sdhdr&t centre and department of sanskrit …...१ जुलाई, २०१९ से आर eभ...

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१ जुलाई, २०१९ से आर᭥भ नव अकादिमक काᳶमक स २०१९-२०मᱶ आप सभी का वैचाᳯरक एवम् हादक वागत है। SDHDR&T CENTRE AND DEPARTMENT OF SANSKRIT CONGRATULATE DR SONIKA SETHI, DEPARTMENT OF ENGLISH FOR HER CONTINOUS CREATIVE WRITING. FOLLOWING IS HER ARTICLE PUBLISHED IN HINDUSTAN TIMES ON 26TH JUNE 2019.

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  • १ जलुाई, २०१९ स ेआर भ

    “नव अकादिमक का मक स २०१९-२०” म आप सभी का

    वैचा रक एवम ्हा दक वागत है। SDHDR&T CENTRE AND DEPARTMENT OF SANSKRIT CONGRATULATE DR SONIKA SETHI, DEPARTMENT OF ENGLISH FOR HER CONTINOUS CREATIVE WRITING. FOLLOWING IS HER ARTICLE PUBLISHED IN HINDUSTAN TIMES ON 26TH JUNE 2019.

  • 21st june, 2019 INTERNATION YOGA DAY

    NCC CADETS OF S D COLLEGE PARTICPATED IN YOGA DAY CELEBRATIONS BY PERFORMING YOGA ORGANIZED BY 2ND HR BT, AMBAL CANTT.

    िम शग जगंल (एक रेक अनभुव)

    अिव सनीय, बेजोड़ , अदभुत कहानी , आसाम म रहने वाले एक आ दवासी क िजसके कामो क गूंज पु क

    लहर म बहते , स धी जंगली हवा म महकते , घने पेड़ो क सरसराहट से होते , हज़ारो कलोमीटर दरू द ली म "रा पित भवन" तक प ंची | इस सीधे साधे आ दवासी का नाम ह ै “जाधव पीयग ” | चिलए कहानी शु होने के पहले छोटी सी जानकारी द ेदू ँ| “ पु ” नदी को पूव र का अिभशाप भी कहा जाता ह ै| इसका कारण ह ै क जब यह आसाम तक प ँचती ह ैतो अपने साथ ल बी दरूी से बहा कर लायी ई िमटटी , रेत और पहाड़ी पथरीले अवशेष िवशाल “ व मलबे” के प म लाती ह ै, िजससे नदी क गहराई अपे ाकृत कम हो चौड़ाई म फैल कनारे के गांवो को भािवत करती ह ै| मानसून म इसके चौड़ ेपाट हर साल पेड़ पौधो , ह रयाली और गांवो को अपने संग बहा ले जाते ह ै| पु नदी का िवशालता से फैला ह रयाली रिहत , बंजर रेतीला तट लगभग रेिग तान लगता था | चिलए अब आते ह ैहमारे कहानी के नायक “जाधव िपयग” पर | वष 1979 म जाधव 10 वी परी ा दने ेके बाद अपने गाँव म पु नदी के बाढ़ का पानी उतरने पर इसके बरसाती भीग ेरेतील ेतट पर घूम रह ेथ े| तब ही उनक नजर लगभग 100 मृत सापो के िवशाल गु छे पर पड़ी | आगे बढ़ते गए तो पूरा नदी का कनारा मरे ए जीव ज तु से अटा पड़ा एक मरघट सा था । मृत जानवर के शव के कारण पैर रखने क जगह नही थी | इस ददनाक सामूिहक िनद ष मौत के दृ य ने जाधव के कशोर मन को झकझोर दया | हज़ारो क सं या म िनज व जीव ज तुओ क

  • िन तेज फटी मुदा आँख ने जाधव को कई रात सोने न दया | गाँव के ही एक आदमी ने चचा के दौरान िवचिलत जाधव से कहा जब पेड़ पौधे ही नही उग रह ेह ैतो नदी के रेतीले तटो पर जानवर को बाढ़ से बचने आ य कहाँ िमले ? जंगलो के िबना इ ह भोजन कैसे िमले ? बात जाधव के मन म प थर क लक र बन गयी क जानवर को बचाने पेड़ पौध ेलगाने ह ग े| 50 बीज और 25 बॉस के पेड़ िलए 16 साल का जाधव प ंच गया नदी के रेतीले कनारे पर रोपने | ये आज से 35 साल पुरानी बात ह ै| उस दन का दन था और आज का दन या आप क पना कर सकते ह ैक इन 35 सालो म जाधव ने 1360 एकड़ का जंगल िबना कसी सरकारी मदद के लगा डाला | या आप भरोसा करग ेके एक अकेले आदमी के लगाये जंगल म 5 बंगाल टाइगर ,100 से यादा िहरन ,जंगली सुवर 150 जंगली हािथय का झु ड , गड ेऔर अनेक जंगली पशु घूम रह ेह,ै अरे हाँ सांप भी िजससे इस अ भुत नायक को ज म दया | जंगलो का े फल बढाने सुबह 9 बजे से पांच कलोमीटर साइकल

    से जाने के बाद ,नदी पार करते और दसूरी तरफ वृ ारोपण कर फर सांझ ढले नदी पार कर साइकल 5 कलोमीटर तय कर घर प ँचते | इनके लगाये पेड़ो म कटहल ,गुलमोहर ,अ ानाश ,बांस , साल , सागौन , सीताफल, आम ,बरगद , शहतूत ,जामुन, आडू और कई औषधीय पौधे ह ै|ले कन सबसे आ यजनक और दभुा यपूण त य यह ह ै क इस अस भव को स य कर दखाने वाले साधक से महज़ पांच साल पहले तक दशे अनजान था | ये लौहपु ष अपने धुन म अकेला आसाम के जंगलो म

    साइकल म पौधो से भरा एक थैला िलए अपने बनाए जंगल म गुमनाम सफर कर रहा था | सबसे पहले वष 2010 म दशे क नजर म आये जब वाइ ड फोटो ाफर “जीतू किलता” ने इन पर डा यूम ी फ म बनाई “the molai forest” | यह फ म दशे के नामी िव िव ालय म दखाई गयी | दसूरी फ म आरती ीवा तव क “foresting life” िजसमे जाधव क िज दगी के अनछुव ेपहलु और परेशािनय को दखाया | तीसरी फ म “forest man” जो िवदशेी फ म महो सव म भी काफ सराही गयी | एक अकेला ि वन िवभाग क मदद के िबना , कसी सरकारी आ थक सहायता के बगैर इतने िपछड़ ेइलाके से क

    िजसके पास पहचान प के प “राशन काड” तक नही ह ैने हज़ारो एकड़ म फैला पूरा जंगल खड़ा कर दया | जानने वाले सकते म आ गए उनके नाम पर आसाम के इन जंगलो को “िम शग जंगल” कहते ह ै{ जाधव आसाम क िम शग जनजाित से ह}ै | जीवन यापन करने के िलए इ होने गाये पाल रखी ह ै| शेरो ारा आजीिवका के साधन उनके पालतू पशु को खा जाने के बाद भी जंगली जानवर के ित इनक क णा कम न ई | शेरो ने मेरा नुकसान कया यो क वो अपनी भूख िमटाने खेती करना नही जानते | आप जंगल न करोगे वो आपको न करगे | एक साल पहले महामिहम “रा पित” ारा दशे के चतुथ सव नाग रक स मान “प ी” से अलंकृत होने वाले जाधव आज भी आसाम म बांस के बने एक कमरे के छोटे से क ेझोपड़ ेम अपनी पुरानी म दनचया लीन ह ै| तमाम सरकारी यास , व ारोपण के नाम पर लाखो पये के पौध क खरीदी करके भी ये पयावरण , वनिवभाग वो मुकाम हािसल न कर पाये जो एक अकेले क इ छाशि ने कर दखाया । साइकल पर जंगली पगडंडीय म पौधो से भरे झोले और कुदाल के साथ हरी भरी कृित क अनवरत साधना म ये िन वाथ पुजारी | ढरे

    शुभकामनाये जाधव जी आपने अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता कहावत गलत सािबत कर दी अब तो हम कहगे “ अकेला चना भाड़ फोड़ सकता ह“ै | िनवेदन करते ह पयावरण के िलए असीम ेह से भीगी इस इस साथक , अनोखी कहानी को दसूरो तक भी प ंचा कर सजग बनाए

    Madhu, WRITER AT FILM ASSOCIATION Mumbai.

    ******* वैचा रकता

    िम ी के बतन से टील और लाि टक के बतन तक और फर कसर के खौफ से दोबारा िम ी के बतन तक आ जाना, अंगूठा छापी से पढ़ िलखकर द तखत (Signatures) पर और फर आिखरकार अंगूठा छापी (Thumb Scanning) पर आ जाना,

  • फटे ए सादा कपड़ से साफ सुथरे और ेस कए कपड़ पर और फर फैशन के नाम पर अपनी पट फाड़ लेना, यादा मश क़त वाली ज़दगी से घबरा कर पढ़ना िलखना और फर P H D करके वॉ कग ेक (Walking Track) पर पसीने

    बहाना, क़ुदरती िगज़ा से ोसेसशुदा खान (Canned Food) पर और फर बीमा रय से बचने के िलए दोबारा क़ुदरती खान (Organic Foods) पर आ जाना, पुरानी और सादा चीज़ इ तेमाल करके ना पायदार ांडडे (Branded) आइट ज़ पर और आिखरकार जी भर जाने पर फर (Antiques) पर उतरना, ब को इंफे शन से डराकर िम ी म खेलने से रोकना और फर घर म बंद करके फस ी बनाना और होश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर िम ी से िखलाना..... इसक अगर जाँच पड़ताल कर तो ये िन कष िनकलता ह ै क टे ॉलॉजी ने तु ह ेजो दया उससे बहेतर तो कृित ने तु ह ेपहले से द ेरखा ह.ै.. मज आपक .

    ******* एक सुखद किवता (अ तजाल से साभार संकिलत)

    ब त दन बाद पकड़ म आई...

    थोड़ी सी खुशी... तो पूछा ?

    कहाँ रहती हो आजकल.... ? यादा िमलती नह ..?

    "यह तो "ँ जवाब िमला।

    ब त भाव खाती हो खुशी ?..

    कुछ सीखो अपनी बहन से...

    हर दसूरे दन आती ह ै हमसे िमलने... "परेशानी"।

    आती तो म भी .ं.. पर आप यान नही दतेे।

    "अ छा"...? कहाँ थी तुम

    जब पड़ोसी ने नई गाड़ी ली ?

    और तब कहाँ थी

    जब र तेदार ने बड़ा घर बनाया?

    िशकायत ह ठो पे थी क..... उसने टोक दया बीच म.

    म रहती .ँ.… कभी आपक ब े क

    कलका रय म, कभी

    रा ते म ेिमल जाती ँ.. एक दो त के प म,

    कभी ... एक अ छी फ म

    दखेने म, कभी...

    गुम कर िमली ई कसी चीज़ म,

    कभी... घरवाल क परवाह म,

    कभी ... मॉनसून क

    पहली बा रश म, कभी...

    कोई गाना सुनन ेम, दरअसल... थोड़ा थोड़ा बाँट दतेी ,ँ

    खुद को छोटे छोटे पल म.... उनके अहसास म।

    लगता ह ै च म ेका नंबर

    बढ़ गया ह ैआपका...! िसफ बड़ी चीज़ो म ही

    ढूढंते हो मुझ.े....!!! खैर...

    अब तो पता मालूम हो गया ना मेरा...?

    ढूढं लेना मुझे आसानी से अब

    छोटी छोटी बात म..."

    *******

  • पु तक का दशन - 'तो, या लोकतं के बाद जीवन ह?ै' ( 2009) (माई सिेड टयस हाट ’रॉय के सभी गरै- फ शन लखेन को एक ही खडं म दो दशक म एक साथ लाता ह।ै)

    अ धित रॉय जब क हम अभी भी इस बात पर बहस कर रह ेह क या मृ यु के बाद का जीवन ह,ै या हम गाड़ी म एक और सवाल जोड़ सकते ह? या लोकतं के बाद जीवन ह?ै यह कस तरह का जीवन होगा? "लोकतं " से मेरा अिभ ाय लोकतं से आदश या आकां ा के प म नह ह।ै मेरा मतलब ह ै क काम कर रह ेमॉडल: पि मी उदार लोकतं , और इसके कार, जैसे वे ह। तो या लोकतं के बाद भी जीवन ह?ै इस का उ र दने ेका यास अ सर शासन क िविभ णािलय क तुलना म बदल जाता ह ैऔर लोकतं क कुछ हद तक काँटेदार र ा के साथ समा होता ह।ै यह ु टपूण ह,ै हम कहते ह। यह सही नह ह,ै ले कन यह ताव पर बाक सब से बेहतर ह।ैअिनवाय प से, कमरे म कोई ि कहगेा: "अफगािन तान, पा क तान, सऊदी अरब, सोमािलया ... यह ह ै क आप या पसंद करग?े ' या लोकतं को व लोक होना चािहए क सभी "िवकासशील" समाज एक अलग ह।ै (मुझ े लगता ह ै क यह होना

    चािहए। ारंिभक, आदशवादी चरण काफ सु खय म हो सकता ह।ै) लोकतं के बाद के जीवन के बारे म सवाल हम म से उन लोग को संबोिधत कया जाता ह ैजो पहले से ही लोकतं म या उन दशे म रहते ह जो लोकतं होने का दखावा करते ह। यह सुझाव दने ेके िलए नह ह ै क हम अिधनायकवादी या अिधनायकवादी शासन के पुराने, बदनाम मॉडल म चूक करते ह। यह सुझाव दने ेके िलए ह ै क ितिनिध लोकतं क णाली - ब त अिधक ितिनिध व, ब त कम लोकतं - कुछ संरचना मक समायोजन क आव यकता ह।ै यहां सवाल यह ह ै क वा तव म हमन ेलोकतं के िलए या कया ह?ै हमने इसे कस प म बदल दया ह?ै एक बार लोकतं का इ तेमाल होने के बाद या होता ह?ै जब इसे खोखला कर दया जाए और अथ को खाली कर दया जाए? या होता ह ैजब इसके येक सं थान ने कसी खतरनाक

    चीज म मेटा टेसाइज कया हो? अब ऐसा या होता ह ै क लोकतं और मु बाजार एक पतली, संकुिचत क पना के साथ एक ही िशकारी जीव म शािमल हो गए ह जो लाभ को अिधकतम करने के िवचार के लगभग पूरी तरह से घूमता ह?ै या इस

    या को उ टा करना संभव ह?ै या जो कुछ उ प रव तत हो गया ह ैवह वापस वही हो सकता ह ैजो वह आ करता था? इस ह के अि त व क खाितर हम आज जो कुछ भी चािहए, वह दीघकािलक दिृ ह।ै या ऐसी सरकार िजनका अि त व ब त ही ता कािलक, िन कषण, अ पकािलक लाभ पर िनभर करता ह?ै या ऐसा हो सकता ह ै क लोकतं , हमारी छोटी-छोटी आशा और ाथना के पिव उ र, हमारे ि गत वतं ता के र क और हमारे अशुभ सपन के पोषणकता, मानव जाित के िलए एंडगेम बनगे? या यह हो सकता ह ै क लोकतं आधुिनक मनु य के साथ इतनी सटीक प से िहट हो य क यह हमारी सबसे बड़ी मूखता

    को दशाता ह ै- हमारी िनकटता? हमारी पूरी तरह से वतमान म जीने क अ मता (जैसे अिधकांश जानवर करते ह), भिव य म ब त दरू तक दखेने म हमारी

    अ मता के साथ संयु होकर, हम न तो जानवर के बीच, न ही जानवर और न ही पैगंबर म अजीब बनाता ह।ै हमारी अ भुत बुि म ा अि त व के िलए हमारी वृि से बाहर िनकल गई ह।ै हम पृ वी को लूट रह ेह उ मीद ह ै क भौितक अिधशेष जमा गहरा, अथाह बात ह ै क हम खो दया ह ैके िलए कर दगेा। यह दखावा करना होगा क इस पु तक के िनबंध इनम से कसी भी का उ र दान करते ह। व ेकेवल कुछ िव तार से

    द शत करते ह, त य यह ह ै क ऐसा लगता ह ै क हालां क बीकन िवफल हो सकता ह ैऔर यह क लोकतं अब शायद याय और ि थरता दान करने के िलए िनभर नह हो सकता ह,ै जो हमने एक बार सपना दखेा था।

  • सभी िनबंध भारत म मह वपूण ण म त काल, सावजिनक ह त ेप के प म िलख ेगए थ े- गुजरात म मुसलमान के िखलाफ रा य सम थत नरसंहार के दौरान; 13 दसंबर 2001 के संसद हमले म आरोपी मोह मद अफ़ज़ल क फांसी क तारीख तय होने से ठीक पहले; अमे रक रा पित जॉज बुश क भारत या ा के दौरान; 2008 क ग मय म क मीर म बड़ े पैमाने पर िव ोह के दौरान; 26 नवंबर 2008 के बाद मुंबई हमले। अ सर वे घटना के ित ित या नह थ,े व े ित या के ित

    ित या थे। हालां क उनम से कई ोध म िलखे गए थ,े ऐसे ण म जब चुप रहना कुछ कहने से क ठन हो गया, िनबंध म एक सामा य धागा ह।ै वे लोकतांि क या म दभुा यपूण िवसंगितय या िवपि य के बारे म नह ह। व ेलोकतं के िलए और कोरोलरीज के प रणाम के बारे म ह; वे निलका म आग के बारे म ह। मुझ ेयह भी कहना चािहए क व ेएक मनोरम अवलोकन दान नह करते ह। व ेिविश घटना के बारे म िव तृत िववरण दते ेह िजनक मुझे उ मीद थी क दिुनया के सबसे बड़ ेलोकतं म लोकतं के कुछ तरीक का खुलासा होगा। (या दिुनया का सबसे बड़ा "दानव-पागल", ीनगर क सड़क पर एक क मीरी र क के प म एक बार इसे रखा था। उनके त तापलट ने कहा: " याय के िबना लोकतं दानव-पागल ह।ै" एक लेखक, एक फ शन लेखक के प म, मने अ सर सोचा ह ै क या हमेशा सटीक रहने क कोिशश करना, यह सब त या मक प से सही होने क कोिशश करना, कसी भी तरह जो वा तव म चल रहा ह ैउसके महाका पैमाने को कम कर दतेा ह।ै या यह अंततः एक बड़ा सच ह?ै मुझ े चता ह ै क म खुद को अिभयोगी, त या मक प रशु ता क पेशकश करने म रेलमाग क अनुमित द ेरहा ,ं हो सकता ह ैक जब हम ज रत हो, तो यह एक अंितम सं कार हो, या प रवतनकारी शि और किवता क वा तिवक प रशु ता। भारत म

    शासन और अधीनता क "चालाक, ा णवादी, ज टल, नौकरशाही, फ़ाइल-बाउंड," लाग-ू -ूउिचत-चैनल " कृित के बारे म कुछ ऐसा लगता ह ै क मुझ ेएक लक बना दया गया ह।ै मेरा एकमा बहाना यह ह ै क दिुनया क पसंदीदा नई महाशि क गणना क गई हसा और ठंड क गणना करने वाले उपशांत और पाखंड के च ूह को उजागर करने के िलए यह अजीब उपकरण लेता ह।ै दमन "उिचत चैनल के मा यम से" कभी-कभी "उिचत चैनल के मा यम से" ितरोध को बढ़ाता ह।ै ितरोध के प म यह पया नह ह,ै मुझ ेपता ह।ै ले कन अभी

    के िलए, यह सब मेरे पास ह।ै शायद कसी दन यह किवता के िलए और जंगली हॉवेल के िलए आधार बन जाएगा। *******

    चतेना के साथ 10 सम याए ं

    (चेतना क अवधारणा से िनपटते समय इन मुख सम या पर िवचार कया जाना चािहए।) ेग हने र स, पीएच.डी. , जे स मैिडसन िव िव ालय म मनोिव ान के ोफेसर ह।

    सतह पर, चेतना क अवधारणा ब त सीधी लग सकती ह।ै यह संद भत करता ह ै क लोग मानिसक प से कस चीज़ के बारे म जानते ह, ह ैना? यह इससे कह अिधक ज टल ह।ै

    जॉन हॉगन ने हाल ही म गाँठ के मु के बारे म एक पु तक जारी क जो सभी िविभ शरीर-संबंधी सम या से िनपटने के यास म सामने आती ह।उनक पु तक नौ अलग-अलग िव ान के दिृ कोण क समी ा करती ह,ै और उनका िन कष यह था क हम ब त िमत रहत ेह। म होगन के दाव ेसे सहमत ं क चेतना क अवधारणा से जुड़ी कई सम याएं ह। म वहार, मन

    और चेतना को प रभािषत करने के बारे म एक कताब पर काम कर रहा ।ं मेरा तक ह ै क ये अवधारणाए ंमनोिव ान के िव ान के िलए क ीय ह, ले कन उ ह भावी ढगं से प रभािषत और पर पर संबंिधत नह कया गया ह।ै यहां म चेतना से जुड़ी 10 अलग-अलग वैचा रक सम या का एक वग करण दान करता ।ं म ट पणी अनुभाग म आलोचक या सुझाव का वागत करता ।ं

  • 1. द ल वजे गमे ॉ लम - यह हमारी अवधारणा और श दावली क सम या ह।ै य क चेतना एक ऐसी ापक अवधारणा ह,ै िजस भाषा के खेल का हम उपयोग करते ह वह मह वपूण ह ै क हम इस ेकैसे समझ। गौर क िजए, जैसा क यह

    ेट कोस नोट करता ह,ै अिधकांश पि मी भाषा णािलयाँ हम ऐसी श दावली दतेी ह जो हम भौितकवाद या भौितकवाद बनाम (बी) के कुछ कार के बीच एक िवक प बनाने के िलए िनधा रत करती ह (कुछ ) कुछ कार के मानिसकवाद या आदशवाद या (सी) तैवाद, जो कसी कार का संयोजन ह।ै पूव दाशिनक परंपराए ंज री नह ह ै क दिुनया को इस तरह से िवभािजत कर। भाषा के खेल क सम या म यह भी शािमल ह ै क हम मानिसक कारण और शारी रक संबंध के बारे म शारी रक संबंध के बारे म बात करते ह और (उदाहरण के िलए, कमी बनाम बनाम उ व; ाथिमक बनाम ि तीयक गुण), आ द।)। मुझ ेलगता ह ै क भाषा क खेल सम या कुछ मायन म सबसे मौिलक ह।ै म जो कताब िलख रहा ,ं उसका क यह दावा ह ै क हम वहार, मन और चेतना क अवधारणा को प रभािषत करने म मदद करन ेके िलए एक नई भाषा के खेल

    क आव यकता ह।ै मेरा तक ह ै क मेरा एक कृत िस ांत / दिृ कोण इन मु को हल करने के िलए एक नया भाषा खेल दान करता ह ै(दखे, उदाहरण के िलए, वहार के िलए यहाँ, यहा ँमन के िलए , और यहा ँचेतना के िलए ) 2. िव दिृ सम या - यह भाषा खेल क सम या से संबंिधत ह,ै ले कन िवशेष प से कसी के सम गभाधान और वा तिवकता क त वीर से संबंिधत ह।ै चेतना से संबंिधत तीन ापक िव सा ा कार ह। एक तो अलौ ककराय। इसका एक सं करण ईसाई दिृ कोण ह ै क वा तिवकता का एक आयाम ह ैजो ाकृितक दिुनया से अलग मौजूद ह ैऔर चेतना म जोड़ता ह ैक येक ि के पास उस अलौ कक दिुनया से एक आ मा ह,ै जो गभाधान के बाद कसी बद ुपर शरीर को दया जाता ह ै

    और मृ यु के बाद, शरीर से अलग हो जाता ह ैऔर दसूरे वग य िवमान म लौट आता ह।ै एक अ य िव दिृ रह यमय या अ ाकृितक दिृ कोण ह,ै जो तक दतेा ह ै क ऊजा, पदाथ, सूचना और मन के संचालन के िलए मानक िव ान क दिृ गलत ह ैऔर मन या चेतना का एक आयाम ह ैजो मि त क आधा रत नह ह ैऔर एक कारण भूिमका िनभाता ह ैदिुनया म एक तरह से

    ाकृितक िव ान के मौजूदा मॉडल से ब त अलग ह।ै डॉसन चच क हािलया पु तक माइंड टू मैटर एक रह यमयी िव दिृ पर आधा रत ह।ै अंत म, मानक, ाकृितक दशन दृ य ह।ै य िप एक ाकृितक दिृ कोण के कई प ह, वे ाकृितक दशन क मा यता के भीतर रहत ेह। 3. चतेना सम या के िविभ रा य- जब हम एक बुिनयादी तरीके से चेतना के बारे म बात करते ह, तो हम पूरी तरह से जागने बनाम गहरी न द या कोमा म होने के बारे म बात करते ह। हम व को एक कार क चेतना क ि थित के प म भी पहचान सकते ह , और युिसड (आ म-चेतन) एक और भी िविश ि थित का सपना दखे रह ेह। चेतना के सभी प रव तत अव थाए ंभी ह, िजनम से कुछ रोगा मक ह, जैसे क मित म और म से जुड़े मनोवै ािनक एिपसोड। रह यो ाटन या जागृित क असामा य या आ याि मकअव थाए ँभी ह। यहा ँमूल बद ुयह ह ै क हम चेतना के रा य म उतार-चढ़ाव पर िवचार करना चािहए और सामा य बनाम प रव तत रा य के बारे म िवचार करना चािहए। 4. अवयेरनसे ॉ लम के पा स और लये रग - यह संरचना मक मु को संद भत करता ह ैजो चेतना बनाता ह ै- और वुं ट जैसे

    ारंिभक मनोवै ािनक का यान क त था। कुछ भाग या डोमेन म संवेदी गुण (अनुभव के मूलभूत त व), अवधारणा मक पूणता, ाइव या आ ह, भावना मक भावनाए,ं क पनाशील आ य, आ म-चचा , िवचार या ता कक िव ेषण शािमल हो सकते ह। इन सामि य क समझ पाने के िलए, िविभ भाग म होने वाली चेतना के अलावा, यह मानन ेके अ छे कारण ह क हम इसे " यान दने ेक या" के प म सोच सकते हऔर जाग कता। उदाहरण के िलए, वा तव म हम सभी को सड़क

    पर गाड़ी चलाने और अ य चीज के बारे म सोचने का अनुभव आ ह,ै जैसे क हम सड़क के ित सचेत नह थे। ले कन इसका या मतलब ह ै क हम सड़क के ित सचेत नह थ?े जािहर ह,ै अगर कोई हम पर आंख मूंद लेता ह,ै तो हम ज दी से पता चल

    जाएगा क कोई सम या थी। इस कार, हम जाग कता के एक तर पर सड़क को "दखे" रह ेथे। ले कन हम अपनी संवेदी-अवधारणा मक दिुनया से अवगत होने के बारे म नह जानते थ े य क हमारा यान कह और था। इसका मतलब ह ै क हम जाग कता क अवधारणा पर िवचार करने क आव यकता ह,ै जो क श दकोष के प म ह ै , चेतना क अवधारणा के साथ

  • पया प से ओवरलैप होता ह।ै इसका मतलब यह भी ह ै क हम िविभ तर पर होने वाली जाग कता पर िवचार करने क आव यकता ह।ै 5. थलाकृितक सम या - यह भाषा के खेल और भाग और तर क सम या से संबंिधत ह,ै ले कन यह िवशेष प से उस

    े या डोमेन के हमारे काय मानिच को संद भत करता ह ैजो चेतना बनाते ह। ऐसा ही एक न शा ह ै ायड का थलाकृितक मॉडल, जो अवधारणा को सचेत, अचेतन (यानी, मृित ) और अचेतन डोमेन म िवभािजत करता ह ै। ायड का मॉडल एक शु आत ह,ै ले कन यह पया नह ह।ै उदाहरण के िलए, अित र िव ेषण ने यह प कर दया ह ै क ायड के अचेतन को अवचेतन और अचेतन डोमेन म िवभािजत कया जाना चािहए । अवचेतन मानिसक साम ी को संद भत करता ह ैिजसे शु म टाला जाता ह ै ले कन उिचत यान क त करने के साथ जाग क जाग कता म लाया जा सकता ह ै (उदाहरण के िलए, मनोिच क सा म िनदिशत खोज क एक या)। इसके िवपरीत, गैर-अचेतन साम ी उन सभी यूरो-सूचना सं करण को संद भत करती ह ैिज ह कभी भी जाग कता म नह लाया जा सकता (तंि का मि त क म फाय रग, मेमोरी टोरेज के तं , एक गद को पकड़ने के िलए जाने म शािमल संचालन आ द)। इससे भी अिधक मह वपूण ह ै क ायड क "चेतना" को अनुभवा मक चेतना के दो ापक डोमेन (कभी-कभी कोर, अवधारणा मक, घटना मक या ाथिमक चेतना के प म संद भत) और आ म-

    जाग क जाग कता और / आ म- चतनशील कथन म िवभािजत करने क आव यकता ह ै। ये प प से अलग-अलग मु ेह और कुछ मुख वैचा रक सम या म अनुभवा मक चेतना (सम या 6) शािमल ह, जब क अ य सम या म आ म-चेतना और कथा ित बब (सम या 7) शािमल ह। 6. ायोिगक चेतना (ईसी) सम या -यह दिुनया म होने के महसूस कए गए अनुभव को संद भत करता ह,ै अवधारणा मक अनुभव का सामान जैसे क लाल दखेना और भूख महसूस करना। कुछ लोग मूलभूत इकाइय को कहते ह जो अनुभवा मक चेतना " ािलया" बनाते ह। इसे "अनुभव के रंगमंच रंगमचं" के प म भी व णत कया जा सकता ह।ै इसके बारे म भी बात क गई ह ै क यह कुछ ऐसा होना चािहए, जो थॉमस से िलया गया ह।ै नागल का िस काम, हाट इट लाइक टू ए बैट? ईसी सम या के साथ दो उप सम याएं ह, िजनम से येक म दो अित र सम याएं ह। 6a) िवषय व त ुमहामारी िव ान सम या - यह दिुनया म होने पर " ि परक" बनाम "उ े य" दिृ कोण से जुड़ी सम या ह,ै और आं े मा स के चतुथाश िव षेण जैसे लोग ारा काश डाला गया ह।ै इस बारे म सोचने का एक तरीका यह ह ै क

    ि के भीतर ि परक अनुभवा मक चेतना पूरी तरह से "िनिहत" ह।ै इस िनयं ण के प रणाम व प दो मह वपूण उप सम याएं होती ह, जो एक दसूरे क दपण छिवयां होती ह। पहला (6a1) दसूरे के ि परक अनुभव को जानने क सम या ह ै- यह सम या यह नह क जा सकती ह।ैयह सम या ह:ै "मझु ेकैसे पता चलेगा क आप िजस तरह से मुझ ेलाल दखाई द ेरह ेह वह लाल ह?ै" यह सम या अ य जानवर म हमारी चेतना के ान से संबंिधत ह,ै िजसे हम केवल अ य प से जान सकते ह। यह भी लाश क दाशिनक सम या से संबंिधत ह।ै वा तव म, सभी ि परक अनुभव केवल एक उ े य प र े य से वहार के मा यम से अनुमान लगाया जा सकता ह।ै दसूरा (6a2) मु ा इस सम या का उलटा ह।ै यही वह सम या ह,ै जो ि य के प म, हम दिुनया के अपने ि परक अवधारणा मक अनुभव म फंस गए ह। यही ह,ै दिुनया के बारे म मुझ ेपता चल सकता ह ै क एकमा तरीका अनुभव के अपने ि परक िथएटर के मा यम से ह।ै इस सम या क कृित हम दखे सकते ह जब हम पूछते ह, जैसा क रेन ेडसेकाटस ने ब त पहले कया था, मुझ ेकैसे पता चलेगा क बाहरी दिुनया वा तिवक ह ैऔर म कसी बुरे दानव ारा वि थत सपने म नह जी रहा ?ं यह सम या लोकि य फ म ृंखला द मै स का आधार थी।

    6b) यरूो इंजीिनय रग सम या - यह िविश मैकेिन स को संद भत करता ह ै क मि त क क गितिविध कैसे लाल, और सुख और दद के महसूस कए गए अनुभव को ज म दतेी ह।ै हम इसे दो अलग-अलग सम या , तंि का-सहसंबंध सम या और तंि का-काय सम या म भी तोड़ सकते ह। यूरो-सहसंबंध सम या (6b1) संद भत करती ह ै क हम महसूस कए गए अनुभव और मि त क गितिविध के बीच सहसंबंध को कैसे मैप करते ह। उदाहरण के िलए, उदाहरण के िलए, हम लंबे समय से जानते

  • ह क ओसीसीपटल लोब क ित से दिृ बािधत होती ह,ै जब क वण लोब म ित सुनवाई को भािवत करती ह।ै इससे भी अिधक य प से, वै ािनक ने ेनवेव गितिविध के कार पर यान दया ह ै जो सीधे सचेत प ंच से मेल खाती ह।ै उदाहरण के िलए, " लोबल यूरोनल वक पेस" िस ांत, दहेेन ेनामक एक िवचार पर शोध क एक रोमांचक पंि मऔर उनके सहयोिगय ने एक P3 "इि शन वेव" क पहचान क ह ैजो संवेदी इनपुट के बाद लगभग 300 िमलीसेकंड होता ह ैजो सचेत

    प से दृ य उ ेजना का अनुभव करने के साथ जुड़ा आ ह।ै हम सचेत अनुभव के मि त क स ब धी मानिच ण म बेहतर और बेहतर हो रह ेह और यह ि परक चेतन मन को समझने के िलए प परेखा क ओर अ सर ह।ै यूरो-कॉजेशन सम या (6 बी 2) यह सवाल ह ै क मि त क क याए ं य और कैसे िनि त होती ह जो ि परक अनुभव का उ पादन करती ह। िवशेष प से, लािलमा बनाम ह रयाली के अनुभव का या कारण ह?ै यू ंकर ओसीसीपटल लोब क वा तुकला दिृ के अनुभव का उ पादन करती ह,ै जब क वण लोब क वा तुकला विन के अनुभव का उ पादन करती ह?ै इसी तरह, मि त क

    क यूनतम याए ं या होती ह जो सचेत अनुभव को उ प करती ह और वे ऐसा य और कैसे करते ह? इसे अ सर चेतना क "क ठन" सम या के प म जाना जाता ह।ै इसे कभी-कभी यूरो-बाइं डग सम या भी कहा जाता ह ैऔर / या संबंिधत ह।ै वतमान म, " य " िविश मि त क रा य के िविश अनुभवा मक रा य म प रणाम का ब त रह यमय ह।ै 7. व-चेतना (एससी) सम या -यह आ म- चतनशील चेतना क कृित को संद भत करता ह,ै जो अपने पूण प म, आ म-चतनशील कथन को शािमल करता ह।ै होरगन क पु तक क शु आत म, वह एक ऐसे समय क बात करता ह ैजब वह अपने

    दो त के साथ एक ब ेके प म मछली पकड़ने गया था जब वह अचानक आ म- चतनशील जाग कता का एक गहरा ण था और घोषणा क थी, "म म !ँ" उसके दो त को हालाँ क उसके दो त भािवत नह थ,े ले कन होगन का गहरा भाव था। उस समय होरगन म जो कुछ भी बदला वह उसक अनुभवा मक चेतना (यानी, उसके हाथ म मछली पकड़ने क छड़ी क भावना)

    नह थी, बि क एक वतं इकाई के प म खुद के आ म- चतनशील जाग कता थी। चेतना के इस े म शािमल ह: व-चेतना या ह,ै यह कब और य िवकिसत आ? पशु चेतना के सापे मानव चेतना या ह?ै आ म-चेतना कैसे िवकिसत होती ह?ै यह भाषा और कथन से कैसे संबंिधत ह?ै आ म-चेतन कथन क एक मुख िवशेषता जो अनुभवा मक चेतना से ब त अलग ह,ै यह तंि का तं के अंदर िनिहत नह ह।ै मेरी उंगली म मामूली दद के िवपरीत, िजसे म अ य प से रपोट कर सकता ं य क यह मेरी िवषयव तु म िनिहत ह,ै म चेतना क 10 सम या के बारे म अपने िवचार सीधे आपके साथ साझा कर रहा ।ं भाषा एक प अ तःिवषय साझा करने क अनुमित दतेी ह।ै अनुभवा मक और आ म-चेतना के बीच एक मह वपूण अंतर ह,ै और कई ह। आ म-चेतना से जुड़ी चार उप-सम याएं ह: वयं क सम या (एसपी); क सम या मु होगा (FWP), ि व क सम या (पीपी); और अजीब लूप क सम या (एसएलपी)। 7a) वय ं क सम या - आ म-चेतना िम ण म एक नया श द, व, लाती ह।ै व या ह,ै व का भाव या ह?ै या अनुभवा मक चेतना तर पर एक व ह?ै दोन तर पर वयं और चेतना के बीच या संबंध ह?ै आ म-अवधारणा , पहचान, आ म-स मान जैसी संबंिधत अवधारणा के बीच या संबंध ह ै? बचपन म आ म-चेतना आ म- णाली कैसे िवकिसत होती ह ै? बु क अंतदिृ से हम या बना सकते ह क कोई वयं नह ह?ै आ मान या अ य भाषा के खेल क पूव धारणा के िवपरीत यह कैसे होता ह ैजो मानव मनोिव ान म वयं क क ीय भूिमका पर जोर दते ेह? 7b) वतं इ छा क सम या - आ म-जाग कता का मतलब ह ै क म मेरे बारे म जानता ंऔर म जो कर रहा ंऔर जो म कर रहा ंया करना चािहए। ये वतं इ छा क अवधारणा के िलए मह वपूण त व ह, जो क यह िवचार ह ै क एक व ह ैजो काय करना चुन रहा ह।ै म इस लॉग को िलखन ेका िनणय लेने के िलए खुद को अनुभव करता ।ं ले कन इसका या मतलब

  • ह?ै या आ म-जाग कता वा तव म आ म-सचेत प से कसी के काय को चुनने क मता को ज म दतेी ह?ै या (या) उन काय को वतं प से चुना जा सकता ह?ै य द हम भौितक या ारा िनधा रत ांड म रहत ेह तो यह कैसे संभव ह?ै 7c) ि व क सम या - आम तौर पर, हम कहते ह क एक ि एक इंसान ह।ै ले कन ि य के वहार म, पीटर ओसो रयो स मोहक तक दतेा ह ै क यह िब कुल सही नह ह।ै ओ सो रयो के अनुसार, एक ि एक इकाई ह ैजो आ म-जाग क ह ैऔर अपने काय के िलए चतनशील िज मेदारी लेता ह,ै जब क एक इंसान एक िवशेष कार का महान वानर ह।ै अपनी बात कहने के िलए क कसी ि क अवधारणा क तुलना म ि व क अवधारणा अलग ह,ै ऑ सो रयो बताते ह क कई िव ान कथाए ंह ( टार वास म ािणय जैसे योदा या जबा द हट) जो प प से वैचा रक प से ि ह भावना,

    ले कन मनु य नह ह। ओ सो रयो के िव ेषण म भाषा और ि वाद के बीच अंतरंग संबंध पर भी काश डाला गया ह,ै जैसे क ऐसे वहार करने वाल े ि य का पूण प से छूटना िजसम कथा जाग कता और कसी के काय के िलए वािम व क

    भावना शािमल हो। 7 d) आ म-जाग कता के अजीब लूप क सम या- हॉगन के साथ कुछ अजीब आ य क उ ह न ेदोहराया "म ।ं" जैसा क उ ह ने सुनाया, उनक ि थित क धारणा बदल गई। इस कार, उ ह ने खुद को एक "अजीब पाश" म पाया, जहां उनके कथा

    वहार का कारण और भाव सभी उलझ गए थे। सं ाना मक वै ािनक / दाशिनक डगलस हॉफ टैडरएक अजीब लूप होन ेक गितशीलता का पता लगाया ह।ै मेरा मानना ह ै क िविच मु को भी ापक मु पर लागू कया जा सकता ह,ै जैसे क डबल हमिनकलऔर सा के िव षेण से मानव वतं ता क कृित और त य और मू य के संलयन क खोज। ल बोलुआब यह ह ै क यह चीज के िलए ज टल भाव डालता ह ैजैसे क कारण और भाव के बीच संबंध और चीज का वणन / ा या करना और उ ह िनधा रत / भािवत करना। अंत म, कम से कम तीन अ य सम याएं ह जो चेतना के वैचा रक िव षेण से संबंिधत ह। वे मन क सम या, वहार क , और नैितकता क ह । 8. मन क सम या - यह संबंिधत ह ै क मन को कैसे प रभािषत कया जाता ह,ै और यह चेतना से कैसे संबंिधत ह,ै जो भाषा के खेल क सम या से वापस िमलता ह।ै प रभाषा के मु ेके अलावा, एक दसूरा मु ा ह,ै जो यह ह ै क कोई भी ि ित चेतना

    क कृित के बारे म सीधे कुछ भी कह े िबना मन का एक सं ाना मक -वादी दिृ कोण ले सकता ह।ै एक सं ाना मक काया मकवादी िवचार वह िवचार ह ैजो तंि का तं क सूचना सं करण मता के कारण उ प होन ेवाली या से अिधक दखेा जा सकता ह।ै मन क एक काया मक-सं ाना मक अवधारणा को ि वाद क सम या के बारे म ब त कुछ कह ेिबना अपनाया जा सकता ह।ै टीवन पकर क पु तक हाउ द माइंड व स पर िवचार करमन का एक सं ाना मक काया मक दिृ कोण था, ले कन अपने वयं के वेश ारा, पु तक शायद ही अनुभवा मक चेतना के मु ेपर सभी को छूती ह।ै इसी तरह क नस म, हम कं यूटर शतरंज काय म डीप लू या कसी भी तरह के अनुभव के िबना कसी भी तरह के कं यूटर वाटसन को चलाने वाले कं यूटर शतरंज काय म के एक काया मक िवशेष या सूचना सं करण दृ य ले सकते ह। ल बोलुआब यह ह ै क मन को चेतना से ब त अलग तरीके से क पना क जा सकती ह,ै खासकर अगर एक सं ाना मक-काया मक दिृ कोण िलया जाता ह।ै इस कार, चेतना के पूण िव ेषण को कसी कार क सूचना सं करण णाली के प म मन और तंि का तं के िव षेण के संदभ म तैयार कए जाने क आव यकता ह।ै 9. वहार क सम या - यह संबंिधत ह ै क चेतना के संबंध म वहार को कैसे प रभािषत कया जाता ह।ै िवचार कर क बी एफ ि कनर जैसे क रपंथी वहारवादी ि वादी चेतना को वहा रक प से प रभािषत करते ह। वचा का दद होने पर

    ायोिगक घटना , जैसे क दांत दद, को "गु वहार" माना जाता ह।ै इसी तरह, जो कुछ भी हो रहा ह ैउसका वणन पयावरण म आकि मकता के कारण मौिखक वहार माना जाता ह ै। य िप म क रपंथी वहार के दिृ कोण का आलोचक ,ं ले कन यह इस बात पर काश डालता ह ै क मेरा मानना ह ै क एक और अ सर और अनदेखी सम या ह।ै चेतना को भावी

    ढगं से मैप करने के िलए, हम वहार क अवधारणा से िनपटने और यह समझने क आव यकता ह ै क र त ेम या ह।ै

  • 10. निैतक सम या- अपनी पु तक, द मोरल लड केप म , सैम है रस एक शि शाली तक दते ेह क अनुभवा मक चेतना (िजसे उ ह ने भावना कहा जाता ह)ै नैितक सम या , मू य और िनणय से जुड़ा एक मूलभूत पहलू ह।ै िवशेष प से, उ ह ने तक दया क नैितकता क न व संतित ािणय क भलाई थी (या शािमल थी)। आप इस िव षेण से पूरी तरह सहमत ह या नह ,

    यह उस अनुभवा मक चेतना और खुशी और दद को महसूस करने क मता को उजागर करता ह ैजो नैितकता क अवधारणा से गहराई से जुड़ता ह।ै अगर कोई दखु या खुशी नह थीया कसी भी कार क , तब नैितकता क अवधारणा गायब हो जाती ह।ै इसके अलावा, कई लोग का तक ह ै क लोग को उनके काय के िलए नैितक प से जवाबदहे ठहराने के िलए यायसंगत होना चािहए, मनु य अपने कए गए वहार के अलावा अ य वहार करने के िलए वतं होना चािहए। दसूरे श द म, उ ह अपने

    वहार को वतं प से चुनने म स म होना चािहए। इसका मतलब ह ै क आ म-चेतना (और ि व और वतं इ छा) क अवधारणा नैितक िस ांत और दाव ेसे गहराई से संबंिधत ह।ै जैसा क होरगन क पु तक प करती ह,ै चेतना एक फसलन और ज टल िनमाण ह ैजो कई अलग-अलग वैचा रक सम या से जुड़ी होती ह।ै मेरी आशा ह ै क यह लॉग हम उन सम या के बारे म बताने म मदद करेगा जो हम संबोिधत करने क ज रत ह।ै एक अ छा भाषा खेल एक होगा जो हम इन मु को प प से संबोिधत करने म मदद करता ह।ै मरेी पु तक का ल य यह दखाना ह ै क एक भाषा खेल ह ैजो इन सभी मु को संभाल सकता ह ैऔर मनोिव ान के िलए एक अिधक सुसंगत िव ान के प म िवकिसत करने के िलए मंच िनधा रत करता ह।ै

    *******

    इितहास के झरोखे से अकबर के समय के इितहास लेखक अहमद यादगार न ेिलखा ह ै क-

    “बैरम खाँ ने िनह थे और बुरी तरह घायल िह द ूराजा हमूे के हाथ पैर बाँध दय ेऔर उस ेनौजवान शहजादे के पास ले गया और बोला, आप अपने पिव हाथ स ेइस का फर का क ल कर द और”गाज़ी”क उपािध कुबूल कर, और शहजादे ने उसका िसर उसके अपिव धड़ से अलग कर दया।” (नव बर, 5 AD1556) (तारीख-ई-अफगान,अहमद यादगार,अनुवाद एिलयट और डाउसन, ख ड VI, पृ 65-66) इस तरह अकबर ने १४ साल क आय ुम ही गाज़ी (का फर का काितल) होने का स मान पाया। इसके बाद हमूे के कटे िसर को काबुल िभजवा दया और धड़ को द ली के दरवाज ेपर टांग दया। अबुल फजल ने आग ेिलखा – ”हमेू के िपता को जीिवत ले आया गया और नािसर-उल-मिलक के सामने पेश कया गया िजसन ेउसे इ लाम कबूल करन ेका आदशे दया, क तु उस वृ पु ष ने उ र दया, ”मन ेअ सी वष तक अपने ई र क पूजा क ह;ै मै अपने धम को कैस े याग सकता ?ँ मौलाना परी मोह मद ने उसके उ र को अनसुना कर अपनी तलवार से उसका सर काट दया।” (अकबर नामा, अबुल फजल : एिलयट और डाउसन, पृ २१) इस िवजय के तुर त बाद अकबर ने का फर के कटे ए िसर से एक ऊँची मीनार बनवायी। २ िसत बर 1573 को भी अकबर ने अहमदाबाद म २००० दु मन के िसर काटकर अब तक क सबस ेऊँची िसर क मीनार बनवायी और अपने दादा बाबर का रकाड तोड़ दया। यानी घर का रकाड घर म ही रहा। अकबरनामा के अनुसार ३ माच 1575 को अकबर ने बगंाल िवजय के दौरान इतने सैिनक और नाग रक क ह या करवायी क उसस ेकटे िसर क आठ मीनार बनायी गय । यह फर से एक नया रकाड था। जब वहाँ के हारे ए शासक दाउद खान ने मरते समय पानी माँगा तो उसे जूत म भरकर पानी पीन ेके िलए दया गया। अकबर क िच ौड़ िवजय के िवषय म अबुल फजल ने िलखा था- ”अकबर के आदेशानुसार थम ८००० राजपूत यो ा को बंदी बना िलया गया, और बाद म उनका वध कर दया गया। उनके साथ-साथ िवजय के बाद ात:काल स ेदोपहर तक अ य ४०००० कसान का भी वध कर दया गया िजनम ३००० ब ेऔर बूढ़े थे।” (अकबरनामा, अबुल फजल, अनुवाद एच. बबै रज) िच ौड़ क पराजय के बाद महारानी जयमाल मेतावािड़या समेत १२००० ािणय ने मुगल के हरम म जाने क अपे ा जौहर क अि म वयं को जलाकर भ म कर िलया। जरा क पना क िजए िवशाल ग म धधकती आग और दल दहला देन ेवाली चीख -पुकार के बीच उसम

    कूदती १२००० मिहलाएँ ।

  • अपने हरम को स प करने के िलए अकबर ने अनेक िह द ूराजकुमा रय के साथ जबरनठ शा दयाँ क थी पर तु कभी भी, कसी मुगल मिहला को िह द ूसे शादी नह करन ेदी। केवल अकबर के शासनकाल म 38 राजपूत राजकुमा रयाँ शाही खानदान म याही जा चुक थ । १२ अकबर को, १७ शाहजादा सलीम को, छः दािनयाल को, २ मुराद को और १ सलीम के पु खुसरो को। अकबर क गंदी नजर ग डवाना क िवधवा रानी दगुावती पर थी ”सन् १५६४ म अकबर ने अपनी हवस क शांित के िलए रानी दगुावती पर आ मण कर दया क त ुएक वीरतापूण संघष के बाद अपनी हार िनि त देखकर रानी ने अपनी ही छाती म छुरा घ पकर आ म ह या कर ली। क त ुउसक बिहन और पु वध ूको को ब दी बना िलया गया। और अकबर ने उस ेअपने हरम म ले िलया। उस समय अकबर क उ २२ वष और रानी दगुावती क ४० वष थी।” (आर. सी. मजूमदार, दी मुगल ऐ पायर, ख ड VII) सन् 1561 म आमेर के राजा भारमल और उनके ३ राजकुमार को यातना द ेकर उनक पु ी को सा बर से अपहरण कर अपन ेहरम म आने को मज़बरू कया। औरत का झूठा स मान करने वाले अकबर ने िसफ अपनी हवस िमटाने के िलए न जाने कतनी मुि लम औरत क भी अ मत लूटी थी। इसम मुि लम नारी चाँद बीबी का नाम भी ह।ै अकबर ने अपनी सगी बेटी आराम बगेम क पूरी जदगी शादी नह क और अंत म उस क मौत अिववािहत ही जहाँगीर के शासन काल म

    ई। सबस े मनगढ़ंत क सा क अकबर ने दया करके सती था पर रोक लगाई; जब क इसके पीछे उसका मु य मकसद केवल यही था क राजवशंीय िह द ूना रय के पितय को मरवाकर एव ंउनको सती होने से रोककर अपने हरम म डालकर ऐ याशी करना। राजकुमार जयमल क ह या के प ात अपनी अ मत बचान ेको घोड़े पर सवार होकर सती होने जा रही उसक प ी को अकबर ने रा ते म ही पकड़ िलया। शमशान घाट जा रहे उसके सारे स बि धय को वह से कारागार म सड़ने के िलए भेज दया और राजकुमारी को अपने हरम म ठंूस दया । इसी तरह प ा के राजकुमार को मारकर उसक िवधवा प ी का अपहरण कर अकबर ने अपने हरम म ले िलया। अकबर औरत के िलबास म मीना बाज़ार जाता था जो हर नय ेसाल क पहली शाम को लगता था। अकबर अपन ेदरबा रय को अपनी ि य को वहाँ सज-धज कर भेजने का आदशे देता था। मीना बाज़ार म जो औरत अकबर को पसंद आ जाती, उसके महान फौजी उस औरत को उठा ले जाते और कामी अकबर क अ याशी के िलए हरम म पटक देते। अकबर महान उ ह एक रात से लेकर एक महीने तक अपनी हरम म िखदमत का मौका देते थे। जब शाही द त ेशहर से बाहर जाते थ ेतो अकबर के हरम क औरत जानवर क तरह महल म बदं कर दी जाती थ । अकबर ने अपनी अ याशी के िलए इ लाम का भी दु पयोग कया था। चूँ क सु ी फरके के अनुसार एक मुि लम एक साथ चार स ेअिधक औरत नह रख सकता और जब अकबर उस से अिधक औरत रखने लगा तो काजी ने उस ेरोकन ेक कोिशश क । इस से नाराज होकर अकबर ने उस सु ी काजी को हटा कर िशया काजी को रख िलया य क िशया फरके म असीिमत और अ थायी शा दय क इजाजत ह ै , ऐसी शा दय को अरबी म “मुतअ” कहा जाता ह।ै अबुल फज़ल ने अकबर के हरम को इस तरह व णत कया ह-ै “अकबर के हरम म पांच हजार औरत थ और ये पांच हजार औरत उसक ३६ पि य से अलग थ । शहशंाह के महल के पास ही एक शराबखाना बनाया गया था। वहाँ इतनी वे याएं इक ी हो गय क उनक िगनती करनी भी मुि कल हो गयी। अगर कोई दरबारी कसी नयी लड़क को घर ले जाना चाह ेतो उसको अकबर से आ ा लेनी पड़ती थी। कई बार सु दर लड़ कय को ले जाने के िलए लोग म झगड़ा भी हो जाता था। एक बार अकबर ने खुद कुछ वे या को बुलाया और उनस ेपूछा क उनसे सबसे पहले भोग कसने कया”। बरैम खान जो अकबर के िपता जैसा और संर क था, उसक ह या करके इसने उसक प ी अथात अपनी माता के समान ी स ेशादी क । इ लािमक शरीयत के अनुसार कसी भी मुि लम रा य म रहने वाले गरै मुि लम को अपनी संपि और ि य को िछनने से बचान ेके िलए इसक क मत देनी पड़ती थी िजसे जिजया कहते थे। कुछ अकबर ेमी कहते ह क अकबर ने जिजया ख म कर दया था। ले कन इस बात का इितहास म एक जगह भी उ लेख नह ! केवल इतना ह ै क यह जिजया रणथ भौर के िलए माफ करने क शत रखी गयी थी। रणथ भौर क सि ध म बूंदी के सरदार को शाही हरम म औरत भेजने क “रीित” से मुि देने क बात िलखी गई थी। िजससे िब कुल प हो जाता ह ै क अकबर ने यु म हारे ए िह द ूसरदार के प रवार क सवािधक सु दर मिहला को मांग लेन ेक एक प रपाटी बना रखी थ और केवल बूदंी ही इस ू र रीित से बच पाया था। यही कारण था क इन मुि लम सु तान के काल म िह द ूि य के जौहर क आग म जलने क हजार घटनाएँ जवाहर लाल नेह ने अपनी पु तक ”िड कवरी ऑफ इि डया” म अकबर को ‘महान’ कहकर उसक शंसा क ह।ै हमारे क युिन ट इितहासकार ने भी अकबर को एक परोपकारी उदार, दयालु और धमिनरपे शासक बताया ह।ै

  • अकबर के दादा बाबर का वंश तैमूरलंग स ेथा और मातृप का संबधं चंगेज खां से था। इस कार अकबर क नस म एिशया क दो िस आतंक और खूनी जाितय , तुक और मंगोल के र का सि म ण था। िजसके खानदान के सारे पूवज दिुनया के सबस ेबड़े ज लाद थ ेऔर अकबर के बाद भी जहाँगीर और औरंगजबे दिुनया के सबस ेबड़े द र दे थ ेतो य ेबीच म महानता क पैदाईश कैस ेहो गयी। अकबर के जीवन पर शोध करन ेवाले इितहासकार वसेट ि मथ ने साफ़ िलखा ह ैक अकबर एक दु कम , घृिणत एव ंनृशशं ह याकांड करने वाला ू र शाशक था। िव सट ि मथ ने कताब ही यहाँ से शु क ह ै क “अकबर भारत म एक िवदशेी था. उसक नस म एक बूदँ खून भी भारतीय नह था । अकबर मुग़ल से यादा एक तुक था”। िच ौड़ क िवजय के बाद अकबर ने कुछ फतहनाम सा रत करवाये थे। िजसस ेिह दु के ित उसक गहन आ त रक घृणा कािशत हो गई थी। उनम स ेएक फतहनामा प ढ़य-े ”अ लाह क खयाित बढ़े इसके िलए हमारे कत परायण मुजािहदीन ने अपिव का फर को अपनी िबजली क तरह चमक ली कड़कड़ाती तलवार ारा वध कर दया। ”हमन ेअपना ब मू य समय और अपनी शि िघज़ा (िजहाद) म ही लगा दया ह ैऔर अ लाह के सहयोग से का फर के अधीन बि तय , कल , शहर को िवजय कर अपने अधीन कर िलया ह,ै कृपालु अ लाह उ ह याग दे और उन सभी का िवनाश कर दे। हमने पूजा थल उसक मू तय को और का फर के अ य थान का िव वसं कर दया ह।ै” (फतहनामा-ई-िच ौड़ माच १५८६,नई द ली)

    महाराणा ताप के िव अकबर के अिभयान के िलए सबसे बड़ा ेरक त व था इ लामी िजहाद क भावना जो उसके अ दर कूट-कूटकर भरी ई थी। अकबर के एक दरबारी इमाम अ दलु का दर बदाउनी ने अपने इितहास अिभलेख, ‘मु तखाव-उत-तवारीख’ म िलखा था क १५७६ म जब शाही फौज राणा ताप के िखलाफ यु के िलए अ सर हो रह थ तो मैन (बदाउनीने) ”यु अिभयान म शािमल होकर िह दु के र स ेअपनी इ लामी दाढ़ी को िभग कर शाहशंाह से भट क अनुमित के िलए ाथना क ।”मेरे ि व और िजहाद के ित मेरी िन ा भावना स ेअकबर इतना स आ क उ होन स होकर मुझे मु ी भर सोने क मुहर दे डाल ।” (मु तखाब-उत-तवारीख : अ दलु का दर बदाउनी, ख ड II, पृ ३८३,अनुवाद वी. ि मथ, अकबर दी ेट मुगल, पृ १०८) बदाउनी ने ह दी घाटी के यु म एक मनोरंजक घटना के बारे म िलखा था- ”ह दी घाटी म जब यु चल रहा था और अकबर क सेना स ेजुड़े राजपूत, और राणा ताप क सेना के राजपूत जब पर पर यु रत थ ेऔर उनम कौन कस ओर है, भेद कर पाना अस भव हो रहा था, तब मैन शाही फौज के अपने सेना नायक से पूछा क वह कस पर गोली चलाय ेता क श ुही मरे। तब कमा डर आसफ खाँ ने उ र दया क यह ज री नह क गोली कसको लगती ह ै य क दोन ओर स ेयु करने वाले का फर ह, गोली िजसे भी लगगेी का फर ही मरेगा, िजससे लाभ इ लाम को ही होगा।” (मु तखान-उत-तवारीख : अ दलु का दर बदाउनी, ख ड II,अनु अकबर दी ेट मुगल : वी. ि मथ पुनः मु त १९६२; िह ी ए ड क चर ऑफ दी इि डयन पीपुल, दी मुगल ऐ पायर :आर. सी. मजूमदार, ख ड VII, पृ १३२ तृतीय सं करण) जहाँगीर ने, अपनी जीवनी, ”तारीख-ई-सलीमशाही” म िलखा था क ‘ ‘अकबर और जहाँगीर के शासन काल म पाँच से छः लाख क सं या म िह दु का वध आ था।” (तारीख-ई-सलीम शाही, अन.ु ाइस, पृ २२५-२६) जून 1561- एटा िजले के (स कत परंगना) के 8 गाव क हद ूजनता के िव अकबर ने खुद एक आ मण का संचालन कया और परोख नाम के गाँव म मकान म बंद करके १००० से यादा हदु को जदा जलवा दया था। कुछ इितहासकार के अनुसार उनके इ लाम कबूल ना करने के कारण ही अकबर ने ु होकर ऐसा कया। थाने र म दो सं दाय कु और पुरी के बीच पूजा क जगह को लेकर िववाद चल रहा था. अकबर ने आदशे दया क दोन आपस म लड़ और जीतने वाला जगह पर क ज़ा कर ले। उन मूख लोग ने आपस म ही अ श से लड़ाई शु कर दी। जब पुरी प जीतने लगा तो अकबर ने अपन ेसैिनक को कु प क तरफ स ेलड़ने का आदशे दया. और अंत म इसने दोन ही तरफ के लोग को अपन ेसैिनक से मरवा डाला और फर अकबर महान जोर से हसंा। एक बार अकबर शाम के समय ज दी सोकर उठ गया तो उसने देखा क एक नौकर उसके िब तर के पास सो रहा ह।ै इससे उसको इतना गु सा आया क नौकर को मीनार से नीचे फकवा दया। अग त १६०० म अकबर क सेना ने असीरगढ़ का कला घेर िलया पर मामला बराबरी का था।िव सट ि मथ ने िलखा ह ै क अकबर ने एक अ भुत तरीका सोचा। उसने कले के राजा मीरां बहादुर को सदंेश भेजकर अपने िसर क कसम खाई क उस ेसुरि त वापस जाने देगा। जब

  • मीरां शाि त के नाम पर बाहर आया तो उसे अकबर के सामन ेस मान दखान ेके िलए तीन बार झुकने का आदशे दया गया य क अकबर महान को यही पसंद था। उसको अब पकड़ िलया गया और आ ा दी गयी क अपने सेनापित को कहकर आ मसमपण करवा दे। मीराँ के सेनापित ने इस ेमानने से मना कर दया और अपने लड़के को अकबर के पास यह पूछने भेजा क उसने अपनी ित ा य तोड़ी? अकबर ने उसके ब ेसे पूछा क या तेरा िपता आ मसमपण के िलए तैयार ह?ै तब बालक ने कहा क चाहे राजा को मार ही य न डाला जाए उसका िपता समपण नह करेगा। यह सुनकर अकबर महान ने उस बालक को मार डालने का आदेश दया। यह घटना अकबर क मृ य ुसे पांच साल पहले क ही ह।ै िह दु तानी मुसलमान को यह कह कर बवेकूफ बनाया जाता है क अकबर ने इ लाम क अ छाइय को पेश कया. असिलयत यह ह ै क कुरआन के िखलाफ जाकर ३६ शा दयाँ करना, शराब पीना, नशा करना, दसूर स ेअपन ेआग ेसजदा करवाना आ द इ लाम के िलए हराम ह ैऔर इसीिलए इसके नाम क मि जद भी हराम ह।ै अकबर वय ंपैग बर बनना चाहता था इसिलए उसने अपना नया धम “दीन-ए-इलाही – دین الهی ” चलाया। िजसका एकमा उ े य खुद क बड़ाई करवाना था। यहाँ तक क मुसलमान के कलम म यह श द “अकबर खलीफतु लाह – اكبر خليفة الله ” भी जुड़वा दया थ�