the life of munshi premchand in hindi

Post on 14-Jun-2015

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This Slide is About the Great Life of the Indian writer Munshi Premchand in Hindi as requested by many people. So it is for all those who need it in Hindi, Other can check out the English version Please Like And comment :)

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सा�हि�त्य दिन के� लि�ए आपके� स्वा�गत ��

Topic = मुं��शी� प्रे�मुंचं� के� जी�वान

मुं��शी� प्रे�मुंचं� के� जी�वान के� बा�रे�

31 जी���ई 1880 के" जीन्मुं� मुं��शी� प्रे�मुंचं� न� अपन� आधु�हिनके हि�न्दुस्त�न� सा�हि�त्य के� लि�ए प्रेलिसाद्ध एके भा�रेत�य ��खके थे�. उन्�,न� के�� हिके भा�रेत�य उपमुं��द्वी.प के� साबासा� मुंशीहूरे ��खके, मुं0 सा� एके ��, औरे बा�सावा2 सा. के� साबासा� मुं�त्वाप3र्ण5 हिं�7दुस्त�न� ��खके, मुं0 सा� एके मुं�न� जी�त� ��.

मुं��शी� प्रे�मुंचं� के� जी�वान के� बा�रे� मुं0

प्रे�मुंचं� के� असा�� न�मुं Dhanpat रे�य थे� श्री�वा�स्तवा. उन्�,न� के�� हिके साबासा� बाड़ी� मुं0 सा� एके थे�   आधु�हिनके हिं�7. सा�हि�त्य के� सा�हि�त्यित्यके आ�केड़ी�. उनके< के��हिनय, त�जी� सा�मुं�जिजीके लिचंहि>त उसा सामुंय के< परिरेदृश्य. उन्�,न� के�� हिके उनके� ��खन के� सा�थे आधु�हिनके हिं�7. औरे उर्दू5 सा�हि�त्य मुं0 �� जी�य� जी" एके प्रेलिसाद्ध भा�रेत�य ��खके औरे केहिवा थे�.

बाचंपन औरे प्रे�रे�भिभाके जी�वानप्रे�मुंचं� मुं��शी� Ajaib ���, प"स्ट ऑहिFसा मुं0 एके लि�हिपके के" भा�रेत मुं0 वा�रे�र्णसा� के� हिनकेट एके ग��वा मुं0 31 जी���ई 1880 के" हुआ थे�. वा� अभा� बाहुत छो"ट� थे� जीबा उसाके� मुं�त� हिपत� के< मुंIत्य� �" गई.

प्रे�मुंचं� एके व्यवास्था� के< बाच्चे� मुं0 एके �ड़ीके< सा� शी�. के< थे� शी�. के� रूप मुं0 त" केस्टमुं ��हिकेन उसाके� लि�ए 5न�के सा�हिबात हुई शी�. थे� औरे वा� 1899 मुं0 उसा� छो"ड़ी दिय�. प्रे�मुंचं� 1906 मुं0 एके बाच्चे� के" हिवाधुवा� Shivrani �वा� सा� शी�. केरेन� के� बा� हिके.

जील्. के� रिरेयरेय� वा� प��� बा�रे ग�भा�रेत� सा� लि�खन� शी�रू केरे दिय� ��, जी��� इ����बा� मुं0 थे�. प्रे�मुंचं� उर्दू5 मुं0 एके फ्री<���सारे के� रूप मुं0 उनके< सा�हि�त्यित्यके के� रिरेयरे शी�रू हिकेय� औरे भा�षा� मुं0 केई �घु� केथे�एS लि�ख� थे�. उनके� प��� उपन्य�सा, Asrar ई Ma'abid प��� आवा�ज़ ए खल्के, एके उर्दू5 सा�प्त�हि�के मुं0 प्रेके�लिशीत के< गई थे�. इसाके� त�रे�त बा�, वा� एके उर्दू5 पहि>के� ज़मुं�न� सा�थे जी�ड़ी गय�. उन्�,न� य� भा� सा"जी ए Vatan रूप मुं0 जी�न� गय� जी" उर्दू5 मुं0 छो"ट. के��हिनय, के� एके सा�ग्र� लि�ख� ��. य� एके ��खके के� रूप मुं0 अपन� के� रिरेयरे आके�रे ��न� शी�रू हिकेय� त" थे� हिके औरे वा� के�नप�रे के< सा�हि�त्यित्यके दुहिनय� के< एके प्रेहितष्ठिXत हि�स्सा� बान गय�.

Success As A Writer !His literary work in Urdu gained him a reputation of a journalist with social aim, rather than a mere entertainer. His early writings were largely influenced by the nationwide movement in which he often expressed his support to the fight for freedom. In 1910, his collection of Soz-e-Watan was labeled as rebellious on account of its message which provoked Indians to fight for the nation. An agonized British government confiscated the book and all copies of Soz-e-Watan were burnt or destroyed. The prolific writer wrote more than 300 stories, novels and a number of plays.

एके ��खके के� रूप मुं0 साF�त�!य� के� वा� केल्पन� के��हिनय��, परिरेय, के< के��हिनय, औरे धु�र्मिमुं7के के�य5 के� शी�ष्ठिमुं� जीबा प्रे�मुंचं� हिं�7. सा�हि�त्य मुं0 शी�रू यथे�थे5वा� के� सा�थे श्री�य दिय� जी�त� ��. उनके< रेचंन�ओं के" सा�केलि�त औरे Maansarovar के� रूप मुं0 प्रेके�लिशीत केरे रे�� �[. 1921 मुं0, प्रे�मुंचं� भा�रेत�य स्वात�>त� आ�"�न औरे ग��धु� के� स्वा�शी� आ�"�न के" सामुंथे5न के� रूप मुं0 अपन� न\केरे� सा� इस्त�F� � दिय�. उन्�,न� के�� हिके एके हिंप्रे7टिंट7ग प्रे�सा मुं0 न\केरे� �� �� औरे प्रे�सा के� मुं�लि�के बान गए. उसा सामुंय के� \रे�न वा� भा� ख� के" सामुंथे5न केरेन� के� लि�ए हि�न्. औरे उर्दू5 पहि>के�ओं के� सा�प�के के� रूप मुं0 के�मुं हिकेय�. मुं��न ��खके औरे उपन्य�साके�रे प�सा� केमुं�न� के� लि�ए हिवाF� रे�� �� औरे गरे�बा� औरे हिवात्ती�य सा�केट के� बा�चं सा�घुषा5 के� एके जी�वान के� न�तIत्वा हिकेय�.

शी��� ��खन!अपन� ��खन के< उल्��खन�य हिवाशी�षात� वा� उपन्य�सा मुं0 अपन� प�>, के� लिचं>र्ण हिकेय� �� जिजीसाके� सा�थे वा�स्तहिवाकेत� थे�. अन्य सामुंके���न ��खके, के� हिवापरे�त, वा� केल्पन� fictions, य� एके ��रे" परे आधु�रिरेत के��हिनय�� लि�ख न�2 थे�. उनके� उपन्य�सा, मुं0 मुं�ख्य रूप सा� ��जी, गरे�बा�, सा��प्रे�ष्ठियकेत�, उपहिनवा�शीवा� औरे भ्रष्टा�चं�रे औरे जीमुं2�रे�, जी�सा� सा�मुं�जिजीके बा�रे�इय, परे सा��शी शी�ष्ठिमुं� थे�. उन्�,न� के�� हिके सा�हि�त्य मुं0 वा�स्तहिवाकेत� ��न� के� लि�ए बा�सावा2 सा. के� प��� ��खके थे�.

प्रे�मुंचं� के� उल्��खन�य के�य5!प्रे�मुंचं� 300 सा� अष्ठिधुके �घु� के��हिनय��, उपन्य�सा औरे हिनबा�धु, प> औरे न�टके, के� केई सा�ख्य� लि�ख�. अपन� के�यb के� केई अ�ग्र�जी� औरे रूसा� मुं0 अन�वा� हिकेय� गय� �� औरे के� छो के� रूप मुं0 अच्छी. तरे� सा� हिFल्मुं, मुं0 अपन�य� गय� ��. उनके� प��� उपन्य�सा ग"�न अपन� य�ग के� बा��तरे�न उपन्य�सा मुं0 स्था�न औरे इसा दिन तके त" बान� हुई ��. उनके< अन्य उल्��खन�य उपन्य�सा, Gaban, केFन poos के< चं3��, ईग��, औरे बाड़ी� घुरे के< बा�ट. �[. अन्य bestselling उपन्य�सा शीतरे�जी के� खिख��ड़ी� औरे SevaSadan सात्यजी�त रे� न� हिFल्मुं मुं0 अपन�य� गय�.

बा� के� जी�वान औरे मुं\त!प्रे�मुंचं� सा�हि�त्य मुं0 �"ग, के" लिशीभिeत केरेन� के� लि�ए एके साशीक्त मुं�ध्यमुं �� हिके मुं�न� जी�त� �� औरे य� उनके� ��खन मुं0 पत� चं��. उसाके� बा� के� जी�वान मुं0 उन्�,न� सा�मुं�जिजीके उद्दे�श्य औरे सा�मुं�जिजीके आ�"चंन� के� सा�थे fictions लि�खन� जी�रे� रेख�. अबा एके श्रीद्ध�य ��खके औरे हिवाचं�रेके, वा� साम्मुं��न,, सा�हि�त्य सा�ष्ठिमुंन�रे के< अध्यeत� के< औरे हिवाशी�� वा��वा��� प्रे�प्त हिकेय�. उन्�,न� के��, �����हिके. वाषा5 1936 मुं0 भा�रेत�य प्रेगहितशी�� ��खके सा�घु के� प��� अखिख� भा�रेत�य साम्मुं��न के< अध्यeत� के< अपन� हिनजी� जी�वान मुं0 वा� अभा� भा� जीरुरेत0 प3रे� केरेन� के� लि�ए सा�घुषा5 केरे रे�� थे�. उन्�,न� य� भा� स्वा�स्थ्य सामुंस्य� सा� हिवाशी�षा रूप सा� 'प�ट के< सामुंस्य�ओं' के� सा�मुंन� केरेन� पड़ी�. केभा� केदिlन�ई औरे चं�न\हितय, के� बा�वाजी3, प्रे�मुंचं� के� ��खन के� परिरेत्य�ग न�2 हिकेय� थे� औरे उनके� अ�हितमुं उपन्य�सा Mangalsootra के" प3रे� केरेन� मुं0 �ग गए. वा� 8 अक्ट3बारे 1936 परे इसा� के� बा�चं मुं0 मुंIत्य� �" गई के� रूप मुं0 उपन्य�सा अभा� भा� अधु3रे� रे�त� ��.

TimeLine Of Munshi Premchand!

• 1880- Born On 31st July• 1899 - He left His Village• 1902 - He Became A Headmaster Of A school.• 1906 - He Married A Child Widow Shivrani devi.• 1910 - His Collection Soz-E-Watan was confiscated by the British

government.• 1921- Premchand resigned from his job as his support to the

Indian independence movement.• 1936- He chaired the first All-India conference of the Indian

Progressive Writer’s Association.• 1936- Premchand died on 8 October 1936

THANK YOU!

Done by Varun kakkar

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