pankaj · 2020-07-25 · pankaj pankaj magazine typist - pooja lallman typeset- yantoodev budhu...

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PANKAJ PANKAJ MAGAZINE Typist - Pooja LALLMAN Typeset- Yantoodev BUDHU Publisher HINDI PRACHARINI SABHA Hindi Bhawan- Long Mountain Mauritius Phone/Fax: 2452112 Email [email protected] Website hindipracharinisabha.com PRESS FAMOUS PRINTING CO. LTD Calebasses-Pamplemousses Phone: 2431025 ISSUE: 56 YEAR: 32 MARCH 2020 ISSN: 1694-3503 0-0-0-0-0-0-0

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  • PANKAJ

    PANKAJ MAGAZINE Typist - Pooja LALLMAN

    Typeset- Yantoodev BUDHU

    Publisher HINDI PRACHARINI SABHA Hindi Bhawan- Long Mountain

    Mauritius

    Phone/Fax: 2452112 Email

    [email protected] Website

    hindipracharinisabha.com

    PRESS FAMOUS PRINTING CO. LTD Calebasses-Pamplemousses

    Phone: 2431025

    ISSUE: 56 YEAR: 32 MARCH 2020 ISSN: 1694-3503

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    हभाये लरए मह हर्ष की फात है कक हहन्दी बार्ा का लिऺण औय उऩरब्धध फैठका से विश्िविद्मारम तक आ ऩह ॉची है। रेककन आज प्रश्न मह उठता है कक इसके ऩश्चात ्कहाॉ ऩह ॉचना है। आज हभाये साभने फैठका, प्राथलभक मा भाध्मलभक स्कूरों की ब्स्थतत छ ऩी नहीॊ है। हय ऺेत्र भें हहन्दी ऩाठकों की सॊख्मा कभ होती नज़य आ यही है। इस का कायण क्मा है ? मह सही है कक आज लिि ओॊ की ऩैदाइि कभ हो यही है ऩय मह सॊख्मा केिर हहन्दी बार्ी रोगों के साथ नहीॊ है। एक कायण सिषविहदत है तनजी ऩाठ मा ट्मूिन। इसने हभाये सभाज के तनभाषण भें इतना सहमोग नहीॊ हदमा है ब्जतना कक सभाज को फयफाद ककमा है। कबी गौय कयें तो ऩता चरता है कक छात्र रगबग सातों हदन सप्ताह भें ऩाठ रेते हैं ऩय उन सात हदनों भें िामद ही कोई छात्र हहन्दी का ऩाठ रे यहा होता है। ऐसे भें फेचाया छात्र सभम तनकारे कहाॉ से। जहाॉ एक ओय ऩरयिाय का दफदफा है तो िहीॊ हभाये लिऺाक्रभ की प्रणारी। हभ अबी ही से छात्रों के फचऩन तो छीन ही यहे हैं साथ भें उन्हें इॊसान से भिीन फनाने जा यहे हैं। हभें सािधान होना है कहीॊ हभ बािी नागरयक फनाने की जगह भिीनी इॊसान ' योफोर्ष ' फनाकय न यख देंगे।

    आज ऑहर्क़िलसमर इॊरे्लरजेंर् की फात चर यही है। ऑहर्क़िलसमर का िाब्धदक अथष ही कृत्रत्रभ फ द्धध। फनािर्ी ऻान मा मों कहें अऩनी फ द्धध का ऩरयचम देना। दसूये िधदों भें कहा जा सकता है कक फनािर्ी मा भन ष्म द्िाया अऩनी फ द्धध के ऩयीऺण का पर देना। मह फनािर्ीऩन हभाये योज़भयाष के जीिन भें ककतना असय कयता है आऩ स्िमॊ अॊदाज़ा रगाने का प्रमास कय सकते हैं। सच्चे रूऩ भें ईभानदायी से ब्ज़न्दगी त्रफताने िारे आज फह त कभ रोग हैं। विद्मा, व्माऩाय, ऩूजा-ऩाठ, प्रिचन आहद ऺेत्र बी इस से अछूते नहीॊ हैं। वििरे् रूऩ से हभ ऻान औय उस की उऩरब्धध ऩय फोरना चाहेंगे। आज के इस ऻान प्राब्प्त औय प्रदान भें ककतनी ईभानदायी है ! उन हदनों के फैठका औय कॉरेज आहद के लिऺण भें लिऺक अऩने सिषस्ि सभऩषण कय देता था। थोड़े से िेतन भें बी िह प्रसन्नधचत यहता था, छात्रों को अऩने फच्चे की तयह सभझता था। छात्र औय लिऺक का रयश्ता ऩवित्रता लरए ह ए यहता था। आदय की बािना एक दसूये के प्रतत कूर्-कूर्कय बयी यहती थी। ग रु का िाक्म आर्ष िाक्म कहराता था। छात्र अऩनी सभस्माओॊ को ख रकय साभने यखते थे औय फह त

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    ही अन िालसत ि ईभानदायी तथा अऩनाऩन के साथ हर की ओय फढ़ते थे।

    आज बी ऐसा हो सकता है फिते की हभ अऩने आऩ ऩय अऩने लिऺक ऩय तथा अऩने ऩरयिाय ऩय विश्िास कय सकें । फनािर्ीऩन औय द व्मषसन आहद को स्थान न दें। स्िमॊ को इस मोग्म फना सकें कक रोगों को रोहा भनिा सकें । आज के म ग भें सभस्मा मह हो गई है कक अॊचान कयण की फीभायी सी पैरने रगी है, इसे हभें हर्ाना होगा औय अऩनी भूर की तराि कय उसके भहत्त्ि को ऩहचानने का प्रमत्न कयना होगा। आज हभाये सभाज भें जातत ऩरयितषन का खतयनाक योग पैरने रगा है। इसकी चऩेर् भें हभाये हहन्द ू ही वििरे् रूऩ से पॉ स यहे हैं। इससे फाहय तनकरना हभाया ऩयभ कतषव्म है ियना हभ बािी ऩीढ़ी से नज़य नहीॊ लभरा ऩाएॉगे ।

    भेये साभने प्रश्न उठता है कक कहाॉ गमा िह साहस, िे रोग, िे विद्िान, िे ऩ जायी-ऩॊडित लिऺक आहद जो गैय जातत भें बयभाकय रे गए रोगों को ऩ न् ि द्धध कयिाकय अऩनी भौलरक जातत भें राते थे। सही है कक िे अफ हभाये फीच नहीॊ है रेककन मह नहीॊ बूरना है कक हभ बी उन्हीॊ की सॊतानें हैं। भात्र ऩूजा-ऩाठ, भॊत्र उच्चायण मा िचन-प्रिचन से मह काभ सीलभत ही यहेगा। हभें अॊगे्रजी की कहाित - Action speaks louder than words िारी फात को अऩनाना होगा। कक्रमा औय प्रततकक्रमा ऩय हभें वििरे् फर देना होगा।

    हय अिसय के साहहत्म भें सभाज का धचत्र उबयता है। हभाये यचनाकाय, नेता, प्रचायक, साभाब्जक कामष कताष, नेता औय भॊत्री को बी इस ऺेत्र भें ध्मान देना होगा। तफ गिष से कह सकें गे कक चर्ाई से उठकय हभ विब्श्िद्मारम तक ऩह ॉच ऩाए हैं। अच्छे के लरए महद हभ आगे औय ऊॉ चे स्तय की ओय फढ़ यहे हैं तो साथषक होगा, ियना व्मथष भें हभ छाती ऩीर्ते यहेंगे औय नौफत महाॉ तक कहीॊ न ऩह ॉच जाए कक छाती ऩीर्-ऩीर् कय योना न ऩड़ जाए। ग प्तजी की फह चधचषत ऩॊब्क्त को एक फाय ऩ न् माद कय रें -

    " हभ कौन थे क्मा हो गए औय क्मा होंगे अबी आओ लभरकय विचाये मे सभस्माएॉ सबी "

    धनयाज िम्ब प्रधान-हहॊदी प्रचारयणी सबा

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    क्मा है भेया दोष ऩूये हदिस भें ककयणों के तेज़ प्रकाि के प्रहाय से हाय थककय सूमष देि

    ऩब्श्चभ हदिा भें अस्त होने के लरए चर यहा था। आकाि के लसॊद यी -यॊगों से साया िाताियण भॊगर एिॊ ि ब का अहसास हदरा यहा था। मह भाहौर सबी के लरए ि ब ही ि ब हो ऐसा तो हो नहीॊ सकता। हदनेि के लरए उस सभम भें ऐसा िाताियण जो आयाभदेह था, आज उतना ही कष्र्दामक लसद्ध हो यहा था। उसे सभझ भें आ यहा था कक सभम एक सा नहीॊ यहता है। कहते ह ए कई रोगों से औय कई फाय स ना था रेककन आज उसका साऺातकाय कय मथाथष का ऩता चर ही गमा। िह अऩने दो ऩहहमे िारी साइककर ऩय उदास बाि भें रीन हय िाभ की तयह बूखे ऩक्षऺमों के ऩेर् ऩारने भें रगा ह आ था। हाथ से क छ अधधक ज़ोय रगाकय ' जीऩें भेज़ों ' िफर योर्ी के र् कड़ ेतोड़ने भें रीन छोरे् कण त्रफखेय यहा था। ऩक्षऺमों का झ ण्ि उड़ते ह ए उतयते, चहचहाते, झगड़ते औय गीत गा गा कय जहाॉ हदनेि को फहराने की कोलिि कयते िहीॊ मह बी लसखाते कक जैसे हभाया देि फह जातीम, फह साॊस्कृततक ि फह बार्ी एिॊ इॊद्रधन र्ी है, उसी प्रकाय मे बी एक आॉगन भें लबन्न - लबन्न होते ह ए बी एक साथ दाने च गने का आनॊद रे यहे हैं। हदनेि की नज़य एक ऐसी धचडड़मा ऩय ऩड़ी जो अऩने छोरे् फच्चों की चोंच भें दाने के कण ्अऩनी चोंच से दार यही थी। ऩऺी िािक अऩने कोभर िैने पड़पड़ाते दाने तनगरने का प्रमास कयते औय कपय ऐसे अऩनी चोंच खोरकय चीॊ-चीॊ कयती जैसे कई हदनों से बूखे हो। इस दृश्म को देखकय हदनेि को उस ब्स्थतत औय सभम भें रौर्ना ही ऩड़ा जो फीस-ऩच्चीस सारों ऩ याना था। अचानक उसे सनी की माद आ गई जफ िह िीि था। िीि ही नहीॊ हदनेि औय रुऩारी के प्रेभ की प्रथभ तनिानी औय ईश्िय का सफसे कीभती औय भहत्िऩूणष बेंर् थी। कैसे उसके छोरे्-छोरे्, रार-रार, कोभर-कोभर ओॊठों के फीच ख री चोंच की ही तयह छोरे् चम्भच के सहाये खाना मा दधू का छोर्ा सा कौय हदमा जाता था। मा कबी रूऩारी के साथ स्तन ऩान कय ग दग दी का अहसास होता था। सभम ककतना जल्दी ऩॊख रगा गमा ऩता तक नहीॊ चरा कक सनी कफ म िा हो गमा औय उसके ऩीहठमा ठोंक उसका छोर्ा बाई याह र बी फड़ा हो गमा। हदनेि फह त ही ऩरयश्रभी था। स्िमॊ औय एकाध लभत्रों की प्रेयणा ऩाकय लिऺक फन गमा था। हहन्दी सयकायी ऩाठिारा भें ऩढ़ाने के साथ एक फैठका भें बी

    कहानी

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    अध्माऩन का कामष कयता था। इस से प यसत लभर जाए तो अऩने आधे फीघा ज़भीन भें सब्धज़मों की खेती कयता था। कहठन भेहनत कय अऩने लसय तछऩाने के लरए एक साधायण सा ऩक्का घय बी फना लरमा था। रुऩारी बी उसका दाहहना हाथ फन गई थी। स ॊदयता तो जैसे छू यही थी ऩय उसकी ऩयिाह न कय िह ऩतत से कदभ से कदभ लभराकय चरती थी। सनी वऩता के नक्िकेदभ ऩय चरकय प्राथलभक ऩाठिारा के प्रथभ सोऩान मानी कऺा ६ को अच्छे औय अिर स्तय ऩय ऩाय कय कॉलरज का यास्ता लरमा। ऩीछे याह र बी उसी यफ़्ताय से आ यहा था। सौबाग्म से दोनों को यॉमर कॉलरज भें प्रविब्ष्र् प्राप्त ह ई। उस ज़भाने भें ऐसे कॉलरज भें धनी-भनी रोग ही प्रिेि कयते थे मा कबी िब्क्तिारी याजनैततक औराद। हदनेि, रुऩारी औय ऩूये गाॉि के लरए मह गिष की फात थी। घय-घय भें ऩढ़ाई के ऺेत्र भें सनी औय याह र यॉर-भॉिर फन च के थे। आदिष ऩरयिाय के रूऩ भें हदनेि औय रुऩारी को सबी ने अऩनी प्रेयणा स्रोत फना लरमा था। एच.एस.सी के ऩश्चात ्विश्िविद्मारम भें सनी ने प्रिेि ककमा। जीिन के दसूये कपय तीसये ऩड़ाि ऩय कदभ यखने भें हदनेि की छाती चौड़ी हो गई। कबी आॉखों भें आॉसू बय आते कक गयीफ, राचाय आदभी का फच्चा आज विश्िविद्मारम जा यहा है। उसके ऩीछे याह र बी उसी यफ़्ताय औय उसी प्रणारी का अन सयण कय यहा था। कहते हैं कबी फह त ज़्मादा ख लिमाॉ फयदाश्त नहीॊ होती है। भानि जो कबी जरन का ऩ तरा होता है। दसूये की प्रगतत देख नहीॊ ऩाता है। देखते-देखते कैसे आॉख रग जाती है ऩता तक नहीॊ चरता फस ढूॉढ़ते यह जाते हैं। एक हदन ऩौने चाय ऩय घय रौर्ने ऩय ऩता चरा कक सनी ऩरॊग ऩय रेर्ा ह आ था। कभये भें द गषन्ध पैरी थी। रगता था कक सनी नि ेभें च य औय उल्र्ी कय नीॊद भें फेस ध है। हदनेि को ज़ोय का धक्का रगा। िह सोचते यह गमा कक क्मा हो गमा। िह ककससे कहता, ककसकी सहामता रेता सभझ भें नहीॊ आ यहा था। उसे कोई साहस हदराने िारा चाहहए था। देखते-देखते जैसे िह आधे दभ का हो गमा। सौबाग्मिि रुऩारी कायखाने की कभयतोड़ नौकयी से िाऩस आ गई। उसने हदनेि को इस हारत भें देखा तो ऩैयों तरे से ज़भीन खखसक गई। उसने हदनेि को ऩहरे ऐसी दिा भें कबी नहीॊ देखा था। कहठन से कहठन ऩरयब्स्थतत भैं बी िह कबी ततरलभरामा न था। कॊ धे ऩय हाथ यखते ह ए उसने कहा -" हदनेि ! क्मा ह आ ! त भने अऩनी ऐसी हारत कैसे फना री है....? क्मा ह आ.... ? "

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    - हदनेि चीख के साथ योते ह ए कहने रगा "रुऩारी सनी त्रफगड़ गमा.... सनी हाथ से तनकर गमा.....?" रुऩारी को सभझ भें नहीॊ आमा कक हदनेि क्मा कह यहा मही। कहाॉ की फात है.... 'हदनेि भ झ ेख र कय फताओ क्मा ह आ।' उसके दोनों गारों को सहराते आॉसू ऩोंछते ह ए कहा - सनी ियाफ के नि ेभें च य घय रौर्ा है। ऩता नहीॊ ककतने फजे। कभये भें तो जाकय देखो - रुऩारी दौय कय गई औय सचभ च उसे धक्का रगा। कपय बी साहस फर्ोयकय हदनेि के ऩास आई औय अऩने ददष, क्रोध, बािनाओॊ को तछऩाकय कहा -"हदनेि त भ ऩयेिान भत हो। सनी अबी म िा है - उसे ऩता नहीॊ क्मा कय यहा है। हभ उसे सभझाएॉगे िह सम्बर जाएगा। " रुऩारी की फातों को स नकय जैसे साहस औय धैमष की एक नमी िब्क्त लभर गई। िामद इसीलरए अधाांधगनी कहा गमा है। ऩतत को कहठन सभम भें साहस देना-सम्बारना ऩत्नी का काभ ही होता है। रुऩारी ने बी हदनेि को सम्बार ही लरमा। उस यात सनी ने न क छ खामा न वऩमा। स फह बी उठकय जल्दी से मूतनिसषलसर्ी का यास्ता लरमा। रुऩारी ने साहस फाॊधते ह ए कहा -" हदनेि धचॊता भत कयो भैं िाभ को उससे फात करूॉ गी। ऩय फात कैसे हो ऩाती। उस हदन उसकी िैसी ही हारत थी। नि ेभें च य आकय ऩरॊग ऩय ऩसय च का था। हदनेि से सहा नहीॊ गमा औय उसे हस्तऺेऩ कयना ही ऩड़ा। ऩूछा - सनी क्मा फात है। कई हदनों से त म्हायी ऐसी आदत फन यही है.... क्मा ह आ....? - क छ नहीॊ.... भ झसे क छ भत ऩूछो... अफ ऐसा नहीॊ होगा। - ऩय क्मा सभस्मा है। हभें फताओ तो सही... - क छ नहीॊ... भैंने कहा न अफ ऐसा नहीॊ होगा।

    सनी म िािस्था भें है औय गयभ खून ऊऩय से नि ेभें.... हदनेि ने आगे क छ न कहना ही फेहतय सभझा। िह अॊदय ही अॊदय क ड़ता यहा। भगय सनी की फात केिर फात ही यह गई - उसकी आदत नहीॊ छ र्ी। िह हदन प्रततहदन ियाफ, फ यी सॊगतत औय गरत यास्ते के दर-दर भें पॉ सता चरा गमा औय नौफत महाॉ तक आई कक उसे

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    विश्िविद्मारम से हाथ धोना ऩड़ गमा जफकक उसके यईस दोस्तों ने ककसी बी तयह अऩनी ऩढ़ाई ऩूयी की। उसकी हयकतों से घय की हारत थभ गई थी ऩयन्त अॊधेये भें याह र जैसे उजारे की ककयण फन अॊधकायभम ऩरयिाय को प्रकालित कयता यहता था। हदनेि को जैसे एक सदभा सा रग गमा। िह ग भस भ सा यहने रगा। रुऩारी साॊत्िना देने का कामष जायी यखी यहती। जफ सनी अकेरे औय भूि भें होता तो उसे दोनों सभझाते यहते। कबी याह र बी एकाध फातें जोड़ देता। कहता बाई सनी -"ख लिमाॉ भनाना तो जीिन बय है। ऩहरे स्िमॊ को सभदृ्ध तो फना रें।" - हाॉ त भ ठीक कहते हो याह र। लभत्रों के सॊग भें भैंने अऩने जीिन के तीन सार गिाॉ हदए। आज भैं एक 'डिग्री होरदय' होता... काि ऩहरे से भेयी आॉखें ख रती। हदनेि ने देखा कक अचानक सनी भें ऩरयितषन आमा है। अफ िह खारी सभम भें ऩ स्तकों से लभत्रता जोड़ने रगा है। ऩी.एस.सी. की स चना देखकय उसने जनयर ऩयऩोस लिऺक का आिेदन बया औय एस.सी. तथा एच.एस.सी. की ऩयीऺापर तो फहढ़मा ही था। अत् उसे लिऺक की नौकयी लभर गई। ऩरयिाय की ख़ िी का हठकाना न यहा। अफ िह इतना स धय गमा कक हय काभ भें हाथ फर्ाता ियाफ आहद से नाता तोड़कय कपय से ऩॉर्-र्ाइभ फी.ए. कोसष की तैमायी कयने रगा। हदनेि को रगा कक उसकी ख लिमाॉ िाऩस आ गई रेककन झरेे ह ए द ् ख का असय ऐसा था कक धागे भें गाॉठ हो। िह जैसे दस सार ज़्मादा िदृ्ध दीखने रगा था। कपय बी उसे साॊत्िना थी कक स फह का बर्का िाभ को घय आ जाए तो उसे ब रा नहीॊ कहते। याह र बी अऩनी लिऺा ऩूयी कय एक प्राइिेर् तनजी कम्ऩनी भें इॊ़िोभेलिमन ऐि रे्क्नोरॉजी के ऺेत्र भें कामषयत हो गमा। अॉधा क्मा चाहे दो आॉखें। रुऩारी कहती यही बगिान का ि क्र है कक हभाया ऩरयिाय स धय गमा। सनी म िािस्था भें तो था ही अच्छी नौकयी रग गई औय अच्छे इॊसान की तयह जी बी यहा था। ऐसे भें ककसी का हदर उस ऩय आ जाना स्िाबाविक था। रक्ष्भी, जो उसी स्कूर की एक लिक्षऺका थी सनी ऩय जान तछड़कने रगी। प्माय तो एक तय़ि नहीॊ होता। रक्ष्भी ने सनी के रृदम के तायों को छेड़ हदमा औय प्माय का सॊगीत पूर् ऩड़ा। सभम के साथ गहयाता बी गमा। सबी प्माय की भॊब्ज़र िादी तक ऩह ॉचती है अत् इन दोनों ने बी ऐसी ही मोजना फनाई। एक योज़ एक येस्तोयेंर् भें चाम की च स्की रेते ह ए सनी ने अऩने हदर की फात कही। उसे क छ हहचककचाहर् तो हो यही थी कपय बी एक योज़ कहना तो था ही। - " रक्ष्भी ! मह सही है कक हभ दोनों एक दसूये से प्रेभ कयते हैं। दोनों नौकयी कयते हैं, दोनों ग्राज एर् फनने जा यहे हैं महाॉ तो ठीक है ऩयन्त ....

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    - " ऩयन्त ..... ऩयन्त क्मा सनी। सफ तो ठीक है कपय ऩयन्त िधद कहाॉ से आ गमा। भेया तो जीना-भयना अफ त म्हीॊ से है। क छ बी हो जाए। " हाथ थाभते ह ए फेखझझक कह हदमा ? - " हाॉ मह तो सही है। भैं बी त म्हाये त्रफना जी नहीॊ सकता - ऩयन्त भैं ने इसलरए कहा क्मोंकक त भ तलभर हो औय भैं हहन्द.ू.... " - " तो क्मा ह आ तलभर बी तो हहन्द ूहै फब्ल्क धालभषक दृब्ष्र् से हभ ज़्मादा कट्र्य हैं। अच्छा छोड़ो इन फातों को, त भ तो प्माय कयते हो न..... ?" - " हाॉ फह त-फह त प्माय कयता हूॉ। - " तो ठीक है त भ अऩने ऩरयिाय भें मह फात चराओ कक हभ िादी कयना चाहते हैं भैं अऩने ऩरयिाय को भनिाती हूॉ। रेककन इतना कह देती हूॉ, महद िे न बी भाने तो हभ उन की ऩयिाह ककए त्रफना ही िादी कय रेंगे। - " ठीक है। आज ही भैं मह फात चराता हूॉ। " फात चरी - सनी के वऩताजी को झर्का सा रगा। िह सोच भें ऩड़ गमा कक िह हहन्दी अध्माऩक है औय उस का फेर्ा......। कपय रूऩारी से फहस कयने ऩय दोनों इस नतीजे ऩय ऩह ॉचे कक सनी अबी कहठन याहों से ग ज़य कय सम्बरा है अबी उसका हदर रू्र् जाए तो सभस्मा खड़ी हो सकती है.... उन्होंने हाॉभी बय दी। दोनों ने तनणषम ककमा कक क्मूवऩषऩ भें म िािस्था भें खयीदी ह ई ज़भीन है उसे दे देते हैं ताकक िादी के ऩश्चात ्िहाॉ जा फसे। साया क छ तम तो हो गमा ऩय मह क्मा - सनी ने तो ऩहरी भॊब्ज़र को ही सजाने औय सिाॉयने का काभ ि रू कय हदमा। उसने सा़ि हक्क के साथ कह हदमा कक हभ मही ऊऩय यहेंगे। िे कैसे इन्काय कय सकते थे। ऩय रूऩारी औय हदनेि ने ज़रूय इतना सोचा कक सनी ने दोनों ही जगहों ऩय अऩना कधज़ा जभा कय लरमा क्मोंकक क्मूवऩषऩ की ज़भीन सनी के नाभ ऩय ही थी। फात आगे न फढ़े औय सभस्मा उत्ऩन्न न हो इसलरए उन्होंने स्िीकाय कय लरमा। रूऩारी को धक्का तो रगा रेककन हदनेि की धचॊता सता यही थी कक उसे दसूया झर्का रग गमा। कहाॉ तक फयदाश्त कय ऩाएॉगे। िह औय बी ज़्मादा ग भस भ यहने रगा। उसे देखकय ऐसा रग यहा था कक हदनेि अॊदय ही अॊदय फह त घ र्ता है। रूऩारी अऩना द खड़ा ककस से कहती। िह साया क छ अऩने अॊदय ही छ ऩा लरमा कयती थी। अफ तक तो ककसी बी तयह सॊबर च के थे। असह्म ब्स्थतत तफ हो गई जफ याह र ने एक हदन आकय कहा.... " भाॉ..... वऩताजी भ झ ेएक रड़की से प्माय हो गमा है औय हभ सीविर भायीज कय

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    च के हैं। भैं उस रड़की के घय ही यहने जा यहा हूॉ। " दोनों के ऩैयों तरे से ज़भीन खखसक गई, जैसे उन ऩय त्रफजरी रू्र् ऩड़ी। उन्होंने सोचा था कक सनी ऐसा हो गमा तो कोई फात नहीॊ याह र से ज़ख्भ बय जाएगा रेककन याह र बी तो गहया घाि दे हदमा। ककसी बी तयह अऩने को सम्बारते ह ए रूऩारी ने ऩूछा - " रड़की कौन है औय िहाॉ जाने की क्मा आिश्मकता है..... ?" - " सीविर भायीज कयने से ऩहरे इतना तक नहीॊ सोचा कक त म्हाये भाता-वऩता है ब्जन्होंने त भ रोगों को ऩारने से हदन-यात एक कय हदमा है। " हदनेि ने क्रोधधत औय गम्बीय स्िय भें कहा। - " भैं त भ रोगों को तॊग कयना नहीॊ चाहता था। " - " तॊग.... तॊग कैसे ? - " त भ रोग उसे स्िीकाय नहीॊ कयोगे..... याह र ने झर् से जोड़ा..... " - " क्मों..... क्मा फात है..... ? कोई खास फात है क्मा ? रूऩारी ने ऩूछा। " - " हाॉ.... भ ॉह च याते ह ए याह र ने कहा - " िह एक भ ब्स्रभ रड़की है...... । " फस इतना कहने की देयी थी कक हदनेि को ज़ोय का झर्का रग गमा। रूऩारी बी अऩने आऩ को सम्बारने की फह त कोलिि की.....। इस से ज़्मादा िे क छ कहते कक याह र िहाॉ से चरा गमा। रूऩारी धचल्राने रगी। सनी दौड़कय नीचे आमा औय वऩता को ़ििष ऩय ऩाकय चककत यह गमा। हदनेि को जैसे रकिा भाय गमा हो। त यन्त गाड़ी री औय अस्ऩतार का रुख लरमा। ऩता चरा कक हदनेि को हदर का दौड़ा ऩड़ गमा है। स्िास््म का़िी त्रफगड़ च का है। रूऩारी से न क छ कहा जाता था न उसे क छ स झता ही था उस की ब्स्थतत हदनेि जैसी ही थी ऩयन्त स्त्री सहनिीरता की देिी होती हैं इसीलरए िामद उसने साहस से काभ लरमा। क छ हदनों फाद हदनेि आई.सी.म इन्तेंसीि केय मूतनर् से तनकर तो गमा ऩय देखने ऩय रगता था कक एक ब्ज़ॊदा राि है। रूऩारी उसे आश्िासन देती यही। घय रौर्ने ऩय बी एक बायतीम सती नायी के सभान ही उसकी देखबार भें ककसी प्रकाय का असय नहीॊ छोड़ती। हदनेि ने सभम से ऩहरे ही नौकयी छोड़ दी क्मोंकक अफ उसकी ब्स्थतत ऐसी हो गई थी कक क छ कयने का साहस ही नहीॊ था। साये रोग कहते इतने ऩरयश्रभी, होनहाय, विद्िान व्मब्क्त ऐसा बी हो सकता है। याह र तो अऩनी फीिी के ऩास चरा ही गमा। रूऩारी औय हदनेि के लरए िह अदृश्म औय र प्त हो गमा। न केिर इस ऩरयिाय से फब्ल्क इस जातत से बी। सनी ब्जसे गरत सभझते थे उसी ने फ ढ़ाऩे औय अस्िस्थता

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    की हारत भें देख-बार कयता यहा। कबी िह अऩने आऩ को कोसता था कक ऩरयिाय की भज़ी के खखरा़ि िादी कयने का नतीजा हो सकता है। इस लरए िह अऩने आऩ को क छ हद तक दोर्ी बी सभझता है। सनी को रगता था कक उसके भाता-वऩता को इस हारत भें राने की ब्ज़म्भेदायी क छ हद तक उसकी बी है। िामद ऐसा नहीॊ कयता तो आज घय की ऩरयब्स्थतत क छ औय होती। उसे तो जीिन कबी तनािग्रस्त दीखता ही था ऩय हदनेि को जैसे भतृ्म की प्रतीऺा थी, रेककन रूऩारी साहस, धैमष औय प्माय देखकय उसे जीने की चाहत बी थी। स खी जीिन न सही ऩयन्त अऩने गहृस्थ जीिन को अॊततभ साॉस तक तनबाने का प्रमत्न कयता यहता। अचानक उसके कानों भें रक्ष्भी की आिाज़ आई..... चाम ऩी रीब्जए। " एक कारी त्रफल्री उस स्थर ऩय झऩर्ी औय साये ऩऺी तीतय-फीतय हो गए। चहचहाते ह ए लसॊद यी आकाि भें उड़ते चरे गए रगता था कक कोई कोस यहा हो.... हभाये यॊग भें बॊग क्मों िार यहे हो.....। कौन ककस को दोर् दे....सभझ भें नहीॊ आता था।

    -त्रफदिन्ती िम्ब

    ज़िन्दगी

    रम्हों की ख री ककताफ है ब्ज़न्दगी ख्मारों औय साॉसों का हहसाफ है ब्ज़न्दगी क छ ज़रूयतें ऩूयी क छ ख्िाहहिें अधूयी इन्हीॊ सिारों के जिाफ है ब्ज़न्दगी

    ब्ज़न्दगी हसीन है ब्ज़न्दगी से प्माय कयो है यात तो स फह का इॊतज़ाय कयो िो ऩर बी आएगा ब्जसका इॊतज़ाय है आऩको सफ ऩय बयोसा औय िक्त ऩय एतफाय यखो ब्ज़न्दगी तस्िीय बी है औय तकदीय बी

    पकष तो लस़िष यॊगों का है भनचाहे यॊगों से फने तो तस्िीय औय अनचाहे यॊगों से फने तो तकदीय

    मे ब्ज़न्दगी फस लस़िष ऩर दो ऩर है ब्जसभें न तो आज औय न ही कर है जी रो इस ब्ज़न्दगी का हय ऩर इस तयह जैसे फस मही ब्ज़न्दगी का सफसे हसीन ऩर है ।

    -खुशी झोयी

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    अशाज़न्ि सॊसाय िाब्न्त कहीॊ छ ऩ गमी कहीॊ नज़य आती नहीॊ देि विदेि भें अिाब्न्त जहाॉ चैन की याहत नहीॊ िाब्न्त की ठण्िी छामा। रूर् भाय की द तनमा भें धन सॊऩवि हड़ऩने भें ककसी की जान रेने भें कोई कसय नहीॊ ईष्माष द्िेर् से बये। सभाज भें तनाि घय ऩरयिाय भें अनफन ऩास ऩड़ोस भें रड़ाई त च्छ सभझते एक दजेू को। कहीॊ न कहीॊ होता यहता फभ धभाका। तनदषमता से भाये जाते ककतने तनदोर् जन

    ककतने घामर हो जाते ककतने स्त्री फच्चे िदृ्ध जन ऩि ओॊ सा फलर हो जाते। ब्जस गतत से ह ई भज़हफ का सजृन आज बी सक्रीम है। दसूये का धन सॊऩवि हड़ऩ कय िया धभका कय िदृ्धध ककमे अऩनी सॊख्मा की। रड़ते कर्ते अऩने भें दसूये का नाि कयते सॊप्रदाम को लिखय ऩय देखने की चाह गद्दी हड़ऩने की चाह भें जातीमता यगड़ी ककसी की उन्नतत देखना नहीॊ चाहते। आतॊक ही आतॊक ऩीडड़त है सॊसाय !

    -िभरेि क भाय लरलरमा

    आवयण चित्र

    7 हदसॊफय 2020 को हहॊदी प्रचारयणी सबा भें सभाितषन सभायोह के अॊतगषत लरमा गमा धचत्र । ब्जसभें हैं प्रोपेसय विनोद क भाय लभश्र, श्री तनयॊजन त्रफगन तथा श्री विकास याभधनी ।

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    छात्रों की सपरिा के लरए कुछ वविाय :- हय एक अलबबािक चाहता है कक उसकी सन्तान अऩने विद्माथी जीिन भें सपर यहे। इस सपरता के लरए भाता-वऩता हय प्रकाय का त्माग कयने के लरए सदा तत्ऩय यहते हैं। साथ-साथ विद्माथी बी चाहता है कक उसे काभमाफी लभरे रेककन सपरता केिर भाॉ-फाऩ के त्माग से नहीॊ लभरती। ऐसा कह सकते हैं कक सपरता के लरए भ ख्म बूलभका छात्र की होती है। उसे क छ तनमभों का ऩारन कयने से ही अऩने भाॉ-फाऩ की तथा अऩनी इच्छा को ऩूया कय सकेगा। विद्माधथषमों को तनम्न फातों ऩय ऩूया ध्मान देना अतत आिश्मक है : (१) सभम का सद ऩमोग (२) अऩना स्िास््म (३) सद्व्मिहाय (४) ऩ नयाितृत (५) अततरयक्त ऩठन। (१) सभम का सदऩुमोग। विद्माथी के लरए सभम का सद ऩमोग सपरता की क ॊ जी है। आजकर रे्क्नोरॉजी का ज़भाना है। नए-नए उऩकयण, नए-नए खेरों का आविष्काय हो गमा है। ऐसा देखा जाता है कक छात्र मा मूॉ कहे तो साये रोग इन नए आविष्कायों से प्रबावित हैं। एक ओय इन उऩकयणों से जैसे कम्प्म र्य, भोफाइर, रे्फरेर् आहद से कई कामष तनऩर्ाने भें फह त सायी स विधाएॉ उऩरधध हो गईं हैं, तो कहीॊ इन से सभम का द रूऩमोग बी हो यहा है। मह सच है कक हभें सभम के साथ चरना चाहहए।प्रौद्मोधगकक की जानकायी यखनी अतत आिश्मक है क्मोंकक तत्कारीन जीिन भें हय ऺेत्र भें इसका प्रमोग होता है। रेककन मह प्रमोग सही ढॊग से होना चाहहए। देखा जाता है कक छात्र रे्फरेर् मा भोफाइर ़िोन के खेरों भें उरझ ेयहते हैं। उनका अधधकतय सभम इन्हीॊ के साथ कर् जाता है। ऩढ़ाई अधूयी यह जाती है। साया स्कूरी काभ जल्दी ककमा जाता है केिर काभ को ऩूया कयने के उद्देश्म से,जल्दी के काभ भें असािधानी बी फयत दी जाती है क्मोंकक भन को एकग्रधचत कयके ऩढ़ाई ऩूये ध्मान से कयेंगे तबी तो सपरता प्राप्त होगी।

    कबी कबी मह बी देखा जाता है कक इन चीज़ों के साथ रगे यहने से फच्चे अऩना बोजन ठीक सभम ऩय तथा उधचत ढॊग से नहीॊ कयते। कपय फच्चे इन चीज़ों के साथ फैठे-फैठे खेरने के कायण का़िी व्मामाभ, चर-दौड़ नहीॊ ऩाते। इससे उनके

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    स्िास््म ऩय फ या असय ऩड़ता है। बरा स्िास््म अच्छा नहीॊ यहेगा तो ऩढ़ाई कैसे की जाएगी। इस से ियीय को बी फह त हातन होती है। अत् छात्रों को इन चीज़ों से कभ खेरना चाहहए।

    सभम का सदऩुमोग विद्माथी जीिन तनमभों से फॊधा यहना चाहहए। उसे अऩने सभम का अच्छा प्रातनॊग कयना चाहहए। जैसे ककस सभम सोना, ककतने फजे उठना, नाश्ता कफ कयना, स्कूर की तैमायी, गहृकामष कफ कयना है, खेरना कफ है, र्ी.िी ककतने सभम तक देखना है। ऩाठिारा भें ककमे काभों की आिवृि कयना आहद। ऩुनयाववृि " ऩ नयािवृि " सीखने का एक फह त ही भहििऩूणष अॊग है। जो काभ हभ स्कूर भें कयते हैं, जो फातें हभ अध्माऩक से सीखते हैं, उनकी तनयॊतय आिवृि तथा अभ्मास कयने से हभें उनका ऩूणष ऻान प्राप्त हो जाता है। तफ ऩयीऺा भें उिय देने भें कहठनाई नहीॊ होती। फह त ही आसानी से हभ ऩूछे ह ए प्रश्नों के उिय देकय अधधकतभ अॊक प्राप्त कय अच्छी शे्रणी भें उतीणष हो सकते हैं। सद्व्मवहाय छात्रों भें सद्व्मिहाय का होना अतनिामष है। फड़ों का आदय, छोर्ों से स्नेह कयना विद्माथी जीिन भें फह त ही भहत्ि यखता है। हभें अऩने फड़ों की आऻा का ऩारन कयना चाहहए। ऐसा कयने से उनका आिीिाषद प्राप्त होता है। आिीिाषद बी सपरता का एक भाध्मभ है। कऺा भें जफ अध्माऩक ऩढ़ा यहे हों तो ऩूया ध्मान उन ऩय होना चाहहए। ऩढ़ाई के सभम कऺा भें लभत्रों से फातचीत नहीॊ कयनी चाहहए नहीॊ तो अध्माऩक की ऩढ़ाई ह ई फात सभझ भें नहीॊ आ ऩाएगी। कपय अन्म लभत्रों की तयह हदक्कत होगी। िे अऩना ध्मान अध्माऩक की फात ऩय केब्न्द्रत नहीॊ कय ऩाएॉगे। इससे उनका भन द खी होगा क्मोंकक उनकी ऩढ़ाई भें रुकािर् आएगी। ऐसा कयने से अऩनी फ याई से साथ-साथ दसूयों की बी फ याई हो जाती है।

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    अतिरयक्ि ऩठन अऩनी सभमसारयणी भें छात्रों को अततरयक्त ऩठन के लरए अततरयक्त ऩढ़ाई के लरए बी सभम यखना चाहहए। ऩाठ्म ऩ स्तक के अरािा छात्रों का अततरयक्त ऩठन कयना चाहहए। जैसे :- सभाचाय ऩत्र, ऩत्रत्रकाएॉ, कहातनमाॉ आहद। इन को ऩढ़ने से हभायी ऻान िदृ्धध होती है। िधदािरी फढ़ती है। साथ-साथ भनोयॊजन बी होता है। भन प्रसन्न यहता है तथा ऩढ़ाई भें रुधच फढ़ती है। तन्सॊदेह जहाॉ ऩढ़ाई भें रुधच हो, िहाॉ सपरता ही सपरता लभरती है। प्माये छात्रो, हभायी इन छोर्ी-भोर्ी फातों ऩय ध्मान दीब्जए औय सपरता ही सपरता ऩाइए। आऩकी सपरता से आऩके ऩरयिाय का गौयि फढ़ेगा औय साथ-साथ हभें बी प्रसन्नता होगी।

    -श्रीभती भामा लसयतन

    रघु कथा

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    ककिने रािाय हैं हभ

    उनकी िब्क्त के आगे कबी ककसी का फस चरता नहीॊ उछर रें कूद रें गिष चाहे ककतना ही कय रें सम्ऩवि ऩाकय ककतना ही अकड़ के चर दें उनकी िब्क्त के आगे कबी ककसी का फस चरता नहीॊ

    तूपानों को अफ तक योक नहीॊ सकते बूकम्ऩ ऩय अफ तक काफू ऩा नहीॊ सकते ज्िाराभ खी का भ ख फन्द कय सकते नहीॊ फाढ़ के ऩानी को सोख सकते नहीॊ प्रकृतत की भज़ी को फदर सकते नहीॊ उन की िब्क्त के आगे कबी ककसी का फस चरता नहीॊ

    सूयज की गयभी को फ झा सकते नहीॊ चाॉद की चाॉदनी को छ ऩा सकते नहीॊ तायों को हभ चभका सकते नहीॊ सागय की रहयों को योक सकते नहीॊ फपष फायी को योक सकते नहीॊ उनकी सकती के आगे कबी ककसी का फस चरता नहीॊ

    उनके आगे ककतने कभज़ोय हैं हभ उनके आगे ककतने राचाय हैं हभ

    कैसे जीना है ?

    मोंहीॊ ककसी को भॊब्ज़र नहीॊ लभरती मोंहीॊ ककसी को सपरता नहीॊ लभरती हाथ ऩय हाथ धये कोई काभ होता नहीॊ मूॉ हीॊ फोरते यहने से सभस्मा स रझती नहीॊ हय कभष के ऩीछे ऩरयश्रभ कयनी ही है

    ठोकय खाकय फच्चा बी हाय नहीॊ भानता हायकय खखराड़ी बी रुक नहीॊ जाता थककय याही बी थभकय नहीॊ फैठ जाता धोखे खाने ऩय जीिन का अॊत नहीॊ हो जाता आगे औय आगे फढ़ने ऩय ही सपरता लभरती है

    ऩयीॊदा बी उड़ने से ऩहरे ज़भीन ऩय चरता है िाम मान बी उड़ान बयने से ऩहरे ऩट्र्ी ऩय दौड़ता है ऩेड़ फनने से ऩहरे फीज बी अॊक रयत होता है विद्िान फनने से ऩहरे छोर्ी क यसी ऩय ही फैठते हैं अचानक ककसी को सपरता हाथ नहीॊ आती

    लिखय ऩय चढ़ने के फाद नीचे आना ऩड़ता है पर से रदने के फाद िालरमों को झ कना

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    ऩड़ता है ग राफ ऩाने के लरए काॉर्ों से ग जयना होता है ज़भीन की लसॊचाई के लरए फादर को नीचे आना ही ऩड़ता है अकड़कय खड़ ेहोने ऩय एक योज़ रू्र्ना ही होता है

    न कॊ स का अलबभान यहा न यािण की अकड़ न हहयण्मकलिऩू का अहभ ्यहा न द मोधन का स्िाथष यहा न जमद्रथ फचऩामा न लिि ऩार ही फचा यहा द श्भन, ऻानी, िीय, धनिान न सदा के लरए यहा है न यहने िारा है स्िमॊ को ऩहचान रें कक हभें कहाॉ ब्स्थत होना है हभें कैसे जीना है औय क्मों जीना है

    वह सभम कहाॉ गमा

    िैसी स फह नहीॊ होती िैसी िाभें नहीॊ होती िैसी हिाएॉ नहीॊ फहती िैसे रोग नहीॊ लभरते ब्जनसे जीिन भें स कून लभर जाए

    िह अऩनाऩन कहाॉ गमा िह आत्भीमता कहाॉ गई िह स नहया सभम कहाॉ गमा

    िे अनजाने ऩय अऩने से रोग कहाॉ गामफ हो गए

    लभट्र्ी का ही सही िह ़ििष कहाॉ गमा ब्जस ऩय कदभ यखते ही स कून का एहसास होता था िह प्माया सा आॉगन कहाॉ खोमा ब्जस भें अऩने ऩयाए गाॉि बय के फच्चे

    ककरकारयमाॉ बया कयते थे

    िे नहदमाॉ अफ कहाॉ फहती हैं जो प्मासों की प्मास फ झा देती थीॊ ऩूये फदन भें ठॊिक ऩह ॊचा देती थीॊ ऩयोऩकाय औय प्रगतत का ऩाठ ऩढ़ा देती थीॊ

    ग जये ज़भाने को हभने कैसे कैद न ककमा हाथ से कैसे जाने दे हदमा ज़भाने को कैसे जाने दे हदमा

    -धनयाज िम्ब

    िात्सल्म, स्नेह, कोभरता औय दमा इन्हीॊ आधायों ऩय सबृ्ष्र् थभी ह ई है औय मे ब्स्त्रमों के ग ण हैं ।

    -भ ॊिी प्रेभचन्द (कभषबूलभ से)

  • 17

    हहन्दी साहहत्म सम्भेरन मात्रा :- जुराई २०१९ वऩछरे ६ दिकों से भॉयीिस की हहन्दी प्रचारयणी सबा बायत के प्रमागयाज भें ब्स्थत हहन्दी साहहत्म सम्भेरन विश्िविद्मारम से अऩनी भाध्मलभक कऺाओॊ ( ऩरयचम, प्रथभा, भध्मभा तथा उिभा साहहत्म यत्न ) की ऩयीऺाएॉ कयिाती आ यही है।

    इन सबी ऩयीऺाओॊ से सॊफॊधधत व्मिस्थाएॉ हहन्दी सम्भेरन द्िाया होती हैं :- ऩाठ्मक्रभ की तैमायी, प्रश्नऩत्र फनाना औय भॉयीिस बेजना, अॊकन कामष, ऩयीऺापर तथा प्रभाण ऩत्र तैमाय कय हभायी सबा को बेजना। इसी कायण हहन्दी प्रचारयणी सबा तथा हहन्दी साहहत्म सम्भेरन का सम्ऩकष फना यहता है। कबी सम्भेरन के प्रतततनधध गण हभायी सबा भें आते हैं तो कबी हभायी सबा के सदस्म िहाॉ जाते हैं। इस आने-जाने का एक भात्र उद्देश्म विचाय विभिष कयना है। इसी उद्देश्म को रेकय सार २०१९ के ज राई भहीने भें हहन्दी प्रचारयणी सबा का एक प्रतततनधध भॊिर सम्भेरन गमा। प्रतत के रूऩ भें सबा के प्रधान, श्री धनयाज िम्ब , भहासधचि श्रीभती योहहणी याभरूऩ , कोर्ाध्मऺ श्री र्हर याभदीन तथा उऩ प्रधान श्री मॊत देि फ ध जी १४ ज राई २०१९ को बायत ऩह ॉचे। बायत जाने से ऩूिष मह तनणषम लरमा गमा था कक हभ अऩनी ऩयीऺाओॊ के फाये भें जानकारयमाॉ प्राप्त कयेंगे औय लिऺा सॊस्थाओॊ का दौया कयेंगे। ऐसा ही ककमा गमा। सम्भेरन िारों से हभें ग रुिाय १७ ज राई २०१९ को लभरना था।

    ववश्व हहन्दी ऩरयषद द्ववाया आमोज़जि गोष्ठी फ धिाय १४ ज राई को हभाये प्रतततनधध भॊिर के लरए विश्ि हहन्दी ऩरयर्द् के अध्मऺ ऩी.के.लसॊग द्िाया आमोब्जत एक गोष्ठी भें बाग रेने का स अिसय प्राप्त ह आ। उस भें हभ से हहन्दी प्रचारयणी सबा ( भॉयीिस ) के फाये भें फातचीत ह ई । फायी-फायी से हभ चायों को फोरने का अिसय हदमा गमा। हभ ने सबा के इततहास, उसके सॊचारन के फाये भें फोरते ह ए उसकी तत्कारीन गततविधधमों ऩय बी प्रकाि िारा।हभाये लरए हर्ष की फात मह थी कक हभायी फातचीत को बायत के हहन्द स्तान होर् राइन मूट्म फ चैनर द्िाया ऩ नध्िषन्मॊकन ( recording ) ह आ। प्रो़ेिसय ऩी.के.लसॊग ने हभें मह जानकायी दी कक आनेिारे हदनों भें विश्ि हहन्दी द्िाया कई सॊस्थाओॊ भें ' हहन्दी

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    हदिस ' भनामा जाने िारा था। हभ चायों ने उसी मूट्म फ चैनर द्िाया उन सॊस्थाओॊ को ' हहन्दी हदिस ' की ि ब काभनाएॉ बेजीॊ। हभ सफ को रगा कक प्रो़ेिसय ऩी.के.लसॊग द्िाया आमोब्जत िह गोष्ठी हभाये हहत भें थी क्मोंकक मूट्म फ चैनर द्िाया हभायी सबा ऩूयी द तनमा को नज़य आई - वििरे्कय सबा की आयब्म्बक अिस्था से रेकय तत्कारीन गततविधधमों के फाये भें का़िी जानकारयमाॉ प्राप्त ह ई होंगी। साथ-साथ प्रो़ेिसय ऩी.के.लसॊग ने भहात्भा गाॊधी जी की १५० िीॊ जमन्ती के ऩ नीत अिसय ऩय १३-१४ लसतम्फय को हदल्री-बायत आमोब्जत होने िारे अॊतययाष्रीम हहन्दी सम्भेरन भें बाग रेने के लरए हभायी सबा को आभॊत्रत्रत ककमा। १४ ज राई की गोष्ठी तथा सम्भेरन भें बाग रेने के लरए प्रो़ेिसय ऩी.के.लसॊग जी को हाहदषक धन्मिाद तथा आबाय प्रकर् कयना चाहेंगे।

    केन्रीम हहन्दी सॊस्थान मात्रा प्रो़ेिसय प्रदीऩ क भाय लसॊग से फातचीत के दौयान ऩता चरा कक रखनऊ भें ' कें द्रीम हहन्दी सॊस्थान ' नाभक एक विश्िविद्मारम है जहाॉ से हभें ऩयीऺाओॊ के फाये भें विचाय लभर सकें गे। हभ आगया गमे औय विश्िविद्मारम के क रऩतत से लभरे, फातचीत ह ई, उन्होंने हभें फतामा कक कें द्रीम हहन्दी सॊस्थान भें हभाये विद्मारम के स्तय की ऩयीऺा नहीॊ होती है। िहाॉ ऩय उच्चतभ स्तय जैसे ( एभ.ए , फी.ए तथा ऩी.एच.िी ) के कोसष चराए जाते हैं। उनके सॊस्थान के फाये भें जानकायी प्राप्त कयने के लरए उन्होंने हभें एक विियणी बी दी।

    उिय प्रदेश हहन्दी सॊस्थान अऩनी मात्रा के दौयान क छ जानकारयमाॉ प्राप्त कयने के लरए हभ रखनऊ भें ब्स्थत उिय प्रदेि हहन्दी सॊस्थान गमे। िहाॉ की तनदेलिका श्रीभती अतनता द फे से लभरे ब्जन्होंने अऩनी सॊस्था के फाये भें का़िी क छ फतामा। कहा कक सॊस्थान के कई दातमत्ि हैं ब्जनभें सभायोहों का आमोजन कयना, उदाहयणाथष भहान बािों की जमन्ती के अिसय ऩय तथा स्भतृत भें विलबन्न प्रकाय की गोब्ष्ठमाॉ का आमोजन कयना। याजबार्ा हहन्दी की श्रीिदृ्धध के लरए उिय प्रदेि हहन्दी सॊस्थान सतत ्सभवऩषत यहता

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    है। महाॉ ऩय िावर्षक सम्भान सभायोह का आमोजन होता है ब्जसभें विश्िस्तयीम बायतीम प्रिालसमों को हहन्दी बार्ा के प्रचाय-प्रसाय के लरए गौयि सम्भान प्रदान ककमा जाता है। उल्रेखनीम फात मह है कक भॉयीिस के कई रोग, जैसे सत्मदेि र्ेंगय, याभदेि ध यन्धय को बी गौयिाब्न्ित होने का सौबाग्म प्राप्त हो च का है। प्रकािन बी इस सॊस्थान की गततविधधमों भें से एक है।

    सम्भेरन मात्रा ग रुिाय १७ ज राई को हभ चायों सबा के प्रधान, श्री धनयाज िम्ब , भहासधचि श्रीभती योहहणी याभरूऩ , कोर्ाध्मऺ श्री र्हर याभदीन तथा उऩ प्रधान श्री मॊत देि फ ध जी बायत के प्रमोग याज भें ब्स्थत

    हहन्दी साहहत्म सम्भेरन ऩह ॉच।े िहाॉ के ऩदाधधकारयमों से लभरे ब्जनभें सम्भेरन के प्रधान भॊत्री, श्री विबतूत लभश्र जी, प्रो़ेिसय एभ.ऩी ततिायी जी, श्री अॊजतन क भाय ि क्र जी ( ऩयीऺाध्मऺ ) प्रौद्मोधगकक विबाग के ब्ज़म्भेदाय श्री कभरेि त्रत्रऩाठी तथा श्री ऩवित्र ततिायी जी थ।े ऩूिषकामाषरमाध्मऺ ( ex office superintendent ) स श्री िेर्भखण ऩाण्िमे जी ने बी अऩनी उऩब्स्थतत दी थी।

    दोनों ऩऺों भें फाििीि :- फैठक की ि रुआत भें अधधकारयमों ने हभाया स्िागत ककमा। हभ ने अधधकारयमों को अऩने आने का उद्देश्म फतामा तथा एक-एक कयके सबी विचायणीम विर्म यखे। ऩहरी चचाष हहन्दी प्रचारयणी सबा के प्रधान द्िाया ऩाठ्म ऩ स्तक को रेकय ह ई। प्रधान जी ने अधधकारयमों से भाॉग की कक ऩाठ्मक्रभ भें िे ही ऩ स्तकें तनहहत कयें जो उऩरधध हों।

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    प्रौद्वमोचगकक िथा दयूबाष सॊऩकक प्रौद्मोधगकक के फाये भें फात कयते ह ए उऩप्रधान श्री मॊत देि फ ध जी ने कहा कक सम्भेरन द्िाया बेजे भेर स्ऩष्र् हदखाई नहीॊ देते हैं, स्कैतनॊग कयते सभम सॊदेि के क छ बाग कर् जाते हैं। श्री फ ध जी ने उसभें स धाय राने की भाॉग की। उन्होंने मह बी अन योध ककमा कक सबी सॊदेि ऩी.िी.एप. भें बेजे जाएॉ। हभ ने कम्प्मूर्य चारकों के साथ कम्प्मूर्य कऺ का बी एक दौया ककमा। हभाये प्रधान जी की मह बी तनिेदन यहा कक िे हभ से सॊऩकष फनाए यखें ताकक सॊप्रेर्ण भें स विधा हो वििरे्कय ऩयीऺा के हदनों के आसऩास के सभम। हभें अऩना काभ कयने भें अस विधा होती है जफ सॊऩकष नहीॊ फन ऩाता है ।

    अन्म भाॉगें हभने उनके साभने मे भाॉगें बी यखीॊ :- (१) बविष्म भें छात्रों के प्रभाण ऩत्रों भें उनके नाभ, कऺा तथा ततधथ योभन लरवऩ भें बी अॊककत हो। (२) प्रश्नऩत्र तथा ऩयीऺा पर उधचत सभम ऩय तथा उधचत रूऩ भें बेजें ताकक हभाया काभ स चारु रूऩ से चरे। (३) प्रश्नऩत्रों की उधचत सॊख्मा को प्राब्स्र्क के लऱिापे भें िारकय बेजें। लऱिापे ऩय कऺा का नाभ तथा प्रश्नऩत्रों की सॊख्मा अॊककत हो। (४) उिभा साहहत्म यत्न के प्रश्नऩत्रों भें क छ ऩरयितषन का प्रस्ताि यखा गमा - जैसे दसूये प्रश्नऩत्र भें बायतीम/ऩाश्चात्म काव्म िास्त्र की जगह लिऺा लसद्धान्त / लिऺण करा मा लिऺा भनोविऻान यखा जाएॉ ब्जससे छात्र आगे चरकय लिऺण करा के लरए सऺभ हों। कऺा के लरए दसूया ऩरयितषन ऩाॉचिे प्रश्नऩत्र भें दो तनफॊध न लरखिाकय एक लरखिामा जाए औय दसूये तनफॊध की जगह छात्रों की भौखखक ऩयीऺा री जाए। ऐसा कयने से छात्रों के सॊप्रेर्ण कौिर को उबाया जा सकता है - अॊक विबाजन एक तनफॊध - ५० अॊक तथा भौखखक कामष के लरए बी ५० अॊक। उिभा एक के लरए मह प्रस्ताि यखा गमा कक प्रथभ तथा द्वितीम खण्ि भें बी ऩाठ्मक्रभ भें सॊस्कृत बार्ा िालभर की जाए। उिभा साहहत्म यत्न के लरए बी एक विचाय यखा गमा कक अस्िस्थता मा ककसी वििरे् कायण के लरए छात्र एक मा दो प्रश्नऩत्रों भें बाग न रे सके तो क्मा उससे ऩूयक ऩयीऺा कयिा सकते हैं! उिभा साहहत्म यत्न के प्रश्नऩत्र भें प्रस्तावित ऩरयितषन के लरए ऩरयऺाध्मऺ ि क्रा जी ने कहा कक ऩाठ्मक्रभ भें ककसी बी तयह का ऩरयितषन केिर सार २०२२ से ही ककमा जा सकेगा।

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    (५) कपय ि क्रा जी से ऩूयक ऩयीऺा की ि ल्क भें क छ कभी राने की भाॉग की गई ब्जसऩय उनकी सराह यही कक हभ भॉयीिस भें आमोब्जत सबी कऺाओॊ की ऩयीऺा ि ल्क भें िदृ्धध राएॉ तथा उनको बी क छ ज़्मादा च काएॉ। उन्होंने कहा कक बायत भें प्रथभा ऩयीऺा के लरए ५५० रुऩए च काते हैं जफकक भॉयीिस से इसी कऺा के लरए उनको कभ यकभ प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कक जफ से उन्होंने अध्मऺ ऩद सम्बारा तफ से सबी प्रभाणऩत्र भोरे् कागज़ ऩय छाऩे जाते हैं ब्जसऩय अधधक खचष होता है। (६) हभ ने अधधकारयमों से ऩचों के ऩ न्अॊकन की सम्बािना के फाये भें ऩूछा - इस ऩय ि क्रा जी ने कहा कक मह तनणषम कलभहर् भें लरमा जाएगा। (७) हभाये ऩाठ्मक्रभ भें सॊस्कृत के फाये भें फोरते ह ए प्रधान जी ने कहा कक हभाया विचाय है कक प्रथभा कऺा भें हभाये स्थानीम रेखक की ऩ स्तक को यखा जाए। (८) आजकर की लिऺा व्मिस्था को ध्मान भें यखकय हभ ने सबी कऺाओॊ ( ऩरयचम से उिभा साहहत्म यत्न तक ) के लरए प्रश्नऩत्र भें एक अन िाद का प्रश्न यखा जाए। अॊगे्रज़ी से हहन्दी तथा हहन्दी से अॊगे्रज़ी भें नहीॊ हो ऩाएगा क्मोंकक ऐसा कयने से का़िी जाॉच ऩड़तार कयनी ऩड़ेगी। सो तत्कार कोई स धाय नहीॊ हो ऩामा। हहन्दी प्रचारयणी सबा के प्रधान श्री िम्ब जी ने ऩयीऺाध्मऺ को एक तनिेदन ऩत्र बी लरखा। श्री ि क्रा जी ने हभ से ऩूछा कक भॉयीिस सयकाय ऩरयचम से उिभा साहहत्म यत्न के लरए कौन सी भान्मता देती है तो हभाया जिाफ मह यहा कक प्रथभा को एस.सी, भध्मभा को एच.एस.सी तथा उिभा साहहत्म यत्न को डिप्रोभा इन हहन्दी का दजाष हदमा गमा है।

    ऩाठ्म ऩुस्िक की भाॉग। हभ ने सम्भेरन से भाॉग की कक िे हभें ऩाठ्म ऩ स्तक बेजें औय हभ अऩनी सबा से उन्हें छात्रों तक ऩह ॉचाएॉ। ऐसा कयने से दो सॊस्थाएॉ राबाब्न्ित होंगी। ि क्रा जी से मह बी तनिेदन ककमा गमा कक िे बायत के ऩ स्तकारमों से ऩ स्तक हभें उऩरधध कयिाएॉ। उन्होंने हभायी इस भाॉग को स्िीकाया।

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    प्रश्नऩत्र िथा ऩयीऺापर की साभतमक भाॉग हभाये प्रतततनधध भण्िर ने सम्भेरन के ऩदाधधकारयमों से तनिेदन ककमा कक बविष्म भें प्रश्नऩत्र तथा ऩयीऺापर उधचत सभम ऩय हभें बेज हदए जाएॉ इससे हभायी ऩयीऺा की ऩूयी व्मिस्था भें स विधा होगी वििरे्कय हभायी ऩयीऺाएॉ स्कूरी छ ट्हर्मों के दौयान री जाती हैं । ऩयीऺा पर लभरने के फाद ही हभ आिेदन-ि ल्क रेते हैं ।मह बी प्रस्तावित ककमा गमा कक हभें प्रश्नऩत्र स्ऩीि ऩोस्र् द्िाया बेजने की कृऩा कयें।

    फैठक का अॊतिभ ियण दोनों ऩऺों के विचाय विभिष के ऩश्चात ्प्रो़ेिसय ततिायी ने ऩयीऺाध्मऺ से अन योध ककमा कक आगे चरकय हहन्दी प्रचारयणी सबा के कामों को प्राथलभकता दी जाए। सबी अधधकारयमों ने उनसे सहभतत जताई। हभ ने सम्भेरन के सॊग्रहारम भें क छ सभम त्रफतामा। िहाॉ से प्रस्थान होने से ऩहरे हभ ने विचाय यखा कक दोनों ऩऺों ( H.p.s , H.s.s ) के फीच एक अन फन्ध ऩय हस्ताऺय ककमे जाएॉ रेककन िहाॉ के अधधकारयमों ने कहा कक इस ऩय उनकी कलभर्ी भें विचाय ककमा जाएगा। हभ ने सम्भेरन से ऩयीऺा के तनयीऺण हेत हदसॊफय भें आने का आभॊत्रण हदमा। ततिायी जी की ओय से सकायात्भक उिय प्राप्त ह आ।

    तनष्कषक :- ऐसा कह सकते हैं कक बायत के साहहत्म सम्भेरन तथा भॉयीिस की हहन्दी प्रचारयणी सबा के फीच की मह फैठक सकायात्भक यही। हभायी क छ भाॉगों को तत्कार भान लरमा गमा औय क छ के लरए हभें फतामा गमा कक कलभहर् रेिेर ऩय तनणषम लरमा जाएगा। हहन्दी प्रचारयणी सबा की ओय से हभ सम्भेरन के अधधकारयमों को उनके सहमोग तथा स्िागत के लरए तथा उनके सयाहनीम कामष के लरए आबाय तथा हाहदषक धन्मिाद अऩषण कयते हैं।

    श्रीभती योहहणी याभरूऩ

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    ऩिासीवाॉ सभाविकन सभायोह हहन्दी प्रचारयणी सबा ने ७ हदसॊफय २०१९ को श्री विकास याभधनी की अध्मऺता भें अऩना ८५ िाॉ सभाितषन सभायोह भनामा। उस हदन के कामषक्रभों का स सॊचारन श्रीभती योहहणी याभरूऩ ने ककमा था। देि-विदेि के कई भहान बािों ने, ब्जनभें श्री ऻानेि कैन, बायतीम उऩ-उच्चाम क्त, िॉ. विनोद क भाय लभश्र, भहासधचि विश्ि हहन्दी सधचिारम, श्री तनयॊजन फीगन, प्रिासक-लिऺा भॊत्रारम आहद प्रभ ख थे, अऩनी उऩब्स्थतत से सभायोह की िोबा भें चाय चाॉद रगामा था। कामषक्रभ का श्री गणेि हहन्दी प्रचारयणी सबा के प्रधान, श्री धनयाज िम्ब के स्िागत बार्ण से ह आ था। सिषप्रथभ, उन्होंने हहन्दी के दो कभषठ सेविमों, श्रीभती सीता याभमाद तथा श्रीभान झगरू भध , के आकब्स्भत तनधन ऩय िोक प्रकर् कयते ह ए एक लभनर् के लरए भौन धायण कयने का विनम्र अन योध ककमा। तत्ऩश्चात,् क भायी ख िी झोयी ने ' कय दो दमा भाॉ, भेयी िायदे भाॉ... ' ऩय आधारयत एक राजिाफ नतृ्म प्रस्त त ककमा ब्जसे सफने सयाहा। सबा के उऩ प्रधान, श्री मन्त देि फ ध , ने बी अऩनी ओय से अततधथमों का हाहदषक स्िागत ककमा। इसके फाद भॊच ऩय आसीन प्रभ ख भहान बािों के साथ दीऩ प्रज्िरन भें बाग लरमा। कपय सबा के छात्र-छात्राओॊ ने फड़ी ही भध य िाणी भें ' स फह-सिेये रेकय तेया नाभ प्रब ..... ' नाभक प्राथषना की। अऩने सॊदेि भें सबा के प्रधान श्री धनयाज िम्ब ने िर्ष २०१९ भें आमोब्जत विलबन्न प्रततमोधगताओॊ तथा गततविधधमों से अिगत कयामा। उन्होंने हहन्दी छात्रों की घर्ती सॊख्मा तथा हहन्द ओॊ द्िाया हो यहे धभष-ऩरयितषन को रेकय गहयी धचन्ता व्मक्त की। उन्होंने मह घोर्णा की कक हहन्दी का सम्फन्ध भात्र नौकयी की प्राब्प्त तक सीलभत न यखा जाए, अवऩत ऩयम्ऩयाओॊ, सॊस्कृतत, सभ्मता आहद से सॊरग्न ककमा ज�