envoirment polution in hindi
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rmaadovaI baIeD k^alaoja ibajayanagar Ajamaor
sa~ 2016 -17P`akrNa ka naama – pyaa-varNa p`dUYaNa
Submitted to:- submitted by:-Mrs. Anita Chaudhary Anita Choudhary lecturer Bed 2nd Year Social Study Roll no.- 03
अनुक्रमणि�का pirBaaYaa P`adUYaNa ko P`akar jala p`dUYaNa s~aot eMva duYp`Baava vaayau p`dUYaNa s~aot eMva duYp`Baava maRda p`dUYaNa s~aot eMva duYp`Baava raokqaama eMva ]paya
pirBaaYaa “प्रदूष� का तात्पर्य� वारु्य, जल र्या भूमिम (अर्थाा�त पर्या�वर�) की भौतितक, रसार्यन र्या जैतिवक गु�ों में होने वाले ऐसे अनचाहे परिरवत�न हैं जो मनुष्र्य एवं अन्र्य जीवधारिरर्यों, उनकी जीवन परिरस्थि2तितर्यों, औद्योतिगक प्रतिक्रर्याओं एवं सांस्कृतितक धरोहरों के लिलरे्य हातिनकारक हों।”
प्रदूष� के प्रकार
(1) जल-प्रदूष�(2) वार्यु- प्रदूष�(3) महानगरीर्य प्रदूष�(4) रेति;र्योधम<-प्रदूष�(5) शोर-प्रदूष�
जल-प्रदूष�जल प्रदूष� का अर्था� है पानी में अपद्रव्य तर्थाा घातक तत्वों की उपलिर्थातित से पानी का दूतिषत हो जाना, जिजससे तिक वह पीने र्योग्र्य नहीं रहता।
जल में उपस्थि2तित अपद्रव्य पदार्थाE को तिनम्न शे्रणि�र्यों में तिवभक्त तिकर्या जाता है-
(अ) तिनलम्बिम्Jत अपद्रव्य इन पदार्थाE के क� 1μ से अमिधक व्यास के होते हैं। रेती मिमट्टी, खतिनज-लव�, शैवाल, फफँूद एवं तिवतिवध अजैव पदार्था� इस शे्र�ी के अपद्रव्य पदार्था� हैं। इनकी उपस्थि2तित से जल मटमैला दिदखता है।
(J) कोलॉइ;ी अपद्रव्य इन अपद्रव्य पदार्थाE के क� कोलॉइ; रूप में होते हैं। र्ये क� अतितसूक्ष्म होते हैं। अतः इन्हें छानकर अलग करने सम्भव नहीं होता। जल का प्राकृतितक रंग इन्हीं के कार� दिदखता है। लिसलिलका एवं तिवणिभन्न धातुओं के ऑक्साइ; (जैसे- Al2O3, Fe2O3 आदिद) Jैक्टीरिरर्या आदिद इसी शे्र�ी के अपद्रव्य हैं।
(स) घुलिलत अशुजि]र्याँ •
प्राकृतितक जल जJ तिवणिभन्न 2ानों से Jहता है तो उसमें अनेक ठोस, द्रव एवं गैस घुल जाती हैं। जल में घुलिलत ठोस पदार्थाE की सान्द्रता को पीपीएम इकाई में मापा जाता है
जल-प्रदूष�s~aot GarolaU baih
s~ava वातिहत मल औद्योतिगक Jतिहःस्राव कृतिष Jतिहःस्राव तैलीर्य-प्रदूष�
duYp`Baava मनुष्र्य पर प्रभाव जलीर्य वनस्पतित पर प्रभाव जलीर्य जन्तुओं पर प्रभाव तिवतिवध प्रभाव
vaayua p`dUY`aNa
P`aakRitk s~aot ज्वालामुखी पव�तों के फटने से तिनकले
लावा के सार्था तिनकली राख, आँधी-तूफान के समर्य उड़ती धूल तर्थाा वनों में लगने वाली आग से वारु्य-प्रदूष� होता है। दलदली क्षेत्रों में होने वाली अपघटन तिक्रर्याओं से तिनकली मीर्थाेन गैस तर्थाा वनों में पौधों से उत्पन्न हाइड्रोजन के तिवणिभन्न र्यौतिगकों तर्थाा परागक�ों से भी वार्यु प्रदूतिषत होती है।
maanavaIya s~aot दहन-तिक्रर्याएँ औद्योतिगक गतिततिवमिधर्याँ कृतिष-कार्य� तिवलार्यकों का प्रर्योगपरमा�ु ऊजा� सम्Jन्धी
गतिततिवमिधर्याँ
vaayua p`dUY`aNadUYp`Baavasmaaoga - धुए ँएवं कोहरे (fog) के मिमश्र� को स्मोग (Smog) कहते हैं। तिपछले पृष्ठ
में वर्णि�lत प्रभावों के अलावा स्मोग से पणिmर्यों को क्लोरोलिसस तर्थाा नेक्रोलिसस रोग हो जाते हैं।eqaIilana - वाहनों के धुए ँ प्राकृतितक गैसों तर्थाा कोर्यले के दहन एवं तिकसी भी
काJ�तिनक पदार्था� के अपू�� दहन से एर्थाीलीन तिनमु�क्त होती है। वातावर� में एर्थाीलिलन की अमिधकता से आर्किकl; पौधों तर्थाा कपास जैसे पौधों को हातिन होती है
काJ�न ;ाइऑक्साइ; (co2)काJ�न मोनो ऑक्साइ; (co)सल्फर ;ाइऑक्साइ; (so2)नाइट्रोजन के ऑक्साइ;
maRda p`dUYaNaमृदा में ऐसे कोई भी पदार्था� मिमलने र्या मृदा के घटक में से कोई पदार्था� तिनकलने पर र्यदिद मृदा की उपजाऊ क्षमता, ग�ुवmा एवं भूजल पर प्रतितकूल प्रभाव पड़ता है तJ हम उसे मृदा प्रदूष� कहेंगे। र्यह तिनम्न कार�ों से होता हो सकता है-
s~aot अत्र्यमिधक पेस्टिस्टसाइ;्स का उपर्योग- अमिधक उपज की लालच में कृषक फसलों
पर अनेक प्रकार के कीटनाशक, कवकनाशक, कृन्तकनाशी एवं खरपतवारनाशी का उपर्योग करते हैं। उक्त सभी प्रकार से रसार्यन जीवनाशक होते हैं
रासायनि�क खाद औद्योनि�क बनि�ःस्राव भूमि� �ें लवण ज�ा �ो�ा
जल-प्रदूषण की रोकथा� एवं नि�यंत्रण
• अपशि(ष्ट जल का उपचार - वातिहत जल एवं औद्योतिगक Jतिहःस्रावों को जलस्रोतों में Jहाने से पहले ही साफ तिकर्या जाना चातिहए। अपलिशष्ट जल के प्रार्थामिमक एवं तिtतीर्यक उपचार से अनेक प्रदूषक पृर्थाक तिकरे्य जा सकते हैं। प्रार्थामिमक उपचार-तिक्रर्या में सूक्ष्म-जीवों की गतिततिवमिधर्यों से व्यर्था� पदार्थाE का अपघटन एवं ऑक्सीकर� तिकर्या जाता है
• जल का रिरसाइक्लि/लं� - जल प्रदूष� को रोकने के लिलर्ये र्यह एक अच्छा उपार्य है। प्रदूतिषत जल में उपस्थि2त अनेक प्रदूषक तत्वों, अपलिशष्ट पदार्थाE की रिरसाइस्थिक्लंग की जा सकती है। इन उपोत्पादों का उलिचत उपर्योग भी तिकर्या जाता है।
वायु प्रदूषण की रोकथा� के उपाय
• कारखानों के लिलरे्य प्रदूषक तिनरं्यत्रक उपकर�ों का उपर्योग करना।• रेलों को अमिधकामिधक तिवदु्यत-इंजन से चलाना• कारखानों की लिचमतिनर्यों की ऊँचाई ठीक रखना• घरेलू कार्यE के लिलर्ये धुआँ रतिहत ईंधनों के उपर्योग को Jढ़ावा
देना।• मोटरकार जैसे वाहनों के धुए ँतिनकलने की नली पर उपरु्यक्त
तिफल्टर तर्थाा पश्चज्वलक (afterburner) का उपर्योग।• जन-चेतना एवं शासकीर्य प्रर्यास।
�ृदा संरक्षण के उपाय
• (i) जैनिवक निवधि6याँ इसके अन्तग�त तिवणिभन्न प्रकार की कृतिष-प्र�ालिलर्यों का उपर्योग होता है। उदाहर� के लिलर्ये कंटूर खेती, पलवारना र्या मस्थिल्चंग, फसल-चक्र, सूखी खेती आदिद तिवणिभन्न कृतिष-प्र�ालिलर्याँ हैं।
(ii) यांनित्रक-निवधि6याँ कृतिष र्योग्र्य भूमिम में जल संग्रह� हेतु Jेलिसन Jनाना एवं कंटूर टेरेसिसlग करने से भी मृदा-संरक्ष� हो सकता है।
(iii) अन्य निवधि6याँ वृक्षारोप�, नालिलर्याँ Jनाना, रेतिगस्तानों में तिवशेषकर को� पर वृक्ष लगाना (जो आँधी की गतित को कम करे), मृदा-प्रदूष� को रोकने के प्रर्यास आदिद ऐसी तिवमिधर्याँ हैं जो मृदा-संरक्ष� में लाभदार्यक हो सकती है