new parichay shivir hindi shriram aug 2012-updated · 2017. 3. 28. · ो प र य श र े...
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�ाथ�मक परचय �श�वर may 2012 (नो�स मा� परचय �श�वर हेत ु| अ�ययन के �लए नह� ंहै)
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“thou fo|k” �ाथ�मक परचय �श�वर - �श�वराथ! नो�स : मई २०१२
- इस लेख क) �*तु+त एवं िज.मेदार�: 0ीराम नर�स.हन (�व3याथ!)
“e/;LFk n'kZu-lgvfLrRookn” के �ाथ�मक परचय हेतु (vfLrRo ewyd Ekkuo dsafnzr fparu)
- iz.ksrk ,oa ys[kd 0ी ,-ukxjkt, vejdaVd, (म.�) -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
“भौ�तकवाद एवं आदश�वाद* का �वक�प” * आदश8वाद = आ�या9मवाद, अ:धदैवीवाद, अ:धभौ+तकवाद
जीवन �व�या उ�दे!य (>ोत: ‘अ�ययन @बदं’ु, ए नागराज)
� जीव चतेना से मानव चतेना मD गुणा9मक परवत8न हेत ु
� मानवीयता सहज आचरण �माण हेत ु
� सव8तोमुखी समाधान-सम3ृ:ध सGहत - अखडं समाज एवं साव8भौम Iयव*था Jप
मD �माण हेत ु
*वत8मान ि*त:थ* *आवLयकता* धरती ताप M*त धरती संतुलन रहना �दषूण ऋत ुसंतुलन बना रहना सभी मानव समुदाय असुरQRत धरती पर मानव का अRुSण रहना
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परचय �श�वर, गो%ट' का उ�दे!य:
i. ‘समझना’, चेतना �वकास = लVय के Jप मD *पWट हो
ii. समझने क) ‘मलू व*त’ु �*ताव Jप मD :चिYहत हो:
o जीवन (*वय ं(मZ);
o मानव-मानव सबंधं (परवार, समाज) [Yयाय, धम8];
o मानव- �कृ+त सबंधं, Iयव*था [धम8];
o अि*त9व, सहअि*त9व [स9य]
iii. ‘*वय ंमD जांचने’, क) �^_या शJु हो:-
o �*ताव का शोध (‘*व-+नर�Rण’) �ारंभ हो
iv. समझने के �लए आगे ‘अ�ययन’ करने क) आवLयकता *पWट हो
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funsZ’k
• ;g uksV सवंाद शलै� मD जीवन �व3या �ाथ�मक परचय �श�वर ds fy, gSA blesa izkjafHkd lwpuk gSA v/;;u ds fy, e/;LFkn’kZu&lgvfLrRookn okaxe; gS (१२
प*ुतक) : �णेता एव ंलेखक – ए नागराज | यह लेख अ�ययन के �लए नह'ं है | • यह �*ताव मझुे 0ी ए नागराजजी से �मला| मZ इसे समझने, जीने के �यास मD हँू| इस
लेख मD >ोत के Jप मD 0ी ए नागराजजी के नाम एव ंलेख का �योग ^कया गया है| इसका
ता9पय8 यह नह�ं है क) 0ी नागराज ने इस लेख को जांचा है| लेख के �लए मZ िज.मेदार हँू|
• lkjs thou fo|k �श�वरc dk mn~ns’; ,oa मलू&oLrq ,d gh है | crkus ds तर�के और @बदं ुizcks/kd dh dYiuk 'khyrk ds vuqlkj, 0ोता क) आवLयकता अनसुार fHkUu gks ldrs gSaA gj izcks/kd viuh fLFkfr सGहत izdV होत ेहै | v/;;u Øe esa ;g iz[kj gksrs tkrk gSA ;gh bldk Øe gSA le>us&le>kus dk dke lkFk LkkFk pyrk gS & le>nkjh ls ifjiw.kZ gksus] thus es izek.k izLrqr djus rdA इस लेख मD Gदया गया �श�वर एक �व:ध है: ऐसे अनेक परचय �श�वर लेने के �व:ध हो सकत े है, हcगे, होत े रहDगे | एक से अ:धक
Iयिfतयc के �श�वर करने मD लाभ है, इससे ‘व*त’ु पर अलग अलग �वधी से �यानाकष8ण
होता है |
• ;g ,d eS=hiw.kZ izfØ;k gS] �*ताव Jप मD �*तुत gSA इसे सनुकर सहमती-असहम+त Iयfत करना, यGद सहम+त है तो इसे परूा समझने क) +नWठा होना, पLचात समझकर
जीना, यह सब आपके अ:धकार मD है| इसमD आप *वत�ं है |
vkHkkj
इस लेख के ’४ *तर पर Iयव*था’ वाले भाग bu O;fDr;ksa ds �श�वरc से सMंहण है: x.ks’k
ckxfM+;k -dkuiqj, lkse R;kxh -jk;iqj; lk/ku HkV~Vkpk;Z -vejdaVd; योगेश, सवुणा8- रायपरु|
अYय सहायता - गौर� 0ीहर�
लेख क- िज/मेदार', सपंक� ,oa lq>ko
Jhjke ujflagu, गौर� 0ीहर�
[email protected], [email protected]
ph: 99077-94154 (छ.ग.)
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�श�वरा1थ�य2 के �लए �वशषे सचूना:
�ाथ�मक परचय �श�वर के पLjयात ‘अ�ययन @बदं ुपरचय �श�वर’ करना आवLयक है, िजसमे
समझने, जीने क) स.पणू8 व*त ुपर �व*तार एव ंगहन चचा8 होती है| इस _म मD ‘अ�ययन @बदं’ु
पिु*तका मD Gदए ४४ @बदं ुपरेू होत ेहZ | इjछा हो तो इसे कर सकत ेहै| स.पणू8 अ�ययन के �लए
म�य*थ दश8न वांkमय १३ प*ुतकc मD उपलnध हZ – दश8न – वाद- शा*� – स�ंवधान – परभाषा
सGंहता देखD| �श�वर के पLjयात ‘�वकoप’ पु*तक एव ं‘जीवन �व3या एक परचय’ आवLय पढ़D |
इस नो6स के अतं म8 �य:ुत म;ुय श| श| परभाषा ह' श
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�णेता स�दशे �णेता स�दशे �णेता स�दशे �णेता स�दशे **** * �ोत = लखेकय, मानवीय आचरण सू� – पुि�तका
म�ने इस तय को भली �कार स ेसमझा ह ै�क हर मानव मानव�वपूव�क ही अपने वैभव को �मािणत करना चाहता ह।ै परंपरा म! सव� मानव �कसी न �कसी समुदाय या दशे के "प म!, धम� के "प म!, रा$य के "प म! %वीकृत 'आ दखेा गया। इसी के साथ जाित, मत, वग�, स-�दाय, पंथ. के "प म! होना भी %प/ ह।ै इन सभी िविधय. स ेसमुदाय चेतना िवकिसत 'ई न �क मानव चेतना। इसके साथ यह भी गवािहत ह ै�क अभी तक धरती पर होन ेवाल ेसमुदाय. म! से कोई ऐसा समुदाय नह4 ह ैिजसको सभी %वीकारते ह. इसिलए मानव�व क6 आव7यकता सहज "प म! समझ म! आई। इसके िलए आव7यक6य सभी शोध-अनुस:धान �कए। जीवन का मौिलक अथवा सव�मानव का मौिलक �< सखुी होने का ह ै=य.�क सव� दशे-काल म! सुखी होने के आशय स ेही जंगल स े>ाम, >ाम से नगर या?ा मानव ने क6। इस या?ा म! आहार, आवास, अलंकार, दरू-@वण, दरू-गमन, दरू-दश�न संबंधी सभी वैभव मानव को करतलगत 'ए। जब म�न ेमानव क6 पBरभाषा को समझा तो यह पाया �क सव� मानव मनाकार को साकार करने वाला और मन:%व%थता को �मािणत करने वाला ह।ै इस पर Eयान दनेे से पता लगा �क मानव मनाकार को साकार करने म! समथ� हो गया ह ैले�कन मन:%व%थता को �मािणत करने म! असमथ� ह ैअथवा �यFशील ह।ै इसी कारणवश यह िनGय 'आ �क सव�-मानव मानव�व सिहत ही मन:%व%थता का �माण �%तुत करेगा, फल%व"प ही अखIड समाज, साव�भौम Kव%था इस धरती पर �मािणत होगी। तभी मानव अपराध परंपराL स ेमुM हो पाएगा, धरती को रोगी बनाने के काय�Nम से मMु होगा। मानव परंपरा म! िविभO �कार स ेसाधना, उपासना, अPयास क6 बात कही गई ह।ै यह सब %वांत: सुख के अथ� म! रहा जब�क मानव�व सव�-शुभ के अथ� म! होना अनुभव �कया ह।ै =य.�क अि%त�व म! ��येक एक अपने �व सिहत Kव%था, सम> Kव%था म! भागीदारी के "प म! ही वैभिवत ह,ै अतएव मानव क6 मानव�व सिहत Kव%था, सम> Kव%था म! भागीदारी %वाभािवक ह।ै मानव म! मानव�व �मािणत होने के िलए आव7यक6य पूरा वाQय �%तुत �कया जो मEय%थ दश�न, सह-अि%त�ववाद ह ैिजसम! मानवीय िशRा, मानवीय संिवधान, मानवीयतापूण� आचरण और मानवीय Kव%था बोध सलुभ होने क6 Kव%था ह।ै इसी
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Nम म! जीवन Sान, अि%त�व दश�न Sान, मानवीयतापूण� आचरण Sान स-पO होने क6 Kव%था ह।ै ये सब एक-दसूरे से जुड़ी किडय़ा ह� इसम! से जीवन Sान ही जीवन िवVा के "प म! %प/ 'आ। इस ेएक अिभयान के "प म! अथा�त् अPयुदय के अथ� म! होना अनुभव �कया गया। जीवन िवVा को बोध कराने के िलए और उसके मूल म! Sान, िवSान, िववेक स-पOता सहज सुलभ अथवा सव� सुलभ होने के िलए िनY सभी >ंथ �%तुत 'ए :- मानव Kवहार दश�न, मानव कम� दश�न, मानव अPयास दश�न, मानव अनुभव दश�न। समाधाना�मक भौितकवाद, Kवहारा�मक जनवाद, अनुभवा�मक अEया�मवाद, Kवहारवादी समाजशाZ, आवत�नशील अथ�शाZ, मानव संचेतनावादी मनोिवSान, जीवन िवVा : एक पBरचय। इन सभी वाQय का �योजन मनु[य म! ही �मािणत होना ह।ै अEययन तो समझदार मानव ही कराएगा अथा�त् समझदार मानव स ेही अEययन साथ�क होगा। जीवन िवVा िशिवर. म! यह कराया जाता ह।ै मानवीय िशRा सं%कार क6 अवधारणाL को \दयंगम करना आव7यक ह ैिजसके साथ मानवीय मू]य, चBर? और नैितकता �मािणत होना आव7यक रहगेा। हर मानव जीने म! समझदारी को �मािणत करेगा। स-पूण� वाQय सूचना ही ह ैन �क �माण। इसके साथ यह भी मरेी %वीकृित ह ै�क सभी मं?, यं? और पु%तक. स े��येक जागृत मानव बड़ा ह।ै अतएव मानव सहज समझदारी के िलए ही स-पूण� वाQय �%तुत ह।ै यह �माण पर-परा म! ही मानव वैभव सहज होगा, यह मेरा िव^ास ह।ै
ए. नागराज �णेता एवं लखेक -मEय%थ दश�न, सह-अि%त�ववाद
पो. अमरकंटक, @ी नम�दा मं�दर के सामन ेिजला शहडोल (मEय �दशे)
* ��थ: मानवीय आचरण स�ू, जीवन िव�ा काशन, अमरकंटक | लेखक: ए नागराज
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सबंोधन करने वाले (�बोधक) के �लए सचूना
परचय �श�वर मD रखने का _म सामाYय Jप मD
आज तक के जीवन �व3या �श�वरc मD १) Iयिfत, २) परवार, ३) समाज, ४) �कृ+त ‘-
ऐसे ४ *तर पर Iयव*था’ Jप मD �योग ^कया जाता/गया है| अथवा: १) *वय,ं २) शर�र
के साथ, ३) परवार, ४) समाज, ५) �_+त, ६) अि*त9व ऐसे ‘६ *तर पर Iयव*था’ Jप
मD �योग हुआ है|
इस लेख मD
१) *वय,ं
२) मानव संबंध (परवार, समाज),
३) शषे-�कृ+त संबंध (तीन अव*था) एवं
४) अि*त9व के Jप मD रखा हZ|
- नो�स का उपयोग करते समय इसको �यान मD रखD|
इसके अलावा, व*त ुको
१) *वयं [जीवन ान ]
२) स.पूण8 अि*त9व [अि*त9व दश8न ान ] एव ं
३) जीना, संबंधc को समझना – [ मानवीयतापूण8 आचरण ान ]
- ऐसे “३ ान �वधी” के Jप मD भी रक सकते हZ|
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अनPुमाQणका (Contents)
क भ�ूमका:�श�वर क) आवLयकता, �श�वर fया है, शोध व*त,ु शोध �व:ध| 11 1 Aवयं को समझना: Uयि:त म8 UयवAथा
1.1 मानव = *वय(ंमZ) + शर�र [आवLयकता, ^_या, काय8_म �भYन] 35 1.2 *वय(ंमZ) मD Iयव*था 48 1.2.1 कoपनाशीलता(4.5 ^_या) – परचय, काय8, Iय*तता एवं सम*या 51 1.2.2 उपाय: समझ क) आवLयकता: जीवन, मानव संबंध, �कृ+त संबंध, अि*त9व 63 1.3 शर�र के साथ Iयव*था – *वा*य | आवLयकता +निLचत - सम3ृ:ध 72
2 मानव-मानव स/बXध: [परवार, समाज मD Iयव*था]
[2a.1] परवार म8 UयवAथा 83 2a.1.1 मानव सबंधं – एक वा*त�वकता 87 2a.1.2 सबंधं मD 9 *था�पत मoूय: �वLवास, स.मान, *नेह.......�ेम | 9 �शWट मoूय 89 2a.1.3 परवार का *वप: fयc, fया, कैसे? | 7 सबंधं: परवार मD ३ सबंधं | Yयाय 108
[2b.2] समाज म8 UयवAथा 111 2b.2.1 मानव लVय: समाधान, सम3ृ:ध, अभय, सह-अि*त9व 115 2b.2.2 ५ आयामी योजना: �शRा, *वा*य, उ9पादन, �व+नमय, Yयाय 116 2b.2.3 परवार, समाज का अगं है |अखंड समाज, साव8भौम Iयव*था | सामािजक +नयम 126
3 मानव-�कृ�त स/बXध: �कृ�त म8 UयवAथा 132 3.1 �कृ+त = पर*पर पूरक; �9येक इकाई मD Jप-गुण-*वभाव-धम8| �ाकृ+तक +नयम 134 3.2 ४ अव*था: व*त,ु ^_या, *वभाव, धम8, अनुषंगीयता | �मत, जागतृ मानव 136
4 अिAतBव म8 UयवAथा: सह-अि*त9व
4.1 अि*त9व = सह-अि*त9व = Iयापक मD संपfृत �कृ+त 142 4.2 सहअि*त9व, �वकास_म, �वकास, जाग+ृत_म, जाग+ृत, भौ+तक-रासाय+नक ... 144
-- �श�वर, सारांश| समझ = जीवन ान, अि*त9व दश8न ान, मानवीयतापणू8 आचरण ान 147
***** पर�श%ट (Appendix) *****
(a) महBवपणू� जानकार' a.1 आगे के �लए माग8दश8न: ‘करना :या ह?ै’- �श�वर, प*ुतक, अ�ययन �व:ध... 152 a.2 कुछ Gटपणया ँ 154 a.3 म�य*थ दश8न वांगमय क) सचूी:- दश8न, वाद, शा*�, स�ंवधान, अYय 160 a.4 आगे समझने क) व*त,ु �श�वरc के *तर-२, ३, ४ एव ं“अ�ययन �ePया” 165
(b) अXय जानकार' 171 b1 समझने के _म मD एक Iयिfत क) या�ा... 172 b2 �*ता�वत �वकoप: �शRा, सामािजक धारा एव ंवाद-�वचार मD 173 b3 �च�लत शnद-अथ8 178
b4 मु;य श
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(�श�वर क- आव!यकता)
रखने का Pम - म;ुय gबदं ु
• वत8मान जीने पर चचा8|
o +नWकष8 - हम अतृत हZ |
• सम*या ४ *तर पर है (Iयिfत, परवार, समाज, �कृ+त)| अतृती के कारणc पर चचा8 |
o +नWकष8 – मानव को समझ नह�ं पाना| सम*या का मूल कारण = मानव | मानव पर काम करना है
• मानव मD सम*या के कारणc पर चचा8 (मानव को नह�ं समझने के बारे मD चचा8): अ*पWटता: लVय मD, काय8_म मD या करने मD
o +नWकष8: *वयं का, मानव का लVय *पWट नह�ं है |
• लVय *पWटता के �लए समझ-संबंध-सु�वधा पर चचा8
o अhयास 1: सु�वधा के अलावा सूची | इतने को पूरा करने के अलावा हम आज कुछ नह�ं कर रहे है
o +नLकाष8: सु�वधा आवLयक है, पूरा नह�ं| सह� समझ, संबंध क) आवLयकता| समझ से उभय सुख, उभय सम3ृ:ध | आज समझ पर �यान
नह�ं है
• समझ पर चचा8
o +नWकष8: समझ हमार� मूलभूत आवLयकता है |
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i) ifjp;: उपलिnधया ँ,oa �येय (Achievement and goals)
ii) चचा�: D;k vki r`Ir gSa \ D;k leL;k,a हZ \ vkids vklikl D;k leL;k,a gS \
O;fDr Ikfjokj Lkekt izÑfr --------------- --------------- ---------------
--------------- --------------- ---------------
--------------- --------------- ---------------
--------------- --------------- ---------------
vr`fIr vr`fIr vr`fIr vr`fIr
bls ,slk fy[k ldrs gSa
fu"d"kZ %& Ekkuo ij dke djuk gSA
वत8मान ि*त:थ पर चचा8: समाधान का अभाव| उदाहरण:लोहे को समझे हZ, पानी को समझ े
हZ.....जहाँ +नयम समझ मD आया हZ, वहाँ सम*या नह� ंहै|
inkFkZ
izk.k tho
Ekkuo
ifjokj lekt
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lkjh leL;kvksa dk dkj.k Ekkuo Lo;a gS
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iii) ;g leL;k,a D;ksa gS \ ¼Ekkuo esa कहाँ ह?ै½
Desire/goal How to do/ program Action
leL;k ;k rks 3] 2 ;k 1 esa gSA
चचा8: Gदन भर कुछ चलत ेरहता हZ, ऐसा कJँगा, कुछ हो जाएगा..बचपन से बढुापे तक
� आप D;k pkgrs gS ;g Li"V gksuk gSSA
blds fy, izLrko gS
lqfo/kk
Ekkuo ds fy, vko’;d gS, परूा ugha
Ik’kq ds fy, vko’;d gS, परूा भी
1- lq[k 6- ---------------- 2- laca/k 7- ---------------- 3- lEeku 8- ---------------- 4- izse 9- ---------------- 5- Lo;a dks tkuuk 10- ---------------
xk; ?kkl [kkdj r`Ir gks tkrh gSA D;k vki ,sls r`Ir gks tkrs gS \ ¼dsoy [kkus ls½
* यह �Lन पछूना इसी�लए मह9वपणू8 है, fयc^क हम आज मान चुके है ^क ‘केवल
स�ुवधा से सब कुछ होगा’| परू� आधु+नकता, �वान, इसे ह� को �ो9साहन दे रहा है|
इसके अलावा “और कुछ” है या नह�ं इसको पता करDगे
इतने को परूा करने के �लए vki vkt D;k dj jgs\
* अhयास-१: ge lqfo/kk ds vykok D;k pkgrs gS \ ¼lwph cuk,a½
1- चाहना\ ¼Yk{;½
2- dSls djuk gS\ ¼fn’kk½/काय8_म
3- djuk (dk;Z O;ogkj)
4- Qy&ifj.kke ¼vr`fIr½
Q
Q
Q
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iv) vr% lqfo/kk ds vykok gesa pkfg,
• vkids ifjokj esa tks Hkh leL;k gS] og lqfo/kk ds vHkko es T;knk gS ;k laca/k dsa \
• vki viuk le; lqfo/kk ds fy, fdruk vkSj laca/k ds fy, fdruk yxk jgs gS \
• ;g rhuksa pkfg, ;k buesa fdlh ,d dks NksM+k tk ldrk gS \ fया 3)स�ुवधा से 2)सबंधं
और 1)समझ आएगा?
• vxj rhuksa pkfg, rks D;k ojh;rk gksxh \
v) आज क- िAथ�त:
• vkt ds समय, अपने बjचc ds fy, ge D;k lqfuf’pr dj ik jgsa gS \ 18 lky i
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स�ुवधा म8 • le> ds vHkko esa ge vko’;drk dks Hkh Bhd ls igpkurs ugha vr% lqfo/kk gksrs gq,
Hkh le`f) dk Hkko ugha gksrkA tSls fcuk iasnh dk fXkykl es pkgs ftruk दधू Hkjas] dHkh Hkjsxk ugha
o चचा8: आपमD से ^कतनो लोगc को पता है क) उनके पास ^कतने जोड़ी कपड ेहै?
–इनमे से ^कतने क) आवLयकता है? – fया आपमD यह सम3ृ:ध का भाव है?
le`f) ls nwljs dk iks"k.k lnqi;ksx vko’;drk,a fuf’prA nfjnzrk ls nwljs dk 'kks"k.k laxzg vfuf’pr vko’;drk,a
� द+ुनया मD 2 izdkj ds yksx gSA: 1- lk/ku foghu nq[kh nfjnz (SVDD)
2- Lkk/ku lEiUUk nq[kh nfjnz (SS DD) vkt dk lekt yksxks dks ‘1’ ls ‘2’ esa LFkkukUrfjr djus dh ckr djrk gSA सारा “�वकास”
इसी �यास मD लगा है| gksuk gS सभी को, ‘3’ esa: 3- lk/ku lEiUu lq[kh le`) (S S S S)
• आज साधन क) कमी आध+ुनकता क) उपज है| हर बjचे को अ�भभावक १५ वष8 पढात ेहै,
खलात ेहै – तब तक 1) समझ को स+ुनिLचत ^कया जा सकता है
संबंध म8 • सबंधं को अनदेखी करके चलत ेहै| रोज तय करत ेहै, ^क आज नह�ं लडूगंा, ठ£क से
रहँूगा, शाम तक और ह� कुछ हो जाता है| आप करना नह�ं चाहत ेहै, ऐसा नह�ं है,
ले^कन कर नह�ं पात ेहै|
• सारा समय दसूरे को +नपटाने का सोचत ेरहत ेहै|
• हमार� �शRा इसी क) training दे रह� है| �+त*पधा8 के चfकर मD सारा समय दसुरे पर
�यान रहता है| ‘पड़ोसी जो खा रहा है, वह� खाना है| मझुे अपने पड़ोसी से यादा
खाना है|’ – सम*या, fयc^क पड़ोसी ^कतना खायेगा, इसका पता नह�ं ! fयc खा रहा
है, उसको भी यादा पता नह�!ं
1) समझ के @बना 2) सबंधं और 3) स�ुवधा अ+त_मणा9मक (violative) हो सकत ेहै|
-
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• आज के समय मD हमने 1) समझ को और २) सबंधं को परू� तरह अनदेखा ^कया हुआ
है, और यादा समय ३) स�ुवधा के �लए लगाया हुआ है|
• यह चीजD आपके �लए मह9वपणू8 है या नह�?ं fया आप इसक) जाँच आज कर रहे है?
• स�ुवधा होने से हम आLव*त है, ऐसा भी नह�ं है – इसमD भी हम तहलका मचा के रखे
है|
vi) भय ^कससे है?
• dkSu lk Hk; T;knk gS ?
• ge dgkW dke dj jgsa हZ \
• vkt tho gels Mjs gq, gS ¼taxy esa cksMZ yxk है&oYय izkf.k;ksa dh j{kk djas½
• vr% Ekkuo-Ekkuo laca/k मD Hk; vf/kd gSA ¼Ekkuo esa vEkkuoh;rk dk Hk;½
• आप आज कहाँ जी रहे है? मा� ३) के साथ, २ के साथ, अथवा तीनो [1) समझ, 2)
सबंधं, 3) स�ुवधा] के साथ?
fu"d"kZ %& (1)-le> ds fcuk (2)laca/k vkSj (3) lqfo/kk laHko ugha gS
Ekkuo esa Hk;
2- tho ls
1- izkÑfrd nq?kZVuk ls
3- Ekkuo ls
Q
Q
Q
-
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vii) 1चl म8 जोड़8:: जीव चतेना और मानव चेतना
- केवल 3) स�ुवधा के साथ जीना = जीव चेतना मD जीना
• (fयc^क जीव/पश ुभी इतना तो कर ह� रहा है| हम उसी को �वक�सत Jप मD कर रहे
है: गाय सीधे खाती है, हम लेट मD डाल कर खा रहे है)
-
- 1) समझ, 2) सबंधं, 3) स�ुवधा: तीन2 के साथ जीना = मानव चेतना | • ;g le> D;k gS] blds ge vf/kdkjh gks ldrs gSa fd ugha ;g ge bl f’kfoj esa
'kks/k djsaxsA
2- laca/k
1- le>
3- lqfo/kk
ekuo psruk
tho psruk
fu"d"kZ & gesaa Ekkuo ij dke djuk gSA & Ekkuo esa le> vkSj laca/k ds i{k ij dke djuk gSA & le> Ekkuo dh ewyHkwr vko’;drk gS
-
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�श�वर :या ह ै?
रखने का Pम - म;ुय gबदं ु
• *वयं मD संवाद क) �^_या: जो है और वा*तव मD जो होना चाहते हZ
o इसमD अतं�व8रोध ह� दःुख है |
• *वयं को समझना, अि*त9व को समझना, संबंध को समझना, तदनुसार जीना
• +निLचत आचरण – *वयं मD संगीत, अि*त9व के साथ संगीतपूव8क जीना, Iयव*था मD जीना
• *व9व-*वतं�ता-*वराय
-
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• esjs vki ds chp laokn ds :Ik esa 'kq: gksrk gS fQj vki gh ds vanj laokn gksrk gSA • D;k vkt] okLro esa tks gksuk pkgrs gSa] oks gSa \ • bu 7 fnuksa esa] ge tks okLro esa gksuk pkgrs हZ, mls irk yxkus dk iz;kl djsaxsA
• vki ds fy, D;k lgt gS \ laca/k iwoZd thuk ;k fojks/k esa जीना ?
• vkt D;k gS \ एlk gS ;k इसका �म0ण-mix gS \
o f’kfoj dk mn~ns’; gS vkiesa ;g laokn 'kq: gks tk, A
o nksgjk O;fDrRo dks (split personality) dgrs हZ | ge tks हZ] vkSj okLro esa tks gksuk pkgrs gS
blesa nwjh gh nksgjk O;fDrRo gSA
o vki vxj laxhr esa हZ] rks lq[kh हZ, vU;Fkk nq[kh हZ |
o ckgj ls gesa nq[kh होने dh vko’;drk ughsa gS] ge vius esa blds fy, vkRe fuHkZj हZA
बाहर� वातावरण यGद ठ£क भी हो, हमारे अदंर जो अतं�व8रोध है, बाहर +नकलकर आत ेह� है|
• vki bls tkWp dj nsa[kasA tc bl rjg varfoZjks/k gS] D;k vkiesa lkeatL; होगा \
• tc lkeatL; gS] rc lq[kh gS ;k vU;Fkk सखुी gS \
• ge tks gS, और वा*तव esa tks gksuk pkgrs gS] blesa nwjh gS, ;g laxhre; gksuk gSA
• *वयमंD सगंीतमयता होने के �लए, हमD *वय ंको पहले समझना होगा, अ�ययन करना होगा
• vkt dh �श{kk *वय ंके ckjs मD, *वय ंमD सगंीतमयता के बारे मD ckr ugha djrh gS tcfd
gekjk lkjk lq[k] nq[k blh ij fuHkZj करता gSA
हम Aवयकंो, अपने आप को अनदेखी करके चल रहे ह,ै जबeक जीने वाला म> Aवय ंह' हँू!
ge tks gSaA okLro es tks gksuk pkgrs हZ|
cnyrk jgrk gS 'kk’or gS, यथावत है ¼laokn½
;g varfoZjks/k gh nq[k gS
3- ;g Lo;a esa, *वय ंdh 'kks/k dh çfØ;k gS] *वय ंdks le>us ,oa *वय ंds
fodkl dh çfØ;k gSA ¼ *वय ंdk v/;;u½
1- ;g laokn dh çfØ;k gSA
;g f’kfoj D;k gS ?
Q
Q
2- ;g हम ‘आज जैसे हZ’, और ‘वा*तव मD जो होना चाहत ेहZ’ - मD laokn dh çfØ;k gSA
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• Aवय ंको जानने के साथ, हम Aवय ंके मा�यम से ह' स/पणू� अिAतBव (चार2 अवAथा, और
जो भी ह)ै, को जानत ेह|ै
• vkt dh �श{kk eas यह leL;k है ^क vfLrRo ds v/;;u dh ckr करत ेgS] *वय ंds
v/;;u dh ckr NksM+ देत ेgSA • blfy, gekjs esa tks ekU;rk gS] gekjs esa tks varfoZjks/k gS] og vfLrRo esa gS] ,slk gesa
yxrk gSA
• vkt dk foKku *वय ंdks NksM+ dj ckr djrk gS] tcfd foKku ds ckjs esa ckr djus
okyk eS ¼ *वय½ं ह� हँू |
• rks gekjs vanj tks jax gS] vfLrRo mlh ls jaxk gqvk yxrk gS • ges okLrfodrk dks tSlk gS] oSlk ns[kuk gS] le>uk gSA • आज हम अपने ¦िWट के अनसुार सिृWट को बदलने जात ेहै, तो वह होता नह�|ं
• इसे vkids vykok nwljk dksbZ dj ugha ldrkA dksbZ �वशषे पढ़ाई, rडMी (degree) ugha
pkfg,A blds fy, vki Ekkuo gSa, bruk Ik;kZIr gS • ;g izLrko ckgj ls fn;k tk jgk gSA vki ds fy, rc mi;ksxh gksxk tc इसको s] vki
Lo;a, vius vf/kdkj ij tkapsaxs |
• *वय ंको जानकर, अि*त9व को जानकर, हम अि*त9व के हर इकाई के साथ अपने सबंधं
को समझत ेहै और उसके अनसुार जीत ेहै
• vkt ds fnu] ge bu laca/kks dks dqN vkSj ekus gq, gSaA fuokZg djus tkrs gS rks lQy ugha gksrsA tSls & Ekkuo ds lkFk laca/k & thokas ds lkFk laca/k & izk.k ¼isM+ पौधcs½ ds lkFk laca/k
& inkFkZ ¼feV~Vh iRFkj½ ds lkFk laca/k
• चचा�, उदाहरण: �9येक पर
4- ;g *वय ंdks tkuus dh o Lo;a ds ek/;e ls laiw.kZ vfLrRo dks tkuus dh
çfØ;k gSA (मानव, एव ं�कृ+त समM को समझना)
5- ;g *वय ंvkSj mlds lkFk vfLrRo dh gj bdkbZ ds laca/k dks igpkuus vkSj
fuokZg djus dh çfØ;k gSA +निLचत मानवीय आचरण – मानव संबंध, �कृ+त
संबंध को पहचानना
tSlh n`f"V oSlh l̀f"V \ tSlh l̀f"V oSlh n`f"V \
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• वाAतव म8 यह सबंधं कैसे ह,ै इस �श�वर म8 हम पता करने का �यास कर8गे
�नि!चत मानवीय vkpj.k
अि*त9व के हर इकाई के साथ सबंधं को जान �लया, उस समझ के अनसुार हम जीत ेहै, तो
वह +निLचत आचरण (Iयवहार) होता है | इसको हम ‘मानवीय आचरण’ कहDगे |
• vkneh dks NksM+dj vfLRkRo esa gj bdkbZ ,d fuf’pr vkpj.k esa gSA ge vkpj.k ls gh fdlh pht+ dks igpkurs हZ |
tSls & uhe dk uheRo & xk; dk xk;Ro & yksgs dk yksgRo
• vxj Ekkuo ls iwNsa rks og Hkh +निLचत vkpj.k pkgrk gSA
tSls & vki fuf’pr vkpj.k pkgrs gS ;k vfuf’pr vkpj.k ? आज fया हZ?
& ;g vfuf’prrk हम जो है, और okLro esa tks gksuk pkgrs gS] mlesa nwjh ds dkj.k gh gS
& fuf’prrk esa ह� fujarjrk gksrh gSA
उदाहरण:
• बjचा *कूल से आता है, तो माँ उसे मारती है: कपड ेगदें थ:े बjचा समझ नह�ं पाता
है, ^क इसको हो fया गया?
• प+त सबुह ऑ^फस जाता है, शाम को :चड़:चड़ाता हुआ लौटता है: प9नी को समझ मD
नह�ं आता है ^क इसक) तकल�फ fया?
Lo;a esa laxhr vfLrRo ds lkFk laxhr
• ऐसा यGद समझकर जीत ेहै, तो *वय ंमD भी सगंीत मD होत ेहै, और स.पणू8 अि*त9व
के साथ सगंीतपवू8क जी पात ेहै
• tks lgha gS og gekjs fy, lgt gSA tks lgt gS gedks Lohdkj gksrk gSA gekjs fy,
tks lgt-*वीकार gS ge mldh enn ysaxs bl f’kfoj es lgha dks le>us ds fy,
7- ;g Lo;a esa laxhr vkSj laiw.kZ vfLrRo ds lkFk laxhriwoZd thus dh çfØ;k gSA
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Lo;a es O;ofLFkr gksrs gS] rks nwljs ds lkFk O;oLFkk esa th ikrs gSA
• O;oLFkk ds fy, dke dj ikrs gSA
• og LojkT; ds fy, *�ोत curk gSA
• bl f’kfoj esa ge phtksa dks Lo;a ds vf/kdkj ij tkWpsaxs] जानने का �यास करDगेA
• ge esa ls gj ,d esa tkuus dh {kerk gS] ;Fkkor cuh gqbZ gSA समझने के �लए कोई
�वशषे योkयता या पढाई क) आवLयकता नह�ं है| हम मानव है, यह पया8त है | इन ७
Gदनc मD, आप वा*तव मD fया होना चाहत ेहै, कैसे हो सकत ेहै, इसे पता करने का
�यास करDगे
• gekjs fy, tks lgh gS] og lgt gS] gekjs fy, vkjkenk;d gSA
• gekjh vk/kkjHkwr vko’;drk tkuus dh gSA
• यह �*ताव आपको बाहर से Gदया जा रहा है| यह आपके �लए तभी उपयोगी होगा, जब
आप इसे अपने अ:धकार पर जांचDगे, अYयथा यह आपके �लए बोझ बन जायेगा| हम
यह पता करने का �यास करDगे क) यह जाचंना सभंव है क) नह�ं, और ऐसे जाँच से
�ात उªर माYयताओं से मfुत है ^क नह�|ं
Lo & jkT;
Lo;a ¼dk½ oSHko ¼QSyko½
Lo;a को जान �लया, अपने 9व’ को जान �लया,
अि*त9व को जान �लया,
संबंध को जान �लया,
उसके अनुसार जी �लए,
Iयवि*थत हो गए,
बाहर Iयव*था के �लए
>ोत हो जात ेहै
Lo;a O;oLFkk gksuk
Lo & ra= & rk Lo & 9व
Lo;a ¼dk½ - सार
8- ;g Lora=rk vkSj LojkT; dh çfØ;k gSA
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/;ku j[kus dh dqN ckr 1- 'kCn vkSj vFkZ fHkUu gSA
'kCn vFkZ
/ofu] fyfi gSA okLrfodrk है
• 'kCn fy[kuk@cksyuk@lquuk i;kZIr ugha gSA
• bl f’kfoj esa 'kCnks dk iz;ksx fd;k tk,xkA ;g ,d fuf’pr vFkZ dks bafxr djrs gSA
;s tkus igpkus yx सकत ेgSA यहा ँbafxr fd;s tkus okys vFkZ को le>us dk Izk;kl
djasA
• bu 'kCnks dk vkius vius esa vkSj dqN eryc tksड़k हो ldrk gSA उसेs ¼iwoZ ekU;rk
को½ chp esa ना लाए | tks Hkh rqyuk djuk gS ckn esa djsaA
2- 'kCn ns[kuk] lquuk] vkSj /;ku ls lquuk vyx vyx gSA
dsoy 'kCn lquuk hearing
/;ku ls lquuk listening
'kCn lquk vkSj mlh ds lkFk iz'u cuk fy;k vFkZ rd igqWpus dk iz;kl
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शोध वAत,ु शोध �व1ध �ारंभ
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शोध वAत,ु शोध �व1ध
रखने का Pम - म;ुय gबदं ु
• 1) शोध वAत ु
1.1 चाहना? लVय? -fयc जी रहे है?
1.2 करना? काय8_म? 1.3 कैसे जीना
• 2) शोध �व1ध:
o मानना नह�,ं जांचना है | अपने अ:धकार पर | सहज-*वीकार है ^क नह�ं | जीकर देखना है |
o �Lन को *वय ंमD पछूना है, बाहर नह�ं | उदाहरण: स.मान या अपमान?; �वLवास या
अ�वLवास?
o हमारे �लए जो सहज है, वह शाLवत है, बदलता नह�ं |
o Iयव*था ह� हमD सहज-*वीकार है | उदाहरण: दखुी *मरण भलूना चाहत ेहै | �वरोध सोचने से दखुी होत ेहै
o सम*या अि*त9व मD नह�,ं �कृत मD नह�,ं बाहर नह�,ं हमारे मD है |
o अि*त9व मD सह� को जानने क) स.भावना है |उसे +नमा8ण नह�ं करना है | सगंीत पवू8क जीने का �ावधान है | पहल� बार हम authentic (�वश3ुध, �ामाणक) हो पात ेहै
• 1) शोध वAत:ु 1.1: लqय:
o अhयास १ : chart(स�ुवधा के अलावा आवLयकता): इन सबसे fया चाहत ेहै (सखु)
o लqय = सखु, �नरंतर
o सखु, दःुख, परभाषा
• 1) शोध वAत:ु 1.2: काय�Pम:
o सखुी होने का *तर: ४ (Iयिfत, परवार, समाज, �कृ+त)
o इनमे से कुछ जोड़ना-घटाना है?
o सखु-दःुख चार *तरc पर है, इनमे UयवAथा समझना ह,ै जीना ह ै
• 1) शोध वAत:ु 1.3: कैसे जीना:
o समाधान, सम�ृ1ध
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1 शोध oLrq (content of study)
1-1 pkgUkk \ y{; \ - D;ksa th jgs gS \
1-2 dk;ZØe \ - fया करना है?
1-3 dSls thuk gS \
• D;k gekjs fy, ;g iz’u egRoiw.kZ gS \
• /;ku ls nsf[k;sA gekjs thus ds 3 lcls egRoiw.kZ iz’u gS
• vxj ;s 3 iz’uks ds mRrj gekjs ikl miyO/k gks] rks D;k egRoiw.kZ iz’u cprs gS \
• vkt geus dskbZ y{; ekuk gqvk gS] dk;ZØe ekuk gqvk gS
• system us dqN dk;ZØe ekuk gqvk gSA
2- शोध fof/k 2-1 izLrko gS & tks Hkh dgk tk jgk gSA ekus ugha
tkWpas: & vius vf/kdkj ij
• 'kkL= ds vk/kkj ij ugha x • ;a= ds vk/kkj ij ugha x • nwljs ds vk/kkj ij ugha x
2-2 tkWpsa – अपने अ:धकार पर
Lkgt-Lohdkj \
izLrko जीकर देख/ेजीने मD आये
O;ogkj - Ekkuo ds lkFk
dk;Z - izÑfr ds lkFk
mHk; lqq[k mHk; le`f)
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1) अपने पर �यान
• iz’u dks vius मD पछूना है, ckgj ugha A
• viuh gh ckr djuh gSA • ge lHkh bls dj ldrs gS |
• mnk- 1- vkidks O;ogkj esa lEeku Lohdkj gS ;k vieku \
2- fo’okl Lohdkj gS ;k vfo’okl\
• gekjs fy, tks lgt gS] og gesa Lohdkj gksrk gSA tSls& xqLlkA izkÑfrd ugh gSA D;ksfd
gesa Lohdkj ugh gksrkA ge mldh fujarjrk pkgrs ughaA
• fया जलन का भाव होना सहज है?
• gekjs fy, tks lgt gS] gekjs esa 'kk’or gS] ;Fkkor intact, invariant gS&cnyrk ughaA
• vkt Hkh] lgha xyr dk geas blh ls irk pyrk gSA
ii) जांच: tkWp & vxj dqN lgt-Lohdkj gS, ysfdu thus esa mHk; lq[k] le`f) ugha gqvk rks mls ekfu;s ugha] [kqyk j[ksa, tkaprs jfg,A mnkgj.k 1 tSls gedks O;ogkj esa lEeku lgt gS] Lohdkj gksrk gS ijarq blds vuqlkj thus
से mHk; lq[k ugha gksrk gSA mls ekfu;s ugha tkWprs jfg,A vr% ;k rks lEeku iwoZd thuk gekjs fy, lgh ugh gS] ;k ge lEeku dks vkSj dqN ekus gSA tks okLro esa ugha gSA
mnkgj.k 2 dbZ चीजD thus esa rks vPNh yxrh gS ij ge mls Lohdkjs ugha jgrsA tSls
dkWyst ds fe=ks ds lkFk xkyh xykSt ds lkFk ckr djuk vPNk yxrk gSA yxrk gS blls mHk; lq[k gSA ijarq ;g gekjs fy, lgt Lohdkj ugha gSA ge bldh fujarjrk ugha pkgrsaA
iii) UयवAथा सहज-Aवीकार ह ै
• gekjs ikl dksbZ nq[knk;h Lej.k gS rks ge mls Hkwyuk pkgrs gSA mldh fujarjrk ughsa pkgrsA
• vO;oLFkk dhs lksp ;k Lej.k gesa Lohdkj ughsA blfy, D;ksafd gesa vO;oLFkk lgt ughaA O;oLFkk क) lksp esa gh ge vkjke esa gSA
o ge tSls gh dksbZ xyr@fojks/kh ckr lksprs gS] mlh {k.k nq[kh gksrs gSA mlds vk/kkj ij O;ogkj djrs gSA fQj nq[kh gksrs gSaA
• leL;k vfLrRo esa ugha gS] izÑfr esa ugha] leL;k Ekkuo esa gSA
Q
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• Ekkuo O;oLFkk esa gksuk pkgrk gS] उसे Lohdkjrk gS] gks ugh ikrk, ;gh nq[k gSA fu"d"kZ % O;oLFkk esa gksuk gh Ekkuo ds fy, lgt gS mlh dks Ekkuo Lohdkjrk gSA 1- tc vki esa vieku dk Hkko gksrk gS] rks आप lq[kh gksrs gS ;k nq[kh \ 2- tc vki vieku ds Hkko dks O;Dr djrs gS] rks D;k gksrk gS \
ge ,sls le>rs gS] rks vk’oLr gksrs gS] ,sls thrs gS] rks vk’oLr gksrs gSA tSls & fo’okl le> esa vk x;k] rks mlds fy, vyx ls Je ugh djuk iM+rk gSA og
gekjs ls cgrk gS
• vkt ds fnu ge vU;Fkk ��शQRत ¼Vªsua½ gksus ds fy, iSls nsrs gS tSls eSustesaV esaA • आज पसैा देकर दसुरे पर शासन करना सीख रहे है|- जब^क यह हमारे ह� दःुख का
कारण बन जाता है|
• 'kadk] vfo’okl ls ge mlh {k.k nq[kh gksrs gSA vxj tyu lgt gS] og geas Lohdkj gksxkA ge mldks fujarj pkgasxsA ijarq Lohdkj ugha gksrkA fujarj tyu esa ge jg ugha ldrsA vr% Dys’k gekjs fy, lgt ugha gSA
• nwljk esjs जैसा gS] ;g vxj fn[k x;k rks ge mldk 'kks"k.k ugh djsaxas
• vkt gekjs ikl ‘gekjk viuk’ dqN Hkh ugha gSA fo’kq)@izkekf.kd gksuk m/kkj@udy djuk authentic¼,Sls gksuk gS½ borrowing ¼,sls gS½
iv) अिAतBव:
• vfLrRo esa laxhriwoZd thus dk izko/kku gSA अि*त9व मD कोई सघंष8 नह�ं है| अि*त9व
मD सगंीतमयता है| उसे मZ समझ सकता हँू| समझता हँू, तो सखुी होता हँू – ऐसे सखुी
होकर सगंीतमयता मD जीता हँू |
• सम*या अि*त9व मD नह�ं है, सम*या �कृ+त मD नह�ं है: सम*या मानव मD है: मानव ह�
Iयव*था मD नह�ं है| होना चाहता है, - समझ पवू8क हो सकता है |
• vfLrRo esa lgh dks tkuus dh laHkkouk gSA mls fuekZ.k ugh djuk gS
* इसी के साथ यह वAतु साव�भौम ? साव�का�लक ह> :या? इसक- जाँच करना ह|ै
[(i) साव�भौम, ( ii) साव�का�लक, ( iii) जीने म8 आये, (iv) समझा सके]
• bl शोध �व:ध ls ge शोध oLrq 1-1) pkguk; 1-2) dk;ZØe; एव ं1-3)thus dk Lo:Ik] dks tkpsaxs
Q
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�ाथ�मक परचय �श�वर may 2012 (नो�स मा� परचय �श�वर हेत ु| अ�ययन के �लए नह� ंहै)
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1.1) pkguk@y{;: D;ksa th jgs gS \
a) �!न: आप :य2 जी रहे ह?ै
अhयास – १ : सु�वधा के अलावा आवLयकता:
lqfo/kk ds vykok gekjh vko’;drkvksa dh जो lwph बनी है, उसे ns[ksa: इन सब मD fया चाहत ेहै?
1- lq[k 2- laca/k 3- lEeku ls lq[k vr% lq[kh gksuk gh pkgrs gS 4- izse 5- fo’okl
• D;k ,slk dksbZ dk;ZØe@txg gS ftlls ge lq[kh ugha gksuk pkgrs gS? lq[k dSlk@fdruk pkfg, \ gj iy] gj {k.k & fujarj lq[k
• gesa lius esa Hkh nq[k Lohdkj ugha gSA ewy pkgr ¾ y{; ¾ fujarj lq[k
• D;k gj Ekkuo ds fy, tUe ls ,slk gh gS] ;k bls vyx ls fl[kkuk iM+rk gS \ lq[k =
• eS िजस fLFkfr] ifjfLFkfr esa gwW, यGद mlesa lkeatL; gS] laxhr gS, rks ,slk thuk eq>s Lohdk;Z gSA bl laxhr esa thuk gh lq[k gSA
• अथवा, “LohÑfr ds Hkko esa thuk gh lq[k gS”A
आपके �लए सखु-दःुख क- यह परभाषा सह' ह,ै या नह',ं पता क-िजये?
nq[k = • यGद varjfojks/k gS, rks ,slk thuk eq>s Lohdkj ugha gksrkA bl vLohÑfr ds Hkko esa
thus ds fy, ck/; gksuk gh nq[k gSA • अथवा, vLohÑfr esa thuk] varfoZjks/k esa thuk gh nq[k gsA
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b) सखु के उदाहरण, चचा�:
• varfoZjks/k esa thus ds dqN mnkgj.k
1) ,-lh- esa cSBs gS ij lkFk eaas cSBk O;fDr ilan ugha gSA 2) कोई बठैा भी नह�ं है, *वय ंमD ह� �वरोध का �वचार बना ..
3) स�ुवधाएं इक�ठ£ कर �लये, सबंधंc को अनदेखी ^कये है| सबंधं ठ£क नह�ं है, तो
स�ुवधा का भी बँटवारा हो जाता है
4) बGढ़यां स�ुवधा घर मD उपलnध है, सबंधं मD परेशानी है: वह Gदन कैसे बीतगेा?
5) तलाक देने का अ:धकार है, या सबंधं मD जीना अ:धकार है? fया सहज-
*वीकार होता है?
6) �वLवास पवू8क जीना हमार� मलूभतू आवLयकता है| और बjचे को �सखात ेहै:
‘^कसी पर �वLवास मत करो’ – बjचा अपने �पता से शJु करता है!
7) ‘जीना एक सघंष8 है’|
8) इस सब के रहत,े भगवान को काम सपत ेरहत ेहै: ‘यह करो, यह मत करो,
उसको +नपटाओ...’ चचा�: आज के =दन:
• मZ सखुी होना चाहता हँू, यह भी हमको बहुत *पWट नह�ं है|
• कह�ं न कह�ं भागे जा रहे है: कहाँ जा रहे है, fयc जा रहे है, इसका कोई अता पता
नह�ं है|
• सारा काय8_म बाहर से तय हो रहा है:
• उदाहरण:
• सेल फोन के एड मD कुªा आ जाता है: �यान (meditation) करत ेसमय: यहाँ भी चैन
से बठैने नह�ं देत!े
• अ*पताल: Dont worry, get your heart checked up in 5 mins! – भागे जा रहे है, इसमD
heart सम*या हो रहा है !...
1.2) कायP� म, 1.3) कैसे जीना? eS fdl fLFkfr ifjfLFkfr esa thrk gWw?
pkj Lrj ij leL;k,a gS] bls ge igys ns[k pqds gS% brus ls eS tqM+k gWw ;g esjs lq[kh nq[kh gksus dh txg gs
• O;fDr esa • ifjokj esa • lekt esa • izÑfr esa
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उदाहरण/चचा8: ४ *तर पर ^कसी मD भी सम*या होने से दखुी होत ेहै gekjk lkjk lq[k nq[k bu pkj Lrjksa ij gSA D;k blesa dqN tksM+k tk ldrk gS@de fd;k tk ldrk gS\
bu चार2 Lrjks dks le>uk gS] blh esa thuk gS, अYयथा +नरंतर सुख संभव नह�ं है|
सखुी होना = Aवय ंम8 UयविAथत होना, सामजंAय होना:
• हम यह पात ेहै, क) हमार� सखुी होने क) चाहत, सगंीतमयता, सामर*यता मD होने क) चाहत
है, Iयव*था मD होने क) चाहत है |
• यGद हमने कोई अतं�व8रोधी बात को मान �लया है, हम फँस जात ेहै| हमार� *वीकृ+त और
अि*त9व, इसके अनसुार नह� ंहै – इसी�लए दखुी होत ेहै | यGद हमारा �योजन अि*त9व के
�योजन से �मलता है, तब हमD तिृतदायक उªर �ात होत ेहै
• मानव या तो अपने मानने से चलता है, या जानने के अनसुार चलत ेहै| हमD मानने से जानने
क) ओर जाना है
सखुी होना और िजsासा तkृत होना: चचा�: हमारे जीने से जड़ु े३ महBवपणू� �!न
1. म> :य2 हँू, कैसे हँू?
2. मेरे आसपास जो भी ह>, :य2 ह>, कैसे ह>?
3. इन सब के साथ मेरा सबंधं :या ह>? कैसे जीना ह>?
४ ‘Aतर’ ३ महBवपणू� �!न समझने क- वAत ु
Iयिfत मZ fयc हँू, कैसे हँू? :
[ मानव का अ�ययन ]
१) *वय ंको समझना
परवार इन सब के साथ मेरा सबंधं fया
हZ? कैसे जीना हZ?
[मानवीय आचरण, �योजन,
स.पणू8 सबंधंc का अ�ययन]
२) मानव सबंधं समझना –
(परवार एव ंसमाज मD ) समाज
�कृ+त ३) �कृ+त सबंधं समझना
४ अव*था: मानव,
जीव, �ाण, पदाथ8
मेरे आसपास जो भी हZ, fयc हZ,
कैसे हZ?
[अि*त9व समM का अ�ययन]
४) अि*त9व को समझना
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अथा�त, यह सब :य2 ह?ै कैसे ह?ै समझना|
• vr% gekjk lq[k le>us ij fuHkZj gSA le> ls gh ge ‘lek/kkfur’ gks ikrs gSA
blh से ge सम�ृ1ध पवू8क जी पात ेgSA
• O;oLFkk ¼4 Lrjks ij½ dks le>uk] O;oLFkk esa thuk gh lq[k gSA
• ;gh gekjk dk;ZØe gSA
vr% 1-1 pkguk \ y{; \ D;ksa th jgsa gS \ ¾ fujarj lq[k, सम3ृ:ध
1-2 djuk \ dk;ZØe D;k gS \ ¾ 4 Lrj ij O;oLFkk dks le>uk vkSj thuk:
o *वय ं (Iयिfत) o मानव स.बYध (ifjokj, समाज)
o �कृ+त सबंधं
o अि*त9व
1-3 dSls thuk \ thus dk Lo:Ik ¾ ckSf)d lek/kku, HkkSfrd le`f)
fujarj lq[k] ds fy,
y{; 4 Lrjksa esa O;oLFkk dks le>uk vkSj thuk] 1- Iयिfत मD
2- मानव सबंधं (ifjokj, समाज)
3- IkzÑfr सबंधं 4- अि*त9व sa
dk;Zdze परणाम
बौ1धक समाधान
भौ�तक सम�ृ1ध
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** सबंोधन करने वालc (�बोधक) को सचूना: �श�वर को ऊपर Gदए _म से कर सकत ेहZ, अथवा 1, 4, 2, 3 (*वय,ं अि*त9व, मानव सबंधं, �कृ+त सबंधं) – इस �वधी से भी रक सकत ेहZ
हम आने वाले ६ Gदनc मD इन �वषयc पर चचा8 करDगे:
Iयिfत मD • मZ fया हँू, कैसा हँू? • सखु-दःुख का मतलब fया ह?ै मेरे मD कहाँ होता ह?ै • मेरे जीने का fया लVय ह?ै मZ fया जानना चाहता हँू?
परवार मD • मानव सबंधं fया ह?ै • इनमे अपेRाएं fया ह?ै सम*याएं fयc ह?ै • परवार fयc ह?ै कैसे ह?ै
समाज मD • समाज का लVय fया ह?ै • इसमD Iयव*था कैसे सभंव ह?ै
inkFkZ
izk.k tho
Ekkuo
ifjokj lekt
Ekkuo—r O;oLFkk
1) *वयं को समझना
2) मानव संबंध
3) �कृ+त संबंध
4) अि*त9व को समझना
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• आज क) सम*याएं fयc ह?ै
�कृ+त मD • मD fया वा*त�वकताएं ह?ै • fया इसमD कोई +नयम ह,ै या यह अ+निLचत ह?ै • अि*त9व का कोई �योजन ह ैया नह�?ं इसमD मानव का fया �योजन ह?ै
इन सभी म3ुदc को हम अपने अ:धकार पर जाचंDगे...
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1) Aवयं को समझना:
1.1) Uयि:त म8 UयवAथा – �ारंभ मानव = Aवय(ंम>) + शर'र
‘जीवन’
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1) Uयि:त म8 UयवAथा: मानव = Aवय(ंम>) + शर'र
रखने का Pम - म;ुय gबदं ु
• अhयास – २: : मानव क) आवLयकताएं: शार�रक और मान�सक
• इन दोनc मD अतंर बताएं
• शार�रक, मान�सक: दोनc चाGहए या ^कसी एक से मfुत हो सकत ेह?ै
• �न%कष�: मानव को समझने के �लए दोनc को समझना पड़गेा |
• �*ताव: मानव = *वय ं(मZ) + शर�र
• अhयास -३: (इjछा सचूी)
o इjछा सचूी मD *वय(ंमZ) और शर�र क) आवLयकताओं को छांटना
o अ¯यास का अवलोकन: इjछाएं सी�मत ह;ै “मZ” से स.ब:ंधत यादा ह;ै *वय ंमD अपने इjछाओ ंके �+त अ*पWटता;
� सारे इjछाएं समझ, सबंधं या स�ुवधा से जड़ुा ह ै|
� हमारे सारे इjछाएं सखुी होने के अथ8 मD ह ै
• chart1: म>-शर'र आव!यकताएं: आवLयकता, अव:ध, मा�ा, परूा कैसे होगा
o दोन2 परूा होना ह:ै खाने पे बलुाया, स.मान नह�ं Gदया..
o अदल –बदल होता नह'ं : खाना +नरंतर, और बीच- बीच मD अपमान ...
o आज: मZ क) आवLयकता को शर�र से परूा करने का �यास
• अhयास -४: मानव मD होने वाले ^_याओं क) सचूी:
o जानबझूकर होने वाले, अपने आप होने वाल�
o जानबझूकर होने वाले से केवल *वय(ंमZ) मD होने वाले, मD+शर�र मD होने वाले
o मZ से शर�र को सचूना |
o उदाहरण: खेलत ेसमय चोट, उपवास रखना, माक° ट मD माँ को बjचे क) आवाज़ सनुाई देना |
o कौन सोता ह?ै *वय(ंमZ) मD सोचना, कoपना करना, सखुी, दखुी होना, शर�र सोता ह,ै या �व0ाम मD ह ै
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• अhयास #5: *वय ंमD मानना-पहचानना-+नवा8ह करना, शर�र मD पहचानना-+नवा8ह करना | उदाहरण:
o शnद: ग*ुसा करना देना: त�मल मD, Gहदं� मD
o *पश8: डॉfटर ने सईु लगा³
o Jप: ´ेन मD ^कसी पहचान के Iयिfत के �लए जगह बनाना
o रस: लµडू खाया, ^फर पता चला ^क माँ ने भेज ेह ै
o गधं: ^कसी को अगरबªी क) लगी, ^कसी को पर¶यमू क)
o शर�र से *वय(ंमZ) को सचूना, *वय(ंमZ) मD मानना, +नण8य लेना | शर�र से परूा होता ह ै
• chart 1: (*वय(ंमZ) – शर�र आवLयकता) मD जोड़ना ह:ै
o *वय ं(मZ) मD मानना-पहचानना-+नवा8ह करना, शर�र मD पहचानना-+नवा8ह करना
o *वय ं(मZ) = चतैYय; शर�र = जड़
• आज क) गलत माYयता: *वय(ंमZ) = शर�र | स�ुवधा= सखु | सामान = स.मान
• मानव के अ�ययन के �लए दोनc पRc को समझना पड़गेा: *वय(ंमZ) और शर�र
o (काय8_म: 1) Iयिfत मD, जोड़ना: 1a) *वय(ंमZ) , 1b) शर�र
• chart 2: *वय(ंमZ) और शर�र मD काय8_म
• घर म8 अhयास: *वय ंके ^_याओं पर �यान दD: कौनसा मZ मD, मZ+शर�र, केवल शर�र मD हो रहे हZ...
• इस भाग का सारांश
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1) Uयि:त esa O;oLFkk
1.1) अhयास – २: मानव क) आवLयकताएँ Ekkuo dh vko’;drk,W D;k gS \ lwph cuk,W ekufld@eu dh vko’;drk 'kkjhfjd@’kjhj dh vko’;drk lEeku Lusg fo'okl izse --------------
diM+k edku Hkkstu Ikkuh --------------
चचा8 से: 'kkjhfjd vkSj ekufld vko’;drkvksa es varj Ø- ekufld@eu dh vko’;drk 'kkjhfjd@’kjhj dh vko’;drk 1- 2- 3- 4- 5-
HkkoukRed vewY; fujarj lc ds fy, ,d vkW[kks ls ut+j ugh vkrh
HkkSfrd [kjhn ldrs gS {kf.kd vko';drk lcds fy, vyx vkW[kkas ls ut+j vkrh gS
'kkjhfjd vko’;drkvksa ls eqDr gks ldrsa हZS D;k \
• D;k ekufld vko’;drkvksa ds fcuk py ik,xk \ • अत: मानव को समझना ह,ै तो इन दोनc पRc को समझना पड़गेा:
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• blds fy, izLrko gS%&
(+) Ekkuo ¾ Lo;a ¼eSa½ 'kjhj
lwpuk
• vki tc jlxqYyk [kkrs gSa rks vkidks D;k feyk \ 'kjhj dks D;k feyk \ • 'kjhj ds lkFk dqN Hkh djrs gS mls Hkksxus okyk मZ gh gWwA • blfy, ‘मZ’ dks Hkh le>uk gksxk
mnkgj.k
• vr% 'kjhj vkSj *eS* esa lwpuk dk vknku iznku gSA
1.2) अhयास -३: अपनी इjछाओं क) सचूी बनाएँ
� bPNkvksa dh fyLV esa dkSu lh bPNk “मZ” ds fy, gS dkSu lh “'kjhj” ds fy,:
bPNk eS ds fy, 'kjhj ds fy, 1- cM+k /kj 2- ------------- 3- -------------
cM+k ------------- -------------
?kj ------------- -------------
'kjhj dh vko’;drkvksa dks Hkh *मZS* gh igpkurk gS
fØ;k 'kjhj esa Aवयं(*eS)* esa nqdku dh feBkbZ [kk;h iks"k.k Lokn vxj irk pyk fd feBkbZ ekW us cukbZ gS rks iks"k.k Lokn $ Hkko@LohÑfr
bPNk 1- cM+k ?kj 2- xkM+h 3- iSlk 4- ?kweuk 5- ------------ 6- ------------
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fy[kus ds ckn voyksdu
1- bPNk,W vlhfer ugha gSA
2- Lo;a (मZ) ls lacaa/kh bPNk,W vf/kd gS] 'kjhj laca/kh de gSA
3- ge viuh gh bPNkvksa ds ckjs esa vLi"V gS
4- iSls ls vf/kd ls vf/kd 'kjhj dk LokLF; cuk,a j[k ldrs gS
5- मZ@Lo;a dh bPNk,a lacaf/kr gS:
• le> & Lo;a ls vfLrRo rd
• laca/k & Lo;a ls vfLrRo rd
6- सार� इjछाएँ सखुी होने के अथ8 मD ह� ह.ै यह� हमारा लVय ह ै
•
• blesa miyfC/k uk
& gj fLFkfr] ifjfLFkfr&O;oLFkk dks le>uk] O;oLFkk esa thuk
& ;gh lq[k gSA
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1.3) chart #1: Lo;a(eS) – शर'र आव!यकताए ं
Ø- vk/kkj Lo;a(eS) 'kjhj
1 vko';drk lq[k] lEeku] fo’okl] le`f) Hkkstu] diM+k] edku lqfo/kk
2 vko';drk dh vof/k +नरंतर साम+यक
3 vko';drk dh ek=k ek=k ugha, xq.kkRed सीfer, मा�ा9मक
4 vko';drk iwjh dSls gksxh
lgh le>] Hkko HkkSfrd jklk;fud oLrq
5 fofHkUUkrk,a lcds fy, ,d tSlk lcds fy, vyx vyx
6 भार भारह�न, आखँc, इिY·यc मे
आता नह�ं
भारयfुत, आखँc मे, इिY·यc
मे आता ह ै
[ _: १ से ५ तक पहले बताया ]
• *eS* dh vko’;drk iwjh gksus ds fy, iSlk@/ku dh vko’;drk ugha gSA dsoy le> ls gh gks ldrk gS@gksxkA
• nksuks gh vko’;d gS] vfuok;Z gS & lq[k Hkh] lqfo/kk Hkh • nksuks pkfg,
o vkidks [kkus पर cqyk;k & lEeku fn;k] [kkuk ughaA X & [kkuk fn;k] lEeku ughaA X
• vny cny gksrk ugha & Lo;a esa lEeku can gqvk &fujarj u gksus ls leL;k & ’kjhj को Hkkstu nsrs jgs &fujarj gksus ls leL;k • bu nksuks izdkj dh vko’;drkvkas dks igpku dj] mUgs iwjk djuk gSA • vkt dh leL;k *वय ं(मZ) dh vko’;drkvksa dks 'kjhj ls iwjk djus dk iz;kl djrs gSA
;g laHko ugha gSA
• अवलोकन: • स�ुवधा के अलावा आवLयकताएं (अ¯यास-१ मD जो बनाया था), और मान�सक
आवLयकताएं, (अ¯यास -२), दोनc एक ह� ह ै|
• अत: स�ुवधा के अलावा आवLयकताएं = मान�सक आवLयकताएं = *वय(ंमZ) क)
आवLयकताएं|
• आज इसक) अनदेखी क) ह ै
• y{; esa dsoy lqfo/kk gh gSA
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fu"d"kZ% & vkt ds fnu geu s मZ dh vkSj 'kjhj dh vko’;drk dk xksyk cuk fy;k gS D;ksfd Lo;a dks 'kjhj ekudj th jgas gSA blfy, thus esa lqfo/kk ls vf/kd dqN fn[krk ughA
1.4) vH;kl- ४%& Ekkuo esa gksus okyh fØ;kW,a& lwph cuk,a
Tkku cw> dj gksus okyh fØ;k,a vius vki gksus okyh fØ;k,a
1- lkspuk 2- le>uk 3- xqLLkk gksuk 4- cksyuk
Ikkpu lkal ysuk fny /kM+duk cky c* vkSj 'kjhj nksuks 'kkfey gS
1- lkspuk 2- bPNk djuk 3- lius ns[kuk 4- --------------
cksyuk pyuk dke djuk ------------------
dsoy ‘मZ’ मD gks jgk gS ‘मZ’ es fu.kZ;] 'kjhj }kjk Iयfत
मानव म8 होने वाल' ePयाओ ंको rhu Izkdkj ls ns[k ldrs gSa:
1- dsoy Lo;a esa gksus okyh fØ;ka,a 2- fØ;ka,a ftlesa *eS* vkSj 'kjhj nksuks 'kkfey gS 3- 'kjhj esa Lor% gksus okyh fØ;ka, *मZ* dh LohÑfr ds lkFk
eS ls lwpuk 'kjhj dks जाती gSA 'kjhj ls lwpuk ‘मZ’ ysrk gSA
-
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उदाहरण:
1- [ksyrs le; pksV yxuk, irk ugha pyrk ckn esa /;ku जाता है |
2- miokl j[kuk& 'kjhj ij ‘e’ S gkoh gks x;k
3- ekdsZV esa मा ँdks gh cPps dh vkokt+ lqukbZ nsrh gSA
4- tc chekj gksrs gS rks D;k अपने fopkj djus dh {kerk de gks tkrh gS \
5- D;k vkidks अपने �वचारc dk dksbZ Hkkj yxrk gS ?
कौन सोता ह?ै
सोत ेसमय: Lo; (*म>*) सोत ेसमय: 'kjhj lkspuk@dYiuk djuk Mjuk ;k [kq’k gksuk
'olu&iz’olu ;Fkkor cuk jgrk gS
*eS* vkjke esa ugha gSA vkjke djrk gS नीदं मD Response ysuk@ 'kjhj ls ‘मZ’ esa lwpuk tkuk
- gekjk uke ysus ij | “vkx” fpYykus ij | VkW;ysV yxus ij • Ukhan खुलने पर ‘bl nqfu;k’ esa ykSVus ds fy, le; yxrk gSA
-
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1.5) अhयास ५: *वय(ंमZ) शर�र मD अतंर: मानना उदाहरण: र*सी को सांप मान लेना; दकूान मD हमारे मानने के अनुसार चीजD Gदखती
हZ
Aवय(ंम>) शर'र उदाहरण: वातावरण म8
भाषा अनसुार पहचानना-+नवा8ह करना
दो*त – अनजान Iयिfत अनसुार
(शnद) : �व+न ग*ुसा ^कया, त�मल,
Gहदं� मD
*वय ंमD दद8 | डॉfटर को सहयोगी के Jप मD
माना |
दसूरे ^कसी के साथ ऐसा नह�ं है | शर�र से
दोनc ि*थ+तयc मD खनू +नकलेगा
(*पश8): खनू डॉfटर ने सईु लगाई
पहचान के Iयिfत के �लए जगह बनाना,
अYयथा नह�ं
(Jप) : �+त@ब.ब ´ेन मD ^कसी को देखा
*वाद | अगर माँ ने बनाया हो तो भाव भी |
दसूरे को केवल *वाद, भाव नह�ं
(रस) : पोषण �मठाई खाये
अगर क)मती मानत ेहै, तो वाह वाह करना |
नह�ं मानत ेहै तो उसे अगरबªी कहना
(गधं): नाक मD पर¶यमू
�न%कष�:
*वय(ंमZ) मD मानने के आधार पर पहचानना –
+नवा8ह करना बदलता है |
�नण�य *वय(ंमZ) मD होता है
पहचानना – +नवा8ह
हमेशा एक सामान
शर�र से परूा होता
है
एक ह� input से,
• उदाहरण: यGद मZने आपका अपमान ^कया: शर�र मD fया होता है? *वय(ंमZ) के *तर पर fया होता है? दखुी कौन होता है?
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�ाथ�मक परचय �श�वर may 2012 (नो�स मा� परचय �श�वर हेत ु| अ�ययन के �लए नह� ंहै)
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1.6) जोड़8: chart 1: Aवय(ंम>)-शर'र आव!यकता मD 6th और 7th @बदं ु
Ø- vk/kkj Lo;a(eS) 'kjhj
1 vko';drk lq[k] lEeku] fo’okl] le`f) Hkkstu] diM+k] edku lqfo/kk
2 vko';drk dh vof/k +नरंतर साम+यक
3 vko';drk dh ek=k ek=k ugha, xq.kkRed Lhfer, मा�ा9मक
4 vko';drk iwjh dSls gksxh lgh le>] Hkko HkkSfrd jklk;fud oLrq
5 fofHkUUkrk,a lcds fy, ,d tSlk lcds fy, vyx vyx
6 ePया (जानना*) – मानना –
पहचानना – �नवा�ह करना
पहचानना-�नवा�ह करना
7 �कार चतैXय जड़ (भौ�तक –रासाय�नक)
*tkuuk vHkh iwjk gqvk ugh gSA ;g iwjk gksuk gS | *** मानने क) ^_या जहा ँGदखती है, उसे “चतैXय” कहत ेहै ***
• gedks vius gh ckjs esa igyh pht irk ugh vkSj brus lkyks ls th jgs gS ! आज xyr ekU;rk,a :या मानव एक ससंाधन ह?ै
• Lo;a dks 'kjhj eku fy;k | lqfo/kk HkkSfrd oLrq gS] | blfy, Ekkuo dks lalk/ku eku fy;k
• Lo;a ¾ 'kjhj blfy, lqfo/kk ¾ lq[k | blfy, केवल स�ुवधा ls lq[kh gksus dk iz;kl gSA
• 'kjhj ¾a Aवय ं XXXX • lqfo/kk ¾ lq[k XXXX • lkeku ¾ lEeku XXXX
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�ाथ�मक परचय �श�वर may 2012 (नो�स मा� परचय �श�वर हेत ु| अ�ययन के �लए नह� ंहै)
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अत: Ekkuo ds v/;;u ds fy, Lo;a vkSj 'kjhj दोन2 dks le>uk iM+sxkA
जोड़ना: काय8_म मD 1)Iयिfत मD 1a) *वय(ंमZ) और 1b)शर�र जोड़ना
1- *वयं
2- मानव संबंध (ifjokj, lekt)
3- izÑfr संबंध
4- अि*त9व
1.7) chart2:Aवय(ंम>) – शर'र काय�Pम
Aवय(ंम>) 'kjhj
1- eS gWw | 1- essjk 'kjhj gS |
2- eS thuk pkgrk gWw | 2-'kjhj dk lk/ku dh rjg iz;ksx djrk gWwA
3- eS lq[kiwoZd thuk pkgrk gWw | 3- 'kjhj ds iks"k.k] laj{k.k lnqi;ksx ds fy, lqfo/kk vko’;d gSA
4- ‘4 Lrj ij Iयव*था’* को le>uk] O;oLFkk esa thuk gh esjk dk;ZØe gSA
4- lqfo/kk dk mRiknu] laj{k.k] lnqi;ksx esjs dk;ZØe dk ,d Hkkx gSA
* चार *तर पर Iयव*था =
1. *वय ंको समझना (*वय ंमD Iयव*था)
2. मानव-मानव स.बYध समझना (परवार, समाज मD Iयव*था)
3. मानव-�कृ+त स.बYध समझना (�कृ+त मD Iयव*था)
4. अि*त9व को समझना • mnkgj.k%&