर भी मलत परकाि का िी खल ि परकाि

जीवन को शनयशमत-वयवशसरत करता ि किा जा सकता ि कक परकाि ि तो जीवन ि परकशत क परसाद क रप

म सयषदव का परकाि समसत जगत को न जान कब स शमलता आ रिा ि परत परकाि की िी तरि अधकार भी

एक अटल जीवन-सतय ि और उसस शनरतर लड़त रिना और पार पाना मनषय जाशत की शनयशत ि सबका

अनभव ि कक जीवन कभी सीधी रखा म निी चला करता कयोकक सब कछ पवषशनशशचत निी िोता मानव

सभयता क इशतिास म िर यग म और िर जगि ऐसा िोता रिा ि ऐस म परकाि-अनधकार सख-दख शपरय-

अशपरय िाशन-लाभ जय-शवजय सभी तरि क खटट-मीठ शवपयाषसो क बीच स गजरत हए िी मनषय क जीवन

की गशत आग बढती ि

जब मनषय क शलए दीपक बनन क आदिष की बात भगवान बदध कि रि र तो शनशचय िी उनका आिय

कछ वयापक रा दीपक कई दशषटयो स एक अदधभत रचना ि जो रच जान क बाद अपन रचना-जगत का हशलया

िी बदल दता ि वि ससकशत की समगर सकलप-िशकत का समपणष परतीक ि उसकी दढता उसका सािस उसकी

सनि स आपररत रचना मनषय की एक लाजबाब कशत ि दसरो को परकाि दत समय दीपक ककसी तरि का भद-

भाव निी करता वि एक अदधभत दाता ि जो शबना ककसी कारण शनवयाषज भाव स और शबना ककसी स पछ जो

भी उसक समपकष म आता ि सबको अकठ भाव स परकाि बाटता-दता रिता ि उसका सवभाव िी ि दसरो को

शनरतर दत रिना शबना इसकी सचता ककए कक इस दान म उसका सवय का जीवन करमिः शनिर िोता जाता ि

दीपक सवय तो शनरपकष रिता ि वि एक शसरतपरजञ योगी की भाशत शबना ककसी तरि की आिा क (शनरािी)

और शबना मोि क (शनमषम) िो कर अधकार क शवरदध सतत यदधरत रिता ि यिी उसकी परकशत ि और इसी म

उसकी सारषकता ि दीप बनन क शलए आवािन करत हए भगवान बदध यि भी चाित ि कक परतयक वयशकत ककसी

दसर शरोत पर अवलशमबत न रि कर सवय अपन िी ससाधनो स तपत रि ndash आतमतपत उधार शलए हए परकाि या

िशकत पर भरोसा करन क अपन खतर और जोशखम िोत ि

मिाभारत म भी दीप की मानव मलयो क एक दीप की पररकलपना की गई ि शजसम सतय का आधार

तप (अराषत सयम) का तल दया की बाती (दखी जनो की सचता ) और कषमा की लौ की बात किी गई ि अत म

सभल कर दीया जलान की शिदायत दी गई ि शजसस अधकार स अचछी तरि लड़ा जा सक और रोका जा सक

अधकार आसरी परवशतत ि वि और कछ निी सिसा दवर कलि और लोभ आकद की दबषलताए ि इनि ककसी भी

कीमत पर जीवन पर िाबी निी िोन दना चाशिए आज जीवन म शनरािा और अशवशवास बढ रिा ि अनगषल

उपभोकता की तीवर परवशतत उफान पर ि इस पररशसरशत म वयशकत वभव पर अशधकार क शलए सननदध ि पर यि

निी भलना चशिए कक गणि जी गण दवता ि अराषत व सामानय जन समाज का परशतशनशधतव करत ि और

लकषमी जी की पजा उनक सार िी करन का शवधान ि

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म और तम

डॉ अजय शरीवासतव

मन कब किा रा कक तम घनी काली

बदरी बनकर आसमा म छा जाना

मन तो सोचा रा कक काि तम मनद मनद

बिती हई मरी बशगया मिका दती

मन कब किा रा कक तम कफजाओ म

अपनी रगत शबखर दना

मन तो सोचा रा कक काि तम िमसाया बनकर

जीवन भर मर lsquoवासतrsquo िी बनी रिती

मन कब किा रा कक तमिारी घनी छाव म

िरएक अपना पड़ाव डाल द

मन तो सोचा रा कक काि तम एक पौधा

सरीखा मर आगन म बनी रिती

मन कब किा रा कक चटटानो क बीच स शनकली

बलखाती एक नदी क माशननद तम िरएक को रोमाशचत करती

मन तो सोचा रा कक काि तमिार िानत

धीर जल म शसफष और शसफष म िी अपना अकस दख लता

मन कब किा रा कक तम अपनी पगधवशनयो

स चपप-चपप को गजायमान करना

मन तो सोचा रा कक काि तम मरी िर खिी गम म

अपन कदमो की आिट स मझ को बाध रखती

मन कब किा रा कक तम अपन आचल स

एक बि जसा मझ परी तरि स ढक लना

मन तो सोचा रा कक काि तमिारा िमसफर बनकर

म दशवाररयो भरी शजनदगी को जी लता

तमिारी राि अलग और मरी अलग

इन दो रािो का शमलना ममककन निी

लककन अननत पर य जदा राि शमल िी जावगी

तब तक म तमिारी बाट जोहगा

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अधकार म परभापज सवामी शववकानद ( १२ जनवरी सवामी शववकानद जी क जनम-कदवस पर शविर ndash समपादक )

सनतोर खनना

सवामी शववकानद भारतीय अधयाशतमक और धारमषक मनीरा क शसरमौर वयशकततव र ४० वरष की

अलपाय म िी उनिोन दि और शवशव को अपन अवदान स इतना अनपराशणत और समदध कर कदया कक दि की

यवा पीकढ़या उनक कदखाए मागष पर चल कर अपना तो भागय सवार िी सकती ि वि पर शवशव म भारत का

परचम लिरा कर उपभोकतावाद और शनर भौशतकतावाद क भवर म फ स आज क सतपत और अशभिपत मानव को

एक सारषक कदिा परदान कर सकती ि

भारत क गौरविाली वदात दिषन क माधयम स सवामी शववकानद न ततकालीन अध यग की

पररशसरशतयो को शचशहनत कर मानवीय सशिषणता शवशव बधता और असिसा का सदि कदया रा आज स

लगभग १२५ वरष पिल उनिोन यवाओ का आहवान करत हए कठोपशनरद क एक मतर को अपना जीवन दिषन

माना रा जो आज भी सभी क शलए शविर रप स यवाओ क शलए उतना िी सारषक एव परासशगक ि शजतना

उस समय रा बशलक आज उसस भी किी अशधक सारषक ि वि अमर सदि रा- lsquoउशततशषठत जागत परापय

वराशनबोधतः lsquoअराषत उठो जागो तरा तब तक मत रको जब तक कक अपन लकषय तक न पहच जाओ इसी

आहवान को उनिोन अगरजी भारा क पररक िबदो म किा रा - Awake arise and stop not till the goal

is reached

सवामी शववकानद न मातर ३० वरष की आय म अमररका शसरत शिकागो म ११ शसतमबर १८९३ म

आयोशजत शवशव धमषसभा म भारत की ओर स सनातन धमष का परशतशनशधतव ककया रा भारत का अधयाशतमकता

स पररपणष वदात दिषन अमररका और यरोप क िर दि म सवामी शववकानद की वाकतततता क कारण िी पहचा

उनका शिकागो म शवशव धमषसभा म कदया गया भारण एक ऐसा अमर भारण ि शजस तरि का समानानतर

भारण िायद िी किी उपलबध िो आज का यग एक चतनिील यग ि सभी परकार का जञान पसतको और

अनतजाषल पर उपलबध ि िो सकता ि आज बहत स मनीरी अचछ-अचछ भारण द तो िायद इतना आशचयष न

िो ककनत १८वी-१९वी िती क उस अधकार काल म सवामी शववकानद न जो भारण कदया वि सवय म एक

शमसाल ि उनिोन अपनी धीर एव गमभीर वाणी म अपन भारण का आरमभ िी ककया रा lsquolsquoअमररका क

भाईयो और बशिनोlsquolsquo स (शजसका उस सभागार म जोरदार तरा बड़ी दर तक करतल धवशन स सवागत हआ रा)

इस समबोधन क पीछ भी वदात का वि गौरविाली शसदधात िी रा शजस िम बड़ गवष स lsquoवसधव कटमबकमlsquo क

नाम स अशभशित करत ि शववकानद जी क उस समपणष भारण को सन कर ऐसा निी लगता कक वि भारण

१८९३ म कदया गया बशलक ऐसा लगता ि कक मानो व आज िमार सममख बोल रि ि कयोकक उस भारण म

शजन बातो का उललख ि उन पर आज भी िम उतनी ततपरता स आतममरन करत ि

उनक भारण की कई ऐसी उललखनीय बात ि शजनको म यिा रखाककत करना चािती ह शपछल २-३

वरष स कछ लोग भारत म सशिषणता पर कई तरि क परशनशचहन लगा रि ि ककत उनको यिा समरण कदलान की

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आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

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सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

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ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

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शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

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द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

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ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

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उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

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परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

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बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

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सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

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बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

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इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

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राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

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2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

16 61 2019 27

7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 9: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 7

तम सवय दीपक बनो

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत मिातमा गाधी अतराषषटरीय शिनदी शवशवशवदयालय)

दीपावली पवष क अवसर पर भाशत-भाशत क परकाि क आयोजन बड़ िी धम-धाम स ककए जात ि

भारतीय पचाग क शिसाब स कषण पकष की अमावासया यानी गिन अधकार भरी काली रात म दीपावली मनाई

जाती ि वस भी अधरा िोन पर िी िम परकाि की जररत महसस िोती ि तब िम परकाि का आवािन करत

ि वस जब भी कोई पजा-अचषना िोती ि तो परकाि की उपशसरशत अशनवायष ि परतयक दव-पजा म भी दीप

जलात ि और पजा समपनन िोन पर आरती भी की जाती ि परकाि और जञान क बीच का भी गिरा ररशता ि

दीप का अरष यि भी समझ म आता ि कक भरमो को िटात हए सवय को आलोककत करो सदधगण का परकाि िी

जगत को आलोककत करता ि आशखर अिकार (क अधकार) स मकत िो कर िी जञान की राि बनती ि जञान की

तातकाशलक पररणशत भी शवनय ि शजसस पातरता आती ि जो भी िो परकाि क परशत भारतीय मानस की गिरी

आसरा रिी ि धीर-धीर परकाि सभय सससकत िोन की िमारी वयवसरा का शिससा बन गया मलय क रप म

वकदक काल स िी अधकार स परकाि की ओर आग बढन की कामना की जाती रिी ि

किा जाता ि कक राजा राम क अयोधया आगमन क अवसर पर नगरजनो न सवागत दीप जलाए और

तभी स दीपावली की परमपरा िर हई री शपछल साल स उततर परदि की सरकार न अयोधया म दीपावली का

बड़ पमान पर आयोजन िर ककया ि इस वरष सरय तट पर तीन लाख स जयादा दीय जलाए गए और

lsquoफजाबादrsquo क नाम स दजष अयोधया को कफर lsquoअयोधयाrsquo नाम द कदया गया आयोजन का आकरषण पषपक शवमान

(िलीकॉपटर) स रामावतरण और राम राजयाशभरक की लीला का आयोजन रा इस अवसर पर आकाि स

पषपवशषट भी हई दशकषण कोररया की पररम मशिला ककम जग सक का साशननधय भी शमला शजस पराचीन काल म

घरटत अयोधया की राजकमारी की कोररया क राजकमार क सार शववाि की घटना क सार जोड़ कर दखा गया

यि परा कायषकरम बड़ा िी भवय रा मयाषदा पररोततम राम क अनरप यि अलग बात ि कक शसयासी िलक इस

आयोजन का राजनशतक आिय दख रि ि वस भी राम मयाषदा की याद कदलात ि और जनकलयाण क आग सब

कछ तयाग दन को तयार रित ि राजनीशतजञो को इस भी धयान म रखना चाशिए परशतमा म छशव सरशकषत

करन स अशधक ज़ररी ि जनकलयाण की मशिम

कदय क सवभाव पर धयान दत हए भगवान बदध की भी याद आती ि उनिोन कभी गिन आतम-शनरीकषण

क कषणो म बड़ शवचार क बाद शनणषयातमक सवर म अपन अनभवो क शनचोड़ क रप म अपन अनयाशययो को

यि शनदि कदया रा lsquoअपप दीपो भवrsquo यानी खद अपन आप को िी दीया बनाओ उनिोन सब क सामन आतम-

सधान की एक करठन चनौती रखी शजसक शलए सतत साधना की जररत पड़ती ि वस तो दीपक और िरीर

दोनो शमटटी िी ि पाररषव ततव स शनरमषत ि परनत परकाि स आलोक शबखरन वाला दीप बनना आसान निी

दीपक अपन अशसततव की परवाि ककए शबना चतना (परकाि) का शवसतार करता चलता ि यि करठन चनौती

ि दीप बनना मनषय क आतम-िोधन और आतम-दान की माग करता ि शजसक शलए शनषठा और समपषण की

आवशयकता पड़ती ि

यि सामानय अनभव ि कक दीया जलता ि और जलत िी अपन चतरदषक क पर पररवि को आलोककत

कर जाता ि गरीब की झोपड़ी स अमीर की अटटाशलका तक दीय का जोर रिा ि छोट स शमटटी क दीय क

16 61 2019 8

परकाि क आगमन क सार िी घोर स घोर अधकार की भी ततकषण छटटी िो जाती ि इसीशलए दीप को lsquoजयोशत-

तीरषrsquo भी किा जाता ि परकाि स ऊजाष और ऊषमा भी शमलती ि जो जीवन को समभव करती ि परी सशषट को

िी ऊषमा की शनरतर दरकार बनी रिती ि मनषय िी निी पड़-पौध खत-खशलिान जीव-जत सब-क-सब

ककसी न ककसी मातरा म परकाि की चाि रखत ि और तो और ऋत चकर भी मलत परकाि का िी खल ि परकाि

जीवन को शनयशमत-वयवशसरत करता ि किा जा सकता ि कक परकाि ि तो जीवन ि परकशत क परसाद क रप

म सयषदव का परकाि समसत जगत को न जान कब स शमलता आ रिा ि परत परकाि की िी तरि अधकार भी

एक अटल जीवन-सतय ि और उसस शनरतर लड़त रिना और पार पाना मनषय जाशत की शनयशत ि सबका

अनभव ि कक जीवन कभी सीधी रखा म निी चला करता कयोकक सब कछ पवषशनशशचत निी िोता मानव

सभयता क इशतिास म िर यग म और िर जगि ऐसा िोता रिा ि ऐस म परकाि-अनधकार सख-दख शपरय-

अशपरय िाशन-लाभ जय-शवजय सभी तरि क खटट-मीठ शवपयाषसो क बीच स गजरत हए िी मनषय क जीवन

की गशत आग बढती ि

जब मनषय क शलए दीपक बनन क आदिष की बात भगवान बदध कि रि र तो शनशचय िी उनका आिय

कछ वयापक रा दीपक कई दशषटयो स एक अदधभत रचना ि जो रच जान क बाद अपन रचना-जगत का हशलया

िी बदल दता ि वि ससकशत की समगर सकलप-िशकत का समपणष परतीक ि उसकी दढता उसका सािस उसकी

सनि स आपररत रचना मनषय की एक लाजबाब कशत ि दसरो को परकाि दत समय दीपक ककसी तरि का भद-

भाव निी करता वि एक अदधभत दाता ि जो शबना ककसी कारण शनवयाषज भाव स और शबना ककसी स पछ जो

भी उसक समपकष म आता ि सबको अकठ भाव स परकाि बाटता-दता रिता ि उसका सवभाव िी ि दसरो को

शनरतर दत रिना शबना इसकी सचता ककए कक इस दान म उसका सवय का जीवन करमिः शनिर िोता जाता ि

दीपक सवय तो शनरपकष रिता ि वि एक शसरतपरजञ योगी की भाशत शबना ककसी तरि की आिा क (शनरािी)

और शबना मोि क (शनमषम) िो कर अधकार क शवरदध सतत यदधरत रिता ि यिी उसकी परकशत ि और इसी म

उसकी सारषकता ि दीप बनन क शलए आवािन करत हए भगवान बदध यि भी चाित ि कक परतयक वयशकत ककसी

दसर शरोत पर अवलशमबत न रि कर सवय अपन िी ससाधनो स तपत रि ndash आतमतपत उधार शलए हए परकाि या

िशकत पर भरोसा करन क अपन खतर और जोशखम िोत ि

मिाभारत म भी दीप की मानव मलयो क एक दीप की पररकलपना की गई ि शजसम सतय का आधार

तप (अराषत सयम) का तल दया की बाती (दखी जनो की सचता ) और कषमा की लौ की बात किी गई ि अत म

सभल कर दीया जलान की शिदायत दी गई ि शजसस अधकार स अचछी तरि लड़ा जा सक और रोका जा सक

अधकार आसरी परवशतत ि वि और कछ निी सिसा दवर कलि और लोभ आकद की दबषलताए ि इनि ककसी भी

कीमत पर जीवन पर िाबी निी िोन दना चाशिए आज जीवन म शनरािा और अशवशवास बढ रिा ि अनगषल

उपभोकता की तीवर परवशतत उफान पर ि इस पररशसरशत म वयशकत वभव पर अशधकार क शलए सननदध ि पर यि

निी भलना चशिए कक गणि जी गण दवता ि अराषत व सामानय जन समाज का परशतशनशधतव करत ि और

लकषमी जी की पजा उनक सार िी करन का शवधान ि

16 61 2019 9

म और तम

डॉ अजय शरीवासतव

मन कब किा रा कक तम घनी काली

बदरी बनकर आसमा म छा जाना

मन तो सोचा रा कक काि तम मनद मनद

बिती हई मरी बशगया मिका दती

मन कब किा रा कक तम कफजाओ म

अपनी रगत शबखर दना

मन तो सोचा रा कक काि तम िमसाया बनकर

जीवन भर मर lsquoवासतrsquo िी बनी रिती

मन कब किा रा कक तमिारी घनी छाव म

िरएक अपना पड़ाव डाल द

मन तो सोचा रा कक काि तम एक पौधा

सरीखा मर आगन म बनी रिती

मन कब किा रा कक चटटानो क बीच स शनकली

बलखाती एक नदी क माशननद तम िरएक को रोमाशचत करती

मन तो सोचा रा कक काि तमिार िानत

धीर जल म शसफष और शसफष म िी अपना अकस दख लता

मन कब किा रा कक तम अपनी पगधवशनयो

स चपप-चपप को गजायमान करना

मन तो सोचा रा कक काि तम मरी िर खिी गम म

अपन कदमो की आिट स मझ को बाध रखती

मन कब किा रा कक तम अपन आचल स

एक बि जसा मझ परी तरि स ढक लना

मन तो सोचा रा कक काि तमिारा िमसफर बनकर

म दशवाररयो भरी शजनदगी को जी लता

तमिारी राि अलग और मरी अलग

इन दो रािो का शमलना ममककन निी

लककन अननत पर य जदा राि शमल िी जावगी

तब तक म तमिारी बाट जोहगा

16 61 2019 10

अधकार म परभापज सवामी शववकानद ( १२ जनवरी सवामी शववकानद जी क जनम-कदवस पर शविर ndash समपादक )

सनतोर खनना

सवामी शववकानद भारतीय अधयाशतमक और धारमषक मनीरा क शसरमौर वयशकततव र ४० वरष की

अलपाय म िी उनिोन दि और शवशव को अपन अवदान स इतना अनपराशणत और समदध कर कदया कक दि की

यवा पीकढ़या उनक कदखाए मागष पर चल कर अपना तो भागय सवार िी सकती ि वि पर शवशव म भारत का

परचम लिरा कर उपभोकतावाद और शनर भौशतकतावाद क भवर म फ स आज क सतपत और अशभिपत मानव को

एक सारषक कदिा परदान कर सकती ि

भारत क गौरविाली वदात दिषन क माधयम स सवामी शववकानद न ततकालीन अध यग की

पररशसरशतयो को शचशहनत कर मानवीय सशिषणता शवशव बधता और असिसा का सदि कदया रा आज स

लगभग १२५ वरष पिल उनिोन यवाओ का आहवान करत हए कठोपशनरद क एक मतर को अपना जीवन दिषन

माना रा जो आज भी सभी क शलए शविर रप स यवाओ क शलए उतना िी सारषक एव परासशगक ि शजतना

उस समय रा बशलक आज उसस भी किी अशधक सारषक ि वि अमर सदि रा- lsquoउशततशषठत जागत परापय

वराशनबोधतः lsquoअराषत उठो जागो तरा तब तक मत रको जब तक कक अपन लकषय तक न पहच जाओ इसी

आहवान को उनिोन अगरजी भारा क पररक िबदो म किा रा - Awake arise and stop not till the goal

is reached

सवामी शववकानद न मातर ३० वरष की आय म अमररका शसरत शिकागो म ११ शसतमबर १८९३ म

आयोशजत शवशव धमषसभा म भारत की ओर स सनातन धमष का परशतशनशधतव ककया रा भारत का अधयाशतमकता

स पररपणष वदात दिषन अमररका और यरोप क िर दि म सवामी शववकानद की वाकतततता क कारण िी पहचा

उनका शिकागो म शवशव धमषसभा म कदया गया भारण एक ऐसा अमर भारण ि शजस तरि का समानानतर

भारण िायद िी किी उपलबध िो आज का यग एक चतनिील यग ि सभी परकार का जञान पसतको और

अनतजाषल पर उपलबध ि िो सकता ि आज बहत स मनीरी अचछ-अचछ भारण द तो िायद इतना आशचयष न

िो ककनत १८वी-१९वी िती क उस अधकार काल म सवामी शववकानद न जो भारण कदया वि सवय म एक

शमसाल ि उनिोन अपनी धीर एव गमभीर वाणी म अपन भारण का आरमभ िी ककया रा lsquolsquoअमररका क

भाईयो और बशिनोlsquolsquo स (शजसका उस सभागार म जोरदार तरा बड़ी दर तक करतल धवशन स सवागत हआ रा)

इस समबोधन क पीछ भी वदात का वि गौरविाली शसदधात िी रा शजस िम बड़ गवष स lsquoवसधव कटमबकमlsquo क

नाम स अशभशित करत ि शववकानद जी क उस समपणष भारण को सन कर ऐसा निी लगता कक वि भारण

१८९३ म कदया गया बशलक ऐसा लगता ि कक मानो व आज िमार सममख बोल रि ि कयोकक उस भारण म

शजन बातो का उललख ि उन पर आज भी िम उतनी ततपरता स आतममरन करत ि

उनक भारण की कई ऐसी उललखनीय बात ि शजनको म यिा रखाककत करना चािती ह शपछल २-३

वरष स कछ लोग भारत म सशिषणता पर कई तरि क परशनशचहन लगा रि ि ककत उनको यिा समरण कदलान की

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आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

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सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

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ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

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शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

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द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

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ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

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उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

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परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

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सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

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बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

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इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

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कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

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शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

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राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

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2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

16 61 2019 34

वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 10: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 8

परकाि क आगमन क सार िी घोर स घोर अधकार की भी ततकषण छटटी िो जाती ि इसीशलए दीप को lsquoजयोशत-

तीरषrsquo भी किा जाता ि परकाि स ऊजाष और ऊषमा भी शमलती ि जो जीवन को समभव करती ि परी सशषट को

िी ऊषमा की शनरतर दरकार बनी रिती ि मनषय िी निी पड़-पौध खत-खशलिान जीव-जत सब-क-सब

ककसी न ककसी मातरा म परकाि की चाि रखत ि और तो और ऋत चकर भी मलत परकाि का िी खल ि परकाि

जीवन को शनयशमत-वयवशसरत करता ि किा जा सकता ि कक परकाि ि तो जीवन ि परकशत क परसाद क रप

म सयषदव का परकाि समसत जगत को न जान कब स शमलता आ रिा ि परत परकाि की िी तरि अधकार भी

एक अटल जीवन-सतय ि और उसस शनरतर लड़त रिना और पार पाना मनषय जाशत की शनयशत ि सबका

अनभव ि कक जीवन कभी सीधी रखा म निी चला करता कयोकक सब कछ पवषशनशशचत निी िोता मानव

सभयता क इशतिास म िर यग म और िर जगि ऐसा िोता रिा ि ऐस म परकाि-अनधकार सख-दख शपरय-

अशपरय िाशन-लाभ जय-शवजय सभी तरि क खटट-मीठ शवपयाषसो क बीच स गजरत हए िी मनषय क जीवन

की गशत आग बढती ि

जब मनषय क शलए दीपक बनन क आदिष की बात भगवान बदध कि रि र तो शनशचय िी उनका आिय

कछ वयापक रा दीपक कई दशषटयो स एक अदधभत रचना ि जो रच जान क बाद अपन रचना-जगत का हशलया

िी बदल दता ि वि ससकशत की समगर सकलप-िशकत का समपणष परतीक ि उसकी दढता उसका सािस उसकी

सनि स आपररत रचना मनषय की एक लाजबाब कशत ि दसरो को परकाि दत समय दीपक ककसी तरि का भद-

भाव निी करता वि एक अदधभत दाता ि जो शबना ककसी कारण शनवयाषज भाव स और शबना ककसी स पछ जो

भी उसक समपकष म आता ि सबको अकठ भाव स परकाि बाटता-दता रिता ि उसका सवभाव िी ि दसरो को

शनरतर दत रिना शबना इसकी सचता ककए कक इस दान म उसका सवय का जीवन करमिः शनिर िोता जाता ि

दीपक सवय तो शनरपकष रिता ि वि एक शसरतपरजञ योगी की भाशत शबना ककसी तरि की आिा क (शनरािी)

और शबना मोि क (शनमषम) िो कर अधकार क शवरदध सतत यदधरत रिता ि यिी उसकी परकशत ि और इसी म

उसकी सारषकता ि दीप बनन क शलए आवािन करत हए भगवान बदध यि भी चाित ि कक परतयक वयशकत ककसी

दसर शरोत पर अवलशमबत न रि कर सवय अपन िी ससाधनो स तपत रि ndash आतमतपत उधार शलए हए परकाि या

िशकत पर भरोसा करन क अपन खतर और जोशखम िोत ि

मिाभारत म भी दीप की मानव मलयो क एक दीप की पररकलपना की गई ि शजसम सतय का आधार

तप (अराषत सयम) का तल दया की बाती (दखी जनो की सचता ) और कषमा की लौ की बात किी गई ि अत म

सभल कर दीया जलान की शिदायत दी गई ि शजसस अधकार स अचछी तरि लड़ा जा सक और रोका जा सक

अधकार आसरी परवशतत ि वि और कछ निी सिसा दवर कलि और लोभ आकद की दबषलताए ि इनि ककसी भी

कीमत पर जीवन पर िाबी निी िोन दना चाशिए आज जीवन म शनरािा और अशवशवास बढ रिा ि अनगषल

उपभोकता की तीवर परवशतत उफान पर ि इस पररशसरशत म वयशकत वभव पर अशधकार क शलए सननदध ि पर यि

निी भलना चशिए कक गणि जी गण दवता ि अराषत व सामानय जन समाज का परशतशनशधतव करत ि और

लकषमी जी की पजा उनक सार िी करन का शवधान ि

16 61 2019 9

म और तम

डॉ अजय शरीवासतव

मन कब किा रा कक तम घनी काली

बदरी बनकर आसमा म छा जाना

मन तो सोचा रा कक काि तम मनद मनद

बिती हई मरी बशगया मिका दती

मन कब किा रा कक तम कफजाओ म

अपनी रगत शबखर दना

मन तो सोचा रा कक काि तम िमसाया बनकर

जीवन भर मर lsquoवासतrsquo िी बनी रिती

मन कब किा रा कक तमिारी घनी छाव म

िरएक अपना पड़ाव डाल द

मन तो सोचा रा कक काि तम एक पौधा

सरीखा मर आगन म बनी रिती

मन कब किा रा कक चटटानो क बीच स शनकली

बलखाती एक नदी क माशननद तम िरएक को रोमाशचत करती

मन तो सोचा रा कक काि तमिार िानत

धीर जल म शसफष और शसफष म िी अपना अकस दख लता

मन कब किा रा कक तम अपनी पगधवशनयो

स चपप-चपप को गजायमान करना

मन तो सोचा रा कक काि तम मरी िर खिी गम म

अपन कदमो की आिट स मझ को बाध रखती

मन कब किा रा कक तम अपन आचल स

एक बि जसा मझ परी तरि स ढक लना

मन तो सोचा रा कक काि तमिारा िमसफर बनकर

म दशवाररयो भरी शजनदगी को जी लता

तमिारी राि अलग और मरी अलग

इन दो रािो का शमलना ममककन निी

लककन अननत पर य जदा राि शमल िी जावगी

तब तक म तमिारी बाट जोहगा

16 61 2019 10

अधकार म परभापज सवामी शववकानद ( १२ जनवरी सवामी शववकानद जी क जनम-कदवस पर शविर ndash समपादक )

सनतोर खनना

सवामी शववकानद भारतीय अधयाशतमक और धारमषक मनीरा क शसरमौर वयशकततव र ४० वरष की

अलपाय म िी उनिोन दि और शवशव को अपन अवदान स इतना अनपराशणत और समदध कर कदया कक दि की

यवा पीकढ़या उनक कदखाए मागष पर चल कर अपना तो भागय सवार िी सकती ि वि पर शवशव म भारत का

परचम लिरा कर उपभोकतावाद और शनर भौशतकतावाद क भवर म फ स आज क सतपत और अशभिपत मानव को

एक सारषक कदिा परदान कर सकती ि

भारत क गौरविाली वदात दिषन क माधयम स सवामी शववकानद न ततकालीन अध यग की

पररशसरशतयो को शचशहनत कर मानवीय सशिषणता शवशव बधता और असिसा का सदि कदया रा आज स

लगभग १२५ वरष पिल उनिोन यवाओ का आहवान करत हए कठोपशनरद क एक मतर को अपना जीवन दिषन

माना रा जो आज भी सभी क शलए शविर रप स यवाओ क शलए उतना िी सारषक एव परासशगक ि शजतना

उस समय रा बशलक आज उसस भी किी अशधक सारषक ि वि अमर सदि रा- lsquoउशततशषठत जागत परापय

वराशनबोधतः lsquoअराषत उठो जागो तरा तब तक मत रको जब तक कक अपन लकषय तक न पहच जाओ इसी

आहवान को उनिोन अगरजी भारा क पररक िबदो म किा रा - Awake arise and stop not till the goal

is reached

सवामी शववकानद न मातर ३० वरष की आय म अमररका शसरत शिकागो म ११ शसतमबर १८९३ म

आयोशजत शवशव धमषसभा म भारत की ओर स सनातन धमष का परशतशनशधतव ककया रा भारत का अधयाशतमकता

स पररपणष वदात दिषन अमररका और यरोप क िर दि म सवामी शववकानद की वाकतततता क कारण िी पहचा

उनका शिकागो म शवशव धमषसभा म कदया गया भारण एक ऐसा अमर भारण ि शजस तरि का समानानतर

भारण िायद िी किी उपलबध िो आज का यग एक चतनिील यग ि सभी परकार का जञान पसतको और

अनतजाषल पर उपलबध ि िो सकता ि आज बहत स मनीरी अचछ-अचछ भारण द तो िायद इतना आशचयष न

िो ककनत १८वी-१९वी िती क उस अधकार काल म सवामी शववकानद न जो भारण कदया वि सवय म एक

शमसाल ि उनिोन अपनी धीर एव गमभीर वाणी म अपन भारण का आरमभ िी ककया रा lsquolsquoअमररका क

भाईयो और बशिनोlsquolsquo स (शजसका उस सभागार म जोरदार तरा बड़ी दर तक करतल धवशन स सवागत हआ रा)

इस समबोधन क पीछ भी वदात का वि गौरविाली शसदधात िी रा शजस िम बड़ गवष स lsquoवसधव कटमबकमlsquo क

नाम स अशभशित करत ि शववकानद जी क उस समपणष भारण को सन कर ऐसा निी लगता कक वि भारण

१८९३ म कदया गया बशलक ऐसा लगता ि कक मानो व आज िमार सममख बोल रि ि कयोकक उस भारण म

शजन बातो का उललख ि उन पर आज भी िम उतनी ततपरता स आतममरन करत ि

उनक भारण की कई ऐसी उललखनीय बात ि शजनको म यिा रखाककत करना चािती ह शपछल २-३

वरष स कछ लोग भारत म सशिषणता पर कई तरि क परशनशचहन लगा रि ि ककत उनको यिा समरण कदलान की

16 61 2019 11

आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

16 61 2019 12

सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

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ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

16 61 2019 14

शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

16 61 2019 15

द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

16 61 2019 16

ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

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ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

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इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

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नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

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ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 11: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 9

म और तम

डॉ अजय शरीवासतव

मन कब किा रा कक तम घनी काली

बदरी बनकर आसमा म छा जाना

मन तो सोचा रा कक काि तम मनद मनद

बिती हई मरी बशगया मिका दती

मन कब किा रा कक तम कफजाओ म

अपनी रगत शबखर दना

मन तो सोचा रा कक काि तम िमसाया बनकर

जीवन भर मर lsquoवासतrsquo िी बनी रिती

मन कब किा रा कक तमिारी घनी छाव म

िरएक अपना पड़ाव डाल द

मन तो सोचा रा कक काि तम एक पौधा

सरीखा मर आगन म बनी रिती

मन कब किा रा कक चटटानो क बीच स शनकली

बलखाती एक नदी क माशननद तम िरएक को रोमाशचत करती

मन तो सोचा रा कक काि तमिार िानत

धीर जल म शसफष और शसफष म िी अपना अकस दख लता

मन कब किा रा कक तम अपनी पगधवशनयो

स चपप-चपप को गजायमान करना

मन तो सोचा रा कक काि तम मरी िर खिी गम म

अपन कदमो की आिट स मझ को बाध रखती

मन कब किा रा कक तम अपन आचल स

एक बि जसा मझ परी तरि स ढक लना

मन तो सोचा रा कक काि तमिारा िमसफर बनकर

म दशवाररयो भरी शजनदगी को जी लता

तमिारी राि अलग और मरी अलग

इन दो रािो का शमलना ममककन निी

लककन अननत पर य जदा राि शमल िी जावगी

तब तक म तमिारी बाट जोहगा

16 61 2019 10

अधकार म परभापज सवामी शववकानद ( १२ जनवरी सवामी शववकानद जी क जनम-कदवस पर शविर ndash समपादक )

सनतोर खनना

सवामी शववकानद भारतीय अधयाशतमक और धारमषक मनीरा क शसरमौर वयशकततव र ४० वरष की

अलपाय म िी उनिोन दि और शवशव को अपन अवदान स इतना अनपराशणत और समदध कर कदया कक दि की

यवा पीकढ़या उनक कदखाए मागष पर चल कर अपना तो भागय सवार िी सकती ि वि पर शवशव म भारत का

परचम लिरा कर उपभोकतावाद और शनर भौशतकतावाद क भवर म फ स आज क सतपत और अशभिपत मानव को

एक सारषक कदिा परदान कर सकती ि

भारत क गौरविाली वदात दिषन क माधयम स सवामी शववकानद न ततकालीन अध यग की

पररशसरशतयो को शचशहनत कर मानवीय सशिषणता शवशव बधता और असिसा का सदि कदया रा आज स

लगभग १२५ वरष पिल उनिोन यवाओ का आहवान करत हए कठोपशनरद क एक मतर को अपना जीवन दिषन

माना रा जो आज भी सभी क शलए शविर रप स यवाओ क शलए उतना िी सारषक एव परासशगक ि शजतना

उस समय रा बशलक आज उसस भी किी अशधक सारषक ि वि अमर सदि रा- lsquoउशततशषठत जागत परापय

वराशनबोधतः lsquoअराषत उठो जागो तरा तब तक मत रको जब तक कक अपन लकषय तक न पहच जाओ इसी

आहवान को उनिोन अगरजी भारा क पररक िबदो म किा रा - Awake arise and stop not till the goal

is reached

सवामी शववकानद न मातर ३० वरष की आय म अमररका शसरत शिकागो म ११ शसतमबर १८९३ म

आयोशजत शवशव धमषसभा म भारत की ओर स सनातन धमष का परशतशनशधतव ककया रा भारत का अधयाशतमकता

स पररपणष वदात दिषन अमररका और यरोप क िर दि म सवामी शववकानद की वाकतततता क कारण िी पहचा

उनका शिकागो म शवशव धमषसभा म कदया गया भारण एक ऐसा अमर भारण ि शजस तरि का समानानतर

भारण िायद िी किी उपलबध िो आज का यग एक चतनिील यग ि सभी परकार का जञान पसतको और

अनतजाषल पर उपलबध ि िो सकता ि आज बहत स मनीरी अचछ-अचछ भारण द तो िायद इतना आशचयष न

िो ककनत १८वी-१९वी िती क उस अधकार काल म सवामी शववकानद न जो भारण कदया वि सवय म एक

शमसाल ि उनिोन अपनी धीर एव गमभीर वाणी म अपन भारण का आरमभ िी ककया रा lsquolsquoअमररका क

भाईयो और बशिनोlsquolsquo स (शजसका उस सभागार म जोरदार तरा बड़ी दर तक करतल धवशन स सवागत हआ रा)

इस समबोधन क पीछ भी वदात का वि गौरविाली शसदधात िी रा शजस िम बड़ गवष स lsquoवसधव कटमबकमlsquo क

नाम स अशभशित करत ि शववकानद जी क उस समपणष भारण को सन कर ऐसा निी लगता कक वि भारण

१८९३ म कदया गया बशलक ऐसा लगता ि कक मानो व आज िमार सममख बोल रि ि कयोकक उस भारण म

शजन बातो का उललख ि उन पर आज भी िम उतनी ततपरता स आतममरन करत ि

उनक भारण की कई ऐसी उललखनीय बात ि शजनको म यिा रखाककत करना चािती ह शपछल २-३

वरष स कछ लोग भारत म सशिषणता पर कई तरि क परशनशचहन लगा रि ि ककत उनको यिा समरण कदलान की

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आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

16 61 2019 12

सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

16 61 2019 13

ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

16 61 2019 14

शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

16 61 2019 15

द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

16 61 2019 16

ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

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2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

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ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

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इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

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पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

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ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 12: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

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अधकार म परभापज सवामी शववकानद ( १२ जनवरी सवामी शववकानद जी क जनम-कदवस पर शविर ndash समपादक )

सनतोर खनना

सवामी शववकानद भारतीय अधयाशतमक और धारमषक मनीरा क शसरमौर वयशकततव र ४० वरष की

अलपाय म िी उनिोन दि और शवशव को अपन अवदान स इतना अनपराशणत और समदध कर कदया कक दि की

यवा पीकढ़या उनक कदखाए मागष पर चल कर अपना तो भागय सवार िी सकती ि वि पर शवशव म भारत का

परचम लिरा कर उपभोकतावाद और शनर भौशतकतावाद क भवर म फ स आज क सतपत और अशभिपत मानव को

एक सारषक कदिा परदान कर सकती ि

भारत क गौरविाली वदात दिषन क माधयम स सवामी शववकानद न ततकालीन अध यग की

पररशसरशतयो को शचशहनत कर मानवीय सशिषणता शवशव बधता और असिसा का सदि कदया रा आज स

लगभग १२५ वरष पिल उनिोन यवाओ का आहवान करत हए कठोपशनरद क एक मतर को अपना जीवन दिषन

माना रा जो आज भी सभी क शलए शविर रप स यवाओ क शलए उतना िी सारषक एव परासशगक ि शजतना

उस समय रा बशलक आज उसस भी किी अशधक सारषक ि वि अमर सदि रा- lsquoउशततशषठत जागत परापय

वराशनबोधतः lsquoअराषत उठो जागो तरा तब तक मत रको जब तक कक अपन लकषय तक न पहच जाओ इसी

आहवान को उनिोन अगरजी भारा क पररक िबदो म किा रा - Awake arise and stop not till the goal

is reached

सवामी शववकानद न मातर ३० वरष की आय म अमररका शसरत शिकागो म ११ शसतमबर १८९३ म

आयोशजत शवशव धमषसभा म भारत की ओर स सनातन धमष का परशतशनशधतव ककया रा भारत का अधयाशतमकता

स पररपणष वदात दिषन अमररका और यरोप क िर दि म सवामी शववकानद की वाकतततता क कारण िी पहचा

उनका शिकागो म शवशव धमषसभा म कदया गया भारण एक ऐसा अमर भारण ि शजस तरि का समानानतर

भारण िायद िी किी उपलबध िो आज का यग एक चतनिील यग ि सभी परकार का जञान पसतको और

अनतजाषल पर उपलबध ि िो सकता ि आज बहत स मनीरी अचछ-अचछ भारण द तो िायद इतना आशचयष न

िो ककनत १८वी-१९वी िती क उस अधकार काल म सवामी शववकानद न जो भारण कदया वि सवय म एक

शमसाल ि उनिोन अपनी धीर एव गमभीर वाणी म अपन भारण का आरमभ िी ककया रा lsquolsquoअमररका क

भाईयो और बशिनोlsquolsquo स (शजसका उस सभागार म जोरदार तरा बड़ी दर तक करतल धवशन स सवागत हआ रा)

इस समबोधन क पीछ भी वदात का वि गौरविाली शसदधात िी रा शजस िम बड़ गवष स lsquoवसधव कटमबकमlsquo क

नाम स अशभशित करत ि शववकानद जी क उस समपणष भारण को सन कर ऐसा निी लगता कक वि भारण

१८९३ म कदया गया बशलक ऐसा लगता ि कक मानो व आज िमार सममख बोल रि ि कयोकक उस भारण म

शजन बातो का उललख ि उन पर आज भी िम उतनी ततपरता स आतममरन करत ि

उनक भारण की कई ऐसी उललखनीय बात ि शजनको म यिा रखाककत करना चािती ह शपछल २-३

वरष स कछ लोग भारत म सशिषणता पर कई तरि क परशनशचहन लगा रि ि ककत उनको यिा समरण कदलान की

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आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

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सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

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ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

16 61 2019 14

शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

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द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

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ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

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उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

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परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

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बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

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सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

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बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

16 61 2019 27

7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

16 61 2019 28

कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 13: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 11

आवशयकता ि कक सशिषणता िमार रोम-रोम म समाई ि अगर ऐसा न िोता तो भारत म सभी धमो को फलन

फलन का अवसर निी शमलता इशतिास साकषी ि कक िमार मशसलम भाई कभी सिद हआ करत र भारत म

इसाई भी कभी सिद िी र कि सकत ि कक भारत जसी सशिषणता धारमषक सशिषणता ककसी और दि म िायद

िी दखन को शमलगी भारत म समाज कया भारत क सशवधान म भी सवषधमष सदभाव का परशतपादन ककया गया

ि १८९३ म भी सवामी शववकानद उस धमष ससद म भारत की उसी सशिषणता का उललख कर एक

सावषभौशमक तथय की ओर इशगत कर रि र जब उनिोन किा lsquolsquoिम शसफ़ष सावषभौशमक सिशषणता पर िी शवशवास

निी करत बशलक िम सभी धमो को सच क रप म सवीकार करत ि मझ गवष ि कक म उस दि स ह शजसम

सभी धमो और सभी दिो क सताए गए लोगो को अपन यिा िरण दी िrdquo

सवामी शववकानद न इसी भारण म भारत क पशवतर मिागरर गीता का भी उललख करत हए शरी कषण क उस

उपदि का भी उललख ककया रा शजसम शरी कषण कित ि lsquolsquoजो भी मझ तक आता ि चाि वि कसा भी िो म

उस तक पहचता ह लोग अलग-अलग रासत चनत ि परिाशनया झलत ि आशखर म मझ तक पहचत िrdquo

आज भी शवशव मानवता सामपरदाशयकता कटटरता और धारमषक िठधशतमषता क अशभिाप स पीशड़त ि

अपन भारण म शववकानद न इन बराइयो की तरफ उस धमष ससद का धयान कदलात हए किा रा कक यकद िम

इन बराइयो को दर कर ल शजसस ककतनी िी बार यि धरती खन स लाल िो चकी ि न जान ककतनी सभयताए

शमट गई ककतन दि शमट गए िम इस पथवी को एक बितर सरान बना सकत ि सवामी शववकानद का यि

अमर सदि आज की सतपत मानवता क शलए िम सब को आतममरन करन क शलए बाधय कर रिा ि आज भी

धमााधता शवशव म यदध और खनखराब का मखय कारण बनी हई ि इसी धमााधता क कारण िी इराक म िमार

३९ भारतीयो का आईएसआईएस न २०१४ म िी वध कर कदया रा शजस सन कर पर दि म िोक करोध

और आकरोि की लिर दौड गई री यिी नराधम ततव अफगाशनसतान म समय-समय पर धमाक कर कई जान

लीलत रित ि कईयो को जखमी करत रित ि इन ततवो न पथवी को कई बार लह स रगा ि और अभी भी बाज

निी आ रि ि सवामी शववकानद न अपन उस भारण म उस समय की ऐसी िी शसरशतयो का शजकररककया रा

और बताया रा कक अब उनका अनत आ चका ि परनत शवनाि की िशकतिाली बलाय धरती स शवदा िोन का

नाम िी निी लती आज भी िम सवामी शववकानद क कदखाय मागष को अपना कर िम शवशव को एक बितर

सरान बना सकत ि

सवामी शववकानद क उपदि वस तो समच शवशव क लोगो क शलए लाभपरद ि परत भारत का इस

समबध म दाशयतव कछ अशधक िी बनता ि वस भारत अपन गौरविाली अतीत को भल कर वतषमान म समच

शवशव की भाशत भशतकतावाद क गतष म समा चका ि शजसस वि सिी और गलत म अतर करना भी भल गया ि

मानव मलयो का यिा तजी स हरास हआ ि शजसक कारण िमारी यवा पीढ़ी करोध मद मोि और सिसा क जाल

म फ सती जा रिी ि

यि एक शवचारणीय पिल ि कक जब शवशव क शकषशतज पर भारत क सवणषकाल का अभयदय िोता

कदखाई द रिा ि और उस शिखर तक पहचान का दाशयतव आज क यवा भारत पर ि परत कया िमारी यवा

पीढ़ी पशशचम की अपससकशत का पररतयाग करगी और सवामी शववकानद जी की कदखाई गई सिी राि पर सककरय

िोगी

16 61 2019 12

सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

16 61 2019 13

ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

16 61 2019 14

शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

16 61 2019 15

द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

16 61 2019 16

ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

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2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

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ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

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इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

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पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 14: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 12

सवामी शववकानद जीवनपयात समाज और दि की भलाई क शलए सककरय रि उनि आभास िो गया रा

कक चालीस वरष िोन स पिल िी वि अपनी दि का पररतयाग कर दग यवा िोन क नात उनिोन िमिा दि क

यवाओ का आहवान करत हए उनि अपना जीवन सधारन का उपदि कदया वि एक ऐस समाज का शनमाषण

चाित र शजसम धमष और जाशत क आधार पर मानव मानव म कोई भद न िो इसक शलए उनका मानना रा कक

मानव सवा िी परमातमा की सवा ि चकक वि सवय भी एक मिान दिभकत शवचारक लखक और मानव परमी

र इस समबध म दि क उतरान क समबध म उनि यवाओ स बड़ी आिाए री इसशलए उनिोन उनि पररणा दन

क शलए ऐसी कई बात किी शजनि आज भी जीवन म उतार कर दि की परगशत म योगदान कदया जा सकता ि

आज पर शवशव म और उसी परकार भारत म भी यवा सिसा एव सकस की अधी आधी म शतरोशित िोत जा रि ि

सवामी शववकानद न किा रा कक जस शजसक शवचार िोग वसा िी उसका चररतर एव जीवन बनगा जिा तक

भारत का समबध ि वतषमान म यिा ६५ परशतित जनसखया ३५ वरष स कम आय क यवाओ की ि कि सकत ि

कक भारत की वतषमान आधी जनसखया २५ स कम आय की ि शजस आय म उनि समशचत शिकषा सशवधाए

शमलनी चाशिए आज क यवा की आिाए और आकाकषाए तो बहत ि वि सवपन भी बहत ऊ च दखत ि परत

िमारी शिकषा पदधशत अशधक उतसािवधषक निी ि जीवन स ससकार और मानव मलय नदारद िो रि ि मानव

का चररतर उसक शवचारो क अनसार शनरमषत िोता ि सवामी शववकानद न यवाओ का आहवान करत हए किा

रा ldquoयवाओ को अपनी आनतररक िशकत को जागत करना िोगा उनि अपन भागय का शनमाषण सवय अपन पररशरम

और पररारष स करना िोगाrdquo कया िमारा आज का यवा भाशत-भाशत की भटकनो को तयाग कर उनक कदखाए

मागष पर चल कर सतपत मानवता का पररतराण करगा

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ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

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शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

16 61 2019 15

द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

16 61 2019 16

ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

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ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

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इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

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नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 15: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 13

ग़ज़ल

सजीव गौतम

सजाा मरी खताओ की मझ द द

मर ईशवर मर बिो को िसन द

इिार पर चला आया यिा तक म

यिा स अब किा जाऊ इिार द

शमली ि खिबए मझको शवरासत म

य दौलत त मझ यिी लटान द

म खि ह इस ग़रीबी म फ़क़ीरी म

म जसा ह मझ वसा िी रिन द

उजालो क समरषन की द ताक़त त

अधरो स उसी ताक़त स लड़न द

16 61 2019 14

शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

16 61 2019 15

द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

16 61 2019 16

ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

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बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

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इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

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कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

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राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

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2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

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ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

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इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

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नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

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पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

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ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 16: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 14

शवदरी माता मतरयी

डॉ अिोक आयष

भारत ऋशरयो की पणय भशम ि इस भशम पर अनक परकार की शवदयाओ स समपनन ऋशरयो न जनम

शलया ऐस िी ऋशरयो म यागयवलकय एक हए ि

यागयवलकय एक अतयनत परशतभािाली ऋशर र कातयायनी तरा मतरयी नाम स इन की दो पशतनया री

दोनो पशतनया यागयवलकय क दो शभनन-शभनन कायष समभालती री कातयायनी घर का सब कायष-भार बड़ी

किलता स समभालती री जब कक मतरयी उनक पठन-पाठन तरा अधययन समबनधी सब कायष की वयवसरा म

उनका िार बटाती री इस परकार इन दोनो म एक गिसर का कायष करती री तो दसरी सरसवती क परसार क

कायष म लगी री दोनो उशचत रीशत स एक दसर का सियोग कर रिी री इस कारण इस ऋशर की गिसरी

बड सनदर ढग स चलत हए ससार क सामन अपन आदिष का एक उदािरण परसतत क रिी री दोनो पशतनयो क

बजोड़ मल क कारण इस पररवार म आननद व सख की वराष िो रिी री

यि दोनो मशिलाए अपन पशत की शनरनतर सवा म ततपर री तरा पशत को पराणो स भी अशधक मानती

री यि आपस म भी एक-दसर की सिायता म कभी पीछ न िटती री ककसी कदन कातयायनी रसोई कायष क

शलए उपयकत न िोती तो इस कायष को मतरयी समभाल लती री इस परकार हए पररवतषन को ऋशर भी ततकाल

जान लत र तरा कि उठत र कक आज भोजन का रस कछ और िी ि कातयायनी कया बात ि आज भोजन

तमिार िार का निी ि पररणाम-सवरप कातयायनी को अपनी सफ़ायी दनी पडती

मतरयी ऋशर क शचनतन कायष म शनरनतर सिायता करती रिती यागयवलकय क शवचारो क परशतपादन

म मतरयी आधा भाग री अराषत यागयवलकय का शचनतन कायष तब तक पणष निी िो पाता रा जब तक कक वि

इस शवरय म मतरयी क शवचार जान कर तदधनरप अपन शवचारो म सधार न कर लत यि िी कारण रा कक

जब तक वि मतरयी स िासतर चचाष न कर लत तब तक उनि सख अनभव निी िोता रा वि कदन भर मतरयी स

िासतर चचाष करत िी रित र जब भी कभी मतरयी व यागयवलकय िासतर चचाष म लीन िोत तो कातयायनी शनकट

बठकर दोनो की चचाष को बड धयान स सना करती री इस परकार की चचाष करत हए वि दोनो कातयायनी को

बड िी अचछ लगत र इस परकार दोनो ऋशर पशतनयो क आपसी सियोग क पररणाम-सवरप यागयवलकय की

गिसरी बड िी उततम ढग स चल रिी री

जीवन की साधयवला म ऋशर यागयवलकय की चतराषशरम म परवि की अराषत सनयास आशरम म जान

की इचछा हई इस पर शवचार-शवमिष क शलए उनिोन अपनी दोनो पशतनयो कातयायनी तरा मतरयी को अपन

पास बला कर बड आदर क सार अपन मन की इचछा दोनो क सामन रखी इसस पवष िी वि दोनो क मन को

तयार कर चक र दोनो जानती री कक उनक पशत ककसी भी समय सनयास ल सकत ि शतस पर भी इस समय

को आया जान कर दोनो का हदय रशवत-सा िो उठा तरा इस भावकता क कारण दोनो की आख नम िो गई

यागयवलकय न कातयायनी को समबोशधत ककया ककसी गिरी सोच म शनमि ऋशर कातयायनी की मनोदिा को

न भाप सक कातयायनी न झटपट अपन-आप को समभाला तरा ततकाल सवसर िो परतयतर म बोली lsquoकशिय

सवामी जी rsquo

यागयवलकय बोल lsquoम जानता ह कक तम दोनो सखयभाव स रिन वाली िो ककनत मरी इचछा ि कक इस

घर को तरा इस क अनदर पड़ी सब छोटी बडी सामगरी को सनयास स पवष दो भागो म बाट कर तम दोनो को द

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द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

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ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

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उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

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परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

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बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

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सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

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बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

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इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

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कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

16 61 2019 27

7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

16 61 2019 28

कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 17: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 15

द ताकक मर सनयास लन क बाद किी यि चचाष न िो कक यागयवलकय की पशतनयो म घर की समपशत को लकर

शववाद उठ खडा हआ ि तमि इसम कोई आपशत तो निी ि rsquo

कातयायनी न ततकाल उततर कदया कक मझ कसी आपशत आप जो भी करग मझ सवीकार िोगा

ततपशचात यागयवलकय न मतरयी स भी यिी परशन ककया इस पर मतरयी न मसकरात हए उतर कदया कक

िा इस पर मझ कछ आपशत ि कछ िका ि मतरयी का उततर सनकर ऋशर को अपन िी कानो पर शवशवास न

िो रिा रा वि चककत र कक शजस मतरयी स उनिोन इतनी आिाए बाध रखी री उस मतरयी को िी उसक इस

शनणषय पर आपशत ि इस का कया कारण िो सकता ि

मतरयी क उतर स अभी ऋशर ककसी शनणषय पर पहचत इसस पवष िी मतरयी न अपनी बात को आग

बढात हए किा lsquoभगवन मझ आप कछ सपषटीकरण दग तब िी म अपना शवचार द सक गी rsquo

इस पर यागयवलकय न उस अपनी िका शनसकोच सपषट करन क शलए किा

मतरयी न किा कक lsquoम जानना चािती ह कक आप ककस लकषय क आधार पर इस धन समपशत का पररतयाग

करना चाित िrsquo

यागयवलकय बोल lsquoभगवत मन अमर पद की पराशपत क शलए घर छोडन का शनणषय शलया ि rsquo

मतरयी न कफर पछा lsquoकया यि धन समपशत आप को अमर पद निी कदला सकती rsquo

ऋशर न उतर कदया lsquoनिी यि धन समपशत अमरतव तक निी ल जा सकती rsquo

इस उतर को सनकर मतरयी न कफर स परशन ककया lsquoऔर आप मझ धन-धानय स पणष यि सारी पथवी भी

द जाए तो कया म उसस अमर िो सकती ह rsquo

इस उततम परशन को सनकर यागयवलकय न किा lsquoतमिारा परशन बहत अचछा ि सिाई तो यि ि कक

लालसा म फ स वयशकत की जसी शसरशत िोती ि ठीक वसी िी तमिारी शसरशत िोगी उसस अचछी निी rsquo

मतरयी न यागयवलकय स अपन दसर परशन का उततर सनकर कफर किा lsquoशजसस मरा मरना न छट उस

वसत को लकर कया करगी ि भगवान आप जो जानत ि ( शजस परम धन क सामन आपको यि घर बार

तचछ परतीत िोता ि और बडी परसननता स आप सब का तयाग कर रि ि ) विी परम धन मझको बतलाईय rsquo

मतरयी की इस इचछा को पणष करत हए यागयवलकय न उतर कदया lsquoमतरयी पिल भी त मझ बडी पयारी

री तर इन वाकयो स वि परम और भी बढ गया ि त मर पास आ कर बठ म तझ अमततव का उपदि करगा

मरी बातो को भली-भाशत सनकर मनन कर rdquo इतना कि कर मिररष यागयवलकय न शपरयतम रप स आतमा का

वणषन आरमभ ककया

उनिोन किा lsquoमतरयी (सतरी को ) पशत पशत क परयोजन क शलए शपरय निी िोता परनत आतमा क

परयोजन क शलए पशत शपरय िोता ि rsquo

इसक अशतररकत भी यागयवलकय न उसक शलए बहत सा उपदि ककया इस उपदि को सनकर मतरयी

उनकी कतजञ हई कफर कया रा यागयवलकय न अपनी परी की परी समपशत कातयायनी को द दी तरा सवय

सासाररक सखो को सासाररक मोि माया को छोड़कर वन की ओर परसरान कर गय

जयो िी यागयवलकय वन को जान लग तो मतरयी भी उनक पीछ िो ली उसन भी सासाररक सखो को तयाग कर

वन को िी अपना शनवास बनान का शनशचय ककया वि भी अब वनो म रित हए परभ परारषना म आगामी जीवन

शबतान का शनणषय ल चकी री इस परकार शजस न भी मतरयी को अपन पशत का अनगमन करत दखा उस क

शवरि की वयाकलता क सार िी सार उसका हदय एक शवशचतर परकार क आननद स भर उठा

16 61 2019 16

ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

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बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

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इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

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कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

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शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

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राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

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2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

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पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 18: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 16

ग़ज़ल

दयानद पाडय

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतरर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशखर िर ककसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी खदा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकषस की एक चलती कफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन ककतनी ऊ ची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

शवकास समानता बराबरी क़ानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़ककया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक़ स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

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ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

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इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

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नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 19: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 17

उमर बढ़ाती हई बरटया खामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अठखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लककन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा कफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और ररशता निी अब तड़क भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क ररशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी ककशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

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परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

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इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

16 61 2019 27

7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

16 61 2019 28

कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

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पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

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ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 20: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 18

परम की पराकाषठा

उपासना गौतम

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

कक ककस तरि

िबनम स शनकलती ि सचगाररया

मोम शपघलत हए कस बदलता ि अपना रप

वक़त की लाखो-लाख कशड़यो म

िजारो जीवाशम कस बनत जात ि

कोई ठोस मजबत गगनचमबी चटटान

कभी शमल जो फसषत तो सोचना

जरर सोचना

कदरत और तमिार अपन उसलो म

कया पाया मन

कया शजया मन

दशनयावी चीज़ो पर िी निी

कदरती उसलो पर भी

ककतना सखत ि तमिारा कबज़ा

तम जरर सोचना

कया मरा झककर जमीन पर शगर जाना

इतना जररी ि

परम की पराकाषठा क शलए

कया बिद जररी ि

खद को खतम कर वस जीना

जस तम चाित िो

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बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

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कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

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राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

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2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

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पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

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ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 21: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 19

बड़पपन

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

सपन की नीद अचानक खल गयी घड़ी की ओर दखा तो सबि क चार बजन वाल र सामन पलग पर

उसकी पतनी सरोज गिरी शनरा म लीन री उसका आठवा मिीना चल रिा रा बगल म सोय छः वरीय ननि

आस न करवट बदली और अपनी आदत क मताशबक अपन एक िार को अपनी मा क सीन म रखकर ममतव की

मीठी नीद म पनः सो गया उसक इस कतय स सरोज की नीद म कोई खलल निी पड़ी शजस दख सपन न

सतोर की सास ली नीद परी न िोन स उसक सार िरीर म एक अजीब सा ददष वि मिसस कर रिा रा दोनो

रात गए काफी दर स सोय र उसक इस घर-ससार म कल तीन पराणी र चौर का इतजार रा

इस खिी क मौक पर भी कछ कदनो स वि अपन आपको सचताओ और समसयाओ स शघरा हआ पा रिा

रा उनकी घर गिसरी म दशनक ककरया कलापो की नाव डगमगाती नजर आ रिी री सपन अपन उलझ बालो

को और मार पर उभरी सलवटो को बार-बार सिलाए जा रिा रा इसस उसको कछ समय क शलय राित

अवशय शमल जाती ककनत कफर विी

समसया कोई बड़ी निी री छोटी-सी िी री सरोज ऐस वकत अपनी मा को बलाना चािती री ताकक

उसकी व उसक घर की दखभाल सिी ढग स िो सक या िायद उस अपनी मा पर जयादा भरोसा नजर आ रिा

रा ककनत सपन अपनी बड़ी भाभी को बलान क पकष म रा वि सास जी की उमर को दखत हए उनि तकलीफ

निी दना चािता रा ककनत सरोज को अपनी शजठानी का तानािािी रवया िर स िी वदाषसत निी रा अपना

हकम चलान और सदा अपना बड़पपन झाड़न की वजि स सरोज का उनस कई बार मतभद िो चका रा वि

उनस तग आ चकी री ऐस मौको पर सपन सदा अपनी बड़ी भाभी का िी पकष लता

वि सरोज को समझाता रिता कक िमार घर की दयनीय आररषक पररशसरशतयो म बड़ी भाभी दलिन

बन कर आयी री उनक ऊपर अतयशधक शजममदाररयो व आररषक अभावो न उनि कछ जयादा िी गमभीर बना

कदया रा कमषठता और सघरषिीलता की भटटी म तपकर शनकली हई बड़ी-भाभी का सवभाव ऊपरी तौर पर

दखन म कछ कठोर अवशय नजर आता रा ककनत अदर स शबलकल नरम उनक अदर कछ जयादा िी उतसगष की

भावना मचलती रिती री तयाग बशलदान सघरष की परशतमरतष बड़ी भाभी क अदर धड़कत कोमल कदल का

साकषातकार सरोज कभी निी कर पायी री

दोनो की दर रात तक बिस िोती रिी सरोज परान जखमो को करद-करद कर िरा-भरा करन म लगी

रिी तो सपन उन पर मरिम लगाता रिा घर स अलग रिन की शजद पर अड़ी सरोज को सपन न कभी िरी

झडी निी कदखाई ककनत सपन की सरवषस क तबादल न मानो सरोज की मनचािी मराद ऊपर वाल न परी कर

दी री उस कदन सरोज मन िी मन बड़ी खि हई री ककनत आज कफर वरो बाद दोनो म विी बिस का मददा

बन गया रा

इन शवरोधाभासो क बावजद दोनो एक दसर को बहत चाित र दोनो एक दसर की आसरा व शवचारो

स भली-भाशत पररशचत र अततः सपन न भी सोचा कक सरोज की ऐसी अवसरा म इचछाओ क परशतकल कोई

कदम उठाना सिी निी ि उसन अपना परसताव वापस ल शलया इस अकसमात पररवतषन स सरोज को लगा कक

उसन सपन का कदल दखा कर अचछा निी ककया उसन भी तरत अपन िशरयार डाल कदए और बड़ी भाभी को

बलान की शजद करन लगी अततः दोनो म शनणाषयक फसला हआ कक बड़ी भाभी और सरोज की मा दोनो को

पतर शलखकर बलवा शलया जाए परभात की पिली ककरण घर की खली शखड़की स परवि करती हयी कमर म

फल चकी री शजसस समपणष घर म उशजयारा बढ़ता जा रिा रा

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

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नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

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ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 22: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 20

सबि क छः बज गए र सपन न तरत आस को धीर स उठाया उस निलाकर सकल क शलय तयार

करन लगा सरोज की नीद जब खली तब तक आस तयार िो गया रा दीवार पर टगी घड़ी क दौड़त काटो की

भाशत सभी अपन-अपन दशनक कायो म जट गए र कब घड़ी न दस बजाए पता िी निी चला ननि आस को

सकल ररकिा म शबठाकर सपन न शबदा ककया और सवय सकटर पर बठकर ऑकफस क शलय शनकल पड़ा

एक कदन सरोज घर की बालकनी म टिल रिी री सामन दखा कक एक ररकिा म अकल िी बड़ी भाभी

बठी चली आ रिी री ररकिा म एक टीन की पटी रखी हई री और एक बड़ा झोला िार म राम रखा रा

सरोज तरत नीच पहच दवार खोलकर बड़ी भाभी क चरण सपिष को झकी िी री कक बड़ी भाभी न इिार स मना

कर कदया अपनी पटी को कमर क एक ककनार म रखकर सरोज स किल-मगल पछी पशचात झोल म रखी

पोटशलयो को खोलना िर कर कदया अपन घर स बनाकर लाए पकवानो को शनकाल कर सरोज को शखलान म

जट गई चिर पर बनावटी मसकान का मकअप कर सरोज बड़ी-भाभी को परभाशवत करन का असफल परयास

कर रिी री आशतथय सतकार क दाशयतव का शनवाषिन कर सरोज बड़ी भाभी को आराम करन की सलाि दकर

सवय सोन को चली गयी

िाम को आकफस स आत िी सपन न गि परवि ककया रा कक बड़ी भाभी को अचानक आया दख चौक

गया मसकराकर बड़ी-भाभी क चरण सपिष ककए बदल म ढर सारा आिीवाषद पाकर अभी कछ बोलना िी

चािता रा कक बड़ी भाभी बोल पड़ी - lsquolsquoजब स तम लोगो की शचटठी शमली तबस मझ तम दोनो की शचनता खाए

जा रिी री तन मझ अगल मिीन आन को शलखा रा ककनत मरा मन निी माना - यिा की शचनता सताए जा

रिी री तर बड़ भईया को सकल स छटटी शमलना मशशकल रा चकक परीकषाए िर िान वाली जो ि सो मन उनस

कि कदया म अकल िी चली जाऊ गी तम मझ बस म शबठाल दना सो दख म अकल िी चली आई अब शचनता

मत कर rsquorsquo

बड़ी भाभी न एक कदन म िी पर घर का अधययन कर शजममदारी समिाल ली और सरोज को शबसतर स

न उठन की सखत शिदायत भी द दी गाव क पररवि म पली ििर की ससकशत म रिी बड़ी भाभी क शलय तो

सारा कायष चटककयो का रा िर समय काटना इस अनजान ििर म बड़ा मशशकल कायष रा कभी सरोज क

पास बठकर उसक बालो को सलझाती चोटी बनाती तो कभी घरल शवरयो का ताना-बाना बनकर बातो की

सवय पिल करती ककनत सरोज सदा परानी बात याद करक गमभीर िो जाती और ददष का बिाना करती या

सोन का अशभनय तब बड़ी-भाभी उसका िार पकड़ कर पलग पर शलटा दती कफर घर का िर काम करन क

पशचात अपनी सिज मसकान शबखरती आस-पड़ोस क घरो म उठ बठ आती पररचय बढ़ाती रोज बड़ी-भाभी

की यिी कदन चयाष रिती

बड़ी-भाभी क आन क एक माि बाद सरोज की मा भी आ गयी री सरोज की खिी का रठकाना न रा

चिर स सपषट झलकन लगा रा कक अब वि शनशशचनत और बकफकर िो गयी ि सब कछ ठीक-ठाक चल रिा रा कक

एक कदन अचानक बाररम म सरोज की मा का पर कफसल गया ऐड़ी म जोरो की मोच आ गयी चलना-

कफरना भी असमभव िो गया रा डाकटर को कदखाया गया डाकटर की सलाि मताशबक बड़ी भाभी न उनि भी

शबसतर म आराम करन की सलाि दी सरोज को नौवा मिीना खतम िोन वाला रा बड़ी भाभी पर कायष का

बोझ बढ़ता गया पर उनक चिर पर जरा भी शिकन न कदखती

एक कदन सबि सरोज क पट म ददष उठा सपन उस तरत नरसाग िोम ल गया भरती करन क पशचात

जब वि घर आया तब तक बड़ी-भाभी का खाना तयार िो गया रा बड़ी भाभी को सरोज की िर पल शचनता

सता रिी री सरोज की मा न उनि खाना खाकर जान का आगरि ककया तो अभी शबलकल भख निी ि कि कर

टाल कदया और सपन क सार सकटर म नरसाग िोम पहच गयी विा शबसतर पर सरोज को न दखकर सपन और

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

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कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

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राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

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2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

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नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 23: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 21

बड़ी भाभी सचशतत िो उठ तभी नसष न आकर बतलाया कक सरोज को शडलवरी रम म ल गय ि आप लोग

यिी बठकर इतजार कीशजएगा सपन न दखा कक बड़ी भाभी क चिर पर सचताए झलक रिी री परिान बड़ी

भाभी कभी शडलवरी रम की ओर ताकती तो कभी सपन की ओर सपन न उनकी आखो म तरत सरोज क ददष

को दखा उनि धीरज बधात हए किा lsquolsquoबड़ी भाभी आप नािक परिान िोती ि यि ििर का अचछा नरसाग

िोम ि अचछी दख-रख िोती ि आप तो इस सटल म आराम स बरठएrsquorsquo

सनकर बड़ी-भाभी न उस एक डाट लगायी lsquolsquoचल बड़ा आया ि मझ समझान त कया जान औरत क ददष

को सरोज ककस िाल म िोगी बचारी ददष स तड़प रिी िोगी ऊपर स त मझ आराम स बठन को किता िrsquorsquo

बड़ी भाभी की इस आकलता वयाकलता और आतमीयता को दख सपन मन-िी-मन खि िो रिा रा

सोच रिा रा काि सरोज भी दखती तो अवशय उसकी धारणा बदल जाती वि बड़ी-भाभी क आन स शनसशचत

िो गया रा उठा और बािर चाय-पान की तलाि करन लगा लगभग आधा घट बाद जब लौट कर आया तो

बड़ी-भाभी की डाट उसक कानो म गजन लगी - lsquolsquoकिा चला गया रा कब स राि दख रिी ह कया तझ सरोज

की शबलकल सचता निी ि दख पीड़ा स पीली िो गयी ि कब स आस पर आस बिाए जा रिी िrsquorsquo

बड़ी-भाभी की डाट सनकर पलग की ओर लपका दखा सरोज की आखो स आस शनकलकर तककए को

गीला कर रि र सपन को दखकर उसक चिर म ददष शमशशरत मसकान मचल उठी सरोज न चादर क अदर ढक

नवजात शिि की ओर इिारा ककया दोनो की आखो म खिी क आस तर गए तभी बड़ी भाभी की आवाज

गजी - lsquolsquoअर पगल त कफर लड़क का बाप बन गया ि अर त अब यिी खड़ रिगा कक बाजार स दवाईया भी

लाएगाrsquorsquo - किकर डॉकटर की शचट सपन क िारो म रमा दी

नरसाग िोम स घर और घर स नरसाग िोम बड़ी भाभी न रात कदन एक कर कदया सरोज को उठन

बठन क शलए भी आजञा लनी पड़ती री सरोज क पास बठकर उसक शसर-मार पर िार फरती रात को जब

सरोज सो जाती तो विी पलग क पास फिष पर दरी शबछाकर लट जाती बीच-बीच म उठकर चादर की

शसकड़न को ठीक करती उबल पानी और समय-समय पर दवाईयो को शखलान-शपलान का शविर धयान रखती

घर पर आकर घर का काम-काज और सरोज की मा की दखभाल करना उनिोन सात कदनो तक दोनो मोचो को

बखबी समिाला सरोज की मा का तो कदल जीत शलया रा वि बड़ी भाभी की परिसा करत निी अघाती री

घर आकर बड़ी-भाभी पड़ोस क लड़को स रोज नीम की पशततयो को मगवाती कफर उस पानी म

उबालकर सरोज को निलाती सबि िाम नवजात शिि की तल माशलि करती लोई लगातीघटटी शपलाती

निलाती-धलाती कभी-कभी जब सरोज की मा लगड़ाती-करािती ककशचन म घसन का परयास करती तो

बड़ी भाभी उनका िार पकड़कर शबसतर पर बठा दती दोपिर म जब सभी शवशराम करत तब वि दाल चावल

गह की सफाई-शबनाई का काम करती या कफर घर क ढर सार कपड़ो की धलाई म जट जाती सरोज की तल

माशलस करन आ रिी नवाइन को बखार आ गया - तो बड़ी भाभी सरोज क लाख मना करन क बावजद भी

चार कदनो तक सवय तल माशलस करती रिी

घर म बि का जनम िो और गममत का सवर न गज यि बात बड़ी भाभी को शबलकल नागवार लग रिी

री एक कदन सपन क िारो म समान का शचटठा रमा कदया दसर कदन गड़ मवा घी क लरडड बनन िर िो

गए तीसर कदन मोिलल क सार घरो म बलऊआ शभजवा कदया घर म ढोलक की राप सग जनम कदन क बधाई

गीत गजन लग घर का कोना-कोना िरोललास म डब गया बड़ी भाभी नवजात बि को गोदी म लकर खब

नाची सपन-सरोज क घर की खिी सार मोिलल की खिी बन गई री लरडड बतास बट और बदल म ढर सारी

बधाइया शमली सारा घर खिी स झम उठा

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

16 61 2019 27

7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

16 61 2019 28

कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 24: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 22

इस खिी क अवसर पर घर स बड़ भईया अपन बिो सशित आ गए र चार कदन बाद उनिोन बड़ी

भाभी स किा कक - lsquolsquoअब घर चलो कक यिी रिन का इरादा िrsquorsquo

lsquolsquoआप भी कसी बात करत िो अभी मरी यिा जररत ि और तम चलन को कि रि िो अभी म यिी

रहगी एक माि बाद आऊ गीrsquorsquo बड़ी भाभी की बात बड़ भईया को उशचत लगी और व अपन बिो को लकर घर

चल गय बड़ी भाभी अपन पररवार को जस भल गयी री इस दशनया म िी परी तरि खो गई री नवजात

शिि कब दो माि का िो गया इस िसी खिी भर मािौल म समय का पता िी निी चला सरोज भी परी तरि

सवसर िो गयी री

अचानक एक कदन बड़ भइया का पतर आया कक तमिारी बड़ी भाभी को लन आ रिा ह यिा काम-काज

म बड़ी मशशकल िो रिी ि सकल भी खलन वाल ि पतर पढ़कर बड़ी भाभी को अपन घर की शचनता सतान

लगी पतर क एक सपताि बाद बड़ भईया आ गय इन कदनो म बड़ी भाभी अकसर सरोज को खान-पीन की

बराबर शिदायत दती रिती घर म अनाज को छानबीन और धो कर कनसतरो म भर कदया ताकक सरोज को एक

माि और परिानी न िो

परसरान क शलए बड़ भईया ररकि म बठ गए र

सपन न दखा सरोज और बड़ी भाभी की आखो म शवछोि का ददष आसओ स बि रिा रा इस बिती

अशर धारा म सरोज का अतीत गिराई म डबकर किी दफन िो गया रा बड़ी भाभी की शनसपि सवा को

कतजञता जञाशपत करन सरोज का शसर िीघर िी बड़ी भाभी क चरण रज लन झक गया रा बड़ी भाभी न सरोज

को उठाया सीन स लगा उसक बित आसओ को पोछा

अपन सवभाव क अनकल सरोज को कफर सखत शिदायत दी कक बि की सिी दखभाल करना रोज तल

माशलस करक तरा लोई लगाकर निलाना-धलाना और घटटी शपलाना भलना निी समझी किकर ररकि

म बठ गयी

ररकिा चल पड़ा रा बड़ी भाभी आखो स आस बिाती बार-बार पलट कर शबदाई क शलय अपन िारो

को शिलाती सरोज की आखो स ओझल िोती जा रिी री ककनत विी बड़ी-भाभी अब सरोज क कदल म परी

तरि स रच-बस गयी री

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

16 61 2019 27

7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

16 61 2019 28

कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

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इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

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नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 25: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 23

कक जान कसी परीत लगाई

अरण शतवारी

जर गई बाती

पररा गई असखया

खशिया हई पराई

अबह न लौट सजन बावर

जग म िोत िसाई

कक जान कसी परीत लगाईhellip

िबनम का लट गया खजाना

आती निी रलाई

गाल गलाबी पीत िो गय

बरन िो गई सनकदया

रिी गजल पडी अलसाई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

16 61 2019 27

7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

16 61 2019 28

कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

16 61 2019 34

वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 26: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 24

शबछआ क मन पाप समायो

शखसक चढ़ा सरकाई

अशखया मार तार-चदा

अब मो सो कर िसाई

शमतवा म तो गई सकचाई

कक जान कसी परीत

पोर-पोर म बसी सरशतया

बावरी कफरी पगलाई

बरी िो गय सभी सिार

नगरी-नगरी दवार-दवार

म तो कर दोिाई

कक जान कसी परीतhellip

अग-अग स जोबन उकस

और सिा न जाय

शमशरी घल कर खार िो गई

न ि कोई खवनिार

न लट कफर स लिराई

कक जान कसी परीतhellip

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

16 61 2019 27

7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

16 61 2019 28

कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

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इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

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नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

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पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 27: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 25

राषटरीय एकता की पराण - शिनदी

सिील िमाष

भारत शवशभनन भाराओ और बोशलयो का एक गलदसता ि गशलसतान ि िमार पास िड़पपा मौयष स

मगल और अगरजो की मिान सभयताओ की धरोिर ि यकद िम भारतीय ससकशत को करीब स दख तो िम

गरीक (यनानी) फारसी िरपपन अरबी मगोशलयन परी-वकदक आयषन रशवड़ और नवीनतम मग़ल और अगरजी

सभयताओ की झलक शमल जाएगी भारत न िमिा नई ससकशतयो और रीशत-ररवाजो का सवागत ककया ि

शजसस शवशभनन रगो की शनराली छटाओ क सार खद को समदध ककया जा सक भारत जस बहभज दि म रिन

वाल लोगो क शलए राषटरीय भारा की बात करना एक जरटल मामला ि और यि एक गमभीर समसया ि बड़

राजयो म रिन वाल लोगो की सबस बड़ी सखया म शिनदी भारी ि भारत को आजादी शमलन क बाद स शिनदी

को राषटरीय भारा क रप म सराशपत करन क परयास जारी ि

1947 म अगरजो स आजादी िाशसल करन क बाद नए भारतीय राषटर क नताओ न एक आम

सावषभौशमक भारा क सार भारत क कई कषतरो को एकजट करन का अवसर पिचाना मिातमा गाधी न मिसस

ककया कक भारत क उभरन क शलए यि आवशयक कदम िोगा

आजादी क बाद भारत एक सावषभौशमक समपनन राषटर बन गया और इसका उददशय यि रा कक अगरजी

को धीर-धीर परिासन की भारा क रप म चरणबदध ढग स शवलोशपत ककया जाय और उसकी जगि शिनदी जो

कक सबस वयापक बोली जान वाली भारा री सपषट पसद परतीत िो रिी री को राषटरभारा क रप म परशतशषठत

ककया जाय लककन 1963 म तशमलनाड राजय म राषटरीय भारा क रप म शिनदी लाय जान क शखलाफ सिसक

शवरोधो क बाद य राय बदल गयी सशवधान क अनचछद 343 क तित 1950 म भारतीय सशवधान और

आशधकाररक भारा अशधशनयम न दवनागरी शलशप म शिनदी को सघ की आशधकाररक भारा घोशरत कर कदया

आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी का उपयोग सशवधान लाग िोन क 15 साल बाद समापत िोना रा याशन

26 जनवरी 1965 को इस पररवतषन की समभावना गर शिनदी भारी कषतरो म बहत अशधक सचता का शवरय

बन गया शविर रप स दशकषण भारत क राजयो म 1965 तक शिनदी को क रीय भारा बनान का गर-शिनदी

भारी राजयो शविर रप स दशकषण भारत म रशवड़ भारा राजयो दवारा कड़ा परशतरोध ककया गया यि तकष कदया

गया कक बगाली तशमल तलग मराठी इतयाकद जसी कई कषतरीय भाराओ की तलना म शिनदी म साशिशतयक

परमपरा कम शवकशसत हई री चीजो को और जरटल बनान क शलए शिनदी ससकत आधाररत िबदावली को

करठन शनरशपत ककया गया नतीजतन ससद न आशधकाररक भारा अशधशनयम 1963 को अशधशनयशमत

ककया शजसम 1965 क बाद भी शिनदी क सार आशधकाररक उददशयो क शलए अगरजी क शनरतर उपयोग क

अशधकार परदान ककय गए

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

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7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

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कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

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सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 28: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 26

2001 की जनगणना क आकड़ो क मताशबक 2001 म शिनदी भाशरयो की सखया 41 री इनम वो

िाशमल निी ि शजनकी मल भारा शिनदी निी ि लककन पजाब गजरात बगाल आकद जस राजयो की दसरी

भारा क रप म शिनदी का उपयोग करत ि

शिनदी राषटरीय एकता क शलए आवशयक कयो अगर इस परशन क उततर का शवशलरण कर तो शनमन

शनषकरष सामन आत ि -

1 वासतव म शिनदी की यि परकशत िी दि की एकता की पररचायक ि और इस परकशत न िी उस इतना वयापक

रप कदया ि वि कवल शिनदओ या कछ मटठी-भर लोगो की भारा निी ि वि तो दि क कोरट-कोरट कठो की

पकार और उनका हदयिार ि शिनदी क सतर क सिार कोई भी वयशकत दि क एक कोन स चलकर दसर कोन

तक जा सकता ि और अपना काम चला सकता ि दि म फली हई अनक भाराओ और ससकशतयो क बीच यकद

भारतीय जीवन की उदाततता एव एकातमकता ककसी एक भारा म कदखाई दती ि तो वि शिनदी म िी ि चाि

सब लोग शिनदी न जानत िो लककन कफर भी इसक दवारा व अपना काम चला लत ि और उनि इसम कोई

करठनाई निी िोती

2 शिनदी अपन उदभव काल स िी शवशभनन परदिो की समपकष भारा क रप म परयकत िोन लगी री मग़ल िासन

क कदनो म फारसी बिक राजभारा बनी रिी ककत िासको क मिलो म शिनदी िी बोलचाल की भारा री डॉ

रामशवलास िमाष क अनसार अकबर क मिल म बोलचाल की भारा शिनदी री

अमीर खसरो तकष र लककन शलखत र फारसी और शिनदी म उनि शिनदी स बिद परम रा उनिोन

शलखा -

च मन तशतए शिनदम अर रासत परसी ज मन शिनदवी पसष ता नगज़ गोयम

ldquoम शिनदसतान की तती ह अगर तम कछ पछना चाित िो तो शिनदी म पछो म तमि म तमि अनपम बात बता

सक गाrdquo

3 कबीर का मिावाकय ि भाखा बिता नीर और तलसीदास का शवनमर शनवदन ि - भारा भनशत मोर मशत

रारी यि शिनदी भारा की मितता को सव-परशतपाकदत करता ि

4 कसौटी पर परख कर दखा जाए शिनदी तीसरी दशनया क शसदधानत म शवशवास निी करती और मानती ि कक

साशितयकारो की दशनया सदव और सवषतर एक िी िोती ि साशितय म सबक शित और सबक सियोग का अरष

शनशित ि

5 शिनदी अपन जनम स परकशत स अपनी आतररक िशकत क सिार भारत की सावषदशिक भारा क रप म और

सामाशसक ससकशत की वाशिका बनकर शवकशसत और समदध हई ि इसका यि इशतिास लगभग एक िजार वरष

लमबा इशतिास ि

6 शवदवानो की मानयता ि कक भारतीय जनमानस और जनससकशत को सामाशसक रप म शवकशसत करन म

शिनदी का जो योगदान रिा ि वि शनशशचत िी अशदवतीय ि शिनदी अशखल भारतीय ससकशत साशितय दिषन धमष

आकद सब कछ की अशभवयशकत की माधयम िी निी बनी वरन वि भारतीयता की परतीक िी बन गई ि

16 61 2019 27

7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

16 61 2019 28

कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

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ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 29: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 27

7 राजसरान म सपगल क रप म मधय परदि म गवालरी क रप म पजाब म बरज-पजाबी-शमशशरत परटयालवी क

रप म बगाल और असम और उतकल म बरजबशल क रप म यिी भारा फली राजसरान की मीरा मिाराषटर क

नामदव गजरात क नरसी मिता की विी भारा ि जो बरजभशम क सर की ि गजरात और सौराषटर स तो

बललभाचायष और शवटठलनार क कारण बरजभारा का घशनषठ समबध रिा िी अषटछाप क चौर कशव कषणदास

गजराती िी र मिाराषटर क सत जञानशवर नामदव एकनार जस सतो की वाणी बरजभारा म परकट हई ि कछ

मराठी पवाड़ और यदध गीत भी बरज म शलख शमलत ि कदलचसप बात ि कक नामदव शनगषण वाणी क शलए खड़ी

बोली का और सगण पदो क शलए बरजभारा का वयविार करत ि छतरपशत शिवाजी उनक शपता िाि जी पतर

सभा जी पौतर साह जी सबक सब बरजकावय क परमी और सरकषक र

8 शिनदी की सवीकायषता का पता इसस िी चलता ि कक इस दसर परदिो क शनवासी नताओ और शवचारको न

अपन शवचारो क परकट करन का माधयम बनाया रा आज दशकषण क चारो राजयो म शिनदी का जो सफल लखन

पठन और अधयापन िो रिा ि उसम भी राषटरशपता मिातमा गाधी दवारा सराशपत lsquoदशकषण भारत शिनदी परचार

सभाrsquo और lsquoराषटरभारा परचार सशमशत वधाषrsquo जसी अनक ससराओ का अतयशधक योगदान ि इसी परकार उड़ीसा

असम तरा मघालय म भी शिनदी का वयापक परचार तरा परसार पररलशकषत िोता ि

9 शिनदी की शलशप िदध वजञाशनक ि एव इसम किी कोई दराव दोिरी मानशसकता दखन को निी शमलती

10 शवशव वयवसाय का सबस बड़ा बाजार शिनदी भारी कषतर ि इस कारण इसक सावषभौम भारा बनन की शनकट

भशवषय म परी समभावनाए ि

यकद िम तकष पर जात ि तो शिनदी को सबस अशधक इसतमाल की जान वाली भारा िोन क नात

राषटरीय भारा की शसरशत दी जानी चाशिए जब शिनदी को आशधकाररक भारा क रप म पिल िी सवीकार कर

शलया गया ि तो इस राषटरीय भारा घोशरत करन म भी कोई समसया निी िोनी चाशिए

िमारी आजादी क सात दिको क बाद भी दि म अपनी उशचत जगि खोजन क शलए सघरष करत हए

दवनाशगरी शलशप म शिनदी उपकषा की शसरशत म ि शिनदी भारत की एक मातर भारा ि जो कम स कम

513 लोगो दवारा बोली जाती ि इसम शिनदी और उदष क बोलन वाल िाशमल ि िर साल शसतमबर म कछ

सरकारी कायाषलयो और कछ सावषजशनक कषतर क उपकरमो की िाखाओ दवारा शिनदी सपताि मनाए जान की

परमपरा को छोड़कर सभी राजयो म शिनदी दवारा बड़ पमान पर इस बढ़ावा दन की परककरयो को अनदखा ककया

जाता ि न कवल उन लोगो दवारा परसार और अनकलन बड़ पमान पर ककया जाना चाशिए जो अशधकत रप स

इसस जड़ ि बशलक सामाशजक सासकशतक और साशिशतयक सगठनो को भी अपनी भशमकाए पिचाननी चाशिए

शिनदी परी दशनया की चौरी सबस जयादा बोली जान वाली भारा ि और यकद िम इस राषटरीय भारा

बनात ि तो यि परी दशनया की उितम बोली जान वाली भारा बन जाएगी इस परकार वशशवक सतर पर िम

बड़ पमान पर लाभ शमलगा कयोकक बड़ी सखया म उपयोगकताषओ क िोन क कारण अनय दिो क लोग भी इस

अपनान को मजबर िोग वयापार शिकषा इतयाकद म भारत क सार जड़न क शलए शिनदी सीखन की कोशिि

करग

16 61 2019 28

कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

16 61 2019 34

वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 30: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 28

कफ़लिाल शवजञान और परौदयोशगकी को छोड़कर जब तक पढ़ान योगय सामगरी उपलबध निी िो जाती

इशतिास सामाशजक शवजञान सगीत कला वाशणजय इतयाकद जस अनय सभी कषतरो को अगरजी भारा म पढ़ान

की आवशयकता निी ि यि अशनवायष ककया जाना चाशिए कक राषटरीय भारा म शवजञान और परौदयोशगकी को

छोड़कर सभी शवरयो को पढ़ाया जा सक कयोकक इसस न कवल अगरजी शिकषको की गमभीर कमी स बचा जा

सकता ि बशलक शवशभनन कषतरो क लोगो को अपन जञान को सरानातररत करना आसान िोगा

शनससदि अगरजी एक वशशवक भारा ि और िम इसक शबना निी कर सकत ि लककन िम अपनी शिनदी

को भी असवीकार निी कर सकत ि कफर िम अपनी शिनदी भारा म बोलन म गवष मिसस कयो निी करना

चाशिए शजस तरि जमषन एक जमषन भारा म बोल रिा ि चाि वि घर िो या बािर रच या रसी या चीनी

या जापानी सभी अपनी भारा पर गवष करत ि तो िम शिनदी पर गवष कयो न कर शिनदी का उपयोग करक

भारत की एकता और परगशत को बनाए रखन क शलए यि उि समय ि शिनदी न खद को दशनया की अनय

भाराओ क बीच एक परमख भारा क रप म सराशपत ककया ि शवदिो क लोग न कवल भारत क बार म जानन

क शलए शिनदी सीखत ि बशलक वयापार मामलो पयषटन तीरषयातरा उददशयो आकद जस कई अनय उददशयो क

शलए भी सीखत ि सभी क सियोग क माधयम स िम शिनदी कायाषनवयन क अपन लकषय तक पहच सकत ि

िालाकक 1 कदसबर 2011 को सवोि नयायालय का फसला ऐशतिाशसक मितव का ि शजसम शमशरलि

कमार ससि व भारत सघ और अनय क सनदभष यि सनाया गया माननीय अदालत न याशचकाकताष शमशरलि को

अपन शनयोकताओ दवारा दी गई सजा को रदद कर कदया कयोकक उनिोन उनि शिनदी म चाजषिीट और अनय

परासशगक कागजात उपलबध करान स इनकार कर कदया रा यि आशधकाररक मामलो म शिनदी को अपनान क

शलए आशधकाररक और िीरष नौकरिािी को सपषट सकत र

दि क शवशभनन शिससो म बोली जान वाली मातभाराओ को सकलो म सममाशनत परचाररत और पढ़ाया

जाना चाशिए उनक साशितय को समदध और सरशकषत ककया जाना चाशिए लककन कोई भी कषतरीय भारा राषटरीय

भारा का सरान निी ल सकती ि राषटरीय भारा या राज भारा का सरान शसफष शिनदी िी ल सकती ि और

इस ित अननय परयासो की आवशयकता ि इस समबध म पाककसतान की शसरशत िमार मकाबल बितर ि कक उदष

उस दि की राषटरीय भारा ि िालाकक सकड़ो शवशभनन भाराओ कषतरीय जनजातीय आकद अपन लोगो दवारा बोली

जाती ि िम अपनी राषटरीय भारा पर गवष करना चाशिए शिनदी स पयार करना इस बढ़ावा दना और शिनदी म

समवाद करना चाशिए और शनशशचत रप स एक हदय िो भारत जननी का पणय भाव शिनदी क परशत रखना

चाशिए शिनदी को हदय म धारण कर िम राषटरीय एकीकरण को और मजबत कर सकत ि

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

16 61 2019 34

वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 31: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 29

ldquo

निशचलता

मोहिजीत ककरजा

मािको का पति

िनतकता का सखलि

परबल एक उदासीिता

मािवता की नवरलता

सताप की बहतायत

अिभनतयो का अनतरक

लपत होता परम भाव

सौहारष का अभाव

सवारथ की वयापकता

हर ओर असतवयसतता

नवषयवसत तो उपलबध ह

मरी लखिी निसतबध हhellip

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 32: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 30

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमाराhellip (६ फरवरी जनम-दिवस पर ववशष ndash समपािक)

अशनता िमाष

दि परम और दि-भशकत स ओत-परोत भावनाओ को सनदर िबदो म शपरोकर जन-जन तक पहचान वाल

कशव परदीप का जनम 6 फरवरी 1915 को उजजन क बडनगर नामक कसब म हआ रा शपता का नाम नारायण

भटट रा परदीप जी उदीचय बराहमण र परदीप जी की िरआती शिकषा इदौर क शिवाजी राव िाईसकल म हई

जिा व सातवी ककषा तक पढ इसक बाद की शिकषा इलािाबाद क दारागज िाईसकल म समपनन हई

इणटरशमडीयट की परीकषा परी की दारागज उन कदनो साशितय का गढ़ हआ करता रा वरष 1933 स 1935

तक का इलािाबाद का काल परदीप जी क शलए साशिशतयक दषटीकोण स बहत अचछा रिा लखनऊ

शवशवशवदयालय स सनातक की शडगरी िाशसल की परदीप जी का शववाि भरा बन क सार हआ रा परदीप का

वासतशवक नाम रामचनर नारायण कदवदी रा ककनत एक बार शिमाि राय न किा कक य रलगाड़ी जसा लमबा

नाम ठीक निी ि तभी स उनिोन अपना नाम परदीप रख शलया

परदीप नाम क कारण उनक जीवन का एक रोचक परसग ि उन कदनो बमबई म कलाकार परदीप कमार

भी परशसदध िो रि र तो अकसर गलती स डाककया कशव परदीप की शचठठी उनक पत पर डाल दता रा डाककया

सिी पत पर पतर द इस वजि स उनिोन परदीप क पिल कशव िबद जोड़ कदया और यिी स कशव परदीप क नाम स

परखयात हए

शजस समय कशव परदीप की परशतभा उततरोततर मखर िो रिी री तब उनि ततकालीन कशव समराट प

गया परसाद िकल का आिीवाषद परापत हआ परदीप जी भी उनक सनिी-मडल क अशभनन अग बन गय परदीप जी

का जीवन बहरगी सघषरभरा रोचक तरा पररणा दायक रिा माता-शपता उनि शिकषक बनाना चाित र ककनत

तकदीर म तो कछ और िी शलखा रा बमबई की एक छोटी सी कशव गोषठी न उनि शसनजगत का गीतकार बना

कदया उनकी पिली कफलम री कगन जो शिट रिी उनक दवारा बधन कफलम म रशचत गीत lsquoचल चल र

नौजवानrsquo राषटरीय गीत बन गया ससध और पजाब की शवधान सभा न इस गीत को राषटरीय गीत की मानयता दी

और य गीत शवधान सभा म गाया जान लगा बलराज सािनी उस समय लदन म र उनिोन इस गीत को लदन

बीबीसी स परसाररत कर कदया अिमदाबाद म मिादव भाई न इसकी तलना उपशनरद क मतर lsquoचरवशत-

चरवशतrsquo स की जब भी य गीत शसनमा घर म बजता लोग वनस मोर-वनस मोर कित र और य गीत कफर स

कदखाना पड़ता रा उनका कफलमी जीवन बामब टॉककज स िर हआ रा शजसक ससरापक शिमाि राय र यिी

स परदीप जी को बहत यि शमला

कशव परदीप गाधी शवचारधारा क कशव र परदीप जी न जीवन मलयो की कीमत पर धन-दौलत को कभी

मितव निी कदया कठोर सघरो क बावजद उनक शनवास सरान lsquoपचामतrsquo पर सोन क कगर भल िी न शमल

परनत वशशवक खयाशत का कलि जरर कदखगा परदीप जी क शलख गीत भारत म िी निी वरन अरीका यरोप

और अमररका म भी सन जात ि प परदीप जी न कमरिषयल लाइन म रित हए कभी भी अपन गीतो स कोई

समझौता निी ककया उनिोन कभी भी कोई अशलील या िलक गीत न गाय और न शलख परदीप जी को अनको

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

16 61 2019 34

वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 33: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 31

सममान स सममाशनत ककया गया ि 1961 म सगीत नाटक अकादमी दवारा उनि मितवपणष गीतकार घोशरत

ककया गया य परसकार उनि डॉ राजनर परसाद दवारा परदान ककया गया रा ककसी गीतकार को राषटरपशत दवारा

इस तरि स सममान शसफष परदीप जी को िी शमला ि 1998 म व दादा सािब परसकार स सममाशनत ककय गय

मजरि सलतानपरी क बाद य दसर गीतकार ि शजनि य परसकार शमला ि

परदीप जी सवततरता क आनदोलन म बढ़-चढ़ कर शिससा लत र एकबार सवततरता क आनदोलन म

उनका पर रकचर िो गया रा और कई कदनो तक असपताल म रिना पड़ा परदीप जी अगरजो क अनाचार-

अतयाचार स दखी र उनका मानना रा कक यकद आपस म िम लोगो म ईषयाष-दवर न िोता तो िम गलाम न

िोत परम दिभकत आजाद की ििादत पर कशव परदीप का मन करणा स भर गया रा और उनिोन अपन

अतषमन स एक गीत रच डाला वो गीत ि-

वि इस घर का एक कदया रा

शवशध न अनल सफसलगो स उसक जीवन का वसन शसया रा

शजसन अनल लखनी स अपनी गीता का शलखा परककरन

शजसन जीवन भर जवालाओ क पर पर िी ककया पयषटन

शजस साध री दशलतो की झोपशियो को आबाद कर म

आज विी पररचय-शविीन सा पणष कर गया अननत क िरण

1962 म चीन स यदध क पशचात परा दि आित रा इसी पररपकषय म परदीप जी न एक गीत शलखा रा शजसन

उनको अमर बना कदया

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगाओ नारा

यि िभ कदन ि िम सबका लिरा दो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाय

उनिोन आयष समाज क ससरापक दयानद सरसवती क सममान म भी अमर किानी शलखी शजसका

ऑशडयो ऋशर गारा क नाम स जारी ककया गया ि सादा जीवन उि शवचार क धनी परदीप जी की मतय क सर

क कारण 11 कदसमबर 1998 को हई री

परदीप जी न दिवाशसयो को सवततरता परापत करन क शलए आहवान ककया उनिोन कफलमी गीत जरर

शलख लककन उसम दिपरम की अजसरधारा को परवाशित करन म कामयाब रि साशितय समीकषा क मान दणडो क

आधार पर कशव परदीप एक उि कोरट क साशितयकार ि परदीप जी राषटरीय चतना क परशतशनशध कशवयो की

अशगरम पशकत म अपना सरान रखत ि भारा की दशषट स कशव परदीप का सरान अनय गीतकारो स शरषठ ि समाज

की शबगड़ती दिा को दखकर उनकी अतरआतमा ईशवर स किती ि कक

दख तर ससार की िालत कया िो गई भगवान ककतना बदल गया इसान

अराषत म आज चह ओर यिी िालात ि समाशजकता की भावना स ओतपरोत िोकर शवशवबधतव की

भावना म उनिोन शलखा रा कक

इनसान स इनसान का िो भाई चारा यिी पगाम िमारा

ससार म गज समता का इकतारा यिी ि पगाम िमारा

कशव परदीप जी क पगाम स चारो कदिाओ म अमन और भाई-चार का वातावरण शनरमषत िो इसी

िभकामना स कशव परदीप जी को उनक जनम-कदवस पर नमन करत ि

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

16 61 2019 33

शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

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पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

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ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 34: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 32

नक कमष

डॉ िशि ऋशर

गज़रग इस सफर स कवल एक बार

कर ल नक कमष न अयगा सवअवसर बार-बार

पणय करत ि वो दत ि जो गरीबो को दान

समसत पररवार की उननशत पर दत ि जो धयान

करो कमष ऐस शजसस समाज का िो सधार

सममाशनत िो आप शमल अनमोल उपिार

अमर ि वो जो ि वीरता का अवतार

दि पर करत ि जो जीवन नयोछार

जनम-जनमातर तक िोती चचाष शजनकी वीरता अपार

छपत ि शजनक नाम दि क शवशभनन समाचार

शवजञान या साशितय म दो अनोखा योगदान

शजसस िो शवशव को आप पर अशभमान

मानव-शित क शलए करो ऐस अशवषकार

कीरतष िो आपकी और धनी िो ससार

िोता ि मन पलककत सनकर उनकी पकार

करत ि जो डटकर सामना चाि सकट िो अपार

सवय परदरिषत कर बिो को द उततम ससकार

नारी स कर उशचत वयविार द उनि आदर-सतकार

आज निी तो कल छोड़ना िोगा ससार

अनमोल ि जीवन जागो मर यार

जनम भशम को और खबसरत बना क जाय

यि फ़जष ि िमारा िम ि इसक शजममदार

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

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पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

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ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 35: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

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शिनदी अ स ि तक

और शिनदी म समाशित अधयातम कदवयता दिषन योग जञान और शवजञान

डॉ मदल कीरतष

अधयाशतमक और कदवय पकष ndash ससकत दव भारा ि शिनदी ससकत स िी शनःसत कदवय भारा ि दव

वाणी ि

lsquoअकषरानामकारोशसमrsquo गीता १०३३ वणषमाला म सवष पररम lsquoअकारrsquo आता ि सवर और वयजन क योग

स वणष माला बनती ि इन दोनो म िी lsquoअकारrsquo मखय ि lsquoअकारrsquo क शबना अकषरो का उिारण निी िोता

lsquoअकषरो म अकार म िी हrsquo वासदव का यि उदघोर कदवयता को सवय िी उदघोशरत और परशतषठाशपत करता ि शबना

अकार क कोई अकषर िोता िी निी ि गीता म सवय शरी कषण न lsquoअकारrsquo को अपनी शवभशत बताया ि अकषरो म

lsquoअकारrsquo म िी ह अकार वणष की धवशन सचतन िशकत ि जो वणो म पराण परशतषठा करती ि और उस िशकत

अशधषठाता सवय बरहम ि अतः lsquoअकारrsquo बरहम की शवभशत ि कदवय लकषणो स यकत िोन क कारण िी इस lsquoदव

नागरीrsquo कित ि

lsquoअकारो वासदवसयrsquo

lsquoअकारrsquo नाद ततव का सवािक ि lsquoअकारrsquo क शबना िबद सशषट आग निी चलती और धवशन तरगो स

अकार धवशनत िोता ि

भागवत ndash भागवत म शलखा ि कक lsquoसवष िशकतमान बरहमा जी न lsquoॐ कारrsquo स िी अनतःसर (य र ल व )

ऊषम (ि र स ि ) सवर (अ स औ तक) सपिष (क स म ) तरा (हरसव और दीघष) आकद लकषणो स यकत अकषर

सामराजय अराषत वणष-माला की रचना की वणष माला क दो भाग ि ndash सवर तरा वयजन

ऋगवद क अनसार ndash सवयात िबदयत अशत सवराः

सवर वि मल धवशन ि शजस शवभाशजत निी ककया जा सकता अनय वणष की सिायता क शबना बोल जा

सकन वाल वणष सवर ि वयजन शबना सवर की सिायता क निी बोल जा सकत ि वयजन म lsquoअकारrsquo शमलता ि

तब िी आकार शमलता ि lsquoअकषरrsquo म पराण परशतषठा नाद स िोती ि और नाद बरहम ि अकषरो म अकार सवय

वासदव ि तब इसका नाि करन वाला भला कौन ि शिनदी म lsquoअrsquo का अरष निी और lsquoकषरrsquo का अरष नाि ि

अकषर अराषत वि ततव शजसका नाि निी िोता अकषर अपन म िी पणष िाशवत इकाई ि अकषरो का कषरण निी

िोन क कारण िी अकषर को सशषट कताष माना गया ि अकषर को वणष भी किा जाता ि सवर और वयजन क शमलन

स िी िबद सशषट का शनमाषण िोता ि

lsquoअकारो वासदवसय उकारसत शपतामिःrsquo

वणष ndash वndashरndashण

व - पणष र - परवाि ण - धवशन = अराषत वणष वि ततव ि शजसम पणषता ि धवशन ि और धवशन का परवाि ि

वणष शवचार ndash orthography

िबद शवचार ndash etymology

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वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

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ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

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मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

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पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

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अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

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ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 36: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 34

वाकय शवचार ndash syntax

दािषशनक पकष पञच ततवो म आकाि सवाषशधक शवराट शवसतत और बित ि वयोम की तनमातरा lsquoनादrsquo ि

और lsquoनाद बरहम िrsquo सार िी वणष धवशन जगत का शवरय ि और धवशन पर िी आधाररत ि यिी नाद अरवा धवशन

िबद सशषट का आकद कारण ि नाद बरहम क साधक आचायष पाटल ि पञच ततवो की तनमातराओ म आकाि का

नाद ततव सबस अशधक सकषम और अनभव गमयता की पररशध म आता ि यि सकषम रप म सकल आकाि म

वयापत नाद उजाष ि नाद ऊजाष की िशकत स िी बादलो की गड़गड़ािट और शबजली की चमक की धवशन िम तक

आती ि कयोकक धवशन तरगो म िी परकाि उजाष का भी वास ि बरहमाणड और तरगो स सचाशलत यि अनठा

जगत ि इसम तरग वाद ि नाद कणष इशनरय का शवरय ि ककनत शजसका परभाव पर िी मन दि और चतना

पर िोता ि वचन का परभाव जनमो-जनमो तक पीछा करता ि तभी किा ि कक वाणी की पशवतरता का नाम

सतय ि अकषरो की दािषशनकता को रोड़ा और गिराई स दखत ि अब िम इनक उिारण म यौशगक पकष भी

शमलता ि

यौशगक पकष ndash पराण वाय क सतलन और परशवास-शनःशवास क शनयमन को योग कित ि शिनदी का इसस

कया समबनध ि आइए दखत ि

नाशभ स लकर कठ तक वाणी क मल क र ि नाशभ स िी बालक को गभष म पोरण शमलता ि मरदड क

अषट चकरो की सरचना म नाशभ क कषतर को मशणपर कषतर किा गया ि इस सबद पर अनको िशकत रपी मशणयो क

क र ि कणडशलनी आकद उनिी म एक वाणी ततर ि लगता ि कक वाणी कठ स शनकल रिी ि ककनत मल नाशभ

म ि आईय इस सवय करक िी पषट करत ि -

आप lsquoअrsquo बोशलए ndash अब अनभव कररए कक आपकी नाशभ अवशय शिलती ि यिी lsquoअकारrsquo का उदभव क र ि जसा

कक पिल किा ि कक शबना lsquoअकारrsquo क वणष आकार निी ल सकत आपक बोलन की चाि करत िी नाशभ क र

उतशजत िोता ि और यिी पराण वाय क सिार स करमिः कठ और िोठो तक ऊपर जात हए सवरो का सवरप िी

भारा और वाताषलाप बनता ि

एक और मितवपणष अनभव कररए ndash अ स अः तक बोशलए तो नाशभ स उतशजत वाणी ततर करमिः कठ

तक जाता ि

जो सबस पिल नाशभ पर दबाब पड़ता ि वि lsquoकपाल भातीrsquo का िी रप ि अ भरामरी का रप ि अः

शवास को बािर शनकालन का रप ि शिनदी और ससकत बोलन म पराण वाय का सामानय स किी अशधक परशवास

और शनःशवास िोता ि यि पराणायाम का सवरप ि मशसतषक को नासाशछर क शवसन परककरया परभाशवत करत ि

जब चनर सबद का उिारण िोता ि तो इसकी झकार की तरग मशसतषक क सनाय ततर तक जाती ि शवसगष का

उिारण नाशभ कषतर स िी ि शबना नाशभ का कषतर शिल सवः निी बोला जा सकता ि

शिनदी क वणो का समायोजन अदधभत ि वगो म शवभाशजत वगीकरण ककतना वजञाशनक ि यि दखन योगय ि

कठ - क वगष क ख ग घ इस वगष का उिारण कठ मल स ि

ताल - च वगष च छ ज झ इस वगष का उिारण ताल स ि

मधाष - ट वगष ट ठ ड ढ ण इस वगष का उिारण मधाष (जीभ क अगर भाग ) स ि

दनत - त वगष त र द ध न इस वगष का उिारण दोनो दातो को शमलान स िोता ि

िोठ - प वगष प फ ब भ म इस वगष का उिारण दोनो िोठो को शमलान स िी िोता ि

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िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

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अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

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शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

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जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

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शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 37: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 35

िमार िरीर म दो परकार की पराण और अपान नाम की वाय (वातः ) चल रिी ि इन सबका सयमन

और शनयमन का समीकरण इस पदधशत म ि यि शिनदी क lsquoयौशगक पकषrsquo की पशषट ि शिनदी भारा क

मनोवजञाशनक शनदोर और वयाकरण क िाशवत आधारो की पशषट ि परातन भाराशवद क मनीशरयो की अदधभत

जञान की जञान परवणता को नमन ि

जञान पकष ndash जस बीज म चतनय समाशित वस शिनदी क परतयक िबद म उसक भाव क गिर अरष समाशित

ि जिा तक नाद ि विा तक जगत ि शिनदी क िबदो क मल उदगम सरोत म जाओ चककत कर दन वाल तथय

शमलग सार जीवन शजन िबदो का परयोग तो ककया पर वि ककन पदारो स बन और कया भावारष ि इनस

अनजान रि शनशित अरो को जान कर अशधक आनद पा सकत ि

शिनदी का परतयक िबद गढ़ अरष-गभाष ि बीज की तरि ि शजसम कशरत आिय क बीज समाशित ि

सारषक िबदो और समाशित भावो क अगशणत िबद ि कछ को दशखय -

परकशत - कशत अराषत रचना पर ndash कशत स पररम भी कोई ि अराषत परभ

भगवान - भ ndash भशम ग ndash गगन व ndash वाय अ ndash अशि न ndash नीर = भगवान = अराषत जो पञच ततवो का

अशधषठाता ि उस भगवान कित ि

शवषण - शव ndash शविदध षण ndash अण = शवषण अराषत शजसका अण-अण शविदध ि

खग - ख ndash आकाि ग ndash गमन = अराषत जो आकाि म गमन करता ि

पादप - पाद ndash पग अपः ndash जल = जो पग स जल पीता ि अराषत पादप उदािरण क शलए वकष

अगरज - अगर ndash पिल ज ndash जनम = पिल शजसका जनम हआ िो अराषत बड़ा भाई

अनज - अन ndash अनसरण ज ndash जनम = अराषत छोटा भाई

वाररज - वारर - जल ज ndash जनम = जल म जो जनमा िो अराषत कमल नीरज जलज अमबज भी इनिी अरो क

अनमोदन ि

वाररद - वारर ndash जल द ndash ददात अराषत दन वाला = जो जल दता ि अराषत बादल जलद नीरद अमबद भी

यिी अरष दत ि

जगत - ज ndash जनमत ग ndash गमयत इशत जगसतः ndash अराषत वि सरान जिा जनम िोता ि और जिा स गमन िोता

ि = वि जगत किलाता ि

अरष गभाष िबदो क शवसतार म जाओ तो सवय म िी एक गरनर बन जाए इस लख म इनका शवसतार

कदाशप समभव निी मातर कछ िबद पशषट क शलए ि कक शिनदी ककतनी रतन गभाष ि ककतनी गढ़ गभाष ि सभी

जञान िबदो म िी तो समाशित ि परतयक अकषर का एक अशधशषठत दवता भी ि अतः कोई अकला अकषर भी परा

दिषन और अरष का पयाषय ि जस -

अ का अरष ना ि ndash अजर अमर अपणष अराषत जो जजषर न िो मर निी परा न िो आकद

पाच बाल सनकाकदक मशनयो न बरहमा स जब जञान शलया तो बरहमा जी न तीन बार कवल lsquoदrsquo lsquoदrsquo lsquoदrsquo

िी किा जो दान दया और दमन का सनदि ि

वजञाशनक पकष वणष माला का यि वजञाशनक पकष तो मिा अदधभत ि सच कि तो शवसमयकारी ि

अ स ि का सतलन शजसम एक बार अकार ि तो एक बार वणष का अशतम अकषर िकार आता ि

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 38: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 36

अकार और िकार का सतलन और सयोजन ndash अकार म कोमल और िकार म कठोर का शनरपण ि एक

बार कोमल और एक बार कठोर ि परतयक वगष म पिला वणष वाद दसरा परशतवाद तीसरा सवाद और चौरा

अगशत वाद ि

क ख ग घ - ka kha ga gha

च छ ज झ - cha chha ja jha

ट ठ ड ढ - ta thha da dhha

त र द ध - ta tha da dha

प फ ब भ - pa pha ba bha

lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक ndash lsquoअrsquo स lsquoिrsquo तक क सतर को यकद शमलाओ तो अि बनता ि वसततः सशषट सरचना का

मल भी अि िी ि यिा अि का अरष साशतवक ि जो अशसततव म आन का दयोतक ि अराषत ककसी ततव का

अशसततव म आना इसी अरष म सशषट सरचना हई तो यिी साशतवक अरष का शनरपण शिनदी क अशसततव की

सरचना का शनरपण करती ि वि सशषट सरचना ि तो यि िबद सशषट सरचना ि

शिनदी अ स ि तक ndash अराषत अशसततव म आना

अ और ि क ऊपर सबद लगत िी अि िोता ि यि सबद शवसतत अरो म िनय िोन का दयोतक ि

सकशचत अरो म अशभमान का दयोतक ि अि अशसततव क अरष म कभी जाता निी ि इस ककसी उितर म लय

करना िोता ि इसका पणष शवलय कभी निी िोता

एक स एक बढ़कर परकाड भाराशवद पाशणनी जस वयाकरण क परणता न अदधभत जञान भारतीय ससकशत

को कदया शजसका एक अि भी िम ठीक स समझ भी निी पात ि िम भारा शवजञान जञान की अकत समपदा

सजोय हए ि शिनदी का मलयाकन सच पछो तो ककसी म कर पान की कषमता भी निी राजनशतक दाव पच

वोट की करटल नीशत की बहत बड़ी कीमत िमारी ससकशत और भारा को चकानी पड़ रिी ि अभी भी दर निी

हई ि कयोकक जागरक िोत िी िशकत सचररत िोन लगती ि अब तो कपयटर की तकनीक स सब कछ सरल

और सिज िो गया ि कपयटर की तकनीक म ससकत को सवाषशधक अनकल माना गया ि परवासी जो भी शिनदी

परमी ि कभी एक-एक रचना को लालाशयत रित र आज एक शकलक स सभी मिागरर सलभ ि अतः शिनदी का

शवकास रशच और सजगता अब परगशत पर िी ि शिनदी स िी तो lsquoमौशलकrsquo भारत का पररचय और अशसततव

मखररत ि िम गवष ि कक शिनदी जसी कदवय भारा िमारी भारा ि

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 39: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 37

शवशवास ि परारषनाhellip

अजय जन शवकलप

जब िम शवशवास रखत ि

तभी सिी िोती ि परारषना

कयोकक शसफष यकीन का दजा नाम ि परारषना

जस पख शबन उड़ता निी पटरदा

वस िी

मन शवशवास शबन किा सजदा

आस िोती ि जीन की वजि

जो आती ि शवशवास स

और भरोसा शमलता ि

सरज स ककरणो स

जब शनराि िोता ि इसान

नीरस िोती ि सजदगीhellip

तब परारषना िी दती ि

मन को ताजगी सकन

इसी स शमलती ि नयी रोिनी

नयी राि और नयी मशज़लhellip

परारषना िशकत ि सयोग ि

आिीर ि मा का समपषण ि परारषनाhellip

और जब सास मानग िम इस

तो शनशशचत िी

ईशवर स शमलगी जीन की िशकत

कयोकक

परारषना की आतमा ि शवशवास

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 40: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 38

जातयातरण

धमनर कमार

कटघर म खड़ वयशकत स वकील न पछा ldquoतमिारा नाम कया ि rdquo

ldquoमर मलशज़म िोन स नाम का कया काम rdquo

जज सािब न किा ldquoवकत जाया न करत हए जलदी स अपना नाम बताओ कभी-कभी नाम स िी

मलशज़मो की गतरी सलझ जाती िrdquo

ldquoजीsbquo राजमनी रामrdquo

वकील ldquoआपकी जाशत कया िrdquo

ldquoजीsbquo आप इतन िोिद निी लगत कक राम स जाशत का बोध भी निी समझ सकतrdquo

वकील - ldquoकल तो राजमनी दब बता रि रrdquo

नौजवान मलशज़म - जीsbquo मन जाशत पररवतषन ककया िrdquo

ldquoमगर कब और कयो rdquo

ldquoकयोsbquo यि भी कया पछन की बात ि नौकररयो की भाशत िर जगि मझ भी आरकषण चाशिए इसीशलए

आज स िी जाशत बदलन का फसला ककया िrdquo

ldquoऐसा निी िो सकताsbquo तमिार शपताजी की जाशत िी तमिारी जाशत िrdquo

ldquoमगर यि तो अनयाय ि म अपनी जाशत बदलना चािता हrdquo

ldquoकया तमिार शपताजी या पररवार वाल राजी ि rdquo

ldquoजी निीsbquo ककनत म अपनी जाशत उनस अलग रखना चािता हrdquo

अदालत म कानाफसी िोन लगी मजररम क पररजन उस सिक नतरो स दखन लग

कछ दर रककर वि कफर बोला ldquoम वचन दता ह कक उनक धमो और कमो का पालन परी शनषठा और

लगन स कर गाrdquo

ldquoयि िरशगज़ निी िो सकता तमिारी जाशत निी बदल सकतीrdquo

ldquoकोई तो उपाय िोगा rdquo

ldquoतमि उस जाशत क ककसी लड़की स िादी करनी िोगीrdquo

ldquoतो ठीक िsbquo एक अचछी सीsbquo सनदरsbquo पढ़ी-शलखी लड़की ढढ दीशजए म िादी करन को तयार हrdquo

ldquoमरा काम वकालत करना िsbquo िादी-बयाि कराना निी और यकद ऐसा करन म सफल िो भी जात िोsbquo

तो घरवाल तमि घर स शनकाल बारि कर दग तब उसकी और अपनी परवररि कस करोग rdquo

ldquoम उसी घर म रहगाsbquo मरा मान-सममान भी विी रिगा म कवल जाशत पररवषतन कर रिा हsbquo धमष

निी बशलक आरकषण क बल पर नौकरी पा जाऊ तो मान-सममान और बढ़ जाएगाrdquo

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 41: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 39

शवपकष क वकील अब तक बड़ िी धयषपवषक सन रि र बात को गलत कदिा म जात दख खड़ िोकर

अपन काल गाउन को ठीक करत हए सिाई स अवगत करात हए बोल ldquoमाई ल ाडषsbquo िायद मवकककल को मालम

निी कक ऐस ककतन िी कस नयायालय म पड़ ि कवल दशलत लड़की स िादी कर लन स आप दशलत निी िो

जातsbquo बशलक आपकी जाशत तब भी यिी बनी रिगी और उसस उतपनन बि भी सवणष िी िोग शपता की जाशत

बिो की जनमजात जाशत मानी जाती िsbquo न की माता की िाsbquo यकद पररशसरशतया शवपरीत िोsbquo लड़का शनमनजाशत

का िो तो बि शनमनजाशत क मान जाएग ककनत लड़की की जाशत तब भी विी बनी रिगी वि आरकषण का लाभ

निी ल सकतीrdquo

ldquoयि सरासर िमारी सवततरता का िनन ि पवषजो क रोप बाल-शववािsbquo मानव-बलीsbquo शवधवा-शववािsbquo

तीन तलाक़ और सती पररा जस अनको करीशतयो को ठकरा सकत िsbquo तो कफर जाशत पररा को कयो निी धमष

की भाशत यिा भी िमारी सवततरता का सममान कर उस सरकषण परदान ककया जाएrdquo

अदालत म बठ लोगो म स एक नौजवान न उठकर किा ldquoमिाियsbquo अगर इस तरि स जाशत पररवतषन

िोता िsbquo तो मझ भी जाशत पररवषतन का परमाण-पतर शमलना चाशिए मिाियsbquo म पजा-पाठ क सभी कायष और

शवशध-शवधान जानता ह म यि भी वचन दता ह कक बराहमणो क सार रीशत-ररवाज़ और ककरया-कलाप का शनषठा

और लगन स पालन कर गा ककनत मझ डोम स बराहमण बना दीशजए मरी िारदषक इचछा ि कक म बराहमण बन

माता तारकशवरी की कपा स आज वि िभ घड़ी आ गई अब म भी िशकतपीठ मा ताराचणडी क दरवार म

शरदालओ का परसाद मा क चरणो म पशवतर कर उनि वापस करन का िभ कायष कर गा वाि माता त अपन

भकतो की सिी पकार ककतनी जलदी सन लती ि इतनी जलदी तमिार चरणो की सवा का अवसर शमलगाsbquo सवपन

म भी निी सोचा राrdquo

जज सािब कशपत नतरो स दखकर बोल ldquoऐसा िरशगज़ निी िो सकताrdquo

वि यवक अदालत क दसर कटघर म आ गया रा बड़ िी परसननमरा स धयषपणष सवर म बोला ldquoआप

सचता न कर मिाराजsbquo मझ ककसी बराहमण कनया स िादी करन म कोई आपशतत निी ि उसका बहत सनदर

अरवा पढ़ी-शलखी िोना भी ज़ररी निीrdquo

वकील - ldquoऐसा अधर कदाशप निी िो सकताrdquo

पिल कटघर म खड़ा वयशकत आख तररकर बोला ldquoिौककन डोमsbquo िोि म तो िोsbquo भग खा गय िो का rdquo

िौककन जज सािब की ओर उममीद भरी नज़रो स दखकर बोला ldquoसािबsbquo म अपन पर पररवार का

जाशत पररवतषन करान को तयार ह बसsbquo आपक िा की ज़ररत िrdquo

जज सािब - ldquoम कस िा कि द यि धमष का मददा िsbquo कानन स पर इस पर कोई शनणषय करन का

अशधकार मझ निी िrdquo

राजमनी दब कटघर क अदर स शचललाकर बोला ldquoशजस ईशवर न सवय बनाया िो उस कोई कस बदल

सकता िrdquo

ldquoसिा ईमान लान पर भी निी rdquo

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 42: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 40

ldquoएक बार निी और िजार बार निीrdquo

ldquoम धमष निी जाशत बदलन की बात कर रिा हrdquo

ldquoऐसा कभी हआ िsbquo न िोगाrdquo

ldquoवकील सािब न अभी-अभी किा रा कक शपता की जाशत पतर की जाशत िोती ि म इस पर भी तयार हsbquo

मर शपताजी बराहमण िोन को तयार िsbquo कफर तो कोई बाधा न रिगी rdquo

वकील - ldquoआपक शपताजी क शपता की जाशत कया री और यकद वि डोम रsbquo तो आपक शपताजी भी

डोम िी िोगrdquo

ldquoइस तरि तो आप यि शसदध कर रि ि कक गलशतयो को कभी सधारा निी जा सकता य विानगत ि

और िमिा बनी रिगीsbquo तो कफर समलशगकता भी अपराध िsbquo और भी िजारो शनणषय इसी शरणी म आ जात िsbquo

जो समय क सार बदल गय ककतनी िी करीशतयोsbquo असामाशजक कायो और शवरोधी धमाषडमबरो को कानन म

सरकषण शमला ि कफर इस कयो दरककनार ककया जा रिा ि म जज सािब की राय जानना चािता हrdquo

जज सािब बड़ असमजस म पड़sbquo सशवधान म इस तरि का किी कोई अनचछद निी ि सवचछा स धमष

पररवतषन करन वाल को रोक निी सकत बशलक उनि सशवधान सरकषण भी दता ि ककनत सशवधान उनि धमष या

जाशत पररवतषन करा कर जाशत-परमाण पतर दsbquo ऐसा किी निी ि उनि इस कस को शवचाराधीन रखकर इस पर

बाकी जजो और काननशवजञो स राय लनी िोगी

जज सािब न राजमनी दब स पछा ldquoकया आपका परा पररवार जाशत पररवतषन चािता ि rdquo

ldquoम बाशलग हsbquo इसशलए कवल अपना माशलक ह पररवार क ककसी सदसय पर म दबाव निी डाल

सकता व चाि तो कर सकत ि ककनत मझ ऐसा निी लगता कक व जातयातरण करगrdquo

ldquoकफर उनक सार आप घर म कस रि पाओगrdquo

ldquoजज सािब मन पिल भी किा कक म कवल जाशत पररवतषन कर रिा हsbquo धमष निीrdquo

ldquoतो कफर दि और दि क शवशभनन लोगो और जाशतयो क सार आप या आपक घर वाल विी वयविार

कयो निी अपनातsbquo जो अपन घर म अपनाना चाित ि आपकी सोच इतनी दोिरी और दोगली कयो ि जब

आप चमार बन सकत िsbquo तो िौककन डोम भी बराहमण बन सकता ि और मकदर म पजा करा सकता ि समय

रित आप लोगो न इस तरि क दककयानसी सोचो और दोिरा शवचारो को निी बदलाsbquo तो शिनद समाज को टटन

और शबखरन स कोई निी रोक सकता इशतिास स सबक़ लीशजएsbquo जो आपस म फट ि उनका अशसततव शमट

गयाsbquo या व दसरो क गलाम िो गय अपनी आज़ादी और सवततरता खोनी पड़ी कफलिाल इस कस को अगल

कदनाक तक मलतवी ककया जाता ि सरकार स आगरि कर गा की जलद स जलद अपन ख़यालात स अदालत को

रबर कराया जाए सार िी एक बड़ जन-समि का राय भी जानना चािता ह िर चीज़ को नयाय और नीशत क

अधीन निी मापा जा सकताsbquo कई बार बहमत िी नयाय िोता ि भगवान शरीराम न माता जानकी को बनवास

भजकर अपन उसी बहमत धमष का पालन ककया ि बदलत समय क अनसार दि और जनता क मत का सवागत

करना िमारा कततषवय ि इसक शलए जलद िी एक ववसाइट की िरआत की जा रिी ि जिा ऐस शवरयो पर

सामानय जनता अपना मत सवततर िोकरsbquo शनडर और शनषपकषता क सार रख सकगी उनकी सारी जानकाररया

गपत रखी जाएगीrdquo यि किकर जज सािब उठ खड़ हए

16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

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16 61 2019 41

मरी पसद िही

अलफरड घर नलनलगटो

अिवादक डॉ अनमत सारवाल

मि िही याचिा की इनसाफ की

िा ही नविती की तमहारी िरमी की

मि िही अरज़ी दी पदा होि की

नवरासत म पाि की शहरी अवगण

मझ िही नमला मौक़ा

रगि का जमाि का आनधपतय जीवि प शकषनणक दनि स

मझ िही आगाह ककया गया ख़तर का

कक नरज़नदगी मर नलय होगी दो दनिया का सफर

मझ जबरि सवीकार करिी पड़ी

वो दनिया जो िही री वासतव म मरी

ककसकी पसद ह यह कफर

और ककसका ह यह अपराध

तमहारा िही मरा िही

कफर ककसका

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 44: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 42

पदाष ि पदाष

कदलीप कमार ससि

सबि-सबि िी ककसी न दरवाजा खटखटाया इस िोरगल स मरी आख खली तब तक पतनी न आख

तररत हय किा ldquoजाओ फोकट वाल आय ि साशितयकार लगत ि उनस बािर िी शमल लो सबि-सबि चाय पर

चचाष म अपन घर म निी िोन दगीrdquo

पतनी की इस असिनिीलता पर मरी सशिषणता को धकका लगा मगर मन धमष शनरपकष रवया अपनात

हय ldquoसाइलस इज गोलडrdquo की नीशत का अनसरण ककया और चप रिना बितर समझा वरना सबर-सबर मर घर

क सामाशजक नयाय की एसी की तसी िो जाती मझ पता रा कक य िमारा शववाि बधन ि कोई मिागठबधन

निी जो कक अवसर आन पर बनाया या तोड़ा जा सक खर म इसस आग कछ सोच पाता तब तक दरवाज पर

कफर बहत तज दसतक हयी मानो पड़ोसी मलक न परमाण परीकषण ककया िो मन लपककर दरवाजा खोला तो

सामन परगशतिील कशव दरबारी लालजी खडा र उनक सार और एक सजजन र जो कक अकाल पीशड़त परात क

शवसराशपत लग रि र मगर उनक मि म दबा हआ शसगार उनक कपड़ो स मल निी खा रिा रा

दरबारीलाल न खीस शनपोरत हय किा lsquolsquoआप कामरड सदिषन जी ि आप तयाग-तपसया की शमसाल ि

आप फला-फलाrdquo

मन उनको दखा उनक शसगार पर नजर गड़ायी तो वो मरी मनोदिा को भापत हय बोल ldquoभई य

कयबा स आया हआ िवाना शसगार ि िम पजीपशत वयवसरा क घोर शवरोधी ि इधर की सरकार अमररका की

शपरटठ ि िम पजीपशत वयवसरा का सराई परशतरोध कदखान क शलय स शसगार पीत रित ि rdquo

तब तक िमारा बटा सोन शचललाया ldquoपापा शबग टीवी का ररचाजष खतम िो गया ि टीवी बनद िrdquo

सदिषन जी चिकत हय बोल ldquoअर आप क यिा भी शबग टीवी ि पजीपशत वयवसरा का परतीक िमन तो शडि

टीवी लगवाया ि जो कक सवदिी ि

म चककर म पड़ गया यि सबि-सवर सवदिी-शवदिी बजषआ-सवषिारा की चचाष का अखाड़ा मरा घर

कयो बन गया मन डरत-डरत उनस पछा lsquolsquoकामरड आप चाय पीत िrdquo

उनिोन किा lsquolsquoिा ठीक ि म चाय पी लगा चाय भारत म चीन स आया ि जो कक पजीपशत अमरीका

का शवरोधी िrdquo दरबारी लाल जी तब तक मोचाष सभाल चक र उनिोन किा ldquoदशखय खान-पीन की चीज म

शवचारधारा का कया मल और कया बमल िम दशखय िम कोई पयार स शखलाय तो सतत स लकर शपजजा तक

खात ि ठराष स लकर सकाच तक पी लत ि खाना-पीना अपनी जगि शवचारधारा अपनी जगि आप परिान न

िो आप जो कछ शखलायग िम खा लगrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा कक दरबारीलाल तम अपनी पाटी की तरि िो जो कक आल की तरि ि

जो िर सबजी क सार शमल जाता ि और कफर उस सबजी का नाम आल क सार िी पड़ जाता ि जस आल-मटर

या आल-टमाटर म सोचन लगा कक पतनी कफलिाल तो चप ि मगर इन सबक जात िी किी सवाशभमान रली न

िर कर द मझ पर सतरी शवरोधी िोन का आरोप लगाय और सामाशजक पररवतषन की माग करत हय शधककार

रली या र-र रली जसा कोई कायषकरम िर न कर द पतनी मझ परर िोन क नात िोरक घोशरत कर द और

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 45: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

16 61 2019 43

अपना बदला ल पशत पतनी की नोक-झोक को मर घर म अगड़ा बनाम शपछड़ा की लड़ाई का रप न द कदया

जाय म य सब सोच िी रिा रा कक सदिषन जी न किा ldquoकामरड सना ि आपको कोई सरकारी साशिशतयक

अवाडष शमल चका िrdquo

मन मन िी मन कढ़त हय किा lsquolsquoऐसी िमारी ककसमत किा कक कोई सरकारी साशिशतयक परसकार िम

शमल जाय अब तो सरकारी पशतरकाओ म िमारी रचनाय भी निी छपती िम तो अशभसपत ि उनिी मानदय

रशित पशतरकाओ क जो कक लखकीय परशत भी निी भजती अपनी रचनाओ वाल अक दभाषगय स िम खरीदकर

रखन पड़त ि वाकई इस िी कित ि घर फ क तमािा दखनाrdquo म यि सब सोच िी रिा रा कक दरबारी लाल न

मझ झझोड़ा ldquoकया सोच रि ि मानव जी य घाट का सौदा निी ि आपका नाम भी िो जायगा आप कफर स

मितवपणष िो जायग कछ पसा आपको अभी द कदया जायगा आग भी आपकी कमाई िोती रिगी म चौक

पड़ा ldquoकसी कमाईrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoदशखय आपको टीवी चनल वगरि म भी बलाया जा सकता ि

आपकी यातराय भी परायोशजत की जा सकती ि नकद मानदय क अलावा आपको िाल-लोई भी शमलगी सकलो-

कालजो म आपको शवरोध का परशतशबमब मानत हय असशिषणता या सिनिीलता पर भारण दन क शलय बलाया

जा सकता ि टोल-मोिलल म आपकी इजजत और धाक दोनो बढ़ जायगी भाभीजी एव बिो का भी मितव बढ़

जायगा जरा सोशचय तो परसकार लौटान क ककतन लाभ ि आप जिा नौकरी करत ि विा भी आपका रवाब

गाशलब िो जायगा और आपक अशधकारी भी आपस डरगrdquo

मझ उनको टोकना पड़ा ldquoवो कसrdquo

दरबारीलाल मसकरात हय बोल ldquoआप भी कमाल करत ि िमार दि म चप रिन वालो को घास निी

डाली जाती बक-बक और शबना वजि शवरोध करन वालो को ककतनी इजजत शमलती ि उनको ककतना भाव

कदया जाता ि भल िो वो बभाव िो आप दशखय परसकार वस तो अपना मितव खो चक ि लोग अकादमी

और जञानपीठ परसकार शवजताओ तक क नाम निी जानत मगर छोट स छोटा परसकार भी अगर वापस कर

कदया जाय तो लोग उस िारो-िार लपक लत ि अब दशखय वो भी साशितय की राजनीशत पर चचाष करत कफर

रि ि शजनिोन साशितय न कभी पढ़ा न शलखाrdquo

मन उनस किा ldquoदरबारीलाल जी परसकार तो सजोन क शलय िोत ि लोगो का पयार एव सममान ि

य परसकार कया परसकार लौटान स उनका अपमान निी िोगा शजनिोन इनको कदया िrdquo

कामरड सदिषन झललात हय बोल ldquoकसी बात करत ि आप मानव जी आप तो सयकत राषटर क परसताव

की तरि िवा-िवाई बात करत ि भई िम आपक पास एक उमदा परसताव लकर आय ि दसरा कोई िोता तो

ततकाल लपक लता मगर आप तो अर भाई आप परसकार लौटाओग भी तो परसकार परापत करन वालो की

सची स आपका नाम कटगा निी और लौटान वालो म आपका नाम सभी बढ़-चढ़कर लग भई य िीरो का निी

एटी िीरो का जमाना ि कफर िम आपको नगदी भी तो द रि ि और आप शसफष इस परसकार क बार म कयो

सोचत ि इस लौटान पर शमलन वाल परसकारो की जो समभावना बन रिी ि उसक बार म तो सोशचय

सािबrdquo

16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

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16 61 2019 44

ldquoऐसा कयाrdquo म चौक पड़ा

दरबारीलाल न बात को आग बढ़ाया ldquoिा कयो निी और कफर कछ मिीनो बाद जब सब िो-िलला

िात िो जाय तो आप अपना परसकार वापस माग सकत ि और सबस खास बात आपको परसकार की राशि

निी लौटानी ि शसफष उसका परतीक शचनि लौटाना िrdquo

म कफर गड़बड़ा गया छटत िी बोला ldquoवो शचनि िी तो मरा गवष ि मरी सशिशतयक साधना का

परशतफल ि जो मर घर-पररवार की िान ि मझस यि न िोगाrdquo

सदिषन जी और दरबारीलाल क चिर फकक िो गय तब तक उधर स पद म कछ िलचल हई य इस

बात का इिारा रा कक शरीमतीजी न ततकाल मझ याद ककया ि मन उस सबको नजर अदाज ककया मानो पद

का शिलना और उनका मझको तलब करना मन जाना िी न िो तब तक िमार सपतर सोन आय और बोल

ldquoपापा आपको मममी न तरत बलाया िrdquo म घर म जान को उदधत हआ तो मिमान भी चलन को हय सोन न

उन दोनो सजजनो को रकन का इिारा ककया और तपाक स बोला ldquoअकल आप लोग अभी मत जाइय मममी

पापा स बात कर ल तभी जाइयगा ऐसा मममी न बोला िrdquo

म घर क भीतर दाशखल िोत हय अपन शपरय कशव की पशकतया गनगना रिा रा कक ldquoइस पार शपरय तम

िो मध ि उस पार न जान कया िोगाrdquo अब आप य अदाजा लगाइय कक पद क उस पार सोन की मममी का

बताषव मर परशत कसा िोगा और परद क इस पार दरबारीलाल और उसक सदिषन जी मर परसकार को वापस

करवा पान को लकर ककतन आशवसत िोग दोनो क बीच म बस पदाष ि पदाष

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

Page 47: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.com · म §र § प्यार § भारत ब ¨राम हलिलत (मि भाषा - रोमान ) भावान ¡वाद

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