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This document consists of 13 printed pages and 3 blank pages. KI 148044/3 © UCLES 2018 [Turn over *6415289194* HINDI AS A SECOND LANGUAGE 0549/01 Paper 1 Reading and Writing October/November 2018 2 hours Candidates answer on the Question Paper. No Additional Materials are required. READ THESE INSTRUCTIONS FIRST Write your Centre number, candidate number and name on all the work you hand in. Write in dark blue or black pen. Do not use staples, paper clips, glue or correction fluid. DO NOT WRITE IN ANY BARCODES. Answer all questions. The number of marks is given in brackets [ ] at the end of each question or part question. The syllabus is approved for use in England, Wales and Northern Ireland as a Cambridge International Level 1/Level 2 Certificate. Cambridge International Examinations Cambridge International General Certificate of Secondary Education

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  • This document consists of 13 printed pages and 3 blank pages.

    KI 148044/3© UCLES 2018 [Turn over

    *6415289194*

    HINDI AS A SECOND LANGUAGE 0549/01Paper 1 Reading and Writing October/November 2018

    2 hours

    Candidates answer on the Question Paper.

    No Additional Materials are required.

    READ THESE INSTRUCTIONS FIRST

    Write your Centre number, candidate number and name on all the work you hand in.Write in dark blue or black pen.Do not use staples, paper clips, glue or correction fluid.DO NOT WRITE IN ANY BARCODES.

    Answer all questions.

    The number of marks is given in brackets [ ] at the end of each question or part question.

    The syllabus is approved for use in England, Wales and Northern Ireland as a Cambridge International Level 1/Level 2 Certificate.

    Cambridge International ExaminationsCambridge International General Certificate of Secondary Education

  • 2

    0549/01/O/N/18© UCLES 2018

    खंड 1

    अभ्यास 1 प्र� 1–5

    निमिलिखखत िेख ‘प्यायावरण सुरक्या की सेियािी मल्िकया प्रसयाद’ पढ़िए और ढ़दए गए प्र�� के उत्तर दीलिए।

    मल्लिका प्रसाद परायावरण सुरक्ा के तहत आरोलित अटंाल्कटयाक अभिरान के भलिए चुनी गईं प्रथम िारतीर महहलिा हैं। इसके पहलेि 23 वरया की उम्र में उनहें ‘टीच फॉर इंडिरा’ की छात्रवतृ्ति भमलिी थी। उस दौरान छोटे बचचों को परायावरण की सुरक्ा के ननरम भसखात ेसमर वे अ्कसर उन ननरमों को िीवन में लिागू करने के उपार के त्वरर में सोचा करती थीं। छात्रवतृ्ति पूरी होत ेही मल्लिका ‘परायावरण बचाओ’ का संदेश देने के भलिए अकेलिी िारत-भ्रमण के भलिए ननकलि पड़ीं। अपने संदेश को िनमानस तक पहंुचाने के भलिए उनहोंने दैननक िीवन की कुछ ऐसी आदतों पर धरान देने का नन�र ककरा लिनको आसानी से बदलिा िा सके और िो परायावरण के अनुकूलि हों।मल्लिका ने अपने अभिरान की शुरुआत हहमाचलि प्रदेश से की। अपने रोज़मराया के वरवहार के भलिए रात्रा के दौरान पलिाल्टक के बरतन, लिनहें एक बार उपरोग में लिाने के बाद फें क हदरा िाता है, की िगह ्टीलि की बोतलि, और लिकड़ी से बना कॉफी का परालिा रखा। वे दांत मलिने के भलिए टूथपे्ट की िगह दंत मंिन का पाउिर और केश धोने के भलिए शमैपू की िगह साबुन का इ्तमेालि करती थीं। खाने के सामान के ख़ालिी पकेैट रा्त ेमें फें कने की िगह एक कपड़ ेकी थलैिी में िमा करती थीं ताकक परायावरण प्रदतू्रत न हो।इस प्रकार के सहि उपारों से परायावरण की देखिालि करना मल्लिका ने बचपन में अपनी दादी से सीखा था। दादी ककसी िी चीज़ को फें कने की िगह उसका पुनरु�ार करके उसे कफर से उपरोगी बना लेिती थीं। उनकी साड़ी कहीं से फट िाए तो वे उसके साबुत हह्से को ननकालि कर उससे बचचों के कपड़ ेभसलि लेिती थीं। पहलेि हदन की बची दालि से अगलेि हदन आटा गूंध कर ्वाहदषट पराठें बना भलिरा करती थीं। घर की ककसी िी चीज़ की बरबादी उनहें ्वीकार नहीं थी। अब मल्लिका अपने बचपन में सीखे इस मू्रवान संदेश का परायावरण की सुरक्ा के भलिए प्रचार कर रहीं हैं। वे लिोगों को बताती हैं कक परायावरण-संरक्ण के उपार करने कहठन नहीं हैं केवलि अपनी सोच और आदतें बदलिने की ज़रुरत है। उदाहरण के भलिए मंिन और ्नान करत ेसमर नलि के पानी को वरथया में न बहने दें और टेलिीत्वज़न, कमपरूटर आहद बबिलिी से चलिने वालेि रंत्रो का उपरोग करने के बाद उनके ल्वच बंद करें। उनको त्वशवास है कक अपने दैननक िीवन की आदतों और सोचने के तरीकों में पररवतयान लिाने से परायावरण की देखिालि पर सकारातमक प्रिाव पड़ सकता है।

  • 3

    0549/01/O/N/18© UCLES 2018 [कृपया प�ृ उलटें]

    1 मल्लिका प्रसाद का चरन ककसभलिए ककरा गरा?

    .....................................................................................................................................................[1]

    2 बचचों को पढ़ात ेसमर मल्लिका ्करा रोिना बना रहीं थीं?

    .....................................................................................................................................................[1]

    3 मल्लिका ्टीलि की बोतलि और लिकड़ी के परालेि का उपरोग ककस त्वशरे कारण से करती थीं?

    .....................................................................................................................................................[1]

    4 खाने की बबायादी को रोकने के भलिए दादी ्करा करती थीं?

    .....................................................................................................................................................[1]

    5 पानी और बबिलिी की खपत कम करने के भलिए कौन से कदम उठाने चाहहएं?

    .........................................................................................................................................................

    .....................................................................................................................................................[2]

    [अंक:6]

  • 4

    0549/01/O/N/18© UCLES 2018

    अभ्यास 2 प्र� 6

    वादवववाद प्रवियोवििा में भाि लेकर भारि यात्ा का एक सुनहरा अवसरहौं्लिो हहदंी भशक्ा कें द्र

    336 नेत्वलि ्कलिोज़हौं्लिो, भमडिलिसे्कस टी िब्र3ू 4िे िी

    दरूिार 00-44 20 86177335ई मेलि: [email protected]

    ढ़िदंी वयादवववयाद प्रनत्ोगगतया में भयाग िेिे के लिए सककू िी बच्े आवेदि करें।

    त्पछलेि वरया हुई वादत्ववाद प्रनतरोगगता की लिोकत्प्ररता को देखत ेहुए और इंगलिैंि में रहने वालेि ्कूलिी बचचों में हहदंी सीखने का उतसाह बढ़ाने के भलिए इस वरया िी एक वादत्ववाद प्रनतरोगगता आरोलित की िा रही है। सोमवार 24 अ�ूबर और शननवार 29 अ�ूबर को दो सत्रों में होने वालिी प्रनतरोगगता में दस से सोलिह वरया तक के बचचे िाग लेि सकत ेहैं। प्रनतरोगगरों की आरु के अनुसार दस से बारह वरया, तरेह से चौदह वरया और पनद्रह से सोलिह वरया की तीन अलिग-अलिग शे्णणरां बनाई गई हैं।प्रतरेक शे्णी में प्रथम आने वालेि प्रनतरोगी को िारत रात्रा का वापसी हटकट पुर्कार में भमलेिगा। कृपरा आवेदन पत्र के साथ हहदंी िारा सीखने के अपने अनुिव और अपने अभििावक की अनुमनत संलिगन करें। आवेदन पत्र िेिने की अनंतम नतगथ 10 अ�ूबर है। साररका की उम्र 14 वरया है। त्पछलेि तीन वरषों से वह अपने घर के पास वालेि चचया हॉलि में हर शननवार को 10–12 बिे हहदंी सीखने िाती है। िबसे उसकी नानी िारत से आईं हैं वह उनके साथ हहदंी में बातचीत करती है और दरूदशयान पर बॉलिीवुि के भसनेमा देखती है। लिसके कारण उसे हहदंी बोलिने का अभरास तो हुआ ही उसका हहदंी का शबदज्ान िी बढ़ा है। हहदंी की परीक्ा में इस वरया कक्ा के 20 त्व�ागथयारों में उसका प्रथम ्थान आरा। उसकी भशक्क्का उसकी हहदंी की प्रगनत से बहुत खुश हैं। वह ईभलिगं अकादमी में पढ़ती है। 4 बिे ्कूलि से घर लिौटने पर गहृकारया करने के बाद कुछ और करने के भलिए रथे� समर नहीं बचता। भलिहाज़ा, स�ाह के दौरान वह प्रनतरोगगता में नहीं िाना चाहती। इसभलिए स�ाहांत में दोपहर का समर ही सवायागधक उगचत है। साररका लिंदन के वै् ट ईभलिगं इलिाके में 19 एमह्टया रोि, िब्रू5 3ए आर में रहती है, उसका ई-मेलि [email protected] और उसका टेलिीफोन नमबर 020 85370208 है।

  • 5

    0549/01/O/N/18© UCLES 2018 [कृपया प�ृ उलटें]

    आप अपिे को सयाररकया मयािकर िी्े ढ़दए गए आवेदि पत्र को भररए।

    वहदी वादवववाद प्रवियोवििाहौं्लिो हहदंी भशक्ा कें द्र

    336 नेत्वलि ्कलिोज़हौं्लिो, भमडिलिसे्कस टी िब्र3ू 4िे िी

    दरूिार 00-44 20 86177335ई मेलि: [email protected]

    आवेदक का नाम: साररका(सही का ननशान लिगाएं) आरु 10–12 13–14 15–16

    [1]

    ई-मेलि: [email protected]

    पूरा पता: ..................................................................................................................................... [1]

    त्व�ालिर का नाम: ........................................................................................................................ [1]

    ननमनभलिणखत त्वक्पों के माधरम से बताइए कक आप कब उपलिबध हैं। [को�क में सही का ननशान लिगाएं]

    स�ाह के दौरान।

    स�ाहांत में। [1]

    ननमनभलिणखत अवगधरों में से उगचत अवगध चुनें। [को�क में सही का ननशान लिगाएं]

    सुबह 9 बिे से दोपहर 12 बिे तक

    दोपहर 3 बिे से शाम 6 बिे तक [1]

    हहदंी िारा संबंधी अपनी उपलिलबधरों की कोई 2 िानकाररराँ दीलिए

    ........................................................................................................................................................

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    .................................................................................................................................................... [2]

    [अकं:7]

  • 6

    0549/01/O/N/18© UCLES 2018

    अभ्यास 3 प्र� 7–9

    ‘सवच्छ िि कया मित्व’ शीरयाक निमिलिखखत िेख पिें और अगिे प�ृ पर ढ़दए गए शीरयाक� के अतंगयात िोट बियाएं।

    त्व� में लिगिग एक अरब लिोगों को पीने के भलिए साफ़ पानी नहीं भमलिता। आकंड़ों के अनुसार हर आठ वरन� में से एक वरन� ्वचछ पेर िलि से वंगचत है। प्रतरेक वरया 315,000 बचचे दतू्रत पानी पीने के कारण हैिा, टारफारि आहद िसैी बीमारररों के भशकार होत ेहैं। रा रह कह सकत ेहैं कक प्रनतहदन 900 बचचे रा प्रनत दो भमनट में एक बचचे की अकालि मतृरु हो िाती है। पन�म अफ्ीका में िनम से लेिकर पांच वरया तक की उम्र के बचचों की मतृरु का सबसे बड़ा कारण ्वचछ पेर िलि का अिाव है।रों तो पन�म अफ्ीकी देशों में पानी की कमी का बुरा असर समाि में सिी पर होता है, पर इसका सबसे अगधक दषुप्रिाव ल्त्ररों और लिड़ककरों को सहना पड़ता है। उनको प्रनत हदन मीलिों पदैलि चलिकर नदी और पोखरों से पानी ढोकर लिाना पड़ता है। वह िी ऐसा पानी िो मनुषर के पीने लिारक िी नहीं होता और लिसे पीकर नाना प्रकार की बीमारररों का होना लिगिग नननशचत है। छोटी उम्र की लिड़ककरां सुबह के समर ्कूलि िाने की िगह अपना समर कड़ी धूप में मीलिों पैदलि चलिकर दतू्रत पानी ढोकर लिाने में वरतीत करती हैं। इसका बुरा असर उनके ्वा््थर और भशक्ा दोनों पर होता है। ऐसी ल्थनत में उनके सामने दो ही त्वक्प हो सकत ेहैं – दतू्रत पानी पीरें अथवा बबना पानी पीरे रहें। दोनों ही त्वक्प िीवन को संकट में िालि सकत ेहैं।पानी की कमी का प्रिाव लिोगों की िीत्वका पर पड़ता है। कृत्रप्रधान देश में फसलि उपिाने के भलिए पानी ननतांत आवशरक है। सूखा पड़ने अथायात भसचंाई के भलिए पानी न भमलिने से फसलि की बरबादी ककसान को गरीबी और िुखमरी के चंगुलि में दबोच सकती है।कुछ अतंराया�ीर ्वरंसेवी सं्थाएं इस कहठन सम्रा को सुलिझाने की िरसक चे�ा कर रही हैं। उनका उ�ेशर पीने के पानी का शु�ीकरण, गाँवों में कुएँ खोदकर ्वचछ िलि उपलिबध कराना, लिोगों को अपनी सहारता ्वरं करने की सीख देना आहद है। रहद प्रतरेक गाँव में टरूबवेलि से ्वचछ िलि भमलि सके तो वहाँ रहने वालिी ल्त्रराँ खेती में हाथ बटा सकें गी और लिड़ककराँ ्कूलि िाकर अपनी भशक्ा पूरी कर सकें गी।िूपेनद्र और हंसा पन�म अफ्ीका के बुरकीना फासो गांव में तीस वरषों से रह रहे हैं। प्राथभमक ्कूलि के भशक्क के रूप में काम करत ेसमर िूपेनद्र ने न िाने ककतने त्व�ागथयारों को दतू्रत पानी पीने से हुई बीमारररों का भशकार होत ेदेखा था। नौकरी से अवकाश प्रा� करने के बाद अपने देश िारत लिौट कर चैन का िीवन बबताने की िगह उनहोंने गाँव में रहकर अपनी बचत की पूंिी से ‘्वचछ िलि अभिरान’ शुरु ककरा। उनका उ�ेशर आसपास के गाँवों में कँुए खुदवाना है ताकक गाँव की ल्त्ररों को गचलिगचलिाती धूप में दतू्रत पानी ढोकर लिाने के भलिए मीलिों पदैलि ना चलिना पड़,े लिड़ककरां अपनी भशक्ा पूरी करके आगथयाक रूप से ्वावलिमबी बन सकें और छोटे बचचे उस पानी को पीकर अकालि मतृरु का भशकार न बनें। वे िानत ेहैं कक उनका रह प्ररास एक अतरंत कहठन सम्रा को सुलिझाने के भलिए समुद्र में एक बूंद के समान है, लेिककन बूंद बंूद से ही तो समुद्र बनता है!

  • 7

    0549/01/O/N/18© UCLES 2018 [कृपया प�ृ उलटें]

    अभ्यास 3 प्र� 7–9

    आपके सककू ि में एक भयारण प्रनत्ोगगतया आ्ोलित की िया रिी िै। प्रनत्ोगगतया कया ववर् िै ‘सवच्छ िि कया मितव’। इस िेख में से िी्े ढ़दए गए प्रत्ेक शीरयाक के अतंगयात िोट लिखें लिस पर आपकया भयारण आधयाररत िोगया।

    7 ्वचछ िलि की कमी से होने वालेि तीन दषुप्रिाव

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    8 ्वचछ िलि उपलिबध कराने के उपार

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    9 सम्रा का समाधान करने में सहारक

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    [अंक:7]

  • 8

    0549/01/O/N/18© UCLES 2018

    अभ्यास 4 प्र� – 10

    निमिलिखखत आिेख ‘रिस्म् सटोििेंि’ पिकर उसके अतीत और वतयामयाि कयाि में मित्व कया सयारयांश अपिे शबद� में लिखखए।आपकया सयारयांश 100 शबद� से अगधक ििीं िोिया ्याढ़िए।संगत बबनदओु ंके समयावेश के लिए 6 अकं और भयावरक अलभव्न� के लिए 4 अकं निधयायाररत िैं। पयाठयांश से वयाक् उतयारिया उग्त ििीं िै।

    इंगलिणैि की त्व्टशारर काउंटी में एमसबरी से दो मीलि पन�म और सॉ्सबरी से 8 मीलि उतिर में अवल्थत ्टोनहेंि एक अतरंत प्रभस� प्रागैनतहाभसक ्मारक है। अपने अ�ुत पुरातालत्वक महत्व और अिूतपूवया ्मारकों के चक्ाकार िमघट के कारण सन 1986 में इसकी गणना ‘त्व� धरोहर ्थलि’ में की गई। पुरातत्व त्वशरेज्ों के अधररन के भलिए शोध का एक मू्रवान स्ोत ्टोनहेंि इंगलिैणि के प्रमुख दशयानीर ्थानों में से िी एक है। पतथरों से ननभमयात इस अिूतपूवया ्मारक का ननमायाण ईसा पूवया 2500–5000 की अवगध में अलिग-अलिग चरणों में हुआ माना िाता है। इसको बनाने के भलिए दरू-दरू से पतथर लिाए गए थे। नीलेि पतथर 150 मीलि दरू पे्रसलिी पहाड़ी से और सारसन के पतथर 19 मीलि दरू मलियाबॉरा से अपनी त्वशरे बनावट के कारण लिाए िाकर एक चक्ाकार ढांचे में ्थात्पत ककए गए थे। ्टोनहेंि की ्थापना कब, ककसने और ्करों की इस त्वरर में अनेक प्रकार की धारणाएँ हैं। उनमें िनेनश रािाओ ंके राजराभिरके का ्थलि, द्रात्वद मंहदर, सूरयाग्रहण की सूचना देने वालिा खगोलिीर रा जरोनतरशा्त्र का संगणक, पूवयािों की पूिा करने का मंहदर आहद प्रमुख हैं। कुछ लिोग ्टोनहेंि को रोगों से छुटकारा हदलिाने वालिा एक पत्वत्र ्थलि िी मानत ेहैं। पुरातालत्वक दृलषट से पतथरों से बना रह चक् एक अतरंत िहटलि ्मारक है। इसके पर्पर संबलनधत ्मारक नव-पाराण कालि के अनंतम िाग और कां्ररुग के लिोगों की िीवन प�नत, त्वशरेकर इनमें दफ़नाए हुए 350 से िी अगधक समागधरों के टीलेि, मरणोंपरांत ककए िाने वालेि अनंतम सं्कार की प्रथा को समझने में सहारक हैं। खुदाई के समर वहाँ रोमन कालि के भमटटी के बरतन, पतथर और धातु से बनी चीिें और भस्कके भमलेि हैं। सामानरत: रह माना िाता है कक ्टोनहेंि सूरया की गनतत्वगध की सीध में बना एक प्रागैनतहाभसक मंहदर है। वरषों से ्टोनहेंि और पुरातन खगोलि त्वज्ान के समबनध का अधररन होता आ रहा है। सूरया, चनद्र और अनर ग्रहों के साथ इसके संबनध पर अनेक शोध कारया हुए हैं। ककया संक्ांनत अथायात गममी की ऋतु के समर रह ्मारक सूरयोदर की हदशा में और मकर सकं्ांनत अथायात सददी की ऋतु में सूराया्त की हदशा में अवल्थत है। प्रनतवरया ककया और मकर संक्ांनत के समर सूरयोदर देखने के भलिए रहाँ हज़ारों लिोग एकबत्रत होत ेहैं। अतीत की उपलिलबधरों का रह एक अ�ुत प्रतीक है। आधुननक रुग में इसके साथ एक त्वभश� प्रकार की धाभमयाक और सां्कृनतक महतिा िुड़ी हुई है िो लिोगों में त्व्मर, त्वनर और आदर की िावना िगाती है और लिसके कारण दरू-दरू से आने वालेि हज़ारों दशयाक इसकी ओर णखचें चलेि आत ेहैं।

  • 9

    0549/01/O/N/18© UCLES 2018 [कृपया प�ृ उलटें]

    सयारयांश

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    [अंक:10]

  • 10

    0549/01/O/N/18© UCLES 2018

    खंड 2

    अभ्यास 5 प्र� 11–16

    निमिलिखखत आिेख ‘केसर की खेती’ को ध्यािपकूवयाक पढ़िए और पकू्ेछ गए प्र�� के उत्तर दीलिए।

    खाना बनाने के मसालिों में केसर का एक त्वशरे ्थान है। केसर क्ोकस के बैंगनी रंग के फूलि के गहरे लिालि रंग के पराग के रेश ेसे बनता है। रह खा� वरंिनों के रंग और सुगंध में बढ़ोतरी करता है।क्ोकस के पौधे के ब्ब रा बीि िून के महीने में, िब सहदयारों के बाद सूरया की ककरणें धरती को गमया कर चुकी होती हैं, सूरि की हदशा में ढलिाउ, पोरस और उपिाऊ िमीन में बोरे िात ेहैं। इसके पौधे को पनपने के भलिए सूरि की रोशनी और गमायाहट अनत आवशरक होती है। धूप की कमी से क्ोकस के फूलि में सुगंध की कमी हो सकती है। क्ोकस के पौधे 20–30 सेंटीमीटर तक बढ़त ेहैं। प्रतरेक पौधे में तीन से चार तक फूलि णखलित ेहैं और हरएक फूलि के पराग में गहरे लिालि रंग के तीन रेश ेरहत ेहैं लिनहें एकबत्रत करके सुखाने पर केसर बनता है। क्ोकस के बैंगनी रंग वालेि फूलि अ�ूबर मास के मधर से नवंबर के प्रथम स�ाह तक पूरी तरह से णखलि िात ेहैं। शीघ्र ही फूलिों की कटाई शुरू हो िाती है। फूलिों को बेंत की िभलिरा में एकबत्रत करके उनके पराग की बाभलिरों रा रेशों को अलिग ककरा िाता है। फूलि का कोई िी हह्सा बेकार नहीं िाता। उसकी पंखुरररों की सबज़ी और िठंलि से िानवरों का चारा और गहरे लिालि रंग के रेश ेसे केसर बनता है। वज़न के हहसाब से केसर संसार के सबसे महंगे पदाथषों में गगना िाता है।केसर के अनेक उपरोग हैं लिनमें ईरानी, िारतीर, अरबी, टककया श और रूरोत्परन पाकशलैिी के वरंिनों में केसरररा रंग और सुगंध का संचार करना मुखर है। इसके अनतरर्कत इसका प्ररोग कपड़ ेरंगने, सौंदरया-प्रसाधन बनाने, पारंपररक औरगध में मानभसक तनाव और त्वराद का इलिाज़ करने के भलिए और हहदं ूएवं बौ� धमया में धाभमयाक अनु�ान में ककरा िाता है। ईलिपट की महारानी ्कलिीओपेट्ा अपनी तवचा की सुंदरता बढ़ाने के भलिए ्नान के पानी में केसर घुलिवाती थीं। भसकंदर महान लिड़ाई में लिगे अपने घावों को िरने के भलिए ईरानी केसर का प्ररोग अपनी चार, चावलि और ्नान के िलि में करत ेथे। केसर की खेती सबसे पहलेि कहाँ शुरू हुई इस त्वरर में अलिग-अलिग मत हैं। संिवत: इसकी पहलि ग्रीस और उसके आसपास में हुई और वहां से दक्क्ण-पन�म एभशरा और उतिरी अफ्ीका तथा अमेररका तक होने लिगी।सोलिहवीं शताबदी में पूवमी इंगलिैंि के गचलपपंग वॉ्िन नामक ्थान में केसर की खेती आरमि हो गई थी। वॉ्िन शहर केसर की खेती और वरापाररक कें द्र होने के कारण ‘सैफ्ॉन वा्िन’ के नाम से प्रभस� हो गरा। केसर की लिगिग 80% खेती ईरान में होती है। केसर की खेती के भलिए िारतवरया में िममू और कशमीर का प्रमुख ्थान है। श्ीनगर के समीप पामपुर में केसर की खेती होती है। ऐनतहाभसक सूत्रों के अनुसार िारतवरया में ईरानी शासक केसर के ब्ब रा बीि लिाए थे लिनहें पामपुर की धरती में बोरा गरा था। ककंतु एक कशमीरी भमथक के अनुसार दो त्वदेशी सूफ़ी संत, ख़वाज़ा मसूद वलिी और शखे शरीफु�ीन वलिी कशमीर आकर अ्व्थ हो गए थे। एक ्थानीर मुणखरा के इलिाज़ से ठीक हो िाने पर बदलेि में उनहोंने मुणखरा को केसर का ब्ब हदरा। आि िी केसर की कटाई के समर उन दोनों सूफ़ी संतों की ्मनृत में प्राथयाना की िाती है और पामपुर में उनकी रादगार में बना सुनहरा गुमबदाकार मक़बरा िी इसका प्रमाण है। ककंतु प्रभस� कशमीरी कत्व और त्व�ान रूसुफ़ तेंग के अनुसार रे दोनों ही बातें कहानी िर हैं।

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    कृप्या प्र� 11 से 14 तक के उत्तर सिी ्या ग़ित के को�क में कया निशयाि िगयाकर दीलिए। ्ढ़द वयाक् ग़ित िै तो उसे पयाठयांश के आधयार पर ठीक कीलिए।

    सिी ग़ित

    उदाहरण – क्ोकस के फूलि लिालि रंग के होत ेहैं । औगचतर – क्ोकस के फूलि बैंगनी रंग के होत ेहैं।

    11 क्ोकस के फूलि की पंखुरररों से केसर बनता है।

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    12 केसर की खेती के भलिए पोरस, ढलिाउ और उपिाऊ भमटटी ज़रूरी होती है।

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    13 केसर का उपरोग िोिन के वरंिन में रंग और सुगंध लिाने के भलिए होता है।

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    14 क्ोकस के पराग से केसर ननकालिने के बाद फूलि को फें क हदरा िाता है।

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    अब निमिलिखखत प्र�� के उत्तर दीलिए।

    15 भसकंदर महान ने केसर का उपरोग ककसभलिए ककरा?

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    16 कशमीर में सूफी संतों �ारा केसर के ब्ब लिाने की मानरता के दो प्रमाण भलिणखए।

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    [अंक:10]

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    अभ्यास 6 प्र� 17

    ‘सककू ि� में संगीत और किया की अपेक्या ववज्याि और गखणत के ववर् िी मित्वपकूणया िोिे ्याढ़िएं।’ इस ववर् पर अपिे वव्यार व्� करत ेिुए अपिे सककू ि की पबत्रकया के लिए एक िेख लिखखए। आपकया िेख ववर् की ियािकयारी पर कें ढ़रित िोिया ्याढ़िए।आपकया िेख 150 से 200 शबद� से अगधक ििीं िोिया ्याढ़िए।लिखखत वववरण पर अंतयावसतु के लिए 10 अकं और सटीक भयारया के लिए भी 10 अकं निधयायाररत िैं।

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    [अकं:20]

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