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शरी गरगीता अनकरम
ऩहरा अधमाम 2
दसया अधमाम 13
तीसया अधमाम 31
|| अथ परथभोऽधमाम ||
अचिनतमावमकतरऩाम ननगगणाम गगणाभन |
सभसत जगदाधायभतम बरहमण नभ ||
ऩहरा अधमाम
जो बरहम अचिनतम अवमकत तीनो गगणो स यहहत (फपय बी दखनवारो क अऻान की उऩाचध स) तरिगगणाभक औय सभसत जगत का अचधदषान रऩ ह ऐस बरहम को नभसकाय हो | (1)
ऋषम ऊिग
सत सत भहापराऻ ननगभागभऩायग |
गगरसवरऩभसभाकॊ बरहह सवभराऩहभ ||
ऋषषमो न कहा ह भहाऻानी ह वद-वदाॊगो क ननषणात पमाय सत जी सव ऩाऩो का नाश कयनवार गगर का सवरऩ हभ सगनाओ | (2)
मसम शरवणभािण दही दग खाहदरभगचमत |
मन भागण भगनम सवऻवॊ परऩहदय ||
मपरापम न ऩगनमानत नय सॊसायफनतधनभ |
तथाषवधॊ ऩयॊ तवॊ वकतवमभधगना वमा ||
जजसको सगनन भाि स भनगषम दग ख स षवभगकत हो जाता ह | जजस उऩाम स भगननमो न सवऻता परादऱ की ह जजसको परादऱ कयक भनगषम फिय स सॊसाय फनतधन भ फॉधता नहीॊ ह ऐस ऩयभ तव का कथन आऩ कय | (3 4)
गगहयादगगहयतभॊ सायॊ गगरगीता षवशषत |
वपरसादाचि शरोतवमा तसव बरहह सत न ||
जो तव ऩयभ यहसमभम एवॊ शरदष सायबत ह औय षवशष कय जो गगरगीता ह वह आऩकी कऩा स हभ सगनना िाहत ह | पमाय सतजी व सफ हभ सगनाइम | (5)
इनत सॊपराचथत सतो भगननसॊघभगहगभगहग |
कग तहरन भहता परोवाि भधगयॊ वि ||
इस परकाय फाय-फाय परथना फकम जान ऩय सतजी फहगत परसनतन होकय भगननमो क सभह स भधगय विन फोर | (6)
सत उवाि
शरणगधवॊ भगनम सव शरदधमा ऩयमा भगदा |
वदामभ बवयोगघनीॊ गीता भातसवरषऩणीभ ||
सतजी न कहा ह सव भगननमो सॊसायरऩी योग का नाश कयनवारी भातसवरषऩणी (भाता क सभान धमान यखन वारी) गगरगीता कहता हॉ | उसको आऩ अमॊत शरदधा औय परसनतनता स सगननम | (7)
ऩगया करासमशखय मसदधगनतधवसषवत|
ति कलऩरताऩगषऩभजनतदयऽमनततसगनतदय ||
वमाघराजजन सभामसनॊ शगकाहदभगननवजनतदतभ |
फोधमनततॊ ऩयॊ तवॊ भधमभगननगणॊकवचित ||
परणमरवदना शदवनतनभसकग वनततभादयात |
दषटवा षवसभमभाऩनतना ऩावती ऩरयऩचछनत ||
परािीन कार भ मसदधो औय गनतधवो क आवास रऩ करास ऩवत क मशखय ऩय कलऩव क परो स फन हगए अमॊत सगनतदय भॊहदय भ भगननमो क फीि वमाघरिभ ऩय फठ हगए शगक आहद भगननमो दराया वनतदन फकम जानवार औय ऩयभ तव का फोध दत हगए बगवान शॊकय
को फाय-फाय नभसकाय कयत दखकय अनतशम नमर भगखवारी ऩावनत न आदळमिफकत होकय ऩछा |
ऩावमगवाि
ॐ नभो दव दवश ऩयाऩय जगदगगयो |
वाॊ नभसकग वत बकमा सगयासगयनया सदा ||
ऩावती न कहा ह ॐकाय क अथसवरऩ दवो क दव शरदषो क शरदष ह जगदगगयो आऩको परणाभ हो | दव दानव औय भानव सफ आऩको सदा बकतकतऩवक परणाभ कयत ह | (11)
षवचधषवषणगभहनतरादयवनतदय खरग सदा बवान |
नभसकयोषष कसभ वॊ नभसकायाशरम फकर ||
आऩ बरहमा षवषणग इनतर आहद क नभसकाय क मोगम ह | ऐस नभसकाय क आशरमरऩ होन ऩय बी आऩ फकसको नभसकाय कयत ह | (12)
बगवन सवधभऻ वरतानाॊ वरतनामकभ |
बरहह भ कऩमा शमबो गगरभाहाममभगततभभ ||
ह बगवान ह सव धभो क ऻाता ह शमबो जो वरत सफ वरतो भ शरदष ह ऐसा उततभ गगर-भाहामम कऩा कयक भगझ कह | (13)
इनत सॊपराचथत शदवनतभहादवो भहदवय |
आनॊदबरयत सवानतत ऩावतीमभदभबरवीत ||
इस परकाय (ऩावती दवी दराया) फाय-फाय पराथना फकम जान ऩय भहादव न अॊतय स खफ परसनतन होत हगए ऩावती स इस परकाय कहा | (14)
भहादव उवाि
न वकतवममभदॊ दषव यहसमानतयहसमकभ |
न कसमाषऩ ऩगया परोकतॊ वदभकमथ वदामभ तत ||
शरी भहादव जी न कहा ह दवी मह तव यहसमो का बी यहसम ह इसमरए कहना उचित नहीॊ | ऩहर फकसी स बी नहीॊ कहा | फपय बी तगमहायी बकतकत दखकय वह यहसम कहता हॉ |
भभ रऩामस दषव वभतसतकथमामभ त |
रोकोऩकायक परदलो न कनाषऩ कत ऩगया ||
ह दवी तगभ भया ही सवरऩ हो इसमरए (मह यहसम) तगभको कहता हॉ | तगमहाया मह परदल रोक का कलमाणकायक ह | ऐसा परदल ऩहर कबी फकसीन नहीॊ फकमा |
मसम दव ऩया बकतकत मथा दव तथा गगयौ |
समत कचथता हयथा परकाशनतत भहाभन ||
जजसको ईदवय भ उततभ बकतकत होती ह जसी ईदवय भ वसी ही बकतकत जजसको गगर भ होती ह ऐस भहाभाओॊ को ही महाॉ कही हगई फात सभझ भ आमगी |
मो गगर स मशव परोकतो म मशव स गगरसभत |
षवकलऩॊ मसतग कग वॉत स नयो गगरतलऩग ||
जो गगर ह व ही मशव ह जो मशव ह व ही गगर ह | दोनो भ जो अनततय भानता ह वह गगरऩतनीगभन कयनवार क सभान ऩाऩी ह |
वदशासतरऩगयाणानन िनतहासाहदकानन ि |
भॊिमॊिषवदयाहदननभोहनोचिाटनाहदकभ ||
शवशाकतागभाहदनन हयनतम ि फहवो भता |
अऩभरॊशा सभसतानाॊ जीवानाॊ भराॊतितसाभ ||
जऩसतऩोवरतॊ तीथ मऻो दानॊ तथव ि |
गगर तवॊ अषवऻाम सव वमथ बवत षपरम ||
ह षपरम वद शासतर ऩगयाण इनतहास आहद भॊि मॊि भोहन उचिाटन आहद षवदया शव
शाकत आगभ औय अनतम सव भत भतानततय म सफ फात गगरतव को जान तरफना भरानतत चिततवार जीवो को ऩथभरदश कयनवारी ह औय जऩ तऩ वरत तीथ मऻ दान म सफ वमथ हो जात ह | (19 20 21)
गगरफगधमाभनो नानतमत समॊ समॊ वयानन |
तलरबाथ परमतनसतग कततवमशि भनीषषमब ||
ह सगभगखी आभा भ गगर फगषदध क मसवा अनतम कग छ बी सम नहीॊ ह सम नहीॊ ह | इसमरम इस आभऻान को परादऱ कयन क मरम फगषदधभानो को परमतन कयना िाहहम | (22)
गढाषवदया जगनतभामा दहशिाऻानसमबव |
षवऻानॊ मपरसादन गगरशबदन कथमत ||
जगत गढ़ अषवदयाभक भामारऩ ह औय शयीय अऻान स उऩनतन हगआ ह | इनका षवदऴषणाभक ऻान जजनकी कऩा स होता ह उस ऻान को गगर कहत ह |
दही बरहम बवदयसभात वकऩाथवदामभ तत |
सवऩाऩषवशगदधाभा शरीगगयो ऩादसवनात ||
जजस गगरदव क ऩादसवन स भनगषम सव ऩाऩो स षवशगदधाभा होकय बरहमरऩ हो जाता ह वह तगभ ऩय कऩा कयन क मरम कहता हॉ | (24)
शोषणॊ ऩाऩऩॊकसम दीऩनॊ ऻानतजस |
गगयो ऩादोदकॊ सममक सॊसायाणवतायकभ ||
शरी गगरदव का ियणाभत ऩाऩरऩी कीिड़ का सममक शोषक ह ऻानतज का सममक उदयीऩक ह औय सॊसायसागय का सममक तायक ह | (25)
अऻानभरहयणॊ जनतभकभननवायकभ |
ऻानवयागममसदधमथ गगरऩादोदकॊ षऩफत ||
अऻान की जड़ को उखाड़नवार अनक जनतभो क कभो को ननवायनवार ऻान औय वयागम को मसदध कयनवार शरीगगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहम | (26)
सवदमशकसमव ि नाभकीतनभ
बवदननततसममशवसम कीतनभ |
सवदमशकसमव ि नाभचिनततनभ
बवदननततसममशवसम नाभचिनततनभ ||
अऩन गगरदव क नाभ का कीतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही कीतन ह | अऩन गगरदव क नाभ का चिॊतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही चिॊतन ह | (27)
काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |
गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||
गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)
गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |
तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||
गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)
गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |
गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||
बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)
सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |
एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||
अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)
गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |
िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||
षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)
गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |
अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||
lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)
गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |
अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)
गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |
गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)
गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |
रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||
गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)
सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |
वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||
गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)
मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |
स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)
सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |
मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)
एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |
गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||
जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)
बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |
मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)
ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |
गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||
इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)
सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |
गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||
सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)
मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |
रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||
महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)
गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |
गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||
गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)
अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |
मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||
ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)
दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |
भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||
दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)
ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |
रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||
ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)
मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |
ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||
महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)
न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |
कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||
गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||
|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||
बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत
दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |
एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ
बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||
दसया अधमाम
जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)
गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |
अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||
शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)
फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |
दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||
महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)
करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |
सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||
एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |
स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||
करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
जजसको सगनन भाि स भनगषम दग ख स षवभगकत हो जाता ह | जजस उऩाम स भगननमो न सवऻता परादऱ की ह जजसको परादऱ कयक भनगषम फिय स सॊसाय फनतधन भ फॉधता नहीॊ ह ऐस ऩयभ तव का कथन आऩ कय | (3 4)
गगहयादगगहयतभॊ सायॊ गगरगीता षवशषत |
वपरसादाचि शरोतवमा तसव बरहह सत न ||
जो तव ऩयभ यहसमभम एवॊ शरदष सायबत ह औय षवशष कय जो गगरगीता ह वह आऩकी कऩा स हभ सगनना िाहत ह | पमाय सतजी व सफ हभ सगनाइम | (5)
इनत सॊपराचथत सतो भगननसॊघभगहगभगहग |
कग तहरन भहता परोवाि भधगयॊ वि ||
इस परकाय फाय-फाय परथना फकम जान ऩय सतजी फहगत परसनतन होकय भगननमो क सभह स भधगय विन फोर | (6)
सत उवाि
शरणगधवॊ भगनम सव शरदधमा ऩयमा भगदा |
वदामभ बवयोगघनीॊ गीता भातसवरषऩणीभ ||
सतजी न कहा ह सव भगननमो सॊसायरऩी योग का नाश कयनवारी भातसवरषऩणी (भाता क सभान धमान यखन वारी) गगरगीता कहता हॉ | उसको आऩ अमॊत शरदधा औय परसनतनता स सगननम | (7)
ऩगया करासमशखय मसदधगनतधवसषवत|
ति कलऩरताऩगषऩभजनतदयऽमनततसगनतदय ||
वमाघराजजन सभामसनॊ शगकाहदभगननवजनतदतभ |
फोधमनततॊ ऩयॊ तवॊ भधमभगननगणॊकवचित ||
परणमरवदना शदवनतनभसकग वनततभादयात |
दषटवा षवसभमभाऩनतना ऩावती ऩरयऩचछनत ||
परािीन कार भ मसदधो औय गनतधवो क आवास रऩ करास ऩवत क मशखय ऩय कलऩव क परो स फन हगए अमॊत सगनतदय भॊहदय भ भगननमो क फीि वमाघरिभ ऩय फठ हगए शगक आहद भगननमो दराया वनतदन फकम जानवार औय ऩयभ तव का फोध दत हगए बगवान शॊकय
को फाय-फाय नभसकाय कयत दखकय अनतशम नमर भगखवारी ऩावनत न आदळमिफकत होकय ऩछा |
ऩावमगवाि
ॐ नभो दव दवश ऩयाऩय जगदगगयो |
वाॊ नभसकग वत बकमा सगयासगयनया सदा ||
ऩावती न कहा ह ॐकाय क अथसवरऩ दवो क दव शरदषो क शरदष ह जगदगगयो आऩको परणाभ हो | दव दानव औय भानव सफ आऩको सदा बकतकतऩवक परणाभ कयत ह | (11)
षवचधषवषणगभहनतरादयवनतदय खरग सदा बवान |
नभसकयोषष कसभ वॊ नभसकायाशरम फकर ||
आऩ बरहमा षवषणग इनतर आहद क नभसकाय क मोगम ह | ऐस नभसकाय क आशरमरऩ होन ऩय बी आऩ फकसको नभसकाय कयत ह | (12)
बगवन सवधभऻ वरतानाॊ वरतनामकभ |
बरहह भ कऩमा शमबो गगरभाहाममभगततभभ ||
ह बगवान ह सव धभो क ऻाता ह शमबो जो वरत सफ वरतो भ शरदष ह ऐसा उततभ गगर-भाहामम कऩा कयक भगझ कह | (13)
इनत सॊपराचथत शदवनतभहादवो भहदवय |
आनॊदबरयत सवानतत ऩावतीमभदभबरवीत ||
इस परकाय (ऩावती दवी दराया) फाय-फाय पराथना फकम जान ऩय भहादव न अॊतय स खफ परसनतन होत हगए ऩावती स इस परकाय कहा | (14)
भहादव उवाि
न वकतवममभदॊ दषव यहसमानतयहसमकभ |
न कसमाषऩ ऩगया परोकतॊ वदभकमथ वदामभ तत ||
शरी भहादव जी न कहा ह दवी मह तव यहसमो का बी यहसम ह इसमरए कहना उचित नहीॊ | ऩहर फकसी स बी नहीॊ कहा | फपय बी तगमहायी बकतकत दखकय वह यहसम कहता हॉ |
भभ रऩामस दषव वभतसतकथमामभ त |
रोकोऩकायक परदलो न कनाषऩ कत ऩगया ||
ह दवी तगभ भया ही सवरऩ हो इसमरए (मह यहसम) तगभको कहता हॉ | तगमहाया मह परदल रोक का कलमाणकायक ह | ऐसा परदल ऩहर कबी फकसीन नहीॊ फकमा |
मसम दव ऩया बकतकत मथा दव तथा गगयौ |
समत कचथता हयथा परकाशनतत भहाभन ||
जजसको ईदवय भ उततभ बकतकत होती ह जसी ईदवय भ वसी ही बकतकत जजसको गगर भ होती ह ऐस भहाभाओॊ को ही महाॉ कही हगई फात सभझ भ आमगी |
मो गगर स मशव परोकतो म मशव स गगरसभत |
षवकलऩॊ मसतग कग वॉत स नयो गगरतलऩग ||
जो गगर ह व ही मशव ह जो मशव ह व ही गगर ह | दोनो भ जो अनततय भानता ह वह गगरऩतनीगभन कयनवार क सभान ऩाऩी ह |
वदशासतरऩगयाणानन िनतहासाहदकानन ि |
भॊिमॊिषवदयाहदननभोहनोचिाटनाहदकभ ||
शवशाकतागभाहदनन हयनतम ि फहवो भता |
अऩभरॊशा सभसतानाॊ जीवानाॊ भराॊतितसाभ ||
जऩसतऩोवरतॊ तीथ मऻो दानॊ तथव ि |
गगर तवॊ अषवऻाम सव वमथ बवत षपरम ||
ह षपरम वद शासतर ऩगयाण इनतहास आहद भॊि मॊि भोहन उचिाटन आहद षवदया शव
शाकत आगभ औय अनतम सव भत भतानततय म सफ फात गगरतव को जान तरफना भरानतत चिततवार जीवो को ऩथभरदश कयनवारी ह औय जऩ तऩ वरत तीथ मऻ दान म सफ वमथ हो जात ह | (19 20 21)
गगरफगधमाभनो नानतमत समॊ समॊ वयानन |
तलरबाथ परमतनसतग कततवमशि भनीषषमब ||
ह सगभगखी आभा भ गगर फगषदध क मसवा अनतम कग छ बी सम नहीॊ ह सम नहीॊ ह | इसमरम इस आभऻान को परादऱ कयन क मरम फगषदधभानो को परमतन कयना िाहहम | (22)
गढाषवदया जगनतभामा दहशिाऻानसमबव |
षवऻानॊ मपरसादन गगरशबदन कथमत ||
जगत गढ़ अषवदयाभक भामारऩ ह औय शयीय अऻान स उऩनतन हगआ ह | इनका षवदऴषणाभक ऻान जजनकी कऩा स होता ह उस ऻान को गगर कहत ह |
दही बरहम बवदयसभात वकऩाथवदामभ तत |
सवऩाऩषवशगदधाभा शरीगगयो ऩादसवनात ||
जजस गगरदव क ऩादसवन स भनगषम सव ऩाऩो स षवशगदधाभा होकय बरहमरऩ हो जाता ह वह तगभ ऩय कऩा कयन क मरम कहता हॉ | (24)
शोषणॊ ऩाऩऩॊकसम दीऩनॊ ऻानतजस |
गगयो ऩादोदकॊ सममक सॊसायाणवतायकभ ||
शरी गगरदव का ियणाभत ऩाऩरऩी कीिड़ का सममक शोषक ह ऻानतज का सममक उदयीऩक ह औय सॊसायसागय का सममक तायक ह | (25)
अऻानभरहयणॊ जनतभकभननवायकभ |
ऻानवयागममसदधमथ गगरऩादोदकॊ षऩफत ||
अऻान की जड़ को उखाड़नवार अनक जनतभो क कभो को ननवायनवार ऻान औय वयागम को मसदध कयनवार शरीगगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहम | (26)
सवदमशकसमव ि नाभकीतनभ
बवदननततसममशवसम कीतनभ |
सवदमशकसमव ि नाभचिनततनभ
बवदननततसममशवसम नाभचिनततनभ ||
अऩन गगरदव क नाभ का कीतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही कीतन ह | अऩन गगरदव क नाभ का चिॊतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही चिॊतन ह | (27)
काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |
गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||
गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)
गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |
तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||
गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)
गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |
गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||
बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)
सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |
एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||
अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)
गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |
िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||
षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)
गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |
अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||
lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)
गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |
अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)
गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |
गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)
गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |
रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||
गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)
सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |
वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||
गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)
मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |
स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)
सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |
मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)
एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |
गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||
जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)
बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |
मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)
ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |
गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||
इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)
सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |
गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||
सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)
मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |
रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||
महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)
गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |
गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||
गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)
अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |
मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||
ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)
दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |
भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||
दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)
ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |
रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||
ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)
मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |
ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||
महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)
न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |
कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||
गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||
|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||
बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत
दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |
एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ
बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||
दसया अधमाम
जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)
गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |
अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||
शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)
फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |
दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||
महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)
करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |
सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||
एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |
स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||
करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
को फाय-फाय नभसकाय कयत दखकय अनतशम नमर भगखवारी ऩावनत न आदळमिफकत होकय ऩछा |
ऩावमगवाि
ॐ नभो दव दवश ऩयाऩय जगदगगयो |
वाॊ नभसकग वत बकमा सगयासगयनया सदा ||
ऩावती न कहा ह ॐकाय क अथसवरऩ दवो क दव शरदषो क शरदष ह जगदगगयो आऩको परणाभ हो | दव दानव औय भानव सफ आऩको सदा बकतकतऩवक परणाभ कयत ह | (11)
षवचधषवषणगभहनतरादयवनतदय खरग सदा बवान |
नभसकयोषष कसभ वॊ नभसकायाशरम फकर ||
आऩ बरहमा षवषणग इनतर आहद क नभसकाय क मोगम ह | ऐस नभसकाय क आशरमरऩ होन ऩय बी आऩ फकसको नभसकाय कयत ह | (12)
बगवन सवधभऻ वरतानाॊ वरतनामकभ |
बरहह भ कऩमा शमबो गगरभाहाममभगततभभ ||
ह बगवान ह सव धभो क ऻाता ह शमबो जो वरत सफ वरतो भ शरदष ह ऐसा उततभ गगर-भाहामम कऩा कयक भगझ कह | (13)
इनत सॊपराचथत शदवनतभहादवो भहदवय |
आनॊदबरयत सवानतत ऩावतीमभदभबरवीत ||
इस परकाय (ऩावती दवी दराया) फाय-फाय पराथना फकम जान ऩय भहादव न अॊतय स खफ परसनतन होत हगए ऩावती स इस परकाय कहा | (14)
भहादव उवाि
न वकतवममभदॊ दषव यहसमानतयहसमकभ |
न कसमाषऩ ऩगया परोकतॊ वदभकमथ वदामभ तत ||
शरी भहादव जी न कहा ह दवी मह तव यहसमो का बी यहसम ह इसमरए कहना उचित नहीॊ | ऩहर फकसी स बी नहीॊ कहा | फपय बी तगमहायी बकतकत दखकय वह यहसम कहता हॉ |
भभ रऩामस दषव वभतसतकथमामभ त |
रोकोऩकायक परदलो न कनाषऩ कत ऩगया ||
ह दवी तगभ भया ही सवरऩ हो इसमरए (मह यहसम) तगभको कहता हॉ | तगमहाया मह परदल रोक का कलमाणकायक ह | ऐसा परदल ऩहर कबी फकसीन नहीॊ फकमा |
मसम दव ऩया बकतकत मथा दव तथा गगयौ |
समत कचथता हयथा परकाशनतत भहाभन ||
जजसको ईदवय भ उततभ बकतकत होती ह जसी ईदवय भ वसी ही बकतकत जजसको गगर भ होती ह ऐस भहाभाओॊ को ही महाॉ कही हगई फात सभझ भ आमगी |
मो गगर स मशव परोकतो म मशव स गगरसभत |
षवकलऩॊ मसतग कग वॉत स नयो गगरतलऩग ||
जो गगर ह व ही मशव ह जो मशव ह व ही गगर ह | दोनो भ जो अनततय भानता ह वह गगरऩतनीगभन कयनवार क सभान ऩाऩी ह |
वदशासतरऩगयाणानन िनतहासाहदकानन ि |
भॊिमॊिषवदयाहदननभोहनोचिाटनाहदकभ ||
शवशाकतागभाहदनन हयनतम ि फहवो भता |
अऩभरॊशा सभसतानाॊ जीवानाॊ भराॊतितसाभ ||
जऩसतऩोवरतॊ तीथ मऻो दानॊ तथव ि |
गगर तवॊ अषवऻाम सव वमथ बवत षपरम ||
ह षपरम वद शासतर ऩगयाण इनतहास आहद भॊि मॊि भोहन उचिाटन आहद षवदया शव
शाकत आगभ औय अनतम सव भत भतानततय म सफ फात गगरतव को जान तरफना भरानतत चिततवार जीवो को ऩथभरदश कयनवारी ह औय जऩ तऩ वरत तीथ मऻ दान म सफ वमथ हो जात ह | (19 20 21)
गगरफगधमाभनो नानतमत समॊ समॊ वयानन |
तलरबाथ परमतनसतग कततवमशि भनीषषमब ||
ह सगभगखी आभा भ गगर फगषदध क मसवा अनतम कग छ बी सम नहीॊ ह सम नहीॊ ह | इसमरम इस आभऻान को परादऱ कयन क मरम फगषदधभानो को परमतन कयना िाहहम | (22)
गढाषवदया जगनतभामा दहशिाऻानसमबव |
षवऻानॊ मपरसादन गगरशबदन कथमत ||
जगत गढ़ अषवदयाभक भामारऩ ह औय शयीय अऻान स उऩनतन हगआ ह | इनका षवदऴषणाभक ऻान जजनकी कऩा स होता ह उस ऻान को गगर कहत ह |
दही बरहम बवदयसभात वकऩाथवदामभ तत |
सवऩाऩषवशगदधाभा शरीगगयो ऩादसवनात ||
जजस गगरदव क ऩादसवन स भनगषम सव ऩाऩो स षवशगदधाभा होकय बरहमरऩ हो जाता ह वह तगभ ऩय कऩा कयन क मरम कहता हॉ | (24)
शोषणॊ ऩाऩऩॊकसम दीऩनॊ ऻानतजस |
गगयो ऩादोदकॊ सममक सॊसायाणवतायकभ ||
शरी गगरदव का ियणाभत ऩाऩरऩी कीिड़ का सममक शोषक ह ऻानतज का सममक उदयीऩक ह औय सॊसायसागय का सममक तायक ह | (25)
अऻानभरहयणॊ जनतभकभननवायकभ |
ऻानवयागममसदधमथ गगरऩादोदकॊ षऩफत ||
अऻान की जड़ को उखाड़नवार अनक जनतभो क कभो को ननवायनवार ऻान औय वयागम को मसदध कयनवार शरीगगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहम | (26)
सवदमशकसमव ि नाभकीतनभ
बवदननततसममशवसम कीतनभ |
सवदमशकसमव ि नाभचिनततनभ
बवदननततसममशवसम नाभचिनततनभ ||
अऩन गगरदव क नाभ का कीतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही कीतन ह | अऩन गगरदव क नाभ का चिॊतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही चिॊतन ह | (27)
काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |
गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||
गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)
गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |
तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||
गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)
गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |
गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||
बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)
सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |
एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||
अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)
गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |
िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||
षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)
गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |
अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||
lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)
गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |
अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)
गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |
गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)
गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |
रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||
गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)
सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |
वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||
गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)
मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |
स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)
सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |
मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)
एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |
गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||
जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)
बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |
मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)
ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |
गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||
इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)
सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |
गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||
सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)
मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |
रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||
महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)
गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |
गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||
गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)
अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |
मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||
ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)
दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |
भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||
दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)
ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |
रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||
ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)
मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |
ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||
महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)
न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |
कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||
गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||
|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||
बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत
दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |
एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ
बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||
दसया अधमाम
जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)
गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |
अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||
शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)
फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |
दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||
महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)
करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |
सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||
एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |
स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||
करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
षवचधषवषणगभहनतरादयवनतदय खरग सदा बवान |
नभसकयोषष कसभ वॊ नभसकायाशरम फकर ||
आऩ बरहमा षवषणग इनतर आहद क नभसकाय क मोगम ह | ऐस नभसकाय क आशरमरऩ होन ऩय बी आऩ फकसको नभसकाय कयत ह | (12)
बगवन सवधभऻ वरतानाॊ वरतनामकभ |
बरहह भ कऩमा शमबो गगरभाहाममभगततभभ ||
ह बगवान ह सव धभो क ऻाता ह शमबो जो वरत सफ वरतो भ शरदष ह ऐसा उततभ गगर-भाहामम कऩा कयक भगझ कह | (13)
इनत सॊपराचथत शदवनतभहादवो भहदवय |
आनॊदबरयत सवानतत ऩावतीमभदभबरवीत ||
इस परकाय (ऩावती दवी दराया) फाय-फाय पराथना फकम जान ऩय भहादव न अॊतय स खफ परसनतन होत हगए ऩावती स इस परकाय कहा | (14)
भहादव उवाि
न वकतवममभदॊ दषव यहसमानतयहसमकभ |
न कसमाषऩ ऩगया परोकतॊ वदभकमथ वदामभ तत ||
शरी भहादव जी न कहा ह दवी मह तव यहसमो का बी यहसम ह इसमरए कहना उचित नहीॊ | ऩहर फकसी स बी नहीॊ कहा | फपय बी तगमहायी बकतकत दखकय वह यहसम कहता हॉ |
भभ रऩामस दषव वभतसतकथमामभ त |
रोकोऩकायक परदलो न कनाषऩ कत ऩगया ||
ह दवी तगभ भया ही सवरऩ हो इसमरए (मह यहसम) तगभको कहता हॉ | तगमहाया मह परदल रोक का कलमाणकायक ह | ऐसा परदल ऩहर कबी फकसीन नहीॊ फकमा |
मसम दव ऩया बकतकत मथा दव तथा गगयौ |
समत कचथता हयथा परकाशनतत भहाभन ||
जजसको ईदवय भ उततभ बकतकत होती ह जसी ईदवय भ वसी ही बकतकत जजसको गगर भ होती ह ऐस भहाभाओॊ को ही महाॉ कही हगई फात सभझ भ आमगी |
मो गगर स मशव परोकतो म मशव स गगरसभत |
षवकलऩॊ मसतग कग वॉत स नयो गगरतलऩग ||
जो गगर ह व ही मशव ह जो मशव ह व ही गगर ह | दोनो भ जो अनततय भानता ह वह गगरऩतनीगभन कयनवार क सभान ऩाऩी ह |
वदशासतरऩगयाणानन िनतहासाहदकानन ि |
भॊिमॊिषवदयाहदननभोहनोचिाटनाहदकभ ||
शवशाकतागभाहदनन हयनतम ि फहवो भता |
अऩभरॊशा सभसतानाॊ जीवानाॊ भराॊतितसाभ ||
जऩसतऩोवरतॊ तीथ मऻो दानॊ तथव ि |
गगर तवॊ अषवऻाम सव वमथ बवत षपरम ||
ह षपरम वद शासतर ऩगयाण इनतहास आहद भॊि मॊि भोहन उचिाटन आहद षवदया शव
शाकत आगभ औय अनतम सव भत भतानततय म सफ फात गगरतव को जान तरफना भरानतत चिततवार जीवो को ऩथभरदश कयनवारी ह औय जऩ तऩ वरत तीथ मऻ दान म सफ वमथ हो जात ह | (19 20 21)
गगरफगधमाभनो नानतमत समॊ समॊ वयानन |
तलरबाथ परमतनसतग कततवमशि भनीषषमब ||
ह सगभगखी आभा भ गगर फगषदध क मसवा अनतम कग छ बी सम नहीॊ ह सम नहीॊ ह | इसमरम इस आभऻान को परादऱ कयन क मरम फगषदधभानो को परमतन कयना िाहहम | (22)
गढाषवदया जगनतभामा दहशिाऻानसमबव |
षवऻानॊ मपरसादन गगरशबदन कथमत ||
जगत गढ़ अषवदयाभक भामारऩ ह औय शयीय अऻान स उऩनतन हगआ ह | इनका षवदऴषणाभक ऻान जजनकी कऩा स होता ह उस ऻान को गगर कहत ह |
दही बरहम बवदयसभात वकऩाथवदामभ तत |
सवऩाऩषवशगदधाभा शरीगगयो ऩादसवनात ||
जजस गगरदव क ऩादसवन स भनगषम सव ऩाऩो स षवशगदधाभा होकय बरहमरऩ हो जाता ह वह तगभ ऩय कऩा कयन क मरम कहता हॉ | (24)
शोषणॊ ऩाऩऩॊकसम दीऩनॊ ऻानतजस |
गगयो ऩादोदकॊ सममक सॊसायाणवतायकभ ||
शरी गगरदव का ियणाभत ऩाऩरऩी कीिड़ का सममक शोषक ह ऻानतज का सममक उदयीऩक ह औय सॊसायसागय का सममक तायक ह | (25)
अऻानभरहयणॊ जनतभकभननवायकभ |
ऻानवयागममसदधमथ गगरऩादोदकॊ षऩफत ||
अऻान की जड़ को उखाड़नवार अनक जनतभो क कभो को ननवायनवार ऻान औय वयागम को मसदध कयनवार शरीगगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहम | (26)
सवदमशकसमव ि नाभकीतनभ
बवदननततसममशवसम कीतनभ |
सवदमशकसमव ि नाभचिनततनभ
बवदननततसममशवसम नाभचिनततनभ ||
अऩन गगरदव क नाभ का कीतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही कीतन ह | अऩन गगरदव क नाभ का चिॊतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही चिॊतन ह | (27)
काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |
गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||
गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)
गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |
तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||
गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)
गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |
गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||
बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)
सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |
एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||
अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)
गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |
िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||
षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)
गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |
अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||
lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)
गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |
अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)
गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |
गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)
गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |
रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||
गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)
सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |
वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||
गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)
मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |
स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)
सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |
मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)
एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |
गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||
जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)
बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |
मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)
ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |
गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||
इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)
सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |
गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||
सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)
मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |
रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||
महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)
गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |
गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||
गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)
अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |
मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||
ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)
दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |
भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||
दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)
ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |
रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||
ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)
मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |
ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||
महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)
न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |
कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||
गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||
|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||
बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत
दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |
एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ
बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||
दसया अधमाम
जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)
गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |
अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||
शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)
फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |
दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||
महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)
करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |
सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||
एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |
स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||
करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
मसम दव ऩया बकतकत मथा दव तथा गगयौ |
समत कचथता हयथा परकाशनतत भहाभन ||
जजसको ईदवय भ उततभ बकतकत होती ह जसी ईदवय भ वसी ही बकतकत जजसको गगर भ होती ह ऐस भहाभाओॊ को ही महाॉ कही हगई फात सभझ भ आमगी |
मो गगर स मशव परोकतो म मशव स गगरसभत |
षवकलऩॊ मसतग कग वॉत स नयो गगरतलऩग ||
जो गगर ह व ही मशव ह जो मशव ह व ही गगर ह | दोनो भ जो अनततय भानता ह वह गगरऩतनीगभन कयनवार क सभान ऩाऩी ह |
वदशासतरऩगयाणानन िनतहासाहदकानन ि |
भॊिमॊिषवदयाहदननभोहनोचिाटनाहदकभ ||
शवशाकतागभाहदनन हयनतम ि फहवो भता |
अऩभरॊशा सभसतानाॊ जीवानाॊ भराॊतितसाभ ||
जऩसतऩोवरतॊ तीथ मऻो दानॊ तथव ि |
गगर तवॊ अषवऻाम सव वमथ बवत षपरम ||
ह षपरम वद शासतर ऩगयाण इनतहास आहद भॊि मॊि भोहन उचिाटन आहद षवदया शव
शाकत आगभ औय अनतम सव भत भतानततय म सफ फात गगरतव को जान तरफना भरानतत चिततवार जीवो को ऩथभरदश कयनवारी ह औय जऩ तऩ वरत तीथ मऻ दान म सफ वमथ हो जात ह | (19 20 21)
गगरफगधमाभनो नानतमत समॊ समॊ वयानन |
तलरबाथ परमतनसतग कततवमशि भनीषषमब ||
ह सगभगखी आभा भ गगर फगषदध क मसवा अनतम कग छ बी सम नहीॊ ह सम नहीॊ ह | इसमरम इस आभऻान को परादऱ कयन क मरम फगषदधभानो को परमतन कयना िाहहम | (22)
गढाषवदया जगनतभामा दहशिाऻानसमबव |
षवऻानॊ मपरसादन गगरशबदन कथमत ||
जगत गढ़ अषवदयाभक भामारऩ ह औय शयीय अऻान स उऩनतन हगआ ह | इनका षवदऴषणाभक ऻान जजनकी कऩा स होता ह उस ऻान को गगर कहत ह |
दही बरहम बवदयसभात वकऩाथवदामभ तत |
सवऩाऩषवशगदधाभा शरीगगयो ऩादसवनात ||
जजस गगरदव क ऩादसवन स भनगषम सव ऩाऩो स षवशगदधाभा होकय बरहमरऩ हो जाता ह वह तगभ ऩय कऩा कयन क मरम कहता हॉ | (24)
शोषणॊ ऩाऩऩॊकसम दीऩनॊ ऻानतजस |
गगयो ऩादोदकॊ सममक सॊसायाणवतायकभ ||
शरी गगरदव का ियणाभत ऩाऩरऩी कीिड़ का सममक शोषक ह ऻानतज का सममक उदयीऩक ह औय सॊसायसागय का सममक तायक ह | (25)
अऻानभरहयणॊ जनतभकभननवायकभ |
ऻानवयागममसदधमथ गगरऩादोदकॊ षऩफत ||
अऻान की जड़ को उखाड़नवार अनक जनतभो क कभो को ननवायनवार ऻान औय वयागम को मसदध कयनवार शरीगगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहम | (26)
सवदमशकसमव ि नाभकीतनभ
बवदननततसममशवसम कीतनभ |
सवदमशकसमव ि नाभचिनततनभ
बवदननततसममशवसम नाभचिनततनभ ||
अऩन गगरदव क नाभ का कीतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही कीतन ह | अऩन गगरदव क नाभ का चिॊतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही चिॊतन ह | (27)
काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |
गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||
गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)
गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |
तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||
गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)
गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |
गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||
बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)
सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |
एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||
अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)
गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |
िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||
षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)
गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |
अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||
lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)
गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |
अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)
गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |
गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)
गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |
रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||
गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)
सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |
वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||
गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)
मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |
स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)
सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |
मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)
एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |
गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||
जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)
बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |
मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)
ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |
गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||
इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)
सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |
गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||
सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)
मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |
रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||
महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)
गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |
गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||
गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)
अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |
मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||
ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)
दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |
भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||
दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)
ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |
रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||
ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)
मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |
ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||
महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)
न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |
कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||
गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||
|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||
बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत
दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |
एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ
बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||
दसया अधमाम
जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)
गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |
अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||
शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)
फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |
दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||
महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)
करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |
सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||
एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |
स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||
करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
गढाषवदया जगनतभामा दहशिाऻानसमबव |
षवऻानॊ मपरसादन गगरशबदन कथमत ||
जगत गढ़ अषवदयाभक भामारऩ ह औय शयीय अऻान स उऩनतन हगआ ह | इनका षवदऴषणाभक ऻान जजनकी कऩा स होता ह उस ऻान को गगर कहत ह |
दही बरहम बवदयसभात वकऩाथवदामभ तत |
सवऩाऩषवशगदधाभा शरीगगयो ऩादसवनात ||
जजस गगरदव क ऩादसवन स भनगषम सव ऩाऩो स षवशगदधाभा होकय बरहमरऩ हो जाता ह वह तगभ ऩय कऩा कयन क मरम कहता हॉ | (24)
शोषणॊ ऩाऩऩॊकसम दीऩनॊ ऻानतजस |
गगयो ऩादोदकॊ सममक सॊसायाणवतायकभ ||
शरी गगरदव का ियणाभत ऩाऩरऩी कीिड़ का सममक शोषक ह ऻानतज का सममक उदयीऩक ह औय सॊसायसागय का सममक तायक ह | (25)
अऻानभरहयणॊ जनतभकभननवायकभ |
ऻानवयागममसदधमथ गगरऩादोदकॊ षऩफत ||
अऻान की जड़ को उखाड़नवार अनक जनतभो क कभो को ननवायनवार ऻान औय वयागम को मसदध कयनवार शरीगगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहम | (26)
सवदमशकसमव ि नाभकीतनभ
बवदननततसममशवसम कीतनभ |
सवदमशकसमव ि नाभचिनततनभ
बवदननततसममशवसम नाभचिनततनभ ||
अऩन गगरदव क नाभ का कीतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही कीतन ह | अऩन गगरदव क नाभ का चिॊतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही चिॊतन ह | (27)
काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |
गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||
गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)
गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |
तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||
गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)
गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |
गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||
बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)
सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |
एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||
अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)
गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |
िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||
षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)
गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |
अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||
lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)
गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |
अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)
गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |
गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)
गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |
रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||
गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)
सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |
वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||
गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)
मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |
स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)
सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |
मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)
एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |
गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||
जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)
बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |
मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)
ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |
गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||
इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)
सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |
गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||
सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)
मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |
रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||
महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)
गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |
गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||
गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)
अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |
मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||
ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)
दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |
भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||
दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)
ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |
रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||
ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)
मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |
ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||
महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)
न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |
कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||
गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||
|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||
बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत
दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |
एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ
बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||
दसया अधमाम
जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)
गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |
अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||
शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)
फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |
दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||
महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)
करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |
सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||
एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |
स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||
करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |
गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||
गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)
गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |
तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||
गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)
गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |
गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||
बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)
सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |
एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||
अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)
गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |
िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||
षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)
गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |
अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||
lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)
गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |
अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)
गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |
गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)
गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |
रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||
गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)
सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |
वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||
गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)
मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |
स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)
सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |
मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)
एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |
गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||
जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)
बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |
मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)
ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |
गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||
इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)
सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |
गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||
सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)
मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |
रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||
महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)
गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |
गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||
गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)
अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |
मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||
ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)
दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |
भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||
दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)
ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |
रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||
ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)
मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |
ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||
महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)
न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |
कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||
गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||
|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||
बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत
दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |
एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ
बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||
दसया अधमाम
जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)
गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |
अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||
शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)
फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |
दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||
महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)
करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |
सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||
एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |
स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||
करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |
अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||
lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)
गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |
अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)
गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |
गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||
lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)
गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |
रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||
गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)
सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |
वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||
गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)
मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |
स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)
सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |
मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)
एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |
गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||
जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)
बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |
मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)
ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |
गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||
इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)
सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |
गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||
सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)
मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |
रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||
महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)
गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |
गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||
गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)
अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |
मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||
ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)
दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |
भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||
दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)
ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |
रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||
ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)
मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |
ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||
महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)
न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |
कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||
गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||
|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||
बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत
दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |
एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ
बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||
दसया अधमाम
जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)
गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |
अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||
शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)
फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |
दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||
महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)
करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |
सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||
एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |
स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||
करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |
मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)
एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |
गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||
जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)
बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |
मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||
सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)
ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |
गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||
इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)
सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |
गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||
सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)
मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |
रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||
महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)
गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |
गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||
गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)
अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |
मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||
ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)
दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |
भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||
दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)
ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |
रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||
ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)
मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |
ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||
महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)
न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |
कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||
गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||
|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||
बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत
दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |
एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ
बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||
दसया अधमाम
जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)
गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |
अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||
शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)
फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |
दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||
महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)
करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |
सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||
एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |
स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||
करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |
रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||
महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)
गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |
गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||
गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)
अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |
मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||
ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)
दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |
भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||
दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)
ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |
रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||
ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)
मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |
ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||
महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)
न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |
कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||
गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||
|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||
बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत
दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |
एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ
बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||
दसया अधमाम
जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)
गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |
अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||
शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)
फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |
दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||
महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)
करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |
सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||
एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |
स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||
करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |
ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||
महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)
न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |
कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||
गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||
|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||
बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत
दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |
एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ
बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||
दसया अधमाम
जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)
गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |
अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||
शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)
फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |
दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||
महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)
करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |
सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||
एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |
स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||
करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||
बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत
दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |
एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ
बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||
दसया अधमाम
जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)
गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |
अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||
शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)
फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |
दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||
महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)
करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |
सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||
एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |
स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||
करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)
मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |
गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||
ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)
हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |
गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||
शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)
गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |
अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||
गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)
अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |
कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||
सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)
दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |
तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||
जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)
अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |
बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||
सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)
गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |
उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||
ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)
न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |
दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||
गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)
नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |
नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||
गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |
(65)
गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |
कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||
गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |
दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||
जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)
ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |
नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||
ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)
गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |
नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||
िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |
(69)
गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |
सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||
गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)
भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |
कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||
ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |
त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||
गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)
ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |
बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||
गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)
गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |
सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||
शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)
सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |
तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||
जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)
अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |
ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||
रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)
अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |
अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||
भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |
षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||
अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |
ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||
ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम
जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)
मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |
शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||
जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)
मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |
सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||
जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)
सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |
कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||
सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)
गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |
जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||
सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |
षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||
ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)
गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |
गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||
भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)
एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |
फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||
अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)
न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |
गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||
वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)
िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |
गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||
गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |
मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||
एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)
ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |
इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||
हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)
मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |
गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||
भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)
एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||
एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||
अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |
आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||
गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |
ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||
गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)
तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |
एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||
उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)
सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |
सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||
जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)
मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |
भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||
ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)
मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |
आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||
ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |
गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||
मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)
सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |
गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||
गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)
तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |
षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||
इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)
ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |
सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||
ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए
कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)
मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |
सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||
ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |
वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||
जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)
ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |
सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||
कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |
कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||
ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |
एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||
बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )
समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |
गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||
गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)
अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |
रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||
ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)
रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |
ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)
इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |
मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||
बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)
गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |
भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||
ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)
गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |
अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||
ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)
अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |
सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||
ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |
मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||
गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)
सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |
मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||
गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)
भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |
अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)
भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |
दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||
इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)
भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |
दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |
दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||
इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)
भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |
सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||
ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |
ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||
वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)
सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |
अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||
मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)
आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |
ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||
मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |
सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||
महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)
सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |
मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||
इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)
मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |
गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||
महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)
जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |
शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||
शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)
जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |
गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||
जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |
सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||
तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |
दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||
जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)
बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |
गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||
सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |
ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||
तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)
आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |
अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||
शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |
तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||
आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |
उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||
ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)
शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |
ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||
साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |
(137)
वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |
भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||
कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग
बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)
कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |
कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||
कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)
आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |
नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||
अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)
उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||
उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
|| अथ ततीमोऽधमाम ||
अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |
सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||
शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |
वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||
ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |
ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||
तीसया अधमाम
ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क
तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |
जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |
हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||
जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ
नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)
सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |
मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||
सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध
जलदी होती ह | (146)
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |
ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||
ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव
क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)
भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |
गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||
बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक
भ ऩड़त ह | (148)
षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |
मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||
जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)
धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|
धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||
जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)
शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |
भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||
शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ
गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||
गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)
सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |
मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||
जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)
तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |
ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||
इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)
गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |
अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||
ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)
साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |
एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||
ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात
बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |
सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||
गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर
सवतीथभम ह | (157)
कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |
अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||
ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)
अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |
भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||
अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)
गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |
तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||
मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ
हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)
िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |
भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||
जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |
काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||
गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)
सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |
सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||
सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक
तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)
वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |
मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||
ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)
वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |
परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||
ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन
कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)
ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |
स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||
ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |
ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||
भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)
अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |
वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||
ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)
तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |
कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||
ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण
कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)
सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |
जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||
सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)
फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |
रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||
अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |
तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||
ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)
ऩावमगवाि
सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |
दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||
ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)
शरीभहादव उवाि
ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |
बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||
शरी भहादवजी फोर
ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)
शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |
तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||
ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |
सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||
अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)
जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |
गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||
ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)
भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |
तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||
भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)
सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |
अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||
सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि
ऩयभ गगर ह | (179)
दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |
अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||
दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |
सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||
जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)
सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |
म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||
जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)
भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |
न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||
वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |
मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||
ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स
भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन
कयत ह | (183 184)
गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |
ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||
ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |
भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||
अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)
कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |
तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||
सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)
सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |
तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||
ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)
न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |
भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||
गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)
तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |
गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||
इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |
ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||
ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)
कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |
भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||
वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)
दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |
चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)
चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |
दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||
चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग
फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)
एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |
ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||
जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक
मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |
परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||
ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)
सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |
साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||
सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)
नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |
अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||
नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए
| (198)
सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |
नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||
सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)
एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |
दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||
एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |
गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||
गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)
मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |
तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||
मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)
सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |
एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||
सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)
न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |
गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||
ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)
गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |
गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||
बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |
अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||
ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क
फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)
सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |
गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||
शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव
तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)
गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |
गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||
गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव
की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)
गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |
गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||
बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)
ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |
गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||
गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||
गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |
साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||
गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम
कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)
भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |
सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||
ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)
मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |
इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||
भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)
अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |
ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||
ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान
का परकाश दकय कऩा कयो | (214)
|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||