abnormal psychology and its historical background

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मनोविकृ वि विान BAPY 102 उराख ड मु विविनालय 1 ईकाई-1 असामाय मनोविान एिं ऐतिहाससक ठभ सम(Abnormal Psychology and its historical background) 1.1 तािना 1.2 उेय 1.3 असामाय मनोविान का अथ 1.4 असामाय मनोविान से सबवित यय 1.5 असामाय मनोविान की ऐवतहावसक पृ सभ वम 1.6 ििावनक काल (प रातन समय से लेकर 1800 तक) 1.7 असामाय मनोविान का उदि (1801 से 1950 तक) 1.8 आज का असामाय मनोविान (1651 से लेकर आज तक) 1.9 सारा 1.10 शदािली 1.11 िम लया कन हेत 1.12 सदभथ स ची 1.13 वनबिामक 1.1 िािना कृवत ने मनुय को अनके गुण से सँिारा है। इह गुण म से एक गुण वजासा का भी है। इस गुण के कारण मनुय अपने बारे म ता द सर के बारे म जानकारी ा करने का यास करता है। और इसी कोवशश म अलग-अलग विान का जम हुआ। इह म से एक मुय विान है , मनोविान । जब यव ने अपने यिहार को ता द सर के यिहार को िातािरण के परेय म समझने की कोवशश की तो मनोविान का जम हुआ। विर इसकी कई शाखाएँ विकवसत हो गई वजनम सामाय मनोविान, बाल मनोविान, असामाय मनोविान, योगामक मनोविान, समाज मनोविान, नैदावनक मनोविान, वशा मनोविान और यािहारक मनोविान आवद मुय ह ।

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Page 1: Abnormal Psychology and its historical background

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 1

ईकाई-1 असामानय मनोविजञान एि ऐतिहाससक पषठभसम(Abnormal Psychology and its historical background) 11 परसतािना

12 उददशय

13 असामानय मनोविजञान का अरथ

14 असामानय मनोविजञान स समबवनित परतयय

15 असामानय मनोविजञान की ऐवतहावसक पषठभवम

16 पिथ िजञावनक काल (परातन समय स लकर 1800 तक)

17 असामानय मनोविजञान का उदभि (1801 स 1950 तक)

18 आज का असामानय मनोविजञान (1651 स लकर आज तक)

19 साराश

110 शबदािली

111 सिमलयाकन हत परशन

112 सनदभथ गरनर सची

113 वनबनिातमक परशन

11 परसिािना परकवत न मनषय को अनक गणो स सिारा ह इनही गणो म स एक गण वजजञासा का भी ह

इस गण क कारण मनषय अपन बार म तरा दसरो क बार म जानकारी परापत करन का परयास करता

ह और इसी कोवशश म अलग-अलग विजञानो का जनम हआ इनही म स एक मखय विजञान ह

मनोविजञान जब वयवकत न अपन वयिहारो को तरा दसरो क वयिहारो को िातािरण क पररपरकषय म

समझन की कोवशश की तो मनोविजञान का जनम हआ विर इसकी कई शाखाए विकवसत हो गई

वजनम सामानय मनोविजञान बाल मनोविजञान असामानय मनोविजञान परयोगातमक मनोविजञान

समाज मनोविजञान नदावनक मनोविजञान वशकषा मनोविजञान और वयािहाररक मनोविजञान आवद

मखय ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 2

असामानय मनोविजञान की एक ऐसी शाखा ह वजसम वयवकतयो क असामानय वयिहारो एि

मानवसक परवियाओ का अधययन करत ह तरा इसकी विषय िसत मखयतः कसमायोवजत वयिहारो

एि विघवित वयवकतति का अधययन करन एि उपचार क तरीको स समबवनित ह

असामानय मनोविजञान मनोविजञान की एक बहत ही महतिपणथ एि उपयोगी शाखा ह इसका

मखय उददशय वयवकत क असामानय वयिहारो तरा मानवसक परवियाओ का अधययन करना ह और

आजकल इस मनोविकवतत विजञान कहा जाता ह आज की भागदौड़ और तनाि भरी वजनदगी म

आज मनोविजञान की यह शाखा आपररहायथ बनती जा रही ह इसकी जानकारी सिय क वलए तो

उपयोगी ह ही सार ही दसरो की भी सहायता करक उस सिसर मानवसक जीिन वयतीत करन म हम

उसकी मदद कर सकत ह|

12 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull असामानय मनोविजञान क बार म बता सक ग

bull असामानय मनोविजञान स समबवनित परतययो (concepts) क बार म जान सकग|

bull असामानय मनोविजञान क इवतहास क बार म बता सक ग|

bull आज क असामानय मनोविजञान क बार म बता सक ग|

13 असामानय मनोविजञान का अरथ समभितः एबनामथल (Abnormal) शबद की उतपवतत (Ano+Melos = Not Regular)

अराथत जो वनयवमत नही ह| अतः असामानय वयिहार िह वयिहार ह जो वनयवमत नही ह इस परकार

असामानय शबद का शावबदक अरथ ह- सामानय स दर हिा हआ वयिहार उकत दोनो शबदो का

शावबदक अरथ मौवलक रप स एक समान ह वकसकर क अनसारि ldquoमानि वयिहार एि अनभवतया

जो सािारणतः अनोख असािारण या परक ह असामानय समझ जात हrdquo

दसर शबदो म lsquolsquoअसामानय मनोविजञान मनोविजञान की िह शाखा ह वजसम असामानय

वयिहार एि असामानय वयवकतति का अधययन वकया जाता हrdquo| यह असामानय वयिहार

असमायोवजत (maladjusted)वयिहार होता हजो वयवकत और समह दोनो क वलए हावनकारक ह

असामानय वयिहार का अधययन सामानय मनोविजञान की विवियो परतयय वनयमो और खोजो क

आिार पर ही वकया जाता हrsquorsquo असामानय मनोविजञान म अनक परकार की असमानताओ का

अधययन वकया जाता ह जस- मनोविवकषपतता (psychosis) मनसताप (psycho-neurosis)

मनोदवहक विकार(psychosomatic disorder) मानवसक दबथलता(mental retardation)

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उततराखड मकत विशवविदयालय 3

अपराि मदयपान (alcoholism) सामावजक वयावियो (social disorder) स समबवनित वयिहारो

को अधययन वकया जाता ह

रीगर (1998) क अनसार- ldquoअसामानय वयिहार ऐसा वयिहार होता ह जो सामावजक रप

स दखदायी एि विकवत सजञान क पररणामसिरप उतपनन होता ह कयोवक ऐस वयिहार स वयवकत को

सामानय समायोजन म कविनाई होती ह इसवलए इसका सिरप कसमायोजी भी होता हldquo

बारलो या डरड (1999) न असामानय वयिहार की कािी विसतत पररभाषा दी इनक

अनसार ldquoअसामानय वयिहार वयवकत क भीतर मनोिजञावनक दवषियता की वसरवत होती ह जो कायो

म वयरा या हावन स जडा ा होता ह तरा एक ऐसी अनविया होती ह जो परवतवनविक या सासकवतक

रप स परतयावशप नही होती हldquo

असामानय वयिहार को विवभनन विशषताओ (कसौवियो) क आिार पर पररभावषत करन

की कोवशश की गई ह

(क) साावयिकीि बारमबारिा (statistical frequency)की कसौटी- इस किौती क अनसार

ि सभी वयिहार असामानय ह जो सावखयकीय रप स अबारमबार होत ह अराथत ि सभी

वयिहार असामानय होत ह जो सावखयकीय औसत स विचवलत(deviated) होत ह |जो

वयिहार उस औसत म आत ह ि सामानय कहलात ह और जो उसस वभनन होत ह उस

असामानय कहा जाता ह| जस- वजन वयवकतयो की बवि-लवबि(IQ) 70 स कम होती ह

उनकी बवि इतनी कम समझी जाती ह वक उस वयवकत को मानवसक रप स मद होन की सजञा दी

जाती ह |अतः इस कसौिी क अनसार वयवकत क औसत वनषपादन(performance) को ही

सामानय कहा जायगा और जो इस वनषपादन स विचवलत होता ह उस असामानय कहा जायगा

इस कसौिी का मखय दोष यह ह वक न किल औसत स कम बवि लवबि िाल बवलक

औसत स ऊपर 140 स 160 स अविक बवि लवबि िाल भी असामानय कहलायग जो गलत होगा

इस कसौिी का कोई सिषट मलय नही ह अतः यह कसौिी मनोिजञावनको को सपषट वनदश नही दती ह

वक कौन स अबारमबार का उस अधययन करना चावहए

(ख) मानक अविकरमण (norms violation)की कसौटी- हर वयवकत एक समाज म रहता ह

वजसका अपना मानक होता ह वक उस कया करना चावहए और कया नही करना चावहए जो

वयवकत मानक क अनकल वयिहार करता ह उस सामानय और जो वयवकत मानक क विपरीत

वयिहार करता ह उस असामानय कहा जाता ह जस -कछ समाज क मानक ऐस ह वजनम अपन

ही चचर-ििर भाई बहन म शादी को सामानय समझा जाता ह जबवक कछ समाज म ऐस

वयिहार को असामानय समझा जाता ह अतः इस तरह का वयिहार इस पररवसरवत म मानक

अवतिमण नही कहलायगा

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उततराखड मकत विशवविदयालय 4

जबवक दसरी पररवसरवत म मानक अवतिमण कहलायगा और उस असामानय वयिहार

कहा जायगा

इस कसौिी का मखय दोष यह ह वक एक ही वयिहार एक समाज या ससकवत म सामानय हो

सकता ह परनत िही वयिहार दसर समाज म असामानय हो सकता ह अतः इस कसौिी क अनरप

असामानय वयिहार की कोई पररभाषा दना सभि नही ह

(ग) विविगि विथा(individual distress) की कसौटी- अराथत यवद वयवकत का वयिहार

ऐसा ह वजसस उसम अविक तकलीि तरा यातना उतपनन होती ह तो उस असामानय वयिहार

कहा जायगा वचनता(anxiety) विषाद(depression) स गरसत वयवकतयो को अविक यातना

सहनी पड़ती ह अतः इनक वयिहार को इस कसौिी क अनरप वनवित रप स असामानय

वयिहार कहा जाता ह पहली दो कसौवियो की तलना म यह अविक उदारिादी(liberal) ह

कयोवक इसम लोग अपनी सामानयता की परख सिय करत ह न वक समाज या कोई विशषजञ

एक यही कसौिी ऐसी ह वजसका परयोग कम गमभीर मानवसक विकवतयो(mental disorders)

की पहचान करन म वकया जाता ह अविकतर लोग जो मनविवकतसा क वलए आत ह ि

असामानय नही होत ह बवलक ि इसवलए आत ह कयोवक ि अपनी वजदगी क वयिहार स कािी

तग आ चक होत ह

कछ विकवतया ऐसी होती ह जो वयवकत म कोई वयरा वचनता या यातना उतपनन नही करती

ह जस- मनोविकारी रप तरह तरह क समाज विरोिी वयिहार करत ह परनत न तो उनम कोई वचनता

उतपनन होती ह और न ही कोई दोष भाि |अतः ऐस वयिहार को असामानय वयिहार नही कहा जा

सकता ह

(घ) अिोगििा(inefficiency) की कसौटी- यवद कोई वयवकत अपन लकषय की परावपत करन म

अयोगयता क कारण असमरथ रहता ह तो उसक इस वयिहार को असामानय वयिहार कहा

जायगा जस - यवद कोई पानी क जहाज स कही जान म इतना डरता ह वक िह

पदोननवत(promotion) को भी तयाग दता ह तो इस तरह की अयोगयता को असामानय

वयिहार माना जायगा अनक शािो दवारा यह पता चला ह वक असामानय वयिहार का एक

महतिपणथ तति दवषिया(dysfunction) ह जस- यवद कोई वयवकत अचछा तरना जानता ह और

िह पानी म जान स कािी डरता ह तो ऐस दवषियातमक वयिहार को असामानय वयिहार कहा

जायगा

अयोगयता एक ऐसी कसौिी ह वक जो कछ वयिहार क वलए सही ह न वक सभी तरह क

वयिहार क वलए जस पवलस सिा म भती क वलए वनिाथररत शारीररक ऊचाई का वकसी वयवकत म न

होना यह एक ऐसी अयोगयता ह वजस असामानय वयिहार म नही रखा जा सकता ह

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(ङ) अपरतिाशा(unexpected) की कसौटी- डविसन तरा नील (1996) न इस कसौिी को

असामानय वयिहार का एक महतिपणथ तति माना और िासति म असामानय वयिहार

पयाथिरणीय तनाि उतपनन करन िाल उददीपक क परवत एक तरह की अपरतयावशत अनविया

होती ह उदाहरण क वलए जब वयवकत आवरथक समपननता क बािजद भी अपनी आवरथक वसरवत

क बार म लगातार वचवनतत रहता ह और जब यह वचनता सामानय स अविक बढ जाती ह तो

उस वयवकत म वचनता रोग उतपनन हो जात ह लवकन सभी तरह क अपरतयावशत वयिहार को

असामानय वयिहार नही कहा जा सकता ह जस- रासत म जात समय अचानक साप दखकर

वचललाना एक अपरतयावशत वयिहार ह परनत इस हम असामानयता की शरणी म नही रख सकत

अतः असामानय वयिहार को समझन क वलए कई कसौवियो या दवषटकोण को समझना

आिशयक ह असामानय वयिहार िह वयिहार ह जो-

i जो सामावजक मानको स विचवलत या वभनन ह

ii जो वयवकत को कषट या तकलीि म डालता ह

iii जो समायोजन म कविनाई उतपनन करता हो

iv जो वयवकत क सार-सार समह और समाज क वलए भी समसयाऐ या सकि उतपनन करता हो

असामानय मनोविजञान या मनोविकवतत को समझन क वलए असामानय वयिहार की

विशषताओ को समझना अतयनत आिशयक ह--

1) असामानय वयिहार करन िाल वयवकत का समायोजन कािी खराब हो जाता ह वयवकत को जीिन की विवभनन पररवसरवतयो क सार समायोजन करना कािी मवशकल हो जाता ह जबवक

सामानय वयवकत का समायोजन अचछा होता ह

2) जो वयवकत मानवसक बीमाररयो स गरवसत होत ह उन वयवकतयो म मानवसक सतलन का अभाि रहता ह पल-पल म उनक मन क विचार बदलत रहत ह| य अपन विचार- भाि का िीक ढग

स परदशथन नही कर पात ह

3) असामानय वयवकतयो का वयिहार समाज विरोिी होता ह| ि समाज क वनयमा परमपराओ को

अविक महति नही दत ह इसवलए ि चोरी डकती हतया लिपाि बलातकार जस अपराि

करन म नही घबरात ह| सामावजक वनयमो का उललघन उनक वलए एक सािारण बात होती ह

4) असामानय लोगो म असरकषा डर की भािना अविक मातरा म पाई जाती ह| उनह अनय स हमशा नकसान का खतरा बना रहता ह

5) जो वयवकत मानवसक विकवतयो (बीमाररयो) स गरवसत होत ह उनक वयिहार म परायः सझ की कमी पाई जाती ह ऐस वयवकत उवचत अनवचत अचछ बर म अनतर नही कर पात ह

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6) मानवसक रप स बीमार वयवकतयो म आतम सममान का अभाि पाया जाता ह| उनम सिय क

परवत अचछी भािनाओ का अभाि पाया जाता ह उनम सिय क परवत हीनता का भाि रहता ह

जस- ि दवनया का सबस खराब वयवकत ह उसस कोई काम नही हो सकता आवद

7) असामानय वयवकतयो को अपन वकसी भी कायथ पर कोई पिाताप(remorse) नही होता ह ि यह

मानन को वबलकल तयार नही होत ह वक उनहोन कोई गलती की ह

8) वयवकतयो म सिगातमक वसररता(emotional stability) का अभाि पाया जाता ह| उनम

तनाि(stress) असिदनशीलता(insensitivity) अविक दखन को वमलती ह

9) मानवसक रप स बीमार वयवकतयो म सिय को उवचत रप स समझ सकन की कषमता का अभाि उतपनन हो जाता ह िह वकसी भी समसया या परशन क बार म िीक स समझ या सोच नही पाता

10) असामानय वयवकतयो म पिथ अनभि स लाभ उिान की योगयता का भी अभाि पाया जाता ह कयोवक उसम वयािहाररक अवसररता ि असनतलन पाया जाता ह

14 असामानय मनोविजञान स समबननिि परतयय अनक ऐस परतयय ह वजसका परयोग असामानय मनोविजञान क वलए या उनक सरान पर

वकया जाता ह जस-

bull नदावनक मनोविजञान(Clinical psychology)- नदावनक मनोविजञान का समबनि मानवसक

रोगो का िणथन िगीकरण वनदान तरा पिाथनमान स होता ह यह असामानय मनोविजञान का एक

महतिपणथ भाग ह इसका मखय उददशय असामानय वयिहार का अधययन मलयाकन उपचार एि

रोकराम ह

bull मनोरोग विजञान(Psychiatry)- मनोरोग विजञान को वचवकतसा विजञान की शाखा माना जाता

ह यह नदावनक मनोविजञान स घवनषठ रप स समबवनित ह इसम अनतर वसिथ इतना ह वक

मनोवचवकतसक असामानय वयिहार की पहचान एि उपचार वचवकतसाशासतर क समपरतयो क

आिार पर न कर वयािहाररक आिार पर करत ह

bull मनोविवकतसकीि समाविक कािय(Psychiatric social work)- यह भी असामानय

मनोविजञान स समबवनित विजञान ह इसका मखय उददशय सामावजक पररिश(social

environment) का विशलषण तरा पाररिाररक पररिश(family environment) एि

सामदावयक पररिश(communal environment) म वयवकत को समायोजन सरावपत करन म

सहायता परदान करना ह

bull मनोविकवत विजञान(Psychopathology)- मनोविकवत विजञान क अनतगथत असामानय

वयिहार का अधययन वकया जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 7

15 असामानय मनोविजञान की ऐतिहाससक पषठभसम असामानय वयिहार का अधययन कोई नया विषय नही ह बवलक इसका एक लमबा और

रोचक इवतहास ह अवत पराचीन काल म यदयवप असामानय वयिहार की कोई ऐवतहावसक पषठभवम का

उललख मनोिजञावनको क पास नही ह उस समय स लकर आज तक का असामानय मनोविजञान क

इवतहास को विसकर न तीन मखय भागो म बािा ह-

1 पिथ िजञावनक काल(pre-scientific era)

2 असामानय मनोविजञान का आिवनक उदभि(modern emergence)

3 आज का असामानय मनोविजञान

16 पिथ िजञातनक काल (परािन समय स लकर 1800 िक)

पिथ काल की शरआत परान लोगो दवारा असामानय वयिहार क अधययन स होती ह और

18िी शताबदी तक वकय गय सभी अधययनो को इसम शावमल वकया गया ह इस काल म मानवसक

रोवगयो एि उनक उपचार क बार म वचवकतसको एि लोगो क विचारो म एक अजीब उतार- चढा ाि

आया इस पिथ िजञावनक काल म चार भागो म बािा गया ह

1) पाषाण िग(stone age)- पराचीनकाल म गरीक चीन तरा वमसर आवद दशो क लोगो का

कहना रा वक जब वयवकत क परवत ईशवर की कपा दवषट समापत हो जाती ह तो ईशवर की ओर स

अवभशाप या दणड क रप म वयवकत म असामानय वयिहार विकवसत हो जाता ह पराचीनकाल

मानवसक बीमाररयो क परवत लोगो का विचार इस जीििाद स सबस जयादा परभावित हआ रा

इस विचारिारा क अनसार ससार की परतयक िसत जस- हिा पानी पड़-पौि आवद क भीतर

कोई अलौवकक जीि होता ह और इन सभी िसतओ म गवत इस वलए होती ह कयोवक उसक

भीतर दिता (अलौवकक शवकत) का िास होता ह जीििाद क अनसार वयवकत दवारा असामानय

वयिहार परदवशथत करन का मल कारण उसम वकसी आतमा या भत-परत का परिश कर जाना ह

अराथत जब वकसी वयवकत क शरीर पर वकसी बरी आतमा का अविकार हो जाता ह तो वयवकत

मानवसक रोग स गरसत हो जाता ह इस समय उपचार की दो विविया परचवलत री- अपदत

वनसारन टरीिाईनशन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 8

अपदत वनसारत विवि म विवभनन तकनीको क सहार बरी आतमा को बाहर वनकाला जाता

रा इसम परारथनाजाद-िोना शोरगल झाड़-िक कोडा लगाना भख रखना आवद परविविया

शावमल ह उस समय क वचवकतसको को विशवास रा वक इन सभी परविवियो को अपनान स

मानवसक रोग स गरवसत वयवकत का शरीर इतना कषटदायक या दःखद हो जायगा वक बरी आतमा

उसक शरीर को छोड़कर चली जाऐगी और वयवकत सिसर हो जायगा| बाद म इस विवि की लोक

वपरयता गरीस चीन वमसर क दशो क पजाररयो म जो उस समय(मानवसक रोगो क) वचवकतसक र

उनम कािी बढ़ गई

टरीिाइनशन विवि वजसम मानवसक रोग स गरवसत वयवकत को नकील पतररो स मारकर

वयवकत की खोपडी ा म छद कर बरी आतमा को बाहर वनकल जायगी और वयवकत सिसर हो जायगा

2) परारवमिक दशयन- आज स लकर लगभग 2500 िषथ पहल मानवसक रोगी तरा असामानय

वयिहार क समबनि म एक वििकी और िजञावनक विचारिारा का जनम हआ इसका शरय गरीक

वचवकतसक वहपपोििस को जाता ह मानवसक रोगो क समबनि म वहपपोििस न एक

िावनतकारी विचारिारा वयकत करत हए कहा ह वक मानवसक या शारीररक रोगो की उतपवतत

कछ सिाभाविक कारणो स होती ह न वक शरीर क भी कछ बरी आतमा क परिश कर जान स

इन परारवमभक एि वचवकतसकीय विचारिाराओ को वनमन म बािा गया ह-

वहपपोििस क अनसार शारीररक या मानवसक रोगो की उतपवतत कछ सिाभाविक कारणो स

होती ह और ऐस रोवगयो को मानिीय दखभाल की आिशयकता पर जोर वदया इनक अनसार सभी

बौविक वियाओ का कनरीय भाग मवसतषक होताह और इस तरह मानवसक बीमाररयो का मल

कारण मवसतषकीय मनोविकवत ह उनका मानना ह वक मवसतषक म आघात होन पर वयवकत म सिदी

तरा पशीय कायो स समबवनित बीमाररया उतपनन हो सकती ह सार ही पयाथिरणीय कारको को भी

इसस जोडा ा और कहा वक ऐस मानवसक रोवगयो को एक सिचछ िातािरण म रखा जाना चावहए

तावक उनह रोग स जलद स जलद छिकारा वमल सक

कछ खास बीमाररयो जस वहसिीररया क बार म बताया वक यह बीमारी वसिथ लड़वकयो म

होती ह यदयवप वहपपोििस क विचारो की मानयता आजकल नही रह गई ह विर भी उनक विचार

उस समय इतन िावनतकारी र वक मानवसक रोग क समबनि म दषट-आतमा-सबिी विचार समापत हो

गए और उसी जगह इन रोगो क समबनि म एक सिसर वििकी एि िजञावनक दवषटकोण की शरआत

हो गई

पलिो एि अरसत का योगदान-

पलिो का विचार ह वक मानवसक रोगी अपन अपरािजनय वियाओ क वलए परतयकष रप स

वजममदार नही होत ह अतः उनह सामानय अपरावियो की तरह दवणडत नही वकया जाना चावहए

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 9

बवलक उनक परवत माननीय दवषकोण अपनान उनक सग-सबवियो दवारा उन पर वनगरानी रख जान की

आिशयकता तरा मानिीय ढग स वयिहार करन की आिशयकता पर जार वदया पलिो न अपनी

परवसि पसतक lsquoररपवबलकrsquo म बौविक एि अनय कषमताओ समबि ियवकतक वभननता क महति पर

विशष बल वदया और बताया वक वयवकत का वयिहार एि वचनतर सामावजक कारको दवारा कािी हद

तक वनिाथररत होत ह इन सभी आिवनक विचारो क बसिजद भी पलिो का विचार रावक मानवसक

रोग तरा असामानय वयिहार अशतः दविक कारको दवारा भी होता ह

उततर गरीक एस रोमनिावससयो का योगदान-

वहपपोििस क बाद गरीक एि रोमन वचवकतसा मानवसक रोवगयो एि असामानय वयिहारो क

अधययन म उनक दवारा बताए गए मागथ का अनसरण करत रह इनम मखयतः वमशर क वचवकतसा

विजञान म कािी परगवत हई और यहा क अनक मवनदरो एि वगररजाघरो को पररम दज क

आरोगयशाला म बदल वदया गया जहा क सखद मनोरम एि आननददायक िातािरण म मानवसक

रोवगयो को रखन को विशष पराििान वकया गया कछ रोमन वचवकतसको एसकलवपयडस न सबस

पहल तीवर एि गमभीर (वचरकावलक) मानवसक रोगो क बीच अनतर सपषट वकया तरा भरम-विभरम

तरा वयामोह क बीच अनतर वकया वससरो ऐस ही पहल वचवकतसक र वजनहोन बताया वक

शारीररक रोगो की उतपवतत म सािवगक कारको की भवमका अविक होती ह बाद म ऐरवियस न

बताया वक उनमाद तरा विषाद एक ही बीमारी की दो मनोिजञावनक अवभवयवकत ह इनक अनसार जो

लोग वचड़वचडा होत ह आिोशी होत ह उनम उनमाद और जो लोग ससत ि गमभीर परकवत क होत

ह उनम विषाद जस मानवसक रोग होन की समभािना अविक होती ह गलन ऐस वचवकतसक र

वजनहोन मानवसक रोग को मलतः दो भागो म बािा-शारीररक कारण और मानवसक कारण मानवसक

कारणो म कषवतगरसत हो जाना अविक नशा करना भय आवरथक मनदता तरा परम म वनराशा आवद

मखय ह

जब गरीस एि रोम सभयता का सयथ असत होन लगा रा तो इन दशो क दाशथवनको एि

वचवकतसको दवारा मानवसक एि असामानय वयिहार क बार म बताए गस विचार परभािहीन होन लग

और विर लोगो न मानवसक रोग को कराण दषट आतमा का शरीर म परिश कर जाना एि दिीय

परकोप माना इस मनोविजञान क इवतहास म अनिकार का यग कहा जाता ह

इसलावमक दशो क गरीक विचारो की मानयता इस समय कछ इसलावमक दशो म असपताल

क गरीक वचवकतसको की विचारो का परभाि पड़ा और बगदाद म पहला मानवसक असपताल खोला

गया इन मानवसक असपतालो म रोवगयो क सार मानिीय वयिहार करन तरा उपचार क मानिीय

ढगपर अविक बल वदया गया इसलावमक वचवकतसा विजञान क सबस परमख वचवकतसक एविवसना

र वजनह वचवकतसको का राजकमान कहा जाता ह इनहोन अपनी पसतक lsquoवद कनन ऑि मवडवसनrsquo

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 10

म कछ मानवसक रोगो जस वहवसरया वमरगी उनमाद आवद का िणथन वकया और इसस मानिीय

उपचार को बड़ािा वमला

3) मधि िग- परारवमभक दाशथवनक और मधय यग मानवसक रोवगयो क वचार लगभग एक जस र

गरीस एि रोमन सभयता क सयाथसत होन क बाद मधय यग क परारमभ तक लोग मानवसक रोवगयो

म वसी शतानी आतमा या ईशवरीय परकोप का परिश मानत रह मधय यग क उततरािथ म असामानय

वयिहार म एक नई परिवतत दखी गई िह भी सामवहक पागलपन की परिवतत यह बीमारी यरोप क

बड़ भाग म िल गई सामवहक पागलपन की महामारी म जस ही वकसी वयवकत म वहसिीररया क

लकषण वदखाई दत र दखत ही दखत अनय लोग भी इसस परभावित होन लगत र और सभी

अपन घरो स बाहर आकर उछलना रोना एक-दसर क कपड़ िाड़ना आवद शर कर दत र

बाद म विर िही पराना तरीका जस परारथना झाड़ िक कोडा स वपिाई भखा रहना आवद

अपनायो जान लग इस यग क अनत तक लोगो का ईशवर विशवास कािी सदढ़ हो गया इनक

अनसार दषट आतमा का आविपतय दो तरह स होता ह पहला यह वक वजसम वयवकत को अन

पापो क कारण ईशवर क अवभशाप क रप म कोई दषट आतमा वयवकत को उसकी इचछा क विरि

उस पकड़ लता ह और शारीर म परिश कर उसम मानवसक रोग उतपनन करता ह अपनी

इचछानसार दषट आतमा स दोसती कर लता ह और असामानय वयिहार करन लगता ह और

वयवकत शतान क सार वमलकर उसकी अलौवकक शवकत परापत कर भयानक सामावजक उपरि

करता ह इस तरह क रोवगयो को जादगर या डाइन समझा जान लगा इनका उपचार करन क

वलए इनह किोर शारीररक दणड वया जाता रा िलसिरप मधय यग म असामानय वयिहार एि

मानवसक रोग क कषतर म एक तरह स अिकार ही रहा न तो मानवसक रोवगयो क उपचार को

कोई तरीका वनकाला गया और न ही कोई मानिीय मनोिवतत अपनाई गई

15िी शताबदी क उततरािथ म लोगो का विशवास कािी सदढ़ हो गया वक दषट आतमा का

आविपतय दो परकार का होता ह-एक अविपतय िह होता ह वजसम वयवकत क अपन पापो को उसकी

इचछा क विरि उस पकड़ लता ह और शरीर म परिश कर उसम मानवसक रोग उतपनन करता ह या

उस पागल बना दता ह तरा दसरा अविपतय िह होता ह वयवकत अपनी इचछानसार दषट आतमा स

दोसती कर लता ह और असामानय एि असगत वयिहार करन लगता ह इस दसर तरह क वयिहार म

वयवकत शतान क सार वमलकर उसकी अलौवकक शवकत परापत करता ह इस तरह क मानवसक रोवगयो

को जादगरनी या डाइन समझा जान लगा 15िी शताबदी क अनत तक इन दोनो तरह क मानवसक

रोवगयो म इस तरह का अनतर समापत हो गया और सभी मानवसक रोवगयो को जादगर या डाइन

समझा जान लगा िलतः उनका वयिहार भी किोर स किोर शारीररक दणड दकर जस उनह कोडा

मारकर उनक कछ अगो को जलाकर वकया जाना रा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 11

मधय यग म मानवसक रोग एि असामानय वयिहार क अधययन क कषतर म एक तरह स

अिकार ही अिकार रहा इस यग म उपचार का कोई भी िजञावनक तरीका नही वनकल पाया और न

ही इन मानवसक रोवगयो क परवत कोई मानिीय तरीका या मनोिवतत ही अपनाई गई

4) मानिीि दविकोण- 16िी शताबदी क परारमभ म ही मानवसक रोवगयो क परवत अमानिीय

वयिहार क विरि आिाज उिन लगी री और कहा जान लगा वक यह एक बीमारी ह और

इसका उपचार मानिीय ढग स वकया जाना चावहए इस दवषटकोण क अनतगथत वजन वचकतसको

न अपना योगदान वदया उनका नाम असामानय मनोविजञान क इवतहास म सिणाथकषरो म वलया

गया- असामानय रोवगयो क परवत मानिीय दवषटकोण अपनान िाल परमख वचवकतसक

पारासलसस जोहान ियर रवजनालउ सकाि विवलप वपनल आवद मखय ह इन लोगो न जब वभनन

जगहो पर रख गए ऐस मानवसक रोवगयो की दशा दखी तरा उन पर वकए गए शारीररक

अतयाचार का गहन रप स वनरीकषण वकया और सपषट वकया वक मानवसक रोग वकसी बरी आतमा

क परभाि क कारण नही होता ह बवलक यह एक परकार का रोग ह परारमभ म लोगो न इनका

मजाक उडाया लवकन मानिीय उपचार क बाद जब पररणाम अचछ वनकल तरा रोगी िीक होन

लग तो सभी लोगो न मानिीय उपचार का सिागत वकया और उनाक सार दन लग

सपषट ह वक असामानय मनोविजञान क इवतहास म उतार-चढाि आया परारमभ म लोगो न

असामानय वयिहार की वयाखया जीििाद दवारा की वजसम मानवकसक रोग का कारण बरी आतमा ि

दिीय परकोप माना बाद म वहपपोििस क अनसार मानवसक रोग कछ सिाभाविक कारणो स होता

ह मधय यग क अनतक असामानय वयिहार क परवत मानिता का दवषटकोण अपनाया

इस दवषटकोण क अनतगथत वचवकतसको न अपना योगदान वदया ह उनाक नाम असामानय

मनोविजञान क कषतर म सिणाथकषरो म वलखा गया ह-

1) असामानय क परवत मानिीय दवषटकोण अपनान िाल एक परमख वचवकतसक पारासलसस (1490-1541) जो सपवनश वचवकतसक र इनहोन सभी तरह क मानवसक रोवगयो एि सािवगक

रप स कषबि वयवकतयो क मानिीय उपचार पर बल वदया रा इनका मानना रा वक मधययग का

नतय उनमाद वकसी दषट आतमा क शरीर म परिश क कारण नही होता रा बवलक या एक तरह

का रोग ह वजसका उपचार मानिीय ढग स होना चावहए रा

2) जोहान ियर (1515-1588)- जो एक जमथन वचवकतसक र न वभनन-वभनन जगह पर कदी क

रप म रख गए मानवसक रोवगयो की दशा दखी तरा उन पर वकय गय शारीररक अतयाचार का

गहन रप स अधययन वकया और बताया वक उनका सही उपचार वसिथ मानिीय तरीक स हो

सकता ह

3) मानवसक रोवगयो क परवत सही अरथ म मानिता का दवषटकोण एक फर च वचवकतसक विवलप वपनल(1745-1826) वजनह आिवनक मनोरोग विजञान का जनक भी कहा जाता ह क सिीय

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 12

परयासो स परारमभ हआ वपनल को जब पररस क मानवसक असपताल ला विसिर का परभारी

बनाया पर गरहण करत ही उनहोन सबस पहल असपताल क मानवसक रोवगयो को जजीरो स

मकत कराया और उनक सार मानिीय वयिहार करन क आदश वदय उनह हिा ि रोशनी स यकत

कमर म रखा जाए िलसिरप मानवसक रोवगयो दवारा पहल की जा रही शोरगल ि उततजना क

कािी कमी आ गई और उनहोन उपचार म सहयोग करना परारमभ कर वदया और कािी

उतसाहजनक पररणाम सामन आय इस तर फरॉस ससार का पहला दश बन गया जहा मानवसक

रोवगयो क सार मानिीय वयिहार कर उनका उपचार वकया जान लगा और इसका परभाि ससार

क अनय दशो म भी पड़ा

17 असामानय मनोविजञान का उदभि (1801 स 1950 िक)

वपनल तरा िकथ दवारा की गई मानिीय उपचार विवियो न असामानय मनोविजञान क

इवतहास म पर ससार म हलचल मचा दी अमररका म इस हलचल की अवभवयवकत बमजावमन रश क

कायो दवारा होती ह इनहोन पवनसलिवनया असपताल म 1783 म कायथ शर वकया और 1976 म

मानवसक रोवगयो क उपचार करन क खयाल स एक अलग रोगी ककष बनिाया जहा उनक मनोरजन

क तरह-तरह क सािान रख गए तावक रवचकर कायो को करन की ओर ि परररत हो और उनक सार

अविक स अविक मानिीय वयिहार पर बल वदया

अमररका म 19िी शताबदी क परारमभ म एक विशष आनदोदलन की शरआत एक मवहला

सकल वशवकषका डोरवरया वडकस (1802-1887) क सराहनीय परयासो स हआ दवषटकोण अपनान

की बात की वजनक अरक परयासो स मानवसक असपतालो म रख गए रोवगयो क सार वकय जान

िाल अमानिीय वयिहार म कमी आई और मानिीय वयिहारो म िवि हई इनहोन अपन

जीिनकाल म 32 मानवसक असपताल खलिाय और मानवसक रोवगयो स समबवनित सराहनीय एि

मानितापणथ कायथ करन क वलए अमररका सरकार न वडकस को 1901 म पर इवतहास म मानिता का

सबस उततम उदाहरण बताया

अमररका क अवतररकत (1800-1950) म फरास जमथनी तरा आसटरीया म भी असामानय

मनोविजञान क कषतर म महतपणथ कायथ वकय वजसम फरानस क मसमर का नाम उललखनीय ह इनक

बहमलय परयासो एि कायो क पररणामसिरप मनोसनायविकवत को असामानय मनोविजञान म एक

अलग एि विशष रोग माना जान लगा बाद म पररस क एक असपताल क परवतभाशाली तवतरका

विजञानी शाको र वजनहोन वहसिीररया जस मानवसक रोग का उपचार सममोहन दवारा सिलता पिथक

वकया इनहोन मानवसक रोगो का मखय मवसतषकीय अघात को माना असामानय मनोविजञान क कषतर

म शाको का सबस महतिपणथ योगदान पररस क एक मशहर वशकषक क रप म रहा वजनका मखय

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 13

कायथ छातरो को (जो बाद म मनोविजञान एि मनोरोग विजञान म एक महतिपणथ वयवकत हए) परवशवकषत

करना रा उनक छातरो म दो छातर ऐस र वजनक परवत हम आभारी ह- वसगमणड िायड (1856-

1939) तरा पाइर जनि

फरास क अलािा जमथनी म भी असामानय मनोविजञान क कषतर म उललखनीय कायथ हए ह

वजसम विवलहमस वगरवसगर और इवमल फरपवलन का नाम उललखनीय ह इन दानो वचवकतसको न

मानवसक रोगो का एक दवहक आिार मानत हए इस बात पर बल डाला वक मानवसक बीमारी भी

वकसी अग विशष म विकवत होन पर शारीररक बीमारी होती ह उसी तरह स मानवसक बीमारी भी

वकसी अग विशष म विकवत क िलसिरप होती ह

विवलहलम वगरवसगर न 1845 म अपनी पसतक दढ़तापिथक वक मानवसक रोगो का मखय

कारण दवहक होता ह इनहोन वभनन वभनन लकषणो क आिार पर मानवसक रोगो को अलग-अलग

भागो म बािा और इनक लकषणो तरा उतपवतत क कारणो का विसतत उललख वकया इनहोन उतसाह-

विषाद मनोविकवत जस मानवसक रोगो को बताया जो आज भी इनही क नाम जाना जाता ह

19 िी शताबदी म आसटरीया म वसगमणड फरायड जो एक महतिपणथ तवतरका विजञानी तरा

मनोरोग विजञानी र न महतिपणथ कायथ वकया फरायड पहल ऐस मनोरोग विजञानी र वजनहोन मानवसक

रोगो क कारणो की वयाखया म दवहक कारको क महति को कम एि मनोिजञावनक कारको को

अविक महति वदया असामानय मनोविजञान क कषतर म फरायड का योगदान मकत साहचयथ विवि

अचतन सिपन- विशलषण मनोलवगक वसिानत मनोरचनाए परमख ह इनक अनसार सममोवहत अिसरा

म रोगी वबना वकसी वहचवकचाहि क अपन सिगो सघषो एि भािनाओ को परकि करता ह उनहोन

अपन अनभिो एि रोवगयो क वनरीकषण क आिार पर यह भी बतलाया वक अविकतर मानवसक

सघषथ तरा वचनता का सरोत अचतन होता ह ऐस मानवसक सघषथ दविनता एि दःखद अवभपररको एि

सिगो को वयावकत अपन चतन स हिाकर अचतन म दवमत कर दता ह इस फरायड न दमन की सजञा

दी इसक बाद फरायड की खयावत ससार क चारो ओर िलन लगी और दर-दराज स लोग वशकषा परापत

करन यहा आन लग इनक वशषयो म कालथ यग और अलफरड एडलर का नाम उललखनीय ह बाद म

इन लोगो न फरायड स अपना समबनि तोड़कर सिततर रप स एक नय मनोविजञान की शरिात की

कालथ यग न मनोविजञान का नाम विशलशाणातमक मनोविजञान और एलफरड न ियवकतक मनोविजञान

रखा जब फरायड 53 िषथ क र तो सिनल हॉल 1909 म अमररका कलाकथ विशवविदयालय म 20िी

िषथगाि पर उनह भाग लन क वलए बलाया गया जाहा उनहोन मनोविशलषण पर कई वयाखयान वदय

और अमररकन मनोिजञावनको पर उनक वयाखयानो का कािी परभाि पड़ा लगभग 83 िषथ की आय

म उनकी मतय हई

असामानय मनोविजञान क कषतर म वसििजरलणड क एडॉलि मयर न मानवसक रोवगयो पर

मनो जविक दवषटकोण की विचारिारा को जनम वदया इनक अनसार असामानय वयिहार शारीररक

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 14

और मानवसक दोनो कारणो स होता ह और इनका उपचार मानवसक तरा दवहक दानो आिारो पर

वकया जाना चावहए मयर मनोजविक वसिानत क अनसार मानवसक रोग की उतपवतत म वयवकत का

सामावजक िातािरण एक महतिपणथ कारक होता ह इनक अनसार मानवसक रोवगयो का उयकत

वचवकतसा तभी समभि ह जब उसक जविक पदारो जस-हारमोनस वििावमन को सतवलत करत हए

उसक घरल िातािरण क अनतर पारसपररक समबनिो को भी सिारा जाए मयर क वलए मानवसक

रोवगयो का उपचार रोगी इन दोनो क सौहादथपणथ एि अचछ समबनिो पर वनभथर करता ह उपचार क

इस तरह की परविवि का उपयोग आज भी सिलतापिथक वकया जा रहा ह

मयर का विचार रा वक असमानयता को समझन क वलए एक समपणथ दवषटकोण अपनाना

जररी ह अराथत असामानयता का अधययन जविक मनोिजञावनक और सामावजक तीनो दवषटकोणो स

करना आिशयक ह

18 आज का असामानय मनोविजञान (1651 स लकर आज िक)

1900 स 1950 तक मानवसक असपताल ही मानवसक रोवगयो क उपचार का मातर सहारा

बना रहा लवकन िीर-िीर मानवसक असपतालो दवारा विर िही वयिहार अपनाया जान लगा

िलसिरप उनका मानवसक रोग कम हान क बजाए बड़ाता चला गया कछ लोग इस दौरान मर भी

जात र वकशकर (1985) न ऐस मानवसक असपतालो का िणथन करत हए कहा ह वक मानवसक

रोवगयो को इन असपतालो म एक छोि स कमर म रखा जाता रा कमर म िप हिा न क बारबर री

उनह आिा पि खाना वदया जाता रा असपताल क अविकाररयो दवारा उनक सार गाली-गलौज

तरा लड़वकयो क सार दह वयापार कराना आवद सामानय रा िलतः मानवसक असपताल म रोवगयो

को रखन क परवत लोगो की मनोिवतत खराब हो गई आजकल अमररका म इन मानवसक असपतालो

की जग सामदावयक मानवसक सिासय कनरो न ल वलया ह इन कनरो का मखय उददशय रोवगयो का

अमानिीय ढगस उततम उपचार करना ह इन कनरो दवारा मखयतः पाच तरह की सिाए दी जाती ह

bull चौबीस घिा आपतकालीन सिा

bull अलपकालीन असपताली सिा

bull अशकावलक असपताली सिा

bull िाहय रोवगयो की दखभाल

bull परवशकषण एि परामशथ कायथिम

अमररका ि कनाडा म आजकल सामदावयक मानवसक सिासय कनर का एक निीन रप

सकिकालीन हसतकषप कनर भी कहा जाता ह विकवसत हआ इन कनरो का मखय उददशय मानवसक

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 15

रोवगयो को सहायता पहचाना ह आजकल हॉि लाइन दरभाश कनर दवारा वचवकतसक रात या वदन क

वकसी भी समय मातर दरभाश स सचना परापत कर मानवसक रोवगयो का उपचार करन क वलए ततपर

रहत ह इस तरह का दरभाश कनर सबस पहल अमररका म लॉस एवजलस क वचलरन हॉवसपिल म

शर वकया गया और इसकी सिलता स परभािवत होकर अमररका क बड़-बड़ शहरो एि

विशवदयालयो क कमपस म इस तरह की आपातकालीन सिा परदान करन क वलए य कनर खोल गय

और विशव क अनय दशो म भी इस तरह क कनर खोल जा रह ह

19 साराश असामानय मनोविजञान की एक महतिपणथ एि उपयोगी शाखा ह इसका मखय उददशय वयवकत

क असामानय वयिहारो तरा मानवसक परवकियाओ का िसतवनषठ ढगस अधययन करना ह

आजकल इस मनोविकवत विजञान भी कहा जान लगा ह जस-जस हम विवभनन कषतरो म अविकाविक

सिलत हावसल करत जा रह ह िस-िस पहल की अपकषा आज हम तनाि वचनता असतोष

कसमाचोजन तराअनय अनक मानवसक विकारो स अविक परभािवत हो रह ह सिय कोलमन क

शबदो म-सतरहिी शताबदी जञान की अििारहिी शताबदी तकथ की उननीसिी शताबदी परगवत की और

बीसिी शताबदी वचनता का यग ह

ज0जी0 फराजर न बड़ ही रोचक ढग स मानि क बौविक उतपादन क अवतहास क समबनि

म एक सनदर उदाहरण परसत वकया इनक अनसार आज क बविमान वयवकत क इवतहास की तलना

एक ऐस कपडा स की जा सकती ह वजसकी बनाई तीनो रगो क िागो क माधयम स हई ह काला

लाल ि सिद िाग काल िागा जाद लाल िागा िमथ ि सिद िागा विजञान का परतीक ह इस तरह

इवतहास अनक घिनाओ की एक शरखला ह और यह बात असामानय मनोविजञान क वलए वबलकल

सतय ह आज इस आिवनक या िजञावनक यग स पहल असामानयता को जाद-िोन या दिी-दिताओ

क परकोि क रप म समझा जाता रा मानवसक विकवतयो का इवतहास मानि इवतहास क सार ही

जडा ा ह अतः असामानय मनोविजञान को समझन क वलए हम उस पषठभवम को भी समझना पडागा

वजसक दवारा असामानय मनोविजञान को परतयकष या परोकष रप स योगदान परापत हआ ह

110 शबदािली bull पररपरकषि सदभथ

bull कसमािोविि दोषपणथ सामानजसय

bull सािदी इवनरयो दवारा अनभवत

bull इसलावमक दश मवशलम दश

bull उनमाद वियाओ का बढ़ना (उतसाह)

bull अपदि बरी या दषट आतमा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 16

bull अशािः कल मातरा म

bull अलवकक शवि दिी दिता आवद

bull कषविगरसि दघिथनागरसत

bull नदावनक मनोविजञान मनोविजञान की िह शाखा जो मानवसक रोगो का वनदान करत ह

bull मनोिजञावनक दवरकरिा दघथनागरसत

111 सिमलयाकन हि परशन bull बहविकलपीय परशनो क उततर दीवजए-

1 असामानय मनोविजञान क इवतहास म पिथ िजञावनक काल कब स कब तक रहा a) परानत समय स 1200 ई0 तक

b) परातन समय स 1800 ई0 तक

c) परातन समय स 1600 ई0 तक

d) परातन समय स 1400 ई0 तक

2 इसलावमक वचवकतसक एविवसना की पसतक का कया नाम रा a) वद कनन ऑि मवडवसन

b) वद एबनारमल वबहवियर c) वद इनिरवपरिशन आि डीम

d) वद हयमन टरीिमनि

3 मनोविजञान क इवतहास म मधययग को कहा जाता ह a) सामावजक यग

b) मानिीय यग

c) अिकार यग

d) ऐवतहावसक यग

4 फरायड न मानवसक रोवगयो की वचवकतसा हत वकस विवि का परवतपाद वकया a) विरचन विवि

b) मनोविशलषणातमक विवि

c) मनोिजञावनक विवि

d) वयिहारातमक विवि

5 मानवसक सिासय विजञान आनदोलन की शरआत सबस पहल वकसन की

a) डोरवरया वडकस न b) फरायड न c) यग न d) िािसन न

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 17

bull सही गलत बताएय-

6 एबनामथल शबद की उतपवतत एनोवमलास शबद स हई ह| 7 असामानय मनोविजञान को आजकल मनोविकवत विजञान क नाम स जाना जाता ह

8 सॉप क दखकर वचललना असामानयता की शरणी म आता ह

9 पाषाण यग म रोवगयो क उपचार की दो मखय विविया अपदत वनसारन विवि और टरीिाईनशन

विवि परचवलत री

10 पलिो की परवसि पसतक का नाम वद ररपवबलक रा| 11 इसलावमक वचवकतसा विजञान क परमख वचवकतसक का नाम अरसत रा 12 जोहान ियर एक यनानी वचवकतसक र 13 विवलप वपनल को आिवनक मनोरोग विजञान का जनक कहा जाता ह

14 फरायड क वशषयो म कालथ यग और एडलर का नाम उललखनीय ह

15 कालथ यग न मनोविजञान का नाम ियवकतक मनोविजञान औा एडलर न विशलषणातमक मनोविजञान

रखा

उततर 1) परातन समय स 1800 ई0 तक 2) वद कनन आि मवडवसन

3) अिकार का यग 4) मनोविशलशणातमक विवि 5) डोरवयया वडकस न

6) सही 7) सही 8) गलत 9) सही 10) सही 11) गलत

12) गलत 13) सही 14) सही 15) गलत

112 सनदभथ गरनर सची bull डॉ0 अरण कमार वसह आिवनक असामानय मनोविजञान मोती लाल बनारसी दास परकाशन

वदलली

bull डॉ0 आर0एन0 वसह आिवनक असामानय मनोविजञान परकाशन अगरिाल पवबलकशनस

bull डॉ0 मोहममद सलमान असामानय मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास नई वदलली

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ गोविनद वतिारी असमानय मनोविजञान परकाशन विनोद पसतक मवनदर

आगरा

113 तनबनिातमक परशन bull अवत लघ उततरीय परशन (एक पवकत म उततर दीवजय)

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 18

1 एबनामथल शबद की उतपवतत कस हई

2 फरायड क गर का कया नाम रा

3 मनोविशलषण विवि वकसक नाम स जानी जाती ह

4 कालयग और एडलर वकसक वशषय र

5 सिनल हॉल वकस विशवविदयालय म कायथरत र

bull लघ उततरीय परशन-

1 असामानय मनोविजञान स आप कया समझत ह

2 असामानय मनोविजञान स समबवनित परतयय कया ह

3 पिथ िजञावनक काल म मानवसक रोवगयो का उपचार वकस तरह वकया जाता रा 4 असामानय मनोविजञान क कषतर म डोरवरया वडकस क योगदान का िणथन कीवजए

5 अमररका म असामानय रोवगयो की दखभाल क वलए आजकल वकस तरह क कनरो की सरापना

की गई ह

वदघथ उततरीय परशन-

1 पिथ िजञावनक काल म असामानय मनोविजञान क इवतहास का िणथन कीवजय

2 मनोविजञान क कषतर म परारवमभक दशथन (पलिो और अरसत) का कया योगदान ह

3 1801 स 1950 (AD) तक असामानय मनोविजञान क कषतर म होन िाल विकास का िणथन

कीवजय

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 19

इकाई-2 सामानय और असामानय मनोविजञान म अनिर असामानयिा की विशषिाए

21 परसतािना

22 उददशय

23 असामानय मनोविजञान कया ह

24 सामानय वयिहार एि वयवकतति का अधययन

25 असामानय वयिहार की उतपवतत

26 सामानय एि असामानय मनोविजञान म अनतर

27 असामानयता की विशषताए

28 साराश

29 शबदािली

210 सिमलयाकन हत परशन

211 सनदभथ गरनर सची

212 वनबनिातमक परशन

21 परसिािना असमानय मनोविजञान की एक एसी शाखा ह वजसम असामानय वयिहार एि मानवसक

परवियाओ का अधययन वकया जाता ह तरा इसकी विषय िसत मल रप स अवभयोवजत वयिहारो

वयवकततति अशावनत एि विघवित वयवकतति का अधययन करन एि उपचार क तरीको पर विचार स

सामबवनित ह

पहल की तलना म आज हम तनाि वचनता असतोष कमसमायोजन तरा अनय मानवसक

विकारो एि समसयाओ स बहत परभावित ह भौवतक सख-सवििाओ म अतयविक िवि क बािजद

भी आज वयवकत सिय स खद स परायः िम सनतषट ह िह वजतन मानवसक विकारो स पीवड़त ह उतना

वकसी अनय चीजो स नही

परवसि मनोिजञावनक कोलमन क अनसार सतरहिी शताबदी जञान का यग रही ह अििारहिी

शताबदी तकथ का यग उननीसिी शताबदी परगवत का यग और बीसिी शताबदी वचनता का यग ह

अराथत मानवसक सिासय की दवषट स आन िाला समय चनौतीपणथ होगा इसका मखय कारण मनषय

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 20

की बढ़ती हई इचछाए आकाकषाए ह वजसक कारण वयवकत मलयो और दवदव म उलझता जा रहा ह

िलसिरप हमार सामन वयािहाररक समायोजन की समसया विकि रप लती जा रही ह

22 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull असामानय मनोविजञान क बार म बता सक ग

bull असामानय मनोविजञान वकस कहत ह क बार म बता सक ग|

bull सामानय एि असामानय मनोविजञान क अनतर क बार म बता सक ग|

bull असामानयता की विशषताओ क बोर म बता सक ग

bull सामानयता एि असामानयता ज जड़ विवभनन पहलओ क बार म बता सक ग

23 असामानय मनोविजञान कया ह सामनयतः सामानय और असामानय शबद को दो भागो म बािा गया ह- सामानय शबद लविन

भाषा क नॉरमा (Norma) शबद स बना ह वजसका अरथ ह बढ़ई का सकल वजस तरह स बढ़ई अपन

सकल का परयोग करक यह वनवित करता ह वक वकस पररवसरवत म कया सामानय मापन होगा िीक

उसी अरथ म (Normal) का शबद का परयोग मानक क वलए वकया जाता ह

Abnormal शबद की उतपवतत Anomelos शबद स हई ह (Ano+Melos=Not

Regular) अराथत जो वनयवमत नही ह अतः हम कह सकत ह वक असामानय वयिहार िह वयहार ह

जो अवनयवमत ह Abnormal शबद का शावबदक अरथ सामानय स दर हिा हआ अराथत िह

वयिहार जो सामानय स दर हिा हआ वयिहार

असामानय शबद का अरथ जो समानय नही ह या असामानय स वभनन ह वकसकर क अनसार

ि मानि वयिहार एि अनभवतया जो सािारणतः अनोख असािारण या परक ह असामानय समझ

जात ह अतः असामानय मनोविजञान मनोविजञान की िह शाखा ह वजसम असामानय वयिहार या

असामानय वयवकतति का अधययन वकया जाता ह यह हावनकारक ह असामानय वयिहार का

अधययन सामानय मनोविजञान की विवियो परतयय वनयमो खोजो आवद क आिार पर ही वकया

जाता ह असामानय मनोविजञान म अनक परकार की असामानयताओ का अधययन जसा - असामानय

पररणातमक वियाए असामानय मनोगतयातमक परवियाए और असामानय वयवकत जस- मानो

विवकषपतता चररतर दोष मानवसक दबथलता आवद वयिहारो का अधययन वकया जाता ह

असामानय मनोविजञान म हम मनोविजञान की विषय सामगरी म वनमन चीजो को सवममवलत

करत ह-

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 21

1 असामानय वयवकत क पयोिरण का अधययन करत ह इसक अनतगथत असामानय वयवकत क चारो ओर की पररसरवतया िसतए तरा उसकी िाहय एि आनतररक वसरवतया आवद आती ह

2 वयवकत पररवसरवतयो क परवत जो मानवसक परवतविया करता ह उस अनभवत कहत ह असामानय मनोविजञान मखय रप स असामानय अनभवतयो का अधययन करता ह

3 वजन वियाओ का समबनि दोषपणथ समायोजन स होता ह उस असामानय वयिहार कहत ह य

वयिहार आनतररक और िाहय दोनो हो सकत ह असामानय वयिहारो को वनमन तीन िगो म

विभावजत वकया जा सकता ह

(क) ि वयिहार क कसमायोजन उतपनन करत ह (ख) ि वयिहार वजनम कसमायोजन क लकषण विदयमान होतो ह (ग) ि वयिहार जो कसमायोजन क पररणामसिरप ही होत ह

अतः असामानय मनोविजञान मनोविजञान की िह शाखा ह जो मखयतः उप वयवकतयो का

अधययन करता ह जो मानवसक रप स विकत होत ह उनक वयिहार म इतनी अविक वभननता होती

ह वक उनह सामानय वयवकत की शरणी म नही रखा जा सकता ह असामानय मनोविजञान क मखयतः दो

रप होत ह-सिावनतक और वयािहाररक कौन सी विशषताओ क कारण अमक वयवकत असामानय ह

या उसक कौन सा रोग ह यह सिावनतक रप ह परनत वयािहाररक रप स यह किल विवभनन

मानवसक ि शारीररक रोगो का िणथन मातर ही नही कराता बवलक यह भी बताता ह वक इसका वनदान

कस हो कौन-कौन सी अचारातमक पिवतया को उपयोग वकया जाए वयािहाररक शाखा क

अनतगथत सामानय ि असामानय दोनो परकार क वयवकतयो को लाभ पहचता ह सामानय वयवकत य जान

लता ह वक कौन-कौन सी विशषताओ लकषणो तरा कारणो स मानवसक अिरोि उतपनन या

विकावसत होता ह दसरी और यह भी बताता ह वक असामानय वयवकतयो या रोवगयो क सार

अनवचत वयिहार नही करना चावहए बवलक उसक सार एसा वयिहार करना चावहए वजसस वक िह

िीक हो सक एक सामानय वयवकत की तरह जीिन वबता सक

एक सिकषण क अनसार हमार यहा मनसताप मनोदवहक विकार मनोविवकषतरता

चारररवलक विकवत नशा मवतसषकीय वििवत मानवसक दबथलता क रोवगयो की सखया म वनरनतर

िवि हो रही ह कयोवक आज विशव क सभी दशो म बकारी घणा तनाि सघषथ वचनता एि दिाब

जस मल कारको की मातरा म कारको म मातरा म कािी िवि हई ह इस समय हमार यहा िकषो की

सखया कािी ह वजसम स 20 लोग मानवसक बीमाररयो स गरसत ह

अतः आिवनक यग म विकवसत और विकाशील दशो म असामानय वयिहार क अधययनो

पर विशष बल वदया जा रहा ह कोलमन क शबदो म-आिवनक यग जञान की महान वििवि और

तीवर सामावजक पररितथन का यग ह असामानय मनोविजञान क अधययन क दवारा हम मानि जीिन की

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 22

समसयाओ दख ददथ वचनता तनाि आवद को कम करक मानि जीिन को खशहाल बना सकत ह

आिवनक यग म मनोविजञान का महति वनमन कषतरो म ह-

1 असामानय मनोविजञान क अधययन क दवारा वयवकत अपनी अपन दवनक जीिन की समसयाओ का

हल करना आसानी दवारा वयवकत अपनी अपन दवनक जीिन की समसयाओ का हल करना

आसानी स सीख लता ह

2 असामानय मनोविजञान क अधययन दवारा वयवकत यह आसानी स समझ लता ह वक वकस तरह एक

सामानय वयवकत मानवसक रोगो स गरसत हो जाता ह तरा चतन ि अचतन मन क दवारा समसयाओ

का समािान वकस तरह होता ह

3 असामानय मनोविजञान क जञान स माधयम स मानवसक रोगो क लकषण कारण एि उपचार तरा न

वनदान म सहायता वमलती ह

4 असामानय मनोविजञान का वशकषा क कषतर म विशष महति ह वजन छातरो को वकसी परकार का मानवसक रोग या दोष होता ह होत ह तो उनकी वशकषा वकस परकार की हो उनकी असामानयता

का उपचार जस हो आवद को समझन म सहायता वमलती ह

5 अपरावियो एि बाल-अपरावियो को सिारन म असामानय मनोविजञान क अधययन की विशष

आिशयकता होती ह कयोवक असामानय मनोविजञान म हम समाज विरोिी वयिहार या आचरण

आवद का अधययन करत ह

6 असामानय मनोविजञान क अधययन क दवारा कयोवक दसर वयवकतयो क बार म आसानी स समझ

लता ह उसक हाि-भि आवद क आिार पर वयवकत य पता लगा लता ह वक िह कही वकसी

गलत कायाा म रवच तो नही ल रहा ह

7 इसक अधययन क दवारा कानन को यह समझन म सहायता वमलती ह वक िासतविक अपरािी कौन ह और िह अपरािी कही असामानय तो नही ह

8 असामानय मनोविजञान क अधययन क दवारा वयवकत म आतम विशवास का जनम होता ह कयोवक

वयवकत यह जान लता ह वक कोई वयवकत असामानय हो सकता ह तरा उपचार क माधयम स उस

सामानय या समायोवजत बनाया जा सकता ह

9 पराचीन काल म य विशवास वकया जाता रा वक असामानयता का कारण भत-वपचाश या दिी

परकोप ह असामानय मनोविजञान क अधययन क दवार य सपषट हआ वक ईशवरीय परकोप या भत-

वपचाश असामानयता का कारण न होकर बवलक िशानिम मनोिजञावनक कारक समावजक

कारक पाररिाररक कारण आवद होत ह

10 यि को रोकन क वलए वयवकत क मन पर विजय परापत करना अतयनत आिशयक ह िासति म

यि क कछ न कछ मनोिजञावनक कारक होत ह इन कारणो की जाच और यि की रोकराम

तरा शावनत बनाय रखन म असामानय मनोविजञान कािी उपयोगी एि सहायक वसि होता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 23

मनोविजञान वयिहार का विजञान ह और वयिहार क मखयतः दो रप होत ह सामानय और

असामानय मनोविजञान उन वयवकतयो का अधययन करता ह वजनक वयिहार म सामानय वयवकत की

उपकषा कछ विशषताए होती ह उनक वयिहार म कछ एसी वियाए होती ह जो सामानय वयवकत म

नही पाई जाती ह जस अगर एक नया वयवकत नय वयवकतयो क समह क समकषजञ नय विषयो पर भाषण

दन म पररत बार डरता-कापता ह तब इस परकार का वयवकत सामानय वयवकत कहलायगा लवकन अगर

कोई जाना-पहचाना वयवकत जान पहचान विषय पर जान पहचान वयवकतयो क सामन बोलन म

वहचवकचाता ह तो इस परकार क वयवकत को असामानय कहग कयोवक यह वयवकत अनक बार बोल

चकन क बाद वहचवकचाहि का अनभि कर राह ह अतः असामानय मनोविजञान की परकवत समझन

क वलए हम सामानय ि असामानय दोनो की तरह क वयवकतयो क बार म जानना आिशयक ह

24 सामानय वयिहार एि वयनकिति का अधययन सामानय वयवकत कौन ह सामानय वयवकत िह ह जो सामानय रप स अपनी वियाओ को करता

हो अपन दवनक विया कलापो पर विचार पणथक वनणथय लता हो तरा सामावजक वनयमो एि

मानयताओ का एक सीमा तक पालन करता हो अराथत एक सामानय वयवकत सामावजक आवरथक

ियवकतक सासकवतक एि पाररिाररक सभी परकार की पररवसरवतयो क सार समायोजन तरा सनतलन

बनाय रखता ह असामानय वयिहार एि वयवकतति को समझन क वलए अवत आिशयक ह वक पहल

सामानय वयिहार एि वयवकत क बार म समझा जाए वसमाणड क अनसार िह वयवकत सामानय वयकत

ह तो भयािह आदयातो और नराशय उतपनन करन िाली पररवसरवतयो पर विजय पर विजय परापत कर

लता ह सामानय वयिहार या आसामानय वयवकतति क वलए वनमन विशषतओ का होना अतयनत

आिशक ह-

1 सामानय वयवकत म सरकषा की उपयकत भािना पाई जाती ह िह अपन आपको न तो परी तरह

सरवकषत समझता ह और नही परी तरह असरवकषत विवभनन पाररिाररक पररवसरवतयो म

सामावजक औा वयािसावयकक पररवसरवतयो म िह अपन आपको उसी परकार सरवकषत समझता

ह वजस तरह स समाज क अविकाश वयवकत अपन आपको सरवकषत समझत ह और उस वकसी

परकार की कोई भी हावन हो सकती ह इस परकार की भािना सरकषा का अतयविक बड़ा हआ

रप ह वजस असामानय समझा जायगा

2 सामानय वयवकत म उपयकत मातरा म सिगातमकता पाई जाती ह िह अपन सिगो की अवभवयकत जहा वजस रप म आिशयक होती ह करता ह िह न तो बहत अविक सिगो की अवभवयवकत

करता ह और न ही बहत कम उसकी सिगातमक अवभवयवकत समाज क अविकाश वयवकतयो की

ही भावत होती ह सामानय वयवकत दसरो क सख-दःख म सामानय ढग स शावमल होता ह

3 सामानय वयवकत सिय का मलयाकन उतना ही करता ह वजतना उकसी शारीररक और मानवसक

योगयताए होती ह उसकी वजतनी योगयताए और उपलवबिया होती ह इनकी उपवसरवत का इतना

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 24

ही अनभि करता ह िह अपन अनदर उनही इचछाओ और योगयताओ का अनभि करता ह

वजनकी सामावजक ि वयवकतगत दवषट स भी उपयकत समझता ह

4 वयवकत अपनी योगयताओ और सीमाओ स भली भावत पररवचत होता ह िह अपनी

आिशयकताओ इचछाओ पररणाओ भािनाओ सिगो महतिाकाकषाओ लकषयो आवद को

समझता ह वक िह कया कर सकता ह और कया नही इसका उस परा जञान होता ह

5 सामानय वयवकत का वयवकतति सगवित होता ह अराथत वयवकतति क तीनो पकषो झि इगो और

सपर इगो म पयाथपत मातरा म सतलन होता ह सामानय वयवकत क वयवकतति क यह तीनो पकष

सहयोग स कायथ करत ह इनक वयवकतति म वसररता आई जाती ह

6 सामानय वयवकत अपन समाज की पररवसरवतयो और योगयताओ क अनसार अपन जीिन लकषय

अपन समाज की पररवसरवतयो और योगयताओ क अनसार अपन जीिन लकषय बनाता ह अपन

वनिाथरत लकषयो की पवतथ क वलए वनरनतर परयतनशील रहता ह और उसका जीिन लकषय समाज

क वनयमो और मलयो क अनसार होता ह

7 सामानय वयवकत म पिथ अनभिो स लाभ उिान की योगयता होतीह पहल की गई गलवलयो को िह छोड़ता ह और सखद एि लाभदायक अनभिो स आग लाभ उिाता ह सामानय और

असामानय वयवकत सपषट रप स एक-दसर स वभनन होत ह और यह विचार आज स लगभग सौ

िषथ पिथ तक पहल तक भी परचवलत रा

8 सामानय वयवकतयो म कानन की मयाथदा की रकषा तरा सामावजक परमपराओ ि मयाथदाओ क

सममान का गण विदयमान होता ह य सामावजक उतसिो म भाग लत ह ि सामावजक उपरशो को

सिीकाकर करत ह सार ही सामावजक सासकवतक िावमथक जावत आवद क वनयमो की

अिहलना नही करत ह सामानय वयवकतयो म असािारण उततजना एकाकीपन सदहशीलता

आवद गण नही होत ह सामानय वयवकतयो म य गण औसत मातरा म ही पाय जात ह यवद य गण

औसत स अविक मातरा म पाए जात ह उनम असामानयता वदखाई दन लगती ह

9 सामानय वयवकत जीिन की अनक आिशयकताओ को परा करन क वलए नौकरी वयापार आवद

करता ह तरा अपनी विवभनन वियाओ को करत समय बवि का सहारा लता ह छोिी-छोिी

कविनाई यो या वििलताओ पर घबराता नही बवलक साहस का पररचय दता ह ऐस वयवकतयो

क जीिन म अनक कविनाई या आती ह लवकन ि अपना सनतलन नही खोत बवलक उनह दर

करन का परयास भी करता ह

10 सामानय वयवकत अपन वयिहार को समय एि पररवसरवत क अनसार समायोवजत करन का परयास करत ह दःखद पररवसरवत म िह दःख क भाि तरा सखद पररवसरवत म िह सख क भाि परकि

करता ह

11 एक समानय वयवकत क वलए यह आिशयक ह वक िह अपनी वियाओ म सामावजक सासकवतक

या राजनवतक वनयमो परमपराओ नवतक आदशो आवद का सही रप म पालन कर रहा ह या

नही िह परायः सही कायो को करता ह तरा गलत कायो स बचन का परयास करता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 25

12 ऐसा नही वक एक वयवकत गलत कायथ न करता हो िह जीिन म अनक गलवतया करता ह लवकन यह अनभि होत ही वक उसस िह काम गलत हो गया ह िह पिाताप भी करन लगता ह

25 असामानय वयिहार की उतपवि वकसी भी वयवकत म असामानय नही होत बवलक इसका एक इवतहास होता ह असामानय

वयिहार करन पर सपषट रप स हम तीन तरह की विचारिाराए दखन को वमलती ह

1 जविक विचारिारा 2 मनोसामावजक विचारिारा 3 सामावजक सासकवतक विचारिारा

1) िविक वििारधारा-

जविक कारक स तातपयथ उन सभी कारको स होता ह जो जनम क समय या उसस पहल स

ही वयवकत म परतयकष या परोकष रप स मौजद होत ह और बाद म असामानय वयिहार की उतपवतत म

वकसी न वकसी तरह स मदद करत ह जविक कारको का सिरप ही कछ एसा होता ह वक िह वयवकत

क सभी पकषो पर अपना परभाि डालता ह इसवलए इन कारको का सामानय एि असामानय वयिहार

की उतपवतत म वनमन कारको की महतिपणथ भवमका होती ह-

i) आनिाावशक दोष- माता स वकसी परकार क दोष स यह सिाभाविक ह वक उनक बचचो म

यह असामानयता उतपनन हो जाए य दोष दो परकार स हो सकत ह

a गणसतरीय असामानयता b दोषपणथ जीनस

अनिावशकी क कषतर म वकए गय शोिो स यह सपषट हआ हवक गणसतर की सखया या उसकी

सरचना म असामानयता होन स तरह - तरह क मानवसक विकवत या असामानय वयिहारो की उतपवतत

होती ह

ii) शरीरगणनातमक कारक- कछ विशष एि दोषपणथ शरीरगिनातमक कारको स असामानय

वयिहारो की उतपवतत दखी गई जस-शरीर गिन या डील- डौल शारीररक विकलागता या

मल परवतविया परिवतया आवद शरीर गिनातमक कारको को तीन मखय भागो म बॉि सकत

ह-

1 शरीरगिन या डील- डौल

2 शारीरर विकलागता 3 परारवमक परवतविया परिवतत

अनक अधययनो दवारा यह पाया गया ह वक एक विशष डील-डौल िाल वयवकत दवारा

असामानय वयिहार अविक वकया जाता ह अनक अधययनो म यह पाया गया ह वक शारीररक रप

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उततराखड मकत विशवविदयालय 26

स आकषथक नही होन पर उस वयवकत क सार लोगो का वयिहार इस ढग का होता ह वक उस वयवकत

म हीनता का भाि वचनता वनराशा आवद उतपनन हो जाता ह जो िीर-िीर उसम समायोजन समबनिी

समसयाए उतपनन कर दती ह

परतयक वयवकत म जनम स ही बाहरी िातािरण क परवत परवतिया करन क एक परिवतत होती ह

वजस मल अनविया परिवत कहा गया ह मनोिजञावनक दवारा वकय गए शोिो स यह सिपषट ह वक 7 स

10 बचचो की मल अनविया परिवत दोषपणथ होती ह

iii) िविक रासािवनक कारक- वयवकत म असामानय वयिहार होन का कारण उसको शरीर म

कछ रासायवनक पररितथन हो सकता ह या पोवषटक आहार की कमी हो सकती ह या

हारमोनस म गड़बडी क कारण भी होता ह मानि वयिहार पर पड़न िाल परभाि को वनमन

कारक परभािवित करत ह

1 रासायवनक पदारथ 2 पौवषटक आहार की कमी स समबवनित असामानय वयिहार

3 हारमोनस एि असामानय वयिहार iv) मवसिरकीि दवरकरिा- असामानय वयिहार का एक मखय कारण मवसतषक म दवहक कषवत

का होना ह िलतः वयवकत म कई तरह क असामानयता समबनिी लकषण वदखाई दन लगत

ह मवसतषकीय दवषिया कई कारणो स उतपनन हो सकती ह

1 मवसतषकीय चोि

2 सिामण रोग

3 मादक पदारो क अविक सिन स 4 अतयविक तनाि क कारण

2) मनोसामाविक कारक-

अराथत एस विकासातमक परभाि जो वयवकत को मनोिजञावनक रप स इतना परशानकर दता

ह वक वयवकत अपन आपको सामावजक िातािरण क सार िीक ढग स समायोवजत नही कर पता ह

और िीर-िीर वयवकत म असामानय वयिहार क लकषण वदखाई दन लगत ह

i) सजञानातमक कारक

ii) आरवमभक िचन या आदयात-

a ससपानीकरण

b घर म िचन

c बालयािसरा का सदमा या मानवसक आदयात

iii) अपयाथपत जनकता

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a अवत सरकषा का होना b अतयविक बिन का होना c अिासतविक माग का होना d दोषपणथ अनशासन का होना e अपयाथपत एि अतावकथ क सचार

iv) रोगातमक पाररिाररक सरचना वयिहार

a रोगातमक पाररिाररक सरचना वयिहार b बमल वििाह

c वबखर हए पररिार d विदयवित पररिार

v) कसमायोवजत सगी-सारी क सार समबनि

आवद ऐस कई मनोसामावजक कारक ह वजनक कारण वयवकत म मानवसक विकवत उतपनन

होती ह इन सभी मनोसामावजक कारको क आरवभक िचन (inadequate Parenting) तरा

रोगातमक पाररिाररक सरचना अविक महतिपणथ कारक ह

3) सामाविक-साासकविक कारक-

विवभनन सासकवतक समहो क अलग-अलग मानक ह मलय एि वयिहार होत ह वजनका

मानि वयिहार पर सीिा परभाि पड़ता ह असामानय वयिहार की उतपवतत म कछ सामावजक

सासकवतक कारको का भी परभाि सपषट रप स दखन को वमलता ह-

1) वनमन सामावजक आवरथक सतर

2) अनपयकत या दोषपणथ सामावजक भवमका क क कारण

3) आवरथक कविनाई या एि बरोजगारी

4) सामावजक - समबनि

5) सामावजक - सासकवतक िातािरण

6) ििावहक समसयाए

7) यौन भवमका

असामानय वयिहार की उतपवतत म जविक मनो समावजक सासकवतक- सामावजक कारको

की भवमका महतिपणथ होती ह कोई भी मानवसक विकवत एसी नही होती ह वजसम किल एक ही

तरह क कारको की भवमका हो बवलक कई कारक वमल कर मानवसक विकवत को जनम दत ह

असामानय वयिहार को समझन क वलए इन तीनो कारको को समझना अतयनत आिशयक ह

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26 सामानय एि असामानय मनोविजञान म अनिर सामानयतः एक वनवित सीमा क ऊपर असामानयता पहचन पर हमार वलए वचनता का विषय

बनती ह परनत कछ वयिहार तो एस होत ह तो वक असामानय वयवकतयो म ही पाय जात ह और इनही

वयिहारो क आिार पर हम सामानय असामानय म भद करत ह अतः सामानय और असामानय

वयिहार म मखय अनतर वनमन ह-

bull पररवसत की अनकलता क आिार पर भी अनतर वकया जाता ह जो वयिहार पररवसरवत क

अनकल होता ह उस सामानय कहत ह और जो वयिहार पररवसरवत क अनकल नही होता ह उस

असामानय कहत ह जस-वकसी की मतय पर शोक परकि करना एक सामानय वयिहार ह और

खशी परकि करना एक असामानय वयिहार ह

bull सिगातमक पररपकिता क आिार पर-सिगातमक पररपकिता का अरथ सिगातमक वनयतरण एि

सिगातमक वसररता स ह सामानय वयवकत जो अपन सिगो जस िोि भय खशी आवद पर

वनयतरण रखता ह और दसरी आर असामानय वयवकत जो अपन सिगो पर वनयतरण रखता ह ककषा

म वशकषक दवारा िोि पर वनयतरण रखना एक सामानय परविया ह लवकन वशकषक अपन सिगो पर

वनयतरण खो दना अधयापन कायथ बावित करक उस पर आिमण करना परहार करना एक

सामानय वयिहार ह

bull नवतक दवषटकोण- क अनसार सामानय वयवकत का वयिहार उसकी ससकवत िमथ और नवतक

वनयमो क अनसार होता ह तरा असामानय वयवकत का वयिहार इसक अनसार नही होता ह

कभी-कभी नवतक और अनवतक वयिहार को पररभावषत करन म कविनाई होती ह कयोवक एक

समाज म जो नवतक ह िही दसर समाज म अनवतक ह जस-वकसी लड़की को भगाकर ल जाना

अनवतक वयिहार ह जबवक वकसी जनजावत म लड़की भगाकर ल जाना नवतक वयिहार ह

bull सामावजक दवषटकोण- इस दवषटकोण क अनसार वजस वयवकत का वयिहार सामावजक वनयमो

परराओ रीवत-ररिाजो क अनरप होता ह िह वयवकत सामानय होता ह तरा वजस वयवकत का

वयिहार इसक अनरप नही होता ह उस असामानय कहा जाता ह उस वयवकत को भी

असामानयता की शरणी म रखा जाता ह जो समाज कलयाण म बािक ह जो वयवकत समाज क

वलए वहतकारी कायथ करता ह उस सामानय कहा जाता ह परतयक समाज क सामावजक वनयम

अलग-अलग होत ह एक समाज म उनही सामावजक वनयमो का पालन करन िाला वयवकत

असामानय समझा जायगा

bull सासकवतक दवषटकोण- क अनसार िह वयवकत सामानय वयवकत ह जो अपनी ससकवत क वनयमो

मलयो आदशो आवद क अनसार वयिहार करता ह इसी परकार जो वयवकत इन वनयमो क

विपरीत कायथ करता ह उस असामानय वयवकत या वयिहार कहग परतयक ससकवत म कछ न कछ

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उततराखड मकत विशवविदयालय 29

पररपितथन होत रहत ह अतः एक पररवसरवत म जो वयिहार सामानय ह िही दसरी पररवसरवत म

असामानय

bull मानवसक सनतलन क आिार पर- सामानय तरा असामानय क बीच भद करन का यह एक मखय

आिार ह वजस वयवकत का मानवसक सनतलन बना रहता ह उस सामानय और वजस वयवकत का

मानवसक सनतलन गड़बड हो जाता ह या वयवकत मानवसक सनतलन खो बिता ह उस असामानय

कहत ह य तो समाज क परतयक वयवकत म कछ न कछ वचनता आवद क लकषण दख जात ह

लवकन वकसी काम को करन म रोडी ा वचनता का होना आिशयक ह इनह हम असामानयता की

शरणी म नही रख सकत ह

bull वयवकत पररपकिता का दवषटकोण- परतयक वयवकत को अपन चारो ओर क िातािरण अपनी

आिशयकताओ क अनसार उसम रहन िाल लोगो क सार समायोजन करना पड़ता ह जो

वयवकत इस परकार का समायोजन करन म सिल हो जात ह उनह सामानय वयवकत कहत ह और जो

वयवकत उस िातािरण या उस म रहन िाल वयवकतयो क सार अपना समायोजन करन म असिल

रह जात ह उनह असामानय वयवकत कहत ह दोषपणथ समायोजन भी असामानयता का मखय

लकषण ह

bull सझपणथ वयिहार- सामानय वयवकत को यह बाता सपषट होती ह वक िह कया कर रहा ह कस कर

रहा ह उस कौन सा वयिहार वकस पररवसरवत म करना चावहए एस वयवकतयो को नवतक-

अनवतक सही गलत का सपषट जञान होता ह जबवक असामानय वयिहार म इनकी कमी दखी

जाती ह

bull दोष भाि क आिार पर- सामानय तरा असामानय क बीच भद समझन का आिार दोष भाि

तरा पिाताप भाि ह गलती करता मनषय की कमजोरी ह अतःवकसी गलत अनवतक या

असामावजक कायथ वकसी कारणिश हो जान क बाद यवद वयवकत म दोष एि पिाताप क भाि हो

तो िह सामानय वयवकत होगा दसरी ओर गलत अनवतक या असामावजक कायथ करन क बाद भी

उस दोष भाि न और उसक वलए पिाता न कर तो अिशय ही िह अिशय ही िह असामानय

वयवकत होगा

bull समायोजन क आिान पर- सामानय तरा असामानय वयवकत की पहचान का एक िोस आिार

समायोजन ह समायोजन का अरथ ह- अपनी मागो आिशयकताओ और समायोजन क बीच

सनतलन सामानय वयवकत िह ह जो कभी अपनी आनतररक मागो म पररितथन लाकर और कभी

बाहय मागो म पररितथन लाकर सतवलत जीिन जीन म सिल होता ह दसरी और असामानय

वयवकत िह ह जो अपनी आनतररक मागो तरा अपन िातािरण की मागो क बीच समझौता करन

एि सतवलत जीिन जीन म वििल हो िलतः अपन पररिार तरा समाज क सदसयो क सार

उनक समबनि तनािपणथ सघषथपणथ तरा कलहपणथ होत ह

bull िासतविकता का जञान- सामानय वयवकतयो को िासतविकता का पणथ जञान होता ह िह हमशा

अपन वयिहार एि वियाओ को सामावजक मानको की िासतविकता क अनकल बनाय रखता

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उततराखड मकत विशवविदयालय 30

ह उनह कालपवनक सचचाई एकदम पसनद नही होती ह िलतः उनका वयिहार भरम विभरम स

गरवसत नही होता ह दसरी ओर असामानय वयवकतयो का वयिहार कालपवनक एि

अिासतविकताओ स भरा होता ह असामानय वयवकतयो का वयिहार कालपवनक एि

अिासतिवकताओ स भरा होता ह असामानय वयवकत को यह जञान नही रहता ह वक सामावजक

आदथश कया ह मानक कया ह तरा उसकी हकीकत कया ह उनह तो बस अपनी कालपवनक

दवनया स मतलब होता ह ि लमबी उडा ान भरत रहत ह इनका वयिहार-विभरम स इतना गरवसत

रहता ह वक उनक वयिहार म िासतविकता उनक पास ििकती तक नही ह

bull अपनी दखभाल- सामानय वयवकतयो का वयिहार अपनी दखभाल एि सरकषा क वलए पयाथपत

होता ह िह एसा वयिहार करता ह वजसस उसक अह को चोि न पहच तरा उसका मानवसक

सिासय बना रह िह हर सभि कोवशश करता ह वक उसक वयवकतति सतवलत एि सिसय बना

रह िह कभी कोई एसा वयिहार नही करता ह वक उसका ही अवसतति खत म पड़ जाए दसरी

ओ असामानय वयवकतयो क वयिहार म उतनी कशलता नही होती ह वक िह अपनी दखभाल कर

सक एि अपन आप को पयाथपत सरवकषत रख सक िासति म एस लोगो की दखभाल पररिार या

समाज क अनय लोगो को ही करनी पड़ती ह-

ज0एि0 बराउन दवषटकोण- बराउन न सामानय एि असामानय शबद का िणथन बड़ ही सनदर

एि तकथ पणथ तरीक स वकया ह

इनक अनसार- असामानय वयिहार सामानय वयिहार का अवत विकवसत एि विकवत रप ह

जस- यवद भय उतपनन करन िाल पररवसरवत म परतयक वयवकत सरकषा का परतयनन करत ह यह कोवशश

एक सामानय तरीका ह जब वबना वकसी उपयकत पररवसरवत क वयवकत असगत भय (भय का

अवतविकसीत रप) परदवशथत कर तो यह वयिहार असामानय वयिहार कहलायगा बराउन क दवषटकोण

की कछ मखय विशषताए वनमन ह

1 पराचीन दवषटकोण क अनसार सामानय असामानय और परवतभाशाली तीन अलग-अलग िगथ ह

जबवक बराउन क अनसार सामानय असामानय और परवतभाशाली वयवकतयो म माला का अनतर ह

परकार का नही

2 असामानय समानय और परवतभाशाली वयवकतयो को एक ही वनयमा क आिार पर समझा जा

सकता ह अलग-अलग वनयमो की आिशयकता नही होती ह असामानय वयवकतयो की

बड़बड़ाहि उनक वलए उतनी ही अरथपणथ होती ह वजतन की परवतभाशाली वयवकतयो क वलए

तकथ पणथ करन महतिपणथ होत ह

3 इनक अनसार परतयक वयवकत म मानवसक रोगो क लकषण कछ न कछ माता म अिशय होत ह अराथत कोई भी वयवकत रोग क लकषणो स रवहत नही होता ह

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4 बराउन क अनसार असामानय वयिहार सामानय वयिहार का अवत विकवसत अरिा विकवत रप ह अतः सामानय वयवकतयो क अधययन स असामानय वयवकतयो को हम समझ सकत ह और

असामानय वयवकतयो क अधययन स सामानय वयवकतया क वयिहार को समझ सकत ह

5 बराउन का दवषटकोण बहत कछ िजञावनक ह आिवनक यग क मनोिजञावनक का सामानयता एि

असामानयता क समबनि मजो विचार ह िह बराउन क विचारो क अनकल ह

अतः सपषट ह वक सामानय तरा असामानय वयवकतयो क बीच अरिा सामानय एि असामानय

वयिहारो क बीच अनय सामानयता एि असामानयता क बीच कई अनतर ह उकत वििरण दवारा सपषट ह

वक सामानय एि असामानय दोनो तरह क बीच कई अनतर पाया जाता ह असामानय वयिहार की

विशषताओ क अनतगथत वजन विशषताओ का उललख वकया गया ह ि असामानय एि सामानय एि

सामानय वयिहार म अनतर को भी इवगत करती ह सामानयता एक वनवित सीमा क ऊपर असामानय

ता पहचन पर हमार वलए वचनता का विषय बनती ह परनत कछ वयिहार तो ऐस होत ही ह जो वक

असामानय वयवकतयो म ही पाय जात ह जस- विवकषपत वकसी दशा म सड़क पर वनकल जाता ह

सामानय वयवकत एसा नही करगा

27 असामानयिा की विशषिाए असामानय वयवकत िह ह वजसका वयिहार और वयवकतति सामानय नही होता ह परवसि

मनोिजञावनक पज क अनसार असामानय वयवकत िह ह वजसकी सीवमत बवि होती ह सिगातमक

अवसररता पायी जाती ह वयवकतति विघवित होता ह इनका वयवकतगत जीिन घणासपद होता ह तरा

सामावजक उततरदावयति को वनिाथह करन म असमरथ होत ह असामानय वयिहार स तातपयथ समानयतः

िस वयिहार स होता ह जो सामावजक मानि एि परतयाशाओ क परवतकल होता ह तरा सार ही सार

कसयोवजत भी होता ह लवकन मातर इतना ही कह दन स असामानय वयिहार का सिरप पणथ रप स

सपषट नही होता ह बवलक असामानय वयिहार को पणथ रप स समझन की आिशकता ह-

bull समाज विरोिी- असमानय वयिहार सामानय रप स सिीकत वनयमो सामावजक मानको एि

मलयो का विरोिी होता ह जब कोई वयवकत इस तरह का वयिहार करता ह वक उसस समाज क

वनयमो एि मनको का उललघन होता ह तो िह वनवित रप स असामानय वयिहार कहलाता ह

जस चोरी करना बलातकार करना हतया करना आवद कछ वयिहार एस होत ह वजसस समाज

क मानको एि मलयो का उललघन होता ह अतः एस वयिहार को हम असामानयता की शरणी म

रखत ह

bull मानवसक असतल- असामानय वयिहार करन िाल वयवकत मानवकस रि स सतवलत होत ह

एस वयवकतयो क वयिहारो एि विचारो म कािी अवसररता पायी जाती ह एसी वयवकत कभी कछ

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उततराखड मकत विशवविदयालय 32

सोचत ह और कछ समय बाद िीक उसक विपरीत सोचन एि वयिहार करन क ढग स कािी

असगतता वदखाई पड़ती ह जो परायः एक सामानय वयवकत क वयिहार म नही पायी जाती ह

bull अपयाथपत समायोजन- असामानय वयिहार म समायोजन की अपयाथपतता होती ह असामानय

वयिहार वदखलान िाल वयवकत आज समाज की वभनन-वभनन पररवसरवतयो म अपन आप को

िीक ढग स समायोवजत नही कर पात ह समायोजन न करन की इस समरप क कारण परायः

वतरसकार क पातर भी बन रहत ह

bull सझ पणथ वयिहार की कमी- असामानय वयिहार म सझ की कािी कमी रहती ह इसी कमी क

कारण असामानय वयवकत को सही-गलत नवतक-अनवतक अचछा बर का जञान नही होता ह

िलसिरप एस वयवकत अपनी वजममदाररयो का िीक ढग स मलयाकन नही कर पात ह सझ की

कमी क कारण असामानय वयवकत वकसी भी तरह क गलत कायथ को करन म तवनक भी नही

वहचवकचाता ह इस तरह क वयवकतयो की आलोचना का वबलकल भी डर नही रहता ह

bull विघवित वयवकतति- असामानय वयिहार िाल वयवकतयो का वयवकतति अविक विघवित होता ह

उनक सजञानातमक वियातमक भािातमक पकषो म कोई तालमल नही होता ह इनका वयवकततप

इतना वछनन-वछनन होता ह वक उनक वयिहार म वकसी तरह की सगतता नही रह जाती ह इनका

वयिहार इतना अवििकी तरा असतवलत हो जाता ह वक उसस लोगो क वलए कोई सही अरथ

वनकालना समभि नही रह जाता ह

bull आतमजञान तरा आतम सममान की कमी- असामानय वयवकत क वयिहार स यह सपषट रप स

झलकता ह वक इसम आतमजञान तरा आतम सममान की कमी होती ह एस वयवकत यह नही

समझ पात ह वक िह कयोवकसी खास वयिहार को करता ह और उसम कयो एक विशष परकार

का भाि उतपनन होता ह एस वयवकत अपन गणो एि दावयति का सही-सही मलयाकन नही कर

पात ह असामानय वयवकतयो म आतमसममान की कमी पाई जाती ह एस वयवकत अपन आपको

आनादर ि हीनता क भाि स दखत ह और विवभनन समावजक पररवसरवतयो म अपन आप को

कसमायोवजत पात ह

bull असरकषा की भािना- असामानय वयवकतयो म परायः असरकषा की भािना दखी जाती ह परायः एस

वयवकत अपन आपको समाज का एक सिीकत वहससा नही मानत ह ऐस वयवकतयो को शक की

वनगाह स दखत ह और विवभनन सामावजक पररवसरवतयो म कभी भी खलकर अपन विचारो की

अवभवयवकत नही कर पात ह य परायः डर-डर स एि सहम-सहम स रहत ह

bull सिगातमक अपररपकिता- असामानय वयिहार म परायः सिगातमक अपररपकिता दखी जाती ह

एस वयवकत को अपन सिगी पर न क बराबर वनयतरण रहाता ह वबना कारण हस दना आवद

वयिहार दखा जाता ह पररवसरवत क अनकल सिगी की अवभवयवकत या वनयतरण करना इनह

नही आता ह अतः एस लोग सिगातमक दवषट स अनपयकत होत ह वजसक चलत इनम

सािवगक अवभयोजन की समसया भयकर रप उतपनन हो जाती ह

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bull सामावजक अनकल की कषमता का अभाि- सामावजक अनकलन की कषमता क अभाि म एस

लोग अपन सहकवमथयो पास पडो ास क सार अविक सतोषजनक सामावजक समबनि बनाय

रखन म असमरथ रहत ह एस वयवकतयो का अनकलन अपन घर क सदसयो क सार भी िीक

नही होता ह सािवगक अवसररता क कारण इनकी मानवसक वसरवत भी िीक नही होती ह

सािवगक अवसररता क कारण इनकी मानवसक वसरवत बदलती रहती ह वजसस एस वयवकतयो की

सामावजक एि घरल अनकलन की कषमता कम होती जाती ह

bull मनोरजन की कमी- असामानय वयवकतयो म मनोरजन का अभाि पाया जाता ह हलकी मानवसक

वयवकतयो स पीवड़त लोगो म यह कम पाया जाता ह हलक मानवसक वयवकतयो स पीवड़त लोगो म

यह अभाि और अविक मातरा म पाया जाता ह कछ ऐस भी मानवसक रोगी होत ह वजनम

मनोरजन क सरान पर विषाद पाया जाता ह वबना वकसी कारण क रोगी इतना दःखी होता ह

जस उस पर कोई बहत बड़ी विपवतत आ गई हो

bull दकषता की कम मातरा- असामानय वयवकत सामानय की अपकषा कम दकष होता ह शारीररक

आिशयकताओ की सनतवषट हत असामानय वयवकत सामानय वयवकत की अपकषा कम खचथ लता ह

िह अपनी आिशयकताआ पवतथ हत कोई वियाशील वदखाई नही दता ह सामावजक

वयािसावयक और िावमथक कायो म सामानय वयवकत की खचथ और दकषता कम वदखाई दती ह

अविक गमभीर बीमारी स पीवड़त वयवकत म दकषता और भी कम होती ह रोगी वजतना अविक

गमभीर होगा दकषता उतनी कम होगी

bull पिाताप का अनभि न होना- असामानय वयवकतयो को अपनी गलवतयो क वलए वकसी परकार

पिाताप नही होता ह िलतः इनक सिरन का कोई परशन नही उिता ह ऐस वयवकतयो को अपन

गलत कायो क बाद तीसरा गलत कायथ बविि होकर करत ह उनह इस बात की भी कोई वचनता

नही होती ह वक कोई उनह कया कहगा या समाज उनह कया कहगा

उकत िणथन क आिार पर हम कह सकत ह वक असामानय वयिहार स उस वयवकत को भी

हावन होती ह जो इस तरह का असामानय वयिहार करता ह इस तरह असामानय वयिहार दसरो क

सार-सार अपन वलए भी कषटपरद ि हावनकारक ह अतः असामानय या असामानय वयिहार या

असामानय वयवकत की उकत विशषताओ क आिार पर हम पहचान कर सकत ह वक इन विशषताओ

क आिार पर हम आसानी स यह पता लगा लत ह वक अमक वयवकत या अमक वयिहार असामानय

ह या नही अतः असामानय वयिहार की अपनी कछ खास विशषताए होती ह वजनक आिार पर

हम इनह आसानी स समझ सकत ह

28 साराश सकषप म असामानय मनोविजञान मनोविजञान की एक ऐसी शाखा ह वजसम वयवकत क

असामानय वयिहारो एि असामानय मानवसक परवियाओ क वनदान िगीकरण रोकराम उपचार स

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 34

समबवनित तयो का अधययन वकया जाता ह और आिशयकतानसार उसकी िजञावनक की वयाखया

क वलए वसिानतो का भी वनमाथण वकया जाता ह यह मनोविजञान की एक उपयोगी एि महतिपणथ

शाखा ह वजसका मखय उददशय वयवकत क असामानय वयिहार तरा मानवसक परवियाओ का अधययन

करना ह आज वयवकत जञान-विजञान क कषतर म कािी परगवत कर चक ह उसक िजञावनक भौवतक एि

वयािहाररक विकास की यातरा तीवर गवत स जारी ह वकनत इसी क सार-सार दसरा पकष भी हमार

समकष ह वक आज हम पहल की तलना म तनाि वचनता असतोष कसमायोजन एि अनय-अनय

मानवसक विकारो एि समसयाओ स बहत अविक परभावित ह आज भोवतक सख-सवििाओ क

होत हए भी वयवकत परायः सनतषट नही ह आज इस विषय की जानकारी सिय अपन वलए तो उपयोगी

ह ही सार हम इसक दवारा दसरो की भी सहायता करक उस सिसय मानवसक जीिन वयतीत करन क

वलए उसका सहारा बन सकत ह

29 शबदािली bull भरम वकसी िसत का गलत परतयकषीकरण करना

bull विभरम िसत न होत हए भी उसका परतयकषीकरण करना

bull विघवटि वबखरा हआ

bull समाि विरोधी समाज क वनयमो क विरि कायथ

bull अमियएसी मानवसक कषमता वजसक सहार वयवकत शावबदक तरा गवणतीय कौशलो वचहनो को

आसानी स समझ सक

bull नराशि कणिा (कणिा जीि की िह अिसरा ह जो वकसी पररणतमक वयिहार की सतवषट क

कविन या उसमभि हो जान क कारण उततपनन हो जाती ह)

bull आघाि शारीररक या मानवसक कषट या चोि क सार सामानजसय स बिन म असमरथ पाता ह

bull अपररपकििावकसी कायथ को करन क वलए शारीररक एि मानवसक रप स योगय न होना

bull मवसिरकीि दवरकरिा मवसतषक म कषवत परशानी या चोि

bull गणसतर x और y िोमोसोकस

210 सिमलयाकन हि परशन bull ररकत सरानो की पवतथ कीवजए

1) कोलमन क अनसार सतरिही शताबदी का यग रहा ह 2) एबनारमल शबद का शावबदक अरथ वयिहार ह 3) ज0एि0 बराउन क अनसार सामानय असामानय वयिहार का अवत विकवसत एि

रप ह

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4) वकसी भी समाज म परायः सामानय असामानय और तीन परकार लोग

रहत ह

5) सामानय और असामानय क दो मखय रप होत ह

bull सही गलत का बताएय-

6) असामानय वयवकतयो म मनोरजन का अभाय पाया जाता ह 7) सामानय वयवकत म पिथ अनभिो स लाभ उिान की योगयता होती ह 8) सामानय वयवकत का वयवकतति असगवित होता ह 9) सामानय वयवकत म सरकषा की उपयकत भािना पाई जाती ह 10) असामानय वयवकतयो म आतमजञान एि आतम सममान की कमी होती ह

11) असामानय वयवकत को अपनी गलवतयो पर पिाताप होता ह 12) सामानय वयवकत सिय का मलयाकन अपनी शारीररक एि मानवसक योगताओ स अविक करता

13) कोलमन क अनसार अििारिी शताबदी तक का यग रा

उततर 1) जञान 2) समानय स दर हिा हआ 3) विकवत 4) परवतभाशाली

5) वयिहार 6) सही 7) सही 8) गलत 9) सही

10) गलत 11) सही 12) गलत 13) सही

211 सनदभथ गरनर सची bull डॉ0 अरण कमार वसह आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसीदास परकाशन

नई वदलली

bull डॉ0 डी0एन0 शरीिासति असामानय मनोविजञान सावहतय भिन परकाशन आगरा

bull डॉ0 आर0एन0 वसह आिवनक असामानय मनोविजञान परकाशन अगरिाल पवबलकशन आगरा

bull डॉ0 मोहममद सलमान असामानय मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास नई वदलली

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ गोविनद वतिारी असमानय मनोविजञान परकाशन विनोद पसतक मवनदर

आगरा

212 तनबनिातमक परशन bull अवत लघ उततरीय परशन (एक पवकत म उततर दीवजय)

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1 लविन भाषा म नारमा शबद का कया अरथ ह

2 सामानय वयवकत कौन ह

3 वयिहार क दो मखय रप कौन स ह

4 यवद कोई वयवकत नए वयवकतयो क सामन पहली बार भाषण दत समय डरता ह कॉपता ह तो

िह वयवकत सामानय शरणी म अयगा या असामानय की

5 असामानय मनोविजञान क वकतन रप होत ह

bull लघ उततरीय-

1 असामानय मनोविजञान को पररभावषत कीवजय

2 सामानय वयवकत स आप कया समझत

3 सामानय और असामानय मनोविजञान क पाच मखय अनतरो को बताइयो

bull वदघथ उततरीय परशन-

1 सामानय वयवकत की विशषताओ का िणथन कीवजए

2 सामानय और असामानय वयवकत म आप वकस तरह अनतर करग

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इकाई-3 मन का परतयय मन का आकरातमक और गतयातमक पकष

31 परसतािना

32 उददशय

33 मन कया ह

34 मन की अिसराए

35 मन क आकारातमक पकष

36 चतन अचतन औ अदवथचतन मन का तलनातमक अधययन

37 अचतन मन का महति

38 मन क गतयातमक पकष

39 उपाह पराह और नवतक मन क बीच समबनि

310 साराश

311 शबदािली

312 सिमलयाकन हत परशन

313 सनदभथ गरनर सची

314 वनबनिातमक परशन

31 परसिािना मन शबद का परयोग कई अरो म वकया जाता ह जस- मानस वचतत मनोभाि मन इतयावद

लवकन मनोविजञान म मन का तातपयथ आतमन सि या वयवकतति स ह हय एक अमतथ समपरतयय ह

वजस किल महसस वकया जा सकता ह इस न तो दख सकत ह और न ही हम इसका सपशथ कर

सकत ह या इस हम इस तरह स पररभावषत कर सकत ह वक मवसतषक क विवभनन अगो की परविया

का नाम मन ह

परवसि मनोविशलषण िादी मनोिजञावनक वसगमणड फरायड क अनसार मन का वसिानत एक

परकार का पररकलपानातमक वसिानत ह इनक अनसार मन स तातपयथ वयवकतति क उन कारको स

होता ह वजस हम अनतरातमा कहत ह तरा जो हमार वयवकतति म सगिन पदा कर क हमार वयिहारो

को िातािरण क सार समायोजन करन म मदद करता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 38

वयवकत क वयिहार को समझन क वलए आिशयक ह वक उसक वयवकतति क विकास एि

सगिन का अधययन करन क वलए यह आिशयक ह वक वयवकत क मन या मानवसक पहल का

अधययन वकया जाए मन या मानवसक पहल स तातपयथ वयवकतति क उन कारको स होता ह वजस हम

अनतरातमा कहत ह तरा जो हमार वयवकतति म सगिन पदा करक हमार वयिहारो को िातािरण क

सार समायोजन करन म मदद करता ह

32 उददशय इस इकाई को पड़न क बाद आप-

bull मन का शबद का अरथ एि उसकी पररभाषाओ क बार म जान सक ग

bull मन की अिसराओ क बार म जान सक ग

bull मन क आकारातमक पकष-चतन अदवाथचतन ि अचत क बार म जान सक ग

bull मन क गतयातमक पकष-उपाह पराह नवतक मन क बार म जान सक ग

bull उपाह पराह ि नवतक मन क कायो क विषय म जान सक ग

bull उपाह पराह ि नवतक मन क समबनि क बार म जान सक ग|

33 मन कया ह रबर क अनसार lsquolsquoमन का तातपयथ पररकवलपत मानवसक परवियाओ एि वियाओ की

समपणथता स ह जो मनोिजञावनक परदतत वयाखयातमक सािनो क रप म काम कर सकती हrsquorsquo

अतः मन की मातर हम कलपना कर सकत ह इसको न तो वकसी न दखा ह और नही

इसका सपशथ वकया जा सकता ह

34 मन की अिसराए मन की अिसराओ स तातपयथ इसक विवभनन पहलओ स ह परवसि मनोविशलषण िादी

वसगमणड फरायड न मन आतमन तरा वयवकत क अनक पदवा बताऐ ह लवकन फरायड न मन क दो

पहलओ पर विशष बल वदया ह-

1 मन का आकारामक पहल

2 मन का गतयातमक पहल

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35 मन क आकारातमक पकष मन क आकारातमक पहल स तातपयथ जहा सघषथमय पररवसरवत की गतयातमकता उतपनन

होती ह अराथत मन का आकारातमक पहल िासति म वयवकतति की गतयातमक शवकतयो क बीच

हान िाल सघषो का एक कायथसरल ह आकारातमक पहल क अनसार मन को वनमन तीन सतरो म

बािा गया ह-

1 चतन

2 अदवथचतन

3 अचतन

1) ििन- चतन का अरथ मन का िह भाग वजसका समबनि ितथमान स होता ह अराथत चतन

वियाओ का समबनि तातकावलक अनभिो स होता ह जस- कोई वयवकत वलख रहा ह तो उस

वलखन की चतना ह कोई वयवकत गा रहा ह तो उस गान की चतना स ह वयवकत वजस शारीररक

और मानवसक वियाओ क परवत जागरक होता ह िह चतन सतर पर घवित होतीह चतन सतर

पर घवित होन िाल सभी परकार की वियाओ और परवतवियाओ की जानकारी या चतना वयवकत

को रहती ह यदयवप चतना होती ह अराथत चतना कभी लपत नही होती ह जब वयवकत वकसी स

बातचीत करता ह तो उस समबवनित जो अनभि एि विचार होत ह िह चतन होता ह अततः

चतन का समबनि िासतविकता स अविक होता ह चतन मन स सबवनित कछ परमख

विशषताए वनमन ह|

i चतन मन का सबस छोिा भाग ह

ii चतन मन का सीिा समबनि िाहय जगत की िासतविकताओ स होता ह

iii चतन मन अदवथचतन ि अचतन पर परवतबनिक का कायथ करता ह

iv चतन मन म ितथमान विचारो एि घिनाओ क जीवित समवत वचनह होत ह अतः इन विचारो एि

घिनाओ की पहचान एि परतयािाहन आसानी स वकया जा सकता ह

v चतन मन वयवकतगत नवतक सामावजक एि सासकवतक आदशो का भणडार होता ह

2) अरदयििन- यह मन का िह भाग ह वजसका समबनि ऐसी विषय-सामगरी स होता ह वजस

वयवकत इचछानसार कभी भी याद कर सकता ह मन क इस भाग म िह विषय सामगरी होती ह

वजसका परतयािाहन करत म वयवकत को रोड़ापरयास पड़ता ह अदवथचतन की अिचतन ि सलभ

समवत क नाम स भी जाना जाता ह अदवथचतन की मानवसक अनभवतयो या घिनाओ सतो वयवकत

अिगत नही रहता ह परनत रोड़ासा परयास करन पर उसका परतयािाहन कर लता ह और

वयवकत उस सचना या घिना स अिगत हो जाता ह जस कभी-कभी हम वकसी घिना स

समबवनि तयो को यवद याद करना चाहत ह तो िह ततकाल याद नही आता ह परनत बाद मम

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उततराखड मकत विशवविदयालय 40

रोड़ासा परयास करन िह घिना हम याद आ जाती ह वकसी वकताब की जररत होन पर जब

हम उस अपनी अलमारी म नही परत ह तो हम रोडी ा दर क वलए परशान हो उित ह और कछ

दर सोचन लगत ह वक कहा रखी री वकसी को दी तो नही री विर कछ दर सोचन पर याद

आता ह वक िह वकताब हमन अपन एक वमतर को दी री हमन वकताब वकसको दी री यह बात

हम भल नही र बवलक िह चतन स हिकर अदवथचतन म चला गया रा अदवथचतन की कछ

परमख विशषताए वनमन ह-

i अदवथचतन चतन और अचतन क बीच का भाग ह यह चतन स बड़ा और अचतन स छोिा

होना ह

ii अदवथचतन अचतन तरा चतन क बीच सत का काम करता ह अचतन स चतन म जान िाल

िाला भाि इचछा एि विचार आवद अदवथचतन स होकर गजरता ह

iii अदवथचतन तरा चतन क बीच की कडी ा कमजोर होती ह यही कारण ह वक रोड़ स ही परयास स

अदवथचतन क भाि एि विचार उस कडी ा को पर करक चतन म आ जात ह

3) अििन- यह मन का सबस गहरा एि बड़ा भाग ह अचतन का शावबदक अरथ ह जो चतन या

चतना स पर हो हमार कछ अनभि इस तरह क होत ह जो न तो हमारी चतना म होत ह ओर

नही अदवथचतना म ऐस अनभि अचतन म होत ह अराथत यह मन का िो भाग ह वजसका

समबनि ऐसी विषय-िसत स होता ह वजस वयवकत इचछानसार याद करक चतना म लाना चाह

तो भी नही ला सकता ह

अचतन म रहन िाल विचार एि इचछाओ का सिरप कामक असामावजक अनवतक तरा

घवणत होता ह ऐसी इचछाओ को वदन परवतवदन क जीिन म परा कर पाना समभि नही ह अतः उन

इचछाओ को चतना स हिाकर अचतन म दबा वदया जाता ह और िहा पर ऐसी इचछाओ को चतना

स हिाकर अचतन म दबा वदया जाता ह और िहा पर ऐसी इचछाए समापत नही होती ह बवलक

समय-समय पर य इचछाऐ चतन सतर पर आन का परयास करती रहती ह|

फरायड न इस वसिानत की तलना एक आइसिगथ स ही ह वजसका 910 भाग पानी क

अनदर और 110 भाग पानी क बाहर िाला भाग चतन होता ह पानी क अनदर िाला भाग अचतन

तरा पानी क बाहर िाला भाग चतन होता ह तरा जो भाग पानी की ऊपरी सतह स सपशथ करता

हआ होता ह िह अदवथचतन कहलाता ह

अचतन मन की विशषताए वनमन ह-

1 अचतन मन चतन ि अदवथचतन मन स बड़ा होता ह

2 अचतन मन म कामक अनवतकक असामावजक इचछाओ की परिानता होती ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 41

3 अचतन का समबनि गतयातमक होता ह अराथत अचतन मन म जान पर इचछाए समापत नही

होती ह बवलक सिीय होकर य चतन म लौि आना चाहती ह परनत चतन मन तरा अह की

परवतबवनिता क कारण िसी इचछाए चतन म नही आ पाती ह और य रप बदलकर सिपन ि

दवनक जीिन की छोिी-मोिी गलवतयो क रप म वयकत होती ह और य अचतन क रप को

गातयातमक बना दती ह

4 अचतन क बार म वयवकत परी तरह स अनावभजञय रहता ह कयोवक अचतन का समबनि

िासतविकता स नही होता ह

5 यह मन का वछपा हआ भाग होता ह यह एक वबजली क परिाह की भावत होता ह वजस सीि

दखा नही जा सकता ह परनत इसक परभािो क आिार पर इसको समझा जा सकता ह

6 अचतन म वबना वकसी इनद क ही परसपर वकरोिी इचछाए और भािनाए सवचत रहती ह

उदाहरणारथ-अचतन मन म वनराशा एि सिलता परम एि घणा का भाि सख एि दःख का

भाि आवद सवचत रहत ह और इनस वयवकत को वकसी परकार का मानवसक सघषथ भी पदा नही

होता ह कयोवक वयवकत इन सबस अिगत नही रहता ह|

7 अचतन की इचछाए वयवकत क वनयतरण स बाहर होती ह कयोवक अचतन क बार म वयवकत पणथतः अनावभजञय रहता ह

अचतन क अवसतति क परमाण-

अचतन वयवकत क मन का एक ऐसा अवयकत पहल ह वजस वयवकत न तो िाहय वनरीकषण दवारा

सीि अधययन कर सकता ह और न ही अनतवनरीकषण दवारा ही इसक अवसतति को परमावणत कर

सकता ह उदाहरणारथ- यह वबजली क परिाह क भावत होता ह वजस तरह स हम वबजली क परिाह

दख नही सकत ह लवकन उसक पड़न िाल परभािो क रप को जान सकत ह िीक उसी तरह स

अचतन मन को सीि नही जाना ना सकता ह बवलक इसक अवसतति को परोकष रप स ही कछ

सबतो क आिार पर परमावणत वकया जा सकता ह अचतन मन क अवसतति को वनमन सबतो क

आिार पर परमावणत वकया जा सकता ह

1 सिपन- अचतन मन क अवसतति का सबस बड़ा सबत सिपन ह नीद की वसरवत म चतन मन

परवतबनि कछ ढीला पड़ जाता ह और अचतन की अनभवतया एि अतपत इचछाए छदम रप

िारण कर चतन अिसरा म परिश करती ह वजस कारण वयवकत सपपन दखता ह और अचतन

की अतपत इचछाओ की सतवषट भी करता ह सिपन क रप कछ भी हो सकता ह और सिपन म

वयवकत अपनी सखद इचछाओ की सतवषट भी करता ह सिपन क रप कछ भी हो सकता ह और

सिपन म वयवकत अपनी सखद इचछाओ की सतवषट भी करत दखता ह या अपन आपको दणड

दत हए जस ऊपर स वगरत हए दखना नदी म डबना ि आग म जलत हए दखता ह इन दोनो

की तरह क सिपनो म अचतन इचछाओ एि अनभवतयो की सतवषट होती ह अतः अचतन मन

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उततराखड मकत विशवविदयालय 42

की इचछाओ क कारण ही हम सिपन दखत ह और सिपन को अचतन क अवसतति का एक

पयाथपत सबत माना गया ह

2 दवनक िीिन की िल- परायः हम सभी अपन दवनक जीिन म बहत सारी छोिी-छोिी भल

करत ह जस बोलन की भल वलखन की भल िसतओ को रखकर भल जान की भल या

पहचानन की भल आवद यवद विजञान का कारण परभाि वनयम सतय ह तो इन भलो का कोई न

कोई कारण अिशय होना चावहए चतन सतर पर तो हम इस समसया का समािान नही कर सकत

ह वक हम भलत कयो ह लवकन जब हम अचतन क अवसतति को मान लत ह तो इसी

वयाखया करना समभि हो जाता ह फरायड क अनसार ऐसी सभी सामानय भल अपन आप

सयोग िश नही हो जाती ह बवलक उसका एक वनवित कारण होता ह जो अचतन म दवमत

रहता ह अकसर वयवकत अपनी रोजमराथ की वजनदगी म बोलना कछ चाहता और बोल कछ

जाता ह वयवकत वकसी क घर जाता ह तो िहा चाभी या रमाल छोड़कर चला आता ह वकसी

समान को ऐसी जगह रख दता ह वक उस ढढना कािी कविन हो जाता ह और य सारी गवलतया

इसवलए होती ह कयोवक अचतन की इचछाओ स इनका समबनि होता ह जस एक सजजन

वजनह अपन शबद भणडार एि जञान पर बहत गिथ रा एक बार उनह अपन शबद भणडार एि जञान

पर बहत गिथ रा एक बार उनह अपन वमतर क लख पर बिाई दनी री उनह कहना रा वक इस

महान लख पर म अपना सािारण विचार परकि कर रहा ह पर उनहोन कहा वक इस वनमन कोवि

क लख पर म अपना महान विचार परकि कर रहा ह इस उदाहरण का विशलषण करन पर पता

चला वक वयवकत क मन म उस लख क परवत महानता का नही बवलक वनमनता का विचार रा

इसी तरह एक दसर उदाहरण एक बार मवहला अपनी बिी की कछ मानवसक समसयाओ

का इलाज करान एक मनोवचवकतसक क पास गई मनोवचवकतसक दवारा बिी का नाम पछ जान पर

मवहला उसका नाम बतान म असमरथ रही कयोवक िह उसका नाम भल गई री बातचीन क दौरान

पता चला वक मवहला दवारा बिी क जनम दन पर उस भयानक तकलीि उिानी पडी ा री अतः सपषट

ह वक अचतन म दबी हई अवपरय एि दख अनभिो दवारा उतपनन मानवसक सघषो स मवकत पान हत

अचतन रप स मवहला अपनी बिी का नाम भल गई री

वयवकत अपन दवनक जीिन म कछ ऐसी साकवतक वियाए जस बि-बि पर वहलाना कलम

या पवनसल क ऊपरी भाग दो दात स चबाना चाभी क गचछ को नचाना भाषण दत समय वकसी

खास शबद को बार-बार दोहराना आवद इन वियाओ क पीछ वनवित रप स अचतन की दवमत

इचछाओ का सकत वमलता ह फरायड न एक बार यह दखा वक एक वििावहत मवहला अपनी अगली

स बार-बार अगिी को वनकालती री विर अनदर कर लती री फरायड दवारा पछन पर वक िह ऐसा

बार-बार कयो कर रही ह तो उसन कहा ऐस ही परनत विशलषण करन पर पता चला वक मवहला अपन

पवत को कछ कारणो स तलाक दना चाहती री परनत सामावजक एि नवतक कारणो स िह ऐसा

करता उवचत नही समझती री अगली स अगिी को वनकालन की विया दवारा पवत को पररतयाग

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उततराखड मकत विशवविदयालय 43

करन तरा पनः उस अगिी को अगली म डाल लना नवतक एि सामावजक बिनो क कारण पवत जो

नही छोड़न क विचारो का सकत वमलता ह

परायः हमार दवनक जीिन म गवलतयो या भल जो सपषटतः बतकी या वनररथक दीख पड़ती ह

िासति म िो वनररथक नही होती ह इन भलो एि गवलतयो दवारा अचतन मन की अनपत इचछाओ एि

विचारो की अवभवयवकत होती ह अतः मनोिजञावनक दवषटकोण स दवनक जीिन की ऐसी भल

महतिपणथ एि सारथक होती ह

3 सममोहन- सममोहन की अिसरा एक तरह की मोहािसरा ह वजसम वयवकत की चतना शनय जो

जाती ह और वयवकत सममोहन की अिसरा म आजञानसार कायथ करन क वलय परररत रहता ह

वहसिीररया क अनक रोवगयो पर सममोहन विवि का परयोग करन पर पाया गया ह वक इस

अिसरा म रोगी कछ ऐसी अनभवतयो एि तयो को बतलाता ह वजस िह सममोहन अिसरा क

पहल न तो वकया रा और न रोगी न उसक बार म कभी सोचा रा सपषट ह वक इसकी ऐसी

अनभवतयो एि तयो का सरोत अचतन मन म ही होता ह यवद सममोहन की अिसरा म रोगी

को भविषय म कछ करन का सझाि वदया जाता ह तो िह उस आसानी स करता भी ह और

कारण पछन पर िह उसका कोई उततर नही द पाता ह लवकन िह उस कायथ को करता ह

उदाहरण क वलए यवद रोगी को सममोहन की अिसरा म यह सझाि वदया जाता ह वक िह

मगलिार को सबह 11 बज अपनी बहन स वमलन जायगा तो िीक उसी वदन उसी समय पर

अपनी मौसी स वमलन जाता ह यवद रोगी स इसका कारण पछा जाय तो िह यही कहता ह वक

बस य ही चला गया रा अतः इस बता स यह सपषट ह वक िह अपना कायथ अचतन क

वनदशानसार कर रहा ह

4 नीद म टहलिा- इसम वयवकत कछ वियाए सोई हई अिसरा म भी सामानय ढग स करता ह

और विर पनः जाकर सो जाता ह और नीद स जागन पर उस इस बात का वबलकल भी अभास

रहता ह वक उसन सचमच म ऐसी वियाओ को वकया रा वयवकत नीद की अिसरा म उिकर

नदी सनान करन चला जाता ह हारमोवनयम बजान लगता ह और कछ दर बाद आकर करक

पनः सो जाता ह और विर सबह नीद ििन पर उस अपन दवारा वकय गय कायो पर वबलकल भी

आभास नही रहता ह िासति म इन वियाओ का वनयतरण एि सचालन वनवित रप स अचतन

मन दवारा ही होता ह

5 मानवसक रोग- परायः मानवसक रोग अचतन की जविल एि परबल इचछाओ का अचतन म

परिश करन उतपनन होता ह मानवसक रोग परायः दो परकार क होत ह पहला सनायविकवत और

दसरा सनायविकवत सनाय विकवत जस-वचनता सनायविकवत बाधयता उनमाद मनोिजञावनक भय

आवद सनायविकवत जस मनोविदलता वयामोर आवद वयवकत म य मानवसक रोग कयो

विकवसत हो जात ह इनक कया कारण ह इन समसयाओ क समािान चतन मन क आिान पर

समभि नही ह लवकन अचतन क अवसतति को मान लन पर इन परशनो का समािान समभि हो

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उततराखड मकत विशवविदयालय 44

जाता ह फरायड क अनसार अचनत इचछाए जब अविक कामक तरा अनवतक होती ह तो

उनकी अवभवयवकत एि सनतवषट मानवसक रोगो क मािम स होती ह इस तरह मानवसक रोग का

होना अपन आप म अचतन म अवसतति को परमावणत करता ह यवद अचतन की अतपत एि

अनवतक इचछाओ दवारा चतन गरवसत न हो तो वयवकत म वकसी परकार का मानवसक रोग उतपनन

नही होगा

6 घबराहट की अिसथा- यह एक ऐसी सािवगक अिसरा होती ह वजसम वयवकत का चतन मन

एक असतवलत अिसरा म होता ह और वयवकत यह नही समझ पाता ह वक िह कया कर और

कया न कर ऐसी वसरवत म चतन मन का अचतन मन पर रहन िाला परवतबनि कछ वढ़ला पड़

जाता ह और वयवकत कछ ऐसी विवचतर बातो को बतलाता ह वजसम अनय वयवकत तरा सिम िह

अपन आप भी आियथ म पड़ जाता ह वक ऐसी विवचतर ऐसी बात उसक अचतन मन म होती ह

जो मन म घबराहि स उतपनन असतवलत अिसरा क कारण परवतबनि म ढीलापन होन स परिश

कर जाती ह

7 एनसथवसिा का परिाि- परायः दखा गया ह वक जब वयवकत को एनसरवसया वदया जाता ह तो

िह चतना विहीन हो जाता ह और इस चतना-विहीन अिसरा म भी िह कछ न कछ बड़बड़ाता

रहता ह एनसरवसया दन स वयवकत का चतन मन तो शनय हो जाता ह अतः बड़बड़ान जसी

वियाओ का सचालन एि वनयतरण अचतन मन क दवारा ही होता ह

8 सििातर साहििय- सिततर साहचयथ ऐसी विवि ह वजसका परयोग मानवसक रोवगयो की अचतन

इचछाओ क बार म पता लगान क वलए वकया जाता ह इस विवि म रोगी सिततरता पिथक अपन

मन म आन िाल सभी तरह क भािो विचारो सघषो घिनाओ आवद को वयकत करता ह इस

विवि म रोगी अपन मन की कछ विसतत अनभवतयो एि भािो को भी बताता ह और वजसका

समबनि चतन मन स न होकर अचतन मन स होता ह अतः सिततर साहचयथ विवि दवारा वयकत

कछ अनभवतया एि भािो स भी वयवकत क अचतन मन क अवसतति क सपषट सबत दखन को

वमलत ह

9 ठीक समि पर अिानक नीद पर टट िाना- परायः जब हम यह सोचकर सोत ह वक हम

परातः वनवित समय पर पढ़ना ह या कही जाना ह तो हम ऐसा करन म सिल भी हो जात ह

उदाहरण क वलए जब हम रात म यह वनिय करक सोत ह वक हम परातः 300 बज उिकर पढ़ना

ह तो िीक उसी समय हमारी नीद िि जाती ह या हम जग जात ह और पिथ वनवित समय पर

बिकर पढ़न लगत ह अराथत नीद की अिसरा म हमारा अचतन मन सिीय रहता ह जो हम

पिथ वनिाथररत समय पर नीद स उिा दता ह

10 वकसी समसिा एिा सििः समाधान होना- अकसर होता ह वक जब हम वकसी समसया का

समािान करत ह तो हम अपनी परी कोवशश क बाद भी उसका समािान नही ढढ़ पात ह हार

कर हम उस समसया क समबनि म सोचना छोड़ दत ह और कछ समय बाद उस समसया का

अचानक हम समािान वमल जाता ह ऐसा परायः इसवलए होता ह कयोवक चतन रशय स तो

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वयवकत समसया का समािान करना छोड़ दता ह लवकन अचतन रप स िह उस समसया का

समािान सोचता रहता ह और इसी अचतन क परयास का समािान सोचता रहता ह और इसी

अचतन क परयास क कारण ही हम उस समसया का समािान वमल पाना ह

11 नशा- नश की हालत म होन िाल वयिहारो स भी अचतन क अवसतति का पता चलता ह

परायः नश की वसरवत म वयवकत गनद ि अनवतक विचारो एि वयिहारो को वयकत करता ह

जबवक सामानय वसरवत म िह ऐसा नही करता ह कयोवक नश की हालत म वयवकत का अचतन

मन सिीय हो उिता ह और चतन मन वनषिीय हो उिता ह

36 चिन अचिन और अदथिचिन मन का िलनातमक अधययन

तीन भाग चतन अचतन ि अदवथचतन मन क आकारातमक पहल ह इनका तलनातमक

अधययन हम वनमन तयो क आिार पर कर सकत ह-

1 चतन मन का िह भाग ह वजसका समबनि तरनत जञान स लता ह इस मन की समसत

अनभवतया ह मवसतषक म ताजी रहती ह और अदवथचतन म वयवकत अनभवतयो स ितथमान समय

म अिगत नही रहता ह बवलक रोड़ा परयास करन पर उसस आसानी स अिगत हो जाता ह

और अचतन मन का िह भाग ह वजसस वयवकत पणथतः अनवभजञय रहता ह उस चाहकर भी

वयवकत याद करन म असिल रहता ह

2 चतन मन का आकार सबस छोिा होता ह अदवथचतन का उसस बड़ा और अचतन का आकार

सबस बड़ा होता ह

3 चतन मन म किल ितथमान अनभवतयो की समवतया रहती ह जबवक अचतन मन म बीती हई

अनभवतया रहती ह वजनाक ततकावलक अनभिो स कोई समबनि नही होता ह जबवक

अदवथचतन म विगत अनभवतया तो होती ह परनत उनका तातकावलकक अनभिो स समबनि जडा ा

होता ह और आिशयकता पड़न पर हम उनका परतयािाहन कर सकत ह

4 चतन मन का सिरप नवतक एि सामावजक होता ह जबवक अचतन मन की इचछाओ का

सिसय अनवतक असामावजक तरा आवरथक होता ह और अदवथ-चतन की इचछाए भी नवतक

एि सामावजक ही होती ह लवकन इसका वयवकत क वयिहार पर कोई खास परभाि नही पड़ता ह

5 मन क चतन भाग समबनि पराह (Superego) तरा अह (Id) स अविक होता ह परनत

अचतन का समबनि उपाह (Ego) स अविक होता ह और अदवथचतन भाग पर अह की परिवततयो

का रोड़ावनयतरण पाया जाता ह

6 चतन मन की विषय एि वयकत होता ह इसी कारण चतन मन क विषय क वकसी भी भाग का

हम अपनी इचछानसार परतयािाहन कर लत ह अचतन क विषय पणथतया दवमत होत ह िलतः

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उनाक परतयािाहन बहत कोवशश करन क बािजद भी हम नही कर पात ह जबवक अदवथचतन का

विषय आवशक रप स दवमत होता ह और आिशयकता पड़न पर वयवकत रोड़ स परयास दवारा

उनका परतयािाहन कर लता ह

37 अचिन मन का महति मनषय का सिभाि बहत जविल होता ह और उस जविल सिभाि की अवभवयवकत वयिहार

क रप म होती ह अतः वयिहारो का जविल होना सिाभाविक वयिहारो क समवचत विशलषण तरा

वयाखया क आिान पर मानि क जविल सिसय को समझन म अचतन मन का विशष महति ह-

1 अचतन मन का महति मानवसक रोगो को समझन एि उस लकषणो क कारण को समझन म बहत अविक ह अविकाश मनोिजञावनक इस बात स सहमत ह वक मानवसक रोगो क कारण वयवकत

की अतपत इचछाए एि मानवसक सघषथ आवद होत रहत ह जो अचतन म दब रहत ह अचतन क

दवारा इन रोगो क कारणो लकषणो दवारा को समझन म बहत सहायता वमलती ह

2 हमार जीिन म हर रोज की घिनाओ जस- सिपन वदिासिपन दवनक जीिन की भल मानवसक

सघषो आवद को समझन म अचतन मन का योगदान बहत महतिपणथ ह

3 अचतन मन का महति मानवसक रोगो क उचार बहत अविक होता ह मनोवचवकतसा की विवभनन विवियो जस सममोहन मनोविशलषण क दवारा अचतन मन की अतपत इचछाओ एि

सघषो का पता लगाया जाता ह और विर रोग क अनकल उसकी वचवकतसा की जाती ह

4 सिपनो की वयाखया करन म भी अचतन मन का महति बहत अविक ह कयोवक सिपन अकारण नही होत ह बवलक अचतन म दबी इचछाओ क कारण वदखाई दत ह

38 मन का गतयातमक पकष मन क गतयातमक पहल का समबनि अरथ- अराथत वजसक दवारा मल परिवततयो म उतपनन होन

िाल सघषो का समािान वकया जाता ह

मल परिवततयो स तातपयथ- ऐस जनमजात एि शारीररक उततजना स होता ह वजसक दवारा

वयवकत क सभी तरह क वयिहार वनिाथररत वकय जात ह मल परिवततयो को दो भागो म बािा गया ह-

1 जीिन मल परिवतत

2 मतय मल परिवतत

जीिन मल परिवतत म वयवकत सभी तरह क रचनातमक कायाा को करता ह और मतय मल

परिवतत म वयवकत सभी तरह क धिसातमक एि आिमणकारी वयिहार करता ह जबवक सामानय

वयवकतति म इन दोनो तरह की परिवततयो म एक तरह का सतलन बना रहता ह और जब जीिन मल

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परिवतत और मतय परिवतत म सघषथ होता ह तो वयवकत उसका समािान करन की कोवशश करता ह

और इसका समािान मलतः तीन परकार की परिवततयो का िणथन कर वलया ह-

1 उपाह (Id) 2 पराह (Ego) 3 नवतक मन (Super ego)

1) उपाह- जनम क समय की शरीर की सरचना म जो कछ भी वनवहत होताह िह पणथतः उपाह (इड)

होता ह अराथत जनम क समय वशश का मन पणथ रप स उपाह होता ह यह जनमजात और

िशानगत होता ह एक निजात वशश म उपाह की परिवततया की भरमार हाती ह और य परिवततयो

आननद वसिानत दवारा वनिाथररत होती ह कयोवक एसी परिवतयो का मखय उददशय आननद दन िाल

पररणाओ की सतवषट करना ह उपाह को कया उवचतह कया अनवचत कया सही कया गलत वििक

- अवििक समय सरान आवद स काई मतलब नही होता ह

इस िासतविकता स कोई मतलब नही होता ह कयोवक िह अिचतन म होता ह उपाह की

कछ परमख विशषताए वनमन ह-

1 उपाह म जीिन मल परिवतत और मतय मल परिवत दोनो (अराथत रचनातमक और विधिनसातमक)

ही कायो स उस सख या आननद की परावपत होती ह जस वखलौन स मन भर जान क बाद िह उस

पिक-पिक कर तोड़ डालता ह इस दोनो ही तरह क कायो म बचच को आननद वमलता ह

2 उपाह का समबनि जीिन की िासतविकता स नही होती ह अराथत उपाह नवतक एि सामावजक परवतबनिो का वबना खयाल वकय ही अपनी सभी इचछाओ को परा करन क वलए परयतनशील

रहता ह जस यवद कोई बचचा मोर दखन का वनिय कर लता ह तो िह हर हाल म मोर दखन क

वलए लालावयत रहता ह

3 उपाह परी तरह अचतन होता ह इसवलए यह नवतकता स पर असामावजक एि िासतविकता स दर होता ह

4 उपाह आननद वसिानत पर आिाररत होता ह उपाह आननद वसिानत दवारा वनदवशत एि

वनयवतरत होता ह इसका मखय उददशय किल सख या आननद को परापत करना ह जस जब कोई

बचचा मोद दखना चाहता ह तो िह कािी दर पदल चलकर भी उस दखन जान म भी िह नही

वहचवकचाता ह

उपाह म सही गलत का जञान नही होता सतपक को कया करना चावहए कया नही करना चावहए

इसका उस वबलकल जञान नही होता ह यही कारण ह वक एक छोिा बचचा वकसी भी चीज को

पकड़न स नही वहचवकचाता ह

5 अह तरा नवतक मन को बाहय िातािरण की िासतविकता स कोई समबनि नही होता ह जबवक अह का िाहय िातािरण की िासतविकता स सीिा समबनि होता ह

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6 अह वयवकतति का कनरक होता ह यह उपाह और नवतक मन क सार िातािरण की

िासतविकताओ क मधय सामानजसय बनाकर वकया या वयिहार करता ह

उपाह अह और नवतकमन म कछ समानताए होत हए भी य तीनो एक दसर स अलग ह

उपाह क कायथ- उपाह का मखय कायथ इचछाओ की सतवषट स ह यह वकसी भी परकार क तनाि स

तरनत छिकारा पाना चाहता ह उपाह वयवकतति म उतपनन तनाि एि सघषो को दर करन क वलए दो

तरह की परवियाओ को अपनाता ह-

i सहज परविया ii परारवमक विया

सहज वियाए जनमजात एि सिचावलत होती ह जस छीकना पलक झपकाना आवद

वयवकत सहज वियाओ क परा होन क बाद सतोष का अनभि करता ह परारवमक परविया म वयवकत

िस उददीपको वजनस पहल इचछा की सतवशि होती री क बार म मातर एक कलपना कर अपन सघषथ

या तनाि को दर करता ह जस एक बचचा वजस वखलौन को िह पहल खलता रा नही दन पर िह

उस वखलौन की मातर कलपना करक ही अपनी इचछा की पवतथ कर लता ह और मानवसक तनाि को

दर करता ह

2) अह (Ego) पराह- अह मन क गतयातमक पहल का दसरा मखय भाग ह अह का अरथ आतमा

या चतन बवि स होता ह जनम क कछ समय बाद तक बचचा परी तरह उपाह की परिवततयो दवारा

वनयवतरक होता ह लवकन सामावजक वनयमो एि नवतक मलयो क कारण उसकी एसी परिवततयो या

इचछाओ की पवतथ नही होती वजसक िलसिरप बचच म वनराशा का अनभि होता ह और

उनका समबनि िासतविकता स हो जाता ह इस परविया क दौरान उसम अह का विकास होता

ह अह का मन का िह भाग ह वजसका समबनि िासतविकता स होता ह तरा यह बचपन म

उपाह की परिवततयो स ही जनम लता ह यह मन का िह भार ह वजसका समबनि िासतविकता स

होता ह यह उपाह की इचछाओ और भौवतक जगत की िासतविकताओ क मधय

समायोजनकताथ का कायथ करता ह

बालक की आय जस -जस बदलन लगती ह िस-िस उसम मरा और मझ जस शबदो स

अरथ सपषट होन लगत ह िीर-िीर बचचा यह समझन लगता ह वक कौन सी चीज उसकी ह और कौन

सी चीज दसरो की ह अह उपाह का एक विवशषट अग ह जो िाहय िातािरण क कारण विकवसत

होता ह

अतः िाहय िातािारण स इकटठा वकया गया जञान ही अह की विषय-सामगरी ह अह की कछ

परमख विशषताए वनमन ह-

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1 अह रोड़ाचतन रोड़ाअिथचतन और रोड़ाअचतन होता ह अतः अह क दवारा तीनो ही सतरो

पर वनणथय वलय जात ह

2 अह िासतविकता वसिानत दवारा वनदवशत एि वनयवतरत होता ह 3 अह वयवकतति की कायथकाररणी शाखा क रप म कायथ करता ह अतः इसक दवारा सभी महतिपणथ

वनणथय वलय जात ह

4 अह एक समायोजक क रप म कायथ करता ह यह उपाह एि नवतक मन की अिासतविक परिवततयो स पणथतः अिगत रहता ह तरा उसक पररणाम को गमभीरतापिथक सोचता ह और

दसरी ओर उन परिवततयो एि इचछाओ की सामावजक िासतविकता को धयान म रखकर मौका

वमलन पर उसको परा करन की अनमवत भी दता ह

5 अह का समबनि नवतकता स हनी होता ह कया उवचत ह कया अनवचत ह अह का समबनि इसस नही होता ह बवलक अिसर वमलन पर यह अनवचत कायो को भी करन की अनमवत द दता ह

यही कारण ह वक अिसर दखकर वििारी परीकषा म नकल कर लत ह

अह क कायथ- अह का मखय कायथ िाहय िातािरण क िासतविकता क वनयम क आिार पर करता ह

यह तरनत इचछाओ की सतवषट का विरोिी नही ह बवलक उपयथकत पररवसरवत क आत ही यह

तातकावलत तवपत म सहायता करता ह यह वयवकतति का बौविक पकष ह अतः यह तातकावलक सतवषट

क वलय उपयकत पररवसरवत को खोजन का कायथ करता ह

3) नवतकमन (सपर इगो)- वयवकतत का यह भाग सबस बाद म विकवसत होता ह यह वयवकतति का नवतक पकष ह जो वयवकत का समाजीकरण करता ह जस-जस बालक बड़ा होता जाता ह िह

अपना तादातकय माता वपता क सार सरावपत करन लगता ह िलसिरप बचचा िह सीख लता

ह वक कया सही ह कया गलत कया उवचत ह कया अनवचत ह कया नवतक ह और कया अनवतक

और िही स नवतक मन की शरआत होती ह यह आदशथिादी वसिानत दवारा वनदवशत एि

वनयवत होता ह बचपन म सामाजीकरण क दौरान बालक अपन मातावपता दवार वदय गय

उपदशो को अपन अह म आतमसात कर लता ह और यही बाद म नवतक मन रहसय ल लता ह

नवतक मन विकवसत होकर एक तरि उपाह की कामक आिामक एि अनवतक परिवततयो पर

रोक लगाता ह तो दसरी ओर अह की िासतविक एि यरारथ लकषयो स हिाकर नवतक लकषयो की

ओर ल जाता ह

एक पणथतः विकवसत नवतक मन वयवकत क कामक एि आिामक परिवततयो पर वनयतरण

दमन क माधयम स करता ह

जबवक िह दमन का परयोग सिय नही करता ह बवलक िह अह को दमन क परयोग का

आदश दकर एसी इचछाओ पर वनयतरण रखता ह यवद वयवकत क अह क इस ओदश का पालन नही

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उततराखड मकत विशवविदयालय 50

करता ह तो वयवकत म दोष भाि उतपनन हो जात ह अह की तरह ही नवतक मन भी चतन अिथचतन ि

अचतन तीनो ही सतरो पर होता ह नवतक मन की कछ परमख विशषताए वनमन ह-

1 नवतक मन आदशो का भणडार होता ह यह नवतकता स यकत होन क कारण उपाह की कामक

इचछाओ पर वनयतरण करता ह वजन वयवकतयो म नवतक मन का विकास अिरा होता ह ि परायः

िवणत कायाा (जस हतया चोरी डकती आवद ) को करत ह और इनह इसका कोई पिाताप भी

नही होता ह

2 नवतक मनचतन अिचतन ि अचतन तीनो ही सतरो पर कायथ करता ह

3 नवतक मन की दो कायथ परणाती होती ह अनतः करण या वििक तरा अह का आदथश जब

बचचो दवारा अनवचत या गलत कायथ वकया जाता ह तब उनह मातावपता दवारा सजा या गलत

कायथ वकया जाता ह तब उनह माता वपता दवारा सजा या दणड वमलता ह वजसक िलसिरप

बचच म अनतःकरण या वििक विकवसत होता ह तरा जब बचचो दवारा उवचत या सही अचछा

कायथ वकया जता ह तो माता वपता दवार उनह शाबाशी या परसकार वदया जाता ह वजसम बचच

म अह आदशथ विकवसत होता ह

4 अपाह का तरह की नवतक मन अिसतविक होता ह कयोवक यह अपन नवतक ओदशो को अह

दवारा परा करिान म अह क सामन आय िासतविक कविनाई यो का तवनक भी खयाल नही

करता ह

5 नवतक मन वयवकत की अनवतक एि कामक परिवततयो पर दमन दवारा रोक लगाता ह यदयवप दमन का परयोग नवतक मन सिय नही कर सकता ह बवलक इसका परयोग नवतक मन सिय नही कर

सकता ह बवलक इसका परयोग अह दवारा करिाकर एसी परिवततयो एि इचछाओ पद रोक

लगिाता ह यवद अह नवतक मन क दमनकारी आजञा का पालन नही करता ह तो नवतक मन

वयवकत म दोष की भािना ि पिाताप की भािना उतपनन कर दता ह

नवतक मन क कायथ- नवतक मन सामावजकता एि नवतकता का परवतवनविति करता ह नवतक मन का

कायथ पराह और अह स वभनन ह यह अह क उन सभी कायो पर रोक लगता ह जो सामावजक और

नवतक नही ह नवतक मन अह क परवत कायथ और वयिहार जसा होता ह अराथत यह अह को नवतक

और सामावजक लकषयो की आर ल जान का परयास करता ह

39 उपाह पराह और नतिकमन क बीच समबनि उपाह अह एि नवतक मन स वयवकतति की सरचना होती ह और य तीनो ही गवतशील पकष

ह एक सामानय वयवकत म इन तीनो ही अगो म पयाथपत मातरा म सामजसय पाया जाता ह इन तीनो की

इकाइयो म वजतना ही आपस म विरोि या खीचातानी होती ह वयवकत का वयवकतति उतना ही

असामानय हाता ह एक सामानय वयवकत क यह आिशयक ह वक इन तीनो इकाईयो म आपस म

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उततराखड मकत विशवविदयालय 51

सामानजसय बना रह उदाहरण क वलए-कोई वयवकत ह उसकी जब म पसा ह पास लि दसर वयवकत क

मन म यह खयाल आता ह वक नही यह गतल ह यहा पसा चराना उपाह अभी नही जब िह वयवकत

सो जायगा तब पसा चराना अह और पसा न चरान वक य एक बरी बात ह नवतक मन का परतीक ह

जब वयवकत म अह अविक परबल होता ह तब वयवकत म म की अविकता होती ह और वजस वयवकत म

नवतक मन की परबलता होती ह िह आदथशिादी वयवकत होता ह उसम भल बर का विचार अविक

होता ह उपाह अह और नवतक मन म कछ समानताए और कछ वभननताए वनमन ह-

समानिाए-

1 उपाह अह और नवतक मन य तीनो ही मन क गतयातमक पहल क कालपवनक भाग ह

2 वकसी भी मानवसक सघषथ म उपाह अह और नवतक मन तीनो की सवममवलत होत ह अनतर

वसिथ मातरा का होता ह

विविननिाए-

1 उपाह बचचो म जनम स मौजद रहता ह एक िषथ क बाद बचच म अह का विकास होता ह और

बचचा अपन मातावपता क सार तादातमय सरावपत कर लता ह तरा उसक उपदशो का पालन

करन लगता ह तो उसम नवतक मन का विकास होन लगता ह

2 उपाह आननद वसिानत दवारा अह िासतविकता वसिानत दवारा और नवत मन आदथशिादी

वसिानत दवारा वनयवतरत होता ह

3 अह एक समायोजक क रप म कायथ करता ह जबवक उपाह और नवतक मन की परिवततयो परसपर

विरोिी होती ह यह अ को अपनी ओर खीचन का कायथ करती ह

4 उपाह पणथतया अचतन होता ह जबवक अह तरा नवतक मन रोड़ाअचतन अिथचतन ि चतन होत ह

310 साराश मन क आकारातमक और गतयातमक दोनो ही पकषो का हमार वयवतत क विकास एि सगिन

म विशष सरान ह स दोनो ही पकष हमार वयिहार को िातािरण क सार समायोजन करन म मदद

करता ह मन क आकारातमक पहल म अचतन मन का महति कािी अविक ह कयोवक इसस

असामानय मनोविजञान क कषतर म कािी परगवत हई ह मन गतयातमक या सरचनातमक पहल का

समबनि उन सािनो स होता ह वजसक दवार मल परिवततयो ऐ उतपनन सघषो का समािान होता ह

311 शबदािली bull िातकावलक तरनत

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उततराखड मकत विशवविदयालय 52

bull परविबनधक रोकन का

bull आइसिगय वहम खणड

bull अनविजञि अनजान

bull िादातमि समबनि

312 सिमलयाकन हि परशन bull सतयअसतय बताइय

1) मन की दो अिसराए होती ह 2) चतन अिथचतन मन क गतयातमक पहल क तीन भाग ह

3) अचतन मन का सबस छोिा भाग होता ह 4) अचतन अिथचतन और चतन क बीच सत का काम करता ह

5) अचतन मन क बार म वयवकत परी तरह स अनवभजञय रहता ह 6) मल परिवततया तीन परकार की होती ह 7) उपाह (Id) जनम जात एि िशानगत होता ह 8) अह (Ego) का समबनि िासतविकता स होता ह 9) अह (Ego) एक समायोजक क रप म कायथ करता ह 10) नवतक मन आदशथिादी वसिानत दवारा वनयवतरत नही होता ह

bull ररकत सरानो की पवतथ कीवजए

11) चतन अिथचतन और अचतन मन क पकष क अनतगथत आत ह

12) उपाह पराह और नवतक मन पकष क अनतगथत आत ह

13) चतन मन अिथचतन ि अचतन पर का कायथ करता ह

14) अिथचतन चतन और अचतन की का भाग ह

15) अचत मन म कामक ईचछाओ की परिानता होती ह

16) जीिन मल परिवतत म वयवकत सभी तरह क कायथ करता ह 17) उपाह (Id) का मखय कायथ इचछाओ की सतवषट स ह

18) उपाह पराह और नवतक मन का समबनि वयवकत क स होता ह

19) उपाह बचचो म स मौजद रहता ह 20) अहम वयवकतति का होता ह

उततर 1) सतय 2) असतय 3) असतय 4) सतय 5) सतय 6) असतय

7) सतय 8) सतय 9) सतय 10) असतय 11) आकारातमक

12) गतयातक 13) परवतबनिक 14) बीच 15) अनवतक असामावजक

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उततराखड मकत विशवविदयालय 53

16) रचनातमक 17) शारीररक 18) वयवकतति 19) जनम स 20) कनर

313 सनदभथ गरनर सची bull डॉ0 अरण कमार वसह उचचतर नदावनक मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास

वदलली

bull डॉ0 डी0एन0 शरीिासति असामानय मनोविजञान सावहतय परकाशन आगरा

bull डॉ0 मोहममद सलमान असामानय मनोविजञान मोती लाल बनारसीदास वदलली

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ0 गोविनद वतिारी असामानय मनोविजञान विनोद पसतक मवनदर आगरा

314 तनबनिातमक परशन 1 मन की वकतनी अिसराए होती ह

2 मल परिवततया वकस कहत ह

3 मतय मल परिवतत स आप कया समझत ह

4 मन क गतयातमक पहल का अवनतम भाग कौन सा ह

5 अहम वकस वसिानत दवारा वनयवतरत होता ह

6 उपाह क अनवतक असामावजक और सिगो पर रोक कौन लगता ह

7 जब उपाह अहम और नवतक मन मस स एक इकाई अवि परभािशाली हो जीती ह तो कया

होता ह

8 अचतन मन स आप कया समझत ह अचतन मन क अवसतति क कछ परमाण उदाहरण दवारा

परसतत कीवजए

9 मन क गतयातमक पकष स आप कया समझत ह उपाह पराह और नवतक मन क बीच समबनिो

को सपषट कीवजए

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इकाई-4 मनोविशलषणातमक एि वयिहारातमक उपागम 41 परसतािना

42 उददशय

43 मनोविशलषणातमक उपागम

44 मनोविशलषणातमक का अरथ

45 मनोविशलषण वसिानत की वयाखया

451 वयवकतति की सरचना

452 वयवकतति की गतयातमकता

453 वयवकतति का विकास

46 फरायड क मनोविशलषणातमक वसिानत का मलयाकन

47 वयिहारातमक उपागम का अरथ

48 साराश

49 शबदािली

410 सिमलयाकन हत परशन

411 सनदभथ गरनर सची

412 वनबनिातमक परशन

41 परसिािना असामानय मनोविजञान क इवतहास म असामानयता की मनोविशलषणातमक विचारिारा का

जनम वसगमणड फरायड क परयासो स हआ य पहल ऐस वयवकत र वजनहोन बतलया वक असामानय

वयिहार या मानवसक रोग का आिार मनोिजञावनक होता ह और इसका उपचार भी मनोिजञावनक

विवियो दवारा वकया जा सकता ह असामानयता की इस विचारिारा को मनोविशलवषक विचार िारा

तरा उनक दवारा परसतािना विवियो का मनोविशलषण कहा गया

फरायड की इस विचारिारा का मल तति यह ह वक मानवसक रोग दवहक कारको स नही

बवलक मनोिजञावनक कारको स उतपनन होत ह फरायड की यह विचारिारा कािी जविल ह लवकन

फरायड की इस विचारिारा का विरोि महति क कारण मनोविजञान म एक विशष सरान ह

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असामानय मनोविजञान म असामानय वयिहार की वयाखया एि उपचार क वलए वयिहारिादी

विचारिारा की की उतपवतत मनोविजञान का एक महतिपणथ सकल वजस वयिहारिाद कहा जाता ह

महतिपणथ सकल वजस वयिहारिाद कहा जाता ह स हआ ह यदयवप वयिहारिाद की सरापना

िािसन क दवारा की गई ह लवकन पिलॉि रानथडाइक वसमर आवद मनोिजञावनको की भवमका

अतयनत सराहनीय ह

42 उददशय इस इकाई को पड़ान क बाद आप -

bull परवसि मनोविजञावनक वसगमणड फरायड क बार म बता सकग

bull मनोविशलषणतमक वसिानत क विवभनन पहलओ क बार म बता सकग

bull वयवकतति क विवभनन पकषो क बार म बात सकग

bull वयवकतति क विकास क बार म बात सकग

bull वयिहारातमक उपागम क बार म बता सकग

43 मनोविशलषणातमक उपागम वसगमणड फरायड का जनम 1856 म आवसटरया क मावबथया म हआ रा य जनम स यहदी र

अपनी मतय स चार िषथ पिथ तक य वियना म रह आपकी मतय 1939 म हई फरायड न अपन 40

िषो क नदावनक अनभिो क बाद वयवकतति क इस वसिानत का परवतपादन वकया फरायड न साइको

सकसअल जीनसस दवारा वयवकतति विकास को समझाया इनहोन वयवकतति विकास म वलग को विशष

महति वदया आपन शशािसरा म कामकता को विशष महति वदया वजस कारण लोग इनह गनद

वदमाग िाला भी कहत ह कयोवक फरायड न छोि बचचो म भी यौन सनतवषट वसिानत को सरावपत

करन का परयास वकया उनहोन वलग शबद का अरथ विशष अरो म वलया

कयोवक फरायड न छोि बचचो म भी यौन सनतवषट वसिानत को सरावपत करन का परयास

वकया उनहोन वलग शबद का अरथ विशष अरो म वलया

bull वलग शबद पराणी की विशषताओ क वलए परयकत ह और वजन विशषताओ क आिार पर

परावणयो को नर-मादा सतरी-परष कहत ह

bull वलग शबद का अरथ जञानवनरयो की विया स ह

bull वलग शबद का अरथ आकषथण स ह इसी वलए विपरीत वलग क लोग एक दसर क परवत आकवषथत

होत ह

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44 मनोविशलषण का अरथ इस शबद क तीन अरथ ह -

bull पररम सरान पर य एक परविवि ह वजसक दवारा मानवसक जीिन की चतन और अचतन

गवतशीलता की खोज की जाती ह

bull दसर सरान पर यह एक मनोवचवकतसा ह वजसक माधयम स विवभनन तरह क मानवसक रोवगयो

का उपचार इस तरह वकया जाता ह वक जीिन की समसयाओ क परवत बहतर और सखी

समायोजन कर सक

bull तीसर सरान पर मनोविजञान म मनोविशलषण एक समपरदाय ह वजसक अनतगथत बहत स

मनोिजञावनक कायथ कर रह ह

45 मनोविशलषण ससदिानि की वयाखया यह वसिानत मानि परकवत या सिभाि क बार म कछ पिथ कलपनाओ पर आिाररत ह इन

पिथ कलपनाओ पर आिाररत इस वसिानत को तीन भागो म बॉिा जा सकता ह

1 वयवकतति की सरचना

2 वयवकतति की गवतकी

3 वयवकतति का विकास

451 विविति की सारिना-

फरायड न वयवकतति की सरचाना का िणथन करन क वलए दो परवतरपो का वनमाथण वकया ह

1) आकारातमक परवतरप- आकारातमक परवतरप स तातपयथ ऐस पहल स ह जहा मन म सघषथपणथ

वसरवत की गतयातमकता उतपनन होती ह मन का यह पहल वयवकतति की गतयातमक शवकतयो क

बीच होन िाल सघषो का एक कायथ सरल होता ह फरायड न इस तीन भागो म बॉिा ह -

i चतन

ii अिथ चतन

iii अचतन

चतन मन का िह भाग वजसका समबनि तरनत जञान स होता ह जस- कोई पड़ रहा ह तो

पड़न की चतना होती ह कोई वलख रहा ह तो वलखन की चतना होती ह चतन वयवकतति का लघ एि

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वसवमत भाग होता ह वकसी भी कषण वयवकत क मन म आ रही अनभवतयो का समबनि उसक चतन स

होता ह

परनत परयास करन पर ि हमार चतन मन म आ जाती ह अलमारी म वकस वकताब को

ढढन पर जब हम उस नही पात ह तो रोड़ी दर क वलए परशान हो जात ह कछ दर सोचन क बाद

अचानक याद आता ह वक िो वकताब हमन अपन एक दोसत को दी री तो यह अिथ चतन मन का

उदाहरण होगा

अिथ चतन मन का िह भाग ह वजसका समबनि ऐसी विषय सामगरी स होता ह वजस वयवकत

इचछानसार कभी भी याद कर सकता ह यह न तो पणथतः चतन होती ह ओर न ही पणथतः अचतन

इसम िसी इचछाए विचार भाि आवद होत ह जो हमार ितथमान चतन या अनभि म नही होत

अचतन मन का िह भाग ह वजसका समबनि ऐसी विषय सामगरी स होता ह वजस वयवकत

इचछानसार याद करक चतना म लाना चाह तो भी नही ला सकता अचतन मन म रहन िाल विचार

एि इचछाओ का सिसरय कामक असामावजक अनवतक एि घवणत होता ह कयोवक ऐसी इचछाए

वदन-परवतवदन जी वजनदगी म परा करना समभि नही हो पाता अतः उनको चतन स हिाकर अचतन

म दवमत कर वदया जाता ह जहा जाकर ऐसी इचछाए समापत नही हो पाती ह बवलक रोड़ी दर क

वलए वनवशकय अिशय हो जाती ह और चतन म आन का परयास करती रहती ह

2) गतयातमक परवतरप- फरायड क अनसार मन क गतयातमक माडल स अरथ उन सिनो स होता ह

वजनक दवारा मल परिवततयो स उतपनन मानवसक सिशो का समािान होता ह ऐस सािन वनमन ह

उपाहम का मखय कायथ शाररररक इचछाओ की सनतवषट स होता ह यह वकसी भी परकार क तनाि

स तातकावलक छिकारा पाना चाहता ह यवद कोई बचचा पहल वकसी वखलौन स खलता रा उस

नही दन पर उस वखलौन मातर की कलपना करक अपनी इचछा पवतथ करता ह ओर मानवसक तनाि दर

करता ह

अहम आिशयकताओ की िासतविक पवतथ स समबवनित ह यह तरनत सनतवषट का विरोि नही ह

बवलक उपयकत पररवसरवत आन पर यह तातकावलक सनतवषट ह अह को वयवकतति का वनणथय लन

िाला माना गया ह कयोवक यह रोडा चतन रोडा अिथचतन और रोडा अचतन होता ह इसवलए अह

दवारा इन तीनो सतर पर वनणथय वलय जात ह नवतक मन सामावजकता एि नवतक नही ह यह अहम क

उन सभी कायो पर रोक लगाता ह जो सामावजक और नवतक नही ह जस-जस बचचा बड़ा होता

जाता ह िह अपना समबनि माता-वपता क सार सरावपत करन लगता ह िलतः िह सीख लता ह

वक कया उवचत ह और कया अनवचत इस वयवकतति की नवतक शाखा माना गया ह

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452 विविति की गतिातमकिा-

फरायड क अनसार मानि जीिन का अधययन करना एक जविल कायथ ह वजसम शरीररक

ऊजाथ स वयवकत की शरीररक वियाए जस- दोड़ना वलखना सॉस लना आवद मानवसक वियाए जस

वचनतन सीखना आवद फरायड न इन ऊजाथओ स समबवनित ऐस परतययो का विकास वकया वजनस

वयवकतति की गतयातमकता जस मल परतवतत वचनता आवद िणथन होता ह

1) मल परिवततया- मल परिवततयो स तातपयथ जनमजात शारीररक उततजना स ह वजसक दवारा वयवकत क

सभी तरह क वयिहार वनिाथररत होत ह फरायड न मल परिवततयो को दो भागो म बॉिा ह -

जीिन मल परिवतत मतय मल परिवतत

जीिन मल परिवतत का इरोस तरा मतय परिवतत को यनािोस कहा जाता ह जीिन मल परिवतत

दवारा वयवकत सभी तरह क रचनातमक कायथ वजनम मानि िगथ या जावत का परजनन भी शावमल ह मतय

मल परिवतत म वयवकत सभी तरह क धिसातमक कायो तरा आिमणकारी वयिहारो का वनिाथरण होता

ह सामानय वयवकतति म दोनो की तरह क म परिवततयो म सतलन पाया जाता ह

2) वचनता- वचनता एक भािानातमक तरा दखद अिसर होती ह जो अहम क खतर स सतकथ करती ह तावक वयवकत िातािरण क सार अनकली ढग स वयिहार रक सक हम परायः तीन

तरह की वचनता का अधययन करत ह

i) िासतविक वचनता

ii) तवतरकातापी वचनता iii) नवतक वचनता

िहय िातािरण म वयापत िासतविका खतर क परवत की गई सामिवगक अनविया को

िासतविक वचनता कहा जाता ह जस - भकमप तिान आग आवद तवतरका तापी वचनता की उतपवतत

उपाहम की इचछाओ पर अहम की वनभथरता स होती ह नवतक वचनता म जब अहम को नवतक मन स

दणड वदय जान की िमकी वमलती ह तो इसस वयवकत म नवतक वचनता उतपनन होती ह िलसिरप

वयवकत म दोष भाि शमथ की भािना उतपनन हो जाती ह य तीनो तरह क वचनता आपस म एक दसर स

वभनन नही ह कयोवक एक तरह की वचनता दसर परकार की वचनता को जनम दती ह

3) अह रकषातमक परिम- अह रकषातमक परिम अह को वचनताअ स अचा पाता ह रकषातमक

परिमो का परयोग तो सभी वयवकत करत ह परनत इसका परयोग अविक करन पर वयवकत क

वयिहार म बाधयता एि सनाय विकवत कर गण विकवसत हो जाता ह सभी तरह क रकषातमक

परिमो म कम स कम दो गण अिशय पाय जान चावहए

1 सभी रकषातमक परिम अचतन सतर का कायथ करत ह

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2 ऐस रकषातमक परिम िासतविकता क परतयकष को विकत कर दत ह िलतः वयवकत क वलए वचनता का सतर कम हो जाता ह

परमख रकषातमक परिम वनमन ह

दमन- एक ऐसा रकषातमक परिम ह वजसक दवारा वचनता तनाि मानवसक सघषथ उतपनन करन िाली

असामावजक इचछाओ को चतन स हिाकर वयवकत अचतन म कर दता ह जस- बीमार वपता का

लड़की वकसी डॉकिर स इलाज करिाती ह डॉकिर खबसरत ह िह लड़की डॉकिर स पयार करती

ह उसस शादी करना चाहती ह लवकन अपन बीमार वपता को दखत हए िह कछ समय क वलए

अपनी इचछाओ का दमन कर दती ह

िौविकरण- यौवकतकरण म अयवकतसगत अवभपररको एि इचछाओ स उतपनन तनाि का समािान

उस अवभपररको एि इचछाआ को यवकतसगत बनाकर अराथत तकथ एि वििकपणथ वयाखया कर वकया

जाता ह जस- कोई वयवकत अपनी आवरथक तगी स उतपनन वचनता को दर करन क वलए यवद िह

सोचता ह वक अपन घर सखी रोिी दसर क घर हलि स अविक सिावदषट ह

इस तरह यौवकतकरण म वयवकत अपन अयवकतसगत वयिहारो को एक यवकत सगत एि तकथ

सगत वयिहार क रप म पररणत तक अपन आप एि दसरो को सतषट कर अपना मानवसक सघषथ दर

करन की कोवशश करता ह

परविवकरिा वनमायण- परवतविया वनमाथण म वयवकत अपन अह को वकसी कषट कर या अवपरय इचछा तर

पररण स िीक उस इचछा या पररणा क विपरीत इचछाओ तरा पररणा विकवसत करउस बचाता ह

परवतविया वनमाथण क विकास क दो चरण ह पहल चरण म वयवकत अपन अवपरय एि कषटकर विचारो

और इचछाओ को अपन अचतन म दमन कर दता ह और दसर चरण म िह इन दवमत इचछाओ

एि विचारो को िीक विपरीत इचछा चतन सतर पर वयकत कर अपन तनाि को दर कर सकता ह

जस- कानन का उललघन करन िाला वयवकत ही कानन की बात करता ह

परविगमन- परवतगमन का अरथ ह पीछ की ओर जाना यह एक ऐसा रकषातमक परिम ह वजसम मानि

क समािान क वलए वयवकत म बालयािसरा क वयिहारो की ओर पलिन की परिवतत होती ह इसक

कई उदाहरण हम वदन-परवतवदन क दवनक जीिन म दखन को वमलत ह कभी-कभी तनाि की

अिसरा म बड़ लोग भी बचचो की तरह िि-ििकर रोत दख गय ह

परकषपण- दसर लोगो या िातािरण क परवत अपी मनोिवततयो एि वयिहारो को अचतन रप स

आरोवपत करन की परविया को परकषपण कहा जाता ह जस-जब हम वकसी कायर म असिल हो जात

ह तो असिल होन क कई कारण बनाकर या समझकर वयवकत अपनी वचनता को दर कर लता ह जस

परीकषा म िल हो जान पर छातर इसका दोष सिय पर न लकर कविन परशन पछ जान वशकषको दवारा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 60

पािो को नही पड़ाया जाना परीकषा क समय माता - वपता दवारा घरल कायथ कराया जाना आवद

कारण बताकर वयवकत अपनी वचनता को दर करता ह

विसथापन- विसरापन म वयवकत अपन सिग या पररणा को वकसी िसत विशष या वयवकत स अचतन

रप स हिाकर दसर वयवकत या िसत स समबवनित कर लता ह अतः वयवकत अपन मानवसक सघषथ या

वचनता को कम करन क वलए सामिवगक परवियाओ को मौवलक या समबवनित िसत स हिाकर

वकसी दसर वयवकत या िसत पर सरानानतररत कर दता ह जस- मा या वपता दवारा डॉि वमलन पर

बालक अपन स छोि भाई बहनो को डािता ह

उकत सभी रकषातमक परिमो दवारा वयवकत अपन आप को बाहय एि आनतररक तनािो स

बचाता ह परतयक परिम क उपयोग म मनोिजञावनक ऊजाथ खचथ होती ह और इसका परयोग सभी

सिसर वयवकतयो दवारा वकया जाता ह

453 विविति का विकास-

फरायड न वयवकतति विकास की वयाखया दो दवषटकोणो क आिार पर की ह पहला दवषटकोण

यह ह वक ियसक वयवकतति बालयािसरा क वभनन वभनन तरह की अनभवतय दवारा वनयवनतरत होता ह

तरा दसर दवषटकोण क अनसार जनम क समय बचचो म लवगक ऊजाथ मौजद रहती ह जो विवभनन

मनोलवगक अिसराओ स होकर विकवसत होती ह फरायड क अनसार वयवकतति विकास की प ाच

मखय अिसराए ह

1 मखीय अिसरा 2 गदीय अिसरा 3 वलग परिान अिसरा 4 अवयकतािसरा 5 जननवनरया

1) मखीि अिसथा- मखीय अिसरा जस अनिा चसना मा का सतनपान करना वनगलना आवद

इस दो भागो म बॉिा गया ह पहला मखीय चषण की अिसरा जनम स आि माह की अिसरा

ह इस अिसरा म बालक क वकसी अग का सपशथ वकया जाए तो उस वपरय लगता ह फरायड क

अनसार बालक की काम शवकत की सनतवषट होि मख जीभ दवारा ि जबड़ होत ह इस अिसरा

म बालक को आननद की परावपत कािन चसन ि वनगलन क दवारा होती ह इस अिसरा म बालक

को द ात की सिाई करना आवद वसखाया जाता ह

2) गदीि अिसथा- यह अिसरा दो स तीन िषथ की होती ह इस अिसरा को भी दो भागो म बॉिा

गया ह- पहली अिसरा गदा वनषकासन क अिसरा कहलाती ह इस अिसरा म बचच म िरता

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 61

िमहीनता विनावसता आवद गणो की परिानता होती ह इस अिसरा म बालक को कामक सख

की परावपत मल-मल वनषकासन स होती ह उस मल -मतर जान का परवशकषण वदया जाता ह बालक

कभी-कभी वबसतर पर पशाब कर आिामक परिवतत वयकत करता ह उस मल-मतर तयाग क

महति को समझाया जाता ह लगभग तीन िषथ तक बालक वलगभद सीख जाता ह वक िह

आग चलकर कया बनगा मममी या पापा

दसरी अिसरा गदा अििारणा की अिसरा कहलाती ह इसम बालक म हि िमबिता

तरा समयवनषठा आवद शील गणो की परिानाता होती ह बालक अपन मल-मतर क सामावजक महति

को सीख जाता ह बचचा यह समझन लगता ह वक माता - वपता एक दसर क आकषथण का कनर ह

3) वलाग परधान अिसथ- यह चार स पॉच िषथ तक की अिसरा ह इस अिसरा म बालक अपन

गपतागो या जञनवनरयो स तीन परकार स सख परापत करता ह छन क दवारा सहलाकर ि खलकर

परदशथन दवारा बालयािसरा कभी-कभी य मल परवतयोवगता करत हए भी दखा जा सकता ह िह

सोचता ह वक म बड़ होकर वपतामा जसा बनगा बनगी

4) अवििािसथा- यह छः स बारह िषथ की अिसरा होती ह इस सपतािसरा भी कहत ह इस

अिसरा म सामावजक भय क कारण कामजवनत वियाए शानत रहती ह इस अिसरा म बालक

की रवच सावरयो क सार खलना गपप लडाना आवद मखय ह बालक को माता - वपता दवारा

परदवशथत परम अचछा नही लगता ह पररिार का यवद कोई वयवकत कि पर हार रखकर रपरपाता

ओर आशीिाथद दता ह तो बचचा वसहर उिता ह माता-वपता क परवत परम सममान म बदल जाता

ह यह अिसरा सपतािसरा इसवलए कहलाती ह कयोवक इस अिसरा म शशवाकालीन कामकता

शानत रहती ह इस अिसरा म बालक घावमथक विचारो की ओर उनमख रहता ह

5) जञाननवनिि अिसथा- यह अिसरा तरह िषथ की आय स बीस िषथ की अिसरा ह इस अिसरा

म कामकता एक बार विर स जागत होती ह विपरीत वलग क परवत आकषथण और रवच उतपनन

हाती ह इस अिसरा म लड़क और लडवकया मनगढनत कहावनयो म खब रवच लत ह

लडवकया लजजा का सहारा लती ह और उनम सकोच की परिवतत जागत होती ह

46 फरायड क मनोविशलषणातमक ससदिानि का मलयाकन फरायड क मनोविशलषणातमक वसिानत क कछ गण और कछ सीमाए ह -

गण -

bull फरायड का यह कािी विसतत एि चनौतीपणथ ह इनक दवारा वयवकतति क विकास की वयाखया

कािी समझन योगय भाषा म की गई ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 62

bull फरायड क वसिानत की अविकाश भाषा ऐसी ह जो आिवनक वयवकतति मनोिजञावनको क वलए

इस कषतर म शोि करन क वलए महतिपणथ सािन सावबत हए ह

bull फरायड क वसिानत का सिरप कछ ऐसा ह वजसक माधयम स मानि वयिहार क बार म जञात

तयो को तावकथ क रप स मनोविशलषणातमक ढॉच म आसानी स ढाला जा सकता ह

अिगण-

bull फरायड का यह वसिानत िजञावनक नही ह कयोवक अपन शोिो का फरायड न िमबि िणथन नही

वकया ह अतः सही-सही पराकलपना तयार करना मवशकल ह

bull फरायड न अपन वसिानत म सकसअल ऊजाथ पर जररत स जयादा बल वदया

bull आिवनक मनोिजञावनको का मत ह वक फरायड न अपन वसिानत को वयवकतगत परकषण पर

आिाररत वकया ह इन आिवनक मनोिजञावनको न आशका वयकत की ह वक ऐसी सीवमत

अनभवतयो क आिार पर सामानय वयवकतति क वसिानत का परवतपादन करना यवकत सगत नही

bull वसगमणड फराययड एक ऐस वयवकत र वजनका अविकतर समय मानवसक रोवगयो की वचवकतसा

म वयतीत हआ इनका उददशय वसिथ रोवगयो का उपचार करनरा ही नही बवलक मानि वयवकतति

को समझन म पयाथपत सझ भी विकवसत करना रा नदावनक दवषटाकोण स फरायड दवारा पवतपावदत

वयवकतति क मनोविशलषणतमक वसिानत को तीन तरह स परसतत वकया ह

अपन अनभि क आिार पर फरायड न कछ विशष वनषकषथ वदय -

1 विकास की विवभनन अिसराय परदवशथत होती ह कयोवक विकास अिसरा की अपनी कछ विशषताए य लकषण होत ह

2 परतयक विकास अिसरा म वयिहार म उततरोततर सिार होता ह और विकास क निीन परवतमान

परदवशथत होत ह

3 परतयक बचच को विकास की सभी अिसराओ स गजरना पड़ता ह

4 विकासातमक पररितथन अचानक नही होत बवलक कवमक रप स परदवशथत होत ह जस -

शशिासरा बचपनािसरा बालयािसरा और विर योिनािसरा आवद

5 सभी बालको म विकास की पररवसरवतया एक जसी नही होती ह उनम विकास समबनिी अनतर वदखाई दत ह

सिपन विशलषण -

इस विवि म फरायड न सामानयतः दो विवियो का परयोग वकया ह - साहचयथ तरा परतीक

साहचयथ विवि म सिपन दखन िाल स अपन सिपन का समबनि िसतओ घिनाओ या वयवकतया स

ढढन क वलए कहा जाता ह ऐस शबद तावकथ क हो या आतावकथ क हो सिपन दखन िाल को बतलान

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 63

क वलए परोतसावहत वकया जाता ह अगर कोई सिपन दखन िाला अपन मन का साहचयथ बतलान म

असमरथ रहता ह तो दसरी विवि सिपन परतीक की विवि अपनाई जाती ह वजसम सिपन को वयकत

विषय क पीछ वछप अचतन ततिो को परतीक क सहार समझन की कोवशश की जाती ह

दवनक िीिन की िल -

वयवकत अपन वदन-पवतवदन की वजनदगी म परायः करता ह इन भलो म बोलन की भल

वलखन की भल पहचानन की भल िसतओ को गलत सरान पर रखना आवद मखय सामानर वयवकतयो

क वलए इनका काई अरथ नही होता ह परनत फरायड क अनसार य अरथहीन न होकर बवलक एक

गमभीर मानवसक परविया ह इसकी उतपवतत दो मानवसक विरोिी विचारो स होती ह इन परसपर

विरोिी विचारो म एक का सिरप अचतन होता ह परनत इनम स अचतन इचछाए अपनी परबलता

क कारण अिथचतन की इचछाओ का धयान नही रख पाती ह अतः वदन परवतवदन क जीिन म मानि

वयिहार जो ऊपर स अरथहीन लगता ह पर िासति म अरथहीन नही होता ह उनस भी वयवकत क

अचतन को समझन म मदद वमलती ह

फरायड क अनसार य भल अनायास या बकार नही होती ह बवलक इनका विशष कारण

होता ह जो अचतन म दवमत होता ह अचतन म दवमत विरोिी विचार कामक इचछाए अतपत

इचछाए आकामक परिवततयॉ ही इन मलो का कारण होती ह अचतन म दवमत ऐसी परिवततय इन

गलवतयो या भलो दवारा चतन म अवभवयकत होती ह ओर गलवतयो को ही फरायड न दवनक जीिन

की मनोिवततयॉ कहा ह फरायड न अपनी पसतक lsquoसाईकोपरालॉजी आि इिरी ड लाइिrsquo 1914 म

इस तरह की मनोविकवततयो का िणथन वकया ह फरायड न दवनक जीिन म होन िाली अनक ऐसी

भलो का िणथन वकया ह

i) बोलन की भल- परायः दवनक जीिन म वयवकत स बोलन की भल हो जाया करती ह िह

बोलना कछ चाहता ह और बोल कछ दता ह और ऐसी गलवतयो पर सिय वयवकत को भी

आियथ होता ह फरायड का मानना ह वक ऐसी गलवतयो क जनम का सरोत अचतन होता ह

बोलन समबनिी भलो क उदाहरण हम दवनक जीिन म परायः दखन को वमलत ह जस- एक

रोगी दिा क खचथ स कािी परशान रा और िह अचानक ही बोल उिा वक हम इतना भी

वबल न दना वजनह म वनगल ना पाऊ

ii) नामो को भलना- परायः हम अपन दवनक जीिन म पररवचत वयवकतयो िसतओ तरा सरानो

क नाम को सरायी या असरायी तौर पर भल जात ह कई बार परयास करन पर उनक नाम

याद नही आत ह परनत बाद म विर अपन आप याद आ जात ह उदाहरण क वलए- एक

मवहला अपनी बिी का इलाज करान क वलए वचवकतसक क पास गयी जब उसकी बिी का

नाम वचवकतसक न पछा तो उस नाम बतान म मा असमरथ रही कयोवक िह रोड़ी दर क

वलए उसका नाम भल गयी री बातचीत क दौरान पता चला वक उस मवहला को इस बिी

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उततराखड मकत विशवविदयालय 64

क जनम पर भयानक तकलीि उिानी पडी री अतः अचतन म दवमत अवपरय एि दःखद

अनभि दवारा उतपनन मानवसक सघथषो स मवकत पान हत अचतन रप स मवहला अपनी बिी

का नाम भल गई

iii) वलखन की भल- इस तरह की भल म वयवकत वलखना कछ चाहता ह और वलख कछ

और दता ह वलखन की इस भलो म इसक अलािा अनय भल जस- अविक शबद वलख

दना सही शबद क बदल विपरीत शबद वलख दना वकसी महतिपणथ शबद का छि जाना

िाद क शबदो को पहल वलख दना आवद सवममवलत हाता ह उदाहरण क वलए- एक नसथ

को वकसी डॉकिर स परम हो गया रा परनत डॉकिर दवारा उस नापसनद वकया जान पर उस

डॉकिर को भलना पडा कािी वदनो बार वकसी कायथिश उस डॉकिर को पतर वलखना रा

वजसम उसन डॉकिर क सरान पर वडयर वलखा रा इस भल क माधयम स नसथ न डॉकिर क

परवत अचतन म सवचत परम परदवशथत वकया

iv) छपाई की भल- परायः समाचार- पतरो पसतको विजञापनो म इस तरह की भल हम दखन को

वमलती ह और इन गलवतयो स भी हम अचतन म दवमत इचछाओ एि विचारो क सकत

वमल ह उदाहरण क वलए- एक बार लदन क समाचार पतर म छपा वक कलोन वपरस जबवक

िाउन वपरस छपना रा बाद म इस गलती का कारण ढढन पर पता चला वक उस परस क

सभी कमथचाररयो क िाउन वपरस क पवत घणा की भािना री

v) पहचानन की भल- ऐसी भल वकसी िसत सरान तरा वयवकत को पहचानन स समबवनित

होती ह परायः वकसी अपररवचत वयवकत को हम पररवचत वयवकत समझ बित ह तरा वकसी

पररवचत वयवकत या िसत क उपवसरत रहन पर भी हम उस दख नही पात ह इसी तरह

समाचार पतर म वकसी समाचार क रहत हय उस नही दख पाना तरा अपन बगल स वकसी

पररवचत वमतर को गजरत हए न दख पाना कद ऐसी पहचानन की भल ह वजनक पीछ कोई

न कोई अचतन की दवमत इचछाए सविय होती ह

vi) अनजान स की गयी वियाए- परायः ऐसा होता ह वक हम चतन रप स जो करना चाहत ह

उसक बदल म हम कोई दसरी विया कर बित ह जस वकसी वयवकत को हम सौ रपय की

जगह पॉच सौ का नोि दन लगत ह परायज हम हसताकषर करन क वलए पन मागत ह ओर

विर उस अपनी जब म रख कर चल जात ह अनजान म की गई इन सभी वियाओ क पीछ

अचतन की दवमत इचछाए परबल होती ह

vii) िसतओ को गलत सरान पर रखना- परायः हम िसतओ जस चाभी रमाल महतिपणथ

कागज डायरी आवद को इिर उिर रख दत ह और जररत क समय उस चीज को ढढन पर

िा हम नही वमलती ह दवनक जीिन की इन भलो क पीछ भी अचतन की दावमत इचछाए

सिीय होती ह फरायड क अनसार िसतओ को इिर-उिर रख कर उसक बार म भल जान

स यह सकत वमलता ह वक वयवकत म उस िसत को अपन सामन स हिा दन की परिवतत

अविक होती ह कयोवक ऐसा करन स उसकी वकसी समसया का समािान हो जाता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 65

viii) साकवतक वियाए- दवनक जीिन म वयवकत कछ साकवतक वियाए जस- पर वहलाना एक

ही शबद को बार- बार दोहराना चाभी क गचछ को बार-बार नचाना पवनसल का या कलम

का उपरी वहससा चबाना आवद फरायड क अनसार इस साकवतक वियाओ क दवारा दवमत

इचछाओ क सकत वमलत ह एक वििावहत मवहला अगली स अगिी को बार-बार

वनकालती ि पहनती री फरायड दवारा पछन पर पता चला वक िह अपन पवत को कछ

कारणो स तलाक दना चाहती री लवकन सामावजक एि नवतक कारणो स िह ऐसा करना

उवचत नही समझती ह

अतः हमार दवनक जीिन म होन िाली गलवतयॉ या भल जो बकार या बतकर वदखाई दती

ह िासति म य वनररथक नही होती ह बवलक इन भलो एि गलवतयो दवारा अचतन मन की अतपत

इचछाओ एि विचारो की अवभवयवकत होती ह अतः मनोिजञावनक दवषट|

मनोविवकतसा- मनोविशलषणातमक वचवकतसा का उददशय अचतन की इचछाओ को चतन म लाकर

उसक अरथ एि महति को समझना रोगी को अह मजबत करना तरा उसक पराई की इचछाओ को

चतन म लान क वलए दो परविवियो का परयोग वकया ह

i सिततर साहचयथ

ii सिपन विशलषण

सिततर साहचयथ म रोगी क वकसी चतन विचार को परारमभ वबनद मानकर उस पर उस सिततर

होकर बोलन या उसस समबवनित सगत या असगत बातो को बतान क वलए कहा जाता ह परनत यह

परविया आसान नही ह रोगी इस सही अरो म करन म असमरथ रहता ह इसवलए फरायड न ऐस

रोवगयो क वलए सिपन विशलषण पर बल वदया ह यहा अपन सिपनो को उपचार क दौरान बतलात ह

47 वयिहारातमक उपागम का अरथ वयिहारातमक उपागम को मनोविजञान का रप दन िाल मनोिजञावनको म जबीिािसन का

नाम परमख ह िािसन का परा नाम जॉन बरादसथ िािसन रा इनका जनम गरीन विली दवकषणी

करोवलना म हआ रा इनहोन वशकागो विशवविदयालय स शरीर विया तरा तवतरका ततर म अनतसरा क

विकास क सार वयिहार म होन िाल पररितथनो का अधययन वकया इनक अनसार वयिहार उततजना

और उसकी अनविया का पररणाम ह वयिहारिाद म अिविशवासो रहसयो और दाशथवनक परमपरा

का कोई सरान नही ह वयिहारिाद क अनसार वयवकतति क विकास म पररिश एक महतिपणथ

आिार ह पररिश म िावछत पररितथन करक वकसी भी वयवकत को कछ भी बनाया जा सकता ह

असामानय वयिहार एि उपचार क वयािहारिादी विचार की उतपवतत अनकल परयोगो स हई

इसका परारमभ पिलॉि क परवतबिता विया क िलसिरप हआ (पिलॉि क परयोग कतत क मह स

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उततराखड मकत विशवविदयालय 66

लार का िपकना) पिलॉन क इस परयोग स िािसन कािी परभावित हए बाद म िािसन न अपन

अधययन की वदशा बदलकर परतयकष वयिहार कर वदया वजस वयिहारिाद कहा गया वयिहारातमक

उपागम का कनर अनभिो क पररणामसिरप वयिहार म बदलाि होता ह वयिहारिादी उपगम की

वयाखया वनमन तयो क आिार पर की जा सकती ह

वयिहारिादी विचारिारा तीन महतिपणथ कलपनाओ पर आिाररत ह

i पयाथिरणिाद

ii परयोगिाद

iii आशािाद

i) पयाथिरणिाद- पयाथिरणिाद म इस बात पर बल वदया गया ह वक सभी पराणी मनषय एि

पश पयाथिरण दवारा वनिाथररत होत ह हम लोग अपन गत साहचयो क आिार पर भविषय क

बार म सीखत ह और इसी कारण हम लोगो का वयिहार दणड तरा परसकार दवारा

वयिवसरत वकया जाता ह वजस वयिहार पर हम परसकार वमलता ह उस हम भविषय म

करना चाहत ह तरा वजस वयिहार पर हम दणड वमलता ह उस हम तयागना चाहत ह

ii) परयोगिाद- इसम परयोग क माधयम स यह पता लगाया जाता ह वक पयाथिरण क वकस

पहल स वयिहार परभावित होता ह तरा वकस तरह हम उस पररिवतथत कर सकत ह

iii) आशािाद- इस पिथकलपना का समबनि पररितथन स ह यवद वयवकत पयाथिरण स ह यवद

वयवकत पयाथिरण का परवतिल ह और अगर िातािरण का िह सब पहल जो उस पररिवतथत

वकया ह को परयोग दवारा जञात वकया जा सकता ह तो पयाथिरण म कभी पररितथन होन स

वयवकत म भी पररितथन होगा

इन तीनो पिथकलपनाओ पयाथिरणिाद परयोगिाद ि आशािाद का उपयोग असामानय

वयिहार की वयाखया म परतयकष रप स की गई ह -

1 सामानय तरा असामानय वयिहार को गत अनभवत स सीखा जाता ह और जब वयवकत

अपअनकवलत अवजथत आदतो को सीख लता ह तो उसस वयवकत म असामानय वयिहार की

उतपवतत होती ह

2 हम परयोग करक यह वनिाथररत कर सकत ह वक पयाथिरण क वकस पहल स असामानय वयिहार की उतपवतत होती ह

3 यवद हम पयाथिरण क इन कसमायोवजत वयिहार को तयाग दगा और उसकी जगह पर नया

समायोजी वयिहार सीख लगा

अतः वयिहारी विचारिारा क अनसार कसमायोजी वयिहार या असामानय वयिहार क दो मखय

कारण होत ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 67

1 वयवकत दवारा समायोजी वयिहार या सतोषजनक ियवकतक विकवसत करन की असिलता 2 अपरभािी या कसमायोवजत वयिहार को सीखना पराणी वकसी वयिहार को वकस तरह सीख लता

ह तरा िह कया चीज ह वजस िह सीखता ह वयिहारिादी विचारिारा क अनसार सीखन की

दो मखय परवियाए पराचीन अनबनिन ओर नवमवततक अनबनिन ह वजसम माधयम स वयवकत

सामानय एि असामानय वयिहार को सीखता ह

I पबलोवियन या पराचीन अनबनिन

II नवमवकतक या विया परसत अनबनिन

I पबलोवििन िा परािीन अनबनधन- सीखन क इस वसिानत की वयखया रसी िजञावनक

आई0िी0 पिलॉर दवारा क गई इस वसिानत क अनसार उदीपक तरा अनविया क

बीच साहचयथ सरावपत करना ही सीखना ह पिलॉि न अपन एक परयोग कतत क ऊपर

वकया एक भख कतत को एक धिवन वनयवनतरत परयोगषाला म एक विशष उपकरण क

सहार खडा कर वदया और कतत क सामन भोजन दखकर उसक मह म लार आ जाती

री कछ परयासो क बाद भजन दन क 4-5 सकणड पहल िणिी की धिवन बजाई जाती

री इस तरह क कई परयास कराय गय कई परयासो क बाद य दखा गया वक वबना

भाजन आय ही मातर िणिी की धिवन पर कतत क मख स लार िपकना शर हो गया

पिलॉि क अनसर कतता िणिी की आिाज पर ही लार-सतराि करन की विया को सीख

लता ह इनक अनसार घणिी की आिाज तरा लार क सतराि (अनविया) क बीच एक

साहचयथ सरावपत होन की परविया को अनबनिन की सबा दी ह

II नवमवकततक िा वकरिा परसि अनबनधन- इस तरह क अनबनिन म पराणी मकत अनविया

पररवसरवत म रहकर वकसी वयिहार को सीखता ह इस अनबिन की खास विशषता

यह होती ह वक पराणी अनविया सिय करता ह न वक वकसी विशष उददीपन क

उततवजत होन पर इस वकसी वसिानत क अनसार वकसी लकषय जो परापत करना ही सीखना

ह वकसी परसकार को पाना लकषय हो सकता ह या विर वकसी दणड स दर रहना लकषय

हो सकता ह

रानथडाइक क प जल बॉकस म वबलली को तरह तरह की अनविया करन क बाद बाहर रख

(परसकार) भोजन की परावपत होती ह ओर िीर -िीर कई परयासो क बाद वकया करना सीख लती ह

1) वयिहार की वयाखया- मानि हो या पश वयिहार एक उततजना स परारमभ होता ह वकसी भी अनविया क वलए उततजना का होना अतयनत आिशयक ह उततजना स तातपयथ- पयाथिरण क

वकसी िसत स शारीररक पररितथन होना उततजना सरल ि जविल दोना ही परकार की हो सती ह

अनविया स तातपयथ उन सभी वियाओ स ह वजस पराणी करता ह अनविया अवजथत और

अनावजथत दोनो हो सकती ह यह असपषट और सपषट भी हो सकती ह जस - ऑख मिकाना

सॉस लना रोना आवद सपषट अनावजथत अनविया ह तरा रकतचाप पाचन विया हदय की

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उततराखड मकत विशवविदयालय 68

िडकन अनवजथत अनविया क उदाहरण ह वयिहारिादी उपागम क दो विवशषट उददशय ह पहला

उददीपन क बार म जानकर अनविया क बार म पिथ करन करना तरा दसरा अनविया क बार म

पिथ करन करना तरा दसरा अनविया क बोर म जानकर उददीपन क बार म पिथ करन करना

2) समिदना ओर परतयकष िसत- िािसन न समिदना और परतयकष िसत का िणथन वकया ह कयोवक

एक वयवकत दसर मनषय की समिदना को नही जान सकता किल एक उददीपन क वलए

अनविया को जाना जा सकता ह चाह िह दवषट समबनिी हो या शरिण समबनिी परतयकष समिदी

वियाओ का कायर ह जो उददीपक को नोि करता ह ओर मवसतषक क दोनो ओरर भागो को भज

दता हऔर य सिदी आिग जो गराहको स आत ह उनको गवत कनरो म भज वदया जाता ह

3) समवत परवतमाए- समवत परवतमाए हर एक वयवकत म होती ह परतयक वयवकत इनका उललख कर

सकता ह जस यवद आपस कहा जाय वक अपन वमतर समरण कीवजय तो तरनत उसकी एक

परवतमा मन-मवसतषक पर अवकत हो जाती ह जब कोई वयवकत सीख पाि का परतयािाहन करन म

असमरथ रहता ह अराथत जो पशीय ततर मौवलक सीखना क दवारा वनवमथत हए र ि िि गय

पराणी क अनदर जो मवसतषक होता ह िह समिदी तरा गवततवतरकाओ को जोडना ह वजसक

िलसिरप जञानवनरया और पवशया हो जाती ह ओर य परवतमाए िासति म पररक वियाए ह

4) अनभवत और सिग- िािसन का मानना ह वक वयिहार म भी इवनरय चवलत कायथ होत ह जस -

सख-दख की अनभवत विवभनन इवनरयो म आन िाली उततजनाओ और पवशयो म होन िाली

गवतयो का पररणाम ह िािसन न यह भी वसि कर वदया वक भय िोि और परम क अलािा जो

अनय समिग होत ह ि अवजथत सिग ह ओर जब सिग अवजथत होत ह तो इस परविया म

परवतबि अनविया का वसिानत कायथ करता ह

5) सीखना- िािसन न र ानथडाइक दवारा परवतपावदत परभाि क वनयम क सरान पर अभयास क वनयम की सरापना की यवद वसरवत म सिल अनविया होती ह तो सीखन िाल को सनतोष वमलता

रा और िह अनविया िीर-िीर अतमसात कर ल जाती ह वकनत असिल अनवियाओ म

असनतवषट वमलती री

िािसन वसिानत अनसार अनय वयिहारो क समान परतयकषण भी एक परकार को सीखा गया

वयिहार ह और वजन वनयमो और वसिानतो दवारा अनय वयिहार वनिाथररत होत ह िीक उनही वनयमो

एि वसिानतो दवारा परतयकषण भी वनिाथररत होता ह वजस तरह कोई भी सीखा गया वयिहार आदत

रचना सामानयीकरण तरा अिरोि आवद क वनयमो दवारा वनिाथररत होता ह उसी तरह स परतयकषण

भी इनही वनयमो स वनिाथररत होता ह

वयिहारिावदयो का यह भी विचार ह वक जब कोई उददीपन वयवकत क सामन कछ दर तक

रखन क बाद हिा वलया जाता ह ताक कछ दर बाद तक उसका परभाि िवतरका ततर म होता ह इस

परभाि को उददीपन वचनहन कहा जाता ह ऐस उददीपन वचनह ितथमान वकसी शबद का अरथ पहल कह

गय िाकयो या शबदो क सनदभथ म हम समझत ह यहा ितथमान तवतरका आिग उतपनन होत ह इन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 69

दोनो क अनतःविया कहा जाता ह जस- वकसी शबद का अरथ पहल कह गय िाकयो या शबदो क

सनदभथ म हम समझत ह यहा पहल कह गए िाकय या शबद उददीपन वचनहक उदाहरण ह तरा ितथमान

शबदो दवारा ितथमान तवतरका आिग उतपनन होत ह इन दोनो क अनतःविया होन पर शबदो का

वियाओ क आिार पर एक विशष समपरतयय का परवतपादन वकया वजस उददीपक परारप कहा जाता

ह हल का मानना ह वक कोई उददीपन वकसी एक पिनथ म रहकर एक ढग की अनविया उतपनन

करता ह तरा िही उददीपन दसर परवतरप म रहकर दसरी अनविया उतपनन करता ह

उकत वचतर क बायी ओर सॉडथ वलखा ह वजसका अरथ वहनदी म तलिार ह तरा दायी ओर एि

राउसणड विपिी थरी वलखा हआ ह जब हम सॉडथ क एस तरा ओ0 और नमबर क (0) और (5) क

परतयकषण पर धयान द तो यह दोनो उददीपन दोनो ही पररवसरवतयो म समान रप स वलख गय ह

लवकन शबद क सदभथ म उस अलग- अलग दखा जाता ह अतः एक ही उददीपन का अरथ वभनन -

वभनन उददीपन पिनसथ म अलग-अलग होता ह

कछ वयिहारिावदयो न उददीपन म पिनथ क तय को सावबत करन क वलए कछ परयोग भी

वकय ह वजसम िड बरी दवारा कततो पर वकया गया परयोग उललखनीय ह इनक परयोग म उचच सिर

तरा मनि सिर एक सार वदय जान पर कतता जब अनविया करता रा अराथत लकडी क बन वपजर

क छड म आना मह रगडन की अनविया करता रा तो उस भोजन वदया जाता रा परनत इन दोना

उददीपनो अराथत उचच सिर तरा मनद सिर म स कोई एक सिर उपवसरत होन पर भी यवद कतता मह

रगडन की अनविया करता रा तो उस भोजन नही वदया जाता रा पररणामसिरप पाया गया वक

कतता उचच सिर तरा मनद सिर क अलग-अलग उपवसरत वकय जान पर अनविया न करना सीख

वलया परनत इन दोनो उददीपनो को एक सार उददीपन वकय जान पर अनविया करना सीख वलया

अतः सपषट ह वक कतत म एक उददीपन पिनथ विकवसत हो गया कछ मनोिजञावनको न परतयकष क इस

वयिहारिादी उपागमो की आलोचना वनमन आिारो पर की

bull कछ वयिहारिावदयो का मानना ह वक परवयकषण की वयिसरा म बहत स रहसयपणथ समपरतयय ह

वजसका िसतवनषठ रप स अधययन सभि नही ह

bull परतयकषण की वयाखया म विवभनन परकार क उददीपन वचनह की अतःविया तरा उददीपन पिनथ की

बात की गयी ह हल न उन लोगो की वयाखया क कषतर म अनाविकार परिश वकया ह

bull िािसन की आलोचना इस वबनद पर भी की गयी ह वक उनहोन कछ आतमवनषठ समपरतययो जस

इचछा वचनतन आवद को वयिहारिावद भाषा म पररणत करन की कोवशश की गई ह

bull िॉलमन न िािसन क मनोविजञान की आलोचना करत हए वलखा ह वक िािसन न अपन अपन

मनोविजञान म उददशय को वयिहार की वयाखया स पणथतया हिा वदया ह

SWORD 8053

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 70

इन सभी आलोचनाओ क बािजद यह विशवास क सार कहा जा सकता ह वक िािसन न

मनोविजञान की जड को िसतवनषठा क िाग म इतना मजबत कर वदया रा वक बाद क मनोविजञान को

इसक सिासर को और परयोगातमक एि िजञावनक बनाना कािी आसान हो गया यदयवप आज

मनोविजञान क अनय समपरदाय क समान वयिहारिाद का अवसतति नही रहा परनत इसका परभाि

मनोविजञान क विवभनन कषतरो म सपषट दखन को वमल रहा ह

48 साराश असमानयता की वयाखया क वलए वजतन भी वसिानत परवतपावदत वकय गय ह इनम फरायड

का मनोविशलषणातमक वसिानत कािी चवचथत ि वििादासपद वसिानत रहा ह मनोविशलषणातमक

वियारिारा न असमानय वयिहार क अधययन एि उपचार की परवतवियाओ को सिाथविक परभावित

वकया ह इनक इस वसिानत क आिार पर अनक वसिानतो का परवतपादन हो चका ह कछ

मनोिजञावनको न फरायड क इस वसिानत सकषम तकथ पणथ िजञावनकता पणर तरा िजञावनक अनसिान को

परगवत परदान करन िाला बताया तो वकसी न फरायड क वसिानत की आलोचना की सार ही

वयिहािादी वसिानतिादी क अनसार अनय वयिहारो क समान परतयकष कषण भी एक परकार का

सीखा वयिहार ह इनक अनसार परतयकष पणथरपस गया वयिहार होता ह और वजन वनयमो ओर

वसिानतो दवारा अनय वयिहार वनिाथररत होत ह अनक आलोचनाओ क बािजद यह वसिानत कािी

महतिपणथ ह

49 शबदािली bull शशवािसथ जनम स दो सपताह की अिसरा

bull िौविकरण तलना करना

bull वनरकासन बाहर वनकालना

bull साहििय जब हमार मवसतषक म एक सार दो विचार आत ह और उन दोनो म एक तरह का

समबनि होता ह जस A क बाद B का समरण हो जाता ह

bull पररिश िातािरण

bull िााविि इचछानसार

bull कावलक समय

bull अवियि सीख गए (िातािरण)

bull मानवसक विकवि मावसतषक विकास तो होता ह परनत उसस कायो म कई परकार की

विकवततया उतपनन हो जाती ह

bull गि अनिवि वपछली चीजो को महसस करना

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 71

bull साहििय जब दो विचार हमार मवसतषक म एक सार आत ह और उन दोनो म एक तरह का

समबनि सरावपत वकया जाता ह जस ए क बाद बी का समरण अपन आप हो जाता ह

bull तिागना छोडना

bull अपअनकवलि पररसरवतयो क विपरीत

bull अवियि वजनको वयवकत िातािरण क समपकथ म रहकर सीखना ह

410 सिमलयाकन हि परशन bull ररकत सरानो की पवतथ कीवजए -

1 वसगमणड फरायड का जनम सन म हआ रा

2 फरायड न कामकता पर विषश बल वदया

3 मल परविवततयो का तातपयथ जनमजात उततजना स होता ह

4 परवतगमन का अरथ ह

5 गदीय अिसरा दो स िषथ तक होती ह

6 जननवनरय अिसरा िषथ तक होती ह

7 सिपन विशलषण म साहचयथ तरा दो विवियो का परयोग वकया

जाता

bull सतय असतय बताइय -

8 वसगमणड फरायड की मतय 1909 म हयी री (सतय असतय)

9 फरायड न मन को तीन भागो म बॉिा ह (सतय असतय) 10 मल परिवततया चार परकार की होती ह (सतय असतय) 11 रकषातमक परिम वयवकत को वसिथ िाहय तनाि स बचाता ह (सतय असतय) 12 अवयकतािसरा जो सपतािसरा भी कहत ह (सतय असतय) 13 जननवनरय अिसरा म वयवकत विपरीत वलग क परवत आकवषथत होता ह (सतय असतय)

14 वयिहारातमक उपागम को मनोविशलषणतमक वसिानत क नाम स भी जाना जाता ह (सतय

असतय)

15 वयिहार एक उततजना स परारमभ होता ह (सतय असतय)

उततर 1) 1856 2) शशिाकालीन 3) जनमजात शारीररक 4) पीछ की ओर लौिना

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5) तीन िषथ 6) तरह स बीस िषथ 7) परतीक 8) असतय 9) सतय

10) असतय 11) सतय 12) सतय 13) सतय 14) असतय 15) सतय

411 सनदभथ गरनर सची bull डॉ0 अरण कमार वसह उचचतर सामानय मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास वदलली

bull डॉ0 अरण कमार वसहए उचचतर नदावनक मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास

वदलली

bull डॉ0 डी0एन0 शरीिासति आिवनक असामानय मनोविजञान सावहतय परकाशन आगरा

bull डॉ0 आर0एन0 आिवनक असामानय मनोविजञान अगरिाल पवबलकशनस आगरा

412 तनबनिातमक परशन 1 मन शबद स आप कया समझत ह

2 चतन अचतन और उिथचतन स आप कया समझत ह

3 मल परिवततया वकतन परकार की होती ह

4 मनोविशलषण शबद का कया अरथ ह

5 वयवकत परायः अपन वदन-परवतवदन क जीिन म वकस तरह की भत करता ह

6 वयिहार शबद की वयाखया कीवजय

7 फरायड क मनोविशलषण वसिानत की विसतत वयाखया कीवजए

8 वयिहारातमक उपागम स आप कया समझत ह विसतत वयाखया कीवजए

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उततराखड मकत विशवविदयालय 73

इकाई-5 परकषपी परविधि कस अधययन विधि 51 परसतािना

52 उददशय

53 परकषपी परविवि का सिरप

54 परकषपी परविवियो का सिरप

55 कस अधययन विवि कया ह

56 नदावनक कस अधययन विवि का सामानय परारप

57 कस अधययन विवि क गण एि दोष

58 साराश

59 शबदािली

510 सिमलयाकन हत परशन

511 सनदभथ गरनर सची

512 वनबनिातमक परशन

51 परसिािना इस परविि दवारा वयवकतति की माप अपरवयकष रप स होती ह यदयपी इसका परयोग पराचीनकाल

म भी होता रा इसक आिवनक इवतहास का परारमभ गोलिन क शबद साहचयथ परीकषण की परकषपण

परविवि क रप म वकया गया इस सवकषपत इवतहास क बािजद परकषपण परीकषपण की परकषपण परविवि

क रप म वकया गया इस सवकषपत इवतहास क बािजद परकषपण विवि क उपयोग क वलए सही पररणा

रोिी क परयासो स वमला परकषपण शबद का सिथपररम परयोग परवसि मनोविशलषणिादी वसगमड

फरायड न 1894 म वकया इनक अनसार परकषपण िह परविया ह वजसक दवारा परतयक वयवकत अपन

अभािो विचारो भािनाओ इचछाओ सिगो का अनय वयवकतयो या िाहय जगत क माधयम स

सरकषातमक रप परसतत करता ह

मनवसक रोगो क वनदान म कस अधययन विवि ही एक ऐसी विवि ह वजसका परयोग

नदावनक मनोिजञावनक तरा मनोवचवकतसक दोनो ही करत ह कस अधययन विवि ही एक ऐसी विवि

ह वजसम रोगी क वयवकतति की सरचना गवतकी उसकी कमजोररयो एि शवकत विकासातमक पिथ

िवततया भविषय म रोगी क बार म वकया जान िाला वनणथय आवद का अधययन वकया जाता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 74

52 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद आप -

bull वयवकततप मापन की विवियो क बार म जान सक ग

bull परकषपी परविवि क सिरप को समझ सक ग

bull परमख परकषपी क बार म जानकारी परापत कर सक ग

bull वयवकतति सवचयो की रचना िलाकन परशासन एि वििचना क बार म जान सक ग

bull रोगो क वनदान क विषय म जान सक ग

bull कस अधययन विवि क परारप क विषय म जानग

bull इस विवि क गण एि दोषो क विषय म जान सक ग

53 परकषपण परविधियो का सिरप परकषपी परविवि म वयवकत क सममख एक ऐसी उिीपक वसरवत परसतत की जाती ह और उस

ऐसा अिसर परदान वकया जाता ह वक िह अपन वयवकतगत जीिन स समबवनित वछपी बातो को उन

वसरवतयो क माधयम स परकि कर सक इस विवि का समबनि वयवकतति क अचतन पकष स होता ह

यह मखयतः वयवकत क अचतन मन का मापन करती ह परतयक वयवकत की कछ इचछाए भािनाए एि

अवभिवततया होती ह जो वयवकतति क ही विवभनन अग ह और य गण न तो िाहय रप स वदखाई दत

ह और न ही हम इनह समझ पात ह अतः इन सभी गणो का मापन करन क वलए हम परकषपी

परविवियो का सहारा लत ह इन विवियो म परीकषण सामगरी पणथ रप स वनदवशत अरिा

अिथवनदवशत होती ह परयोजय तसिीर दखकर कहानी वलखता ह अिर िाकयो की पवतथ करता ह

अपनी इचछानसार वखलौन स खलत ह इनक माधयम स वयवकत अपन अदर क भािो को सिततर रप

स वयकत करता ह इसम परयोजय को यह नही पता चलता ह वक उसक वकन-वकन गणो का मापन

वकया जा रहा ह वयवकत अपनी इचछाओ भािो सिगो आकाकषाओ आिशयकताओ को इस

परीकषण सामगरी पर परकषवपत करता ह विर उस विषय का विशलषण एि वििचन करक उसक

वयवकतति क बार म जानन की कोवशश की जाती ह

परकषपी परविवध की विशषिाए -

bull परकषपी परविवि क दवारा वयवकतति क समबनि म सही जानकारी परापत होती ह उस वकसी बात को

वछपान का अिसर नही वमल पाता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 75

bull वयवकत क अदर दब हए विचारो को परकि करन म सहायक होती ह

bull इस परविवि क दवारा चतन एि अचतन पहलओ का मापन वकया जाता ह यह अचतन को

समझन की सबस शरषठ विवि ह

bull इस परीकषण को करत समय परीकषण एि परीकषारी क भी अचछा सामजसय होना आिशयक ह

bull इनको परायः वयवकतगत रप स करना समभि होता ह

bull इसक दवारा सामानय एि असामानय दोनो ही तरह क वयवकतयो क वयवकतति का मापन वकया

जाता ह

bull इसकी विशवसनीयता एि ििता सामानय होती ह

bull वयवकत क पर वयवकतति का सपषठ वचतर उपवसरत कर वयवकत को समझन म सहायक होती ह

सीमाए-

bull परकषपी परविवि का मापन करना एक कविन कायथ ह

bull इस विवि की गढ़ना एक सािारण वयवकत दवारा समभि नही ह इसका परयोग योगय कशल एि

अनभिी वयवकतयो दवारा ही सभि ह

bull इस परविवि क परीकषणो को करन म अविक समय लगता ह िलतः वयवकत म रकान ि अरवच

का अनभि होन लगता ह

bull सामानय वयवकतयो की अपकषा असामानय वयवकतयो क मापन की शरषठ विवि ह

bull इसकी विशवसनीयता एि ििता सीमाएको वनिाथररत करना एक कविन कायथ ह

54 परकषपी परविधियो का परारप 1) शबद साहििय परीकषण- यह परकषपी विवि की सबस परानी विवि ह इसका वनमाणथ परवसि

जीिशासतरी गालिन न (1879) म 75 शबदो की सची बनाकर वकया इस विवि म परयोजय को

शबद सनत ही उसक मन म जो पहला शबद आए उस बताना होता ह इस विया को वयवकत को

शीघरता क सार परा करना ह इसकी वििचना बात पर आिाररत होती ह

(1) परयोजय न परवतचार क रप म कौन स शबद कह

(2) और परयोजय न परयततर दन म वकतना समय वलया

जयादा समय म उततर दना वयरथ क शबद बोलना परवतविया क परवत असिलता तरा वयवकत

का असामानय वयिहार वयवकत की वछपी हई मनोगरवनरयो तरा सिगातमक विचारो की ओर सकत

करता ह इसका परारप इस तरह ह-

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उततराखड मकत विशवविदयालय 76

िस उददीपक शबद परवतविया शबद परवतविया काल अनतःसचना

1 चाक

2 साप

3 मा

2) वितर साहििय परीकषण- इस परीकषण का वनमाणथ रोजविग न (19441948) म वकया इसक

दवारा कणिा एि आिामक दशाओ म वयवकत की परवतवियाओ का मापन वकया जाता ह इसक

24 कािथन कणिा वसरवतयो को परदवशथत करत हए वदखाए गय ह इसम ऐ वयवकत ऐसा वदखाया

गया ह जो दसर वदखाए गए वयवकत की कणिा क कारण क समबनि म कछ कहता ह और

परयोजय को एक ररकत सरान पर कछ वलखना होता ह इस विवि का परयोग परायः बाल-अपरािी

कामक अपरािी आतमहतया परिवतत िाल अविक आय िाल रोगी शारीररक विकलाग

मानवसक अिरोिी वयवकतयो क रोग क वनदान हत वकया जाता ह मानि पररणा को समझन एि

वयवकतति क आनतररक पकषो का जञान करन म यह सहायक होती ह

उदाहरण-

3) िाकि पविय परीकषण- इस परीकषण म कछ अपणथ िाकय वदय जात ह वजसकी पवतथ क वलए

वयवकत को वनदश वदय जात ह इसम परीकषणकताथ एक-एक करक परतयक अिर िाकय को

बोलता जाता ह तरा परयोजय उस सन हए िाकय को तरनत परा करन का परयास करता ह इसकी

शरआत एविग हास न की इसम अपणथ िाकय इस तरह होत ह-

मरी असिलता

अचछा होता वक म

मरी माता न

अनय वयवकतयो स

उसन हम कयो

नही बलाया

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उततराखड मकत विशवविदयालय 77

इस परीकषण क दवारा वयवकत की आकाकषा इचछा आिशयकता रवच तरा समायोजन

आवद का पता चलता ह इस सरलता स वयवकत पर परशावसत वकया जा सकता ह इसका परयोग

सामवहक रप स भी वकया जा सकता ह इस परीकषण का परयोग वशवकषत वयवकतयो पर नही वकया जा

सकता ह कयोवक कभी-कभी परीकषारी इतना सतकथ हो जाता ह वक सही बात नही बताता ह

िलसिरप पररणाम वनकालना एि वििचना करना कविन हो जाता ह

4) मनोनाटकीि विवध- इस विवि का परयोग परयोजय की भािनाओ को उततवजत करन क वलए

वकया जाता ह इसक दो परारप ह-ियसक ियवकतयो क वलए बालको क वलए पहल परारप म

चार तरा दमसर परारप म तीन परीकषाए होती ह परतयक परीकषा म 125 शबद होत ह एक पवकत

म पाच शबद होत हndash

Drink Choke Flirt Unfair White

Disgust Fear Sex Suspicion Water

परयोजय को यह आदश वदया जाता हवक उस जो शबद अवपरय लगता ह उस काि द उस कि हए

शबद क आिार पर वयवकत की भािनाओ क समबनि म जानकाररया परापत की जाती ह

5) खल परविवध- इस परविवि क माधयम स बचचो तरा ियसको को अपनी भािनाओ तरा

समसयाओ का भली-भावत परदशथन करन का अिसर वमतजा ह बालक वकस तरह क वखलौन स

खलता ह या कौन स खल पसनद करता ह िह उन वखलौनो क सार वकस तरह अपनी

भािनाओ का परकषपण करता ह आवद क आिार पर बालक या ियसको क वयवकतति क बार म

जञान परापत वकया जाता ह बचचो क वयवकतति मापन की यह एक सिथशरषठ एि उपयोगी विवि ह

6) रोशाय सिाही क धबबो का परीकषण- 1921 म वसिस मनोवचवकतसक हमथन रो न सयाही क

िबबो िाल परीकषण का वनमाणथ वकयावयवकतति मापन की यह अतयविक परवसि एि वयापक

रप स परयोग की जान िाली विवि ह अचतन सतर पर दबी हई वयवकत की सभी इचछाओ

भािनाओ आवद को जानन की अतयविक उपयोगी विवि ह इस परीकषण म दस मानकीकत

काडथ होत ह वजसम स पाच काल सिद तरा पाच विवभनन रगो िाल शड काडथस ह वजस पर 1

स X तक नमबर अवकत ह वजनह इसी िम म वयवकत क सममख परसतत वकया जाता ह इन

विवभनन काडो पर वयवकत अपनी रचना क अनसार विवभनन िसतओ-मानि पशओ आवद का

वचतर दखता ह वजसक परवत िह परवतविया करता ह यह किल वयवकतगत रप स ही सभि ह

वयवकत को दस काडथ एक -एक करक वदय जात ह परयोजय को यह आदश वदया जाता ह वक- म

तमह सयाही क िबबो स बनी आकवतयो का एक-एक काडथ वदखाऊगावदखाऊगी इसको दखन

क बाद तमह जो कछ वदखाई द िह मझ बताओ तम काडथ को जस चाह घमा सकत हो जब

तमह कछ न वदखाई द तो काडथ मझ िापस कर दो विर म तमह दसरा काडथ दगादगी

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उततराखड मकत विशवविदयालय 78

समसत काडो पर उततर परापत करन क बाद एक काडथ म लगा समय काडथ घमान की वसरवत रग सरान

आकार तरा गवत आवद को सची म अवकत कर ल और उसक आिार पर विर पररणाम वनकलत ह

इस विवि का परयोग मखयतः वचवकतसा वनदानो बाल -वनदशन वयािसावयक चयन वनदशन सिाओ

पिथ करन करन तरा शोि कायो म वकया जाता ह

परयोजय दवारा वदय उततरो को वनमन परपतर म अवकत वकया जाता ह

रोशाय ररकारय परपतर

काडथ

न0

पररम

अनविया

पररम

अनविया

समय

अनय

अनविया

अनविया

समय

कवडघमान

की वसरवत

पछताछ

1

2

3

4

bull पछताछः-

पछताछ क दौरान यह जञात कर वलया जाता ह वक परयोजय न वकतन सरान को दखा वकस

सरान को अविक महति वदया वकन रगो को ऊचाई वनचाई कोमलता-किोरता या वसरवत को

उसन महति वदया

bull परीकषण िलाकन-

इस परीकषण की परवतवियाओ का िलाकन तीन चरणो म वकया जाता ह-

1) सरान 2) परतयततर वनिाथकर 3) विषय िसत

1) सरान इसम वयवकत कौन सा सरान दखकर उततर दता ह और िह वचतर उस कहा वदखाई द रहा

2) परतयततर इसम आकार रग ऊचाई-वनचाई किोरता मलायम पन गवत वसरवत आवद को

परदवशथत वकया जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 79

3) विषय िसतः इसक अनतगथत वयवकत क परतयततरो अराथत वयवकत की अनविया जस -आकवत

मानि शरीर क भागो पशओ पश शरीर क भागो घरल िसतओ पदारो चटटानो िआ आवद

दखता ह जो अवकत वकया जाता ह

bull परवसि परतयततर-

परवसि परतयततर ि होत ह तो परायः सामानय वयवकतयो दवारा वदय जात ह परवसि परतयततर किल उसी

पररवसरवत म समभि हो सकता ह जब परयोजय दवारा की गई अनविया म एक अचछ आकार का

परतयततर वदया ह

bull सगिन-

जब परयोजय न दो या दो स अविक पदारो को सगवित कर उततर वदया हो उस सगिन कहत ह रोशी

दवारा समसत वचनहो एि सकतो को अवकत करन क वलए वनमन तावलका का परयोग वकया जाता ह

काडथ न0 सरापन वनिाथरक विषयिसत परसपरतयततर सगिन

1

2

3

4

bull वििचन-

परवसि परतयततरो अवकत करन क पिात वयवकत को समझन क वलए उसका वििचन सरान वनिाथरको

तरा विषय -िसत क अिार पर वकया जाता ह

i) सरान यवद वयवकत अविक सरलता स दखन िाल सरान की आकवत की उपकषा समपणथ

काडथ को दखकर परतयततर दता ह तो वयवकत की अमतथ पदारो क परवत सोचन की शवकत

अविक होती ह िह बवििाला होता ह और जब वयवकत आसानी स न वदखन िाल छोि

भाग को वदखकर परतयततर दता ह तो वयवकत मनोगरसतता क लकषणो तरा जब वयवकत सिद

भाग को दखकर अविक परतयतर दता ह तो शककी परिवतत का होता ह

ii) वनिाथरको की वििचना विवभनन परतयततर वनिाथरक वयवकत क जीिन स समबवनित विवभनन

पहलओ क परतीक होत ह-

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 80

जस- आकार िासतविकता स समबवनित रग सख क सिग काल रग उदासीनता ऊचाई-वनचाई

हीनता कविनता कोमलता परमचछा गवत रचनातमकता एि कलपता क परतीक होत ह

iii) विषय-िसत की वििचनाः यवद मनषय परतयततर परयोजय अविक द तो वयवकत का मानि

पयाथिरण स उवचत समबनघ नही ह पश परतयततर मानि की गराहस -योगयता क बतलात ह

और जब आनतररक अक परतयततर सामानय स अविक हो तो ि परयोजय म सिकाय

दरवचनता को बतलात ह

7) परसागातमक बोध परीकषण- रोशी परीकषण की तरह यह भी पर वयवकतति का मापन करती ह

इसका वनमाणथ मर एि मागथन न 1935 म वकया इसक दवारा सामानय एि सनाय दौबथलय वयवकतयो

क वयवकतति को समझा जाता ह इस परीकषण म तीस तसिीरो िाल मानिीकत काडथ होत ह और

एक खाली काडथ होता ह यह परीकषण 14 िषथ स अविक परषो और वसतरयो क वलए ह इन तीन

काडो म दस काडथ परषो क वलए दस वसतरयो क वलए तरा दस सभी क वलए होत ह एक

परयोजय पर परायः बीस काडथ परयकत होत ह यह परयोग एक समय म एक ही वयवकत पर वकया जा

सकता ह इनको भरिान म लगभग एक घि का समय लगता ह इसम परयोजय स वमतरतापणथ

वयिहार सरावपत करन क बाद परीकषणकताथ परयोजय को वनमन वनदश दता ह-

म तमह एक-एक करक तसिीकर दगा तमह इन तसिीरो पर अलग-अलग एक कहानी बनानी ह म

दखना चाहता ह वक तम अपनी कलपना स वकतनी सनदर कहानी बना सकत हो कहानी बनातम

समय तमह वनमन चार बातो को धयान रखना ह-

bull पहल कया-कया बात हई वजसस यह घिना वचतर म वदखाई गयी

bull इस समय कया हो रहा ह

bull वचतर म कौन-कौन लोग ह ि कया सोच रह ह उनक मन म कया -कया भाि उि रह ह

bull इसका अत कया होगा

परतयक कहानी क वलए आपको पाच वमनि का समय वदया जायगा और अनत म परयोजय को

खाली काडथ क वनमन वनदश वदय गयndashrdquoयह अवनतम लवकन खाली काडथ ह इसम कोई वचतर नही बना

ह इस खाली काडथ म पहल कोई वचतर विर उकत चारो बातो को धयान म रखत हए एक कहानी

बनाओ|rsquorsquo

समसत काडो को परा करन क बाद परयोजय स सदहयकत सरानो पर पछताछ की जाती ह

पछताछ करना परीकषण का एक अग ह इनक िलाकन की कोई वनवित विवि नही ह वभनन उददशयो

की पवतथ हत वभनन िलाकन विवियो का परयोग वकया जाता ह मखय रप स परीकषण म कहानी कीर

वििचना वनमन आिारो पर की जाती ह

bull कहानी का हीरो(नायक) कौन ह वजसक सार परयोजय न तादातमीकरण वकया ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 81

bull नायक की आिशयकताए एि लकषय कया ह

bull नायक की भगनासा वसरवतया स कसा समबनि ह

bull नायक का अनय वयवकतयो स कसा समबनि ह

bull कहानी का परसग कया ह

bull कया पररणाम दखी सखी िासतविक ि कालपवनक वनकलगा

परायः ियवकत िी0ए0िी कहावनयो क आिार पर ही अपनी आिशयकताओ दिाब परसग तरा

पररणाम का परकषपण करता ह एक नायक स अपना तादातमीकरण करता ह अतः कहानी क नायक

का िणथन करना वयवकतति का सिय िणथन करना ह कहानी म उपयथकत बातो क अवतररकत कहानी का

मलयाकन वनमन आिार पर वकया जाता ह

1 कहानी का परकार 2 कहानी का परकरण 3 कहानी का सामगरी म समबनि तरा तालमल 4 आकवतयो का िणथन

5 कहावनयो की आकवतयो म लौवगक समबनि

6 कहानी का मखय नायक तरा कम महतिशील नायक कौन

परसगातमक बोि परीकषण की विशवसनीयता जञात करन हत पनथपरीकषण तरा अिथ-विचछद विवि

को अविक महतिपणथ एि उपयोगी पाया गया ह

परसगातमक बोि परीकषणो का परयोग जहा बड़ लागो (ियसको) पर वकया जाता ह िही सी0 ए0

िी0 परीकषण बालको क वलए उपयथकत होता ह इस परीकषण का सबस पहल परयोग 1943 म

वलयोपोलड बलक न वकया यह परीकषण 3 स 11 िषथ तक की आय िाल बालको क वयवकतति का

मलयाकन करन क वलए परयोग वकया जाता रा इसम कल 10 वचतर ह वजनम स परतयक पर जानिरो

क वचतर अवकत ह इन वचतरो क माधयम स बालको क पररिार समबनिी सिाई समबनिी परीकषण

आवद अनक समसयाओ और आदतो का लगता ह

bull सनीड मन वचतर कहानी बनाओ परीकषणः-

सनीडमन क दवारा वचतर कहानी बनाओ बनाओ परीकषण की रचना की गई परसगातमक बोि

परीकषण की भावत यह परीकषण भी वयवकत की कलपना शवकत तरा सजनातमक योगयताओ का मापन

करता ह इस परीकषण म 22 वचतर विवभनन पषठभवमयो जस जगज बिक ककष (राइग रिम) सनानककष

आवद स समबवनित ह तरा 67 गतत पर काि हए वचतरो म स 19 परषो 11वसतरयो 2 हीजड़ो 12

बचचो 10 अलपसमहो (जस नीगरो यहदी आवद) 2जानिरो तरा 5 खाली चहर िाल वचतर ह इस

परीकषण को करत समय किल ऐ पषटभवमको परसतत वकया जाता ह तरा परयोजम को उनम स किल

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 82

एक आकवत चनन क वलए कहा जाता ह जो एक दशय वनवमथत करती ह और इस वचतर क आिार

पर परयौजय स एक कहानी वलखन क वलए कहा जाता ह परयोजय स य पछा जाता ह वक वचतर म

कया हो रहा ह उसक पातर कौन-कौन ह और ि कया कर रह ह परीकषण क वलए एक औपचाररक

िलाकन विवि विकवसत की गई ह इस परीकषण का मखय उददशय कलपना वनमाणथ क मनोविजञावनक

पहल का अधययन करना जो मनोविदलता म मखय भाग अदा करता ह

bull सजोनदी परीकषण-

चयन परविवि पर आिाररत इस परीकषण म परयोजय वजन वचतरो को परारवमकता दता ह िह उन

वचतरो को ही वयिवसरत करता ह इस परीकषण म 48 िोिोगराफस होत ह जो आि शरखलाओ म

परसतत वकय जात ह परतयक शरखला म एक-एक वचतर समकामवलगी पीवड़त हतया अपसमार रोग

मछाथ समबनिी उदास उगर मनोविदलता तरा वयामोह मनोविदलता स समबवनित वयवकत क विषय म

होता ह परीकषण क समय परयोजय स यह कहा जाता ह वक िह परतयक शरखला म स ऐस कोई दो

वचतर चन ल वजनह िह सिाथविक पसनद करता ह परतयक वचतर क चयन क आिार पर वयवकत का

िणथन आि आिशयकता पिवतयो क अनसार वकया जाता ह तरा वयवकत दवारा वचतर को चनन एि

उनको असिीकत करन क वयिहार क आिार पर परयोजय क आनतररक तनाि का अधययन वकया

जा सकता ह

bull बक का घर-पड़ वयवकत परीकषण-

बक का घर-पड़ वयवकत परीकषण भी एक वयवकत परकार की परविवि होती ह इनक अनसार घर की

आकवत परीकषारी क घर तरा उसम रहन िाली िसतओ क साहचयथ को इगवत करता ह पड़ की

आकवत परीकषारी क जीिन समबनिी कायथ भागो तरा उसकी सामानय पररिश स गरहण वकय गए

आननद की आननद की योगयता को वयकत करती ह वयवकत की आकवतत परीकषारी क अनतियवकतक

समबनिो की वयाखया करती ह

bull वखलौना परीकषण-

इस परीकषण म दोनो वलगा एि ियसको क वलए वखलौन जस किपतली गवड़या लघ रकषय वचतर

आवद परीकषारी को खलन क वलए वदय जात ह एक परीकषण कतताथ बचच दवारा खल क वलए चन गए

पदारथ को नोि करता ह बचचा वकस तरह स इनको खलता ह पकड़ता ह तरा उनक सार उस

परतयकष वदखन िाला वयिहार सिगातकम शबदीकरण वकस परकार का ह दखता ह इन परीकषणो क

माधयम म भाई-बहनो की सपिाथ तनाि भय आिामकता आवद को पता चलता ह

bull मकहोिर रा ए परसन िसिः-

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 83

वयवकत परविविओ पर आविाररत यह एक विखयात परीकषण कायथ क अनतथगत परयोजय को कागज

पवनसल दकर उसस एक वयवकत का वचतर बनान क वलए कहा जाता ह पहला वचतर परा होन क बाद

उसस विपरीत वलग का वचतर बनान क वलए कहा जाता ह यवद पहल वचतर सतरी का बनाया ह जो

दसर म परष का वचतर बनान क वलए कहा जाता वचतर बनात समय समय परीकषणकताथ यह दखता ह

वक परयोजय न शरीर क विवभनन भागो को बनान का कया िम रखा ह कौन सा भाग पहल और कौन

सा भाग अनत म बनाया ह परीकषणकताथ वचतर बनान की अनय परतीकतमक बात तरा परयोजय की

वयाखया को भी नोि करता ह इस परीकषण की वििचना वनमन तीन आिारो पर की जाती ह-

(1) राइग क सामानय समपणथ परभाि का विशलषण- इसम आकवत की वसरवत चहर की अवभवयवकत

आकवतत की गवत या वसररता आवद बातो का विशलषण करक परयोजय क बार म यह बतलाया जाता

ह वक उसम वकतनी मातरा म विसतता विरदवता आिामता एि नमरता ह

(2) राइग की सरचनीय आकवततयो का विशलषण- इसक अनतगथत वचतर का आकार रखाओ का

दबाब शरीर क विवभनन अगो को बनान का िम उसका अनपात वदय गय पषठ की वसरवत आवद

का विशलषण वकया जाता हआकवत क आकार का सीिा समबनि वयवकत क आतम सममान स होता

ह वनमन आतम-सममान िाला वयवकत छोिी आकवत बनाता ह जबवक उचच सममान िाला वयवकत

अपकषाकत बड़ी आकवत बनाता ह

(3) आकवततयो की विषय-िसत का विशलषण- आकवततयो का विषय-िसत विशलषण म राइग म

शरीर क विवभनन भागो को महति वदय जान तरा कपड़ो को पहनन आवद का विशलषण वयका जाता

ह यवद वचतर म अनय भागो की अपकषा वसर को अविक महति वदया गया ह तो यह वयवकतति क

अनक मखय पकषो को वयकत करता ह जस यवद वसर का आकार शरीर क अनय भागो स अविक बड़ा

वचवतरत वकया गया ह तब यह वयवकत म आवगक मवसतषक विकार को वयकत करता ह नगी मानिीय

आकवतयो जननवनरयो तरा छाती को विशष महति वदया जाना वयवकत क मनोकामक परिवततयो को

परष आकवततयो म होिो को अविक महति दना समकामक परिवततयो हारो को महति दना

कामकता विरिता एि आिमक तरा अपराि समबनिी भािनाओ को परकि करता ह

कभी-कभी वचतर म हार बनाना छि जाता ह अराथत वयवकत क अचतन मन म अपराि

भािना वछपी ह वजसक कारण िह सिय को दवणडत अनभि करता ह पशचप दवारा वयवकत की कमीज

की जब को महति वदया जाता समवलगता का सचक ह खीची गई आकवत म चाक का होना

आिमकता एि विरिता का सचक ह आकवत वचतराकन म पिी को महति दना सतरी या परष की

वनयवनतरत काम परिवततयो को वयकत करता ह विपरीत वलग की आकवत बनान म असमरथ होना

ियवकत की भीतरी सम-वलगता की परिवतत को इवगत करता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 84

55 कस अधययन विधि कया ह कमर (1995) क अनसार ldquoकस अधययन परायः एक वयवकत का विसतत एि िणाथतमक

अधययन होता ह यह वयवकत की पषठभवम ितथमान पररवसरयो एि लकषणो का िणथन करता ह इसम

विशष परकार क उपचार पररणाम एि परयोगो को िणथन होता ह इसम इस बात काअदाज लगाया

जाता ह वक वयवकत की समसया वकस तरह विकवसत हई रीrsquorsquo

इस पररभाषा क िलसिरप इस विवि म रोगी क बार म परायः इस तरह का परशन वकया जाता

ह- वक रोगी वकस तरह की समसया स गरसत ह वकस तरह की समसया रोगी को सबस जयादा कषट

पहचा रही ह रोगी वकस तरह का वयवकत ह वकस तरह की समसया रोगी को सबस जयादा कषट

पहचा रही ह रोगी वकस तरह का वयवकत ह िह कसमायोवजत वयिहार कयो करता ह िह

सामावजक िातािरण स अपन आप को कस समबवनित करता ह उसक जीिन म तनाि क पदा

होन का कारण कया ह िह इन तनािो को दर करन क वलए कया रासता अपनाता ह रोगी को वकस

तरह क नदावनक उपचार की जररत ह रोग क उपचार क वलए कया वकया जा सकता ह उसक

कया पररणाम हो सकत ह आवद परशनो का उततर इस विवि क दवारा वदया जा सकता ह

िलर (1962) हबर (1961) न अपन अधययनो क आिार पर नदावनक कस अधययन

विवि का एक परारप तयार वकया जो नदावनक मनोिजञावनको क बीच बहत परवसि ि लोकवपरय ह

इसम रोगी क ितथमान भत ि भविषय तीनो पहलओ स समबवनित परशनो का एक अनोखा सगम

वदखन को वमलता ह िलतः रोगी क बार म जो वचतर उभरकर सामन आता ह िह नदावनक क

अधययन विवि म कािी उपयोगी ह

56 नदातनक कस अधययन विधि का सामानय परारप 1) िियमान वसथवि- ितथमान वसरवत म नदावनक मनोिजञावनक रोगी स वनमन पहलओ स समबवनित

परशनो का उततर जानन की कोवशश करत ह

bull रोगी अपनी वदन-परवतवदन की वजनदगी म कौन-कौन सा कायथ करता ह तरा कस करता ह िह

जो कायथ करता ह उसम आदशथता का सतर ह या उसस नीच ह

bull लाकषवणक वयिहार क अनतगथत वनमन सचनाए रोगी स परापत की जाती ह

- सिय रोगी की नजर स िी कौन सी समसया ह जो रोगी को कषट पहचा रही ह उसक लकषण कया ह

- पररिार क सदसय रोगी क वकस वयिहार स सबस अविक परशान होत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 85

- मलयाकन कर रह वचवकतसक क दवषटकोण स मनोिजञावनक कषबिता का आिार कया ह कया रोगी

वचनतन विकवत स गरसत ह कयो रोगी म वचनता विषाद नाकारातमक सिग की अविकता ह वक उस

वनयवतरत करना सभि नही ह

bull रोगी को उपचार गह लान पर उसक मन म कया परतयाशा ह कया रोगी यह उममीद करता ह वक

उसक रोग क लकषण समापत हो जायग या उसक वयवकतति म पररितथन आ जायगा मानवसक

रोग तरा मानवसक सिासय क बार म रोगी का अपना कया विचार ह आवद परशनो का उततर

जानन की कोवशश की जाती ह

bull उपचार गह म रोगी का वयिहार कसा ह कया रोगी उपचार गह म वचवनतत नजर आता ह कया

उसक वयिहार स यह पता चलता ह वक िह परवतरकषा का सहारा ल रहा ह

2) अविविि वििहार-

इस वसरवत म नदावनक मनोिजञावनक रोगी स वनमन वबनदओ पर उततर जानन की कोवशश करत

ह-

bull कया रोगी का सिासय िीक ह उसका शारीररक सगिन कसा ह उसकी बीमारी का इवतहास

कसा ह

bull कया रोगी वचड़वचड़ा ह या सिगो पर उसका वनयतरण ह कया उसक सिग उमर एि पररवसरवत क

अनरप ह कया उसक हाि-भाि तनािपणथ ह

bull रोगी अपन म वयवकतति क वकन गणो का अनभि करता ह और दसर लोग उस वकन गणो क

रप म जानत ह

bull रोगी का वयिहार दसर लोगो क सार कसा ह उसक दोसत वकस तरह क ह उनकी सखया

वकतनी ह

3) विविति गविकी एिा सारिना-

इसम तीन तरह की रचनाओ स समबिपरशन वकय जात ह-

bull रोगी क चतन और अचतन अवभपररक कया ह ि आपस म वकस तरह स समबवनित ह रोगी को

सबस जयादा आननद वकस चीज म आता ह रोगी का नवतक वसिानत कया ह उनक मखय

विशवास कया ह

bull रोगी स अह शवकत वचनतन आतमपरततय स समबवनित परशनो को पछकर सचनाए एकतर की जाती

4) सामाविक वनधायरक िथा िियमान िीिन की पररवसथवि-

bull समह क सदसय की भवमका कया ह रोगी वकस तरह क सामावजक समह स अपना समबनि

रखता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 86

bull रोगी का पाररिाररक समबनि कसा ह रोगी का अपन माता-वपता बचचो पवत ि पतनी क सार

कसा समबनि ह

bull रोगी का विदयालय जीिन क समबनि म इवतहास तयार वकया जाता ह रोगी अपन कायथ आय

स सतषट ह कया उस कायथ स विशराम वमलता ह उसक शौक कया ह

bull रोगी वकस तरह क समाज म रहता ह िह अपन घर म रहता ह या दसरो क घर म

5) मयि िनाि एिा उसस वनबटन की अनिःशवि-

वकन कारणो स रोगी म तनाि उतपनन होता ह कया उसक तनाि का कारण उसक वयवकतगत समबनि

या वििाह या पयार आवद ता नही ह अपन परयासो स वकस सीमा तक रोगी इन तनािो स बच पाता

6) विविति विकास-

रोगी क वयवकतति विकास स समबवनित कछ तयो को एकतर करन की कोवशश की जाती ह रोगी

की परारवमभक जीिन की अनभवतयो एि अनय महतिपणथ लोगो-माता-वपता भाई-बवहन आवद क

समबनघो क सिरप की जानकारी परापत की जाती ह

7) कस वनमायण-

रोगी क समबनि म तीन तरह की सचना परापत करत ह-

bull रोगी की मनोिजञावनक परशानी को समझन की कोवशश की जाती ह कया कोई ऐसा सबत

वमलता ह वजसस रोगी को अपनी विकवत और अविक मजबत करन म बल वमलता ह

bull रोगी क रोग की ितथमान अिसरा की पहचान करन क वलए अनय मनोवचवकतसकीय

विशषताओ पर पहल करन की कोवशश की जानी चावहए

bull रोगी वकन-वकन कषतरो म िीक ढग स काम करता ह तरा वकन -वकन कषतरो म िह िीक ढग स

काम नही कर पाता ह कया रोगी म कोई समवत या वचनतन दोष ह आवद

8) वसफाररश एिा मलिााकन-

कस अधययन विवि का यह िपहल बहत महतिपणथ होता ह

bull िावछत पररणाम

bull सभावित सहयोग

bull भविषय की वजनरी का िम

यवद रोगी सिसर ियवकत बनना चाहता ह तो कौन-कौन स गणो या पररवसरवतयो म पररितथन

लाना आिशयक ह उसकी बड़न िाली परमख आिशयकता कौन कौन सी ह जो वचवकतसीय

हसतकषप क वलए परमख लकषय बन सक

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 87

कया रोगी की जीिन की ितथमान अिसराओ म पररितथन कर दन स उसका मानवसक तनाि कम

हो जायगा कया रोगी क सार रहन िाल वयवकत स परामशथ वकया जा सकता ह कया रोगी वलए

मनोवचवकतसा जररी ह यवद ह तो उसका सिरप कसा होना चावहए ियवकतक या सामवहक कया

उस वकसी तरह की औषवि या विदयत वचवकतसा की आिशयकता ह

नदावनक इलाज क बाद रोगी क जीिन क बोर म वकस तरह की भविषयिाणी की जा सकती ह

भविषय म रोगी का वकस तरह क मनोिजञावनक एि सामावजक हसतकषप जररी ह

कस अधययन विवि क परारप को वनमन शीषथको म हम बाि कर अधययन कर सकत ह-

1 पररचय समबनिी सचनाए-रोगी का नाम उमर वलग िमथ पशा पता आवद

2 समसया 3 वचवकतसक क पास आन का कारण

4 पाररिाररक इवतहास 5 सिासय एि मवडकल इवतहास 6 सकल एि शवकषक पषठभवम 7 वयवकतगत एि सामावजक समायोजन 8 कायथ एि वयािसावयक ररकाडथ 9 ििावहक इवतहास एि समायोजन 10 वयवकतति िणथन 11 वसिाररश एि पिाथनमान

उकत िणथन क आिार पर हम रोगी क ितथमान भत एि भविषय तीनो क बार म पता लगा सकत ह

57 कस अधययन विधि क गण एि दोष कस अधययन विवि क कछ गण और दोष वनमन ह-

bull इस विवि दवारा वयवकतति समबनिी समसयाओ की समपणथ तसिीर वमलती ह िलतः मलयाकन

की यह परविया कािी विशवसनीय होती ह

bull कस अधययन विवि दवारा नदावनक मनोिजञावनको को ितथमान समय म रोग क उपचार म कािी

सहायता वमलती ह

bull इस विवि दवारा कछ असािारण समसयाओ का भी आसानी स अधययन वकया जा सकता ह

जस-बह वयवकतति विकवत क बार म परापत तय या सचनाए एक मवहला क कस पर आिाररत

रा वजसक तीन वयवकतति र परतयक वयवकतति की समवत पसद तरा वयवकतगत आदत वभनन-

वभनन री

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 88

कस एक जविल विवि म कछ गणो क अवतररकत कछ सीमाए भी ह-

bull यह एक जविल विवि ह परशनो को िीक ढग स तयार करन क वलए नदावनक सझबझ

कौशल एि समझ की आिशयकता होती ह इसक वलए वकसी योगय परवशवकषत एि कशल

मनोिजञावनक की आिशयकता होती ह

bull इसका सिरप आतमवनषठ ह अतः इसकी विशवसनीयता एि ििता कम होती ह

bull इस विवि दवारा गमभीर मानवसक रोगी का इलाज नही वकया जा सकता ह

उकत कवमयो क बािजद यह कस अधययन विवि नदावनक मनोविजञान की एक सिथशरषठ विवि ह

इसकी महतता नदावनक मनोविजञावनयो क वलए कािी अविक ह

58 साराश नदावनक मलयाकन का परमख उददशय रोगो का वनदान करना होता ह परमख रोगो क वनदान

म कस अधययन परविवि नदावनक मलयाकन की एक सिथशरषठ विवि ह इस विवि दवारा रोगी क

ितथमान भत एि भविषय तीनो पहलओ स समबि परशन दखन को वमलत ह और इन सभी परापत

सचनाओ दवारा हम जो तसिीर (रोगी की) दखन को वमलती ह िह नदावनक रप स कािी उपयोगीर

वसि होती ह

मनोिजञावनक पररकषण क दवारा इसामानय ियिहार को आसानी स समझा जा सकता ह

मनोिजञावनक पररकषण वयिहार का मापन करत ह असामानय वयिहार क परवत मानिीय दवषटकोण क

किास क सार ही सार अनक ऐसी अधययन पिवतयो का विकास हआ वजसक दवारा असामानय

वयिहार क बार म पता लगाया जा सकता ह जब वयवकतति क कछ पहलओ का मापन वयवकतति

सवचयो या अनय विवियो दवारा परायः असभि हो जाता ह तब हम ऐसी वसरवत म परकषपी परविवियो

का परयोग करत ह कयोवक इनक दवारा वयवकतति की आनतररक सतहः तक की दबी हई इचछाओ एि

वयवकतति सरचना का जञान होता ह और इसीवलए परकषपी परविवियो को वयवकतति मापन की शरषठ विवि

समझा जाता ह

59 शबदािली

bull विशवसनीििा एक विशवसनीय परीकषण िह ह वजसस परापत िलाक विशवनीय ह अराथत िही

परीकषण दोबारा उनही पररवसरवतयो म वकय जाए तो पहल जस िलाक परापत हो

bull िधिा जब हम शिता तरा परभािकतापिथक उसी योगयता का मापन करत ह वजसक वलए

परीकषण का वनमाणथ वकया गया ह

bull मानकीकि वजसक वनवित मानक सरावपत वकय जाए

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उततराखड मकत विशवविदयालय 89

bull सनािदौबयलि वनरनतर काम न करन पर भी रकािि का होना

bull गविकी गवत स

bull अविविि विचारो को वय कत करना

bull नदावनक वनदान करना

bull परतिाशा आकाकषा

bull परामशय सलाह दना

bull िगनाशा कणिा

bull मनोविदलिा वयवकत को वकसी िसत पर धयान कवनरत करन म कविनाई होती ह तरा वयवकत

वकसी िसत का गलत परतयकषीकरण करता ह

510 सिमलयाकन हि परशन

bull ररकत सरान की पवतथ कीवजए-

1 मनोनािकीय विवि क परीकषण म कल पद होत ह 2 रोशाथ परीकषण म कल काडथ होत ह 3 रोशाथ परीकषण का परा नाम परीकषण ह 4 मर एि मागथन न सनम परसगातमक बोि परीकषण का वनमाथण वकया 5 कस अधययन विवि मलयाकन की सिथशरषठ विवि ह

bull सतयअसतय बताइय

6 परकषपी परविवि दवारा वयवकत क चतन मन की जानकारी परापत की जाती ह| ( ) 7 शबद साहचयथ परीकषण का वनमाणथ हरसन रोशी न वकया| ( ) 8 सयाही क िबबो क परीकषण का वनमाथण हरमन रोशी न वकया| ( ) 9 परसशातमक बोि परीकषण म तीस मानिीकतत काडथसि होत ह ( ) 10 सनजोदी परीकषण म कल पतीस वचतर होत ह ( )

11 वयवकत परविवियो पर आिाररत म होिर रा एपरसन िसि एक विखयात परीकषण ह ( )

12 कस अधययन विवि का परयोग नदावनक मनोविजञावनक एि मनोवचवकतसक दोनो करत ह 13 वखलौना परीकषण दवारा सपिाथ तनाि भय आिमकता आवद का पता चलता ह

उततर 1) 125 2) 10 काडथस 3) रोशी सयाही क िबबो का परीकषण 4) 1935 म

5) मानवसक रोगो स 6) असतय 7) असतय 8) सतय

9) सतय 10) असतय 11) सतय 12) सतय 13) असतय

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उततराखड मकत विशवविदयालय 90

511 सनदभथ गरनर सची bull डॉ0 अरण कमार वसह उचचतर नदावनक मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास

वदलली

bull डॉ0 डी0 एन0 शरीिासति असामानय मनोविजञान सावहतय परकाशन आगरा

bull डॉ0 महश भागथि आिवनक मनोिजञावनक परीकषण एि मापन भागथि बक हाउस आगरा

bull डॉ0 मो0 ससमान असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसी दास वदलली

bull डॉ0 आर0 एन0 वसह आिवनक असामानय मनोविजञान अगरिाल पवबलकशन आगरा

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ0 गोविनद वतिारी असामानय मनोविजञान विनोद पसतक मवनदर आगरा

512 तनबनिातमक परशन 1 परकषपण शबद का सिथपररम परयोग वकसन वकया

2 परकषपी परविवि दवारा वयवकतति क वकन पहलओ का मापन वकया जाता ह

3 खल परविवि की वििचन वकन दो बातो पर आिाररत होती ह

4 परसगातमक बोि परीकषण म खाली काडथ क वलए परयोजय को कया वनदश वदय गय ह

5 वयवकतति मापन की सिथशरषठ विवि कौन सी ह

6 खल परविवि का परयोग मखयतः वकन कायो म होता ह

7 कस अधययन विवि का परयोग कौन करता ह

8 कस अधययन विवि का परवसि का परवसि एि लोकवपरय वकस मनोिजञावनक का ह

9 परकषपी परविविया कया ह इनकी विशषताओ एि सीमाओ का िणथन कीवजय

10 परसगातमक बोि परीकषण स आप कया समझत ह

11 कस अधययन विवि क परारप की वििचना कीवजय

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उततराखड मकत विशवविदयालय 91

इकाई- 6 सिपन विशलषण 61 परसतािना

62 उददशय

63 वनरा का सिरप

64 वनरा क परकार

65 वनरा की अिसराए

66 हम सोत कयो ह एि वनरा रोग

67 सिपन विशलषण

68 सिपन विशलषण क परकार

69 सिपन क समबनि म विवभनन विचारिाराए

610 सिपन क दवहक सह समबनि

611 आय एि यौन का परभाि

612 सिपन क वसिानत

613 साराश

614 शबदािली

615 सिमलयाकन हत परशन

616 सनदभथ गरनर सची

617 वनबनिातमक परशन

61 परसिािना नीद का आना एक जनमजात अवभपररक ह और यह परतयक वयवकत क वलय आिशयक ह

वसिथ मनषय ही सोत हए नही दख जा सकत बवलक जीि-जनत भी सोत हय दख गय ह और नीद क

सिपन का वदखयी जाना एक आम बात ह बचचा हो या बड़ा परतयक वयवकत क मख स अकसर सनन

को वमलता ह वक आज उसन एक अचछा सिपन दखा या बरा सिपन दखा कभी तो हम सबह उिन

क सार ही सिपन भल भी जात ह और कभी सिपन सच होत भी दख गय ह सिपन कया ह यह हम

कयो वदखायी दत ह यह जानन क वलए पहल हम नीद का अधययन करग और विर सिपन विशलषण

क बार म अधययन करग

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उततराखड मकत विशवविदयालय 92

नीद क दौरान सिदी छवियो और धिवनयो क अनभि को महसस करन को सिपन कहत ह

अनिम म आन िाल सपनो को सिपन दखन िाला एक पयथिकषक क बजाए एक परकि भागीदार की

तरह आम तौर पर महसस वकया करता हदव सपन परायः पोनस (मवसतषक का सयोजक अश) दवारा

उतपरररत होता ह ओर हलकी नीद क (तीवर ऑख गवतक नीद ) दौरान अविकाशतः सपन आया

करत ह

नीद का परभाि परायः समवत (समरण ) पर भी दखा गया ह जब वयवकत आिशयकता स कम

मातरा म सोता ह तो इसका परभाि समवत पर सपषट रप स दखा गया ह एक अधययन क दौरान पाया

गया वक नीद क अभाि म 35 परवतशत तक समवत म वगरािि दखी गई

62 उददशय bull वनरा क सिरप क विषय म जान सक ग

bull हम सोत कयो ह यह जान-सकग

bull वनरा क परकार और अिसराओ क बार म जान सकग

bull परमख वनरा रोगो क बार म जानकारी हावसल कर सकग

bull सिपन का हमार आय और वलग पर कया पड़ता ह क बार म जान सकग

63 तनदरा का सपरप नीद की अिसरा चतन की एक बदली हई अिसरा ह अविकतर वयवकत अपनी वजनदगी का

करीब एक वतहाई भाग नीद म वयतीत करता ह नीद की अिसरा म वयवकत सपतािसरा म होता ह

जब वयवकत नीद की अिसरा म होता ह तो उसकी शरीररक वियाऐ तजी स काम करत ह और जब

वयवकत आख बनद कर लता ह तो वयवकत का मवसतषक जञानवनरयो स सचनाय परापत करता रहता ह

लवकन उनका विशलषण नही कर पाता ह नीद क दौरान हदय और सास की गवत िीमी पड़ जाती ह

िजञावनक रप स नीद का अधययन करन क वलए एलकटरोएनसीिलोगराम का सहारा वलया जाता ह

64 तनदरा क परकार इस कषतर म हय अधययनो क आिार पर नीद को दो भागो म बािा गया ह

1 तीवर आख गवतक नीद (आर0इ0एम0)

2 अतीवर आख गवतक नीद (एन0आर0ई0एम0)

तीवर आख गवतक नीद म हदय ि सास की गवत कािी तज ि अवनयवमत हो जाती ह इसम

वयवकत को गहरी नीद नही आती ह और वयवकत को नीद की अिसरा स अचानक उिा वलया तो इस

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उततराखड मकत विशवविदयालय 93

बात की समभािना लगभग बनी रहती ह वक िह कोई न कोई सिपन दख रहा ह यही कारण ह वक

तीवर आख गवतक नीद को सिपन नीद भी कहा जाता ह

अतीवर आख गवतक नीद म वयवकत को गहरी नीद आती ह इसम नतर गोलक म गवत नी क

बराबर होती ह तरा सास ि हदय की गवत िीमी पड़ जाती ह वयवकत क शरीर का रकतचाप कम हो

जाता ह यवद इस तरह की नीद की अिसरा स वयवकत को उिा वदया जाय तो तीस परवतशत इस बात

की समभािना बनी रहती ह वक वयवकत कोई न कोई सिपन दख रहा ह

65 तनदरा की अिसराए मनोिजञावनक न परषण क दौरान पाया वक कछ लोग ऐस होत ह वजनह नीद स जगाना कविन

होता ह और कछ लोग ऐस होत ह वजनह नीद स जगाना आसान होता ह मनोिजञावनको दवारा इसका

गमभीरता स अधययन वकया गया और पाया गया वक नीद क दौरान मवसतषक म होन िाली िदयतीय

पररितथन वजस एनवसिलोगराम दवारा मवसतषक तरगो क रप म ररकाडथ वकया जाता ह मापन की

कोवशश की गई मवसतषक तरगो क आिार पर इसकी पाच अिसराए होती ह वजसम पररम चार

अतीवर आख गवतक नीद की ि अवनतम अिसरा तीवर आख की गवतक की होती ह

1) पहली अिसरा- वयवकत जब सोन क वलए वबसतर पर जाता ह तो िह उस समय तनािरवहत एि आराम की अिसरा म होता ह और हमार मवसतषक म जो तरग बनती ह उस अलिा तरग कहा

जाता ह जो परवत सकणड 8 स 12 चि की गवत स चलती ह इसक बाद वयवकत को नीद अन

लगती ह तो अलिा तरग बनना समापत हो जाती ह यही स नीद की पहली अिसरा परारमभ होती

ह इस अिसरा म वयवकत को नीद स जगा दना कािी आसान होता ह

2) दसरी अिसरा- इस अिसरा म अलिा तरग और तीवर गवत स (14 स 16 चि परवत सकणड )

बनती ह

3) तीसरी अिसरा- इस अिसरा म जो मवसतषक तरग बनती ह कािी िीमी गवत स ( परवत सकणड 1 स 2 चि ) बनती ह ऐसी तरगो को डलिा तरग कहा जाता ह इस अिसरा म वयवकत को

जगाना रोडा कविन होता ह

4) चौरी अिसरा- यह गहरी नीद की अिसरा होती ह इसम वजतनी भी मवसतकीय तरग बनती ह उसकी करीब 50 परवतशत स अविक डलिा तरग होती ह तीसरी अिसरा की तरह इस अिसरा

म भी नीद स जगाना कविन होता ह

5) पाचिी अिसरा- उपयथकत चारो अिसराए अतीवर आख गवतक नीद की होती ह और जब वयवकत

करीब एक घिा नीद म वबता चका होता ह तो दसरी अिसरा की तरह तीवर आख गवतक

अिसरा की तरह तीवर आख गवतक अिसरा परारमभ होती ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 94

नीद की पाच अिसराओ म स पहली चार अिसराऐ अतीवर नीद की और पाचिी अिसरा

तीवर आख गवतक नीद की होती ह परी रात दोनो अिसराए बारी-बारी स आती रहती ह नीद जो

विवभनन अिसराओ क दौरान मवसतषक तरगो म होन िाल पररितथन को हम वनमन वचतर म दख सकत

66 हम सोि कयो ह एि तनदरा रोग मनोिजञावनको का मानना ह वक हम लोग वकसी तरह की कमी को परा करन क वलए नही

सोत ह बवलक नीद एक ऐसा जररया ह वजसक दवारा हम अपन शरीर म उस पररवसरवत म ऊजाथ

इकििा करत ह जब उसकी आिशयकता वकसी कायथ म नही होती ह जब कोई वयवकत शारीररक या

मानवसक कायथ करता ह तो उसक पररणामसिरप उस शरीररक ि मानवसक रकान होती ह कयोवक

विर स कायथ करन क वलए ऊजाथ की आिशयकता होती ह वयवकत सो जाता ह

परमख वनिा रोग-

कछ वयवकतयो का अपनी नीद पर िश होता ह ि जब चाह वजतनी दर क वलए सो जात ह

दसरी ओर कछ लोगो का अपनी नीद पर वनयतरण नही होता ह और िह बहत मवशकल स ही रोड़ी

दर क वलए सो पाता ह जो वयवकत मवशकल स कम समय क वलए सो पात ह उन वयवकतयो म आग

चलकर नीद स समबवनित कछ विकार या रोग उतपनन हो जात ह

bull अवनरा रोग- रात म नीद न आन पर उस अवनरा रोग कहा जाता ह इस रोग म बहत स लोग

परशान होत ह एक सि क अनसार परषो म लगभग 6 परवतशत और मवहलाओ म लगभग 14

परवतशत की वशकायत रहती ह विशषकर मवहलाओ को रोडा मवशकल स नीद आती ह इस

रोग की एक विशषता यह भी ह वक इसम वयवकत को रोडा मवशकल स नीद आती ह इस रोग

की एक विशषता हय भी ह वक इसम वयवकत को नीद की वजतनी कमी होती ह िह उसस

अविक का अनमान लगाता ह

bull नारकोलपसी- इसम वयवकत का अपनी नीद पर कोई वनयतरण नही रह जाता ह इस रोग स गरसत

वयवकत कभी भी सो जाता ह उदाहरण क वलए ककषा म परोिसर का लकचर चल रहा ह ओर इस

बीच वकसी छातर को नीद आ जाय तो उस नारकोलपसी नही कहा जायगा लवकन यवद

वयाखयान दत-दत परोिसर को नीद आ जाती ह तो उस नारकोलपसी को रोगी कहा जायगा

bull वनरा भरमण- यह एक ऐसा वनरा रोग ह वजसम वयवकत अपन वबसतर स उिकर खली आखो क

सार िहलता ह इनक वयिहार को दखन स लगता ह वक य कछ खोज रह हो अनक अधययनो

दवारा यह सपषट हआ ह वक यह बीमारी अतीवर आख गवतक नीद की गड़बड़ी क कारण होती ह

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bull रावतर सतरास- इसका अरथ नीद स अचानक घबराकर या डरकर उि जाना इस तरह का सतरास

जयादातर बचचो म दखा गया ह ऐसी अिसरा म जगन क बाद कछ दर तक वयवकत म

असमजसय की वसरवत बनी रहती ह रोड़ी दर तक उस कछ भी समझ म नही आता ह

वनरा िचन क परभाि-

कभी-कभी वयवकत जब कई वदनो तक सो नही पाता ह या नीद नही आती ह तो उसम कछ

लकषण जस समभरवनत वकसी चीज क परतयकषण म कविनाई ि वकसी िसत पर धयान कवनरत करन म

कविनाई आवद विकवसत हो जाती ह

वपछल भाग म आपन पड़ा वक हम सोत कयो ह हम नीद कब आती ह और नीद न आन पर

कौन-कौन स रोग हो जात ह और सोत समय सिपन का आना या दखना एक सिाभाविक वकया ह

इस इकाई म हम सिपन विशलषण क बार म जानकारी परापत करग

67 सिपन विशलषण सिपन एक ऐसी घिना ह जो हम सभी क सार घवित होता ह हम सभी अकसर सिपन दखत

ह कभी य सिपन सखद होत ह और कभी दखद कभी इनका वमला जला रप दखन को वमलता ह

अतः सिपन हम सभी क जीिन का वहससा होत ह इसक बार म जानन की वजजञासा हम सभी म बनी

रहती ह बचच हो या बड़ परायः सभी क मख स सिपन दखन की बात सनी जाती ह

सिपन का तातपयथ वचनत परवियाओ भािो क कम स होता ह जो नीद क दौरान वयवकत क

मन म उतपनन होत ह आवद काल स ही विशषजञो दाशथवनको लखको एि शरीर विजञावनयो का मत ह

वक सिपन का सिरप अलौवकक होता ह अतः सिपन क समय आतमा जो कछ भी दखती ह सनती ह

सिपन ह इसक बाद कछ लोगो नइसकी वयाखया शरीर क भीतर होन िाल पररितथनो क रप की

आजकल मनोिजञावनक न इसकी वयाखया एक मानवसक पराविया क रप म की इनक अनसार वभनन

वभनन तरह की वियाए लगातार चलती रहती ह और सिपन भी इनही लगातार चलन िाली वियाओ

म स एक ह सिपन हमार जीिन की ििनाओ स समबवनित होत ह इनका सिरप विभरवमक होता

ह यही कारण ह वक सिपन िि जान एि नीद खल जान पर सिपन क अनभि तजी स समापत होत हय

वदखाई दत ह पज 1974 न फरायड क विचारो को वयकत करत हय कहा वक सिपन म अचतन क

समबनिो की झलक वमलती ह दवमत इचछाओ की अवभवयवकत होती ह तरा फरायड दवारा इस

अचतन की ओर जान िाला एक राजकीय मागथ कहा गया ह सिपन का तातपयथ वचनतन परवियाओ

भािो क िम स होता ह जो नीद क दौरान वयवकत क मन म उतपनन होत ह सिपन का समबनि तीवर

आख गवतक नीद स होता ह अराथत जब वयवकत गहरी नीद नही आती ह और जब उस तीवर आख

गवतक नीद स उिाया जाता ह तो 80 समय म वयवकत बताता ह वक िह सिपन दख रहा रा परनत जब

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उततराखड मकत विशवविदयालय 96

उस अतीवर आख गवतक नीद स उिाया जाता ह तो मातर 7 परवतशत समय म वयवकत सिपन दखत

बतलाना ह

सिपन स समबवनित हम सभी क मन म कछ न कछ परशन उित ह जस-

1) सिपन वकिन समि िक बना रहिा ह- अनक शोिो दवारा यह सपषट हआ ह वक वयवकत दवारा

दखा गया सिपन लगभग उतन ही समय तक चलता ह वजतन समय तक िासतविक वजनदगी की

घिनाय घिती ह इस करन की पवषट क वलए बोलपिथ एि डीमनि न एक अधययन वकया वसम

तीवर आख गवतक नीद वजसम वयवकत सिपन दख रहा रा उिाया गा और उसस दख जा रह सिपन

क बार म बतान को कहा गया और पाया गया वक सिपन का वचतरमवभनय करन म िही समय

लगा वजतना तीवर आख गवतक नीद का रा

2) किा सिी लोग सिपन दखि ह- मनोिजञावनको दवारा वकय गय शोिो स यह सपषट होता वक

परायः सभी लोग सिपन दखत ह और सभी उमर क लोग सिपन दखत ह अनतर वसिथ इतना होता ह

वक कछ लोग नीद स उिन क बाद सिपन क दशय एि परवतमाओ का सिल परवयािाहन कर लत

ह जबवक कछ लोग ऐसा करन म कविनाई महसस करत ह दसरी ओर कछ लोग ऐस होत ह

वजनह नीद स उिाना कािी आसान होता ह और ऐस लोग दख जा रह सिपन का अविक स

अविक परवयािहन करन म सिल होत ह जबवक कछ लोग स होत ह वजनकी नीद गहरी होती

ह उनह नीद स उिाना आसान नही होता ह ऐस वयवकत दख जा रह सिपन का परतयािाहन नही

कर पात ह

3) किा लोग सिपन क विषि िसि को वनिवनतरि कर सकि ह- इस परशन का उततर

मनोिजञावनको न हा म वदया ह और बताया वक कछ हद तक सिपन की विषय िसत को

वनयवनतरत वकया जा सकता ह रोििागथ न इस समबनघ म अपन अधयन दौरान बताया वक जब

परायोजयो को सोन स पिथ लाल रग का चशमा पहनन क वलय दया जाता रा और कछ समय

पिात उनक सिपन पन िाल परभाि का अधययन वकया और पाया वक अविकाश परयोजयो क

सिपन म लाल रग ही वदखाई वदया जब वक उनका यह वनदश उनह सोचन क पिथ कछ समय तक

उनह लाल रग का चशमा पहनन का सझाि गपत रा इसी तरह िािथ और वडक क एक अधययन म

वजसम इस तरह क सझाि का सिपन विषय िसत पर पड़न िाल परभाि को वदखालया इस विवि

म सममोवहत परयोजयो को विसतत सिपन ितानत सनाया गया इस तरह का सझाि दन क बाद

उनह सोन वदया गया और विर तीवर गवतक नीद की अिसरा म पहचन पर उनह उिा वदया गया

और अधययन क दौरान पाया वक कछ परयोजयो न सझाि क तावतिक पहलओ को सिपन म

अविक दखा जबवक कछ अनय परयोजयो न सझाि क विवशषट ततिो को सिपन म अविक दखा

अतः उकत परयोगो दवारा य बात सपषट हो जाती ह वक उततर सममोवहत सझाि क दवारा भी सिपन की

विषय िसत को बदला जा सकता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 97

सिपन की विशषताए -

मनोिजञावनकोक न अपन अधययनो क आिार पर यह सपषट वकया ह वक सिपन वनररथक न

होकर बवलक सारथक वकया ह वजसक आिार पर हम मानवसक रोगो क लकषणो एि गवतक को

समझन सहायता वमलती ह सिपन स समबवनित कछ परमख विशषताए वनमन ह

1) सिपन साथयक होि ह- सामानयतया लोग सिपन को अरथहीन समझत ह परनत सिपन का विशष

अरथ होता ह मनोविशलषको न अनको उदाहरणो दवारा इस सपषट भी वकया ह उदाहरण क वलए

एक बार एक छातर न सिपन दखा वक उसकी मा की मतय हो गयी ह मा का शमशान घाि की

ओर जा रहा रा तो रासत म उसक वपता अचानक बहोश होकर वगर पड ओर उनकी मतय हो

गयी ओर जब छातर क उस सिपन का मनोविशलषक दवारा मनोविशलषण वकया गया तो पाया गया

वक छातर अपन माता वपता दोनो स निरत करता रा कयोवक उन दोनो न वमकर उस अपनी

परवमका क सार परम वयिहार जारी रखन म बािा पहचाई री अतः सिपन वनररथक न होकर

सारथक होत ह

2) सिपन परिीकातमक होि ह- सिपन म हम जो कछ भी दखत ह िह िासति म अचतन की

दवमत इचछाओ का एक परतीक मातर होता ह परतीक का अरथ अलग-अलग वयवकतयो क वलए

अलग-अलग होता ह ऐस परतीक ियवकतक परतीक कहलात ह ऐस परतीको का समबनि वनजी

घिनाओ स होता ह फरायड न अचतन इचछाओ की परतीक की एक लमबी सची दी ह और इन

परतीको को माधयम स सिपन क अरथ को समझना कािी आसान हो जाता ह

3) सिपन विभरमातमक परिवतत क होि ह- सिपन म वयवकत जो कछ भी दखता ह या अनभि करता

ह यह एक परकार का विभरम होता ह कयोवक नीद ििन क बाद सिपनािसरा की सारी बात एि

दशय गायब हो जात ह

4) सिपन आतमगि एिा आतमकनिीि होि ह- सिपन को आतमगत इसवलए कहा जाता ह

कयोवक इसक विषय एि घिनाय वयवकत क वनजी जीिन क अनभिो स समबवनित होता ह

वजसका अनभि किल उस वयवकत को ही होता ह दसर को नही सिपन का कनर वयवकत सिय ही

होता ह

5) सिपन स िविरि का साकि वमलिा ह- परायः सिपन म वयवकत को भविषय म होन िाली

घिनाओ का भी सकत वमलता ह न वसिथ बीती हई वजनदगी की दवमत इचछाओ की ही

अवभवयवकत होती ह

6) सिपन क अििन की दवमि इचिाओा की अविविवि होिी ह- सिपन की घिनाओ एि

विषयो क आिार पर हम अचतन क सिरप का पता चलता ह परायः वयवकत सिपन म उन

इचछाओ की पवतथ का परयास करता ह वजस िह सािारण वजनदगी म सामावजक परवतबनिो क

कारण नही पाया ह अतः सिपन इचछा पवतथ क परयास का एक माधयम ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 98

सिपन एक ऐसी मानवसक घिना या परविया ह वजसका मनोिजञावनक महति कािी अविक

ह कयोवक सिपन हम वयवकत क बीती वजनदगी तरा भविषय की घिनाओ दोनो क बार म एक अरथपणथ

जञान दता ह

68 सिपन क परकार सिपन परायः दो परकार क होत ह -

bull सरल सिपन

bull जाविल सिपन

सरल सिपन की घिनाए एि कहानी छोिी ि सरल होती ह तरा इसम दवमत इचछाओ की

पवतथ परतयकष रप स होती ह

जविल सिपन म सिपन की घिनाए लमबी एि एक दसर स इस तरह जडी हई होती ह वक

दवमत इचछाओ की पवतथ अपरतयकष रप स वदख पड़ती ह आिवनक मनोिजञावनको न सिपन म दखी

गयी घिनाओ एि विषयो क आिार पर सिपन को कई भागो म बािा जस इचछापवतथ सिपन वचनता

दणड सिपन परवतरोि सिपन समािान सिपन गवत समबनिी सिपन

1) इचिापविय सिपन- वजस सिपन म वयवकत परतयकष या अपरतयकष तरीक स वयवकत की इचछापवतथ

होती ह जस एक बालक सिपन म पस वखलौन स जी भर कर खलता ह वजस िह जागतािसरा

म खलन की तीवर इचछा रखता ह इस इचछापवतथ सिपन कहत ह

2) दविनिा सिपन- इस तरह क सिपन म वयवकत सिपन दखत-दखत कािी गमभीर हो जाता ह

उसक शरीर पर सिगातमक परशानी सपषट रप स झलकन लगती ह कभी-कभी वयवकत कॉपन ि

जोर जोर स रोन वचललान लगता ह और जब िह नीद स उिता ह तो िह अपन आपको पसीन

स तरबतर पाता ह मनोिजञावनको का मानना ह वक इस तरह क सिपन ऐस वयवकत अविक दखत

ह वजसकी सिगातमक वजनदगी कषबि होन क कारण अविक वचवनतत एि आशवकत रहत ह

3) दणर सिपन- इस तरह क सिपन म सिपन दखन िाला वकसी तरह की सजा पाता ह वजस दणड

सिपन कहा जाता ह इस तरह क सिपन िस वयवकत दखत ह वजनका पराह तो विकवसत होता ह

परनत विर भी कछ ऐस कायथ अपन दवनक जीिन म कर बित ह जो अनवतक एि असमावजक

होत ह इस तरह क सिपन म वयवकत परायः दखता ह वक उस बािा जा रहा ह उसकी आख िोडी

जा रही ह उस पीिा जा रहा ह आवद

4) समाधान सिपन- कछ सिपन ऐस होत ह वजसम वयवकत अपनी समसयाओ का विशषकर

मानवसक परशावनयो तरा सघषो का समािान करता पाया जाता ह जस एक विदयारी जो

गवणत की कविन समसयाओ का हल परायः सिपन म ही करता रा ऐसी कविन समसयाओ का

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 99

समािान जब िह जागतािसरा म नही कर पाता रा तो सिपन म िह ऐसी समसयाओ का

समािान आसानी स कर लता रा

5) िविरिोनमख सिपन- वजस सिपनो म वयवकत जो भविषय म होन िाली वकसी घिना का सकत

वमलता ह उस भविषयोनमख सिपन कहा जाता ह कभी-कभी ऐसा होता ह वक वयवकत म दखता

ह वक उसका परीकषािल वनकल गया ह और िह पास हो गया ह ओर कछ समय बाद

परीकषािल आन पर िह पाता ह वक िह पास हो गया ह इस तरह सिपन आग िाली घिनाओ

की ओर भी सकत दत ह

6) परविरोध सिपन- परवतरोि सिपन वजसम वयवकत सामावजक मानयताओ एि मलयो को तोड़ता ह

उनका परवतरोि करता ह विशर न बताया जस यवद कोई वयवकत सिपन म यह दखता ह वक उसन

अपन शरीर क िसतर उतार कर सडक पर ि क वदय ह कयोवक कछ लोग उसक कीमती िसतर लन

उसक पीछ दौड चल आ रह ह यह एक परवतरोि सिपन ह

7) गवि समबनधी सिपन- इस तरह क सिपन म वयवकत अपन आपको तरत गात उछलत उडत

हय दखता ह इस गवत समबवनित सिपन कहा जाता ह मनोिजञावनको क अनसार ऐस सिपन ि

वयवकत अविक दखत ह वजनकी कालपवनक शवकत अविक विकवसत होती ह

69 सिपन क समबनि म विसभनन विचारिाराए मनोविशलषणातमक विचारिारा क अनसार सिपन अचतन क बार म जानन का एक

महतिपणथ तरीका ह अचतन की इचछाओ एि पररणाओ क माधयम सिपन क माधयम स करता ह

परायः अचतन म ऐसी इचछाय होती ह वजनह वदन परवतवदन क जीिन म परा कर पाना समभि नही ह

िलसिरप ि इचछाए वभनन-वभनन रप िारण कर सिपन क माधयम स वयकत होती ह वजस परिम

दवारा सिपन क अवयकत क वयकत विषय क रप म पररिवतथत होत ह उस सिपन परिम कहत ह

सचना ससािन विचारिारा क अनसार सिपन म वयवकत की वछपी हई इचछाओ एि आिगो

को परवतविमबत नही वकया जाता ह बवलक सिपन दवारा रात म मवसतषक क भीतर मौजद जविल

वियाओ की एक झलक वमलती ह इसक अनसार सिपन का अपन आप म कोई अरथ नही होता ह

वयवकत वदन भी क कायो स वजन-वजन तरह क अनभिो या सचनाओ को परापत करता ह सिपन म

उनही सचनाओ एि अनभवतयो को वयवकत ससावित करता ह

दवहक विचारिारा क अनसार सिपन म मवसतषक की वियाओ की एक आतमवनषठ अनभवत

होती ह अराथत सिपन दवारा ततरीय वियाओ स सजञानातमक ततर क माधयम स कोई न कोई अरथ

वनकालन का परयास वकया जाता ह सिपन वयवकत की समवत एि जञान क ढाच को परवतविवमबत करता

ह अतः ि मानि मन क बार म कछ यराथर सचनाए दत ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 100

610 सिपन क दहहक सह समबनघ सिपन का सीिा समबनि नीद स ह पहल भाग म आपन पड़ा वक नीद दो परकार की होती

ह तीवर आख गवतक नीद अवतवर आख गवतक नीद

तीवर आख गवतक नीद पर सबस पहल अधययन एसरीनसकाई तरा वकलि मन दवारा वकया

गया रा इसम वयवकत को गहरी नीद नही आती ह और िह वभनन-वभनन सिपन दखता रहता ह इस

तरह की नीद म वयवकत आिा सोता ह आिा जागता ह इसम 80 परवतशत य उममीद की जाती ह वक

यवद उस अचानक उिा वदया जाय तो िह वकसी न वकसी सिपन क बार म बतायगा इसीवलए इस

सिपन नही भी कहत ह और अतीवर आख गवतक वयवकत को अचानक उिा दन पर मातर 20 परवतशत

की यह उममीद होती ह वक िह कोई न कोई दख रहा होगा इन दोनो ही अिसराओ म दो तरह क

दवहक सहसमबनघ पाय जात ह

1) ई0ई0जी0 परवतरप- सिपन क दौरान मवसतषक तरगो म सपषट पररितथन वदखाई दत ह वजसका

अधययन इलकटराएनवसिलोगराम दवारा वकया जाता ह डमनि तरा वकलिमन क अनसार जो

वयवकत तीवर गवतक ऑख नीद म सिपन दखता ह उसस मवसतषक म बनन िाली तरग लगभग

िसी होती ह जसी जग रहन की अिसरा म होती ह इस अिसरा म मवसतषक तरग परवत सकणड

8 स 12 चि की दर स उतपनन होती ह इनकी ऊचाई अविक तरा वनयवमत होती ह इनह

अलिा तरग कहा जाता ह इनकी हदय गवत 45 स 100 परवत वमनि ि शवासन अवनयवमत हो

जाता ह अतीवर आख गवतक नीद क दौरान जो सिपन होत ह उसम अलिा तरग कम ि डलिा

तरग अविक दखन को वमलती ह डलिा तरग म 1 स 2 चि परवत सकणड की दर स मवसतषक

तरग बनाती ह इनकी ऊचाई कम तरा अविक वनयवमत होती ह

2) सिपन क दौरान होन िाली अनय शारीररक गवतविवियॉ- अनक अधययनो म दोनो ही अिसराओ म सिपन क दौरान अनक शारीररक पररितथन होत दख गय ह डमनि क एक

अधययन क अनसार जब मानि परयोजयो को तीवर आख गवतक नीद की अिसरा स लगातार

पाच शतो तक एक विशष परबनि दवारा बवचत रखा ओर पाया वक उसम वचडवचडापन वचनता

तरा तनाि आवद अविक पाया गया ऐस परयोजयो का वयिहार वदन म सामानय स कछ अविक

विचवलत पाया गया ऐस परयोजयो क वयिहार एकागरता की कमी तरा समवत लोप क कछ

लकषण पाय गय इस समबनि म एक परयोग वजमबाडो दवारा वकया गया इनहोन अपन परयोग म

वबलली को तीवर गवतक नीद की अिसरा स 70 वदनो तक उस िवचत रखा और पाया वक

वबलली म आिमकता यौन एि िोि जस वयिहारो म पहल स कािी िवि पायी गयी

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उततराखड मकत विशवविदयालय 101

अतः सिपन म कछ परमख दवहक पररितथन होत ह वजनह मनोिजञावनको न

इलकटरोएनवसिलोगराम दवारा तरा तीवर आख गवतक नीद की अिसराओ स परावणयो को िवचत

करक अधययन वकया और सपषट वकया वक सिपन का दवहक अिसराओ स समबनि होता ह

611 सिपन का आय एि यौन पर परभाि कया सिपन का हमार आय एि यौन पर परभाि पड़ता ह यह जानन क वलए हॉल तरा

कासल 1986 न 100 मवहलाओ और 100 परषो क सिपन का विशलषण वकया और वनमन वनषकषथ

वकय -

bull मवहलाओ दवारा जो सिपन दख जात ह ि पहचान एि िरल िातािरण स समबवनित होत ह

परनत परषो क सिपन एक अजनबी ि िाहय िातािरण स समबवनित होत ह

bull मवहलाओ क सिपनो म वकसी वयवकत विशष की नही बवलक वयवकतयो क समहो की परिानता

होती ह जबवक परषो क सिपनो म वयवकतयो क समहो की परिानता होती ह वयवकत विशष की

नही

bull मवहलाओ क सिपन म जो वयवकत या पातर होत ह उसक दवहक आकवतयो क िणथन पर अविक

बल डाला जाता ह परनत परषो सिपनो म ऐसा नही होता ह

bull परषो क सिपन म आिामकता यौन शारीररक उततजना तरा उपलवबि स जडी घिनाओ की

परिानता होती ह परनत मवहलाओ क सिपन म इन चीजो की कमी पाई जाती ह

bull ियसको क अविकतर सिपन म उनकी इचछाओ की तवषट होत पाई गई ह जबवक बचचो क

अविकतर सिपन म आशका क सिग की परिानता होती ह

सिपन क सरोत एि सामगरी-

सिपन क मखयतः तीन सरोत ह -

1) विगत अनभि 2) शशिकालीन अनभवतयो 3) दवहक सरोत

अनक अधययनो क दवारा यह जञात हआ ह वक सिपन म विगत वदनो क अनभिो का सकत

वमलता ह सार ही बचपन की बहत सी घिनाओ की याद चतना म नही होती ह और य घिनाए या

अनभवतयो सिपन क माधयम स वयकत होती ह सिपन वनमाथण पर शरीर की आकवसमक वसरवत

वनरािसरा एि पाचन शवकत का परभाि पड़ता ह य दवहक सरोत शरीर म ही उतपनन होन िाल उददीपक

तरा वयवकत की आनतररक अिसरा स उतपनन होत ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 102

612 सिपन क ससदिानि दाशथवनको शरीरशावसतरयो तरा मनोिजञावनको न सिपन की वयाखया क कछ वसिानतो का

िणथन वकया ह इन वसिानतो को मखयतः तीन भागो म बािा गया ह

1) अलौवकक वसदधानि- यह वसिानत सकडो िषो स चल आ रह विशवास क रप म सिपन का

िणथन करता ह रोम गरीक क परान दाशथवनको एि मधय यग क िावमथक विदवानो का विशवास रा

वक सिपन एक अलौवकक घिना ह जो दिी दिताओ क परभाि स होती ह यवद दिी दिता खश

होत ह तो वयवकत मिर एि आननदायक सिपन दखता ह परनत यवद दिी दिता नाराज होत ह तो

वयवकत भयकर या घबराहि पदा करन िाल सिपन दखता ह पराचीन विदवानो का मानना रा वक

सिपन म वयवकत की आतमा वयवकत क शरीर स अलग होकर विचारण करती ह और िह जो कछ

भी दखती या सनती ह िही वयवकत को सिपन म वदखाई दता ह

परनत आज क यग म अलौवकत वसिानत की मानयता वबलकल समापत हो गयी ह जबवक

आज भी कछ गरामीण कषतरो एि जनजावतयो क लोगो म सिपन की वयाखया इसी वसिानत क परारप

क अनकल की जाती ह

2) सिपन का शारीररक वसदधानि- इस वसिानत क अनसार सिपन शारीररक उततजनाआ की एक

मानवसक अवभवयवकत ह नीद क समय िाहय उततजनाओ क कारण शरीर क भीतर कछ

आनतररक पररितथन होत ह और सिपन इनही पररितथनो की एक अवभवयवकत ह एक ओर महान

दाशथवनक अरसत रॉमस हाबसथ तरा गलन आवद क अनसार नीद की अिसरा म वयवकत की

चतना कािी वनवषिय हो जाती ह और वयवकत को बाहरी जस गमी हिा िड आवद उददीपको

का कछ भी जञान नही होता ह परनत नीद की अियसरा म इस तरह क उततजनाओ का परभाि

वयवकत क विवभनन अगो पर पड़ता ह पररणामसिरप वयवकत क अगो म सनाय परिाह उतपनन होत

ह जो सिदी नयरोन दवारा मवसतषक म पहच सनाय परिाह भरमातमक परवयकषण होता ह यही

भरमातमक परतयकषण हमार सिपन का आिार बनत ह जस वनरािसरा म यवद वयवकत का हार या

पर या कोई अग वबसतर स नीच लिक जाता ह तो परायः उस वयवकत को यही महसस होता ह

वक उसका शरीर वकसी ऊची जगह स नीच की ओर लढक जा रहा ह

तो दसरी ओर परयतन और भल वसिानत क अनसार नीद की अिसरा म बाहरी एि

आनतररक उततजनाओ का परभाि हमार शरीर क अगो पर पड़ता ह वजसका सही-सही अरथ समझन

का परयास तवतरका परणाली दवारा वकया जाता ह कयोवक नीद की अिसरा म तवतरका परणाली की

शवकत सषपत होती ह ओर इसी कारण वनरािसरा म उचच कनरो की शवकत कमजोर पड़ जान क

कारण शारीररक उततजनाओ का अरथ सही ढग स समझन म असिल रहता ह साजणि न शरीररक

आिार की पवषट क वलए एक परयोग वकया वजसम परयोजय को उस समय इतर सघया गया जब िह सो

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 103

रहा रा नीद ििन पर उस परयोजय न सिपन का िणथन इस तरह वकया वक िह अपनी पतनी क सार

दकान स इतर खरीदन गया हआ रा परनत पसा कम पड़ जान क कारण िह ऐसा करन म समरथ न हो

सका और लौिकर घर आ गया इसी तरह कॉणि न बतलाया वक यवद वयवकत आराम म जयादा लता

ह तो उसकी पाचन विया म गडबडी हो जाती ह तरा हदय ि नाडी की गवत तीवर हो जाती ह और

ऐसी वसरवत म वयवकत परायः वचनता का सिपन अविक दखता ह

अतः इस वसिानत क अनसार सिपन का आिार शारीररक होता ह उददीपको दवारा वयवकत

क शरीर क भीतर कछ पररितथन होत ह वजनका अनभि मवसतषक को होता ह िलसिरप वयवकत को

इस उददीपको का यरारथ जञान होता ह

3) मनोिजञावनक वसदधानि- मनोिजञावनक वसिानत दवारा सिपन की वयाखया वयवकत की चतन एि

अचतन की अनभवतयो क रप म की गई कछ मनोिजञावनको जस फरायड एडलर यग तरा

कालथ अबराहम न सिपन क अधययनो म विशष रवच वदखलाई इन लोगो न अपन मनोिजञावनक

विशलषणो क आिार पर बतलाया वक सिपन सारथक होत ह तरा उनका खास उददशय होता ह न

वक वनरथक ि उददशयहीन होता ह फरायड क अनसार सिपन म वयवकत की उन सभी इचछाओ की

पवतथ होती ह जो अनवतक कामक एि असामावजक होन क कारण भी दवमत कर दी गयी री

फरायडन अपन इस वसिानत म सिपन क विषय को कािी महतिपणथ बताया य विषय दो तरह क

होत ह-वयकत विषय अवयकत विषय सिपन म वयकत विषय स तातपयथ उन विषयो घिनाओ या

तयो स होता ह वजस िह सिपन म दखता ह तरा नीद ििन पर उनका िणथन करता ह ओर

सिपन क अवयकत विषय स तातपयथ सिपन म दखी गयी घिनाओ एि तयो क पीछ वछपो अरथ

स होता ह वजसका पता हम सिपन विशलषण क बाद होता ह जब तक सिपन विशलषण करक

वयकत विषय क पीछ वछप हए अरथ को या अवययकत विषय का पता नही लगा वलया जाता ह

सिपन म दखी गई घिनाओ एि विषयो को समझना समभि नही ह फरायड न एक यिती सिपन

का विशलषण करत हए कहा वक एक यिती अकसर सिपन दखा करती री िह राजा रानी क

सार घम रही ह यह वयकत विषय ह वजसका मवहला क जीिन इवतहास क सदभथ म विशलषण

करन पर फरायड न बताया वक िह अपन मा बाप क सार घमना चाहती री लवकन उसक मा

बाप कोई न कोई बहाना बताकर उस ल जान स इकार कर दत र अतः उसकी यह इचछा घीर -

िीर अचतन मन म दवमत हो गयी ह और इस दवमत इचछा पवतथ यिती सिपन म राजा रानी क

सार घमकर कर रही री

परवसि िजञावनक यग न अपन सिपन विशलषण वसिानत म इस बात पर विशष बल वदया वक

सिपन दवारा भविषय की घिनाओ का भी सकत वमलता ह यग क अनसार सिपन भत वपचास क बार

म बतलाता ह तरा सार ही सार भविषय क बार म भी पहल बतलाता ह अनय मानवसक घिनाओ

क सामना सिपनका भी एक कारण तरा एक उददशय होता ह यग न अपन एक सिपन का विशलषण

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 104

वकया और बतलाया वक एक मत वसपाही की पॉकि स उनह एक डायरी वमली उस डायरी म मत

सवनक न अपन तीन वदन पहल दख गय सिपन का िणथन वकया िह अपन तीन वमतरो क सार एक

विशाल ऊच पहाड़ पर चढ रहा ह उसक अनय वमतर उसस आग न बड़न का बार -बार आगरह कर

रह र परनत िह अपन सभी वमतरो की बात अनसनी करत हय आग बढता चला जाता ह अचानक

उसका पर विसलता ह उसका मवसतषक ििता ह और उसकी मतय हो जाती ह इसी घबराहि म

उसकी नीद िि जाती ह सपषट ह वक सवनक क सार िही घिना घिी वजस उसन तीन वदन पहल

सिपन म दखा रा अतः सपषट ह वक सिपन दवारा भविषय की घिनाओ का सकत वमलता ह

एडलर न अपन सिपन क वसिानत म फरायड दवारा परसतावित दवमत कामक इचछाओ क

महति को असिीकार वकया परनत मानवसक सघषथ क महति को सिीकार वकया एडलर क अनसार

सिपन का समबनि वयवकत क जीिन की ितथमान घिनाओ स होता ह इन घिनाओ का समािान

सिपनहषटरा अपन सिपन म करता ह सिपन का िणथन करत हए बतलाया वक एक वयवकत अपन को

बॉस स अविक योगय समझता रा एक रात उसन एक अचछ होिल म िहराया और िह बॉस की हर

तरह स सिा को समवपथत रा बॉस न उसस परसनन होकर उस पदोननवत द दी परनत इसक वलए िह

एक शतथ भी रखता ह वक िह सामन पहाड़ स एक दलथभ िल लाकर उसक कोि म लगा द िह बॉस

की बात को परा करन क वलए पहाड़ पर चढता ह ओर उसका पर विसल जाता ह िह नीच वगर

जाता ह ओर अचानक चीख क सार उसकी नीद खल जाती ह उकत उदाहरण की वयाखया करत हय

एडलर न बताया वक सिपन म शरषटता परिवततयो को तपत करन की कोवशश की जाती ह सार ही सिपन

का समबनि ितथमान घिनाओ स अविक होता ह

सिपन विशलषण क समबनघ म फरायड यग एि एडलर की वयाखया- सिपन विशलषण की वयाखया क

समबनघ म सभी मनोिजञावनको न इस वयवकत क दवनक जीिन की अततत इचछाओ की पवतथ बताया

फरायड न सिपन म अतपत कामक इचछाओ की सतवषट होत माना ह यग न सिपन म जीन की इचछा

जस मौवलक इचछाओ की तवपत होत माना ओर एडलर न इस सिपन म शरषठता परिवततयो को करत

पाया ह इस तरह सिपन क तीनो वसिानतो म वकसी न वकसी तरह की इचछापवतथ पर विशष बल वदया

गया ह

सिपन क वयवकत विषय म बदल दन की विया को सिपन विशलषण कहत ह सिपन विशलषण

क समबनि म फरायड एडलर एि यग न एक सिपन की वयाखया वभनन - वभनन ढग स की -

डदाहरण - एक यिक न एक सिपन दखा वक म अपनी मा एि बहन क सार सीवडयो पर

चढ रहा रा सीड़ी चढत-चढत हम लोग ऊच सरान पर पहच तब मझ पता चला वक मरी बहन को

बचचा होन िाला ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 105

फरािर की विायिा- फरायड न इस सिपन का विशलषण इस ढग स वकया वक इस सिपन क

माधयम स यिक न अपनी बीन क परवत दवमत िामक इचछा की सतवषट की अतयाविक अनवतक

होन क कारण यिक की यह इचछा अचतन म दवमत हो गयही और दवमत इचछा परतीक क रप म

अवभवयवकत एि सतषट हई

िग की वियिा- यग की वयाखा क अनसार यक अपनी उननवत का इचछक रा उसकी यह

इचछा परी न होन स िह अचतन म दवमत हो गयी री और उसकी दवमत इचछा की सतवषट सिपन क

माधयम स हई यहा सीढी ा चढ़ना भविषय म उननवत का परतीक ह मा तरा बहन सहयोगी एि सचच

परम क परतीक ह बचचा पदा होना यिक क भािी जीिन क सखद पकष का परतीक ह यग क अनसार

यह सिपन कामकता स पर ह और इसका समबनि अतीन ितथमान एि भविषय ह

एरलर की विायिा- एडलर अनसार इस सिपन क मािम स यिक न अपनी ितथमान

समसया का समािान वकया ह यिक मलतः हीन भािना स पीवड़त ि शरषठता पान क वलए

परयतनशील रा इसवलए िह मानवसक दवनद का वशकार हो गया और इस दवनद का समािान उसन

सिपन क माधयम स वकया इनक अनसार सीढी ा चढना कविनाई पर विजय पान का परतीक ह मा एि

बहन आतमवनभथरता का परीतक ह और बचचा उसकी सिलता का परतीक ह

एक ही सिपन की वयाखया फरायड यग तरा एडलर न अपन ढग स की ह इसम स वकस

वयाखा को सही माना जाय और वकस गलत य तो तीनो मनोिजञावनको न वयवकत क दवनक जीिन

की अतपत इचछाओ की सतवषट या पवतथ होत माना ह फरायड न सिपन स अनपर कामक इचछाओ की

सतवषटयो पवतथ होत माना ह िही यग न सिपन म जीन की इचछा जसी मौवलक इचछाओ की तवपत ताना

एि एडलर न वयवकत सिपन म शरषटता परिवतयो की पवतथ बतलाया लवकन इन तीनो मनोिजञावनको न

अपनी वयाखया म वकसी न वकसी की इचछापवतथ पर विशष बल वदया

613 साराश नीद की आिशयकता परतयक मनषय को ही नही होता ह बवलक जीि जनत को भी इसकी

आिशयकता होती ह नीद की आिशयकता म वयवकत परायः अचतन अिसरा म होता ह इस अिसरा

म वयवकत दवनया क परवत कम अनवियाशील होता ह और वयवकत क कनरीय तवतरका ततर म भी

पररितथ आ जाता ह परायः सिपन सच होत भी दख गय ह कभी कभी य हम आन िाली घिनाओ क

बार म पहल ही सकत द जात ह वयवकत चाह जागरतािसरा म हो या वनरािसरा म उसम मानवसक

विया वकसी न वकसी रप म चलती रहती ह और नीद की अिसरा म होन िाजी विया सिपन

कहलाती ह सिपन म चलती रहती ह और नीद की अिसरा म होन िाली विया सिपन कहलाती ह

सिपन म माधयम स वयवकत की अचतन इचछाओ की सनतवषट होती वयवकत की दवमत इचछाए जब

अचतन म इकटठा होती रहती ह और नीद की अिसरा म य दवमत इचछाय जब अचतन म इकटठा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 106

होती रहती ह और नीद की अिसरा म य दवमत इचछाय सिपन क रप म परकि होकर अपनी सनतवषट

करती ह

614 शबदािली bull विभरवमक उततजना न होन पर भी उसका अनभि करना

bull दवहि शारीररक

bull दवमि दबी हई

bull परविरोध अिरोि

bull समवि लोप सीखी गयी चीजो का वकसी कारण स पहचान न कर पाना

bull परषण अिलोकन

bull नतर गोलक आख की पतली

bull विकार रोग

bull सपतािसथा अवयकत या सोई हई

615 सिमलयाकन हि परशन सतयअसतय बताइय

1) नीद की असिसरा म वयवकत चतन अिसरा म होता ह 2) वनरा क चार परकार होत ह 3) मवसतषक म होन िाल बदयतीय पररितथन वजस इलकटरोएनवसिलो गराम दवारा मवसतषक तरगो क

रप म ररकाडथ वकया जाता ह

4) तीवर आख गवतक नीद म वयवकत की गहरी नीद आती ह

5) सिपन सरल और जविल दो परकार क होत ह

6) सिपन सरल और जविल दो परकार क होत ह

7) शारीररक वसिानत क अनसार सिपन शारीररक उततजनाओ की एक अवभवयवकत ह

उततर 1) असतय 2) असतय 3)सतय

4)असतय 5)सतय 6)असतय 7)सतय

616 सनदभथ गरनर सची bull अरण कमार वसह आिवनक असामानय मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास नई

वदलली

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 107

bull डॉ0 मोहममद सलमान डॉ0 मो0 तौबाब असामानय मनोविजञान परकाशन मोतीलाल

बनारसीदास वदलली

bull डॉ0 आर0 क0 वसह आिवनक असामानय मनोविजञान अगरिाल पवबलकशनस आगरा

bull डॉ0 डी0एन0 शरीिासति आिवनक असामानय मनोविजञान सावहतय परकाशान आगरा

617 तनबनिातमक परशन bull अवत लघ उततरीय परशन-

1 मनषय अपनी वजनदगी का लभग वकतना समय नीद म वबताता ह

2 अलिा तरग कब बनती ह

3 तीवर आख गवतक नीद पर सबस पहल वकसन कायथ वकया

4 सिपन क समय वयवकत वकस अिसरा म होता ह

5 ई0ईजी का परा नाम कया ह

6 मवसतषक तरगो का मापन वकसक दवारा वकया जाता ह

7 सिपन वकतन परकार क होत ह

8 सिपन क मखय तीन सरोत एि सामगरी कया ह

bull लघ उततरीय परशन-

9 नीद की मखय अिसराए कया ह

10 नीद न आन पर वयवकत को कौन-कौन सी बीमाररया हो जाती ह

11 वयवकत क वलए नीद कयो आिशयक ह

12 सिपन विशलषण स आप कया समझत ह

13 सिपन क दौरान शारीररक गवतविवियो म होन िाल पररितथन कया ह

14 दवहक सहसमबिता स सिपन का कया समबनि ह

15 सिपन का हमार आय एि यौन पर कया परभाि पड़ता ह

bull दीघथ उततरीय परशन-

16 वनरा क सिरप एि परकारो का िणथन कीवजय

17 सिपन विशलषण स आप कया समझत ह सिपन क वसिानतो का विसतत िणथन कीवजए

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 108

इकाई-7 दतनक जीिन की मनोविकतिया 71 परसतािना

72 उददशय

73 दवनक जीिन की मनोविकवतयो का अरथ

74 दवनक जीिन की कछ महतिपणथ विकवतया

741 नामो का भलना

742 बोलन की भल

743 वलखन की भल

744 छपाई की भल

745 पहचानन की भल

746 िसतओ को इिर-उिर रखना

747 अनजान म की गई वियाए

748 साकवतक वियाए

75 साराश

76 शबदािली

77 सिमलयाकन हत परशन

78 सनदभथ गरनर सची

79 वनबनिातमक परशन

71 परसिािना वयवकत का वयिहार उसक अचतन मन स कािी परभावित ि वनदवशत होता ह हमार दवनक

जीिन म परायः कछ ऐस वयिहार घवित होत ह वजनकी जानकारी वयवकत को नही होती और उस

ओर धयान वदलान पर उस आियथ होता ह मनोिजञावनको न ऐस वयिहार को दवनक जीिन की भलो

या विकवतयो क रप म परसतत वकया ह जो वनररथक न होकर सारथक होत ह

वपछली इकाइयो म आपन असामानयता क विवभनन परकारो तरा सामानय और असामानय

वयिहार क बीच अनतर क बार म जाना तरा विवभनन दवषटकोणो क पररपरकषय म असामानयता की

वयाखया का अधययन वकया

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 109

परसतत इकाई म आप हमार दवनक जीिन म घवित होन िाली विवभनन परकार की विकवतयो

का अधययन करग जो कही-न-कही हमार अचतन मन क अवसतति को परमावणत करन म सहायक

होती ह

72 उददशय परसतत इकाई को पढ़न क पिात आप इस योगय हो सक ग वक आप-

bull दवनक जीिन की मनोविकवतयो का अरथ समझ सक

bull दवनक जीिन की विवभनन मनोविकवतयो को रखावकत कर सक

bull रोजमराथ की वजनदगी म घवित भलो का उदाहरण परसतत कर सक तरा

bull विवभनन परकार की दवनक भलो की विसतत वयाखया करन म सकषम हो सक

73 दतनक जीिन की मनोविकतियो का अरथ बीसिी शताबदी क पिाथिथ की सिाथविक महतिपणथ घिना फरायड दवारा अचतन मन की

खोज ह फरायड न अचतन को मन का िसा भाग बताया वजसम अिवसरत विचारो अनभिो आवद

को पनः चतना म नही लाया जा सकता ि या तो सितः दवनक विया-कलापो म परकि होत ह या

सममोहन मनाविशलषण या अनय परायोवगक तरीको दवारा उनह जाना जाता ह अचतन म वछप विषयो

या इचछाओ को वयवकत अपनी इचछानसार चतना म नही ला सकता फरायड न अचतन क सिरप

को सपषट करत हए कहा वक अचतन म वयवकत क सिग विविि परकार क अनभि वयवकत की अतपत

इचछाए उसक विचार आवद का भडारण रहता ह वजनका वयवकत क जीिन क सार वनकि का

समबनि होता ह परनत सामानयतः वयवकत को इसकी जानकारी लश मातर भी नही होती इनका

सिरप अवयकत होता ह परनत य अवयकत विषय हमशा विभाजन रखा को पार करक चतन मन म

आन क वलए सविय रहत ह अचतन मन क अवयकत विषय की इसी परिवतत क कारण विवभनन परकार

की दवनक भल होती ह य भल अचतन क अवसतति को परमावणत करती ह

दरअसल भल करना या गलवतयो का होना मानि जावत की एक सािथभौवमक विशषता ह

कछ भल अजञानता िश होती ह तो कछ की जानकारी वयवकत को होती ह अजञानतािश होन िाली

भलो क अनतगथत बोलन की भल वलखन की भल चीजो को इिर-उिर रखन की भल िादो का

भलना सरान या नाम भलना आवद दवनक जीिन की सामानय भल आती ह इन भलो क कारण

अचतन होत ह अराथत इन तरवियो या भलो की चतना वयवकत को नही होती चवक दवनक जीिन की

य भल या गलवतया अचतन क परभाि स होती ह इसीवलए वयवकत इन भलो क परवत अजञान रहता ह

तरा अनायास या वबना धयान क होन िाली गलती कहकर सतषट हो जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 110

सामानयतः इन भलो को वनरिशय असाििानी रकान रकत सचालन की गड़बड़ी

शारीररक असिसरता अरिा मातर सयोग का परवतिल माना जाता ह परनत परायः यह दखा जाता ह

वक इन कारणो क नही रहन पर भी इस तरह की भल हआ करती ह

फरायड न अपनी पसतक lsquoसाइकोपरोलॉजी ऑि एिरीड लाइिrsquo (1914) म इन सामानय

भलो क बार म विसतार स िणथन वकया ह तरा इन भलो को उददशयपणथ बतलाया ह फरायड क

अनसार दवनक जीिन की य भल िसततः मनोविकवतया ह अतः मनोिजञावनक दवषटकोण स

महतिपणथ ह तरा इन भलो क कारण वयवकत क अचतन म दवमत विरोिी विचार आिामक

परिवततया काम भािनाय एि अतपत इचछाए होती ह फरायड का मत ह वक वयवकत क सामानय जीिन

म होन िाली इन सािारण गलवतयो दवारा अचतन म दवमत विचारो या अतपत इचछाओ की चतन

अवभवयवकत होती ह अतः दवनक जीिन की सामानय भलो दवारा अचतन की दवमत इचछओ को

जाना जा सकता ह सार ही वयवकत की इन भलो क माधयम स मानवसक सघषो का समािान सहज

ढग स हो जाता ह कयोवक इन सािारण गलवतयो की उतपवतत अह की रकषा यवकतयो दवारा होती ह

इसीवलए फरायड न दवनक जीिन की सामानय भलो को वमतवययी या लाभकारी माना ह कयोवक

मानवसक सघषो क समािान का यह सहज माधयम या आसान तरीका होता ह असत दवनक जीिन

की मनोविकवतयो क वनवित कारण और विशष महति होत ह तरा उनम वमतवययी लाभकारी होन

का गण पाया जाता ह

74 दतनक जीिन की कछ महतिपणथ विकतिया अचतन क अवसतति को परमावणत करन हत फरायड न कछ महतिपणथ विकवतयो का

उललख वकया जो हमार वदन-परवतवदन क जीिन म दखन को वमलती ह ऐसी विकवतया या भल

वनमनवलवखत ह-

1 नामो का भलना 2 बोलन की भल 3 वलखन की भल 4 छपाई की भल 5 पहचानन की भल 6 िसतओ को इिर-उिर रखना

7 अनजान म की गई वियाऐ

8 साकवतक वियाऐ

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उततराखड मकत विशवविदयालय 111

741 नामो का िलना -

नामो का भलना मानि समाज म एक सामानय घिना ह अपन दवनक जीिन म कभी-कभी

हम अपन पणथ पररवचत वयवकतयो सरानो अरिा वकसी महतिपणथ वतवरयो को अचतन रप स भल

जात ह इस तरह की भलन की घिनाए असरायी एि सरायी दोनो तरह की होती ह तरा वयवकत क

दवनक जीिन की सामानय घिनाए होती ह जस कोई वयवकत वकसी क नाम को अचछी तरह जानता ह

परनत कछ समय क वलए उस िह नाम याद नही आता हालावक िह उस दखकर पहचान लता ह

इसी तरह कोई वयवकत वकसी काम को करना चाहता ह पर भल जाता ह लवकन बाद म उस िह

याद आ जाता ह इस परकार क भलन की विया असरायी अराथत रोड़ समय क वलए ही होती ह

भलन की कछ वियाए सरायी भी होती ह जस कोई चीज कही रख दना और विर उस ढढ न

सकना वकसी पिथवनिाथररत कायथिम को भल जाना इतयावद

सािारणतः इस परकार क भलन की विया का कोई सपषट कारण हम पता नही चलता तरा

हम आियथ होता ह कभी-कभी ऐसी भलो को हम वनररथक और मामली घिना मानकर धयान नही

दत परनत फरायड न इन भलो को वकसी महतिपणथ बातो का साकवतक लकषण माना ह उनक

अनसार वयवकत lsquoसहीrsquo या lsquoगलतrsquo जो कछ भी करता ह िह कारण-परभाि क वनयमो स बिा हआ

होता ह अतः पररवचत नामो को भलन क पीछ भी कोई-न-कोई कारण जरर होता ह अराथत वबना

वकसी कारण क वयवकत कछ नही करता फरायड न इस समबनि म यह बतलाया ह वक इस तरह की

भलो क कारण अचतन म दवमत दःखद या अवपरय अनभि अरिा आिामक एि कामक इचछाए

होती ह इन दवमत इचछाओ क िलसिरप उतपनन मानवसक सघषो स मवकत पान हत अचतन रप स

हम इनह भल जाना चाहत ह इसवलए अजञानतािश हम अपन पररवचत वयवकतयो सरानो अरिा

िसतओ क नामो कषवणक अरिा सरायी रप स भल जात ह कषवणक रप स भलन क कारण परायः

अिथचतन सतर पर रहत ह इसीवलए वजस समय हम कछ याद करना चाहत ह उस समय िह बात

याद नही आती लवकन रोड़ा परयास करन पर अरिा कछ समय बाद ि बात चतना म आ जाती

ह और तब ि बात याद हो जाती ह लवकन सरायी रप स भलन या कछ अविक समय तक नही

होन क कारण अचतन म रहत ह इसवलए य बात जलदी ही याद नही होत

चवक नामो को भलन की विया अिथचतन या अचतन कारणो स होती ह इसवलए वयवकत

को इनका कोई सपषट कारण नही मालम पड़ता ह िसततः इसम lsquoअहrsquo की रकषायवकत दमन का मखय

हार रहता ह अतः भलन की इस सामानय घिना दवारा अचतन म दवमत इचछाए परकि होती ह

फरायड न अपनी पसतक म एक घिना का वजि वकया ह lsquoकrsquo नाम क वकसी यिक का एक

मवहला स परम हो गया लवकन यह परम एक तरिा रा अराथत उस यिती न lsquoकrsquo नाम क यिक क

परवत कोई परम न वदखाई और कछ वदनो क बाद उसकी शादी वकसी lsquoखrsquo नाम क यिक क सार हो

गयी lsquoकrsquo नाम का यिक lsquoखrsquo नाम क यिक को पहल स जानता रा और दोनो एक सार वयापार

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 112

करत र लवकन अपनी परवमका की lsquoखrsquo नाम क यिक स वििाह क बाद lsquoकrsquo lsquoखrsquo क नाम को

भल गया रा और दसरो स पछा करता रा वक िह कौन ह

इस परकार िह lsquoकrsquo नाम का वयवकत अपन परवतिनदी lsquoखrsquo क बार म अपन पररचय को भल

जाना चाहता रा ऐसा करन स िह यिती अभी भी उसकी सभावित पतनी क रप म परतीत होती ह

और उसक सार वििाह-सतर म बिन की उसकी अचतन म दवमत इचछा की सतवषट होती ह

ऐसी भलो म सही नाम की जगह गलत नाम याद आन वकसी उददशय वकसी कायथ को करन

का वनिय या सकलप इतयावद को भल जान की भी गणना होती ह सामानय जीिन क अनक

अिसरो पर हम इस परकार की गलवतयो क वशकार होत ह वकसी वयवकत दवारा अपनी परवमका का

वकसी दसर स वििाह हो जान क बाद उसक सही उपावि नाम को भल जाना और उसकी जगह

वििाह स पहल क उपाविनाम का ही बार-बार याद होना गलत नाम याद होन का उदाहरण ह यहा

भी वयवकत अचतन रप स उस यिती को अपनी सभावित पतनी क रप म दखना चाहता ह इसीवलए

सही नाम की जगह गलत नाम ही उसकी चतना म बार-बार आता ह इसी तरह हम उन वयवकतयो या

सरानो क नामो को भी भल जाना चाहत ह वजनक सार दःखद या अवपरय अनभि समबवनित होत

ह इसक अवतररकत हम उन नामो को भी भलत ह वजनक सार आिामक और कामक इचछाए या

घणा क भाि जि होत ह लखक को एक ऐस यिक स भि हई जो अपनी सौतली मा का नाम भल

गया रा उसस कछ दर की बात-चीत क बाद पता चला वक उसकी सौतली मा बहत ही िर सिभाि

की री और उस कई बार जहर दकर मार डालन का परयास भी कर चकी री इसस उस यिक क मन

म सौतली मा क परवत घणा का भाि उतपनन हो गया रा जो अचतन म दवमत हो गया रा इस परकार

सौतली मा क नाम को भल जान स उसक अचतन म दवमत घणा क भाि का सकत वमलता ह

फरायड न फर क नाम क एक वयवकत का उदाहरण वदया ह िह फरानस का रहन िाला रा एक बार िह

भारतिषथ आया रा और एक तालाब क वनकि अपन वपरय पालत कतता क सार ढला मारकर खल

रहा रा इस िम म कतता तालाब म वगर गया लवकन तब भी फर क ढला ि क- ि क कर कतता क सार

खलता रहा अनततः िह कतता तालाब म वगरकर मर गया इस दःखद घिना का फर क क मन पर

बहत गहरा परभाि पड़ा वजसक िलसिरप िह अपन शहर क एक सपरवसि बाजार का नाम

वजसका नाम पौड रा भल गया उस अपनी इस भल का जञान उस समय हआ जब उसक एक दोसत

न कछ जररत की चीजो को खरीदन हत उपयथकत बाजार क बार म पछा फर क उस बाजार स अचछी

तरह पररवचत रा विर भी जब उस उस जगह का नाम याद नही हआ तो उस इस पर बहत आियथ

हआ यहा उस पौड नाम क जगह का नाम भल जान का कारण तालाब वजस अगरजी म पौड कहत

ह क सार समबवनित उपयथकत दःखद या अवपरय घिना री वजसक िलसिरप िह शबद अचतन म

दवमत हो गया रा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 113

हम अपन दवनक जीिन म इसी तरह की अनक बातो को भलत रहत ह जस पतर डाकखान

म डालना भलना वकसी स ली गई िसत को लौिाना भलना वकसी की चीज को सरवकषत रखकर

ढढ नही सकना अपन िायदो को भल जाना आवद बातो क पीछ अचतन म दवमत अतपत इचछाए

काम करती ह

इस तरह उपयथकत उदाहरणो स यह सपषट ह वक नामो को भलन क पीछ वयवकत का कोई-न-

कोई उददशय वनवहत रहता ह जो उसकी अतपत आिामक एि कामक इचछाए दःखद या अवपरय

घिनाओ क अनभि घणा क भाि इतयावद का सकत करत ह वयवकत इन अवपरय एि दःखद

घिनाओ क कारण उतपनन मानवसक सघषो क तनाि स मवकत पान हत इनह अचतन म दवमत करता

असत वकसी महतिपणथ विषय सरान वतवर िसत इतयावद क नामो का भलना दवनक

जीिन की मनोविकवतया ह

742 बोलन की िल -

बोलन की भल स तातपयथ ह वक हम बोलना कछ चाह और बोल और कछ दवनक जीिन

म बोलन म परायः ऐसी भी भल हो जाया करती ह कभी-कभी बोलन म हम ऐसी बात बोल जात ह

वजसक वलए हम चतन रप स तयार नही रहत ऐसी गलवतयो पर हम सिय आियथ होता ह वकनत

हमार दवनक जीिन क विया-कलापो की य सामानय घिनाए होती ह इस समबनि म मररगर और

मयर न बतलाया ह वक बोलन की भल परायः शबदो की धिवनयो म समानता क कारण होती ह

लवकन फरायड न इस तरह की गलवतयो को भी अचतन स परभावित माना ह फरायड क अनसार इस

तरह की गलवतया भी वयवकत क अचतन मन म दवमत इचछाओ को वयकत करती ह इस समबनि म

बराउन न अपन एक वमतर का उदाहरण वदया ह बराउन क एक वमतर को अपन ऊपर कािी गिथ रा िह

अपन को अनय वमतरो की तलना म अविक शरषठ समझता रा तरा दसरो को उतना महति नही दता

रा एक बार उस िजञावनको की एक सभा म अपन एक वमतर क लख पर बिाई दनी री सामानय रप

स उस कहना रा- lsquolsquoकया म इस महान लख पर अपना सािारण विचार परकि कर सकता हrsquorsquo इसी

तरह फरायड न एक यिा वचवकतसक न एक बार वकसी सभी म डॉ0 विकोि क परवत सममान परकि

करन क िम म अपन नाम की जगह अपन को डॉ0 विकोि कहकर सबोवित वकया जब उपवसरत

लोगो न उसस यह जानना चाहा वक कया उसका भी नाम विकोि ह तो तरनत ही उस अपनी गलती

का अनभि हआ फरायड न इस गलती की वयाखया करत हए कहा वक िसततः िह यिा वचवकतसक

अपन को डॉ0 विकोि समकष वसि करना चाहता रा और उसकी यही इचछा बोलन की तरवि कारण

री िह यिा वचवकतसक चवक अपन को डॉ0 विकोि क समककष समझता रा इसीवलए िह सिय

को अचतन रप स डॉ0 विकोि कहकर सबोवित वकया रा इस वसलवसल म फरायड न अपन एक

आलोचक का भी दषटानत वदया ह उनका एक आलोचक उनह हमशा नीचा वदखान की इचछा रखता

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 114

रा वजसक िलसिरप िह जब कभी भी फरायड क समबनि म कछ कहना चाहता रा परायः िह

अपना ही नाम बोलता रा जस कभी िह कहता lsquoजसा वक आप सभी जानत ह वबरयअर और हमन

इस तय पर अचछी तरह परकाश डाला हrsquo जबवक िह कहना चाहता रा वक जसा वक आप सभी

जानत ह वबरयअर और फरायड न इस तय पर अचछी तरह परकाश डाला हrsquo इस तरह अचतन म

फरायड को नीचा वदखान की दवमत इचछा या मनोिवतत क कारण आलोचक क बोलन म तरवि हई

ऊपर वदए गए उदाहरणो स सपषट होता ह वक विवभनन नामो क उचचारण करन म धिवनयो की

समानता नही रहन पर भी बोलन की भल होती ह अतः मररगर न ऐसी गलवतयो क जो करण

बतलाय ह ि सही नही ह िसततः य भल भी अचतन रप स दवमत अतपत इचछाओ घणा या दवष

की भािना अरिा अवपरय अनभिो क सावकवतक परतीक ह हमार दवनक जीिन म भी इस तरह की

गलवतयो क अनक उदाहरण वमलत ह एक वयवकत पड़ोस क एक घर म मतय का समाचार सनकर

पररिार िालो को सहानभवत परकि करन गया और कहा- lsquolsquoइनकी मतय स मझ बहत खशी हrsquorsquo

जबवक िह कहना चाहता रा- lsquolsquoइनकी मतय स म बहत दखी हrsquorsquo इसी परकार एक यिक lsquoरीताrsquo नाम

की एक सहपाविनी स वमलन गया उसन उस लड़की की मा स कहा- म lsquoरवतrsquo स वमलना चाहता ह

िसततः िह यिक lsquoरीताrsquo स परम करता रा तरा lsquoकाम-इचछाrsquo की पवतथ करना चाहता रा उसकी यह

इचछा lsquoरीताrsquo की जगह lsquoरवतrsquo शबद का उचचारण दवारा परकि हई एक बार एक lsquoनताrsquo को वकसी

सभी का उदघािन करन हत आमवतरत वकया गया उकत नता सभी की कायथिाही परारमभ करन की

घोषणा करन हत जब उि तो उनहोन कहा-rsquoसजजनो म घोषणा करता ह वक lsquoकोरमrsquo परा ह और अब

म सभी की कायथिाही बद करता हrsquorsquo नताजी को बोलना रा- lsquolsquoसजजनो म घोषणा करता ह वक

lsquoकोरमrsquo परा ह और अब म सभी की कायथिाही परारमभ करता हrsquorsquo नताजी क भाषण की यह गलती

िासति मइसवलए हई वक ि इस सभा को नही होन दना चाहत र उनकी दवषट म इस सभी का कोई

औवचतय नही रा और न इस सभी स कोई सारथक उददशय ही परा हो सकता रा अतः उनहोन इस

सभी की कायथिाही परारमभ करन क बजाए बद करन की घोषणा की

इस परकार सपषट ह वक दवनक जीिन म बोलन की गलवतया अचतन की इचछाओ क सकत

होत ह और ि विकत मानवसकता क लकषणो क रप म परकि होत ह

743 वलखन की िल -

बोलन की गलती की तरह lsquoवलखन की गलतीrsquo भी हमार सामानय दवनक जीिन की आम

बात ह इस तरह की गलवतयो स भी वयवकत क मनोविकारो का पता चलता ह परायः यह दखा जाता

ह वक हम वलखना कछ चाहत ह और वलख कछ दत ह िसततः इस परकार की गलती भी हमार

अचतन म दवमत अतपत इचछाओ क परतीक या सकत होत ह ऐसी गलवतयो म वकसी महतिपणथ

शबद का छअ जाना अविक शबद वलख दना या सही शबद क बदल कोई अनय शबद वलखना बाद

क शबदो को पहल वलखना आवद गलवतयो की भी गणना की जाती ह सािारणतः इन गलवतयो का

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 115

कारण भाषा जञान का अभाि या वलखत समय धयान का बिना आवद समझा जाता ह लवकन फरायड

न इस तरह की कछ गलवतयो का विशलषण करक यह वसि वकया ह वक य गलवतया अचतन की

परिवततयो क कारण होती ह बराउन न अपनी पसतक म अपन एक वमतर का उदाहरण वदया ह उसक

वमतर को इगलड जान की इचछा री परनत कछ कारणिश उस वशकागो जाना आिशयक हो गया

उसन वशकागो क अपन पिथ पररवचत वमतर को अपन आन की सचना दन हत पतर वलखा वक िह शीघर

ही उसस वमलन पहच रहा ह पतर को वलिािा म डालकर उसन पता वलखन म एक भल कर दी

उसन पता इस परकार वलखा- सपषट ह वक इगलड जान की उसकी इचछा वशकागो म रहन िाल वमतर

को भज जान िाल वलिाि पर गलत पता वलखन की भल म परकि हई ह

इसी तरह एक नसथ को वकसी यिा डॉकिर स परम हो गया उसन डॉकिर को एक पतर वलखा

वजसम डॉकिर की जगह lsquoवडयरrsquorsquo शबद का परयोग वकया एक बार डॉ0 कालथ मवनगर अपन पशा क

कायथ स एक वयवकत स वमलन गय परनत उस वयवकत न इनक परवत कोई विशष रवच नही वदखलाई

मातर सामानय आवतय ही वकया मवनगर न िापस आन क बाद उस वयवकत को अपना िनयिाद पतर

वलखा और जब इसको दबारा पड़ा तो दखा वक उनहोन एक भयकर गलती कर दी ह उनहोन अपन

पतर म वलखा रा- म आपको िनयिाद जञावपत करना चाहता ह कयोवक हमार सममान म आपन कोई

वशषटता नही वदखलाईrsquo लवकन ि वलखना चाहत र- lsquoम आपको िनयिाद जञावपत करना चाहता ह

कयोवक हमार सममान म आपन कािी वशषटता वदखलाईrsquo

यहा सपषट ह वक डॉ0 मवनगर उस वयवकत क उदासीन वशषटाचार क परवत आभार परकि करन

की इचछा नही रखत र इसीवलए अचतन रप स उनहोन lsquolsquoकािी वशषटताrsquorsquo की जगह कोई वशषटता

नही वलख वदया रा

अवनता और रजना नाम की दो सहवलया री अवनता का वििाह उसक एक सहपािी क

सार हई री रजना को इस बात की जानकारी री सयोग स वजस यिक क सार अवनता का वििाह

हआ रा रजना उसस परम करती री परनत उस सिलता नही वमली अवनता वििाह क कछ वदनो

बाद रजना न अवनता को एक पतर वलखा परनत उस पतर म उसक पवत क बार म कोई वजि नही

वकया सार ही उसन अवनता को वििाह स पिथ क सबोिन का ही परयोग वकया उसन lsquoसौभागयिती

अवनताrsquo की जगह lsquoसशरी अवनता कमारीrsquo वलखा रा यहा रजना दवारा अवनता क पवत क बार म कछ

नही वलखन और अवनता को lsquoकमारीrsquo वजसकी अवभवयवकत इस सामानय भल दवारा हई री

ऊपर क उदाहरणो स यह सपषट ह वक वलखन की भल वयवकत क अचतन म दवमत

मनोविकारो क सकत होत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 116

744 िपाई की िल -

छपाई की भलो की वशकायत बहिा दखी जाती ह इस तरह की भल पसतको समाचार

पतरो एि अनय विजञापनो क पचो इतयावद म परायः वमलती रहती ह अनक बार इस तरह की गलवतयो

का सिार भी दखन को वमलता ह लवकन इस सिार म भी गलती हो जाती ह इस तरह की

गलवतयो क वलए परिरीडर लखक कमपोवजिर समपादक इतयावद सभी वजममदार होत ह इसीवलए

वकनही एक क मनोविकार क आिार पर इन भलो क कारणो की वयाखया नही की जा सकती

लवकन इतना जरर ह वक ऐसी गलवतयो दवारा भी अचतन म दवमत परम और घणा क अतपत भािो या

विचारो क सकत वमलत ह एक बार lsquoसोसल डमोिविकrsquo अखबार म वकसी उतसि का समाचार

छपा इस समाचार म य शबद छप र-

lsquolsquoउपवसरत वयवकतयो म वहज हाइनस कलाउन वपरस भी रrsquorsquo कलाउन का अरथ अगरजी म

lsquoविदषकrsquo होता ह अगल वदन इस गलती को सिार कर छापा गया- इस िाकय को इस तरह पढ़-

lsquoवद िो वपरनसrsquo भी उपवसरत र यहा विर एक गलती हो गई- lsquoिाउन वपरस की जगह lsquoिो वपरसrsquo

(कौआ राज कमार) छप गया इस दहरायी गयी गलती स यह सपषट हो जाता ह वक परस क परायः

सभी समबवनित कमथचारी उस lsquoिाउन वपसrsquo स घणा करत र इसीवलए बार-बार अपमान जनक

सबोिनो को परस क वकसी कमथचारी दवारा सिारा न जा सका

इसी तरह एक यि सिाददाता वकसी परवसि सनापवत स वमला उस सनापवत की

कमजोररया बहत ही परवसि री उसस वमलन क बाद उसक बार म एक वििरण lsquoबिल-सकयडथ

ििरनrsquo छप गया अगल वदन कषमा याचना क सार गलती का सिार वकया गया और यह छपा

lsquoबिल सकयडथ ििरनrsquo की जगह lsquoबौिल सकाडथ ििरनrsquo यहा lsquoसकयडथrsquo को सिार कर lsquoसकाडथrsquo िीक

कर वदया गया लवकन lsquoबिल की जगह lsquoबौिलrsquo छप गया यहा भी छपन की गलती दहरायी गयी

ऐसी गलवतयो को हम lsquoपरस की भलrsquo अराथत छापन िालो की असाििानी कहत ह परनत िसततः

इन गलवतयो दवारा वयवकत क अचतन म दवमत इचछाओ क सकत वमलत ह

अतः छपाई की भलो म परायः उलिा समाचार या अवपरय समबोिन की गलती होती ह इन

गलवतयो की वयाखया भी मनोविकवत क रप म दी जा सकती ह जसा वक ऊपर क उदाहरणो क

सदभथ म दी गई ह

745 पहिानन की िल -

हमार दवनक जीिन की अनक गलवतयो म वकसी वयवकत सरान या िसत की सही पहचान

करन म होन िाली गलवतया भी शावमल ह अनक अिसरो पर हम वकसी अपररवचत वयवकत को

पररवचत वमतर समझ बित ह ऐसी गलती परायः सबो स हआ करती ह सािारणतः ऐसी गलवतयो

का कोई सपषट कारण नही दीखता लवकन फरायड न इन गलवतयो क पीछ भी वयवकत की अचतन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 117

इचछाओ का हार बतलाया ह lsquoपहचानन की भल मानवसक अनतदवथनदव क कारण होती हrsquo जब कोई

वयवकत वकसी वपरय िसत या अपन परम पातर को दखना चाहता ह तो िह अपररवचत को अपना

परमपातर समझ लता ह इस परकार की भलो स परमपातर स वमलन की इचछा पणथ होती ह

पहचानन की भल एक और तरह की होती ह कभी-कभी वकसी िसत या वयवकत क

उपवसरत रहन पर भी हम उस नही दख पात ऐसा इसवलए होता ह वक हम उस नही दखना चाहत

उसक परवत अचतन म घणा या आिामक भाि दवमत होत ह जस वकसी ऑविस क एक कमथचारी

को अपन अविकारी क पास कोई जररी िाइल उपवसरत करनी री उस िाइल म रख गय कागजो

म एक जररी कागज नही वमल रहा रा िह कमथचारी भयभीत हो गया इिर बार-बार अविकारी की

ओर स उकत िाइल की माग हो रही री अनततः िह भयभीत कमथचारी िाइल क सार उस

अविकारी क पास गया िहा पहल स ही कई लोग उपवसरत र कमथचारी न उपवसरत लोगो म स

एक स अविकारी क बार म पछा-rsquoसाहब कही गय ह कयाrsquo इस पर अविकारी चवकत हआ शीघर

ही उस कमथचारी को अपनी भल का एहसास हआ और उसन कषमा याचना की सपषट ह वक िाइल म

जररी कागजात नही रहन क कारण िह अपन अविकारी स वमलना नही चाहता रा इसीवलए

उपवसरत अविकारी को पहचानन म उस कमथचारी न भल की री

इसी तरह सड़क पर जात हए वकसी अपररवचत को अपना पररवचत वमतर समझना अपनी

बगल स वकसी पररवचत वमतर को गजरत हए नही दख सकना समाचार पतरो म वकसी समाचार क

रहत हए भी उस नही दख पाना इतयावद गलवतयो क पीछ अचतन म दवमत इचछाए सविय रहती ह

746 िसिओा को इधर-उधर रखना -

बहिा हम िसतओ को इिर-उिर रख दत ह और समय पर जब उनह ढढत ह तो िह चीज

नही वमलती यह भी हमार दवनक जीिन की आमतौर स होन िाली भल ह वजसकी तह म अचतन

की दवमत अतपत इचछाए होती ह फरायड न इस समबनि म यह बतलाया ह वक िसतओ को ब-जगह

रख दन स यह सकत वमलता ह वक वयवकत म उस िसत को कछ समय या सदा क वलए हिा दन की

परिवतत री फरायड न इसका एक उदाहरण वदया ह-एक नौजिान को अपनी पतनी स मनमिाि रा

नौजिान पतनी को वबलकल परमहीन समझता रा हालावक िह उसक कवतपय शरषठ गणो की कर

करता रा विर भी दोनो वबना परम क सार रहत र एक वदन उसकी पतनी बाजार स लौित समय

अपन पवत की पसनद की एक पसतक खरीद कर लाई पवत न यह अनभि वकया वक उसकी पतनी न

रोड़ा सा उसका धयान रखा ह इसक वलए उसन पतनी को िनयिाद वदया और पसतक को पढ़न का

िचन दकर इस अपनी पसतको की आलमारी म रख वदया उसक बाद िह पसतक कभी उसक हार

न आयी महीनो गजर गय और अनक बार उस पसतक को ढढन की कोवशश की लवकन सब बकार

गई लगभग 6 महीन बाद उसकी पतनी अपनी सास की सिा करन घर चली गई उसकी सास बहत

गभीर रप स बीमार री अतः उस नौजिान की पतनी को अपन अचछ गणो को वदखान का एक

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 118

सनदर अिसर वमला रा एक वदन शाम को जब िह नौजिान अपनी पतनी क परवत उतसाह और

कतजञता स भरा हआ घर आया और अपनी मज क पास पहच कर योही (वबना वकसी वनवित

परयोजन क) मज का दराज खोला तो अचानक उसकी खोई हई िह पसतक दीख पड़ी इसी पसतक

को िह खोज-खोजकर इसक पहल कई बार वनराश हो चका रा यहा िह नियिक अपनी पतनी क

परवत वनषिातमक मनोिवतत रखता रा इसवलए पतनी दवारा उसकी पसद की पसतक को दन पर

अनजान म उसन ऐसी जगह रख दी री वजस महीनो िह नही ढढ सका लवकन जब उसकी पतनी

अपनी सास यानी यिक की मा की सिा करन चली गयी तो उसक पवत को पतनी क शरषठ गणो एि

कतथवयपरायणता का बोि हआ और उसकी मनोिवतत िनातमक रप म बदल गई िलतः उस िह

पसतक अपन आप वमल गई इस परकार अचतन की मनोिवततयो क कारण वयवकत चीजो को कही भी

रख दता ह

मनोिजञावनक lsquoजोनसrsquo न भी अपना एक उदाहरण वदया ह lsquoजोनसrsquo जब कभी खासी स

परशान होत र िह अपनी lsquoसमोवकग पाइपrsquo को ऐसी जगह रख दत र वक खोजन पर िह नही

वमलती री लवकन जस ही खासी कम होती री िह lsquoपाइपrsquo शीघर ही वमल जाती री इसका कारण

यह रा वक खासी का परकोप बढ़न पर lsquoजोनसrsquo को वसगरि lsquoनही पीन की इचछाrsquo होती री इसीवलए

ि lsquoपाइपrsquo को अचतन रप स ब जगह रख दत र और जब खासी कम होती री तो वसगरि पीन की

इचछा पनः जागत होती री और तब िह वबना परयास क ही वमल जाती री

इसी परकार चावबयो का गचछा भल जाना कोई महतिपणथ कागज इिर-उिर रख दना

रमाल खो दना इतयावद दवनक जीिन की सामानय भल भी हमार मनोविकारो की सकतक होती ह

वजनका समबनि अचतन की परिवततयो क सार रहता ह

747 अनिान म की गई वकरिाएा -

अनक अिसरो पर हम चतन रप स जो करना चाहत ह उसक बदल अचतन रप स कोई

दसरी विया कर डालन की गलवतया कर बित ह जस-वकसी को 10 रपय दना चाहत ह और भल

स 100 रपय का नोि द दत ह कोई िसत वकसी lsquoकrsquo नाम क वयवकत को दन का विचार करत ह

लवकन उस lsquoखrsquo नाम क वयवकत को द दत ह सािारणतः इन गलवतयो का जञान होन पर हम इनका

कोई परयोजन अरिा सपषट अरथ मालम नही पड़ता परनत कई बार ऐसा दखा गया ह वक इस परकार

की गलवतयो का विशलषण करन पर वयवकत क lsquoमनrsquo की परिवततयो क सकत वमलत ह lsquoजोनसrsquo न

इसक उदाहरण म अपनी एक आप बीती घिना का उललख वकया ह lsquoजोनसrsquo न एक बार वसगरि का

एक नया डबबा खरीदा पहल िाल डबबा म भी कछ वसगरि बच र लवकन ि नया वसगरि पीना

चाहत र विर भी चवक पहला िाला वसगरि वयरथ हो जाता इसवलए पराना डबबा का वसगरि पीन

का वनिय कर ि पसतक पढ़न लग पसतक पढ़न म तललीन रहन क कारण उनका यह वनिय दवमत

हो गया और उनहोन भल स नय डबबा का वसगरि पी वलया सपषट ह वक lsquoजोनसrsquo चवक नया वसगरि

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 119

पीना चाहत र परनत lsquoवमतवयवयताrsquo का विचार करत हए पराना वसगरि का वनिय कर ि पसतक म

तललीन हो गय इसस उनका वनिय दवमत हो गया और उनहोन अचतन रप स नया वसगरि ही पी

वलया

मनोिजञावनक lsquoवबरलrsquo न भी एक उदाहरण दकर य बतलाया वक कभी-कभी हमारी इन

गलवतयो क खतरनाक पररणाम भी हो सकत ह और इनक पीछ अचतन की भवमका परिान रहती ह

एक डाकिर स इसी तरह की खतरनाक भल हई उस डाकिर क मन म अपन चाचा क परवत दवष

भािना री एक बार जब उसका चाचा बीमार हआ तो उस डाकिर न भल स lsquoवडवजिावलसrsquo नाम

की दिा क बदल lsquoहायोवसनrsquo द दी वजसस उसक बीमार चाचा की मतय हो गई

हम अपन दवनक जीिन म ऐसी अनक गलवतया करत रहत ह जस हम अपन वकसी वमतर क

यहा जात ह और अपना छाता चशमा रमाल कलम आवद अनजान म छोड़कर चल आत ह इन

गलवतयो क पीछ उन िसतओ को नही रखन की इचछा अरिा अपन वमतर को उन िसतओ को दन

की इचछा सविय रहती ह जो अचतन रप स हम ऐसी भलो क वलए परररत करती ह ऐसी गलवतया

सयोगिश नही होती इसी तरह अनजान म वकसी की चीज को उिाकर चल दन या वकसी चीज को

भला दन की सामानय भलो दवारा हमार अचतन म दवमत विचारो या भािनाओ क सकत वमलत ह

748 सााकविक वकरिाएा -

परायः परतयक वयवकत अपन सामानय दवनक-जीिन म कछ ऐसी वियाए या हरकत करता ह

जो परतयकष रप म वनररथक परतीत होती ह इन वियाओ को करन िाला भी इनह वनररथक और सयोग

ही मानता ह परनत lsquoफरायडrsquo न इन वियाओ को भी सारथक बतलाया ह lsquoफरायडrsquo क अनसार य

वियाए सारथक होती ह कयोवक इनस मानवसक सघषथ या अचतन म दवमत इचछाओ का पता चलता

ह उदाहरण क वलए बि-बि पर वहलान दात स नाखन चबान चाबी क गचछा को नचान अगिी

को बार-बार अनदर-बाहर करन लकचर दत समय वकसी तवकया कलाम शबद को बार-बार दहरान

आवद वियाए अचतन क सघषो और मनोभािो क सकत होत ह एक बार फरायड को चौराह पर

खड़ी एक मवहला स भि हई यह खड़-खड़ वकसी दकान की ओर िकिकी लगाय दख रही री और

दावहन हार की अगली म पहनी गई अगिी को बार-बार आग-पीछ कर रही री lsquoफरायडrsquo न जब

कारण जानना चाहा तो िह कोई कारण न बता सकी और बोली-rsquoबस यो ही हम तो इसका पता ही

नही चला म तो यहा अपन पवत की परतीकषा म खड़ी ह ि सामन िाली दकान म कछ खरीद रह हrsquo

वकनत lsquoफरायडrsquo उस मवहला क इस उततर स सतषट नही हए और उनहोन उस मवहला स अपना पररचय

बढ़ाया कछ वदनो म दोनो म वमतरता सरावपत हो गई इसक बाद उस मवहला का मनोविशलषण वकया

गया तब यह पता चला-िह मवहला कछ ियवकतक कारणो स अपन पवत स घणा करन लगी री

इसवलए िह अपन पवत को तलाक दना चाहती री परनत सामावजक और नवतक रप स ऐसा करना

उवचत नही रा इसवलए िह तलाक दन म अपन को असमरथ पा रही री इसवलए पवत स चौराह पर

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 120

वबछड़ कर वचनता की वसरवत म खड़ा रहना चार िकवलपक रासतो क सकत ह जहा िह मवहला अपन

पवत को छोड़कर वकिर जाय-इस दवििा म सोच रही ह अगली की अगिी को बार-बार आग की

ओर वघसकाकर वनकालन की विया दवारा पवत का पररतयाग करन और पनः उस अनदर कर पहनन

की विया दवारा नवतक एि सामावजक बिनो क कारण पवत को पररतयाग नही करन क विचारो क

सकत ह अतः यहा मवहला क अचतन मन म वयापत इनही सघषो की अवभवयवकत चौराह पर खड़ी

होकर अगिी को आग-पीछ करन की विया दवारा हई ह

इस परकार हम दखत ह वक हमारी सामानय जीिन की विवभनन गलवतया या भल वनररथक

और वबना परयोजन क नही होती इन भलो दवारा वयवकत क अचतन मन की अतपत इचछाओ विचारो

या मनोविकारो की साकवतक अवभवयवकत होती ह अतः मनोिजञावनक दवषटकोण स ऐसी भल

महतिपणथ और सारथक होती ह खासकर मानवसक सघषो की अवभवयवकत का यह एक सहज या

आसान तरीका होता ह इसवलए मानवसक रोवगयो क अचतन विषय और मानवसक सघषथ का

विशलषण कर उनक मानवसक रोगो क बार म सही जानकारी परापत करन म भी सहायक ह

दवनक जीिन म घवित सामानय भलो क बार म जो मनोविशलषणातमक वयाखया दी गई ह

िह सािारणतः बतकी और अनगथल मालम पड़ती ह कछ लोगो का कहना ह वक lsquoफरायडrsquo क

विचार सािथजनीन नही ह इस तरह की गलवतयो की वयाखया वकसी वयवकत विशष क वलए सही हो

सकती ह लवकन िही वयाखया दसरो क सार लाग नही होती इसवलए यह िजञावनक नही ह

परनत यवद धयानपिथक दखा जाय तो यह बात वबलकल सतय मालम पड़ती ह वक दवनक

जीिन क सामानय विया-कलापो म हम अनक गलवतया करत रहत ह इतना ही नही वजस गलती

को सिारन की कोवशश वजतना अविक करत ह िह गलती उतनी ही अविक होती ह जीिन क

विवभनन कषतरो म होन िाली इन गलवतयो का समबनि वनवित रप म वयवकत क वयवकतगत जीिन म

अनभिो क सार जड़ होत ह मानवसक रोवगयो क मनोविशलषण करन पर भी इन तयो क पकष म

परमाण वमल ह अतः इन गलवतयो क मनोिजञावनक महति को असिीकार नही वकया जा सकता

75 साराश फरायड न अचतन क अवसतति क पकष म वयवकत क दवनक जीिन म होन िाली भलो या

विकवतयो को परमाण सिरप परसतत वकया

फरायड का मत ह वक वयवकत क सामानय जीिन म होन िाली इन सािारण गलवतयो दवारा

अचतन म दवमत विचारो या अतपत इचछाओ की चतन अवभवयवकत होती ह

दवनक जीिन की कछ परमख विकवतया वनमनवलवखत ह-

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 121

नामो का भलना बोलन की भल वलखन की भल छपाई की भल पहचानन की भल

िसतओ को इिर-उिर रखन की भल अनजान म की गई वियाए साकवतक वियाए िगरह

76 शबदािली bull अििन मन का िह भाग वजसम अनभि वकए हए ऐस विषय या सामवगरया होती ह वजनह

वयवकत इचछानसार याद नही कर पाता ह

77 सिमलयाकन हि परशन 1 अचतन की खोज वकसन की

2 lsquolsquoसाइकोपरोलॉजी ऑि एिरीड लाइिrsquorsquo पसतक क लखक कौन ह

उततर 1 फरायड 2 फरायड

78 सनदभथ गरनर सची bull असामानय मनोविजञान-नगीना परसाद एि महममद सलमान

bull असामानय मनोविजञान- वसनहा एि वमशरा भारती भिन

bull मनोविकवत एि उपचार- जीडी रसतोगी

79 तनबनिातमक परशन 1 दवनक जीिन की कछ भलो का उदाहरण दत हए अचतन की भवमका पर परकाश डाल 2 lsquolsquoदवनक जीिन की छोिी-मोिी गलवतया िसततः अनायास या सयोगिश नही होती अवपत

ि उददशयपणथ होती हrsquorsquo वििचना कर

3 सवकषपत विपपणी वलख- i नामो का भलना

ii को इिर-उिर रखन की भल

iii वलखन की भल

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 122

ईकाई-8 मनोरचनाओ की पररभाषा ि सिरप 81 परसतािना

82 उददशय

83 मनोरचनाओ की पररभाषा एि सिरप

84 मनोरचनाओ क महतिपणथ कायथ

85 मनोरचनाओ क विवभनन रप

86 परमख मनोरचनाए

87 गौण मनोरचनाए

88 साराश

89 शबदािली

810 सिमलयाकन हत परशन

811 सनदभथ गरनर सची

812 वनबनिातमक परशन

81 परसिािना यह मनोवयावि विजञान एि मनोरचनाओ स समबवनित पररम इकाई ह परतयक वयवकत चाह

िह सामानय हो या असामानय सभी को जीिन म वकसी न वकसी परकार क मानवसक तनाि या सघषथ

का सामना तो करना ही पड़ता ह मानवसक सघषथ स तातपयथ एक ऐसी वसरवत स ह जो परसपर दो या

दो स अविक विरोिी या एक दसर स असगत परिवततया एक दसर की सनतवषट म बािा डालती ह

वजसस एक तरह का मानवसक सघषथ की वसरवत उतपनन हो जाती ह

मनवसक सघषथ की वसरवतयो स वनबिन क वलए वयवकत जान-अनजान म अनक परकार की

मनोरचनाओ या रकषायवकतयो का उपयोग करता ह वजसस मानवसक सघषथ समापत हो सक

इस इकाई क अधययन क उपरानत आप मनोरचनाओ स सवमबवनित सभी पहलओ क बार

म जानकारी परापत कर पायग

82 उददशय परसतत इकाई क अधययन क उपरानत आप जान सकग-

bull मनोरचनाओ की पररभाषा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 123

bull मनोरचनाओ का सिरप

bull मनोरचनाओ क महतिपणथ कायथ

bull मनोरचनाओ क विवभनन रप

bull परमख ि गौण मनोरचनाए

83 मनोरचनाओ की पररभाषा एि सिरप सभी मानि परावणयो को अपन जीिनकाल म वनरनतर अनक परकार की सामानय ि

असामानय पररवसरवतयो का सामना करना पड़ता ह इसी वििलता ि अनतिथनि क उतपनन होन स

वयवकत म वचनता उतपनन होती ह इस वचनतायकत तनािपणथ वसरवत का जब वयवकत परतयकष रप स न तो

सामना कर पाता ह और न ही समािान तब िह विवभनन परकार क अपरतयकष सरकषातमक ढग

अपनाता ह मनोरचनाए अह की रकषा हत अचतन रप स वकय गय सरकषातमक परयास ह यह

सरकषातमक परयास वयवकत को बाहय ि आनतररक भय दोनो स सरकषा परदान करत ह ि तातकावलक

राहत पहचात ह जसा वक वसमणड (Symond) का विचार ह-

ldquoMechanisms are not only defense against anxiety but also indicate

methods by which the impulses giving rise to anxiety are redirectedrdquo

परो-बराउन न ldquoमानवसक मनोरचनाओ को चतन तरा अचतन परवतविया माना ह जो वयवकत

क अनतिथनि को या तो कम कर दता ह अरिा समापत कर दता हrsquorsquo

उपरोकत तयो स यह तो सपषट ह वक मनोरचनाओ की परयवकत स वयवकत आतम सनतषट हो

जाता ह वयवकत क तनाि ि परवतबल भी हलक हो जात ह वकसी पररवसरवत विशष स उतपनन तनािो

स िह मकत हो जाता ह कयोवक जब वयवकत अनतिथनि ि कणिाओ स गरवसत होता ह तो वयवकत म

वचनता उतपनन होती ह वयवकत का अह असरवकषत होकर आशरय ढढन लगता ह और तब परारमभ

होती ह मनोरचनाओ रपी सरकषातमक परिवतत जो वयवकत क अह को विघवित होन स बचा लती ह

यही मनोरचनाए वयवकत को इन वचनताओ स मवकत वदलाती ह

पज(Page)) क अनसार- ldquoMental Mechanism are good solutions to

conflicts frustration and inferiorityhelliphelliphelliphellip Mental Mechanising have some

protective alleviating or escape valuerdquo

मनोरचनाए असिलता स राहत पहचाती ह आनतररक सनतलन बनाय रखती ह यह

वयवकत क अनतिथनि वनराशाओ तरा हीनता की भािनाओ स बचन का एक अचछा समािान ह

इसम सरकषातमक पहल भी ह और पलायन भी लगभग हर सामानय कह जान िाल वयवकत क दवारा

मानवसक रप स मनोरचनाओ का परयोग वकया जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 124

कोलमन (Coleman 1976) का विचार ह वक ldquoमनोरचनाए ि परवियाए ह वजनस वयवकत

क अनदर (सिय क वलए) उपयकतता तरा योगयता की भािना बनी रहती हrdquo

84 मनोरचनाओ क महतिपणथ कायथ सामानय वयवकत क जीिन म समायोजन की दवषट स रकषायवकतयो का विशष योगदान रहता ह

इस समबनि म इसक महतिपणथ कायथ वनमनवलवखत होत हः

रकषायवकतयो स वयवकत की समायोजन समबनिी आिशयकता की सरलतापिथक सनतवषट होती ह

इनस वयवकत म कषठाजवनत तनाि वनराशा ि असिलता की परबलता म विशष रप स कमी

आती ह

इनक वयवकत क विघिन की परविया की कारगर रप स रोकराम होती ह

इनस वयवकत म दविनता परयाथपत मातरा म कम होती ह

इनस एक परकार स वयवकत क आतम-सममान की रकषा होती ह

इनस वयवकत म कषठाओ क परवत सहनशीलता की शवकत म िवि होती ह

इनस वयवकतति की एकता वयािहाररकतः अखवणडत अरिा समाकवलत रहती ह तरा इनक

कारण वयवकतति की सराई सरचना क विदयावित होन की आषका परायः नही रहती

इनस वयवकत क आतम-समपरतयय (Self Concept) पर भी परायः परवतकल परभाि नही पड़न

पाता

इनक परभाि क कारण अविकाशतः वयवकतति क समायोजन तरा विकास की परविया विशष

सीमाओ क अनतगथत सहजरप ही समपनन होती रहती ह

इनकी समायोजी परविया अपरतयकषतः तरा अचतन रप स वनिाथररत होती ह अतः वयवकत क

वलए ऐसी वियाय एक परकार स परयास रवहत रप स सितः ही समपनन होती रहती ह

यह वयवकत क अह की रकषा करती ह

वयवकत क समायोजन को तातकावलक रप स सरल बना दती ह

85 मनोरचनाओ क विसभनन रप अलग-अलग वयवकतयो को वभनन-वभनन समसयाओ का सामना करना पड़ता ह और उसी

परकार स िह अचतन अरिा अिथचतन सतर पर वभनन-वभनन सरकषातमक उपायो का परयोग करक

समायोजन का परयास करत ह इसकी विषशता यह ह वक एक ही वयवकत विवभनन मनोरचनाओ का

परयोग कर सकता ह बराउन न मानवसक रचनाओ को दो परमख भागो म बािा ह-

(अ) परमख मनोरचनाए (Major Mental Mechanism)

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उततराखड मकत विशवविदयालय 125

(ब) गौण मनोरचनाए (Minor Mental Mechanism)

(अ) परमख मनोरिनाएा - यह िह मनोरचनाए ह जो सिय ही परमख रप स एक विषश ढग स

वयवकत का अनतिथनि कम करती ह

(ख) गौण मनोरिनाएा - गौण मनोरचनाओ का परयोग परमख मनोरचनाओ क सहायक क रप

स परयकत होता ह यह सितनतर रप स वयवकत क तनािो ि अनतिथनिो को कम करन की कषमता नही

रखती ह

परमख ि गौण मनोरचनाए वनमन होती ह-

परमख मनोरचनाए गौण मनोरचनाए

दमन आतमीकरण

शमन परकषपण

अनतबाथिा अनतःकषपण

परवतगमन सरानानतरण

रपानतर विसरापन

उिवतकरण कषवतपवतथ

यवकतकरण परतयाहार

परवतविया वनमाथण कलपना तरग

उपरोकत परमख ि गौण मनोरचनाओ का विसतत िणथन वनमन परकार स ह

86 परमख मनोरचनाए 1 दमन (Repression)- जब वयवकत अनतिथनि की वसरवत म होता ह तो िह अश जो ईगो

(अह) ि सपरईगो (पराअह) को सहनीय नही होता ह उस िह अचतन म िकल दता ह यही

परविया दमन ह उदाहरण क वलय वयवकत म अनक परकार क ऐस आिग ि इचछाए होती ह

वजनह िह चतन सतर पर सामावजक रप स वयकत नही कर पाता ह कयोवक उस यह डर होता ह

वक अवभवयवकत उसकी सामावजक छवि एि परवतषठा को हावन पहचाएगी जो उस असहनीय होगा

अतः िह इनह अचतन म िकल दता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 126

पज क अनसार ldquoऐस विचारो या आिगो का जो कषटदायी ि अनवतक ह चतन स ऐवचछक

रप स बाहर कर दना ही दमन हrdquo

कोलमन क अनसार ldquoपीड़ादायक ि भयािह विचारो ि इचछाओ को अपनी चतना स

अनजान वनकाल दन िाली सरकषातमक परविया ही दमन हrdquo

इस परकार यह सपषट होता ह वक हमार वदन-परवतवदन की कोई भी घिना विशय-सामगरी का

रप लकर दवमत होकर हमार अचतन मन म जाकर वनवषिय नही होती बवलक सविय रहती ह दवमत

इचछाए बार-बार चतन म आकर इचछाओ की सनतवसि करना चाहती ह वकनत अहम तरा परमअहम

क परवतबनिन होन क कारण दवमत इचछाओ का चतन म आना बहत कविन हो जाता ह

पज न lsquoदमनrsquo ि lsquoशमनrsquo को एक उदाहरण दवारा सपषट वकया ह- जस वकसी विदयारी की

अपनी लापरिाही स कोई दघथिना हो जाती ह और िह उसक वलय उततरदायी िहराया जाता ह िह

बार-बार उस दघथिना की समवत स विचवलत हो जाता ह अतः िह जान-बझकर इस दघथिना की

कषटकारी समवत स सिय को हिान क वलय दसरी बातो पर धयान दन का परयतन करता ह तावक घिना

को िह भल जाए तो िह शमन की परविया म ह इसक विपरवत इस दघथिना की समवत सिय ही

समापत हो जाती ह वजसस यह विदयारी चतन सतर पर इस घिना को याद करन म असमरथ रहता ह

यही दमन परविया ह

2 शमन (Suppression)- शमन क अनतगथत वयवकत अपनी इचछा स जानबझकर वकसी अवपरय

घिना या विचार को चतन स हिा दता ह जबवक दमन की परविया म दःखद ि असामावजक

इचछाओ का दमन कर वदया जाता ह

शमन की परविया म वकसी दःखद घिना वििाद झगड़ या दघथिना को वयवकत जानत हए

अपनी चतना स हिाता ह शमन की कछ मखय पररभाषाए इस परकार ह-

पज क अनसार- ldquoचतन स जानबझकर कषटदायक आिगो एि समवतयो को वनषकावषत

करना शमन कहलाता हrdquo

कोलमन क अनसार- ldquoशमन ि दमन म अनतर यह ह वक वयवकत चतन सतर पर अपन

विचारो को मवसतषक स बाहर कर दता ह और दसरी बातो क बार म सोचन लगता ह यह मानवसक

सिासय क वलय हावनकारक नही होता ह कयोवक इसम वयवकत जो कछ भी करता ह उसक परवत उस

जञान होता ह

पज (Page)) न शमन को एक उदाहरण दवारा सपषट वकया ह जस वकसी विदयारी की अपनी

लापरिाही स कोई दघथिना हो जाती ह और िह उसक वलए उततरदायी िहराया जाता ह िह बार-बार

उस दघथिना की समवत स विचवलत हो जाता ह अतः िह जानबझकर इस दघथिना की कषटकारी समवत

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 127

स सिय को हिान क वलय दसरी बातो पर धयान दन का परयतन करता ह तावक घिना को िह भल

जाए तो यह शमन की परविया कहलाएगी

3 अनियबाधा (Inhibition)- अनतबाथिा या अिरोिन म अमानय सामावजक कायो को नही

वकया जाता ह वकनत यह विया चतन सतर पर होती ह अिरोिन िह सरकषातमक उपाय ह

वजसम एक भािना या इचछा दसरी भािना या इचछा क उपवसरत होन क कारण विसमत हो

जाती ह इस परकार अिरोिन क दवारा दःखद अवपरय ि अनवतक इचछाओ को भलाया जा

सकता ह इस रकषातमक उपाय दवारा अनतिथनि को कािी हद तक हिाया जा सकता ह

बराउन (Brown) का विचार ह वक ldquoअिरोिक चतन िनि क समािान की परमख रकषा

यवकत ह पराितथन परवतगमन उिातीकरण परवतविया ि यवकतकाण अचतन क अनतिथनि क

समािान की परमख रकषा यवकतया हrdquo

4 परविगमन (Regression)- परवतगमन का तातपयथ पीछ की और लौिन स ह इसक अनतगथत

परारवमभक अिसरा की (बालयािसरा) की ओर वयवकतति का परवतगमन पाया जाता ह

Brown- ldquoRegression is flight to childhoodrdquo

मागथन ि वििर- ldquoपरवतगमन सिथदा बालयािसरा की ओर लौिना ह वजसम बचचो की

कलपनाओ भािनाओ लालसाओ या वयिहार निीनीकरण का परवतवनविति पाया जाता ह यह

षषि अिसरा क अनकल होत ह

परवतगमन िह अचतन परयास माना गया ह वजसम वयवकत िासतविकता स पलायन करता ह

परायः नय बचच क आगमन पर माता-वपता का धयान उस ओर अविक लग जान पर बड़ा बचचा

अपन वयिहार म परवतगमन वदखान लगता ह जस छोि बचच की तरह मचलना रोना चलना ि वजद

करना इतयावद

परवतगमन अह दवारा वििलता तरा अनतिथनिो स बचाि का परयास ह परवतगमन सरकषा की

कमी स रकषा करन का परयास ह परवतगमन को अपनाकर वयवकत अपनी उपयकता की भािना ि

आतम-सममान को बचान म परयासरत रहता ह

5 रपानिर (Conversion)- इस मनोरचना क अनतगथत अिदवमत अनतिथनि की अवभवयवकत

विवभनन शारीररक लकषणो क रप म होती ह विवभनन शारीररक रोगो क लकषण गतयातमक

(Motor) शारीररक या जञानवनरय जनय (Sensory) आवद वकसी भी परकार क हो सकत ह

इसक अनतगथत दवमत ऊजाथ शारीररक रोगो क वियातमक लकषणो म पररिवतथत होती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 128

इस मनोरचना का मखय आिार यह ह वक इसम वयवकत क अनदर क सघषथ एि िनिो का

वयवकत क महति दवारा दमन करन का परयास वकया जाता ह वकनत यह दमन असिल होता ह यही

दवमत इचछा पररिवतथत होकर शारीररक रोगो क लकषणो क रप म सामन आ जाती ह इन शारीररक

लकषणो का आिार मातर मनोिजञावनक होता ह

मागथन एि वकग (1968) न रपानतरण का एक उदाहरण परसतत वकया ह वजसम एक सतरी क

दोनो परो म पकषाघात हो गया रा वजसम उस सतरी क दोनो पर कड़ हो गय र इसका कोई शारीररक

कारण नही पाया गया मवहला का मानवसक विशलषण करन पर जञात हआ वक उसका पवत अतयनत

कामक रा तरा समभोग की असामानय परिवत क कारण मवहला उसस शारीररक समपकथ करन स

घबरान लगी री उसक पहल स कई सनतान री परसि पीड़ा की वचनता तरा पवत स विरोि न कर

पान क साहस क कारण उसक कमर की वनचल वहसस म पकषाघात हो गया

परो0 बराउन क अनसार- ldquoरपानतर एक ऐसी सरचना ह वजसक अनतगथत दवमत मल परिवतया

पररिवतथत हो जाती हrdquo

इस परकार रपानतर मनोरचना म मानवसक सघषथ का सामािान शारीररक रोगो क लकषण क

रप म होता ह यह रपानतर अचतन म दवमत इचछाओ क वनशकासन का एक माधयम ह शारीररक

रोगो की उतपवत स वयवकत को दबािपणथ दःखद वसरवत स छिकारा वमल जाता ह तरा सामावजक ि

पाररिाररक सहानभवत भी वमल जाती ह

6 उदाततीकरण (Sublimation)- मनोविशलषणिावदयो क अनसार वयवकत की कामजवनत

वििलता परायः वियातमक कलातमक सावहवतयक ि िजञावनक कायो म पररवणत हो जाती ह

बहत-सी इचछाए ि आिशयकताए ऐसी होती ह वजनकी अवभवयवकत हम सामावजक बनिन

तरा मायाथदाओ क कारण नही कर पात ह उदाततीकरण अरिा उननयन दवारा इन अमानय इचछाओ

की पवतथ समाज स मानयता परापत रचनातमक वियाओ दवारा की जाती ह

परो0 बराउन क अनसार- ldquoउदातीकरण का तातपयथ मल परिवतयो का परवतसरापन सामावजक

रप स सिीकत लकषय क समािान क रप म हrdquo

विशर क अनसार- ldquoकाम शवकत की परिवततयो या पररको का नवतक सासकवतक तरा

समावजक विषयो की ओर पनः वनदशन की विया ही उननयन या उदाततीकरण हrdquo

उदाततीकरण की परविया को वनमन उदाहरण दवारा समझा जा सकता ह- कवि तलसीदास को

अपनी पतनी रतनािली म इतनी आसवकत री वक िह उसक पीछ-पीछ अपनी ससराल पहच गय

रतनािली की ििकार न उनम तीवर कणिा उतपनन की

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 129

ldquoअवसर चरममय दह मम ता म ऐसी परीवत जो होती रिनार मह होती न तो भि भीवतrdquo

इसी कणिा क उदाततीकरण स lsquoरामचररतमानसrsquo जस महाकावय की रचना किल ढाई िषो म समभि

हो सकी

इस आिार पर कहा जा सकता ह वक उदाततीकरण परविया म जो कवित-काम ऊजाथ ह िह

ऊजाथ आवशक रप स वकसी परवतसरावपत वियाओ म पररिवतथत होकर एक ऐसी वदशा म लग जाती

ह या परयकत हो जाती ह जो समाज दवारा मानय हो

7 िविकरण (Rationalzation)- वयवकत दवारा अपन कसमायोवजत असगत वयिहार को दोष

पणथ तको दवारा उवचत िहराना ही यवकतकरण ह पज का विचार ह वक ldquoवयवकत क कछ कायथ न तो

सामावजक रप स परशसनीय होत ह और न ही सामावजक दवषट स अचछ मान जात ह इन कायो

को यरोवचत िहरान क कारण वयवकत उनक कछ कारण परसतत करता ह वजसस उसक िह कायथ

तकथ सगत नयायसगत तरा सामावजक दवषट स परशस नीय बन सक rdquo

पज न इस परविया को lsquoWindow dressing of motives and actionrsquo भी कहा ह इस

पररभाषाओ क आिार पर कहा जा सकता ह वक-

bull वयवकत अपन दोष पणथ असगत वयिहार को उवचत िहरान क वलए अनक तकथ परसतत करता ह

bull इन तको का कोई िोस आिार नही होता ह

bull वयवकत अपन कतको दवारा अपन अनवचत कायो को भी उवचत िहराना चाहता ह

bull यवगतकरण परायः lsquoSelf decievingrsquo अराथत सिय को घोखा दन िाली परविया ह

यवकतकरण परविया को परसतत उदाहरण दवारा समझा जा सकता ह एक अभयारी को लोमड़ी

की भावत उस समय अगर खिि नजर आन लगत ह जब िह नौकरी परापत करन स असिल रह जाता

ह िह अपनी परवतषठा बचान क वलय उस नौकरी क अिगणो को दखन लगता ह जस- ितन कम

रा कायथ-समय अविक रा पदोननवत क अिसर कम र आवद

यवकतकरण मनोरचना क अनतगथत वयवकत अपन परतयक कायो को उवचत िहरान क वलय

अिासतविक तकथ तरा कारण परसतत करन लगता ह अपन हर अचछ-बर कायो क वलय उसक

समकष एक तकथ उपवसरत रहता ह िासतविकता यह होती ह वक िह अपनी अयोगयता क वलय सिय

को उततरदायी सिीकर नही करना चाहता ह जस एक विदयारी परीकषा म िल होन पर परीकषक को

दोष दता ह परशन को कविन बताता ह कोसथ स बाहर परशनो को बताता ह वकनत यह सिीकार नही

करना चाहता ह वक सिय की अयोगयता या लापरिाही ि न पढ़ना उसकी असिलता का कारण ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 130

8 परविवकरिा-वनमायण (Reaction Formation)- कछ वयवकत अपनी इचछाओ और

भािनाओ क अनरप ही वयिहार करत ह जब वक कछ वयवकतयो क मन म कछ होता ह और

वयिहार म कछ और वयवकत अपनी अनतथवनवहत इचछा क विपरीत वयिहार करता ह वजस

वयवकतयो म सिय का अपनी अपराि भािना पर वनयनतरण पाना समभि नही होता ह िह वनयम

िमथ म कछ जयादा ही किोर वदखायी पड़त ह

कोलमन क अनसार ldquoपरवतविया वनमाथण कभी-कभीवयवकत अपनी भयािह चतन

अवभिवततयो एि वयिहार परवतरपो को विकवसत करता हrdquo

बराउन क अनसार ldquoपरवतविया-वनमाथण का तातपयथ चतन इचछाओ क िीक विपरीत वयिहारो

का विकास हrdquo

परवतविया वनमाथण एक ऐसी मानवसक मनोरचना ह वजसम विरोिी गणो को विकवसत करक

वकसी ऐसी परिवतत पर विजय पायी जाती ह जो समाज दवारा सिीकत न हो

वनतय परवत क जीिन म दखन को यह वनरनतर वमलता ह वक बड़-बड़ समगलर चोर बजारी

करन िाल अपरािी कछ समाज सिा क कायथ करक अपनी िासतविक छवि पर परदा डालन का

परयतन करत ह

87 गौण मनोरचनाए 1 आतमीकरण (Identification)- आतमीकरण म वयवकत वकसी दसर वयवकत जसा बनना चाहता

ह हमार दवनक जीिन म ऐस अनक उदाहरण वमलत ह जस- एक लड़का अपन वपता की तरह तरा

एक लड़की अपनी मा की तरह बनना चाहती ह एक कालज छातरा हमामावलनी बनना चाहती ह

इतयावद आतमीकरण म वयवकत दसरो क गणो को सिय म रख लता ह

बराउन क अनसार- ldquoआतमीकरण िह मनोरचना ह वजसम वयवकत अपन अहम या वयवकतति

को दसरो क वयवकतति क अनरप बतान का परयास करता ह या दसरो क वयवकतति को अपना

वयवकतति समझन लगता हrdquo

मकडानलड क अनसार- ldquoआतमीकरण म जो तादातमय सरावपत करता ह िह एक परकार

का एक वयवकत या िसत का दसर क सार सवममलन ह वजसस बाद म िह िस सोचता और वयिहार

करता हrdquo

इवगलश एि इवगलश न आतमीकरण क तीन अरथ बताय ह जो एक-दसर क परक हः

bull सिय को वकसी दसर वयवकत अरिा समह क सार घवनषठ रप स समबनि करना

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 131

bull वकसी वयवकत क उददशयो और मलयो को अपना मान लना

bull अपन उददशयो और मलयो को वकसी दसर वयवकत क सार सविलीन कर दना

2 परकषपण (Projection)- कोलमन (Coleman) क अनसार- परकषपण ऐसा अह-परवतरकषा

वियातनतर ह वजसक दवारा हम अनजान तौर पर (क) अपनी नयनतमताओ तरवियो और ककतयो

का दोष दसरो पर रोप दत ह (ख) अपन असिीकायथ आिगो विचारो और इचछाओ को दसरो

पर आरोवपत कर दत ह

पज क शबदो म ldquoअपनी परिवतयो एि गणो को दसरो पर आपवकषत करना ि दखना परकषपण

कहलाता हrdquo

िारन क अनसार ldquoयह िह परिवतत ह वजसम वयवकत बाहय जगत म अपनी मानवसक

परवियाओ का आरोपण करता हrdquo

परकषपण को एक परकार की सरकषातमक परविया माना जाता ह वजसक अनसार अहम बाह

जगत म अपनी अचतन इचछाओ को लाता ह फरायड क अनसार परकषपण क माधयम स वयवकत

अपराि भािना स छिकारा परापत करता ह

परकषपण को एक उदाहरण दवारा समझा जा सकता ह- एक सतरी की यह वषकायत री वक िह

अमक वयवकत मझ बरी दवषट स दखता ह ि मर सार बलातकार करना चाहता ह लवकन जब उस

वयवकत स पछा गया तो िासति म िह उस सतरी को जानता भी नही रा विर जब उस मनोिजञावनक

ढग स जानकारी ली गई तो यह जञात हआ वक िह सतरी अचतन रप स उस वयवकत-विषश स पयार

करती री तरा सभोग की इचछा रखती री इस परकार परकषपण क माधयम स वयवकत अपनी

असामावजक एि आिावछत इचछाओ विचारो आिगो आवद को अनय वयवकतयो या पदारो पर

आरोवपत करता ह

3 अनिःकषपण (Introjection)- अनतःकषपण परकषपण की परवतकल मनोरचना ह इसम आरोपण

करन क सरान पर वयवकत अनय वयवकतयो क वयवकतति-गणो को अपन वयवकतति का एक

आिशयक गण समझन लगता ह परकषपण म एक वयवकत अनय वयवकत क अनरप होना चाहता ह

लवकन अनतःकषपण म दसर वयवकत को अपना ही एक अग मानता ह

वमलर क शबदो म ldquoअनतःकषपण िह परिवत ह वजसम वयवकत अपन िातािरण क गणो को

अपन वयवकतति म सवममवलत करता हrdquo इसम वयवकत अपनी अनक दःखद अनभवतयो स बचाब

करता ह अनतःकषपण क अनक उदाहरण हम दवनक जीिन म वमलत ह जस- एक छातर का यह

समझना की म राजष खनना ह इसी परकार बचचा कभी-कभी यह समझता ह वक म ही वपता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 132

4 सथानानिरण (Transference)- अपन मानवसक सघषथ स बचन क वलए परायः हम

सरानानतरण का उपयोग करत ह बराउन क अनसार ldquoसरानानतरण िह मानवसक परविया ह

वजसक दवारा परम की भािना का एक वयवकत विषश या िसत-विषश स हिकर दसर वयवकत या

िसत पर चला जाता हrdquo

एक वयवकत अपना गससा अपनी सतरी पर परकि करन क सरान पर अपन सहायक पर करता ह

तो यह एक परकार का सरानानतरण हआ कयोवक यहा एक भािना का एक वयवकत विषश स हिकर

अनय वयवकत पर चला गया फरायड न सरानानतरण को मनोविशलषण का एक महतिपणथ अग माना ह

उदाहरणसिरप एक वयवकत एक लड़की क परम म असिल हो जान क बाद कतत स ही परम करन

लगा अराथत उसका परमभाि परवमका स हिकर कतत पर चला गया

5 विसथापन (Displacement)- विसरापन म वयवकत की वकसी पररण या सिग को मौवलक रप

म हिाकर वकसी ऐस लकषय की ओर परररत कर वदया जाता ह वजसस उसका कोई समबनि नही

ह पज क शबदो म ldquoविसरापन िह मनोरचना ह वजसक दवारा एक सिग जो वक मौवलक रप स

वकसी िसत या विचार स समबवनित होता ह तरा अनय विचार या िसत पर सरानानतररत हो

जाता हrdquo

सामानयतया विसरापन सभी लोगो क जीिन म वकसी न वकसी रप म अिशयक वदखाई

पड़ता ह अचतन मन परायः विसरापन मनोरचना क परयोग क माधयम स दवमत एि कवित इचछाओ

को परकि करता ह विसरापन म हमारी मानवसकशवकतिारा एक विशय िसत स हिकर दसरी विशय

िसत पर चली जाती ह वजसक पररणाम सिरप अनािशयक विशयिसत आिशयक तरा आिशयक

विशय िसत अनािशयक परतीत होन लगती ह

उदाहरण- मा क पीि जान क बाद बालक का अपन छोि भाई या दोसत की पीिना वखलौन

तोड़ना आवद विसरापन क उदाहरण ह बाझ औरत का दसर बचचो स पयार करना वकसी कलकथ का

अपन दितर म अपमावनत होन क बाद पतनी या बचचो पर गससा वदखाना यह विया चतन

अिचतन क रप म होती ह

6 कषविपविय (Compensation)- कषवतपवतथ क माधयम स वयवकत अपनी हीनता ि अनपयकतता

की भािना स रकषा करता ह यह एक परकार की समायोजनातमक परिवतत ह वजसक माधयम स

वयवकत उन इचछाओ ि भािनाओ को वजनस वक उनम वििलता आकलता या हीनता उतपनन

होती ह उनह अनय सनतोषजनक वसरवत क सार चतन या अचतन रप स पवतथ करता ह

वकसकर (Kisker) का विचार ह वक ldquoहीनता और अपयाथपतता की भािनाओ स समबवनित

दवषचनता पर लोगो दवारा काब पान की सामानय विवियो म स एक विवि कषवतपवतथ ह कभी-कभी

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 133

वयवकत वकसी ऐसी शारीररक हीनता की कषवतपवतथ करता ह जो िासतविक होती ह वकनत बहिा यह

कषवतपवतथ ऐसी मानवसक हीनता क परवत होती ह जो किल कलपना की उपज होती हrdquo

कषवतपवतथ तीन परकार की हो सकती हः

(क) परतययन कषवतपवतथ- इसक अनतगथत वयवकत वजस कषतर म नयनतमतम अरिा वनबथलता का अनभि करता ह उसी कषतर म अपन अरक ि वनरनतर परयासो दवारा शरषठता परापत करन का परयास करता ह

यवद कोई छातर यह अनभि कर वक उसकी पढ़ाई का सतर ककषा म बहत नीचा ह तो िह वदन

परवतवदन महनत करक सतर ऊचा करन म जि जाता ह

(ख) अपरतयकष कषवतपवतथ- कछ कवमया ऐसी होती ह वजनकी परतयकष कषवतपवतथ समभि नही होती ऐसी वसरवत म वयवकत वकसी अनय कषतर म इतनी उननवत कर लता ह वक उसकी कमी दब जाती ह जो

छातर परीकषा म अचछ अक नही ला पात िह कालज की िीम का कपतान या छातर नता बन जाता

(ग) अवत कषवतपवतथः- कषवतपवतथ परतयकष हो या अपरतयकष यह वियातनतर किल एक सीमा तक ही लाभकारी वसि होता ह यवद यह सीमा स बाहर हो जाए तो इसका पररणाम अवतकषवतपवतथ होता

ह ककषा म कोई एक छातर ऐसा वमल ही जाता ह जो बात-बात पर विदशक की भावत वयिहार

करता ह तावक ककषा क अनय छातरो की आकवषथत कर सक इसका कारण उसक मन म वछपी

पररिाररक असरकषा और वतरसकार की भािना स ह वजनकी अवत कषवतपवतथ क परयास म िह

जोकर बन जाता ह

7 परतिाहार (Withdrawl)- जब वयवकत अपन पिथ-अनभि क आिार पर वकसी वसरवत स

असिलता या आलोचना का भय रहता ह तो िह इस मनोरचना का सहारा लता ह इस परिवतत

क कारण वयवकत लजजाल एकाकी ि भीर सिभाि का हो जाता ह बनथहम (Bernham) न इस

अिसरा को वमया हीनबवि कहा ह यह अिसरा मखयतः ियसको की अपकषा बालको म दखी

जाती ह इस परकार क वयवकत वकसी कायथ म रवच नही लत कयोवक इनकी बवि बहिा दबथल

होती ह ऐसा वयवकत अकसर कहता ह वक ldquoम नही जानताrdquo ldquoयह कविन कायथ हrdquo ldquoम नही कर

सकताrdquo इतयावद ऐस वयवकतयो को परोतसाहन ि परवशकषण क माधयम स िीक भी वकया जा

सकता ह

8 कलपनािारग (Fantasy)- परायः सभी वयवकत जीिन की अनक कवमयो की पवतथ कलपना क

माधयम स करत ह कलपना क माधयम स वयवकत अपन सघषो एि वििलताओ को कम करत ह

इसका उपयकत उदाहरण वदिासिपन ह मानि वकशोरािसरा म सदि वदिासिपन ही दखता रहता

ह कयोवक इस आय म िह एक अतयनत तीवर मानवसक उरल-परल स गजरता ह कलपना तरग

सामानयता िासतविक कायथ का सरानापनन बनकर किल मनोरजन आवद का रप लती ह य

अविकतर हावनपरद नही होती वयवकत कलपना-तरग क माधयम स अपनी आकाकषाओ की पवतथ

करता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 134

कोलमन क अनसार- ldquoहम परायः न किल बाहा और आनतररक दःखद िासतविकताओ स

इनकार करत ह बवलक हम सिर कलपना म मनचाह ससार का वनमाथण भी करत ह सिरकलपना

कवणित इचछाओ स उतपनन होती ह और इचछातवपत स समबवनित मानवसक परवतमाओ पर आिाररत

होती हrdquo

पज क विचार म- ldquoवदिासिपन हमारी इचछाओ और कणिाओ आशाओ और वनराशाओ

की परवतविवमित करत ह हम सरलतापिथक सपर कलपना म पहचकर िासतविक जीिन की कविनाई

यो और असःखद पहलओ स बच जात ह अपनी अपयाथपतता की कषवतपवतथ कर लत ह अरिा वकसी

कवणित या अपरापय महातिाकाकषा की अपनी कलपना म परा कर लत हrdquo

88 साराश जब वयवकत अपन जीिन म वििलताओ का सामना करता ह तो मानवसक रप स उसक

वयिहार म वचनता की अविकता उसक अनतमथन म कणिा और अनपयकतता की भािना भर दती ह

यह भी सतय ह वक वयवकत सिय को हारा हआ नही समझना चाहता ह अपनी पराजय या असिलता

को सिीकार करन म उसक अह को िस पहचती ह अतः अपन अह की रकषा क वलए िह अिथचतन

ि अचतन सतर पर परयास करता ह अपनी अह की रकषा हत जो परयास वयवकत करता ह उस

मनोरचनाए कहत ह मनोरचनाओ क समबनि म वसमणड का विचार ह ldquoयह मनोरचाए वयवकत की

अवभयोजनातमक परवतवियाओ का एक वहससा ह इनह वकसी गवतहीन सरचना क रप म सिीकार न

करक एक ऐसी शवकत सरचना क रप म सिीकार करना चावहए जो गतयातमक हो तरा पररणा शवकत

स भरपर होrdquo

अतः परतयकष रप स विवभनन मनोरचनाओ म मलतः तीन परमख विशषताए होती ह-

1 य वयवकत क अह की रकषा करती ह 2 य सरकषातमक परयास अचतन या अिथचतन सतर पर परयकत होत ह 3 जब वकसी समसया क परवत वयवकत म अतयाविक अनतिथनि उतपनन हो जाता ह और वयवकत की

परवतषठा तरा सामावजक छवि को हावन पहचन का डर उतपनन हो जाता ह तो यह सरकषातमक

परयास परयकत वकय जात ह

यह सरकषातमक परयास वयवकत दमन शमन यवकतकरण कषवतपवतथ आतमीकरण विसरापन

परवतगमन ि उदातीकरण परवतविया वनमाथण आवद क माधयम स करता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 135

89 शबदािली bull दवरिनिा वचनता मनःसनायविकवत म उन आनतररक वयवकतगत अपरिशयोगय कविनाई यो की

परविया ह वजनका जञान वयवकतयो को नही होता ह

bull मनोरिना (Mental Mechanism) मनोरचनाए ि परवियाए ह वजनस वयवकत क अनदर

(सिय क वलए) उपयकतता तरा योगयता की भािना बनी रहती ह

bull ििन चतन स तातपयथ मन क िस योग स होता ह वजसम ि सभी अनभिो एि सिदनाए होती

ह वजनका समबनि ितथमान स होता ह

bull उदाततीकरण उदाततीकरण का अरथ सामावजक रप स अनमोवदत ऐस लकषयो को सिीकार

करना ह जो उस अनतनोद का सरान ल सक वजसकी अवभवयवकत का सामानय मागथ अरिा

लकषय अिरि हो चका ह

bull अििन अचतन का शावबदक अरथ ह जो चतन या चतना स पर हो हमार कछ अनभि इस

परकार क होत ह जो न हमार चतन म होत ह और न ही अिचतन म ऐस अनभि अचतन म

होत ह

bull अिििन अिचतन मन स तातपयथ िस मन स होता ह जो सचमच म न तो पणथतः चतन होता

ह और न ही पणथतः अचतन ही होता ह

bull इदम (ID) इदम वयवकतति का जविक तति या पकष ह वजनम उन परिवततयो का भरमार होता ह

जो जनमजात होती ह तरा जो असगवित कामक आिमकतापणथ तरा वकसी वनयम आवद को

मानन िाली नही हाती ह

bull अहम (Ego) अह मन का िह भाग ह वजसका समबनि िासतविकता स होता ह तरा वजसका

बचपन म इदम की परिवतयो स ही जनम होता ह अह को वयवकतति का वनणथय लन िाला पकष

माना गया ह

bull पराअहम (Superego) पराअहम को वयवकतति का नवतक पकष माना गया ह जो वयवकत को

यह बतलाता ह वक कौन सा कायथ नवतक ह तरा कौन सा कायथ अनवतक ह यह आदषथिादी

वसिानत दवारा वनदवशत एि वनयवनतरत होता ह

bull दमन (Repression) दमन एक ऐसी मनोरचना ह वजसक दवारा वचनता तनाि ि सघषथ

उतपनन करन िाली असामावजक एि अनवतक इचछाओ को चतना स हिाकर वयवकत अचतन

म कर दता ह

bull कषविपविय (Compensation) कषवतपवतथ- परवतवियाऐ हीनता और अपयाथपतता की ऐसी

भािनाओ क परवत सरकषातमक उपाय ह जो िासतविक अरिा कालपवनक वयवकतगत दोशो

अरिा दबथलताओ क अलािा असमभािी वििलताओ और परवतरोिो क कारण उतपनन होती

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 136

810 सिमलयाकन हि परशन 1) बराउन न मनोरचना की कौन सी पररभाषा दी ह 2) मनोरचनाओ क महतिपणथ कायथ कौन स ह

उततर 1) बराउन क अनसार- ldquoमानवसक मनोरचनाए चतन तरा अचतन की परवतविया ह जो वयवकत

क अनतिथनि को या तो कम कर दती ह अरिा समापत कर दती हrdquo

2) मनोरचनाओ क महतिपणथ कायथ-

bull रकषायवकतयो स वयवकत की समायोजन समबनिी आिशयकता की सरलतापिथक सनतवषट होती

bull इनस वयवकत म कषठाजवनत तनाि वनराशा ि असिलता की परबलता म विशष रप स कमी

आती ह

bull इनक वयवकत क विघिन की परविया की कारगर रप स रोकराम होती ह

bull इनस वयवकत म दविनता परयाथपत मातरा म कम होती ह

bull इनस एक परकार स वयवकत क आतम-सममान की रकषा होती ह

bull इनस वयवकत म कषठाओ क परवत सहनशीलता की शवकत म िवि होती ह

811 सनदभथ गरनर सची bull अरण कमार वसह (2001 2009) आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल

बनारसीदास नई वदलली

bull एच0क0 कवपल (2001) अपसामानय मनोविजञान आगराः भागथि बक हाउस कचहरी घाि

आगरा

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ0 गोविनद वतिारी- असामानय मनोविजञान (2001) असामानय मनोविजञान

आगरा विनोद पसतक मवनदर आगरा

bull मखीजा एि मखीजा (1980 2009) अपसामानय मनोविजञान आगराः लकषमी नारायण

अगरिाल हासपीिल रोड आगरा

bull Coleman JC (1976) Abnormal Psychology and Modern life

(Taraporevala)

bull Davison GC amp Neal JM (1986) Abnormal Psychology An experimental

clinical Approach John Wiley amp Sons Newyork

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 137

bull Miller MC Psychoanalysis and Its Derivatives

bull Mac Donal Ladell Tessus P20

bull Page- Abnormal Psychology P46

bull Symonds- The dynamics of Human Adjustment

812 तनबनिातमक परशन 1 मनोरचनाओ स आप कया समझत ह मनोरचनाओ क महतिपणथ कायथ को सपषट वकवजए

2 मनोरचनायो क विवभनन रपो का िणथन वकवजए

3 यवकतकरण मनोरचना कया ह 4 दमन अनतबाि परवतगमन रपानतरण मनोरचनाओ का उदाहरण सवहत सपषट वकवजए

5 परकषपण विसरापन परतयाहार कलपना तरग मनोरचनाओ का विसतत िणथन परसतत वकवजए

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 138

ईकाई-9 मनोरचनाओ की विशषिाए अनिदथिनदि क परकार ि तनदान

91 परसतािना

92 उददशय

93 मनोरचनाओ की विशषताए

94 अनतिथनि

95 अनतिथनि क परकार

951 सतरोतो क आिार पर िगीकरण

952 मखय रप स चतन सतरीय

953 मखय रप स अचतन सतरीय

96 अनतिथनि क वनदान

97 साराश

98 शबदािली

99 सिमलयाकन हत परशन

910 सनदभथ गरनर सची

911 वनबनिातमक परशन

91 परसिािना यह मनोवयावि विजञान एि मनोरचनाओ स सबवनित दसरी इकाई ह इसस पिथ आप वदवतीय

इकाई क अधययन क उपरानत जान गय होग की मनोरचनाए कया ह और वयवकत कौन सी मनोरचना

का परयोग कब और वकन वसरवतयो म करता ह जीिन अनतिथनिो की शरखला स वमलकर बना ह

सघषथ क कारण ही वयवकतति का विकास होता ह उसम गवतशीलता आती ह यही कारण ह वक

आज परतयक वयवकत वकसी न वकसी रप म अनतिथनि का वशकार ह

जब दो या दो स अविक (परसपर विरोिी परकवत की) इचछाए या आिशयकताए वयवकत म

उतपनन हो तरा एक की पवतथ दसरी की पवतथ म बािा डाल तो ऐसी अिसरा को अनतिथनि कहत ह

इस इकाई क अधययन क उपरानत आप मानवसक अनतिथनि स समबवनित सभी पकषो को

जान पायग वक इसकी उतपवतत कब और कसी होती ह तरा इस अनतिथनि का वनदान कस वकया जा

सकता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 139

92 उददशय परसतत इकाई को पड़न क उपरानत आप जान सकग-

bull मनोरचनाओ की विशषताए कया होती ह

bull अनतिथनि का कया अरथ होता ह

bull अनतिथनि क विवभनन परकार कया ह

bull अनतिथनि का वनदान वकस परकार वकया जाता ह

93 मनोरचनाओ की विशषिाए ldquoमनोरचनाए ि बािाए ह जो अचतन समाज विरोिी परिवततयो को चतना म जान स रोकती हrdquo

पज न सरकषातमक उपायो को ldquoMental Mechnism are good solutions to

conflicts frustration and inferiority Mental Mechanism have some

protective alleviating or escape valuerdquo

मनोरचनाय वयवकत क अनतिथनि वनराशाओ तरा हीनता की भािनाओ स बचन का एक

अचछा समािान ह इसम सरकषातमक पहल भी ह और पलायन भी लगभग हर सामानय कह जान

िाल वयवकत क दवारा मानवसक रप स मनोरचनाओ का परयोग वकया जाता ह

ldquoThese balancing devices are desirable in Moderation and are frequently

utilized by normal individualsrdquo Page

उदाहरण क वलय कोई वयवकत यह मानन को तयार नही होना चाहता वक उसकी असिलता

का कारण उसकी सिय की अयोगयता ह बवलक िह अपनी कवरत असिलताओ का कारण वकसी

वयवकत पररवसरवत या घिना को मानकर सिय को अपराि भाि स मकत कर लता ह लवकन

िासतविकता यह नही होती ह अगर खिि ह (Grapes are sour) करानक इसी पर आिाररत ह

विशषिाए

वििचनाओ क आिार पर मनोरचनाओ म वनमन विशषताए वनवहत रहती ह-

मनोरचनाए वयवकत को वचनता स मकत करती ह

यह वयवकत क अह की रकषा करती ह

यह वयवकत की उपयकता तरा योगयता की भािना को उसक अनदर बनाय रखती ह

यह वयवकत की समगरता (Intigrity) की रकषा करन म सहायक होती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 140

मनोरचनाय एक परकार की मानवसक वियाविवि ह इसका उपयोग अचतन अरिा अिथचतन

सतर पर होता ह

सरकषातमक उपायो दवारा वयवकत को अपन अनतवनवहथत तनािो अनतिथनिो तरा सघषो को कम

करन म सहायता वमलती ह

वयवकत क समायोजन को तातकावलक रप स सरल बना दती ह

मनोरचनाए बचतपणथ होती ह इसस अनतिथनि पर वयय होन िाली शवकत म बचत होती ह

वयवकत मनोरचनाओ क परयोग क परवत जागरक नही होता ह

मनोरचनाओ क अतयविक परयोग स वयवकत का िासताविकता स समपकथ िि सा जाता ह तरा

वयवकत कसमायोवजत भी हो जाता ह

94 अनिदथिनदि

जब दो या दो स अविक इचछाए या आिशयकता य वयवकत म उतपनन हो तरा एक की पवतथ

दसर की पवतथ म बािा डाल तो ऐसी अिसरा को अनतिथनि कहत ह अनतिथनि का इवगलश

अनिाद conflict ह तरा conflict शबद की उतपवत लविन भाषा क conflictus शबद स हई ह

वजसका अरथ ह एक सार िकराना इस परकार विसतत रप स अनतिथनि का अरथ ऐसी वसरवत स ह

वजसम दो आिगो अरिा अवभपररको का एक समय पर ही पारसपररक रप स िकराि ि सघषथ होता

ह लजारस क शबदो म ldquo अनतिथनि उस समय उतपनन होता ह जबवक एक वयवकत को दो असगत

अरिा पारसपाररक रप स विरोिी आिशयकताओ की पवतथ को परायः एक ही समय पर परा करना

होता ह अरिा जब वििष होकर एक आिशयकता की पवतथ करन पर दसरी आिशयकता की पवतथ

कर पाना असमभि हो जाता हrdquo

Brown-rdquoConflict is a situation in which two wishes are so incompatible that the

fulfilment of one would preclude the fulfilment of the otherrdquo

बोररग लगिीलड एि िलड क अनसार ldquoअनतिथनि एक ऐसी अिसरा ह वजसम दो या दो

स अविक विरोिी पररणाए उतपनन हो जाती ह वजनकी एक सार तवपत करना समभि नही हrdquo

उपरोकत वििरण स मखयतः अनतिथनि क समबनि म वनमन बात सपषट होती ह-

bull अनतिथनि एक तनािपणथ वसरवत ह

bull अनतिथनि का जनम तब होता ह जबवक दो या दो स अविक इचछाए एक सार ही उतपनन हो

bull य इचछाए परसपर एक-दसर की विरोिी होती ह विरोिातमक परिवत होन क कारण दोनो

इचछाओ की तवपत एक सार समभि नही ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 141

95 अनिदथिनदि क परकार अनतिथनिो को उनक सरातो ि चतन तरा अचतन रपो क आिार पर अगरवलवखत रप स

िगीकत वकया जा सकता ह

सतरोतो क आिार पर िगीकरण

bull आनतररक आिशयकताओ तरा बाहा परवतरोिो म अनतिथनि

bull दो बाहम आगरहो क परसपर विरोि म अनतिथनि

bull दो अनतररक आिशयकताओ क परसपर विरोि स अनतिथनि

मखय रप स चतन सतरीय (Conscious) अनतिथनि

bull उपागम-उपागम अनतिथनि

bull पररहार-पररहार अनतिथनि

bull उपागम-पररहार अनतिथनि

bull दोहरा उपागम-पररहार अनतिथनि

मखय रप स अचतन सतरीय (Unconscious) अनतिथनि

bull इदम तरा अहम क अनतिथनि

bull अहम तरा पराहम क अनतिथनि

bull इदम तरा पराहम क अनतिथनि

bull अनतिथनि क विवभनन रपो का विसतत िणथन वनमनित ह

951 सतरोिो क आधार पर िगीकरण-

आनतररक आिशयकताओ तरा िाहय िकराि स उतपनन अनतहथनर (Conflicts between

Internal Needs and External Presses)-

वयवकत अपनी विवभनन जविक आिशयकताओ ि आिगो की पवतथ अपन बाहा पयाथिरण क

अनतगथत ही करता ह परनत िाहा पयाथिरण क इस समबनि म अनक परवतरोि अविकाशतः भौवतक

अिरोिो सामावजक परमपराओ तरा सासकवतक मलयो क रप म होत ह और ि वयवकत क आिगो

की पवत तरा सनतवषट नगन रप म वयकत करन की अनमवत नही दत उदाहरणायारथ पररिार म जब

बड़ा बालक वकसी दसर बालक स वखलौना छीन लता ह तब छोि बालक को कभी-कभी एकदम

िोि आ जाता ह और िह बालक स अपना वखलौना न वमलन पर उसको मारन ि गाली दन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 142

लगता ह परनत तरनत ही माता-वपता ि पररिार क अनय वयवकत उसक ऐस असभय वयिहार अरिा

िोि क आिगो को नगनरप म वयकत करन स मना करत ह इस परकार यहा बालक क वलय बाहा

परवतरािो क कारण आनतररक आिगो की पवतथ न होन पर अनतिथनि उतपनन होता ह

i) दो बाहय आगरहो क परसपर विरोध स अनिदधयनदधः-

समाज कभी-कभी वयवकत क सममख परसपर रप स विरोिी भवमकाए परसतत करता ह तरा

उनक पररपालन करन क वलए भारी आगरह करता ह उदाहरणारथ समाज क नवतक ि िावमथक

उपदश वयवकत क ससार क अनय समसत वयवकतयो को एक ही ईशवर की सनतान होन क नात उनक

परवत एक ओर समानता का वयिहार करन की अपकषा रखत ह तरा दसरी ओर िीक इसक विपरीत

उस अपन राषटर अपन िमथ समाज ि समह को ही सिथशरषठ मानन का भी आगरह करता ह परसपर

रप स ऐसी समावजक भवमकाओ स वयवकत म अनतिथनि उतपनन होना सिाभाविक ही ह

ii) दो आनिररक आिशिकिाओा क परसपर विरोध स अनिदधयनदधः-

एक वयवकत कभी-कभी परसपर रप स विरोिी अपनी ही आनतररक आिषकताओ क

अनतिथनि क जाल म िस जाता ह उदाहरणारथ जब एक विदयारी परीकषा म भी उचच शरणी क अक

परापत करना चाहता ह ि सार ही सार खलकद म भी अपनी परबल रवच रखना चाहता ह ऐसी

वसरवत म एक सामानय विदयारी क वलय ऐसी दो परसपर रप स विरोिी आिशयकताओ स तीवर

अनतिथनि उतपनन होता ह

952 मयि रप स ििन सिरीि-

i) उपागम-उपागम अनिदधयनदध (Approach-Approach conflict)

ऐस अनतिथनिो को आकषथण-आकषथण अनतिथनि भी कह सकत ह कयोवक इसक अनतगथत

वयवकत की दवििा यह रहती ह वक िह दो समान लकषयो म स वकस एक को सिीकार कर और

वकसको असिीकार कर कयोवक वसरवत ऐसी ह वक िह उन दोनो म स एक को ही सिीकार कर

सकता ह तरा एक क सिीकार करन पर यहा दसर लकषय की परावपत सिय ही समापत हो जाती ह जस

जब एक नियिती क सममख वििाह क वलय दो ऐस उततम परसताि विचारािीन होत ह जो वक सब

दवषटयो स एकदम आकषथक होत ह तब उसकी मानवसक उलझन यह होती ह वक िह वकस सिीकार

कर तरा वकस असिीकार कर उसकी िासतविक मानवसक अनतिथनि की ऐसी वसरवत को वनमन

आरख दवारा सपषट वकया जा सकता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 143

ii) पररहार-पररहार अनिदधयनदध (AvoidancendashAvoidance conflict)

कभी-कभी वयवकत ऐसी भयािह उलझन अरिा अनतिथनि की वसरवत म िस जाता ह

जबवक िह दो समान रप सकिो म एक सार ही वघर जाता ह उदाहरणारथ जब एक बीमार बालक

स उसकी मा कड़िी गोली लन या विर उसक सरान पर इनजकषन लन क वलय पछती ह तब बालक

सिभाविकतः इन दोनो कषटकारक वसरवतयो म स वकसी एक को भी सिीकार नही करना चाहता

परनत सार ही सार उसका सकि यह भी ह वक िह इस वसरवत स बच भी नही सकता

iii) उपागम-पररहार अनिदधयनदध (Approach-Avoidance Conflict)

य वयवकत क सममख ऐसी वसरवत होती ह वजसम दो विरोिी तति एक सार सवममवलत

होकर उसक वयिहार म दवनि उतपनन कर दत ह जस परम की आरवमभक वसरवत म परमी अविक

खलकर परवमका स बात करन म दवििा म पड़ जाता ह उसस िवनषठ बात करन को उसका मन खब

करता ह परनत एक सीमा स अविक बढ़ जान क भय स िह तरनत अपन आपको सयवमत कर लता

ह यहा परवमका स वमलना भी (उपागम )चाहता ह परनत कही अविक बढ़न पर िह डाि न लगा द

इस डर स िह उसस वमलन स डरता भी ह (पररहार)|

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उततराखड मकत विशवविदयालय 144

iv) वरद-सिरीि उपागम- पररहार अनिदधयनदध (Double Approach-Avoidance

Conflict)

ऐस अनतिथनि की वसरवत म वयवकत ऐसी दो दवििाओ म एक सार पड़ जाता ह वक उस

कछ भी वनवित रप स करन म सनतवषट क सार-सार असनतवषट भी अपररहायथ रप स वमलती ह जब

एक नि यिती क पास दो ऐस यिको क समबनि म परसताि आत ह वजनम एक यिक मनपसनद

परनत वनिथन होता ह तरा दसरा यिक करोड़पवत परनत करप होता ह नियिती क ऐस अनतिथनि

को वनमनवलवखत आरख क माधयम स परसतत वकया जा सकता ह

953 मयि रप स अििन सिरीि-

i) इदम तरा अहम क अनतिथनि (Conflict Between ID and Ego)- इदम क आिग

अवभनन रप स सःख वसिानत दवारा सचावलत होत रहत ह जबवक अहम का समबनि

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उततराखड मकत विशवविदयालय 145

जीिन की किोर िासतविकताओ स रहता ह अतः इदम क आिगो तरा अहम क

परवतरोिो म िकराि स अनतिथनि उतपनन होना सहज रप ही समझा जा सकता ह

ii) अहम तरा पराहम क अनतिथनि- अहम का समबनि एक ओर इदम की आननद भोगी

इचछाओ तरा दसरी ओर पराहम क िावमथक ि नवतक मानदणडो स जड़ा रहता ह अहम

इन दोनो विपरीत ि विरोिी वयिहारो क समनिय तरा तालमल कभी कभी इदम की

िासनापणथ इचछाओ को भी दससावहत कर जाता ह इसस पराहम वयवकत क अहम को

कचोिन लगता ह इसस ही वयवकत म अपराि-भािना पाप-िारणा ि परायवित की कि

िदना होन लगती ह

iii) इदम तरा पराहम क अनतिथनि- इदम क िासनापणथ कषवणक आिगो तरा पराहम क किोर

नवतक आदशो म सघषथ सहज रप ही बोिगमय ह सामानयतः वयवकत का ससगवित अहम

इन दोनो परसपर विरोिी आगरहो क समनिय ि तालमल वबिान म सिल रहता ह परनत

विर भी वयवकत क वयािहाररक ि मानवसक जीिन क ऐस अनतिथनि का परिम वनतय

चलता ही रहता ह

96 अनिदथिनदि क तनदान िह वयवकत जो अनतिथनि पररवसरवतयो क मधय होता ह सदि यह अनभि करता ह वक

उसक सममख एक असमान पररवसरवत उतपन हो गई ह समवसरवत क सामानय वसिानत क आिार

पर िह या तो इस पररवसरवत स पिथ वसरत अिसरा म पहचना चाहता ह या निीन परकार क

समायोजन करना चाहता ह इस वसरवत पर पहचन क वलय पराणी अपन समसत सरोतो को इस कायथ

क वलय उपयोग करता ह

अनतिथनि समायोजन को विसतत रप स दो िगो क िगीकत करना समभि ह पररम िगथ म

ि परविविया आ जाती ह वजनका विकास पराणी मखयतः उददीपक को सशोवित करन क आिार पर

करता ह अगर कम वकसी िसत को अनय दवषटकोणो स दख तो शायद अनतिथनि समापत हो जाय

अनय शबदो म पररम परकार क अनतिथनि समायोजन म वयवकत मौवलक अनतिथनि पररवसरवत को पनः

वनियातमक दवषटकोण स वयाखया करक उददीपक म सशोवित करता ह-

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उततराखड मकत विशवविदयालय 146

दसर परकार क अनतिथनि समायोजन की परवतविया म सशोिन वकया जाता ह वनमन वचतर

को दखन स यह बात पणथ रप स सपषट हो जाती ह वक अगर एक परकार की विया (ए) वजस सरलता

क सार शर वकया जा सकता ह परनत उस पीड़ा या दणड का अनभि वयवकत को परापत होता ह तो

वयवकत अनय परकार की विया (बी) क माधयम स इस अनतिथनि की तीवरता को कम या दर कर

सकता ह

97 साराश मनोरचनाओ दवारा वयवकत अपन अनतवनथवहथत तनािो अनतिथनिो तरा सघषो को कम करता

ह मनोरचनाय वयवकत क अह की रकषा करती ह ि वचनता स मकत कराती ह मनोरचनाओ दवारा वयवकत

क समायोजन को तातकावलक रप स सहज बनाया जा सकता ह

सकषप म अनतिथनि की वसरवत वयवकत क वलय एक अवत गमभीर दवििा की वसरवत होती ह

इसम उसक वलए परायः कोई एक वनणथय लना अवत किोर ि कषटकारक होता ह वयवकत की उलझन

यहा यह होती ह वक उसक वलए वकसी भी एक सपषट वदशा म जाना समभि नही लगता कयोवक इसस

या तो उसक एक अभीषट की पवतथ नही होन पाती या विर इसस उसका एक अनय गनतवय (लकषय)

असनतषट ही रह जाता ह अनतिथनि का सिरप कभी-कभी इसस भी अविक गमभीर ि विशम हो

जाता ह ऐसी वसरवत उस समय दखन म आती ह जब वयवकत क विरोिी अवभपररको म अचतन सतर

पर िकराि होता ह िसततः एक वयवकत क विवभनन अनतिथनिो का सिरप कभी-कभी जविल होता

ह अनतिथनिो क विवभनन रप होत ह वजनका वनदान समायोजन परवियाओ दवारा वकया जा सकता

98 शबदािली bull वरदसिरीि उपागम-पररहार अनिदधयनदध (Double Approach-Avoidance conflict)

इस अनतिथनि की वसरवत म वयवकत क सामन दो लकषय होत ह और परतयक लकषय म घनातमक

और ऋणातमक दोनो शवकतया होती ह

bull मल परिवतत (Basic Instinct) मल परिवतत एक परकार की जनमजात मनोशवकत ह फरायड न

दो मल परिवततया बताई (1) जीिन मल परिवतत(Life Instinct) और (2) Death Instinct

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उततराखड मकत विशवविदयालय 147

वयवकत की रचनातमक वियाओ क मल म जीिन मल परिवतत ह तरा विधिसातमक वियाओ म

मतय मल परिवतत ह

bull अनिदधयनदध (Conflict) अनतिथनि िह अिसरा ह जो दो इचछाए इतनी विरोिी होती ह वक

एक दसर की तवपत म बािा उतपनन करती ह

bull उपागम-उपागम अनिदधयनदध (Approach-Approach conflict) वयवकत दो ऐस विकलपो

क बीच पहच जाता ह वजनम एक सी िनातमक शवकत होती ह वयवकत को दोनो ही अपनी ओर

आकवषथत करती ह वजसक कारण स अनतिथनि उतपनन हो जाता ह

bull पररहार-पररहार अनिदधयनदध (Avoidance-Avoidance Conflict) इस तरह की

अनतिथनि की वसरवत म दोनो विकलपो म ऋणातमक कषथण शवकत होती ह वजसम वयवकत को एक

विकलप को अिशय चनना पड़ता ह वजसक कारण स अनतिथनि उतपनन हो जाता ह

bull उपागम-पररहार अनिदधयनदध (Approach-Avoidance Conflict) इस परकार क

अनतिथनि की वसरवत म वयवकत क समकष एक ही लकषय होता ह वजसम िनातमक और ऋणातमक

दोनो ही कषथण शवकतया वििमान होती ह

99 सिमलयाकन हि परशन 1) मनोरचनाओ की मखय विशषताए कया ह

2) अनतिथनि की पररभाषा वलवखय 3) अनतिथनि क विवभनन रपो का िगीकरण वकतन चरणो म वकया जा सकता ह

उततर 1) विशषताए वििचनाओ क आिार पर मनोरचनाओ म वनमन विशषताए वनवहत रहती ह-

bull मनोरचनाए वयवकत को वचनता स मकत करती ह

bull यह वयवकत क अह की रकषा करती ह

bull यह वयवकत की उपयकता तरा योगयता की भािना को उसक अनदर बनाय रखती ह

bull यह वयवकत की समगरता (Intigrity) की रकषा करन म सहायक होती ह

bull मनोरचनाय एक परकार की मानवसक वियाविवि ह इसका उपयोग अचतन अरिा

अिथचतन सतर पर होता ह

bull सरकषातमक उपायो दवारा वयवकत को अपन अनतवनवहथत तनािो अनतिथनिो तरा सघषो को

कम करन म सहायता वमलती ह

bull वयवकत क समायोजन को तातकावलक रप स सरल बना दती ह

bull मनोरचनाए बचतपणथ होती ह इसस अनतिथनि पर वयय होन िाली शवकत म बचत होती ह

bull वयवकत मनोरचनाओ क परयोग क परवत जागरक नही होता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 148

bull मनोरचनाओ क अतयविक परयोग स वयवकत का िासताविकता स समपकथ िि सा जाता ह

तरा वयवकत कसमायोवजत भी हो जाता ह

2) पररभाषा- बोररग लगिीलड एि िलड क अनसार ldquoअनतिथनि एक अिसरा ह वजसम दो या

दो स अविक विरोिी पररणाए उतपनन हो जाती ह वजनकी एक सार तवपत करना समभि नही हrdquo

3) तीन चरणो म-

i सरोतो क आिार पर

ii चतन सतरीय आिार पर

iii अचतन सतरीय आिर पर

910 सनदभथ गरनर सची bull अरण कमार वसह (2001 2009) आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल

बनारसीदास नई वदलली

bull एच0क0 कवपल (2001) अपसामानय मनोविजञान आगराः भागथि बक हाउस कचहरी

घाि आगरा

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ0 गोविनद वतिारी- असामानय मनोविजञान (2001) असामानय

मनोविजञान आगरा विनोद पसतक मवनदर आगरा

bull मखीजा एि मखीजा (1980 2009) अपसामानय मनोविजञान आगराः लकषमी नारायण

अगरिाल हासपीिल रोड आगरा

bull Coleman JC (1976) Abnormal Psychology and Modern life

(Taraporevala)

bull Davison GC amp Neal JM (1986) Abnormal Psychology An

experimental clinical Approach John Wiley amp Sons Newyork

bull Miller MC Psychoanalysis and Its Derivatives

bull Mac Donal Ladell Tessus P20

bull Page- Abnormal Psychology P46

bull Symonds- The dynamics of Human Adjustment

911 तनबनिातमक परशन 1 मनोरचनाओ की मखय विषशताओ का विसतत िणथन वकवजए

2 अनतिथनि क सपरप को सपषट करत हए िगीकत वकवजए 3 चतन सतरीय अनतिथनि क परकारो का िणथन वकवजए 4 अनतिथनि का वनदान वकस परकार वकया जा सकता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 149

इकाई-10 मानससक बीमारी का सिरप मनोसनाय विकति एि सनाय विकति म अिर

101 परसतािना

102 उददशय

103 मानवसक बीमारी का सिरप

104 मनोसनाय विकवत एि सनाय विकवत म अतर

105 साराश

106 शबदािली

107 सिमलयाकन हत परशन

108 सनदभथ गरनर सची

109 वनबनिातमक परशन

101 परसिािना यवद मानवसक सिासय एि मानवसक बीमारी क कषतर म वकय गए शोिो पर धयान द तो यह

सपषट होगा वक इस कषतर म 1970 क दशक तक मानवसक सिासय तरा मानवसक बीमारी का एक

विशष मॉडल वजस सतत मॉडल कहा गया का परभाि कािी बना रहा इस मॉडल म मानवसक

सिासय तरा मानवसक बीमारी को एक ही सातवय क दो विपरीत िन माना गया और अविकतर

लोग इन दोनो छोरो क बीच म होत समझ गय मानवसक बीमारी स सपषटतः एक वभनन शरणी नही

समझा जाता रा बवलक सिासय तरा बीमारी सामानय असामानय वयिहारो क विवभनन मातराए होती

ह सिासय तरा बीमारी क बीच की सीमा रखा सखत न होकर तरल ह और सामावजक एि

पयाथिरणी परभािो स परभावित होत रहता ह यही कारण ह वक मानवसक सिासय तरा मानवसक

बीमारी क बीच यह सपषट सीमा-रखा खीचना कविन ह और दखा गया ह वक ऐस वयवकत वजसम कोई

मानवसक बीमारी नही होती ह कभी-कभी उसम मानवसक विषाद कालपवनक बीमाररयो म वचवतत

रहना आिगशील वबना बात क ही िोवित हो जाना आवद लकषण पाय जात ह उसी तरह स ऐस

लोग जो वनवित रप स मानवसक रप स रोगगरसत ह उनम कभी-कभी ऐसी मानवसक दशा उतपनन

हो जाती ह जो मानवसक रप स सिसर वयवकतयो की मनोदशा होती ह और उसम वकसी परकार की

कोई असमानयता का लकषण नही वदखलाई पड़ती ह

मनोविकवत एक सगीन असामानयता ह इस रोग स पीवड़त वयवकत का वयवकतति अतयाविक

विघवित हो जाता ह रोगी को िासतविकता का जञान नही होता| आतमसयम ि सामावजक सनतलन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 150

का पणथतः अभाि रहता ह तरा अकसर कलपनालोक म विचरण करता ह उस अपन कायो की

अचछाई ि बराई क बार म जञान नही होता ह कानन क दवषटकोण स इनह पागल की सजञा दी जाती

ह अनय वयवकतयो को इन रोवगयो का वयिहार दखन म विवचतर ि बरा लगता ह इनम विपयथय ि

विभरम का बाहलय रहता ह तरा इनह अपन सिार या िीक होन की कोई वचनता नही रहती ह

वचवकतसक की सलाह को सिीकार नही करत तरा आतमहतया करन पर उतार रहत ह सामानयतः

मनःसनायकवत जीिनशली का गलत अनकलन ह वजसक वचनता ि छिकारा दो परमख लकषण होत

ह इस परकार क रोवगयो की जीिनशली म दो परमख परकवतया पायी जाती ह- 1) िासतविकता का

गलत मलयाकन तरा समसयाओ क समािान क सरान पर उसस बचन की पिवत 2) अपन आप स

हार जान की परकवत स पीवड़त रहना

इस इकाई क अनतगथत हम मानवसक बीमारी क सिरप तरा मनोसनाय और मनोविकवत म

अनतर का अधययन करग

102 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद हम वनमनवलवखत वबदओ पर चचाथ करन योगय हो सक ग

bull मानवसक बीमारी क सिरप की वयाखया कर सक ग

bull मानवसक बीमारी तरा मानवसक सिासय म अनतर कर सक ग

bull मनोसनायविकवत तरा मनोविकवत म विवभनन दवषटकोण क आिार पर अनतर सपषट कर सकत ह

103 मानससक बीमारी का सिरप यवद नदावनक मनोविजञान तरा असामानय मनोविजञान क इवतहास पर धयान द तो यह सपषट

होगा वक मनौिजञावनक की अवभरवच मानवसक सिासय क अधययन म एक विशष आनदोलन क

िलसिरप हई वजसक शीषथ नता डीएल वडकस जो माशसि म सकल वशवकषका री एि वकलिोडथ

डबल वबसथ र इन लोगो क परयास स मानवसक असपतालो म रख गए रोवगयो क सार वकए जान

िाल अमानिीय वयिहार म कमी आयी और मानिीय वयिहारो म िवि हई एि मानवसक सिासय

को उननत बनान की ओर लोगो का धयान गया

अब यह परशन उिता ह वक मानवसक सिासय स कया तातपयथ होता ह सामानयतः यह

समझा जाता ह वक जब वयवकत वकसी भी तरह की मानवसक बीमारी स मकत होता ह तो उस

मानवसक रप स सिसर समझा जाता ह और उसकी इस अिसरा को मानवसक सिासय की सजञा दी

जाती ह लवकन कछ वचवकतसको का मत ह वक मानवसक सिासय को मानवसक बीमारी की

अनपवसरवत कहना बहत ही उपयकत नही वदख पड़ता ह कयोवक मानवसक रप स सिसर वयवकत म भी

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उततराखड मकत विशवविदयालय 151

कभी-कभी मानवसक बीमारी क लकषण जस आिगशीलता सािवगक अवसररता अवनरा आवद क

लकषण वदखाई पड़त ह इसवलए आिवनक नदावनक मनोिजञावनको न मानवसक सिासय को

समायोजनशीलता की कषमता को मखय कसौिी मानकर इस पररभावषत वकया ह

कालथ मवनगर 1945 क अनसारldquoमानवसक सिासय अविकतम खशी तरा परभािशीलता

क सार िातािरण एि उसक परतयक दसर वयवकत क सार मानि समायोजन ह-िह एक सतवलत

मनोदशा सतथक बवि सामावजक रप स मानय वयिहार तरा एक खश वमजाज बनाए रखन की

कषमता हrsquorsquo

इन भाषाओ का विशलषण करन पर हम मानवसक सिासय क बार म वनमनावकत तय परापत

होत ह

मानवसक सिासय की मल कसौिी अवजथत वयिहार ह इस तरह का वयिहार का सिरप

कछ ऐसा होता ह वजसस वयवकत को सभी तरह क समायोजन करन म मदद वमलती ह

मानवसक सिासय एक सतवलत मनोदशा की अिसरा होती ह वजसम वयवकत अपन

वजनदगी क विवभनन हालातो म सामावजक रप स सािवगक रप स एक मानय वयिहार बनाए रखता

मानवसक रोग या बीमारी िातािरण क सार वकए गए कसमायोजी वयिहार को कहा जाता

ह डविड मकवनि 1999 क अनसार मानवसक बीमारी एक तरह का विचवलत वयिहार होता ह

वजसम वयवकत की वचनतन परवतवियाय भाि एि वयिहार सामानय परतयाशाओ एि अनभवतयो स

वभनन या अलग होता ह और परभावित वयवकत या समाज इस एक ऐसी समसया क रप म पहचान

करता ह वजसम नदावनक हसतकषप आिशयक हो जाता ह डीएसएम 1994 म मानवसक बीमारी

को बहत ही सपषट एि िजञावनक ढग स पररभावषत करन की कोवशश की गई ह

डीएसएम 1994 क अनसार मानवसक बीमारी को इस परकार पररभावषत वकया गया ह

डीएसएम म परतयक विकवत को एक नदावनक रप स सारथक वयिहारपरक या

मनोिजञवनक सलकषण या पिनथ जो वयवकत म उतपनन होता ह क रप म समझा गया ह और यह

ितथमान तकलीि या वनयोगता स सबवित होता ह चाह उसका मौवलक कारण जो भी हो इस

ितथमान समय म वयवकत म वयिहारपरक मनोिजञावनक या जविक दवषिया की अवभवयवकत अिशय

माना जाता हो न तो कोई विचवलत वयिहार (जस राजनीवतक िावमथक या लवगक) और न ही

वयवकत तरा समाज क बीच होन िाला सघषथ को मानवसक रोग माना जा सकता ह अगर ऐसा

विचलन या सघषथ वयवकत म दवषिया का लकषण न होrsquorsquo

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उततराखड मकत विशवविदयालय 152

डविड मकवनक 1999 न मानवसक बीमारी का इस ढग स पररभावषत वकया हlsquolsquoमानवसक

बीमारी एक तरह का विचवलत वयिहार ह इसकी उतपवतत तब होती ह जब वयवकत का वचनतन

परवियाए भाि एि वयिहार सामानय परतयाशाओ या अनभिो स विचवलत होता ह तरा परभावित

वयवकत या समाज क अनय लोग इस एक ऐसी समसया क रप म पररभावषत करत ह वजसम हसतकषप

की आिशयकता होती हrsquorsquo यवद हम मानवसक बीमारी क उकत पररभाषओ पर ियान द तो यह सपषट

होगा की समनयतः मानवसक बीमारी क दो पहल होत ह

1) मानवसक बीमारी स उतपनन वचनतन भाि एि वयिहार वयवकत क वलए दखदायी या विघिनकारी

होता ह

2) समसया वयवकत म वकसी न वकसी दवषिया स उतपनन होता ह दसर शबदो म मन या उसक शरीर का कोई न कोई पहल उस ढग स काम नही कर रहा होता ह वजस ढ़ग स उस कायथ करना

चावहए

1980 िाल दशक म मानवसक सिासय एि मानवसक बीमारी क इस सतत मॉडल स

हिकर दसर तरह क मॉडल पर लोगो का धयान अविक गया ह वजस मानवसक बीमारी का परक या

असतत मॉडल कहा गया ह यह मॉडल इस बात का सपषटता स खडन करता ह वक मानवसक

सिासय तरा मानवसक बीमारी एक साततय का वनमाथण करत ह बवलक इसका मत ह वक मानवसक

सिासय तरा मानवसक बीमारी एक दसर क विपरीत ह वजसस एक वदवभाजक का वनमाथण होता ह

वजसका पररणाम यह होता ह वक कोई वयवकत या तो सिसर ह या विर बीमार ह इस मॉडल क

अनसार जो लोग मानवसक रप स बीमार होत ह उनह लकषणो क आिार पर विवभनन रोग शरवणयो म

रखा जाता ह यह मॉडल जिमवडकल शोिो वजसम मानवसक बीमारी क आवगक एि जविक

कारको को अविक महतिपणथ समझा जाता ह पर वकय गए शोिो पर आित ह तरा जसा वक

वमकलस एि माजथक 1993 तरा विलसन 1993 न कहा हlsquolsquoइस मॉडल क अनसार मानवसक

बीमारी का कारण अनिावशक जविक जिरासायवनक तरा ततरकीय होता हrsquorsquo

उपयथकत तयो क आलोक म मानवसक बीमारी तरा मानवसक सिासय म अतर वनमनावकत

वबदओ पर मोि तौर पर वकया जा सकता ह-

1) मानवसक बीमारी म सामानयतः वयवकत म समायोजन सबि समसयाए परिान होती ह परनत मानवसक सिासय म सामानयतः वयवकत को समायोजन सबि कविनाई या या समसयाए न क

बराबर होती ह

2) मानवसक बीमारी म उपचार एक अहम पहल होता ह यवद उसका उपचार नही वकया जाता ह

तो उसकी उगरता तीवर होती जाती ह परत मानवसक सिासय म उपचार जस पहल की अहवमयत

नही होती ह भल ही उस उननत बनान क वलए कछ सिारातमक उपाय की जररत पड़ती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 153

3) अविकतर मानवसक बीमाररयो का एक सपषट जविक आिार होता ह इस तय की पवषट अनको

अधययनो स हो चकी ह यही कारण ह वक हम पात ह वक अगर वकसी वयवकत म कोई मानवसक

रोग हो गया ह तो विर उसकी सतानो म भी सबि मानवसक रोग उतपनन होन की सभािना तीवर

हो जाती ह जड़िा बचचो पर वकय गय अनको अधययन म यह पाया गया ह वक यवद ऐस यगमो

क एक बचचा म कोई मानवसक रोग होता ह तो विर दसर बचचा म भी इस रोग क होन की

सभािना तीवर हो जाती ह मानवसक सिासय का कोई इस तरह का जविक आिार नही होता

ह बवलक इसक वनिाथरण म अजविक कारको की ही भवमका अविक होती ह

4) मानवसक बीमारी तरा मानवसक सिासय म नदावनक मनोिजञावनको तरा मनोवचवकतसको का धयान मानवसक बीमारी क अधययन की ओर तलनातमक रप स अविक गया ह कयोवक यह

समाज क वलए और सिय वयवकत क वलए भी एक बड़ी चनौती क समान ह

5) मानवसक बीमारी क अधययन कषतर की वयापकता मानवसक सिासय क अधययन कषतर की वयापकता स कािी अविक ह

सपषट हआ वक मानवसक बीमारी तरा मानवसक सिासय म पारदशी अतर ह

104 मनोसनाय विकति एि सनाय विकति म अिर मयर न मनः सनायविकवत को एक भाग स समबवनित परवतविया ि मनोविकवत क समगर

रप स वयाखया परसतत की ह कयोवक एक स वयवकतति का एक विशष भाग ही परभावित होता ह

लवकन मनोविकवत स तो समपणथ वयवकतति ही पररिवतथत हो जाता ह मनः सनायविकवत ि

मनोविकवत क अनतर को हम विवभनन दवषटकोण स समझा सकत ह इन दोनो म कोई विशष समानता

नही ह तरा इनक परारमभ एि पररणामो म भी कािी अतर ह नीच हम विवभनन दवषटकोणो क आिार

पर मनःसनायविकवत म अनतर बतायग-

1) कारणो क दवषटकोणो स- मनोसनायविकवत म य तति अविक महतिपणथ होत ह वजनका समबनि मखयतः मनोजनय एि अनिावशकता स होता ह इसम सनायविद दवहक एि

रासायवनक तति परायः अमहतिपणथ होत ह लवकन मनोविकवत म परमख कारणो का समबनि

मखयतः अनिावशकता विशातमक ि सनायविक स होता ह

2) वयिहार क दवषटकोण स- मनोसनायविकवत रोगी म भाषा ि विचार क दवषटकोण स सगवत पाई जाती ह कयोवक उनका वयिहार तावकथ क होता ह लवकन इसक विपरीत मनोविकवतयो क

रोवगयो की भाषा एि विचार म असगवत विवचतरता ि अतावकथ कता पायी जाती ह इन रोवगयो

म वयामाहो विभरम ि मानवसक अवसररता अविक होती ह जबवक मनःसनायविकवतयो म ऐसा

नही पाया जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 154

3) सामावजक दवषटकोण स- समावजकता दवषटकोण स मनःसनायविकवतयो क रोवगयो क लकषणो म समाज ि िासतविकता म एक समनिय की झलक वमलती ह कयोवक इनका वयिहार करीब-

करीब सामानय लोगो स वमलता-जलता ह लवकन मनोविकवत क रोवगयो म सामावजक लकषणो

का अभाि रहता ह उसम सामावजक आदत समाज ि िासतविकता का समबनि सामवहकता

आवद भािनाए परायः नषट हो जाती ह दसर शबदो म मनोविकवत क रोवगयो का सामावजक

वनयमो स न तो कोई समबनि ही रहता ह और न ही य समाज क वनयमो का पालन ही करत ह

4) वयवकतति क आिार पर- मनोसनायविकवत क रोवगयो का वयवकतति या तो सामानय वयवकत स

वमलता हआ होता ह या रोड़ा-सा वभनन होता ह लवकन मनोविकवत क रोवगयो का वयवकतति

सामानय वयवकतयो स कािी वभनन होता ह उसका वयिहार ि परवतवियाए इतनी वभनन होती ह

वक िह सामानय वयवकत स वबलकल अलग वदखाई पड़ता ह

5) वयिसरा एि वचवकतसा क दवषटकोण स- मनोसनायविकवत रोगी म इतनी समझ होती ह वक िह

अपना भला-बरा समझता ह तरा आतम-वयिसरा को बनाय रखता ह लवकन मनोविकवत क

रोवगयो म आतम-वयिसरा का पणथतः अभाि पाया जाता ह वजसक कारण ि आतमहतया की

परिवतत की ओर उनमख होत ह वचवकतसा क दवषटकोणो स मनःसनायविकवत रोवगयो का उपचार

घर म समभि ह लवकन मनोविकवत क रोवगयो को या तो वचवकतसालय म भती करा वदया

जाता ह या वचवकतसालय की भावत घर म परबनि कराना चावहए

6) उपचार एि अिवि क दवषटकोण स- मनोसनायवििती क रोवगयो की अनतदथवषट पणथतः या लगभग िीक होती ह अतः इनह मनोिजञावनक उपचार- जस-वनदश पनवषथकषण आवद क

माधयम स िीक वकया जा सकता ह लवकन मनोविकवत क रोवगयो क उपचार क वलए

रासायवनक शरीर-विजञानातमक विवियो का सहारा लना पड़ता ह अिवि क दवषटकोण म

मनोसनविकवत की दशा वचनताजनक नही होती तरा मतय-सखया सािारण होती ह इसक

विपरीत मनोविकवत क लकषण अपकषाकत सरायी ि परवतवदन पररिवतथत होत रहत ह अविकतर

लकषणो क पररणाम परवतकल होत ह तरा इस रोग म रोवगयो की दशा वबगड़ जाना सािारण

बात ह एि मतय-सखया की अविकता भी पायी जाती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 155

मनः सनायविकवत ि मनोविवकषपतता म अनतर

आनतररक अनतदवथनदव की

परकवत

उसक वयिहार

का सामावजक

रप

परवतगमन

शरणी

परम-िसत क

आिारभत

उततजनाओ स

समबनि

अनतदवथनदव

का रप

मनः

सनाय

विकवत

अहम परम अहम ि इदम

और िासतविकता म

असामजसयपणथ सतलन

अहम का परम अहम ि

इदम स सघषथ परनत िासत

विकता क सार समबनि

बना रहता ह

आवशक रप स

सिीकत

वयिहार

गतयातमक ि

जञानातमक दोनो

दवषट स वयिहार

विधिसातमक

लवकन इदम क

आिगो पर

वनयनतरण

गदा या

लवगक

अिसरा

परवतगमन

िसतविहीन या

अविकतम रप

स उभयिवत

का होना

उगर या

तीवर

लकषण

का

वनमाथण

मनोवि

वकषपतता

अहम परम अहम ि इदम

तरा िासतविकता म

अविकतम असामसय

सनतलन अहम की शवकत

हास होन लगती ह तरा

इसका िासतविकता क

सार समबनि नही होता

सामावजक रप

स असिीकत

वयिहार इदम

समबनिी आिगो

को विकत रप

स परकि होना

परारवमभक

गदा

अिसरा

परवतगमन

िसतविहीन या

अविकतम रप

स उभयिवतत

होना

उगर ि

तीवर

लकषणो

का

वनमाथण

1) मनःसनािविकवििो क सामानि लकषण -

i) वचनता एि भयािह- अनक मनोिजञावनको न वचनता को मनःसनायविकवत का परमख लकषण

माना ह रोगी इसम वबना कारण क ही भयातमक वसरवत म विविरण करता ह वजसका सिरप

िासतविकता स बचाि करन का परयास होता ह मनःवसरवत म रोवगयो को अविकतर यह

आशका सताती ह वक कही मर आनतररक अनतदवथनदव ि भय परकि न हो जाय यही कारण ह वक

रोगी सदि अनक कारण भय जस-दघथिनागरसत होन बीमार पड़ जान ि पागल हो जान आवद स

तरसत रहता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 156

ii) अनपयकता एि हीनता-इन रोवगयो का वयवकत अपररपकि ि असनतवलत हो जाता ह वजसक कारण रोगी अपन को सािारण स सािारण अिसरा म भी अनपयकत समझन लगता ह तरा

अनय लोगो की अपकषा अपन को हीन समझन लगता ह इस परकार स वयवकतयो म परायः दो

परकार की वसरवत पाई जाती ह-

क) या तो ि पणथ रप स दसर पर ही वनभथर रहत ह

ख) या परतयक कायथ सितनतर रप स करना चाहत ह

iii) अह-क नरता- परायः य रोगी अपन ही विचारो भािनाओ आवद म खोए रहन क कारण जीिन

क सघषो का सामना एक सामानय वयवकत की अपकषा कविनाई क सार कर पात ह दसर शबदो

म य रोगी मखयतः अपनी समसयाओ म उलझ रहत ह तरा अनय वयवकतयो की समसया स

इनका कोई समबनि नही रहता ह

iv) तनाि एि अवत-सिदनशीलताः- कयोवक य रोगी आतम-कवनरत होत ह छोि-छोि सघषो तरा

वचनताओ स सरकषा करन क वलए वयरथ की वचनताओ म लीन रहत ह अतः य वयवकत हमशा एक

तनािपणथ वसरवत म जीिन-यापन करत ह इसम सिगशीलता सामानय वयवकत की अपकषा

अविक होती ह तरा बात ही बात म इनह गससा आ जाता ह

v) अनतदथवषट की कमी- कयोवक य छोि-छोि सघषो का सामना उपयकत वियाओ स नही कर पात

अतः इनम मानवसक तनाि सघषथ भय सामना उपयकत वियाओ स नही कर पात अतः इनम

मानवसक तनाि सघषथ भय की वसरवत बनी रहती ह वजसक पररणामसिरप इनम सझ की कमी

रहती ह आतम-सयम आतम-वनभथरता आवद का अभाि वदखाई पड़ता ह वयिहार म

सिाभाविक लोच का अभाि रहन क कारण िह अपन को अतयनत वनराशाजनक वसरवत म पाता

vi) पारसपररक समबनि ि सामावजकता की कमी- रोगी आतमकवनरत ि अनपयकतता स वघर होन

क कारण अनय वयवकतयो एि अनक सामावजक परमपराओ ि रीवत-ररिाजो क परवत उदासीन

रहता ह कयोवक उसम या तो यह भािना रहती ह वक सितनतर रप स कायथ कर या पणथ रप स

दसरो पर ही वनभथर रह वजसक कारण अनय वयवकत उसस शीघर ही ऊब जात ह तरा दर रहन का

परयास करत ह

vii) रकान और अनय शारीररक कषटः- मानवसक तनाि वचनता सघषथ भय आवद क कारण इसकी

शारीररक तरा मानवसक शवकत वयरथ म ही नषट होती रहती ह िलतः िह रकान तरा अनय

शारीररक कषट आवद स पीवड़त रहत ह इस परकार क वयवकतयो को पि समबनिी रोग वसर-ददथ

शरीर म असपषट िदना आवद कषट सतात ह

viii) अनय मानवसक लकषण- इन रोवगयो म उपयकत लकषणो क अलािा अनक अनय मानवसक

लकषण जस-परशानी असनतवषट धयान की एकागरता म कमी आवद भी पाए जात ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 157

2) मनोविकवििो क दो परमख सामानि लकषण ह -

i) वयामोह

ii) विभरम

i) विामोह- वयामोह झि विशवास होत ह वजनह वयवकत सतय मानता ह तरा इसकी असतयता

वसि करन क सभी तको को िह सिीकार नही करता यदयवप वयामोह सामावजक

समायोजन म गमभीर रप स बािक होत ह विर भी वयवकत इनस मकत नही हो पाता ह

इसक वननन परमख रप ह-

1 महानता का वयामोह

2 दणडातमक या उतपीड़न वयामोह

3 सनदभथ वयामोह

4 परभाि वयामोह

5 रोगभरम वयामोह

6 पाप ि अपराि वयामोह

7 वमयातमक वयामोह

ii) विभरम- विभरमािसरा म वबना बाहय सनायविक उददीपक क रोगी को अनक परकार का

परतयकषीकरण होता ह यह िह वसरवत ह वजसस वमया जञान होता ह विभरम सभी

जञानवनरयो स समबवनित होता ह लवकन मखयतः शरिण स समबवनित जञानवनरय म विभरम

सभी अविक होत ह रोगी को कभी-कभी अरशय सरान या विवशषट वयवकतयो स सदश

या आिाज सनाई पड़ती ह आिाज क आन तरा वदशा म भी अनतर पाया जाता ह उस

कभी वखड़की म स आिाज आती हई परतीत होती ह तो कभी चारो ओर स आती सनाई

पड़ती ह सनन समबनिी विभरमो क अवतररकत रशय गनि सिाद आवद स भी समबवनित

विभरम उतपनन होत ह

विचार भाषा आवद म असगतता- मनोविकवत म वयवकत क विचार भाषा आवद म सगवत

नही होती िह अनोखी बातो को कहता ह वजसका तावकथ क दवषटकोण स कोई महति नही होता

उसका मानवसक जीिन पणथतः असत-वयसत हो जाता ह वजसक िलसिरप वयवकतति का विघिन हो

जाता ह तरा वयवकत वयामोह विभरम आवद का वशकार हो जाता ह

सामवहकता ि सामावजकता का अभाि- रोगी क वयवकतति का विघिन ि मानवसक जीिन

असत-वयसत होन क कारण उसम सामावजक वनयमो रीवत-ररिाजो सामावजक वयिहार आवद म

असनतलन वदखाई पड़ता ह िह ऐस कायो को करता ह जो समाज क अनकल नही होत तरा उनका

वयिहार सामावजक दवषटकोण स कािी वचनतनीय होता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 158

आतम-भाि ि आतम-वयिसरा का अभाि- रोगी कछ सोच नही पाता वजसक कारण िह

आतम-वयिसरा बनाय रखन म पणथतः असमरथ होता ह िह आतमाहतया करन तक को ततपर होता

मानवसक असपताल की आिशयकता- मनोविकवत सरल परकार की विकवत नही होती

बवलक एक जविल विकवत ह इसवलए इस परकार क रोवगयो को घर की अपकषा मानवसक

वचवकतसालयो म भती कराना चावहए या घर को ही वचवकतसालय क समान बनाकर रोगी की

दखभाल करनी चावहए

105 साराश मानवसक बीमारी एक तरह का विचलन वजसम वयवकत की वचनतन परवियाए भाि एि

वयिहार सामानय परतयाशाओ एि अनभवतयो स वभनन होता ह डीएसएम 1994 म मानवसक

बीमारी को बहत ही सपषट एि िजञावनक ढग स पररभावषत करन की कोवशश की गयी ह

मनोसनाय विकवत स वयवकतति का एक विशष भाग ही परभावित होता ह लवकन मनोविकवत

स सपणथ वयवकतति ही पररिवतथत हो जाता ह इनम विवभनन दवषटकोणो क आिार पर अनतर होता ह

जस- कारणो क दवषटकोण स वयिहार क दवषटकोण स सामावजक दवषटकोण स वयवकतति क आिार

पर वयिसरा एि वचवकतसा क दवषटकोण स उपचार एि अिवि क दवषटकोण स

106 शबदािली bull मानवसक सिासि मानवसक सिासय एक सतवलत मनोदशा की अिसरा होती ह वजसम

वयवकत अपन वजनदगी क विवभनन हालातो म सामावजक रप स सािवगक रप स एक मानय

वयिहार बनाए रखता ह

bull विामोह वयामोह झि विशवास होत ह वजनह वयवकत सतय मानता ह तरा इसकी असतयता वसि

करन क सभी तको को िह सिीकार नही करता

bull विभरम विभरमािसरा म वबना बाहय सनायविक उददीपक क रोगी को अनक परकार का

परतयकषीकरण होता ह यह िह वसरवत ह वजसस वमया जञान होता ह

107 सिमलयाकन हि परशन 1) मानवसक बीमारी या मानवसक सिासर म कौन सी दशा जयादा सोचनीय ह 2) मानवसक बीमारी या मानवसक सिासर म वकसका आिार जविक ह

3) मनोसनाय विकवत तरा मनोविकवत म स वकसका उपचार आसान ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 159

4) मनोसनाय विकवत तरा मनोविकवत म स वकन रोवगयो का वयवकतति जयादा असमावजक होता ह

5) मानोविकवत क दो परमख सामानय लकषण कौन स ह

उततर 1) मानवसक बीमारी 2) मानवसक बीमारी 3) मनोसनायविकवत

4) मनोविकवत 5) (i) वयामोह (ii) विभरम

108 सनदभथ गरनर सची

bull आिवनक असामानय मनोविजञान- डा0 अरण कमार वसह

bull असामानय मनोविजञान- डा0 डी0एन0 शरीिासति

109 तनबनिातमक परशन 1 मानवसक सिासय ि मानवसक बीमारी म अनतर सपषट कर 2 मानवसक बीमारी क सिरप की वयाखया कीवजए 3 मनोसनायविकवत क कारणो का िणथन कीवजए 4 विपपणी-

i मानवसक बीमारी

ii मनोविकवत

iii मनोसनाय विकवत तरा मनोविकवत म अनतर

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 160

इकाई-11 धचिा हहसटीररया िरा फोबबया 111 परसतािना

112 उददशय

113 वचता का सिरप

114 िोवबया क सिरप

115 वहसिीररया का सिरप

116 वचता कषोभोनमाद क परकार

117 रपानतररत कषोभोनमाद का सिरप

118 साराश

119 शबदािली

1110 सिमलयाकन हत परशन

1111 सनदभथ गरनर सची

1112 वनबनिातमक परशन

111 परसिािना एक समय यह कहाित बहत परचवलत री वक आज का यग वचता का यग ह इस कहाित

की परासवगकता म पहल की अपकषा आज कािी िवि हो गयी ह यह िासतविकता ह वक आज का

यग वचता का यग ह ऐसा लगता ह वक हर आदमी वकसी न वकसी तरह की वचता की चपि म ह

सामानयतः वचता का आशय ऐसी मनः वसरवत स ह वजसम वयवकत आशका असरकषा एि

भय की भािना स परशान रहता ह उस लगता ह उस पर विपवतत आन िाली ह कोई सकि आ

सकता ह इस परकार तनािगरसत हो जाता ह

वचनता विकवत का तातपयथ वयवकत क वयिहार का अिासतविक हो जाना ह उसम अतावकथ क

भय उतपनन हो जाता ह या वयवकत यह अनभि करन लग वक उसम अयोगयता आ गयी ह उसको

वकसी विपवतत या बड़ी परशानी का सामना करना पड़ सकता ह इसस उसका वयिहार कसमायोवजत

हो जाता ह इस ही वचता विकवत कहा जाता ह इस अधयाय म हम वचता विकवत क सिरप परकार

लकषण कारण उपाय िोवबया क परकार लकषण उपाय वहसिीररया क सिरप लकषण कारण ि

उपाय का अधययन करग

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 161

112 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद हम वनमन वबदओ पर चचाथ करन योगय हो सक ग

bull वचता क सिरप एि परकार की वयाखया कर सक ग

bull असामानय ि सामानय वचता क अतर को समझा सक ग

bull वचता मनसताप क लकषण कारण ि उपचार पर चचाथ कर सक ग

bull िोवबया क सिरप एि परकार पर परकाश डाल सक ग

bull िोवबया क लकषण कारण ि उपायो को समझान म सकषम होग

bull वहसिीररया क सिरप एि परकार की चचाथ कर सक ग

bull कषोभोनमाद क लकषण कारण ि उपायो पर परकाश डाल सक ग

bull वचता कषोभोनमाद क परकार पर परकाश डाल सक ग

bull वचता कषोभोनमाद क लकषण कारण ि उपायो की वयाखया कर सक ग

bull रपानतररत कषोभोनमाद क सिरप को समझा सक ग

bull रपानतररत कषोभोनमाद क लकषण कारण ि उपायो की वयाखया कर सक ग

113 धचिा का सिरप असामानय मनोविजञान म वचता एि उसस उतपनन मानवसक विकवतयो पर सिाथविक धयान

वदया गया ह वचता स तातपयथ डर एि आशका क दख स होता ह इस तरह की वचता स कई परकार

की मानवसक विकवतयो की उतपवतत होती ह वजस पहल एक सामानय नदावनक शरणी अराथत

सनायविकवत या मनोसनायविकवत म रखा गया बाद म फरायड तरा उसक सहयोवगयो न सनायविकवत

का उपयोग वचता स उतपनन मानवसक रोगो क वलए वकया और आज भी इसका उपयोग करीब -

करीब इसी अरथ म आम रोगो क वलए वकया जाता ह सनायविकवत म कई तरह की मानवसक

विकवतयो को रखा गया इस इकाई म किल तीन सनायविकवतयो का अधययन वकया जायगा

कोलमन क अनसारlsquolsquoवचता सनायविकवत की परमख विशषता वयवकत म सिततर वदशाहीन

वचता का होना जो न वकसी विशष पदारथ या वसरवत स उतपनन होती ह और न ही उस उसक विशष

लकषय या वसरवत का ही जञान होता हrsquorsquo

विशर क अनसारlsquolsquoवचता सनायविकवत म उन आनतररक वयवकतगत अपरिश योगय

कविनाईयो की परविया ह वजनका जञान वयवकत को नही होता हrsquorsquo

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उततराखड मकत विशवविदयालय 162

रोसन और गरगरी क अनसारlsquolsquoवचता मनसताप स पीवड़त वयवकत बचनी आशका तरा

सिततर वदशाहीन वचता का अनभि करता ह वजसका सतरोत िह बता नही पाता हrsquorsquo

वचता मनसताप स पीवड़त वयवकत को अपनी वचता क सतरोत का मल कारण जञात नही होता

ह ऐस वयवकत स यवद उसकी वचता क बार म पछा जाय तो िह अनक तकथ हीन तरा असगत कारण

बतात हए कहता ह वक मरी वचता का कारण घाि की आवरथक वसरवत मर बचच क भविषय की

अवनवित वसरवत मर विरोवियो दवारा उतपनन असरकषा की वसरवत आवद ह जब इन तको को उसक

सममख विशवासपणथ ढग स परसतत कर समझान का परयास वकया जाता ह वक उसका यह तय

बोिगमय नही ह उसकी शकाओ का आिार कालपवनक तरा वनरािार ह तब िह अपनी वचता क

अनय सतरोत खोजन लग जाता ह जबवक िसततः उसकी वचता का मल सतरोत अचतन म शशिकालीन

जीिन की विसमत इचछाओ क परबल अनतथदवनद तरा सघषथ आवद ह अचतन अनतदवथनद का मखय

सतरोत उसकी कणिाकारक मनोगरवनर म वनवहत ह इसका कारण उसकी वचता का मल सतरोत अचतन

ही ह

1) विािा क परकार -

फरायड क अनसार वचता क मखय तीन परकार ह-

i) विषिपरक विािा- इस वचता को सामानय वचता भी कहत ह इस वचता का आिार सबवित

वयवकत का सामावजक पररिश ह जब कभी वयवकत का अह वकसी बाहरी भयािह वसरवत का

सामना करन म अपन को असमरथ पाता ह तब उसम भय का सिग उतपनन हो जाता ह जो वक

सिभाविक ह जस- वयवकतगत परवतषठा की कषवत वकसी वनकितम वपरय की बीमारी अचानक

आवरथक सकि आवद वयवकत म वचता क लकषण उतपनन करत ह अतः इन लकषणो का सपषट

कारण बाहय जगत की िासतविक वसरवतया ह ऐसी वचता क लकषण असरायी होत ह कयोवक

बाहय जगत की िसतपरक वयावि िल जान पर सबवित लकषण भी िीर-िीर समापत हो जात ह

ii) नविक विािा- नवतक वचता वयवकत म इदम की अनवतक इचछा की नगन अवभवयवकत क

परतयावशत ि वनवित किोर दणडो की आशका स उतपनन होती ह वजसस वयवकत क अह तरा

पराह को गहरा नवतक आघात पहचाता ह कयोवक ऐसा वयवकत इदम क आिग की अवभवयवकत

क वलए परारवमभक जीिन की कि समवत की पनरािवतत स अतयविक डरता ह तरा बचना चाहता

ह कयोवक वयवकत की ऐसी वसरवत आतम-भतसथना लजजा तरा उसकी अनतरातमा क कचोित

रहन क भय क रप म उस वनरनतर सताती रहती ह

iii) िावतरकािापी विािा- तवतरकातापी वचता का सतरोत बाहय जगत न होकर सिय वयवकत का अचतन

सघषथ ह वयवकत दवमत इचछाओ की अवभवयवकत स अतयनत भयभीत रहता ह जब वयवकत दवमत

इचछा क परबल िग को रोकन म अपन को असमरथ पाता ह और सार ही िासतविक पररणामो

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का सामना करन स घबराता ह तो इस वसरवत म िह वयवकत अचतन स पीवड़त हो जाता ह

तवतरकातापी वचता को सितनतर वदशाहीन वचता भी कहत ह

मानवसक वचवकतसालयो म तवतरकातापी वचता स पीवड़त रोवगयो की सखया लगभग 30-40

परवतशत तक दखन म आती ह ऐस रोगी परायः उचच सामावजक सतर िाल होत ह इनम स

अविकाश की बवि लवबि तरा आकाकषा सतर भी उचच होता ह

इस परकार सपषट होता ह वक वचता एक ऐसी मानवसक दशा ह वजसम-

1 वयवकत दख की आशका करता ह

2 उसम बचनी उतपनन होती ह

3 इसका सबि भय स हो सकता ह

4 वयवकत म असामानय लकषण परदवशथत हो सकत ह 5 वयवकत कसमायोजन का वशकार हो सकता ह

6 उस पसीना आ सकता ह

7 िह अतयविक सतकथ ता परदवशथत कर सकता ह

8 वनरा वयििान धयान म कमी तरा कपकपी क लकषण आत ह

डी0 एस0 एम0 IV म वचता विकवत क वनमनावकत छः परमख परकार बतलाय गय ह-

1 दभीवत

2 भीवशका विकवत

3 सामानयीकत वचता विकवत

4 मनोगरवसत बाधयता विकवत

5 उततर अघातीय तनाि विकवत

6 तीवर तनाि विकवत

2) सामानि ि असामानि विािा म अनिर -

जसा वक हम जानत ह वक सभी वयवकत वकसी न वकसी वचता स गरसत रहत ह कयोवक परतयक

िसत क सममख सघषथ ि तनाि होत रहत ह यही कारण ह वक वयवकत का वचवतत रहना एक

सिभाविक गण ह

जस बचच की बीमारी का सनकर मा-बाप वचवतत हो जात ह लवकन अगर डाकिर विशवास

वदला द वक उनका बचचा एक विशष दिाई स िीक हो जाएगा तो उसकी वचता दर हो जाती ह या

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कम हो जाती ह तो यह सामानय वचता ह परनत वबना वकसी बीमारी क वचता उतपनन हो तो िह वचता

क अनतगथत आयगी

असामानय वचता का सबि भविषय स होता ह सामानय वचता िसतगत होती ह वजसका सबि

ितथमान स होता ह

3) विािा मनसिाप क लकषण- वचता मनसताप क रोवगयो म मखयतः वनमनावकत शारीररक लकषण

पाय जात ह-

शारीररक लकषण

1 सामानय- शरीर का िजन घि जाना

2 हदय िमनी- वदल की िड़कन बढ़ जाना नाड़ी की गवत म सपषट वयवतिम रहना मछाथ ि वसर म भारीपन रहना

3 सिासय- हिा की कमी या घिन का अनभि

4 तिचीय- हरली म पसीना आना या रात म अविक पसीन आना

5 आमाशय- भख न लगना मह सखना वमचली आना बार-बार लघशका जाना रकान नीद न

आना घबराहि आवद

इसक अवतररकत सािारण धिवन क परवत अतयविक सिदनशील रहना नकारातमक ि

वनराशाजनक हो जाना परो का लड़खड़ाना आवद

वचता मनसताप क रोवगयो म कछ मानवसक लकषण भी उतपनन हो जात ह-

मानवसक लकषण

1 वचता- रोगी का सिाथविक महतिपणथ लकषण सरायी वचनता ह यह वचता दीघथकालीन होती ह जो

कभी-कभी उगर रप िारण कर लती ह

2 वचता क दौर - वचता क दौर रोगी म अचानक उतपनन होत ह दौर की अिवि म रोगी म अनक लकषण जस वदल बिना सास लन म कविनाई चककर आना भय आवद उतपनन हो जात ह

lsquolsquoरोगी चीखकर लोगो को एकतर करन का परयास करता ह िह कहता ह म मर रहा ह मरा दम

घि रहा ह या कोई भयानक घिना घवित होन िाली ह आवदrsquorsquo ऐस दौर एक वदन म कई-कई

बार पड़त ह इन दौरो क पड़न का समय तरा आिवततया वनवित नही ह

3 अनतः ियवकतक सबि- वचता मनसताप का रोगी अनतः ियवकतक सबिो क परवत अतयविक

सिदनशील होता ह

4 अनभि- वचता मनसताप का रोगी सदि अपन को अनपयकत समझता ह तरा उस सदा हलका

विषाद रहता ह

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5 सिपन- रोगी सोत समय भत तरा भविषय की वचनताओ म उलझा रहता ह इसवलए िह सिपन म

गोली लगन दघथिना होन गला घोिन जस सिपन दखता ह

4) विािा मनसिाप क कारण- वचता मनसताप रोगी की वचता सामानय वयवकत की वचता की

अपकषा अविक असगत होती ह फरायड का विचार ह वक वचता मनसताप का कारण दवमत

इचछाए ह जब दवमत इचछाए चतन मन स अचतन मन म पहचन का परयास करती ह तो चतन

और अचतन क बीच की वसरवत ससर हो जाती ह वयवकत ऐसी किोर वसरवत को सहन नही कर

पाता ह अतः वयवकत म वचता मनसताप क लकषण उतपनन हो जात ह रोगी को अपनी वचता का

कारण जञात नही होता ह और दवमत इचछाए चतन सतर तक पहच नही पाती ह

वचता मनसताप क वनमन कारण ह-

1 अलपाय क विकषपकारी अनभि- कछ मनोिजञावनको का मत ह वक परौणािसरा म अलपािसरा

क अनक लकषण रोगी म परकि होत ह वजनका उस जञान नही होता ह रोगी वचता तरा भय क

लकषणो स खद को वघरा पाता ह

2 कामिासना का दमन- फरायड न वचता मनसताप का कारण कामिासना का दमन तरा अनतदवथनद

को माना ह फरायड का मत ह चाह परष हो या सतरी यवद उसम अतयविक कामिासना ह और

िह उसकी सतवषट नही कर पाता ह तो िह दवमत हो जाती ह दवमत हो जान पर म इचछाए

अनतदवथनद उतपनन करती ह जो वचता मनसताप का कारण बनती ह

3 आतम परकाशन की परिवतत का दमन- एडलर न आतम परकाशन की परिवतत क दमन को वचता

मनसताप का कारण माना ह जब वयवकत म आतम परकाशन की परिवतत बहत परबल होती ह और

िह उसकी पवतथ नही कर पाता ह तो उसका दमन करता ह दमन ही वयवकत म वचता उतपनन

करता ह

4 मानवसक सघषथ ि वििलता- ओकली का कहना ह वक मानवसक सघषथ ि वििलता वकसी भी

कारण स उतपनन हो सकती ह इसका सबि लवगक िासना स भी हो सकता ह दो सिग भी

सघषथ उतपनन कर सकत ह जो वयवकत म वचता उतपनन करत ह

इसक अवतररकत कोलमन न कछ ऐस अनय कारणो का भी िणथन वकया ह जो इस रोग म

सहायक होत ह-

1 परविषठा की आशाका- इन रोवगयो म असरकषा की भािना वनवहत हती ह इनह वनरनतर यह

आशका बनी रहती ह वक उनकी परवतषठा तरा ितथमान वसरवत को कोई हावन पहचा रहा ह यवद

उनक उददशयो को रोड़ी सी भी बािा पहचती ह तो िह विचवलत हो उित ह कोलमन म एक

34 िषीय डाकिर का िणथन वकया ह वजसन दस िषथ तक सिलतापिथ वचवकतसा की अवनतम

िषो म उसकी आमदनी कछ कम हो गयी उस समय हलक परकार क दौर पड़न लग तब उसन

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अपन कायथ करन का समय बढ़ा वदया परत विर भी उसकी वचता कम नही हई अनत म िह

मनोवचवकतसक क पास गया जहा उस जञात हआ वक उसम परारवमभक अिसरा म सरायी

असरकषा विदयमान री िह अपन माता-वपता दवारा वतरसकत वकया गया रा वतरसकार क कारण

उसम हीनता तरा अनपयकतता की भािना का जनम हआ रा

2 इचिा विि होन की आशाका- यवद वयवकत की अचतन की इचछा वयकत होन की सभािनाए

बढ़ जाती ह वजसस उसकी नवतक ि सामावजक परवतषठा को िस पहचन की आशका होती ह

तो िह वकसी भी कीमत पर सामावजक परवतषठा को नही तयागता ह इस परकार की इचछाओ को

िो चतन स वदिासिपन एि कलपना तरग क माधयम स पणथ करता ह इस परकार िह उनकी

अवभवयवकत अपरतयकष ढग स करता ह रोगी म जब कभी उनक उतपनन होन की सभािनाए तरा

पररवसरवतया उतपनन होती ह तो िह वचता मनसताप स गरसत हो जाता ह

3 अपराध की िािना- वचता मनसताप का कारण अपराि तरा दणड का भय भी ह इन रोवगयो

म अनपयकतता तरा वयरथ की भािनाए उतपनन हो जाती ह ऐस वयवकत स घणा करत ह वजसस

उनम असरकषा की भािना उतपनन हो जाती ह इन रोवगयो की अपराि भािना वचनता मनसताप

क लकषणो क रप म वयकत होती ह डावलाग न एक विदयारी का वििरण परसतत वकया ह वजस

वचता क अवत तीवर दौर पड़त र कारण खोजन पर जञात हआ वक उसस एक कार दघथिना हो

गयी री वजसस एक बालक की मतय हो गयी री विदयारी को यह दघथिना याद नही री

विदयारी न इस घिना को अचतन मन म दमन कर वलया रा इस कारण उस वचता क अवत तीवर

दौर पड़त र

4 विािा उतपनन करन िाल वनणयि- ऐस रोगी अहशवकत की कमी क कारण वनणथय लन म

कविनाई अनभि करत ह नवतक मलयो स उतपनन अनतदवथनद परवतषठा तरा आतम सरकषा क खतर

म पड़न की आशका स उतपनन अतरदवद वयवकत म तीवर वचनता उतपनन करता ह वजसस ि वनणथय

लन म अपन को असमरथ पाता ह कोलमन न एक वयिसायी अिसर क कस का िणथन वकया

वजस दसर या तीसर माह म दौरा पड़ता रा उस वयवकत को जब मनोवचवकतसक दवारा जञात हआ

वक बालयािसरा म िह एक वनिथन बालक रा उसका बचपन असरवकषत रा िह हीन भािना स

गरसत रा कालज म पढ़त हए जब िह परीकषा म असिल हआ तो उसकी असरकषा ि हीनता

की भािना और परबल हो गई उसन अपन को सरवकषत बनान क वलए 8 िषथ बड़ी सतरी स वििाह

वकया कछ वदनो पिात उस उस सतरी को तलाक दन की इचछा हई कयोवक िह वयवकत कम आय

की वसतरयो म रवच लन लगा रा इसी बीच उसकी भि एक कम आय की सतरी स हई वजसस िह

परम करन लगा इस परम क बाद उस वचनता क दौर पड़न लग उसकी वचता क दौरो का कारण

उसका तलाक दन का वनणथय रा

5 पिय आघािो की पनः सवकरििा- परारवमभक जीिन की कछ घिनाए ऐसी होती ह जो परान

घािो को हरा कर दती ह ऐसी वसरवत म वयवकत म वचता मनसताप क लकषण उतपनन हो जात ह

कोलमन न एक रोगी का िणथन वकया ह जो अपन वपता स बहत सनह करता ह परत उसका वपता

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उततराखड मकत विशवविदयालय 167

उसको सदि आलोचना करता हआ वदखाई दता ह वजसस िह परशान होकर घिो रोता रा

एक दन उस नौकरी वमल जाती ह उसका सपरिाइजर उसकी बड़ी परशसा करता ह िह खश

रहता ह कछ वदनो बाद नया सपरिाइजर आ जाता ह उसका सिभाि आलोचनातमक ह नया

सपरिाइजर कमथचारी की अतयाविक आलोचना करता ह वजसस उसक परान घाि हर हो जात

ह और उसम वचता तरा बचनी क लकषण उतपनन हो जात ह कमथचारी छटटी लकर घर चला

जाता ह वचनता और बचनी क कारण वकसी भी कीमत पर काम पर नही आना चाहता ह

5) उपिार- वचता मनसताप क रोवगयो को परशानतक औषवियो दवारा तातकावलक आराम वदया जा

सकता ह परत उनकी जीिनशली को इन औषवियो दवारा बदला नही जा सकता ह वचता

मनसताप क रोवगयो क उपचार क वलए दो विवियो का परयोग आिशयक ह-

1- मनोविशलषण 2- समह वचवकतसा

वचवकतसक को रोगी क सममख ऐसी अनकल परमख पररवसरवतया उपवसरत करनी चावहए

वजसस िह अनकल परवतविया करक अपनी वचता का समािान कर सक रोगी को सिसर

िातािरण म रखकर पनथवशवकषत करना चावहए वजसस िह वचता स अपन आप को बचा सक

वचता मनसताप क रोवगयो को सािारण उपचार दवारा िीक वकया जा सकता ह इनकी वचता

क कारणो का लब समय तक उपचार करक उनह पनः समायोजन क योगय बनाया जा सकता ह

114 फोबबया का सिरप सामानय ि असामानय (दभीवतथ) भय म अनतर होता ह सामानय खतरनाक पररवसरवतयो म

उवचत परवतविया करता ह कयोवक यह भय का एक कारण होता ह वजस िह समझता ह जस जो

वयवकत एक बार पानी म डबन स बच जाता ह तो िह पानी स डरता ह परत दभीवत स भय का कोई

भी उवचत कारण नही होता ह य भय वनरािार होत ह रोगी इस परकार क भय का कारण नही जानता

ह और न ही िह सामानय वयवकत क समान इन भय क परवत परवतविया करता ह

िीिन एि लायड (2003) क अनसार दभीवत विकवत म वकसी िसत या पररवसरवत स

समबवनित सतत एि अतावकथ क भय पाया जाता ह वजसस िासति म कोई खतरा नही ह

सवलगमन एि रोजनहान (1998) न दभीवत को इस परकार पररभावषत वकया ह- lsquolsquoदभीवत

एक सतत डर परवतविया ह जो खतर की िासतविकता क अनपात स पर होती हrsquorsquo

इस परकार सपषट होता ह वक दभीवत की दशा म परभावित वयवकत वकसी ऐसी िसत या

पररवसरवत स डरन लगता ह वजसस उस िासति म कोई खतरा या नकसान की सभािना नही ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 168

दभीवत विकवत क कारण वयवकत का वयिहार कसमायोवजत हो जाता ह जस यवद वकसी को ऊच

सरान स भय ह तो िह उिर नही जाना चाहगा यवद उस दबाब म िहा ल भी जाया जाय तो उसम

तनाि घबराहि एि कपकपी आवद क लकषण वदखाई पड़ सकत ह

a) फोवबिा क परकार-

दभीवत क कई परकार ह इन सभी दभीवतयो क मखय तीन परकार बतलाय गय ह जो इस परकार ह-

1 विवशषट दभीवत

2 एगोरा दभीवत

3 सामावजक दभीवत

इन तीनो का िणथन इस परकार ह-

i) विवशि दिीवि- विवशषट दभीवत एक ऐसा असगत डर होता ह जो विवशषट िसत या पररवसरवत

की उपवसरवत का उसक अनमान मातर स ही उतपनन होता ह जस वबवललयो मकड़ो कॉकरोच

आवद स डरना सपणथ दभीवत का करीब 3 दभीवत विवशषट दभीवत होती ह वजनह मलतः

वनमनावकत चार परमख भागो म बािा गया ह

a पश दभीवत- इसम रोगी विशष तरह स कछ कारणो स असगत ढग स डरन लगता ह यही

अविकतर मवहलाओ म पाया जाता ह तरा इसकी शरआत बालयािसरा स होती ह

परमख पश दभीवत वनमन ह-

वबलली स - एलरोिोवबया

कतत स - साइनोिोवबया

कीि-मकोड़ स - इनसकिोिोवबया

वचवड़या स - एवबसोिोवबया

घोड़ो स - इकयनोिोवबया

साप स - ओविड़योिोवबया

जीिाणओ स - माइसोिोवबया

b आजीवित िसत स- इसम वयवकत आजीवित िसतओ स असगत भय वदखाता ह जस

अिरा गदगी आवद स यह परष ि मवहला दोनो म समान होती ह यह वकसी भी उमर म

हो सकती ह इसक परमख परकार वनमनावकत ह-

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उततराखड मकत विशवविदयालय 169

आिी तिान स - बरोनिोिोवबया

ऊचाई स - एिोिोवबया

अिर स - नाइकिोिोवबया

बद जगहो स - कलाउसटरोिोवबया

अकलपन स - मोनोिोवबया

आग स - पायरोिोवबया

भीड़ स - आकलोिोवबया

हिाई जहाज स यातरा का डर - एवबयोिोवबया

c बीमारी एि चोि स- इस तरह की दभीवत म वयवकत वजन बीमाररयो स डरता ह उनस इतना

डरन की बात नही होती ह इस तरह क असामानय डर स उसम कछ डर जस छाती म

ददथ पि म ददथ आवद वजसस िह समझता ह वक उसम अमक रोग हो जायगा इस तरह

की दभीवत की शरआत सामानयतः मधय आय म होती ह इस तरह की दभीवत को

नोसोिोवबया कहा जाता ह वजसक विवशषट सामानय परकार कछ इस तरह स ह

मतय स डर - रनिोिोवबया

क सर स डर - क सरोिोवबया

यौन रोगो स डर - िनररयोिोवबया

d रकत दभीवत- इस तरह की दभीवत म रोगी को उन पररवसरवतयो स असगत भय लगता ह

वजसम उस रकत दखन को वमलता ह इसी दभीवत क कारण ि मवडकल जाच आवद स

दर भागत ह सामानय जीिसखया का करीब 4 परवतशत लोगो म रकत दभीवत सामानय

मातरा म पाया गया ह वकलनकनचि (1994) म अनसार रकत दभीवत मवहलाओ म

परषो की अपकषा अविक होती ह और इसकी शरआत अकसर उततर बालयािसरा म

होती ह

e एगोरा दभीवत- lsquoएगोरािोवबयाrsquo का शावबदक अरथ भीड़-भाड़ या बाजार सरलो स डर होता

ह परनत िासतविकता यह ह वक एगारोिोवबया म कई तरह क डर सवममवलत होत ह

वजसका कनर वबनद आम या सािथजवनक सरान ही होता ह जहा स वयवकत को विशवास

होता ह वक वकसी तरह की घिना या दघथिना होन पर न तो कोई बचाि सभि ह और न

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 170

कोई बचान क वलए आ सकता ह दभीवत रोवगयो म स करीब 60 परवतशत रोगी

एगारोिोवबया क ही होत ह यह मवहलाओ म अविक होता ह तरा इसकी शरआत

परायः वकशोरािसरा तरा आरवभक वयिसरा म होती ह

f सामावजक दभीवत- सामावजक दभीवत िस दभीवत को कहा जाता ह वजसम वयवकत की

उपवसरवत का सामना करना पड़ता ह वयवकत को अनय वयवकतयो की उपवसरवत का

सामना करना पड़ता ह वयवकत को ऐसी पररवसरवतयो म यह डर बना रहता ह वक उसका

मलयाकन लोग करग इस lsquoसामावजक वचता विकवतrsquo भी कहा जाता ह

b) फोवबिा क परमख लकषण-

दभीवत (िोवबया) पर जो अधययन हए ह उनक आिार पर इसक परमख लकषण वनमनावकत ह-

1) सतत तरा अतावकथ क भय की उतपवतत 2) िासतविक खतरा न होन पर भी भय का परदशथन 3) वयवकत भय समबनिी िसत स दर रहना चाहता ह 4) वयवकत वजसस भयगरसत ह उसका सामना होन पर और भी भयगरसत हो जाता ह

5) दभीवत का कारण सपषट रहता ह परत िह िासति म खतरा नही होता ह 6) वयवकत सभावित खतर स कही अविक खतरा अनभि करता ह 7) दभीवत तीवर हो जान पर दवनक जीिन म समायोजन बहत कविन हो जाता ह 8) कपकपी एि पसीन का परदशथन हो सकता ह 9) वयवकत वकसी मदद पर वनणथय नही ल पाता ह िह डरता वक कही उसका िसला गलत पररणाम न

द द

10) रोगी म विषाद क लकषण तरा सामावजक सबिो म कविनाई परदवशथत हो सकती ह

कछ रोवगयो म तो वनणथय लन म भी कािी कविनाई उतपनन हो जाती ह वजस कॉिमन न

(1973) वयगयातमक लहज म वनणथय दभीवत कहा ह

c) फोवबिा क कारण- दभीवत क उतपवतत क कारणो पर मनोिजञावनको तरा मनविवकतसको दवारा

कािी गहन रप स अधययन वकया गया ह और उन अधययनो स वमल तयो पर यवद विचार कर

तो यह सपषट होगा वक दभीवत क वनमनावकत 4 परमख वसिात या कारक ह वजसम उनकी

वयाखया अलग-अलग ढगो स की गयी ह

1 जविक वसिानत

2 मनोविशलषणातमक वसिानत

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 171

3 वयिहारपरक वसिानत

4 सजञानातमक वसिानत

i) िविक वसदधानि- एक ही तनाि िाली पररवसरवतयो म होन पर कछ वयवकतयो म दभीवत उतपनन

हो जाती ह ि कछ म नही इसका कारण यह बतलाया गया ह वक वजन वयवकतयो म यह उतपनन

होती ह उनम कछ जविक दशकायथ होता ह जो उनम तनािपणथ पररवसरवत क बाद दभीवत उतपनन

करता ह इस कषतर म वकय गय शोिो स यह सपषट हआ ह वक वनमनावकत दो कषतरो स सबि

जविक कारक महतिपणथ ह-

a सिायतत तवतरका ततर- कछ अधययनो म इस बात क सबत वमल ह वक दभीवत उन वयवकतयो

म अविक होती ह वजनका सिायतत तवतरका ततर कई तरह क पयाथिणी उददीपको स बहत

ही जलद उततवजत हो जाता ह इस तरह क सिायतत तवतरका ततर सिायतत अवसररता कहा

जाता ह गाि 1992 क अनसार सिायतत अवसररता बहत हद तक िशानगत रप स

वनिाथररत होती ह अतः वयवकत की अनिावशकता की दभीवत उतपनन होन म अहम

भवमका होती ह

b अनिावशक कारक- कछ ऐस अधययन हए ह वजनस यह सपषट सबत वमलता ह वक दभीवत

होन की सभािना उन वयवकतयो म अविक होती ह वजसक माता-वपता तरा तलय

समबवनियो म इस तरह का रोग पहल हो चका हो

िॉरगरसन (1983) न अपन अधययन म पाया वक एकागी जड़िा बचचो म भरातीय जड़िा

बचचो की तलना म एगोरािोवबया की ससगतता दर अविक होती ह

ii) मनोविशलषणातमक वसदधानि- दभीवत क कारणो की वयाखया मनोविशलषणातमक कारको क

रप म की गयी ह फरायड क अनसार दवमत उपाह इचछाओ स उतपनन वचनता क परवत रोगी दवारा

अपनाई गयी दभीवत एक सरकषा होती ह यह वचता डर उतपनन करन िाल उपाह की इचछाओ स

विसरावपत होकर वकसी िसी िसत या पररवसरवत स सबवित हो जाता ह जो इन इचछाओ स

वकसी न वकसी ढग स जड़ा होता ह िह िसत या पररवसरवत जस बद सरान ऊचाई कीड़-

मकोड़ आवद तब वयवकत क वलए दभीवत उतपनन करन िाल उददीपक हो जात ह उनस दर रहकर

वयवकत अपन आपको दवमत सघषथ स बचाता ह

iii) वििहारपरक वसदधानि- इस वसिानत क अनसार वयवकत म दभीवत उतपनन होन का मखय

कारण दोषपणथ सीखना होता ह यह दोषपणथ सीखन तीन तरह क कारको स होता ह-

a पररहार अनबिन-नदावनक मनोिजञावनको का मत ह वक उपचार गरह म आय रोवगयो म यह

दखा गया वक वकसी विवशषट िसत स विकवसत दभीवत परायः उस िसत स उतपनन ददथ

भरी अनभवतयो स ही परारमभ हयी ह जसः सकिर स दघथिना हो जान पर कछ लोगो म

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उततराखड मकत विशवविदयालय 172

वसिथ सकिर नही बवलक सभी तरह क दो पवहया तीन पवहया तरा चार पवहया िाहनो

क चलान क परवत उनम असगत डर उतपनन हो जाता ह

b माडवलग- माडवलग क अनसार दभीवत वयवकत म दसरो क वयिहार का परकषण करक या

उसक बार म दसरो स सनकर विकवसत होती ह परकषण दवारा इस तरह क सीखन को

सरानापनन सीखना या परकषणातमक सीखना भी कहा जाता ह

c िनातमक पनबथलन- दभीवत का विकास वयवकत म िनातमक पनबथलन क आिार पर भी

होता ह जस मान वलया जाय वक कोई बचचा सकल जान क डर स माता-वपता क

सामन कछ ऐसा बहाना बनाता ह वजस सनकर ि उस सिीकार कर लत ह और सकल

नही जाना पड़ता ह तो यहा माता-वपता दवारा बचच को सकल नही जान क वलए सीिा

िनातमक पनबथलन वमल रहा ह इसका पररणाम यह होगा वक बचचा भविषय म डर कर

सकल न जान की अनविया को सीख लगा इस उदाहरण स सपषट होता ह वक िनातमक

पनबथलन स भी वयवकत म डर या दभीवत उतपनन होती ह

iv) साजञानातमक वसदधानि- दभीवत क विकास म कछ सजञानातमक कारको की भी अहम भवमका

रही ह दभीवत विकवत स गरसत वयवकत जान-बझकर पररवसरवतयो को या उनस वमलन िाली

सचनाओ को इस ढग स ससावित करत ह वक उसस उनका दभीवत और मजबत हो जाती ह

इस तरह स दभीवत क उतपनन होन तरा उस सपोवषत होन म एक तरह का सजञानातमक पिाथगरह

होता ह

गोलडवफरड़ (1984) न अपन अधययन म यह पाया वक ऐस लोग सामावजक पररवसरवत म

होन िाल मलयाकन को लकर अविक वचवतत रहत ह ििस (1950) क अनसार ऐस लोग दसरो क

मन म अपन बार म उतपनन होन िाली परवतमा का अविक खयाल रखत ह

d) फोवबिा क उपिार- दभीवत क रोवगयो क उपचार क वलए विवभनन विवियो का उपयोग वकया

जाता ह वकस परकार क ढग स दभीवत क रोवगयो का उपचार वकया जाय उसका वनिाथरण इस

बात पर होता ह वक इस उतपनन करन िाली कौन-कौन सी वसरवतया री तरा उनका सिरप कया

रा िस तो रोगी यह समझता ह वक उसका भय असगत ि अतावकथ क ह परत यवद उसम और

अविक साहस ि विशवास उतपनन वकया जाय तो उस भयातमक वसरवत क करीब जान स बचाया

जा सकता ह मकत साहचयथ विवि स िह अपनी वसरवत क बार म बता सकता ह अगर दभीवत

स वयवकत अपनी वचता को परतीकातमक रप स वयकत करता ह तो इस वसरवत म रोगी की

वसरवतयो ि वयवकतति सरचनाओ का जञान परापत करक मनोवचवकतसा का उपयोग करना चावहए

वजस रोगी म अनक परकार क दभीवत क लकषण पाय जाय उनक उपचार क वलए आतमवनदशन

तरा आतम पनबथल कलपनातमक का उपयोग करना चावहए वनदशन तरा आतम-पनबथल

कलपनातमकता का उपयोग करना चावहए

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दभीवत क उपचार की कई विविया भी ह वजनक आिार पर दभीवत का उपचार वकया जा

सकता ह-

1) जविक उपचार 2) मनोविशलषणातमक उपचार

3) वयिहारपरक उपचार

115 हहसटीररया का सिरप परतयक वयवकत क सममख कछ वजममदाररया या समसयाए होती ह जब िह जीिन की इन

समसयाओ का सामना नही कर पाता और असमरथ ि असिल हो जाता ह तो वनराश होकर ऐसी

वियाए करन लगता ह जो असिभाविक ि असमबवनित होती ह िह परशान होकर वगर जाता ह

दौर पड़न लगत ह या भय क कारण लकिा मार जाता ह य सब वहसिीररया या कषोभोनमाद की

परवतवियाए ह फरायड क अनसार कषोभोनमाद का कारण अचतन रप स वचततीय अवभघात ह

1) वहसटीररिा (कषोिोनमाद) क परकार- परायः कषोभोनमाद को तीन परकार स बािा गया ह-

i)कषोिोनमाद- इस परकार म रोगी रोन या हसन स समबवनित अवनयवनतरत सिगो का परदशथन

करता ह

ii) विनिा कषोिोनमाद- वचनता कषोभोनमाद म रोगी म आकलता वयगरता ि वचता परायः

सरायी रप स बनी रहती ह

iii) रपानिररि कषोिोनमाद- इस परकार म मानवसक अनतदवथनद शारीररक लकषणो म

रपानतररत हो जात ह अराथत रोगी वकसी परकार की शारीररक बीमारी स गरसत होता ह

परनत उसक कारण उसक शरीर म खोज करन पर भी परापत नही होता

2) कषोिोनमाद क लकषण- इसम शारीररक ि मानवसक दोनो परकार क लकषण पाय जात ह कछ

लकषण सरायी एि कछ असरायी होत ह जो वनमन परकार क ह-

a) शारीररक लकषण

i असिदनातमक असामयथ- कषोभोनमाद क रोवगयो म िदना सपषथ ि तापिमीय सबिी

सिदनाओ का आभाि दखा जाता ह वजसक कारण रोगी इन सिदनाओ क परवत कोई भी

परवतवियाए नही कर पाता तरा कभी-कभी शरीर क आि भाग म और कभी-कभी सपणथ शरीर

या विवभनन अगो म सिदनहीनता परकि होन लगती ह कभी-कभी रोगी को विकत सिदनाए

भी होती ह जसः दवषट सबिी विकवतया बहरापन म हास आवद

ii गतयातमक असमरथता- कषोभोनमाद क रोगी म पकषाघात या अगघात भी आ जात ह कभी-कभी

िह सीिा खड़ होन ि चलन म असमरथ सा हो जाता ह कषोभोनमाद क रोगी म आनतररक

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वियाओ म अतर आ जाता ह जस सास लन की परविया म गड़बड़ी नाड़ी गवत म तीवरता

अतयविक पसीना चहर ि तिचा का बदरग हो जाना शमथ स मह लाल होना भल की कमी

आवद

b) मानवसक या मनोिजञावनक लकषण

i वनराभरमण- इसम रोगी नीद म ही उिकर अचतन रप स ऐस अनक जविल कायथ ि वयिहार

करता ह वजसकी समवत उस जागरतािसरा म नही होती सामानय रप स रोगी सोता ह तरा रावतर

म वबना जाग वबसतर स उिकर अनक परकार की वियाए करता ह तरा पनः अपन वबसतर पर

जाकर सो जाता ह सबह उस रावतर म की गई वियाओ क बार म कछ याद नही रहता|

ii आतमविसमवत-आतमविसमवत का लकषण भी पाया जाता ह कषोभोनमाद क रोगी म इस लकषण क

कारण रोगी असहय सिदनातमक अनभि ि वयवकतगत वकथ िनाईयो नाम पता वयिसाय ि

वपरयजनो क समबनि आवद को ही भल जाता ह

iii समवत लोप- समवत लोप क दौर का काल परायः तीन घणि एक माह तक चलता ह परत रोगो की

पणथ रप स विसमवत नही होती ह कयोवक उस दसर स समबि बात सामावजक आचार-विचार

ससकवत आवद की समवत होती ह अतः रोगी एक सामानय वयवकत ही लगता ह किल कछ दखद

सिगातमक वसरवतयो स बचन क वलए ही समवतलोप का सहारा लता ह

iv सिगातमक अवसररता ि मचछाथ- कषोभानमाद क रोगी म सिगातमक अवसररता ि मचछाथ क लकषण पाय जात ह िह रोता ह वचललाता ह हसता ह आिमण करता ह दात कािता-पीसता

ह कभी-कभी शरीर को नोचना या कपड़ िाड़ना आवद वियाए करता ह य सब वियाए

सिदनातमक अवसररता को परदवशथत करती ह इसक अवतररकत कभी-कभी मवछथत भी हो जाता ह

वजस कषोभोनमादी मचछाथ भी कहत ह कछ समय तक रोगी को मचछाथ क माधयम स सिगातमक

तनािो ि वचनताओ स छिकारा वमल जाता ह

v दवि वयवकतति- कषोभोनमाद का एक मखय लकषण यह ह वक रोगी कभी-कभी एक ही सरान पर

रहकर दसर वयवकतयो क समान वयिहार करन लगता ह वनरा भरमण म तो रोगी सोत सोत भरमण

करन को चला जाता ह परत िि वयवकतति म वबना आिास पररितथन ि घर स भाग समय-समय

पर विवभनन परकार क वयवकतति को िारण कर लता ह

3) कषोिोनमाद क कारण- कषोभोनमाद क मखय कारण वनमनवलवखत ह-

i) मानवसक अवभघात- कछ वयवकत जीिन म ऐसी दखद पररवसरवतयो म इस परकार िस जात ह वक

वनकल ही नही पात ह तरा अत म उनह तीवर मानवसक तनाि उतपनन हो जात ह सिगातमक

तनाि ही मानवसक अवभघात पहचात ह सिगातमक तनाि का मखय कारण दखद समाचार

जसः वपरयजनो की मतय आवरथक हावन ििावहक जीिन म असिलता सामावजक अपरवतषठा

आवद इन मानवसक अवभघातो क िलसिरप वयवकत का मानवसक सतलन वबगड़ जाता ह तरा

उसम कषोभोनमाद क लकषण विकवसत हो जात ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 175

ii) आय- कछ मनोिजञावनको का मत ह वक कषोभोनमाद क कारणो म आय एक परमख कारण ह

वयवकत क सममख वकशोरािसरा क सतर पर सिाथविक समसयाओ का सामना करना पड़ता ह

तरा सिाथविक नराशयो का सामना भी इसी अिसरा म होता ह अपररपकि वयवकतति क कारण

िह इन समसयाओ का समािान नही कर पाता उसम मानवसक तरा सिगातमक तनाि उतपनन

हो जात ह जो कषोभोनमाद क लकषण विकवसत कर दत ह

iii) मनद बवि- हॉवलगबरथ न बहत स सवनको म वयापत कषोभोनमाद का अधययन वकया तरा बताया

वक कषोभोनमादी म बवि की कमी होती ह अनक मनोिजञावनको न इस कारण को सिीकारा नही

iv) दोषपणथ अनशासन- कछ मनोिजञावनका क अनसार कषोभोनमाद का कारण अनशासन का

अविक या वशवरल वनयतरण होन पर आतम वनयतरण की योगयता का विकास नही हो पाता ह

वजसक िलसिरप वयवकतति िीक तरह स विकवसत नही हो पाता ह तरा वयवकत क अनदर

कषोभोनमाद क लकषण उतपनन हो जात ह

v) बवहथमखी वयवकतति- अनक मनोिजञावनको न वयवकतति परकारो क आिर पर कषोभोनमाद का

अधययन करक जञात वकया वक मखयतः बवहथमखी वयवकतति िाला ही वयवकत कषोभोनमाद का रोगी

होता ह

vi) सझाि- कछ लोगो का कहना ह वक जो वयवकत सझािगराही होत ह उनम कषोभोनमाद क लकषण

शीघर उतपनन हो जात ह तरा कषोभोनमाद क लकषणो क विकास म परभािकारी भवमका वनभात ह

vii) असमायोजन- जीिन की समसयाओ स उतपनन असमायोजन करो हॉनी सवलिान फराम आवद

न सामावजक जीिन म असमायोजन को कषोभोनमाद का कारण माना जाता ह

4) कषोिोनमाद का उपिार- कषोभोनमाद क उपचार की वनमन विविया ह-

i) मनोविशलषण विवध- फरायड तरा अनय मनोिजञावनको न कषोभोनमाद का उपचार मनोविशलषण

विवि दवारा वकया ह मनोविशलषण विवि स तातपयथ ह वक रोवगयो क उन कारणो का पता लगाना

वजस वक वयवकत इस रोग का वशकार होता ह इस विवि म दो परकार स वचवकतसा की जाती ह-

क मकत साहचयथ विवि

ख सिपन विशलषण क दवारा

ii) साकि- सकतो क दवारा कषोभोनमाद का इलाज वकया जा सकता ह इस विवि स की गयी

वचवकतसा असरायी होती ह तरा िीक होन क बाद भी इसक लकषण रोगी म पनः उतपनन हो

सकत ह

iii) सममोहन- इस विवि क दवारा रोगी को सममोहन की अिसरा म पहचाया जाता ह तरा सममोहन

की अिसरा म पहचन पर रोगी अपन रोग क बार म बहत कछ बता दता ह इस परकार सममोहन

क माधयम स कषोभोनमाद क अनक लकषणो को दर वकया जाता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 176

116 धचिा कषोभोनमाद क परकार मखयः वचता कषोभोनमाद को 3 िगो म रखकर अधययन वकया जाता ह-

i सरल मतथ वचता कषोभोनमाद

i i परतीकातमक मतथ वचता कषोभोनमाद

i ii परतीकातमक अमतथ वचता कषोभोनमाद

i) सरल मिय विािा कषोिोनमाद- इस परकार क वचनता कषोभोनमाद म रोगी क भय का समबनि कोई

मतथ िसत होती ह इसक परमख लकषण जल आवद स सबवित भय होत ह

ii) परिीकातमक मिय विािा कषोिोनमाद- इस परकार क कषोभोनमाद म रोगी को भय तो मतथ

िसतओ स ही लगता ह परत भय का उददीपन मतथ िसत िासति म परतीकातमक ह जस एक

वयवकत को सदि इस बात का भय रहता रा वक उसकी मतय उसकी पतनी उसक गल म रससी

बािकर करगी यहा रससी का भय परतीकातमक ह

iii) परिीकातमक अमिय विािा कषोिोनमाद- इस परकार क कषोभोनमाद म रोगी का भय उददीपन

अमतथ होता ह रोगी को खल सरान ऊची जगह तरा बनद जगह स भय लगता ह

विशर न इस सबि म एक रोचक उदाहरण का वििरण वदया ह लसी नामक एक मवहला

कायथ करत समय तीवर हदय िड़कन का अनभि करन लगी तरा उसक कछ समय उपरानत िह

सड़क को पार करन म असमरथ हो गयी इसक बाद जब कभी िह घर स बाहर जान की चषटा करती

री तब उसक मन म पागलपन मतय आवद का भय छाया रहता रा जब इस औरत का मनोविशलषण

वकया गया तो जञात हआ वक य भाि पवत को छोड़न का परतीक र

1) विनिा कषोिोनमाद क लकषण- हडिीलड क अनसार मखयतः वचनता कषोभोनमाद दो परकार का

होता ह पररम परकार म बालयािसरा क दवमत भय की पनरािवतत कषोभोनमाद क लकषणो क रप

म होती ह तरा दसर परकार म काम या आिमण जस वनवशि इचछाओ स कषोभोनमाद क लकषण

उतपनन होत ह

वचता कषोभोनमाद क शारीररक लकषणो म परमखतः रोगी म शरीर का रर-रराना बहोश

होना हदय की िड़कन बढ़ जाना आवद लकषण वदखाई पड़त ह भय इस विकवत का महतिपणथ

लकषण ह इसक मानवसक लकषणो म भय क अवतररकत वयाकलता बचनी आवद अनभवतया परमख

रप स दखी जाती ह रोगी को नीद न आन की वशकायत परायः रहती ह

2) विनिा कषोिोनमाद क कारण- फरायड क मतानसार इस रोग का मखय कारण ह वक रोगी का

मनोलवगक विकास मात-परम गरवनर सतर तक पहचकर रक जाता ह समरण रह वक इस सतर पर

बचचो म मा-बाप स यौन सबि की इचछा विदयमान रहती ह परनत ियसक होत ही परम अहम क

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 177

दबाब या भय क कारण इस इचछा का दमन हो जाता ह वजसकी अवभवयवकत वचनता कषोभोनमाद

क लकषणो दवारा होती ह

जन न वचनता कषोभोनमाद का परमख कारण इचछा शवकत की अवयिसरा बताया ह जो वयवकत

अपनी इचछा शवकत को सामानय रप स पयाथिरण क सार समायोजन नही कर पात तो उनका सतलन

वबगड़ जाता ह और ि इस रोग क वशकार हो जात ह कछ मनोिजञावनको का कहना ह वक यह रोग

उनही वयवकतयो को होता ह वजनक सिग पररितथनशील ि सिचछनद होत ह

3) विनिा कषोिोनमाद क उपिार- अनक मनोिजञावनको दवारा परविवियो क दवारा वचनता

कषोभोनमाद क रोगी का उपचार वकया जाता ह मखयतः मकत साहचयथ विवि सममोहन विवि

सकत या सझाि पनः वशकषण आवद परविवियो का उपयोग इनक उपचार क वलए वकया जाता

117 रपानिररि कषोभोनमाद का सिरप रपानतररत कषोभोनमाद कषोभोनमाद का ही एक रप ह वजसम रोगी अपनी दवनदातमक

भािनाओ या विचारो को शारीररक लकषणो म पररितथन करक समािान करता ह रोगो म शारीररक

लकषण तो विदयमान रहत ह परत उनका कोई आवगक कारण या शारीररक आिार नही होता ह

परो0 कमरान क अनसार lsquolsquoरपानतर कषोभोनमाद एक ऐसी परविया ह वजसम अचतन

अनतदवथनद वकसी शारीररक लकषण म पररिवतथत या परकि हो जाता ह वजसस वक अनतदवथनद की

परतीकातमक अवभवयवकत क दवारा तनाि ि वचनता कम हो जात ह

1) रपानिररि कषोिोनमाद क लकषण-

रपानतररत कषोभोनमाद म रोगी को सपषट रप स शारीररक कषट उतपनन हो जात ह वजनका

आिार मानवसक होता ह अधययन क दवषटकोण स रपानतररत कषोभोनमाद क परमख लकषणो को हम

वनमन िगो म रखकर अधययन करग

a) जञानवनरय लकषण

i) जाघ असिवदता या सिदन शनयता

ii) दवषट अयोगयता iii) कम सनना iv) अघराणता या सघन की कषमता समापत हो जाना

b) गतयातमक लकषण

i) पशीय ऐिन क लकषण उतपनन हो जाना

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 178

ii) शरीर म कपन होना iii) सितः ही शरीर म गवतविविया होना वजसका उस जञान नही होता इस विक कहत ह वसर

झिकना पलक झपकना आवद

iv) पशीय सकचन जस हार-पाच की अगवलया मड़ जाना कोहनी ि घिनो म अनमयता आ

जाना

v) िाणी विकार जस सिरहीन हकलाना मकता आवद

c) आनतरागी लकषण

रपानतररत कषोभोनमाद क रोगी क कछ आनतरागी लकषण भी पाय जात ह जसः वसर ददथ

खासी उलिी गला बनद हो जाना जी वमचलाना जी वमचलाना शवास लन म कविनाई आवद उतपनन

हो जाना चावहए

2) रपानिररि कषोिोनमाद क कारण-

सारसन सारसन (2002) न रपानतररत विकवत क कई कारण बताय ह-

1) दःखद या अवपरय पररवसरवत स बचाि की इचछा 2) खोय हए सामावजक सतर की पनः परावपत की इचछा 3) वयवकत की अपराि भािना का परयास करना वजसस उसकी िासतविकता सामन न आ पाय

4) भविषय की कविनाईयो स बचन क वलए रपानतररत कषोभोनमाद क लकषण उतपनन हो जात ह 5) जब रोगी को इस बात की आशा हो वक उस अपन रोग क कारण वकसी परकार की आवरथक

कषवतपवतथ वमल सकती तो िह रपानतर कषोभोनमाद स पीवड़त हो जाता ह

3) रपानिररि कषोिोनमाद क उपिार- रपानतर कषोभोनमाद क उपचार की परमख परवियाए इस

परकार ह-

i) मनोविशलषणातमक परवकरिा- अनय विकवतयो की भावत रपानतर विकवत क उपचार म

मनोविशलषणातमक परविया का परयोग वकया जा सकता ह इसक वलए सिथपररम रोगी वयवकत की

समसयाओ का वििरण परापत करन का परयास वकया जाता ह ततपिात उसकी आशकाओ एि

समसयाओ क बार म यरोवचत सलाह दी जाती ह वक उस जो नकारातमक अनभि होत ह

िासति म उसका कोई पयाथपत कारण नही ह अतः उवचत दवषटकोण विकवसत करन की

अिशयकता ह यवद रोगी को यह समझ आ जाय तो उसम उतपनन होन िाल लकषण समापत हो

जात ह और िह सामानय जीिन वयतीत करन लगता ह

ii) दिाओा का परिोग- इसक उपचार म दिाओ का परयोग बहत साििानी स करना चावहए िस

कोई विकलप न होन पर रोगी वयवकत वचता परवतरोिी एि विषाद शमक दिाइयो का परयोग करत

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 179

ह ऐसी दिाओ स कछ लाभ तो होता ही ह परनत कभी-कभी दिाओ पर वनभथरता बढ़ जाती ह

यह हावनकारक वसरवत होती ह िस दिाओ स दीघथकावलक लाभ तो नही वमलता ह ऐसी

दिाए रपानतर विकवत एि ददथ लकषण म लाभदायक अिशय ह परत विर भी इनक दवारा पणथ

समािान कविन ह

iii) साजञानातमक वििहार उपिार- इस परकार की विकवत क उपचार म सजञानातमक वयिहार

उपचार पिवत स लाभ वमल सकता ह इसक वलए रोगी वयवकत की सोच को बदलन की

आिशयकता पडगी उस आिशयकतानसार सलाह दकर उसका मनोबल बढ़ाया जाना चावहए

उस यह बताया जाय वक य समसयाए कछ खास नही ह य समापत हो जायगी तो इसका उस पर

बहत ही अनकल परभाि पड़गा

सकषप म कह सकत ह वक रपानतर कषोभोनमाद क उपचार क कषतर म अभी कािी कछ शोि

करन की आिशयकता ह

118 साराश वचता विकवत स तातपयथ िसी विकवत स होता ह वजसम रोगी म अिासतविक वचता एि

अिासतविक डर की मातरा इतनी अविक होती ह वक उसम उसका सामानय वजनदगी का वयिहार

अपअनकवलत हो जाता ह तरा इसम वयवकत अपनी वचनता की अवभवयवकत वबलकल ही सपषट ढग

स करता ह-

वचता क मखय तीन परकार ह-

क विषयपरक वचनता

ख नवतक वचनता

ग तवतरकातापी वचता

वचता विकवत क छः परमख परकार ह-

क दभीवत

ख भीवषका विकवत

ग सामानय वचनता विकवत

घ मनोगरसतता बाधयता विकवत

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ड़ अनतर अघातीय तनाि विकवत

च तीवर तनाि विकवत

वचता मनसताप क अनक शारीररक ि मानवसक लकषण कारण ि उपाय ह

दभीवत एक बहत ही सामानय वचनता विकवत ह वजसम वयवकत वकसी ऐस विवशषट िसत या

पररवसरवत स सतत ि असतवलत मातरा म डरता ह जो िासति म वयवकत क वलए कोई खतरा या न क

बराबर खतरा उतपनन करता ह

दभीवत क तीन सामानय परकार बताय गय ह-

क विवशषट दभीवत

ख एगोरादभीवत

ग सामावजक दभीवत

इसक कई कारण लकषण ि उपाय ह

कषोभोनमाद एक सामानय कायापरारप विकवत ह इस किल वसतरयो का रोग माना जाता रा

परत आज इस सतरी परष दोनो का रोग माना जाता ह

119 शबदािली bull दिीवि एक सतत डर परवतविया ह जो खतर की िासतविकता क अनपात स पर होती ह

bull एगोराफोवबिा भीड़-भाड़ या बाजार सरलो स डर

bull वनािा भरमण इसम रोगी नीद म ही उिकर अचतन रप स ऐस अनक जविल कायथ ि वयिहार

करता ह वजसकी समवत उस जागरतािसरा म नही होती

bull सरल मिय विािा कषोिोनमाद इस परकार क वचनता कषोभोनमाद म रोगी क भय का समबनि कोई

मतथ िसत होती ह इसक परमख लकषण जल आवद स सबवित भय होत ह

1110 सिमलयाकन हि परशन 1) वचता क कौन कौन स परकार ह 2) कीड़ मकोड़ स डर को कया कहत ह

3) अकलपन स डर को कया कहत ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 181

4) मतय स डर को कया कवहलाता ह

5) सामावजक वचता विकवत वकस कहत ह

6) वनणथय दभीवत वकस कहत ह

7) परतीकातमक मतथ वचता कषोभोनमाद वकस कहत ह

उततर 1) वचता क परकार- विषयपरक नवतक ि तवतरकातापी

2) इनसकिोिोवबया 3) मोनोिोवबया 4) रनिोिोवबया

5) जब वयवकत को अनय वयवकतयो का सामना करन म डर लगता ह उस सामावजक दभीवत कहत ह

6) जब वयवकत को वनणथय लन म कविनाई होती ह उस वनणथय दभीवत कहत ह

7) इस परकार क कषोभोनमाद म रोगी को भय तो मतथ िसतओ स ही लगता ह परत भय का उददीपन

मतथ िसत िासति म परतीकातमक ह

1111 सनदभथ गरनर सची bull आिवनक असामानय मनोविजञान - डा0 ए0क0 वसह

bull असामानय मनोविजञान- डा0 लाभ वसह एि डॉ0 गोविद वतिारी

bull असामानय मनोविजञान- डा0 डी0एन0 शरीिासति

1112 तनबनिातमक परशन 1 वचनता मनसतापो का वििरण सकषप म कररए 2 दभीवत स कया समझत ह इसक विवभनन परकारो की वयाखया कीवजए 3 वहसिीररया तरा वचता कषोभोनमाद म अनतर सपषट कीवजए 4 रपानतररत कषोभोनमाद क कारण लकषण ि उपायो की वयाखया कीवजए

5 विपपणी- i सामानय ि असामानय वचनता म अनतर

ii िोवबया क कारण

iii दवि वयवकतति

iv समवत लोप

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इकाई-12 मनोविदलिा उतसाह विषाद िरा परानोइया 121 परसतािना

122 उददशय

123 मनोविदलता का सिरप

1231 मनोविदलता क परकार

1232 मनोविदलता क कारण

1233 मनोविदलता क लकषण

1234 मनोविदलता क उपचार

124 उतसाह विषाद

1241 उतसाह विषाद क लकषण

1242 उतसाह विषाद क कारण

1243 उतसाह विषाद क उपचार

125 परानोइया

1251 परानोइया क परकार ि लकषण

1252 परानोइया क कारण

1253 परानोइया क उपचार तरा पररणाम

126 साराश

127 शबदािली

128 सिमलयाकन हत परशन

129 सनदभथ गरनर सची

1210 वनबनिातमक परशन

121 परसिािना मनोविदलता का शावबदक अरथ वयवकतति का विचछद या असत-वयसत होना ह परनत

िासति म इसका अरथ यराथरता स समबनि-विचछद ह इसका मखय कारण ह वक मनोविदलता का

रोगी िासतविक दवनया स अपन समबनि को पणथ रप स तोड़ दता ह तरा अपनी बनाई हई दवनया म

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उततराखड मकत विशवविदयालय 183

ही विचरण करता रहता ह मनोविदलता म अनक परकार क विकार सवममवलत होत ह यही कारण ह

वक परो कोलमन न इस असामानय वयिहारो का एक समह बताया ह वजसम रोगी िासतविकता क

सार समबनि सरावपत करन की योगयता एि उसकी सिगातमक ि बौविक परवियाओ म आिारभत

विकषोप उतपनन हो जात ह परोकमरान क मतानसारldquoमनोविदलता समबनिी परवतवियाए

परवतगमनातमक परयास ह वजनम रोगी िासतविक अनतियवकतक पदारथ समबनिी ि वयामोहो एि

विभरमो क वनमाथण क माधयम स अपन तनािो ि वचनताओ का बचाि करता हrsquorsquo

पराचीन गरीक आवद क लखो म उतसाह-विषाद मनोविकवत का िणथन वमलता ह सिथपररम

मनोिजञावनको का मत रा वक अविक परसनन रहना ि अविक उदास रहना दो अलग-अलग परकार

क मानवसक रोग ह लवकन सिथपररम िारलि तरा बलाजथर (1850-1954) न बताया वक य दो

लकषण ह िपवलन क अनसार इसम रोगी एक ही रोग स गरसत होता ह लवकन इस रोग क दो विरोिी

लकषण होत ह अतयाविक परसननता की अिसरा म विचारो की उड़ान मनोगतयातमक सवियता ि

उतसाह क लकषण परकि होत ह लवकन इसक विपरीत उदासीनता की अिसरा म रोगी म मानवसक

अिरोि विचारो म तकथ हीनता मनोतयातमक सवियता की कमी आवद क लकषण दवषटगोचर होत ह

िपवलन क इस विचार म अनक अधययनो क आिार पर पररितथन हए ह लवकन मल सिरप क

समबनि म कोई पररितथन नही हआ ह

वयामोही विकवत को पहल परानोइया कहा जाता रा परानोइया की उतपवतत गरीक भाषा क

दो शबदो स वमलकर हई ह-परा तरा नोइया परा का अरथ ह वमया अरिा विकत तरा नोइया का

अरथ ह तकथ इस परकार परानोइया का शावबदक अरथ वमया तकथ अरिा विकत तकथ करना होता ह

इस इकाई क अधययन हम मनोविदलता उतसाह-विषाद मनोविकवत तरा परोनोइया रोगो क बार म

विसतत रप स अधययन करग

122 उददशय इस इकाई क अधययन क पिात हम वनमन वबदओ को समझान म सकषम हो सक ग

bull मनोविदला क सिरप तरा परकारो की वयाखया कर सक ग

bull मनोविदलता क कारण लकषण ि उपायो पर परकाश डाल सक ग

bull उतसाह-विषाद विकवत क लकषण कारण ि उपायो क वबद पर चचाथ कर सक ग

bull परानोइया क परकार समझान म सकषम होग

bull परानोइया क लकषण कारण ि उपायो की वयाखया कर सक ग

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उततराखड मकत विशवविदयालय 184

123 मनोविदलिा का सिरप वसििजरलणड क परवसि मनोवचवकतसक बलयलर न सिथपररम इस रोग को मनोविदलता का

नाम वदया वजसका अरथ ह वयवकतति विदलन या वयवकतति म दरार का पड़ जाना मनोविदलता का

यह अरथ ितथमान म सिीकायथ नही ह इस वयवकतति का विदलन या दरार का पड़ जाना न कहकर हम

िासतविकता स समबनि विचछद कह सकत ह इसका कारण यह ह वक रोगी िासतविक दवनया स

अपना समबनि तोड़ दता ह िह अपन दवारा बनाई हई दवनया म विचरण करता ह

कमरान क अनसारlsquolsquoमनोविदलता समबनिी परवतवियाए परवतगमन परयास ह वजसम वयवकत

िासतविकता पर आिाररत अनतिवकतति िसत समबनिो को छोड़न तरा वयामोहो एि विभरमो क

माधयम स तनाि तरा वचनता स बचाि करता हrsquorsquo

कारसन इतयावद 2000 क अनसारlsquolsquoमनोविदलन को ऐसी मनोविवकषपत क रप म पररभावषत

वकया जाता ह वजसम वयवकतति-परवियाओ म विघिन होता ह िासतविकता स समबनि िि जाता

ह सिगातमक कणिा एि विभरम एि विचार तरा वयिहार म वयाििान होता हrsquorsquo

इसस सपषट ह वक मनोविदलता वकसी एक विकार का नाम नही ह िरन मानवसक विकारो

क एक समह को मनोविदलता का नाम वदया गया ह वजसम वयवकतति क विवभनन पकषो जस-

परतयकषीकरण वचनतन सामावजक एि सिगातमक पकषो म गभीर विकवत एि विघिन दखन म आता

ह इसम वयवकत का िासतविकता स समपकथ िि जाता ह ऐसी पररवसरवत म वयवकत अपनी दवमत

वचनता क तीवर तनाि को समापत करन क वलए विवभनन विभरमो एि वयामोहो का सहारा लता ह तरा

अनक परवतगामी परयास अपन वयिहारो म परदवशथत करता ह

1231 मनोविदलिा क परकार-

मनोविदलता को वनमन नौ िगो म िगीकत वकया जा सकता ह-

1) सरल मनोविदलिा- सरल मनोविदलता जसा वक नाम स सपषट ह इसम रोग क लकषण िीर-

िीर ि िवमक रप स विकवसत होत ह इन रोवगयो की पहचान विवचतर अतावकथ क तरा

उदासीनता क आिार पर की जा सकती ह इन रोवगयो की रवचया समापत हो जाती ह य

एकानत म रहना पसनद करत ह बहत कम बोलत ह कछ पछन पर वसर वहलाकर जबाि दत ह

इनह अपन शरीर की सिाई का धयान नही रहता ह य लाभ-हावन सिलता-असिलता की कोई

परिाह नही करत ह रोगी अपन दवारा वनवमथत ससार म विचरण करत ह अपन ही विचारो म

उलझ रहत ह अतयाविक सिारी एि आतमकवनरत हो जात ह यह अपनी परवतवदन की

वियाओ क वलय पररिार पर वनभथर रहत ह माता-वपता वमतरो तरा अनय वयवकतयो दवारा वदय गय

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उततराखड मकत विशवविदयालय 185

सझािो एि आदशो का पालन नही करत ह इनक सिभाि म वचड़वचड़ापन आ जाता ह इन

लोगो क वयिहार म लवगक आिामकता भी पायी जाती ह कछ लोग अपरािी भी हो जात ह

2) हबीफरवनक मनोविदलिा- हबीफरवनक शबद की उतपवतत गरीक भाषा क हीबोफरवनया शबद स

हई ह वजसका अरथ lsquoयिा मनrsquo ह मनोिजञवनको का कहना ह वक यह रोग विशष रप स

यिािगथ या कम आय म ही विकवसत होता ह कोलमन का मत ह वक हबीफरवनक मनोविदलता

क रोगी का समसत वयिहार एक बचच क समान होता ह िासति म उसका यह वयिहार

परवतगमन की वसरवत को परदवशथत करता ह इस रोग क मखय लकषण वचनतन सिगातमक

अवसररता विभरम असगत भरावनत िाकयदोश तरा विघवित वयवकतति ह इन रोवगयो का

अधययन वकया जाए तो पता चलता ह वक इनका वयिहार बड़ा ही विवचतर होता ह यह

सामावजक एि िावमथक वचनतन म लीन रहत ह रोगी अपन वयवकतति स अविक परभावित होता

ह और घणिो अपन कालपवनक पातरो स बात करता ह इन रोवगयो क वयामोह सिाद घराण तरा

शरिण क अवतररकत काम समबनिी िावमथक दणडातमक तरा सिासय वचनता स समबवनित भी

होत ह जब रोग की तीवरता बढ़ती ह तब उसका वयिहार अतयनत विवचतर एि बिकिी भरा

लगता ह रोगी कहता ह वक उसक मह म जहरीली गस भरी ह मह खोलत ही आस-पास क

लोग मर जायग विचारो की अतावकथ कता तरा िासतविकता स समबनि विचछद विवचतर

वयामोह को वयकत करता ह

3) कटाटोवनक मनोविदलिा- किािोवनक मनोविदलता की उतपवतत की उतपवतत यकायक बड़

ही नािकीय ढ़ग स होती ह रोगी क वयिहार म वियाय इस परकार की होती ह वक उनह दखकर

आियथ होता ह इस कारण उसम सिगातमक उदासीनता उतपनन हो जाती ह इस रोग की दो

वसरवतया होती ह-

i) मवछथत वसरवत- इस वसरवत म रोगी की वियाए िीर-िीर मनद पड़न लगती ह रोगी घणिो

एक ही वसरवत म शनय को घरता रहता ह उसका बोलना चलना विरना उिना बिना

एकदम कम हो जाता ह उसका िातािरण स समपकथ ििन लगता ह और िह अतयाविक

उदासीन हो जाता ह ऐसी वसरवत म यवद रोगी को सई चभोई जाए तब भी िह कोई

परवतविया नही करता ह उस खान-पीन तरा मलमतर तयागन की सिदना नही रहती ह यवद

उसक हार को ऊपर कर वदया जाए तो पर वदन उसका हार ऊपर ही रहता ह

ii) उततवजत वसरवत-यह वसरवत मवछथत अिसरा क िीक विपरीत होती ह इसम रोगी की

शारीररक वियाए इस परकार चलती ह जस दीिार घडी का पणडलम वनरनतर चलता रहता

ह उसकी सिगातमक अवभवयवकत वयाकलता का उगर रप िारण कर लती ह ऐसी तीवर

वियाओ तरा उगर परवतवियाओ का आिार िातािरण समबनिी उददीपक वसरवत नही िरन

बाह दवषट स उनका वनिाथरण रोगी सितनतर रप स करता ह रोगी की यह वियाए उददशयहीन

तरा लकषयहीन होती ह मनोगतयातमक दवषटकोण स इनका सिरप समबवनित वयवकत क

अचतन की दवमत इचछाओ दवारा अवभपरररत होता ह रोगी की वियाय कभी-कभी

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 186

आिामक तरा विनाशातमक भी हो जाती ह रोगी कमर म रख सामान पदो कपडो तरा

िनीचर आवद को तोड़-िोड़ दता ह अपन सामन िाल वयवकत पर अचानक आिमण कर

बिता ह इनकी यह उततवजत वसरवत घणिो तरा कई वदनो तक बनी रहती ह

4) परानािर मनोविदलिा- परानायड मनोविदलता क रोवगयो म बाह िासतविकता स िाछनीय

समायोजन करन की योगयता का पणथ अभाि पाया जाता ह य रोगी परायः 25 स 40 िषथ की

आय क होत ह पररम परिश क समय 50 परवतशत रोगी परानायड मनोविदलता क होत ह इन

रोवगयो म अतावकथ क विवचतर पररितथनशील वयामोह क विवशषट लकषण पाय जात ह इनम

दणडातमक वयामोहो की परिानता होती ह रोगी वशकायत करता ह वक लोग उसका पीछा कर

रह ह उस जहर दकर मारना चाहत ह इसक अवतररकत महानता का वयामोह सि-सदभथ तरा

अनवचत परभाि क वयामोह भी वमलत ह इन रोवगयो म शरिण दवषट तरा अनय परकार क विभरम

भी पाय जात ह इन रोवगयो की तावकथ क वनणथय योगयता समापत हो जाती ह जब रोगी की दशा

वबगड़ती ह तब उसकी बौविक ि सिगातमक योगयताओ का विघिन गमभीर रप स हान लगता

ह परानायड मनोविदलता तरा परानोइया क रोवगयो म यह अनतर ह वक मनोविदलता क

रोवगयो क वयामोह अतावकथ क एि पररितथनशील होत ह जबवक परानोइया क रोवगयो क

वयामोह तावकथ क ि सरायी होत ह मनोविदलता म रोगी का वयवकतति अतयाविक विघवित हो

जाता ह परानोइया क रोगी का वयवकतति वयामोहो को छोड़कर सगवित रहता ह

आगरा मानवसक वचवकतसालय क एक मनोविदलता रोगी वनमन साकषातकार वकया गया वििरण इस

परकार ह-

डॉकिर-आप कौन ह

रोगी-म वहिलर ह

डॉकिर-आप कया करत ह

रोगी-म अपन हड किािथर पर ह दवखए यह मरी िौज ह (सामन क विवभनन बरको की ओर

सकत करत हए वजनम अनक मानवसक रोगी रहत ह)

रोगी -दवखए यह मरी एयर िोसथ ह (सामन उड़त हए एक हिाई जहाज की ओर दखत हए

तरा उस सलामी दत हए सकत करता ह)

5) बालिकालीन मनोविदलिा- इस परकार की मनोविदलता क लकषण बालयािसरा स ही

आरमभ हो जात ह इसम रोगी लोगो स दर भागता ह उसकी विचार परविया का विघिन

अवनयवनतरत काम तरा आिामक परिाहो का होना आवद सवममवलत ह इनका वचनतन वनमन कोवि

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 187

का होता ह इनकी भाषा म विवभनन दोश उतपनन हो जात ह बणडर न 2 स 13 िषथ की आय िाल

600 रोवगयो का अधययन वकया वनषकषथ इस परकार पाय गय-

i) रोगी बालक आतम पररचय दन म पणथ असमरथ होता ह

ii) रोगी बालक िासतविकता स समबनि रखन म पणथ असमरथ होता ह iii) रोगी बालको क माता-वपता तरा अनय वयवकतयो स तादातमय सरावपत करन म पणथ

असमरथ होता ह

iv) रोगी बालक मनोरचनाओ को सही ढग स परयकत नही कर पात ह

v) रोगी बालको म दढ़ता वचनता आवद उतपनन हो जाती ह

vi) नीद भोजन एि अनय सामानय वयिहारो म अवनयवमतता पायी जाती ह

6) िीवर अिकवलि मनोविदलिा- मनोविदलता क इस परारप म विवभनन परकार क अनक

लकषण वमवशरत रप स दखन म आत ह इन लकषणो का सिरप वसरर नही होता ह ऐस लकषण

कछ समय क वलय परकि होत ह विर सितः समापत हो जात ह यह परारप मनोविदलता क रोग

की परारवमभक अिसरा का रप ह यवद रोगी का समय स उपचार न वकया जाए तो यह

मनोविदलता क वकसी भी एक परारप का रप ल लता ह

7) दीघयकालीन अिकवलि मनोविदलिा- दीघथकालीन अिकवलत मनोविदलता भी अनक

वमवशरत लकषणो का रप ह इसम रोगी क वयवकतति म अनक लकषण जस-सिगातमक वयिहार

बौविक हास एि वयािहाररक विचलन आवद लकषण परकि होत ह ऐस लकषणो का सिरप

मनोविदलता क लकषण की भावत दीघथकालीन होता ह इस परकार क रोवगयो म नयनतमतम

समायोजन की कषमता अिशय बनी रहती ह जो परायः मनोविदलता क रोगी म कम दखन को

वमलती ह

8) सीिो-अफवकटि मनोविदलिा- मनोविदलता क इस परारप म मानवसक लकषणो की

परिानता क सार-सार उतसाह अरिा विषाद की वसरवत भी उतपनन होती ह इसम रोगी वचनता

की वसरवत म विवचतर वयिहार परकि करता ह

9) अिवशि मनोविदलिा- मनोवचवकतसालय क दीघथकालीन उपचार क उपरानत कछ

मनोविदलता रोगी सिसर भी हो जात ह और कछ रोवगयो म जविल लकषण समापत नही होत ह

रोगी म यही लकषण कछ न कछ मातरा म अिवशषट रप म रह जात ह ऐस रोवगयो को ही

अिवशषट शरणी म रखा जाता ह

1232 मनोविदलिा क कारण-

मनोविदलता विकारो की उतपवतत क वलय कोई एक कारक उततरदायी नही ह विवभनन

कारक सवममवलत रप स अपना परभाि वयवकत पर डालत ह इन कारको को तीन भागो म बािा जा

सकता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 188

1 जविक कारण 2 मनोिजञावनक कारण 3 सामावजक कारण

2) िविक कारण

मनोविदलता क जविक कारणो को वनमन रप म सपषट वकया जा सकता ह-

i) अनिावशकता - विवभनन विदवानो न िशानिम को मनोविदलता की उतपवतत का कारण

माना ह कालमन न अपन अनसिानो दवारा यह वसि वकया ह वक यवद माता-वपता म स

एक वयवकत मनोविदलता स पीवड़त रहा ह तो उनक बचच 164 परवतशत इस विकार स

पीवड़त पाय गय ह यवद माता-वपता दोनो विकार स पीवड़त ह तो उनक बचच 681 परवतशत

इस विकार स पीवड़त हो सकत ह समरप यमज म यह समभािना 862 परवतशत री इस

परकार सपषट ह वक मनोविदलता की उतपवतत म िशानिम का योगदान महतिपणथ ह

ii) शारीररक रचना- शारीररक रचना िशानिम तरा िातािरण की वमवशरत दन ह िशमर क

अनसार एसरवनक तरा एरलविक परकार क वयवकत मनोविदलता स अविक पीवड़त होत ह

शलडन क अनसार लमबाकवत तरा मधयाकवत वयवकत अनय मनसपात की अपकषा

मनोविदलता स अविक पीवड़त होत ह परनत इस समबनि म मनोिजञावनको म कािी

मतभद ह

iii) कनरीय सनायमणडलः- अनक विदवानो न मनोविदलता एि सामानय रोगी क मवसतषक का

तलनातमक अधययन वकया और पाया वक दोनो क मवसतषक कोशो म कोई सारथक अनतर

नही ह कछ मनोिजञावनक इस रोग का कारण वदल का छोिा होना नवलकाविहीन गरवनरया

आवद मानत ह परनत आज तक इन पररणामो क समबनि म कोई वनवित मत परापत नही

हआ ह

3) मनोिजञावनक कारण

िपवलन न िशानिम क सार-सार मनोिजञावनक कारको को भी मनोविदलता का कारण

माना ह बललर न वनराशा ि अनतदवथनदव को फराइड न अचतन को एडलर न समपणथ वयवकतति को

मनोविदलता का परमख कारण माना ह मनोविदलता रोग की उतपवतत म वनमन मनोिजञावनक कारण

महतिपणथ ह-

i) विकत पाररिाररक जीिन- माता-वपता क अवतररकत पररिार क अनय सदसयो क सार

उवचत समबनि होन क कारण रोगी म अनक परकार क अनतदवथनदव उतपनन हो जात ह उसकी

विभदकारी कषमता घि जाती ह रोगी वचनता स गरसत हो जाता ह रोगी क पररिार का

विघिन एि असगत सिरपी रोगी की विचार परविया म सपषट रप स दखा जा सकता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 189

माता-वपता का अनपयकत ििावहक समबनि तरा सिगातमक समायोजन भी बचचो म

मनोविदलता क परवत उनमखता बढ़ाता ह अतः सपषट ह वक पररिार की कोई भी वसरवत

बालक म अनपयकता असरकषा तरा हीनता उतपनन कर सकती ह और आग चलकर उसक

घातक परभाि वदखाई द सकत ह मनोविदलता क रोवगयो का इवतहास दखन स सपषट ह वक

य रोगी बचपन स ही दर भागन का परयास करत ह ि अपन विचारो को दसरो स नही कह

पात ह इनका वचनतन अपन तक ही सीवमत रहता ह

ii) शशिकालीन मनो-घात- मनोिजञावनको न शशिकाल क आघातो को मनोविदलता का

कारण माना ह िाहल न मनोविदलता क 568 रोवगयो का अधययन वकया और बताया वक

4 परवतशत रोवगयो क मा-बाप की मतय उनकी बालयािसरा म ही हो गई री अरिा तलाक

आवद कारणो स िह अलग हो गय र ऐस रोगी पाररिाररक आघातो को सहन नही कर

पाय तरा उनक मन म ऐस घाि उतपनन हो गय वजसक कारण िह जीिन की दबाि पणथ

पररवसरवतयो का सामना करन म अपन को असमरथ पान लग य रोगी बड़ होकर जीिन की

कविन पररवसरवतयो स बचन क वलए बालयािसरा का सहारा लन लग

iii) वनराशा तरा अनतदवथनदव- मनोिजञावनको का कहना ह वक दोषपणथ वयवकतति विकास रोवगयो

म अतयाविक सिदनशीलता समपको स दर भागना तरा असरकषा की भािना क कारण

रोगी क सममख वकशोरािसरा या पिथ-परौढ़ािसरा की अनक समसयाय उपवसरत होती ह

परतयक असामानयता क पीछ वनराशा की मखय भवमका होती ह मनोविदलता क रोवगयो

की असिलता ितथमान पररवसरवत क समायोजन म बािक होती ह इस परकार रोगी

विवभनन वनराशाओ तरा अनतदवथनदव तातकावलक कारण ह

iv) परवतगमनातमक सिरप- मनोविदलता परवतगमन की चरमसीमा ह फराइड क अनसार

मनोविदलता अचतन म वछपी समलवगकता का पररणाम ह रोगी परवतगमन दवारा अचतन

की दवमत इचछाओ स अहम की रकषा करता ह यग न मनोविदलता का कारण बालयािसरा

की ओर पलायन माना ह कयोवक शशिािसरा म इन आिगो की परिानता होती ह रोगी

का बौविक एि सिगातमक सिरप अतयाविक असपषट अतावकथ क तरा असगत होता ह

रोगी वशशओ क समान ऐस कालपवनक जगत म खोया रहता ह वक उस िासतविकता का

जञान नही रहता ह

v) अनय मनोिजञावनक कारण- एलडर न मनोविदलता का कारण हीनता की भािना माना ह

हीनता की भािना क कारण वयवकत समायोजन करन म असिल हो जाता ह वजसक

पररणामसिरप उसम विवभनन परकार क वयामोह विभरम भय आवद लकषण उतपनन हो जात

ह फराइड मनोलवगक विकास क परभाि को मनोविदलता का कारण बताता ह कछ

मनोिजञावनक मनोविदलता का कारण अनतमथखी वयवकतति मानत ह

4) सामाविक कारण

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उततराखड मकत विशवविदयालय 190

अनक अधययनो क अनसार मनोविदलता रोग कछ सामावजक समहो म अविक पाया

जाता ह कयोवक बड़ शहरो म वयवकत क सममख अविक कविन समसयाओ तरा दबािपणथ

पररवसरवतया होती ह इसी परकार कछ वयिसायो तरा िमो म मनोविदलता का घिनािम अविक

ह अतः हम कह सकत ह वक सामावजक और मनोिजञावनक कारक आपस म इतन समबवनित ह वक

इनह एक-दसर स अलग नही वकया जा सकता ह

1233 मनोविदलिा क सामानि लकषण -

मनोविदलता दो परकार की परवियाओ क पररणामसिरप उतपनन होती ह मनोविदलता एक

समय म होन िाला रोग नही ह अवपत कािी समय तक िीर-िीर अनक विवचतर लकषण उसक

वयिहार म विकवसत होत रहत ह वजस परविया को मनोविदलता कहत ह इसक अवतररकत कछ

सािवगक विकवतया अचानक उसक वयिहार म उतपनन हो जाती ह तब इस परवियातमक

मनोविदलता कहत ह मनोविदलता क कई परकार ह वकनत कछ ऐस सामानय लकषण ह जो सभी

मनोविदलता म समान रप स पाय जात ह

1) िासिविकिा स पलािन- मनोविदलता क रोवगयो का परिान लकषण जीिन की िासतविकता

स पलायन करना ह यह रोगी अपन दवारा वनवमथत (कालपवनक) दवनया म विचरण करत ह इनका

िासतविकता स कोई समपकथ नही होता ह और न ही बाहय घिनाओ म कोई रवच लत ह

इनकी समवत वचनतन परतयकषीकरण तरा कलपनाए आवद इनक वनजी आनतररक जीिन स

वनयवनतरत होत ह य रोगी अपन आसपास क ससार म कोई रवच नही लत ह इस कारण इनका

लोगो स समबनि िि जाता ह

2) सािगातमक विकवििा- सिगातमक उदासीनता इन रोवगयो का मल कनर वबनद ह

सिगातमक पररवसरवतयो क परवत रोगी उदासीन रहता ह यहा तक वक अपन वपरयजन की दघथिना

हो जान पर भी दख वयकत नही करता ह वकसी परशन का उततर नही दता ह भख पयास क परवत

उसका धयान नही रहता उस एकानत म रहना अचछा लगता ह असपताल क एक िाडथ म रहन

िाल दो रोगी आपस म एक-दसर का नाम तक नही जानत जस-जस रोग की तीवरता बढ़ती

जाती ह उनकी उदासीनता भी बढ़ती जाती ह कभी-कभी यह रोगी अकारण हसन लगत ह रोन

लगत ह आवद मनोविदलता क रोवगयो म अनक सिगातमक परवतवियाय वदखाई पड़ती ह- 1)

अनपयकता 2) उदासीनता एि सिगातमकता का अभाि 3) दढ़ता 4) उभय भािातमकता 5)

अविशवास 6) विपरीत सिगातमकता 7) सािवगक ररवकतता

3) विकि-वििार परवकरिा- मनोविदलता क रोगी क विचारो म अनक विकवतया पायी जाती ह

इन रोवगयो का विचार-िम अतावकथ क विवचतर तरा बड़ा ही असगत परतीत होता ह सािारण

िसत क परवत इनकी वियाय बड़ी ही विवचतर एि जविल होती ह इस कारण इनक सामावजक

समबनि पयाथपत रप स असत-वयसत हो जात ह इनह अपन वचनतन पर वनयनतरण नही होता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 191

इनक विचार असपषट वदशाहीन विशरखवलत तरा भरावनतपणथ होत ह िषलर बलवय तरा रोशा

परीकषणो क आिार पर इन रोवगयो क वचनतन म वनमन विशषताए पायी जाती ह

i एक ही परतयय म अनक परतययो क रप को वयकत करना

ii मतथ अमतथ क मधय भद न करना iii परतययो म सिवनवमथत निीन अरथ जोड़ना iv परतीको को अविक मातरा म परयोग करना v जस सतय एि कालपवनकता को एक समझना vi तकथ शासतर क वनयमो का पालन न करना vii वकसी िसत की वििचना करत समय वयवकतगत परसगो का अतयाविक उपयोग करना

इन रोवगयो का वचनतन मतथ होता ह बललर न एक रोगी स पछाldquoकया तमहार मवसतषक पर

कोई िसत अवतररकत दबाि डाल रही हrsquorsquo रोगी न उततर वदया lsquolsquoहा लोहा भारी होता हrsquorsquo इनक

वचनतन म इस विवचतरता का कारण इनका सिवनवमथत ससार एि विकत सािवगक अवभिवततयो की

परिानता ह यह रोगी जसरथ क सार िसतगत समबनि रखन म अपन को असमरथ पात ह

4) िाषा समबनधी विकवििा- मानवसक हास क कारण मनोविदलता क रोगी गग वयवकत की

तरह चपचाप एि शानत बन रहत ह इनक शबदो तरा विचारो म कोई तावकथ क समबनि नही

होता ह इनकी भाषा म कई विकवतया पायी जाती ह

1) असपषटता 2) पनरािवतत 3) असगतता 4) असमबवनित

5) निीन शबदो का वनमाथण आवद वजनका अरथ रोगी ही सिय समझ पाता ह

5) विामोह- वयामोह ऐस झि विशवास ह जो वयवकत क मवसतषक म इतना गहरा सरान बना लत ह

वक लाख तकथ तरा परमाण दन पर भी रोगी उनह सतय ही मानता ह रोगी क वयामोह सिपनो क

समान होत ह वजनम िह अपन को कोई बड़ा वयवकत या राजा या महान परष मान बिता ह

मनोविदलता क रोगी म दणडातमक तरा महानता क वयामोह की मातरा अविक पायी जाती ह

रोगी वचवकतसक को अपना शतर दिा को विष समझता ह अपनी ओर आत हए वयवकत को

दखकर यह कहता ह वक यह मझ मारन क वलय आ रहा ह मरी हतया करना चाहता ह

मनोविदलता क रोगी क वयामोह बड़ विवचतर एि अतावकथ क होत ह पज न एक अवििावहत

सतरी रोगी का उदाहरण परसतत वकया ह िह सतरी िि परान कपडो का बणडल बनाकर उस अपना

बचचा कहती री िाडथ क डॉकिर को बचच का वपता बताती री डाकिर को िाडथ म आता

दखकर बचच को पयार करन लगती री और वकसी अनय वयवकत को छन नही दती री परवतवदन

रात म उस अपन पास सलाती री

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उततराखड मकत विशवविदयालय 192

6) विभरम- अनय मानवसक रोवगयो की अपकषा मनोविदलता क रोवगयो को विभरम भी होत ह

इसम रोगी को सनन समबनिी विभरम अविक होत ह रोगी िमकी वतरसकार तरा परशसा भरी

आिाज सनता ह कभी-कभी अपन कपड़ उतारकर मारपीि करन क वलए तयार हो जाता ह

इसक विपरीत रोगी को दवषट सिाद गि तरा सपषथ समबनिी विभरम होत ह िह एकात म बिकर

अलौवकक रशय दखता ह जस कभी भगिान सिय परकि होत ह कभी वदवय परकाश क रप म

सदष परापत होता ह कभी मत समबवनियो क दशथन करता ह शककी सिभाि क रोगी अकसर

सपषथ समबनिी विभरम का अनभि करत ह

7) लखन विलकषणिा- ऐस रोवगयो की वलखािि म विवचतरता पायी जाती ह ि अपनी लखनी

म शबद तरा िाकयो को बारमबार वलखत ह वनररथक शबदो का परयोग करत ह वयाकरण तरा

विराम आवद का इनह जञान नही रहता ह कभी-कभी वबलकल शानत हो जात ह और कभी-कभी

बहत अविक वलखत ह

8) वििहार समबनधी विकवि- मनोविदलता का रोगी अपन शरीर को विवचतर ढग स एक ही

मरा म मरोड़कर कई वदन तक बिा या खड़ा रहता ह ि शनय म िकिकी बाि घरत रहत ह

विवचतर ढग स हसत ह तरा दढ़ एि शषक वयिहार करत हए वदखाई दत ह वयिहार म

सामावजक परवतमानो का अभाि तरा अपन परवत अतयाविक उदासीनता रहती ह

9) शारीररक दशा- मनोविदलता क रोगी का शरीर इतना दबथल हो जाता ह वक िह शारीररक

पररशरम करन म अपन को असहाय एि असमरथ पाता ह उस नीद नही आती ह यह सदी-गमी

स अपना बचाि नही कर पात ह भख भी नही लगती ह सिचछता का इनह जञान नही रहता ह

10) अनि लकषण- उपरोकत लकषणो क अवतररकत तीवर वचनता एि आतक धयान क परवत अतयाविक

विचलनशीलता नवतकता म रवचयो का अभाि अविगम योगयता का अभाि तरा विकत

समरण शवकत आवद लकषण भी मनोविदलता क रोवगयो म उतपनन हो जात ह रोगी दसरो की

परवतवियाओ क समबनि म पिथ अनमान तरा कलपना कर सकन म अपन को असमरथ पात ह

इनम सख की अनभवत करन की योगयता नही होती ह इनका जीिन दसरो क अनरप वयिहार

करन योगय नही रहता ह

इस परकार सपषट होता ह वक मनोविदलन क रोगी म अनक परकार क लकषण वदखाई पड़त ह

इनम कछ िनातमक तो कछ नकारातमक होत ह

1234 मनोविदलिा का उपिार-

मनोविदलता क रोगी की अतावकथ कता एि विवचतरता इतनी बढ़ जाती ह वक उसका

समपणथ वयवकतति वछनन-वभनन हो जाता ह आज स तीन दशक पिथ इन रोवगयो का उपचार आसानी स

समभि नही रा 30 परवतशत रोवगयो क उपचार हत उनह मनोवचवकतसालयो म भज वदया जाता रा

वजसम 23 परवतशत रोवगयो म कछ सिार हो जाता रा तरा 7 परवतशत रोवगयो की वसरवत म कोई

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उततराखड मकत विशवविदयालय 193

सिार नही होता रा परनत आज मनोविदलता रोग की अनक निीन उपचार पिवतया विकवसत हो

गई ह जस -

1) रसािन विवकतसा विवध- रोगी की दशा को सिारन क वलय सकल न एक उपचार

पिवत का परवतपादन वकया रोगी जब दौर की वसरवत म होता ह तब उसको इनजकषन दवारा

इनसवलन की अवतररकत मातरा रकत म परिावहत की जाती ह वजसस उसकी वसरवत म रोड़ा

सिार हो जाता ह मड़यना न इनसवलन क सरान पर मटराजोल इनजकषन का परयोग वकया ह

रोगी की तीवर आशका वचनता एि तनाि को दर करन क वलय दवषचनता उनमलक

औषवियो का परयोग वकया जाता ह यह औषविया रोग क लकषणो को कछ सीमा तक

सिार सकती ह उनका उपचार नही कर सकती ह

2) शारीररक विवकतसा- शारीररक वचवकतसा क अनतगतथ दो परकार की पिवतया परयोग म

लायी जाती ह-

i विदयत आघात वचवकतसा- रोगी क विवभनन लकषणो को समापत करन क वलए विदयत

आघात वचवकतसा का परयोग वकया जाता ह इसम रोगी की कनपिी पर दो विदयत

आघात वचवकतसा का परयोग वकया जाता ह इसम रोगी की कनपिी पर दो इलकटरोड़

लगा वदय जात ह तरा रोगी क दातो क मधय म आघात शलय कछ सकणड तक एक

वनवित ऐवमपयर की विदयत िारा परिावहत हो जाती ह वजसस रोगी तड़प क सार दौर

की वसरवत म चला जाता ह इसक पिात रोगी अपनी पिथ बातो को कछ समय क

वलय भल जाता ह

ii मवसतषकीयशलय वचवकतसा- शलय वचवकतसा क माधयम स मवसतषक कािकस ि रलमस क मधय उस भाग को विचछवदत कर वदया जाता ह वजसका समबनि वयवकत की उचच

मानवसक वियाओ तरा सिगो स होता ह इस वचवकतसा स रोगी की वसरवत म वयापक

सरायी सिार आ जाता ह तरा रोगी को समायोजन करन म सहायता परापत होती ह यह

वसरवत जोवखमपणथ भी होती ह

3) मनोसामाविक विवकतसा- मनोविदलता क रोगी की वनराशा तरा मानवसक दवनदवो को

समापत करन की विवभनन मनोसामावजक विवि ह-

समह वचवकतसा- इस पिवत म रोगी क वलए ऐसा िातािरण तयार वकया जाता ह वजसम िह आपस

म वमल-जलकर वयवकतगत रप स िाताथलाप कर सक अपनी बीमारी क कारणो तरा उतपवतत को

समझ सक समह वचवकतसा पिवत म साइकोरामा तरा भवमका वचवकतसा विवि का भी परयोग

वकया जाता ह वजसक दवारा वयवकत क अचतन म दवमत विचार इचछाय एि वििलताय अवभनय

करत समय अवभवयकत हो जाती ह वजसस रोगी क लकषणो म कमी आ जाती ह इसक अवतररकत

पविग वचवकतसा पिवत तरा सगीत वचवकतसा पिवत आवद का भी परयोग उपचार हत वकया जाता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 194

4) सामदाविक उपिार- इस उपचार पिवत म मनोविदलता क विवभनन रोवगयो की वयिसरा

एक ऐस सरान पर की जाती ह जहा ि सिय की दख-रख म अपनी आिशयकताओ जस-

भोजन पानी सनान मलमतर तयाग आवद कायथ सिय करत ह कछ समय पिात रोगी सिय

सामानय रप स कायथ करन लगत ह अतः उनकी वसरवत म पयाथपत सिार वदखाई दता ह

सामानयतः इन रोवगयो का उपचार मानवसक असपतालो म ही समभि ह इनह घर पर रखकर

िीक नही वकया जा सकता ह

124 उतसाह-विषाद मनोकति सन 1854 म िालरि ि बलाजथर न इस रोग क समबनि म सिथपररम वयाखया परसतत की

िालरि न 1879 म एक ऐस रोगी का उललख वकया वजसम उतसाह ि विषाद दोनो लकषणो की

वमवशरत अिसरा री इस अिसरा को उसन सिमणकालीन अिसरा कहा

1241 उतसाह-विषाद मनोविकवि क सामानि लकषण-

सामानयतः उतसाह-विषाद मनोविकवत क रोवगयो म अगरवलवखत सामानय लकषण पाए जात ह-

i परतिकषीकरण की अिोगििा- सामानयतः इस परकार क रोवगयो क परतयकषीकरण का दोष

आ जाता ह ि वकसी भी िसत को दख सकत ह लवकन समबनि म अविक जानकारी नही

होती अगर इस परकार क रोवगयो को कछ पढ़न को वदया जाए तरा उनस पछा जाय वक

इसम कया वलख हआ ह तो ि कछ भी बतान म समरथ नही होत इसका परमख कारण होता

ह वक इनम एकागरता की कमी होती ह

ii अवि उततिना ि ििना का खोना- सामानयतः इस परकार क रोगी को अविक

उततजनशील एि आिशयकता स अविक उदास रहन क िलसिरप अपनी चतना का जञान

नही होता रोवगयो को समय सरान वदनाक आवद का भी जञान नही होता इसका मखय

कारण इस रोग का मखय आिमण ह वजसक िलसिरप अचतन मन की गरवनरया चतना

पर परभाि जमा लती ह तरा रोगी की चतना समापत या कम हो जाती ह इस तय को

िपवलन न भी सिीकार वकया ह कयोवक उसका कहना रा वक इस परकार क रोग क अनतगतथ

रोगी को अपन िातािरण का जञान या चतना नही रहती ह

iii वमिा वनणयि शवि- रोगी म झि या सतय क समबनि म वनणथय शवकत की कमी हो जाती

ह वजसक िलसिरप िह कभी-कभी िह झि को सतय और सतय को झि समझन लगता

ह इसी कारण रोगी म अनक वमया विचार आत ह तरा िह सदि कलपना की दवनया म

विचरण करता रहता ह अगर िह वकसी सरान पर दो वयवकतयो को बात करत दखता ह तो

यह समझता ह वक उस िासी दन की योजना बनाई जा रही ह ि इस पणथ रप स सही भी

मान लत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 195

iv विपियि िथा विभरम- रोगी मखयतः अपनी वचततिवतत क अनरप विपयथय तरा विभरम का

वशकार हो जाता ह जस- उतसाह की अिसरा म रोगी वकसी भी आन िाल वयवकत को

अपना पतर समझ लता ह तो विषाद की अिसरा म िही आन िाला वयवकत उस घातक शतर

क रप म वदखाई पड़ता ह

v सािगातमक िनािो का बाहलि- उतसाह-विषाद मनोविकवतयो क रोवगयो म मखयतः

सिगातमक की परिानता होती ह उतसाह की अिसरा म रोगी बहत अविक आशािादी हो

जाता ह िह इतनी वियाय करता ह वजनको दखकर पता चलता ह वक उसम बहत अविक

शवकत आ गई ह विषाद की अिसरा म रोगी आिशयकता स अविक भयभीत ि सदि

वनिथनता या अपनी हतया आवद की भािना स गरसत रहता ह विषाद क 75 परवतशत रोगी

आतमाहतया करन क विचार रखत ह तरा करीब 10 स 15 परवतशत रोगी आतमहतया करन

का परयास भी करत ह

1242 उतसाह-विषाद मनोविकवि क कारण-

उतसाह-विषाद मनोविकवत क पिथ परितयातमक तरा तातकावलक कारणो को हम मखयतः

तीन भागो म बािकर अधययन कर सकत ह-

1 जविक कारक 2 मनोिजञावनक कारक 3 सामावजक कारक

1) िविक कारक िपवलन परसी आवद न उतसाह-विषाद मनोविकवत क कारण िश-परपरा माना

जाता ह वबरज का कहना ह वक करीब 70 परवतशत रोवगयो म िश परमपरा का हार रहता ह

सटरकर ि इबो का मत ह वक वयवकत िश-परमपरा क माधयम स कछ शीलगण परापत करता ह जो

इस रोग को उतपनन करन म सहायक ह रोसनॉि हणडी ि पलस आवद अनक विदवानो न यमजो

पर अधययन वकय तरा अपन अधययन क आिार पर बताया वक मलभत रप स इस रोग को

उतपनन करन का कारण िश-परपरा ह सलिर न अपन अधययन दवारा इस तय को बताया वक

समान जनसखया म इस रोग क उतपनन होन की समभािना किल 005 ही ह जबवक इन रोवगयो

क मा-बाप भाई-बवहन ि बचचो म इस रोग की समभािना करीब 15 परवतशत ह रनी ि िाउलर

न 208 उतसाह-विषाद क रोवगयो म 63 परवतशत िश-परपरा क परभाि को पाया इन अधययनो

स पणथतः सपषट हो गया ह वक इस रोग क उदभि म िशपरमपरा का महतिपणथ हार ह

कछ विदवानो न शारीररक बनािि को भी इस रोग का कारण माना ह जस- िशमर न 85

रोवगयो का अधययन करन क बाद बताया वक इस रोग का कारणशारीररक गिन भी ह उसन

वपकवनक परकार क वयवकतति िाल वयवकतयो को परमख रप स इस रोग का वशकार बताया इस परकार

क वयवकत कद म तो नाि तरा इनकी तोद लमबी होती ह शलडन न ऐस वयवकतयो को वजनकी

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 196

शारीररक बनािि lsquoमसोमाविथ कrsquo ि lsquoऐणडोमाविथ कrsquo परकार की होती ह इस रोग का वशकार शीघर हो

जान िाला बताया ह

कछ विदवानो न आनतररक-शारीररक उपरवयो को भी इस रोग का कारण माना ह

अनतःसरािी गरवनरयो म गड़बड़ी पाचन विया तरा रकत-चाप म गड़बड़ी आवद क कारण स भी यह

रोग उतपनन हो जाता ह एक अतयनत रोचक तय का वििरण जमस 1961 न वकया ह उसन बताया

ह वक विषाद-वसरवत की अपकषा उतसाह की वसरवत ि शारीररक रचना समबनिी कारक अतयनत

सहायक होता ह

यहा इस बात को पणथतः धयान म रखना चावहए वक किल जविक कारक ही एकमातर इस

रोग को उतपनन करन म सहायक नही होत ह बवलक अनय कारण इसक उतपनन करन म सहायक होत

2) मनोिजञावनक कारक अनक मनोिजञावनको न जस-मयर कबी तरा बललर आवद न उतसाह-

विषाद मनोविकवत क कारणो म मनोिजञावनक कारको का उललखनीय परभाि बताया ह इनका

कहना ह वक उतसाह-विषाद मनोविकवत मनोविकवत क रोवगयो म मानवसक गिन एि मानवसक

वियाओ का अविक परभाि पड़ता ह पणथ रप स वकसी विशष मनोिजञावनक वसरवत को

उतसाह-विषाद क रोग क कारण तरा ितथमान जविल ि तीवर दबािपणथ अिसराए इस रोग क

विकास म सहायक होती ह यग न कहा वक जो वयवकत बवहमथखी वयवकतति िाल होत ह ि

परिानतः इस मनोविकवत क वशकार हो जात ह फरायड न उतसाह-विषाद मनोविकवत क

मानवसक कारणो की वयाखया अपन मनोलवगक विकास क वसिानत क आिार पर की ह मा-

बाप क बीच वयिहार मानवसक विकास म एक महतिपणथ भवमका वनभात ह अविकतर ऐसा

दखा गया ह वक अविकाशतः इस रोग स गरसत रोगी का अतयनत कड अनशासन उचच नवतक

आदषथ ि मानयताओ म पालन-पोषण हआ होता ह

मकडगल न उतसाह-विषाद मनोविकवत क मानवसक कारणो पर अविक जोर वदया ह तरा

उसक अनसार यह रोग आतम-सममान ि आतम-समपथण की परिवततयो क असतवलत विकास क

कारण उतपनन होता ह एडलर न आतम-परवतषठा ि हीन-भािना को ही इस रोग का कारण माना ह

इसका कहना ह वक जब इनका परकाशन सही रप म नही होता तो इसका दमन हो जाता ह और

उसम हीन-भािना विकवसत हो जाती ह तरा िह उतसाह-विषाद मनोविकवत क रोग स गरसत हो

जाता ह फरायड न परम अहम ि अहम क आिार पर इस रोग की वयाखया की ह इसी परकार

इिालड सटरकर इिॉग आवद विदवानो न भी मनोिजञावनक कारको की परिानता को सिीकार वकया ह

3) सामाविक कारक अनक विदवानो का कहना ह वक कछ ऐसी विशष ससकवत या सामावजक

कारक होत ह जहा यह रोग अविक रोग अविक होता ह इस समबनि म िीगलहोल का कहना

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 197

ह वक नयजीलड़ म यह रोग मनोविदलता की तलना म लगभग 212 गना अविक होता ह

जबवक अमरीका म इन दोनो क अनपात म एक विपरीत समबनि पाया जाता ह करोदर न अपन

एक अधययन म दखा वक सिथपररम मानवसक असपताल म परिश करन िाल रोवगयो म स करीब

286 परवतशत रोगी मनोविदलता क र तरा किल 38 परवतशत उतसाह-विषाद क रोगी र इसी

परकार क पररणाम सिनबरोक न भी परापत वकए ह इस समबनि म यह बात उललखनीय ह वक

जविल सिभाि की ससकवत ि इनक वनवित परभाि क समबनि म पणथ अधययन परापत नही परापत

हए ह

1243 विवकतसा-उपिार-

इस रोग स गरसत अविकाश रोवगयो को वचवकतसालय म भती करा दना आिशयक ह कयोवक

िहा उनकी दखभाल भली-भावत की जा सकती ह इनक उपचार क वलए सबस परमख बात यह

धयान म रखनी चावहए वक इनह बाहय उददीपको क परभाि स बचाया जाए उनक सामन ऐसी

पररवसरवत उतपनन न की जाए वजसस उनह झझलाहि या उतसाह की पररणा वमल उनह िहलन पढ़न

एि हार स कछ कायथ करन क वलए परोतसाहन दना चावहए तरा उनम यह आशािादी दवषटकोण

उतपनन करना चावहए वक य वनवित रप स िीक हो जायग उददीपत अिसरा म रोवगयो को परवतवदन

गमथ पानी स नवहलान स लाभ होता ह

उतसाह की अिसरा म रोगी को ऐसी वियाओ स बचाना चावहए वजसस उनकी शवकत म

कमी आती ह इस परकार क रोग की हाइरो-उपचार पिवत वजसम िणड पानी क िब म रोगी को

डाला जाता ह तरा कछ शामक औषवियो का भी परयोग करना चावहए वजनस उनक लकषणो की

तीवरता म कमी आ सक कछ विशष वसरवतयो म विदयत पिवत लाभदायक होती ह इस परकार क

परयासो स रोगी क लकषणो की वयिसरा म कमी आ जाती ह तरा मनोवचवकतसा की पषठभवम तयार

हो जाती ह

विषादातमक वसरवत म रोवगयो क उपचार म मखय धयान यह दना चावहए वक उसकी

वनवषियता को दर वकया जा सक उस गमथ पानी स नवहलाना तरा मावलश करिानी चावहए विदयत

आघात भी लाभदायक होता ह रोगी क सार सदि सहानभवत वयिहार करना चावहए तरा उसक

सार ऐसा वयिहार करना चावहए या ऐसी वसरवत उतपनन करन का परयास करना चावहए वजसस वक

उसकी मनोवचवकतसा समभि हो सक

125 वयामोही विकति या परानोइया विकति िपवलन न उन मानवसक रोवगयो क वलय परानोइया शबद का परयोग वकया वजनक वयवकतति

म वयिवसरत रप स महानता तरा दणड क वयामोह पाय जात ह तरा रोगी का शष वयवकतति पयाथपत

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 198

सगवित रहता ह उसका िासतविकता स उवचत समपकथ बना रहता ह रोगी का बौविक हास बहत

कम होता ह उसक वयामोह की वयाखया इतनी तावकथ क होती ह वक यवद उनको एक बार सही मान

वलया जाए तो उसक समसत विचार तावकथ क लगन लगत ह कमरॉन क अनसार रोगी तनाि एि

वचनता स बचाि करन क वलए आरोपण तरा असिीकारण का सहारा लता ह वजसक पररणाम

सिरप रोगी म वयिवसरत वयामोह उतपनन हो जात ह परानोइया क रोगी म कामकता आवद वयामोह

भी उतपनन हो जात ह

िीिन एि लायड 2003 क अनसारldquoवयामोही विकवत ऐसी विकवत ह वजसम रोगी

दणडातमक तरा शरषठता विकवतयो स गरसत हो जाता हrsquorsquo

बिवजन इतयावद 1993 क अनसारldquoवयामोही विकवत म वयामोही तनतर म मौवलक

असामानयता पायी जाती ह िासति म कछ मामलो म वयामोही तनतर ही असामानय होता ह अनय

दवषटयो स वयवकत सामानय परतीत होता हrsquorsquo

इस परकार सपषट होता ह वक वयामोही विकवत स परभावित रोगी म शरषठता एि दणड समबनिी

भरावनत की अविकता होती ह अनय दवषटयो स रोगी का वयिहार सामानय होता ह

परानोइया क रोगी जो नकारातमक िारणा बनात ह उसका दायरा आग चलकर बढात जात

ह कभी वकसी एक को अपन वलए खतरा मानत ह तो आग चलकर अनक लोगो को सिय क वलए

खतरा मान सकत ह जबवक ऐसा िासति म होता नही ह िह ऐसा lsquoवमया समदायrsquo तयार कर लत

ह वजसक बार म उसकी िारणा होती ह वक लोग उस नकसान पहचान की सावजश रच रह ह या

रचत ह इसवलए उसका समायोजन खराब हो जाता ह तरा कायथकशलता म कमी आ जाती ह

1251 विामोही विकवि (परानोइिा) क परकार िथा उसक लकषण-

परानोइया क परकारो को वयामोहो क आिार पर िगीकत वकया गया ह-

1) दणडातमक परानोइया- इसम दणड समबनिी वयामोहो की परिानता होती ह रोगी को यह दढ़ विशवास होता ह वक कोई वयवकत उस दणड दन का परयतन कर रहा ह िह सभी को अपना शतर

मानता ह पररिार क सभी सदसय उसकी दवषट म शतर होत ह रोगी क य विचार उस आिमण

करन या हतया करन क वलए बाधय कर दत ह

2) महानता परानोइया- यह रोगी क ऐस वदिासिपन ह वजस िह सतय मान बिता ह रोगी को यह विशवास होता ह वक िह विषि का महानतम वयवकत ह सबस िनी वयवकत ह सबस बविमान

वयवकत ह आवद

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उततराखड मकत विशवविदयालय 199

3) कामक परानोइया- विशर न एक रोगी का बड़ा ही सनदर िणथन परसतत वकया ह एक यिक एक उचच कल की लड़की स परम करन लगा उसन अपनी परवमका को एक परम पतर वलखा उततर न

परापत होन पर समझा वक िह यिती वििाह करना चाहती ह उसन दसरा पतर उस यिती क वपता

को वलखा वक उसकी पतरी मझस वििाह करना चाहती ह वपता न उस यिक को मानवसक

वचवकतसालय भज वदया

4) ईषयाथतमक परानोइया- इसम रोगी पवत या पतनी एक-दसर पर विशवासघात का आरोप लगात ह

तरा उनक परमाणो को एकतर कर जाससी करत हए वदखाई दत ह यवद रोगी घर स बाहर जाता

ह तो सतरी उसस लौिन क बार म पछती ह वक वकतनी दर म घर िापस आओग यह सनकर

रोगी को सनदह हो जाता ह वक उसकी सतरी उसक पीछ अपन परमी स वमलगी इसी परकार सतरी भी

अपन पवत क चररतर पर सनदह करन लगती ह

5) मकदमबाजी का परानोइया- इसम रोगी लगातार मकदमो म लीन रहता ह अपन दोशो को दसरो पर आरोवपत करता ह इन रोवगयो क मकदमो को कोई कानन आिार नही होता ह

इसवलए रोगी मकदमा हार जाता ह रोगी अपन अविकारो क वलय वनरनतर मकदमबाजी करता

रहता ह यवद मकदमा जीत भी जाता ह तो पनः वकसी बहान स उस मकदम को विर स लड़ना

आरमभ कर दता ह

6) सिारातमक परानोइया- इसम रोगी अपन को ससार का सिारक तरा उिार करन िाला मानता ह िातािरण म उतपनन विवभनन सकिो का वनिारण करन क वलय िह अपन को सकषम मानता

7) िावमथक परानोइया- इसम रोगी अपन को lsquoपरमातमा का अितारrsquo या भगिान का दत समझता ह रोगी अनक परकार क उपदश दत ह जस-रोगी वयवकतयो को उपदश दता ह वक रात म अपनी

पतनी को अनय वयवकतयो क पास भज दना चावहए उनका ऐसा करना बहत बड़ा िावमथक कायथ

ह इस परकार इन रोवगयो क य विवचतर विचार इनह यह सोचन पर मजबर करत ह वक उनका जनम

ससार की रकषा करन क वलय हआ ह

8) रोग स समबि परानोइया- इस परकार क वयामोह रोवगयो म दढ़ विशवास पदा करत ह रोगी अपन को भयकर रोग जस- क सर िी बी आवद स गरसत पाता ह उस विशवास ह वक उसका इलाज

कोई वचवकतसक नही कर सकता ह उसका सिासय िीर-िीर वगरता जा रहा ह|

1252 विामोही विकवि (परानोइिा) क कारण-

परानोइया ततकावलक दबािपणथ पररसरवतयो तरा वयवकतति क दोषपणथ विकास क

पररणामसिरप उतपनन होता ह परमख कारण अगरवलवखत ह-

1) िविक कारक- परानोइया को अनिावशकता क आिार पर मानन क वलय आज तक कोई

परमाण नही वमला ह परनत विर भी कछ विदवान इस िशानिम कारक क रप म सिीकार करत

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 200

ह िशमर का करन ह वक ऐसरवनक परकार क वयवकतयो म परानोइया उतपनन होन की

समभािना पायी जाती ह जबवक रोजन एि कन न बताया वक परानोइया का विवशषट शारीररक

सरचना स कोई समबनि नही होता ह इसी परकार शरीर क विवभनन रासायवनक सराि तरा

मवसतषक कोशो क सिरप का परानोइया की उतपवतत म परतयकष समबनि नही ह

2) मनोिजञावनक कारक- परानोइया की उतपवतत क बार म मनोिजञावनक कारक अतयनत

महतिपणथ ह कोलमन न अपन अधययनो क आिार पर मनोिजञावनक कारको क परारवमक

कारक वनमनवलवखत बताय ह-

i) दोषपणथ वयवकतति का विकास- बालयािसरा म बालक पर किोर अनशासन अवतसरकषण

अतयाविक वतरसकार माता-वपता क उचच नवतक आदषथ आवद ऐसी वसरवतया ह जो वयवकत क

जीिन म दबािपणथ समसयाओ क उपवसरत होन पर उसका सनतलन खो दती ह दोषपणथ

विकास बचपन स ही बचच की वजददी अनशासन विरोिी उदास तरा पलायन परिवतत िाला

बना दता ह यही अनपयकत विकास आग चलकर वयवकत म विवभनन वयामोह एि विभरम उतपनन

करता ह िह जीिन म महान बनन क सिपन दखन लगता ह अपन उचच लकषयो तरा

आकाकषाओ को परापत करन म जब िह असिल होता ह तो उसम दणडातमक वयामोह उतपनन हो

जात ह

ii) असिलता तरा हीनता- रोजन एि कन क अनसार परानोइया क रोगी का वयिहार सिय क परवत शरषठता की भािना सामावजक वयिहार आलोचनातमक बचनी लालसा परशसा इनक

अनदर की भािनाओ की पवषट करती वदखाई दती ह रोगी अपन अनदर हीनता की भािना को

कषवतपवतथ दवारा महानता क वयामोह क रप म परा करन का परयास करता ह

iii) लवगक असमायोजन- वयवकत क दोषपणथ विकास किोर अनशासन तरा उचच नवतक आदशो

क कारण ऐसा रोगी सिभाविक यौन इचछा को घवणत तरा पाप समझन लगता ह वजसक

पररणामसिरप िह अपन को बरहमचारी या महान िावमथक गर मान लता ह अतः रोगी लवगक

असमायोजन स गरसत हो जाता ह

iv) अपराि परिवतत का आरोपण- रोगी क उचच नवतक आदशो क पररणामसिरप सािारण स

अनवतक कायथ भी उसम अपराि भािना को जागरत करत ह इस परकार यह अपराि परिवतत

वयवकत म आतम-अिमलयन की वसरवत उतपनन करती ह वजसस उसका अह अतयाविक

परभावित होता ह अतः िह आरोपण की परविया दवारा इस वसरवत को दसर वयवकतयो म दखना

आरमभ कर दता ह परानोइया क रोवगयो की यह अपराि परिवतत उनम सनदह परिवतत को जागरत

करती ह

v) तातकावलक पररवसरवतया- दोषपणथ वयवकतति िाल वयवकतयो म विवभनन तातकावलक पररवसरवतया अगरवलवखत ह-

क) ऐसी वसरवत जो रोगी म अविशवास तरा सनदह पदा कर और रोगी को यह आशका हान लग

वक उसक जीिन क सार कोई िोखा तरा विशवासघात वकया जा रहा ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 201

ख) ि पररवसरवतया जो रोगी को सतकथ बनान क अवतररकत सामावजक समपको स दर रख ग) ऐसी अनक पररवसरवतया जो ईषया तरा शतरता को बढ़ाती ह वजसम रोगी म हीनता घणा

तरा विरोि की भािनाय उतपनन हो जाती ह

घ) ि पररवसरवतया जो वयवकत क आतमसममान को कम करती ह रोगी आरोपण तरा

असिीकारण मनोरचनाओ का सहारा लता ह

ङ) जब वयवकत अपन दोषो को दसर वयवकतयो म दखता ह तो उसकी वचनता एि तनाि आवद

बढ़ जाता ह और िह तीवरता क सार असिीकारण तरा आरोपण मनोरचना का परयोग

करता ह

च) जब कोई पररवसरवत िरता क वयिहार को परदवशथत करती ह तब वयवकत उसका परवतरोि करता ह

छ) ऐसी पररवसरवतया जो वयवकत म एकानतता तरा आलसय उतपनन करती ह वयवकत मौन िारण

कर लता ह

vi) कमरान का सिवनवमथत समदाय- रोगी अपन कालपवनक जगत म रहत हए विवभनन वयामाहो स गरसत रहता ह वजसक पररणामसिरप वयवकत िातािरण क विवभनन वयवकतयो स समपकथ करन म

घबराहि का अनभि करता ह ऐसा वयवकत न तो सहयोग करता ह और न ही सहयोग लना

पसनद करता ह ऐसी वसरवत म रोगी क कायो तरा विचारो म समनिय नही पाता ह और वयवकत

अपना वयवकतगत जगत वनवमथत कर लता ह वजस कमरॉन न lsquoसिवनवमथत समदायrsquo का नाम वदया

3) सामाविक कारक- परानोइया क रोवगयो का शवकषक सामावजक आवरथक सतर तरा जीिन

लकषय अनय रोवगयो की अपकषा अविक उचच होता ह इन लकषयो की पवतथ हत अपनी योगयता क

अभाि म उनम हीनता एि अनपयकता की भािना उतपनन हो जाती ह यह भािना महानता क

वयामोह म विकत एि अवतरवजत रप म पायी जाती ह लकास 1962 न एक रोगी की आय

वलग तरा सामावजक सतर को विशलवषत कर वनमनावकत वनषकषथ परसतत वकया ह-

i) उचच सामावजक सतर िाल तरा अवििावहत रोवगयो म दिीय शवकत एि िावमथक वयामोह

की परिानता पायी जाती ह

ii) महानता का वयामोह घर क सबस बड़ बालक तरा उचच सामावजक सतर िालो म अविक पाया जाता ह

iii) हीनता समबनिी वयामोह की परिानता वनमन सामावजक सतर तरा पररिार क छोि बालक म अविक पायी जाती ह

iv) कामका वयामोह वसतरयो म अविक पाया जाता ह v) अविक आय िाल रोवगयो म दणडातमक वयामोह की परिानता पायी जाती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 202

इसस सपषट होता ह वयामोही विकवत या परानोइया स परभावित वयवकत की दसरो क बार म

सोच ही नकारातमक एि सदहातमक हो जाती ह उसकी दवषट म लोग उस नकसान पहचान का

शडयनतर रच रह ह यह उसक वलय ही हावनकारक हो जाता ह िह कसमायोजन क वशकार हो जाता

1253 उपिार िथा पररणाम-

यह दभाथगय की बात ह वक वयामोही विकवत या परानोइया स गरसत रोगी सिय क बार म ऐसी

नकारातमक एि सदहातमक िारण बना लत ह वक ि उसस बाहर वनकलना ही नही चाहत ह ि

अपनी तयहीन बातो क विरि कछ सनना भी नही चाहत ह ि समझत ह वक उनह कछ हआ ही

नही ह अतः ि उपचार क वलए तयार ही नही होत इसका पररणाम यह होता ह वक उनकी समसयाए

जयो की तयो बनी रहती ह

यह भी दखा जाता ह वक यवद उनह दिाए दी जाए तो ि दिाए लन को तयार नही होत ह

उनह यह आशका रहती ह वक लोग उनक सार िोखा कर दग दिा म कछ अनय हावनकारक चीज

वमला दग अतः ि कहत ह वक आप लोग कयो परशान ह हम कछ नही हआ ह

यवद ऐस रोगी असपताल म भती वकय जात ह तो ि अनय रोवगयो एि सिाि स सिय को

बड़ा या शरषठ मान लत ह तरा तदनसार वयिहार भी करत ह उनकी यह भी िारण होती ह वक उनक

पररिार क लोग तरा सिाि िाल वमलकर उनक वखलाि षडयनतर रच रह ह बगर वकसी उवचत

कारण क उनह जबरदसती भती कराया गया ह ि कोिथ का भी सहारा ल सकत ह कभी-कभी कोिथ

उनह उनक अनसार रहन क वलए आदश भी पाररत कर दती ह चवक उनकी दवषट म उनह कछ हआ

ही नही ह अतः ि दिाए लन स भी मना कर दत ह

िस कभी-कभी यह भी दखा जाता ह कछ वयामोही रोगी यह सोचन लगत ह वक यवद

सिाि की बात नही मानी गई तो उनह कािी समय तक यहा रहना पड़ सकता ह अतः ऐसी दशा म

दिाओ को खा लना ही अचछा ह तावक जलदी यहा स मवकत वमल जाए ि यह भी कह सकत ह वक

पहल उनक मन म अिशय ही नकारातमक सदहातमक विचार जरर र परनत अब इन विचारो का ि

पररतयाग कर चक ह मनोविदलता को वनमन नौ िगो म िगीकत वकया अतः उनह यहा स मकत कर

वदया जाए इन कारणो स वयामोही विकवत क रोवगयो क उपचार म आपवकषत सिलता कविन हो

जाती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 203

126 साराश डीएसएम IV म मनोविदलता एि वयामोही विकवत इतयावद को एक िगथ मनोविवकषपतीय

िगथ म रखा गया ह मनोविदलता मानवसक विकारो क एक समह का नाम ह वजनम कछ विवशषट

लकषण रोगी क वयवकतति को अवयिवसरत कर दत ह

मनोविदलता को वनमन नौ िगो म िगीकत वकया ह

मनोविदलता विकारो की उतपवतत क वलय कोई एक कारक उततरदायी नही ह विवभनन

कारक सवममवलत रप स अपना परभाि वयवकत पर डालत ह इन कारको को तीन भागो म बािा जा

सकता ह

1 जविक कारण 2 मनोिजञावनक कारण 3 सामावजक कारण

मनोविदलता क सामानय लकषण एि अनक निीन उपचार पिवतया ह

िारलि तरा बलाजथर 18501954 न बताया वक य दो लकषण ह िपवलन क अनसार

इसम रोगी एक ही रोग स गरसत होता ह लवकन इस रोग क दो विरोिी लकषण होत ह अतयाविक

परसननता की अिसरा म विचारो की उड़ान मनोगतयातमक सवियता ि उतसाह क लकषण परकि होत

ह लवकन इसक विपरीत उदासीनता की अिसरा म रोगी म मानवसक अिरोि विचारो म

तकथ हीनता मनोतयातमक सवियता की कमी आवद क लकषण दवषटगोचर होत ह

उतसाह-विषाद मनोविकवत क अनक लकषण कारण एि उपचार ह

वयामोही विकवत को पहल परानोइया कहा जाता रा परानोइया की उतपवतत गरीक भाषा क

दो शबदो स वमलकर हई ह-परा तरा नोइया परा का अरथ ह वमया अरिा विकत तरा नोइया का

अरथ हः तकथ इस परकार परानोइया का शावबदक अरथ वमया तकथ अरिा विकत तकथ करना होता ह

127 शबदािली bull परानािर मनोविदलिा परानायड मनोविदलता क रोवगयो म बाह िासतविकता स िाछनीय

समायोजन करन की योगयता का पणथ अभाि पाया जाता ह

bull विामोह वयामोह ऐस झि विशवास ह जो वयवकत क मवसतषक म इतना गहरा सरान बना लत ह

वक लाख तकथ तरा परमाण दन पर भी रोगी उनह सतय ही मानता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 204

bull विामोही विकवि ऐसी विकवत ह वजसम रोगी दणडातमक तरा शरषठता विकवतयो स गरसत हो

जाता ह

128 सिमलयाकन हि परशन 1) मनोविदलता क रोगी म कौन कौन सी सिगातमक परवतवियाए होती ह 2) सीजो-अिवकिि मनोविदलता वकस कहत ह

3) सिमणकालीन आिसरा वकस कहत ह

4) उतसाह वििाद क कौन-कौन स तीन कारण ह

5) हाइरो उपचार पिवत वकसस की जाती ह 6) परानोइया का शावबदक अरथ कया ह

7) सिवनवमथत समदाय वकस कहत ह सिवनवमथत समदाय वकसकी खोज ह

8) वयामोह ि विभरम म कया अनतर ह

उततर 1) i) अनपयकता ii) उदासीनता एि सिगातमकता का अभाि iii) दढ़ता iv) उभय

भािातमकता v) अविशवास vi) विपरीत सिगातमकता vii) सािवगक ररवकतता

2) सीजो-अिवकिि मनोविदलताः- मनोविदलता क इस परारप म मानवसक लकषणो की परिानता क

सार-सार उतसाह अरिा विषाद की वसरवत भी उतपनन होती ह इसम रोगी वचनता की वसरवत म

विवचतर वयिहार परकि करता ह

3) िालरि न 1879 म एक ऐस रोगी का उललख वकया वजसम उतसाह ि विषाद दोनो लकषणो की

वमवशरत अिसरा री इस अिसरा को उसन सिमणकालीन अिसरा कहा

4) i) जविक कारक ii) मनोिजञावनक कारक iii) सामावजक कारक

5) िणड पानी क िब म रोगी को डाला जाता ह तरा कछ शामक औषवियो का भी परयोग करना

चावहए वजनस उनक लकषणो की तीवरता म कमी आ सक

6) परानोइया की उतपवतत गरीक भाषा क दो शबदो स वमलकर हई ह-परा तरा नोइया परा का अरथ ह

वमया अरिा विकत तरा नोइया का अरथ हः तकथ इस परकार परानोइया का शावबदक अरथ वमया

तकथ अरिा विकत तकथ करना होता ह

7) रोगी अपन कालपवनक जगत म रहत हए विवभनन वयामाहो स गरसत रहता ह वजसक

पररणामसिरप वयवकत िातािरण क विवभनन वयवकतयो स समपकथ करन म घबराहि का अनभि करता

ह ऐसा वयवकत न तो सहयोग करता ह और न ही सहयोग लना पसनद करता ह ऐसी वसरवत म रोगी

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 205

क कायो तरा विचारो म समनिय नही पाता ह और वयवकत अपना वयवकतगत जगत वनवमथत कर लता

ह वजस कमरॉन न lsquoसिवनवमथत समदायrsquo का नाम वदया ह

8) वयामोह ऐस झि विशवास ह जो वयवकत क मवसतषक म इतना गहरा सरान बना लत ह वक लाख

तकथ तरा परमाण दन पर भी रोगी उनह सतय ही मानता ह

विभरम म रोगी िमकी वतरसकार तरा परशसा भरी आिाज सनता ह कभी-कभी अपन कपड़

उतारकर मारपीि करन क वलए तयार हो जाता ह इसक विपरीत रोगी को दवषट सिाद गि तरा सपषथ

समबनिी विभरम होत ह िह एकात म बिकर अलौवकक रशय दखता ह जस कभी भगिान सिय

परकि होत ह कभी वदवय परकाश क रप म सदष परापत होता ह कभी मत समबवनियो क दशथन करता

ह शककी सिभाि क रोगी अकसर सपषथ समबनिी विभरम का अनभि करत ह

129 सनदभथ गरनर सची bull आिवनक असामानय मनोविजञान- डा0 अरण कमार वसह

bull असामानय मनोविजञान- डा0 डी0एन0 शरीिासति

bull असामानय मनोविजञान- डा0 लाभ वसह एि डॉ0 गोविद वतिारी

1210 तनबनिातमक परशन 1 मनोविदलता क सिरप तरा परकारो की वयाखया कररय 2 मनोविदलता क लकषण विकवसत होन की अिसराओ पर परकाश डावलय

3 परानोइया क कारणो का वििचन कररय 4 उतसाह विषाद मनोविकवत क लकषणो पर परकाश डावलए 5 विपपणी-

i) मनोविदलता क कारण

ii) उतसाह विषाद क लकषण

iii) परानोइया क सामावजक कारक

iv) विित आघात वचवकतसा

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इकाई-13 मनोधचककतसा की परकति एि महति 131 परसतािना

132 उददशय

133 मनोवचवकतसा क सिरप एि अरथ

1331 मनोवचवकतसा की परमख पररभाषाए

1332 मनोवचवकतसा क सिरप

134 मनोवचवकतसा क उददशय एि महति

135 मनोवचवकतसा क सामानय चरण

136 साराश

137 शबदािली

138 सिमलयाकन हत परशन

139 सनदभथ गरनर सची

1310 वनबनिातमक परशन

131 परसिािना इस इकाई स पिथ की इकाईयो क अधययन क पिात आप विवभनन मानवसक रोगो क बार म

जान गय होग

आज क भागदौड़ की विनदगी म लोग मानवसक रप स परशान रहन लग ह इन परशावनयो

क कारण वयवकत क वयवकतति म विकार उतपनन होन लगता ह वयवकतति म आय विकार को समय

रहत दर करना आिशयक हो जाता ह वजसक वलए विवभनन परकार की मनोवचवकतसा परविवियो का

उपयोग वकया जाता ह

इस इकाई क अधययन क उपरानत आप मनोवचवकतसा की परकवत महति एि वचवकतसा म

अपनाय जान िाल सामानय चरणो क बार जानकारी परापत कर सक ग

132 उददशय परसतत इकाई क अधययन क उपरानत आप बता सक ग वक-

bull मनोवचवकतसा का अरथ कया ह

bull मनोवचवकतसा का ितथमान म महति कया ह एि उसक उददशय कया ह

bull मनोवचवकतसा क सामानयतः कौन-कौन स चरण ह

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133 मनोधचककतसा क सिरप एि अरथ सामानयतः वकसी असिसर वयवकत को ओषवि या शलय आवद परविवियो स पनः सिसर बनान को

उपचार या वचवकतसा कहा जाता ह इसी तरह स मानवसक रप स विकषबि वयवकतयो की

मनोिजञावनक विवियो दवारा उपचार करना मनोवच वकतसा कहा जाता ह सरल शबदो म वचवकतसा का

अरथ ह रोगो का उपचार करना तरा मनोवचवकतसा का अरथ ह मानवसक रोगो का उपचार करना इस

नदावनक हसतकषप भी कहा जाता ह कयोवक इसम नदावनक मनोिजञावनक अपन वयिसायी या पशिर

कषमता का उपयोग करत हए मानवसक रप स या सािवगक रप स विकषबि वयवकत क वयिहार को

परभावित करन की कोवशश करता ह सामानयतः मनोवचवकतसा का उपयोग उन मानवसक रोवगयो क

वलए लाभकारी होता ह जो मनःसनायविकवत स पीवड़त होत ह इसका उपयोग दसर परकार क

मानवसक रोवगयो जस मनोविवकषपत या मनोविकवत क रोवगयो क सार भी वकया जाता ह परनत ऐस

रोवगयो को मनोवचवकतसा क अलािा मवडकल वचवकतसा भी दना अवनिायथ होता ह मनोवचवकतसा

का मल उददशय वयवकत क समायोजन क मागथ म आन िाल अनक दवमत मानवसक विषम जालो

कणिाओ ि अनतिथनिो क वनबथलताजनय लकषणो क अचतन स चतन सतर पर ला कर क वयवकतति

विकास ि समायोजन क मागथ को इस परकार परषसतर करना होता ह वजसस वयवकत म अपन मल सघषो

क सिरप को लगभग िसतपरक आिार पर समझ सकन की वयापक ि गहरी अतदथवषट विकवसत हो

सक और ऐसा वयवकत जीिन म अपना बहपकषीय समायोजन पररपकिता तरा सयोगयता क सार-

सार एक परकार स अपनी आतम-वसवि क मागथ पर भी सहज रप स अगरसर हो सक

1331 मनोविवकतसा की परमख पररिाषाए-

विवभनन मनोिजञावनको न मनोवचवकतसा को अपन-अपन तरह स पररभावषत वकया ह वजसम

स कछ पररभाषाए इस परकार ह

ओलबगथ क अनसार- मनोवचवकतसा सािवगक परकवत की समसयाओ क वलए उपचार का

एक परारप ह वजसम एक परवशवकषत वयवकत जान बझकर एक रोगी क सार पशिर सबि इस उददशय स

कायम करता ह वक उसम घनातमक वयवकतति ििथन तरा विकास हो वयिहार क विकत परारप क

मवदत ितथमान लकषणो को दर वकया जा सक या उसम पररमाथजन वकया जा सक

वकसकर क अनसार- मनोवचवकतसा म मनोिजञावनक विवियो स सिगातमक ि वयिहार

विकषोभो का उपचार वकया जाता ह य विविया विवभनन परकार की होती ह वजनम स कछ वयवकतयो

स समबवनित होती ह तरा कछ समहो स वकसकर की यह पररभाषा मखयतः वनमन विशष बातो पर

जोर दती ह

bull इसम सिगातमक एि वयिहार समबनिी विकषोभो स गरसत वयवकतयो का उपचार वकया जाता ह

bull मनोवचवकतसा विविया मखयतः मनोिजञावनक होती ह

bull मनोवचवकतसा विविया मखयतः दो परकार की होती ह - वयवकतगत एि सामवहक

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रौिर क अनसार- मनोवचवकतसा मनोिजञावनक की एक सवनयोवजत विया होती ह वजसका

उददशय वयवकत की विनदगी म ऐसा पररिथतन लाना होता ह जो उसकी विनदगी को भीतर स अविक

खश तरा अविक सरचनातमक या दोनो ही बनाता ह

वनिजील िनथसिीन एि वमवलक (1991) क अनसार- मनोवचवकतसा म कम स कम दो

सहभागी होत ह वजसम स एक को मनोिजञावनक समसयाओ स वनबिन म विशष परवशकषण तरा

सविजञता परापत होती ह और उसम स समसया का अनभि करता ह और ि दोनो समसया को कम

करन क वलए एक विशष सबि कायम वकय होत ह मनोवचवकतसा सबि एक पोशक परनत

उददशयपणथ समबनि हाता ह वजसम मनोिजञावनक सिरप की कई विवियो का परयोग रोगी क िावछत

वयिहार म पररिथतन लान क वलए वकया जाता ह

इन पररभाषाओ का विशलषण करन स यह सपषट होता ह वक मनोवचवकतसा म रोगी तरा

वचवकतसक क बीच िाताथलाप होता ह वजसक माधयम स रोगी अपनी सािवगक समसयाओ एि

मानवसक वचनताओ की अवभवयवकत करता ह तरा वचवकतसक विशष सहानभवत सझाि एि सलाह

दकर रोगी म आतमविशवास तरा आतम सममान कायम करता ह वजसस रोगी की समसयाए िीर-िीर

समापत होती चली जाती ह और उसम िीक ढग स अपन िातािरण क सार समायोजन करन की

कषमता पनः विकवसत हो जाती ह

1332 मनोविवकतसा क सिरप-

मनोवचवकतसा म वनवहत सिरप को अविक सपषट करन क वलए वनमनावकत तीन मौवलक

तयो पर परकाश डाला जायगा

1) सहिोगी- मनोवचवकतसा म दो सहयोगी होत ह- पहला सहयोगी रोगी होता ह तरा दसरा

सहयोगी वचवकतसक होता ह रोगी िह वयवकत होता ह वजसम सािवगक या मानवसक कषबिता

इतनी अविक उतपनन हो जाती ह वक उस वकसी परवशवकषत वचवकतसक की मदद अपनी

समसयाओ क सामािान क वलए लना पड़ जाता ह रोगी म कषबिता की मातरा अविक भी हो

सकती ह या रोड़ी भी हो सकती ह मनोिजञावनक दवारा वकय गय शोिो स यह सपषट हआ ह वक

मनोवचवकतसा क वलए सबस उततम रोगी िह होता ह वजसम कछ विशष गण होत ह जस

मनोवचवकतसा स सबस अविक लाभ उन रोवगयो को होता ह जो अपन वयिहार म पररितथन

लान क वलए सािारण मातरा म वचनता वदखात हो तरा वचवकतसक को अपनी समसयाओ क बार

म सामानयतः जानकारी द सकत ह गरमन तरा राजीन न अपन अधययन स इस तय की पवषट

की ह

मनोवचवकतसा का दसरा सहयोगी वचवकतसक होता ह वचवकतसक िह वयवकत होता ह जो

अपन विशष परवशकषण तरा अनभि क कारण रोगी को अपनी समसयाओ स वनबिन म मदद करता

ह वचवकतसा क वलए यह आिशयक ह वक उसम विशष कौषल हो और िह विशष रप स परवशवकषत

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 209

हो तावक मनोरोगी की समसयाओ को समझ सक और तब उसक सार इस ढग स अनतःविया कर

सक वक मनोरोगी विर अपनी समसयाओ स िीक ढग स सामना कर सक परवसि मनोवचवकतसक

कालथ रोजसथ क अनसार एक उततम वचवकतसक म परानभवत परमावणकता तरा शतथहीन िनातमक

सममान दन की कषमता आिशयक होनी चावहए

2) विवकतसीि साबाध- मनोवचवकतसा का दसरा महतिपणथ पहल वचवकतसक तरा मनोरोगी क

बीच विकवसत विशष समबनि होता ह वजस वचवकतसीय समबनि कहा जाता ह वचवकतसीय

समबि एक ऐसा समबि होता ह वजनम वचवकतसक तरा रोगी दोनो ही यह जानत ह वक ि एक

विशष सरान पर कयो एकवतरत हए ह तरा उनकी अनतः वियाओ का वनयम तरा लकषय कया ह

वचवकतसक की यह कोवशश रहती ह वक िह रोगी क सार एक ऐसा सिसय समबनि बना सक

वक िह अराथत रोगी अपन वयिहार म पररितथन लान क वलए कािी उतसक रह कोरचीन क

अनसार वचवकतसीय समबनि म आषवकत तरा अनाषवकत या अलगाि का सतलन होना चावहए

3) मनोविवकतसा की परविवध- मनोवचवकतसा की कई पिवतया ह मनोवचवकतसा की परतयक

पिवत की अपनी-अपनी विशषताए ह मनोवचवकतसा की परविवियो म अनतर होन का मखय

कारण उनक पीछ वछप हए वयवकतति वसिानत तरा ि सार पररिथतन ह जो वचवकतसक रोगी म

उतपनन करना चाहता ह यदयवप मनोवचवकतसा क कई परकार ह विर भी कई परविविया ऐसी ह

जो उन सभी परकारो म सामानय ह इन परविवियो का सिरप मलतः मनोिजञावनक होता ह

मनोवचवकतसा क कछ ऐसी परविविया वनमनवलवखत ह

i) सझ उतपनन करना

ii) सािवगक अशावत को कम करना

iii) नयी सचना दना

iv) पररितथन क वलए उममीद एि विशवास विकवसत करना

सपषट हआ वक मनोवचवकतसा एक जविल परविया ह वजसम वचवकतसक रोगी की सािवगक

एि मनोिजञावनक समसयाओ का उततम वनदान हो पाता ह

134 मनोधचककतसा क उददशय एि महति आिवनक यग म मनषय न अपन बाहर क ससार क परवत अविक स अविक मातरा म जञान

अवजथत वकया ह उसन न किल प िी क भीतर वछप हए पराकवतक खजानो को ढढ वनकाला ह

बवलक अनतररकष तक भी अपनी पहच बना ली ह परनत वजतना धयान उसन बाहय जगत पर वदया ह

उतना अपन भीतर क ससार पर नही वदया अपन स बाहर की दवनया क बार म तो िह बहत कछ

जान गया ह परनत सिय क बार म िह कछ भी नही जानता ह िह यह तो जानता ह वक सौर मणडल

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 210

क परतयक गरह की दरी प िी स वकतनी ह लवकन उस यह नही मालम ह वक िह सिय अपन ही

आतम स वकतनी दरी पर ह

अपन सि स बढ़ती हई दरी मनषय की दवषचनता तरा उसस उतपनन होन िाली विवभनन

असमानयताओ का मल कारण ह रािा कमल मखजी क शबदो म आज का यग मलय विहीनता का

यग ह अतः आज क मानि को न तो अपना होश ह और न ही अपनी मवजल का िह वदशा क

अभाि म इिर-उिर भिक रहा ह

मनोवचवकतसा का सामानय उददशय रोगी क सिगातमक एि वयिहारातमक समसयाओ तरा

मानवसक तनाि को दर करक उसम सामयथ आतमबोि पयाथपतता पररपकिता एि अपन आसपास

क सामावजक िातािरण स समजसय सरावपत करन की कषमता आवद का विकास करना होता ह

मनोवचवकतसा क कछ विवशषट लकषय या उददशय वनमनावकत ह

1) तीवर भािो की अवभवयवकत करक सािवगक दबाि को कम करना- मनोवचवकतसा का एक उददशय रोगी क भीतर वछप भािो की अवभवयवकत करना होता ह इसक पीछ तकथ यह वछपा होता ह वक

जब रोगी अपन भीतर वछप परशानी उतपनन करनिाल भािो की अवभवयवकत करता ह तो इसस

उसका सािवगक दबाि कम हो जाता ह तरा रोगी की मानवसक बीमारी की गमभीरता बहत ही

कम हो जाती ह

2) रोगी दवारा सही कायथ करन की पररणा को मिबत करना- मनोवचवकतसा का कोई भी परकार हो मनोवचवकतसक हमशा यह कोवशश करत ह वक ि रोगी को सही कायथ करन की पररणा को तीवर

कर मनोवचवकतसक का यह एक सामानय उददशय ह जो बहत महतिपणथ ह रोगी अविक िाछनीय

ढग स वयिहार कर सक इसक वलए सझाि अननय सममोहक आवद जसी वचवकतसा का सहारा

वलया जाता ह

3) अिावछत एि अनवचत आदतो म पररिवतथत करना- मनोवचवकतसा का उददशय एक ऐसी

पररवसरवत को उतपनन करना होता ह वजसम रोगी क अिावछत अनवचत एि वयिहारगत सकि

उतपनन करन िाली आदतो का परवतसरापन नई िावछत आदतो स वकया जा सक इसक वलए

मनोवचवकतसक अनबिन एि सीखन क सामानय वनयमो का सहारा लत ह तरा ि ऐस िावछत

आदतो क बाद पनिथलन दकर उसको सीखलान की कोवशश करत ह

4) रोगी की सजञानातमक सरचना म पररमाथजन करना- मनोवचवकतसा का एक उददशय यह भी ह वक रोगी अपन बार म दसर वयवकतयो क बार म तरा िातािरण क अनय िसतओ एि घिनाओ

आवद क बार म पणथतः अिगत हो तरा इस सजञानातमक सरचना म वयापत असगवत को पहचान

तरा उस आिशयकतानसार पररिवतथत कर कयोवक इस तरह की असगतता स वयवकत की सामानय

अििारणा हो जाती ह और िह मानवसक रोग का वशकार हो जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 211

5) रोगी क जञान को तरा परभािी वनणथयो को लन की कषमता म िवि करना- मनोवचवकतसा का उददशय रोगी क ितथमान जञान को इस योगय बना दना होता ह वक िह अपनी वजनदगी म परभािी

वनणथय ल सक उस विवभनन अिसरो क बार म पयाथपत जञान वदया जाता ह तरा परतयक विकलप

क पकष विपकष म तय उनक सामन रखा जाता ह तरा विर उनह ऐसी पररवसरवतयो का सामना

कराक ऐसी कषमता िीर-िीर विकवसत की जाती ह वक ि अपन जीिन क सभी महतिपणथ वनणथय

को लन म सकषम हो सक

6) रोगी म आतमजञान या सझ म िवि करना- मनोवचवकतसा का उददशय रोगी म पयाथपत सझ

विकवसत करना होता ह वजसस िह यह समझ सक वक िह वकस तरह वयिहार करता ह तरा

कयो करता ह ऐसा करन क वलए मनविवकतसक अचतन म वछप इचछाओ को चतन म लात ह

जब रोगी अपन अचतन की अवभपररणाओ एि इचछाओ को चतन म लाकर उस समझन की

कोवशश करता ह तो उसस उसम आतम जञान या सझ उतपनन होता ह और रोगी की कसमायोजी

वयिहार की गमभीरता म कमी होन लगती ह

7) अनतथियवकतक सबिो पर बल वदया जाना- मनोवचवकतसा का एक उददशय यह भी सपषट करना होता ह वक वकस तरह स रोगी का वयिहार उसक वचनतन स परभावित होता ह और उसका

वयिहार वकस तरह स वचनतन क विवभनन पहलओ पर वनभथर करता ह इसम रोगी तरा अनय

लोगो क बीच हए सचार पर पयाथपत बल वदया जाता ह वजसस अनतियवकतक समबनि को

अविक सनतोषजनक बनया जा सक

8) रोगी क सामावजक िातािरण म पररितथन उतपनन करना- मनोवचवकतसा का परारप चाह वकसी भी परकार का हो इसका एक उददशय रोगी क सामावजक िातािरण म पररितथन लाना होता ह

वकसी भी रोगी का िासतविक भला तो तभी होता ह जब िह अपन वदन-परवतवदन की विनदगी म

िीक ढग स सामायोजन कर सक यदयवप रोगी का सामावजक िातािरण वजसम िह दसरो स

परभावित होता ह मनोवचवकतसा क वनयनतरण स बाहर होता ह विर भी कोवशश इस बात की की

जाती ह वक रोगी क सामावजक िातािरण क एजनिो को इस ढग स परभावित वकया जाय वजसस

उसम पयाथपत पररितथन आ जाय और रोगी का सामावजक जीिन सखमय हो सक

9) रोगी क शारीररक परवियाओ म पररितथन लाना वजसस उसक ददथनाक अनभवतयो को कम वकया

जा सक तरा शारीररक चतना म िवि की जा सक- मनोवचवकतसा म यह एक पिथ कलपना

रहती ह वक मन तरा शरीर दोनो ही एक दसर को परभावित करत ह मनोवचवकतसा का मत ह वक

रोगी क शारीररक दखो को कम करक तरा उसम शारीररक चतना म िवि करक मनोवचवकतसा

की पररवसरवत क वलए उनह अविक उपयोगी बनाया जा सकता ह यही कारण ह वक कछ

मनोवचवकतसा जस वयिहार वचवकतसा म परवशकषण दकर उनक तनाि एि वचनता को दर वकया

जाता ह और इस परवत अनबनि क वलए आिशयक भी माना जाता ह उसी तरह रोगी क

शारीररक चतना म िवि करन क वलए विवभनन तरह क वयायामो जो भारतीय योग क वनयमो पर

आिाररत होत ह का सहारा वलया जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 212

10) 135 मनोचिकितसा ि सामानय िरण-

1) पारसपररक विशवास तरा सौहादथ की सरापना- पररम चरण म मनविवकतसक तरा समबवनित रोगी क मधय वनःसकोच आदान-परदान क मागथ को परषसतर करन क वलए पारसपररक विशवास क

पयाथिरण ि सौहादथ की सरापना की अतयाविक महतिपणथ भवमका होती ह कयोवक ऐस सदभाि

क पररिश म ही तनािो ि अनतिथनिो को मनोवचवकतसक क सममख परसतत करन क वलए

अवभपरररत होता ह इसक वलए सिथपररम आिशयकता एक ऐस शानत कमर की होती ह जहा

रोगी क सार साकषातकार अरिा विचार विमशथ वकया जा सक वचवकतसक एक ऐसी मतरीपणथ

और सिीकायाथतमक अवभिवतत अपनाता ह जो रोगी म विशवास सरावपत करन म सहायक वसि

हो सक और रोगी खल वदल स अपनी िासतविक समसयाओ को बतात समय सरकषा का

अनभि कर

2) रोगी दवारा सघषथपणथ तनािो की मकत अवभवयवकत- दसर चरण म रोगी अपनी तीवर सघषो क तनािो को वनःसकोच भाि स मनोवचवकतसक क सामन अवभवयवकत करता ह मनोवचवकतसक

भी बहत धयान स उसक परतयक भािपणथ अवभवयवकत म अपनी गहन अवभरवच परदवशथत करता ह

और उस इस समबनि म अविक स अविक अपन वयवकतगत ि एक परकार स मनोवचवकतसक

रोगी दवारा कही गई छोिी स छोिी बात म एक परकार की सारथकता क होन का सकत भी दत हए

होता ह वजसस रोगी भी अपनी परतयक बात वनभथय होकर कहन क वलए सिभाविकतः

अवभपरररत होता रहता ह

3) िासतविक समसया क परवत अनतथदवषट का विकास- इस चरण म रोगी क समसयापणथ वयिहार अरिा अपसमायोजन क समबनि म तरा रोगी दवारा परसतत भािपणथ िाताथलाप क पररपरकषय म

मनोवचवकतसक आिशयक अनतथरवषट विकवसत करता ह रोगी भी इस विषय म मनोवचवकतसक

को अपनी िासतविक समसया को बतान म उसकी सहायता करता ह परनत इस समबनि म

िासतविक वनणथय मनोवचवकतसक का ही होता ह इस परकम म रोगी को भी पयाथपत आतमबोि

का अिसर वमलता ह और िह अपन वयिहार की नयनताओ अकशलताओ अयोगयताओ

अकषमताओ ि वमया आकाकषाओ तरा उलझनो को भी लगभग वनरपकष रप म समझन लगता

4) वयवकतति पररितथन- जस ही रोगी अपन दवारा अपनाय जान िाल दोषपणथ ढगो क बार म अतदथवषट परापत कर लता ह िस ही िह इस योगय हो जाता ह वक अपन वयिहार म िाछनीय

पररितथन ल आय और अविक उपयकत समायोजी उपायो को अपनाय हो सकता ह वक यह

पररितथन बहत छोि हो या इतन बड़ हो वक रोगी को अपनी िारणाओ आदतो सामावजक

भवमकाओ और वयिहार क अनय पकषो को परी तरह स बदलना पड़ कछ वसरवतयो म वकसी

दोषपणथ आदत की जगह सही आदत डालन म रोगी की सहायता की जाती ह अनय वसरवतयो

म उसकी िारणाओ अरिा परवतविया परारपो म महतिपणथ पररितथन करन म उसकी सहायता

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की जाती ह वयवकतति पररितथन की परी परविया मलतः नयी बातो को सीखन पर कवनरत रहती

ह और इस सिगातमक पनः वशकषण कहा जाता ह

5) समापन- जब रोगी अपन िनिो पर काब पा लता ह और अपनी समसयाओ क समािान की

ओर कािी कछ अगरसर हो जाता ह तब वचवकतसा क समापन का समय आ जाता ह िस तो

यह कोई अविक कविन चरण नही ह कयोवक सिय रोगी को विशवास होता ह वक अब िह

सितनतर रप स आग बढ़ सकता ह विर भी यह आिशयक ह वक रोगी क वलए कलीवनक क दवार

सदि खल रख जाय और जब भी उस आिशयकता पड़ िह मनोवचवकतसक क पास चला

आय

136 साराश मनोवचवकतसा का उददशय पयाथपत वयवकतति समायोजन परापत करन म रोगी की सहायता करना ह अतः

इसम विवभनन अशो तक वयवकतति पररितथन अरिा वयवकतति पनः सरचना करनी पड़ती ह वकस

रोगी क वलए कौन सी परविवि अपनाई जाय यह इस बात पर वनभथर करता ह वक रोगी की

आिशयकताए कया ह उसक पास सािन वकतन ह और रोगी को वकतनी वचवकतसीय सवििाए

उपलबि ह मनोवचवकतसा क कछ लकषय या उददशय होत ह जस- तीवर भािो की अवभवयवकत करक

सािवगक दबाि को कम करना रागी दवारा सही कायथ करन की पररणा को उतपनन करना अिावछत

एि अनवचत आदतो को पररिवतथत करना रोगी की सजञानातमक सरचना म पररमाथजन करना रोगी क

आतमजञान तरा सझ म िवि करना रोगी क सामावजक िातािरण म पररितथन करना अनतथियवकतक

सबिो पर बल वदया जाना आवद मनोवचवकतसा का परमख लकषय ह विविि वसिानतो पर आिाररत

अनक मनोवचवकतसाओ की विचारिाराओ तरा परविवियो म वभननता पायी जाती ह विर भी

आरमभ स लकर अनत तक कछ ऐसी अिसराए तरा चरण ह जो सभी मनोवचवकतसाओ म समान

रप स पाय जात ह जस- पारसपररक विशवास तरा सौहादथ की सरापना रोगी दवारा सघषथपणथ तनािो

की मकत अवभवयवकत िासतविक समसया क परवत अतदथवषट का विकास वयवकतति पररितथन सौहादथपणथ

समापन आवद

137 शबदािली bull मनोविवकतसा मानवसक रप स असिसर एि सािवगक रप स विकषबि वयवकतयो की

मनोिजञावनक विवियो स उपचार करना मनोवचवकतसा कहलाता ह

bull अतदथवषट वयवकत क सिय क बार म आतमजञान या आतमबोि

bull साािवगक दबाि रोगी क भीतर वछप हए भाि को सािवगक दबाि कहत ह

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bull साजञानातमक सारिना रोगी का अपन बार म दसर वयवकतयो क बार म तरा िातािरण क अनय

िसतओ एि घिनाओ क बार म जानकारी सोच एि विचार ही उसका सजञानातमक सरचना

होता ह

bull अनिििविक साबनध वयवकत का अपन सामावजक िातािरण म उपवसरत अनय लोगो क सार

वयिहार

bull मनःसनािविकवि यह सजञानातमक सिगातमक ि वयिहारातमकता स सबवनित मानवसक

विकवतयो का एक सािारण परकार ह दसर शबदो म रोगी मानवसक रप स तो असिसय रहता ह

लवकन उस आसपास क िातािरण आवद क बार म पणथ जञान होता ह

138 सिमलयाकन हि परशन 1) मनोवचवकतसा क परमख उददशय कौन-कौन स ह

2) मनोवचवकतसा क सामानय चरण कौन-कौन स ह

उततर 1) मनोवचवकतसा क परमखय उददशय वनमन ह

bull तीवरभािो की अवभवयवकत करक सािवगक दबाि को कम करना

bull रोगी दवारा सही कायथ करन की पररणा को मजबत करना

bull अिावछत एि अनवचत आदतो को पररिवतथत करना

bull रोगी की सजञानातमक सरचना म पररमाजथन करना

bull रोगी म आतमजञान या सझ म िवि करना

2) मनोवचवकतसा क सामानय चरण -

bull पारसपररक विशवास तरा सौहादथ की सरापना करना

bull रोगी दवारा सघषथपणथ तनािो की मकत अवभवयवकत

bull िासतविक समसया क परवत अतदथवषट का विकास

bull वयवकतति पररितथन समापन

139 सनदभथ गरनर सची bull Coleman JC (1976) Abnormal Psychology and Modern life

(Taraporevala)

bull Davison GC amp Neal JM (1986) Abnormal Psychology An experimental

clinical Approach John Wiley amp Sons Newyork

bull Miller MC Psychoanalysis and Its Derivatives

bull Mac Donal Ladell Tessus P20

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bull Page- Abnormal Psychology P46

bull Symonds- The dynamics of Human Adjustment

bull अरण कमार वसह (2001 2009) आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसीदास

नई वदलली

bull एच0क0 कवपल (2001) अपसामानय मनोविजञान आगराः भागथि बक हाउस कचहरी घाि

आगरा

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ0 गोविनद वतिारी- असामानय मनोविजञान (2001) असामानय मनोविजञान

आगरा विनोद पसतक मवनदर आगरा

bull मखीजा एि मखीजा (1980 2009) अपसामानय मनोविजञान आगराः लकषमी नारायण

अगरिाल हासपीिल रोड आगरा

1310 तनबनिातमक परशन 1 मनोवचवकतसा को पररभावषत करत हए इसक उददशयो का िणथन कीवजए 2 मनोवचवकतसा क महति एि परकवत का विसतारपिथक िणथन कीवजए 3 मनोवचवकतसा क अरथ को सपषट करत हए इसक परमख चरणो का विसतार स िणथन कीवजए

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इकाई-14 तनदशातमक एि अतनदशातमक मनोधचककतसा 141 परसतािना

142 उददशय

143 वनदशातमक एि अवनदशातमक मनोवचवकतसा

144 मनोवचवकतसा की परविविया

145 मनोविशलषणिादी वचवकतसा

146 फरायड दवारा परवतपावदत मनोविशलषण वचवकतसा क परमख चरण

147 सममोहन वचवकतसा

148 सममोहनातमक वयिहार

149 वयिहार वचवकतसा

1410 अवनदशातमक या रोगी कवनरत मनोवचवकतसा

1411 साराश

1412 शबदािली

1413 सिमलयाकन हत परशन

1414 सनदभथ गरनर सची

1415 वनबनिातमक परशन

141 परसिािना इस इकाई क अधययन क पिथ आप विवभनन परकार क मानवसक विकारो क बार म

जानकारी परापत कर चक होग अब परशन यह उिता ह वक उकत मानवसक विकारो क समािान हत वकस

परकार की मनोवचवकतसा की आिशयकता होती ह

सामानयतः वकसी मानवसक रोगी क वलए कौन सी वचवकतसा की परविवि अपनाई जाए यह

इस बात पर वनभथर करता ह वक मानवसक रोगी की आिशयकताए कया ह उसक पास सािन वकतन

ह और रोगी को वकतनी वचवकतसीय सवििाय उपलबि ह

इस इकाई क अधययन क उपरानत आप विवभनन परकार क मनोवचवकतसा परविवियो क बार

म जानकारी परापत कर सक ग और यह भी जान पायग वक इन परविवियो का उपयोग वकन-वकन

मानवसक रोगो को दर करन क वलए वकया जाता ह तरा उसम वकन-वकन चरणो का परयोग होता ह

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142 उददशय परसतत इकाई क अधययन क उपरानत आप जान सक ग वक -

bull मनोवचवकतसा क कौन-कौन स परकार होत ह

bull मनोवचवकतसा की कौन सी परविवि वकस परकार क मानवसक रोग को दर करन क वलए उपयोग म

लायी जाती ह

bull मनोवचवकतसा की विवभनन परविवियो का रोगी क वलए कया महति ह

bull वनदशातमक एि अवनदशातमक वचवकतसा कया ह

bull मनोवचवकतसा विवियो का परयोग कस वकया जाता ह

143 तनदशातमक एि अतनदशातमक मनोधचककतसा वकसी भी मनोवचवकतसा को सिल बनान म वकतना उततरदावयति वचवकतसक का होना

चावहए और वकतना सिय रोगी का इस विषय पर मनोवचवकतसको क बीच मतविवभननता ह

वनदशातमक मनोवचवकतसा म वचवकतसक अविक सविय भवमका वनभाता ह िह रोगी क अचतन म

दवमत सिगातमक मनोगरवनरयो को पता लगान म सिय पहल करता ह और वयवकतति पररितथन क

वलए िनातमक वियाए करन क वलए रोगी को परोतसावहत करता ह

अवनदशातमक (Non Directive) वचवकतसा म वचवकतसक अपकषाकत कम सविय रहता

ह और वचवकतसा की सिलता म रोगी की सविय भवमका महतिपणथ होती ह इस परकार की पिवत

का परवतपादन कालथ रोजसथ न 1942 म वकया रा

वचवकतसक रोगी को एक ऐसा वमतरतापणथ तरा अनजञातमक िातािरण परदान करता ह

वजसस रोगी सिय को सरवकषत और सिीकत अनभि करत हए अपन आनतररक विचारो और

भािनाओ को वकसी वननदा अरिा परवतकार क भय क वबना वयकत कर सकता ह मनोवचवकतसक

रोगी क अचतन म वछपी हई भािनाओ एि अवभिवकतयो का सकषम परीकषण और वयाखया करन क

बजाए रोगी की किल इतनी सहायता करन का परयास करता ह वक िह वचवकतसा वसरवत म अपनी

समसयाओ क बार म सिय समझ सक इन भािनाओ क सपषटीकरण क वलए मनोवचवकतसक

वयाखया क सरान पर परवतवबमब (Reflection) परसतत करन स काम लता ह

सामानयतः अवनदशातमक वचवकतसा ऐस रोवगयो क वलए अतयविक परभािशाली वसि

होती ह वजनका वयवकतति अपकषाकत अविक वसरर होता ह वकनत कछ विवशषट तातकावलक

समसयाओ का सामना करन म कविनाई का अनभि कर रह होत ह इसक विपरीत मानवसक रप स

अविक गमभीर रोवगयो क वलए वनदशातमक मनोवचवकतसा (Directive Psychotherapy)

सिाथविक उपयकत एि परभािशाली होता ह

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144 मनोधचककतसा की परविधिया मानवसक रोगो को दर करन क वलए मनोिजञावनको न अनक परविवियो का आविषकार वकय

ह पहल इस परकार की विविया दाशथवनक होती री परनत आज िजञावनक हो गई ह इसका अरथ यह

नही ह वक आज पराचीन विवियो का मनोवचवकतसा म कोई महति नही ह िासतविक तय यह ह वक

आज भी हम अनक पराचीन विवियो का उपयोग करत ह मनोवचवकतसा क अनक परकार की विवियो

का विकास मानवसक रोगो एि समसयाओ को दर करन क वलए हआ ह वजसका मनोिजञावनको न

अपन-अपन तरीको स िणथन वकया ह

वकसकर क अनसारः-

(अ) सहायक मनोवचवकतसा (Supportive Psychotherapy)

(ब) पनवशकषातमक मनोवचवकतसा (Re-educative Psychotherapy)

(स) पनरथचनातमक मनोवचवकतसा (Re-constractive Psychotherapy)

सामानय िगीकरण (General Classification)-

(अ) मनोवचवकतसा की पराचीन परविविया-

bull सममोहन (Hyponotism)

bull ससचन (Suggestion)

bull परतयायन (Persuation)

(ब) मनोवचवकतसा की निीन परविविया-

bull मनोविशलषण वचवकतसा

bull वयिसावयक वचवकतसा

bull अवनदशातमक या रोगी कवनरत वचवकतसा

bull वनदशातमक वचवकतसा

bull सामवहक वचवकतसा

bull अवसतििादी मनोवचवकतसा

bull मनोजविक वचवकतसा

bull आघात वचवकतसा

bull मनोनािक

bull मनःशलय वचवकतसा

bull अनय वचवकतसा

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उततराखड मकत विशवविदयालय 219

नोरिास परोचासका एि गालाघर (Norcross Prochaska amp Gallagher 1989) न

एक सि वकया वजसम उनहोन मनोवचवकतसा क विवभनन परारपो क परवत करीब 579 नदावनक

मनोिजञावनको की अपनी उनमखता का विशलषण वकया वजस नीच वदय गय वचतर म परसतत वकया गया

मनोवचवकतसा क विवभनन परकारो क परवत मनोवचवकतसको की उनमखता

वचतर स सपषट ह वक करीब 21 परवतशत नदावनक मनोिजञावनक मनोगतयातमक वचवकतसा

(Psychodynamics) 16 परवतशत मनौिजञावनक वयिहार वचवकतसा (Behavioural) 13 परवतशत

मनोिजञावनक सजञानातमक वचवकतसा 12 परवतशत मानितािादी अनभािातमक वचवकतसा 9

परवतशत अनय वचवकतसा तरा 29 परवतशत मनोिजञावनक गरहणशील या सकवलत (Electic) उपागम

अराथत कई वचवकतसीय पिवत को एक सार वमलाकर एक नया दवषटकोण अपनात हए रोवगयो का

उपचार करत ह

145 मनोविशलषणिादी धचककतसा मनोवचवकतसा क इवतहास म फरायड पहल ऐस मनोिजञावनक र वजनहोन मानवसक विकवतयो

स गरवसत लोगो क उपचार म मनोिजञावनक विवियो का िजञावनक परयोग वकया मनोविशलषण

वचवकतसा वनदशक मनोवचवकतसा का एक मखय परकार ह इसक अनतगथत वयवकत क अचतन म

दवमत अनतिथनिो ि मानवसक विषमजालो को मकत साहचयथ सिपन विशलषण तरा कभी-कभी

दवनक जीिन की तरवियो ि विसमवतयो क सकतो क आिर पर भी उपचार वकया जाता ह इस

वचवकतसा परविवि की आिारभत अििारणा यह ह वक जब एक रोगी क रोग स समबवनित दवमत

अनतिथनि मनोविशलषण दवारा उसक अचतन सतर स चतन सतर पर आ जात ह तब वयवकत क अचतन

म उनक दवारा जवनत सिगातमक तनाि भी एक दम कम होन लगता ह और उसक पिात उसस

समबवनित रोग क समसत लकषण भी परायः सितः ही समापत होन लगत ह परनत वयािहाररकतः

Humanistic 12

Cognitive 13

Behavioural 16

Psychodynamic

21

Electic 29

Other 9

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 220

समबवनित वयवकत का सिल मनोविशलषण कर पाना भी अवत महतिपणथ होन क सार-सार अपन म

एक जविल समसया ह

146 फरायड दिारा परतिपाहदि मनोविशलषण धचककतसा क परमख चरण 1) सििनतर साहििय की अिसथा (Stage of free Association)- फरायड की वचवकतसा

परणाली की सबस पहली अिसरा सिततर साहचयथ की होती ह रोगी को एक मनद परकाश यकत

ककष या कमर म एक आरामदह एि गददीदार कोच पर वलिा वदया जाता ह तरा वचवकतसक

का आसन रोगी क वसर की तरि इस ढग स रखा जाता ह वक मनोवचवकतसक रोगी क दवारा मकत

िाताथलाप क परकष म उिन िाली समसत छोिी ि बड़ी सिगातमक परवतवियाओ क सिरपो को

सरलतापिथक दख सकता ह परनत रोगी मनोवचवकतसक को दखन की वसरवत म न हो

वचवकतसक रोगी स कछ दर तक सामानय ढग स बातचीत कर एक सौहादथपणथ िातािरण

सरावपत कर लता ह और रोगी स यह अनरोि करता ह वक उसक मन म जो कछ भी आता

जाए उस वबना वकसी सकोच क कहता जाय चाह िह विचार सारथक हो या वनररथक हो नवतक

हो या अनवतक हो रोगी क बातो को वचवकतसक धयान पिथक सनता ह और यवद कही रोगी को

वहचवकचाहि आवद होती ह तब वचवकतसक उसकी सहायता करत ह इस परविवि को सितनतर

साहचयथ की विवि कहा जाता ह वजसका उददशय रोगी क अचतन म वछप अनभिो मनोलवगक

इचछाओ एि मानवसक सघषो को करदकर अचतन सतर पर लाना होता ह

2) परविरोध की अिसथा- परवतरोि की अिसरा सितनतर साहचयथ की अिसरा क बाद उतपनन

होती ह रोगी जब अपन मन म आन िाल वकसी भी तरह क विचारो को कहकर विशलषक को

सनाता ह तो इसी परविया म एक ऐसी अिसरा आ जाती ह जहा िह अपन मन क विचारो को

वयकत नही करना चाहता ह और िह या तो अचानक चप हो जाता ह या कछ बनाििी बात

जानबझकर करन लगता ह इस अिसरा को परवतरोि की अिसरा कहा जाता ह परवतरोि की

अिसरा तब उतपनन होती ह जब रोगी क मन म शमथनाक एि वचनता उतपनन करन िाली बात

आ जाती ह वजस िह वचवकतसक को नही बताना चाहता ह िलसिरप िह चप या शानत हो

जाता ह या उसकी जगह पर िह कछ दसरी बनाििी बात करन लगता ह वचवकतसक इस

परवतरोि की अिसरा को समापत करन का परयास करता ह तावक उसक उपचार म परगवत हो सक

परवतरोि को समापत करन क वलए वचवकतसक सझाि सममोहन वलखकर विचार वयकत करन

पवनिग वचतराकन आवद का सहारा लता ह िह रोगी स घवनषठ सबि सरावपत कर उसका

विशवासपातर बनता ह तावक परवतरोि की इचछाओ की अवभवयवकत आसानी स हो सक

3) साकरमण (Transference)- मनोविशलषण वचवकतसा म परवतरोि क सार ही दसरी कविनाई

सिमण की होती ह सिमण का अरथ ह रोगी क सिगो आवद का वचवकतसक पर चला जाना

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 221

अराथत रोगी अपन सिगो का सिाभाविक पातर वचवकतसक को मान लता ह जस जस वचवकतसा

म परगवत होती ह िस िस ही सिमणो का भी विकास होन लगता ह तरा रोगी क वलए

मनोविशलषक ही उसक परम घणा िोि आवद भािो का पातर बन जाता ह सिमण स

वचवकतसक को कािी परशानी उिानी पड़ती ह यह सिमण िनातमक तरा ऋणातमक दोनो

परकार का होता ह िनातमक सिमण म रोगी क सिग वचवकतसक क परवत परम क होत ह जबवक

ऋणातमक सिमण म रोगी वचवकतसक स घणा करता ह सिमण स बचाि क वलए

वचवकतसको को अनभिी होना आिशयक होता ह कयोवक कभी-कभी मवहला रोगी अपनी काम

परिवतत का मौवलक पातर वचवकतसक को समझन लगती ह तरा उसस परम करन लगती ह इस

परकार िह अपनी काम समबनिी मौवलक भािनाओ को सरानानतररत कर दती ह वचवकतसक

को इस वसरवत का लाभ तो उिाना चावहए परनत सिय को इस वसरवत म नही डालना चावहए

4) सिपनविशलषण की अिसथा- रोगी क अचतन म दवमत पररणाओ बालयािसरा की

मनोिजञावनक इचछाए एि मानवसक सघषो को चतन सतर पर लान क वलए विशलषक रोगी क

सिपन का अधययन एि उसका विशलषण करता ह फरायड क अनसार सिपन का समबनि अचतन

की दवमत इचछाए होती ह कयोवक दवमत इचछाओ का अचतन म अवसतति समापत नही होता

बवलक ि बाहर वनकलन क अिसर खोजती रहती ह तरा मौका आन पर तवपत चाहती ह तरा

सिपन उसकी तवपत का सािन होता ह इस परकार सिपन दवमत इचछाओ की पवतथ ह इसी कारण

फरायड क वसिानतो को इचछापवतथ का वसिानत भी कहा जाता ह रोवगयो क सिपनो क अनसार

सिपनो का विशलषण करक वचवकतसक उसक अचतन क सघषो एि वचनताओ क बार म जान

पात ह रोगी क सिपनो क अवयकत विषयो क अरो का विशलषण करक वचवकतसक उनह

समझता ह वजसस रोगी को अपन मानवसक सघषथ एि सिगातमक कविनाई क िासतविक कारण

को समझन म सहायता वमलती ह

5) समापन की अिसथा- वचवकतसा क अनत म वचवकतसक क सिल परयास क िलसिरप रोगी

को अपन सिगातमक कविनाई एि मानवसक सघषो क अचतन म वछप कारणो का अहसास

हाता ह वजसस रोगी म सझ का विकास होता ह रोगी म सझ का विकास हो जान स उसक

आतम परतयकषण तरा तरा सामावजक परतयकषण म पररिथतन आ जाता ह इसस रोगी की

मनोिवतत विशवास एि मलयो म िनातमक पररितथन आता ह तरा िह अपन वयवकतगत पररणाओ

को सही सनदभथ म समझन लगता ह रोगी म सझ का विकास हो जान स वचवकतसक रोगी स

िीर-िीर समबनि विचछद करन का परयास करता ह

147 सममोहन धचककतसा यह वचवकतसा परविवि पराचीन वमशर की जावतयो और अनय कई जावतयो म बहत पहल स

परचवलत रा वकनत इसका मनोवचवकतसा म आिवनक उपयोग मसमर न आरमभ वकया सममोहन एक

अतयविक ससचय अिसरा ह जो एक सहयोगशील परयोजय म एक कशल वचवकतसक दवारा उतपनन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 222

की जा सकती ह सममोहन अिसरा म परयोजय किल उसकी िासतविक अरिा परवतकातमक वसरवत

पर धयान कवनरत करता ह वजसक वलए वचवकतसक उस वनदश दता ह

148 सममोहनातमक वयिहार सममोहन क परभाि दवारा अनक रोचक वयिहार उतपनन वकय जो सकत ह

1) िली हई समवििो का पनः समरण- सममोहन दवारा गत जीिन क उन अवभघात पणथ अनभिो

को विर स चतन सतर पर लाया जा सकता ह वजनह रोगी न वकसी कारण िश दवमत कर वदया

रा बालयािसरा और वकशोरािसरा क विवभनन अवभघातपणथ अनभिो को पनः जागरत करक

रोवगयो क विकत पयाथिरण समबनिी अवभिवततयो अरिा आतम समबनिी अवभिवततयो को

सशोवित वकया जा सकता ह

2) आि परविगमन- रोगी को सममोवहत करक यह सझाि या ससचन वदया जाता ह वक िह विर स

5 िषथ का बालक बन गया ह अब िह पाच िषथ क बालक क समान काम करगा बोलगा

सोचगा इस परकार परवतगमन करत हए रोगी की वलखािि बचकानी हो जाती ह आय परवतगमन

का उपयोग करत हए रोगी को उस समय स पहल िाली वसरवत म पहचा वदया जाता ह वजस

समय उसक लकषण पहली बार उतपनन हए र इस परकार उन विवशषट घिनाओ का याद वकया

जा सकता ह वजनक कारण लकषणो को अिकषपण हआ रा इस परकार आय परवतगमन का

परयोग दवमत अवभघातो को जञात करक उनस समबवनित लकषणो को दर करन म वकया जाता ह

3) सिपन उपपादन (Dream Induction)- सममोहन दवारा रोगी म सममोहन तनरा अरिा बाद

म सामानय जागरत अिसरा म सिपन उतपनन कराय जा सकत ह इस परकार क सिपन अरिा

विभरम रोगी क दवमत अनतिथनदो को वयकत करन म कािी सहायक वसि होत ह और रोगी म

सिगातमक अवभघात क परवत परभाि गरहणशीलता को समापत कर दत ह

4) सममोहनोततर सासिन (Post-hypnotic suggestion)- मनोवचवकतसा क वलए सममोहन

परविवियो म सबस अविक परयकत होन िाली विवि सममोहनोततर ससचन ह इसक अनतगथत

सममोहन तनरा म वदय गय ससचनो को रागी जागरतािसरा म परा करता ह ऐसा करत समय

रोगी को इसका कारण जञात नही होता उदाहरण क वलए सममोहन तनरा म रोगी को यह ससचन

वदया जाता ह वक जागन क बाद िह हकलाना बनद कर दगा या वसगरि नही वपयगा यवद इस

परविवि को सचार रप स चलाया जाय तो सममोहन ससचन जागरतािसरा म बहत दर तक

परभािशाली बन रहत ह वकनत परायः इनकी अिवि बहत कम होती ह यवद ससचन का

पनथबलन (Reinforcement) वकया जाय तो िह विर स हकलाना या वसगरि पीना शर कर

दगा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 223

149 वयिहार धचककतसा सिथपररम 1953 म वलणडसलय सकीनर तरा सोलोमोन दवारा परकावशत एक शोि पतर म

वयिहार वचवकतसा पद का उपयोग वकया गया विवभनन अविगम वसिानतो विशष रप स अनकलन

वसिानत दवारा परवतपावदत वनयमो का उपयोग मानवसक रोगो क उपचार म वकया जान लगा वयिहार

वचवकतसा क बदल म कभी-कभी वयिहार पररमाजथन पद का भी उपयोग वकया जाता ह वयिहार

वचवकतसा मनोवचवकतसा की एक ऐसी परविवि ह वजसम मानवसक रोगी का उपचार कछ ऐसी

विवियो स वकया जाता ह वजसका आिार अनबनिन क कषतर म विशषकर पिलि तरा सकीनर दवारा

तरा सजञानातमक सीखन क कषतर म वकय गय परमख वसिानत या वनयम होत ह वयिहार वचवकतसा क

पीछ परमख िारणा यह ह वक अतीत म सीखी गयी कसमयोवजत वियाओ को सशोवित अरिा

विसमत वकया जा सकता ह इस वचवकतसा परणाली म ऐस उदवीपन चरो म हरिर या पररितथन वकया

जाता ह जो विशष परकार क वयिहार समबनिी पररितथन उतपनन कर सकत ह वयिहार वचवकतसा इस

अििारणा पर आिाररत ह वक कसमायोजी वयिहार क दो परमख कारण होत ह

bull दोषपणय अनकवलि परविवकरिाए (Deficient conditioned reaction)-

वयवकत आिशयक समायोजी अनवियाओ को अवजथत करन म असिल रहता ह इसक

अनक कारण हो सकत ह जस दोषपणथ अनकलन सही अनकलन क अिसरो का अभाि आवद

bull अवधशष अनकलन परविवकरिाए-

यह भी सभि हो सकता ह वक रोगी न कछ विषम पररवसरवतयो म कछ कसमयोजी दविता

परवतवियाए सीख ली ह अब य परवतवियाए इतनी सामानयीकत हो चकी ह वक वयवकत िासतविक

पररवसरवतयो म भी दविवतत रहता ह

एक तरि मनोविशलषणिादी वचवकतसक यह परयास करता ह वक लकषणो क पीछ वछप हए

गवतक कारणो की खोज कर और उनह परी तरह स समापत कर इसक विपरीत वयिहारिादी

वचवकतसक रोगी क लकषणो को ही मखय समसया मानता ह

वयिहार वचवकतसा का मखय उददशय ऐसी समायोजी अनकवलत अनवियाय उतपनन करता ह

जो रोगी की कसमयोगी अनवियाओ का सरान ल सक

वयिहार वचवकतसा की परमख परविविया वनमनित ह

bull सरल कलावसकी अनकलन

bull उदवीपन परसत अनकलन

bull विया परसत अनकलन

bull अपिती अनकलन

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उततराखड मकत विशवविदयालय 224

bull पारसपररक अनतबाथिा

1) सरल कलावसकी अनकलन (Simple Classical Conditioning)- यह एक परकार का

परवतसमबिन परविवि पर आिाररत ह इस परकार की परविवि का मल आिार यह ह वक विकवत

वयिहार स समबवनित उदीपक एक विशष सि या उदीपक वसरवत क सार अनबवनित हो जात

ह वजनह अगर उनही अनवियाओ क सार अनबवनित कर वदया जाय तो रोगी िीक हो सकता

ह उदाहरण क वलए इसका उपयोग असयत मतरता क उपचार म इस परकार वकया जाता ह इसम

एक ऐस विदयत उपकरण का उपयोग वकया जाता ह वक जस ही सोय हए बालक म मतर तयागन

की परविया आरमभ होती ह िस ही घणिो बजन लगती ह पनरािवतत का पररणाम यह होता ह

वक जस ही मतराशय म िलाि की सिदना उतपनन होती ह िस ही बालक जाग जाता ह यह

परविया वनमनित होती ह

उरदीपन परसि अनकलन (Respondent Conditioning)- िोलप (1950) न दवषचनता

अनविया को समापत करन क वलए उददीपन परसत अनकलन क वनयमो का उपयोग वकया इस परविवि

को सालिर तरा ओलप न वयिवसरत असिदीकरण कहा ह इस विवि का उपयोग तब वकया जाता

ह जब रोगी म पररवसरवत क परवत अचछी तरह स अनविया करन की कषमता होती ह परनत िह ऐस

नही करक उसस डरकर या वचवनतत होकर अनविया करता ह इस परविवि क अनतगथत वचवकतसक

ऐसी पररसरवतयो की सची तयार करता ह जो रोगी म दवषचनता उतपनन करती ह इन पररवसरवतयो को

परबलता क आिार पर िमबि वकया जाता ह वजस हम उददीपन पदानिम कह सकत ह

वचवकतसक रोगी को गहन पशीय वशवरलीकरण का परवशकषण दता ह वशवरल अिसरा म उस यह

कहता ह वक दविता उददीपनो क पदानिम म स उस उददीपन की सपषट और सजीि कलपना कर जो

कम स कम दविता उतपनन करता ह यवद उसकी कलपना स तनाि का अनभि होन लग तो िह पनः

वशवरलीकरण पर धयान कवनरत कर अननततः रोगी इस योगय हो जाता ह वक दविता क वबना

उददीपन की कलपना कर सकता ह ततपिात उददीपन पदानिम क अगल उददीपन पर इसी परविया की

पनरािवतत की जाती ह अनत म तीवरतम दविता उददीपन की कलपना करन पर भी रोगी म दविता

उतपनन नही होती और िीर-िीर रोगी इतना सिसर हो जाता ह वक िासतविक उददीपनो का सामना

दविता क वबना कर सकता ह

2) वकरिा परसि अनबनधन (Operant Conditioning)- इस परकार की परविवियो म पनबथलन

क माधयम स वयिहार म पररितथन वकया जाता ह उदाहरण क वलए भोजन एक शवकतशाली

परबलक ह वयिहार वचवकतसा क कषतर म अनक कसमायोजी वयिहार परारपो को िीक करन क

घणिी की धिवन बालक का

जागना

मतराशय म

िलाि

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उततराखड मकत विशवविदयालय 225

वलए इसका उपयोग वकया जाता ह भोजन की मातरा घिान-बढ़ान क पररणाम सिरप उतपनन

होन िाली विशष परकार की अनवियाओ का सामानयीकरण सामावजक अनवियाओ पर होन

लगता ह इस परविवि दवारा मनोविदलन आवद मनसताप स पीवड़त रोवगयो म सामावजक

अनतविया बढ़न लगती ह इस परकार की वचवकतसा की एक परमख कमी यह ह वक रोग जड़ स

समापत नही होता लवकन दखद लकषणो म अिशय ही सिार हो जाता ह

3) अपििी अनकलन (Aversive Conditioning)- अपिती अनकलन या विरवच

वचवकतसा वयिहार वचवकतसा की एक ऐसी विवि ह वजसम वचवकतसक रागी क अिावछत

वयिहार न करन का परवशकषण का कछ ददथनाक या असखद उदीपको को दकर करता ह इस

तरह की परविवि म वचनता उतपनन करन िाली पररवसरवत या उदीपक क परवत रोगी म एक तरह

की विरवच पदा कर दी जाती ह वजसस उतपनन होन िाली अिावछत या कसमायोवजत वयिहार

अपन आप िीर-िीर बद हो जाता ह

रोगी म विरवच उतपनन करन क वलए दणड वबजली का आघात तरा कछ विशष दिा

आवद का उपयोग वकया जाता ह उदारणारथ- मददयवयसवनता क उपचार म एनिाबयज नामक औषवि

का उपयोग वकया जाता ह इस औषवि क सिन क पिात यवद रोगी मवदरापान कर तो उसम अनक

पीड़ादायक लकषण उतपनन हो जात ह जस- मतली होना सास लन म कविनाई उलिी होना आवद

एनिाबयज और मवदरापान को बार-बार यवगमत करन पर रोगी समझन लगता ह वक मवदरापान स उस

पीड़ादायक वसरवत का सामना करना पड़गा अतः िह मवदरापान करना छोड़ दगा ह

4) पारसपररक अनिबायधा- कभी-कभी कसमायोजी अनवियाओ को सािारण अनतबाथिा अराथत

अपरबलन दवारा समापत वकया जा सकता ह उदाहरण क वलए यवद वकसी वयवकत को िाययान स

यातरा करन की दभीवत हो तो पहल उस प िी पर रक हए िाययान म बिन का अभयास कराना

चावहए बाद म उस हिाई अडड पर दौड़त हए हिाई जहाि म बिन का अभयास कराना चावहए

और अनत म अनय यावतरयो क सार वकसी कम दरी की उड़ान पर भजा जा सकता ह इस विवि

को पारसपररक अनतबाथिा कहा जाता ह

1410 अतनदशातमक या रोगी कननदरि मनोधचककतसा

इस परकार की परविवि का परवतपादन कालथ रोजसथ न 1942 म वकया रा रोगी कवनरत

मनोवचवकतसा इसवलए कहा जाता ह कयोवक सिय रोगी ही यरा समभि मनोवचवकतसा की अनतथिसत

और वदशा को वनिाथररत करता ह इस वचवकतसा का मखय उददशय यह जञात करना होता ह वक वयवकत

सिय को और अपन जीिन की घिनाओ को वकस परकार दखत ह रोजसथ न अपनी वचवकतसा विवि

म रोगी क वलए कलायि तरा वचवकतसक क वलए सलाहकार शबद का परयोग वकया ह

1) अवनदशातमक मनोविवकतसा की सामानि परकविः

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 226

अवनदशातमक मनोवचवकतसक की उपरोकत रपरखा स उसकी सामानय परकवत सपषट हो

जाती ह अनय ससगवित वसिानतो और इस वसिानत म वनमनवलवखत अनतर सपषट रप स रवषटगोचर

होत ह -

bull वचवकतसक क वनदशन और िलन का बहत बड़ा उततरदावयति सपषट रोगी पर होता ह

bull वचवकतसक की भवमका मखयतः भािनाओ क सिीकरण पररितथन और सपषटीकरण तक सीवमत

होती ह

bull वचवकतसक और रोगी क बीच कम स कम अनयारोपण उतपनन होन वदया जाता ह तावक समापन

क समय जविल अनयारोपण क समबनिो को सभालन की कोई आिशयकता ही नही पड़

bull इस वचवकतसा पिवत म नदावनक मनोिजञावनक परीकषणो क महति को समापत कर वदया गया ह

कयोवक इनह सामानयता अनािशयक माना जाता ह इन परीकषणो म नषट होन िाल समय को रोगी

क समसयाओ क समािान म लगा दना अविक लाभपरद होगा

2) पीविि वििहार स समबवनधि रोगी कवनिि मनोविवकतसा का समपरतिि-

रोजसथ क अनसार मानवसक रोगी ि लोग ह वजनहोन अपन अनभिो की उपकषा की ह और

अपन िासतविक आतम स दर हि गय ह कसमायोजी परवतरप परायः बालयािसरा म आरमभ होत ह

बालक अपन माता वपता स यह सीखता ह वक कछ विशष आिग जस लवगकता आिामकता

आवद असिीकायथ ह माता वपता का सनह परापत करन क वलए वयवकत अपन आतम क महतिपणथ पकषो

की अिहलना कर दता ह

कालथ रोजसथ का विशवास ह वक आतमिासतिीकरण की वयवकत म आिशयकता होती ह

चवक कसमायोवजत वयसक बहत लमब समय स अपनी पहचान क महतिपणथ पकषो की अिहलना

करता रहता ह इसवलए उसकी िवि रक गयी ह िह नय अनभिो क परवत रकषातमक हो जाता ह िह

गहर समबनि सरावपत करन म वझझकता ह िह नई वियाओ का अनिषण नही करता ह रोगी

कवनरत वचवकतसा क अनसार तवनतरकातापी लकषण इसी अिरि िवि का पररणाम ह

3) रोगी कवनिि मनोविवकतसा क लकषि और कािय विवधिा-

रोगी कवनरत मनोवचवकतसा का मखय उददशय रोगी की योगयताओ का सही वदशाओ म

विकास करना ह और इस वदशा का वनिाथरण सिय रोगी करता ह रोगी क आतम समपरतयय को

बढ़ाना मनोवचवकतसा का मखय उददशय ह रोगी कवनरत वचवकतसक वनदान और अनय परकार क

मलयाकनो की अिहलना करत ह ि न तो यह वनिाथररत करत ह वक विचार कया ह और न ही उपचार

की सामररकी को वनवित करत ह ि रोगी क ितथमान जीिन अरिा अतीत की विवशषट घिनाओ म

भी रवच नही रखत उनक अनसार महतिपणथ बात यह ह वक रोगी और वचवकतसक इस समय एक

दसर का सामना वकस परकार करत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 227

4) रोिसय की विवकतसा परवकरिा क मयि िरण-

bull रोगी का सहायतारथ आगमन (The client comes for help)-

रोजसथ क मतानसार- रोगी सिय ही अपनी कविनाईयो को दर करन क वलए वचवकतसक क

पास आता ह अनय शबदो म रोजसथ का विचार रा वक उपचार की सिलता इस बात पर आिाररत ह

वक रोगी म अपनी कविनाईयो को दर करन की इचछा वकतनी तीवर ह यही कारण ह वक उसन अपनी

परविवि की सिलता का पररम चरण यह बताया ह वक रोगी को यह सपषट कर दना चावहए वक यहा

इस परकार पयाथिरण सवजत वकया जायगा वक रोगी सिय ही अपनी समसयाओ को समझगा तरा

उनका वनराकरण करन का परयतन करगा

bull भािना की अवभवयवकत (Expression of Feeeling)-

जब रोगी वचवकतसक क पास आता ह तब वचवकतसक इतना सहानभवत पणथ वयिहार करता

ह और इस परकार का पयाथिरण सवजत करता ह वक रोगी अपनी भािनाओ आवद को वयकत करन को

उतसावहत होता ह इसक पररणाम सिरप रोगी क अचतन मन स समबवनित या अनतवनथवहत घणा

विरोि ि अनय अिावछत भािनाओ को चतना म आन का अिसर वमलता ह यहा वचवकतसक का

परमख कायथ ह वक रोगी की इन भािनाओ को समझन का परयास कर और रोगी को इनह परकि करन

क वलए परोतसावहत कर

bull रोगी म अतदथवषट का विकास (Development of Insight)-

अवनदशातमक वचवकतसा म वचवकतसक समपणथ वचवकतसा परविया म सविय रप स भाग

नही लता रोगी सिय ही अपनी समसयाओ स समबवनित इचछाओ भािनाओ विचारो सिगो

आवद की अवभवयवकत करता ह वजसक िलसिरप उस अपनी कविनाईयो या समसयाओ क समबनि

म अतदथवषट उतपनन हो जाती ह वजसस वक उस िासतविकता का जञान होता ह सिगो स सपषट रप का

पता चलता ह तरा यह परयास करना आरमभ करता ह वक िह वकस परकार पयाथिरण क सार उवचत

समायोवजत कर

bull िनातमक चरण-

जब रोगी को अपनी कविनाई यो ि समसयाओ की जानकारी हो जाती ह तो िह यह वनवित

कर लता ह वक उस वकस कायथ को करना चावहए वकसको नही करना चावहए यहा वचवकतसक को

बड़ी बविमानी स कायथ करना चावहए तरा रोगी को उपयकत सझाि ि वनदश दना चावहए रोगी िीर-

िीर अपनी कविनाई यो को समझता ह तरा सिय ही समायोजन का सवनयोवजत तरीका खोजता ह

तरा उसम उपयकतता की भािना जनम लती ह

bull समपको का समापन-

जब रोगी म अपन लकषणो क परवत आिशयक अतदथवषट विकवसत हो जाती ह और विर इस

समबनि म उसक आिशयक वनणथय ि कायथ दषा क परवत भी उपबोिक क समरथन ि अनमोदन का

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 228

जब उस हावदथक तरा सवनवित आशवासन वमल जाता ह तब आग विर सपषटतः इस अधययन क

सौमयपणथ समापन की वसरवत आ जाती ह जो वक एक परकार स औपचाररक न हो कर भविषय म

विर वमलन की भािपणथ परतयाशा ि सिभाविक इचछा क सार समापत होती ह इस परविया म पहल

रोगी या सिारी दवारा ही होती ह तरा इसक तरनत पिात रोगी अपन वयिहार म आिशयक पररितथन

लाकर जीिन म अपन आतमवसवि क मागथ की ओर वनवित होकर अगरसर होन लगता ह

1411 साराश मनोवचवकतसा का उददशय पयाथपत वयवकतति समायोजन परापत करन म रोगी की सहायता करना

ह परतयक मनोवचवकतसा का उददशय पररपकिता कषमता तरा आतमिासतिीकरण की वदशा म

वयवकतति का विकास करना ह फरायड दवारा परवतपावदत मनोविशलषण वचवकतसा क परमख चरण ह-

सितनतर साहचयथ की अिसरा परवतरोि की अिसरा सिमण की अिसरा सिपन विशलषण की

अिसरा वयिहार मनोवचवकतसा क परमख परकार ह- सरल कलावसकी अनकलन उददीपन परसत

अनकलन विया परसत अनकलन तरा पारसपररक अनबनिन रोगी कवनरत वचवकतसा क परमख

चरण ह- रोगी का सहायतारथ आगमन भािना की अवभियवकत रोगी म अतदथवषट का विकास तरा

समपको का समापन

1412 शबदािली bull परविरोध मनोवचवकतसा क दौरान जब रोगी अचानक चप हो जाता ह या िह अपन मन क

विचारो को वयकत नही करना चाहता ह तब ऐसी अिसरा को परवतरोि कहा जाता ह

bull सथानानिरण रोगी अकसर अपनी गत वजनदगी म जसी मनोिवतत वशकषक माता या वपता या

वकसी अनय क बार म बना रखा ह िसी ही मनोिवतत िह वचवकतसक क परवत विकवसत कर लता

ह इस ही सरानानतरण की सजञा दी जाती ह

bull धनातमक सथानानिरण इसस रोगी विशलषक या वचवकतसक क परवत अपन सनह एि परम की

परवत वियाओ को वदखलाता ह

bull ऋणातमक सथानानिरण इसम रोगी वचवकतसक क परवत अपनी घणा एि सिदनातमक

अलगाि की परवत वियाओ की अवभवयवकत करता ह

bull परविसथानानिरण इसम मनोवचवकतसक ही सिय रोगी क परवत सनह परम एि सिगातमक

अलगाि की परवतवियाओ की अवभवयवकत करता ह

bull सझ िा अतदथवषट जब रोगी क आतम परतयकषण एि सामावजक परतयकषण म पररितथन आता ह

और रोगी की मनोिवतत विशवास एि मलयो म िनातमक पररितथन आता ह तरा िह अपन

वयवकतगत पररणओ को सही सनदभथ म समझन लगता ह तब रोगी म सझ या अतदथवषट का विकास

हो जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 229

bull कसमािोविि विवि कसमायोवजत वयवकत िस वयवकत को कहा जाता ह जो वजनदगी की

समसयाओ स वनबिन क वलए पयाथपत सामयथ वकसी कारणिश नही विकवसत कर पाय या सीख

पाय

bull करमबदध असािदीकरण मलतः वचनता कम करन की एक परविवि ह जो इस वनयम पर

आिाररत ह वक एक ही समय म वयवकत वचनता और विशराम दोनो ही अिसरा म होता ह तो

उसम वचनता उतपनन करन िाल उददीपक को बढ़त िम म वदया जाता ह अनततः रोगी वचनता

उतपनन करन िाल उददीपको क परवत असिवदत हो जाता ह

1413 सिमलयाकन हि परशन 1) वकसकर क अनसार मनोवचवकतसा क कौन-कौन स परकार ह

2) मनोवचवकतसा की पराचीन परविविया कौन-कौन सी ह

3) वयािहार मनोवचवकतसा की परमख विविया कौन कौन सी ह 4) रोगी मनोवचवकतसा क परमख चरण कौन-कौन स ह

उततर 1) वकसकर क अनसार मनोवचवकतसा क वनमन परकार ह-

bull सहायक मनोवचवकतसा

bull पनवषथकषातमक मनोवचवकतसा

bull पनरथचनातमक मनोवचवकतसा

2) मनोवचवकतसा की पराचीन परविविया वनमन ह-

bull सममोहन

bull ससचन

bull परतयायन

3) वयिहार वचवकतसा की परमख विविया वनमन ह-

bull सरल कलावसकी अनकलन

bull विया परसत अनकलन

bull अपिती अनकलन

bull पारसपररक अनतबाथिा

4) रोगी िवनरत वचवकतसा क परमख चरण वनमनित ह-

bull रोगी का सहायतारथ आगमन

bull भािना की अवभवयवकत

bull रोगी म अनतदवथवशि का विकास

bull िनातमक चरण

bull समपको का समापन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 230

1414 सनदभथ गरनर सची bull Coleman JC (1976) Abnormal Psychology and Modern life

(Taraporevala)

bull Davison GC amp Neal JM (1986) Abnormal Psychology An experimental

clinical Approach John Wiley amp Sons Newyork

bull Miller MC Psychoanalysis and Its Derivatives

bull Mac Donal Ladell Tessus P20

bull Page- Abnormal Psychology P46

bull Symonds- The dynamics of Human Adjustment

bull अरण कमार वसह (2001 2009) आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसीदास

नई वदलली

bull एच0क0 कवपल (2001) अपसामानय मनोविजञान आगराः भागथि बक हाउस कचहरी घाि

आगरा

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ0 गोविनद वतिारी- असामानय मनोविजञान (2001) असामानय मनोविजञान

आगरा विनोद पसतक मवनदर आगरा

bull मखीजा एि मखीजा (1980 2009) अपसामानय मनोविजञान आगराः लकषमी नारायण

अगरिाल हासपीिल रोड आगरा

1415 तनबनिातमक परशन bull दीघय उततरीि परशन

1 मनोविशलषण वचवकतसा कया ह इसक परमख चरणो का विसतार स िणथन वकवजए

2 वयिहार वचवकतसा स कया तातपयथ ह इसकी परमख विवियो का िणथन वकवजए 3 अवनदवशत मनोवचवकतसा या रोगी कवनरत मनोवचवकतसा स कया अवभपराय ह इसक परमख

चरणो का िणथन वकवजए

bull लघ उततरीि परशन

1 सममोहन स कया तातपयथ ह

2 मकत साहचयथ विवि स कया समझत ह 3 अनतदथवषट म विकास स कया आशय ह

4 अवनदवशत मनोवचवकतसा का उददशय कया ह 5 वयिहार वचवकतसा का कया लकषय ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 231

इकाई-15 मनोधचककतसा-सामहहक धचककतसा एि वयिहार धचककतसा

151 परसतािना

152 उददशय

153 मनोवचवकतसा का अरथ

154 सामवहक वचवकतसा

155 वयिहार वचवकतसा

156 साराश

157 शबदािली

158 सिमलयाकन हत परशन

159 सनदभथ गरनर सची

1510 वनबनिातमक परशन

151 परसिािना विवभनन परकार क मानवसक रोगो को दर करन हत वजस परविवि को उपयोग म लाया जाता

ह उस मनोवचवकतसा कहत ह इसका मखय उददशय रोगी म आतम-विशवास एि दसरो क परवत आसरा

क भाि का विकास ह

वपछली इकाइयो म आपन विवभनन परकार क मानवसक रोगो-मनो सनायविकवतयो एि

मनोविकवतयो क लकषण कारण आवद की जानकारी परापत की तरा इन रोगो क बीच की वभननता को

जानन का परयास वकया

परसतत इकाई का मखय उददशय इन बीमाररयो क वनदान हत परचवलत तकनीको की जानकारी

परापत कराना ह वजसम समह वचवकतसा एि वयिहार वचवकतसा क सिरप एि महति पर परकाश डाला

गया ह

152 उददशय परसतत इकाई को पढ़न क पिात आप इस योगय हो सक ग वक आप-

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 232

bull मनोवचवकतसा का अरथ समझ सक

bull सामवहक वचवकतसा क सिरप पर परकाश डाल सक

bull वयिहार वचवकतसा क विवभनन रपो को रखावकत कर सक

bull सामवहक वचवकतसा एि वयिहार वचवकतसा क सापवकषक परभािकता को बता सक

153 मनोधचककतसा का अरथ मनोवचवकतसा उन मनोिजञावनक परविवियो को कहत ह वजनक दवारा वयवकतति समबनिी

उलझनो अरिा गवतरयो को सलझाया जाता ह इसकी परविया का परारभ वचवकतसा और रोगी क

बीच पारसपररक िाताथलाप दवारा होता ह इस िाताथलाप स वचवकतसक और रोगी क बीच एक परकार

का समबनि विकवसत होता ह वजसक िलसिरप रोगी वचवकतसक की सलाह उसक दवारा वदय गए

सकतो एि उसकी बातो को मानन लगता ह रोगी म आतम-विशवास उतपनन होता ह इस आतम-

विशवास और आसरा का उपचार क दवषटकोण स विशष महति होता ह इसक कारण रोगी को अपना

वयवकतति सबल बनान अपनी समसयाओ को सलझान और िातािरण क सार अनकल समायोजन

सरावपत करन म पयाथपत मदद वमलती ह

मानवसक रोग क मलतः दो परकार ह- मनःसनायविकवत एि मनोविकवत मनोसनायविकवत

स पीवड़त रोवगयो क उपचार हत िसततः मनःवचवकतसा ही एकमातर उपयकत वचवकतसा की विवि ह

जबवक मनोविकवत स पीवड़त रोवगयो क उपचार क वलए मनोवचवकतसा क अवतररकत अनय विवियो

जस- औषवि वचवकतसा इनसवलन वचवकतसा विदयतीय आघात वचवकतसा आवद का भी परयोग

वकया जाता ह

उपरोकत वििचन स सपषट ह वक-

1 मनोवचवकतसा दवारा मानवसक रोवगयो का उपचार वकया जाता ह 2 मनोवचवकतसा की परविविया मनोिजञावनक सिरप की होती ह 3 मनोवचवकतसा की परविवियो दवारा वयवकतति एि सिग समबनिी उपरिो को कम या दर करन

का परयास वकया जाता ह

154 सामहहक धचककतसा सामवहक वचवकतसा सिय म कोई सिततर वचवकतसा पिवत नही ह बवलक विवभनन वचवकतसा

पिवतयो जस- मनोविशलषण सममोहन वयिहार पररमाजथन आवद का सामवहक पररवसरवत म

उपयोग ह इसकी शरआत वदवतीय विशव यि क समय सना म मानवसक रोवगयो क इलाज हत हई

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उततराखड मकत विशवविदयालय 233

सामवहक वचवकतसा स तातपयथ मनःवचवकतसा की वकसी विवि का एक सार एक स अविक मानवसक

रोवगयो पर परयोग ह

सामवहक उपचार की पिवत का उपयोग पराचीन समय म भी वकया जाता रा पराचीन समय

म दो चार या पाच रोवगयो को वमलाकर एक छोिा समह बना वलया जाता रा और रोवगयो की उमर

आिशयकता कषमता एि वचवकतसक की सझ-बझ क अनसार विवभनन परकार की वचवकतसा

परविवियो का उपयोग वकया जाता रा इस परमपरागत सामवहक वचवकतसा-विवि क विवभनन रप

आज भी उपयोग म लाय जात ह

1) वररवकटक सामवहक विवकतसा- इस परविवि का उपयोग मदयपान की आदत स गरसत रोवगयो

पर वकया जाता ह रोवगयो को सामवहक रप स इसक बर परभािो स समबवनित तयो को

वयाखयान क रप म परसतत वकया जाता ह इसक वलए विलम विवडयो िप या इसी परकार क

अनय तरीक भी उपयोग म लाय जात ह

2) मनःअविनि- मनः अवभनय भी सामवहक वचवकतसा-विवि का ही एक रप ह वचवकतसा की

यह विवि अवभनय करन की परविवि पर आिाररत ह इसम रोगी को वकसी रगमच जसी

पररवसरवत म अपनी समसयाओ सिगो एि अनय मानवसक विकारो को एक-दसर क सामन

परकि करन का अिसर वमलता ह चवक रोगी इन समसयाओ को दसरो क सामन रगमच-जसी

वसरवत म परकि करता ह इसवलए रोगी का वयिहार िासतविक जीिन की भावत होता ह रोगी

अपन समह क सभी लोगो को परायः एक जसी समसयाओ स वघरा हआ अनभि करता ह इसस

उस यह विशवास होता ह वक उसकी समसयाए किल उसकी नही ह अवपत दसर लोगो की

समसयाए उसक समान ही ह इसस रोगी म आतमविशवास और सतोष की भािना का विकास

होता ह वजसक पररणामसिरप रोग क लकषण दर हो जात ह और ि सामानय जीिन वयतीत करन

योगय बन जात ह खासकर अनतः पारसपररक समबनिो क सिार म सामवहक वचवकतसा का

अचछा परभाि विशष रप स पड़ता ह

मनः अवभनय की परविवि म रोगी को कभी मातर दशथक क रप म तो कभी रगमच पर

अवभनय करन िाल पातर क रप म कायथ करना पड़ता ह इन दोनो परकार की वसरवतयो म वचवकतसा

की यह विवि लाभपरद होती ह इस विवि का मल उददशय रोगी म सझ-बझ को बढ़ाना

अनतःपारसपररक समबनिो को सिारना एि सिगातमक वचनता क सतर म कमी लाना अरिा दर

करना होता ह

3) सामवहक मठिि-विवकतसा- यह एक परकार की सामवहक मिभड़ की वसरवत होती ह वजसम

समह क परतयक सदसय को एक विशष िातािरण म रखा जाता ह जहा ि वबना वकसी वनयनतरण

क आपस म खलकर अपनी समसयाओ पर बातचीत कर सक इस पररवसरवत म रोगी यह

अनभि करता ह वक वकस परकार िह समह क दसर सदसयो को परभावित करता ह तरा सिय भी

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उततराखड मकत विशवविदयालय 234

दसरो स परभावित होता ह इन पररवसरवतयो म वचवकतसक परायः रोवगयो स ओझल रहन की

कोवशश करता ह लवकन िह उनकी गवतविवियो पर नजर रखता ह और आिशयकता पड़न पर

रोवगयो को अपनी समसयाओ को वयकत करन म परोतसावहत करता ह वचवकतसा की इस परविवि

क विकास का इवतहास विगत 50 िषो का ह इस मिभड़ समह की वसरवत म रोगी समह क

दसर रोवगयो स यरारथ रप म वमलता ह जहा विवभनन परकार की वियाए होती ह जस- शारीररक

वयायाम खल मावलश परभति सरापन चतना क विकास का परवशकषण जीिन वनयोजन

इतयावद इन वियाओ क िलसिरप रोगी क वयवकतगत विकास और उतरान का मागथ परशसत

होता ह और आतमबोि समनिय मौवलकता इतयावद का विकास उचच अशो म होता ह

सामवहक वचवकतसा-परणाली क सदसयो की सखया परायः 6 स 12 क बीच होती ह तरा इस

समह की गवतविवियो का सचालन एक या दो नता क नतति म होता ह वचवकतसा की इस परणाली

का मखय उददशय सामवहक रप स परसपर विचारो का आदान-परदान की परविया परोतसावहत करना

होता ह वजसस सामावजक िासतविकता की सझ का विकास हो सक इसक वलए टरवनग गरप िवकनक

अरिा lsquoिी गरपrsquo का उपयोग वकया जाता ह इस िकवनक या परविवि का उददशय समह क सदसयो म

ऐसा अनभि कराना होता ह वक उनक वयिहार का दसरो पर और दसरो क वयिहार का उन पर कया

परभाि पड़ता ह इस तरह एक-दसर की भािनाओ को समझन की योगयता का विकास होता ह

वजसस रोगी अपन वयिहार को इस परकार मोड़ना सीख लत ह वक समह क दसर सदसयो क सार

सखद एि मानिीय सबि सरावपत कर सक और इस परकार सामजसय की योगयता का विकास हो

सक

सामवहक वचवकतसा म कछ अनय परविविया भी उपयोग म लायी जाती ह जस- पनवशथकषण

परविवि भवमका अवभनय परविवि समह-विशलषण परविवि इतयावद

अनय वचवकतसा विवियो की तरह समह वचवकतसा विवि क भी अपन गण-दोष ह वजन पर

परकाश डालना आिशयक ह

4) सामवहक विवकतसा क गण-

i इस विवि म समह क सदसयो दवारा सामावजक िासतविकता का सिरप सपषट होता ह

िलसिरप रोगी को िासतविकता का सहज बोि होता ह

ii सामवहक िातािरण रोवगयो क अनतःपारसपररक सबिो क विकास म विशष रप स लाभपरद होता ह

iii समह क सदसय अपनी सदसयता बरकरार रखन हत सहज रप स िावछत परवतवियाओ का

सिरप बनाय रखत ह िलतः िावछत परवतवियाए बार-बार दहराई जाती ह जो िीर-िीर पणथ

रप स सरावपत की जाती ह और अिाछनीय वयिहार लपत हो जात ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 235

5) सामवहक विवकतसा क दोष-

i इस विवि की सबस पहली तरवि यह ह वक चवक इस विवि म एक ही सार कई रोवगयो की

वचवकतसा की जाती ह अतः उवचत वचवकतसा मवशकल होती ह एक ही सार वचवकतसक को

कई रोवगयो पर धयान दना पड़ता ह जो वयािहाररक नही परतीत होता ह

ii इस विवि की दसरी तरवि यह ह वक इसका सिलतापिथक सभी रोवगयो पर उपयोग नही वकया जा सकता इसकी सिलता रोगी क सिभाि और रोगी की गभीरता पर वनभथर करता ह कछ रोगी

ऐस होत ह जो समह को भग कर द सकत ह अरिा इसक सचालन की परविया अिरि कर

सकत ह उदाहरण क वलए उपरिकारी रोगी दखदायी और भरमणकारी रोगी की वचवकतसा म

इस विवि का सिल परयोग सभि नही होता

155 वयिहार धचककतसा वयिहार वचवकतसा भी अपन-आप म कोई अकली विवि नही ह िसततः वचवकतसा की यह

एक ऐसी पिवत ह वजसम सीखन की विया स सबवित परयोगो दवारा परवतपावदत वसिानतो और

वनयमो पर आिाररत कई परविविया सवममवलत ह य परविविया वयिहारिाद की उपज ह वचवकतसा

की इस पिवत का उपयोग 1960 क आस-पास परारमभ हआ तरा आजकल अनक परकार क

कसमायोवजत वयिहारो क सशोिन या पररमाजथन क वलए इसका उपयोग वकया जान लगा ह

इसीवलए इस वयिहार पररमाजथन वचवकतसा पिवत भी कहत ह इस विवि क विकास का मखय शरय

रसी शरीरशासतरी पिलोि को जाता ह वजनहोन अपन परयोगो दवारा समबनि परतयाितथन का वसिानत-

परवतपावदत वकया ह वयिहार पररमाजथन हत आज वजन परविवियो का उपयोग वकया जाता ह ि सब

समबनि परतयाितथन क वनयमो पर आिाररत ह वचवकतसा की इस पिवत का मल उददशय रोगी को

कसमायोवजत वयिहार की जगह समायोजन योगय वयिहार वसखलाना होता ह इस विवि की मखय

मानयताए वनमनवलवखत ह-

i मानवसक रोग अरिा वयवकतति की असामानयता (शारीररक विकवतयो क कारण उतपनन मानवसक रोगो को छोड़कर) सही अरथ म कोई रोग नही ह बवलक दोषपणथ वशकषण-परविया का दयोतक ह जो

वकनही कारणो स परबवलत होती रही ह तरा-

ii वयवकत जीिन की समसयाओ क सार उपयथकत समायोजन योगय वयिहार अरिा योगयता अवजथत

करन म जब वििल रहता ह तो कसमायोवजत वयिहार अवजथत कर लता ह

अतः वयिहार पररमाजथन दवारा कसमायोवजत वयिहार को पररिवतथत कर समायोजन योगय

वयिहार अवजथत करन का अिसर परदान वकया जाता ह वजसम रोगी विकत वयिहारो को तयाग कर

नय एि उपयकत वयिहार करना सीख लता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 236

आजकल वयिहार पररमाजथन हत कई परकार की परविविया उपयोग म लायी जाती ह वजनम

वनमनवलवखत परिान ह-

1 सरल विलोपन

2 िमबि असिदीकरण

3 अनतःविसिोिक वचवकतसा

4 दढ़गराही वचवकतसा

5 विरवच-वचवकतसा

1) सरल विलोपन- ऐसा हम परायः अनभि करत ह वक जब वकसी वयिहार को परबलन नही

वमलता (अराथत वकसी तरह परोतसावहत नही होता ह) तब िह वयिहार कछ समय बाद लपत हो

जाता ह कहन का अवभपराय यह ह वक परबलन या परोतसाहन क अभाि म पराणी का वयिहार

वचरसरायी नही हो पाता अतः वकसी कसमायोवजत वयिहार को दर करन हत उस परबवलत

करन िाल तति का हिा दन या बनद कर दन पर रोगी क असामानय वयिहार का विलोप हो

जाता ह यह परविवि उन पररवसरवतयो म विशष रप स लाभपरद होती ह वजनम असामानय

वयिहार दसरो दवारा अनजान म परबवलत होत रहत ह जस यवद वकसी निखि बालक क

वयिहारो क परवत माता-वपता परायः लापरिाह रहत हो तो उनक माता-वपता की यह लापरिाही

बालक क निखि वयिहारो को अनजान म परबवलत करती ह अब बचच क वयिहार म सिार

लान हत माता-वपता का धयान आकषट करना आिशयक हो जायगा इसीवलए बचचो म अचछी

आदतो का वनमाथण करन उनम िोि भय परम और ईषयाथ क सिगातमक भािो को वनयवतरत

करन बरी आदतो का तयाग करन इतयावद क वलए माता-वपता का बचचो क परवत सहज या

सचत रहना जररी होता ह अतः लापरिाह माता-वपता क सहज हो जान पर बचचो क निखि

वयिहारो को वजन ततिो स परबलन वमलता ह ि बनद हो जात ह तरा सार ही बचचो क अचछ

आचरण का परबल होन लगता ह इस परकार िीर-िीर निखि बचच अचछ बचचो क गणो को

सीख लत ह

वयिहार पररमाजथन की यह सबस सरल परविवि ह लवकन इस परविवि दवारा कसमायोवजत

वयिहारो को समापत करना कविन होता ह कयोवक य वयिहार एक लमब अरस स परबवलत होत रहत

ह इसवलए अभयसत वयिहार हो जात ह इसीवलए िलप (1969) न इन वयिहारो को समापत करन

हत परबवलत करन िाल ततिो क अचानक या एक-एक करक पणथ रप स हिा दन की आिशयकता

पर जोर वदया ह रोवगयो की विकत आदतो या आचरणो को विलपत करन या दर करन क सार-ही-

सार उपयकत समायोजन योगय वयिहारो को परोतसावहत भी वकया जाता ह जो िनातमक परबलन क

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 237

रप म कायथ करत ह आयलन एि माइकल (1959) न एक रोगी का उदाहरण दत हए बतलाया ह

वक मनोविकवत स पीवड़त रोवगयो क िाडथ म कायथरत नसो को यह वनदश वदया गया वक ि रोवगयो क

वयामोहयकत करनो पर धयान न द और उनक सामानय करनो को परोतसावहत कर अराथत रोगी जब

वकसी परकार क वयामोह की चचाथ कर तो नसथ उसकी बातो को अनसनी कर द लवकन जब कोई

सामानय बातचीत कर तो रोगी को ऐस करनो क वलए परोतसावहत वकया जाए नसो दवारा इस वनदश

का पालन करन क िलसिरप दखा गया वक उस िाडथ क परायः सभी रोवगयो क वयामोहातमक

वयिहारो म महतिपणथ कमी आयी तरा उन रोवगयो म सामानय एि समायोजन योगय वयिहारो का

विकास होन लगा

2) करमबदध असािदीकरण- इस परविवि म रोगी को एक वयिवसरत िम म उसकी वचनता स

सबवित पररवसरवतयो की उपवसरवत म शानत या वशवरल रहन का परवशकषण वदया जाता ह

अराथत वचनतोतपादक पररवसरवत क परवत रोगी को िीर-िीर वचनतामकत रहन अरिा वचनता-सतर

को कम करन की आदत का वनमाथण कराया जाता ह इस आदत का वनमाथण िवमक ढग स

कराया जाता ह इस िवमक ढग स वचनता-सतर को कम करन की आदत डालन क िलसिरप

रोगी कछ समय बाद पणथतः वचनतामकत हो जाता ह

इस विवि का आिार समबनि परतयािथतन का वसिानत ह इस परविवि की मानयता यह ह वक

वयवकत म कसमायोवजत वयिहार वकसी उततजना क सार समबवनित या अनबवनित हो जान क

िलसिरप विकवसत होता ह अतः इन अनबवनित परवतवियाओ को असमबि करक समायोवजत

वयिहार को विकवसत वकया जा सकता ह इस परविवि का उपयोग सबस पहल िािसन और रयनर

न अलबिथ नाम क बालक का भय दर करन म वकया रा जोनस न भी पीिर नाम क एक बालक पर

इस परविवि का उपयोग वकया रा जो िोवबया स पीवड़त रा बाद म बलप न इस परविवि का उपयोग

कई रोवगयो पर वकया बलप न इस विवि का उपयोग वनमनवलवखत ढग स वकया ह -rsquo

i रोगी को शानत रहन का परवशकषण दना -

िलप क अनसार रोगी की वचवकतसा क िम म सबस पहल वचनतोतपादक पररवसरवत की

उपवसरवत म शानत रहन का परवशकषण वदया जाना चावहए इस परवशकषण म लगभग 6 स 7 सतर लगत

ह रोगी को विशरामपिथक रहन का वनदश वदया जाता ह उस अपनी मासपवशयो को िीर-िीर

सकवचत करन तरा उस ढीला करन की आदत हत परवशकषण वदया जाता ह तरा यह परवशकषण तब

तक जारी रखा जाता ह जब तक रोगी पणथ रप स विशराम की अिसरा परापत करन म सिल नही हो

जाता कभी-कभी रोगी को विशरामािसरा म लान हत समावि सममोहन विशरावनत औषविया

इतयावद उप-परविविया भी काम म लायी जाती ह

ii शरखला-वनमाथण -

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 238

वचवकतसा क परारवमभक सतरो म ही रोगी की वचनतोतपादक उततजनाओ की शरखलाबि

साररणी तयार कर ली जाती ह अराथत वकस परकार की उततजना रोगी की वचनता उतपनन करन म

वकतन महति या मलय की ह उसक अनसार एक सची तयार कर ली जाती ह वजसम विवभनन

वचनतोतपादक उततजनाओ को िमशः हरास क िम म सचीबि वकया जाता ह अराथत सबस अविक

मलय िाली उततजनाओ को सबस पहल और उसक बाद िमशः कम मलय िाली उततजनाओ को

रखा जाता ह जस यवद कोई मवहला रोगी अपन पवत क परवत ईषयाथ का भाि स गरसत हो तो उसस

सामानय िाताथलाप दवारा उन सभी पररवसरवतयो क बार म जानकारी परापत की जायगी वजनम रोगी को

ईषयाथ या वचनता होती ह इस िाताथलाप क िम म ही इस बात की जानकारी भी हावसल की जायगी

वक वकन पररवसरवतयो म रोगी वकतना अविक या कम वचवनतत होता ह सभि ह उसकी वचनता उस

समय सबस अविक होती हो जब िह अपन पवत को वकसी lsquoबारrsquo या कलब म वकसी सनदर यिती क

सार हस कर बात करत हए दखती हो इसस कम वचनता उस समय होती हो जब िह अपन पवत को

कायाथलय की वकसी सहयोगी मवहला या सकटरी की परशसा करता हआ दखती ह और सबस कम

वचनता उस समय होती ह जब िह अपन पवत को वकसी यिती पर िकिकी लगाय हए दखती ह अब

इन तीनो परकार की पररवसरवतयो को उनक महति या अविमानय मलय क अनसार िमशः सचीबि

कर लन क बाद ही असिदीकरण की परविया परारमभ की जायगी

iii असिदीकरण क वििान -

जब रोगी विशरामािसरा की आदत अचछी तरह विकवसत कर लता ह और वचवकतसक रोगी

की वचनताओ स समबवनित पररवसरवतयो या उततजनाओ की सची बना लता ह तब असिदीकरण की

परविया परारमभ की जाती ह इसम रोगी को पणथ रप स विशरामािसरा म रहन का वनदश वदया जाता

ह रोगी जब आख बद करक वनवित हो जाता ह तब उसक सामन वचवकतसक कछ पररवसरवतयो का

िणथन करता ह अरिा रोगी को विशष परकार की पररसरवत की कलपना करन को कहा जाता ह तरा

उस यह भी वनदश वदया जाता ह वक इन पररवसरवतयो की कलपना करत समय भी िह पणथ विशराम

की वसरवत म रह सबस पहल एक तिसर पररवसरवत का िणथन वकया जाता ह रोगी यवद इन तिसर

उततजनाओ क उपवसरत होन पर भी शानत रहता ह तो उसक समकष उस पररवसरवत का कालपवनक

िणथन वकया जाता ह वजसम रोगी कम स कम वचवनतत होता ह इसक बाद उसस अविक

वचनतोतपादक पररवसरवत का िणथन वकया जाता ह और इसी तरह िमशः बढ़त हए मलय की उततजक

पररवसरवतयो की कलपना करन को कहा जाता ह ऐसा करन क िम म वजस उततजना क उपवसरत

होन पर रोगी की विशरामािसरा भग होती ह िही पर सतर समापत कर वदया जाता ह इसी परकार

लगातार कई सतरो तक रोगी की वचनतोतपादक पररवसरवतयो की कलपना करन और उनकी उपवसरवत

म शात रहन की आदत डाली जाती ह वचवकतसा-सतर तब तक जारी रखा जाता ह जब तक रोगी

पणथतः सभी वचनतोतपादक पररवसरवतयो म वचनता या तनाि का अनभि नही करन म सिल नही हो

जाता इस परकार वचनता भय या अनय सिगातमक तनाि उतपनन करन िाली परतयक पररवसरवत म

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 239

रोगी क असिदी होन की अिसरा तक वचवकतसा-सतर जारी रखा जाता ह सािारणतः इन सतरो की

अिवि 15 स 30 वमनि की होती ह तरा सपताह म 2 स 3 बार इन सतरो की पनरािवतत की जाती ह

वचवकतसा की परी अिवि वकतनी लमबी होगी यह रोगी तरा उसक मजथ की गभीरता पर वनभथर

करगी

3) अनिःविसफोटक विवकतसा- इस बाहलय वचवकतसा भी कहत ह यह भी एक परकार की

सिदीकरण परविवि ह वचवकतसा की इस परविवि म रोगी क समकष िह पररवसरवत परसतत की

जाती ह वजसम रोगी सबस अविक वचनता या भय का अनभि करता ह इस परविवि म िमशः

नयनतम मलय स बढ़त हए िम म अविक मलय िाली वचनतोतपादक उततजना परसतत नही की

जाती रोगी को सिाथविक वचनतोतपादक पररवसरवत म तब तक रखा जाता ह जब तक उसकी

वचनता या भय सितः कम या समापत नही हो जाती इस परविवि का मखय उददशय रोगी को यह

अनभि कराना होता ह वक सिाथविक वचनतोपातदक पररवसरवत भी अविक समय तक नही रहती

तरा य पररवसरवतया सहन योगय होती ह इस परकार रोगी जब बार-बार सिाथविक वचनतोतपादक

पररवसरवत की कलपना करता ह और उन पररवसरवतयो म सहनशवकत का विकास करता ह तो

िीर-िीर िह उन पररवसरवतयो की उपवसरवत म भी वचनतामकत या भयमकत रहन की आदत का

वनमाथण कर लता ह

4) दढ़गराही परवशकषण- वयिहार-पररमाजथन की इस परविवि का उपयोग ऐस रोवगयो क सार वकया

जाता ह वजनका पारसपररक समबनि वचनता या सिगातमक अवसररता क कारण वबगड़ जाता ह

अरिा समायोजन योगय समबनिो की सरापना म अिरोि उतपनन होता ह वचवकतसक रोगी स

बातचीत करक उस यह विशवास वदलाता ह वक उसका वयिहार वकन कारणो स असगत एि

कसमायोवजत हो गया ह सार-ही-सार रोगी म परभति की भािना का विकास कराया जाता ह

तावक रोगी म आतमविशवास एि आतमहतता क भाि उतपनन हो सक और रोगी दढ़गराही बन सक

िलप और लजारस क अनसार रोगी और वचवकतसक क बीच िाताथलाप क िलसिरप उसकी

वचनता क सतर म कमी आती ह और रोगी म दढ़गराही परवतवियाए पनपन लगती ह रोगी की इन

दढ़गराही परवतवियाओ क सबल रप स विकवसत होन क वलए वचवकतसक इन परवतवियाओ को

परोतसावहत या परबवलत भी करता ह वजसम रोगी इनका परकाशन िासतविक जीिन म कर सक

दढ़गराही परवतवियाओ को विकवसत करना आसान काम नही ह लवकन िलप क अनसार

रोगी को परवशकषण और पिाथभयास दवारा दढ़गराही बनाया जा सकता ह इसक वलए वचवकतसक को

रोगी म वचनता उतपनन करन िाल वयवकत की भवमका और रोगी की दढ़गराही वयवकत की भवमका अदा

करनी पड़ सकती ह इस परकार भवमका अदा करन की परविवि दवारा वचनता स समबवनित उततजना का

समबनि-विचछद वकया जा सकता ह दढ़गराही परवशकषण क वलए वचवकतसक विवभनन पररवसरवतयो म

दढ़गराही परवतविया रोगी क सामन परदवशथत करत हए कािथन विलम तसिीर िीवडयो िप इतयावद का

भी परयोग करता ह इन सािनो दवारा रोगी क समकष दो परकार क वयवकत उपवसरत होत ह वजनम एक

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उततराखड मकत विशवविदयालय 240

रोगी की समसयाओ को परकि करता ह और दसरा उन पररवसरवतयो म दढ़गराही परवतविए करता हआ

परतीत होता ह बाद म रोगी को भी उस तरह की पररवसरवत म परदवशथत परवतवियाए करन क वलए

कहा जाता ह

5) अरविकर अनकलन- वचवकतसा की इस परविवि का समबनि पराचीन समय क वचनतन क

सार ह पराचीन समय क लोग वकसी वयवकत क अिाछनीय आचरण को दर करन हत दणड दन

की विवि का उपयोग करत र आज भी विकासशील बालको क अनशासनहीन वयिहारो

अरिा बरी आदतो को सिारन हत वकसी न वकसी परकार स दवणडत वकया जाता ह

वयिहार पररमाजथन वचवकतसा विवि क अनतगथत यह दणड कसमायोवजत वयिहार को

परोतसावहत करन िाल तति को दर करन अरिा अरवच उतपनन करन िाली उततजनाओ को उपवसरत

करक वदया जाता ह इसक वलए अविकतर विदयत आघात अरिा विशष परकार की दिा का उपयोग

वकया जाता ह इन उततजनाओ को परसतत करन का मल उददशय रोगी क अिाछनीय या कसमायोवजत

वयिहार उतपनन करन िाली उततजनाओ क मलय को घिाना होता ह वजसम रोगी उनक परवत आकषट

न हो सक और इस तरह उन उततजनाओ क परवत अरवच उतपनन हो जाय

इस विवि का उपयोग सिथपररम कािोरोविक न सन 1930 ई म मदयपान की बरी लत स

पीवड़त रोवगयो की वचवकतसा हत वकया रा रोगी क समकष शराब की बोतल परसतत करन पर जस ही

रोगी उस लन क वलए आग बढ़ता ह अरिा लालच की दवषट स उस दखता रा उसक शरीर म

वबजली का करि लगाया जाता रा इसी तरह शराब की गि अरिा उसक सिाद की कलपना करन

पर भी वबजली स आघात पहचाया जाता रा वबजली दवारा आघत पहचाय जान क िलसिरप रोगी

न िीर-िीर शराब की उपवसरवत को वबजली आघात स समबवनित कर वलया और उसम आकषथण

की जगह विकषथण की विरवच क भाि विकवसत होन लग वजसस अनततः उसकी आदत छि गई

अरवचकर अनकलता को कछ मनोवचवकतसक यावतरक वतरसकार वचवकतसा भी कहत ह

कयोवक इस विवि म अिाछनीय वयिहार को दर करन हत वकसी दसर परकार की सबल उततजना का

सहारा वलया जाता ह वजसक िलसिरप रोगी म समबवनित उततजना क परवत विरवच पदा होती ह

लॉिास िोगिवलन जमस आवद वचवकतसको न भी मदयपान लवगक विकवतया बाधयता विभरम

इतयावद विकवत लकषणो को दर करन म इस विवि का सिलतापिथक परयोग वकया ह अरवचकर

उततजना क रप म कछ लोगो न क करान िाली दिा विदयत आघात अरिा सामावजक आलोचना

आवद का सहारा वलया ह

उपयथकत परविवियो क अवतररकत कछ अनय परकार की परविविया मानवसक रप स असतवलत

रोवगयो क वयिहार को पररिवतथत करन हत उपयोग म लायी जाती ह इन सभी परविवियो क मल

उददशय सगत एि अवभयोजन योगय वयिहारो क वलए घनातमक रप स सवनयोवजत ढग स परोतसावहत

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उततराखड मकत विशवविदयालय 241

करना या परबवलत करना होता ह इनम रोगी की परवतवियाओ को िावछत वदशा म वनवमथत करना

परवतमान या परवत क रप म िावछत परवतवियाओ को परदवशथत करन एि अनकरण करन साकवतक

वमतवयवयता की परविवि इतयावद परविविया परमख ह

6) वििहार विवकतसा विवध का मलिााकन- आिवनक मनविवकतसको की दवषट म वयिहार

वचवकतसा मनोविशलषण सममोहन अरिा अनय वचवकतसा विवियो की तलना म अविक

उपयोगी एि कशल विवि ह इस विवि की उपयोवगता क वनमनवलवखत परमख कारण ह -

i अनय विवियो की तलना म यह एक आसान उपागम ह वचवकतसक दवारा रोगी क वजस वयिहार

म पररमाजथन लाना होता ह उस पहल ही सवनवित कर वलया जाता ह तरा वजस परविवि का

उपयोग करना होता ह इस भी सवनवित कर वलया जाता ह वचवकतसक को रोगो क

विकासातमक पहल का अधययन करन की आिशयकता नही पड़ती अतएि वचवकतसा की

परविया शीघर ही परारमभ कर दी जाती ह तरा बहत कम समय म ही रोगी म समायोजन योगय

वयिहार करन की आदत का वनमाथण हो जाता ह

ii इस विवि की दसरी परिान विशषता यह होती ह वक इसम अपकषाकत समय एि खचथ कम लगता ह तरा अविक सहयोगी कायथकताथओ की भी आिशयकता नही पड़ती अराथत कम

समय खचथ एि कछ ही कायथकताथओ क सहयोग स इस विवि का उपयोग सिलतापिथक वकया

जा सकता ह तरा शीघर ही इसक अचछ पररणाम दवषटगोचर होन लगत ह

iii इस विवि की तीसरी महतिपणथ विशषता यह ह वक यह विवि सपषट रप स वशकषण-वसिानतो पर

आिाररत ह अतएि वचवकतसक क वयवकतति योगयता अरिा दकषता की कोई खास

आिशयकता नही पड़ती अराथत अपकषाकत कम दकष वचवकतसक भी सािारण परवशकषण परापत

कर इस विवि का उपयोग कर सकत ह

लवकन इस विवि की उपयोवगता सभी परकार क रोवगयो क वलए नही ह कछ विशष परकार

क गभीर मानवसक रोवगयो जस मनोविदावलता अरिा अवततीवर विषाद की अिसरा िाल रोगी

आवद की वचवकतसा इस विवि दवारा परायः समभि नही होती इस परकार इस विवि की विवभनन

परविवियो का उपयोग भी अलग-अलग परकार क रोगो क अनसार वकया जाता ह अतएि वकस

परकार क रोगी क वलए वकस परकार की परविवि का उपयोग उवचत होगा इसका चनाि समझ-बझकर

वकया जाना उवचत ह अनयरा वचवकतसा वििल हो सकती ह

156 साराश वजन मनोिजञावनक परविवियो क दवारा वयवकतति-समबनिी उलझनो अरिा गरवनरयो को

सलझाया जाता ह उस मनोवचवकतसा कहत ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 242

सामवहक वचवकतसा पिवत िसी वचवकतसा पिवत ह वजसम मनोविशलषण सममोहन

वयिहार पररमाजथन आवद का सामवहक पररवसरवत म उपयोग वकया जाता ह

वडडवकिक सामवहक वचवकतसा म रोवगयो को अपनी विकवतयो (जस मदयपान नशाखोरी

आवद) को दर करन हत सामवहक रप स विकवतयो क बर परभाि स समबवनित तयो को वयाखयान

क रप म परसतत वकया जाता ह

मनःअवभनय म रोगी को वकसी रग-मच जसी पररवसरवत म अपनी समसयाओ सिगो एि

अनय मानवसक विकारो को एक-दसर क सामन परकि करन का अिसर वमलता ह

सामवहक मिभड़ वचवकतसा म रोवगयो क समह को एक विशष िातािरण म रखा जाता ह

जहा ि वबना वकसी वनयतरण क आपस म खलकर अपनी समसयाओ पर बातचीत कर सक

वयिहार वचवकतसा मनोवचवकतसा की एक ऐसी पिवत ह वजसम सीखन की विया स

समबवनित परयोगो दवारा परवतपावदत वसिानतो और वनयमो पर आिाररत परविविया उपयोग म लायी

जाती ह इसक अनतगथत सरल विलोपन िमबि असिदीकरण अनतःविसिोिक वचवकतसा

दढ़गराही परवशकषण अरवचकर अनकलन आवद वचवकतसा पिवत का उपयोग वकया जाता ह

157 शबदािली bull मनःअविनि समह वचवकतसा की एक विवि वजसम रोगी को वकसी रग-मच जसी पररवसरवत

म अपनी समसयाओ सिगो एि अनय मानवसक विकारो को एक-दसर क सामन परकि करन का

अिसर वमलता ह

bull करमबदध असािदीकरण वयिहार वचवकतसा की एक ऐसी पिवत वजसम वचनतोतपादक

पररवसरवत क परवत रोगी को िीर-िीर वचनतामकत रहन अरिा वचनतासतर को कम करन की

आदत का वनमाथण कराया जाता ह

158 सिमलयाकन हि परशन 1) इनम स वकसका उपयोग सामवहक वचवकतसा परविवि क रप म वकया जाता ह

(अ) आतम-ससचन (ब) िमबि असिदीकरण

(स) मनःअवभनय (द) दढ़गराही परवशकषण

2) इनम स कौन सामवहक वचवकतसा की विवि नही ह

(अ) वडडवकिक सामवहक वचवकतसा (ब) सामवहक मिभड़ वचवकतसा

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उततराखड मकत विशवविदयालय 243

(स) मनःअवभनय (द) दढ़गराही परवशकषण

3) वनमनवलवखत म स कौन-सी वचवकतसा पिवत मलतः सीखन क अनकलन वसिानत पर

आिाररत ह

(अ) वयिहार वचवकतसा (ब) सामवहक वचवकतसा

(स) मनोविशलषण (द) सममोहन

4) वयिहार वचवकतसा की वजस विवि म वचनतोतपादक पररवसरवत क परवत रोगी को िीर-िीर वचनतामकत रहन अरिा वचनतासतर को कम करन की आदत का वनमाथण कराया जाता ह उस

कहत ह -

(अ) सरल विशलषण (ब) िमबि असिदीकरण

(स) दढ़गराही परवशकषण (द) इनम स कोई नही

उततर 1) स 2) द 3) अ 4) ब

159 सनदभथ गरनर सची 1 असामानय मनोविजञान-नगीना परसाद एि महममद सलमान

2 असामानय मनोविजञान- वसनहा एि वमशरा भारती भिन

3 मनोविकवत एि उपचार- जीडी रसतोगी

1510 तनबनिातमक परशन 1 समह वचवकतसा विवि स आप कया समझत ह यह मनःअवभनय विवि स वकस परकार

समबवनित ह

2 मनोवचवकतसा की विवि क रप म वयिहार-वचवकतसा पिवत क गण-दोषो की वििचना कीवजए

3 सवकषपत विपपवणया वलख -

(अ) मनःअवभनय (ब) िमबि असिदीकरण

(स) दढ़गराही परवशकषण (द) अरवचकर अनकलन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 244

इकाई-16 मानससक दबथलिा िरा इसक कारण 161 परसतािना

162 उददशय

163 मानवसक दबथलता की पररभाषा

164 मानवसक दबथलता की विशषता

165 मानवसक दबथलता क कारण

166 मानवसक दबथलता एि घिनािम

167 साराश

168 शबदािली

169 सिमलयाकन हत परशन

1610 सनदभथ गरनर सची

1611 वनबनिातमक परशन

161 परसिािना मानवसक दबथलता को मानवसक मदन अलपबवि मानवसक अपणथता मानवसक नयनतमता

मदबविता मवसतषक की कमजोरी तरा जड़ता आवद क नाम स पकारा जा सकता ह वजन वयवकतयो

म बवि का विकास नही हो पाता या अपनी आय क अनरप बवि का विकास नही होता ि सभी

इसी िगथ म आत ह दसर शबदो म ऐस वयवकतयो की बवि लवबि (IQ) सामानय स वनमन सतर की

होती ह परायः वजन वयवकतयो की बवि लवबि का सतर 70 स नीच रहता ह उनह मानवसक विकास

की दवषट स मनद बवि माना जा सकता ह इस दशा क कारण वयवकत जीिन की परतयक अिसरा म

अपन वलय दसरो पर वनभथर करता ह परायः उस परतयक कायथ क वलए दसर क वनरीकषण और

मागथदशथन की आिशयकता होती ह सकषप म हम यह कह सकत ह वक िह अपन कायो को करन म

पणथतः असमरथ रहता ह मानवसक दबथलता की वसरवत बालक-बावलकाओ म जनम क समय पर भी

दखन को वमलती ह लवकन इस हारमोनल असतलन स लत ह

मानवसक दबथलता की कोई सपषट पररभाषा नही ह जो परतयक दश क वयवकतयो की मानवसक

दबथलता का सपषटीकरण कर सक इस असामानयता की पररभाषा दश की सामावजक आवरथक

राजनीवतक िावमथक पाररिाररक मलयो और पमपराओ पर आिाररत होती ह तरा इसका अरथ भी

सरान दश क अनसार ही बदलता रहता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 245

162 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद आपः

bull मानवसक दबथलता एक परकार की मानवसक विकवत ह

bull इसका समबनि बौविक कषमता स होता ह यरारथ म यह रोग नही ह

bull यह मन और बवि की कमजोरी ह

bull मानवसक दबथलता को मानवसक कमजोरी मानवसक अपणथता मनदबविता मवषतसक की

कमजोरी जड़ता आवद क नाम स पकारा जाता ह

163 मानससक दबथलिा की पररभाषा िालमन (Wolman) क अनसार मानवसक दबथलता क कषतर का समबनि ऐस वयवकतयो स ह

वजनका समायोजन उपलवबि एि जसी अिसराओ अरिा परभािो दवारा कवित अरिा अपयाथपत रह

गय ह जो सामानय अरिा औसत स सपषट रप स नीच बौविक विकास क सतर को उतपनन करत ह

पज (Page) क अनसार मानवसक दबथलता वनमन मानवसक विकास की एक दशा ह जो

वयवकत म जनम स विदयमान होती ह या बालयाकाल क आरमभ म उतपनन हो जाती ह वद अमररकन

एसोवसएशन ऑन मिल ररिाडशन (The American Association on Mental Retardation

1992) क अनसार lsquolsquoमानवसक दबथलता का समबनि ितथमान वियािवि म पयाथपत पररसीमाओ स

होता ह इसम सारथक रप स अिोऔषत बौविक विया होती ह तरा वनमनावकत उपयकत समायोजी

कौशल कषतरो म दो या दो स अविक समबवनित पररसीमाए सार-सार होती ह- सचार आतम दख

रख घरल वजनदगी सामावजक कौशल सामदावयक अनपरयोग आतम वदशा सिासय सरकषा

कायाथतमक वशकषा अिकाश एि कवष मानवसक दबथलता 18 साल की आय क पहल ही

अवभलवकषत होती हrsquorsquo

164 मानससक दबथलिा की विशषिाए दवनक जीिन म हम मानवसक रप स दबथल वयवकतयो को आसानी स उनक हाि-भाि

बोलचाल उिन-बिन चलन-विरन स तरनत पहचान जात ह वक यह वयवकत मानवसक रप स दबथल

ह सािारण तरा सािरणतया हम वनमन रप म उनम विशषताए पात ह

1) शारीररक कमी-

bull मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का शारीररक विकास पणथ रप स नही हो पाता ह

bull पररम दवषट म ही यह पहचान जा सकत ह

bull कद का छोिा या बौनापन असपषट बोली िड़ी-मड़ी चाल

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 246

bull शरीर क वकसी अग का कद क अनसार कम या अविक विकवसत होना

bull शारीररक अग म एक परकार का विचलन या विवचतरता दखन को वमलती ह

2) निनिमिम बौवदधक कषमिा-

bull मानवसक दबथलता म कमी एक परमख विशषता ह

bull मानवसक रप स दबथल वयवकत की औसत बवि समानय लोगो स कम होती ह

bull मानवसक दबथल वयवकत िातािरण क सार समायोजन सरावपत नही कर पात

bull कलपना शवकत याददासत (समवत) आतमविशवास की कमी होती ह

bull जीिन समबनिी समसयाओ को समझ नही पात

bull आय क सार बवि सतर नही बढ़ता ह

bull पढ़न-वलखन की कषमता नही होती ह

bull वयिहार कशलता की कमी होती ह

bull वचनतन करन की शवकत वबलकल नही होती

bull परायः वचनतन स दर भागत ह

bull आय क अनसार वयिहार नही करत ह

3) सामाविक समािोिन की कमी-

bull मानवसक रप स दबथल वयवकत की तकथ शवकत ि कलपना शवकत सामानय वयवकतयो स कम होती

bull मानवसक रप स दबथल वयवकत सामावजक समायोजन म कविनाई महसस करत ह

bull य लोग अपनी दखभाल सिय नही कर सकत ह

bull सिय कोई परबनि नही कर सकत ह

bull सदि दसरो पर वनभथर रहत ह

bull कभी-कभी य लोग सिय न खाना खा सकत ह न कपड़ पहन सकत ह और न ही शारीररक

सिाई कर सकत ह

4) सामाविक आिोगििा-

bull मानवसक रप स कमजोर वयवकत म बवि का सतर सामानय रप स कम होता ह

bull मानवसक मनदन िाल वयवकत वनःसकोच यौन समबनिी अपराि एि समाज विरोिी कायथ करत

bull शारीररक दबथलता क कारण य परायः उकत कायो क परवत वजममदार भी िहराए जात ह

bull समाज म एक परकार स हसी क पातर होत ह

bull सामावजक अिसरो पर उपहास क कारण बनत ह

bull अपन उपहास का कारण नही समझत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 247

5) वशकषा का विापक अिाि-

bull मानवसक दबथलता क कारण इन वयवकतयो म वशकषा का वयापक अभाि होता ह

bull परायः परारवमक सतर स ही वशकषा स िवचत होत ह

bull वशकषण-परवशकषण परापत करन की इचछा भी कम होती ह

6) िीिन अलप परतिाशा-

bull मानवसक रप स दबथल वयवकतयो की औसत आय सामानय वयवकतयो की औसत आय स कम

होती ह

bull मानवसक रप स पीवड़त बालकबावलकाए वबरल ही दीघाथय तक पहचत ह

bull मानवसक मवदत बालकबावलकाओ की वकशोरािसरा म ही मतय हो जाती ह

bull यह भी दखन को वमला ह वक आय क सार-सार इन वयवकतयो म मानवसक कमजोरी और भी

अविक गहरी हो जाती ह जो परायः इनकी मतय का कारण बनती ह

7) धिान की कमी-

bull मनद बवि क कारण धयान विसतार अवत नयनतम रहता ह

bull मनद बवि बालकबावलकाओ म धयान लगान सीखन एि पनःसमरण का अभाि रहता ह

bull धयान क कनरीकरण म असिल रहत ह

bull भविषय की वचनता नगणय रहती ह

bull मातर ितथमान म खान ि पहनन तक सीवमत रहत ह

bull एकागरवचततता का अभाि रहता ह

8) सीवमि पररणा एिा सािग-

bull मानवसक दबथलता स गरवसत वयवकत म सामानय सिगो तरा सामावजक पररणाओ की कमी पायी

जाती ह

bull ऐस वयवकत पररवसरवत क अनकल सिग वदखला सकन म असमरथ होत ह

bull सािारण पररणाय जस वकसी लकषय को परापत करना दसरो स मलजोल रखना आवद की कमी

पायी जाती ह

165 मानससक दबथलिा क कारण मानवसक दबथलता क कारणो क समबनि म मनोिजञावनक एकमत नही ह अविकाश

मनोिजञावनक मानवसक दबथलता का कारण िशानिम मानत ह परनत िशानिम वकतना परभािी

रहता ह इस पर भी एकमत नही ह मानवसक दबथलता कभी-कभी वकसी अपरतयावशत घिना क घिन

या मवसतषक की चोि क कारण म होती ह अनक समय मवसतषक की समवत गरवर क चोविल होन पर

समवत अभाि भी मानवसक दबथलता को बढ़ाता ह मानवसक दबथलता का कभी-कभी कारण भी सपषट

नही हो पाता वजसस मनद बवि िाल वयवकतयो क लकषण भी अलग-अलग होत ह पररणामसिरप

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 248

उनक कारण भी अलग-अलग हो जात ह उदाहरणारथ यवद नािा वयवकत कायथ करन म अकषम ह

लवकन एकागरता सामानय वयवकतयो की भावत ह इसी परकार यवद कभी मनद बवि वयवकत की सपषट

आिाज नही ह तो िह इशार स समझता ह लवकन कायथ करन की कषमता ह मनोिजञावनको न इनक

सिरप को सपषट करन क वलए कछ कारण बताए ह वक कयो मानवसक दबथलता होती ह

1) साकरमण रोग-

bull जनम-आघात क कारण भी मानवसक दबथलता हो सकती ह

bull जनम क तरनत बाद या गभाथिसरा म वकसी परकार की बीमारी स परभावित होन पर बचच क

मवसतषक का सामानय विकास मनद पड़ जाता ह तरा उसम मानवसक दबथलता उतपनन हो जाती

bull गभथिती माता यवद वकसी भी सिामक रोग स गरवसत ह तो उसका असर गभथ म पलन िाल

उसक बचच क मवसतषक या बचच क बनािि पर भी पड़ता ह

bull एडस रोग स गरवसत माता-वपता क बचच भी मद बवि क वशकार होत ह

bull माता-वपता यवद वसिवलश (यौन रोग) स पीवड़त ह तो बचच म भी शारीररक कमी दखी जाती ह

bull नशा या मधयपान करन िाल सतरी-परषो क बचचो का मानवसक सतर भी कम होता ह

2) कपोषण-

उपयकत पोषण क अभाि म भी बचच मानवसक रप स दबथल पदा होत ह परायः यह पाया

जाता ह वक विकवसत दशो क वयवकतयो का बौविक सतर अविकवसत दशो की तलना म अविक

होता ह

bull कपोषण क कारण बचच सिसर नही होत कभी-कभी मानवसक रप स दबथल बचच ही पदा होत

bull कपोषण स बचच जहा मानवसक रप स दबथल रहत ह िहा उनक अगो का समवचत विकास नही

हो पाता ह

bull कपोषण क कारण दवकषण अफरीका क एक दश क एक परानत की जनसखया बौनी ह

bull गभथिती माता का पौवषटक आहार न किल बचच को सदढ़ बनाना ह बवलक होन िाल बचच क

बौविक सतर को भी बढ़ाता ह

3) िलिाि-

वकसी दश या परानत की जलिाय का उस दश की जनसखया क बौविक सतर पर भी परभाि

पड़ता ह

bull परायः बड़ परानतो क वयवकतयो म मानवसक दबथलता गमथ दशो की तलना म कम होती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 249

bull गमथ जलिायम गभथ म भरण आसानी स पररपकि हो जाता ह वजसस माताए जलदी-जलदी गभथिती

हो जाती ह िलसिरप उसका परभाि बार-बार परसि क कारण जहा माता क सिासय पर पड़ता

ह िही बचच की मानवसक वसरवत ि सिासय पर भी पड़ता ह

4) नशा-

bull गभाथिसरा म कछ माताए नशा करती ह जस एलकोहल कनन तमबाक मरीजआना आवद स

भरण की मानवसक अिसरा परभावित हो जाती ह

bull जब रवय खड़ी या परहन (Placenta) को पार करक गभथसर वशश कषवत पहचाता ह तो

िीरिोजनस (Teratogens) कहा जाता ह

bull फरावसका तरा उनक सहयोवगयो (Frascia etc 1994) क अनसार कोकन तमबाक तरा

माररजआना तीन महतिपणथ िीरोिजनस ह जो मानवसक रप स गभथसर वशश को कमजोर करत

bull सोचन ि करन की कषमता कम होना

bull परतयक कायथ म दरी करना

bull वशकषा क परवत कम लगाि

bull हबर (Heber 1970) िाजथन एि आसन िगथ (Tarjan amp Eisenberg 1972) न अपन-

अपन अधययनो म पाया ह वक जब बचच ऐस पाररिाररक ससकवत स आत ह वजनम बौविक

चतन की कमी पायी जाती ह तरा पररिार म गरीबी होती ह तो कम स कम 58 परवतशत बचच

मानवसक रप स अिशय दबथल हो जात ह

166 मानससक दबथलिा एि घटनाकरम विवभनन शोि अधययनो म मानवसक दबथलता का सतर परतयक दश म अलग-अलग बताया

ह यह उपयकत कारणो एि उपचार क अभाि म वनमन होता ह

मानवसक दबथलता की गवत लगभग 5 िषथ की आय म तीवर होत दखी जा सकती ह

इस आय स ही मानवसक दबथलता क लकषण दख जा सकत ह

जनम स तीन-चार िषथ की आय म परायः मनदन की वसरवत सपषट नही हो पाती

परायः यह माना जाता ह वक पाच िषथ की आय स पिथ की उसक बोलन-चलन म वयििान

अजञान कारणो स हो रहा ह

परायः अलपाय म ही अविकाश मानवसक दबथलता क वशकार बचचो की मतय हो जाती ह

लगभग 15 िषथ क बाद इनकी सखया म कमी होन लगती ह

परौढ़ािसरा तक पहचन तक इनकी सखया लगभग नगणय-सी रह जाती ह

ऐस वयवकतयो का आय विसतार कम होता ह

अनक बार शारीररक कमी क कारण ही इनकी अकाल मतय हो जाती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 250

दःख बीमारी क लकषणो का सही रप स जञान न होना ि उस अवभवयकत करन म उपचार म

कविनाई आती ह उपयकत उपचार म कमी क कारण मतय हो जाती ह

1) मटाबोवलजम म कमी-

bull मानवसक दबथलता का एक कारण मिाबोवलजम का कम या िवि न होना

bull मिा बोवलजम की कमी आहार िशा तरा परोिीन क कारण होती ह

bull राइराइड गरवनरयो म उचचािचन होन स मानवसक दबथलता बढ़ती ह

2) मवसिरक क अागो की कषवि िा विकास न होना-

मानवसक दबथलता का एक कारण मवसतषक क अगो की कषवत या आय क अनसार विकास

न होना ह

bull कभी परौढ़ लोगो क मवसतषक म चोि लगन क कारण भी मानवसक दबथलता को बढ़ािा वमलता

bull चोविल वयवकत समरण शवकत खो बिता ह या अपनी ितथमान उमर स कम की सोच रखता ह यह

भी मनद बवि का कारण ह

bull अनक समय चोविल वयवकत वचड़वचड़ा या पागलो की सी हरकत करता ह

उमर क अनसार मवसतषक क अगो का विकास न होन पर िह मानवसक दबथलता का वशकार

हो जाता ह

सामावजक - सासकवतक िचन

कछ विशषजञो का मत ह वक िातािरण समबिी आिशयक ततिो क अभाि म बचच

सिगालमक रप स उतपनन किा क वशकार हो जात ह वजनस उनम मानवसक दबथलता उतपनन हो

जाती ह कारसन 1988ि न अपन अधययन क आिार पर बतलाया ह वक जब बचच को माता-

वपता क सनह स िवचत रह जाना पड़ता ह

तो उसस भी मानवसक दबथलता उतपनन होती ह इस तरह की घिना क कारण हो सकत ह

वजनम सामावजक आवरथक सतर का वनमन होना माता-वपता का तलाक या मतय घरो म वयवकतयो की

सखया अविक होना आवद होता ह

पाररिाररक पषठभवम

हबर (1972) िारजन एि आसनिगथ (1972) न अपन-अपन अधययनो म बताया ह वक

जब बचच ऐसी पाररिाररक ससकवत स आत ह िौवहक उततजन की कमी पायी जाती ह तरा पररिार

गररबी स अवभसावपत होता ह तो कम स कम ऐस 58 परवतसत बचच मानवसक रप स अिशय दबथल

हो जात ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 251

लविस क दो विपररत पाररिाररक परषठभवम का अधययन करन पर कछ आकड़ परात वकय

पररिार मखथ मढ़ जड़

शरसि पररिार 12 33 33

नयनतम पररिार 62 35 27

3) गिायिसथा क दोष-

कछ मानवसक दबथलता गभाथिसरा क दौरान कछ अजञात कारणो स उतपनन होती ह इस

तरह की मानवसक दबथलता का कारण जनमजात मवसतषकीय दोष बताया गया ह मगोवलजम

लिशीषथता िहदशीषथता जलशीषथता तरा एनन वसिली ऐस ही मानवसक दबथलता क कछ

उदाहरण ह

अविकाश मनोिजञावनक मानवसक दबथलता का कारण िशानिम मानत ह परनत िशानिम

का वकतना परभाि रहता ह इस बार म मनोिजञावनक एक मत नही ह इमना अिशय ह वक 50 स 75

परवतशत दबथल वयवकत क माता-वपता भी दबथल िवि क होत ह इस बात की पवसि गोडाडथ

(Goddard) कालीकाक (Kallikak) न पररिारो का अधययन करक की रोजनोि (Rosanoff)

तरा उसक सहयोवगयो न समान तरा असमान जड़िा बचचो का अधययन करक बताया वक 91

परवतशत समान जड़िॉ बचच और 53 परवतशत असमान जड़िा बचच मानवसक दबथल पाय जात ह

जनम आघात क कारण भी मानवसक दबथलता हो सकती ह एसा जनम क समय या जनम क

बाद मवसतसक पर आघात पहचन क कारण होता ह परनत यही किल कारण नही ह कयोवक कछ

बचच वबना जनम आघात क भी मानवसक दबथलता स गरसत हो जात ह

कछ विशष परकार की अनतथसतरािी गरवनरयो क सामानय रप स कायथ करन क कारण भी

मानवसक दबथलता उतपनन हो जाती ह

167 साराश मानवसक दबथलता ऐस अलप बौविक विकास का बोि होता ह वजसम समबवनित वयवकत

का वकसी जविक अरिा अवजथत कारणो स अपन जीिन म वयािहाररक तरा सामावजक समायोजन

एक परकार स लगभग सरायी रप स वशवरल पड़ जाता ह यह एक परकार की मानवसक विकवत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 252

जो जनम स या मवसतषक म वकसी गमभीर चोि क कारण उतपनन होती ह यह मन ि बवि की

कमजोरी ह परायः हम मदबवि का अरथ उस रोगी स लत ह वजनका बौविक विकास सामानय

वयवकतयो स कम हो जाता ह परायः इस रोग स गरवसत वयवकतयो की दसरो पर वनभथरता रहती ह इस

परकार क वयवकतयो की जीिन परतयाशा सामानय वयवकतयो स कम होती ह मानवसक दबथलता क

कारक ि लकषण अनक होत ह वजनका पिथ म विसतार स िणथन वकया गया ह मानवसक दबथलता स

गरवसत वयवकत सभी दशो म दख जा सकत ह वकसी दश म इनकी परवतशत रप सखया अविक होती

ह तो कही कम

मानवसक दबथलता क अनतगथत ऐस वयवकतयो को रखा जा सकता ह वजनक मानवसक

विकास की मातरा अपणथ ह या अिरोवित हो गयी ह वजनम आय म िवि क अनरप बवि का

विकास कम हो रहा ह या अिरि हो गया ह सकषप म उकत वििचना वनमन परकार स सारावशत कर

सकत ह

bull सामानय वयवकत की बवि स बहत कम बवि

bull मानवसक दबथलता स तातपयथ सीवमत समायोजन सीवमत बौविक कषमता शारीररक कमी

सीवमत पररणा धयान चतना म कमी बौनापन आवद स ह

bull मानवसक दबथलता क सामानय कारणो म गमभीर (सिमण) मदयपान मवसतषकीय अगो म कषवत

आवद परमख ह

bull जनम स मद बवि वयवकतयो का उपचार बहत कम दखा गया ह

168 शबदािली bull मानवसक दबयलिा इसम दोषपणथ वचनतायकत िातािरण म आगरहपणथ और अवनिायथ विचार

वचवकतसा समबनिी वििरण पर हािी रहत ह

bull मनोविकवि एक परमख मानवसक अवयिसरा जो विया समबनिी हो सकती ह उसम

विशषतः िासतविकता का अनपयकत मलयाकन होता ह

bull मादबवदधिा इसम सोच-विचार की कषमता कम होती ह

bull मानवसक विकास जस-जस बचचा बढ़ता जाता ह उसम सोचन-समझन की कषमता भी बढ़ती

जाती ह

bull वनरीकषण वनरीकषण स तातपयथ दखरख स होता ह

bull मागयदशयन मागथदशथन म उसको सही रासत का जञान होता ह

bull निनिम बौवदधक कषमिा दबथल वयवकत की औसत बवि सामानय लोगो स कम होना

bull कलपनाशवि सोचन-विचारन की कषमता

bull सामाविक अिोगििा समाज म उिन-बिन खान-पीन रहन म असमरथ

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 253

bull िीिन अलपपरतिाशा मानवसक मदन की वसरवत वजतनी ही अविक गहरी होती ह उसकी

जीिन परतयाशा भी उतनी ही कम रहती ह

bull धिान विसिार धयान स सनना

bull एकागरविततिा कोई भी कायथ मन लगाकर करना

bull बवदध लवबध योगयता परवतमान

bull अपरतिावशि अचानक

bull वसफवलटा यौन रोग

bull कपोषण वििावमन यकत खान का अभाि

bull अदधयविकवसि वजसका परा विकास नही हो पाता ह

169 सिमलयाकन हि परशन I िसिवनषठ परशन

1) मानवसक दबथलता म वयवकत की बवि लवबि (IQ) होती ह-

a) 70 स ऊपर b) 70 स नीच

c) 20 स नीच d) 50 स नीच

2) तीवर मानवसक दबथलता क सतर म वयवकत की बवि लवबि (IQ) होती ह

a) 52 स 60 तक b) 25 स 35 तक

c) 36 स 51 तक d) 60 स 70 तक

3) मानवसक रप स दबथल वयवकत की तकथ शवकत तरा कलपनाशवकत सामानय वयवकतयो म होती ह-

a) कम होती ह b) जयादा होती ह

c) बराबर होती ह d) नही होती ह

4) मानवसक रप स पीवड़त वयवकत म लकषण पाय जात ह-

a) शारीररक कमी b) सामावजक अयोगयता

c) नयनतम बोविकता d) उपरोकत सभी

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 254

II ररि सथान की पविय कीविि-

1) मानवसक रप स कमजोर वयवकत म बवि का सतर सामानय रप सहोता ह

2) मानवसक दबथल वयवकत िातािरण क सार सरावपत नही कर पात ह 3) आय क सार बवि सतर बढ़ता ह

4) कलपना शवकत याददाशत तरा आतमविशवास की होती ह

5) ऐस वयवकतयो का आय विसतारहोता ह

6) कपोषण क कारण दवकषण अफरीका क एक दश क एक परानत की जनसखया ह

III सति-असति बिाइि-

1) मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का शारीररक विकास पणथ रप स नही हो पाता ह सतयअसतय

2) वयवकतयो की पढ़न-वलखन की कषमता अविक होती ह सतयअसतय

3) ऐस वयवकत दसरो पर वनभथर रहत ह सतयअसतय

4) एकागर वभननता का अभाि रहता ह सतयअसतय

5) लगभग 15 िषथ बाद इनकी सखया म कमी होन लगती ह सतयअसतय

IV एक शबद म उततर दीविि-

1) मानवसक रप स दबथल वयवकत की औसत बवि सामानय लोगो स कम होती ह या जयादा

2) वकस गरवनर म उचचािचन होन स मानवसक दबथलता बढ़ती ह 3) कपोषण क कारण वकस दश क एक परानत की जनसखया बौनी ह 4) जब रवय खड़ी या परहन (Placenta) को पार करक गभथसर वशश को कषवत पहचाता ह उस

कया कहत ह

उततर I िसतवनषठ परशन-

1) b 2) b 3) a 4) d

II ररकत सरान की पती कीवजए -

1)कम 2) समायोजन 3) नही 4) कमी 5) कम 6) बौनी

III सतय असतय बताइय -

1) सतय 2) असतय 3) सतय 4) सतय 5) सतय

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 255

IV एक शबद म उततर दीवजए -

1) कम 2) राइराइड गरवनरयो 3) दवकषण अवफरका 4) िीरिोजनस

1610 सनदभथ गरनर सची bull कोचीन एसज माडथन कलीनीकल साइकोलोजी सीिीएस पवबलशसथ वदलली 1989

bull कवपल एच क असामानय मनोविजञान हरपरसाद भागथि कचहरी घाि आगरा 2001

bull कवपल एच क आिवनक नदावनक मनोविजञान भागथि बक हाउस आगरा वदवतीय ससकरण

1996-97

bull कवपल एच क अनसिान विविया हरपरसाद भागथि आगरा 1989

bull रािर ज पी कलीनीकल साइकोलोजी परवनिसहाल आि इवणडया नई वदलली 1964

bull सणडिगथ एनडी िाइलर एल ई कलीनीकल साइकोलोजी म यन एणड कमपनी वलवमिड

लदन 1963

bull वसह आरपी नदावनक मनोविजञान वि प मवनदर आगरा 1981

bull वसह लाभ एि वतिारी गोवबनद असमानय मनोविजञान विनोद पसतक मवनदर 1984

bull शरीिासति अजय कमार मनोविकवत विजञान अगरिाल पवबलकशन आगरा 2009

bull ओझा आर क असामानय मनोविजञान हरपरसाद भागथि कचहरी घाि आगरा 1991

bull चौब एसिी असामानय मनोविजञान और आिवनक जीिन विनोद पसतक मवनदर आगरा

1988-89

bull वसह ए क आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसीदास नई वदलली 2002

1611 तनबनिातमक परशन bull लघ उततरीि परशन

1 मानवसक दबथलता क सिरप का िणथन कीवजए 2 मानवसक दबथलता क घिना िम को बताइए 3 वकनही दो मानवसक दबथलता की विशषता का िणथन करो

bull विसिि परशन

1 मानवसक दबथलता वकस कहत ह उदाहरण सवहत वयाखया कीवजए

2 मानवसक दबथलता की विशषताओ का उललख कीवजए

3 मानवसक दबथलता क कारणो को सपषट कीवजए 4 मानवसक दबथलता पर सकषप म वनबनि वलवखए

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 256

इकाई-17 मानससक दबथलिा की रोकराम और उपचार 171 परसतािना

172 उददशय

173 मानवसक दबथलता की रोकराम

174 मानवसक दबथलता स गरवसत वयवकत म िलाि म वनयतरण

175 मानवसक रप स गरवसत वयवकतयो का उपचार

176 साराश

177 शबदािली

178 सिमलयाकन हत परशन

179 सनदभथ गरनर सची

1710 वनबनिातमक परशन

171 परसिािना मद बवि क लोगो की सखया म िवि का तातपयथ िशानिम स ह या माता-वपता क जीनस

(जो मनद बवि यकत ह) उनकी आन िाली पीढ़ी म न आ जाए अनक अधययनो स यह भी पता

चला ह वक वकसी पररिार म यवद एक स अविक मद बवि वयवकत ह तो इसका अरथ ह वक कही न

कही यह मानवसक दबथलता उसम िशानिम स तो नही ह तब ऐस मद बवि वयवकतयो क परजनन पर

वनयतरण लगाया जाए

172 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull मानवसक दबथलता की रोकराम क बार म जान सक ग

bull मानवसक दबथलता का उपचार कर सक ग

bull मदबवि लोगो की सखया म वनयतरण कर सक ग

bull मानवसक दबथलता स गरवसत वयवकत म इस रोग क िलाि म वनयतरण कर सक ग

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 257

173 मानससक दबथलिा की रोकराम 1) बाधिाकरण- आिवनक मनोविजञान विशषजञो का मानना ह वक अगर वकसी पररिार म कोई मद

बवि बचचा ह तो उसकी नसबनदी कर दी जाए यदयवप यह कदम नयायोवचत नही ह परनत

मानवसक दबथलता को रोकन का महतिपणथ उपाय ह वजसस आन िाली पीड़ी म मानवसक

दबथलता आग नही बढ़ पायगी

2) गियपाि- यवद मानवसक रप स दबथल मवहला गभथिती हो तो उसका गभथपात करा वदया जाए

तावक उसक बचच पदा न हो सक कयोवक मदबवि क बचचो क होन की सभािना अतयविक

रहती ह

3) शादी-विाह पर रोक- यवद वकसी पररिार म मानवसक रप स दबथल वयवकत ह तो माता को

चावहए वक िह उसकी शादी न कर मरा यहा तक सझाि ह वक सरकार को चावहए वक एक ऐसा

कानन बनाया जो गमभीर रप स मानवसक दबथल वयवकतयो क वििाह पर रोक लगा सक

4) कशल परसविकिी- यह भी आिशयक ह वक जो परसवतकती ह उसका कशल होना आिशयक

ह कयोवक गभथिती माताओ क वलए जनम क समय वशश क वसर को वकसी परकार का अघात न

पहच और जनन परविया सिल हो सक कभी-कभी अनक वशशओ जनम क समय आघात स

ही मानवसक मदन की वसरवत उतपनन होती दखी जाती ह

5) कपोषण- गभथिती माताओ को कपोषण बीमारी तरा लमब समय स तनाि स बचाना चावहए

बामवनषटर (Baumeister) न ऐसी माताओ को एलकोहल स दर रहन की सलाह दी ह

174 मानससक दबथलिा स गरससि वयनकि म फलाि म तनयतरण

मानवसक रप स दबथल वयवकत का पणथरपण इलाज तो सभि नही ह परनत उनका उपचार

करक िलाि को रोका जा सकता ह

1) मािा-वपिा को िागरक बनाना- मानवसक रप स दबथल वयवकतयो क उपचार म सबस

पहला कदम यह ह वक पीवड़त वयवकत क माता-वपता को इस वदशा म जागरक करना होगा वक

उनका बचचा मानवसक रप स मद बवि ह तरा उसकी आिशयकतानसार दख रख की जाए

ऐसी पररवसरवत क वलए इस बात की आिशयकता ह वक माता-वपता को इस ढग स वशवकषत की

जाए वक ि अपन बचचो की ऐसी कमजोररयो का बालयािसरा म ही पहचान कर ल वजसस

ऐस बचचो का उवचत वयवकतति और वयािसावयक परवशकषण दकर आतमवनभथर बनाया जा सक

2) सकल परवशकषण- मानवसक रप स दबथल वयवकतयो को उनह रोजगारोनमख विषयो पर परवशकषण

दकर आतमवनभथर बनाना होगा ऐस मद बवि बचचो का सकल अलग या विर उनकी ककषाए

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अलग रखी जाय कयोवक सामानय बचचो म उनकी दख-रख सभि नही ह इनक पाियिम

इनकी समझ क सार अलग हो

विशष ककषा क इन लाभो क सार कछ समसयाए भी ह जस- हलिर हॉलजमन एि

मवससक (Helter Holtzman amp Messick 1982) न अपन अधययन क आिार पर यह बताया

ह वक इस परकार का कायथिम परायः अलग मकान म वनयवमत ककषाओ स हिकर चलाया जाता ह

तरह का लगाि सामानयीकरण का परवतकल होता ह तरा सामानय छातरो म मानवसक एि दबथल

बचचो क परवत पिाथगरह उतपनन कर दता ह इसवलए आजकल इस तरह क विशष वशकषा का विकलप

ढढ वलया गया ह वजसम सािारण राय स मानवसक दबथल बचचो को भी आवशक रप स सामानय

बवि क बचचो की ककषा म बिाकर कछ समय क वलए वशकषण वदया जाता ह इस डनन (Dunn

1968) न मखय परिाही कहा ह

3) पाररिाररक पिायिरण- मनोिजञावनको का मत ह वक मानवसक रप स दबथल बचचो का

पाररिाररक िातारण सौहादथपणथ होना चावहए माता-वपता ऐस बचचो को सनह पयार अनय

बचचो क समान द ऐस म इन बचचो म आतमविशवास एि मनोबल म िवि होगी पररिार क

पररवचत ि सखद पयाथिरण म रहन स भी अकसर दखा गया ह वक उनका बौविक विकास

अपकषाकत अविक तरा शीघर होता ह

4) िािािरण म सधार- ऐस बचचो क पाररिाररक िातािरण म सिार करना होगा उनह वकसी

परकार की कमी का एहसास न हो मानवसक रप स दबथल वयवकतयो को समाज ि घर म उवचत

सममान वमलना चावहए गमभीर रप स मानवसक दबथलता स गरवसत बचचो को ऐस िातािरण

विशष रप स ऐसी ससरा म रखकर उपचार वकया जाना चावहए जहा उनक उपचार क वलए

विशष परबनि हो

5) मवरकल उपिार- ऐस बचच जो मानवसक रप स पीवड़त ह उनका मवडकल उपचार भी

आिशयक ह मवडकल उपचार म विशषकर हामोन वचवकतसा का विशष महति बतलाया ह

जस हाइपोरायरावडजम (Hypothyroidism) या िविवनजम की वचवकतसा राइिाकसीन की

सई दकर या विवकया वखलाकर आसानी स वकया जा सकता ह

175 मानससक रप स गरससि वयनकियो का उपचार मानवसक रप स दबथल या मद बवि को कस रोका जाए या कम वकया जाए एक तय ह

तरा इसका उपचार वकस भावत हो यह दसरा तय ह िस तो मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का

पणथरप स उचार समभि नही ह कयोवक यह जनमजात वबमारी होती ह अतएि समल वनिारण नही

हो पाता

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जसा वक अलपबवि या मानवसक मदन अनक परकार की होती ह यह वयवकत म अलग-

अलग होती ह हम उनक हाि-भाि आकार या बवि लवबि स उनका िगीकरण करत ह इसी

िगीकरण क आिार पर मनोवचवकतसक एि वचवकतसक उनक लकषणो क आिार पर उनका उपचार

भी करत ह

bull उदाहरणारथ- भौगोवलक मानवसक मन स गरवसत वयवकत क अविकाश शारीररक लकषण बाहरी

रप स मगोल दश क वनिावसयो क लकषणो स वमलत-जलत ह ऐस वयवकत का कद नािा या

छोिा होता ह मनोिजञावनक इस िशानगत मानत ह इनक लकषण जनम स उभर जात ह

bull शरीर क अगो का विकास समान रप स नही होता ह

bull यह रोग गभथिती माता क हारमोनो म असतलन आन स होता ह अतः गभथिती माता को

सतवलत आहार वदया जाए वजसस बचचा इस बीमारी पदा न हो

bull गभथिती माता को कभी भी एकस-र नही कराना चावहए कयोवक इसस मगोवलया बीमारी को

बढ़ािा वमलता ह

1) िरिामनिा-

जडिामनता ऐसी मानवसक दबथलता ह वजसम गभथसर वशश क शरीर क हारमोन असतवलत

होन स असामानयता आ जाती ह रायराइड गरवनरयो म असतवलत विकास या विकार आन स यह

रोग उतपनन होता ह परायः य रोगी बौन होत ह आयोडीन की कमी कपोषण का सीिा असर

रायराइड गरवनरयो म पड़ता ह वजसका वशकार गभथसर वशश होता ह

bull राइरोवकसन ि आयोडीन की कमी स यह रोग होता ह अतएि यरा समय उकत अियिो की

कमी को परा वकया जाए

bull इजकशन क माधयम स राइरोवकसन पहचाकर रोग िलन को रोका जा सकता ह

2) िलशीषयिा-

bull इस परकार का मद बवि रोग कभी जनम स या जनम क 2-3 िषथ बाद भी दखन को वमलता ह

इस बीमारी म वसर का आकार मर रवय क अतयविक मातरा म सवचत होन क कारण शरीर क

अनय भागो की अपकषा लगभग दगना हो जाता ह मवसतषक म सजन आन स विकार उतपनन

हो जात ह

bull जलशीषथता का उपचार परायः कविन ह कयोवक इसम समपणथ मरदणड ि मवसतषक म गड़बड़ी

उतपनन होन की अविक समभािनाए होती ह

bull परायः शलय वचवकतसा स ही इसका उपचार हो सकता ह

3) पी क ि-

पी क य मानवसक मनदन की एक ऐसी वसरवत ह वजसम रोगगरसत वशश का शारीररक तरा

मानवसक विकास रक जाता ह पाचक रसो क अभाि म विनाइललावनक की मातरा बढ़ जाती ह

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वजसस बचच का मिाबोवलजम वबगड़ जाता ह िलसिरप बचच का मानवसक विकास िीमी गवत स

बढ़ता ह या रक जाता ह बचच को कछ समय बाद मगी क दौर पड़न लगत ह अतएि पीकय

रोग स गरवसत बचच क इलाज म जरा भी दरी नही करनी चावहए बचच को ऐसा भोजन वदया जाए

वजसस विनाइललावनक की मातरा बहत नयनतम हो वजसस बालक क मवसतषक को होन िाली कषवत

स बचाया जा सक

मनवसक दबयलिा स समबवनधि दबयलिाए एिा उनक उपिार(PROBLMS RELATING

TO MENTAL DEFICIENCY amp THEIR TREATMENTS)

ितथमान समय क छातर-छातराओ स समबवनित समसयाओ का मनोिजञावनक एक महतिपणथ

कारक ह ियसथ (1985) का मानना ह वक छातरछातराओ का नदावनक मनौिजञावनक समसयाओ का

अधययन परायः वनमन रपो म करत ह

I मानवसक दबयलिा स समबवनधि समसिाए (Problems Relating to mental

Deficiency)-

1 ऐस छातरछातराए वजनकी बौविक कषमता अपनी िासतविक आय स भी तलना म कम होती ह

तरा ि अपन वदन परवतवदन की सामानय वजनदगी म समायोजन नही कर पात ह नदावनक

मनोिजञावनक का मानना ह वक मनद बवि क छातरछातराओ क पाियिम परक हो तरा उनकी

बवि क सतर को ऊचा उिान क सतत परायास वकय जाय

2 कषमता परवशकषण (Ability Training) िपहािथ (1971) अकसर ऐस अलपबवि क

छातरछातराओ को उस विशष कषतर म परवशकषण वदया जाना चावहए वजसक कारण उनक उपलवबि

कषतर म कमी आई ह

3 कौशल परवशकषण (Skill Training) ऐस बालक बावलकाए जो वकसी विशष कषतर म दकषय ह

परनत उस हत उनह पयाथपत अिसर नही वमल पाया हो वजसक कारण ि मनोिजञावनक रप स

असिसर ह ऐस रोवगयो क कौशल को छोि-छोि परयोग करक उनक कौशल को उभारा जा

सकता ह

II वििहार विकवि स समबवनधि समसिाए (Problems Relating To Behaviour

Disorders)-

नदावनक मनोिजञावनको का यह विशवास रहा ह वक यदा-कदा वयिहार विकवत स भी अनको

परकार की मनोिजञावनक समसयाए उतपनन हो जाती ह ऐस बचचो यिा िगथ म वकसी कायथ को सीखन

की अकषमता पाई जाती ह य सामानय िगथ क समान वयिहार नही करत ह

परायः ऐस बचचो म विषाद (Depression) मनोदशा सदा बनी रहती ह इस तरह क

मनोरोवगयो की चाररवतरक विकवत वकशोर अपराि वयवकतति विकवत आवद की शरणी म रखा जाता

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ह अतः नदावनक मनोिजञावनको को ऐस बचचो की समसयाओ को परारवमकता दत हए उपचार

करना पड़ता ह ऐस मनोरोवगयो का कारण मनोिजञावनक तरा शारीररक दोनो होता ह य समाचर

वदनोवदन बढ़ जाती ह जो अविभािको को तरा वशकषको दोनो की समसया उतपनन करती ह कॉिमन

(1987) क अनसार बचचो का अपन माता-वपता भाई-बवहन ि सग समबवनियो तरा अपन वमतरो क

सार अचछ समबनिो का न होना या उपकषापणथ वयिहार वकया जाना परमख कारण ह कॉिमन न ऐस

रोवगयो क उपचार हत अनक मॉडल बनाए ह वजनम वनमन परमख ह

i) मनोगवतक माडल- जब वयिहार विकवत का कारण बचचो क उपाह अह पराहम

असतलन क कारण काई विकवत आती ह तो उस मनोगवतक परभाि कहत ह इसक उपचार

हत रोगी को नदावनक मनोिजञावनक की परामशाथनसार कायथ करना चावहए

ii) जविक माडल- जब अनिावशक कारणो स विकवत आवत ह ऐस मनोरोवगयो क जविक

माडल क अनतथगत रखा जाता ह इनका उपचार मवडकल वचवकतसा दवारा समभि ह

iii) पाररवसरवतकी मॉडल- बचचो का अपना िातािरण क सार अनय लोगो तरा सामावजक

समसयाओ क सार अनतःविया पर बल डालता ह वजसस िादय परिश क सार वमलजलिा

रहन पर उनक बाचार-वयिहार पर भी अनकल परभाि पड़ता ह

III सािार विकवि स समबवनधि समसिाए-

ऐस वयवकत वजनम िाणी या भाषा स समबवनित विकवतया होती ह को सचार विकवत कहत

ह इस परकार क मनोरोगी सामावजक रप स कसमायोवजत होत ह तरा अपनी भािनाओ को सही

रप म वयकत नही कर पात ह उदाहरणारथ यदी बचपन म िाणी या भाषा दोष हो उस सचार विकवत

नही कहा जा सकता

यदी 14-15 िषथ क बाद उसी परकार भाषा या िाणी का परयोग दवनक वजिन म करता ह तब

सचार विकवत कहा जा सकता ह नदावनक मनोिजञावनको का मानना ह वक कछ सचार विकवतया

आवगक होती ह तरा कछ विकवतया कायाथतमक आवगक तातपयथ शारीररक कमी क कारण सही न

बोल पाना ह

नदावनक मनोिजञावनको का मत ह वक कछ सचार विकवतया आवगक होती ह कछ

विकवतया कायाथतमक होती ह आवगक होन स ऐस विकवतयो का कारण कछ शारीररक असामानता

जस- दात का न होना िाणी पवशयो म पकषापात शरिण दोष आवद पाय जात ह जब सचार

विकवतयो का आिार कायाथतमक होता ह तो इसका कारण शारीररक न होकर पयाथिरणी परभाि होत

ह ऐस बचचो को िातािरण दोषपणथ वमलन क कारण य अनपयकत सचार करना सीख लत ह

ऐस बचचो क उपचार म नदावनक मनोिजञावनक मनोरोग विजञानी तरा अनय परामवडकल

विशषजञ सयकत रप स राम लत ह य लोग बचचो म पहल सनन की कषमता विकवसत करन की

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कोवशश करत ह तरा समान आिाज क बचचो म विभद करना उनह वसखलात ह बचचो को कविन

शबद िाकय आवद सीखलाया जाता ह ऐस परवशकषण दत समय बचचो क सामन एक उततम भाषा

मॉडल परसतत वकया जाता ह तरा उपक घनातमक वनषपादन को परसकत वकया जाता ह तरा उस

सही-सही ढ़ग स बोलन क वलए परोतसावहत वकया जाता ह मकडोनालड (1989) म एक अधययन

वकया और पररणाम म दखा वक 15 ऐस बचचो म करीब 7 बचचो न वजनम सचार विकवत का

आिार कायाथतमक रा उपयकत ढग क परवशकषण स कािी लाभावनित हए

IV परवििाशाली बचिो स साबवनधि समसिाए-

वसगो (Seagoe1974) न परवतभाशाली बचचो क विवभनन समसयाओ का एक समसर

सिकषण वकया और यह बतलाया की इनकी समसयाए अविक परबल होती ह ऐस बचच लापरिाह

परकवत क होत ह ि परायः अपन सीवमत जञान या समझ बझ क आिार पर लमब एि आडबरी करन

परसतत करत रहत ह वकसी भी विचार गोषठी म अनािाशयक रप स परमख वदखलान वक कोवशश

करत ह परायः अलग कायथ या सतर पर बढ़न की अियथता दखी जाती ह ऐस बचचो को वकताब

विशषकर अतयनत पढ़न म अविक मन लगता ह हम बचचो का जब वदन परवतवदन की ििनाओ म

जब सपषट तकथ नही वमलता तो ि कवित हो जात ह ऐस वयवकत पनिाथिवतत स भी कवित हो जात ह

तरा बहत जलद वकसी चीज या कायथ म रवच खोन लगत ह

ऐस बचचो म परवतभा तरा कोशल की पयाथपतता होती ह विर भी समसयाओ क कारण इन

पर नदावनक मनोिजञावनक सकल परामशथदाताओ तरा वशकषा मनोिजञावनको को विशष धयान दना

पड़ता ह ऐस बचचो की समसयाओ का वनिारण करन क वलए विशष पाियिम तयार करना अनय

िगो को वदय जान िाल कायथिम म उनकी भागीदारी करना विशष योगयता िाल वशकषक वक

बहाली करना आदी परमख ह

मनवसक दबथलता की सिल वचवकतसक अतयविक कविन कायथ ह पणथरप स इसका

उपचार नही हो सकता कछ अशो तक सिार अिशय वकय जा सकत ह मानवसक दबथलता रोकन

का सरल उपाय इस रोग स गरसत वयवकत वक सनतान उतपनन करन की शवकत को नषट करक वकया जा

सकता ह तरा इसस मानवसक दबथलता िाल अनय बचचो क जनम को रोका जा सकता ह Page क

अनसार इस विवि क दवारा अविक स अविक 15 मानवसक दबथलता म कमी हो सकती ह

मनवसक दबथल बचचो को सामानय बचचो स अलग रखकर भी मानवसक दबथलता म कमी

आती ह सामावजक सरकषण परदान करक भी कमी की जा सकती ह परनत यह विवि भी सनतोषजनक

नही ह मानवसक दबथलता स गरसत वसतरयो का मभाथपात क दवारा बचचा पदा रोका जा सकता ह

इसक अवतररकत माता-वपता को वशकषा क दवारा बचच वक मानवसक दबथलता का परारवमभक

उपचार का जञान करना चावहए अकसर ऐसा होता ह वक माता मानवसक दबथल बचच वक अपकषा

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अनय बचचो को अविक चाहन लगती ह इसस मानवसक दबथल बचचो का मानवसक सनतलन वबगड़

जाता ह तरा उनम सिगातमक अवसररता आ जाती ह इस दर करन क वलए घर का परवशकषण दना

चावहए सकल परवशकषण की भी वयिसरा करनी चावहए इस समबनि म वयिसाय वचवकतसा बहत

लाभदायक वसि होती ह इस परकार क बचचो को वकसी ससरा म भजा जा सकता ह

176 साराश वयवकतयो म मद बवि एि मानवसक दबथलता क रोकराम ि उपचार दो अलग-अलग तय

ह इसी परकार बचचो म मद बवि क िलाि सखयातमक रप स कम करना तरा रोग स गरवसत बचच

म रोग क िलाि पर वनयतरण करना दसरी बात ह रोकराम क अतगथत हम बीमारी स पिथ क

वनिारण क उपयोग को लत ह जबवक उपचार म हम बीमारी को दर करन क वलए उपचार करत ह

परायः समाज म हम अनक परकार क वयवकतति क लोग वमलत ह कछ की बवि कशागर

होती ह ि अचछा-बरा समझत ह वजनह हम सामानय वयवकत कहत ह असामानय वयवकत दो परकार क

हो सकत ह एक िह जो मानवसक विकवत का वशकार ह जो जनम क बाद वकसी घिनािम या

दघथिना या वदमागी विकवत क कारण हआ वजस हम बोलचाल की भाषा म lsquoपागलrsquo कहत ह जो

जनम क कई िषथ बाद उकत घिना स हो सकती ह या दसर शबदो म िह lsquoपागलrsquo होन स पिथ एक

सामानय वयवकत रा परनत मद बवि स गरवसत वयवकत परायः जनम स लकर तीन-चार िषथ क पिात तक

जब उसका मानवसक विकास आय क अनसार नही होता ह तो हम उस मानवसक रप स दबथल कहत

ह ऐस वयवकत िशानिम म भी हो सकत ह या नही भी परनत होन की समभािना परबल रहती ह मद

बवि बचचो क जनम क रोकराम क वलए ऐस उपाय वकए जाय वजसस मद बवि लोगो की परजनन

शवकत को रोका जाए ऐस लोगो की नसबनदी कर मदबवि बचचो की जनमदर पर वनयतरण लगाया जा

सकता ह यवद कोई मदबवि की मवहला गभथिती ह तो उसका गभथपात वकया जाए सरकार ऐसा

वनयम या कानन बनाय वजसस मदबवि की सतरी ि परष का वििाह न हो सक इसक अवतररकत मद

बवि वयवकतयो क अवभभािको को चावहए वक उकत परविया को सिय अपन घर स शर कर दसरो क

वलए पररणासरोत बन

समाज क मद बवि लोगो क वलए परक सकल मनोरजन कनर या पनिाथस की वयिसरा हो

चकी मानवसक दबथलता क अनक परकार ह कछ बौन नाि शीषथ जलसतर या हारमोनस की कमी क

कारण मानवसक दबथलता आवद अतएि उनक उपचार भी उनकी वसरवत ि दशा दखकर हो यदयवप

जनम स मानवसक दबथलता का उपचार बहत कम ह परनत हारमोनस म विकवत या मोिाबोवलजम म

गड़बड़ी स उतपनन मानवसक दबथलता का उपचार वचवकतसा पिवत म पयाथपत ह जबवक जनम स

मानवसक मदन को मनोिजञावनक ढग स हो सकता ह

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177 शबदािली bull बनधिाकरण सतरी-परषो की नसबदी वजसस परजनन शवकत पर रोग लगाकर जनम सतर को रोका

जाए

bull गियपाि जनम स पहल मवहला गभथ क भरण का वनसतारण

bull वफनाइललावनन शरीर म उतपनन होन िाला हावनकारक रस

bull फवनल कटीन िररिा (पीकि) मिाबोवलजम क विकार क कारण उतपनन होन िाला िम

bull िि-िामनिा हारमोन असनतवलत होन स असामानयता आ जाती ह

178 सिमलयाकन हि परशन I ररि सथान िररए-

1) आयोडीन की कमी कपोषण का सीिा असरगरवनरयो म जाता ह

2) पाचक रसो क अभाि मकी मातरा बढ़ जाती ह 3) क माधयम स राइरोवकसन पहचाकर रोग िलन को रोका जा सकता ह

4) म वसर का आकार अनय भागो की तलना म दगना हो जाता ह

II सति असति बिाइि-

1) बनधयाकरण स मानवसक दबथलता को रोका जा सकता ह सतयअसतय

2) गभथिती मवहलाओ को कपोषण बीमारी तरा तनाि म रहना चावहए सतयअसतय

3) मनद बवि बचचो का सकल अलग स होना चावहए सतयअसतय

4) मानवसक रप स दबथल बचचो का पाररिाररक िातािरण सौहादथपणथ होना चावहए सतयअसतय

5) शलय वचवकतसक स ही जलशीषथता का उपचार हो सकता ह सतयअसतय

उततर I ररकत सरान कररए-

1) राइराइड 2) विनाइललावनक 3) इनजकशन 4) जलशीषथता

II सतय असतय बताइए-

1) सतय 2) असतय 3) सतय 4) सतय

179 सनदभथ गरनर सची bull कोचीन एसज माडथन कलीनीकल साइकोलोजी सीिीएस पवबलशसथ वदलली 1989

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उततराखड मकत विशवविदयालय 265

bull कवपल एच क असामानय मनोविजञान हरपरसाद भागथि कचहरी घाि आगरा 2001

bull कवपल एच क आिवनक नदावनक मनोविजञान भागथि बक हाउस आगरा वदवतीय ससकरण

1996-97

bull कवपल एच क अनसिान विविया हरपरसाद भागथि आगरा 1989

bull रािर ज पी कलीनीकल साइकोलोजी परवनिसहाल आि इवणडया नई वदलली 1964

bull सणडिगथ एनडी िाइलर एल ई कलीनीकल साइकोलोजी म यन एणड कमपनी वलवमिड

लदन 1963

bull वसह आरपी नदावनक मनोविजञान वि प मवनदर आगरा 1981

bull वसह लाभ एि वतिारी गोवबनद असमानय मनोविजञान विनोद पसतक मवनदर 1984

bull शरीिासति अजय कमार मनोविकवत विजञान अगरिाल पवबलकशन आगरा 2009

bull ओझा आर क असामानय मनोविजञान हरपरसाद भागथि कचहरी घाि आगरा 1991

bull चौब एसिी असामानय मनोविजञान और आिवनक जीिन विनोद पसतक मवनदर आगरा

1988-89

bull वसह ए क आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसीदास नई वदलली 2002

1710 तनबनिातमक परशन bull लघ उततरीय परशन

1 वनमन म स वकसी चार पर सवकषपत विपपणी वलवखय

i) बधयाकरण ii) कपोषण

iii) पाररिाररक पयाथिरण iv) सकल परवशकषण

v) मवडकल उपचार vi) जलशीषथता

vii) गभथपात viii) पीकय

bull विसतत उततरीय परशन

1 मानवसक दबथलता की रोकराम कस की जा सकती ह

2 मानवसक रप स गरवसत वयवकतयो का उपचार कस वकया जाता ह

3 मानवसक मदन स पीवड़त वयवकतयो म िलाि म कस वनयतरण वकया जा सकता ह

4 मानवसक रप स मवनदत वयवकतयो क उपचार तरा रोकराम पर एक सयकत कायथिम तयार कीवजए

5 मानवसक मनदन या वपछड़पन को रोकन क वलए वकन उपायो को अपनाया जा सकता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 266

इकाई-18 दबथलिा क परकार और पनिाथस 181 परसतािना

182 उददशय

183 मानवसक दबथलता की कसौविया

184 बवि क आिार पर िगीकरण

185 मानवसक दबथलता क परकार का आिवनक विचार

186 वशकषा की कसौिी क आिार पर

187 नदावनक कसौिी क आिार पर िगीकरण

188 मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का पनिाथस

189 साराश

1810 शबदािली

1811 सिमलयाकन हत परशन

1812 सनदभथ गरनर सची

1813 वनबनिातमक परशन

181 परसिािना अमररकन एसोवएशन ऑन मिल वडविवसयनसी तरा अमररकन मनोरोग विजञानी सघ न

वमलकर बवि क आिार पर मानवसक दबथलता क सतर या परकार बनाय ह नदावनक मनोिजञावनको

क अनसार मानवसक दबथलता क कई परकार बतलाय ह इन लोगो क दवारा मानवसक दबथलता क सतर

का वनिाथरण करन म कछ कसौवियो को सामन रखा गया ह

182 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull मानवसक दबथलता की कसौवियो का िणथन कर सक ग

bull मानवसक दबथलता क परकार या िगीकरण जान सक ग

bull मानवसक दबथलता स गरवसत वयवकतयो का पनिाथस कस होगा

bull वयािसावयक परवशकषण एि उदयम सिा

bull सिासय सिा

bull मनोरजन सवििा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 267

183 मानससक दबथलिा की कसौहटया bull मनोिजञावनको न मानवसक दबथलता क अनक परकार बताय ह तरा कछ कसौविया वनिाथररत की

bull बवि क आिार पर

bull समायोजन योगय वयिहार क आिार पर

bull नदावनक कसौिी क आिार पर

184 बदधि क आिार पर िगीकरण बवि क सतर क आिार पर मानवसक दबथलता को मापना ह वक मानवसक रप स दबथल

वयवकत को कहा पर रख अराथत उनकी बवि लवबि (IQ) का सतर कया ह 90 स 110 की बवि

लवबि को सामानय या औसत बवि लवबि माना गया ह वयवकत म 90 स बवि लवबि वजतना ही कम

होगा उसम मानवसक दबथलता का सतर भी उतना ही कम होगा

i मखय (Moron)

bull इस सतर क मानवसक दबथल वयवकत का बवि लवबि 25 स 50 तक रहता ह

bull जनम स 5-6 िषथ तक वयिहार सािारण बचचो की तरह रहता ह

bull 6 िषथ क बाद बवि विकास अनय सामानय बचचो की तलना म रक जाता ह

bull परवतकल वसरवत का सामना नही कर पात

bull दवनक जीिन म परवतकल वसरवत म घबरा जात ह

bull आिशयक अभयास क उपरानत य परवतकल वसरवत का सामना करत ह

उदाहरणारथ यवद मखथ वयवकत को छतरी क उपयोग ि लाभ को परयोगातमक रप स समझाया

जाए तो सीखन क बाद छतरी का सही उपयोग कर सकत ह

bull इस परकार क शरणी क वयवकतयो का हाि-भाि शकल-सरत मानवसक वयिहार भी सामानय

जसा होता ह

bull इनम शारीररक दोष कम पाय जात ह

bull शारीररक विकास तो हो जाता ह परनत मानवसक विकास नही हो सकता ह

bull इस परकार की शरणी क वयवकतयो को आतमवनभथर भी बनाया जा सकता ह

मढ (Imbecile)

bull इस शरणी क मानवसक रप स दबथल वयवकत की बवि लवबि 20 स 40 क बीच होती ह

bull मानवसक आय 3 स 7 िषथ होती ह

bull शारीररक विकास का सिरप लगभग सामानय स वनकि ही रहता ह

bull मोिा कायथ ही कर पात ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 268

िि (Idiot)

bull मानवसक दबथलता की नयनतमतम शरणी को जड़ कहत ह

bull इस परकार क वयवकतयो म बवि की मातरा कम होती ह

bull बवि लवबि का सतर 20 क वनकि अरिा कम होता ह

bull इस शरणी क मानवसक दबथल वयवकतयो का वयिहार 2 स 3 उमर क बचचो क समान होता ह

bull ऐस वयवकत परायः अपनी रकषा नही कर पात ह

bull इनह कड़ी दख-रख की आिशयकता होती ह

bull ऐस वयवकत अपन अपन घर ि माता-वपता को पहचानन म भी कविनाई अनभि करत ह

bull इस शरणी क वयवकत अपन शरीर की सिय सिाई भी नही कर पात ह

bull इस परकार क मानवसक दौबथलय वयवकतयो का बचचो की तरह दख-भाल करनी होती ह

bull ऐस वयवकत शरीर क वकसी अग का उपयोग करना नही जानत ह

185 मानससक दबथलिा क परकार का आितनक विचार आिवनक नदावनक मनोिजञावनको का विचार ह वक बवि क आिार पर मानवसक मनदन का

अधययन करना नयायोवचत नही ह मानवसक दबथलता का वनदान इस आिार पर वकया जाना चावहए

वक समबवनित वयवकत का विकासातमक िम कसा ह इनको हम वनमन िम म रख सकत ह

1) अलप मानवसक दबयलिा-

bull इस शरणी की मानवसक दबथलता स गरसत वयवकतयो की बवि लवबि 52-67 क बीच होती ह

bull ियसक हो जान पर भी इनकी बौविक कषमता 9 स 11 साल क बालको क करीब होती ह

bull इनम वकसी भी परकार की मवसतषकीय विकवत तरा अनय शारीररक विकवत नही होती ह

2) साधारण मानवसक दबयलिा-

bull इस शरणी क मानवसक रप स दबथल वयवकतयो की बवि-लवबि 35-51 क बीच होती ह

bull ियसक होन पर 4-7 िषथ क बचचो क समान होती ह

bull शारीररक बनािि कछ बडोल होती ह या शारीररक कमी रहती ह

bull नाराज होन पर ऐस वयवकत शीघर ही िोवित हो जात ह कभी-कभी आिामक हो जात ह

3) िीवर मानवसक दबयलिा-

bull इस शरणी क वयवकतयो का बवि लवबि का सतर 20 स 35 क बीच होता ह

bull इनह आवशरत दबथल भी कहा जा सकता ह

bull अपनी दख-रख क वलए दसरो पर वनभथर रहत ह

bull ऐस वयवकत अपन विचार वयकत करन म कछ असमरथ रहत ह

bull इनम सिदी दोष तरा वियातमक विकलागता भी होती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 269

bull इनका गतयातमक समबनिी तरा िाक समबनिी विकास अतयविक अिरि एि मद होता ह

4) अवि गािीर मानवसक दबयलिा-

bull मानवसक दबथलता का सबस गमभीर परकार ह

bull रोग स गरवसत वयवकत की बवि-लवबि 20 स नीच होती ह

bull शारीररक बनािि भददी-बडोल होती ह

bull इनक चलन-विरन स ही इनका वयवकतति सपषट वदखायी दता ह

bull ऐस वयवकतयो को कछ सीख पाना अतयनत कविन होता ह

bull ऐस वयवकतयो को परायः मगी क दौर पड़त ह

bull अविकतर मक रहत ह

bull आिाज सपषट नही होती ह

bull सिय का कछ भी कायथ जस खाना घमना या शारीररक सिाई क वलए दसरो पर वनभथर रहत ह

bull मवहलाओ को मावसक िमथ का धयान भी नही रहता

bull ऐस वयवकत कभी-कभी िर भी हो जात ह

bull सोचन ि समझन की कषमता ि शवकत नही होती

bull ऐस वयवकतयो की आय भी बहत कम होती ह

बवि-लवबि ि सामायोजन वयिहार क आिार पर

सारणी- बवि-लवबि वितरण

बवि-लवबि का पररसर जनसखया परवतशत

130 ि अविक 22

120 - 129 67

110 - 119 161

90 - 109 500

80 - 89 161

70 - 79 67

69 तरा कम 22

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 270

1) मावपि बवदध-

मावपत बवि क आिार पर मानवसक नयनता क िवगथकरण का शरय वबन (Binet) तरा

साइमन (Simon) को वमलता ह वजनहोन मानवसक नयनता स पीवड़त बालको को पहचानन क वलए

पररम बवि-पररकषण का विकास और मानवसक आय का सपरतयय परसतत वकया बाद म सिनथ (Stern)

न बवि-लवबि (IQ) का सपरतयय परसतत वकया

मावपत बवि क अनसार वजन वयवकतयो की बवि-लवबि 90 और 110 क बीच होती ह

उनह सामानय बौविक सतर का वयवकत कहा जाता ह 50 जनसखया इसी शरणी म आाती ह इस

जड़बवि (Idiot) 26-49 IQ िाल वयवकत को हीनबवि (Imbecile) और 50-69 IQ िाल

वयवकत को मनदबवि (Moron) कहा जाता ह

2) विनकली वििहार-

िषो क अनभि स जञात हआ वक बवि परीकषाओ क आिार मानवसक नयनतमता का

िगीकरण अपणथ ह कयोवक समान बवि-लवबि क रोवगयो म सामावजक वयनकलता क वयापक

अनतर पाय जात ह वयनकली वयिहार क आिार पर मानवसक नयनतमता को तीन भागो म बािा

गया ह

अपरवशकषणीि-

यह सबस छोिा िगथ ह वजसम 5 मानवसक नयनतमता क रोगी आत ह यह रोगी पणथ रप स

परावकषत होत ह

1 परवशकषणीि- यह दसर मखय समह म लगभग 20 रोगी आत ह इनह दवनक वजिन स

सिािलमबी बनन क वलए परवशवकषत वकया जा सकता ह इन रोवगयो वक सिाथविक अिहलना

की जा सकती ह

2 वशकषणीि- इस समह म 75 रोगी आत ह यवद विशष वयिसरा वक जाए तो यह परयापत मातरा

म वशकषा परापत कर सकत ह और इस परकार समदाय म सामावजक और आवरथक समायोजन कर

सकत ह

अमरीकी मनोरोग सबनिी सघ क अनसार -

i) 70-84 बवि- लवबि िाल वयवकत हलकी मानवसक नयनतमता का होता ह

ii) 50-70 बवि-लवबि िाला वयवकत सािारण मानवसक नयनतमता का होता ह

iii) 0-50 बवि-लवबि िाला वयवकत तीवर मानवसक नयनतमता का होता ह

विशव सिासर सगिन क अनसार -

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 271

i) 50-69 बवि-लवबि िाल हलक मनदनप परकार क होत ह

ii) 20-49 तक वयवकत सािारण मनदन िाल होत ह

iii) 0-19 तक क वयवकत तीवर मनदन क होत ह

िडगोलड मानवसक दबथलता क अनसार क अनसार ndash

i) पराथवमक मानवसक दबयलिा- मानवसक दबथलता क इस िषथ म िडगोलड क अनसार

80 वयवकत आत ह इस परकार क वयवकतयो वक बवि-लवबि कम होन का करण िश

परमपरा ह परनत कभी-कभी बीज कोशो म दोष हो जान पर पर भी मानवसक दबथलता आ

जाती ह इस दोष क िलसिरप वयवकतयो का मानवसक विकास रक जाता ह ि

सामावजक सतलन वबगड़ जाता ह गोडाडथ तरा अनय मनोिजञावनको क अधययनो क आिार

पर बताया ह वक जड़ या मढ़ की अपकषा मखथ क समबवनियो क मधय परारवमक मानवसक

दबथलता की सखया बहत कम होती ह

ii) गौि मानवसक दबयलिा- इस िषथ म लगभग 20 मानवसक दबथल वयवकत आत ह तरा

बवि की कमी क दोष का कारण िशानिम नही होता मानवसक कषवत इसका मखय कारण

ह जब वयवकत क मवसतषक म आघात या अनय कारण स कषती पहचती ह तरा उसका

मानवसक विकास अिरि हो जाता ह वजसक िलसिरप उसम मानवसक नयनतमता आ

जाती ह लवडस (Landis) क अनसार इस शरणी म जड़ तरा मढ़ मानवसक दबथलता भी

आती ह

iii) विकारातमक मानवसक दबयलिा- उप ससकवतक मानवसक दबथलता क वयवकतयो की

अपकषा इस िगथ म आन िाल वयवकतयो म शारीररक दोष सपषट रप स दख जा सकत ह तरा

य वयवकत सामानय वयवकतयो स भीनन वदखायी पड़त ह

186 सशकषा की कसौटी क आिार पर bull ऐस मानवसक रप स दबथल वयवकत वशकषा गरहण कर सकत ह परनत वशकषा गरहण दशा िीमी

होती ह

bull समाज म अपन को समायोवजत कर सकत ह

bull वकसी कायथ को करन की कषमता बहत मद होती ह

bull परवशकषण स कछ हद तक अपन शवकषक एि वयािसावयक कौशल को उननत बनान म सिल

होत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 272

187 नदातनक कसौटी क आिार पर िगीकरण जविक विकवतयो क आिार पर भी मानवसक दबथलता का िगीकरण वकया जाता ह जविक

विकवतयो का अरथ शारीररक कमजोरी या विकवत स ह

1) मागोवलिन परकार-

bull इस परकार क दबथल वयवकतयो की मखाकवत मगोवलयन लोगो स वमलती-जलती ह

bull बवि-लवबि का सतर 50 स 70 तक विसतत होता ह

bull ऐस वयवकत का कद छोिानािा शारीररक भार बहत कम होता ह

bull ऐस मानवसक दबथलता स पीवड़त वयवकत की नाक चपिी आख िसी होती ह

bull ऐस वयवकत अपनी दख-रख सिय कर लत ह

bull आय की परतयाशा कम होती ह

bull लगभग 14 या 15 िषथ होती ह

इस परकार की मानवसक दबथलता का िणथन सबस पहल पहल वबरिन क मनोवचवकतसक

लगडान डाउन (Langdan Down) न 1886 ई म वकया रा बरगगी तरा उनक सहयोवगयो

(Brugge et el 1994) दवारा वकय गय अधययनो स सपषट हआ ह वक ऐस बचचो म उमर का

पिथपकि परभाि जस कम उमर म शरीर पर झररथया पड़ना घविया समवत एि सभरावनत आवद भी सपषट

रप स दखन को वमलत ह

2) फवनल कटोन िररिा (PKU)-

bull जब परोिीन मिा बोवलजम क कारण वयवकत का मानवसक ि शारीररक विकास अिरि हो जाता

ह इस परकार मानवसक दबथलता गरवसत वयवकतयो को पीकय कहत ह

bull परायः बीस हजार निजात वशशओ म इनकी सखया एक या दो होती ह

bull जनम क कछ वदनो पिात ही वशश म कवमया वदखाई दन लगती ह

bull परोिोमिाबोवलजम की गड़बड़ी स िलालानाइन यकत भोजन दकर उकत गड़बड़ी स मकत होता ह

bull इस समबनि म कछ ऐसा अनमान लगाया जाता ह वक इस विकार का मल कारण ऐस बालक म

वकसी गौण जीन का अचानक परभािी हो जाना ही ह

परारमभ म ऐस बचचो म लकषण की शरआत कछ विशष शारीररक लकषण जस- शरीर स

पसीन की विवचतर गनि कमपन एवकजमा आवद स होती ह

3) बौनापन-

bull इस परकार की मानवसक दबथलता को हाइपोररोयवडजम भी कहा जाता ह

bull यह दबथलता शरीर म राइराइड हामोनस की कमी एि अविकता स होती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 273

bull ऐस वयवकत का कद छोिा होता ह

bull वसर बड़ा गदथन मोिी तरा आखो की पलक मोिी होती ह

bull चार या पाच िषथ की आय स लकषण वदखायी दन लगत ह

4) लघ शीषयिा िथा िहद शीषयिा-

bull यह मानवसक दबथलता दोनो परकार की होती ह

bull लघ शीषथता म वसर सामानय स बहत छोिा होता ह

bull कद छोिा होता ह

bull सिभाि स वजदद

bull यौन दराचार की भािना परबल होती ह

bull िहद शीषथता वसर का औसत आकार शरीर स अविक होता ह

bull बोलचाल की बोली म बहद शीषथता गरवसत रोगी को हाड कहत ह

ऐस वयवकतयो क वसर की पररवि 17 इच स शायद ही अविक होती ह जबवक सामानय

पररवि लगभग 22 इच का होता ह इन वयवकतयो की मखय पहचान यह ह वक इनक वसर शक-

आकारीय होत ह

5) िल शीषयिा-

bull इस परकार की मानवसक दबथलता म वशश क मवसतषक म जल रवय भर जाता ह वजस सरबरो-

सपाइनल रवय कहा जाता ह

bull इस कारण मवसतषक का आकार बढ़ जाता ह

bull परायः इस रोग स गरवसत बचचो की जीिन परतयाशा बहत कम होती ह पाच स सात िषथ तक

का जीिन रहता ह

जलशीषथता की अिसरा जनमजात होती ह परनत कभी-कभी उन बचचो म भी विकवसत हो

जाता ह वजनका विकास सामानय होता ह

6) िि बवदध विरदान-

bull इस परकार क मानवसक रप स दबथल वयवकतयो की बवि लवबि बहत कम होती ह

bull कभी-कभी पिथ की महतिहीन घिना का समरण रोचक ढग स करत ह

bull दसर क दवारा बनाय गय कायथ को करत ह अपन वििक स कोई कायथ नही करत

7) हारमोनो म असनिलन होना-

bull सिथविवदत ह वक हारमोनो म वकसी भी परकार क पररितथन आन स विकत वयवकत या तो िीक हो

जात ह या उनम मानवसक मदता आ जाती ह

bull इस परकार क रोगी वचढ़वचढ़ या कभी वहसक रप िारण कर लत ह

bull कभी-कभी इनकी समरण शवकत कषीणथ हो जाती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 274

8) अदधय विवकषपत-

bull वकसी दघथिना शारीररक आघात मवसतषक की गाि आवद स ियमर उतपनन होन पर वयवकत मद

बवि हो जात ह

9) टनयर सालकषण-

bull इस परकार की मानवसक दबथलता वसिथ बावलकाओ म पायी जाती ह

bull मानवसक दबथल वयवकत की गदथन छोिी एि झकी होती ह

bull इनकी बवि लवबि 30-40 क लगभग होती ह

bull इस तरह की मानवसक दबथलता का कारण यौन िोमोजोमस म गड़बड़ी होती ह

10) कलाइनफलटर सालकषण-

bull इस तरह की मानवसक दबथलता वसिथ परषो या बालको म होती ह

bull ऐस बालको म ियसकता आ जान पर भी उनकी यौन गरवनर अपररपकि होती ह

bull इनकी बवि लवबि परायः 35-40 क बीच होती ह

11) दबयल एकस सालकषण-

इस तरह क बालको म जो मानवसक दबथलता उतपनन होती ह उसका कारण यौन गणसतर का

कमजोर होना होता ह

bull इस तरह बचचो म विरोिातमक तरा विधिसातमक वयिहार करन की परिवतत अविक होती ह

bull डायकनस तरा उनक सहयोवगयो (Dykens et al 1994) दवारा वकय गय अधययनो स यह

सपषट हआ ह वक दबथल एकस सलकषण का कारण जनवनक तरवि ह जो एक पीढ़ी स दसरी पीढ़ी

तक सरानानतरण होत रहता ह

12) विवलिमस सालकषण-

इस सलकषण की उतपवतत का कारण गणसतर सखया सात पर एक जीन का विलोवपत होना ह

bull ऐस बचचो म शबदािली एि वयाकरण स समबि कौशल वदखता ह

bull होडापपा तरा डायकनस (Hodapp amp Dykens 1994) न विवलयमस सलकषण िाल बचचो

को वचनतन क सापकष अनपवसरवत म भाषा िाला बचचा कहा ह

188 मानससक रप स दबथल वयनकियो का पनिाथस भारत म परायः मानवसक रप स गरवसत या मद बवि क वयवकत या तो दया क पातर होत ह या

हास-पररहास क कनर बन जात ह अनक समाज सिी ससराओ ि एनजीओ न इनक पनिाथस क

कछ वयािसावयक परवशकषण क कायथिम चलाए ह वजसम य अपन परो पर खड़ हो सक परनत आज

आिशयकता आज आिशयकता ऐस मद बवि क वयवकतयो वजनह हम परायः बाजारो गवलयो म घमत

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 275

दखत ह क पनिाथस की ह परायः य मद बवि क वयवकत अपन घरो स भिक जात ह उनह ऐसी

ससराओ क हिाल वकया जाए जो इनकी समवचत दखरख कर सक

परायः हम मद बवि ि मानवसक विकत वयवकतयो म अतर नही कर पात और उनह

पागलखानो म पहचा दत ह मानवसक रप स विकत वयवकत वहसक होता ह जबवक मद बवि वयवकत

परायः वहसक नही होता कभी-कभी वचढ़ान पर ही िह वहसक होता ह अतएि उनह पागलखान न

भजकर पनिाथस क वलए कदम उिाना चावहए

इस िम म उनकी सिासय सिा मनोरजन सवििा ि जीिन की अनय मलभत

आिशयकताओ की पवतथ की ओर भी धयान दना होगा ऐस सिय सिी परवशवकषत वयवकतयो को इन

लोगो क पनिाथस की वजममदारी सौपनी होगी

189 साराश समाज म विवभनन परकार क मद बवि क वयवकत दखन को वमलत ह हम उनक बोलन

विचार चलन-विरन उिन बिन दसरो पर वनभथरता खान-पान खान-पान क ढग स अनमान लगा

लत ह वक इस वयवकत की बवि लवबि वकस परकार की होगी मानवसक दोबथलयता तरा मानवसक

बीमारी को हम परायः एक ही मान लत ह जबवक दो अलग-अलग परकार की मनोदशाए ह इनको

सरल रप म हम वनमन परकार स विभावजत कर सकत ह

मानवसक दबथलता मानवसक बीमारी

1 मानवसक दबथलता म बौविक विकास एक सतर क बाद रक जाता ह या विकास की

गवत बहत िीमी होती ह उदाहरणारथ एक

15 िषथ क वयवकत की सोच 5 या 6 िषथ क

बचच क समान होती ह

2 मानवसक दबथलता जनमजात होती ह 3 मानवसक दबथलता म वयवकत की बवि सीवमत

होती ह

4 मानवसक दबथलता म वयवकतति का विघिन बहत कम पाया जाता ह

5 मानवसक रप स दबथल वयवकत की शारीररक रचना परायः विकत भददी बौनी होती ह तरा

पहली नजर म हम पहचान जात ह वक िह

1 मानवसक बीमारी म बवि का विकास रकता नही ह परनत बीमारी क कारण उसम

विकती आ जाती ह

2 मानवसक बीमारी जनमजात न होकर अवजथत होती ह

3 मानवसक बीमारी म वयवकत की बवि सीवमत नही होती

4 मानवसक बीमारी म गमभीर विघिन पाया जाता ह

5 मानवसक बीमारी स गरवसत वयवकत की शारीररक रचना विकत नही होती ह उनक

वियाकलापो स ही हम पहचानत ह वक िह

मानवसक रप स विकत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 276

मद बवि स गरवसत ह

6 मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का उपचार कविन होना ह तरा पणथ रप स उपचार भी

नही होता

6 मानवसक बीमारी स पीवड़त वयवकत का उपचार समभि ह तरा पणथ रप स िीक हो

सकत ह यवद सही उपचार हो

अतएि उपयथकत कारणो स मानवसक रप स दबथल वयवकतयो ि मानवसक बीमारी स गरवसत

वयवकतयो म अतर दख सकत ह मानवसक दबथलता क अनक परकार भी कसौवियो क आिार पर

बताए गए ह उनही क आिार पर िगीकरण करत ह वक अमख मदबवि क वयवकत का लवबि-सतर

वकस परकार का ह लवकन 80 परवतशत रप म एक समानता होती ह वक इनकी जीिन तावलका बढ़ी

नही होती परायः यह उमर स पहल ही पर परायः यह उमर स पहल ही परलोक वसिार जात ह

आज आिशयकता इस परकार क वयवकतयो क पनिाथस की ह सरकार समाजसिी ससरा या

एनजीओ को इनक पनिाथस क बार म गमभीरता स सोचना होगा लोगो को इनकी मनोरजन का

सािन या दयापातर नही बनाना चावहए

मानवसक दवि स माद विवििो का िगीकरण-

बवि लबिाक क दवषटकोण स विवभनन मानवसक सतर क वयवकतयो का िजथन इस परकार वकया जाता

ह-

बवि लवबि (IQ) शरणी (Degrees)

140 या ऊपर परवतभाशाली (Genius)

120 स 140 अवत शरषठ (Very Superior)

110 स 120 शरषठ (Superior)

90 स 110 सामानय या औसत (Normal or Average)

80 स 90 मद या हीन बवि (Dull)

70 स 80 सीमािती (BorderLine)

70 स नीच दबथल बवि (Feeble Minded)

50 स 60 मढ़ (Moron)

20 स 50 मखथ (Imbecile)

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 277

20 स नीच जड़ बवि (Idiot)

ऐसा अनमान लगाया जाता ह वक लगभग 50 परवतशत लोग सामानय बवि क होत ह 25

परवतशत औसत स ऊच परवतभाशाली या शरषठ होत ह और शष 25 परवतशत औसत स नीच िगथ म

आत ह औसत स नीच आन िाल िगथ म 16 परवतशत मद बवि होत ह और 9 परवतशत हीन-बवि

होत ह हीन बवि िगथ म मढ़ मखथ और जड़ बवि सभी िगथ क लोग आ जात ह

1810 शबदािली bull पनिायस मानवसक दबथलता िाल बचचो को परवशकषण दना तरा उनको रचनातमक सिाओ म

रखना

bull समािोिन सब क सार वमलजल रहना

bull परविकल उलिा

bull निनिमिम कम स कम

bull अलपमानवसक दबयल कम मनद बवि

bull अिरदध रका हआ

bull गतिातमक घमना विरना

bull िाक बोलना

bull मक चपचाप

bull मागोवलिन ऐस वयवकत जो शारीररक लकषण बाहरी रप स मगोल दश क वनिावसयो क

लकषणो स वमलत-जलत ह

bull मटाबोवलजम समसत समसत चयपचय परिम

bull लघ शीषयिा इसम वसर शरीर की अपकषा बहत छोिा होता ह

bull ि दध शीषयिा वसर का औसत आकार शरीर स अविक होता ह

bull िलशीषयिा कपाल म परमवसतषक मर रि अविक होना

bull कषीणय कमजोर होना

1811 सिमलयाकन हि परशन I बह विकलपीि परशन-

1) मखथ क समतलय बवि लवबि क सतर को कहा जाता ह-

a) मद मानवसक दबथलता

b) सािारण मानवसक दबथलता

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 278

c) तीवर मानवसक दबथलता

d) गभीर मानवसक दबथलता

2) मनोविजञान म जड़ स तातपयथ ह-

a) महामखथ स

b) ऐस वयसक वयवकत स वजसकी मानवसक आय 8 साल की हो

c) ऐस वयसक वयवकत वजसकी बवि लवबि 20 स नीच हो

d) ऐस वयवकत स वजसकी मानवसक आय 5 साल की हो

3) बौनापन एक ऐसी मानवसक दबथलता का परकार ह वजसम-

a) पीयष गरवनर (Pituitary gland) स अविक सतराि वनकलता ह

b) पीयष गरवनर स कम सतराि वनकलता ह

c) रायरायइ गरवनर (Thyriod gland) स अविक सतराि वनकलता ह

d) रायरायड गरवनर स कम सतराि वनकलता ह

4) िनथर सलकषण (Turnerrsquos syndrome) मानवसक दबथलता का एक ऐसा नदवनक परकार ह

जो-

a) वसिथ वसतरयो म पाया जाता ह

b) वसिथ मदो म पाया जाता ह

c) दोनो यौन क वयवकतयो म पाया जाता ह

d) वसिथ िनमानष म पाया जाता ह

II एक शबद म उततर दीविि-

1) सामानय स बहत छोिा वसर वकस परकार की मानवसक दबथलता म होता ह 2) बौनापन मानवसक दबथलता स शरीर म कौन स हामोनस की कमी ि अविकता होती ह 3) सामानय वयवकत की बवि लवबि सतर कया ह 4) वकस परकार क मानवसक दबथलता म वयवकत का कद छोिा नािा शारीररक भार बहत कम होता

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उततराखड मकत विशवविदयालय 279

5) हाइपोररोयवडजम वकस परकार की मानवसक दबथलता ह

उततर I बह विकलपीय परशन-

1) a 2) c 3) d 4) a

II एक शबद म उततर दीवजए-

1) लघशीषथता 2) राइराइड हामोनस 3) 90 स 110

4) मगोवलयन परकार 5) बौनापन

1812 सनदभथ गरनर सची bull कोचीन एसज माडथन कलीनीकल साइकोलोजी सीिीएस पवबलशसथ वदलली 1989

bull कवपल एच क असामानय मनोविजञान हरपरसाद भागथि कचहरी घाि आगरा 2001

bull कवपल एच क आिवनक नदावनक मनोविजञान भागथि बक हाउस आगरा वदवतीय

ससकरण 1996-97

bull कवपल एच क अनसिान विविया हरपरसाद भागथि आगरा 1989

bull रािर ज पी कलीनीकल साइकोलोजी परवनिसहाल आि इवणडया नई वदलली 1964

bull सणडिगथ एनडी िाइलर एल ई कलीनीकल साइकोलोजी म यन एणड कमपनी वलवमिड

लदन 1963

bull वसह आरपी नदावनक मनोविजञान वि प मवनदर आगरा 1981

bull वसह लाभ एि वतिारी गोवबनद असमानय मनोविजञान विनोद पसतक मवनदर 1984

bull शरीिासति अजय कमार मनोविकवत विजञान अगरिाल पवबलकशन आगरा 2009

bull ओझा आर क असामानय मनोविजञान हरपरसाद भागथि कचहरी घाि आगरा 1991

bull चौब एसिी असामानय मनोविजञान और आिवनक जीिन विनोद पसतक मवनदर आगरा

1988-89

bull वसह ए क आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसीदास नई वदलली 2002

1813 तनबनिातमक परशन bull लघ उततरीि परशन

1 बवि क आिार पर मानवसक दबथलता का िगीकरण कीवजय

2 मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का पनिाथस वकस परकार वकया जा सकता ह 3 मानवसक दबथलता तरा मानवसक रोग म अनतर बताइय 4 बवि क आिार पर मानवसक दबथलता का िगीकरण कीवजए

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उततराखड मकत विशवविदयालय 280

5 मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का पनिाथस वकस परकार वकया जा सकता ह 6 मानवसक दबथलता तरा मानवसक रोग म अनतर बताइए

bull विसिि उततरीि परशन

1 मानवसक मदन क विवभनन सतरो या परकारो का िणथन करो 2 मढ़ मखथ जड़ बवि क अतर को समझाइय

3 मानवसक मदन या दबथलता क वकनही दो परकारो का िणथन कर तरा इसक कारक क रप म िातािरण की भवमका का िणथन कर

4 मानवसक मदन तरा आनतररक रोग म अनतर कीवजय

5 मानवसक मदन िाल बचचो क विकास को कस परोतसावहत वकया जा सकता ह 6 मानवसक मनदन क विवभनन सतरो या परकारो का िणथन करो 7 मढ़ मखथ जड़ बवि क अनतर को समझाइए

8 मानवसक मनदन या दबथलता क वकनही दो परकारो का िणथन कर तरा कारक क रप म िातािरण की भवमका का िणथन करो

9 मानवसक मनदन तरा आनतररक रोग म अनतर बताइए

10 मानवसक मनदन िाल बचचो क विकास को कस परोतसावहत वकया जा सकता ह

Page 2: Abnormal Psychology and its historical background

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उततराखड मकत विशवविदयालय 2

असामानय मनोविजञान की एक ऐसी शाखा ह वजसम वयवकतयो क असामानय वयिहारो एि

मानवसक परवियाओ का अधययन करत ह तरा इसकी विषय िसत मखयतः कसमायोवजत वयिहारो

एि विघवित वयवकतति का अधययन करन एि उपचार क तरीको स समबवनित ह

असामानय मनोविजञान मनोविजञान की एक बहत ही महतिपणथ एि उपयोगी शाखा ह इसका

मखय उददशय वयवकत क असामानय वयिहारो तरा मानवसक परवियाओ का अधययन करना ह और

आजकल इस मनोविकवतत विजञान कहा जाता ह आज की भागदौड़ और तनाि भरी वजनदगी म

आज मनोविजञान की यह शाखा आपररहायथ बनती जा रही ह इसकी जानकारी सिय क वलए तो

उपयोगी ह ही सार ही दसरो की भी सहायता करक उस सिसर मानवसक जीिन वयतीत करन म हम

उसकी मदद कर सकत ह|

12 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull असामानय मनोविजञान क बार म बता सक ग

bull असामानय मनोविजञान स समबवनित परतययो (concepts) क बार म जान सकग|

bull असामानय मनोविजञान क इवतहास क बार म बता सक ग|

bull आज क असामानय मनोविजञान क बार म बता सक ग|

13 असामानय मनोविजञान का अरथ समभितः एबनामथल (Abnormal) शबद की उतपवतत (Ano+Melos = Not Regular)

अराथत जो वनयवमत नही ह| अतः असामानय वयिहार िह वयिहार ह जो वनयवमत नही ह इस परकार

असामानय शबद का शावबदक अरथ ह- सामानय स दर हिा हआ वयिहार उकत दोनो शबदो का

शावबदक अरथ मौवलक रप स एक समान ह वकसकर क अनसारि ldquoमानि वयिहार एि अनभवतया

जो सािारणतः अनोख असािारण या परक ह असामानय समझ जात हrdquo

दसर शबदो म lsquolsquoअसामानय मनोविजञान मनोविजञान की िह शाखा ह वजसम असामानय

वयिहार एि असामानय वयवकतति का अधययन वकया जाता हrdquo| यह असामानय वयिहार

असमायोवजत (maladjusted)वयिहार होता हजो वयवकत और समह दोनो क वलए हावनकारक ह

असामानय वयिहार का अधययन सामानय मनोविजञान की विवियो परतयय वनयमो और खोजो क

आिार पर ही वकया जाता हrsquorsquo असामानय मनोविजञान म अनक परकार की असमानताओ का

अधययन वकया जाता ह जस- मनोविवकषपतता (psychosis) मनसताप (psycho-neurosis)

मनोदवहक विकार(psychosomatic disorder) मानवसक दबथलता(mental retardation)

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उततराखड मकत विशवविदयालय 3

अपराि मदयपान (alcoholism) सामावजक वयावियो (social disorder) स समबवनित वयिहारो

को अधययन वकया जाता ह

रीगर (1998) क अनसार- ldquoअसामानय वयिहार ऐसा वयिहार होता ह जो सामावजक रप

स दखदायी एि विकवत सजञान क पररणामसिरप उतपनन होता ह कयोवक ऐस वयिहार स वयवकत को

सामानय समायोजन म कविनाई होती ह इसवलए इसका सिरप कसमायोजी भी होता हldquo

बारलो या डरड (1999) न असामानय वयिहार की कािी विसतत पररभाषा दी इनक

अनसार ldquoअसामानय वयिहार वयवकत क भीतर मनोिजञावनक दवषियता की वसरवत होती ह जो कायो

म वयरा या हावन स जडा ा होता ह तरा एक ऐसी अनविया होती ह जो परवतवनविक या सासकवतक

रप स परतयावशप नही होती हldquo

असामानय वयिहार को विवभनन विशषताओ (कसौवियो) क आिार पर पररभावषत करन

की कोवशश की गई ह

(क) साावयिकीि बारमबारिा (statistical frequency)की कसौटी- इस किौती क अनसार

ि सभी वयिहार असामानय ह जो सावखयकीय रप स अबारमबार होत ह अराथत ि सभी

वयिहार असामानय होत ह जो सावखयकीय औसत स विचवलत(deviated) होत ह |जो

वयिहार उस औसत म आत ह ि सामानय कहलात ह और जो उसस वभनन होत ह उस

असामानय कहा जाता ह| जस- वजन वयवकतयो की बवि-लवबि(IQ) 70 स कम होती ह

उनकी बवि इतनी कम समझी जाती ह वक उस वयवकत को मानवसक रप स मद होन की सजञा दी

जाती ह |अतः इस कसौिी क अनसार वयवकत क औसत वनषपादन(performance) को ही

सामानय कहा जायगा और जो इस वनषपादन स विचवलत होता ह उस असामानय कहा जायगा

इस कसौिी का मखय दोष यह ह वक न किल औसत स कम बवि लवबि िाल बवलक

औसत स ऊपर 140 स 160 स अविक बवि लवबि िाल भी असामानय कहलायग जो गलत होगा

इस कसौिी का कोई सिषट मलय नही ह अतः यह कसौिी मनोिजञावनको को सपषट वनदश नही दती ह

वक कौन स अबारमबार का उस अधययन करना चावहए

(ख) मानक अविकरमण (norms violation)की कसौटी- हर वयवकत एक समाज म रहता ह

वजसका अपना मानक होता ह वक उस कया करना चावहए और कया नही करना चावहए जो

वयवकत मानक क अनकल वयिहार करता ह उस सामानय और जो वयवकत मानक क विपरीत

वयिहार करता ह उस असामानय कहा जाता ह जस -कछ समाज क मानक ऐस ह वजनम अपन

ही चचर-ििर भाई बहन म शादी को सामानय समझा जाता ह जबवक कछ समाज म ऐस

वयिहार को असामानय समझा जाता ह अतः इस तरह का वयिहार इस पररवसरवत म मानक

अवतिमण नही कहलायगा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 4

जबवक दसरी पररवसरवत म मानक अवतिमण कहलायगा और उस असामानय वयिहार

कहा जायगा

इस कसौिी का मखय दोष यह ह वक एक ही वयिहार एक समाज या ससकवत म सामानय हो

सकता ह परनत िही वयिहार दसर समाज म असामानय हो सकता ह अतः इस कसौिी क अनरप

असामानय वयिहार की कोई पररभाषा दना सभि नही ह

(ग) विविगि विथा(individual distress) की कसौटी- अराथत यवद वयवकत का वयिहार

ऐसा ह वजसस उसम अविक तकलीि तरा यातना उतपनन होती ह तो उस असामानय वयिहार

कहा जायगा वचनता(anxiety) विषाद(depression) स गरसत वयवकतयो को अविक यातना

सहनी पड़ती ह अतः इनक वयिहार को इस कसौिी क अनरप वनवित रप स असामानय

वयिहार कहा जाता ह पहली दो कसौवियो की तलना म यह अविक उदारिादी(liberal) ह

कयोवक इसम लोग अपनी सामानयता की परख सिय करत ह न वक समाज या कोई विशषजञ

एक यही कसौिी ऐसी ह वजसका परयोग कम गमभीर मानवसक विकवतयो(mental disorders)

की पहचान करन म वकया जाता ह अविकतर लोग जो मनविवकतसा क वलए आत ह ि

असामानय नही होत ह बवलक ि इसवलए आत ह कयोवक ि अपनी वजदगी क वयिहार स कािी

तग आ चक होत ह

कछ विकवतया ऐसी होती ह जो वयवकत म कोई वयरा वचनता या यातना उतपनन नही करती

ह जस- मनोविकारी रप तरह तरह क समाज विरोिी वयिहार करत ह परनत न तो उनम कोई वचनता

उतपनन होती ह और न ही कोई दोष भाि |अतः ऐस वयिहार को असामानय वयिहार नही कहा जा

सकता ह

(घ) अिोगििा(inefficiency) की कसौटी- यवद कोई वयवकत अपन लकषय की परावपत करन म

अयोगयता क कारण असमरथ रहता ह तो उसक इस वयिहार को असामानय वयिहार कहा

जायगा जस - यवद कोई पानी क जहाज स कही जान म इतना डरता ह वक िह

पदोननवत(promotion) को भी तयाग दता ह तो इस तरह की अयोगयता को असामानय

वयिहार माना जायगा अनक शािो दवारा यह पता चला ह वक असामानय वयिहार का एक

महतिपणथ तति दवषिया(dysfunction) ह जस- यवद कोई वयवकत अचछा तरना जानता ह और

िह पानी म जान स कािी डरता ह तो ऐस दवषियातमक वयिहार को असामानय वयिहार कहा

जायगा

अयोगयता एक ऐसी कसौिी ह वक जो कछ वयिहार क वलए सही ह न वक सभी तरह क

वयिहार क वलए जस पवलस सिा म भती क वलए वनिाथररत शारीररक ऊचाई का वकसी वयवकत म न

होना यह एक ऐसी अयोगयता ह वजस असामानय वयिहार म नही रखा जा सकता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 5

(ङ) अपरतिाशा(unexpected) की कसौटी- डविसन तरा नील (1996) न इस कसौिी को

असामानय वयिहार का एक महतिपणथ तति माना और िासति म असामानय वयिहार

पयाथिरणीय तनाि उतपनन करन िाल उददीपक क परवत एक तरह की अपरतयावशत अनविया

होती ह उदाहरण क वलए जब वयवकत आवरथक समपननता क बािजद भी अपनी आवरथक वसरवत

क बार म लगातार वचवनतत रहता ह और जब यह वचनता सामानय स अविक बढ जाती ह तो

उस वयवकत म वचनता रोग उतपनन हो जात ह लवकन सभी तरह क अपरतयावशत वयिहार को

असामानय वयिहार नही कहा जा सकता ह जस- रासत म जात समय अचानक साप दखकर

वचललाना एक अपरतयावशत वयिहार ह परनत इस हम असामानयता की शरणी म नही रख सकत

अतः असामानय वयिहार को समझन क वलए कई कसौवियो या दवषटकोण को समझना

आिशयक ह असामानय वयिहार िह वयिहार ह जो-

i जो सामावजक मानको स विचवलत या वभनन ह

ii जो वयवकत को कषट या तकलीि म डालता ह

iii जो समायोजन म कविनाई उतपनन करता हो

iv जो वयवकत क सार-सार समह और समाज क वलए भी समसयाऐ या सकि उतपनन करता हो

असामानय मनोविजञान या मनोविकवतत को समझन क वलए असामानय वयिहार की

विशषताओ को समझना अतयनत आिशयक ह--

1) असामानय वयिहार करन िाल वयवकत का समायोजन कािी खराब हो जाता ह वयवकत को जीिन की विवभनन पररवसरवतयो क सार समायोजन करना कािी मवशकल हो जाता ह जबवक

सामानय वयवकत का समायोजन अचछा होता ह

2) जो वयवकत मानवसक बीमाररयो स गरवसत होत ह उन वयवकतयो म मानवसक सतलन का अभाि रहता ह पल-पल म उनक मन क विचार बदलत रहत ह| य अपन विचार- भाि का िीक ढग

स परदशथन नही कर पात ह

3) असामानय वयवकतयो का वयिहार समाज विरोिी होता ह| ि समाज क वनयमा परमपराओ को

अविक महति नही दत ह इसवलए ि चोरी डकती हतया लिपाि बलातकार जस अपराि

करन म नही घबरात ह| सामावजक वनयमो का उललघन उनक वलए एक सािारण बात होती ह

4) असामानय लोगो म असरकषा डर की भािना अविक मातरा म पाई जाती ह| उनह अनय स हमशा नकसान का खतरा बना रहता ह

5) जो वयवकत मानवसक विकवतयो (बीमाररयो) स गरवसत होत ह उनक वयिहार म परायः सझ की कमी पाई जाती ह ऐस वयवकत उवचत अनवचत अचछ बर म अनतर नही कर पात ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 6

6) मानवसक रप स बीमार वयवकतयो म आतम सममान का अभाि पाया जाता ह| उनम सिय क

परवत अचछी भािनाओ का अभाि पाया जाता ह उनम सिय क परवत हीनता का भाि रहता ह

जस- ि दवनया का सबस खराब वयवकत ह उसस कोई काम नही हो सकता आवद

7) असामानय वयवकतयो को अपन वकसी भी कायथ पर कोई पिाताप(remorse) नही होता ह ि यह

मानन को वबलकल तयार नही होत ह वक उनहोन कोई गलती की ह

8) वयवकतयो म सिगातमक वसररता(emotional stability) का अभाि पाया जाता ह| उनम

तनाि(stress) असिदनशीलता(insensitivity) अविक दखन को वमलती ह

9) मानवसक रप स बीमार वयवकतयो म सिय को उवचत रप स समझ सकन की कषमता का अभाि उतपनन हो जाता ह िह वकसी भी समसया या परशन क बार म िीक स समझ या सोच नही पाता

10) असामानय वयवकतयो म पिथ अनभि स लाभ उिान की योगयता का भी अभाि पाया जाता ह कयोवक उसम वयािहाररक अवसररता ि असनतलन पाया जाता ह

14 असामानय मनोविजञान स समबननिि परतयय अनक ऐस परतयय ह वजसका परयोग असामानय मनोविजञान क वलए या उनक सरान पर

वकया जाता ह जस-

bull नदावनक मनोविजञान(Clinical psychology)- नदावनक मनोविजञान का समबनि मानवसक

रोगो का िणथन िगीकरण वनदान तरा पिाथनमान स होता ह यह असामानय मनोविजञान का एक

महतिपणथ भाग ह इसका मखय उददशय असामानय वयिहार का अधययन मलयाकन उपचार एि

रोकराम ह

bull मनोरोग विजञान(Psychiatry)- मनोरोग विजञान को वचवकतसा विजञान की शाखा माना जाता

ह यह नदावनक मनोविजञान स घवनषठ रप स समबवनित ह इसम अनतर वसिथ इतना ह वक

मनोवचवकतसक असामानय वयिहार की पहचान एि उपचार वचवकतसाशासतर क समपरतयो क

आिार पर न कर वयािहाररक आिार पर करत ह

bull मनोविवकतसकीि समाविक कािय(Psychiatric social work)- यह भी असामानय

मनोविजञान स समबवनित विजञान ह इसका मखय उददशय सामावजक पररिश(social

environment) का विशलषण तरा पाररिाररक पररिश(family environment) एि

सामदावयक पररिश(communal environment) म वयवकत को समायोजन सरावपत करन म

सहायता परदान करना ह

bull मनोविकवत विजञान(Psychopathology)- मनोविकवत विजञान क अनतगथत असामानय

वयिहार का अधययन वकया जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 7

15 असामानय मनोविजञान की ऐतिहाससक पषठभसम असामानय वयिहार का अधययन कोई नया विषय नही ह बवलक इसका एक लमबा और

रोचक इवतहास ह अवत पराचीन काल म यदयवप असामानय वयिहार की कोई ऐवतहावसक पषठभवम का

उललख मनोिजञावनको क पास नही ह उस समय स लकर आज तक का असामानय मनोविजञान क

इवतहास को विसकर न तीन मखय भागो म बािा ह-

1 पिथ िजञावनक काल(pre-scientific era)

2 असामानय मनोविजञान का आिवनक उदभि(modern emergence)

3 आज का असामानय मनोविजञान

16 पिथ िजञातनक काल (परािन समय स लकर 1800 िक)

पिथ काल की शरआत परान लोगो दवारा असामानय वयिहार क अधययन स होती ह और

18िी शताबदी तक वकय गय सभी अधययनो को इसम शावमल वकया गया ह इस काल म मानवसक

रोवगयो एि उनक उपचार क बार म वचवकतसको एि लोगो क विचारो म एक अजीब उतार- चढा ाि

आया इस पिथ िजञावनक काल म चार भागो म बािा गया ह

1) पाषाण िग(stone age)- पराचीनकाल म गरीक चीन तरा वमसर आवद दशो क लोगो का

कहना रा वक जब वयवकत क परवत ईशवर की कपा दवषट समापत हो जाती ह तो ईशवर की ओर स

अवभशाप या दणड क रप म वयवकत म असामानय वयिहार विकवसत हो जाता ह पराचीनकाल

मानवसक बीमाररयो क परवत लोगो का विचार इस जीििाद स सबस जयादा परभावित हआ रा

इस विचारिारा क अनसार ससार की परतयक िसत जस- हिा पानी पड़-पौि आवद क भीतर

कोई अलौवकक जीि होता ह और इन सभी िसतओ म गवत इस वलए होती ह कयोवक उसक

भीतर दिता (अलौवकक शवकत) का िास होता ह जीििाद क अनसार वयवकत दवारा असामानय

वयिहार परदवशथत करन का मल कारण उसम वकसी आतमा या भत-परत का परिश कर जाना ह

अराथत जब वकसी वयवकत क शरीर पर वकसी बरी आतमा का अविकार हो जाता ह तो वयवकत

मानवसक रोग स गरसत हो जाता ह इस समय उपचार की दो विविया परचवलत री- अपदत

वनसारन टरीिाईनशन

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उततराखड मकत विशवविदयालय 8

अपदत वनसारत विवि म विवभनन तकनीको क सहार बरी आतमा को बाहर वनकाला जाता

रा इसम परारथनाजाद-िोना शोरगल झाड़-िक कोडा लगाना भख रखना आवद परविविया

शावमल ह उस समय क वचवकतसको को विशवास रा वक इन सभी परविवियो को अपनान स

मानवसक रोग स गरवसत वयवकत का शरीर इतना कषटदायक या दःखद हो जायगा वक बरी आतमा

उसक शरीर को छोड़कर चली जाऐगी और वयवकत सिसर हो जायगा| बाद म इस विवि की लोक

वपरयता गरीस चीन वमसर क दशो क पजाररयो म जो उस समय(मानवसक रोगो क) वचवकतसक र

उनम कािी बढ़ गई

टरीिाइनशन विवि वजसम मानवसक रोग स गरवसत वयवकत को नकील पतररो स मारकर

वयवकत की खोपडी ा म छद कर बरी आतमा को बाहर वनकल जायगी और वयवकत सिसर हो जायगा

2) परारवमिक दशयन- आज स लकर लगभग 2500 िषथ पहल मानवसक रोगी तरा असामानय

वयिहार क समबनि म एक वििकी और िजञावनक विचारिारा का जनम हआ इसका शरय गरीक

वचवकतसक वहपपोििस को जाता ह मानवसक रोगो क समबनि म वहपपोििस न एक

िावनतकारी विचारिारा वयकत करत हए कहा ह वक मानवसक या शारीररक रोगो की उतपवतत

कछ सिाभाविक कारणो स होती ह न वक शरीर क भी कछ बरी आतमा क परिश कर जान स

इन परारवमभक एि वचवकतसकीय विचारिाराओ को वनमन म बािा गया ह-

वहपपोििस क अनसार शारीररक या मानवसक रोगो की उतपवतत कछ सिाभाविक कारणो स

होती ह और ऐस रोवगयो को मानिीय दखभाल की आिशयकता पर जोर वदया इनक अनसार सभी

बौविक वियाओ का कनरीय भाग मवसतषक होताह और इस तरह मानवसक बीमाररयो का मल

कारण मवसतषकीय मनोविकवत ह उनका मानना ह वक मवसतषक म आघात होन पर वयवकत म सिदी

तरा पशीय कायो स समबवनित बीमाररया उतपनन हो सकती ह सार ही पयाथिरणीय कारको को भी

इसस जोडा ा और कहा वक ऐस मानवसक रोवगयो को एक सिचछ िातािरण म रखा जाना चावहए

तावक उनह रोग स जलद स जलद छिकारा वमल सक

कछ खास बीमाररयो जस वहसिीररया क बार म बताया वक यह बीमारी वसिथ लड़वकयो म

होती ह यदयवप वहपपोििस क विचारो की मानयता आजकल नही रह गई ह विर भी उनक विचार

उस समय इतन िावनतकारी र वक मानवसक रोग क समबनि म दषट-आतमा-सबिी विचार समापत हो

गए और उसी जगह इन रोगो क समबनि म एक सिसर वििकी एि िजञावनक दवषटकोण की शरआत

हो गई

पलिो एि अरसत का योगदान-

पलिो का विचार ह वक मानवसक रोगी अपन अपरािजनय वियाओ क वलए परतयकष रप स

वजममदार नही होत ह अतः उनह सामानय अपरावियो की तरह दवणडत नही वकया जाना चावहए

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उततराखड मकत विशवविदयालय 9

बवलक उनक परवत माननीय दवषकोण अपनान उनक सग-सबवियो दवारा उन पर वनगरानी रख जान की

आिशयकता तरा मानिीय ढग स वयिहार करन की आिशयकता पर जार वदया पलिो न अपनी

परवसि पसतक lsquoररपवबलकrsquo म बौविक एि अनय कषमताओ समबि ियवकतक वभननता क महति पर

विशष बल वदया और बताया वक वयवकत का वयिहार एि वचनतर सामावजक कारको दवारा कािी हद

तक वनिाथररत होत ह इन सभी आिवनक विचारो क बसिजद भी पलिो का विचार रावक मानवसक

रोग तरा असामानय वयिहार अशतः दविक कारको दवारा भी होता ह

उततर गरीक एस रोमनिावससयो का योगदान-

वहपपोििस क बाद गरीक एि रोमन वचवकतसा मानवसक रोवगयो एि असामानय वयिहारो क

अधययन म उनक दवारा बताए गए मागथ का अनसरण करत रह इनम मखयतः वमशर क वचवकतसा

विजञान म कािी परगवत हई और यहा क अनक मवनदरो एि वगररजाघरो को पररम दज क

आरोगयशाला म बदल वदया गया जहा क सखद मनोरम एि आननददायक िातािरण म मानवसक

रोवगयो को रखन को विशष पराििान वकया गया कछ रोमन वचवकतसको एसकलवपयडस न सबस

पहल तीवर एि गमभीर (वचरकावलक) मानवसक रोगो क बीच अनतर सपषट वकया तरा भरम-विभरम

तरा वयामोह क बीच अनतर वकया वससरो ऐस ही पहल वचवकतसक र वजनहोन बताया वक

शारीररक रोगो की उतपवतत म सािवगक कारको की भवमका अविक होती ह बाद म ऐरवियस न

बताया वक उनमाद तरा विषाद एक ही बीमारी की दो मनोिजञावनक अवभवयवकत ह इनक अनसार जो

लोग वचड़वचडा होत ह आिोशी होत ह उनम उनमाद और जो लोग ससत ि गमभीर परकवत क होत

ह उनम विषाद जस मानवसक रोग होन की समभािना अविक होती ह गलन ऐस वचवकतसक र

वजनहोन मानवसक रोग को मलतः दो भागो म बािा-शारीररक कारण और मानवसक कारण मानवसक

कारणो म कषवतगरसत हो जाना अविक नशा करना भय आवरथक मनदता तरा परम म वनराशा आवद

मखय ह

जब गरीस एि रोम सभयता का सयथ असत होन लगा रा तो इन दशो क दाशथवनको एि

वचवकतसको दवारा मानवसक एि असामानय वयिहार क बार म बताए गस विचार परभािहीन होन लग

और विर लोगो न मानवसक रोग को कराण दषट आतमा का शरीर म परिश कर जाना एि दिीय

परकोप माना इस मनोविजञान क इवतहास म अनिकार का यग कहा जाता ह

इसलावमक दशो क गरीक विचारो की मानयता इस समय कछ इसलावमक दशो म असपताल

क गरीक वचवकतसको की विचारो का परभाि पड़ा और बगदाद म पहला मानवसक असपताल खोला

गया इन मानवसक असपतालो म रोवगयो क सार मानिीय वयिहार करन तरा उपचार क मानिीय

ढगपर अविक बल वदया गया इसलावमक वचवकतसा विजञान क सबस परमख वचवकतसक एविवसना

र वजनह वचवकतसको का राजकमान कहा जाता ह इनहोन अपनी पसतक lsquoवद कनन ऑि मवडवसनrsquo

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उततराखड मकत विशवविदयालय 10

म कछ मानवसक रोगो जस वहवसरया वमरगी उनमाद आवद का िणथन वकया और इसस मानिीय

उपचार को बड़ािा वमला

3) मधि िग- परारवमभक दाशथवनक और मधय यग मानवसक रोवगयो क वचार लगभग एक जस र

गरीस एि रोमन सभयता क सयाथसत होन क बाद मधय यग क परारमभ तक लोग मानवसक रोवगयो

म वसी शतानी आतमा या ईशवरीय परकोप का परिश मानत रह मधय यग क उततरािथ म असामानय

वयिहार म एक नई परिवतत दखी गई िह भी सामवहक पागलपन की परिवतत यह बीमारी यरोप क

बड़ भाग म िल गई सामवहक पागलपन की महामारी म जस ही वकसी वयवकत म वहसिीररया क

लकषण वदखाई दत र दखत ही दखत अनय लोग भी इसस परभावित होन लगत र और सभी

अपन घरो स बाहर आकर उछलना रोना एक-दसर क कपड़ िाड़ना आवद शर कर दत र

बाद म विर िही पराना तरीका जस परारथना झाड़ िक कोडा स वपिाई भखा रहना आवद

अपनायो जान लग इस यग क अनत तक लोगो का ईशवर विशवास कािी सदढ़ हो गया इनक

अनसार दषट आतमा का आविपतय दो तरह स होता ह पहला यह वक वजसम वयवकत को अन

पापो क कारण ईशवर क अवभशाप क रप म कोई दषट आतमा वयवकत को उसकी इचछा क विरि

उस पकड़ लता ह और शारीर म परिश कर उसम मानवसक रोग उतपनन करता ह अपनी

इचछानसार दषट आतमा स दोसती कर लता ह और असामानय वयिहार करन लगता ह और

वयवकत शतान क सार वमलकर उसकी अलौवकक शवकत परापत कर भयानक सामावजक उपरि

करता ह इस तरह क रोवगयो को जादगर या डाइन समझा जान लगा इनका उपचार करन क

वलए इनह किोर शारीररक दणड वया जाता रा िलसिरप मधय यग म असामानय वयिहार एि

मानवसक रोग क कषतर म एक तरह स अिकार ही रहा न तो मानवसक रोवगयो क उपचार को

कोई तरीका वनकाला गया और न ही कोई मानिीय मनोिवतत अपनाई गई

15िी शताबदी क उततरािथ म लोगो का विशवास कािी सदढ़ हो गया वक दषट आतमा का

आविपतय दो परकार का होता ह-एक अविपतय िह होता ह वजसम वयवकत क अपन पापो को उसकी

इचछा क विरि उस पकड़ लता ह और शरीर म परिश कर उसम मानवसक रोग उतपनन करता ह या

उस पागल बना दता ह तरा दसरा अविपतय िह होता ह वयवकत अपनी इचछानसार दषट आतमा स

दोसती कर लता ह और असामानय एि असगत वयिहार करन लगता ह इस दसर तरह क वयिहार म

वयवकत शतान क सार वमलकर उसकी अलौवकक शवकत परापत करता ह इस तरह क मानवसक रोवगयो

को जादगरनी या डाइन समझा जान लगा 15िी शताबदी क अनत तक इन दोनो तरह क मानवसक

रोवगयो म इस तरह का अनतर समापत हो गया और सभी मानवसक रोवगयो को जादगर या डाइन

समझा जान लगा िलतः उनका वयिहार भी किोर स किोर शारीररक दणड दकर जस उनह कोडा

मारकर उनक कछ अगो को जलाकर वकया जाना रा

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उततराखड मकत विशवविदयालय 11

मधय यग म मानवसक रोग एि असामानय वयिहार क अधययन क कषतर म एक तरह स

अिकार ही अिकार रहा इस यग म उपचार का कोई भी िजञावनक तरीका नही वनकल पाया और न

ही इन मानवसक रोवगयो क परवत कोई मानिीय तरीका या मनोिवतत ही अपनाई गई

4) मानिीि दविकोण- 16िी शताबदी क परारमभ म ही मानवसक रोवगयो क परवत अमानिीय

वयिहार क विरि आिाज उिन लगी री और कहा जान लगा वक यह एक बीमारी ह और

इसका उपचार मानिीय ढग स वकया जाना चावहए इस दवषटकोण क अनतगथत वजन वचकतसको

न अपना योगदान वदया उनका नाम असामानय मनोविजञान क इवतहास म सिणाथकषरो म वलया

गया- असामानय रोवगयो क परवत मानिीय दवषटकोण अपनान िाल परमख वचवकतसक

पारासलसस जोहान ियर रवजनालउ सकाि विवलप वपनल आवद मखय ह इन लोगो न जब वभनन

जगहो पर रख गए ऐस मानवसक रोवगयो की दशा दखी तरा उन पर वकए गए शारीररक

अतयाचार का गहन रप स वनरीकषण वकया और सपषट वकया वक मानवसक रोग वकसी बरी आतमा

क परभाि क कारण नही होता ह बवलक यह एक परकार का रोग ह परारमभ म लोगो न इनका

मजाक उडाया लवकन मानिीय उपचार क बाद जब पररणाम अचछ वनकल तरा रोगी िीक होन

लग तो सभी लोगो न मानिीय उपचार का सिागत वकया और उनाक सार दन लग

सपषट ह वक असामानय मनोविजञान क इवतहास म उतार-चढाि आया परारमभ म लोगो न

असामानय वयिहार की वयाखया जीििाद दवारा की वजसम मानवकसक रोग का कारण बरी आतमा ि

दिीय परकोप माना बाद म वहपपोििस क अनसार मानवसक रोग कछ सिाभाविक कारणो स होता

ह मधय यग क अनतक असामानय वयिहार क परवत मानिता का दवषटकोण अपनाया

इस दवषटकोण क अनतगथत वचवकतसको न अपना योगदान वदया ह उनाक नाम असामानय

मनोविजञान क कषतर म सिणाथकषरो म वलखा गया ह-

1) असामानय क परवत मानिीय दवषटकोण अपनान िाल एक परमख वचवकतसक पारासलसस (1490-1541) जो सपवनश वचवकतसक र इनहोन सभी तरह क मानवसक रोवगयो एि सािवगक

रप स कषबि वयवकतयो क मानिीय उपचार पर बल वदया रा इनका मानना रा वक मधययग का

नतय उनमाद वकसी दषट आतमा क शरीर म परिश क कारण नही होता रा बवलक या एक तरह

का रोग ह वजसका उपचार मानिीय ढग स होना चावहए रा

2) जोहान ियर (1515-1588)- जो एक जमथन वचवकतसक र न वभनन-वभनन जगह पर कदी क

रप म रख गए मानवसक रोवगयो की दशा दखी तरा उन पर वकय गय शारीररक अतयाचार का

गहन रप स अधययन वकया और बताया वक उनका सही उपचार वसिथ मानिीय तरीक स हो

सकता ह

3) मानवसक रोवगयो क परवत सही अरथ म मानिता का दवषटकोण एक फर च वचवकतसक विवलप वपनल(1745-1826) वजनह आिवनक मनोरोग विजञान का जनक भी कहा जाता ह क सिीय

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उततराखड मकत विशवविदयालय 12

परयासो स परारमभ हआ वपनल को जब पररस क मानवसक असपताल ला विसिर का परभारी

बनाया पर गरहण करत ही उनहोन सबस पहल असपताल क मानवसक रोवगयो को जजीरो स

मकत कराया और उनक सार मानिीय वयिहार करन क आदश वदय उनह हिा ि रोशनी स यकत

कमर म रखा जाए िलसिरप मानवसक रोवगयो दवारा पहल की जा रही शोरगल ि उततजना क

कािी कमी आ गई और उनहोन उपचार म सहयोग करना परारमभ कर वदया और कािी

उतसाहजनक पररणाम सामन आय इस तर फरॉस ससार का पहला दश बन गया जहा मानवसक

रोवगयो क सार मानिीय वयिहार कर उनका उपचार वकया जान लगा और इसका परभाि ससार

क अनय दशो म भी पड़ा

17 असामानय मनोविजञान का उदभि (1801 स 1950 िक)

वपनल तरा िकथ दवारा की गई मानिीय उपचार विवियो न असामानय मनोविजञान क

इवतहास म पर ससार म हलचल मचा दी अमररका म इस हलचल की अवभवयवकत बमजावमन रश क

कायो दवारा होती ह इनहोन पवनसलिवनया असपताल म 1783 म कायथ शर वकया और 1976 म

मानवसक रोवगयो क उपचार करन क खयाल स एक अलग रोगी ककष बनिाया जहा उनक मनोरजन

क तरह-तरह क सािान रख गए तावक रवचकर कायो को करन की ओर ि परररत हो और उनक सार

अविक स अविक मानिीय वयिहार पर बल वदया

अमररका म 19िी शताबदी क परारमभ म एक विशष आनदोदलन की शरआत एक मवहला

सकल वशवकषका डोरवरया वडकस (1802-1887) क सराहनीय परयासो स हआ दवषटकोण अपनान

की बात की वजनक अरक परयासो स मानवसक असपतालो म रख गए रोवगयो क सार वकय जान

िाल अमानिीय वयिहार म कमी आई और मानिीय वयिहारो म िवि हई इनहोन अपन

जीिनकाल म 32 मानवसक असपताल खलिाय और मानवसक रोवगयो स समबवनित सराहनीय एि

मानितापणथ कायथ करन क वलए अमररका सरकार न वडकस को 1901 म पर इवतहास म मानिता का

सबस उततम उदाहरण बताया

अमररका क अवतररकत (1800-1950) म फरास जमथनी तरा आसटरीया म भी असामानय

मनोविजञान क कषतर म महतपणथ कायथ वकय वजसम फरानस क मसमर का नाम उललखनीय ह इनक

बहमलय परयासो एि कायो क पररणामसिरप मनोसनायविकवत को असामानय मनोविजञान म एक

अलग एि विशष रोग माना जान लगा बाद म पररस क एक असपताल क परवतभाशाली तवतरका

विजञानी शाको र वजनहोन वहसिीररया जस मानवसक रोग का उपचार सममोहन दवारा सिलता पिथक

वकया इनहोन मानवसक रोगो का मखय मवसतषकीय अघात को माना असामानय मनोविजञान क कषतर

म शाको का सबस महतिपणथ योगदान पररस क एक मशहर वशकषक क रप म रहा वजनका मखय

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उततराखड मकत विशवविदयालय 13

कायथ छातरो को (जो बाद म मनोविजञान एि मनोरोग विजञान म एक महतिपणथ वयवकत हए) परवशवकषत

करना रा उनक छातरो म दो छातर ऐस र वजनक परवत हम आभारी ह- वसगमणड िायड (1856-

1939) तरा पाइर जनि

फरास क अलािा जमथनी म भी असामानय मनोविजञान क कषतर म उललखनीय कायथ हए ह

वजसम विवलहमस वगरवसगर और इवमल फरपवलन का नाम उललखनीय ह इन दानो वचवकतसको न

मानवसक रोगो का एक दवहक आिार मानत हए इस बात पर बल डाला वक मानवसक बीमारी भी

वकसी अग विशष म विकवत होन पर शारीररक बीमारी होती ह उसी तरह स मानवसक बीमारी भी

वकसी अग विशष म विकवत क िलसिरप होती ह

विवलहलम वगरवसगर न 1845 म अपनी पसतक दढ़तापिथक वक मानवसक रोगो का मखय

कारण दवहक होता ह इनहोन वभनन वभनन लकषणो क आिार पर मानवसक रोगो को अलग-अलग

भागो म बािा और इनक लकषणो तरा उतपवतत क कारणो का विसतत उललख वकया इनहोन उतसाह-

विषाद मनोविकवत जस मानवसक रोगो को बताया जो आज भी इनही क नाम जाना जाता ह

19 िी शताबदी म आसटरीया म वसगमणड फरायड जो एक महतिपणथ तवतरका विजञानी तरा

मनोरोग विजञानी र न महतिपणथ कायथ वकया फरायड पहल ऐस मनोरोग विजञानी र वजनहोन मानवसक

रोगो क कारणो की वयाखया म दवहक कारको क महति को कम एि मनोिजञावनक कारको को

अविक महति वदया असामानय मनोविजञान क कषतर म फरायड का योगदान मकत साहचयथ विवि

अचतन सिपन- विशलषण मनोलवगक वसिानत मनोरचनाए परमख ह इनक अनसार सममोवहत अिसरा

म रोगी वबना वकसी वहचवकचाहि क अपन सिगो सघषो एि भािनाओ को परकि करता ह उनहोन

अपन अनभिो एि रोवगयो क वनरीकषण क आिार पर यह भी बतलाया वक अविकतर मानवसक

सघषथ तरा वचनता का सरोत अचतन होता ह ऐस मानवसक सघषथ दविनता एि दःखद अवभपररको एि

सिगो को वयावकत अपन चतन स हिाकर अचतन म दवमत कर दता ह इस फरायड न दमन की सजञा

दी इसक बाद फरायड की खयावत ससार क चारो ओर िलन लगी और दर-दराज स लोग वशकषा परापत

करन यहा आन लग इनक वशषयो म कालथ यग और अलफरड एडलर का नाम उललखनीय ह बाद म

इन लोगो न फरायड स अपना समबनि तोड़कर सिततर रप स एक नय मनोविजञान की शरिात की

कालथ यग न मनोविजञान का नाम विशलशाणातमक मनोविजञान और एलफरड न ियवकतक मनोविजञान

रखा जब फरायड 53 िषथ क र तो सिनल हॉल 1909 म अमररका कलाकथ विशवविदयालय म 20िी

िषथगाि पर उनह भाग लन क वलए बलाया गया जाहा उनहोन मनोविशलषण पर कई वयाखयान वदय

और अमररकन मनोिजञावनको पर उनक वयाखयानो का कािी परभाि पड़ा लगभग 83 िषथ की आय

म उनकी मतय हई

असामानय मनोविजञान क कषतर म वसििजरलणड क एडॉलि मयर न मानवसक रोवगयो पर

मनो जविक दवषटकोण की विचारिारा को जनम वदया इनक अनसार असामानय वयिहार शारीररक

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 14

और मानवसक दोनो कारणो स होता ह और इनका उपचार मानवसक तरा दवहक दानो आिारो पर

वकया जाना चावहए मयर मनोजविक वसिानत क अनसार मानवसक रोग की उतपवतत म वयवकत का

सामावजक िातािरण एक महतिपणथ कारक होता ह इनक अनसार मानवसक रोवगयो का उयकत

वचवकतसा तभी समभि ह जब उसक जविक पदारो जस-हारमोनस वििावमन को सतवलत करत हए

उसक घरल िातािरण क अनतर पारसपररक समबनिो को भी सिारा जाए मयर क वलए मानवसक

रोवगयो का उपचार रोगी इन दोनो क सौहादथपणथ एि अचछ समबनिो पर वनभथर करता ह उपचार क

इस तरह की परविवि का उपयोग आज भी सिलतापिथक वकया जा रहा ह

मयर का विचार रा वक असमानयता को समझन क वलए एक समपणथ दवषटकोण अपनाना

जररी ह अराथत असामानयता का अधययन जविक मनोिजञावनक और सामावजक तीनो दवषटकोणो स

करना आिशयक ह

18 आज का असामानय मनोविजञान (1651 स लकर आज िक)

1900 स 1950 तक मानवसक असपताल ही मानवसक रोवगयो क उपचार का मातर सहारा

बना रहा लवकन िीर-िीर मानवसक असपतालो दवारा विर िही वयिहार अपनाया जान लगा

िलसिरप उनका मानवसक रोग कम हान क बजाए बड़ाता चला गया कछ लोग इस दौरान मर भी

जात र वकशकर (1985) न ऐस मानवसक असपतालो का िणथन करत हए कहा ह वक मानवसक

रोवगयो को इन असपतालो म एक छोि स कमर म रखा जाता रा कमर म िप हिा न क बारबर री

उनह आिा पि खाना वदया जाता रा असपताल क अविकाररयो दवारा उनक सार गाली-गलौज

तरा लड़वकयो क सार दह वयापार कराना आवद सामानय रा िलतः मानवसक असपताल म रोवगयो

को रखन क परवत लोगो की मनोिवतत खराब हो गई आजकल अमररका म इन मानवसक असपतालो

की जग सामदावयक मानवसक सिासय कनरो न ल वलया ह इन कनरो का मखय उददशय रोवगयो का

अमानिीय ढगस उततम उपचार करना ह इन कनरो दवारा मखयतः पाच तरह की सिाए दी जाती ह

bull चौबीस घिा आपतकालीन सिा

bull अलपकालीन असपताली सिा

bull अशकावलक असपताली सिा

bull िाहय रोवगयो की दखभाल

bull परवशकषण एि परामशथ कायथिम

अमररका ि कनाडा म आजकल सामदावयक मानवसक सिासय कनर का एक निीन रप

सकिकालीन हसतकषप कनर भी कहा जाता ह विकवसत हआ इन कनरो का मखय उददशय मानवसक

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 15

रोवगयो को सहायता पहचाना ह आजकल हॉि लाइन दरभाश कनर दवारा वचवकतसक रात या वदन क

वकसी भी समय मातर दरभाश स सचना परापत कर मानवसक रोवगयो का उपचार करन क वलए ततपर

रहत ह इस तरह का दरभाश कनर सबस पहल अमररका म लॉस एवजलस क वचलरन हॉवसपिल म

शर वकया गया और इसकी सिलता स परभािवत होकर अमररका क बड़-बड़ शहरो एि

विशवदयालयो क कमपस म इस तरह की आपातकालीन सिा परदान करन क वलए य कनर खोल गय

और विशव क अनय दशो म भी इस तरह क कनर खोल जा रह ह

19 साराश असामानय मनोविजञान की एक महतिपणथ एि उपयोगी शाखा ह इसका मखय उददशय वयवकत

क असामानय वयिहारो तरा मानवसक परवकियाओ का िसतवनषठ ढगस अधययन करना ह

आजकल इस मनोविकवत विजञान भी कहा जान लगा ह जस-जस हम विवभनन कषतरो म अविकाविक

सिलत हावसल करत जा रह ह िस-िस पहल की अपकषा आज हम तनाि वचनता असतोष

कसमाचोजन तराअनय अनक मानवसक विकारो स अविक परभािवत हो रह ह सिय कोलमन क

शबदो म-सतरहिी शताबदी जञान की अििारहिी शताबदी तकथ की उननीसिी शताबदी परगवत की और

बीसिी शताबदी वचनता का यग ह

ज0जी0 फराजर न बड़ ही रोचक ढग स मानि क बौविक उतपादन क अवतहास क समबनि

म एक सनदर उदाहरण परसत वकया इनक अनसार आज क बविमान वयवकत क इवतहास की तलना

एक ऐस कपडा स की जा सकती ह वजसकी बनाई तीनो रगो क िागो क माधयम स हई ह काला

लाल ि सिद िाग काल िागा जाद लाल िागा िमथ ि सिद िागा विजञान का परतीक ह इस तरह

इवतहास अनक घिनाओ की एक शरखला ह और यह बात असामानय मनोविजञान क वलए वबलकल

सतय ह आज इस आिवनक या िजञावनक यग स पहल असामानयता को जाद-िोन या दिी-दिताओ

क परकोि क रप म समझा जाता रा मानवसक विकवतयो का इवतहास मानि इवतहास क सार ही

जडा ा ह अतः असामानय मनोविजञान को समझन क वलए हम उस पषठभवम को भी समझना पडागा

वजसक दवारा असामानय मनोविजञान को परतयकष या परोकष रप स योगदान परापत हआ ह

110 शबदािली bull पररपरकषि सदभथ

bull कसमािोविि दोषपणथ सामानजसय

bull सािदी इवनरयो दवारा अनभवत

bull इसलावमक दश मवशलम दश

bull उनमाद वियाओ का बढ़ना (उतसाह)

bull अपदि बरी या दषट आतमा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 16

bull अशािः कल मातरा म

bull अलवकक शवि दिी दिता आवद

bull कषविगरसि दघिथनागरसत

bull नदावनक मनोविजञान मनोविजञान की िह शाखा जो मानवसक रोगो का वनदान करत ह

bull मनोिजञावनक दवरकरिा दघथनागरसत

111 सिमलयाकन हि परशन bull बहविकलपीय परशनो क उततर दीवजए-

1 असामानय मनोविजञान क इवतहास म पिथ िजञावनक काल कब स कब तक रहा a) परानत समय स 1200 ई0 तक

b) परातन समय स 1800 ई0 तक

c) परातन समय स 1600 ई0 तक

d) परातन समय स 1400 ई0 तक

2 इसलावमक वचवकतसक एविवसना की पसतक का कया नाम रा a) वद कनन ऑि मवडवसन

b) वद एबनारमल वबहवियर c) वद इनिरवपरिशन आि डीम

d) वद हयमन टरीिमनि

3 मनोविजञान क इवतहास म मधययग को कहा जाता ह a) सामावजक यग

b) मानिीय यग

c) अिकार यग

d) ऐवतहावसक यग

4 फरायड न मानवसक रोवगयो की वचवकतसा हत वकस विवि का परवतपाद वकया a) विरचन विवि

b) मनोविशलषणातमक विवि

c) मनोिजञावनक विवि

d) वयिहारातमक विवि

5 मानवसक सिासय विजञान आनदोलन की शरआत सबस पहल वकसन की

a) डोरवरया वडकस न b) फरायड न c) यग न d) िािसन न

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 17

bull सही गलत बताएय-

6 एबनामथल शबद की उतपवतत एनोवमलास शबद स हई ह| 7 असामानय मनोविजञान को आजकल मनोविकवत विजञान क नाम स जाना जाता ह

8 सॉप क दखकर वचललना असामानयता की शरणी म आता ह

9 पाषाण यग म रोवगयो क उपचार की दो मखय विविया अपदत वनसारन विवि और टरीिाईनशन

विवि परचवलत री

10 पलिो की परवसि पसतक का नाम वद ररपवबलक रा| 11 इसलावमक वचवकतसा विजञान क परमख वचवकतसक का नाम अरसत रा 12 जोहान ियर एक यनानी वचवकतसक र 13 विवलप वपनल को आिवनक मनोरोग विजञान का जनक कहा जाता ह

14 फरायड क वशषयो म कालथ यग और एडलर का नाम उललखनीय ह

15 कालथ यग न मनोविजञान का नाम ियवकतक मनोविजञान औा एडलर न विशलषणातमक मनोविजञान

रखा

उततर 1) परातन समय स 1800 ई0 तक 2) वद कनन आि मवडवसन

3) अिकार का यग 4) मनोविशलशणातमक विवि 5) डोरवयया वडकस न

6) सही 7) सही 8) गलत 9) सही 10) सही 11) गलत

12) गलत 13) सही 14) सही 15) गलत

112 सनदभथ गरनर सची bull डॉ0 अरण कमार वसह आिवनक असामानय मनोविजञान मोती लाल बनारसी दास परकाशन

वदलली

bull डॉ0 आर0एन0 वसह आिवनक असामानय मनोविजञान परकाशन अगरिाल पवबलकशनस

bull डॉ0 मोहममद सलमान असामानय मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास नई वदलली

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ गोविनद वतिारी असमानय मनोविजञान परकाशन विनोद पसतक मवनदर

आगरा

113 तनबनिातमक परशन bull अवत लघ उततरीय परशन (एक पवकत म उततर दीवजय)

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 18

1 एबनामथल शबद की उतपवतत कस हई

2 फरायड क गर का कया नाम रा

3 मनोविशलषण विवि वकसक नाम स जानी जाती ह

4 कालयग और एडलर वकसक वशषय र

5 सिनल हॉल वकस विशवविदयालय म कायथरत र

bull लघ उततरीय परशन-

1 असामानय मनोविजञान स आप कया समझत ह

2 असामानय मनोविजञान स समबवनित परतयय कया ह

3 पिथ िजञावनक काल म मानवसक रोवगयो का उपचार वकस तरह वकया जाता रा 4 असामानय मनोविजञान क कषतर म डोरवरया वडकस क योगदान का िणथन कीवजए

5 अमररका म असामानय रोवगयो की दखभाल क वलए आजकल वकस तरह क कनरो की सरापना

की गई ह

वदघथ उततरीय परशन-

1 पिथ िजञावनक काल म असामानय मनोविजञान क इवतहास का िणथन कीवजय

2 मनोविजञान क कषतर म परारवमभक दशथन (पलिो और अरसत) का कया योगदान ह

3 1801 स 1950 (AD) तक असामानय मनोविजञान क कषतर म होन िाल विकास का िणथन

कीवजय

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 19

इकाई-2 सामानय और असामानय मनोविजञान म अनिर असामानयिा की विशषिाए

21 परसतािना

22 उददशय

23 असामानय मनोविजञान कया ह

24 सामानय वयिहार एि वयवकतति का अधययन

25 असामानय वयिहार की उतपवतत

26 सामानय एि असामानय मनोविजञान म अनतर

27 असामानयता की विशषताए

28 साराश

29 शबदािली

210 सिमलयाकन हत परशन

211 सनदभथ गरनर सची

212 वनबनिातमक परशन

21 परसिािना असमानय मनोविजञान की एक एसी शाखा ह वजसम असामानय वयिहार एि मानवसक

परवियाओ का अधययन वकया जाता ह तरा इसकी विषय िसत मल रप स अवभयोवजत वयिहारो

वयवकततति अशावनत एि विघवित वयवकतति का अधययन करन एि उपचार क तरीको पर विचार स

सामबवनित ह

पहल की तलना म आज हम तनाि वचनता असतोष कमसमायोजन तरा अनय मानवसक

विकारो एि समसयाओ स बहत परभावित ह भौवतक सख-सवििाओ म अतयविक िवि क बािजद

भी आज वयवकत सिय स खद स परायः िम सनतषट ह िह वजतन मानवसक विकारो स पीवड़त ह उतना

वकसी अनय चीजो स नही

परवसि मनोिजञावनक कोलमन क अनसार सतरहिी शताबदी जञान का यग रही ह अििारहिी

शताबदी तकथ का यग उननीसिी शताबदी परगवत का यग और बीसिी शताबदी वचनता का यग ह

अराथत मानवसक सिासय की दवषट स आन िाला समय चनौतीपणथ होगा इसका मखय कारण मनषय

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 20

की बढ़ती हई इचछाए आकाकषाए ह वजसक कारण वयवकत मलयो और दवदव म उलझता जा रहा ह

िलसिरप हमार सामन वयािहाररक समायोजन की समसया विकि रप लती जा रही ह

22 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull असामानय मनोविजञान क बार म बता सक ग

bull असामानय मनोविजञान वकस कहत ह क बार म बता सक ग|

bull सामानय एि असामानय मनोविजञान क अनतर क बार म बता सक ग|

bull असामानयता की विशषताओ क बोर म बता सक ग

bull सामानयता एि असामानयता ज जड़ विवभनन पहलओ क बार म बता सक ग

23 असामानय मनोविजञान कया ह सामनयतः सामानय और असामानय शबद को दो भागो म बािा गया ह- सामानय शबद लविन

भाषा क नॉरमा (Norma) शबद स बना ह वजसका अरथ ह बढ़ई का सकल वजस तरह स बढ़ई अपन

सकल का परयोग करक यह वनवित करता ह वक वकस पररवसरवत म कया सामानय मापन होगा िीक

उसी अरथ म (Normal) का शबद का परयोग मानक क वलए वकया जाता ह

Abnormal शबद की उतपवतत Anomelos शबद स हई ह (Ano+Melos=Not

Regular) अराथत जो वनयवमत नही ह अतः हम कह सकत ह वक असामानय वयिहार िह वयहार ह

जो अवनयवमत ह Abnormal शबद का शावबदक अरथ सामानय स दर हिा हआ अराथत िह

वयिहार जो सामानय स दर हिा हआ वयिहार

असामानय शबद का अरथ जो समानय नही ह या असामानय स वभनन ह वकसकर क अनसार

ि मानि वयिहार एि अनभवतया जो सािारणतः अनोख असािारण या परक ह असामानय समझ

जात ह अतः असामानय मनोविजञान मनोविजञान की िह शाखा ह वजसम असामानय वयिहार या

असामानय वयवकतति का अधययन वकया जाता ह यह हावनकारक ह असामानय वयिहार का

अधययन सामानय मनोविजञान की विवियो परतयय वनयमो खोजो आवद क आिार पर ही वकया

जाता ह असामानय मनोविजञान म अनक परकार की असामानयताओ का अधययन जसा - असामानय

पररणातमक वियाए असामानय मनोगतयातमक परवियाए और असामानय वयवकत जस- मानो

विवकषपतता चररतर दोष मानवसक दबथलता आवद वयिहारो का अधययन वकया जाता ह

असामानय मनोविजञान म हम मनोविजञान की विषय सामगरी म वनमन चीजो को सवममवलत

करत ह-

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 21

1 असामानय वयवकत क पयोिरण का अधययन करत ह इसक अनतगथत असामानय वयवकत क चारो ओर की पररसरवतया िसतए तरा उसकी िाहय एि आनतररक वसरवतया आवद आती ह

2 वयवकत पररवसरवतयो क परवत जो मानवसक परवतविया करता ह उस अनभवत कहत ह असामानय मनोविजञान मखय रप स असामानय अनभवतयो का अधययन करता ह

3 वजन वियाओ का समबनि दोषपणथ समायोजन स होता ह उस असामानय वयिहार कहत ह य

वयिहार आनतररक और िाहय दोनो हो सकत ह असामानय वयिहारो को वनमन तीन िगो म

विभावजत वकया जा सकता ह

(क) ि वयिहार क कसमायोजन उतपनन करत ह (ख) ि वयिहार वजनम कसमायोजन क लकषण विदयमान होतो ह (ग) ि वयिहार जो कसमायोजन क पररणामसिरप ही होत ह

अतः असामानय मनोविजञान मनोविजञान की िह शाखा ह जो मखयतः उप वयवकतयो का

अधययन करता ह जो मानवसक रप स विकत होत ह उनक वयिहार म इतनी अविक वभननता होती

ह वक उनह सामानय वयवकत की शरणी म नही रखा जा सकता ह असामानय मनोविजञान क मखयतः दो

रप होत ह-सिावनतक और वयािहाररक कौन सी विशषताओ क कारण अमक वयवकत असामानय ह

या उसक कौन सा रोग ह यह सिावनतक रप ह परनत वयािहाररक रप स यह किल विवभनन

मानवसक ि शारीररक रोगो का िणथन मातर ही नही कराता बवलक यह भी बताता ह वक इसका वनदान

कस हो कौन-कौन सी अचारातमक पिवतया को उपयोग वकया जाए वयािहाररक शाखा क

अनतगथत सामानय ि असामानय दोनो परकार क वयवकतयो को लाभ पहचता ह सामानय वयवकत य जान

लता ह वक कौन-कौन सी विशषताओ लकषणो तरा कारणो स मानवसक अिरोि उतपनन या

विकावसत होता ह दसरी और यह भी बताता ह वक असामानय वयवकतयो या रोवगयो क सार

अनवचत वयिहार नही करना चावहए बवलक उसक सार एसा वयिहार करना चावहए वजसस वक िह

िीक हो सक एक सामानय वयवकत की तरह जीिन वबता सक

एक सिकषण क अनसार हमार यहा मनसताप मनोदवहक विकार मनोविवकषतरता

चारररवलक विकवत नशा मवतसषकीय वििवत मानवसक दबथलता क रोवगयो की सखया म वनरनतर

िवि हो रही ह कयोवक आज विशव क सभी दशो म बकारी घणा तनाि सघषथ वचनता एि दिाब

जस मल कारको की मातरा म कारको म मातरा म कािी िवि हई ह इस समय हमार यहा िकषो की

सखया कािी ह वजसम स 20 लोग मानवसक बीमाररयो स गरसत ह

अतः आिवनक यग म विकवसत और विकाशील दशो म असामानय वयिहार क अधययनो

पर विशष बल वदया जा रहा ह कोलमन क शबदो म-आिवनक यग जञान की महान वििवि और

तीवर सामावजक पररितथन का यग ह असामानय मनोविजञान क अधययन क दवारा हम मानि जीिन की

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 22

समसयाओ दख ददथ वचनता तनाि आवद को कम करक मानि जीिन को खशहाल बना सकत ह

आिवनक यग म मनोविजञान का महति वनमन कषतरो म ह-

1 असामानय मनोविजञान क अधययन क दवारा वयवकत अपनी अपन दवनक जीिन की समसयाओ का

हल करना आसानी दवारा वयवकत अपनी अपन दवनक जीिन की समसयाओ का हल करना

आसानी स सीख लता ह

2 असामानय मनोविजञान क अधययन दवारा वयवकत यह आसानी स समझ लता ह वक वकस तरह एक

सामानय वयवकत मानवसक रोगो स गरसत हो जाता ह तरा चतन ि अचतन मन क दवारा समसयाओ

का समािान वकस तरह होता ह

3 असामानय मनोविजञान क जञान स माधयम स मानवसक रोगो क लकषण कारण एि उपचार तरा न

वनदान म सहायता वमलती ह

4 असामानय मनोविजञान का वशकषा क कषतर म विशष महति ह वजन छातरो को वकसी परकार का मानवसक रोग या दोष होता ह होत ह तो उनकी वशकषा वकस परकार की हो उनकी असामानयता

का उपचार जस हो आवद को समझन म सहायता वमलती ह

5 अपरावियो एि बाल-अपरावियो को सिारन म असामानय मनोविजञान क अधययन की विशष

आिशयकता होती ह कयोवक असामानय मनोविजञान म हम समाज विरोिी वयिहार या आचरण

आवद का अधययन करत ह

6 असामानय मनोविजञान क अधययन क दवारा कयोवक दसर वयवकतयो क बार म आसानी स समझ

लता ह उसक हाि-भि आवद क आिार पर वयवकत य पता लगा लता ह वक िह कही वकसी

गलत कायाा म रवच तो नही ल रहा ह

7 इसक अधययन क दवारा कानन को यह समझन म सहायता वमलती ह वक िासतविक अपरािी कौन ह और िह अपरािी कही असामानय तो नही ह

8 असामानय मनोविजञान क अधययन क दवारा वयवकत म आतम विशवास का जनम होता ह कयोवक

वयवकत यह जान लता ह वक कोई वयवकत असामानय हो सकता ह तरा उपचार क माधयम स उस

सामानय या समायोवजत बनाया जा सकता ह

9 पराचीन काल म य विशवास वकया जाता रा वक असामानयता का कारण भत-वपचाश या दिी

परकोप ह असामानय मनोविजञान क अधययन क दवार य सपषट हआ वक ईशवरीय परकोप या भत-

वपचाश असामानयता का कारण न होकर बवलक िशानिम मनोिजञावनक कारक समावजक

कारक पाररिाररक कारण आवद होत ह

10 यि को रोकन क वलए वयवकत क मन पर विजय परापत करना अतयनत आिशयक ह िासति म

यि क कछ न कछ मनोिजञावनक कारक होत ह इन कारणो की जाच और यि की रोकराम

तरा शावनत बनाय रखन म असामानय मनोविजञान कािी उपयोगी एि सहायक वसि होता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 23

मनोविजञान वयिहार का विजञान ह और वयिहार क मखयतः दो रप होत ह सामानय और

असामानय मनोविजञान उन वयवकतयो का अधययन करता ह वजनक वयिहार म सामानय वयवकत की

उपकषा कछ विशषताए होती ह उनक वयिहार म कछ एसी वियाए होती ह जो सामानय वयवकत म

नही पाई जाती ह जस अगर एक नया वयवकत नय वयवकतयो क समह क समकषजञ नय विषयो पर भाषण

दन म पररत बार डरता-कापता ह तब इस परकार का वयवकत सामानय वयवकत कहलायगा लवकन अगर

कोई जाना-पहचाना वयवकत जान पहचान विषय पर जान पहचान वयवकतयो क सामन बोलन म

वहचवकचाता ह तो इस परकार क वयवकत को असामानय कहग कयोवक यह वयवकत अनक बार बोल

चकन क बाद वहचवकचाहि का अनभि कर राह ह अतः असामानय मनोविजञान की परकवत समझन

क वलए हम सामानय ि असामानय दोनो की तरह क वयवकतयो क बार म जानना आिशयक ह

24 सामानय वयिहार एि वयनकिति का अधययन सामानय वयवकत कौन ह सामानय वयवकत िह ह जो सामानय रप स अपनी वियाओ को करता

हो अपन दवनक विया कलापो पर विचार पणथक वनणथय लता हो तरा सामावजक वनयमो एि

मानयताओ का एक सीमा तक पालन करता हो अराथत एक सामानय वयवकत सामावजक आवरथक

ियवकतक सासकवतक एि पाररिाररक सभी परकार की पररवसरवतयो क सार समायोजन तरा सनतलन

बनाय रखता ह असामानय वयिहार एि वयवकतति को समझन क वलए अवत आिशयक ह वक पहल

सामानय वयिहार एि वयवकत क बार म समझा जाए वसमाणड क अनसार िह वयवकत सामानय वयकत

ह तो भयािह आदयातो और नराशय उतपनन करन िाली पररवसरवतयो पर विजय पर विजय परापत कर

लता ह सामानय वयिहार या आसामानय वयवकतति क वलए वनमन विशषतओ का होना अतयनत

आिशक ह-

1 सामानय वयवकत म सरकषा की उपयकत भािना पाई जाती ह िह अपन आपको न तो परी तरह

सरवकषत समझता ह और नही परी तरह असरवकषत विवभनन पाररिाररक पररवसरवतयो म

सामावजक औा वयािसावयकक पररवसरवतयो म िह अपन आपको उसी परकार सरवकषत समझता

ह वजस तरह स समाज क अविकाश वयवकत अपन आपको सरवकषत समझत ह और उस वकसी

परकार की कोई भी हावन हो सकती ह इस परकार की भािना सरकषा का अतयविक बड़ा हआ

रप ह वजस असामानय समझा जायगा

2 सामानय वयवकत म उपयकत मातरा म सिगातमकता पाई जाती ह िह अपन सिगो की अवभवयकत जहा वजस रप म आिशयक होती ह करता ह िह न तो बहत अविक सिगो की अवभवयवकत

करता ह और न ही बहत कम उसकी सिगातमक अवभवयवकत समाज क अविकाश वयवकतयो की

ही भावत होती ह सामानय वयवकत दसरो क सख-दःख म सामानय ढग स शावमल होता ह

3 सामानय वयवकत सिय का मलयाकन उतना ही करता ह वजतना उकसी शारीररक और मानवसक

योगयताए होती ह उसकी वजतनी योगयताए और उपलवबिया होती ह इनकी उपवसरवत का इतना

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उततराखड मकत विशवविदयालय 24

ही अनभि करता ह िह अपन अनदर उनही इचछाओ और योगयताओ का अनभि करता ह

वजनकी सामावजक ि वयवकतगत दवषट स भी उपयकत समझता ह

4 वयवकत अपनी योगयताओ और सीमाओ स भली भावत पररवचत होता ह िह अपनी

आिशयकताओ इचछाओ पररणाओ भािनाओ सिगो महतिाकाकषाओ लकषयो आवद को

समझता ह वक िह कया कर सकता ह और कया नही इसका उस परा जञान होता ह

5 सामानय वयवकत का वयवकतति सगवित होता ह अराथत वयवकतति क तीनो पकषो झि इगो और

सपर इगो म पयाथपत मातरा म सतलन होता ह सामानय वयवकत क वयवकतति क यह तीनो पकष

सहयोग स कायथ करत ह इनक वयवकतति म वसररता आई जाती ह

6 सामानय वयवकत अपन समाज की पररवसरवतयो और योगयताओ क अनसार अपन जीिन लकषय

अपन समाज की पररवसरवतयो और योगयताओ क अनसार अपन जीिन लकषय बनाता ह अपन

वनिाथरत लकषयो की पवतथ क वलए वनरनतर परयतनशील रहता ह और उसका जीिन लकषय समाज

क वनयमो और मलयो क अनसार होता ह

7 सामानय वयवकत म पिथ अनभिो स लाभ उिान की योगयता होतीह पहल की गई गलवलयो को िह छोड़ता ह और सखद एि लाभदायक अनभिो स आग लाभ उिाता ह सामानय और

असामानय वयवकत सपषट रप स एक-दसर स वभनन होत ह और यह विचार आज स लगभग सौ

िषथ पिथ तक पहल तक भी परचवलत रा

8 सामानय वयवकतयो म कानन की मयाथदा की रकषा तरा सामावजक परमपराओ ि मयाथदाओ क

सममान का गण विदयमान होता ह य सामावजक उतसिो म भाग लत ह ि सामावजक उपरशो को

सिीकाकर करत ह सार ही सामावजक सासकवतक िावमथक जावत आवद क वनयमो की

अिहलना नही करत ह सामानय वयवकतयो म असािारण उततजना एकाकीपन सदहशीलता

आवद गण नही होत ह सामानय वयवकतयो म य गण औसत मातरा म ही पाय जात ह यवद य गण

औसत स अविक मातरा म पाए जात ह उनम असामानयता वदखाई दन लगती ह

9 सामानय वयवकत जीिन की अनक आिशयकताओ को परा करन क वलए नौकरी वयापार आवद

करता ह तरा अपनी विवभनन वियाओ को करत समय बवि का सहारा लता ह छोिी-छोिी

कविनाई यो या वििलताओ पर घबराता नही बवलक साहस का पररचय दता ह ऐस वयवकतयो

क जीिन म अनक कविनाई या आती ह लवकन ि अपना सनतलन नही खोत बवलक उनह दर

करन का परयास भी करता ह

10 सामानय वयवकत अपन वयिहार को समय एि पररवसरवत क अनसार समायोवजत करन का परयास करत ह दःखद पररवसरवत म िह दःख क भाि तरा सखद पररवसरवत म िह सख क भाि परकि

करता ह

11 एक समानय वयवकत क वलए यह आिशयक ह वक िह अपनी वियाओ म सामावजक सासकवतक

या राजनवतक वनयमो परमपराओ नवतक आदशो आवद का सही रप म पालन कर रहा ह या

नही िह परायः सही कायो को करता ह तरा गलत कायो स बचन का परयास करता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 25

12 ऐसा नही वक एक वयवकत गलत कायथ न करता हो िह जीिन म अनक गलवतया करता ह लवकन यह अनभि होत ही वक उसस िह काम गलत हो गया ह िह पिाताप भी करन लगता ह

25 असामानय वयिहार की उतपवि वकसी भी वयवकत म असामानय नही होत बवलक इसका एक इवतहास होता ह असामानय

वयिहार करन पर सपषट रप स हम तीन तरह की विचारिाराए दखन को वमलती ह

1 जविक विचारिारा 2 मनोसामावजक विचारिारा 3 सामावजक सासकवतक विचारिारा

1) िविक वििारधारा-

जविक कारक स तातपयथ उन सभी कारको स होता ह जो जनम क समय या उसस पहल स

ही वयवकत म परतयकष या परोकष रप स मौजद होत ह और बाद म असामानय वयिहार की उतपवतत म

वकसी न वकसी तरह स मदद करत ह जविक कारको का सिरप ही कछ एसा होता ह वक िह वयवकत

क सभी पकषो पर अपना परभाि डालता ह इसवलए इन कारको का सामानय एि असामानय वयिहार

की उतपवतत म वनमन कारको की महतिपणथ भवमका होती ह-

i) आनिाावशक दोष- माता स वकसी परकार क दोष स यह सिाभाविक ह वक उनक बचचो म

यह असामानयता उतपनन हो जाए य दोष दो परकार स हो सकत ह

a गणसतरीय असामानयता b दोषपणथ जीनस

अनिावशकी क कषतर म वकए गय शोिो स यह सपषट हआ हवक गणसतर की सखया या उसकी

सरचना म असामानयता होन स तरह - तरह क मानवसक विकवत या असामानय वयिहारो की उतपवतत

होती ह

ii) शरीरगणनातमक कारक- कछ विशष एि दोषपणथ शरीरगिनातमक कारको स असामानय

वयिहारो की उतपवतत दखी गई जस-शरीर गिन या डील- डौल शारीररक विकलागता या

मल परवतविया परिवतया आवद शरीर गिनातमक कारको को तीन मखय भागो म बॉि सकत

ह-

1 शरीरगिन या डील- डौल

2 शारीरर विकलागता 3 परारवमक परवतविया परिवतत

अनक अधययनो दवारा यह पाया गया ह वक एक विशष डील-डौल िाल वयवकत दवारा

असामानय वयिहार अविक वकया जाता ह अनक अधययनो म यह पाया गया ह वक शारीररक रप

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उततराखड मकत विशवविदयालय 26

स आकषथक नही होन पर उस वयवकत क सार लोगो का वयिहार इस ढग का होता ह वक उस वयवकत

म हीनता का भाि वचनता वनराशा आवद उतपनन हो जाता ह जो िीर-िीर उसम समायोजन समबनिी

समसयाए उतपनन कर दती ह

परतयक वयवकत म जनम स ही बाहरी िातािरण क परवत परवतिया करन क एक परिवतत होती ह

वजस मल अनविया परिवत कहा गया ह मनोिजञावनक दवारा वकय गए शोिो स यह सिपषट ह वक 7 स

10 बचचो की मल अनविया परिवत दोषपणथ होती ह

iii) िविक रासािवनक कारक- वयवकत म असामानय वयिहार होन का कारण उसको शरीर म

कछ रासायवनक पररितथन हो सकता ह या पोवषटक आहार की कमी हो सकती ह या

हारमोनस म गड़बडी क कारण भी होता ह मानि वयिहार पर पड़न िाल परभाि को वनमन

कारक परभािवित करत ह

1 रासायवनक पदारथ 2 पौवषटक आहार की कमी स समबवनित असामानय वयिहार

3 हारमोनस एि असामानय वयिहार iv) मवसिरकीि दवरकरिा- असामानय वयिहार का एक मखय कारण मवसतषक म दवहक कषवत

का होना ह िलतः वयवकत म कई तरह क असामानयता समबनिी लकषण वदखाई दन लगत

ह मवसतषकीय दवषिया कई कारणो स उतपनन हो सकती ह

1 मवसतषकीय चोि

2 सिामण रोग

3 मादक पदारो क अविक सिन स 4 अतयविक तनाि क कारण

2) मनोसामाविक कारक-

अराथत एस विकासातमक परभाि जो वयवकत को मनोिजञावनक रप स इतना परशानकर दता

ह वक वयवकत अपन आपको सामावजक िातािरण क सार िीक ढग स समायोवजत नही कर पता ह

और िीर-िीर वयवकत म असामानय वयिहार क लकषण वदखाई दन लगत ह

i) सजञानातमक कारक

ii) आरवमभक िचन या आदयात-

a ससपानीकरण

b घर म िचन

c बालयािसरा का सदमा या मानवसक आदयात

iii) अपयाथपत जनकता

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a अवत सरकषा का होना b अतयविक बिन का होना c अिासतविक माग का होना d दोषपणथ अनशासन का होना e अपयाथपत एि अतावकथ क सचार

iv) रोगातमक पाररिाररक सरचना वयिहार

a रोगातमक पाररिाररक सरचना वयिहार b बमल वििाह

c वबखर हए पररिार d विदयवित पररिार

v) कसमायोवजत सगी-सारी क सार समबनि

आवद ऐस कई मनोसामावजक कारक ह वजनक कारण वयवकत म मानवसक विकवत उतपनन

होती ह इन सभी मनोसामावजक कारको क आरवभक िचन (inadequate Parenting) तरा

रोगातमक पाररिाररक सरचना अविक महतिपणथ कारक ह

3) सामाविक-साासकविक कारक-

विवभनन सासकवतक समहो क अलग-अलग मानक ह मलय एि वयिहार होत ह वजनका

मानि वयिहार पर सीिा परभाि पड़ता ह असामानय वयिहार की उतपवतत म कछ सामावजक

सासकवतक कारको का भी परभाि सपषट रप स दखन को वमलता ह-

1) वनमन सामावजक आवरथक सतर

2) अनपयकत या दोषपणथ सामावजक भवमका क क कारण

3) आवरथक कविनाई या एि बरोजगारी

4) सामावजक - समबनि

5) सामावजक - सासकवतक िातािरण

6) ििावहक समसयाए

7) यौन भवमका

असामानय वयिहार की उतपवतत म जविक मनो समावजक सासकवतक- सामावजक कारको

की भवमका महतिपणथ होती ह कोई भी मानवसक विकवत एसी नही होती ह वजसम किल एक ही

तरह क कारको की भवमका हो बवलक कई कारक वमल कर मानवसक विकवत को जनम दत ह

असामानय वयिहार को समझन क वलए इन तीनो कारको को समझना अतयनत आिशयक ह

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26 सामानय एि असामानय मनोविजञान म अनिर सामानयतः एक वनवित सीमा क ऊपर असामानयता पहचन पर हमार वलए वचनता का विषय

बनती ह परनत कछ वयिहार तो एस होत ह तो वक असामानय वयवकतयो म ही पाय जात ह और इनही

वयिहारो क आिार पर हम सामानय असामानय म भद करत ह अतः सामानय और असामानय

वयिहार म मखय अनतर वनमन ह-

bull पररवसत की अनकलता क आिार पर भी अनतर वकया जाता ह जो वयिहार पररवसरवत क

अनकल होता ह उस सामानय कहत ह और जो वयिहार पररवसरवत क अनकल नही होता ह उस

असामानय कहत ह जस-वकसी की मतय पर शोक परकि करना एक सामानय वयिहार ह और

खशी परकि करना एक असामानय वयिहार ह

bull सिगातमक पररपकिता क आिार पर-सिगातमक पररपकिता का अरथ सिगातमक वनयतरण एि

सिगातमक वसररता स ह सामानय वयवकत जो अपन सिगो जस िोि भय खशी आवद पर

वनयतरण रखता ह और दसरी आर असामानय वयवकत जो अपन सिगो पर वनयतरण रखता ह ककषा

म वशकषक दवारा िोि पर वनयतरण रखना एक सामानय परविया ह लवकन वशकषक अपन सिगो पर

वनयतरण खो दना अधयापन कायथ बावित करक उस पर आिमण करना परहार करना एक

सामानय वयिहार ह

bull नवतक दवषटकोण- क अनसार सामानय वयवकत का वयिहार उसकी ससकवत िमथ और नवतक

वनयमो क अनसार होता ह तरा असामानय वयवकत का वयिहार इसक अनसार नही होता ह

कभी-कभी नवतक और अनवतक वयिहार को पररभावषत करन म कविनाई होती ह कयोवक एक

समाज म जो नवतक ह िही दसर समाज म अनवतक ह जस-वकसी लड़की को भगाकर ल जाना

अनवतक वयिहार ह जबवक वकसी जनजावत म लड़की भगाकर ल जाना नवतक वयिहार ह

bull सामावजक दवषटकोण- इस दवषटकोण क अनसार वजस वयवकत का वयिहार सामावजक वनयमो

परराओ रीवत-ररिाजो क अनरप होता ह िह वयवकत सामानय होता ह तरा वजस वयवकत का

वयिहार इसक अनरप नही होता ह उस असामानय कहा जाता ह उस वयवकत को भी

असामानयता की शरणी म रखा जाता ह जो समाज कलयाण म बािक ह जो वयवकत समाज क

वलए वहतकारी कायथ करता ह उस सामानय कहा जाता ह परतयक समाज क सामावजक वनयम

अलग-अलग होत ह एक समाज म उनही सामावजक वनयमो का पालन करन िाला वयवकत

असामानय समझा जायगा

bull सासकवतक दवषटकोण- क अनसार िह वयवकत सामानय वयवकत ह जो अपनी ससकवत क वनयमो

मलयो आदशो आवद क अनसार वयिहार करता ह इसी परकार जो वयवकत इन वनयमो क

विपरीत कायथ करता ह उस असामानय वयवकत या वयिहार कहग परतयक ससकवत म कछ न कछ

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पररपितथन होत रहत ह अतः एक पररवसरवत म जो वयिहार सामानय ह िही दसरी पररवसरवत म

असामानय

bull मानवसक सनतलन क आिार पर- सामानय तरा असामानय क बीच भद करन का यह एक मखय

आिार ह वजस वयवकत का मानवसक सनतलन बना रहता ह उस सामानय और वजस वयवकत का

मानवसक सनतलन गड़बड हो जाता ह या वयवकत मानवसक सनतलन खो बिता ह उस असामानय

कहत ह य तो समाज क परतयक वयवकत म कछ न कछ वचनता आवद क लकषण दख जात ह

लवकन वकसी काम को करन म रोडी ा वचनता का होना आिशयक ह इनह हम असामानयता की

शरणी म नही रख सकत ह

bull वयवकत पररपकिता का दवषटकोण- परतयक वयवकत को अपन चारो ओर क िातािरण अपनी

आिशयकताओ क अनसार उसम रहन िाल लोगो क सार समायोजन करना पड़ता ह जो

वयवकत इस परकार का समायोजन करन म सिल हो जात ह उनह सामानय वयवकत कहत ह और जो

वयवकत उस िातािरण या उस म रहन िाल वयवकतयो क सार अपना समायोजन करन म असिल

रह जात ह उनह असामानय वयवकत कहत ह दोषपणथ समायोजन भी असामानयता का मखय

लकषण ह

bull सझपणथ वयिहार- सामानय वयवकत को यह बाता सपषट होती ह वक िह कया कर रहा ह कस कर

रहा ह उस कौन सा वयिहार वकस पररवसरवत म करना चावहए एस वयवकतयो को नवतक-

अनवतक सही गलत का सपषट जञान होता ह जबवक असामानय वयिहार म इनकी कमी दखी

जाती ह

bull दोष भाि क आिार पर- सामानय तरा असामानय क बीच भद समझन का आिार दोष भाि

तरा पिाताप भाि ह गलती करता मनषय की कमजोरी ह अतःवकसी गलत अनवतक या

असामावजक कायथ वकसी कारणिश हो जान क बाद यवद वयवकत म दोष एि पिाताप क भाि हो

तो िह सामानय वयवकत होगा दसरी ओर गलत अनवतक या असामावजक कायथ करन क बाद भी

उस दोष भाि न और उसक वलए पिाता न कर तो अिशय ही िह अिशय ही िह असामानय

वयवकत होगा

bull समायोजन क आिान पर- सामानय तरा असामानय वयवकत की पहचान का एक िोस आिार

समायोजन ह समायोजन का अरथ ह- अपनी मागो आिशयकताओ और समायोजन क बीच

सनतलन सामानय वयवकत िह ह जो कभी अपनी आनतररक मागो म पररितथन लाकर और कभी

बाहय मागो म पररितथन लाकर सतवलत जीिन जीन म सिल होता ह दसरी और असामानय

वयवकत िह ह जो अपनी आनतररक मागो तरा अपन िातािरण की मागो क बीच समझौता करन

एि सतवलत जीिन जीन म वििल हो िलतः अपन पररिार तरा समाज क सदसयो क सार

उनक समबनि तनािपणथ सघषथपणथ तरा कलहपणथ होत ह

bull िासतविकता का जञान- सामानय वयवकतयो को िासतविकता का पणथ जञान होता ह िह हमशा

अपन वयिहार एि वियाओ को सामावजक मानको की िासतविकता क अनकल बनाय रखता

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उततराखड मकत विशवविदयालय 30

ह उनह कालपवनक सचचाई एकदम पसनद नही होती ह िलतः उनका वयिहार भरम विभरम स

गरवसत नही होता ह दसरी ओर असामानय वयवकतयो का वयिहार कालपवनक एि

अिासतविकताओ स भरा होता ह असामानय वयवकतयो का वयिहार कालपवनक एि

अिासतिवकताओ स भरा होता ह असामानय वयवकत को यह जञान नही रहता ह वक सामावजक

आदथश कया ह मानक कया ह तरा उसकी हकीकत कया ह उनह तो बस अपनी कालपवनक

दवनया स मतलब होता ह ि लमबी उडा ान भरत रहत ह इनका वयिहार-विभरम स इतना गरवसत

रहता ह वक उनक वयिहार म िासतविकता उनक पास ििकती तक नही ह

bull अपनी दखभाल- सामानय वयवकतयो का वयिहार अपनी दखभाल एि सरकषा क वलए पयाथपत

होता ह िह एसा वयिहार करता ह वजसस उसक अह को चोि न पहच तरा उसका मानवसक

सिासय बना रह िह हर सभि कोवशश करता ह वक उसक वयवकतति सतवलत एि सिसय बना

रह िह कभी कोई एसा वयिहार नही करता ह वक उसका ही अवसतति खत म पड़ जाए दसरी

ओ असामानय वयवकतयो क वयिहार म उतनी कशलता नही होती ह वक िह अपनी दखभाल कर

सक एि अपन आप को पयाथपत सरवकषत रख सक िासति म एस लोगो की दखभाल पररिार या

समाज क अनय लोगो को ही करनी पड़ती ह-

ज0एि0 बराउन दवषटकोण- बराउन न सामानय एि असामानय शबद का िणथन बड़ ही सनदर

एि तकथ पणथ तरीक स वकया ह

इनक अनसार- असामानय वयिहार सामानय वयिहार का अवत विकवसत एि विकवत रप ह

जस- यवद भय उतपनन करन िाल पररवसरवत म परतयक वयवकत सरकषा का परतयनन करत ह यह कोवशश

एक सामानय तरीका ह जब वबना वकसी उपयकत पररवसरवत क वयवकत असगत भय (भय का

अवतविकसीत रप) परदवशथत कर तो यह वयिहार असामानय वयिहार कहलायगा बराउन क दवषटकोण

की कछ मखय विशषताए वनमन ह

1 पराचीन दवषटकोण क अनसार सामानय असामानय और परवतभाशाली तीन अलग-अलग िगथ ह

जबवक बराउन क अनसार सामानय असामानय और परवतभाशाली वयवकतयो म माला का अनतर ह

परकार का नही

2 असामानय समानय और परवतभाशाली वयवकतयो को एक ही वनयमा क आिार पर समझा जा

सकता ह अलग-अलग वनयमो की आिशयकता नही होती ह असामानय वयवकतयो की

बड़बड़ाहि उनक वलए उतनी ही अरथपणथ होती ह वजतन की परवतभाशाली वयवकतयो क वलए

तकथ पणथ करन महतिपणथ होत ह

3 इनक अनसार परतयक वयवकत म मानवसक रोगो क लकषण कछ न कछ माता म अिशय होत ह अराथत कोई भी वयवकत रोग क लकषणो स रवहत नही होता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 31

4 बराउन क अनसार असामानय वयिहार सामानय वयिहार का अवत विकवसत अरिा विकवत रप ह अतः सामानय वयवकतयो क अधययन स असामानय वयवकतयो को हम समझ सकत ह और

असामानय वयवकतयो क अधययन स सामानय वयवकतया क वयिहार को समझ सकत ह

5 बराउन का दवषटकोण बहत कछ िजञावनक ह आिवनक यग क मनोिजञावनक का सामानयता एि

असामानयता क समबनि मजो विचार ह िह बराउन क विचारो क अनकल ह

अतः सपषट ह वक सामानय तरा असामानय वयवकतयो क बीच अरिा सामानय एि असामानय

वयिहारो क बीच अनय सामानयता एि असामानयता क बीच कई अनतर ह उकत वििरण दवारा सपषट ह

वक सामानय एि असामानय दोनो तरह क बीच कई अनतर पाया जाता ह असामानय वयिहार की

विशषताओ क अनतगथत वजन विशषताओ का उललख वकया गया ह ि असामानय एि सामानय एि

सामानय वयिहार म अनतर को भी इवगत करती ह सामानयता एक वनवित सीमा क ऊपर असामानय

ता पहचन पर हमार वलए वचनता का विषय बनती ह परनत कछ वयिहार तो ऐस होत ही ह जो वक

असामानय वयवकतयो म ही पाय जात ह जस- विवकषपत वकसी दशा म सड़क पर वनकल जाता ह

सामानय वयवकत एसा नही करगा

27 असामानयिा की विशषिाए असामानय वयवकत िह ह वजसका वयिहार और वयवकतति सामानय नही होता ह परवसि

मनोिजञावनक पज क अनसार असामानय वयवकत िह ह वजसकी सीवमत बवि होती ह सिगातमक

अवसररता पायी जाती ह वयवकतति विघवित होता ह इनका वयवकतगत जीिन घणासपद होता ह तरा

सामावजक उततरदावयति को वनिाथह करन म असमरथ होत ह असामानय वयिहार स तातपयथ समानयतः

िस वयिहार स होता ह जो सामावजक मानि एि परतयाशाओ क परवतकल होता ह तरा सार ही सार

कसयोवजत भी होता ह लवकन मातर इतना ही कह दन स असामानय वयिहार का सिरप पणथ रप स

सपषट नही होता ह बवलक असामानय वयिहार को पणथ रप स समझन की आिशकता ह-

bull समाज विरोिी- असमानय वयिहार सामानय रप स सिीकत वनयमो सामावजक मानको एि

मलयो का विरोिी होता ह जब कोई वयवकत इस तरह का वयिहार करता ह वक उसस समाज क

वनयमो एि मनको का उललघन होता ह तो िह वनवित रप स असामानय वयिहार कहलाता ह

जस चोरी करना बलातकार करना हतया करना आवद कछ वयिहार एस होत ह वजसस समाज

क मानको एि मलयो का उललघन होता ह अतः एस वयिहार को हम असामानयता की शरणी म

रखत ह

bull मानवसक असतल- असामानय वयिहार करन िाल वयवकत मानवकस रि स सतवलत होत ह

एस वयवकतयो क वयिहारो एि विचारो म कािी अवसररता पायी जाती ह एसी वयवकत कभी कछ

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उततराखड मकत विशवविदयालय 32

सोचत ह और कछ समय बाद िीक उसक विपरीत सोचन एि वयिहार करन क ढग स कािी

असगतता वदखाई पड़ती ह जो परायः एक सामानय वयवकत क वयिहार म नही पायी जाती ह

bull अपयाथपत समायोजन- असामानय वयिहार म समायोजन की अपयाथपतता होती ह असामानय

वयिहार वदखलान िाल वयवकत आज समाज की वभनन-वभनन पररवसरवतयो म अपन आप को

िीक ढग स समायोवजत नही कर पात ह समायोजन न करन की इस समरप क कारण परायः

वतरसकार क पातर भी बन रहत ह

bull सझ पणथ वयिहार की कमी- असामानय वयिहार म सझ की कािी कमी रहती ह इसी कमी क

कारण असामानय वयवकत को सही-गलत नवतक-अनवतक अचछा बर का जञान नही होता ह

िलसिरप एस वयवकत अपनी वजममदाररयो का िीक ढग स मलयाकन नही कर पात ह सझ की

कमी क कारण असामानय वयवकत वकसी भी तरह क गलत कायथ को करन म तवनक भी नही

वहचवकचाता ह इस तरह क वयवकतयो की आलोचना का वबलकल भी डर नही रहता ह

bull विघवित वयवकतति- असामानय वयिहार िाल वयवकतयो का वयवकतति अविक विघवित होता ह

उनक सजञानातमक वियातमक भािातमक पकषो म कोई तालमल नही होता ह इनका वयवकततप

इतना वछनन-वछनन होता ह वक उनक वयिहार म वकसी तरह की सगतता नही रह जाती ह इनका

वयिहार इतना अवििकी तरा असतवलत हो जाता ह वक उसस लोगो क वलए कोई सही अरथ

वनकालना समभि नही रह जाता ह

bull आतमजञान तरा आतम सममान की कमी- असामानय वयवकत क वयिहार स यह सपषट रप स

झलकता ह वक इसम आतमजञान तरा आतम सममान की कमी होती ह एस वयवकत यह नही

समझ पात ह वक िह कयोवकसी खास वयिहार को करता ह और उसम कयो एक विशष परकार

का भाि उतपनन होता ह एस वयवकत अपन गणो एि दावयति का सही-सही मलयाकन नही कर

पात ह असामानय वयवकतयो म आतमसममान की कमी पाई जाती ह एस वयवकत अपन आपको

आनादर ि हीनता क भाि स दखत ह और विवभनन समावजक पररवसरवतयो म अपन आप को

कसमायोवजत पात ह

bull असरकषा की भािना- असामानय वयवकतयो म परायः असरकषा की भािना दखी जाती ह परायः एस

वयवकत अपन आपको समाज का एक सिीकत वहससा नही मानत ह ऐस वयवकतयो को शक की

वनगाह स दखत ह और विवभनन सामावजक पररवसरवतयो म कभी भी खलकर अपन विचारो की

अवभवयवकत नही कर पात ह य परायः डर-डर स एि सहम-सहम स रहत ह

bull सिगातमक अपररपकिता- असामानय वयिहार म परायः सिगातमक अपररपकिता दखी जाती ह

एस वयवकत को अपन सिगी पर न क बराबर वनयतरण रहाता ह वबना कारण हस दना आवद

वयिहार दखा जाता ह पररवसरवत क अनकल सिगी की अवभवयवकत या वनयतरण करना इनह

नही आता ह अतः एस लोग सिगातमक दवषट स अनपयकत होत ह वजसक चलत इनम

सािवगक अवभयोजन की समसया भयकर रप उतपनन हो जाती ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 33

bull सामावजक अनकल की कषमता का अभाि- सामावजक अनकलन की कषमता क अभाि म एस

लोग अपन सहकवमथयो पास पडो ास क सार अविक सतोषजनक सामावजक समबनि बनाय

रखन म असमरथ रहत ह एस वयवकतयो का अनकलन अपन घर क सदसयो क सार भी िीक

नही होता ह सािवगक अवसररता क कारण इनकी मानवसक वसरवत भी िीक नही होती ह

सािवगक अवसररता क कारण इनकी मानवसक वसरवत बदलती रहती ह वजसस एस वयवकतयो की

सामावजक एि घरल अनकलन की कषमता कम होती जाती ह

bull मनोरजन की कमी- असामानय वयवकतयो म मनोरजन का अभाि पाया जाता ह हलकी मानवसक

वयवकतयो स पीवड़त लोगो म यह कम पाया जाता ह हलक मानवसक वयवकतयो स पीवड़त लोगो म

यह अभाि और अविक मातरा म पाया जाता ह कछ ऐस भी मानवसक रोगी होत ह वजनम

मनोरजन क सरान पर विषाद पाया जाता ह वबना वकसी कारण क रोगी इतना दःखी होता ह

जस उस पर कोई बहत बड़ी विपवतत आ गई हो

bull दकषता की कम मातरा- असामानय वयवकत सामानय की अपकषा कम दकष होता ह शारीररक

आिशयकताओ की सनतवषट हत असामानय वयवकत सामानय वयवकत की अपकषा कम खचथ लता ह

िह अपनी आिशयकताआ पवतथ हत कोई वियाशील वदखाई नही दता ह सामावजक

वयािसावयक और िावमथक कायो म सामानय वयवकत की खचथ और दकषता कम वदखाई दती ह

अविक गमभीर बीमारी स पीवड़त वयवकत म दकषता और भी कम होती ह रोगी वजतना अविक

गमभीर होगा दकषता उतनी कम होगी

bull पिाताप का अनभि न होना- असामानय वयवकतयो को अपनी गलवतयो क वलए वकसी परकार

पिाताप नही होता ह िलतः इनक सिरन का कोई परशन नही उिता ह ऐस वयवकतयो को अपन

गलत कायो क बाद तीसरा गलत कायथ बविि होकर करत ह उनह इस बात की भी कोई वचनता

नही होती ह वक कोई उनह कया कहगा या समाज उनह कया कहगा

उकत िणथन क आिार पर हम कह सकत ह वक असामानय वयिहार स उस वयवकत को भी

हावन होती ह जो इस तरह का असामानय वयिहार करता ह इस तरह असामानय वयिहार दसरो क

सार-सार अपन वलए भी कषटपरद ि हावनकारक ह अतः असामानय या असामानय वयिहार या

असामानय वयवकत की उकत विशषताओ क आिार पर हम पहचान कर सकत ह वक इन विशषताओ

क आिार पर हम आसानी स यह पता लगा लत ह वक अमक वयवकत या अमक वयिहार असामानय

ह या नही अतः असामानय वयिहार की अपनी कछ खास विशषताए होती ह वजनक आिार पर

हम इनह आसानी स समझ सकत ह

28 साराश सकषप म असामानय मनोविजञान मनोविजञान की एक ऐसी शाखा ह वजसम वयवकत क

असामानय वयिहारो एि असामानय मानवसक परवियाओ क वनदान िगीकरण रोकराम उपचार स

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उततराखड मकत विशवविदयालय 34

समबवनित तयो का अधययन वकया जाता ह और आिशयकतानसार उसकी िजञावनक की वयाखया

क वलए वसिानतो का भी वनमाथण वकया जाता ह यह मनोविजञान की एक उपयोगी एि महतिपणथ

शाखा ह वजसका मखय उददशय वयवकत क असामानय वयिहार तरा मानवसक परवियाओ का अधययन

करना ह आज वयवकत जञान-विजञान क कषतर म कािी परगवत कर चक ह उसक िजञावनक भौवतक एि

वयािहाररक विकास की यातरा तीवर गवत स जारी ह वकनत इसी क सार-सार दसरा पकष भी हमार

समकष ह वक आज हम पहल की तलना म तनाि वचनता असतोष कसमायोजन एि अनय-अनय

मानवसक विकारो एि समसयाओ स बहत अविक परभावित ह आज भोवतक सख-सवििाओ क

होत हए भी वयवकत परायः सनतषट नही ह आज इस विषय की जानकारी सिय अपन वलए तो उपयोगी

ह ही सार हम इसक दवारा दसरो की भी सहायता करक उस सिसय मानवसक जीिन वयतीत करन क

वलए उसका सहारा बन सकत ह

29 शबदािली bull भरम वकसी िसत का गलत परतयकषीकरण करना

bull विभरम िसत न होत हए भी उसका परतयकषीकरण करना

bull विघवटि वबखरा हआ

bull समाि विरोधी समाज क वनयमो क विरि कायथ

bull अमियएसी मानवसक कषमता वजसक सहार वयवकत शावबदक तरा गवणतीय कौशलो वचहनो को

आसानी स समझ सक

bull नराशि कणिा (कणिा जीि की िह अिसरा ह जो वकसी पररणतमक वयिहार की सतवषट क

कविन या उसमभि हो जान क कारण उततपनन हो जाती ह)

bull आघाि शारीररक या मानवसक कषट या चोि क सार सामानजसय स बिन म असमरथ पाता ह

bull अपररपकििावकसी कायथ को करन क वलए शारीररक एि मानवसक रप स योगय न होना

bull मवसिरकीि दवरकरिा मवसतषक म कषवत परशानी या चोि

bull गणसतर x और y िोमोसोकस

210 सिमलयाकन हि परशन bull ररकत सरानो की पवतथ कीवजए

1) कोलमन क अनसार सतरिही शताबदी का यग रहा ह 2) एबनारमल शबद का शावबदक अरथ वयिहार ह 3) ज0एि0 बराउन क अनसार सामानय असामानय वयिहार का अवत विकवसत एि

रप ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 35

4) वकसी भी समाज म परायः सामानय असामानय और तीन परकार लोग

रहत ह

5) सामानय और असामानय क दो मखय रप होत ह

bull सही गलत का बताएय-

6) असामानय वयवकतयो म मनोरजन का अभाय पाया जाता ह 7) सामानय वयवकत म पिथ अनभिो स लाभ उिान की योगयता होती ह 8) सामानय वयवकत का वयवकतति असगवित होता ह 9) सामानय वयवकत म सरकषा की उपयकत भािना पाई जाती ह 10) असामानय वयवकतयो म आतमजञान एि आतम सममान की कमी होती ह

11) असामानय वयवकत को अपनी गलवतयो पर पिाताप होता ह 12) सामानय वयवकत सिय का मलयाकन अपनी शारीररक एि मानवसक योगताओ स अविक करता

13) कोलमन क अनसार अििारिी शताबदी तक का यग रा

उततर 1) जञान 2) समानय स दर हिा हआ 3) विकवत 4) परवतभाशाली

5) वयिहार 6) सही 7) सही 8) गलत 9) सही

10) गलत 11) सही 12) गलत 13) सही

211 सनदभथ गरनर सची bull डॉ0 अरण कमार वसह आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसीदास परकाशन

नई वदलली

bull डॉ0 डी0एन0 शरीिासति असामानय मनोविजञान सावहतय भिन परकाशन आगरा

bull डॉ0 आर0एन0 वसह आिवनक असामानय मनोविजञान परकाशन अगरिाल पवबलकशन आगरा

bull डॉ0 मोहममद सलमान असामानय मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास नई वदलली

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ गोविनद वतिारी असमानय मनोविजञान परकाशन विनोद पसतक मवनदर

आगरा

212 तनबनिातमक परशन bull अवत लघ उततरीय परशन (एक पवकत म उततर दीवजय)

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उततराखड मकत विशवविदयालय 36

1 लविन भाषा म नारमा शबद का कया अरथ ह

2 सामानय वयवकत कौन ह

3 वयिहार क दो मखय रप कौन स ह

4 यवद कोई वयवकत नए वयवकतयो क सामन पहली बार भाषण दत समय डरता ह कॉपता ह तो

िह वयवकत सामानय शरणी म अयगा या असामानय की

5 असामानय मनोविजञान क वकतन रप होत ह

bull लघ उततरीय-

1 असामानय मनोविजञान को पररभावषत कीवजय

2 सामानय वयवकत स आप कया समझत

3 सामानय और असामानय मनोविजञान क पाच मखय अनतरो को बताइयो

bull वदघथ उततरीय परशन-

1 सामानय वयवकत की विशषताओ का िणथन कीवजए

2 सामानय और असामानय वयवकत म आप वकस तरह अनतर करग

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उततराखड मकत विशवविदयालय 37

इकाई-3 मन का परतयय मन का आकरातमक और गतयातमक पकष

31 परसतािना

32 उददशय

33 मन कया ह

34 मन की अिसराए

35 मन क आकारातमक पकष

36 चतन अचतन औ अदवथचतन मन का तलनातमक अधययन

37 अचतन मन का महति

38 मन क गतयातमक पकष

39 उपाह पराह और नवतक मन क बीच समबनि

310 साराश

311 शबदािली

312 सिमलयाकन हत परशन

313 सनदभथ गरनर सची

314 वनबनिातमक परशन

31 परसिािना मन शबद का परयोग कई अरो म वकया जाता ह जस- मानस वचतत मनोभाि मन इतयावद

लवकन मनोविजञान म मन का तातपयथ आतमन सि या वयवकतति स ह हय एक अमतथ समपरतयय ह

वजस किल महसस वकया जा सकता ह इस न तो दख सकत ह और न ही हम इसका सपशथ कर

सकत ह या इस हम इस तरह स पररभावषत कर सकत ह वक मवसतषक क विवभनन अगो की परविया

का नाम मन ह

परवसि मनोविशलषण िादी मनोिजञावनक वसगमणड फरायड क अनसार मन का वसिानत एक

परकार का पररकलपानातमक वसिानत ह इनक अनसार मन स तातपयथ वयवकतति क उन कारको स

होता ह वजस हम अनतरातमा कहत ह तरा जो हमार वयवकतति म सगिन पदा कर क हमार वयिहारो

को िातािरण क सार समायोजन करन म मदद करता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 38

वयवकत क वयिहार को समझन क वलए आिशयक ह वक उसक वयवकतति क विकास एि

सगिन का अधययन करन क वलए यह आिशयक ह वक वयवकत क मन या मानवसक पहल का

अधययन वकया जाए मन या मानवसक पहल स तातपयथ वयवकतति क उन कारको स होता ह वजस हम

अनतरातमा कहत ह तरा जो हमार वयवकतति म सगिन पदा करक हमार वयिहारो को िातािरण क

सार समायोजन करन म मदद करता ह

32 उददशय इस इकाई को पड़न क बाद आप-

bull मन का शबद का अरथ एि उसकी पररभाषाओ क बार म जान सक ग

bull मन की अिसराओ क बार म जान सक ग

bull मन क आकारातमक पकष-चतन अदवाथचतन ि अचत क बार म जान सक ग

bull मन क गतयातमक पकष-उपाह पराह नवतक मन क बार म जान सक ग

bull उपाह पराह ि नवतक मन क कायो क विषय म जान सक ग

bull उपाह पराह ि नवतक मन क समबनि क बार म जान सक ग|

33 मन कया ह रबर क अनसार lsquolsquoमन का तातपयथ पररकवलपत मानवसक परवियाओ एि वियाओ की

समपणथता स ह जो मनोिजञावनक परदतत वयाखयातमक सािनो क रप म काम कर सकती हrsquorsquo

अतः मन की मातर हम कलपना कर सकत ह इसको न तो वकसी न दखा ह और नही

इसका सपशथ वकया जा सकता ह

34 मन की अिसराए मन की अिसराओ स तातपयथ इसक विवभनन पहलओ स ह परवसि मनोविशलषण िादी

वसगमणड फरायड न मन आतमन तरा वयवकत क अनक पदवा बताऐ ह लवकन फरायड न मन क दो

पहलओ पर विशष बल वदया ह-

1 मन का आकारामक पहल

2 मन का गतयातमक पहल

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उततराखड मकत विशवविदयालय 39

35 मन क आकारातमक पकष मन क आकारातमक पहल स तातपयथ जहा सघषथमय पररवसरवत की गतयातमकता उतपनन

होती ह अराथत मन का आकारातमक पहल िासति म वयवकतति की गतयातमक शवकतयो क बीच

हान िाल सघषो का एक कायथसरल ह आकारातमक पहल क अनसार मन को वनमन तीन सतरो म

बािा गया ह-

1 चतन

2 अदवथचतन

3 अचतन

1) ििन- चतन का अरथ मन का िह भाग वजसका समबनि ितथमान स होता ह अराथत चतन

वियाओ का समबनि तातकावलक अनभिो स होता ह जस- कोई वयवकत वलख रहा ह तो उस

वलखन की चतना ह कोई वयवकत गा रहा ह तो उस गान की चतना स ह वयवकत वजस शारीररक

और मानवसक वियाओ क परवत जागरक होता ह िह चतन सतर पर घवित होतीह चतन सतर

पर घवित होन िाल सभी परकार की वियाओ और परवतवियाओ की जानकारी या चतना वयवकत

को रहती ह यदयवप चतना होती ह अराथत चतना कभी लपत नही होती ह जब वयवकत वकसी स

बातचीत करता ह तो उस समबवनित जो अनभि एि विचार होत ह िह चतन होता ह अततः

चतन का समबनि िासतविकता स अविक होता ह चतन मन स सबवनित कछ परमख

विशषताए वनमन ह|

i चतन मन का सबस छोिा भाग ह

ii चतन मन का सीिा समबनि िाहय जगत की िासतविकताओ स होता ह

iii चतन मन अदवथचतन ि अचतन पर परवतबनिक का कायथ करता ह

iv चतन मन म ितथमान विचारो एि घिनाओ क जीवित समवत वचनह होत ह अतः इन विचारो एि

घिनाओ की पहचान एि परतयािाहन आसानी स वकया जा सकता ह

v चतन मन वयवकतगत नवतक सामावजक एि सासकवतक आदशो का भणडार होता ह

2) अरदयििन- यह मन का िह भाग ह वजसका समबनि ऐसी विषय-सामगरी स होता ह वजस

वयवकत इचछानसार कभी भी याद कर सकता ह मन क इस भाग म िह विषय सामगरी होती ह

वजसका परतयािाहन करत म वयवकत को रोड़ापरयास पड़ता ह अदवथचतन की अिचतन ि सलभ

समवत क नाम स भी जाना जाता ह अदवथचतन की मानवसक अनभवतयो या घिनाओ सतो वयवकत

अिगत नही रहता ह परनत रोड़ासा परयास करन पर उसका परतयािाहन कर लता ह और

वयवकत उस सचना या घिना स अिगत हो जाता ह जस कभी-कभी हम वकसी घिना स

समबवनि तयो को यवद याद करना चाहत ह तो िह ततकाल याद नही आता ह परनत बाद मम

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उततराखड मकत विशवविदयालय 40

रोड़ासा परयास करन िह घिना हम याद आ जाती ह वकसी वकताब की जररत होन पर जब

हम उस अपनी अलमारी म नही परत ह तो हम रोडी ा दर क वलए परशान हो उित ह और कछ

दर सोचन लगत ह वक कहा रखी री वकसी को दी तो नही री विर कछ दर सोचन पर याद

आता ह वक िह वकताब हमन अपन एक वमतर को दी री हमन वकताब वकसको दी री यह बात

हम भल नही र बवलक िह चतन स हिकर अदवथचतन म चला गया रा अदवथचतन की कछ

परमख विशषताए वनमन ह-

i अदवथचतन चतन और अचतन क बीच का भाग ह यह चतन स बड़ा और अचतन स छोिा

होना ह

ii अदवथचतन अचतन तरा चतन क बीच सत का काम करता ह अचतन स चतन म जान िाल

िाला भाि इचछा एि विचार आवद अदवथचतन स होकर गजरता ह

iii अदवथचतन तरा चतन क बीच की कडी ा कमजोर होती ह यही कारण ह वक रोड़ स ही परयास स

अदवथचतन क भाि एि विचार उस कडी ा को पर करक चतन म आ जात ह

3) अििन- यह मन का सबस गहरा एि बड़ा भाग ह अचतन का शावबदक अरथ ह जो चतन या

चतना स पर हो हमार कछ अनभि इस तरह क होत ह जो न तो हमारी चतना म होत ह ओर

नही अदवथचतना म ऐस अनभि अचतन म होत ह अराथत यह मन का िो भाग ह वजसका

समबनि ऐसी विषय-िसत स होता ह वजस वयवकत इचछानसार याद करक चतना म लाना चाह

तो भी नही ला सकता ह

अचतन म रहन िाल विचार एि इचछाओ का सिरप कामक असामावजक अनवतक तरा

घवणत होता ह ऐसी इचछाओ को वदन परवतवदन क जीिन म परा कर पाना समभि नही ह अतः उन

इचछाओ को चतना स हिाकर अचतन म दबा वदया जाता ह और िहा पर ऐसी इचछाओ को चतना

स हिाकर अचतन म दबा वदया जाता ह और िहा पर ऐसी इचछाए समापत नही होती ह बवलक

समय-समय पर य इचछाऐ चतन सतर पर आन का परयास करती रहती ह|

फरायड न इस वसिानत की तलना एक आइसिगथ स ही ह वजसका 910 भाग पानी क

अनदर और 110 भाग पानी क बाहर िाला भाग चतन होता ह पानी क अनदर िाला भाग अचतन

तरा पानी क बाहर िाला भाग चतन होता ह तरा जो भाग पानी की ऊपरी सतह स सपशथ करता

हआ होता ह िह अदवथचतन कहलाता ह

अचतन मन की विशषताए वनमन ह-

1 अचतन मन चतन ि अदवथचतन मन स बड़ा होता ह

2 अचतन मन म कामक अनवतकक असामावजक इचछाओ की परिानता होती ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 41

3 अचतन का समबनि गतयातमक होता ह अराथत अचतन मन म जान पर इचछाए समापत नही

होती ह बवलक सिीय होकर य चतन म लौि आना चाहती ह परनत चतन मन तरा अह की

परवतबवनिता क कारण िसी इचछाए चतन म नही आ पाती ह और य रप बदलकर सिपन ि

दवनक जीिन की छोिी-मोिी गलवतयो क रप म वयकत होती ह और य अचतन क रप को

गातयातमक बना दती ह

4 अचतन क बार म वयवकत परी तरह स अनावभजञय रहता ह कयोवक अचतन का समबनि

िासतविकता स नही होता ह

5 यह मन का वछपा हआ भाग होता ह यह एक वबजली क परिाह की भावत होता ह वजस सीि

दखा नही जा सकता ह परनत इसक परभािो क आिार पर इसको समझा जा सकता ह

6 अचतन म वबना वकसी इनद क ही परसपर वकरोिी इचछाए और भािनाए सवचत रहती ह

उदाहरणारथ-अचतन मन म वनराशा एि सिलता परम एि घणा का भाि सख एि दःख का

भाि आवद सवचत रहत ह और इनस वयवकत को वकसी परकार का मानवसक सघषथ भी पदा नही

होता ह कयोवक वयवकत इन सबस अिगत नही रहता ह|

7 अचतन की इचछाए वयवकत क वनयतरण स बाहर होती ह कयोवक अचतन क बार म वयवकत पणथतः अनावभजञय रहता ह

अचतन क अवसतति क परमाण-

अचतन वयवकत क मन का एक ऐसा अवयकत पहल ह वजस वयवकत न तो िाहय वनरीकषण दवारा

सीि अधययन कर सकता ह और न ही अनतवनरीकषण दवारा ही इसक अवसतति को परमावणत कर

सकता ह उदाहरणारथ- यह वबजली क परिाह क भावत होता ह वजस तरह स हम वबजली क परिाह

दख नही सकत ह लवकन उसक पड़न िाल परभािो क रप को जान सकत ह िीक उसी तरह स

अचतन मन को सीि नही जाना ना सकता ह बवलक इसक अवसतति को परोकष रप स ही कछ

सबतो क आिार पर परमावणत वकया जा सकता ह अचतन मन क अवसतति को वनमन सबतो क

आिार पर परमावणत वकया जा सकता ह

1 सिपन- अचतन मन क अवसतति का सबस बड़ा सबत सिपन ह नीद की वसरवत म चतन मन

परवतबनि कछ ढीला पड़ जाता ह और अचतन की अनभवतया एि अतपत इचछाए छदम रप

िारण कर चतन अिसरा म परिश करती ह वजस कारण वयवकत सपपन दखता ह और अचतन

की अतपत इचछाओ की सतवषट भी करता ह सिपन क रप कछ भी हो सकता ह और सिपन म

वयवकत अपनी सखद इचछाओ की सतवषट भी करता ह सिपन क रप कछ भी हो सकता ह और

सिपन म वयवकत अपनी सखद इचछाओ की सतवषट भी करत दखता ह या अपन आपको दणड

दत हए जस ऊपर स वगरत हए दखना नदी म डबना ि आग म जलत हए दखता ह इन दोनो

की तरह क सिपनो म अचतन इचछाओ एि अनभवतयो की सतवषट होती ह अतः अचतन मन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 42

की इचछाओ क कारण ही हम सिपन दखत ह और सिपन को अचतन क अवसतति का एक

पयाथपत सबत माना गया ह

2 दवनक िीिन की िल- परायः हम सभी अपन दवनक जीिन म बहत सारी छोिी-छोिी भल

करत ह जस बोलन की भल वलखन की भल िसतओ को रखकर भल जान की भल या

पहचानन की भल आवद यवद विजञान का कारण परभाि वनयम सतय ह तो इन भलो का कोई न

कोई कारण अिशय होना चावहए चतन सतर पर तो हम इस समसया का समािान नही कर सकत

ह वक हम भलत कयो ह लवकन जब हम अचतन क अवसतति को मान लत ह तो इसी

वयाखया करना समभि हो जाता ह फरायड क अनसार ऐसी सभी सामानय भल अपन आप

सयोग िश नही हो जाती ह बवलक उसका एक वनवित कारण होता ह जो अचतन म दवमत

रहता ह अकसर वयवकत अपनी रोजमराथ की वजनदगी म बोलना कछ चाहता और बोल कछ

जाता ह वयवकत वकसी क घर जाता ह तो िहा चाभी या रमाल छोड़कर चला आता ह वकसी

समान को ऐसी जगह रख दता ह वक उस ढढना कािी कविन हो जाता ह और य सारी गवलतया

इसवलए होती ह कयोवक अचतन की इचछाओ स इनका समबनि होता ह जस एक सजजन

वजनह अपन शबद भणडार एि जञान पर बहत गिथ रा एक बार उनह अपन शबद भणडार एि जञान

पर बहत गिथ रा एक बार उनह अपन वमतर क लख पर बिाई दनी री उनह कहना रा वक इस

महान लख पर म अपना सािारण विचार परकि कर रहा ह पर उनहोन कहा वक इस वनमन कोवि

क लख पर म अपना महान विचार परकि कर रहा ह इस उदाहरण का विशलषण करन पर पता

चला वक वयवकत क मन म उस लख क परवत महानता का नही बवलक वनमनता का विचार रा

इसी तरह एक दसर उदाहरण एक बार मवहला अपनी बिी की कछ मानवसक समसयाओ

का इलाज करान एक मनोवचवकतसक क पास गई मनोवचवकतसक दवारा बिी का नाम पछ जान पर

मवहला उसका नाम बतान म असमरथ रही कयोवक िह उसका नाम भल गई री बातचीन क दौरान

पता चला वक मवहला दवारा बिी क जनम दन पर उस भयानक तकलीि उिानी पडी ा री अतः सपषट

ह वक अचतन म दबी हई अवपरय एि दख अनभिो दवारा उतपनन मानवसक सघषो स मवकत पान हत

अचतन रप स मवहला अपनी बिी का नाम भल गई री

वयवकत अपन दवनक जीिन म कछ ऐसी साकवतक वियाए जस बि-बि पर वहलाना कलम

या पवनसल क ऊपरी भाग दो दात स चबाना चाभी क गचछ को नचाना भाषण दत समय वकसी

खास शबद को बार-बार दोहराना आवद इन वियाओ क पीछ वनवित रप स अचतन की दवमत

इचछाओ का सकत वमलता ह फरायड न एक बार यह दखा वक एक वििावहत मवहला अपनी अगली

स बार-बार अगिी को वनकालती री विर अनदर कर लती री फरायड दवारा पछन पर वक िह ऐसा

बार-बार कयो कर रही ह तो उसन कहा ऐस ही परनत विशलषण करन पर पता चला वक मवहला अपन

पवत को कछ कारणो स तलाक दना चाहती री परनत सामावजक एि नवतक कारणो स िह ऐसा

करता उवचत नही समझती री अगली स अगिी को वनकालन की विया दवारा पवत को पररतयाग

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 43

करन तरा पनः उस अगिी को अगली म डाल लना नवतक एि सामावजक बिनो क कारण पवत जो

नही छोड़न क विचारो का सकत वमलता ह

परायः हमार दवनक जीिन म गवलतयो या भल जो सपषटतः बतकी या वनररथक दीख पड़ती ह

िासति म िो वनररथक नही होती ह इन भलो एि गवलतयो दवारा अचतन मन की अनपत इचछाओ एि

विचारो की अवभवयवकत होती ह अतः मनोिजञावनक दवषटकोण स दवनक जीिन की ऐसी भल

महतिपणथ एि सारथक होती ह

3 सममोहन- सममोहन की अिसरा एक तरह की मोहािसरा ह वजसम वयवकत की चतना शनय जो

जाती ह और वयवकत सममोहन की अिसरा म आजञानसार कायथ करन क वलय परररत रहता ह

वहसिीररया क अनक रोवगयो पर सममोहन विवि का परयोग करन पर पाया गया ह वक इस

अिसरा म रोगी कछ ऐसी अनभवतयो एि तयो को बतलाता ह वजस िह सममोहन अिसरा क

पहल न तो वकया रा और न रोगी न उसक बार म कभी सोचा रा सपषट ह वक इसकी ऐसी

अनभवतयो एि तयो का सरोत अचतन मन म ही होता ह यवद सममोहन की अिसरा म रोगी

को भविषय म कछ करन का सझाि वदया जाता ह तो िह उस आसानी स करता भी ह और

कारण पछन पर िह उसका कोई उततर नही द पाता ह लवकन िह उस कायथ को करता ह

उदाहरण क वलए यवद रोगी को सममोहन की अिसरा म यह सझाि वदया जाता ह वक िह

मगलिार को सबह 11 बज अपनी बहन स वमलन जायगा तो िीक उसी वदन उसी समय पर

अपनी मौसी स वमलन जाता ह यवद रोगी स इसका कारण पछा जाय तो िह यही कहता ह वक

बस य ही चला गया रा अतः इस बता स यह सपषट ह वक िह अपना कायथ अचतन क

वनदशानसार कर रहा ह

4 नीद म टहलिा- इसम वयवकत कछ वियाए सोई हई अिसरा म भी सामानय ढग स करता ह

और विर पनः जाकर सो जाता ह और नीद स जागन पर उस इस बात का वबलकल भी अभास

रहता ह वक उसन सचमच म ऐसी वियाओ को वकया रा वयवकत नीद की अिसरा म उिकर

नदी सनान करन चला जाता ह हारमोवनयम बजान लगता ह और कछ दर बाद आकर करक

पनः सो जाता ह और विर सबह नीद ििन पर उस अपन दवारा वकय गय कायो पर वबलकल भी

आभास नही रहता ह िासति म इन वियाओ का वनयतरण एि सचालन वनवित रप स अचतन

मन दवारा ही होता ह

5 मानवसक रोग- परायः मानवसक रोग अचतन की जविल एि परबल इचछाओ का अचतन म

परिश करन उतपनन होता ह मानवसक रोग परायः दो परकार क होत ह पहला सनायविकवत और

दसरा सनायविकवत सनाय विकवत जस-वचनता सनायविकवत बाधयता उनमाद मनोिजञावनक भय

आवद सनायविकवत जस मनोविदलता वयामोर आवद वयवकत म य मानवसक रोग कयो

विकवसत हो जात ह इनक कया कारण ह इन समसयाओ क समािान चतन मन क आिान पर

समभि नही ह लवकन अचतन क अवसतति को मान लन पर इन परशनो का समािान समभि हो

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उततराखड मकत विशवविदयालय 44

जाता ह फरायड क अनसार अचनत इचछाए जब अविक कामक तरा अनवतक होती ह तो

उनकी अवभवयवकत एि सनतवषट मानवसक रोगो क मािम स होती ह इस तरह मानवसक रोग का

होना अपन आप म अचतन म अवसतति को परमावणत करता ह यवद अचतन की अतपत एि

अनवतक इचछाओ दवारा चतन गरवसत न हो तो वयवकत म वकसी परकार का मानवसक रोग उतपनन

नही होगा

6 घबराहट की अिसथा- यह एक ऐसी सािवगक अिसरा होती ह वजसम वयवकत का चतन मन

एक असतवलत अिसरा म होता ह और वयवकत यह नही समझ पाता ह वक िह कया कर और

कया न कर ऐसी वसरवत म चतन मन का अचतन मन पर रहन िाला परवतबनि कछ वढ़ला पड़

जाता ह और वयवकत कछ ऐसी विवचतर बातो को बतलाता ह वजसम अनय वयवकत तरा सिम िह

अपन आप भी आियथ म पड़ जाता ह वक ऐसी विवचतर ऐसी बात उसक अचतन मन म होती ह

जो मन म घबराहि स उतपनन असतवलत अिसरा क कारण परवतबनि म ढीलापन होन स परिश

कर जाती ह

7 एनसथवसिा का परिाि- परायः दखा गया ह वक जब वयवकत को एनसरवसया वदया जाता ह तो

िह चतना विहीन हो जाता ह और इस चतना-विहीन अिसरा म भी िह कछ न कछ बड़बड़ाता

रहता ह एनसरवसया दन स वयवकत का चतन मन तो शनय हो जाता ह अतः बड़बड़ान जसी

वियाओ का सचालन एि वनयतरण अचतन मन क दवारा ही होता ह

8 सििातर साहििय- सिततर साहचयथ ऐसी विवि ह वजसका परयोग मानवसक रोवगयो की अचतन

इचछाओ क बार म पता लगान क वलए वकया जाता ह इस विवि म रोगी सिततरता पिथक अपन

मन म आन िाल सभी तरह क भािो विचारो सघषो घिनाओ आवद को वयकत करता ह इस

विवि म रोगी अपन मन की कछ विसतत अनभवतयो एि भािो को भी बताता ह और वजसका

समबनि चतन मन स न होकर अचतन मन स होता ह अतः सिततर साहचयथ विवि दवारा वयकत

कछ अनभवतया एि भािो स भी वयवकत क अचतन मन क अवसतति क सपषट सबत दखन को

वमलत ह

9 ठीक समि पर अिानक नीद पर टट िाना- परायः जब हम यह सोचकर सोत ह वक हम

परातः वनवित समय पर पढ़ना ह या कही जाना ह तो हम ऐसा करन म सिल भी हो जात ह

उदाहरण क वलए जब हम रात म यह वनिय करक सोत ह वक हम परातः 300 बज उिकर पढ़ना

ह तो िीक उसी समय हमारी नीद िि जाती ह या हम जग जात ह और पिथ वनवित समय पर

बिकर पढ़न लगत ह अराथत नीद की अिसरा म हमारा अचतन मन सिीय रहता ह जो हम

पिथ वनिाथररत समय पर नीद स उिा दता ह

10 वकसी समसिा एिा सििः समाधान होना- अकसर होता ह वक जब हम वकसी समसया का

समािान करत ह तो हम अपनी परी कोवशश क बाद भी उसका समािान नही ढढ़ पात ह हार

कर हम उस समसया क समबनि म सोचना छोड़ दत ह और कछ समय बाद उस समसया का

अचानक हम समािान वमल जाता ह ऐसा परायः इसवलए होता ह कयोवक चतन रशय स तो

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वयवकत समसया का समािान करना छोड़ दता ह लवकन अचतन रप स िह उस समसया का

समािान सोचता रहता ह और इसी अचतन क परयास का समािान सोचता रहता ह और इसी

अचतन क परयास क कारण ही हम उस समसया का समािान वमल पाना ह

11 नशा- नश की हालत म होन िाल वयिहारो स भी अचतन क अवसतति का पता चलता ह

परायः नश की वसरवत म वयवकत गनद ि अनवतक विचारो एि वयिहारो को वयकत करता ह

जबवक सामानय वसरवत म िह ऐसा नही करता ह कयोवक नश की हालत म वयवकत का अचतन

मन सिीय हो उिता ह और चतन मन वनषिीय हो उिता ह

36 चिन अचिन और अदथिचिन मन का िलनातमक अधययन

तीन भाग चतन अचतन ि अदवथचतन मन क आकारातमक पहल ह इनका तलनातमक

अधययन हम वनमन तयो क आिार पर कर सकत ह-

1 चतन मन का िह भाग ह वजसका समबनि तरनत जञान स लता ह इस मन की समसत

अनभवतया ह मवसतषक म ताजी रहती ह और अदवथचतन म वयवकत अनभवतयो स ितथमान समय

म अिगत नही रहता ह बवलक रोड़ा परयास करन पर उसस आसानी स अिगत हो जाता ह

और अचतन मन का िह भाग ह वजसस वयवकत पणथतः अनवभजञय रहता ह उस चाहकर भी

वयवकत याद करन म असिल रहता ह

2 चतन मन का आकार सबस छोिा होता ह अदवथचतन का उसस बड़ा और अचतन का आकार

सबस बड़ा होता ह

3 चतन मन म किल ितथमान अनभवतयो की समवतया रहती ह जबवक अचतन मन म बीती हई

अनभवतया रहती ह वजनाक ततकावलक अनभिो स कोई समबनि नही होता ह जबवक

अदवथचतन म विगत अनभवतया तो होती ह परनत उनका तातकावलकक अनभिो स समबनि जडा ा

होता ह और आिशयकता पड़न पर हम उनका परतयािाहन कर सकत ह

4 चतन मन का सिरप नवतक एि सामावजक होता ह जबवक अचतन मन की इचछाओ का

सिसय अनवतक असामावजक तरा आवरथक होता ह और अदवथ-चतन की इचछाए भी नवतक

एि सामावजक ही होती ह लवकन इसका वयवकत क वयिहार पर कोई खास परभाि नही पड़ता ह

5 मन क चतन भाग समबनि पराह (Superego) तरा अह (Id) स अविक होता ह परनत

अचतन का समबनि उपाह (Ego) स अविक होता ह और अदवथचतन भाग पर अह की परिवततयो

का रोड़ावनयतरण पाया जाता ह

6 चतन मन की विषय एि वयकत होता ह इसी कारण चतन मन क विषय क वकसी भी भाग का

हम अपनी इचछानसार परतयािाहन कर लत ह अचतन क विषय पणथतया दवमत होत ह िलतः

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उनाक परतयािाहन बहत कोवशश करन क बािजद भी हम नही कर पात ह जबवक अदवथचतन का

विषय आवशक रप स दवमत होता ह और आिशयकता पड़न पर वयवकत रोड़ स परयास दवारा

उनका परतयािाहन कर लता ह

37 अचिन मन का महति मनषय का सिभाि बहत जविल होता ह और उस जविल सिभाि की अवभवयवकत वयिहार

क रप म होती ह अतः वयिहारो का जविल होना सिाभाविक वयिहारो क समवचत विशलषण तरा

वयाखया क आिान पर मानि क जविल सिसय को समझन म अचतन मन का विशष महति ह-

1 अचतन मन का महति मानवसक रोगो को समझन एि उस लकषणो क कारण को समझन म बहत अविक ह अविकाश मनोिजञावनक इस बात स सहमत ह वक मानवसक रोगो क कारण वयवकत

की अतपत इचछाए एि मानवसक सघषथ आवद होत रहत ह जो अचतन म दब रहत ह अचतन क

दवारा इन रोगो क कारणो लकषणो दवारा को समझन म बहत सहायता वमलती ह

2 हमार जीिन म हर रोज की घिनाओ जस- सिपन वदिासिपन दवनक जीिन की भल मानवसक

सघषो आवद को समझन म अचतन मन का योगदान बहत महतिपणथ ह

3 अचतन मन का महति मानवसक रोगो क उचार बहत अविक होता ह मनोवचवकतसा की विवभनन विवियो जस सममोहन मनोविशलषण क दवारा अचतन मन की अतपत इचछाओ एि

सघषो का पता लगाया जाता ह और विर रोग क अनकल उसकी वचवकतसा की जाती ह

4 सिपनो की वयाखया करन म भी अचतन मन का महति बहत अविक ह कयोवक सिपन अकारण नही होत ह बवलक अचतन म दबी इचछाओ क कारण वदखाई दत ह

38 मन का गतयातमक पकष मन क गतयातमक पहल का समबनि अरथ- अराथत वजसक दवारा मल परिवततयो म उतपनन होन

िाल सघषो का समािान वकया जाता ह

मल परिवततयो स तातपयथ- ऐस जनमजात एि शारीररक उततजना स होता ह वजसक दवारा

वयवकत क सभी तरह क वयिहार वनिाथररत वकय जात ह मल परिवततयो को दो भागो म बािा गया ह-

1 जीिन मल परिवतत

2 मतय मल परिवतत

जीिन मल परिवतत म वयवकत सभी तरह क रचनातमक कायाा को करता ह और मतय मल

परिवतत म वयवकत सभी तरह क धिसातमक एि आिमणकारी वयिहार करता ह जबवक सामानय

वयवकतति म इन दोनो तरह की परिवततयो म एक तरह का सतलन बना रहता ह और जब जीिन मल

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उततराखड मकत विशवविदयालय 47

परिवतत और मतय परिवतत म सघषथ होता ह तो वयवकत उसका समािान करन की कोवशश करता ह

और इसका समािान मलतः तीन परकार की परिवततयो का िणथन कर वलया ह-

1 उपाह (Id) 2 पराह (Ego) 3 नवतक मन (Super ego)

1) उपाह- जनम क समय की शरीर की सरचना म जो कछ भी वनवहत होताह िह पणथतः उपाह (इड)

होता ह अराथत जनम क समय वशश का मन पणथ रप स उपाह होता ह यह जनमजात और

िशानगत होता ह एक निजात वशश म उपाह की परिवततया की भरमार हाती ह और य परिवततयो

आननद वसिानत दवारा वनिाथररत होती ह कयोवक एसी परिवतयो का मखय उददशय आननद दन िाल

पररणाओ की सतवषट करना ह उपाह को कया उवचतह कया अनवचत कया सही कया गलत वििक

- अवििक समय सरान आवद स काई मतलब नही होता ह

इस िासतविकता स कोई मतलब नही होता ह कयोवक िह अिचतन म होता ह उपाह की

कछ परमख विशषताए वनमन ह-

1 उपाह म जीिन मल परिवतत और मतय मल परिवत दोनो (अराथत रचनातमक और विधिनसातमक)

ही कायो स उस सख या आननद की परावपत होती ह जस वखलौन स मन भर जान क बाद िह उस

पिक-पिक कर तोड़ डालता ह इस दोनो ही तरह क कायो म बचच को आननद वमलता ह

2 उपाह का समबनि जीिन की िासतविकता स नही होती ह अराथत उपाह नवतक एि सामावजक परवतबनिो का वबना खयाल वकय ही अपनी सभी इचछाओ को परा करन क वलए परयतनशील

रहता ह जस यवद कोई बचचा मोर दखन का वनिय कर लता ह तो िह हर हाल म मोर दखन क

वलए लालावयत रहता ह

3 उपाह परी तरह अचतन होता ह इसवलए यह नवतकता स पर असामावजक एि िासतविकता स दर होता ह

4 उपाह आननद वसिानत पर आिाररत होता ह उपाह आननद वसिानत दवारा वनदवशत एि

वनयवतरत होता ह इसका मखय उददशय किल सख या आननद को परापत करना ह जस जब कोई

बचचा मोद दखना चाहता ह तो िह कािी दर पदल चलकर भी उस दखन जान म भी िह नही

वहचवकचाता ह

उपाह म सही गलत का जञान नही होता सतपक को कया करना चावहए कया नही करना चावहए

इसका उस वबलकल जञान नही होता ह यही कारण ह वक एक छोिा बचचा वकसी भी चीज को

पकड़न स नही वहचवकचाता ह

5 अह तरा नवतक मन को बाहय िातािरण की िासतविकता स कोई समबनि नही होता ह जबवक अह का िाहय िातािरण की िासतविकता स सीिा समबनि होता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 48

6 अह वयवकतति का कनरक होता ह यह उपाह और नवतक मन क सार िातािरण की

िासतविकताओ क मधय सामानजसय बनाकर वकया या वयिहार करता ह

उपाह अह और नवतकमन म कछ समानताए होत हए भी य तीनो एक दसर स अलग ह

उपाह क कायथ- उपाह का मखय कायथ इचछाओ की सतवषट स ह यह वकसी भी परकार क तनाि स

तरनत छिकारा पाना चाहता ह उपाह वयवकतति म उतपनन तनाि एि सघषो को दर करन क वलए दो

तरह की परवियाओ को अपनाता ह-

i सहज परविया ii परारवमक विया

सहज वियाए जनमजात एि सिचावलत होती ह जस छीकना पलक झपकाना आवद

वयवकत सहज वियाओ क परा होन क बाद सतोष का अनभि करता ह परारवमक परविया म वयवकत

िस उददीपको वजनस पहल इचछा की सतवशि होती री क बार म मातर एक कलपना कर अपन सघषथ

या तनाि को दर करता ह जस एक बचचा वजस वखलौन को िह पहल खलता रा नही दन पर िह

उस वखलौन की मातर कलपना करक ही अपनी इचछा की पवतथ कर लता ह और मानवसक तनाि को

दर करता ह

2) अह (Ego) पराह- अह मन क गतयातमक पहल का दसरा मखय भाग ह अह का अरथ आतमा

या चतन बवि स होता ह जनम क कछ समय बाद तक बचचा परी तरह उपाह की परिवततयो दवारा

वनयवतरक होता ह लवकन सामावजक वनयमो एि नवतक मलयो क कारण उसकी एसी परिवततयो या

इचछाओ की पवतथ नही होती वजसक िलसिरप बचच म वनराशा का अनभि होता ह और

उनका समबनि िासतविकता स हो जाता ह इस परविया क दौरान उसम अह का विकास होता

ह अह का मन का िह भाग ह वजसका समबनि िासतविकता स होता ह तरा यह बचपन म

उपाह की परिवततयो स ही जनम लता ह यह मन का िह भार ह वजसका समबनि िासतविकता स

होता ह यह उपाह की इचछाओ और भौवतक जगत की िासतविकताओ क मधय

समायोजनकताथ का कायथ करता ह

बालक की आय जस -जस बदलन लगती ह िस-िस उसम मरा और मझ जस शबदो स

अरथ सपषट होन लगत ह िीर-िीर बचचा यह समझन लगता ह वक कौन सी चीज उसकी ह और कौन

सी चीज दसरो की ह अह उपाह का एक विवशषट अग ह जो िाहय िातािरण क कारण विकवसत

होता ह

अतः िाहय िातािारण स इकटठा वकया गया जञान ही अह की विषय-सामगरी ह अह की कछ

परमख विशषताए वनमन ह-

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उततराखड मकत विशवविदयालय 49

1 अह रोड़ाचतन रोड़ाअिथचतन और रोड़ाअचतन होता ह अतः अह क दवारा तीनो ही सतरो

पर वनणथय वलय जात ह

2 अह िासतविकता वसिानत दवारा वनदवशत एि वनयवतरत होता ह 3 अह वयवकतति की कायथकाररणी शाखा क रप म कायथ करता ह अतः इसक दवारा सभी महतिपणथ

वनणथय वलय जात ह

4 अह एक समायोजक क रप म कायथ करता ह यह उपाह एि नवतक मन की अिासतविक परिवततयो स पणथतः अिगत रहता ह तरा उसक पररणाम को गमभीरतापिथक सोचता ह और

दसरी ओर उन परिवततयो एि इचछाओ की सामावजक िासतविकता को धयान म रखकर मौका

वमलन पर उसको परा करन की अनमवत भी दता ह

5 अह का समबनि नवतकता स हनी होता ह कया उवचत ह कया अनवचत ह अह का समबनि इसस नही होता ह बवलक अिसर वमलन पर यह अनवचत कायो को भी करन की अनमवत द दता ह

यही कारण ह वक अिसर दखकर वििारी परीकषा म नकल कर लत ह

अह क कायथ- अह का मखय कायथ िाहय िातािरण क िासतविकता क वनयम क आिार पर करता ह

यह तरनत इचछाओ की सतवषट का विरोिी नही ह बवलक उपयथकत पररवसरवत क आत ही यह

तातकावलत तवपत म सहायता करता ह यह वयवकतति का बौविक पकष ह अतः यह तातकावलक सतवषट

क वलय उपयकत पररवसरवत को खोजन का कायथ करता ह

3) नवतकमन (सपर इगो)- वयवकतत का यह भाग सबस बाद म विकवसत होता ह यह वयवकतति का नवतक पकष ह जो वयवकत का समाजीकरण करता ह जस-जस बालक बड़ा होता जाता ह िह

अपना तादातकय माता वपता क सार सरावपत करन लगता ह िलसिरप बचचा िह सीख लता

ह वक कया सही ह कया गलत कया उवचत ह कया अनवचत ह कया नवतक ह और कया अनवतक

और िही स नवतक मन की शरआत होती ह यह आदशथिादी वसिानत दवारा वनदवशत एि

वनयवत होता ह बचपन म सामाजीकरण क दौरान बालक अपन मातावपता दवार वदय गय

उपदशो को अपन अह म आतमसात कर लता ह और यही बाद म नवतक मन रहसय ल लता ह

नवतक मन विकवसत होकर एक तरि उपाह की कामक आिामक एि अनवतक परिवततयो पर

रोक लगाता ह तो दसरी ओर अह की िासतविक एि यरारथ लकषयो स हिाकर नवतक लकषयो की

ओर ल जाता ह

एक पणथतः विकवसत नवतक मन वयवकत क कामक एि आिामक परिवततयो पर वनयतरण

दमन क माधयम स करता ह

जबवक िह दमन का परयोग सिय नही करता ह बवलक िह अह को दमन क परयोग का

आदश दकर एसी इचछाओ पर वनयतरण रखता ह यवद वयवकत क अह क इस ओदश का पालन नही

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उततराखड मकत विशवविदयालय 50

करता ह तो वयवकत म दोष भाि उतपनन हो जात ह अह की तरह ही नवतक मन भी चतन अिथचतन ि

अचतन तीनो ही सतरो पर होता ह नवतक मन की कछ परमख विशषताए वनमन ह-

1 नवतक मन आदशो का भणडार होता ह यह नवतकता स यकत होन क कारण उपाह की कामक

इचछाओ पर वनयतरण करता ह वजन वयवकतयो म नवतक मन का विकास अिरा होता ह ि परायः

िवणत कायाा (जस हतया चोरी डकती आवद ) को करत ह और इनह इसका कोई पिाताप भी

नही होता ह

2 नवतक मनचतन अिचतन ि अचतन तीनो ही सतरो पर कायथ करता ह

3 नवतक मन की दो कायथ परणाती होती ह अनतः करण या वििक तरा अह का आदथश जब

बचचो दवारा अनवचत या गलत कायथ वकया जाता ह तब उनह मातावपता दवारा सजा या गलत

कायथ वकया जाता ह तब उनह माता वपता दवारा सजा या दणड वमलता ह वजसक िलसिरप

बचच म अनतःकरण या वििक विकवसत होता ह तरा जब बचचो दवारा उवचत या सही अचछा

कायथ वकया जता ह तो माता वपता दवार उनह शाबाशी या परसकार वदया जाता ह वजसम बचच

म अह आदशथ विकवसत होता ह

4 अपाह का तरह की नवतक मन अिसतविक होता ह कयोवक यह अपन नवतक ओदशो को अह

दवारा परा करिान म अह क सामन आय िासतविक कविनाई यो का तवनक भी खयाल नही

करता ह

5 नवतक मन वयवकत की अनवतक एि कामक परिवततयो पर दमन दवारा रोक लगाता ह यदयवप दमन का परयोग नवतक मन सिय नही कर सकता ह बवलक इसका परयोग नवतक मन सिय नही कर

सकता ह बवलक इसका परयोग अह दवारा करिाकर एसी परिवततयो एि इचछाओ पद रोक

लगिाता ह यवद अह नवतक मन क दमनकारी आजञा का पालन नही करता ह तो नवतक मन

वयवकत म दोष की भािना ि पिाताप की भािना उतपनन कर दता ह

नवतक मन क कायथ- नवतक मन सामावजकता एि नवतकता का परवतवनविति करता ह नवतक मन का

कायथ पराह और अह स वभनन ह यह अह क उन सभी कायो पर रोक लगता ह जो सामावजक और

नवतक नही ह नवतक मन अह क परवत कायथ और वयिहार जसा होता ह अराथत यह अह को नवतक

और सामावजक लकषयो की आर ल जान का परयास करता ह

39 उपाह पराह और नतिकमन क बीच समबनि उपाह अह एि नवतक मन स वयवकतति की सरचना होती ह और य तीनो ही गवतशील पकष

ह एक सामानय वयवकत म इन तीनो ही अगो म पयाथपत मातरा म सामजसय पाया जाता ह इन तीनो की

इकाइयो म वजतना ही आपस म विरोि या खीचातानी होती ह वयवकत का वयवकतति उतना ही

असामानय हाता ह एक सामानय वयवकत क यह आिशयक ह वक इन तीनो इकाईयो म आपस म

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उततराखड मकत विशवविदयालय 51

सामानजसय बना रह उदाहरण क वलए-कोई वयवकत ह उसकी जब म पसा ह पास लि दसर वयवकत क

मन म यह खयाल आता ह वक नही यह गतल ह यहा पसा चराना उपाह अभी नही जब िह वयवकत

सो जायगा तब पसा चराना अह और पसा न चरान वक य एक बरी बात ह नवतक मन का परतीक ह

जब वयवकत म अह अविक परबल होता ह तब वयवकत म म की अविकता होती ह और वजस वयवकत म

नवतक मन की परबलता होती ह िह आदथशिादी वयवकत होता ह उसम भल बर का विचार अविक

होता ह उपाह अह और नवतक मन म कछ समानताए और कछ वभननताए वनमन ह-

समानिाए-

1 उपाह अह और नवतक मन य तीनो ही मन क गतयातमक पहल क कालपवनक भाग ह

2 वकसी भी मानवसक सघषथ म उपाह अह और नवतक मन तीनो की सवममवलत होत ह अनतर

वसिथ मातरा का होता ह

विविननिाए-

1 उपाह बचचो म जनम स मौजद रहता ह एक िषथ क बाद बचच म अह का विकास होता ह और

बचचा अपन मातावपता क सार तादातमय सरावपत कर लता ह तरा उसक उपदशो का पालन

करन लगता ह तो उसम नवतक मन का विकास होन लगता ह

2 उपाह आननद वसिानत दवारा अह िासतविकता वसिानत दवारा और नवत मन आदथशिादी

वसिानत दवारा वनयवतरत होता ह

3 अह एक समायोजक क रप म कायथ करता ह जबवक उपाह और नवतक मन की परिवततयो परसपर

विरोिी होती ह यह अ को अपनी ओर खीचन का कायथ करती ह

4 उपाह पणथतया अचतन होता ह जबवक अह तरा नवतक मन रोड़ाअचतन अिथचतन ि चतन होत ह

310 साराश मन क आकारातमक और गतयातमक दोनो ही पकषो का हमार वयवतत क विकास एि सगिन

म विशष सरान ह स दोनो ही पकष हमार वयिहार को िातािरण क सार समायोजन करन म मदद

करता ह मन क आकारातमक पहल म अचतन मन का महति कािी अविक ह कयोवक इसस

असामानय मनोविजञान क कषतर म कािी परगवत हई ह मन गतयातमक या सरचनातमक पहल का

समबनि उन सािनो स होता ह वजसक दवार मल परिवततयो ऐ उतपनन सघषो का समािान होता ह

311 शबदािली bull िातकावलक तरनत

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bull परविबनधक रोकन का

bull आइसिगय वहम खणड

bull अनविजञि अनजान

bull िादातमि समबनि

312 सिमलयाकन हि परशन bull सतयअसतय बताइय

1) मन की दो अिसराए होती ह 2) चतन अिथचतन मन क गतयातमक पहल क तीन भाग ह

3) अचतन मन का सबस छोिा भाग होता ह 4) अचतन अिथचतन और चतन क बीच सत का काम करता ह

5) अचतन मन क बार म वयवकत परी तरह स अनवभजञय रहता ह 6) मल परिवततया तीन परकार की होती ह 7) उपाह (Id) जनम जात एि िशानगत होता ह 8) अह (Ego) का समबनि िासतविकता स होता ह 9) अह (Ego) एक समायोजक क रप म कायथ करता ह 10) नवतक मन आदशथिादी वसिानत दवारा वनयवतरत नही होता ह

bull ररकत सरानो की पवतथ कीवजए

11) चतन अिथचतन और अचतन मन क पकष क अनतगथत आत ह

12) उपाह पराह और नवतक मन पकष क अनतगथत आत ह

13) चतन मन अिथचतन ि अचतन पर का कायथ करता ह

14) अिथचतन चतन और अचतन की का भाग ह

15) अचत मन म कामक ईचछाओ की परिानता होती ह

16) जीिन मल परिवतत म वयवकत सभी तरह क कायथ करता ह 17) उपाह (Id) का मखय कायथ इचछाओ की सतवषट स ह

18) उपाह पराह और नवतक मन का समबनि वयवकत क स होता ह

19) उपाह बचचो म स मौजद रहता ह 20) अहम वयवकतति का होता ह

उततर 1) सतय 2) असतय 3) असतय 4) सतय 5) सतय 6) असतय

7) सतय 8) सतय 9) सतय 10) असतय 11) आकारातमक

12) गतयातक 13) परवतबनिक 14) बीच 15) अनवतक असामावजक

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16) रचनातमक 17) शारीररक 18) वयवकतति 19) जनम स 20) कनर

313 सनदभथ गरनर सची bull डॉ0 अरण कमार वसह उचचतर नदावनक मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास

वदलली

bull डॉ0 डी0एन0 शरीिासति असामानय मनोविजञान सावहतय परकाशन आगरा

bull डॉ0 मोहममद सलमान असामानय मनोविजञान मोती लाल बनारसीदास वदलली

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ0 गोविनद वतिारी असामानय मनोविजञान विनोद पसतक मवनदर आगरा

314 तनबनिातमक परशन 1 मन की वकतनी अिसराए होती ह

2 मल परिवततया वकस कहत ह

3 मतय मल परिवतत स आप कया समझत ह

4 मन क गतयातमक पहल का अवनतम भाग कौन सा ह

5 अहम वकस वसिानत दवारा वनयवतरत होता ह

6 उपाह क अनवतक असामावजक और सिगो पर रोक कौन लगता ह

7 जब उपाह अहम और नवतक मन मस स एक इकाई अवि परभािशाली हो जीती ह तो कया

होता ह

8 अचतन मन स आप कया समझत ह अचतन मन क अवसतति क कछ परमाण उदाहरण दवारा

परसतत कीवजए

9 मन क गतयातमक पकष स आप कया समझत ह उपाह पराह और नवतक मन क बीच समबनिो

को सपषट कीवजए

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इकाई-4 मनोविशलषणातमक एि वयिहारातमक उपागम 41 परसतािना

42 उददशय

43 मनोविशलषणातमक उपागम

44 मनोविशलषणातमक का अरथ

45 मनोविशलषण वसिानत की वयाखया

451 वयवकतति की सरचना

452 वयवकतति की गतयातमकता

453 वयवकतति का विकास

46 फरायड क मनोविशलषणातमक वसिानत का मलयाकन

47 वयिहारातमक उपागम का अरथ

48 साराश

49 शबदािली

410 सिमलयाकन हत परशन

411 सनदभथ गरनर सची

412 वनबनिातमक परशन

41 परसिािना असामानय मनोविजञान क इवतहास म असामानयता की मनोविशलषणातमक विचारिारा का

जनम वसगमणड फरायड क परयासो स हआ य पहल ऐस वयवकत र वजनहोन बतलया वक असामानय

वयिहार या मानवसक रोग का आिार मनोिजञावनक होता ह और इसका उपचार भी मनोिजञावनक

विवियो दवारा वकया जा सकता ह असामानयता की इस विचारिारा को मनोविशलवषक विचार िारा

तरा उनक दवारा परसतािना विवियो का मनोविशलषण कहा गया

फरायड की इस विचारिारा का मल तति यह ह वक मानवसक रोग दवहक कारको स नही

बवलक मनोिजञावनक कारको स उतपनन होत ह फरायड की यह विचारिारा कािी जविल ह लवकन

फरायड की इस विचारिारा का विरोि महति क कारण मनोविजञान म एक विशष सरान ह

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असामानय मनोविजञान म असामानय वयिहार की वयाखया एि उपचार क वलए वयिहारिादी

विचारिारा की की उतपवतत मनोविजञान का एक महतिपणथ सकल वजस वयिहारिाद कहा जाता ह

महतिपणथ सकल वजस वयिहारिाद कहा जाता ह स हआ ह यदयवप वयिहारिाद की सरापना

िािसन क दवारा की गई ह लवकन पिलॉि रानथडाइक वसमर आवद मनोिजञावनको की भवमका

अतयनत सराहनीय ह

42 उददशय इस इकाई को पड़ान क बाद आप -

bull परवसि मनोविजञावनक वसगमणड फरायड क बार म बता सकग

bull मनोविशलषणतमक वसिानत क विवभनन पहलओ क बार म बता सकग

bull वयवकतति क विवभनन पकषो क बार म बात सकग

bull वयवकतति क विकास क बार म बात सकग

bull वयिहारातमक उपागम क बार म बता सकग

43 मनोविशलषणातमक उपागम वसगमणड फरायड का जनम 1856 म आवसटरया क मावबथया म हआ रा य जनम स यहदी र

अपनी मतय स चार िषथ पिथ तक य वियना म रह आपकी मतय 1939 म हई फरायड न अपन 40

िषो क नदावनक अनभिो क बाद वयवकतति क इस वसिानत का परवतपादन वकया फरायड न साइको

सकसअल जीनसस दवारा वयवकतति विकास को समझाया इनहोन वयवकतति विकास म वलग को विशष

महति वदया आपन शशािसरा म कामकता को विशष महति वदया वजस कारण लोग इनह गनद

वदमाग िाला भी कहत ह कयोवक फरायड न छोि बचचो म भी यौन सनतवषट वसिानत को सरावपत

करन का परयास वकया उनहोन वलग शबद का अरथ विशष अरो म वलया

कयोवक फरायड न छोि बचचो म भी यौन सनतवषट वसिानत को सरावपत करन का परयास

वकया उनहोन वलग शबद का अरथ विशष अरो म वलया

bull वलग शबद पराणी की विशषताओ क वलए परयकत ह और वजन विशषताओ क आिार पर

परावणयो को नर-मादा सतरी-परष कहत ह

bull वलग शबद का अरथ जञानवनरयो की विया स ह

bull वलग शबद का अरथ आकषथण स ह इसी वलए विपरीत वलग क लोग एक दसर क परवत आकवषथत

होत ह

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44 मनोविशलषण का अरथ इस शबद क तीन अरथ ह -

bull पररम सरान पर य एक परविवि ह वजसक दवारा मानवसक जीिन की चतन और अचतन

गवतशीलता की खोज की जाती ह

bull दसर सरान पर यह एक मनोवचवकतसा ह वजसक माधयम स विवभनन तरह क मानवसक रोवगयो

का उपचार इस तरह वकया जाता ह वक जीिन की समसयाओ क परवत बहतर और सखी

समायोजन कर सक

bull तीसर सरान पर मनोविजञान म मनोविशलषण एक समपरदाय ह वजसक अनतगथत बहत स

मनोिजञावनक कायथ कर रह ह

45 मनोविशलषण ससदिानि की वयाखया यह वसिानत मानि परकवत या सिभाि क बार म कछ पिथ कलपनाओ पर आिाररत ह इन

पिथ कलपनाओ पर आिाररत इस वसिानत को तीन भागो म बॉिा जा सकता ह

1 वयवकतति की सरचना

2 वयवकतति की गवतकी

3 वयवकतति का विकास

451 विविति की सारिना-

फरायड न वयवकतति की सरचाना का िणथन करन क वलए दो परवतरपो का वनमाथण वकया ह

1) आकारातमक परवतरप- आकारातमक परवतरप स तातपयथ ऐस पहल स ह जहा मन म सघषथपणथ

वसरवत की गतयातमकता उतपनन होती ह मन का यह पहल वयवकतति की गतयातमक शवकतयो क

बीच होन िाल सघषो का एक कायथ सरल होता ह फरायड न इस तीन भागो म बॉिा ह -

i चतन

ii अिथ चतन

iii अचतन

चतन मन का िह भाग वजसका समबनि तरनत जञान स होता ह जस- कोई पड़ रहा ह तो

पड़न की चतना होती ह कोई वलख रहा ह तो वलखन की चतना होती ह चतन वयवकतति का लघ एि

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उततराखड मकत विशवविदयालय 57

वसवमत भाग होता ह वकसी भी कषण वयवकत क मन म आ रही अनभवतयो का समबनि उसक चतन स

होता ह

परनत परयास करन पर ि हमार चतन मन म आ जाती ह अलमारी म वकस वकताब को

ढढन पर जब हम उस नही पात ह तो रोड़ी दर क वलए परशान हो जात ह कछ दर सोचन क बाद

अचानक याद आता ह वक िो वकताब हमन अपन एक दोसत को दी री तो यह अिथ चतन मन का

उदाहरण होगा

अिथ चतन मन का िह भाग ह वजसका समबनि ऐसी विषय सामगरी स होता ह वजस वयवकत

इचछानसार कभी भी याद कर सकता ह यह न तो पणथतः चतन होती ह ओर न ही पणथतः अचतन

इसम िसी इचछाए विचार भाि आवद होत ह जो हमार ितथमान चतन या अनभि म नही होत

अचतन मन का िह भाग ह वजसका समबनि ऐसी विषय सामगरी स होता ह वजस वयवकत

इचछानसार याद करक चतना म लाना चाह तो भी नही ला सकता अचतन मन म रहन िाल विचार

एि इचछाओ का सिसरय कामक असामावजक अनवतक एि घवणत होता ह कयोवक ऐसी इचछाए

वदन-परवतवदन जी वजनदगी म परा करना समभि नही हो पाता अतः उनको चतन स हिाकर अचतन

म दवमत कर वदया जाता ह जहा जाकर ऐसी इचछाए समापत नही हो पाती ह बवलक रोड़ी दर क

वलए वनवशकय अिशय हो जाती ह और चतन म आन का परयास करती रहती ह

2) गतयातमक परवतरप- फरायड क अनसार मन क गतयातमक माडल स अरथ उन सिनो स होता ह

वजनक दवारा मल परिवततयो स उतपनन मानवसक सिशो का समािान होता ह ऐस सािन वनमन ह

उपाहम का मखय कायथ शाररररक इचछाओ की सनतवषट स होता ह यह वकसी भी परकार क तनाि

स तातकावलक छिकारा पाना चाहता ह यवद कोई बचचा पहल वकसी वखलौन स खलता रा उस

नही दन पर उस वखलौन मातर की कलपना करक अपनी इचछा पवतथ करता ह ओर मानवसक तनाि दर

करता ह

अहम आिशयकताओ की िासतविक पवतथ स समबवनित ह यह तरनत सनतवषट का विरोि नही ह

बवलक उपयकत पररवसरवत आन पर यह तातकावलक सनतवषट ह अह को वयवकतति का वनणथय लन

िाला माना गया ह कयोवक यह रोडा चतन रोडा अिथचतन और रोडा अचतन होता ह इसवलए अह

दवारा इन तीनो सतर पर वनणथय वलय जात ह नवतक मन सामावजकता एि नवतक नही ह यह अहम क

उन सभी कायो पर रोक लगाता ह जो सामावजक और नवतक नही ह जस-जस बचचा बड़ा होता

जाता ह िह अपना समबनि माता-वपता क सार सरावपत करन लगता ह िलतः िह सीख लता ह

वक कया उवचत ह और कया अनवचत इस वयवकतति की नवतक शाखा माना गया ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 58

452 विविति की गतिातमकिा-

फरायड क अनसार मानि जीिन का अधययन करना एक जविल कायथ ह वजसम शरीररक

ऊजाथ स वयवकत की शरीररक वियाए जस- दोड़ना वलखना सॉस लना आवद मानवसक वियाए जस

वचनतन सीखना आवद फरायड न इन ऊजाथओ स समबवनित ऐस परतययो का विकास वकया वजनस

वयवकतति की गतयातमकता जस मल परतवतत वचनता आवद िणथन होता ह

1) मल परिवततया- मल परिवततयो स तातपयथ जनमजात शारीररक उततजना स ह वजसक दवारा वयवकत क

सभी तरह क वयिहार वनिाथररत होत ह फरायड न मल परिवततयो को दो भागो म बॉिा ह -

जीिन मल परिवतत मतय मल परिवतत

जीिन मल परिवतत का इरोस तरा मतय परिवतत को यनािोस कहा जाता ह जीिन मल परिवतत

दवारा वयवकत सभी तरह क रचनातमक कायथ वजनम मानि िगथ या जावत का परजनन भी शावमल ह मतय

मल परिवतत म वयवकत सभी तरह क धिसातमक कायो तरा आिमणकारी वयिहारो का वनिाथरण होता

ह सामानय वयवकतति म दोनो की तरह क म परिवततयो म सतलन पाया जाता ह

2) वचनता- वचनता एक भािानातमक तरा दखद अिसर होती ह जो अहम क खतर स सतकथ करती ह तावक वयवकत िातािरण क सार अनकली ढग स वयिहार रक सक हम परायः तीन

तरह की वचनता का अधययन करत ह

i) िासतविक वचनता

ii) तवतरकातापी वचनता iii) नवतक वचनता

िहय िातािरण म वयापत िासतविका खतर क परवत की गई सामिवगक अनविया को

िासतविक वचनता कहा जाता ह जस - भकमप तिान आग आवद तवतरका तापी वचनता की उतपवतत

उपाहम की इचछाओ पर अहम की वनभथरता स होती ह नवतक वचनता म जब अहम को नवतक मन स

दणड वदय जान की िमकी वमलती ह तो इसस वयवकत म नवतक वचनता उतपनन होती ह िलसिरप

वयवकत म दोष भाि शमथ की भािना उतपनन हो जाती ह य तीनो तरह क वचनता आपस म एक दसर स

वभनन नही ह कयोवक एक तरह की वचनता दसर परकार की वचनता को जनम दती ह

3) अह रकषातमक परिम- अह रकषातमक परिम अह को वचनताअ स अचा पाता ह रकषातमक

परिमो का परयोग तो सभी वयवकत करत ह परनत इसका परयोग अविक करन पर वयवकत क

वयिहार म बाधयता एि सनाय विकवत कर गण विकवसत हो जाता ह सभी तरह क रकषातमक

परिमो म कम स कम दो गण अिशय पाय जान चावहए

1 सभी रकषातमक परिम अचतन सतर का कायथ करत ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 59

2 ऐस रकषातमक परिम िासतविकता क परतयकष को विकत कर दत ह िलतः वयवकत क वलए वचनता का सतर कम हो जाता ह

परमख रकषातमक परिम वनमन ह

दमन- एक ऐसा रकषातमक परिम ह वजसक दवारा वचनता तनाि मानवसक सघषथ उतपनन करन िाली

असामावजक इचछाओ को चतन स हिाकर वयवकत अचतन म कर दता ह जस- बीमार वपता का

लड़की वकसी डॉकिर स इलाज करिाती ह डॉकिर खबसरत ह िह लड़की डॉकिर स पयार करती

ह उसस शादी करना चाहती ह लवकन अपन बीमार वपता को दखत हए िह कछ समय क वलए

अपनी इचछाओ का दमन कर दती ह

िौविकरण- यौवकतकरण म अयवकतसगत अवभपररको एि इचछाओ स उतपनन तनाि का समािान

उस अवभपररको एि इचछाआ को यवकतसगत बनाकर अराथत तकथ एि वििकपणथ वयाखया कर वकया

जाता ह जस- कोई वयवकत अपनी आवरथक तगी स उतपनन वचनता को दर करन क वलए यवद िह

सोचता ह वक अपन घर सखी रोिी दसर क घर हलि स अविक सिावदषट ह

इस तरह यौवकतकरण म वयवकत अपन अयवकतसगत वयिहारो को एक यवकत सगत एि तकथ

सगत वयिहार क रप म पररणत तक अपन आप एि दसरो को सतषट कर अपना मानवसक सघषथ दर

करन की कोवशश करता ह

परविवकरिा वनमायण- परवतविया वनमाथण म वयवकत अपन अह को वकसी कषट कर या अवपरय इचछा तर

पररण स िीक उस इचछा या पररणा क विपरीत इचछाओ तरा पररणा विकवसत करउस बचाता ह

परवतविया वनमाथण क विकास क दो चरण ह पहल चरण म वयवकत अपन अवपरय एि कषटकर विचारो

और इचछाओ को अपन अचतन म दमन कर दता ह और दसर चरण म िह इन दवमत इचछाओ

एि विचारो को िीक विपरीत इचछा चतन सतर पर वयकत कर अपन तनाि को दर कर सकता ह

जस- कानन का उललघन करन िाला वयवकत ही कानन की बात करता ह

परविगमन- परवतगमन का अरथ ह पीछ की ओर जाना यह एक ऐसा रकषातमक परिम ह वजसम मानि

क समािान क वलए वयवकत म बालयािसरा क वयिहारो की ओर पलिन की परिवतत होती ह इसक

कई उदाहरण हम वदन-परवतवदन क दवनक जीिन म दखन को वमलत ह कभी-कभी तनाि की

अिसरा म बड़ लोग भी बचचो की तरह िि-ििकर रोत दख गय ह

परकषपण- दसर लोगो या िातािरण क परवत अपी मनोिवततयो एि वयिहारो को अचतन रप स

आरोवपत करन की परविया को परकषपण कहा जाता ह जस-जब हम वकसी कायर म असिल हो जात

ह तो असिल होन क कई कारण बनाकर या समझकर वयवकत अपनी वचनता को दर कर लता ह जस

परीकषा म िल हो जान पर छातर इसका दोष सिय पर न लकर कविन परशन पछ जान वशकषको दवारा

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पािो को नही पड़ाया जाना परीकषा क समय माता - वपता दवारा घरल कायथ कराया जाना आवद

कारण बताकर वयवकत अपनी वचनता को दर करता ह

विसथापन- विसरापन म वयवकत अपन सिग या पररणा को वकसी िसत विशष या वयवकत स अचतन

रप स हिाकर दसर वयवकत या िसत स समबवनित कर लता ह अतः वयवकत अपन मानवसक सघषथ या

वचनता को कम करन क वलए सामिवगक परवियाओ को मौवलक या समबवनित िसत स हिाकर

वकसी दसर वयवकत या िसत पर सरानानतररत कर दता ह जस- मा या वपता दवारा डॉि वमलन पर

बालक अपन स छोि भाई बहनो को डािता ह

उकत सभी रकषातमक परिमो दवारा वयवकत अपन आप को बाहय एि आनतररक तनािो स

बचाता ह परतयक परिम क उपयोग म मनोिजञावनक ऊजाथ खचथ होती ह और इसका परयोग सभी

सिसर वयवकतयो दवारा वकया जाता ह

453 विविति का विकास-

फरायड न वयवकतति विकास की वयाखया दो दवषटकोणो क आिार पर की ह पहला दवषटकोण

यह ह वक ियसक वयवकतति बालयािसरा क वभनन वभनन तरह की अनभवतय दवारा वनयवनतरत होता ह

तरा दसर दवषटकोण क अनसार जनम क समय बचचो म लवगक ऊजाथ मौजद रहती ह जो विवभनन

मनोलवगक अिसराओ स होकर विकवसत होती ह फरायड क अनसार वयवकतति विकास की प ाच

मखय अिसराए ह

1 मखीय अिसरा 2 गदीय अिसरा 3 वलग परिान अिसरा 4 अवयकतािसरा 5 जननवनरया

1) मखीि अिसथा- मखीय अिसरा जस अनिा चसना मा का सतनपान करना वनगलना आवद

इस दो भागो म बॉिा गया ह पहला मखीय चषण की अिसरा जनम स आि माह की अिसरा

ह इस अिसरा म बालक क वकसी अग का सपशथ वकया जाए तो उस वपरय लगता ह फरायड क

अनसार बालक की काम शवकत की सनतवषट होि मख जीभ दवारा ि जबड़ होत ह इस अिसरा

म बालक को आननद की परावपत कािन चसन ि वनगलन क दवारा होती ह इस अिसरा म बालक

को द ात की सिाई करना आवद वसखाया जाता ह

2) गदीि अिसथा- यह अिसरा दो स तीन िषथ की होती ह इस अिसरा को भी दो भागो म बॉिा

गया ह- पहली अिसरा गदा वनषकासन क अिसरा कहलाती ह इस अिसरा म बचच म िरता

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िमहीनता विनावसता आवद गणो की परिानता होती ह इस अिसरा म बालक को कामक सख

की परावपत मल-मल वनषकासन स होती ह उस मल -मतर जान का परवशकषण वदया जाता ह बालक

कभी-कभी वबसतर पर पशाब कर आिामक परिवतत वयकत करता ह उस मल-मतर तयाग क

महति को समझाया जाता ह लगभग तीन िषथ तक बालक वलगभद सीख जाता ह वक िह

आग चलकर कया बनगा मममी या पापा

दसरी अिसरा गदा अििारणा की अिसरा कहलाती ह इसम बालक म हि िमबिता

तरा समयवनषठा आवद शील गणो की परिानाता होती ह बालक अपन मल-मतर क सामावजक महति

को सीख जाता ह बचचा यह समझन लगता ह वक माता - वपता एक दसर क आकषथण का कनर ह

3) वलाग परधान अिसथ- यह चार स पॉच िषथ तक की अिसरा ह इस अिसरा म बालक अपन

गपतागो या जञनवनरयो स तीन परकार स सख परापत करता ह छन क दवारा सहलाकर ि खलकर

परदशथन दवारा बालयािसरा कभी-कभी य मल परवतयोवगता करत हए भी दखा जा सकता ह िह

सोचता ह वक म बड़ होकर वपतामा जसा बनगा बनगी

4) अवििािसथा- यह छः स बारह िषथ की अिसरा होती ह इस सपतािसरा भी कहत ह इस

अिसरा म सामावजक भय क कारण कामजवनत वियाए शानत रहती ह इस अिसरा म बालक

की रवच सावरयो क सार खलना गपप लडाना आवद मखय ह बालक को माता - वपता दवारा

परदवशथत परम अचछा नही लगता ह पररिार का यवद कोई वयवकत कि पर हार रखकर रपरपाता

ओर आशीिाथद दता ह तो बचचा वसहर उिता ह माता-वपता क परवत परम सममान म बदल जाता

ह यह अिसरा सपतािसरा इसवलए कहलाती ह कयोवक इस अिसरा म शशवाकालीन कामकता

शानत रहती ह इस अिसरा म बालक घावमथक विचारो की ओर उनमख रहता ह

5) जञाननवनिि अिसथा- यह अिसरा तरह िषथ की आय स बीस िषथ की अिसरा ह इस अिसरा

म कामकता एक बार विर स जागत होती ह विपरीत वलग क परवत आकषथण और रवच उतपनन

हाती ह इस अिसरा म लड़क और लडवकया मनगढनत कहावनयो म खब रवच लत ह

लडवकया लजजा का सहारा लती ह और उनम सकोच की परिवतत जागत होती ह

46 फरायड क मनोविशलषणातमक ससदिानि का मलयाकन फरायड क मनोविशलषणातमक वसिानत क कछ गण और कछ सीमाए ह -

गण -

bull फरायड का यह कािी विसतत एि चनौतीपणथ ह इनक दवारा वयवकतति क विकास की वयाखया

कािी समझन योगय भाषा म की गई ह

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bull फरायड क वसिानत की अविकाश भाषा ऐसी ह जो आिवनक वयवकतति मनोिजञावनको क वलए

इस कषतर म शोि करन क वलए महतिपणथ सािन सावबत हए ह

bull फरायड क वसिानत का सिरप कछ ऐसा ह वजसक माधयम स मानि वयिहार क बार म जञात

तयो को तावकथ क रप स मनोविशलषणातमक ढॉच म आसानी स ढाला जा सकता ह

अिगण-

bull फरायड का यह वसिानत िजञावनक नही ह कयोवक अपन शोिो का फरायड न िमबि िणथन नही

वकया ह अतः सही-सही पराकलपना तयार करना मवशकल ह

bull फरायड न अपन वसिानत म सकसअल ऊजाथ पर जररत स जयादा बल वदया

bull आिवनक मनोिजञावनको का मत ह वक फरायड न अपन वसिानत को वयवकतगत परकषण पर

आिाररत वकया ह इन आिवनक मनोिजञावनको न आशका वयकत की ह वक ऐसी सीवमत

अनभवतयो क आिार पर सामानय वयवकतति क वसिानत का परवतपादन करना यवकत सगत नही

bull वसगमणड फराययड एक ऐस वयवकत र वजनका अविकतर समय मानवसक रोवगयो की वचवकतसा

म वयतीत हआ इनका उददशय वसिथ रोवगयो का उपचार करनरा ही नही बवलक मानि वयवकतति

को समझन म पयाथपत सझ भी विकवसत करना रा नदावनक दवषटाकोण स फरायड दवारा पवतपावदत

वयवकतति क मनोविशलषणतमक वसिानत को तीन तरह स परसतत वकया ह

अपन अनभि क आिार पर फरायड न कछ विशष वनषकषथ वदय -

1 विकास की विवभनन अिसराय परदवशथत होती ह कयोवक विकास अिसरा की अपनी कछ विशषताए य लकषण होत ह

2 परतयक विकास अिसरा म वयिहार म उततरोततर सिार होता ह और विकास क निीन परवतमान

परदवशथत होत ह

3 परतयक बचच को विकास की सभी अिसराओ स गजरना पड़ता ह

4 विकासातमक पररितथन अचानक नही होत बवलक कवमक रप स परदवशथत होत ह जस -

शशिासरा बचपनािसरा बालयािसरा और विर योिनािसरा आवद

5 सभी बालको म विकास की पररवसरवतया एक जसी नही होती ह उनम विकास समबनिी अनतर वदखाई दत ह

सिपन विशलषण -

इस विवि म फरायड न सामानयतः दो विवियो का परयोग वकया ह - साहचयथ तरा परतीक

साहचयथ विवि म सिपन दखन िाल स अपन सिपन का समबनि िसतओ घिनाओ या वयवकतया स

ढढन क वलए कहा जाता ह ऐस शबद तावकथ क हो या आतावकथ क हो सिपन दखन िाल को बतलान

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क वलए परोतसावहत वकया जाता ह अगर कोई सिपन दखन िाला अपन मन का साहचयथ बतलान म

असमरथ रहता ह तो दसरी विवि सिपन परतीक की विवि अपनाई जाती ह वजसम सिपन को वयकत

विषय क पीछ वछप अचतन ततिो को परतीक क सहार समझन की कोवशश की जाती ह

दवनक िीिन की िल -

वयवकत अपन वदन-पवतवदन की वजनदगी म परायः करता ह इन भलो म बोलन की भल

वलखन की भल पहचानन की भल िसतओ को गलत सरान पर रखना आवद मखय सामानर वयवकतयो

क वलए इनका काई अरथ नही होता ह परनत फरायड क अनसार य अरथहीन न होकर बवलक एक

गमभीर मानवसक परविया ह इसकी उतपवतत दो मानवसक विरोिी विचारो स होती ह इन परसपर

विरोिी विचारो म एक का सिरप अचतन होता ह परनत इनम स अचतन इचछाए अपनी परबलता

क कारण अिथचतन की इचछाओ का धयान नही रख पाती ह अतः वदन परवतवदन क जीिन म मानि

वयिहार जो ऊपर स अरथहीन लगता ह पर िासति म अरथहीन नही होता ह उनस भी वयवकत क

अचतन को समझन म मदद वमलती ह

फरायड क अनसार य भल अनायास या बकार नही होती ह बवलक इनका विशष कारण

होता ह जो अचतन म दवमत होता ह अचतन म दवमत विरोिी विचार कामक इचछाए अतपत

इचछाए आकामक परिवततयॉ ही इन मलो का कारण होती ह अचतन म दवमत ऐसी परिवततय इन

गलवतयो या भलो दवारा चतन म अवभवयकत होती ह ओर गलवतयो को ही फरायड न दवनक जीिन

की मनोिवततयॉ कहा ह फरायड न अपनी पसतक lsquoसाईकोपरालॉजी आि इिरी ड लाइिrsquo 1914 म

इस तरह की मनोविकवततयो का िणथन वकया ह फरायड न दवनक जीिन म होन िाली अनक ऐसी

भलो का िणथन वकया ह

i) बोलन की भल- परायः दवनक जीिन म वयवकत स बोलन की भल हो जाया करती ह िह

बोलना कछ चाहता ह और बोल कछ दता ह और ऐसी गलवतयो पर सिय वयवकत को भी

आियथ होता ह फरायड का मानना ह वक ऐसी गलवतयो क जनम का सरोत अचतन होता ह

बोलन समबनिी भलो क उदाहरण हम दवनक जीिन म परायः दखन को वमलत ह जस- एक

रोगी दिा क खचथ स कािी परशान रा और िह अचानक ही बोल उिा वक हम इतना भी

वबल न दना वजनह म वनगल ना पाऊ

ii) नामो को भलना- परायः हम अपन दवनक जीिन म पररवचत वयवकतयो िसतओ तरा सरानो

क नाम को सरायी या असरायी तौर पर भल जात ह कई बार परयास करन पर उनक नाम

याद नही आत ह परनत बाद म विर अपन आप याद आ जात ह उदाहरण क वलए- एक

मवहला अपनी बिी का इलाज करान क वलए वचवकतसक क पास गयी जब उसकी बिी का

नाम वचवकतसक न पछा तो उस नाम बतान म मा असमरथ रही कयोवक िह रोड़ी दर क

वलए उसका नाम भल गयी री बातचीत क दौरान पता चला वक उस मवहला को इस बिी

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क जनम पर भयानक तकलीि उिानी पडी री अतः अचतन म दवमत अवपरय एि दःखद

अनभि दवारा उतपनन मानवसक सघथषो स मवकत पान हत अचतन रप स मवहला अपनी बिी

का नाम भल गई

iii) वलखन की भल- इस तरह की भल म वयवकत वलखना कछ चाहता ह और वलख कछ

और दता ह वलखन की इस भलो म इसक अलािा अनय भल जस- अविक शबद वलख

दना सही शबद क बदल विपरीत शबद वलख दना वकसी महतिपणथ शबद का छि जाना

िाद क शबदो को पहल वलख दना आवद सवममवलत हाता ह उदाहरण क वलए- एक नसथ

को वकसी डॉकिर स परम हो गया रा परनत डॉकिर दवारा उस नापसनद वकया जान पर उस

डॉकिर को भलना पडा कािी वदनो बार वकसी कायथिश उस डॉकिर को पतर वलखना रा

वजसम उसन डॉकिर क सरान पर वडयर वलखा रा इस भल क माधयम स नसथ न डॉकिर क

परवत अचतन म सवचत परम परदवशथत वकया

iv) छपाई की भल- परायः समाचार- पतरो पसतको विजञापनो म इस तरह की भल हम दखन को

वमलती ह और इन गलवतयो स भी हम अचतन म दवमत इचछाओ एि विचारो क सकत

वमल ह उदाहरण क वलए- एक बार लदन क समाचार पतर म छपा वक कलोन वपरस जबवक

िाउन वपरस छपना रा बाद म इस गलती का कारण ढढन पर पता चला वक उस परस क

सभी कमथचाररयो क िाउन वपरस क पवत घणा की भािना री

v) पहचानन की भल- ऐसी भल वकसी िसत सरान तरा वयवकत को पहचानन स समबवनित

होती ह परायः वकसी अपररवचत वयवकत को हम पररवचत वयवकत समझ बित ह तरा वकसी

पररवचत वयवकत या िसत क उपवसरत रहन पर भी हम उस दख नही पात ह इसी तरह

समाचार पतर म वकसी समाचार क रहत हय उस नही दख पाना तरा अपन बगल स वकसी

पररवचत वमतर को गजरत हए न दख पाना कद ऐसी पहचानन की भल ह वजनक पीछ कोई

न कोई अचतन की दवमत इचछाए सविय होती ह

vi) अनजान स की गयी वियाए- परायः ऐसा होता ह वक हम चतन रप स जो करना चाहत ह

उसक बदल म हम कोई दसरी विया कर बित ह जस वकसी वयवकत को हम सौ रपय की

जगह पॉच सौ का नोि दन लगत ह परायज हम हसताकषर करन क वलए पन मागत ह ओर

विर उस अपनी जब म रख कर चल जात ह अनजान म की गई इन सभी वियाओ क पीछ

अचतन की दवमत इचछाए परबल होती ह

vii) िसतओ को गलत सरान पर रखना- परायः हम िसतओ जस चाभी रमाल महतिपणथ

कागज डायरी आवद को इिर उिर रख दत ह और जररत क समय उस चीज को ढढन पर

िा हम नही वमलती ह दवनक जीिन की इन भलो क पीछ भी अचतन की दावमत इचछाए

सिीय होती ह फरायड क अनसार िसतओ को इिर-उिर रख कर उसक बार म भल जान

स यह सकत वमलता ह वक वयवकत म उस िसत को अपन सामन स हिा दन की परिवतत

अविक होती ह कयोवक ऐसा करन स उसकी वकसी समसया का समािान हो जाता ह

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viii) साकवतक वियाए- दवनक जीिन म वयवकत कछ साकवतक वियाए जस- पर वहलाना एक

ही शबद को बार- बार दोहराना चाभी क गचछ को बार-बार नचाना पवनसल का या कलम

का उपरी वहससा चबाना आवद फरायड क अनसार इस साकवतक वियाओ क दवारा दवमत

इचछाओ क सकत वमलत ह एक वििावहत मवहला अगली स अगिी को बार-बार

वनकालती ि पहनती री फरायड दवारा पछन पर पता चला वक िह अपन पवत को कछ

कारणो स तलाक दना चाहती री लवकन सामावजक एि नवतक कारणो स िह ऐसा करना

उवचत नही समझती ह

अतः हमार दवनक जीिन म होन िाली गलवतयॉ या भल जो बकार या बतकर वदखाई दती

ह िासति म य वनररथक नही होती ह बवलक इन भलो एि गलवतयो दवारा अचतन मन की अतपत

इचछाओ एि विचारो की अवभवयवकत होती ह अतः मनोिजञावनक दवषट|

मनोविवकतसा- मनोविशलषणातमक वचवकतसा का उददशय अचतन की इचछाओ को चतन म लाकर

उसक अरथ एि महति को समझना रोगी को अह मजबत करना तरा उसक पराई की इचछाओ को

चतन म लान क वलए दो परविवियो का परयोग वकया ह

i सिततर साहचयथ

ii सिपन विशलषण

सिततर साहचयथ म रोगी क वकसी चतन विचार को परारमभ वबनद मानकर उस पर उस सिततर

होकर बोलन या उसस समबवनित सगत या असगत बातो को बतान क वलए कहा जाता ह परनत यह

परविया आसान नही ह रोगी इस सही अरो म करन म असमरथ रहता ह इसवलए फरायड न ऐस

रोवगयो क वलए सिपन विशलषण पर बल वदया ह यहा अपन सिपनो को उपचार क दौरान बतलात ह

47 वयिहारातमक उपागम का अरथ वयिहारातमक उपागम को मनोविजञान का रप दन िाल मनोिजञावनको म जबीिािसन का

नाम परमख ह िािसन का परा नाम जॉन बरादसथ िािसन रा इनका जनम गरीन विली दवकषणी

करोवलना म हआ रा इनहोन वशकागो विशवविदयालय स शरीर विया तरा तवतरका ततर म अनतसरा क

विकास क सार वयिहार म होन िाल पररितथनो का अधययन वकया इनक अनसार वयिहार उततजना

और उसकी अनविया का पररणाम ह वयिहारिाद म अिविशवासो रहसयो और दाशथवनक परमपरा

का कोई सरान नही ह वयिहारिाद क अनसार वयवकतति क विकास म पररिश एक महतिपणथ

आिार ह पररिश म िावछत पररितथन करक वकसी भी वयवकत को कछ भी बनाया जा सकता ह

असामानय वयिहार एि उपचार क वयािहारिादी विचार की उतपवतत अनकल परयोगो स हई

इसका परारमभ पिलॉि क परवतबिता विया क िलसिरप हआ (पिलॉि क परयोग कतत क मह स

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उततराखड मकत विशवविदयालय 66

लार का िपकना) पिलॉन क इस परयोग स िािसन कािी परभावित हए बाद म िािसन न अपन

अधययन की वदशा बदलकर परतयकष वयिहार कर वदया वजस वयिहारिाद कहा गया वयिहारातमक

उपागम का कनर अनभिो क पररणामसिरप वयिहार म बदलाि होता ह वयिहारिादी उपगम की

वयाखया वनमन तयो क आिार पर की जा सकती ह

वयिहारिादी विचारिारा तीन महतिपणथ कलपनाओ पर आिाररत ह

i पयाथिरणिाद

ii परयोगिाद

iii आशािाद

i) पयाथिरणिाद- पयाथिरणिाद म इस बात पर बल वदया गया ह वक सभी पराणी मनषय एि

पश पयाथिरण दवारा वनिाथररत होत ह हम लोग अपन गत साहचयो क आिार पर भविषय क

बार म सीखत ह और इसी कारण हम लोगो का वयिहार दणड तरा परसकार दवारा

वयिवसरत वकया जाता ह वजस वयिहार पर हम परसकार वमलता ह उस हम भविषय म

करना चाहत ह तरा वजस वयिहार पर हम दणड वमलता ह उस हम तयागना चाहत ह

ii) परयोगिाद- इसम परयोग क माधयम स यह पता लगाया जाता ह वक पयाथिरण क वकस

पहल स वयिहार परभावित होता ह तरा वकस तरह हम उस पररिवतथत कर सकत ह

iii) आशािाद- इस पिथकलपना का समबनि पररितथन स ह यवद वयवकत पयाथिरण स ह यवद

वयवकत पयाथिरण का परवतिल ह और अगर िातािरण का िह सब पहल जो उस पररिवतथत

वकया ह को परयोग दवारा जञात वकया जा सकता ह तो पयाथिरण म कभी पररितथन होन स

वयवकत म भी पररितथन होगा

इन तीनो पिथकलपनाओ पयाथिरणिाद परयोगिाद ि आशािाद का उपयोग असामानय

वयिहार की वयाखया म परतयकष रप स की गई ह -

1 सामानय तरा असामानय वयिहार को गत अनभवत स सीखा जाता ह और जब वयवकत

अपअनकवलत अवजथत आदतो को सीख लता ह तो उसस वयवकत म असामानय वयिहार की

उतपवतत होती ह

2 हम परयोग करक यह वनिाथररत कर सकत ह वक पयाथिरण क वकस पहल स असामानय वयिहार की उतपवतत होती ह

3 यवद हम पयाथिरण क इन कसमायोवजत वयिहार को तयाग दगा और उसकी जगह पर नया

समायोजी वयिहार सीख लगा

अतः वयिहारी विचारिारा क अनसार कसमायोजी वयिहार या असामानय वयिहार क दो मखय

कारण होत ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 67

1 वयवकत दवारा समायोजी वयिहार या सतोषजनक ियवकतक विकवसत करन की असिलता 2 अपरभािी या कसमायोवजत वयिहार को सीखना पराणी वकसी वयिहार को वकस तरह सीख लता

ह तरा िह कया चीज ह वजस िह सीखता ह वयिहारिादी विचारिारा क अनसार सीखन की

दो मखय परवियाए पराचीन अनबनिन ओर नवमवततक अनबनिन ह वजसम माधयम स वयवकत

सामानय एि असामानय वयिहार को सीखता ह

I पबलोवियन या पराचीन अनबनिन

II नवमवकतक या विया परसत अनबनिन

I पबलोवििन िा परािीन अनबनधन- सीखन क इस वसिानत की वयखया रसी िजञावनक

आई0िी0 पिलॉर दवारा क गई इस वसिानत क अनसार उदीपक तरा अनविया क

बीच साहचयथ सरावपत करना ही सीखना ह पिलॉि न अपन एक परयोग कतत क ऊपर

वकया एक भख कतत को एक धिवन वनयवनतरत परयोगषाला म एक विशष उपकरण क

सहार खडा कर वदया और कतत क सामन भोजन दखकर उसक मह म लार आ जाती

री कछ परयासो क बाद भजन दन क 4-5 सकणड पहल िणिी की धिवन बजाई जाती

री इस तरह क कई परयास कराय गय कई परयासो क बाद य दखा गया वक वबना

भाजन आय ही मातर िणिी की धिवन पर कतत क मख स लार िपकना शर हो गया

पिलॉि क अनसर कतता िणिी की आिाज पर ही लार-सतराि करन की विया को सीख

लता ह इनक अनसार घणिी की आिाज तरा लार क सतराि (अनविया) क बीच एक

साहचयथ सरावपत होन की परविया को अनबनिन की सबा दी ह

II नवमवकततक िा वकरिा परसि अनबनधन- इस तरह क अनबनिन म पराणी मकत अनविया

पररवसरवत म रहकर वकसी वयिहार को सीखता ह इस अनबिन की खास विशषता

यह होती ह वक पराणी अनविया सिय करता ह न वक वकसी विशष उददीपन क

उततवजत होन पर इस वकसी वसिानत क अनसार वकसी लकषय जो परापत करना ही सीखना

ह वकसी परसकार को पाना लकषय हो सकता ह या विर वकसी दणड स दर रहना लकषय

हो सकता ह

रानथडाइक क प जल बॉकस म वबलली को तरह तरह की अनविया करन क बाद बाहर रख

(परसकार) भोजन की परावपत होती ह ओर िीर -िीर कई परयासो क बाद वकया करना सीख लती ह

1) वयिहार की वयाखया- मानि हो या पश वयिहार एक उततजना स परारमभ होता ह वकसी भी अनविया क वलए उततजना का होना अतयनत आिशयक ह उततजना स तातपयथ- पयाथिरण क

वकसी िसत स शारीररक पररितथन होना उततजना सरल ि जविल दोना ही परकार की हो सती ह

अनविया स तातपयथ उन सभी वियाओ स ह वजस पराणी करता ह अनविया अवजथत और

अनावजथत दोनो हो सकती ह यह असपषट और सपषट भी हो सकती ह जस - ऑख मिकाना

सॉस लना रोना आवद सपषट अनावजथत अनविया ह तरा रकतचाप पाचन विया हदय की

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 68

िडकन अनवजथत अनविया क उदाहरण ह वयिहारिादी उपागम क दो विवशषट उददशय ह पहला

उददीपन क बार म जानकर अनविया क बार म पिथ करन करना तरा दसरा अनविया क बार म

पिथ करन करना तरा दसरा अनविया क बोर म जानकर उददीपन क बार म पिथ करन करना

2) समिदना ओर परतयकष िसत- िािसन न समिदना और परतयकष िसत का िणथन वकया ह कयोवक

एक वयवकत दसर मनषय की समिदना को नही जान सकता किल एक उददीपन क वलए

अनविया को जाना जा सकता ह चाह िह दवषट समबनिी हो या शरिण समबनिी परतयकष समिदी

वियाओ का कायर ह जो उददीपक को नोि करता ह ओर मवसतषक क दोनो ओरर भागो को भज

दता हऔर य सिदी आिग जो गराहको स आत ह उनको गवत कनरो म भज वदया जाता ह

3) समवत परवतमाए- समवत परवतमाए हर एक वयवकत म होती ह परतयक वयवकत इनका उललख कर

सकता ह जस यवद आपस कहा जाय वक अपन वमतर समरण कीवजय तो तरनत उसकी एक

परवतमा मन-मवसतषक पर अवकत हो जाती ह जब कोई वयवकत सीख पाि का परतयािाहन करन म

असमरथ रहता ह अराथत जो पशीय ततर मौवलक सीखना क दवारा वनवमथत हए र ि िि गय

पराणी क अनदर जो मवसतषक होता ह िह समिदी तरा गवततवतरकाओ को जोडना ह वजसक

िलसिरप जञानवनरया और पवशया हो जाती ह ओर य परवतमाए िासति म पररक वियाए ह

4) अनभवत और सिग- िािसन का मानना ह वक वयिहार म भी इवनरय चवलत कायथ होत ह जस -

सख-दख की अनभवत विवभनन इवनरयो म आन िाली उततजनाओ और पवशयो म होन िाली

गवतयो का पररणाम ह िािसन न यह भी वसि कर वदया वक भय िोि और परम क अलािा जो

अनय समिग होत ह ि अवजथत सिग ह ओर जब सिग अवजथत होत ह तो इस परविया म

परवतबि अनविया का वसिानत कायथ करता ह

5) सीखना- िािसन न र ानथडाइक दवारा परवतपावदत परभाि क वनयम क सरान पर अभयास क वनयम की सरापना की यवद वसरवत म सिल अनविया होती ह तो सीखन िाल को सनतोष वमलता

रा और िह अनविया िीर-िीर अतमसात कर ल जाती ह वकनत असिल अनवियाओ म

असनतवषट वमलती री

िािसन वसिानत अनसार अनय वयिहारो क समान परतयकषण भी एक परकार को सीखा गया

वयिहार ह और वजन वनयमो और वसिानतो दवारा अनय वयिहार वनिाथररत होत ह िीक उनही वनयमो

एि वसिानतो दवारा परतयकषण भी वनिाथररत होता ह वजस तरह कोई भी सीखा गया वयिहार आदत

रचना सामानयीकरण तरा अिरोि आवद क वनयमो दवारा वनिाथररत होता ह उसी तरह स परतयकषण

भी इनही वनयमो स वनिाथररत होता ह

वयिहारिावदयो का यह भी विचार ह वक जब कोई उददीपन वयवकत क सामन कछ दर तक

रखन क बाद हिा वलया जाता ह ताक कछ दर बाद तक उसका परभाि िवतरका ततर म होता ह इस

परभाि को उददीपन वचनहन कहा जाता ह ऐस उददीपन वचनह ितथमान वकसी शबद का अरथ पहल कह

गय िाकयो या शबदो क सनदभथ म हम समझत ह यहा ितथमान तवतरका आिग उतपनन होत ह इन

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उततराखड मकत विशवविदयालय 69

दोनो क अनतःविया कहा जाता ह जस- वकसी शबद का अरथ पहल कह गय िाकयो या शबदो क

सनदभथ म हम समझत ह यहा पहल कह गए िाकय या शबद उददीपन वचनहक उदाहरण ह तरा ितथमान

शबदो दवारा ितथमान तवतरका आिग उतपनन होत ह इन दोनो क अनतःविया होन पर शबदो का

वियाओ क आिार पर एक विशष समपरतयय का परवतपादन वकया वजस उददीपक परारप कहा जाता

ह हल का मानना ह वक कोई उददीपन वकसी एक पिनथ म रहकर एक ढग की अनविया उतपनन

करता ह तरा िही उददीपन दसर परवतरप म रहकर दसरी अनविया उतपनन करता ह

उकत वचतर क बायी ओर सॉडथ वलखा ह वजसका अरथ वहनदी म तलिार ह तरा दायी ओर एि

राउसणड विपिी थरी वलखा हआ ह जब हम सॉडथ क एस तरा ओ0 और नमबर क (0) और (5) क

परतयकषण पर धयान द तो यह दोनो उददीपन दोनो ही पररवसरवतयो म समान रप स वलख गय ह

लवकन शबद क सदभथ म उस अलग- अलग दखा जाता ह अतः एक ही उददीपन का अरथ वभनन -

वभनन उददीपन पिनसथ म अलग-अलग होता ह

कछ वयिहारिावदयो न उददीपन म पिनथ क तय को सावबत करन क वलए कछ परयोग भी

वकय ह वजसम िड बरी दवारा कततो पर वकया गया परयोग उललखनीय ह इनक परयोग म उचच सिर

तरा मनि सिर एक सार वदय जान पर कतता जब अनविया करता रा अराथत लकडी क बन वपजर

क छड म आना मह रगडन की अनविया करता रा तो उस भोजन वदया जाता रा परनत इन दोना

उददीपनो अराथत उचच सिर तरा मनद सिर म स कोई एक सिर उपवसरत होन पर भी यवद कतता मह

रगडन की अनविया करता रा तो उस भोजन नही वदया जाता रा पररणामसिरप पाया गया वक

कतता उचच सिर तरा मनद सिर क अलग-अलग उपवसरत वकय जान पर अनविया न करना सीख

वलया परनत इन दोनो उददीपनो को एक सार उददीपन वकय जान पर अनविया करना सीख वलया

अतः सपषट ह वक कतत म एक उददीपन पिनथ विकवसत हो गया कछ मनोिजञावनको न परतयकष क इस

वयिहारिादी उपागमो की आलोचना वनमन आिारो पर की

bull कछ वयिहारिावदयो का मानना ह वक परवयकषण की वयिसरा म बहत स रहसयपणथ समपरतयय ह

वजसका िसतवनषठ रप स अधययन सभि नही ह

bull परतयकषण की वयाखया म विवभनन परकार क उददीपन वचनह की अतःविया तरा उददीपन पिनथ की

बात की गयी ह हल न उन लोगो की वयाखया क कषतर म अनाविकार परिश वकया ह

bull िािसन की आलोचना इस वबनद पर भी की गयी ह वक उनहोन कछ आतमवनषठ समपरतययो जस

इचछा वचनतन आवद को वयिहारिावद भाषा म पररणत करन की कोवशश की गई ह

bull िॉलमन न िािसन क मनोविजञान की आलोचना करत हए वलखा ह वक िािसन न अपन अपन

मनोविजञान म उददशय को वयिहार की वयाखया स पणथतया हिा वदया ह

SWORD 8053

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उततराखड मकत विशवविदयालय 70

इन सभी आलोचनाओ क बािजद यह विशवास क सार कहा जा सकता ह वक िािसन न

मनोविजञान की जड को िसतवनषठा क िाग म इतना मजबत कर वदया रा वक बाद क मनोविजञान को

इसक सिासर को और परयोगातमक एि िजञावनक बनाना कािी आसान हो गया यदयवप आज

मनोविजञान क अनय समपरदाय क समान वयिहारिाद का अवसतति नही रहा परनत इसका परभाि

मनोविजञान क विवभनन कषतरो म सपषट दखन को वमल रहा ह

48 साराश असमानयता की वयाखया क वलए वजतन भी वसिानत परवतपावदत वकय गय ह इनम फरायड

का मनोविशलषणातमक वसिानत कािी चवचथत ि वििादासपद वसिानत रहा ह मनोविशलषणातमक

वियारिारा न असमानय वयिहार क अधययन एि उपचार की परवतवियाओ को सिाथविक परभावित

वकया ह इनक इस वसिानत क आिार पर अनक वसिानतो का परवतपादन हो चका ह कछ

मनोिजञावनको न फरायड क इस वसिानत सकषम तकथ पणथ िजञावनकता पणर तरा िजञावनक अनसिान को

परगवत परदान करन िाला बताया तो वकसी न फरायड क वसिानत की आलोचना की सार ही

वयिहािादी वसिानतिादी क अनसार अनय वयिहारो क समान परतयकष कषण भी एक परकार का

सीखा वयिहार ह इनक अनसार परतयकष पणथरपस गया वयिहार होता ह और वजन वनयमो ओर

वसिानतो दवारा अनय वयिहार वनिाथररत होत ह अनक आलोचनाओ क बािजद यह वसिानत कािी

महतिपणथ ह

49 शबदािली bull शशवािसथ जनम स दो सपताह की अिसरा

bull िौविकरण तलना करना

bull वनरकासन बाहर वनकालना

bull साहििय जब हमार मवसतषक म एक सार दो विचार आत ह और उन दोनो म एक तरह का

समबनि होता ह जस A क बाद B का समरण हो जाता ह

bull पररिश िातािरण

bull िााविि इचछानसार

bull कावलक समय

bull अवियि सीख गए (िातािरण)

bull मानवसक विकवि मावसतषक विकास तो होता ह परनत उसस कायो म कई परकार की

विकवततया उतपनन हो जाती ह

bull गि अनिवि वपछली चीजो को महसस करना

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उततराखड मकत विशवविदयालय 71

bull साहििय जब दो विचार हमार मवसतषक म एक सार आत ह और उन दोनो म एक तरह का

समबनि सरावपत वकया जाता ह जस ए क बाद बी का समरण अपन आप हो जाता ह

bull तिागना छोडना

bull अपअनकवलि पररसरवतयो क विपरीत

bull अवियि वजनको वयवकत िातािरण क समपकथ म रहकर सीखना ह

410 सिमलयाकन हि परशन bull ररकत सरानो की पवतथ कीवजए -

1 वसगमणड फरायड का जनम सन म हआ रा

2 फरायड न कामकता पर विषश बल वदया

3 मल परविवततयो का तातपयथ जनमजात उततजना स होता ह

4 परवतगमन का अरथ ह

5 गदीय अिसरा दो स िषथ तक होती ह

6 जननवनरय अिसरा िषथ तक होती ह

7 सिपन विशलषण म साहचयथ तरा दो विवियो का परयोग वकया

जाता

bull सतय असतय बताइय -

8 वसगमणड फरायड की मतय 1909 म हयी री (सतय असतय)

9 फरायड न मन को तीन भागो म बॉिा ह (सतय असतय) 10 मल परिवततया चार परकार की होती ह (सतय असतय) 11 रकषातमक परिम वयवकत को वसिथ िाहय तनाि स बचाता ह (सतय असतय) 12 अवयकतािसरा जो सपतािसरा भी कहत ह (सतय असतय) 13 जननवनरय अिसरा म वयवकत विपरीत वलग क परवत आकवषथत होता ह (सतय असतय)

14 वयिहारातमक उपागम को मनोविशलषणतमक वसिानत क नाम स भी जाना जाता ह (सतय

असतय)

15 वयिहार एक उततजना स परारमभ होता ह (सतय असतय)

उततर 1) 1856 2) शशिाकालीन 3) जनमजात शारीररक 4) पीछ की ओर लौिना

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उततराखड मकत विशवविदयालय 72

5) तीन िषथ 6) तरह स बीस िषथ 7) परतीक 8) असतय 9) सतय

10) असतय 11) सतय 12) सतय 13) सतय 14) असतय 15) सतय

411 सनदभथ गरनर सची bull डॉ0 अरण कमार वसह उचचतर सामानय मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास वदलली

bull डॉ0 अरण कमार वसहए उचचतर नदावनक मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास

वदलली

bull डॉ0 डी0एन0 शरीिासति आिवनक असामानय मनोविजञान सावहतय परकाशन आगरा

bull डॉ0 आर0एन0 आिवनक असामानय मनोविजञान अगरिाल पवबलकशनस आगरा

412 तनबनिातमक परशन 1 मन शबद स आप कया समझत ह

2 चतन अचतन और उिथचतन स आप कया समझत ह

3 मल परिवततया वकतन परकार की होती ह

4 मनोविशलषण शबद का कया अरथ ह

5 वयवकत परायः अपन वदन-परवतवदन क जीिन म वकस तरह की भत करता ह

6 वयिहार शबद की वयाखया कीवजय

7 फरायड क मनोविशलषण वसिानत की विसतत वयाखया कीवजए

8 वयिहारातमक उपागम स आप कया समझत ह विसतत वयाखया कीवजए

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उततराखड मकत विशवविदयालय 73

इकाई-5 परकषपी परविधि कस अधययन विधि 51 परसतािना

52 उददशय

53 परकषपी परविवि का सिरप

54 परकषपी परविवियो का सिरप

55 कस अधययन विवि कया ह

56 नदावनक कस अधययन विवि का सामानय परारप

57 कस अधययन विवि क गण एि दोष

58 साराश

59 शबदािली

510 सिमलयाकन हत परशन

511 सनदभथ गरनर सची

512 वनबनिातमक परशन

51 परसिािना इस परविि दवारा वयवकतति की माप अपरवयकष रप स होती ह यदयपी इसका परयोग पराचीनकाल

म भी होता रा इसक आिवनक इवतहास का परारमभ गोलिन क शबद साहचयथ परीकषण की परकषपण

परविवि क रप म वकया गया इस सवकषपत इवतहास क बािजद परकषपण परीकषपण की परकषपण परविवि

क रप म वकया गया इस सवकषपत इवतहास क बािजद परकषपण विवि क उपयोग क वलए सही पररणा

रोिी क परयासो स वमला परकषपण शबद का सिथपररम परयोग परवसि मनोविशलषणिादी वसगमड

फरायड न 1894 म वकया इनक अनसार परकषपण िह परविया ह वजसक दवारा परतयक वयवकत अपन

अभािो विचारो भािनाओ इचछाओ सिगो का अनय वयवकतयो या िाहय जगत क माधयम स

सरकषातमक रप परसतत करता ह

मनवसक रोगो क वनदान म कस अधययन विवि ही एक ऐसी विवि ह वजसका परयोग

नदावनक मनोिजञावनक तरा मनोवचवकतसक दोनो ही करत ह कस अधययन विवि ही एक ऐसी विवि

ह वजसम रोगी क वयवकतति की सरचना गवतकी उसकी कमजोररयो एि शवकत विकासातमक पिथ

िवततया भविषय म रोगी क बार म वकया जान िाला वनणथय आवद का अधययन वकया जाता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 74

52 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद आप -

bull वयवकततप मापन की विवियो क बार म जान सक ग

bull परकषपी परविवि क सिरप को समझ सक ग

bull परमख परकषपी क बार म जानकारी परापत कर सक ग

bull वयवकतति सवचयो की रचना िलाकन परशासन एि वििचना क बार म जान सक ग

bull रोगो क वनदान क विषय म जान सक ग

bull कस अधययन विवि क परारप क विषय म जानग

bull इस विवि क गण एि दोषो क विषय म जान सक ग

53 परकषपण परविधियो का सिरप परकषपी परविवि म वयवकत क सममख एक ऐसी उिीपक वसरवत परसतत की जाती ह और उस

ऐसा अिसर परदान वकया जाता ह वक िह अपन वयवकतगत जीिन स समबवनित वछपी बातो को उन

वसरवतयो क माधयम स परकि कर सक इस विवि का समबनि वयवकतति क अचतन पकष स होता ह

यह मखयतः वयवकत क अचतन मन का मापन करती ह परतयक वयवकत की कछ इचछाए भािनाए एि

अवभिवततया होती ह जो वयवकतति क ही विवभनन अग ह और य गण न तो िाहय रप स वदखाई दत

ह और न ही हम इनह समझ पात ह अतः इन सभी गणो का मापन करन क वलए हम परकषपी

परविवियो का सहारा लत ह इन विवियो म परीकषण सामगरी पणथ रप स वनदवशत अरिा

अिथवनदवशत होती ह परयोजय तसिीर दखकर कहानी वलखता ह अिर िाकयो की पवतथ करता ह

अपनी इचछानसार वखलौन स खलत ह इनक माधयम स वयवकत अपन अदर क भािो को सिततर रप

स वयकत करता ह इसम परयोजय को यह नही पता चलता ह वक उसक वकन-वकन गणो का मापन

वकया जा रहा ह वयवकत अपनी इचछाओ भािो सिगो आकाकषाओ आिशयकताओ को इस

परीकषण सामगरी पर परकषवपत करता ह विर उस विषय का विशलषण एि वििचन करक उसक

वयवकतति क बार म जानन की कोवशश की जाती ह

परकषपी परविवध की विशषिाए -

bull परकषपी परविवि क दवारा वयवकतति क समबनि म सही जानकारी परापत होती ह उस वकसी बात को

वछपान का अिसर नही वमल पाता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 75

bull वयवकत क अदर दब हए विचारो को परकि करन म सहायक होती ह

bull इस परविवि क दवारा चतन एि अचतन पहलओ का मापन वकया जाता ह यह अचतन को

समझन की सबस शरषठ विवि ह

bull इस परीकषण को करत समय परीकषण एि परीकषारी क भी अचछा सामजसय होना आिशयक ह

bull इनको परायः वयवकतगत रप स करना समभि होता ह

bull इसक दवारा सामानय एि असामानय दोनो ही तरह क वयवकतयो क वयवकतति का मापन वकया

जाता ह

bull इसकी विशवसनीयता एि ििता सामानय होती ह

bull वयवकत क पर वयवकतति का सपषठ वचतर उपवसरत कर वयवकत को समझन म सहायक होती ह

सीमाए-

bull परकषपी परविवि का मापन करना एक कविन कायथ ह

bull इस विवि की गढ़ना एक सािारण वयवकत दवारा समभि नही ह इसका परयोग योगय कशल एि

अनभिी वयवकतयो दवारा ही सभि ह

bull इस परविवि क परीकषणो को करन म अविक समय लगता ह िलतः वयवकत म रकान ि अरवच

का अनभि होन लगता ह

bull सामानय वयवकतयो की अपकषा असामानय वयवकतयो क मापन की शरषठ विवि ह

bull इसकी विशवसनीयता एि ििता सीमाएको वनिाथररत करना एक कविन कायथ ह

54 परकषपी परविधियो का परारप 1) शबद साहििय परीकषण- यह परकषपी विवि की सबस परानी विवि ह इसका वनमाणथ परवसि

जीिशासतरी गालिन न (1879) म 75 शबदो की सची बनाकर वकया इस विवि म परयोजय को

शबद सनत ही उसक मन म जो पहला शबद आए उस बताना होता ह इस विया को वयवकत को

शीघरता क सार परा करना ह इसकी वििचना बात पर आिाररत होती ह

(1) परयोजय न परवतचार क रप म कौन स शबद कह

(2) और परयोजय न परयततर दन म वकतना समय वलया

जयादा समय म उततर दना वयरथ क शबद बोलना परवतविया क परवत असिलता तरा वयवकत

का असामानय वयिहार वयवकत की वछपी हई मनोगरवनरयो तरा सिगातमक विचारो की ओर सकत

करता ह इसका परारप इस तरह ह-

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 76

िस उददीपक शबद परवतविया शबद परवतविया काल अनतःसचना

1 चाक

2 साप

3 मा

2) वितर साहििय परीकषण- इस परीकषण का वनमाणथ रोजविग न (19441948) म वकया इसक

दवारा कणिा एि आिामक दशाओ म वयवकत की परवतवियाओ का मापन वकया जाता ह इसक

24 कािथन कणिा वसरवतयो को परदवशथत करत हए वदखाए गय ह इसम ऐ वयवकत ऐसा वदखाया

गया ह जो दसर वदखाए गए वयवकत की कणिा क कारण क समबनि म कछ कहता ह और

परयोजय को एक ररकत सरान पर कछ वलखना होता ह इस विवि का परयोग परायः बाल-अपरािी

कामक अपरािी आतमहतया परिवतत िाल अविक आय िाल रोगी शारीररक विकलाग

मानवसक अिरोिी वयवकतयो क रोग क वनदान हत वकया जाता ह मानि पररणा को समझन एि

वयवकतति क आनतररक पकषो का जञान करन म यह सहायक होती ह

उदाहरण-

3) िाकि पविय परीकषण- इस परीकषण म कछ अपणथ िाकय वदय जात ह वजसकी पवतथ क वलए

वयवकत को वनदश वदय जात ह इसम परीकषणकताथ एक-एक करक परतयक अिर िाकय को

बोलता जाता ह तरा परयोजय उस सन हए िाकय को तरनत परा करन का परयास करता ह इसकी

शरआत एविग हास न की इसम अपणथ िाकय इस तरह होत ह-

मरी असिलता

अचछा होता वक म

मरी माता न

अनय वयवकतयो स

उसन हम कयो

नही बलाया

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 77

इस परीकषण क दवारा वयवकत की आकाकषा इचछा आिशयकता रवच तरा समायोजन

आवद का पता चलता ह इस सरलता स वयवकत पर परशावसत वकया जा सकता ह इसका परयोग

सामवहक रप स भी वकया जा सकता ह इस परीकषण का परयोग वशवकषत वयवकतयो पर नही वकया जा

सकता ह कयोवक कभी-कभी परीकषारी इतना सतकथ हो जाता ह वक सही बात नही बताता ह

िलसिरप पररणाम वनकालना एि वििचना करना कविन हो जाता ह

4) मनोनाटकीि विवध- इस विवि का परयोग परयोजय की भािनाओ को उततवजत करन क वलए

वकया जाता ह इसक दो परारप ह-ियसक ियवकतयो क वलए बालको क वलए पहल परारप म

चार तरा दमसर परारप म तीन परीकषाए होती ह परतयक परीकषा म 125 शबद होत ह एक पवकत

म पाच शबद होत हndash

Drink Choke Flirt Unfair White

Disgust Fear Sex Suspicion Water

परयोजय को यह आदश वदया जाता हवक उस जो शबद अवपरय लगता ह उस काि द उस कि हए

शबद क आिार पर वयवकत की भािनाओ क समबनि म जानकाररया परापत की जाती ह

5) खल परविवध- इस परविवि क माधयम स बचचो तरा ियसको को अपनी भािनाओ तरा

समसयाओ का भली-भावत परदशथन करन का अिसर वमतजा ह बालक वकस तरह क वखलौन स

खलता ह या कौन स खल पसनद करता ह िह उन वखलौनो क सार वकस तरह अपनी

भािनाओ का परकषपण करता ह आवद क आिार पर बालक या ियसको क वयवकतति क बार म

जञान परापत वकया जाता ह बचचो क वयवकतति मापन की यह एक सिथशरषठ एि उपयोगी विवि ह

6) रोशाय सिाही क धबबो का परीकषण- 1921 म वसिस मनोवचवकतसक हमथन रो न सयाही क

िबबो िाल परीकषण का वनमाणथ वकयावयवकतति मापन की यह अतयविक परवसि एि वयापक

रप स परयोग की जान िाली विवि ह अचतन सतर पर दबी हई वयवकत की सभी इचछाओ

भािनाओ आवद को जानन की अतयविक उपयोगी विवि ह इस परीकषण म दस मानकीकत

काडथ होत ह वजसम स पाच काल सिद तरा पाच विवभनन रगो िाल शड काडथस ह वजस पर 1

स X तक नमबर अवकत ह वजनह इसी िम म वयवकत क सममख परसतत वकया जाता ह इन

विवभनन काडो पर वयवकत अपनी रचना क अनसार विवभनन िसतओ-मानि पशओ आवद का

वचतर दखता ह वजसक परवत िह परवतविया करता ह यह किल वयवकतगत रप स ही सभि ह

वयवकत को दस काडथ एक -एक करक वदय जात ह परयोजय को यह आदश वदया जाता ह वक- म

तमह सयाही क िबबो स बनी आकवतयो का एक-एक काडथ वदखाऊगावदखाऊगी इसको दखन

क बाद तमह जो कछ वदखाई द िह मझ बताओ तम काडथ को जस चाह घमा सकत हो जब

तमह कछ न वदखाई द तो काडथ मझ िापस कर दो विर म तमह दसरा काडथ दगादगी

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समसत काडो पर उततर परापत करन क बाद एक काडथ म लगा समय काडथ घमान की वसरवत रग सरान

आकार तरा गवत आवद को सची म अवकत कर ल और उसक आिार पर विर पररणाम वनकलत ह

इस विवि का परयोग मखयतः वचवकतसा वनदानो बाल -वनदशन वयािसावयक चयन वनदशन सिाओ

पिथ करन करन तरा शोि कायो म वकया जाता ह

परयोजय दवारा वदय उततरो को वनमन परपतर म अवकत वकया जाता ह

रोशाय ररकारय परपतर

काडथ

न0

पररम

अनविया

पररम

अनविया

समय

अनय

अनविया

अनविया

समय

कवडघमान

की वसरवत

पछताछ

1

2

3

4

bull पछताछः-

पछताछ क दौरान यह जञात कर वलया जाता ह वक परयोजय न वकतन सरान को दखा वकस

सरान को अविक महति वदया वकन रगो को ऊचाई वनचाई कोमलता-किोरता या वसरवत को

उसन महति वदया

bull परीकषण िलाकन-

इस परीकषण की परवतवियाओ का िलाकन तीन चरणो म वकया जाता ह-

1) सरान 2) परतयततर वनिाथकर 3) विषय िसत

1) सरान इसम वयवकत कौन सा सरान दखकर उततर दता ह और िह वचतर उस कहा वदखाई द रहा

2) परतयततर इसम आकार रग ऊचाई-वनचाई किोरता मलायम पन गवत वसरवत आवद को

परदवशथत वकया जाता ह

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3) विषय िसतः इसक अनतगथत वयवकत क परतयततरो अराथत वयवकत की अनविया जस -आकवत

मानि शरीर क भागो पशओ पश शरीर क भागो घरल िसतओ पदारो चटटानो िआ आवद

दखता ह जो अवकत वकया जाता ह

bull परवसि परतयततर-

परवसि परतयततर ि होत ह तो परायः सामानय वयवकतयो दवारा वदय जात ह परवसि परतयततर किल उसी

पररवसरवत म समभि हो सकता ह जब परयोजय दवारा की गई अनविया म एक अचछ आकार का

परतयततर वदया ह

bull सगिन-

जब परयोजय न दो या दो स अविक पदारो को सगवित कर उततर वदया हो उस सगिन कहत ह रोशी

दवारा समसत वचनहो एि सकतो को अवकत करन क वलए वनमन तावलका का परयोग वकया जाता ह

काडथ न0 सरापन वनिाथरक विषयिसत परसपरतयततर सगिन

1

2

3

4

bull वििचन-

परवसि परतयततरो अवकत करन क पिात वयवकत को समझन क वलए उसका वििचन सरान वनिाथरको

तरा विषय -िसत क अिार पर वकया जाता ह

i) सरान यवद वयवकत अविक सरलता स दखन िाल सरान की आकवत की उपकषा समपणथ

काडथ को दखकर परतयततर दता ह तो वयवकत की अमतथ पदारो क परवत सोचन की शवकत

अविक होती ह िह बवििाला होता ह और जब वयवकत आसानी स न वदखन िाल छोि

भाग को वदखकर परतयततर दता ह तो वयवकत मनोगरसतता क लकषणो तरा जब वयवकत सिद

भाग को दखकर अविक परतयतर दता ह तो शककी परिवतत का होता ह

ii) वनिाथरको की वििचना विवभनन परतयततर वनिाथरक वयवकत क जीिन स समबवनित विवभनन

पहलओ क परतीक होत ह-

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जस- आकार िासतविकता स समबवनित रग सख क सिग काल रग उदासीनता ऊचाई-वनचाई

हीनता कविनता कोमलता परमचछा गवत रचनातमकता एि कलपता क परतीक होत ह

iii) विषय-िसत की वििचनाः यवद मनषय परतयततर परयोजय अविक द तो वयवकत का मानि

पयाथिरण स उवचत समबनघ नही ह पश परतयततर मानि की गराहस -योगयता क बतलात ह

और जब आनतररक अक परतयततर सामानय स अविक हो तो ि परयोजय म सिकाय

दरवचनता को बतलात ह

7) परसागातमक बोध परीकषण- रोशी परीकषण की तरह यह भी पर वयवकतति का मापन करती ह

इसका वनमाणथ मर एि मागथन न 1935 म वकया इसक दवारा सामानय एि सनाय दौबथलय वयवकतयो

क वयवकतति को समझा जाता ह इस परीकषण म तीस तसिीरो िाल मानिीकत काडथ होत ह और

एक खाली काडथ होता ह यह परीकषण 14 िषथ स अविक परषो और वसतरयो क वलए ह इन तीन

काडो म दस काडथ परषो क वलए दस वसतरयो क वलए तरा दस सभी क वलए होत ह एक

परयोजय पर परायः बीस काडथ परयकत होत ह यह परयोग एक समय म एक ही वयवकत पर वकया जा

सकता ह इनको भरिान म लगभग एक घि का समय लगता ह इसम परयोजय स वमतरतापणथ

वयिहार सरावपत करन क बाद परीकषणकताथ परयोजय को वनमन वनदश दता ह-

म तमह एक-एक करक तसिीकर दगा तमह इन तसिीरो पर अलग-अलग एक कहानी बनानी ह म

दखना चाहता ह वक तम अपनी कलपना स वकतनी सनदर कहानी बना सकत हो कहानी बनातम

समय तमह वनमन चार बातो को धयान रखना ह-

bull पहल कया-कया बात हई वजसस यह घिना वचतर म वदखाई गयी

bull इस समय कया हो रहा ह

bull वचतर म कौन-कौन लोग ह ि कया सोच रह ह उनक मन म कया -कया भाि उि रह ह

bull इसका अत कया होगा

परतयक कहानी क वलए आपको पाच वमनि का समय वदया जायगा और अनत म परयोजय को

खाली काडथ क वनमन वनदश वदय गयndashrdquoयह अवनतम लवकन खाली काडथ ह इसम कोई वचतर नही बना

ह इस खाली काडथ म पहल कोई वचतर विर उकत चारो बातो को धयान म रखत हए एक कहानी

बनाओ|rsquorsquo

समसत काडो को परा करन क बाद परयोजय स सदहयकत सरानो पर पछताछ की जाती ह

पछताछ करना परीकषण का एक अग ह इनक िलाकन की कोई वनवित विवि नही ह वभनन उददशयो

की पवतथ हत वभनन िलाकन विवियो का परयोग वकया जाता ह मखय रप स परीकषण म कहानी कीर

वििचना वनमन आिारो पर की जाती ह

bull कहानी का हीरो(नायक) कौन ह वजसक सार परयोजय न तादातमीकरण वकया ह

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bull नायक की आिशयकताए एि लकषय कया ह

bull नायक की भगनासा वसरवतया स कसा समबनि ह

bull नायक का अनय वयवकतयो स कसा समबनि ह

bull कहानी का परसग कया ह

bull कया पररणाम दखी सखी िासतविक ि कालपवनक वनकलगा

परायः ियवकत िी0ए0िी कहावनयो क आिार पर ही अपनी आिशयकताओ दिाब परसग तरा

पररणाम का परकषपण करता ह एक नायक स अपना तादातमीकरण करता ह अतः कहानी क नायक

का िणथन करना वयवकतति का सिय िणथन करना ह कहानी म उपयथकत बातो क अवतररकत कहानी का

मलयाकन वनमन आिार पर वकया जाता ह

1 कहानी का परकार 2 कहानी का परकरण 3 कहानी का सामगरी म समबनि तरा तालमल 4 आकवतयो का िणथन

5 कहावनयो की आकवतयो म लौवगक समबनि

6 कहानी का मखय नायक तरा कम महतिशील नायक कौन

परसगातमक बोि परीकषण की विशवसनीयता जञात करन हत पनथपरीकषण तरा अिथ-विचछद विवि

को अविक महतिपणथ एि उपयोगी पाया गया ह

परसगातमक बोि परीकषणो का परयोग जहा बड़ लागो (ियसको) पर वकया जाता ह िही सी0 ए0

िी0 परीकषण बालको क वलए उपयथकत होता ह इस परीकषण का सबस पहल परयोग 1943 म

वलयोपोलड बलक न वकया यह परीकषण 3 स 11 िषथ तक की आय िाल बालको क वयवकतति का

मलयाकन करन क वलए परयोग वकया जाता रा इसम कल 10 वचतर ह वजनम स परतयक पर जानिरो

क वचतर अवकत ह इन वचतरो क माधयम स बालको क पररिार समबनिी सिाई समबनिी परीकषण

आवद अनक समसयाओ और आदतो का लगता ह

bull सनीड मन वचतर कहानी बनाओ परीकषणः-

सनीडमन क दवारा वचतर कहानी बनाओ बनाओ परीकषण की रचना की गई परसगातमक बोि

परीकषण की भावत यह परीकषण भी वयवकत की कलपना शवकत तरा सजनातमक योगयताओ का मापन

करता ह इस परीकषण म 22 वचतर विवभनन पषठभवमयो जस जगज बिक ककष (राइग रिम) सनानककष

आवद स समबवनित ह तरा 67 गतत पर काि हए वचतरो म स 19 परषो 11वसतरयो 2 हीजड़ो 12

बचचो 10 अलपसमहो (जस नीगरो यहदी आवद) 2जानिरो तरा 5 खाली चहर िाल वचतर ह इस

परीकषण को करत समय किल ऐ पषटभवमको परसतत वकया जाता ह तरा परयोजम को उनम स किल

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एक आकवत चनन क वलए कहा जाता ह जो एक दशय वनवमथत करती ह और इस वचतर क आिार

पर परयौजय स एक कहानी वलखन क वलए कहा जाता ह परयोजय स य पछा जाता ह वक वचतर म

कया हो रहा ह उसक पातर कौन-कौन ह और ि कया कर रह ह परीकषण क वलए एक औपचाररक

िलाकन विवि विकवसत की गई ह इस परीकषण का मखय उददशय कलपना वनमाणथ क मनोविजञावनक

पहल का अधययन करना जो मनोविदलता म मखय भाग अदा करता ह

bull सजोनदी परीकषण-

चयन परविवि पर आिाररत इस परीकषण म परयोजय वजन वचतरो को परारवमकता दता ह िह उन

वचतरो को ही वयिवसरत करता ह इस परीकषण म 48 िोिोगराफस होत ह जो आि शरखलाओ म

परसतत वकय जात ह परतयक शरखला म एक-एक वचतर समकामवलगी पीवड़त हतया अपसमार रोग

मछाथ समबनिी उदास उगर मनोविदलता तरा वयामोह मनोविदलता स समबवनित वयवकत क विषय म

होता ह परीकषण क समय परयोजय स यह कहा जाता ह वक िह परतयक शरखला म स ऐस कोई दो

वचतर चन ल वजनह िह सिाथविक पसनद करता ह परतयक वचतर क चयन क आिार पर वयवकत का

िणथन आि आिशयकता पिवतयो क अनसार वकया जाता ह तरा वयवकत दवारा वचतर को चनन एि

उनको असिीकत करन क वयिहार क आिार पर परयोजय क आनतररक तनाि का अधययन वकया

जा सकता ह

bull बक का घर-पड़ वयवकत परीकषण-

बक का घर-पड़ वयवकत परीकषण भी एक वयवकत परकार की परविवि होती ह इनक अनसार घर की

आकवत परीकषारी क घर तरा उसम रहन िाली िसतओ क साहचयथ को इगवत करता ह पड़ की

आकवत परीकषारी क जीिन समबनिी कायथ भागो तरा उसकी सामानय पररिश स गरहण वकय गए

आननद की आननद की योगयता को वयकत करती ह वयवकत की आकवतत परीकषारी क अनतियवकतक

समबनिो की वयाखया करती ह

bull वखलौना परीकषण-

इस परीकषण म दोनो वलगा एि ियसको क वलए वखलौन जस किपतली गवड़या लघ रकषय वचतर

आवद परीकषारी को खलन क वलए वदय जात ह एक परीकषण कतताथ बचच दवारा खल क वलए चन गए

पदारथ को नोि करता ह बचचा वकस तरह स इनको खलता ह पकड़ता ह तरा उनक सार उस

परतयकष वदखन िाला वयिहार सिगातकम शबदीकरण वकस परकार का ह दखता ह इन परीकषणो क

माधयम म भाई-बहनो की सपिाथ तनाि भय आिामकता आवद को पता चलता ह

bull मकहोिर रा ए परसन िसिः-

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वयवकत परविविओ पर आविाररत यह एक विखयात परीकषण कायथ क अनतथगत परयोजय को कागज

पवनसल दकर उसस एक वयवकत का वचतर बनान क वलए कहा जाता ह पहला वचतर परा होन क बाद

उसस विपरीत वलग का वचतर बनान क वलए कहा जाता ह यवद पहल वचतर सतरी का बनाया ह जो

दसर म परष का वचतर बनान क वलए कहा जाता वचतर बनात समय समय परीकषणकताथ यह दखता ह

वक परयोजय न शरीर क विवभनन भागो को बनान का कया िम रखा ह कौन सा भाग पहल और कौन

सा भाग अनत म बनाया ह परीकषणकताथ वचतर बनान की अनय परतीकतमक बात तरा परयोजय की

वयाखया को भी नोि करता ह इस परीकषण की वििचना वनमन तीन आिारो पर की जाती ह-

(1) राइग क सामानय समपणथ परभाि का विशलषण- इसम आकवत की वसरवत चहर की अवभवयवकत

आकवतत की गवत या वसररता आवद बातो का विशलषण करक परयोजय क बार म यह बतलाया जाता

ह वक उसम वकतनी मातरा म विसतता विरदवता आिामता एि नमरता ह

(2) राइग की सरचनीय आकवततयो का विशलषण- इसक अनतगथत वचतर का आकार रखाओ का

दबाब शरीर क विवभनन अगो को बनान का िम उसका अनपात वदय गय पषठ की वसरवत आवद

का विशलषण वकया जाता हआकवत क आकार का सीिा समबनि वयवकत क आतम सममान स होता

ह वनमन आतम-सममान िाला वयवकत छोिी आकवत बनाता ह जबवक उचच सममान िाला वयवकत

अपकषाकत बड़ी आकवत बनाता ह

(3) आकवततयो की विषय-िसत का विशलषण- आकवततयो का विषय-िसत विशलषण म राइग म

शरीर क विवभनन भागो को महति वदय जान तरा कपड़ो को पहनन आवद का विशलषण वयका जाता

ह यवद वचतर म अनय भागो की अपकषा वसर को अविक महति वदया गया ह तो यह वयवकतति क

अनक मखय पकषो को वयकत करता ह जस यवद वसर का आकार शरीर क अनय भागो स अविक बड़ा

वचवतरत वकया गया ह तब यह वयवकत म आवगक मवसतषक विकार को वयकत करता ह नगी मानिीय

आकवतयो जननवनरयो तरा छाती को विशष महति वदया जाना वयवकत क मनोकामक परिवततयो को

परष आकवततयो म होिो को अविक महति दना समकामक परिवततयो हारो को महति दना

कामकता विरिता एि आिमक तरा अपराि समबनिी भािनाओ को परकि करता ह

कभी-कभी वचतर म हार बनाना छि जाता ह अराथत वयवकत क अचतन मन म अपराि

भािना वछपी ह वजसक कारण िह सिय को दवणडत अनभि करता ह पशचप दवारा वयवकत की कमीज

की जब को महति वदया जाता समवलगता का सचक ह खीची गई आकवत म चाक का होना

आिमकता एि विरिता का सचक ह आकवत वचतराकन म पिी को महति दना सतरी या परष की

वनयवनतरत काम परिवततयो को वयकत करता ह विपरीत वलग की आकवत बनान म असमरथ होना

ियवकत की भीतरी सम-वलगता की परिवतत को इवगत करता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 84

55 कस अधययन विधि कया ह कमर (1995) क अनसार ldquoकस अधययन परायः एक वयवकत का विसतत एि िणाथतमक

अधययन होता ह यह वयवकत की पषठभवम ितथमान पररवसरयो एि लकषणो का िणथन करता ह इसम

विशष परकार क उपचार पररणाम एि परयोगो को िणथन होता ह इसम इस बात काअदाज लगाया

जाता ह वक वयवकत की समसया वकस तरह विकवसत हई रीrsquorsquo

इस पररभाषा क िलसिरप इस विवि म रोगी क बार म परायः इस तरह का परशन वकया जाता

ह- वक रोगी वकस तरह की समसया स गरसत ह वकस तरह की समसया रोगी को सबस जयादा कषट

पहचा रही ह रोगी वकस तरह का वयवकत ह वकस तरह की समसया रोगी को सबस जयादा कषट

पहचा रही ह रोगी वकस तरह का वयवकत ह िह कसमायोवजत वयिहार कयो करता ह िह

सामावजक िातािरण स अपन आप को कस समबवनित करता ह उसक जीिन म तनाि क पदा

होन का कारण कया ह िह इन तनािो को दर करन क वलए कया रासता अपनाता ह रोगी को वकस

तरह क नदावनक उपचार की जररत ह रोग क उपचार क वलए कया वकया जा सकता ह उसक

कया पररणाम हो सकत ह आवद परशनो का उततर इस विवि क दवारा वदया जा सकता ह

िलर (1962) हबर (1961) न अपन अधययनो क आिार पर नदावनक कस अधययन

विवि का एक परारप तयार वकया जो नदावनक मनोिजञावनको क बीच बहत परवसि ि लोकवपरय ह

इसम रोगी क ितथमान भत ि भविषय तीनो पहलओ स समबवनित परशनो का एक अनोखा सगम

वदखन को वमलता ह िलतः रोगी क बार म जो वचतर उभरकर सामन आता ह िह नदावनक क

अधययन विवि म कािी उपयोगी ह

56 नदातनक कस अधययन विधि का सामानय परारप 1) िियमान वसथवि- ितथमान वसरवत म नदावनक मनोिजञावनक रोगी स वनमन पहलओ स समबवनित

परशनो का उततर जानन की कोवशश करत ह

bull रोगी अपनी वदन-परवतवदन की वजनदगी म कौन-कौन सा कायथ करता ह तरा कस करता ह िह

जो कायथ करता ह उसम आदशथता का सतर ह या उसस नीच ह

bull लाकषवणक वयिहार क अनतगथत वनमन सचनाए रोगी स परापत की जाती ह

- सिय रोगी की नजर स िी कौन सी समसया ह जो रोगी को कषट पहचा रही ह उसक लकषण कया ह

- पररिार क सदसय रोगी क वकस वयिहार स सबस अविक परशान होत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 85

- मलयाकन कर रह वचवकतसक क दवषटकोण स मनोिजञावनक कषबिता का आिार कया ह कया रोगी

वचनतन विकवत स गरसत ह कयो रोगी म वचनता विषाद नाकारातमक सिग की अविकता ह वक उस

वनयवतरत करना सभि नही ह

bull रोगी को उपचार गह लान पर उसक मन म कया परतयाशा ह कया रोगी यह उममीद करता ह वक

उसक रोग क लकषण समापत हो जायग या उसक वयवकतति म पररितथन आ जायगा मानवसक

रोग तरा मानवसक सिासय क बार म रोगी का अपना कया विचार ह आवद परशनो का उततर

जानन की कोवशश की जाती ह

bull उपचार गह म रोगी का वयिहार कसा ह कया रोगी उपचार गह म वचवनतत नजर आता ह कया

उसक वयिहार स यह पता चलता ह वक िह परवतरकषा का सहारा ल रहा ह

2) अविविि वििहार-

इस वसरवत म नदावनक मनोिजञावनक रोगी स वनमन वबनदओ पर उततर जानन की कोवशश करत

ह-

bull कया रोगी का सिासय िीक ह उसका शारीररक सगिन कसा ह उसकी बीमारी का इवतहास

कसा ह

bull कया रोगी वचड़वचड़ा ह या सिगो पर उसका वनयतरण ह कया उसक सिग उमर एि पररवसरवत क

अनरप ह कया उसक हाि-भाि तनािपणथ ह

bull रोगी अपन म वयवकतति क वकन गणो का अनभि करता ह और दसर लोग उस वकन गणो क

रप म जानत ह

bull रोगी का वयिहार दसर लोगो क सार कसा ह उसक दोसत वकस तरह क ह उनकी सखया

वकतनी ह

3) विविति गविकी एिा सारिना-

इसम तीन तरह की रचनाओ स समबिपरशन वकय जात ह-

bull रोगी क चतन और अचतन अवभपररक कया ह ि आपस म वकस तरह स समबवनित ह रोगी को

सबस जयादा आननद वकस चीज म आता ह रोगी का नवतक वसिानत कया ह उनक मखय

विशवास कया ह

bull रोगी स अह शवकत वचनतन आतमपरततय स समबवनित परशनो को पछकर सचनाए एकतर की जाती

4) सामाविक वनधायरक िथा िियमान िीिन की पररवसथवि-

bull समह क सदसय की भवमका कया ह रोगी वकस तरह क सामावजक समह स अपना समबनि

रखता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 86

bull रोगी का पाररिाररक समबनि कसा ह रोगी का अपन माता-वपता बचचो पवत ि पतनी क सार

कसा समबनि ह

bull रोगी का विदयालय जीिन क समबनि म इवतहास तयार वकया जाता ह रोगी अपन कायथ आय

स सतषट ह कया उस कायथ स विशराम वमलता ह उसक शौक कया ह

bull रोगी वकस तरह क समाज म रहता ह िह अपन घर म रहता ह या दसरो क घर म

5) मयि िनाि एिा उसस वनबटन की अनिःशवि-

वकन कारणो स रोगी म तनाि उतपनन होता ह कया उसक तनाि का कारण उसक वयवकतगत समबनि

या वििाह या पयार आवद ता नही ह अपन परयासो स वकस सीमा तक रोगी इन तनािो स बच पाता

6) विविति विकास-

रोगी क वयवकतति विकास स समबवनित कछ तयो को एकतर करन की कोवशश की जाती ह रोगी

की परारवमभक जीिन की अनभवतयो एि अनय महतिपणथ लोगो-माता-वपता भाई-बवहन आवद क

समबनघो क सिरप की जानकारी परापत की जाती ह

7) कस वनमायण-

रोगी क समबनि म तीन तरह की सचना परापत करत ह-

bull रोगी की मनोिजञावनक परशानी को समझन की कोवशश की जाती ह कया कोई ऐसा सबत

वमलता ह वजसस रोगी को अपनी विकवत और अविक मजबत करन म बल वमलता ह

bull रोगी क रोग की ितथमान अिसरा की पहचान करन क वलए अनय मनोवचवकतसकीय

विशषताओ पर पहल करन की कोवशश की जानी चावहए

bull रोगी वकन-वकन कषतरो म िीक ढग स काम करता ह तरा वकन -वकन कषतरो म िह िीक ढग स

काम नही कर पाता ह कया रोगी म कोई समवत या वचनतन दोष ह आवद

8) वसफाररश एिा मलिााकन-

कस अधययन विवि का यह िपहल बहत महतिपणथ होता ह

bull िावछत पररणाम

bull सभावित सहयोग

bull भविषय की वजनरी का िम

यवद रोगी सिसर ियवकत बनना चाहता ह तो कौन-कौन स गणो या पररवसरवतयो म पररितथन

लाना आिशयक ह उसकी बड़न िाली परमख आिशयकता कौन कौन सी ह जो वचवकतसीय

हसतकषप क वलए परमख लकषय बन सक

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उततराखड मकत विशवविदयालय 87

कया रोगी की जीिन की ितथमान अिसराओ म पररितथन कर दन स उसका मानवसक तनाि कम

हो जायगा कया रोगी क सार रहन िाल वयवकत स परामशथ वकया जा सकता ह कया रोगी वलए

मनोवचवकतसा जररी ह यवद ह तो उसका सिरप कसा होना चावहए ियवकतक या सामवहक कया

उस वकसी तरह की औषवि या विदयत वचवकतसा की आिशयकता ह

नदावनक इलाज क बाद रोगी क जीिन क बोर म वकस तरह की भविषयिाणी की जा सकती ह

भविषय म रोगी का वकस तरह क मनोिजञावनक एि सामावजक हसतकषप जररी ह

कस अधययन विवि क परारप को वनमन शीषथको म हम बाि कर अधययन कर सकत ह-

1 पररचय समबनिी सचनाए-रोगी का नाम उमर वलग िमथ पशा पता आवद

2 समसया 3 वचवकतसक क पास आन का कारण

4 पाररिाररक इवतहास 5 सिासय एि मवडकल इवतहास 6 सकल एि शवकषक पषठभवम 7 वयवकतगत एि सामावजक समायोजन 8 कायथ एि वयािसावयक ररकाडथ 9 ििावहक इवतहास एि समायोजन 10 वयवकतति िणथन 11 वसिाररश एि पिाथनमान

उकत िणथन क आिार पर हम रोगी क ितथमान भत एि भविषय तीनो क बार म पता लगा सकत ह

57 कस अधययन विधि क गण एि दोष कस अधययन विवि क कछ गण और दोष वनमन ह-

bull इस विवि दवारा वयवकतति समबनिी समसयाओ की समपणथ तसिीर वमलती ह िलतः मलयाकन

की यह परविया कािी विशवसनीय होती ह

bull कस अधययन विवि दवारा नदावनक मनोिजञावनको को ितथमान समय म रोग क उपचार म कािी

सहायता वमलती ह

bull इस विवि दवारा कछ असािारण समसयाओ का भी आसानी स अधययन वकया जा सकता ह

जस-बह वयवकतति विकवत क बार म परापत तय या सचनाए एक मवहला क कस पर आिाररत

रा वजसक तीन वयवकतति र परतयक वयवकतति की समवत पसद तरा वयवकतगत आदत वभनन-

वभनन री

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उततराखड मकत विशवविदयालय 88

कस एक जविल विवि म कछ गणो क अवतररकत कछ सीमाए भी ह-

bull यह एक जविल विवि ह परशनो को िीक ढग स तयार करन क वलए नदावनक सझबझ

कौशल एि समझ की आिशयकता होती ह इसक वलए वकसी योगय परवशवकषत एि कशल

मनोिजञावनक की आिशयकता होती ह

bull इसका सिरप आतमवनषठ ह अतः इसकी विशवसनीयता एि ििता कम होती ह

bull इस विवि दवारा गमभीर मानवसक रोगी का इलाज नही वकया जा सकता ह

उकत कवमयो क बािजद यह कस अधययन विवि नदावनक मनोविजञान की एक सिथशरषठ विवि ह

इसकी महतता नदावनक मनोविजञावनयो क वलए कािी अविक ह

58 साराश नदावनक मलयाकन का परमख उददशय रोगो का वनदान करना होता ह परमख रोगो क वनदान

म कस अधययन परविवि नदावनक मलयाकन की एक सिथशरषठ विवि ह इस विवि दवारा रोगी क

ितथमान भत एि भविषय तीनो पहलओ स समबि परशन दखन को वमलत ह और इन सभी परापत

सचनाओ दवारा हम जो तसिीर (रोगी की) दखन को वमलती ह िह नदावनक रप स कािी उपयोगीर

वसि होती ह

मनोिजञावनक पररकषण क दवारा इसामानय ियिहार को आसानी स समझा जा सकता ह

मनोिजञावनक पररकषण वयिहार का मापन करत ह असामानय वयिहार क परवत मानिीय दवषटकोण क

किास क सार ही सार अनक ऐसी अधययन पिवतयो का विकास हआ वजसक दवारा असामानय

वयिहार क बार म पता लगाया जा सकता ह जब वयवकतति क कछ पहलओ का मापन वयवकतति

सवचयो या अनय विवियो दवारा परायः असभि हो जाता ह तब हम ऐसी वसरवत म परकषपी परविवियो

का परयोग करत ह कयोवक इनक दवारा वयवकतति की आनतररक सतहः तक की दबी हई इचछाओ एि

वयवकतति सरचना का जञान होता ह और इसीवलए परकषपी परविवियो को वयवकतति मापन की शरषठ विवि

समझा जाता ह

59 शबदािली

bull विशवसनीििा एक विशवसनीय परीकषण िह ह वजसस परापत िलाक विशवनीय ह अराथत िही

परीकषण दोबारा उनही पररवसरवतयो म वकय जाए तो पहल जस िलाक परापत हो

bull िधिा जब हम शिता तरा परभािकतापिथक उसी योगयता का मापन करत ह वजसक वलए

परीकषण का वनमाणथ वकया गया ह

bull मानकीकि वजसक वनवित मानक सरावपत वकय जाए

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उततराखड मकत विशवविदयालय 89

bull सनािदौबयलि वनरनतर काम न करन पर भी रकािि का होना

bull गविकी गवत स

bull अविविि विचारो को वय कत करना

bull नदावनक वनदान करना

bull परतिाशा आकाकषा

bull परामशय सलाह दना

bull िगनाशा कणिा

bull मनोविदलिा वयवकत को वकसी िसत पर धयान कवनरत करन म कविनाई होती ह तरा वयवकत

वकसी िसत का गलत परतयकषीकरण करता ह

510 सिमलयाकन हि परशन

bull ररकत सरान की पवतथ कीवजए-

1 मनोनािकीय विवि क परीकषण म कल पद होत ह 2 रोशाथ परीकषण म कल काडथ होत ह 3 रोशाथ परीकषण का परा नाम परीकषण ह 4 मर एि मागथन न सनम परसगातमक बोि परीकषण का वनमाथण वकया 5 कस अधययन विवि मलयाकन की सिथशरषठ विवि ह

bull सतयअसतय बताइय

6 परकषपी परविवि दवारा वयवकत क चतन मन की जानकारी परापत की जाती ह| ( ) 7 शबद साहचयथ परीकषण का वनमाणथ हरसन रोशी न वकया| ( ) 8 सयाही क िबबो क परीकषण का वनमाथण हरमन रोशी न वकया| ( ) 9 परसशातमक बोि परीकषण म तीस मानिीकतत काडथसि होत ह ( ) 10 सनजोदी परीकषण म कल पतीस वचतर होत ह ( )

11 वयवकत परविवियो पर आिाररत म होिर रा एपरसन िसि एक विखयात परीकषण ह ( )

12 कस अधययन विवि का परयोग नदावनक मनोविजञावनक एि मनोवचवकतसक दोनो करत ह 13 वखलौना परीकषण दवारा सपिाथ तनाि भय आिमकता आवद का पता चलता ह

उततर 1) 125 2) 10 काडथस 3) रोशी सयाही क िबबो का परीकषण 4) 1935 म

5) मानवसक रोगो स 6) असतय 7) असतय 8) सतय

9) सतय 10) असतय 11) सतय 12) सतय 13) असतय

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उततराखड मकत विशवविदयालय 90

511 सनदभथ गरनर सची bull डॉ0 अरण कमार वसह उचचतर नदावनक मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास

वदलली

bull डॉ0 डी0 एन0 शरीिासति असामानय मनोविजञान सावहतय परकाशन आगरा

bull डॉ0 महश भागथि आिवनक मनोिजञावनक परीकषण एि मापन भागथि बक हाउस आगरा

bull डॉ0 मो0 ससमान असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसी दास वदलली

bull डॉ0 आर0 एन0 वसह आिवनक असामानय मनोविजञान अगरिाल पवबलकशन आगरा

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ0 गोविनद वतिारी असामानय मनोविजञान विनोद पसतक मवनदर आगरा

512 तनबनिातमक परशन 1 परकषपण शबद का सिथपररम परयोग वकसन वकया

2 परकषपी परविवि दवारा वयवकतति क वकन पहलओ का मापन वकया जाता ह

3 खल परविवि की वििचन वकन दो बातो पर आिाररत होती ह

4 परसगातमक बोि परीकषण म खाली काडथ क वलए परयोजय को कया वनदश वदय गय ह

5 वयवकतति मापन की सिथशरषठ विवि कौन सी ह

6 खल परविवि का परयोग मखयतः वकन कायो म होता ह

7 कस अधययन विवि का परयोग कौन करता ह

8 कस अधययन विवि का परवसि का परवसि एि लोकवपरय वकस मनोिजञावनक का ह

9 परकषपी परविविया कया ह इनकी विशषताओ एि सीमाओ का िणथन कीवजय

10 परसगातमक बोि परीकषण स आप कया समझत ह

11 कस अधययन विवि क परारप की वििचना कीवजय

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उततराखड मकत विशवविदयालय 91

इकाई- 6 सिपन विशलषण 61 परसतािना

62 उददशय

63 वनरा का सिरप

64 वनरा क परकार

65 वनरा की अिसराए

66 हम सोत कयो ह एि वनरा रोग

67 सिपन विशलषण

68 सिपन विशलषण क परकार

69 सिपन क समबनि म विवभनन विचारिाराए

610 सिपन क दवहक सह समबनि

611 आय एि यौन का परभाि

612 सिपन क वसिानत

613 साराश

614 शबदािली

615 सिमलयाकन हत परशन

616 सनदभथ गरनर सची

617 वनबनिातमक परशन

61 परसिािना नीद का आना एक जनमजात अवभपररक ह और यह परतयक वयवकत क वलय आिशयक ह

वसिथ मनषय ही सोत हए नही दख जा सकत बवलक जीि-जनत भी सोत हय दख गय ह और नीद क

सिपन का वदखयी जाना एक आम बात ह बचचा हो या बड़ा परतयक वयवकत क मख स अकसर सनन

को वमलता ह वक आज उसन एक अचछा सिपन दखा या बरा सिपन दखा कभी तो हम सबह उिन

क सार ही सिपन भल भी जात ह और कभी सिपन सच होत भी दख गय ह सिपन कया ह यह हम

कयो वदखायी दत ह यह जानन क वलए पहल हम नीद का अधययन करग और विर सिपन विशलषण

क बार म अधययन करग

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उततराखड मकत विशवविदयालय 92

नीद क दौरान सिदी छवियो और धिवनयो क अनभि को महसस करन को सिपन कहत ह

अनिम म आन िाल सपनो को सिपन दखन िाला एक पयथिकषक क बजाए एक परकि भागीदार की

तरह आम तौर पर महसस वकया करता हदव सपन परायः पोनस (मवसतषक का सयोजक अश) दवारा

उतपरररत होता ह ओर हलकी नीद क (तीवर ऑख गवतक नीद ) दौरान अविकाशतः सपन आया

करत ह

नीद का परभाि परायः समवत (समरण ) पर भी दखा गया ह जब वयवकत आिशयकता स कम

मातरा म सोता ह तो इसका परभाि समवत पर सपषट रप स दखा गया ह एक अधययन क दौरान पाया

गया वक नीद क अभाि म 35 परवतशत तक समवत म वगरािि दखी गई

62 उददशय bull वनरा क सिरप क विषय म जान सक ग

bull हम सोत कयो ह यह जान-सकग

bull वनरा क परकार और अिसराओ क बार म जान सकग

bull परमख वनरा रोगो क बार म जानकारी हावसल कर सकग

bull सिपन का हमार आय और वलग पर कया पड़ता ह क बार म जान सकग

63 तनदरा का सपरप नीद की अिसरा चतन की एक बदली हई अिसरा ह अविकतर वयवकत अपनी वजनदगी का

करीब एक वतहाई भाग नीद म वयतीत करता ह नीद की अिसरा म वयवकत सपतािसरा म होता ह

जब वयवकत नीद की अिसरा म होता ह तो उसकी शरीररक वियाऐ तजी स काम करत ह और जब

वयवकत आख बनद कर लता ह तो वयवकत का मवसतषक जञानवनरयो स सचनाय परापत करता रहता ह

लवकन उनका विशलषण नही कर पाता ह नीद क दौरान हदय और सास की गवत िीमी पड़ जाती ह

िजञावनक रप स नीद का अधययन करन क वलए एलकटरोएनसीिलोगराम का सहारा वलया जाता ह

64 तनदरा क परकार इस कषतर म हय अधययनो क आिार पर नीद को दो भागो म बािा गया ह

1 तीवर आख गवतक नीद (आर0इ0एम0)

2 अतीवर आख गवतक नीद (एन0आर0ई0एम0)

तीवर आख गवतक नीद म हदय ि सास की गवत कािी तज ि अवनयवमत हो जाती ह इसम

वयवकत को गहरी नीद नही आती ह और वयवकत को नीद की अिसरा स अचानक उिा वलया तो इस

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उततराखड मकत विशवविदयालय 93

बात की समभािना लगभग बनी रहती ह वक िह कोई न कोई सिपन दख रहा ह यही कारण ह वक

तीवर आख गवतक नीद को सिपन नीद भी कहा जाता ह

अतीवर आख गवतक नीद म वयवकत को गहरी नीद आती ह इसम नतर गोलक म गवत नी क

बराबर होती ह तरा सास ि हदय की गवत िीमी पड़ जाती ह वयवकत क शरीर का रकतचाप कम हो

जाता ह यवद इस तरह की नीद की अिसरा स वयवकत को उिा वदया जाय तो तीस परवतशत इस बात

की समभािना बनी रहती ह वक वयवकत कोई न कोई सिपन दख रहा ह

65 तनदरा की अिसराए मनोिजञावनक न परषण क दौरान पाया वक कछ लोग ऐस होत ह वजनह नीद स जगाना कविन

होता ह और कछ लोग ऐस होत ह वजनह नीद स जगाना आसान होता ह मनोिजञावनको दवारा इसका

गमभीरता स अधययन वकया गया और पाया गया वक नीद क दौरान मवसतषक म होन िाली िदयतीय

पररितथन वजस एनवसिलोगराम दवारा मवसतषक तरगो क रप म ररकाडथ वकया जाता ह मापन की

कोवशश की गई मवसतषक तरगो क आिार पर इसकी पाच अिसराए होती ह वजसम पररम चार

अतीवर आख गवतक नीद की ि अवनतम अिसरा तीवर आख की गवतक की होती ह

1) पहली अिसरा- वयवकत जब सोन क वलए वबसतर पर जाता ह तो िह उस समय तनािरवहत एि आराम की अिसरा म होता ह और हमार मवसतषक म जो तरग बनती ह उस अलिा तरग कहा

जाता ह जो परवत सकणड 8 स 12 चि की गवत स चलती ह इसक बाद वयवकत को नीद अन

लगती ह तो अलिा तरग बनना समापत हो जाती ह यही स नीद की पहली अिसरा परारमभ होती

ह इस अिसरा म वयवकत को नीद स जगा दना कािी आसान होता ह

2) दसरी अिसरा- इस अिसरा म अलिा तरग और तीवर गवत स (14 स 16 चि परवत सकणड )

बनती ह

3) तीसरी अिसरा- इस अिसरा म जो मवसतषक तरग बनती ह कािी िीमी गवत स ( परवत सकणड 1 स 2 चि ) बनती ह ऐसी तरगो को डलिा तरग कहा जाता ह इस अिसरा म वयवकत को

जगाना रोडा कविन होता ह

4) चौरी अिसरा- यह गहरी नीद की अिसरा होती ह इसम वजतनी भी मवसतकीय तरग बनती ह उसकी करीब 50 परवतशत स अविक डलिा तरग होती ह तीसरी अिसरा की तरह इस अिसरा

म भी नीद स जगाना कविन होता ह

5) पाचिी अिसरा- उपयथकत चारो अिसराए अतीवर आख गवतक नीद की होती ह और जब वयवकत

करीब एक घिा नीद म वबता चका होता ह तो दसरी अिसरा की तरह तीवर आख गवतक

अिसरा की तरह तीवर आख गवतक अिसरा परारमभ होती ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 94

नीद की पाच अिसराओ म स पहली चार अिसराऐ अतीवर नीद की और पाचिी अिसरा

तीवर आख गवतक नीद की होती ह परी रात दोनो अिसराए बारी-बारी स आती रहती ह नीद जो

विवभनन अिसराओ क दौरान मवसतषक तरगो म होन िाल पररितथन को हम वनमन वचतर म दख सकत

66 हम सोि कयो ह एि तनदरा रोग मनोिजञावनको का मानना ह वक हम लोग वकसी तरह की कमी को परा करन क वलए नही

सोत ह बवलक नीद एक ऐसा जररया ह वजसक दवारा हम अपन शरीर म उस पररवसरवत म ऊजाथ

इकििा करत ह जब उसकी आिशयकता वकसी कायथ म नही होती ह जब कोई वयवकत शारीररक या

मानवसक कायथ करता ह तो उसक पररणामसिरप उस शरीररक ि मानवसक रकान होती ह कयोवक

विर स कायथ करन क वलए ऊजाथ की आिशयकता होती ह वयवकत सो जाता ह

परमख वनिा रोग-

कछ वयवकतयो का अपनी नीद पर िश होता ह ि जब चाह वजतनी दर क वलए सो जात ह

दसरी ओर कछ लोगो का अपनी नीद पर वनयतरण नही होता ह और िह बहत मवशकल स ही रोड़ी

दर क वलए सो पाता ह जो वयवकत मवशकल स कम समय क वलए सो पात ह उन वयवकतयो म आग

चलकर नीद स समबवनित कछ विकार या रोग उतपनन हो जात ह

bull अवनरा रोग- रात म नीद न आन पर उस अवनरा रोग कहा जाता ह इस रोग म बहत स लोग

परशान होत ह एक सि क अनसार परषो म लगभग 6 परवतशत और मवहलाओ म लगभग 14

परवतशत की वशकायत रहती ह विशषकर मवहलाओ को रोडा मवशकल स नीद आती ह इस

रोग की एक विशषता यह भी ह वक इसम वयवकत को रोडा मवशकल स नीद आती ह इस रोग

की एक विशषता हय भी ह वक इसम वयवकत को नीद की वजतनी कमी होती ह िह उसस

अविक का अनमान लगाता ह

bull नारकोलपसी- इसम वयवकत का अपनी नीद पर कोई वनयतरण नही रह जाता ह इस रोग स गरसत

वयवकत कभी भी सो जाता ह उदाहरण क वलए ककषा म परोिसर का लकचर चल रहा ह ओर इस

बीच वकसी छातर को नीद आ जाय तो उस नारकोलपसी नही कहा जायगा लवकन यवद

वयाखयान दत-दत परोिसर को नीद आ जाती ह तो उस नारकोलपसी को रोगी कहा जायगा

bull वनरा भरमण- यह एक ऐसा वनरा रोग ह वजसम वयवकत अपन वबसतर स उिकर खली आखो क

सार िहलता ह इनक वयिहार को दखन स लगता ह वक य कछ खोज रह हो अनक अधययनो

दवारा यह सपषट हआ ह वक यह बीमारी अतीवर आख गवतक नीद की गड़बड़ी क कारण होती ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 95

bull रावतर सतरास- इसका अरथ नीद स अचानक घबराकर या डरकर उि जाना इस तरह का सतरास

जयादातर बचचो म दखा गया ह ऐसी अिसरा म जगन क बाद कछ दर तक वयवकत म

असमजसय की वसरवत बनी रहती ह रोड़ी दर तक उस कछ भी समझ म नही आता ह

वनरा िचन क परभाि-

कभी-कभी वयवकत जब कई वदनो तक सो नही पाता ह या नीद नही आती ह तो उसम कछ

लकषण जस समभरवनत वकसी चीज क परतयकषण म कविनाई ि वकसी िसत पर धयान कवनरत करन म

कविनाई आवद विकवसत हो जाती ह

वपछल भाग म आपन पड़ा वक हम सोत कयो ह हम नीद कब आती ह और नीद न आन पर

कौन-कौन स रोग हो जात ह और सोत समय सिपन का आना या दखना एक सिाभाविक वकया ह

इस इकाई म हम सिपन विशलषण क बार म जानकारी परापत करग

67 सिपन विशलषण सिपन एक ऐसी घिना ह जो हम सभी क सार घवित होता ह हम सभी अकसर सिपन दखत

ह कभी य सिपन सखद होत ह और कभी दखद कभी इनका वमला जला रप दखन को वमलता ह

अतः सिपन हम सभी क जीिन का वहससा होत ह इसक बार म जानन की वजजञासा हम सभी म बनी

रहती ह बचच हो या बड़ परायः सभी क मख स सिपन दखन की बात सनी जाती ह

सिपन का तातपयथ वचनत परवियाओ भािो क कम स होता ह जो नीद क दौरान वयवकत क

मन म उतपनन होत ह आवद काल स ही विशषजञो दाशथवनको लखको एि शरीर विजञावनयो का मत ह

वक सिपन का सिरप अलौवकक होता ह अतः सिपन क समय आतमा जो कछ भी दखती ह सनती ह

सिपन ह इसक बाद कछ लोगो नइसकी वयाखया शरीर क भीतर होन िाल पररितथनो क रप की

आजकल मनोिजञावनक न इसकी वयाखया एक मानवसक पराविया क रप म की इनक अनसार वभनन

वभनन तरह की वियाए लगातार चलती रहती ह और सिपन भी इनही लगातार चलन िाली वियाओ

म स एक ह सिपन हमार जीिन की ििनाओ स समबवनित होत ह इनका सिरप विभरवमक होता

ह यही कारण ह वक सिपन िि जान एि नीद खल जान पर सिपन क अनभि तजी स समापत होत हय

वदखाई दत ह पज 1974 न फरायड क विचारो को वयकत करत हय कहा वक सिपन म अचतन क

समबनिो की झलक वमलती ह दवमत इचछाओ की अवभवयवकत होती ह तरा फरायड दवारा इस

अचतन की ओर जान िाला एक राजकीय मागथ कहा गया ह सिपन का तातपयथ वचनतन परवियाओ

भािो क िम स होता ह जो नीद क दौरान वयवकत क मन म उतपनन होत ह सिपन का समबनि तीवर

आख गवतक नीद स होता ह अराथत जब वयवकत गहरी नीद नही आती ह और जब उस तीवर आख

गवतक नीद स उिाया जाता ह तो 80 समय म वयवकत बताता ह वक िह सिपन दख रहा रा परनत जब

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उस अतीवर आख गवतक नीद स उिाया जाता ह तो मातर 7 परवतशत समय म वयवकत सिपन दखत

बतलाना ह

सिपन स समबवनित हम सभी क मन म कछ न कछ परशन उित ह जस-

1) सिपन वकिन समि िक बना रहिा ह- अनक शोिो दवारा यह सपषट हआ ह वक वयवकत दवारा

दखा गया सिपन लगभग उतन ही समय तक चलता ह वजतन समय तक िासतविक वजनदगी की

घिनाय घिती ह इस करन की पवषट क वलए बोलपिथ एि डीमनि न एक अधययन वकया वसम

तीवर आख गवतक नीद वजसम वयवकत सिपन दख रहा रा उिाया गा और उसस दख जा रह सिपन

क बार म बतान को कहा गया और पाया गया वक सिपन का वचतरमवभनय करन म िही समय

लगा वजतना तीवर आख गवतक नीद का रा

2) किा सिी लोग सिपन दखि ह- मनोिजञावनको दवारा वकय गय शोिो स यह सपषट होता वक

परायः सभी लोग सिपन दखत ह और सभी उमर क लोग सिपन दखत ह अनतर वसिथ इतना होता ह

वक कछ लोग नीद स उिन क बाद सिपन क दशय एि परवतमाओ का सिल परवयािाहन कर लत

ह जबवक कछ लोग ऐसा करन म कविनाई महसस करत ह दसरी ओर कछ लोग ऐस होत ह

वजनह नीद स उिाना कािी आसान होता ह और ऐस लोग दख जा रह सिपन का अविक स

अविक परवयािहन करन म सिल होत ह जबवक कछ लोग स होत ह वजनकी नीद गहरी होती

ह उनह नीद स उिाना आसान नही होता ह ऐस वयवकत दख जा रह सिपन का परतयािाहन नही

कर पात ह

3) किा लोग सिपन क विषि िसि को वनिवनतरि कर सकि ह- इस परशन का उततर

मनोिजञावनको न हा म वदया ह और बताया वक कछ हद तक सिपन की विषय िसत को

वनयवनतरत वकया जा सकता ह रोििागथ न इस समबनघ म अपन अधयन दौरान बताया वक जब

परायोजयो को सोन स पिथ लाल रग का चशमा पहनन क वलय दया जाता रा और कछ समय

पिात उनक सिपन पन िाल परभाि का अधययन वकया और पाया वक अविकाश परयोजयो क

सिपन म लाल रग ही वदखाई वदया जब वक उनका यह वनदश उनह सोचन क पिथ कछ समय तक

उनह लाल रग का चशमा पहनन का सझाि गपत रा इसी तरह िािथ और वडक क एक अधययन म

वजसम इस तरह क सझाि का सिपन विषय िसत पर पड़न िाल परभाि को वदखालया इस विवि

म सममोवहत परयोजयो को विसतत सिपन ितानत सनाया गया इस तरह का सझाि दन क बाद

उनह सोन वदया गया और विर तीवर गवतक नीद की अिसरा म पहचन पर उनह उिा वदया गया

और अधययन क दौरान पाया वक कछ परयोजयो न सझाि क तावतिक पहलओ को सिपन म

अविक दखा जबवक कछ अनय परयोजयो न सझाि क विवशषट ततिो को सिपन म अविक दखा

अतः उकत परयोगो दवारा य बात सपषट हो जाती ह वक उततर सममोवहत सझाि क दवारा भी सिपन की

विषय िसत को बदला जा सकता ह

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सिपन की विशषताए -

मनोिजञावनकोक न अपन अधययनो क आिार पर यह सपषट वकया ह वक सिपन वनररथक न

होकर बवलक सारथक वकया ह वजसक आिार पर हम मानवसक रोगो क लकषणो एि गवतक को

समझन सहायता वमलती ह सिपन स समबवनित कछ परमख विशषताए वनमन ह

1) सिपन साथयक होि ह- सामानयतया लोग सिपन को अरथहीन समझत ह परनत सिपन का विशष

अरथ होता ह मनोविशलषको न अनको उदाहरणो दवारा इस सपषट भी वकया ह उदाहरण क वलए

एक बार एक छातर न सिपन दखा वक उसकी मा की मतय हो गयी ह मा का शमशान घाि की

ओर जा रहा रा तो रासत म उसक वपता अचानक बहोश होकर वगर पड ओर उनकी मतय हो

गयी ओर जब छातर क उस सिपन का मनोविशलषक दवारा मनोविशलषण वकया गया तो पाया गया

वक छातर अपन माता वपता दोनो स निरत करता रा कयोवक उन दोनो न वमकर उस अपनी

परवमका क सार परम वयिहार जारी रखन म बािा पहचाई री अतः सिपन वनररथक न होकर

सारथक होत ह

2) सिपन परिीकातमक होि ह- सिपन म हम जो कछ भी दखत ह िह िासति म अचतन की

दवमत इचछाओ का एक परतीक मातर होता ह परतीक का अरथ अलग-अलग वयवकतयो क वलए

अलग-अलग होता ह ऐस परतीक ियवकतक परतीक कहलात ह ऐस परतीको का समबनि वनजी

घिनाओ स होता ह फरायड न अचतन इचछाओ की परतीक की एक लमबी सची दी ह और इन

परतीको को माधयम स सिपन क अरथ को समझना कािी आसान हो जाता ह

3) सिपन विभरमातमक परिवतत क होि ह- सिपन म वयवकत जो कछ भी दखता ह या अनभि करता

ह यह एक परकार का विभरम होता ह कयोवक नीद ििन क बाद सिपनािसरा की सारी बात एि

दशय गायब हो जात ह

4) सिपन आतमगि एिा आतमकनिीि होि ह- सिपन को आतमगत इसवलए कहा जाता ह

कयोवक इसक विषय एि घिनाय वयवकत क वनजी जीिन क अनभिो स समबवनित होता ह

वजसका अनभि किल उस वयवकत को ही होता ह दसर को नही सिपन का कनर वयवकत सिय ही

होता ह

5) सिपन स िविरि का साकि वमलिा ह- परायः सिपन म वयवकत को भविषय म होन िाली

घिनाओ का भी सकत वमलता ह न वसिथ बीती हई वजनदगी की दवमत इचछाओ की ही

अवभवयवकत होती ह

6) सिपन क अििन की दवमि इचिाओा की अविविवि होिी ह- सिपन की घिनाओ एि

विषयो क आिार पर हम अचतन क सिरप का पता चलता ह परायः वयवकत सिपन म उन

इचछाओ की पवतथ का परयास करता ह वजस िह सािारण वजनदगी म सामावजक परवतबनिो क

कारण नही पाया ह अतः सिपन इचछा पवतथ क परयास का एक माधयम ह

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सिपन एक ऐसी मानवसक घिना या परविया ह वजसका मनोिजञावनक महति कािी अविक

ह कयोवक सिपन हम वयवकत क बीती वजनदगी तरा भविषय की घिनाओ दोनो क बार म एक अरथपणथ

जञान दता ह

68 सिपन क परकार सिपन परायः दो परकार क होत ह -

bull सरल सिपन

bull जाविल सिपन

सरल सिपन की घिनाए एि कहानी छोिी ि सरल होती ह तरा इसम दवमत इचछाओ की

पवतथ परतयकष रप स होती ह

जविल सिपन म सिपन की घिनाए लमबी एि एक दसर स इस तरह जडी हई होती ह वक

दवमत इचछाओ की पवतथ अपरतयकष रप स वदख पड़ती ह आिवनक मनोिजञावनको न सिपन म दखी

गयी घिनाओ एि विषयो क आिार पर सिपन को कई भागो म बािा जस इचछापवतथ सिपन वचनता

दणड सिपन परवतरोि सिपन समािान सिपन गवत समबनिी सिपन

1) इचिापविय सिपन- वजस सिपन म वयवकत परतयकष या अपरतयकष तरीक स वयवकत की इचछापवतथ

होती ह जस एक बालक सिपन म पस वखलौन स जी भर कर खलता ह वजस िह जागतािसरा

म खलन की तीवर इचछा रखता ह इस इचछापवतथ सिपन कहत ह

2) दविनिा सिपन- इस तरह क सिपन म वयवकत सिपन दखत-दखत कािी गमभीर हो जाता ह

उसक शरीर पर सिगातमक परशानी सपषट रप स झलकन लगती ह कभी-कभी वयवकत कॉपन ि

जोर जोर स रोन वचललान लगता ह और जब िह नीद स उिता ह तो िह अपन आपको पसीन

स तरबतर पाता ह मनोिजञावनको का मानना ह वक इस तरह क सिपन ऐस वयवकत अविक दखत

ह वजसकी सिगातमक वजनदगी कषबि होन क कारण अविक वचवनतत एि आशवकत रहत ह

3) दणर सिपन- इस तरह क सिपन म सिपन दखन िाला वकसी तरह की सजा पाता ह वजस दणड

सिपन कहा जाता ह इस तरह क सिपन िस वयवकत दखत ह वजनका पराह तो विकवसत होता ह

परनत विर भी कछ ऐस कायथ अपन दवनक जीिन म कर बित ह जो अनवतक एि असमावजक

होत ह इस तरह क सिपन म वयवकत परायः दखता ह वक उस बािा जा रहा ह उसकी आख िोडी

जा रही ह उस पीिा जा रहा ह आवद

4) समाधान सिपन- कछ सिपन ऐस होत ह वजसम वयवकत अपनी समसयाओ का विशषकर

मानवसक परशावनयो तरा सघषो का समािान करता पाया जाता ह जस एक विदयारी जो

गवणत की कविन समसयाओ का हल परायः सिपन म ही करता रा ऐसी कविन समसयाओ का

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समािान जब िह जागतािसरा म नही कर पाता रा तो सिपन म िह ऐसी समसयाओ का

समािान आसानी स कर लता रा

5) िविरिोनमख सिपन- वजस सिपनो म वयवकत जो भविषय म होन िाली वकसी घिना का सकत

वमलता ह उस भविषयोनमख सिपन कहा जाता ह कभी-कभी ऐसा होता ह वक वयवकत म दखता

ह वक उसका परीकषािल वनकल गया ह और िह पास हो गया ह ओर कछ समय बाद

परीकषािल आन पर िह पाता ह वक िह पास हो गया ह इस तरह सिपन आग िाली घिनाओ

की ओर भी सकत दत ह

6) परविरोध सिपन- परवतरोि सिपन वजसम वयवकत सामावजक मानयताओ एि मलयो को तोड़ता ह

उनका परवतरोि करता ह विशर न बताया जस यवद कोई वयवकत सिपन म यह दखता ह वक उसन

अपन शरीर क िसतर उतार कर सडक पर ि क वदय ह कयोवक कछ लोग उसक कीमती िसतर लन

उसक पीछ दौड चल आ रह ह यह एक परवतरोि सिपन ह

7) गवि समबनधी सिपन- इस तरह क सिपन म वयवकत अपन आपको तरत गात उछलत उडत

हय दखता ह इस गवत समबवनित सिपन कहा जाता ह मनोिजञावनको क अनसार ऐस सिपन ि

वयवकत अविक दखत ह वजनकी कालपवनक शवकत अविक विकवसत होती ह

69 सिपन क समबनि म विसभनन विचारिाराए मनोविशलषणातमक विचारिारा क अनसार सिपन अचतन क बार म जानन का एक

महतिपणथ तरीका ह अचतन की इचछाओ एि पररणाओ क माधयम सिपन क माधयम स करता ह

परायः अचतन म ऐसी इचछाय होती ह वजनह वदन परवतवदन क जीिन म परा कर पाना समभि नही ह

िलसिरप ि इचछाए वभनन-वभनन रप िारण कर सिपन क माधयम स वयकत होती ह वजस परिम

दवारा सिपन क अवयकत क वयकत विषय क रप म पररिवतथत होत ह उस सिपन परिम कहत ह

सचना ससािन विचारिारा क अनसार सिपन म वयवकत की वछपी हई इचछाओ एि आिगो

को परवतविमबत नही वकया जाता ह बवलक सिपन दवारा रात म मवसतषक क भीतर मौजद जविल

वियाओ की एक झलक वमलती ह इसक अनसार सिपन का अपन आप म कोई अरथ नही होता ह

वयवकत वदन भी क कायो स वजन-वजन तरह क अनभिो या सचनाओ को परापत करता ह सिपन म

उनही सचनाओ एि अनभवतयो को वयवकत ससावित करता ह

दवहक विचारिारा क अनसार सिपन म मवसतषक की वियाओ की एक आतमवनषठ अनभवत

होती ह अराथत सिपन दवारा ततरीय वियाओ स सजञानातमक ततर क माधयम स कोई न कोई अरथ

वनकालन का परयास वकया जाता ह सिपन वयवकत की समवत एि जञान क ढाच को परवतविवमबत करता

ह अतः ि मानि मन क बार म कछ यराथर सचनाए दत ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 100

610 सिपन क दहहक सह समबनघ सिपन का सीिा समबनि नीद स ह पहल भाग म आपन पड़ा वक नीद दो परकार की होती

ह तीवर आख गवतक नीद अवतवर आख गवतक नीद

तीवर आख गवतक नीद पर सबस पहल अधययन एसरीनसकाई तरा वकलि मन दवारा वकया

गया रा इसम वयवकत को गहरी नीद नही आती ह और िह वभनन-वभनन सिपन दखता रहता ह इस

तरह की नीद म वयवकत आिा सोता ह आिा जागता ह इसम 80 परवतशत य उममीद की जाती ह वक

यवद उस अचानक उिा वदया जाय तो िह वकसी न वकसी सिपन क बार म बतायगा इसीवलए इस

सिपन नही भी कहत ह और अतीवर आख गवतक वयवकत को अचानक उिा दन पर मातर 20 परवतशत

की यह उममीद होती ह वक िह कोई न कोई दख रहा होगा इन दोनो ही अिसराओ म दो तरह क

दवहक सहसमबनघ पाय जात ह

1) ई0ई0जी0 परवतरप- सिपन क दौरान मवसतषक तरगो म सपषट पररितथन वदखाई दत ह वजसका

अधययन इलकटराएनवसिलोगराम दवारा वकया जाता ह डमनि तरा वकलिमन क अनसार जो

वयवकत तीवर गवतक ऑख नीद म सिपन दखता ह उसस मवसतषक म बनन िाली तरग लगभग

िसी होती ह जसी जग रहन की अिसरा म होती ह इस अिसरा म मवसतषक तरग परवत सकणड

8 स 12 चि की दर स उतपनन होती ह इनकी ऊचाई अविक तरा वनयवमत होती ह इनह

अलिा तरग कहा जाता ह इनकी हदय गवत 45 स 100 परवत वमनि ि शवासन अवनयवमत हो

जाता ह अतीवर आख गवतक नीद क दौरान जो सिपन होत ह उसम अलिा तरग कम ि डलिा

तरग अविक दखन को वमलती ह डलिा तरग म 1 स 2 चि परवत सकणड की दर स मवसतषक

तरग बनाती ह इनकी ऊचाई कम तरा अविक वनयवमत होती ह

2) सिपन क दौरान होन िाली अनय शारीररक गवतविवियॉ- अनक अधययनो म दोनो ही अिसराओ म सिपन क दौरान अनक शारीररक पररितथन होत दख गय ह डमनि क एक

अधययन क अनसार जब मानि परयोजयो को तीवर आख गवतक नीद की अिसरा स लगातार

पाच शतो तक एक विशष परबनि दवारा बवचत रखा ओर पाया वक उसम वचडवचडापन वचनता

तरा तनाि आवद अविक पाया गया ऐस परयोजयो का वयिहार वदन म सामानय स कछ अविक

विचवलत पाया गया ऐस परयोजयो क वयिहार एकागरता की कमी तरा समवत लोप क कछ

लकषण पाय गय इस समबनि म एक परयोग वजमबाडो दवारा वकया गया इनहोन अपन परयोग म

वबलली को तीवर गवतक नीद की अिसरा स 70 वदनो तक उस िवचत रखा और पाया वक

वबलली म आिमकता यौन एि िोि जस वयिहारो म पहल स कािी िवि पायी गयी

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उततराखड मकत विशवविदयालय 101

अतः सिपन म कछ परमख दवहक पररितथन होत ह वजनह मनोिजञावनको न

इलकटरोएनवसिलोगराम दवारा तरा तीवर आख गवतक नीद की अिसराओ स परावणयो को िवचत

करक अधययन वकया और सपषट वकया वक सिपन का दवहक अिसराओ स समबनि होता ह

611 सिपन का आय एि यौन पर परभाि कया सिपन का हमार आय एि यौन पर परभाि पड़ता ह यह जानन क वलए हॉल तरा

कासल 1986 न 100 मवहलाओ और 100 परषो क सिपन का विशलषण वकया और वनमन वनषकषथ

वकय -

bull मवहलाओ दवारा जो सिपन दख जात ह ि पहचान एि िरल िातािरण स समबवनित होत ह

परनत परषो क सिपन एक अजनबी ि िाहय िातािरण स समबवनित होत ह

bull मवहलाओ क सिपनो म वकसी वयवकत विशष की नही बवलक वयवकतयो क समहो की परिानता

होती ह जबवक परषो क सिपनो म वयवकतयो क समहो की परिानता होती ह वयवकत विशष की

नही

bull मवहलाओ क सिपन म जो वयवकत या पातर होत ह उसक दवहक आकवतयो क िणथन पर अविक

बल डाला जाता ह परनत परषो सिपनो म ऐसा नही होता ह

bull परषो क सिपन म आिामकता यौन शारीररक उततजना तरा उपलवबि स जडी घिनाओ की

परिानता होती ह परनत मवहलाओ क सिपन म इन चीजो की कमी पाई जाती ह

bull ियसको क अविकतर सिपन म उनकी इचछाओ की तवषट होत पाई गई ह जबवक बचचो क

अविकतर सिपन म आशका क सिग की परिानता होती ह

सिपन क सरोत एि सामगरी-

सिपन क मखयतः तीन सरोत ह -

1) विगत अनभि 2) शशिकालीन अनभवतयो 3) दवहक सरोत

अनक अधययनो क दवारा यह जञात हआ ह वक सिपन म विगत वदनो क अनभिो का सकत

वमलता ह सार ही बचपन की बहत सी घिनाओ की याद चतना म नही होती ह और य घिनाए या

अनभवतयो सिपन क माधयम स वयकत होती ह सिपन वनमाथण पर शरीर की आकवसमक वसरवत

वनरािसरा एि पाचन शवकत का परभाि पड़ता ह य दवहक सरोत शरीर म ही उतपनन होन िाल उददीपक

तरा वयवकत की आनतररक अिसरा स उतपनन होत ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 102

612 सिपन क ससदिानि दाशथवनको शरीरशावसतरयो तरा मनोिजञावनको न सिपन की वयाखया क कछ वसिानतो का

िणथन वकया ह इन वसिानतो को मखयतः तीन भागो म बािा गया ह

1) अलौवकक वसदधानि- यह वसिानत सकडो िषो स चल आ रह विशवास क रप म सिपन का

िणथन करता ह रोम गरीक क परान दाशथवनको एि मधय यग क िावमथक विदवानो का विशवास रा

वक सिपन एक अलौवकक घिना ह जो दिी दिताओ क परभाि स होती ह यवद दिी दिता खश

होत ह तो वयवकत मिर एि आननदायक सिपन दखता ह परनत यवद दिी दिता नाराज होत ह तो

वयवकत भयकर या घबराहि पदा करन िाल सिपन दखता ह पराचीन विदवानो का मानना रा वक

सिपन म वयवकत की आतमा वयवकत क शरीर स अलग होकर विचारण करती ह और िह जो कछ

भी दखती या सनती ह िही वयवकत को सिपन म वदखाई दता ह

परनत आज क यग म अलौवकत वसिानत की मानयता वबलकल समापत हो गयी ह जबवक

आज भी कछ गरामीण कषतरो एि जनजावतयो क लोगो म सिपन की वयाखया इसी वसिानत क परारप

क अनकल की जाती ह

2) सिपन का शारीररक वसदधानि- इस वसिानत क अनसार सिपन शारीररक उततजनाआ की एक

मानवसक अवभवयवकत ह नीद क समय िाहय उततजनाओ क कारण शरीर क भीतर कछ

आनतररक पररितथन होत ह और सिपन इनही पररितथनो की एक अवभवयवकत ह एक ओर महान

दाशथवनक अरसत रॉमस हाबसथ तरा गलन आवद क अनसार नीद की अिसरा म वयवकत की

चतना कािी वनवषिय हो जाती ह और वयवकत को बाहरी जस गमी हिा िड आवद उददीपको

का कछ भी जञान नही होता ह परनत नीद की अियसरा म इस तरह क उततजनाओ का परभाि

वयवकत क विवभनन अगो पर पड़ता ह पररणामसिरप वयवकत क अगो म सनाय परिाह उतपनन होत

ह जो सिदी नयरोन दवारा मवसतषक म पहच सनाय परिाह भरमातमक परवयकषण होता ह यही

भरमातमक परतयकषण हमार सिपन का आिार बनत ह जस वनरािसरा म यवद वयवकत का हार या

पर या कोई अग वबसतर स नीच लिक जाता ह तो परायः उस वयवकत को यही महसस होता ह

वक उसका शरीर वकसी ऊची जगह स नीच की ओर लढक जा रहा ह

तो दसरी ओर परयतन और भल वसिानत क अनसार नीद की अिसरा म बाहरी एि

आनतररक उततजनाओ का परभाि हमार शरीर क अगो पर पड़ता ह वजसका सही-सही अरथ समझन

का परयास तवतरका परणाली दवारा वकया जाता ह कयोवक नीद की अिसरा म तवतरका परणाली की

शवकत सषपत होती ह ओर इसी कारण वनरािसरा म उचच कनरो की शवकत कमजोर पड़ जान क

कारण शारीररक उततजनाओ का अरथ सही ढग स समझन म असिल रहता ह साजणि न शरीररक

आिार की पवषट क वलए एक परयोग वकया वजसम परयोजय को उस समय इतर सघया गया जब िह सो

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 103

रहा रा नीद ििन पर उस परयोजय न सिपन का िणथन इस तरह वकया वक िह अपनी पतनी क सार

दकान स इतर खरीदन गया हआ रा परनत पसा कम पड़ जान क कारण िह ऐसा करन म समरथ न हो

सका और लौिकर घर आ गया इसी तरह कॉणि न बतलाया वक यवद वयवकत आराम म जयादा लता

ह तो उसकी पाचन विया म गडबडी हो जाती ह तरा हदय ि नाडी की गवत तीवर हो जाती ह और

ऐसी वसरवत म वयवकत परायः वचनता का सिपन अविक दखता ह

अतः इस वसिानत क अनसार सिपन का आिार शारीररक होता ह उददीपको दवारा वयवकत

क शरीर क भीतर कछ पररितथन होत ह वजनका अनभि मवसतषक को होता ह िलसिरप वयवकत को

इस उददीपको का यरारथ जञान होता ह

3) मनोिजञावनक वसदधानि- मनोिजञावनक वसिानत दवारा सिपन की वयाखया वयवकत की चतन एि

अचतन की अनभवतयो क रप म की गई कछ मनोिजञावनको जस फरायड एडलर यग तरा

कालथ अबराहम न सिपन क अधययनो म विशष रवच वदखलाई इन लोगो न अपन मनोिजञावनक

विशलषणो क आिार पर बतलाया वक सिपन सारथक होत ह तरा उनका खास उददशय होता ह न

वक वनरथक ि उददशयहीन होता ह फरायड क अनसार सिपन म वयवकत की उन सभी इचछाओ की

पवतथ होती ह जो अनवतक कामक एि असामावजक होन क कारण भी दवमत कर दी गयी री

फरायडन अपन इस वसिानत म सिपन क विषय को कािी महतिपणथ बताया य विषय दो तरह क

होत ह-वयकत विषय अवयकत विषय सिपन म वयकत विषय स तातपयथ उन विषयो घिनाओ या

तयो स होता ह वजस िह सिपन म दखता ह तरा नीद ििन पर उनका िणथन करता ह ओर

सिपन क अवयकत विषय स तातपयथ सिपन म दखी गयी घिनाओ एि तयो क पीछ वछपो अरथ

स होता ह वजसका पता हम सिपन विशलषण क बाद होता ह जब तक सिपन विशलषण करक

वयकत विषय क पीछ वछप हए अरथ को या अवययकत विषय का पता नही लगा वलया जाता ह

सिपन म दखी गई घिनाओ एि विषयो को समझना समभि नही ह फरायड न एक यिती सिपन

का विशलषण करत हए कहा वक एक यिती अकसर सिपन दखा करती री िह राजा रानी क

सार घम रही ह यह वयकत विषय ह वजसका मवहला क जीिन इवतहास क सदभथ म विशलषण

करन पर फरायड न बताया वक िह अपन मा बाप क सार घमना चाहती री लवकन उसक मा

बाप कोई न कोई बहाना बताकर उस ल जान स इकार कर दत र अतः उसकी यह इचछा घीर -

िीर अचतन मन म दवमत हो गयी ह और इस दवमत इचछा पवतथ यिती सिपन म राजा रानी क

सार घमकर कर रही री

परवसि िजञावनक यग न अपन सिपन विशलषण वसिानत म इस बात पर विशष बल वदया वक

सिपन दवारा भविषय की घिनाओ का भी सकत वमलता ह यग क अनसार सिपन भत वपचास क बार

म बतलाता ह तरा सार ही सार भविषय क बार म भी पहल बतलाता ह अनय मानवसक घिनाओ

क सामना सिपनका भी एक कारण तरा एक उददशय होता ह यग न अपन एक सिपन का विशलषण

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 104

वकया और बतलाया वक एक मत वसपाही की पॉकि स उनह एक डायरी वमली उस डायरी म मत

सवनक न अपन तीन वदन पहल दख गय सिपन का िणथन वकया िह अपन तीन वमतरो क सार एक

विशाल ऊच पहाड़ पर चढ रहा ह उसक अनय वमतर उसस आग न बड़न का बार -बार आगरह कर

रह र परनत िह अपन सभी वमतरो की बात अनसनी करत हय आग बढता चला जाता ह अचानक

उसका पर विसलता ह उसका मवसतषक ििता ह और उसकी मतय हो जाती ह इसी घबराहि म

उसकी नीद िि जाती ह सपषट ह वक सवनक क सार िही घिना घिी वजस उसन तीन वदन पहल

सिपन म दखा रा अतः सपषट ह वक सिपन दवारा भविषय की घिनाओ का सकत वमलता ह

एडलर न अपन सिपन क वसिानत म फरायड दवारा परसतावित दवमत कामक इचछाओ क

महति को असिीकार वकया परनत मानवसक सघषथ क महति को सिीकार वकया एडलर क अनसार

सिपन का समबनि वयवकत क जीिन की ितथमान घिनाओ स होता ह इन घिनाओ का समािान

सिपनहषटरा अपन सिपन म करता ह सिपन का िणथन करत हए बतलाया वक एक वयवकत अपन को

बॉस स अविक योगय समझता रा एक रात उसन एक अचछ होिल म िहराया और िह बॉस की हर

तरह स सिा को समवपथत रा बॉस न उसस परसनन होकर उस पदोननवत द दी परनत इसक वलए िह

एक शतथ भी रखता ह वक िह सामन पहाड़ स एक दलथभ िल लाकर उसक कोि म लगा द िह बॉस

की बात को परा करन क वलए पहाड़ पर चढता ह ओर उसका पर विसल जाता ह िह नीच वगर

जाता ह ओर अचानक चीख क सार उसकी नीद खल जाती ह उकत उदाहरण की वयाखया करत हय

एडलर न बताया वक सिपन म शरषटता परिवततयो को तपत करन की कोवशश की जाती ह सार ही सिपन

का समबनि ितथमान घिनाओ स अविक होता ह

सिपन विशलषण क समबनघ म फरायड यग एि एडलर की वयाखया- सिपन विशलषण की वयाखया क

समबनघ म सभी मनोिजञावनको न इस वयवकत क दवनक जीिन की अततत इचछाओ की पवतथ बताया

फरायड न सिपन म अतपत कामक इचछाओ की सतवषट होत माना ह यग न सिपन म जीन की इचछा

जस मौवलक इचछाओ की तवपत होत माना ओर एडलर न इस सिपन म शरषठता परिवततयो को करत

पाया ह इस तरह सिपन क तीनो वसिानतो म वकसी न वकसी तरह की इचछापवतथ पर विशष बल वदया

गया ह

सिपन क वयवकत विषय म बदल दन की विया को सिपन विशलषण कहत ह सिपन विशलषण

क समबनि म फरायड एडलर एि यग न एक सिपन की वयाखया वभनन - वभनन ढग स की -

डदाहरण - एक यिक न एक सिपन दखा वक म अपनी मा एि बहन क सार सीवडयो पर

चढ रहा रा सीड़ी चढत-चढत हम लोग ऊच सरान पर पहच तब मझ पता चला वक मरी बहन को

बचचा होन िाला ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 105

फरािर की विायिा- फरायड न इस सिपन का विशलषण इस ढग स वकया वक इस सिपन क

माधयम स यिक न अपनी बीन क परवत दवमत िामक इचछा की सतवषट की अतयाविक अनवतक

होन क कारण यिक की यह इचछा अचतन म दवमत हो गयही और दवमत इचछा परतीक क रप म

अवभवयवकत एि सतषट हई

िग की वियिा- यग की वयाखा क अनसार यक अपनी उननवत का इचछक रा उसकी यह

इचछा परी न होन स िह अचतन म दवमत हो गयी री और उसकी दवमत इचछा की सतवषट सिपन क

माधयम स हई यहा सीढी ा चढ़ना भविषय म उननवत का परतीक ह मा तरा बहन सहयोगी एि सचच

परम क परतीक ह बचचा पदा होना यिक क भािी जीिन क सखद पकष का परतीक ह यग क अनसार

यह सिपन कामकता स पर ह और इसका समबनि अतीन ितथमान एि भविषय ह

एरलर की विायिा- एडलर अनसार इस सिपन क मािम स यिक न अपनी ितथमान

समसया का समािान वकया ह यिक मलतः हीन भािना स पीवड़त ि शरषठता पान क वलए

परयतनशील रा इसवलए िह मानवसक दवनद का वशकार हो गया और इस दवनद का समािान उसन

सिपन क माधयम स वकया इनक अनसार सीढी ा चढना कविनाई पर विजय पान का परतीक ह मा एि

बहन आतमवनभथरता का परीतक ह और बचचा उसकी सिलता का परतीक ह

एक ही सिपन की वयाखया फरायड यग तरा एडलर न अपन ढग स की ह इसम स वकस

वयाखा को सही माना जाय और वकस गलत य तो तीनो मनोिजञावनको न वयवकत क दवनक जीिन

की अतपत इचछाओ की सतवषट या पवतथ होत माना ह फरायड न सिपन स अनपर कामक इचछाओ की

सतवषटयो पवतथ होत माना ह िही यग न सिपन म जीन की इचछा जसी मौवलक इचछाओ की तवपत ताना

एि एडलर न वयवकत सिपन म शरषटता परिवतयो की पवतथ बतलाया लवकन इन तीनो मनोिजञावनको न

अपनी वयाखया म वकसी न वकसी की इचछापवतथ पर विशष बल वदया

613 साराश नीद की आिशयकता परतयक मनषय को ही नही होता ह बवलक जीि जनत को भी इसकी

आिशयकता होती ह नीद की आिशयकता म वयवकत परायः अचतन अिसरा म होता ह इस अिसरा

म वयवकत दवनया क परवत कम अनवियाशील होता ह और वयवकत क कनरीय तवतरका ततर म भी

पररितथ आ जाता ह परायः सिपन सच होत भी दख गय ह कभी कभी य हम आन िाली घिनाओ क

बार म पहल ही सकत द जात ह वयवकत चाह जागरतािसरा म हो या वनरािसरा म उसम मानवसक

विया वकसी न वकसी रप म चलती रहती ह और नीद की अिसरा म होन िाजी विया सिपन

कहलाती ह सिपन म चलती रहती ह और नीद की अिसरा म होन िाली विया सिपन कहलाती ह

सिपन म माधयम स वयवकत की अचतन इचछाओ की सनतवषट होती वयवकत की दवमत इचछाए जब

अचतन म इकटठा होती रहती ह और नीद की अिसरा म य दवमत इचछाय जब अचतन म इकटठा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 106

होती रहती ह और नीद की अिसरा म य दवमत इचछाय सिपन क रप म परकि होकर अपनी सनतवषट

करती ह

614 शबदािली bull विभरवमक उततजना न होन पर भी उसका अनभि करना

bull दवहि शारीररक

bull दवमि दबी हई

bull परविरोध अिरोि

bull समवि लोप सीखी गयी चीजो का वकसी कारण स पहचान न कर पाना

bull परषण अिलोकन

bull नतर गोलक आख की पतली

bull विकार रोग

bull सपतािसथा अवयकत या सोई हई

615 सिमलयाकन हि परशन सतयअसतय बताइय

1) नीद की असिसरा म वयवकत चतन अिसरा म होता ह 2) वनरा क चार परकार होत ह 3) मवसतषक म होन िाल बदयतीय पररितथन वजस इलकटरोएनवसिलो गराम दवारा मवसतषक तरगो क

रप म ररकाडथ वकया जाता ह

4) तीवर आख गवतक नीद म वयवकत की गहरी नीद आती ह

5) सिपन सरल और जविल दो परकार क होत ह

6) सिपन सरल और जविल दो परकार क होत ह

7) शारीररक वसिानत क अनसार सिपन शारीररक उततजनाओ की एक अवभवयवकत ह

उततर 1) असतय 2) असतय 3)सतय

4)असतय 5)सतय 6)असतय 7)सतय

616 सनदभथ गरनर सची bull अरण कमार वसह आिवनक असामानय मनोविजञान परकाशन मोतीलाल बनारसीदास नई

वदलली

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उततराखड मकत विशवविदयालय 107

bull डॉ0 मोहममद सलमान डॉ0 मो0 तौबाब असामानय मनोविजञान परकाशन मोतीलाल

बनारसीदास वदलली

bull डॉ0 आर0 क0 वसह आिवनक असामानय मनोविजञान अगरिाल पवबलकशनस आगरा

bull डॉ0 डी0एन0 शरीिासति आिवनक असामानय मनोविजञान सावहतय परकाशान आगरा

617 तनबनिातमक परशन bull अवत लघ उततरीय परशन-

1 मनषय अपनी वजनदगी का लभग वकतना समय नीद म वबताता ह

2 अलिा तरग कब बनती ह

3 तीवर आख गवतक नीद पर सबस पहल वकसन कायथ वकया

4 सिपन क समय वयवकत वकस अिसरा म होता ह

5 ई0ईजी का परा नाम कया ह

6 मवसतषक तरगो का मापन वकसक दवारा वकया जाता ह

7 सिपन वकतन परकार क होत ह

8 सिपन क मखय तीन सरोत एि सामगरी कया ह

bull लघ उततरीय परशन-

9 नीद की मखय अिसराए कया ह

10 नीद न आन पर वयवकत को कौन-कौन सी बीमाररया हो जाती ह

11 वयवकत क वलए नीद कयो आिशयक ह

12 सिपन विशलषण स आप कया समझत ह

13 सिपन क दौरान शारीररक गवतविवियो म होन िाल पररितथन कया ह

14 दवहक सहसमबिता स सिपन का कया समबनि ह

15 सिपन का हमार आय एि यौन पर कया परभाि पड़ता ह

bull दीघथ उततरीय परशन-

16 वनरा क सिरप एि परकारो का िणथन कीवजय

17 सिपन विशलषण स आप कया समझत ह सिपन क वसिानतो का विसतत िणथन कीवजए

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 108

इकाई-7 दतनक जीिन की मनोविकतिया 71 परसतािना

72 उददशय

73 दवनक जीिन की मनोविकवतयो का अरथ

74 दवनक जीिन की कछ महतिपणथ विकवतया

741 नामो का भलना

742 बोलन की भल

743 वलखन की भल

744 छपाई की भल

745 पहचानन की भल

746 िसतओ को इिर-उिर रखना

747 अनजान म की गई वियाए

748 साकवतक वियाए

75 साराश

76 शबदािली

77 सिमलयाकन हत परशन

78 सनदभथ गरनर सची

79 वनबनिातमक परशन

71 परसिािना वयवकत का वयिहार उसक अचतन मन स कािी परभावित ि वनदवशत होता ह हमार दवनक

जीिन म परायः कछ ऐस वयिहार घवित होत ह वजनकी जानकारी वयवकत को नही होती और उस

ओर धयान वदलान पर उस आियथ होता ह मनोिजञावनको न ऐस वयिहार को दवनक जीिन की भलो

या विकवतयो क रप म परसतत वकया ह जो वनररथक न होकर सारथक होत ह

वपछली इकाइयो म आपन असामानयता क विवभनन परकारो तरा सामानय और असामानय

वयिहार क बीच अनतर क बार म जाना तरा विवभनन दवषटकोणो क पररपरकषय म असामानयता की

वयाखया का अधययन वकया

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 109

परसतत इकाई म आप हमार दवनक जीिन म घवित होन िाली विवभनन परकार की विकवतयो

का अधययन करग जो कही-न-कही हमार अचतन मन क अवसतति को परमावणत करन म सहायक

होती ह

72 उददशय परसतत इकाई को पढ़न क पिात आप इस योगय हो सक ग वक आप-

bull दवनक जीिन की मनोविकवतयो का अरथ समझ सक

bull दवनक जीिन की विवभनन मनोविकवतयो को रखावकत कर सक

bull रोजमराथ की वजनदगी म घवित भलो का उदाहरण परसतत कर सक तरा

bull विवभनन परकार की दवनक भलो की विसतत वयाखया करन म सकषम हो सक

73 दतनक जीिन की मनोविकतियो का अरथ बीसिी शताबदी क पिाथिथ की सिाथविक महतिपणथ घिना फरायड दवारा अचतन मन की

खोज ह फरायड न अचतन को मन का िसा भाग बताया वजसम अिवसरत विचारो अनभिो आवद

को पनः चतना म नही लाया जा सकता ि या तो सितः दवनक विया-कलापो म परकि होत ह या

सममोहन मनाविशलषण या अनय परायोवगक तरीको दवारा उनह जाना जाता ह अचतन म वछप विषयो

या इचछाओ को वयवकत अपनी इचछानसार चतना म नही ला सकता फरायड न अचतन क सिरप

को सपषट करत हए कहा वक अचतन म वयवकत क सिग विविि परकार क अनभि वयवकत की अतपत

इचछाए उसक विचार आवद का भडारण रहता ह वजनका वयवकत क जीिन क सार वनकि का

समबनि होता ह परनत सामानयतः वयवकत को इसकी जानकारी लश मातर भी नही होती इनका

सिरप अवयकत होता ह परनत य अवयकत विषय हमशा विभाजन रखा को पार करक चतन मन म

आन क वलए सविय रहत ह अचतन मन क अवयकत विषय की इसी परिवतत क कारण विवभनन परकार

की दवनक भल होती ह य भल अचतन क अवसतति को परमावणत करती ह

दरअसल भल करना या गलवतयो का होना मानि जावत की एक सािथभौवमक विशषता ह

कछ भल अजञानता िश होती ह तो कछ की जानकारी वयवकत को होती ह अजञानतािश होन िाली

भलो क अनतगथत बोलन की भल वलखन की भल चीजो को इिर-उिर रखन की भल िादो का

भलना सरान या नाम भलना आवद दवनक जीिन की सामानय भल आती ह इन भलो क कारण

अचतन होत ह अराथत इन तरवियो या भलो की चतना वयवकत को नही होती चवक दवनक जीिन की

य भल या गलवतया अचतन क परभाि स होती ह इसीवलए वयवकत इन भलो क परवत अजञान रहता ह

तरा अनायास या वबना धयान क होन िाली गलती कहकर सतषट हो जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 110

सामानयतः इन भलो को वनरिशय असाििानी रकान रकत सचालन की गड़बड़ी

शारीररक असिसरता अरिा मातर सयोग का परवतिल माना जाता ह परनत परायः यह दखा जाता ह

वक इन कारणो क नही रहन पर भी इस तरह की भल हआ करती ह

फरायड न अपनी पसतक lsquoसाइकोपरोलॉजी ऑि एिरीड लाइिrsquo (1914) म इन सामानय

भलो क बार म विसतार स िणथन वकया ह तरा इन भलो को उददशयपणथ बतलाया ह फरायड क

अनसार दवनक जीिन की य भल िसततः मनोविकवतया ह अतः मनोिजञावनक दवषटकोण स

महतिपणथ ह तरा इन भलो क कारण वयवकत क अचतन म दवमत विरोिी विचार आिामक

परिवततया काम भािनाय एि अतपत इचछाए होती ह फरायड का मत ह वक वयवकत क सामानय जीिन

म होन िाली इन सािारण गलवतयो दवारा अचतन म दवमत विचारो या अतपत इचछाओ की चतन

अवभवयवकत होती ह अतः दवनक जीिन की सामानय भलो दवारा अचतन की दवमत इचछओ को

जाना जा सकता ह सार ही वयवकत की इन भलो क माधयम स मानवसक सघषो का समािान सहज

ढग स हो जाता ह कयोवक इन सािारण गलवतयो की उतपवतत अह की रकषा यवकतयो दवारा होती ह

इसीवलए फरायड न दवनक जीिन की सामानय भलो को वमतवययी या लाभकारी माना ह कयोवक

मानवसक सघषो क समािान का यह सहज माधयम या आसान तरीका होता ह असत दवनक जीिन

की मनोविकवतयो क वनवित कारण और विशष महति होत ह तरा उनम वमतवययी लाभकारी होन

का गण पाया जाता ह

74 दतनक जीिन की कछ महतिपणथ विकतिया अचतन क अवसतति को परमावणत करन हत फरायड न कछ महतिपणथ विकवतयो का

उललख वकया जो हमार वदन-परवतवदन क जीिन म दखन को वमलती ह ऐसी विकवतया या भल

वनमनवलवखत ह-

1 नामो का भलना 2 बोलन की भल 3 वलखन की भल 4 छपाई की भल 5 पहचानन की भल 6 िसतओ को इिर-उिर रखना

7 अनजान म की गई वियाऐ

8 साकवतक वियाऐ

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 111

741 नामो का िलना -

नामो का भलना मानि समाज म एक सामानय घिना ह अपन दवनक जीिन म कभी-कभी

हम अपन पणथ पररवचत वयवकतयो सरानो अरिा वकसी महतिपणथ वतवरयो को अचतन रप स भल

जात ह इस तरह की भलन की घिनाए असरायी एि सरायी दोनो तरह की होती ह तरा वयवकत क

दवनक जीिन की सामानय घिनाए होती ह जस कोई वयवकत वकसी क नाम को अचछी तरह जानता ह

परनत कछ समय क वलए उस िह नाम याद नही आता हालावक िह उस दखकर पहचान लता ह

इसी तरह कोई वयवकत वकसी काम को करना चाहता ह पर भल जाता ह लवकन बाद म उस िह

याद आ जाता ह इस परकार क भलन की विया असरायी अराथत रोड़ समय क वलए ही होती ह

भलन की कछ वियाए सरायी भी होती ह जस कोई चीज कही रख दना और विर उस ढढ न

सकना वकसी पिथवनिाथररत कायथिम को भल जाना इतयावद

सािारणतः इस परकार क भलन की विया का कोई सपषट कारण हम पता नही चलता तरा

हम आियथ होता ह कभी-कभी ऐसी भलो को हम वनररथक और मामली घिना मानकर धयान नही

दत परनत फरायड न इन भलो को वकसी महतिपणथ बातो का साकवतक लकषण माना ह उनक

अनसार वयवकत lsquoसहीrsquo या lsquoगलतrsquo जो कछ भी करता ह िह कारण-परभाि क वनयमो स बिा हआ

होता ह अतः पररवचत नामो को भलन क पीछ भी कोई-न-कोई कारण जरर होता ह अराथत वबना

वकसी कारण क वयवकत कछ नही करता फरायड न इस समबनि म यह बतलाया ह वक इस तरह की

भलो क कारण अचतन म दवमत दःखद या अवपरय अनभि अरिा आिामक एि कामक इचछाए

होती ह इन दवमत इचछाओ क िलसिरप उतपनन मानवसक सघषो स मवकत पान हत अचतन रप स

हम इनह भल जाना चाहत ह इसवलए अजञानतािश हम अपन पररवचत वयवकतयो सरानो अरिा

िसतओ क नामो कषवणक अरिा सरायी रप स भल जात ह कषवणक रप स भलन क कारण परायः

अिथचतन सतर पर रहत ह इसीवलए वजस समय हम कछ याद करना चाहत ह उस समय िह बात

याद नही आती लवकन रोड़ा परयास करन पर अरिा कछ समय बाद ि बात चतना म आ जाती

ह और तब ि बात याद हो जाती ह लवकन सरायी रप स भलन या कछ अविक समय तक नही

होन क कारण अचतन म रहत ह इसवलए य बात जलदी ही याद नही होत

चवक नामो को भलन की विया अिथचतन या अचतन कारणो स होती ह इसवलए वयवकत

को इनका कोई सपषट कारण नही मालम पड़ता ह िसततः इसम lsquoअहrsquo की रकषायवकत दमन का मखय

हार रहता ह अतः भलन की इस सामानय घिना दवारा अचतन म दवमत इचछाए परकि होती ह

फरायड न अपनी पसतक म एक घिना का वजि वकया ह lsquoकrsquo नाम क वकसी यिक का एक

मवहला स परम हो गया लवकन यह परम एक तरिा रा अराथत उस यिती न lsquoकrsquo नाम क यिक क

परवत कोई परम न वदखाई और कछ वदनो क बाद उसकी शादी वकसी lsquoखrsquo नाम क यिक क सार हो

गयी lsquoकrsquo नाम का यिक lsquoखrsquo नाम क यिक को पहल स जानता रा और दोनो एक सार वयापार

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 112

करत र लवकन अपनी परवमका की lsquoखrsquo नाम क यिक स वििाह क बाद lsquoकrsquo lsquoखrsquo क नाम को

भल गया रा और दसरो स पछा करता रा वक िह कौन ह

इस परकार िह lsquoकrsquo नाम का वयवकत अपन परवतिनदी lsquoखrsquo क बार म अपन पररचय को भल

जाना चाहता रा ऐसा करन स िह यिती अभी भी उसकी सभावित पतनी क रप म परतीत होती ह

और उसक सार वििाह-सतर म बिन की उसकी अचतन म दवमत इचछा की सतवषट होती ह

ऐसी भलो म सही नाम की जगह गलत नाम याद आन वकसी उददशय वकसी कायथ को करन

का वनिय या सकलप इतयावद को भल जान की भी गणना होती ह सामानय जीिन क अनक

अिसरो पर हम इस परकार की गलवतयो क वशकार होत ह वकसी वयवकत दवारा अपनी परवमका का

वकसी दसर स वििाह हो जान क बाद उसक सही उपावि नाम को भल जाना और उसकी जगह

वििाह स पहल क उपाविनाम का ही बार-बार याद होना गलत नाम याद होन का उदाहरण ह यहा

भी वयवकत अचतन रप स उस यिती को अपनी सभावित पतनी क रप म दखना चाहता ह इसीवलए

सही नाम की जगह गलत नाम ही उसकी चतना म बार-बार आता ह इसी तरह हम उन वयवकतयो या

सरानो क नामो को भी भल जाना चाहत ह वजनक सार दःखद या अवपरय अनभि समबवनित होत

ह इसक अवतररकत हम उन नामो को भी भलत ह वजनक सार आिामक और कामक इचछाए या

घणा क भाि जि होत ह लखक को एक ऐस यिक स भि हई जो अपनी सौतली मा का नाम भल

गया रा उसस कछ दर की बात-चीत क बाद पता चला वक उसकी सौतली मा बहत ही िर सिभाि

की री और उस कई बार जहर दकर मार डालन का परयास भी कर चकी री इसस उस यिक क मन

म सौतली मा क परवत घणा का भाि उतपनन हो गया रा जो अचतन म दवमत हो गया रा इस परकार

सौतली मा क नाम को भल जान स उसक अचतन म दवमत घणा क भाि का सकत वमलता ह

फरायड न फर क नाम क एक वयवकत का उदाहरण वदया ह िह फरानस का रहन िाला रा एक बार िह

भारतिषथ आया रा और एक तालाब क वनकि अपन वपरय पालत कतता क सार ढला मारकर खल

रहा रा इस िम म कतता तालाब म वगर गया लवकन तब भी फर क ढला ि क- ि क कर कतता क सार

खलता रहा अनततः िह कतता तालाब म वगरकर मर गया इस दःखद घिना का फर क क मन पर

बहत गहरा परभाि पड़ा वजसक िलसिरप िह अपन शहर क एक सपरवसि बाजार का नाम

वजसका नाम पौड रा भल गया उस अपनी इस भल का जञान उस समय हआ जब उसक एक दोसत

न कछ जररत की चीजो को खरीदन हत उपयथकत बाजार क बार म पछा फर क उस बाजार स अचछी

तरह पररवचत रा विर भी जब उस उस जगह का नाम याद नही हआ तो उस इस पर बहत आियथ

हआ यहा उस पौड नाम क जगह का नाम भल जान का कारण तालाब वजस अगरजी म पौड कहत

ह क सार समबवनित उपयथकत दःखद या अवपरय घिना री वजसक िलसिरप िह शबद अचतन म

दवमत हो गया रा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 113

हम अपन दवनक जीिन म इसी तरह की अनक बातो को भलत रहत ह जस पतर डाकखान

म डालना भलना वकसी स ली गई िसत को लौिाना भलना वकसी की चीज को सरवकषत रखकर

ढढ नही सकना अपन िायदो को भल जाना आवद बातो क पीछ अचतन म दवमत अतपत इचछाए

काम करती ह

इस तरह उपयथकत उदाहरणो स यह सपषट ह वक नामो को भलन क पीछ वयवकत का कोई-न-

कोई उददशय वनवहत रहता ह जो उसकी अतपत आिामक एि कामक इचछाए दःखद या अवपरय

घिनाओ क अनभि घणा क भाि इतयावद का सकत करत ह वयवकत इन अवपरय एि दःखद

घिनाओ क कारण उतपनन मानवसक सघषो क तनाि स मवकत पान हत इनह अचतन म दवमत करता

असत वकसी महतिपणथ विषय सरान वतवर िसत इतयावद क नामो का भलना दवनक

जीिन की मनोविकवतया ह

742 बोलन की िल -

बोलन की भल स तातपयथ ह वक हम बोलना कछ चाह और बोल और कछ दवनक जीिन

म बोलन म परायः ऐसी भी भल हो जाया करती ह कभी-कभी बोलन म हम ऐसी बात बोल जात ह

वजसक वलए हम चतन रप स तयार नही रहत ऐसी गलवतयो पर हम सिय आियथ होता ह वकनत

हमार दवनक जीिन क विया-कलापो की य सामानय घिनाए होती ह इस समबनि म मररगर और

मयर न बतलाया ह वक बोलन की भल परायः शबदो की धिवनयो म समानता क कारण होती ह

लवकन फरायड न इस तरह की गलवतयो को भी अचतन स परभावित माना ह फरायड क अनसार इस

तरह की गलवतया भी वयवकत क अचतन मन म दवमत इचछाओ को वयकत करती ह इस समबनि म

बराउन न अपन एक वमतर का उदाहरण वदया ह बराउन क एक वमतर को अपन ऊपर कािी गिथ रा िह

अपन को अनय वमतरो की तलना म अविक शरषठ समझता रा तरा दसरो को उतना महति नही दता

रा एक बार उस िजञावनको की एक सभा म अपन एक वमतर क लख पर बिाई दनी री सामानय रप

स उस कहना रा- lsquolsquoकया म इस महान लख पर अपना सािारण विचार परकि कर सकता हrsquorsquo इसी

तरह फरायड न एक यिा वचवकतसक न एक बार वकसी सभी म डॉ0 विकोि क परवत सममान परकि

करन क िम म अपन नाम की जगह अपन को डॉ0 विकोि कहकर सबोवित वकया जब उपवसरत

लोगो न उसस यह जानना चाहा वक कया उसका भी नाम विकोि ह तो तरनत ही उस अपनी गलती

का अनभि हआ फरायड न इस गलती की वयाखया करत हए कहा वक िसततः िह यिा वचवकतसक

अपन को डॉ0 विकोि समकष वसि करना चाहता रा और उसकी यही इचछा बोलन की तरवि कारण

री िह यिा वचवकतसक चवक अपन को डॉ0 विकोि क समककष समझता रा इसीवलए िह सिय

को अचतन रप स डॉ0 विकोि कहकर सबोवित वकया रा इस वसलवसल म फरायड न अपन एक

आलोचक का भी दषटानत वदया ह उनका एक आलोचक उनह हमशा नीचा वदखान की इचछा रखता

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रा वजसक िलसिरप िह जब कभी भी फरायड क समबनि म कछ कहना चाहता रा परायः िह

अपना ही नाम बोलता रा जस कभी िह कहता lsquoजसा वक आप सभी जानत ह वबरयअर और हमन

इस तय पर अचछी तरह परकाश डाला हrsquo जबवक िह कहना चाहता रा वक जसा वक आप सभी

जानत ह वबरयअर और फरायड न इस तय पर अचछी तरह परकाश डाला हrsquo इस तरह अचतन म

फरायड को नीचा वदखान की दवमत इचछा या मनोिवतत क कारण आलोचक क बोलन म तरवि हई

ऊपर वदए गए उदाहरणो स सपषट होता ह वक विवभनन नामो क उचचारण करन म धिवनयो की

समानता नही रहन पर भी बोलन की भल होती ह अतः मररगर न ऐसी गलवतयो क जो करण

बतलाय ह ि सही नही ह िसततः य भल भी अचतन रप स दवमत अतपत इचछाओ घणा या दवष

की भािना अरिा अवपरय अनभिो क सावकवतक परतीक ह हमार दवनक जीिन म भी इस तरह की

गलवतयो क अनक उदाहरण वमलत ह एक वयवकत पड़ोस क एक घर म मतय का समाचार सनकर

पररिार िालो को सहानभवत परकि करन गया और कहा- lsquolsquoइनकी मतय स मझ बहत खशी हrsquorsquo

जबवक िह कहना चाहता रा- lsquolsquoइनकी मतय स म बहत दखी हrsquorsquo इसी परकार एक यिक lsquoरीताrsquo नाम

की एक सहपाविनी स वमलन गया उसन उस लड़की की मा स कहा- म lsquoरवतrsquo स वमलना चाहता ह

िसततः िह यिक lsquoरीताrsquo स परम करता रा तरा lsquoकाम-इचछाrsquo की पवतथ करना चाहता रा उसकी यह

इचछा lsquoरीताrsquo की जगह lsquoरवतrsquo शबद का उचचारण दवारा परकि हई एक बार एक lsquoनताrsquo को वकसी

सभी का उदघािन करन हत आमवतरत वकया गया उकत नता सभी की कायथिाही परारमभ करन की

घोषणा करन हत जब उि तो उनहोन कहा-rsquoसजजनो म घोषणा करता ह वक lsquoकोरमrsquo परा ह और अब

म सभी की कायथिाही बद करता हrsquorsquo नताजी को बोलना रा- lsquolsquoसजजनो म घोषणा करता ह वक

lsquoकोरमrsquo परा ह और अब म सभी की कायथिाही परारमभ करता हrsquorsquo नताजी क भाषण की यह गलती

िासति मइसवलए हई वक ि इस सभा को नही होन दना चाहत र उनकी दवषट म इस सभी का कोई

औवचतय नही रा और न इस सभी स कोई सारथक उददशय ही परा हो सकता रा अतः उनहोन इस

सभी की कायथिाही परारमभ करन क बजाए बद करन की घोषणा की

इस परकार सपषट ह वक दवनक जीिन म बोलन की गलवतया अचतन की इचछाओ क सकत

होत ह और ि विकत मानवसकता क लकषणो क रप म परकि होत ह

743 वलखन की िल -

बोलन की गलती की तरह lsquoवलखन की गलतीrsquo भी हमार सामानय दवनक जीिन की आम

बात ह इस तरह की गलवतयो स भी वयवकत क मनोविकारो का पता चलता ह परायः यह दखा जाता

ह वक हम वलखना कछ चाहत ह और वलख कछ दत ह िसततः इस परकार की गलती भी हमार

अचतन म दवमत अतपत इचछाओ क परतीक या सकत होत ह ऐसी गलवतयो म वकसी महतिपणथ

शबद का छअ जाना अविक शबद वलख दना या सही शबद क बदल कोई अनय शबद वलखना बाद

क शबदो को पहल वलखना आवद गलवतयो की भी गणना की जाती ह सािारणतः इन गलवतयो का

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कारण भाषा जञान का अभाि या वलखत समय धयान का बिना आवद समझा जाता ह लवकन फरायड

न इस तरह की कछ गलवतयो का विशलषण करक यह वसि वकया ह वक य गलवतया अचतन की

परिवततयो क कारण होती ह बराउन न अपनी पसतक म अपन एक वमतर का उदाहरण वदया ह उसक

वमतर को इगलड जान की इचछा री परनत कछ कारणिश उस वशकागो जाना आिशयक हो गया

उसन वशकागो क अपन पिथ पररवचत वमतर को अपन आन की सचना दन हत पतर वलखा वक िह शीघर

ही उसस वमलन पहच रहा ह पतर को वलिािा म डालकर उसन पता वलखन म एक भल कर दी

उसन पता इस परकार वलखा- सपषट ह वक इगलड जान की उसकी इचछा वशकागो म रहन िाल वमतर

को भज जान िाल वलिाि पर गलत पता वलखन की भल म परकि हई ह

इसी तरह एक नसथ को वकसी यिा डॉकिर स परम हो गया उसन डॉकिर को एक पतर वलखा

वजसम डॉकिर की जगह lsquoवडयरrsquorsquo शबद का परयोग वकया एक बार डॉ0 कालथ मवनगर अपन पशा क

कायथ स एक वयवकत स वमलन गय परनत उस वयवकत न इनक परवत कोई विशष रवच नही वदखलाई

मातर सामानय आवतय ही वकया मवनगर न िापस आन क बाद उस वयवकत को अपना िनयिाद पतर

वलखा और जब इसको दबारा पड़ा तो दखा वक उनहोन एक भयकर गलती कर दी ह उनहोन अपन

पतर म वलखा रा- म आपको िनयिाद जञावपत करना चाहता ह कयोवक हमार सममान म आपन कोई

वशषटता नही वदखलाईrsquo लवकन ि वलखना चाहत र- lsquoम आपको िनयिाद जञावपत करना चाहता ह

कयोवक हमार सममान म आपन कािी वशषटता वदखलाईrsquo

यहा सपषट ह वक डॉ0 मवनगर उस वयवकत क उदासीन वशषटाचार क परवत आभार परकि करन

की इचछा नही रखत र इसीवलए अचतन रप स उनहोन lsquolsquoकािी वशषटताrsquorsquo की जगह कोई वशषटता

नही वलख वदया रा

अवनता और रजना नाम की दो सहवलया री अवनता का वििाह उसक एक सहपािी क

सार हई री रजना को इस बात की जानकारी री सयोग स वजस यिक क सार अवनता का वििाह

हआ रा रजना उसस परम करती री परनत उस सिलता नही वमली अवनता वििाह क कछ वदनो

बाद रजना न अवनता को एक पतर वलखा परनत उस पतर म उसक पवत क बार म कोई वजि नही

वकया सार ही उसन अवनता को वििाह स पिथ क सबोिन का ही परयोग वकया उसन lsquoसौभागयिती

अवनताrsquo की जगह lsquoसशरी अवनता कमारीrsquo वलखा रा यहा रजना दवारा अवनता क पवत क बार म कछ

नही वलखन और अवनता को lsquoकमारीrsquo वजसकी अवभवयवकत इस सामानय भल दवारा हई री

ऊपर क उदाहरणो स यह सपषट ह वक वलखन की भल वयवकत क अचतन म दवमत

मनोविकारो क सकत होत ह

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744 िपाई की िल -

छपाई की भलो की वशकायत बहिा दखी जाती ह इस तरह की भल पसतको समाचार

पतरो एि अनय विजञापनो क पचो इतयावद म परायः वमलती रहती ह अनक बार इस तरह की गलवतयो

का सिार भी दखन को वमलता ह लवकन इस सिार म भी गलती हो जाती ह इस तरह की

गलवतयो क वलए परिरीडर लखक कमपोवजिर समपादक इतयावद सभी वजममदार होत ह इसीवलए

वकनही एक क मनोविकार क आिार पर इन भलो क कारणो की वयाखया नही की जा सकती

लवकन इतना जरर ह वक ऐसी गलवतयो दवारा भी अचतन म दवमत परम और घणा क अतपत भािो या

विचारो क सकत वमलत ह एक बार lsquoसोसल डमोिविकrsquo अखबार म वकसी उतसि का समाचार

छपा इस समाचार म य शबद छप र-

lsquolsquoउपवसरत वयवकतयो म वहज हाइनस कलाउन वपरस भी रrsquorsquo कलाउन का अरथ अगरजी म

lsquoविदषकrsquo होता ह अगल वदन इस गलती को सिार कर छापा गया- इस िाकय को इस तरह पढ़-

lsquoवद िो वपरनसrsquo भी उपवसरत र यहा विर एक गलती हो गई- lsquoिाउन वपरस की जगह lsquoिो वपरसrsquo

(कौआ राज कमार) छप गया इस दहरायी गयी गलती स यह सपषट हो जाता ह वक परस क परायः

सभी समबवनित कमथचारी उस lsquoिाउन वपसrsquo स घणा करत र इसीवलए बार-बार अपमान जनक

सबोिनो को परस क वकसी कमथचारी दवारा सिारा न जा सका

इसी तरह एक यि सिाददाता वकसी परवसि सनापवत स वमला उस सनापवत की

कमजोररया बहत ही परवसि री उसस वमलन क बाद उसक बार म एक वििरण lsquoबिल-सकयडथ

ििरनrsquo छप गया अगल वदन कषमा याचना क सार गलती का सिार वकया गया और यह छपा

lsquoबिल सकयडथ ििरनrsquo की जगह lsquoबौिल सकाडथ ििरनrsquo यहा lsquoसकयडथrsquo को सिार कर lsquoसकाडथrsquo िीक

कर वदया गया लवकन lsquoबिल की जगह lsquoबौिलrsquo छप गया यहा भी छपन की गलती दहरायी गयी

ऐसी गलवतयो को हम lsquoपरस की भलrsquo अराथत छापन िालो की असाििानी कहत ह परनत िसततः

इन गलवतयो दवारा वयवकत क अचतन म दवमत इचछाओ क सकत वमलत ह

अतः छपाई की भलो म परायः उलिा समाचार या अवपरय समबोिन की गलती होती ह इन

गलवतयो की वयाखया भी मनोविकवत क रप म दी जा सकती ह जसा वक ऊपर क उदाहरणो क

सदभथ म दी गई ह

745 पहिानन की िल -

हमार दवनक जीिन की अनक गलवतयो म वकसी वयवकत सरान या िसत की सही पहचान

करन म होन िाली गलवतया भी शावमल ह अनक अिसरो पर हम वकसी अपररवचत वयवकत को

पररवचत वमतर समझ बित ह ऐसी गलती परायः सबो स हआ करती ह सािारणतः ऐसी गलवतयो

का कोई सपषट कारण नही दीखता लवकन फरायड न इन गलवतयो क पीछ भी वयवकत की अचतन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 117

इचछाओ का हार बतलाया ह lsquoपहचानन की भल मानवसक अनतदवथनदव क कारण होती हrsquo जब कोई

वयवकत वकसी वपरय िसत या अपन परम पातर को दखना चाहता ह तो िह अपररवचत को अपना

परमपातर समझ लता ह इस परकार की भलो स परमपातर स वमलन की इचछा पणथ होती ह

पहचानन की भल एक और तरह की होती ह कभी-कभी वकसी िसत या वयवकत क

उपवसरत रहन पर भी हम उस नही दख पात ऐसा इसवलए होता ह वक हम उस नही दखना चाहत

उसक परवत अचतन म घणा या आिामक भाि दवमत होत ह जस वकसी ऑविस क एक कमथचारी

को अपन अविकारी क पास कोई जररी िाइल उपवसरत करनी री उस िाइल म रख गय कागजो

म एक जररी कागज नही वमल रहा रा िह कमथचारी भयभीत हो गया इिर बार-बार अविकारी की

ओर स उकत िाइल की माग हो रही री अनततः िह भयभीत कमथचारी िाइल क सार उस

अविकारी क पास गया िहा पहल स ही कई लोग उपवसरत र कमथचारी न उपवसरत लोगो म स

एक स अविकारी क बार म पछा-rsquoसाहब कही गय ह कयाrsquo इस पर अविकारी चवकत हआ शीघर

ही उस कमथचारी को अपनी भल का एहसास हआ और उसन कषमा याचना की सपषट ह वक िाइल म

जररी कागजात नही रहन क कारण िह अपन अविकारी स वमलना नही चाहता रा इसीवलए

उपवसरत अविकारी को पहचानन म उस कमथचारी न भल की री

इसी तरह सड़क पर जात हए वकसी अपररवचत को अपना पररवचत वमतर समझना अपनी

बगल स वकसी पररवचत वमतर को गजरत हए नही दख सकना समाचार पतरो म वकसी समाचार क

रहत हए भी उस नही दख पाना इतयावद गलवतयो क पीछ अचतन म दवमत इचछाए सविय रहती ह

746 िसिओा को इधर-उधर रखना -

बहिा हम िसतओ को इिर-उिर रख दत ह और समय पर जब उनह ढढत ह तो िह चीज

नही वमलती यह भी हमार दवनक जीिन की आमतौर स होन िाली भल ह वजसकी तह म अचतन

की दवमत अतपत इचछाए होती ह फरायड न इस समबनि म यह बतलाया ह वक िसतओ को ब-जगह

रख दन स यह सकत वमलता ह वक वयवकत म उस िसत को कछ समय या सदा क वलए हिा दन की

परिवतत री फरायड न इसका एक उदाहरण वदया ह-एक नौजिान को अपनी पतनी स मनमिाि रा

नौजिान पतनी को वबलकल परमहीन समझता रा हालावक िह उसक कवतपय शरषठ गणो की कर

करता रा विर भी दोनो वबना परम क सार रहत र एक वदन उसकी पतनी बाजार स लौित समय

अपन पवत की पसनद की एक पसतक खरीद कर लाई पवत न यह अनभि वकया वक उसकी पतनी न

रोड़ा सा उसका धयान रखा ह इसक वलए उसन पतनी को िनयिाद वदया और पसतक को पढ़न का

िचन दकर इस अपनी पसतको की आलमारी म रख वदया उसक बाद िह पसतक कभी उसक हार

न आयी महीनो गजर गय और अनक बार उस पसतक को ढढन की कोवशश की लवकन सब बकार

गई लगभग 6 महीन बाद उसकी पतनी अपनी सास की सिा करन घर चली गई उसकी सास बहत

गभीर रप स बीमार री अतः उस नौजिान की पतनी को अपन अचछ गणो को वदखान का एक

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 118

सनदर अिसर वमला रा एक वदन शाम को जब िह नौजिान अपनी पतनी क परवत उतसाह और

कतजञता स भरा हआ घर आया और अपनी मज क पास पहच कर योही (वबना वकसी वनवित

परयोजन क) मज का दराज खोला तो अचानक उसकी खोई हई िह पसतक दीख पड़ी इसी पसतक

को िह खोज-खोजकर इसक पहल कई बार वनराश हो चका रा यहा िह नियिक अपनी पतनी क

परवत वनषिातमक मनोिवतत रखता रा इसवलए पतनी दवारा उसकी पसद की पसतक को दन पर

अनजान म उसन ऐसी जगह रख दी री वजस महीनो िह नही ढढ सका लवकन जब उसकी पतनी

अपनी सास यानी यिक की मा की सिा करन चली गयी तो उसक पवत को पतनी क शरषठ गणो एि

कतथवयपरायणता का बोि हआ और उसकी मनोिवतत िनातमक रप म बदल गई िलतः उस िह

पसतक अपन आप वमल गई इस परकार अचतन की मनोिवततयो क कारण वयवकत चीजो को कही भी

रख दता ह

मनोिजञावनक lsquoजोनसrsquo न भी अपना एक उदाहरण वदया ह lsquoजोनसrsquo जब कभी खासी स

परशान होत र िह अपनी lsquoसमोवकग पाइपrsquo को ऐसी जगह रख दत र वक खोजन पर िह नही

वमलती री लवकन जस ही खासी कम होती री िह lsquoपाइपrsquo शीघर ही वमल जाती री इसका कारण

यह रा वक खासी का परकोप बढ़न पर lsquoजोनसrsquo को वसगरि lsquoनही पीन की इचछाrsquo होती री इसीवलए

ि lsquoपाइपrsquo को अचतन रप स ब जगह रख दत र और जब खासी कम होती री तो वसगरि पीन की

इचछा पनः जागत होती री और तब िह वबना परयास क ही वमल जाती री

इसी परकार चावबयो का गचछा भल जाना कोई महतिपणथ कागज इिर-उिर रख दना

रमाल खो दना इतयावद दवनक जीिन की सामानय भल भी हमार मनोविकारो की सकतक होती ह

वजनका समबनि अचतन की परिवततयो क सार रहता ह

747 अनिान म की गई वकरिाएा -

अनक अिसरो पर हम चतन रप स जो करना चाहत ह उसक बदल अचतन रप स कोई

दसरी विया कर डालन की गलवतया कर बित ह जस-वकसी को 10 रपय दना चाहत ह और भल

स 100 रपय का नोि द दत ह कोई िसत वकसी lsquoकrsquo नाम क वयवकत को दन का विचार करत ह

लवकन उस lsquoखrsquo नाम क वयवकत को द दत ह सािारणतः इन गलवतयो का जञान होन पर हम इनका

कोई परयोजन अरिा सपषट अरथ मालम नही पड़ता परनत कई बार ऐसा दखा गया ह वक इस परकार

की गलवतयो का विशलषण करन पर वयवकत क lsquoमनrsquo की परिवततयो क सकत वमलत ह lsquoजोनसrsquo न

इसक उदाहरण म अपनी एक आप बीती घिना का उललख वकया ह lsquoजोनसrsquo न एक बार वसगरि का

एक नया डबबा खरीदा पहल िाल डबबा म भी कछ वसगरि बच र लवकन ि नया वसगरि पीना

चाहत र विर भी चवक पहला िाला वसगरि वयरथ हो जाता इसवलए पराना डबबा का वसगरि पीन

का वनिय कर ि पसतक पढ़न लग पसतक पढ़न म तललीन रहन क कारण उनका यह वनिय दवमत

हो गया और उनहोन भल स नय डबबा का वसगरि पी वलया सपषट ह वक lsquoजोनसrsquo चवक नया वसगरि

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 119

पीना चाहत र परनत lsquoवमतवयवयताrsquo का विचार करत हए पराना वसगरि का वनिय कर ि पसतक म

तललीन हो गय इसस उनका वनिय दवमत हो गया और उनहोन अचतन रप स नया वसगरि ही पी

वलया

मनोिजञावनक lsquoवबरलrsquo न भी एक उदाहरण दकर य बतलाया वक कभी-कभी हमारी इन

गलवतयो क खतरनाक पररणाम भी हो सकत ह और इनक पीछ अचतन की भवमका परिान रहती ह

एक डाकिर स इसी तरह की खतरनाक भल हई उस डाकिर क मन म अपन चाचा क परवत दवष

भािना री एक बार जब उसका चाचा बीमार हआ तो उस डाकिर न भल स lsquoवडवजिावलसrsquo नाम

की दिा क बदल lsquoहायोवसनrsquo द दी वजसस उसक बीमार चाचा की मतय हो गई

हम अपन दवनक जीिन म ऐसी अनक गलवतया करत रहत ह जस हम अपन वकसी वमतर क

यहा जात ह और अपना छाता चशमा रमाल कलम आवद अनजान म छोड़कर चल आत ह इन

गलवतयो क पीछ उन िसतओ को नही रखन की इचछा अरिा अपन वमतर को उन िसतओ को दन

की इचछा सविय रहती ह जो अचतन रप स हम ऐसी भलो क वलए परररत करती ह ऐसी गलवतया

सयोगिश नही होती इसी तरह अनजान म वकसी की चीज को उिाकर चल दन या वकसी चीज को

भला दन की सामानय भलो दवारा हमार अचतन म दवमत विचारो या भािनाओ क सकत वमलत ह

748 सााकविक वकरिाएा -

परायः परतयक वयवकत अपन सामानय दवनक-जीिन म कछ ऐसी वियाए या हरकत करता ह

जो परतयकष रप म वनररथक परतीत होती ह इन वियाओ को करन िाला भी इनह वनररथक और सयोग

ही मानता ह परनत lsquoफरायडrsquo न इन वियाओ को भी सारथक बतलाया ह lsquoफरायडrsquo क अनसार य

वियाए सारथक होती ह कयोवक इनस मानवसक सघषथ या अचतन म दवमत इचछाओ का पता चलता

ह उदाहरण क वलए बि-बि पर वहलान दात स नाखन चबान चाबी क गचछा को नचान अगिी

को बार-बार अनदर-बाहर करन लकचर दत समय वकसी तवकया कलाम शबद को बार-बार दहरान

आवद वियाए अचतन क सघषो और मनोभािो क सकत होत ह एक बार फरायड को चौराह पर

खड़ी एक मवहला स भि हई यह खड़-खड़ वकसी दकान की ओर िकिकी लगाय दख रही री और

दावहन हार की अगली म पहनी गई अगिी को बार-बार आग-पीछ कर रही री lsquoफरायडrsquo न जब

कारण जानना चाहा तो िह कोई कारण न बता सकी और बोली-rsquoबस यो ही हम तो इसका पता ही

नही चला म तो यहा अपन पवत की परतीकषा म खड़ी ह ि सामन िाली दकान म कछ खरीद रह हrsquo

वकनत lsquoफरायडrsquo उस मवहला क इस उततर स सतषट नही हए और उनहोन उस मवहला स अपना पररचय

बढ़ाया कछ वदनो म दोनो म वमतरता सरावपत हो गई इसक बाद उस मवहला का मनोविशलषण वकया

गया तब यह पता चला-िह मवहला कछ ियवकतक कारणो स अपन पवत स घणा करन लगी री

इसवलए िह अपन पवत को तलाक दना चाहती री परनत सामावजक और नवतक रप स ऐसा करना

उवचत नही रा इसवलए िह तलाक दन म अपन को असमरथ पा रही री इसवलए पवत स चौराह पर

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 120

वबछड़ कर वचनता की वसरवत म खड़ा रहना चार िकवलपक रासतो क सकत ह जहा िह मवहला अपन

पवत को छोड़कर वकिर जाय-इस दवििा म सोच रही ह अगली की अगिी को बार-बार आग की

ओर वघसकाकर वनकालन की विया दवारा पवत का पररतयाग करन और पनः उस अनदर कर पहनन

की विया दवारा नवतक एि सामावजक बिनो क कारण पवत को पररतयाग नही करन क विचारो क

सकत ह अतः यहा मवहला क अचतन मन म वयापत इनही सघषो की अवभवयवकत चौराह पर खड़ी

होकर अगिी को आग-पीछ करन की विया दवारा हई ह

इस परकार हम दखत ह वक हमारी सामानय जीिन की विवभनन गलवतया या भल वनररथक

और वबना परयोजन क नही होती इन भलो दवारा वयवकत क अचतन मन की अतपत इचछाओ विचारो

या मनोविकारो की साकवतक अवभवयवकत होती ह अतः मनोिजञावनक दवषटकोण स ऐसी भल

महतिपणथ और सारथक होती ह खासकर मानवसक सघषो की अवभवयवकत का यह एक सहज या

आसान तरीका होता ह इसवलए मानवसक रोवगयो क अचतन विषय और मानवसक सघषथ का

विशलषण कर उनक मानवसक रोगो क बार म सही जानकारी परापत करन म भी सहायक ह

दवनक जीिन म घवित सामानय भलो क बार म जो मनोविशलषणातमक वयाखया दी गई ह

िह सािारणतः बतकी और अनगथल मालम पड़ती ह कछ लोगो का कहना ह वक lsquoफरायडrsquo क

विचार सािथजनीन नही ह इस तरह की गलवतयो की वयाखया वकसी वयवकत विशष क वलए सही हो

सकती ह लवकन िही वयाखया दसरो क सार लाग नही होती इसवलए यह िजञावनक नही ह

परनत यवद धयानपिथक दखा जाय तो यह बात वबलकल सतय मालम पड़ती ह वक दवनक

जीिन क सामानय विया-कलापो म हम अनक गलवतया करत रहत ह इतना ही नही वजस गलती

को सिारन की कोवशश वजतना अविक करत ह िह गलती उतनी ही अविक होती ह जीिन क

विवभनन कषतरो म होन िाली इन गलवतयो का समबनि वनवित रप म वयवकत क वयवकतगत जीिन म

अनभिो क सार जड़ होत ह मानवसक रोवगयो क मनोविशलषण करन पर भी इन तयो क पकष म

परमाण वमल ह अतः इन गलवतयो क मनोिजञावनक महति को असिीकार नही वकया जा सकता

75 साराश फरायड न अचतन क अवसतति क पकष म वयवकत क दवनक जीिन म होन िाली भलो या

विकवतयो को परमाण सिरप परसतत वकया

फरायड का मत ह वक वयवकत क सामानय जीिन म होन िाली इन सािारण गलवतयो दवारा

अचतन म दवमत विचारो या अतपत इचछाओ की चतन अवभवयवकत होती ह

दवनक जीिन की कछ परमख विकवतया वनमनवलवखत ह-

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 121

नामो का भलना बोलन की भल वलखन की भल छपाई की भल पहचानन की भल

िसतओ को इिर-उिर रखन की भल अनजान म की गई वियाए साकवतक वियाए िगरह

76 शबदािली bull अििन मन का िह भाग वजसम अनभि वकए हए ऐस विषय या सामवगरया होती ह वजनह

वयवकत इचछानसार याद नही कर पाता ह

77 सिमलयाकन हि परशन 1 अचतन की खोज वकसन की

2 lsquolsquoसाइकोपरोलॉजी ऑि एिरीड लाइिrsquorsquo पसतक क लखक कौन ह

उततर 1 फरायड 2 फरायड

78 सनदभथ गरनर सची bull असामानय मनोविजञान-नगीना परसाद एि महममद सलमान

bull असामानय मनोविजञान- वसनहा एि वमशरा भारती भिन

bull मनोविकवत एि उपचार- जीडी रसतोगी

79 तनबनिातमक परशन 1 दवनक जीिन की कछ भलो का उदाहरण दत हए अचतन की भवमका पर परकाश डाल 2 lsquolsquoदवनक जीिन की छोिी-मोिी गलवतया िसततः अनायास या सयोगिश नही होती अवपत

ि उददशयपणथ होती हrsquorsquo वििचना कर

3 सवकषपत विपपणी वलख- i नामो का भलना

ii को इिर-उिर रखन की भल

iii वलखन की भल

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 122

ईकाई-8 मनोरचनाओ की पररभाषा ि सिरप 81 परसतािना

82 उददशय

83 मनोरचनाओ की पररभाषा एि सिरप

84 मनोरचनाओ क महतिपणथ कायथ

85 मनोरचनाओ क विवभनन रप

86 परमख मनोरचनाए

87 गौण मनोरचनाए

88 साराश

89 शबदािली

810 सिमलयाकन हत परशन

811 सनदभथ गरनर सची

812 वनबनिातमक परशन

81 परसिािना यह मनोवयावि विजञान एि मनोरचनाओ स समबवनित पररम इकाई ह परतयक वयवकत चाह

िह सामानय हो या असामानय सभी को जीिन म वकसी न वकसी परकार क मानवसक तनाि या सघषथ

का सामना तो करना ही पड़ता ह मानवसक सघषथ स तातपयथ एक ऐसी वसरवत स ह जो परसपर दो या

दो स अविक विरोिी या एक दसर स असगत परिवततया एक दसर की सनतवषट म बािा डालती ह

वजसस एक तरह का मानवसक सघषथ की वसरवत उतपनन हो जाती ह

मनवसक सघषथ की वसरवतयो स वनबिन क वलए वयवकत जान-अनजान म अनक परकार की

मनोरचनाओ या रकषायवकतयो का उपयोग करता ह वजसस मानवसक सघषथ समापत हो सक

इस इकाई क अधययन क उपरानत आप मनोरचनाओ स सवमबवनित सभी पहलओ क बार

म जानकारी परापत कर पायग

82 उददशय परसतत इकाई क अधययन क उपरानत आप जान सकग-

bull मनोरचनाओ की पररभाषा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 123

bull मनोरचनाओ का सिरप

bull मनोरचनाओ क महतिपणथ कायथ

bull मनोरचनाओ क विवभनन रप

bull परमख ि गौण मनोरचनाए

83 मनोरचनाओ की पररभाषा एि सिरप सभी मानि परावणयो को अपन जीिनकाल म वनरनतर अनक परकार की सामानय ि

असामानय पररवसरवतयो का सामना करना पड़ता ह इसी वििलता ि अनतिथनि क उतपनन होन स

वयवकत म वचनता उतपनन होती ह इस वचनतायकत तनािपणथ वसरवत का जब वयवकत परतयकष रप स न तो

सामना कर पाता ह और न ही समािान तब िह विवभनन परकार क अपरतयकष सरकषातमक ढग

अपनाता ह मनोरचनाए अह की रकषा हत अचतन रप स वकय गय सरकषातमक परयास ह यह

सरकषातमक परयास वयवकत को बाहय ि आनतररक भय दोनो स सरकषा परदान करत ह ि तातकावलक

राहत पहचात ह जसा वक वसमणड (Symond) का विचार ह-

ldquoMechanisms are not only defense against anxiety but also indicate

methods by which the impulses giving rise to anxiety are redirectedrdquo

परो-बराउन न ldquoमानवसक मनोरचनाओ को चतन तरा अचतन परवतविया माना ह जो वयवकत

क अनतिथनि को या तो कम कर दता ह अरिा समापत कर दता हrsquorsquo

उपरोकत तयो स यह तो सपषट ह वक मनोरचनाओ की परयवकत स वयवकत आतम सनतषट हो

जाता ह वयवकत क तनाि ि परवतबल भी हलक हो जात ह वकसी पररवसरवत विशष स उतपनन तनािो

स िह मकत हो जाता ह कयोवक जब वयवकत अनतिथनि ि कणिाओ स गरवसत होता ह तो वयवकत म

वचनता उतपनन होती ह वयवकत का अह असरवकषत होकर आशरय ढढन लगता ह और तब परारमभ

होती ह मनोरचनाओ रपी सरकषातमक परिवतत जो वयवकत क अह को विघवित होन स बचा लती ह

यही मनोरचनाए वयवकत को इन वचनताओ स मवकत वदलाती ह

पज(Page)) क अनसार- ldquoMental Mechanism are good solutions to

conflicts frustration and inferiorityhelliphelliphelliphellip Mental Mechanising have some

protective alleviating or escape valuerdquo

मनोरचनाए असिलता स राहत पहचाती ह आनतररक सनतलन बनाय रखती ह यह

वयवकत क अनतिथनि वनराशाओ तरा हीनता की भािनाओ स बचन का एक अचछा समािान ह

इसम सरकषातमक पहल भी ह और पलायन भी लगभग हर सामानय कह जान िाल वयवकत क दवारा

मानवसक रप स मनोरचनाओ का परयोग वकया जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 124

कोलमन (Coleman 1976) का विचार ह वक ldquoमनोरचनाए ि परवियाए ह वजनस वयवकत

क अनदर (सिय क वलए) उपयकतता तरा योगयता की भािना बनी रहती हrdquo

84 मनोरचनाओ क महतिपणथ कायथ सामानय वयवकत क जीिन म समायोजन की दवषट स रकषायवकतयो का विशष योगदान रहता ह

इस समबनि म इसक महतिपणथ कायथ वनमनवलवखत होत हः

रकषायवकतयो स वयवकत की समायोजन समबनिी आिशयकता की सरलतापिथक सनतवषट होती ह

इनस वयवकत म कषठाजवनत तनाि वनराशा ि असिलता की परबलता म विशष रप स कमी

आती ह

इनक वयवकत क विघिन की परविया की कारगर रप स रोकराम होती ह

इनस वयवकत म दविनता परयाथपत मातरा म कम होती ह

इनस एक परकार स वयवकत क आतम-सममान की रकषा होती ह

इनस वयवकत म कषठाओ क परवत सहनशीलता की शवकत म िवि होती ह

इनस वयवकतति की एकता वयािहाररकतः अखवणडत अरिा समाकवलत रहती ह तरा इनक

कारण वयवकतति की सराई सरचना क विदयावित होन की आषका परायः नही रहती

इनस वयवकत क आतम-समपरतयय (Self Concept) पर भी परायः परवतकल परभाि नही पड़न

पाता

इनक परभाि क कारण अविकाशतः वयवकतति क समायोजन तरा विकास की परविया विशष

सीमाओ क अनतगथत सहजरप ही समपनन होती रहती ह

इनकी समायोजी परविया अपरतयकषतः तरा अचतन रप स वनिाथररत होती ह अतः वयवकत क

वलए ऐसी वियाय एक परकार स परयास रवहत रप स सितः ही समपनन होती रहती ह

यह वयवकत क अह की रकषा करती ह

वयवकत क समायोजन को तातकावलक रप स सरल बना दती ह

85 मनोरचनाओ क विसभनन रप अलग-अलग वयवकतयो को वभनन-वभनन समसयाओ का सामना करना पड़ता ह और उसी

परकार स िह अचतन अरिा अिथचतन सतर पर वभनन-वभनन सरकषातमक उपायो का परयोग करक

समायोजन का परयास करत ह इसकी विषशता यह ह वक एक ही वयवकत विवभनन मनोरचनाओ का

परयोग कर सकता ह बराउन न मानवसक रचनाओ को दो परमख भागो म बािा ह-

(अ) परमख मनोरचनाए (Major Mental Mechanism)

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 125

(ब) गौण मनोरचनाए (Minor Mental Mechanism)

(अ) परमख मनोरिनाएा - यह िह मनोरचनाए ह जो सिय ही परमख रप स एक विषश ढग स

वयवकत का अनतिथनि कम करती ह

(ख) गौण मनोरिनाएा - गौण मनोरचनाओ का परयोग परमख मनोरचनाओ क सहायक क रप

स परयकत होता ह यह सितनतर रप स वयवकत क तनािो ि अनतिथनिो को कम करन की कषमता नही

रखती ह

परमख ि गौण मनोरचनाए वनमन होती ह-

परमख मनोरचनाए गौण मनोरचनाए

दमन आतमीकरण

शमन परकषपण

अनतबाथिा अनतःकषपण

परवतगमन सरानानतरण

रपानतर विसरापन

उिवतकरण कषवतपवतथ

यवकतकरण परतयाहार

परवतविया वनमाथण कलपना तरग

उपरोकत परमख ि गौण मनोरचनाओ का विसतत िणथन वनमन परकार स ह

86 परमख मनोरचनाए 1 दमन (Repression)- जब वयवकत अनतिथनि की वसरवत म होता ह तो िह अश जो ईगो

(अह) ि सपरईगो (पराअह) को सहनीय नही होता ह उस िह अचतन म िकल दता ह यही

परविया दमन ह उदाहरण क वलय वयवकत म अनक परकार क ऐस आिग ि इचछाए होती ह

वजनह िह चतन सतर पर सामावजक रप स वयकत नही कर पाता ह कयोवक उस यह डर होता ह

वक अवभवयवकत उसकी सामावजक छवि एि परवतषठा को हावन पहचाएगी जो उस असहनीय होगा

अतः िह इनह अचतन म िकल दता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 126

पज क अनसार ldquoऐस विचारो या आिगो का जो कषटदायी ि अनवतक ह चतन स ऐवचछक

रप स बाहर कर दना ही दमन हrdquo

कोलमन क अनसार ldquoपीड़ादायक ि भयािह विचारो ि इचछाओ को अपनी चतना स

अनजान वनकाल दन िाली सरकषातमक परविया ही दमन हrdquo

इस परकार यह सपषट होता ह वक हमार वदन-परवतवदन की कोई भी घिना विशय-सामगरी का

रप लकर दवमत होकर हमार अचतन मन म जाकर वनवषिय नही होती बवलक सविय रहती ह दवमत

इचछाए बार-बार चतन म आकर इचछाओ की सनतवसि करना चाहती ह वकनत अहम तरा परमअहम

क परवतबनिन होन क कारण दवमत इचछाओ का चतन म आना बहत कविन हो जाता ह

पज न lsquoदमनrsquo ि lsquoशमनrsquo को एक उदाहरण दवारा सपषट वकया ह- जस वकसी विदयारी की

अपनी लापरिाही स कोई दघथिना हो जाती ह और िह उसक वलय उततरदायी िहराया जाता ह िह

बार-बार उस दघथिना की समवत स विचवलत हो जाता ह अतः िह जान-बझकर इस दघथिना की

कषटकारी समवत स सिय को हिान क वलय दसरी बातो पर धयान दन का परयतन करता ह तावक घिना

को िह भल जाए तो िह शमन की परविया म ह इसक विपरवत इस दघथिना की समवत सिय ही

समापत हो जाती ह वजसस यह विदयारी चतन सतर पर इस घिना को याद करन म असमरथ रहता ह

यही दमन परविया ह

2 शमन (Suppression)- शमन क अनतगथत वयवकत अपनी इचछा स जानबझकर वकसी अवपरय

घिना या विचार को चतन स हिा दता ह जबवक दमन की परविया म दःखद ि असामावजक

इचछाओ का दमन कर वदया जाता ह

शमन की परविया म वकसी दःखद घिना वििाद झगड़ या दघथिना को वयवकत जानत हए

अपनी चतना स हिाता ह शमन की कछ मखय पररभाषाए इस परकार ह-

पज क अनसार- ldquoचतन स जानबझकर कषटदायक आिगो एि समवतयो को वनषकावषत

करना शमन कहलाता हrdquo

कोलमन क अनसार- ldquoशमन ि दमन म अनतर यह ह वक वयवकत चतन सतर पर अपन

विचारो को मवसतषक स बाहर कर दता ह और दसरी बातो क बार म सोचन लगता ह यह मानवसक

सिासय क वलय हावनकारक नही होता ह कयोवक इसम वयवकत जो कछ भी करता ह उसक परवत उस

जञान होता ह

पज (Page)) न शमन को एक उदाहरण दवारा सपषट वकया ह जस वकसी विदयारी की अपनी

लापरिाही स कोई दघथिना हो जाती ह और िह उसक वलए उततरदायी िहराया जाता ह िह बार-बार

उस दघथिना की समवत स विचवलत हो जाता ह अतः िह जानबझकर इस दघथिना की कषटकारी समवत

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 127

स सिय को हिान क वलय दसरी बातो पर धयान दन का परयतन करता ह तावक घिना को िह भल

जाए तो यह शमन की परविया कहलाएगी

3 अनियबाधा (Inhibition)- अनतबाथिा या अिरोिन म अमानय सामावजक कायो को नही

वकया जाता ह वकनत यह विया चतन सतर पर होती ह अिरोिन िह सरकषातमक उपाय ह

वजसम एक भािना या इचछा दसरी भािना या इचछा क उपवसरत होन क कारण विसमत हो

जाती ह इस परकार अिरोिन क दवारा दःखद अवपरय ि अनवतक इचछाओ को भलाया जा

सकता ह इस रकषातमक उपाय दवारा अनतिथनि को कािी हद तक हिाया जा सकता ह

बराउन (Brown) का विचार ह वक ldquoअिरोिक चतन िनि क समािान की परमख रकषा

यवकत ह पराितथन परवतगमन उिातीकरण परवतविया ि यवकतकाण अचतन क अनतिथनि क

समािान की परमख रकषा यवकतया हrdquo

4 परविगमन (Regression)- परवतगमन का तातपयथ पीछ की और लौिन स ह इसक अनतगथत

परारवमभक अिसरा की (बालयािसरा) की ओर वयवकतति का परवतगमन पाया जाता ह

Brown- ldquoRegression is flight to childhoodrdquo

मागथन ि वििर- ldquoपरवतगमन सिथदा बालयािसरा की ओर लौिना ह वजसम बचचो की

कलपनाओ भािनाओ लालसाओ या वयिहार निीनीकरण का परवतवनविति पाया जाता ह यह

षषि अिसरा क अनकल होत ह

परवतगमन िह अचतन परयास माना गया ह वजसम वयवकत िासतविकता स पलायन करता ह

परायः नय बचच क आगमन पर माता-वपता का धयान उस ओर अविक लग जान पर बड़ा बचचा

अपन वयिहार म परवतगमन वदखान लगता ह जस छोि बचच की तरह मचलना रोना चलना ि वजद

करना इतयावद

परवतगमन अह दवारा वििलता तरा अनतिथनिो स बचाि का परयास ह परवतगमन सरकषा की

कमी स रकषा करन का परयास ह परवतगमन को अपनाकर वयवकत अपनी उपयकता की भािना ि

आतम-सममान को बचान म परयासरत रहता ह

5 रपानिर (Conversion)- इस मनोरचना क अनतगथत अिदवमत अनतिथनि की अवभवयवकत

विवभनन शारीररक लकषणो क रप म होती ह विवभनन शारीररक रोगो क लकषण गतयातमक

(Motor) शारीररक या जञानवनरय जनय (Sensory) आवद वकसी भी परकार क हो सकत ह

इसक अनतगथत दवमत ऊजाथ शारीररक रोगो क वियातमक लकषणो म पररिवतथत होती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 128

इस मनोरचना का मखय आिार यह ह वक इसम वयवकत क अनदर क सघषथ एि िनिो का

वयवकत क महति दवारा दमन करन का परयास वकया जाता ह वकनत यह दमन असिल होता ह यही

दवमत इचछा पररिवतथत होकर शारीररक रोगो क लकषणो क रप म सामन आ जाती ह इन शारीररक

लकषणो का आिार मातर मनोिजञावनक होता ह

मागथन एि वकग (1968) न रपानतरण का एक उदाहरण परसतत वकया ह वजसम एक सतरी क

दोनो परो म पकषाघात हो गया रा वजसम उस सतरी क दोनो पर कड़ हो गय र इसका कोई शारीररक

कारण नही पाया गया मवहला का मानवसक विशलषण करन पर जञात हआ वक उसका पवत अतयनत

कामक रा तरा समभोग की असामानय परिवत क कारण मवहला उसस शारीररक समपकथ करन स

घबरान लगी री उसक पहल स कई सनतान री परसि पीड़ा की वचनता तरा पवत स विरोि न कर

पान क साहस क कारण उसक कमर की वनचल वहसस म पकषाघात हो गया

परो0 बराउन क अनसार- ldquoरपानतर एक ऐसी सरचना ह वजसक अनतगथत दवमत मल परिवतया

पररिवतथत हो जाती हrdquo

इस परकार रपानतर मनोरचना म मानवसक सघषथ का सामािान शारीररक रोगो क लकषण क

रप म होता ह यह रपानतर अचतन म दवमत इचछाओ क वनशकासन का एक माधयम ह शारीररक

रोगो की उतपवत स वयवकत को दबािपणथ दःखद वसरवत स छिकारा वमल जाता ह तरा सामावजक ि

पाररिाररक सहानभवत भी वमल जाती ह

6 उदाततीकरण (Sublimation)- मनोविशलषणिावदयो क अनसार वयवकत की कामजवनत

वििलता परायः वियातमक कलातमक सावहवतयक ि िजञावनक कायो म पररवणत हो जाती ह

बहत-सी इचछाए ि आिशयकताए ऐसी होती ह वजनकी अवभवयवकत हम सामावजक बनिन

तरा मायाथदाओ क कारण नही कर पात ह उदाततीकरण अरिा उननयन दवारा इन अमानय इचछाओ

की पवतथ समाज स मानयता परापत रचनातमक वियाओ दवारा की जाती ह

परो0 बराउन क अनसार- ldquoउदातीकरण का तातपयथ मल परिवतयो का परवतसरापन सामावजक

रप स सिीकत लकषय क समािान क रप म हrdquo

विशर क अनसार- ldquoकाम शवकत की परिवततयो या पररको का नवतक सासकवतक तरा

समावजक विषयो की ओर पनः वनदशन की विया ही उननयन या उदाततीकरण हrdquo

उदाततीकरण की परविया को वनमन उदाहरण दवारा समझा जा सकता ह- कवि तलसीदास को

अपनी पतनी रतनािली म इतनी आसवकत री वक िह उसक पीछ-पीछ अपनी ससराल पहच गय

रतनािली की ििकार न उनम तीवर कणिा उतपनन की

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 129

ldquoअवसर चरममय दह मम ता म ऐसी परीवत जो होती रिनार मह होती न तो भि भीवतrdquo

इसी कणिा क उदाततीकरण स lsquoरामचररतमानसrsquo जस महाकावय की रचना किल ढाई िषो म समभि

हो सकी

इस आिार पर कहा जा सकता ह वक उदाततीकरण परविया म जो कवित-काम ऊजाथ ह िह

ऊजाथ आवशक रप स वकसी परवतसरावपत वियाओ म पररिवतथत होकर एक ऐसी वदशा म लग जाती

ह या परयकत हो जाती ह जो समाज दवारा मानय हो

7 िविकरण (Rationalzation)- वयवकत दवारा अपन कसमायोवजत असगत वयिहार को दोष

पणथ तको दवारा उवचत िहराना ही यवकतकरण ह पज का विचार ह वक ldquoवयवकत क कछ कायथ न तो

सामावजक रप स परशसनीय होत ह और न ही सामावजक दवषट स अचछ मान जात ह इन कायो

को यरोवचत िहरान क कारण वयवकत उनक कछ कारण परसतत करता ह वजसस उसक िह कायथ

तकथ सगत नयायसगत तरा सामावजक दवषट स परशस नीय बन सक rdquo

पज न इस परविया को lsquoWindow dressing of motives and actionrsquo भी कहा ह इस

पररभाषाओ क आिार पर कहा जा सकता ह वक-

bull वयवकत अपन दोष पणथ असगत वयिहार को उवचत िहरान क वलए अनक तकथ परसतत करता ह

bull इन तको का कोई िोस आिार नही होता ह

bull वयवकत अपन कतको दवारा अपन अनवचत कायो को भी उवचत िहराना चाहता ह

bull यवगतकरण परायः lsquoSelf decievingrsquo अराथत सिय को घोखा दन िाली परविया ह

यवकतकरण परविया को परसतत उदाहरण दवारा समझा जा सकता ह एक अभयारी को लोमड़ी

की भावत उस समय अगर खिि नजर आन लगत ह जब िह नौकरी परापत करन स असिल रह जाता

ह िह अपनी परवतषठा बचान क वलय उस नौकरी क अिगणो को दखन लगता ह जस- ितन कम

रा कायथ-समय अविक रा पदोननवत क अिसर कम र आवद

यवकतकरण मनोरचना क अनतगथत वयवकत अपन परतयक कायो को उवचत िहरान क वलय

अिासतविक तकथ तरा कारण परसतत करन लगता ह अपन हर अचछ-बर कायो क वलय उसक

समकष एक तकथ उपवसरत रहता ह िासतविकता यह होती ह वक िह अपनी अयोगयता क वलय सिय

को उततरदायी सिीकर नही करना चाहता ह जस एक विदयारी परीकषा म िल होन पर परीकषक को

दोष दता ह परशन को कविन बताता ह कोसथ स बाहर परशनो को बताता ह वकनत यह सिीकार नही

करना चाहता ह वक सिय की अयोगयता या लापरिाही ि न पढ़ना उसकी असिलता का कारण ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 130

8 परविवकरिा-वनमायण (Reaction Formation)- कछ वयवकत अपनी इचछाओ और

भािनाओ क अनरप ही वयिहार करत ह जब वक कछ वयवकतयो क मन म कछ होता ह और

वयिहार म कछ और वयवकत अपनी अनतथवनवहत इचछा क विपरीत वयिहार करता ह वजस

वयवकतयो म सिय का अपनी अपराि भािना पर वनयनतरण पाना समभि नही होता ह िह वनयम

िमथ म कछ जयादा ही किोर वदखायी पड़त ह

कोलमन क अनसार ldquoपरवतविया वनमाथण कभी-कभीवयवकत अपनी भयािह चतन

अवभिवततयो एि वयिहार परवतरपो को विकवसत करता हrdquo

बराउन क अनसार ldquoपरवतविया-वनमाथण का तातपयथ चतन इचछाओ क िीक विपरीत वयिहारो

का विकास हrdquo

परवतविया वनमाथण एक ऐसी मानवसक मनोरचना ह वजसम विरोिी गणो को विकवसत करक

वकसी ऐसी परिवतत पर विजय पायी जाती ह जो समाज दवारा सिीकत न हो

वनतय परवत क जीिन म दखन को यह वनरनतर वमलता ह वक बड़-बड़ समगलर चोर बजारी

करन िाल अपरािी कछ समाज सिा क कायथ करक अपनी िासतविक छवि पर परदा डालन का

परयतन करत ह

87 गौण मनोरचनाए 1 आतमीकरण (Identification)- आतमीकरण म वयवकत वकसी दसर वयवकत जसा बनना चाहता

ह हमार दवनक जीिन म ऐस अनक उदाहरण वमलत ह जस- एक लड़का अपन वपता की तरह तरा

एक लड़की अपनी मा की तरह बनना चाहती ह एक कालज छातरा हमामावलनी बनना चाहती ह

इतयावद आतमीकरण म वयवकत दसरो क गणो को सिय म रख लता ह

बराउन क अनसार- ldquoआतमीकरण िह मनोरचना ह वजसम वयवकत अपन अहम या वयवकतति

को दसरो क वयवकतति क अनरप बतान का परयास करता ह या दसरो क वयवकतति को अपना

वयवकतति समझन लगता हrdquo

मकडानलड क अनसार- ldquoआतमीकरण म जो तादातमय सरावपत करता ह िह एक परकार

का एक वयवकत या िसत का दसर क सार सवममलन ह वजसस बाद म िह िस सोचता और वयिहार

करता हrdquo

इवगलश एि इवगलश न आतमीकरण क तीन अरथ बताय ह जो एक-दसर क परक हः

bull सिय को वकसी दसर वयवकत अरिा समह क सार घवनषठ रप स समबनि करना

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उततराखड मकत विशवविदयालय 131

bull वकसी वयवकत क उददशयो और मलयो को अपना मान लना

bull अपन उददशयो और मलयो को वकसी दसर वयवकत क सार सविलीन कर दना

2 परकषपण (Projection)- कोलमन (Coleman) क अनसार- परकषपण ऐसा अह-परवतरकषा

वियातनतर ह वजसक दवारा हम अनजान तौर पर (क) अपनी नयनतमताओ तरवियो और ककतयो

का दोष दसरो पर रोप दत ह (ख) अपन असिीकायथ आिगो विचारो और इचछाओ को दसरो

पर आरोवपत कर दत ह

पज क शबदो म ldquoअपनी परिवतयो एि गणो को दसरो पर आपवकषत करना ि दखना परकषपण

कहलाता हrdquo

िारन क अनसार ldquoयह िह परिवतत ह वजसम वयवकत बाहय जगत म अपनी मानवसक

परवियाओ का आरोपण करता हrdquo

परकषपण को एक परकार की सरकषातमक परविया माना जाता ह वजसक अनसार अहम बाह

जगत म अपनी अचतन इचछाओ को लाता ह फरायड क अनसार परकषपण क माधयम स वयवकत

अपराि भािना स छिकारा परापत करता ह

परकषपण को एक उदाहरण दवारा समझा जा सकता ह- एक सतरी की यह वषकायत री वक िह

अमक वयवकत मझ बरी दवषट स दखता ह ि मर सार बलातकार करना चाहता ह लवकन जब उस

वयवकत स पछा गया तो िासति म िह उस सतरी को जानता भी नही रा विर जब उस मनोिजञावनक

ढग स जानकारी ली गई तो यह जञात हआ वक िह सतरी अचतन रप स उस वयवकत-विषश स पयार

करती री तरा सभोग की इचछा रखती री इस परकार परकषपण क माधयम स वयवकत अपनी

असामावजक एि आिावछत इचछाओ विचारो आिगो आवद को अनय वयवकतयो या पदारो पर

आरोवपत करता ह

3 अनिःकषपण (Introjection)- अनतःकषपण परकषपण की परवतकल मनोरचना ह इसम आरोपण

करन क सरान पर वयवकत अनय वयवकतयो क वयवकतति-गणो को अपन वयवकतति का एक

आिशयक गण समझन लगता ह परकषपण म एक वयवकत अनय वयवकत क अनरप होना चाहता ह

लवकन अनतःकषपण म दसर वयवकत को अपना ही एक अग मानता ह

वमलर क शबदो म ldquoअनतःकषपण िह परिवत ह वजसम वयवकत अपन िातािरण क गणो को

अपन वयवकतति म सवममवलत करता हrdquo इसम वयवकत अपनी अनक दःखद अनभवतयो स बचाब

करता ह अनतःकषपण क अनक उदाहरण हम दवनक जीिन म वमलत ह जस- एक छातर का यह

समझना की म राजष खनना ह इसी परकार बचचा कभी-कभी यह समझता ह वक म ही वपता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 132

4 सथानानिरण (Transference)- अपन मानवसक सघषथ स बचन क वलए परायः हम

सरानानतरण का उपयोग करत ह बराउन क अनसार ldquoसरानानतरण िह मानवसक परविया ह

वजसक दवारा परम की भािना का एक वयवकत विषश या िसत-विषश स हिकर दसर वयवकत या

िसत पर चला जाता हrdquo

एक वयवकत अपना गससा अपनी सतरी पर परकि करन क सरान पर अपन सहायक पर करता ह

तो यह एक परकार का सरानानतरण हआ कयोवक यहा एक भािना का एक वयवकत विषश स हिकर

अनय वयवकत पर चला गया फरायड न सरानानतरण को मनोविशलषण का एक महतिपणथ अग माना ह

उदाहरणसिरप एक वयवकत एक लड़की क परम म असिल हो जान क बाद कतत स ही परम करन

लगा अराथत उसका परमभाि परवमका स हिकर कतत पर चला गया

5 विसथापन (Displacement)- विसरापन म वयवकत की वकसी पररण या सिग को मौवलक रप

म हिाकर वकसी ऐस लकषय की ओर परररत कर वदया जाता ह वजसस उसका कोई समबनि नही

ह पज क शबदो म ldquoविसरापन िह मनोरचना ह वजसक दवारा एक सिग जो वक मौवलक रप स

वकसी िसत या विचार स समबवनित होता ह तरा अनय विचार या िसत पर सरानानतररत हो

जाता हrdquo

सामानयतया विसरापन सभी लोगो क जीिन म वकसी न वकसी रप म अिशयक वदखाई

पड़ता ह अचतन मन परायः विसरापन मनोरचना क परयोग क माधयम स दवमत एि कवित इचछाओ

को परकि करता ह विसरापन म हमारी मानवसकशवकतिारा एक विशय िसत स हिकर दसरी विशय

िसत पर चली जाती ह वजसक पररणाम सिरप अनािशयक विशयिसत आिशयक तरा आिशयक

विशय िसत अनािशयक परतीत होन लगती ह

उदाहरण- मा क पीि जान क बाद बालक का अपन छोि भाई या दोसत की पीिना वखलौन

तोड़ना आवद विसरापन क उदाहरण ह बाझ औरत का दसर बचचो स पयार करना वकसी कलकथ का

अपन दितर म अपमावनत होन क बाद पतनी या बचचो पर गससा वदखाना यह विया चतन

अिचतन क रप म होती ह

6 कषविपविय (Compensation)- कषवतपवतथ क माधयम स वयवकत अपनी हीनता ि अनपयकतता

की भािना स रकषा करता ह यह एक परकार की समायोजनातमक परिवतत ह वजसक माधयम स

वयवकत उन इचछाओ ि भािनाओ को वजनस वक उनम वििलता आकलता या हीनता उतपनन

होती ह उनह अनय सनतोषजनक वसरवत क सार चतन या अचतन रप स पवतथ करता ह

वकसकर (Kisker) का विचार ह वक ldquoहीनता और अपयाथपतता की भािनाओ स समबवनित

दवषचनता पर लोगो दवारा काब पान की सामानय विवियो म स एक विवि कषवतपवतथ ह कभी-कभी

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उततराखड मकत विशवविदयालय 133

वयवकत वकसी ऐसी शारीररक हीनता की कषवतपवतथ करता ह जो िासतविक होती ह वकनत बहिा यह

कषवतपवतथ ऐसी मानवसक हीनता क परवत होती ह जो किल कलपना की उपज होती हrdquo

कषवतपवतथ तीन परकार की हो सकती हः

(क) परतययन कषवतपवतथ- इसक अनतगथत वयवकत वजस कषतर म नयनतमतम अरिा वनबथलता का अनभि करता ह उसी कषतर म अपन अरक ि वनरनतर परयासो दवारा शरषठता परापत करन का परयास करता ह

यवद कोई छातर यह अनभि कर वक उसकी पढ़ाई का सतर ककषा म बहत नीचा ह तो िह वदन

परवतवदन महनत करक सतर ऊचा करन म जि जाता ह

(ख) अपरतयकष कषवतपवतथ- कछ कवमया ऐसी होती ह वजनकी परतयकष कषवतपवतथ समभि नही होती ऐसी वसरवत म वयवकत वकसी अनय कषतर म इतनी उननवत कर लता ह वक उसकी कमी दब जाती ह जो

छातर परीकषा म अचछ अक नही ला पात िह कालज की िीम का कपतान या छातर नता बन जाता

(ग) अवत कषवतपवतथः- कषवतपवतथ परतयकष हो या अपरतयकष यह वियातनतर किल एक सीमा तक ही लाभकारी वसि होता ह यवद यह सीमा स बाहर हो जाए तो इसका पररणाम अवतकषवतपवतथ होता

ह ककषा म कोई एक छातर ऐसा वमल ही जाता ह जो बात-बात पर विदशक की भावत वयिहार

करता ह तावक ककषा क अनय छातरो की आकवषथत कर सक इसका कारण उसक मन म वछपी

पररिाररक असरकषा और वतरसकार की भािना स ह वजनकी अवत कषवतपवतथ क परयास म िह

जोकर बन जाता ह

7 परतिाहार (Withdrawl)- जब वयवकत अपन पिथ-अनभि क आिार पर वकसी वसरवत स

असिलता या आलोचना का भय रहता ह तो िह इस मनोरचना का सहारा लता ह इस परिवतत

क कारण वयवकत लजजाल एकाकी ि भीर सिभाि का हो जाता ह बनथहम (Bernham) न इस

अिसरा को वमया हीनबवि कहा ह यह अिसरा मखयतः ियसको की अपकषा बालको म दखी

जाती ह इस परकार क वयवकत वकसी कायथ म रवच नही लत कयोवक इनकी बवि बहिा दबथल

होती ह ऐसा वयवकत अकसर कहता ह वक ldquoम नही जानताrdquo ldquoयह कविन कायथ हrdquo ldquoम नही कर

सकताrdquo इतयावद ऐस वयवकतयो को परोतसाहन ि परवशकषण क माधयम स िीक भी वकया जा

सकता ह

8 कलपनािारग (Fantasy)- परायः सभी वयवकत जीिन की अनक कवमयो की पवतथ कलपना क

माधयम स करत ह कलपना क माधयम स वयवकत अपन सघषो एि वििलताओ को कम करत ह

इसका उपयकत उदाहरण वदिासिपन ह मानि वकशोरािसरा म सदि वदिासिपन ही दखता रहता

ह कयोवक इस आय म िह एक अतयनत तीवर मानवसक उरल-परल स गजरता ह कलपना तरग

सामानयता िासतविक कायथ का सरानापनन बनकर किल मनोरजन आवद का रप लती ह य

अविकतर हावनपरद नही होती वयवकत कलपना-तरग क माधयम स अपनी आकाकषाओ की पवतथ

करता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 134

कोलमन क अनसार- ldquoहम परायः न किल बाहा और आनतररक दःखद िासतविकताओ स

इनकार करत ह बवलक हम सिर कलपना म मनचाह ससार का वनमाथण भी करत ह सिरकलपना

कवणित इचछाओ स उतपनन होती ह और इचछातवपत स समबवनित मानवसक परवतमाओ पर आिाररत

होती हrdquo

पज क विचार म- ldquoवदिासिपन हमारी इचछाओ और कणिाओ आशाओ और वनराशाओ

की परवतविवमित करत ह हम सरलतापिथक सपर कलपना म पहचकर िासतविक जीिन की कविनाई

यो और असःखद पहलओ स बच जात ह अपनी अपयाथपतता की कषवतपवतथ कर लत ह अरिा वकसी

कवणित या अपरापय महातिाकाकषा की अपनी कलपना म परा कर लत हrdquo

88 साराश जब वयवकत अपन जीिन म वििलताओ का सामना करता ह तो मानवसक रप स उसक

वयिहार म वचनता की अविकता उसक अनतमथन म कणिा और अनपयकतता की भािना भर दती ह

यह भी सतय ह वक वयवकत सिय को हारा हआ नही समझना चाहता ह अपनी पराजय या असिलता

को सिीकार करन म उसक अह को िस पहचती ह अतः अपन अह की रकषा क वलए िह अिथचतन

ि अचतन सतर पर परयास करता ह अपनी अह की रकषा हत जो परयास वयवकत करता ह उस

मनोरचनाए कहत ह मनोरचनाओ क समबनि म वसमणड का विचार ह ldquoयह मनोरचाए वयवकत की

अवभयोजनातमक परवतवियाओ का एक वहससा ह इनह वकसी गवतहीन सरचना क रप म सिीकार न

करक एक ऐसी शवकत सरचना क रप म सिीकार करना चावहए जो गतयातमक हो तरा पररणा शवकत

स भरपर होrdquo

अतः परतयकष रप स विवभनन मनोरचनाओ म मलतः तीन परमख विशषताए होती ह-

1 य वयवकत क अह की रकषा करती ह 2 य सरकषातमक परयास अचतन या अिथचतन सतर पर परयकत होत ह 3 जब वकसी समसया क परवत वयवकत म अतयाविक अनतिथनि उतपनन हो जाता ह और वयवकत की

परवतषठा तरा सामावजक छवि को हावन पहचन का डर उतपनन हो जाता ह तो यह सरकषातमक

परयास परयकत वकय जात ह

यह सरकषातमक परयास वयवकत दमन शमन यवकतकरण कषवतपवतथ आतमीकरण विसरापन

परवतगमन ि उदातीकरण परवतविया वनमाथण आवद क माधयम स करता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 135

89 शबदािली bull दवरिनिा वचनता मनःसनायविकवत म उन आनतररक वयवकतगत अपरिशयोगय कविनाई यो की

परविया ह वजनका जञान वयवकतयो को नही होता ह

bull मनोरिना (Mental Mechanism) मनोरचनाए ि परवियाए ह वजनस वयवकत क अनदर

(सिय क वलए) उपयकतता तरा योगयता की भािना बनी रहती ह

bull ििन चतन स तातपयथ मन क िस योग स होता ह वजसम ि सभी अनभिो एि सिदनाए होती

ह वजनका समबनि ितथमान स होता ह

bull उदाततीकरण उदाततीकरण का अरथ सामावजक रप स अनमोवदत ऐस लकषयो को सिीकार

करना ह जो उस अनतनोद का सरान ल सक वजसकी अवभवयवकत का सामानय मागथ अरिा

लकषय अिरि हो चका ह

bull अििन अचतन का शावबदक अरथ ह जो चतन या चतना स पर हो हमार कछ अनभि इस

परकार क होत ह जो न हमार चतन म होत ह और न ही अिचतन म ऐस अनभि अचतन म

होत ह

bull अिििन अिचतन मन स तातपयथ िस मन स होता ह जो सचमच म न तो पणथतः चतन होता

ह और न ही पणथतः अचतन ही होता ह

bull इदम (ID) इदम वयवकतति का जविक तति या पकष ह वजनम उन परिवततयो का भरमार होता ह

जो जनमजात होती ह तरा जो असगवित कामक आिमकतापणथ तरा वकसी वनयम आवद को

मानन िाली नही हाती ह

bull अहम (Ego) अह मन का िह भाग ह वजसका समबनि िासतविकता स होता ह तरा वजसका

बचपन म इदम की परिवतयो स ही जनम होता ह अह को वयवकतति का वनणथय लन िाला पकष

माना गया ह

bull पराअहम (Superego) पराअहम को वयवकतति का नवतक पकष माना गया ह जो वयवकत को

यह बतलाता ह वक कौन सा कायथ नवतक ह तरा कौन सा कायथ अनवतक ह यह आदषथिादी

वसिानत दवारा वनदवशत एि वनयवनतरत होता ह

bull दमन (Repression) दमन एक ऐसी मनोरचना ह वजसक दवारा वचनता तनाि ि सघषथ

उतपनन करन िाली असामावजक एि अनवतक इचछाओ को चतना स हिाकर वयवकत अचतन

म कर दता ह

bull कषविपविय (Compensation) कषवतपवतथ- परवतवियाऐ हीनता और अपयाथपतता की ऐसी

भािनाओ क परवत सरकषातमक उपाय ह जो िासतविक अरिा कालपवनक वयवकतगत दोशो

अरिा दबथलताओ क अलािा असमभािी वििलताओ और परवतरोिो क कारण उतपनन होती

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उततराखड मकत विशवविदयालय 136

810 सिमलयाकन हि परशन 1) बराउन न मनोरचना की कौन सी पररभाषा दी ह 2) मनोरचनाओ क महतिपणथ कायथ कौन स ह

उततर 1) बराउन क अनसार- ldquoमानवसक मनोरचनाए चतन तरा अचतन की परवतविया ह जो वयवकत

क अनतिथनि को या तो कम कर दती ह अरिा समापत कर दती हrdquo

2) मनोरचनाओ क महतिपणथ कायथ-

bull रकषायवकतयो स वयवकत की समायोजन समबनिी आिशयकता की सरलतापिथक सनतवषट होती

bull इनस वयवकत म कषठाजवनत तनाि वनराशा ि असिलता की परबलता म विशष रप स कमी

आती ह

bull इनक वयवकत क विघिन की परविया की कारगर रप स रोकराम होती ह

bull इनस वयवकत म दविनता परयाथपत मातरा म कम होती ह

bull इनस एक परकार स वयवकत क आतम-सममान की रकषा होती ह

bull इनस वयवकत म कषठाओ क परवत सहनशीलता की शवकत म िवि होती ह

811 सनदभथ गरनर सची bull अरण कमार वसह (2001 2009) आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल

बनारसीदास नई वदलली

bull एच0क0 कवपल (2001) अपसामानय मनोविजञान आगराः भागथि बक हाउस कचहरी घाि

आगरा

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ0 गोविनद वतिारी- असामानय मनोविजञान (2001) असामानय मनोविजञान

आगरा विनोद पसतक मवनदर आगरा

bull मखीजा एि मखीजा (1980 2009) अपसामानय मनोविजञान आगराः लकषमी नारायण

अगरिाल हासपीिल रोड आगरा

bull Coleman JC (1976) Abnormal Psychology and Modern life

(Taraporevala)

bull Davison GC amp Neal JM (1986) Abnormal Psychology An experimental

clinical Approach John Wiley amp Sons Newyork

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 137

bull Miller MC Psychoanalysis and Its Derivatives

bull Mac Donal Ladell Tessus P20

bull Page- Abnormal Psychology P46

bull Symonds- The dynamics of Human Adjustment

812 तनबनिातमक परशन 1 मनोरचनाओ स आप कया समझत ह मनोरचनाओ क महतिपणथ कायथ को सपषट वकवजए

2 मनोरचनायो क विवभनन रपो का िणथन वकवजए

3 यवकतकरण मनोरचना कया ह 4 दमन अनतबाि परवतगमन रपानतरण मनोरचनाओ का उदाहरण सवहत सपषट वकवजए

5 परकषपण विसरापन परतयाहार कलपना तरग मनोरचनाओ का विसतत िणथन परसतत वकवजए

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 138

ईकाई-9 मनोरचनाओ की विशषिाए अनिदथिनदि क परकार ि तनदान

91 परसतािना

92 उददशय

93 मनोरचनाओ की विशषताए

94 अनतिथनि

95 अनतिथनि क परकार

951 सतरोतो क आिार पर िगीकरण

952 मखय रप स चतन सतरीय

953 मखय रप स अचतन सतरीय

96 अनतिथनि क वनदान

97 साराश

98 शबदािली

99 सिमलयाकन हत परशन

910 सनदभथ गरनर सची

911 वनबनिातमक परशन

91 परसिािना यह मनोवयावि विजञान एि मनोरचनाओ स सबवनित दसरी इकाई ह इसस पिथ आप वदवतीय

इकाई क अधययन क उपरानत जान गय होग की मनोरचनाए कया ह और वयवकत कौन सी मनोरचना

का परयोग कब और वकन वसरवतयो म करता ह जीिन अनतिथनिो की शरखला स वमलकर बना ह

सघषथ क कारण ही वयवकतति का विकास होता ह उसम गवतशीलता आती ह यही कारण ह वक

आज परतयक वयवकत वकसी न वकसी रप म अनतिथनि का वशकार ह

जब दो या दो स अविक (परसपर विरोिी परकवत की) इचछाए या आिशयकताए वयवकत म

उतपनन हो तरा एक की पवतथ दसरी की पवतथ म बािा डाल तो ऐसी अिसरा को अनतिथनि कहत ह

इस इकाई क अधययन क उपरानत आप मानवसक अनतिथनि स समबवनित सभी पकषो को

जान पायग वक इसकी उतपवतत कब और कसी होती ह तरा इस अनतिथनि का वनदान कस वकया जा

सकता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 139

92 उददशय परसतत इकाई को पड़न क उपरानत आप जान सकग-

bull मनोरचनाओ की विशषताए कया होती ह

bull अनतिथनि का कया अरथ होता ह

bull अनतिथनि क विवभनन परकार कया ह

bull अनतिथनि का वनदान वकस परकार वकया जाता ह

93 मनोरचनाओ की विशषिाए ldquoमनोरचनाए ि बािाए ह जो अचतन समाज विरोिी परिवततयो को चतना म जान स रोकती हrdquo

पज न सरकषातमक उपायो को ldquoMental Mechnism are good solutions to

conflicts frustration and inferiority Mental Mechanism have some

protective alleviating or escape valuerdquo

मनोरचनाय वयवकत क अनतिथनि वनराशाओ तरा हीनता की भािनाओ स बचन का एक

अचछा समािान ह इसम सरकषातमक पहल भी ह और पलायन भी लगभग हर सामानय कह जान

िाल वयवकत क दवारा मानवसक रप स मनोरचनाओ का परयोग वकया जाता ह

ldquoThese balancing devices are desirable in Moderation and are frequently

utilized by normal individualsrdquo Page

उदाहरण क वलय कोई वयवकत यह मानन को तयार नही होना चाहता वक उसकी असिलता

का कारण उसकी सिय की अयोगयता ह बवलक िह अपनी कवरत असिलताओ का कारण वकसी

वयवकत पररवसरवत या घिना को मानकर सिय को अपराि भाि स मकत कर लता ह लवकन

िासतविकता यह नही होती ह अगर खिि ह (Grapes are sour) करानक इसी पर आिाररत ह

विशषिाए

वििचनाओ क आिार पर मनोरचनाओ म वनमन विशषताए वनवहत रहती ह-

मनोरचनाए वयवकत को वचनता स मकत करती ह

यह वयवकत क अह की रकषा करती ह

यह वयवकत की उपयकता तरा योगयता की भािना को उसक अनदर बनाय रखती ह

यह वयवकत की समगरता (Intigrity) की रकषा करन म सहायक होती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 140

मनोरचनाय एक परकार की मानवसक वियाविवि ह इसका उपयोग अचतन अरिा अिथचतन

सतर पर होता ह

सरकषातमक उपायो दवारा वयवकत को अपन अनतवनवहथत तनािो अनतिथनिो तरा सघषो को कम

करन म सहायता वमलती ह

वयवकत क समायोजन को तातकावलक रप स सरल बना दती ह

मनोरचनाए बचतपणथ होती ह इसस अनतिथनि पर वयय होन िाली शवकत म बचत होती ह

वयवकत मनोरचनाओ क परयोग क परवत जागरक नही होता ह

मनोरचनाओ क अतयविक परयोग स वयवकत का िासताविकता स समपकथ िि सा जाता ह तरा

वयवकत कसमायोवजत भी हो जाता ह

94 अनिदथिनदि

जब दो या दो स अविक इचछाए या आिशयकता य वयवकत म उतपनन हो तरा एक की पवतथ

दसर की पवतथ म बािा डाल तो ऐसी अिसरा को अनतिथनि कहत ह अनतिथनि का इवगलश

अनिाद conflict ह तरा conflict शबद की उतपवत लविन भाषा क conflictus शबद स हई ह

वजसका अरथ ह एक सार िकराना इस परकार विसतत रप स अनतिथनि का अरथ ऐसी वसरवत स ह

वजसम दो आिगो अरिा अवभपररको का एक समय पर ही पारसपररक रप स िकराि ि सघषथ होता

ह लजारस क शबदो म ldquo अनतिथनि उस समय उतपनन होता ह जबवक एक वयवकत को दो असगत

अरिा पारसपाररक रप स विरोिी आिशयकताओ की पवतथ को परायः एक ही समय पर परा करना

होता ह अरिा जब वििष होकर एक आिशयकता की पवतथ करन पर दसरी आिशयकता की पवतथ

कर पाना असमभि हो जाता हrdquo

Brown-rdquoConflict is a situation in which two wishes are so incompatible that the

fulfilment of one would preclude the fulfilment of the otherrdquo

बोररग लगिीलड एि िलड क अनसार ldquoअनतिथनि एक ऐसी अिसरा ह वजसम दो या दो

स अविक विरोिी पररणाए उतपनन हो जाती ह वजनकी एक सार तवपत करना समभि नही हrdquo

उपरोकत वििरण स मखयतः अनतिथनि क समबनि म वनमन बात सपषट होती ह-

bull अनतिथनि एक तनािपणथ वसरवत ह

bull अनतिथनि का जनम तब होता ह जबवक दो या दो स अविक इचछाए एक सार ही उतपनन हो

bull य इचछाए परसपर एक-दसर की विरोिी होती ह विरोिातमक परिवत होन क कारण दोनो

इचछाओ की तवपत एक सार समभि नही ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 141

95 अनिदथिनदि क परकार अनतिथनिो को उनक सरातो ि चतन तरा अचतन रपो क आिार पर अगरवलवखत रप स

िगीकत वकया जा सकता ह

सतरोतो क आिार पर िगीकरण

bull आनतररक आिशयकताओ तरा बाहा परवतरोिो म अनतिथनि

bull दो बाहम आगरहो क परसपर विरोि म अनतिथनि

bull दो अनतररक आिशयकताओ क परसपर विरोि स अनतिथनि

मखय रप स चतन सतरीय (Conscious) अनतिथनि

bull उपागम-उपागम अनतिथनि

bull पररहार-पररहार अनतिथनि

bull उपागम-पररहार अनतिथनि

bull दोहरा उपागम-पररहार अनतिथनि

मखय रप स अचतन सतरीय (Unconscious) अनतिथनि

bull इदम तरा अहम क अनतिथनि

bull अहम तरा पराहम क अनतिथनि

bull इदम तरा पराहम क अनतिथनि

bull अनतिथनि क विवभनन रपो का विसतत िणथन वनमनित ह

951 सतरोिो क आधार पर िगीकरण-

आनतररक आिशयकताओ तरा िाहय िकराि स उतपनन अनतहथनर (Conflicts between

Internal Needs and External Presses)-

वयवकत अपनी विवभनन जविक आिशयकताओ ि आिगो की पवतथ अपन बाहा पयाथिरण क

अनतगथत ही करता ह परनत िाहा पयाथिरण क इस समबनि म अनक परवतरोि अविकाशतः भौवतक

अिरोिो सामावजक परमपराओ तरा सासकवतक मलयो क रप म होत ह और ि वयवकत क आिगो

की पवत तरा सनतवषट नगन रप म वयकत करन की अनमवत नही दत उदाहरणायारथ पररिार म जब

बड़ा बालक वकसी दसर बालक स वखलौना छीन लता ह तब छोि बालक को कभी-कभी एकदम

िोि आ जाता ह और िह बालक स अपना वखलौना न वमलन पर उसको मारन ि गाली दन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 142

लगता ह परनत तरनत ही माता-वपता ि पररिार क अनय वयवकत उसक ऐस असभय वयिहार अरिा

िोि क आिगो को नगनरप म वयकत करन स मना करत ह इस परकार यहा बालक क वलय बाहा

परवतरािो क कारण आनतररक आिगो की पवतथ न होन पर अनतिथनि उतपनन होता ह

i) दो बाहय आगरहो क परसपर विरोध स अनिदधयनदधः-

समाज कभी-कभी वयवकत क सममख परसपर रप स विरोिी भवमकाए परसतत करता ह तरा

उनक पररपालन करन क वलए भारी आगरह करता ह उदाहरणारथ समाज क नवतक ि िावमथक

उपदश वयवकत क ससार क अनय समसत वयवकतयो को एक ही ईशवर की सनतान होन क नात उनक

परवत एक ओर समानता का वयिहार करन की अपकषा रखत ह तरा दसरी ओर िीक इसक विपरीत

उस अपन राषटर अपन िमथ समाज ि समह को ही सिथशरषठ मानन का भी आगरह करता ह परसपर

रप स ऐसी समावजक भवमकाओ स वयवकत म अनतिथनि उतपनन होना सिाभाविक ही ह

ii) दो आनिररक आिशिकिाओा क परसपर विरोध स अनिदधयनदधः-

एक वयवकत कभी-कभी परसपर रप स विरोिी अपनी ही आनतररक आिषकताओ क

अनतिथनि क जाल म िस जाता ह उदाहरणारथ जब एक विदयारी परीकषा म भी उचच शरणी क अक

परापत करना चाहता ह ि सार ही सार खलकद म भी अपनी परबल रवच रखना चाहता ह ऐसी

वसरवत म एक सामानय विदयारी क वलय ऐसी दो परसपर रप स विरोिी आिशयकताओ स तीवर

अनतिथनि उतपनन होता ह

952 मयि रप स ििन सिरीि-

i) उपागम-उपागम अनिदधयनदध (Approach-Approach conflict)

ऐस अनतिथनिो को आकषथण-आकषथण अनतिथनि भी कह सकत ह कयोवक इसक अनतगथत

वयवकत की दवििा यह रहती ह वक िह दो समान लकषयो म स वकस एक को सिीकार कर और

वकसको असिीकार कर कयोवक वसरवत ऐसी ह वक िह उन दोनो म स एक को ही सिीकार कर

सकता ह तरा एक क सिीकार करन पर यहा दसर लकषय की परावपत सिय ही समापत हो जाती ह जस

जब एक नियिती क सममख वििाह क वलय दो ऐस उततम परसताि विचारािीन होत ह जो वक सब

दवषटयो स एकदम आकषथक होत ह तब उसकी मानवसक उलझन यह होती ह वक िह वकस सिीकार

कर तरा वकस असिीकार कर उसकी िासतविक मानवसक अनतिथनि की ऐसी वसरवत को वनमन

आरख दवारा सपषट वकया जा सकता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 143

ii) पररहार-पररहार अनिदधयनदध (AvoidancendashAvoidance conflict)

कभी-कभी वयवकत ऐसी भयािह उलझन अरिा अनतिथनि की वसरवत म िस जाता ह

जबवक िह दो समान रप सकिो म एक सार ही वघर जाता ह उदाहरणारथ जब एक बीमार बालक

स उसकी मा कड़िी गोली लन या विर उसक सरान पर इनजकषन लन क वलय पछती ह तब बालक

सिभाविकतः इन दोनो कषटकारक वसरवतयो म स वकसी एक को भी सिीकार नही करना चाहता

परनत सार ही सार उसका सकि यह भी ह वक िह इस वसरवत स बच भी नही सकता

iii) उपागम-पररहार अनिदधयनदध (Approach-Avoidance Conflict)

य वयवकत क सममख ऐसी वसरवत होती ह वजसम दो विरोिी तति एक सार सवममवलत

होकर उसक वयिहार म दवनि उतपनन कर दत ह जस परम की आरवमभक वसरवत म परमी अविक

खलकर परवमका स बात करन म दवििा म पड़ जाता ह उसस िवनषठ बात करन को उसका मन खब

करता ह परनत एक सीमा स अविक बढ़ जान क भय स िह तरनत अपन आपको सयवमत कर लता

ह यहा परवमका स वमलना भी (उपागम )चाहता ह परनत कही अविक बढ़न पर िह डाि न लगा द

इस डर स िह उसस वमलन स डरता भी ह (पररहार)|

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उततराखड मकत विशवविदयालय 144

iv) वरद-सिरीि उपागम- पररहार अनिदधयनदध (Double Approach-Avoidance

Conflict)

ऐस अनतिथनि की वसरवत म वयवकत ऐसी दो दवििाओ म एक सार पड़ जाता ह वक उस

कछ भी वनवित रप स करन म सनतवषट क सार-सार असनतवषट भी अपररहायथ रप स वमलती ह जब

एक नि यिती क पास दो ऐस यिको क समबनि म परसताि आत ह वजनम एक यिक मनपसनद

परनत वनिथन होता ह तरा दसरा यिक करोड़पवत परनत करप होता ह नियिती क ऐस अनतिथनि

को वनमनवलवखत आरख क माधयम स परसतत वकया जा सकता ह

953 मयि रप स अििन सिरीि-

i) इदम तरा अहम क अनतिथनि (Conflict Between ID and Ego)- इदम क आिग

अवभनन रप स सःख वसिानत दवारा सचावलत होत रहत ह जबवक अहम का समबनि

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उततराखड मकत विशवविदयालय 145

जीिन की किोर िासतविकताओ स रहता ह अतः इदम क आिगो तरा अहम क

परवतरोिो म िकराि स अनतिथनि उतपनन होना सहज रप ही समझा जा सकता ह

ii) अहम तरा पराहम क अनतिथनि- अहम का समबनि एक ओर इदम की आननद भोगी

इचछाओ तरा दसरी ओर पराहम क िावमथक ि नवतक मानदणडो स जड़ा रहता ह अहम

इन दोनो विपरीत ि विरोिी वयिहारो क समनिय तरा तालमल कभी कभी इदम की

िासनापणथ इचछाओ को भी दससावहत कर जाता ह इसस पराहम वयवकत क अहम को

कचोिन लगता ह इसस ही वयवकत म अपराि-भािना पाप-िारणा ि परायवित की कि

िदना होन लगती ह

iii) इदम तरा पराहम क अनतिथनि- इदम क िासनापणथ कषवणक आिगो तरा पराहम क किोर

नवतक आदशो म सघषथ सहज रप ही बोिगमय ह सामानयतः वयवकत का ससगवित अहम

इन दोनो परसपर विरोिी आगरहो क समनिय ि तालमल वबिान म सिल रहता ह परनत

विर भी वयवकत क वयािहाररक ि मानवसक जीिन क ऐस अनतिथनि का परिम वनतय

चलता ही रहता ह

96 अनिदथिनदि क तनदान िह वयवकत जो अनतिथनि पररवसरवतयो क मधय होता ह सदि यह अनभि करता ह वक

उसक सममख एक असमान पररवसरवत उतपन हो गई ह समवसरवत क सामानय वसिानत क आिार

पर िह या तो इस पररवसरवत स पिथ वसरत अिसरा म पहचना चाहता ह या निीन परकार क

समायोजन करना चाहता ह इस वसरवत पर पहचन क वलय पराणी अपन समसत सरोतो को इस कायथ

क वलय उपयोग करता ह

अनतिथनि समायोजन को विसतत रप स दो िगो क िगीकत करना समभि ह पररम िगथ म

ि परविविया आ जाती ह वजनका विकास पराणी मखयतः उददीपक को सशोवित करन क आिार पर

करता ह अगर कम वकसी िसत को अनय दवषटकोणो स दख तो शायद अनतिथनि समापत हो जाय

अनय शबदो म पररम परकार क अनतिथनि समायोजन म वयवकत मौवलक अनतिथनि पररवसरवत को पनः

वनियातमक दवषटकोण स वयाखया करक उददीपक म सशोवित करता ह-

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 146

दसर परकार क अनतिथनि समायोजन की परवतविया म सशोिन वकया जाता ह वनमन वचतर

को दखन स यह बात पणथ रप स सपषट हो जाती ह वक अगर एक परकार की विया (ए) वजस सरलता

क सार शर वकया जा सकता ह परनत उस पीड़ा या दणड का अनभि वयवकत को परापत होता ह तो

वयवकत अनय परकार की विया (बी) क माधयम स इस अनतिथनि की तीवरता को कम या दर कर

सकता ह

97 साराश मनोरचनाओ दवारा वयवकत अपन अनतवनथवहथत तनािो अनतिथनिो तरा सघषो को कम करता

ह मनोरचनाय वयवकत क अह की रकषा करती ह ि वचनता स मकत कराती ह मनोरचनाओ दवारा वयवकत

क समायोजन को तातकावलक रप स सहज बनाया जा सकता ह

सकषप म अनतिथनि की वसरवत वयवकत क वलय एक अवत गमभीर दवििा की वसरवत होती ह

इसम उसक वलए परायः कोई एक वनणथय लना अवत किोर ि कषटकारक होता ह वयवकत की उलझन

यहा यह होती ह वक उसक वलए वकसी भी एक सपषट वदशा म जाना समभि नही लगता कयोवक इसस

या तो उसक एक अभीषट की पवतथ नही होन पाती या विर इसस उसका एक अनय गनतवय (लकषय)

असनतषट ही रह जाता ह अनतिथनि का सिरप कभी-कभी इसस भी अविक गमभीर ि विशम हो

जाता ह ऐसी वसरवत उस समय दखन म आती ह जब वयवकत क विरोिी अवभपररको म अचतन सतर

पर िकराि होता ह िसततः एक वयवकत क विवभनन अनतिथनिो का सिरप कभी-कभी जविल होता

ह अनतिथनिो क विवभनन रप होत ह वजनका वनदान समायोजन परवियाओ दवारा वकया जा सकता

98 शबदािली bull वरदसिरीि उपागम-पररहार अनिदधयनदध (Double Approach-Avoidance conflict)

इस अनतिथनि की वसरवत म वयवकत क सामन दो लकषय होत ह और परतयक लकषय म घनातमक

और ऋणातमक दोनो शवकतया होती ह

bull मल परिवतत (Basic Instinct) मल परिवतत एक परकार की जनमजात मनोशवकत ह फरायड न

दो मल परिवततया बताई (1) जीिन मल परिवतत(Life Instinct) और (2) Death Instinct

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 147

वयवकत की रचनातमक वियाओ क मल म जीिन मल परिवतत ह तरा विधिसातमक वियाओ म

मतय मल परिवतत ह

bull अनिदधयनदध (Conflict) अनतिथनि िह अिसरा ह जो दो इचछाए इतनी विरोिी होती ह वक

एक दसर की तवपत म बािा उतपनन करती ह

bull उपागम-उपागम अनिदधयनदध (Approach-Approach conflict) वयवकत दो ऐस विकलपो

क बीच पहच जाता ह वजनम एक सी िनातमक शवकत होती ह वयवकत को दोनो ही अपनी ओर

आकवषथत करती ह वजसक कारण स अनतिथनि उतपनन हो जाता ह

bull पररहार-पररहार अनिदधयनदध (Avoidance-Avoidance Conflict) इस तरह की

अनतिथनि की वसरवत म दोनो विकलपो म ऋणातमक कषथण शवकत होती ह वजसम वयवकत को एक

विकलप को अिशय चनना पड़ता ह वजसक कारण स अनतिथनि उतपनन हो जाता ह

bull उपागम-पररहार अनिदधयनदध (Approach-Avoidance Conflict) इस परकार क

अनतिथनि की वसरवत म वयवकत क समकष एक ही लकषय होता ह वजसम िनातमक और ऋणातमक

दोनो ही कषथण शवकतया वििमान होती ह

99 सिमलयाकन हि परशन 1) मनोरचनाओ की मखय विशषताए कया ह

2) अनतिथनि की पररभाषा वलवखय 3) अनतिथनि क विवभनन रपो का िगीकरण वकतन चरणो म वकया जा सकता ह

उततर 1) विशषताए वििचनाओ क आिार पर मनोरचनाओ म वनमन विशषताए वनवहत रहती ह-

bull मनोरचनाए वयवकत को वचनता स मकत करती ह

bull यह वयवकत क अह की रकषा करती ह

bull यह वयवकत की उपयकता तरा योगयता की भािना को उसक अनदर बनाय रखती ह

bull यह वयवकत की समगरता (Intigrity) की रकषा करन म सहायक होती ह

bull मनोरचनाय एक परकार की मानवसक वियाविवि ह इसका उपयोग अचतन अरिा

अिथचतन सतर पर होता ह

bull सरकषातमक उपायो दवारा वयवकत को अपन अनतवनवहथत तनािो अनतिथनिो तरा सघषो को

कम करन म सहायता वमलती ह

bull वयवकत क समायोजन को तातकावलक रप स सरल बना दती ह

bull मनोरचनाए बचतपणथ होती ह इसस अनतिथनि पर वयय होन िाली शवकत म बचत होती ह

bull वयवकत मनोरचनाओ क परयोग क परवत जागरक नही होता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 148

bull मनोरचनाओ क अतयविक परयोग स वयवकत का िासताविकता स समपकथ िि सा जाता ह

तरा वयवकत कसमायोवजत भी हो जाता ह

2) पररभाषा- बोररग लगिीलड एि िलड क अनसार ldquoअनतिथनि एक अिसरा ह वजसम दो या

दो स अविक विरोिी पररणाए उतपनन हो जाती ह वजनकी एक सार तवपत करना समभि नही हrdquo

3) तीन चरणो म-

i सरोतो क आिार पर

ii चतन सतरीय आिार पर

iii अचतन सतरीय आिर पर

910 सनदभथ गरनर सची bull अरण कमार वसह (2001 2009) आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल

बनारसीदास नई वदलली

bull एच0क0 कवपल (2001) अपसामानय मनोविजञान आगराः भागथि बक हाउस कचहरी

घाि आगरा

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ0 गोविनद वतिारी- असामानय मनोविजञान (2001) असामानय

मनोविजञान आगरा विनोद पसतक मवनदर आगरा

bull मखीजा एि मखीजा (1980 2009) अपसामानय मनोविजञान आगराः लकषमी नारायण

अगरिाल हासपीिल रोड आगरा

bull Coleman JC (1976) Abnormal Psychology and Modern life

(Taraporevala)

bull Davison GC amp Neal JM (1986) Abnormal Psychology An

experimental clinical Approach John Wiley amp Sons Newyork

bull Miller MC Psychoanalysis and Its Derivatives

bull Mac Donal Ladell Tessus P20

bull Page- Abnormal Psychology P46

bull Symonds- The dynamics of Human Adjustment

911 तनबनिातमक परशन 1 मनोरचनाओ की मखय विषशताओ का विसतत िणथन वकवजए

2 अनतिथनि क सपरप को सपषट करत हए िगीकत वकवजए 3 चतन सतरीय अनतिथनि क परकारो का िणथन वकवजए 4 अनतिथनि का वनदान वकस परकार वकया जा सकता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 149

इकाई-10 मानससक बीमारी का सिरप मनोसनाय विकति एि सनाय विकति म अिर

101 परसतािना

102 उददशय

103 मानवसक बीमारी का सिरप

104 मनोसनाय विकवत एि सनाय विकवत म अतर

105 साराश

106 शबदािली

107 सिमलयाकन हत परशन

108 सनदभथ गरनर सची

109 वनबनिातमक परशन

101 परसिािना यवद मानवसक सिासय एि मानवसक बीमारी क कषतर म वकय गए शोिो पर धयान द तो यह

सपषट होगा वक इस कषतर म 1970 क दशक तक मानवसक सिासय तरा मानवसक बीमारी का एक

विशष मॉडल वजस सतत मॉडल कहा गया का परभाि कािी बना रहा इस मॉडल म मानवसक

सिासय तरा मानवसक बीमारी को एक ही सातवय क दो विपरीत िन माना गया और अविकतर

लोग इन दोनो छोरो क बीच म होत समझ गय मानवसक बीमारी स सपषटतः एक वभनन शरणी नही

समझा जाता रा बवलक सिासय तरा बीमारी सामानय असामानय वयिहारो क विवभनन मातराए होती

ह सिासय तरा बीमारी क बीच की सीमा रखा सखत न होकर तरल ह और सामावजक एि

पयाथिरणी परभािो स परभावित होत रहता ह यही कारण ह वक मानवसक सिासय तरा मानवसक

बीमारी क बीच यह सपषट सीमा-रखा खीचना कविन ह और दखा गया ह वक ऐस वयवकत वजसम कोई

मानवसक बीमारी नही होती ह कभी-कभी उसम मानवसक विषाद कालपवनक बीमाररयो म वचवतत

रहना आिगशील वबना बात क ही िोवित हो जाना आवद लकषण पाय जात ह उसी तरह स ऐस

लोग जो वनवित रप स मानवसक रप स रोगगरसत ह उनम कभी-कभी ऐसी मानवसक दशा उतपनन

हो जाती ह जो मानवसक रप स सिसर वयवकतयो की मनोदशा होती ह और उसम वकसी परकार की

कोई असमानयता का लकषण नही वदखलाई पड़ती ह

मनोविकवत एक सगीन असामानयता ह इस रोग स पीवड़त वयवकत का वयवकतति अतयाविक

विघवित हो जाता ह रोगी को िासतविकता का जञान नही होता| आतमसयम ि सामावजक सनतलन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 150

का पणथतः अभाि रहता ह तरा अकसर कलपनालोक म विचरण करता ह उस अपन कायो की

अचछाई ि बराई क बार म जञान नही होता ह कानन क दवषटकोण स इनह पागल की सजञा दी जाती

ह अनय वयवकतयो को इन रोवगयो का वयिहार दखन म विवचतर ि बरा लगता ह इनम विपयथय ि

विभरम का बाहलय रहता ह तरा इनह अपन सिार या िीक होन की कोई वचनता नही रहती ह

वचवकतसक की सलाह को सिीकार नही करत तरा आतमहतया करन पर उतार रहत ह सामानयतः

मनःसनायकवत जीिनशली का गलत अनकलन ह वजसक वचनता ि छिकारा दो परमख लकषण होत

ह इस परकार क रोवगयो की जीिनशली म दो परमख परकवतया पायी जाती ह- 1) िासतविकता का

गलत मलयाकन तरा समसयाओ क समािान क सरान पर उसस बचन की पिवत 2) अपन आप स

हार जान की परकवत स पीवड़त रहना

इस इकाई क अनतगथत हम मानवसक बीमारी क सिरप तरा मनोसनाय और मनोविकवत म

अनतर का अधययन करग

102 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद हम वनमनवलवखत वबदओ पर चचाथ करन योगय हो सक ग

bull मानवसक बीमारी क सिरप की वयाखया कर सक ग

bull मानवसक बीमारी तरा मानवसक सिासय म अनतर कर सक ग

bull मनोसनायविकवत तरा मनोविकवत म विवभनन दवषटकोण क आिार पर अनतर सपषट कर सकत ह

103 मानससक बीमारी का सिरप यवद नदावनक मनोविजञान तरा असामानय मनोविजञान क इवतहास पर धयान द तो यह सपषट

होगा वक मनौिजञावनक की अवभरवच मानवसक सिासय क अधययन म एक विशष आनदोलन क

िलसिरप हई वजसक शीषथ नता डीएल वडकस जो माशसि म सकल वशवकषका री एि वकलिोडथ

डबल वबसथ र इन लोगो क परयास स मानवसक असपतालो म रख गए रोवगयो क सार वकए जान

िाल अमानिीय वयिहार म कमी आयी और मानिीय वयिहारो म िवि हई एि मानवसक सिासय

को उननत बनान की ओर लोगो का धयान गया

अब यह परशन उिता ह वक मानवसक सिासय स कया तातपयथ होता ह सामानयतः यह

समझा जाता ह वक जब वयवकत वकसी भी तरह की मानवसक बीमारी स मकत होता ह तो उस

मानवसक रप स सिसर समझा जाता ह और उसकी इस अिसरा को मानवसक सिासय की सजञा दी

जाती ह लवकन कछ वचवकतसको का मत ह वक मानवसक सिासय को मानवसक बीमारी की

अनपवसरवत कहना बहत ही उपयकत नही वदख पड़ता ह कयोवक मानवसक रप स सिसर वयवकत म भी

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उततराखड मकत विशवविदयालय 151

कभी-कभी मानवसक बीमारी क लकषण जस आिगशीलता सािवगक अवसररता अवनरा आवद क

लकषण वदखाई पड़त ह इसवलए आिवनक नदावनक मनोिजञावनको न मानवसक सिासय को

समायोजनशीलता की कषमता को मखय कसौिी मानकर इस पररभावषत वकया ह

कालथ मवनगर 1945 क अनसारldquoमानवसक सिासय अविकतम खशी तरा परभािशीलता

क सार िातािरण एि उसक परतयक दसर वयवकत क सार मानि समायोजन ह-िह एक सतवलत

मनोदशा सतथक बवि सामावजक रप स मानय वयिहार तरा एक खश वमजाज बनाए रखन की

कषमता हrsquorsquo

इन भाषाओ का विशलषण करन पर हम मानवसक सिासय क बार म वनमनावकत तय परापत

होत ह

मानवसक सिासय की मल कसौिी अवजथत वयिहार ह इस तरह का वयिहार का सिरप

कछ ऐसा होता ह वजसस वयवकत को सभी तरह क समायोजन करन म मदद वमलती ह

मानवसक सिासय एक सतवलत मनोदशा की अिसरा होती ह वजसम वयवकत अपन

वजनदगी क विवभनन हालातो म सामावजक रप स सािवगक रप स एक मानय वयिहार बनाए रखता

मानवसक रोग या बीमारी िातािरण क सार वकए गए कसमायोजी वयिहार को कहा जाता

ह डविड मकवनि 1999 क अनसार मानवसक बीमारी एक तरह का विचवलत वयिहार होता ह

वजसम वयवकत की वचनतन परवतवियाय भाि एि वयिहार सामानय परतयाशाओ एि अनभवतयो स

वभनन या अलग होता ह और परभावित वयवकत या समाज इस एक ऐसी समसया क रप म पहचान

करता ह वजसम नदावनक हसतकषप आिशयक हो जाता ह डीएसएम 1994 म मानवसक बीमारी

को बहत ही सपषट एि िजञावनक ढग स पररभावषत करन की कोवशश की गई ह

डीएसएम 1994 क अनसार मानवसक बीमारी को इस परकार पररभावषत वकया गया ह

डीएसएम म परतयक विकवत को एक नदावनक रप स सारथक वयिहारपरक या

मनोिजञवनक सलकषण या पिनथ जो वयवकत म उतपनन होता ह क रप म समझा गया ह और यह

ितथमान तकलीि या वनयोगता स सबवित होता ह चाह उसका मौवलक कारण जो भी हो इस

ितथमान समय म वयवकत म वयिहारपरक मनोिजञावनक या जविक दवषिया की अवभवयवकत अिशय

माना जाता हो न तो कोई विचवलत वयिहार (जस राजनीवतक िावमथक या लवगक) और न ही

वयवकत तरा समाज क बीच होन िाला सघषथ को मानवसक रोग माना जा सकता ह अगर ऐसा

विचलन या सघषथ वयवकत म दवषिया का लकषण न होrsquorsquo

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डविड मकवनक 1999 न मानवसक बीमारी का इस ढग स पररभावषत वकया हlsquolsquoमानवसक

बीमारी एक तरह का विचवलत वयिहार ह इसकी उतपवतत तब होती ह जब वयवकत का वचनतन

परवियाए भाि एि वयिहार सामानय परतयाशाओ या अनभिो स विचवलत होता ह तरा परभावित

वयवकत या समाज क अनय लोग इस एक ऐसी समसया क रप म पररभावषत करत ह वजसम हसतकषप

की आिशयकता होती हrsquorsquo यवद हम मानवसक बीमारी क उकत पररभाषओ पर ियान द तो यह सपषट

होगा की समनयतः मानवसक बीमारी क दो पहल होत ह

1) मानवसक बीमारी स उतपनन वचनतन भाि एि वयिहार वयवकत क वलए दखदायी या विघिनकारी

होता ह

2) समसया वयवकत म वकसी न वकसी दवषिया स उतपनन होता ह दसर शबदो म मन या उसक शरीर का कोई न कोई पहल उस ढग स काम नही कर रहा होता ह वजस ढ़ग स उस कायथ करना

चावहए

1980 िाल दशक म मानवसक सिासय एि मानवसक बीमारी क इस सतत मॉडल स

हिकर दसर तरह क मॉडल पर लोगो का धयान अविक गया ह वजस मानवसक बीमारी का परक या

असतत मॉडल कहा गया ह यह मॉडल इस बात का सपषटता स खडन करता ह वक मानवसक

सिासय तरा मानवसक बीमारी एक साततय का वनमाथण करत ह बवलक इसका मत ह वक मानवसक

सिासय तरा मानवसक बीमारी एक दसर क विपरीत ह वजसस एक वदवभाजक का वनमाथण होता ह

वजसका पररणाम यह होता ह वक कोई वयवकत या तो सिसर ह या विर बीमार ह इस मॉडल क

अनसार जो लोग मानवसक रप स बीमार होत ह उनह लकषणो क आिार पर विवभनन रोग शरवणयो म

रखा जाता ह यह मॉडल जिमवडकल शोिो वजसम मानवसक बीमारी क आवगक एि जविक

कारको को अविक महतिपणथ समझा जाता ह पर वकय गए शोिो पर आित ह तरा जसा वक

वमकलस एि माजथक 1993 तरा विलसन 1993 न कहा हlsquolsquoइस मॉडल क अनसार मानवसक

बीमारी का कारण अनिावशक जविक जिरासायवनक तरा ततरकीय होता हrsquorsquo

उपयथकत तयो क आलोक म मानवसक बीमारी तरा मानवसक सिासय म अतर वनमनावकत

वबदओ पर मोि तौर पर वकया जा सकता ह-

1) मानवसक बीमारी म सामानयतः वयवकत म समायोजन सबि समसयाए परिान होती ह परनत मानवसक सिासय म सामानयतः वयवकत को समायोजन सबि कविनाई या या समसयाए न क

बराबर होती ह

2) मानवसक बीमारी म उपचार एक अहम पहल होता ह यवद उसका उपचार नही वकया जाता ह

तो उसकी उगरता तीवर होती जाती ह परत मानवसक सिासय म उपचार जस पहल की अहवमयत

नही होती ह भल ही उस उननत बनान क वलए कछ सिारातमक उपाय की जररत पड़ती ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 153

3) अविकतर मानवसक बीमाररयो का एक सपषट जविक आिार होता ह इस तय की पवषट अनको

अधययनो स हो चकी ह यही कारण ह वक हम पात ह वक अगर वकसी वयवकत म कोई मानवसक

रोग हो गया ह तो विर उसकी सतानो म भी सबि मानवसक रोग उतपनन होन की सभािना तीवर

हो जाती ह जड़िा बचचो पर वकय गय अनको अधययन म यह पाया गया ह वक यवद ऐस यगमो

क एक बचचा म कोई मानवसक रोग होता ह तो विर दसर बचचा म भी इस रोग क होन की

सभािना तीवर हो जाती ह मानवसक सिासय का कोई इस तरह का जविक आिार नही होता

ह बवलक इसक वनिाथरण म अजविक कारको की ही भवमका अविक होती ह

4) मानवसक बीमारी तरा मानवसक सिासय म नदावनक मनोिजञावनको तरा मनोवचवकतसको का धयान मानवसक बीमारी क अधययन की ओर तलनातमक रप स अविक गया ह कयोवक यह

समाज क वलए और सिय वयवकत क वलए भी एक बड़ी चनौती क समान ह

5) मानवसक बीमारी क अधययन कषतर की वयापकता मानवसक सिासय क अधययन कषतर की वयापकता स कािी अविक ह

सपषट हआ वक मानवसक बीमारी तरा मानवसक सिासय म पारदशी अतर ह

104 मनोसनाय विकति एि सनाय विकति म अिर मयर न मनः सनायविकवत को एक भाग स समबवनित परवतविया ि मनोविकवत क समगर

रप स वयाखया परसतत की ह कयोवक एक स वयवकतति का एक विशष भाग ही परभावित होता ह

लवकन मनोविकवत स तो समपणथ वयवकतति ही पररिवतथत हो जाता ह मनः सनायविकवत ि

मनोविकवत क अनतर को हम विवभनन दवषटकोण स समझा सकत ह इन दोनो म कोई विशष समानता

नही ह तरा इनक परारमभ एि पररणामो म भी कािी अतर ह नीच हम विवभनन दवषटकोणो क आिार

पर मनःसनायविकवत म अनतर बतायग-

1) कारणो क दवषटकोणो स- मनोसनायविकवत म य तति अविक महतिपणथ होत ह वजनका समबनि मखयतः मनोजनय एि अनिावशकता स होता ह इसम सनायविद दवहक एि

रासायवनक तति परायः अमहतिपणथ होत ह लवकन मनोविकवत म परमख कारणो का समबनि

मखयतः अनिावशकता विशातमक ि सनायविक स होता ह

2) वयिहार क दवषटकोण स- मनोसनायविकवत रोगी म भाषा ि विचार क दवषटकोण स सगवत पाई जाती ह कयोवक उनका वयिहार तावकथ क होता ह लवकन इसक विपरीत मनोविकवतयो क

रोवगयो की भाषा एि विचार म असगवत विवचतरता ि अतावकथ कता पायी जाती ह इन रोवगयो

म वयामाहो विभरम ि मानवसक अवसररता अविक होती ह जबवक मनःसनायविकवतयो म ऐसा

नही पाया जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 154

3) सामावजक दवषटकोण स- समावजकता दवषटकोण स मनःसनायविकवतयो क रोवगयो क लकषणो म समाज ि िासतविकता म एक समनिय की झलक वमलती ह कयोवक इनका वयिहार करीब-

करीब सामानय लोगो स वमलता-जलता ह लवकन मनोविकवत क रोवगयो म सामावजक लकषणो

का अभाि रहता ह उसम सामावजक आदत समाज ि िासतविकता का समबनि सामवहकता

आवद भािनाए परायः नषट हो जाती ह दसर शबदो म मनोविकवत क रोवगयो का सामावजक

वनयमो स न तो कोई समबनि ही रहता ह और न ही य समाज क वनयमो का पालन ही करत ह

4) वयवकतति क आिार पर- मनोसनायविकवत क रोवगयो का वयवकतति या तो सामानय वयवकत स

वमलता हआ होता ह या रोड़ा-सा वभनन होता ह लवकन मनोविकवत क रोवगयो का वयवकतति

सामानय वयवकतयो स कािी वभनन होता ह उसका वयिहार ि परवतवियाए इतनी वभनन होती ह

वक िह सामानय वयवकत स वबलकल अलग वदखाई पड़ता ह

5) वयिसरा एि वचवकतसा क दवषटकोण स- मनोसनायविकवत रोगी म इतनी समझ होती ह वक िह

अपना भला-बरा समझता ह तरा आतम-वयिसरा को बनाय रखता ह लवकन मनोविकवत क

रोवगयो म आतम-वयिसरा का पणथतः अभाि पाया जाता ह वजसक कारण ि आतमहतया की

परिवतत की ओर उनमख होत ह वचवकतसा क दवषटकोणो स मनःसनायविकवत रोवगयो का उपचार

घर म समभि ह लवकन मनोविकवत क रोवगयो को या तो वचवकतसालय म भती करा वदया

जाता ह या वचवकतसालय की भावत घर म परबनि कराना चावहए

6) उपचार एि अिवि क दवषटकोण स- मनोसनायवििती क रोवगयो की अनतदथवषट पणथतः या लगभग िीक होती ह अतः इनह मनोिजञावनक उपचार- जस-वनदश पनवषथकषण आवद क

माधयम स िीक वकया जा सकता ह लवकन मनोविकवत क रोवगयो क उपचार क वलए

रासायवनक शरीर-विजञानातमक विवियो का सहारा लना पड़ता ह अिवि क दवषटकोण म

मनोसनविकवत की दशा वचनताजनक नही होती तरा मतय-सखया सािारण होती ह इसक

विपरीत मनोविकवत क लकषण अपकषाकत सरायी ि परवतवदन पररिवतथत होत रहत ह अविकतर

लकषणो क पररणाम परवतकल होत ह तरा इस रोग म रोवगयो की दशा वबगड़ जाना सािारण

बात ह एि मतय-सखया की अविकता भी पायी जाती ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 155

मनः सनायविकवत ि मनोविवकषपतता म अनतर

आनतररक अनतदवथनदव की

परकवत

उसक वयिहार

का सामावजक

रप

परवतगमन

शरणी

परम-िसत क

आिारभत

उततजनाओ स

समबनि

अनतदवथनदव

का रप

मनः

सनाय

विकवत

अहम परम अहम ि इदम

और िासतविकता म

असामजसयपणथ सतलन

अहम का परम अहम ि

इदम स सघषथ परनत िासत

विकता क सार समबनि

बना रहता ह

आवशक रप स

सिीकत

वयिहार

गतयातमक ि

जञानातमक दोनो

दवषट स वयिहार

विधिसातमक

लवकन इदम क

आिगो पर

वनयनतरण

गदा या

लवगक

अिसरा

परवतगमन

िसतविहीन या

अविकतम रप

स उभयिवत

का होना

उगर या

तीवर

लकषण

का

वनमाथण

मनोवि

वकषपतता

अहम परम अहम ि इदम

तरा िासतविकता म

अविकतम असामसय

सनतलन अहम की शवकत

हास होन लगती ह तरा

इसका िासतविकता क

सार समबनि नही होता

सामावजक रप

स असिीकत

वयिहार इदम

समबनिी आिगो

को विकत रप

स परकि होना

परारवमभक

गदा

अिसरा

परवतगमन

िसतविहीन या

अविकतम रप

स उभयिवतत

होना

उगर ि

तीवर

लकषणो

का

वनमाथण

1) मनःसनािविकवििो क सामानि लकषण -

i) वचनता एि भयािह- अनक मनोिजञावनको न वचनता को मनःसनायविकवत का परमख लकषण

माना ह रोगी इसम वबना कारण क ही भयातमक वसरवत म विविरण करता ह वजसका सिरप

िासतविकता स बचाि करन का परयास होता ह मनःवसरवत म रोवगयो को अविकतर यह

आशका सताती ह वक कही मर आनतररक अनतदवथनदव ि भय परकि न हो जाय यही कारण ह वक

रोगी सदि अनक कारण भय जस-दघथिनागरसत होन बीमार पड़ जान ि पागल हो जान आवद स

तरसत रहता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 156

ii) अनपयकता एि हीनता-इन रोवगयो का वयवकत अपररपकि ि असनतवलत हो जाता ह वजसक कारण रोगी अपन को सािारण स सािारण अिसरा म भी अनपयकत समझन लगता ह तरा

अनय लोगो की अपकषा अपन को हीन समझन लगता ह इस परकार स वयवकतयो म परायः दो

परकार की वसरवत पाई जाती ह-

क) या तो ि पणथ रप स दसर पर ही वनभथर रहत ह

ख) या परतयक कायथ सितनतर रप स करना चाहत ह

iii) अह-क नरता- परायः य रोगी अपन ही विचारो भािनाओ आवद म खोए रहन क कारण जीिन

क सघषो का सामना एक सामानय वयवकत की अपकषा कविनाई क सार कर पात ह दसर शबदो

म य रोगी मखयतः अपनी समसयाओ म उलझ रहत ह तरा अनय वयवकतयो की समसया स

इनका कोई समबनि नही रहता ह

iv) तनाि एि अवत-सिदनशीलताः- कयोवक य रोगी आतम-कवनरत होत ह छोि-छोि सघषो तरा

वचनताओ स सरकषा करन क वलए वयरथ की वचनताओ म लीन रहत ह अतः य वयवकत हमशा एक

तनािपणथ वसरवत म जीिन-यापन करत ह इसम सिगशीलता सामानय वयवकत की अपकषा

अविक होती ह तरा बात ही बात म इनह गससा आ जाता ह

v) अनतदथवषट की कमी- कयोवक य छोि-छोि सघषो का सामना उपयकत वियाओ स नही कर पात

अतः इनम मानवसक तनाि सघषथ भय सामना उपयकत वियाओ स नही कर पात अतः इनम

मानवसक तनाि सघषथ भय की वसरवत बनी रहती ह वजसक पररणामसिरप इनम सझ की कमी

रहती ह आतम-सयम आतम-वनभथरता आवद का अभाि वदखाई पड़ता ह वयिहार म

सिाभाविक लोच का अभाि रहन क कारण िह अपन को अतयनत वनराशाजनक वसरवत म पाता

vi) पारसपररक समबनि ि सामावजकता की कमी- रोगी आतमकवनरत ि अनपयकतता स वघर होन

क कारण अनय वयवकतयो एि अनक सामावजक परमपराओ ि रीवत-ररिाजो क परवत उदासीन

रहता ह कयोवक उसम या तो यह भािना रहती ह वक सितनतर रप स कायथ कर या पणथ रप स

दसरो पर ही वनभथर रह वजसक कारण अनय वयवकत उसस शीघर ही ऊब जात ह तरा दर रहन का

परयास करत ह

vii) रकान और अनय शारीररक कषटः- मानवसक तनाि वचनता सघषथ भय आवद क कारण इसकी

शारीररक तरा मानवसक शवकत वयरथ म ही नषट होती रहती ह िलतः िह रकान तरा अनय

शारीररक कषट आवद स पीवड़त रहत ह इस परकार क वयवकतयो को पि समबनिी रोग वसर-ददथ

शरीर म असपषट िदना आवद कषट सतात ह

viii) अनय मानवसक लकषण- इन रोवगयो म उपयकत लकषणो क अलािा अनक अनय मानवसक

लकषण जस-परशानी असनतवषट धयान की एकागरता म कमी आवद भी पाए जात ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 157

2) मनोविकवििो क दो परमख सामानि लकषण ह -

i) वयामोह

ii) विभरम

i) विामोह- वयामोह झि विशवास होत ह वजनह वयवकत सतय मानता ह तरा इसकी असतयता

वसि करन क सभी तको को िह सिीकार नही करता यदयवप वयामोह सामावजक

समायोजन म गमभीर रप स बािक होत ह विर भी वयवकत इनस मकत नही हो पाता ह

इसक वननन परमख रप ह-

1 महानता का वयामोह

2 दणडातमक या उतपीड़न वयामोह

3 सनदभथ वयामोह

4 परभाि वयामोह

5 रोगभरम वयामोह

6 पाप ि अपराि वयामोह

7 वमयातमक वयामोह

ii) विभरम- विभरमािसरा म वबना बाहय सनायविक उददीपक क रोगी को अनक परकार का

परतयकषीकरण होता ह यह िह वसरवत ह वजसस वमया जञान होता ह विभरम सभी

जञानवनरयो स समबवनित होता ह लवकन मखयतः शरिण स समबवनित जञानवनरय म विभरम

सभी अविक होत ह रोगी को कभी-कभी अरशय सरान या विवशषट वयवकतयो स सदश

या आिाज सनाई पड़ती ह आिाज क आन तरा वदशा म भी अनतर पाया जाता ह उस

कभी वखड़की म स आिाज आती हई परतीत होती ह तो कभी चारो ओर स आती सनाई

पड़ती ह सनन समबनिी विभरमो क अवतररकत रशय गनि सिाद आवद स भी समबवनित

विभरम उतपनन होत ह

विचार भाषा आवद म असगतता- मनोविकवत म वयवकत क विचार भाषा आवद म सगवत

नही होती िह अनोखी बातो को कहता ह वजसका तावकथ क दवषटकोण स कोई महति नही होता

उसका मानवसक जीिन पणथतः असत-वयसत हो जाता ह वजसक िलसिरप वयवकतति का विघिन हो

जाता ह तरा वयवकत वयामोह विभरम आवद का वशकार हो जाता ह

सामवहकता ि सामावजकता का अभाि- रोगी क वयवकतति का विघिन ि मानवसक जीिन

असत-वयसत होन क कारण उसम सामावजक वनयमो रीवत-ररिाजो सामावजक वयिहार आवद म

असनतलन वदखाई पड़ता ह िह ऐस कायो को करता ह जो समाज क अनकल नही होत तरा उनका

वयिहार सामावजक दवषटकोण स कािी वचनतनीय होता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 158

आतम-भाि ि आतम-वयिसरा का अभाि- रोगी कछ सोच नही पाता वजसक कारण िह

आतम-वयिसरा बनाय रखन म पणथतः असमरथ होता ह िह आतमाहतया करन तक को ततपर होता

मानवसक असपताल की आिशयकता- मनोविकवत सरल परकार की विकवत नही होती

बवलक एक जविल विकवत ह इसवलए इस परकार क रोवगयो को घर की अपकषा मानवसक

वचवकतसालयो म भती कराना चावहए या घर को ही वचवकतसालय क समान बनाकर रोगी की

दखभाल करनी चावहए

105 साराश मानवसक बीमारी एक तरह का विचलन वजसम वयवकत की वचनतन परवियाए भाि एि

वयिहार सामानय परतयाशाओ एि अनभवतयो स वभनन होता ह डीएसएम 1994 म मानवसक

बीमारी को बहत ही सपषट एि िजञावनक ढग स पररभावषत करन की कोवशश की गयी ह

मनोसनाय विकवत स वयवकतति का एक विशष भाग ही परभावित होता ह लवकन मनोविकवत

स सपणथ वयवकतति ही पररिवतथत हो जाता ह इनम विवभनन दवषटकोणो क आिार पर अनतर होता ह

जस- कारणो क दवषटकोण स वयिहार क दवषटकोण स सामावजक दवषटकोण स वयवकतति क आिार

पर वयिसरा एि वचवकतसा क दवषटकोण स उपचार एि अिवि क दवषटकोण स

106 शबदािली bull मानवसक सिासि मानवसक सिासय एक सतवलत मनोदशा की अिसरा होती ह वजसम

वयवकत अपन वजनदगी क विवभनन हालातो म सामावजक रप स सािवगक रप स एक मानय

वयिहार बनाए रखता ह

bull विामोह वयामोह झि विशवास होत ह वजनह वयवकत सतय मानता ह तरा इसकी असतयता वसि

करन क सभी तको को िह सिीकार नही करता

bull विभरम विभरमािसरा म वबना बाहय सनायविक उददीपक क रोगी को अनक परकार का

परतयकषीकरण होता ह यह िह वसरवत ह वजसस वमया जञान होता ह

107 सिमलयाकन हि परशन 1) मानवसक बीमारी या मानवसक सिासर म कौन सी दशा जयादा सोचनीय ह 2) मानवसक बीमारी या मानवसक सिासर म वकसका आिार जविक ह

3) मनोसनाय विकवत तरा मनोविकवत म स वकसका उपचार आसान ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 159

4) मनोसनाय विकवत तरा मनोविकवत म स वकन रोवगयो का वयवकतति जयादा असमावजक होता ह

5) मानोविकवत क दो परमख सामानय लकषण कौन स ह

उततर 1) मानवसक बीमारी 2) मानवसक बीमारी 3) मनोसनायविकवत

4) मनोविकवत 5) (i) वयामोह (ii) विभरम

108 सनदभथ गरनर सची

bull आिवनक असामानय मनोविजञान- डा0 अरण कमार वसह

bull असामानय मनोविजञान- डा0 डी0एन0 शरीिासति

109 तनबनिातमक परशन 1 मानवसक सिासय ि मानवसक बीमारी म अनतर सपषट कर 2 मानवसक बीमारी क सिरप की वयाखया कीवजए 3 मनोसनायविकवत क कारणो का िणथन कीवजए 4 विपपणी-

i मानवसक बीमारी

ii मनोविकवत

iii मनोसनाय विकवत तरा मनोविकवत म अनतर

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 160

इकाई-11 धचिा हहसटीररया िरा फोबबया 111 परसतािना

112 उददशय

113 वचता का सिरप

114 िोवबया क सिरप

115 वहसिीररया का सिरप

116 वचता कषोभोनमाद क परकार

117 रपानतररत कषोभोनमाद का सिरप

118 साराश

119 शबदािली

1110 सिमलयाकन हत परशन

1111 सनदभथ गरनर सची

1112 वनबनिातमक परशन

111 परसिािना एक समय यह कहाित बहत परचवलत री वक आज का यग वचता का यग ह इस कहाित

की परासवगकता म पहल की अपकषा आज कािी िवि हो गयी ह यह िासतविकता ह वक आज का

यग वचता का यग ह ऐसा लगता ह वक हर आदमी वकसी न वकसी तरह की वचता की चपि म ह

सामानयतः वचता का आशय ऐसी मनः वसरवत स ह वजसम वयवकत आशका असरकषा एि

भय की भािना स परशान रहता ह उस लगता ह उस पर विपवतत आन िाली ह कोई सकि आ

सकता ह इस परकार तनािगरसत हो जाता ह

वचनता विकवत का तातपयथ वयवकत क वयिहार का अिासतविक हो जाना ह उसम अतावकथ क

भय उतपनन हो जाता ह या वयवकत यह अनभि करन लग वक उसम अयोगयता आ गयी ह उसको

वकसी विपवतत या बड़ी परशानी का सामना करना पड़ सकता ह इसस उसका वयिहार कसमायोवजत

हो जाता ह इस ही वचता विकवत कहा जाता ह इस अधयाय म हम वचता विकवत क सिरप परकार

लकषण कारण उपाय िोवबया क परकार लकषण उपाय वहसिीररया क सिरप लकषण कारण ि

उपाय का अधययन करग

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 161

112 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद हम वनमन वबदओ पर चचाथ करन योगय हो सक ग

bull वचता क सिरप एि परकार की वयाखया कर सक ग

bull असामानय ि सामानय वचता क अतर को समझा सक ग

bull वचता मनसताप क लकषण कारण ि उपचार पर चचाथ कर सक ग

bull िोवबया क सिरप एि परकार पर परकाश डाल सक ग

bull िोवबया क लकषण कारण ि उपायो को समझान म सकषम होग

bull वहसिीररया क सिरप एि परकार की चचाथ कर सक ग

bull कषोभोनमाद क लकषण कारण ि उपायो पर परकाश डाल सक ग

bull वचता कषोभोनमाद क परकार पर परकाश डाल सक ग

bull वचता कषोभोनमाद क लकषण कारण ि उपायो की वयाखया कर सक ग

bull रपानतररत कषोभोनमाद क सिरप को समझा सक ग

bull रपानतररत कषोभोनमाद क लकषण कारण ि उपायो की वयाखया कर सक ग

113 धचिा का सिरप असामानय मनोविजञान म वचता एि उसस उतपनन मानवसक विकवतयो पर सिाथविक धयान

वदया गया ह वचता स तातपयथ डर एि आशका क दख स होता ह इस तरह की वचता स कई परकार

की मानवसक विकवतयो की उतपवतत होती ह वजस पहल एक सामानय नदावनक शरणी अराथत

सनायविकवत या मनोसनायविकवत म रखा गया बाद म फरायड तरा उसक सहयोवगयो न सनायविकवत

का उपयोग वचता स उतपनन मानवसक रोगो क वलए वकया और आज भी इसका उपयोग करीब -

करीब इसी अरथ म आम रोगो क वलए वकया जाता ह सनायविकवत म कई तरह की मानवसक

विकवतयो को रखा गया इस इकाई म किल तीन सनायविकवतयो का अधययन वकया जायगा

कोलमन क अनसारlsquolsquoवचता सनायविकवत की परमख विशषता वयवकत म सिततर वदशाहीन

वचता का होना जो न वकसी विशष पदारथ या वसरवत स उतपनन होती ह और न ही उस उसक विशष

लकषय या वसरवत का ही जञान होता हrsquorsquo

विशर क अनसारlsquolsquoवचता सनायविकवत म उन आनतररक वयवकतगत अपरिश योगय

कविनाईयो की परविया ह वजनका जञान वयवकत को नही होता हrsquorsquo

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 162

रोसन और गरगरी क अनसारlsquolsquoवचता मनसताप स पीवड़त वयवकत बचनी आशका तरा

सिततर वदशाहीन वचता का अनभि करता ह वजसका सतरोत िह बता नही पाता हrsquorsquo

वचता मनसताप स पीवड़त वयवकत को अपनी वचता क सतरोत का मल कारण जञात नही होता

ह ऐस वयवकत स यवद उसकी वचता क बार म पछा जाय तो िह अनक तकथ हीन तरा असगत कारण

बतात हए कहता ह वक मरी वचता का कारण घाि की आवरथक वसरवत मर बचच क भविषय की

अवनवित वसरवत मर विरोवियो दवारा उतपनन असरकषा की वसरवत आवद ह जब इन तको को उसक

सममख विशवासपणथ ढग स परसतत कर समझान का परयास वकया जाता ह वक उसका यह तय

बोिगमय नही ह उसकी शकाओ का आिार कालपवनक तरा वनरािार ह तब िह अपनी वचता क

अनय सतरोत खोजन लग जाता ह जबवक िसततः उसकी वचता का मल सतरोत अचतन म शशिकालीन

जीिन की विसमत इचछाओ क परबल अनतथदवनद तरा सघषथ आवद ह अचतन अनतदवथनद का मखय

सतरोत उसकी कणिाकारक मनोगरवनर म वनवहत ह इसका कारण उसकी वचता का मल सतरोत अचतन

ही ह

1) विािा क परकार -

फरायड क अनसार वचता क मखय तीन परकार ह-

i) विषिपरक विािा- इस वचता को सामानय वचता भी कहत ह इस वचता का आिार सबवित

वयवकत का सामावजक पररिश ह जब कभी वयवकत का अह वकसी बाहरी भयािह वसरवत का

सामना करन म अपन को असमरथ पाता ह तब उसम भय का सिग उतपनन हो जाता ह जो वक

सिभाविक ह जस- वयवकतगत परवतषठा की कषवत वकसी वनकितम वपरय की बीमारी अचानक

आवरथक सकि आवद वयवकत म वचता क लकषण उतपनन करत ह अतः इन लकषणो का सपषट

कारण बाहय जगत की िासतविक वसरवतया ह ऐसी वचता क लकषण असरायी होत ह कयोवक

बाहय जगत की िसतपरक वयावि िल जान पर सबवित लकषण भी िीर-िीर समापत हो जात ह

ii) नविक विािा- नवतक वचता वयवकत म इदम की अनवतक इचछा की नगन अवभवयवकत क

परतयावशत ि वनवित किोर दणडो की आशका स उतपनन होती ह वजसस वयवकत क अह तरा

पराह को गहरा नवतक आघात पहचाता ह कयोवक ऐसा वयवकत इदम क आिग की अवभवयवकत

क वलए परारवमभक जीिन की कि समवत की पनरािवतत स अतयविक डरता ह तरा बचना चाहता

ह कयोवक वयवकत की ऐसी वसरवत आतम-भतसथना लजजा तरा उसकी अनतरातमा क कचोित

रहन क भय क रप म उस वनरनतर सताती रहती ह

iii) िावतरकािापी विािा- तवतरकातापी वचता का सतरोत बाहय जगत न होकर सिय वयवकत का अचतन

सघषथ ह वयवकत दवमत इचछाओ की अवभवयवकत स अतयनत भयभीत रहता ह जब वयवकत दवमत

इचछा क परबल िग को रोकन म अपन को असमरथ पाता ह और सार ही िासतविक पररणामो

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 163

का सामना करन स घबराता ह तो इस वसरवत म िह वयवकत अचतन स पीवड़त हो जाता ह

तवतरकातापी वचता को सितनतर वदशाहीन वचता भी कहत ह

मानवसक वचवकतसालयो म तवतरकातापी वचता स पीवड़त रोवगयो की सखया लगभग 30-40

परवतशत तक दखन म आती ह ऐस रोगी परायः उचच सामावजक सतर िाल होत ह इनम स

अविकाश की बवि लवबि तरा आकाकषा सतर भी उचच होता ह

इस परकार सपषट होता ह वक वचता एक ऐसी मानवसक दशा ह वजसम-

1 वयवकत दख की आशका करता ह

2 उसम बचनी उतपनन होती ह

3 इसका सबि भय स हो सकता ह

4 वयवकत म असामानय लकषण परदवशथत हो सकत ह 5 वयवकत कसमायोजन का वशकार हो सकता ह

6 उस पसीना आ सकता ह

7 िह अतयविक सतकथ ता परदवशथत कर सकता ह

8 वनरा वयििान धयान म कमी तरा कपकपी क लकषण आत ह

डी0 एस0 एम0 IV म वचता विकवत क वनमनावकत छः परमख परकार बतलाय गय ह-

1 दभीवत

2 भीवशका विकवत

3 सामानयीकत वचता विकवत

4 मनोगरवसत बाधयता विकवत

5 उततर अघातीय तनाि विकवत

6 तीवर तनाि विकवत

2) सामानि ि असामानि विािा म अनिर -

जसा वक हम जानत ह वक सभी वयवकत वकसी न वकसी वचता स गरसत रहत ह कयोवक परतयक

िसत क सममख सघषथ ि तनाि होत रहत ह यही कारण ह वक वयवकत का वचवतत रहना एक

सिभाविक गण ह

जस बचच की बीमारी का सनकर मा-बाप वचवतत हो जात ह लवकन अगर डाकिर विशवास

वदला द वक उनका बचचा एक विशष दिाई स िीक हो जाएगा तो उसकी वचता दर हो जाती ह या

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 164

कम हो जाती ह तो यह सामानय वचता ह परनत वबना वकसी बीमारी क वचता उतपनन हो तो िह वचता

क अनतगथत आयगी

असामानय वचता का सबि भविषय स होता ह सामानय वचता िसतगत होती ह वजसका सबि

ितथमान स होता ह

3) विािा मनसिाप क लकषण- वचता मनसताप क रोवगयो म मखयतः वनमनावकत शारीररक लकषण

पाय जात ह-

शारीररक लकषण

1 सामानय- शरीर का िजन घि जाना

2 हदय िमनी- वदल की िड़कन बढ़ जाना नाड़ी की गवत म सपषट वयवतिम रहना मछाथ ि वसर म भारीपन रहना

3 सिासय- हिा की कमी या घिन का अनभि

4 तिचीय- हरली म पसीना आना या रात म अविक पसीन आना

5 आमाशय- भख न लगना मह सखना वमचली आना बार-बार लघशका जाना रकान नीद न

आना घबराहि आवद

इसक अवतररकत सािारण धिवन क परवत अतयविक सिदनशील रहना नकारातमक ि

वनराशाजनक हो जाना परो का लड़खड़ाना आवद

वचता मनसताप क रोवगयो म कछ मानवसक लकषण भी उतपनन हो जात ह-

मानवसक लकषण

1 वचता- रोगी का सिाथविक महतिपणथ लकषण सरायी वचनता ह यह वचता दीघथकालीन होती ह जो

कभी-कभी उगर रप िारण कर लती ह

2 वचता क दौर - वचता क दौर रोगी म अचानक उतपनन होत ह दौर की अिवि म रोगी म अनक लकषण जस वदल बिना सास लन म कविनाई चककर आना भय आवद उतपनन हो जात ह

lsquolsquoरोगी चीखकर लोगो को एकतर करन का परयास करता ह िह कहता ह म मर रहा ह मरा दम

घि रहा ह या कोई भयानक घिना घवित होन िाली ह आवदrsquorsquo ऐस दौर एक वदन म कई-कई

बार पड़त ह इन दौरो क पड़न का समय तरा आिवततया वनवित नही ह

3 अनतः ियवकतक सबि- वचता मनसताप का रोगी अनतः ियवकतक सबिो क परवत अतयविक

सिदनशील होता ह

4 अनभि- वचता मनसताप का रोगी सदि अपन को अनपयकत समझता ह तरा उस सदा हलका

विषाद रहता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 165

5 सिपन- रोगी सोत समय भत तरा भविषय की वचनताओ म उलझा रहता ह इसवलए िह सिपन म

गोली लगन दघथिना होन गला घोिन जस सिपन दखता ह

4) विािा मनसिाप क कारण- वचता मनसताप रोगी की वचता सामानय वयवकत की वचता की

अपकषा अविक असगत होती ह फरायड का विचार ह वक वचता मनसताप का कारण दवमत

इचछाए ह जब दवमत इचछाए चतन मन स अचतन मन म पहचन का परयास करती ह तो चतन

और अचतन क बीच की वसरवत ससर हो जाती ह वयवकत ऐसी किोर वसरवत को सहन नही कर

पाता ह अतः वयवकत म वचता मनसताप क लकषण उतपनन हो जात ह रोगी को अपनी वचता का

कारण जञात नही होता ह और दवमत इचछाए चतन सतर तक पहच नही पाती ह

वचता मनसताप क वनमन कारण ह-

1 अलपाय क विकषपकारी अनभि- कछ मनोिजञावनको का मत ह वक परौणािसरा म अलपािसरा

क अनक लकषण रोगी म परकि होत ह वजनका उस जञान नही होता ह रोगी वचता तरा भय क

लकषणो स खद को वघरा पाता ह

2 कामिासना का दमन- फरायड न वचता मनसताप का कारण कामिासना का दमन तरा अनतदवथनद

को माना ह फरायड का मत ह चाह परष हो या सतरी यवद उसम अतयविक कामिासना ह और

िह उसकी सतवषट नही कर पाता ह तो िह दवमत हो जाती ह दवमत हो जान पर म इचछाए

अनतदवथनद उतपनन करती ह जो वचता मनसताप का कारण बनती ह

3 आतम परकाशन की परिवतत का दमन- एडलर न आतम परकाशन की परिवतत क दमन को वचता

मनसताप का कारण माना ह जब वयवकत म आतम परकाशन की परिवतत बहत परबल होती ह और

िह उसकी पवतथ नही कर पाता ह तो उसका दमन करता ह दमन ही वयवकत म वचता उतपनन

करता ह

4 मानवसक सघषथ ि वििलता- ओकली का कहना ह वक मानवसक सघषथ ि वििलता वकसी भी

कारण स उतपनन हो सकती ह इसका सबि लवगक िासना स भी हो सकता ह दो सिग भी

सघषथ उतपनन कर सकत ह जो वयवकत म वचता उतपनन करत ह

इसक अवतररकत कोलमन न कछ ऐस अनय कारणो का भी िणथन वकया ह जो इस रोग म

सहायक होत ह-

1 परविषठा की आशाका- इन रोवगयो म असरकषा की भािना वनवहत हती ह इनह वनरनतर यह

आशका बनी रहती ह वक उनकी परवतषठा तरा ितथमान वसरवत को कोई हावन पहचा रहा ह यवद

उनक उददशयो को रोड़ी सी भी बािा पहचती ह तो िह विचवलत हो उित ह कोलमन म एक

34 िषीय डाकिर का िणथन वकया ह वजसन दस िषथ तक सिलतापिथ वचवकतसा की अवनतम

िषो म उसकी आमदनी कछ कम हो गयी उस समय हलक परकार क दौर पड़न लग तब उसन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 166

अपन कायथ करन का समय बढ़ा वदया परत विर भी उसकी वचता कम नही हई अनत म िह

मनोवचवकतसक क पास गया जहा उस जञात हआ वक उसम परारवमभक अिसरा म सरायी

असरकषा विदयमान री िह अपन माता-वपता दवारा वतरसकत वकया गया रा वतरसकार क कारण

उसम हीनता तरा अनपयकतता की भािना का जनम हआ रा

2 इचिा विि होन की आशाका- यवद वयवकत की अचतन की इचछा वयकत होन की सभािनाए

बढ़ जाती ह वजसस उसकी नवतक ि सामावजक परवतषठा को िस पहचन की आशका होती ह

तो िह वकसी भी कीमत पर सामावजक परवतषठा को नही तयागता ह इस परकार की इचछाओ को

िो चतन स वदिासिपन एि कलपना तरग क माधयम स पणथ करता ह इस परकार िह उनकी

अवभवयवकत अपरतयकष ढग स करता ह रोगी म जब कभी उनक उतपनन होन की सभािनाए तरा

पररवसरवतया उतपनन होती ह तो िह वचता मनसताप स गरसत हो जाता ह

3 अपराध की िािना- वचता मनसताप का कारण अपराि तरा दणड का भय भी ह इन रोवगयो

म अनपयकतता तरा वयरथ की भािनाए उतपनन हो जाती ह ऐस वयवकत स घणा करत ह वजसस

उनम असरकषा की भािना उतपनन हो जाती ह इन रोवगयो की अपराि भािना वचनता मनसताप

क लकषणो क रप म वयकत होती ह डावलाग न एक विदयारी का वििरण परसतत वकया ह वजस

वचता क अवत तीवर दौर पड़त र कारण खोजन पर जञात हआ वक उसस एक कार दघथिना हो

गयी री वजसस एक बालक की मतय हो गयी री विदयारी को यह दघथिना याद नही री

विदयारी न इस घिना को अचतन मन म दमन कर वलया रा इस कारण उस वचता क अवत तीवर

दौर पड़त र

4 विािा उतपनन करन िाल वनणयि- ऐस रोगी अहशवकत की कमी क कारण वनणथय लन म

कविनाई अनभि करत ह नवतक मलयो स उतपनन अनतदवथनद परवतषठा तरा आतम सरकषा क खतर

म पड़न की आशका स उतपनन अतरदवद वयवकत म तीवर वचनता उतपनन करता ह वजसस ि वनणथय

लन म अपन को असमरथ पाता ह कोलमन न एक वयिसायी अिसर क कस का िणथन वकया

वजस दसर या तीसर माह म दौरा पड़ता रा उस वयवकत को जब मनोवचवकतसक दवारा जञात हआ

वक बालयािसरा म िह एक वनिथन बालक रा उसका बचपन असरवकषत रा िह हीन भािना स

गरसत रा कालज म पढ़त हए जब िह परीकषा म असिल हआ तो उसकी असरकषा ि हीनता

की भािना और परबल हो गई उसन अपन को सरवकषत बनान क वलए 8 िषथ बड़ी सतरी स वििाह

वकया कछ वदनो पिात उस उस सतरी को तलाक दन की इचछा हई कयोवक िह वयवकत कम आय

की वसतरयो म रवच लन लगा रा इसी बीच उसकी भि एक कम आय की सतरी स हई वजसस िह

परम करन लगा इस परम क बाद उस वचनता क दौर पड़न लग उसकी वचता क दौरो का कारण

उसका तलाक दन का वनणथय रा

5 पिय आघािो की पनः सवकरििा- परारवमभक जीिन की कछ घिनाए ऐसी होती ह जो परान

घािो को हरा कर दती ह ऐसी वसरवत म वयवकत म वचता मनसताप क लकषण उतपनन हो जात ह

कोलमन न एक रोगी का िणथन वकया ह जो अपन वपता स बहत सनह करता ह परत उसका वपता

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 167

उसको सदि आलोचना करता हआ वदखाई दता ह वजसस िह परशान होकर घिो रोता रा

एक दन उस नौकरी वमल जाती ह उसका सपरिाइजर उसकी बड़ी परशसा करता ह िह खश

रहता ह कछ वदनो बाद नया सपरिाइजर आ जाता ह उसका सिभाि आलोचनातमक ह नया

सपरिाइजर कमथचारी की अतयाविक आलोचना करता ह वजसस उसक परान घाि हर हो जात

ह और उसम वचता तरा बचनी क लकषण उतपनन हो जात ह कमथचारी छटटी लकर घर चला

जाता ह वचनता और बचनी क कारण वकसी भी कीमत पर काम पर नही आना चाहता ह

5) उपिार- वचता मनसताप क रोवगयो को परशानतक औषवियो दवारा तातकावलक आराम वदया जा

सकता ह परत उनकी जीिनशली को इन औषवियो दवारा बदला नही जा सकता ह वचता

मनसताप क रोवगयो क उपचार क वलए दो विवियो का परयोग आिशयक ह-

1- मनोविशलषण 2- समह वचवकतसा

वचवकतसक को रोगी क सममख ऐसी अनकल परमख पररवसरवतया उपवसरत करनी चावहए

वजसस िह अनकल परवतविया करक अपनी वचता का समािान कर सक रोगी को सिसर

िातािरण म रखकर पनथवशवकषत करना चावहए वजसस िह वचता स अपन आप को बचा सक

वचता मनसताप क रोवगयो को सािारण उपचार दवारा िीक वकया जा सकता ह इनकी वचता

क कारणो का लब समय तक उपचार करक उनह पनः समायोजन क योगय बनाया जा सकता ह

114 फोबबया का सिरप सामानय ि असामानय (दभीवतथ) भय म अनतर होता ह सामानय खतरनाक पररवसरवतयो म

उवचत परवतविया करता ह कयोवक यह भय का एक कारण होता ह वजस िह समझता ह जस जो

वयवकत एक बार पानी म डबन स बच जाता ह तो िह पानी स डरता ह परत दभीवत स भय का कोई

भी उवचत कारण नही होता ह य भय वनरािार होत ह रोगी इस परकार क भय का कारण नही जानता

ह और न ही िह सामानय वयवकत क समान इन भय क परवत परवतविया करता ह

िीिन एि लायड (2003) क अनसार दभीवत विकवत म वकसी िसत या पररवसरवत स

समबवनित सतत एि अतावकथ क भय पाया जाता ह वजसस िासति म कोई खतरा नही ह

सवलगमन एि रोजनहान (1998) न दभीवत को इस परकार पररभावषत वकया ह- lsquolsquoदभीवत

एक सतत डर परवतविया ह जो खतर की िासतविकता क अनपात स पर होती हrsquorsquo

इस परकार सपषट होता ह वक दभीवत की दशा म परभावित वयवकत वकसी ऐसी िसत या

पररवसरवत स डरन लगता ह वजसस उस िासति म कोई खतरा या नकसान की सभािना नही ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 168

दभीवत विकवत क कारण वयवकत का वयिहार कसमायोवजत हो जाता ह जस यवद वकसी को ऊच

सरान स भय ह तो िह उिर नही जाना चाहगा यवद उस दबाब म िहा ल भी जाया जाय तो उसम

तनाि घबराहि एि कपकपी आवद क लकषण वदखाई पड़ सकत ह

a) फोवबिा क परकार-

दभीवत क कई परकार ह इन सभी दभीवतयो क मखय तीन परकार बतलाय गय ह जो इस परकार ह-

1 विवशषट दभीवत

2 एगोरा दभीवत

3 सामावजक दभीवत

इन तीनो का िणथन इस परकार ह-

i) विवशि दिीवि- विवशषट दभीवत एक ऐसा असगत डर होता ह जो विवशषट िसत या पररवसरवत

की उपवसरवत का उसक अनमान मातर स ही उतपनन होता ह जस वबवललयो मकड़ो कॉकरोच

आवद स डरना सपणथ दभीवत का करीब 3 दभीवत विवशषट दभीवत होती ह वजनह मलतः

वनमनावकत चार परमख भागो म बािा गया ह

a पश दभीवत- इसम रोगी विशष तरह स कछ कारणो स असगत ढग स डरन लगता ह यही

अविकतर मवहलाओ म पाया जाता ह तरा इसकी शरआत बालयािसरा स होती ह

परमख पश दभीवत वनमन ह-

वबलली स - एलरोिोवबया

कतत स - साइनोिोवबया

कीि-मकोड़ स - इनसकिोिोवबया

वचवड़या स - एवबसोिोवबया

घोड़ो स - इकयनोिोवबया

साप स - ओविड़योिोवबया

जीिाणओ स - माइसोिोवबया

b आजीवित िसत स- इसम वयवकत आजीवित िसतओ स असगत भय वदखाता ह जस

अिरा गदगी आवद स यह परष ि मवहला दोनो म समान होती ह यह वकसी भी उमर म

हो सकती ह इसक परमख परकार वनमनावकत ह-

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आिी तिान स - बरोनिोिोवबया

ऊचाई स - एिोिोवबया

अिर स - नाइकिोिोवबया

बद जगहो स - कलाउसटरोिोवबया

अकलपन स - मोनोिोवबया

आग स - पायरोिोवबया

भीड़ स - आकलोिोवबया

हिाई जहाज स यातरा का डर - एवबयोिोवबया

c बीमारी एि चोि स- इस तरह की दभीवत म वयवकत वजन बीमाररयो स डरता ह उनस इतना

डरन की बात नही होती ह इस तरह क असामानय डर स उसम कछ डर जस छाती म

ददथ पि म ददथ आवद वजसस िह समझता ह वक उसम अमक रोग हो जायगा इस तरह

की दभीवत की शरआत सामानयतः मधय आय म होती ह इस तरह की दभीवत को

नोसोिोवबया कहा जाता ह वजसक विवशषट सामानय परकार कछ इस तरह स ह

मतय स डर - रनिोिोवबया

क सर स डर - क सरोिोवबया

यौन रोगो स डर - िनररयोिोवबया

d रकत दभीवत- इस तरह की दभीवत म रोगी को उन पररवसरवतयो स असगत भय लगता ह

वजसम उस रकत दखन को वमलता ह इसी दभीवत क कारण ि मवडकल जाच आवद स

दर भागत ह सामानय जीिसखया का करीब 4 परवतशत लोगो म रकत दभीवत सामानय

मातरा म पाया गया ह वकलनकनचि (1994) म अनसार रकत दभीवत मवहलाओ म

परषो की अपकषा अविक होती ह और इसकी शरआत अकसर उततर बालयािसरा म

होती ह

e एगोरा दभीवत- lsquoएगोरािोवबयाrsquo का शावबदक अरथ भीड़-भाड़ या बाजार सरलो स डर होता

ह परनत िासतविकता यह ह वक एगारोिोवबया म कई तरह क डर सवममवलत होत ह

वजसका कनर वबनद आम या सािथजवनक सरान ही होता ह जहा स वयवकत को विशवास

होता ह वक वकसी तरह की घिना या दघथिना होन पर न तो कोई बचाि सभि ह और न

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कोई बचान क वलए आ सकता ह दभीवत रोवगयो म स करीब 60 परवतशत रोगी

एगारोिोवबया क ही होत ह यह मवहलाओ म अविक होता ह तरा इसकी शरआत

परायः वकशोरािसरा तरा आरवभक वयिसरा म होती ह

f सामावजक दभीवत- सामावजक दभीवत िस दभीवत को कहा जाता ह वजसम वयवकत की

उपवसरवत का सामना करना पड़ता ह वयवकत को अनय वयवकतयो की उपवसरवत का

सामना करना पड़ता ह वयवकत को ऐसी पररवसरवतयो म यह डर बना रहता ह वक उसका

मलयाकन लोग करग इस lsquoसामावजक वचता विकवतrsquo भी कहा जाता ह

b) फोवबिा क परमख लकषण-

दभीवत (िोवबया) पर जो अधययन हए ह उनक आिार पर इसक परमख लकषण वनमनावकत ह-

1) सतत तरा अतावकथ क भय की उतपवतत 2) िासतविक खतरा न होन पर भी भय का परदशथन 3) वयवकत भय समबनिी िसत स दर रहना चाहता ह 4) वयवकत वजसस भयगरसत ह उसका सामना होन पर और भी भयगरसत हो जाता ह

5) दभीवत का कारण सपषट रहता ह परत िह िासति म खतरा नही होता ह 6) वयवकत सभावित खतर स कही अविक खतरा अनभि करता ह 7) दभीवत तीवर हो जान पर दवनक जीिन म समायोजन बहत कविन हो जाता ह 8) कपकपी एि पसीन का परदशथन हो सकता ह 9) वयवकत वकसी मदद पर वनणथय नही ल पाता ह िह डरता वक कही उसका िसला गलत पररणाम न

द द

10) रोगी म विषाद क लकषण तरा सामावजक सबिो म कविनाई परदवशथत हो सकती ह

कछ रोवगयो म तो वनणथय लन म भी कािी कविनाई उतपनन हो जाती ह वजस कॉिमन न

(1973) वयगयातमक लहज म वनणथय दभीवत कहा ह

c) फोवबिा क कारण- दभीवत क उतपवतत क कारणो पर मनोिजञावनको तरा मनविवकतसको दवारा

कािी गहन रप स अधययन वकया गया ह और उन अधययनो स वमल तयो पर यवद विचार कर

तो यह सपषट होगा वक दभीवत क वनमनावकत 4 परमख वसिात या कारक ह वजसम उनकी

वयाखया अलग-अलग ढगो स की गयी ह

1 जविक वसिानत

2 मनोविशलषणातमक वसिानत

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3 वयिहारपरक वसिानत

4 सजञानातमक वसिानत

i) िविक वसदधानि- एक ही तनाि िाली पररवसरवतयो म होन पर कछ वयवकतयो म दभीवत उतपनन

हो जाती ह ि कछ म नही इसका कारण यह बतलाया गया ह वक वजन वयवकतयो म यह उतपनन

होती ह उनम कछ जविक दशकायथ होता ह जो उनम तनािपणथ पररवसरवत क बाद दभीवत उतपनन

करता ह इस कषतर म वकय गय शोिो स यह सपषट हआ ह वक वनमनावकत दो कषतरो स सबि

जविक कारक महतिपणथ ह-

a सिायतत तवतरका ततर- कछ अधययनो म इस बात क सबत वमल ह वक दभीवत उन वयवकतयो

म अविक होती ह वजनका सिायतत तवतरका ततर कई तरह क पयाथिणी उददीपको स बहत

ही जलद उततवजत हो जाता ह इस तरह क सिायतत तवतरका ततर सिायतत अवसररता कहा

जाता ह गाि 1992 क अनसार सिायतत अवसररता बहत हद तक िशानगत रप स

वनिाथररत होती ह अतः वयवकत की अनिावशकता की दभीवत उतपनन होन म अहम

भवमका होती ह

b अनिावशक कारक- कछ ऐस अधययन हए ह वजनस यह सपषट सबत वमलता ह वक दभीवत

होन की सभािना उन वयवकतयो म अविक होती ह वजसक माता-वपता तरा तलय

समबवनियो म इस तरह का रोग पहल हो चका हो

िॉरगरसन (1983) न अपन अधययन म पाया वक एकागी जड़िा बचचो म भरातीय जड़िा

बचचो की तलना म एगोरािोवबया की ससगतता दर अविक होती ह

ii) मनोविशलषणातमक वसदधानि- दभीवत क कारणो की वयाखया मनोविशलषणातमक कारको क

रप म की गयी ह फरायड क अनसार दवमत उपाह इचछाओ स उतपनन वचनता क परवत रोगी दवारा

अपनाई गयी दभीवत एक सरकषा होती ह यह वचता डर उतपनन करन िाल उपाह की इचछाओ स

विसरावपत होकर वकसी िसी िसत या पररवसरवत स सबवित हो जाता ह जो इन इचछाओ स

वकसी न वकसी ढग स जड़ा होता ह िह िसत या पररवसरवत जस बद सरान ऊचाई कीड़-

मकोड़ आवद तब वयवकत क वलए दभीवत उतपनन करन िाल उददीपक हो जात ह उनस दर रहकर

वयवकत अपन आपको दवमत सघषथ स बचाता ह

iii) वििहारपरक वसदधानि- इस वसिानत क अनसार वयवकत म दभीवत उतपनन होन का मखय

कारण दोषपणथ सीखना होता ह यह दोषपणथ सीखन तीन तरह क कारको स होता ह-

a पररहार अनबिन-नदावनक मनोिजञावनको का मत ह वक उपचार गरह म आय रोवगयो म यह

दखा गया वक वकसी विवशषट िसत स विकवसत दभीवत परायः उस िसत स उतपनन ददथ

भरी अनभवतयो स ही परारमभ हयी ह जसः सकिर स दघथिना हो जान पर कछ लोगो म

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वसिथ सकिर नही बवलक सभी तरह क दो पवहया तीन पवहया तरा चार पवहया िाहनो

क चलान क परवत उनम असगत डर उतपनन हो जाता ह

b माडवलग- माडवलग क अनसार दभीवत वयवकत म दसरो क वयिहार का परकषण करक या

उसक बार म दसरो स सनकर विकवसत होती ह परकषण दवारा इस तरह क सीखन को

सरानापनन सीखना या परकषणातमक सीखना भी कहा जाता ह

c िनातमक पनबथलन- दभीवत का विकास वयवकत म िनातमक पनबथलन क आिार पर भी

होता ह जस मान वलया जाय वक कोई बचचा सकल जान क डर स माता-वपता क

सामन कछ ऐसा बहाना बनाता ह वजस सनकर ि उस सिीकार कर लत ह और सकल

नही जाना पड़ता ह तो यहा माता-वपता दवारा बचच को सकल नही जान क वलए सीिा

िनातमक पनबथलन वमल रहा ह इसका पररणाम यह होगा वक बचचा भविषय म डर कर

सकल न जान की अनविया को सीख लगा इस उदाहरण स सपषट होता ह वक िनातमक

पनबथलन स भी वयवकत म डर या दभीवत उतपनन होती ह

iv) साजञानातमक वसदधानि- दभीवत क विकास म कछ सजञानातमक कारको की भी अहम भवमका

रही ह दभीवत विकवत स गरसत वयवकत जान-बझकर पररवसरवतयो को या उनस वमलन िाली

सचनाओ को इस ढग स ससावित करत ह वक उसस उनका दभीवत और मजबत हो जाती ह

इस तरह स दभीवत क उतपनन होन तरा उस सपोवषत होन म एक तरह का सजञानातमक पिाथगरह

होता ह

गोलडवफरड़ (1984) न अपन अधययन म यह पाया वक ऐस लोग सामावजक पररवसरवत म

होन िाल मलयाकन को लकर अविक वचवतत रहत ह ििस (1950) क अनसार ऐस लोग दसरो क

मन म अपन बार म उतपनन होन िाली परवतमा का अविक खयाल रखत ह

d) फोवबिा क उपिार- दभीवत क रोवगयो क उपचार क वलए विवभनन विवियो का उपयोग वकया

जाता ह वकस परकार क ढग स दभीवत क रोवगयो का उपचार वकया जाय उसका वनिाथरण इस

बात पर होता ह वक इस उतपनन करन िाली कौन-कौन सी वसरवतया री तरा उनका सिरप कया

रा िस तो रोगी यह समझता ह वक उसका भय असगत ि अतावकथ क ह परत यवद उसम और

अविक साहस ि विशवास उतपनन वकया जाय तो उस भयातमक वसरवत क करीब जान स बचाया

जा सकता ह मकत साहचयथ विवि स िह अपनी वसरवत क बार म बता सकता ह अगर दभीवत

स वयवकत अपनी वचता को परतीकातमक रप स वयकत करता ह तो इस वसरवत म रोगी की

वसरवतयो ि वयवकतति सरचनाओ का जञान परापत करक मनोवचवकतसा का उपयोग करना चावहए

वजस रोगी म अनक परकार क दभीवत क लकषण पाय जाय उनक उपचार क वलए आतमवनदशन

तरा आतम पनबथल कलपनातमक का उपयोग करना चावहए वनदशन तरा आतम-पनबथल

कलपनातमकता का उपयोग करना चावहए

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उततराखड मकत विशवविदयालय 173

दभीवत क उपचार की कई विविया भी ह वजनक आिार पर दभीवत का उपचार वकया जा

सकता ह-

1) जविक उपचार 2) मनोविशलषणातमक उपचार

3) वयिहारपरक उपचार

115 हहसटीररया का सिरप परतयक वयवकत क सममख कछ वजममदाररया या समसयाए होती ह जब िह जीिन की इन

समसयाओ का सामना नही कर पाता और असमरथ ि असिल हो जाता ह तो वनराश होकर ऐसी

वियाए करन लगता ह जो असिभाविक ि असमबवनित होती ह िह परशान होकर वगर जाता ह

दौर पड़न लगत ह या भय क कारण लकिा मार जाता ह य सब वहसिीररया या कषोभोनमाद की

परवतवियाए ह फरायड क अनसार कषोभोनमाद का कारण अचतन रप स वचततीय अवभघात ह

1) वहसटीररिा (कषोिोनमाद) क परकार- परायः कषोभोनमाद को तीन परकार स बािा गया ह-

i)कषोिोनमाद- इस परकार म रोगी रोन या हसन स समबवनित अवनयवनतरत सिगो का परदशथन

करता ह

ii) विनिा कषोिोनमाद- वचनता कषोभोनमाद म रोगी म आकलता वयगरता ि वचता परायः

सरायी रप स बनी रहती ह

iii) रपानिररि कषोिोनमाद- इस परकार म मानवसक अनतदवथनद शारीररक लकषणो म

रपानतररत हो जात ह अराथत रोगी वकसी परकार की शारीररक बीमारी स गरसत होता ह

परनत उसक कारण उसक शरीर म खोज करन पर भी परापत नही होता

2) कषोिोनमाद क लकषण- इसम शारीररक ि मानवसक दोनो परकार क लकषण पाय जात ह कछ

लकषण सरायी एि कछ असरायी होत ह जो वनमन परकार क ह-

a) शारीररक लकषण

i असिदनातमक असामयथ- कषोभोनमाद क रोवगयो म िदना सपषथ ि तापिमीय सबिी

सिदनाओ का आभाि दखा जाता ह वजसक कारण रोगी इन सिदनाओ क परवत कोई भी

परवतवियाए नही कर पाता तरा कभी-कभी शरीर क आि भाग म और कभी-कभी सपणथ शरीर

या विवभनन अगो म सिदनहीनता परकि होन लगती ह कभी-कभी रोगी को विकत सिदनाए

भी होती ह जसः दवषट सबिी विकवतया बहरापन म हास आवद

ii गतयातमक असमरथता- कषोभोनमाद क रोगी म पकषाघात या अगघात भी आ जात ह कभी-कभी

िह सीिा खड़ होन ि चलन म असमरथ सा हो जाता ह कषोभोनमाद क रोगी म आनतररक

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उततराखड मकत विशवविदयालय 174

वियाओ म अतर आ जाता ह जस सास लन की परविया म गड़बड़ी नाड़ी गवत म तीवरता

अतयविक पसीना चहर ि तिचा का बदरग हो जाना शमथ स मह लाल होना भल की कमी

आवद

b) मानवसक या मनोिजञावनक लकषण

i वनराभरमण- इसम रोगी नीद म ही उिकर अचतन रप स ऐस अनक जविल कायथ ि वयिहार

करता ह वजसकी समवत उस जागरतािसरा म नही होती सामानय रप स रोगी सोता ह तरा रावतर

म वबना जाग वबसतर स उिकर अनक परकार की वियाए करता ह तरा पनः अपन वबसतर पर

जाकर सो जाता ह सबह उस रावतर म की गई वियाओ क बार म कछ याद नही रहता|

ii आतमविसमवत-आतमविसमवत का लकषण भी पाया जाता ह कषोभोनमाद क रोगी म इस लकषण क

कारण रोगी असहय सिदनातमक अनभि ि वयवकतगत वकथ िनाईयो नाम पता वयिसाय ि

वपरयजनो क समबनि आवद को ही भल जाता ह

iii समवत लोप- समवत लोप क दौर का काल परायः तीन घणि एक माह तक चलता ह परत रोगो की

पणथ रप स विसमवत नही होती ह कयोवक उस दसर स समबि बात सामावजक आचार-विचार

ससकवत आवद की समवत होती ह अतः रोगी एक सामानय वयवकत ही लगता ह किल कछ दखद

सिगातमक वसरवतयो स बचन क वलए ही समवतलोप का सहारा लता ह

iv सिगातमक अवसररता ि मचछाथ- कषोभानमाद क रोगी म सिगातमक अवसररता ि मचछाथ क लकषण पाय जात ह िह रोता ह वचललाता ह हसता ह आिमण करता ह दात कािता-पीसता

ह कभी-कभी शरीर को नोचना या कपड़ िाड़ना आवद वियाए करता ह य सब वियाए

सिदनातमक अवसररता को परदवशथत करती ह इसक अवतररकत कभी-कभी मवछथत भी हो जाता ह

वजस कषोभोनमादी मचछाथ भी कहत ह कछ समय तक रोगी को मचछाथ क माधयम स सिगातमक

तनािो ि वचनताओ स छिकारा वमल जाता ह

v दवि वयवकतति- कषोभोनमाद का एक मखय लकषण यह ह वक रोगी कभी-कभी एक ही सरान पर

रहकर दसर वयवकतयो क समान वयिहार करन लगता ह वनरा भरमण म तो रोगी सोत सोत भरमण

करन को चला जाता ह परत िि वयवकतति म वबना आिास पररितथन ि घर स भाग समय-समय

पर विवभनन परकार क वयवकतति को िारण कर लता ह

3) कषोिोनमाद क कारण- कषोभोनमाद क मखय कारण वनमनवलवखत ह-

i) मानवसक अवभघात- कछ वयवकत जीिन म ऐसी दखद पररवसरवतयो म इस परकार िस जात ह वक

वनकल ही नही पात ह तरा अत म उनह तीवर मानवसक तनाि उतपनन हो जात ह सिगातमक

तनाि ही मानवसक अवभघात पहचात ह सिगातमक तनाि का मखय कारण दखद समाचार

जसः वपरयजनो की मतय आवरथक हावन ििावहक जीिन म असिलता सामावजक अपरवतषठा

आवद इन मानवसक अवभघातो क िलसिरप वयवकत का मानवसक सतलन वबगड़ जाता ह तरा

उसम कषोभोनमाद क लकषण विकवसत हो जात ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 175

ii) आय- कछ मनोिजञावनको का मत ह वक कषोभोनमाद क कारणो म आय एक परमख कारण ह

वयवकत क सममख वकशोरािसरा क सतर पर सिाथविक समसयाओ का सामना करना पड़ता ह

तरा सिाथविक नराशयो का सामना भी इसी अिसरा म होता ह अपररपकि वयवकतति क कारण

िह इन समसयाओ का समािान नही कर पाता उसम मानवसक तरा सिगातमक तनाि उतपनन

हो जात ह जो कषोभोनमाद क लकषण विकवसत कर दत ह

iii) मनद बवि- हॉवलगबरथ न बहत स सवनको म वयापत कषोभोनमाद का अधययन वकया तरा बताया

वक कषोभोनमादी म बवि की कमी होती ह अनक मनोिजञावनको न इस कारण को सिीकारा नही

iv) दोषपणथ अनशासन- कछ मनोिजञावनका क अनसार कषोभोनमाद का कारण अनशासन का

अविक या वशवरल वनयतरण होन पर आतम वनयतरण की योगयता का विकास नही हो पाता ह

वजसक िलसिरप वयवकतति िीक तरह स विकवसत नही हो पाता ह तरा वयवकत क अनदर

कषोभोनमाद क लकषण उतपनन हो जात ह

v) बवहथमखी वयवकतति- अनक मनोिजञावनको न वयवकतति परकारो क आिर पर कषोभोनमाद का

अधययन करक जञात वकया वक मखयतः बवहथमखी वयवकतति िाला ही वयवकत कषोभोनमाद का रोगी

होता ह

vi) सझाि- कछ लोगो का कहना ह वक जो वयवकत सझािगराही होत ह उनम कषोभोनमाद क लकषण

शीघर उतपनन हो जात ह तरा कषोभोनमाद क लकषणो क विकास म परभािकारी भवमका वनभात ह

vii) असमायोजन- जीिन की समसयाओ स उतपनन असमायोजन करो हॉनी सवलिान फराम आवद

न सामावजक जीिन म असमायोजन को कषोभोनमाद का कारण माना जाता ह

4) कषोिोनमाद का उपिार- कषोभोनमाद क उपचार की वनमन विविया ह-

i) मनोविशलषण विवध- फरायड तरा अनय मनोिजञावनको न कषोभोनमाद का उपचार मनोविशलषण

विवि दवारा वकया ह मनोविशलषण विवि स तातपयथ ह वक रोवगयो क उन कारणो का पता लगाना

वजस वक वयवकत इस रोग का वशकार होता ह इस विवि म दो परकार स वचवकतसा की जाती ह-

क मकत साहचयथ विवि

ख सिपन विशलषण क दवारा

ii) साकि- सकतो क दवारा कषोभोनमाद का इलाज वकया जा सकता ह इस विवि स की गयी

वचवकतसा असरायी होती ह तरा िीक होन क बाद भी इसक लकषण रोगी म पनः उतपनन हो

सकत ह

iii) सममोहन- इस विवि क दवारा रोगी को सममोहन की अिसरा म पहचाया जाता ह तरा सममोहन

की अिसरा म पहचन पर रोगी अपन रोग क बार म बहत कछ बता दता ह इस परकार सममोहन

क माधयम स कषोभोनमाद क अनक लकषणो को दर वकया जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 176

116 धचिा कषोभोनमाद क परकार मखयः वचता कषोभोनमाद को 3 िगो म रखकर अधययन वकया जाता ह-

i सरल मतथ वचता कषोभोनमाद

i i परतीकातमक मतथ वचता कषोभोनमाद

i ii परतीकातमक अमतथ वचता कषोभोनमाद

i) सरल मिय विािा कषोिोनमाद- इस परकार क वचनता कषोभोनमाद म रोगी क भय का समबनि कोई

मतथ िसत होती ह इसक परमख लकषण जल आवद स सबवित भय होत ह

ii) परिीकातमक मिय विािा कषोिोनमाद- इस परकार क कषोभोनमाद म रोगी को भय तो मतथ

िसतओ स ही लगता ह परत भय का उददीपन मतथ िसत िासति म परतीकातमक ह जस एक

वयवकत को सदि इस बात का भय रहता रा वक उसकी मतय उसकी पतनी उसक गल म रससी

बािकर करगी यहा रससी का भय परतीकातमक ह

iii) परिीकातमक अमिय विािा कषोिोनमाद- इस परकार क कषोभोनमाद म रोगी का भय उददीपन

अमतथ होता ह रोगी को खल सरान ऊची जगह तरा बनद जगह स भय लगता ह

विशर न इस सबि म एक रोचक उदाहरण का वििरण वदया ह लसी नामक एक मवहला

कायथ करत समय तीवर हदय िड़कन का अनभि करन लगी तरा उसक कछ समय उपरानत िह

सड़क को पार करन म असमरथ हो गयी इसक बाद जब कभी िह घर स बाहर जान की चषटा करती

री तब उसक मन म पागलपन मतय आवद का भय छाया रहता रा जब इस औरत का मनोविशलषण

वकया गया तो जञात हआ वक य भाि पवत को छोड़न का परतीक र

1) विनिा कषोिोनमाद क लकषण- हडिीलड क अनसार मखयतः वचनता कषोभोनमाद दो परकार का

होता ह पररम परकार म बालयािसरा क दवमत भय की पनरािवतत कषोभोनमाद क लकषणो क रप

म होती ह तरा दसर परकार म काम या आिमण जस वनवशि इचछाओ स कषोभोनमाद क लकषण

उतपनन होत ह

वचता कषोभोनमाद क शारीररक लकषणो म परमखतः रोगी म शरीर का रर-रराना बहोश

होना हदय की िड़कन बढ़ जाना आवद लकषण वदखाई पड़त ह भय इस विकवत का महतिपणथ

लकषण ह इसक मानवसक लकषणो म भय क अवतररकत वयाकलता बचनी आवद अनभवतया परमख

रप स दखी जाती ह रोगी को नीद न आन की वशकायत परायः रहती ह

2) विनिा कषोिोनमाद क कारण- फरायड क मतानसार इस रोग का मखय कारण ह वक रोगी का

मनोलवगक विकास मात-परम गरवनर सतर तक पहचकर रक जाता ह समरण रह वक इस सतर पर

बचचो म मा-बाप स यौन सबि की इचछा विदयमान रहती ह परनत ियसक होत ही परम अहम क

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 177

दबाब या भय क कारण इस इचछा का दमन हो जाता ह वजसकी अवभवयवकत वचनता कषोभोनमाद

क लकषणो दवारा होती ह

जन न वचनता कषोभोनमाद का परमख कारण इचछा शवकत की अवयिसरा बताया ह जो वयवकत

अपनी इचछा शवकत को सामानय रप स पयाथिरण क सार समायोजन नही कर पात तो उनका सतलन

वबगड़ जाता ह और ि इस रोग क वशकार हो जात ह कछ मनोिजञावनको का कहना ह वक यह रोग

उनही वयवकतयो को होता ह वजनक सिग पररितथनशील ि सिचछनद होत ह

3) विनिा कषोिोनमाद क उपिार- अनक मनोिजञावनको दवारा परविवियो क दवारा वचनता

कषोभोनमाद क रोगी का उपचार वकया जाता ह मखयतः मकत साहचयथ विवि सममोहन विवि

सकत या सझाि पनः वशकषण आवद परविवियो का उपयोग इनक उपचार क वलए वकया जाता

117 रपानिररि कषोभोनमाद का सिरप रपानतररत कषोभोनमाद कषोभोनमाद का ही एक रप ह वजसम रोगी अपनी दवनदातमक

भािनाओ या विचारो को शारीररक लकषणो म पररितथन करक समािान करता ह रोगो म शारीररक

लकषण तो विदयमान रहत ह परत उनका कोई आवगक कारण या शारीररक आिार नही होता ह

परो0 कमरान क अनसार lsquolsquoरपानतर कषोभोनमाद एक ऐसी परविया ह वजसम अचतन

अनतदवथनद वकसी शारीररक लकषण म पररिवतथत या परकि हो जाता ह वजसस वक अनतदवथनद की

परतीकातमक अवभवयवकत क दवारा तनाि ि वचनता कम हो जात ह

1) रपानिररि कषोिोनमाद क लकषण-

रपानतररत कषोभोनमाद म रोगी को सपषट रप स शारीररक कषट उतपनन हो जात ह वजनका

आिार मानवसक होता ह अधययन क दवषटकोण स रपानतररत कषोभोनमाद क परमख लकषणो को हम

वनमन िगो म रखकर अधययन करग

a) जञानवनरय लकषण

i) जाघ असिवदता या सिदन शनयता

ii) दवषट अयोगयता iii) कम सनना iv) अघराणता या सघन की कषमता समापत हो जाना

b) गतयातमक लकषण

i) पशीय ऐिन क लकषण उतपनन हो जाना

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उततराखड मकत विशवविदयालय 178

ii) शरीर म कपन होना iii) सितः ही शरीर म गवतविविया होना वजसका उस जञान नही होता इस विक कहत ह वसर

झिकना पलक झपकना आवद

iv) पशीय सकचन जस हार-पाच की अगवलया मड़ जाना कोहनी ि घिनो म अनमयता आ

जाना

v) िाणी विकार जस सिरहीन हकलाना मकता आवद

c) आनतरागी लकषण

रपानतररत कषोभोनमाद क रोगी क कछ आनतरागी लकषण भी पाय जात ह जसः वसर ददथ

खासी उलिी गला बनद हो जाना जी वमचलाना जी वमचलाना शवास लन म कविनाई आवद उतपनन

हो जाना चावहए

2) रपानिररि कषोिोनमाद क कारण-

सारसन सारसन (2002) न रपानतररत विकवत क कई कारण बताय ह-

1) दःखद या अवपरय पररवसरवत स बचाि की इचछा 2) खोय हए सामावजक सतर की पनः परावपत की इचछा 3) वयवकत की अपराि भािना का परयास करना वजसस उसकी िासतविकता सामन न आ पाय

4) भविषय की कविनाईयो स बचन क वलए रपानतररत कषोभोनमाद क लकषण उतपनन हो जात ह 5) जब रोगी को इस बात की आशा हो वक उस अपन रोग क कारण वकसी परकार की आवरथक

कषवतपवतथ वमल सकती तो िह रपानतर कषोभोनमाद स पीवड़त हो जाता ह

3) रपानिररि कषोिोनमाद क उपिार- रपानतर कषोभोनमाद क उपचार की परमख परवियाए इस

परकार ह-

i) मनोविशलषणातमक परवकरिा- अनय विकवतयो की भावत रपानतर विकवत क उपचार म

मनोविशलषणातमक परविया का परयोग वकया जा सकता ह इसक वलए सिथपररम रोगी वयवकत की

समसयाओ का वििरण परापत करन का परयास वकया जाता ह ततपिात उसकी आशकाओ एि

समसयाओ क बार म यरोवचत सलाह दी जाती ह वक उस जो नकारातमक अनभि होत ह

िासति म उसका कोई पयाथपत कारण नही ह अतः उवचत दवषटकोण विकवसत करन की

अिशयकता ह यवद रोगी को यह समझ आ जाय तो उसम उतपनन होन िाल लकषण समापत हो

जात ह और िह सामानय जीिन वयतीत करन लगता ह

ii) दिाओा का परिोग- इसक उपचार म दिाओ का परयोग बहत साििानी स करना चावहए िस

कोई विकलप न होन पर रोगी वयवकत वचता परवतरोिी एि विषाद शमक दिाइयो का परयोग करत

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उततराखड मकत विशवविदयालय 179

ह ऐसी दिाओ स कछ लाभ तो होता ही ह परनत कभी-कभी दिाओ पर वनभथरता बढ़ जाती ह

यह हावनकारक वसरवत होती ह िस दिाओ स दीघथकावलक लाभ तो नही वमलता ह ऐसी

दिाए रपानतर विकवत एि ददथ लकषण म लाभदायक अिशय ह परत विर भी इनक दवारा पणथ

समािान कविन ह

iii) साजञानातमक वििहार उपिार- इस परकार की विकवत क उपचार म सजञानातमक वयिहार

उपचार पिवत स लाभ वमल सकता ह इसक वलए रोगी वयवकत की सोच को बदलन की

आिशयकता पडगी उस आिशयकतानसार सलाह दकर उसका मनोबल बढ़ाया जाना चावहए

उस यह बताया जाय वक य समसयाए कछ खास नही ह य समापत हो जायगी तो इसका उस पर

बहत ही अनकल परभाि पड़गा

सकषप म कह सकत ह वक रपानतर कषोभोनमाद क उपचार क कषतर म अभी कािी कछ शोि

करन की आिशयकता ह

118 साराश वचता विकवत स तातपयथ िसी विकवत स होता ह वजसम रोगी म अिासतविक वचता एि

अिासतविक डर की मातरा इतनी अविक होती ह वक उसम उसका सामानय वजनदगी का वयिहार

अपअनकवलत हो जाता ह तरा इसम वयवकत अपनी वचनता की अवभवयवकत वबलकल ही सपषट ढग

स करता ह-

वचता क मखय तीन परकार ह-

क विषयपरक वचनता

ख नवतक वचनता

ग तवतरकातापी वचता

वचता विकवत क छः परमख परकार ह-

क दभीवत

ख भीवषका विकवत

ग सामानय वचनता विकवत

घ मनोगरसतता बाधयता विकवत

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उततराखड मकत विशवविदयालय 180

ड़ अनतर अघातीय तनाि विकवत

च तीवर तनाि विकवत

वचता मनसताप क अनक शारीररक ि मानवसक लकषण कारण ि उपाय ह

दभीवत एक बहत ही सामानय वचनता विकवत ह वजसम वयवकत वकसी ऐस विवशषट िसत या

पररवसरवत स सतत ि असतवलत मातरा म डरता ह जो िासति म वयवकत क वलए कोई खतरा या न क

बराबर खतरा उतपनन करता ह

दभीवत क तीन सामानय परकार बताय गय ह-

क विवशषट दभीवत

ख एगोरादभीवत

ग सामावजक दभीवत

इसक कई कारण लकषण ि उपाय ह

कषोभोनमाद एक सामानय कायापरारप विकवत ह इस किल वसतरयो का रोग माना जाता रा

परत आज इस सतरी परष दोनो का रोग माना जाता ह

119 शबदािली bull दिीवि एक सतत डर परवतविया ह जो खतर की िासतविकता क अनपात स पर होती ह

bull एगोराफोवबिा भीड़-भाड़ या बाजार सरलो स डर

bull वनािा भरमण इसम रोगी नीद म ही उिकर अचतन रप स ऐस अनक जविल कायथ ि वयिहार

करता ह वजसकी समवत उस जागरतािसरा म नही होती

bull सरल मिय विािा कषोिोनमाद इस परकार क वचनता कषोभोनमाद म रोगी क भय का समबनि कोई

मतथ िसत होती ह इसक परमख लकषण जल आवद स सबवित भय होत ह

1110 सिमलयाकन हि परशन 1) वचता क कौन कौन स परकार ह 2) कीड़ मकोड़ स डर को कया कहत ह

3) अकलपन स डर को कया कहत ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 181

4) मतय स डर को कया कवहलाता ह

5) सामावजक वचता विकवत वकस कहत ह

6) वनणथय दभीवत वकस कहत ह

7) परतीकातमक मतथ वचता कषोभोनमाद वकस कहत ह

उततर 1) वचता क परकार- विषयपरक नवतक ि तवतरकातापी

2) इनसकिोिोवबया 3) मोनोिोवबया 4) रनिोिोवबया

5) जब वयवकत को अनय वयवकतयो का सामना करन म डर लगता ह उस सामावजक दभीवत कहत ह

6) जब वयवकत को वनणथय लन म कविनाई होती ह उस वनणथय दभीवत कहत ह

7) इस परकार क कषोभोनमाद म रोगी को भय तो मतथ िसतओ स ही लगता ह परत भय का उददीपन

मतथ िसत िासति म परतीकातमक ह

1111 सनदभथ गरनर सची bull आिवनक असामानय मनोविजञान - डा0 ए0क0 वसह

bull असामानय मनोविजञान- डा0 लाभ वसह एि डॉ0 गोविद वतिारी

bull असामानय मनोविजञान- डा0 डी0एन0 शरीिासति

1112 तनबनिातमक परशन 1 वचनता मनसतापो का वििरण सकषप म कररए 2 दभीवत स कया समझत ह इसक विवभनन परकारो की वयाखया कीवजए 3 वहसिीररया तरा वचता कषोभोनमाद म अनतर सपषट कीवजए 4 रपानतररत कषोभोनमाद क कारण लकषण ि उपायो की वयाखया कीवजए

5 विपपणी- i सामानय ि असामानय वचनता म अनतर

ii िोवबया क कारण

iii दवि वयवकतति

iv समवत लोप

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उततराखड मकत विशवविदयालय 182

इकाई-12 मनोविदलिा उतसाह विषाद िरा परानोइया 121 परसतािना

122 उददशय

123 मनोविदलता का सिरप

1231 मनोविदलता क परकार

1232 मनोविदलता क कारण

1233 मनोविदलता क लकषण

1234 मनोविदलता क उपचार

124 उतसाह विषाद

1241 उतसाह विषाद क लकषण

1242 उतसाह विषाद क कारण

1243 उतसाह विषाद क उपचार

125 परानोइया

1251 परानोइया क परकार ि लकषण

1252 परानोइया क कारण

1253 परानोइया क उपचार तरा पररणाम

126 साराश

127 शबदािली

128 सिमलयाकन हत परशन

129 सनदभथ गरनर सची

1210 वनबनिातमक परशन

121 परसिािना मनोविदलता का शावबदक अरथ वयवकतति का विचछद या असत-वयसत होना ह परनत

िासति म इसका अरथ यराथरता स समबनि-विचछद ह इसका मखय कारण ह वक मनोविदलता का

रोगी िासतविक दवनया स अपन समबनि को पणथ रप स तोड़ दता ह तरा अपनी बनाई हई दवनया म

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उततराखड मकत विशवविदयालय 183

ही विचरण करता रहता ह मनोविदलता म अनक परकार क विकार सवममवलत होत ह यही कारण ह

वक परो कोलमन न इस असामानय वयिहारो का एक समह बताया ह वजसम रोगी िासतविकता क

सार समबनि सरावपत करन की योगयता एि उसकी सिगातमक ि बौविक परवियाओ म आिारभत

विकषोप उतपनन हो जात ह परोकमरान क मतानसारldquoमनोविदलता समबनिी परवतवियाए

परवतगमनातमक परयास ह वजनम रोगी िासतविक अनतियवकतक पदारथ समबनिी ि वयामोहो एि

विभरमो क वनमाथण क माधयम स अपन तनािो ि वचनताओ का बचाि करता हrsquorsquo

पराचीन गरीक आवद क लखो म उतसाह-विषाद मनोविकवत का िणथन वमलता ह सिथपररम

मनोिजञावनको का मत रा वक अविक परसनन रहना ि अविक उदास रहना दो अलग-अलग परकार

क मानवसक रोग ह लवकन सिथपररम िारलि तरा बलाजथर (1850-1954) न बताया वक य दो

लकषण ह िपवलन क अनसार इसम रोगी एक ही रोग स गरसत होता ह लवकन इस रोग क दो विरोिी

लकषण होत ह अतयाविक परसननता की अिसरा म विचारो की उड़ान मनोगतयातमक सवियता ि

उतसाह क लकषण परकि होत ह लवकन इसक विपरीत उदासीनता की अिसरा म रोगी म मानवसक

अिरोि विचारो म तकथ हीनता मनोतयातमक सवियता की कमी आवद क लकषण दवषटगोचर होत ह

िपवलन क इस विचार म अनक अधययनो क आिार पर पररितथन हए ह लवकन मल सिरप क

समबनि म कोई पररितथन नही हआ ह

वयामोही विकवत को पहल परानोइया कहा जाता रा परानोइया की उतपवतत गरीक भाषा क

दो शबदो स वमलकर हई ह-परा तरा नोइया परा का अरथ ह वमया अरिा विकत तरा नोइया का

अरथ ह तकथ इस परकार परानोइया का शावबदक अरथ वमया तकथ अरिा विकत तकथ करना होता ह

इस इकाई क अधययन हम मनोविदलता उतसाह-विषाद मनोविकवत तरा परोनोइया रोगो क बार म

विसतत रप स अधययन करग

122 उददशय इस इकाई क अधययन क पिात हम वनमन वबदओ को समझान म सकषम हो सक ग

bull मनोविदला क सिरप तरा परकारो की वयाखया कर सक ग

bull मनोविदलता क कारण लकषण ि उपायो पर परकाश डाल सक ग

bull उतसाह-विषाद विकवत क लकषण कारण ि उपायो क वबद पर चचाथ कर सक ग

bull परानोइया क परकार समझान म सकषम होग

bull परानोइया क लकषण कारण ि उपायो की वयाखया कर सक ग

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उततराखड मकत विशवविदयालय 184

123 मनोविदलिा का सिरप वसििजरलणड क परवसि मनोवचवकतसक बलयलर न सिथपररम इस रोग को मनोविदलता का

नाम वदया वजसका अरथ ह वयवकतति विदलन या वयवकतति म दरार का पड़ जाना मनोविदलता का

यह अरथ ितथमान म सिीकायथ नही ह इस वयवकतति का विदलन या दरार का पड़ जाना न कहकर हम

िासतविकता स समबनि विचछद कह सकत ह इसका कारण यह ह वक रोगी िासतविक दवनया स

अपना समबनि तोड़ दता ह िह अपन दवारा बनाई हई दवनया म विचरण करता ह

कमरान क अनसारlsquolsquoमनोविदलता समबनिी परवतवियाए परवतगमन परयास ह वजसम वयवकत

िासतविकता पर आिाररत अनतिवकतति िसत समबनिो को छोड़न तरा वयामोहो एि विभरमो क

माधयम स तनाि तरा वचनता स बचाि करता हrsquorsquo

कारसन इतयावद 2000 क अनसारlsquolsquoमनोविदलन को ऐसी मनोविवकषपत क रप म पररभावषत

वकया जाता ह वजसम वयवकतति-परवियाओ म विघिन होता ह िासतविकता स समबनि िि जाता

ह सिगातमक कणिा एि विभरम एि विचार तरा वयिहार म वयाििान होता हrsquorsquo

इसस सपषट ह वक मनोविदलता वकसी एक विकार का नाम नही ह िरन मानवसक विकारो

क एक समह को मनोविदलता का नाम वदया गया ह वजसम वयवकतति क विवभनन पकषो जस-

परतयकषीकरण वचनतन सामावजक एि सिगातमक पकषो म गभीर विकवत एि विघिन दखन म आता

ह इसम वयवकत का िासतविकता स समपकथ िि जाता ह ऐसी पररवसरवत म वयवकत अपनी दवमत

वचनता क तीवर तनाि को समापत करन क वलए विवभनन विभरमो एि वयामोहो का सहारा लता ह तरा

अनक परवतगामी परयास अपन वयिहारो म परदवशथत करता ह

1231 मनोविदलिा क परकार-

मनोविदलता को वनमन नौ िगो म िगीकत वकया जा सकता ह-

1) सरल मनोविदलिा- सरल मनोविदलता जसा वक नाम स सपषट ह इसम रोग क लकषण िीर-

िीर ि िवमक रप स विकवसत होत ह इन रोवगयो की पहचान विवचतर अतावकथ क तरा

उदासीनता क आिार पर की जा सकती ह इन रोवगयो की रवचया समापत हो जाती ह य

एकानत म रहना पसनद करत ह बहत कम बोलत ह कछ पछन पर वसर वहलाकर जबाि दत ह

इनह अपन शरीर की सिाई का धयान नही रहता ह य लाभ-हावन सिलता-असिलता की कोई

परिाह नही करत ह रोगी अपन दवारा वनवमथत ससार म विचरण करत ह अपन ही विचारो म

उलझ रहत ह अतयाविक सिारी एि आतमकवनरत हो जात ह यह अपनी परवतवदन की

वियाओ क वलय पररिार पर वनभथर रहत ह माता-वपता वमतरो तरा अनय वयवकतयो दवारा वदय गय

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 185

सझािो एि आदशो का पालन नही करत ह इनक सिभाि म वचड़वचड़ापन आ जाता ह इन

लोगो क वयिहार म लवगक आिामकता भी पायी जाती ह कछ लोग अपरािी भी हो जात ह

2) हबीफरवनक मनोविदलिा- हबीफरवनक शबद की उतपवतत गरीक भाषा क हीबोफरवनया शबद स

हई ह वजसका अरथ lsquoयिा मनrsquo ह मनोिजञवनको का कहना ह वक यह रोग विशष रप स

यिािगथ या कम आय म ही विकवसत होता ह कोलमन का मत ह वक हबीफरवनक मनोविदलता

क रोगी का समसत वयिहार एक बचच क समान होता ह िासति म उसका यह वयिहार

परवतगमन की वसरवत को परदवशथत करता ह इस रोग क मखय लकषण वचनतन सिगातमक

अवसररता विभरम असगत भरावनत िाकयदोश तरा विघवित वयवकतति ह इन रोवगयो का

अधययन वकया जाए तो पता चलता ह वक इनका वयिहार बड़ा ही विवचतर होता ह यह

सामावजक एि िावमथक वचनतन म लीन रहत ह रोगी अपन वयवकतति स अविक परभावित होता

ह और घणिो अपन कालपवनक पातरो स बात करता ह इन रोवगयो क वयामोह सिाद घराण तरा

शरिण क अवतररकत काम समबनिी िावमथक दणडातमक तरा सिासय वचनता स समबवनित भी

होत ह जब रोग की तीवरता बढ़ती ह तब उसका वयिहार अतयनत विवचतर एि बिकिी भरा

लगता ह रोगी कहता ह वक उसक मह म जहरीली गस भरी ह मह खोलत ही आस-पास क

लोग मर जायग विचारो की अतावकथ कता तरा िासतविकता स समबनि विचछद विवचतर

वयामोह को वयकत करता ह

3) कटाटोवनक मनोविदलिा- किािोवनक मनोविदलता की उतपवतत की उतपवतत यकायक बड़

ही नािकीय ढ़ग स होती ह रोगी क वयिहार म वियाय इस परकार की होती ह वक उनह दखकर

आियथ होता ह इस कारण उसम सिगातमक उदासीनता उतपनन हो जाती ह इस रोग की दो

वसरवतया होती ह-

i) मवछथत वसरवत- इस वसरवत म रोगी की वियाए िीर-िीर मनद पड़न लगती ह रोगी घणिो

एक ही वसरवत म शनय को घरता रहता ह उसका बोलना चलना विरना उिना बिना

एकदम कम हो जाता ह उसका िातािरण स समपकथ ििन लगता ह और िह अतयाविक

उदासीन हो जाता ह ऐसी वसरवत म यवद रोगी को सई चभोई जाए तब भी िह कोई

परवतविया नही करता ह उस खान-पीन तरा मलमतर तयागन की सिदना नही रहती ह यवद

उसक हार को ऊपर कर वदया जाए तो पर वदन उसका हार ऊपर ही रहता ह

ii) उततवजत वसरवत-यह वसरवत मवछथत अिसरा क िीक विपरीत होती ह इसम रोगी की

शारीररक वियाए इस परकार चलती ह जस दीिार घडी का पणडलम वनरनतर चलता रहता

ह उसकी सिगातमक अवभवयवकत वयाकलता का उगर रप िारण कर लती ह ऐसी तीवर

वियाओ तरा उगर परवतवियाओ का आिार िातािरण समबनिी उददीपक वसरवत नही िरन

बाह दवषट स उनका वनिाथरण रोगी सितनतर रप स करता ह रोगी की यह वियाए उददशयहीन

तरा लकषयहीन होती ह मनोगतयातमक दवषटकोण स इनका सिरप समबवनित वयवकत क

अचतन की दवमत इचछाओ दवारा अवभपरररत होता ह रोगी की वियाय कभी-कभी

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 186

आिामक तरा विनाशातमक भी हो जाती ह रोगी कमर म रख सामान पदो कपडो तरा

िनीचर आवद को तोड़-िोड़ दता ह अपन सामन िाल वयवकत पर अचानक आिमण कर

बिता ह इनकी यह उततवजत वसरवत घणिो तरा कई वदनो तक बनी रहती ह

4) परानािर मनोविदलिा- परानायड मनोविदलता क रोवगयो म बाह िासतविकता स िाछनीय

समायोजन करन की योगयता का पणथ अभाि पाया जाता ह य रोगी परायः 25 स 40 िषथ की

आय क होत ह पररम परिश क समय 50 परवतशत रोगी परानायड मनोविदलता क होत ह इन

रोवगयो म अतावकथ क विवचतर पररितथनशील वयामोह क विवशषट लकषण पाय जात ह इनम

दणडातमक वयामोहो की परिानता होती ह रोगी वशकायत करता ह वक लोग उसका पीछा कर

रह ह उस जहर दकर मारना चाहत ह इसक अवतररकत महानता का वयामोह सि-सदभथ तरा

अनवचत परभाि क वयामोह भी वमलत ह इन रोवगयो म शरिण दवषट तरा अनय परकार क विभरम

भी पाय जात ह इन रोवगयो की तावकथ क वनणथय योगयता समापत हो जाती ह जब रोगी की दशा

वबगड़ती ह तब उसकी बौविक ि सिगातमक योगयताओ का विघिन गमभीर रप स हान लगता

ह परानायड मनोविदलता तरा परानोइया क रोवगयो म यह अनतर ह वक मनोविदलता क

रोवगयो क वयामोह अतावकथ क एि पररितथनशील होत ह जबवक परानोइया क रोवगयो क

वयामोह तावकथ क ि सरायी होत ह मनोविदलता म रोगी का वयवकतति अतयाविक विघवित हो

जाता ह परानोइया क रोगी का वयवकतति वयामोहो को छोड़कर सगवित रहता ह

आगरा मानवसक वचवकतसालय क एक मनोविदलता रोगी वनमन साकषातकार वकया गया वििरण इस

परकार ह-

डॉकिर-आप कौन ह

रोगी-म वहिलर ह

डॉकिर-आप कया करत ह

रोगी-म अपन हड किािथर पर ह दवखए यह मरी िौज ह (सामन क विवभनन बरको की ओर

सकत करत हए वजनम अनक मानवसक रोगी रहत ह)

रोगी -दवखए यह मरी एयर िोसथ ह (सामन उड़त हए एक हिाई जहाज की ओर दखत हए

तरा उस सलामी दत हए सकत करता ह)

5) बालिकालीन मनोविदलिा- इस परकार की मनोविदलता क लकषण बालयािसरा स ही

आरमभ हो जात ह इसम रोगी लोगो स दर भागता ह उसकी विचार परविया का विघिन

अवनयवनतरत काम तरा आिामक परिाहो का होना आवद सवममवलत ह इनका वचनतन वनमन कोवि

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 187

का होता ह इनकी भाषा म विवभनन दोश उतपनन हो जात ह बणडर न 2 स 13 िषथ की आय िाल

600 रोवगयो का अधययन वकया वनषकषथ इस परकार पाय गय-

i) रोगी बालक आतम पररचय दन म पणथ असमरथ होता ह

ii) रोगी बालक िासतविकता स समबनि रखन म पणथ असमरथ होता ह iii) रोगी बालको क माता-वपता तरा अनय वयवकतयो स तादातमय सरावपत करन म पणथ

असमरथ होता ह

iv) रोगी बालक मनोरचनाओ को सही ढग स परयकत नही कर पात ह

v) रोगी बालको म दढ़ता वचनता आवद उतपनन हो जाती ह

vi) नीद भोजन एि अनय सामानय वयिहारो म अवनयवमतता पायी जाती ह

6) िीवर अिकवलि मनोविदलिा- मनोविदलता क इस परारप म विवभनन परकार क अनक

लकषण वमवशरत रप स दखन म आत ह इन लकषणो का सिरप वसरर नही होता ह ऐस लकषण

कछ समय क वलय परकि होत ह विर सितः समापत हो जात ह यह परारप मनोविदलता क रोग

की परारवमभक अिसरा का रप ह यवद रोगी का समय स उपचार न वकया जाए तो यह

मनोविदलता क वकसी भी एक परारप का रप ल लता ह

7) दीघयकालीन अिकवलि मनोविदलिा- दीघथकालीन अिकवलत मनोविदलता भी अनक

वमवशरत लकषणो का रप ह इसम रोगी क वयवकतति म अनक लकषण जस-सिगातमक वयिहार

बौविक हास एि वयािहाररक विचलन आवद लकषण परकि होत ह ऐस लकषणो का सिरप

मनोविदलता क लकषण की भावत दीघथकालीन होता ह इस परकार क रोवगयो म नयनतमतम

समायोजन की कषमता अिशय बनी रहती ह जो परायः मनोविदलता क रोगी म कम दखन को

वमलती ह

8) सीिो-अफवकटि मनोविदलिा- मनोविदलता क इस परारप म मानवसक लकषणो की

परिानता क सार-सार उतसाह अरिा विषाद की वसरवत भी उतपनन होती ह इसम रोगी वचनता

की वसरवत म विवचतर वयिहार परकि करता ह

9) अिवशि मनोविदलिा- मनोवचवकतसालय क दीघथकालीन उपचार क उपरानत कछ

मनोविदलता रोगी सिसर भी हो जात ह और कछ रोवगयो म जविल लकषण समापत नही होत ह

रोगी म यही लकषण कछ न कछ मातरा म अिवशषट रप म रह जात ह ऐस रोवगयो को ही

अिवशषट शरणी म रखा जाता ह

1232 मनोविदलिा क कारण-

मनोविदलता विकारो की उतपवतत क वलय कोई एक कारक उततरदायी नही ह विवभनन

कारक सवममवलत रप स अपना परभाि वयवकत पर डालत ह इन कारको को तीन भागो म बािा जा

सकता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 188

1 जविक कारण 2 मनोिजञावनक कारण 3 सामावजक कारण

2) िविक कारण

मनोविदलता क जविक कारणो को वनमन रप म सपषट वकया जा सकता ह-

i) अनिावशकता - विवभनन विदवानो न िशानिम को मनोविदलता की उतपवतत का कारण

माना ह कालमन न अपन अनसिानो दवारा यह वसि वकया ह वक यवद माता-वपता म स

एक वयवकत मनोविदलता स पीवड़त रहा ह तो उनक बचच 164 परवतशत इस विकार स

पीवड़त पाय गय ह यवद माता-वपता दोनो विकार स पीवड़त ह तो उनक बचच 681 परवतशत

इस विकार स पीवड़त हो सकत ह समरप यमज म यह समभािना 862 परवतशत री इस

परकार सपषट ह वक मनोविदलता की उतपवतत म िशानिम का योगदान महतिपणथ ह

ii) शारीररक रचना- शारीररक रचना िशानिम तरा िातािरण की वमवशरत दन ह िशमर क

अनसार एसरवनक तरा एरलविक परकार क वयवकत मनोविदलता स अविक पीवड़त होत ह

शलडन क अनसार लमबाकवत तरा मधयाकवत वयवकत अनय मनसपात की अपकषा

मनोविदलता स अविक पीवड़त होत ह परनत इस समबनि म मनोिजञावनको म कािी

मतभद ह

iii) कनरीय सनायमणडलः- अनक विदवानो न मनोविदलता एि सामानय रोगी क मवसतषक का

तलनातमक अधययन वकया और पाया वक दोनो क मवसतषक कोशो म कोई सारथक अनतर

नही ह कछ मनोिजञावनक इस रोग का कारण वदल का छोिा होना नवलकाविहीन गरवनरया

आवद मानत ह परनत आज तक इन पररणामो क समबनि म कोई वनवित मत परापत नही

हआ ह

3) मनोिजञावनक कारण

िपवलन न िशानिम क सार-सार मनोिजञावनक कारको को भी मनोविदलता का कारण

माना ह बललर न वनराशा ि अनतदवथनदव को फराइड न अचतन को एडलर न समपणथ वयवकतति को

मनोविदलता का परमख कारण माना ह मनोविदलता रोग की उतपवतत म वनमन मनोिजञावनक कारण

महतिपणथ ह-

i) विकत पाररिाररक जीिन- माता-वपता क अवतररकत पररिार क अनय सदसयो क सार

उवचत समबनि होन क कारण रोगी म अनक परकार क अनतदवथनदव उतपनन हो जात ह उसकी

विभदकारी कषमता घि जाती ह रोगी वचनता स गरसत हो जाता ह रोगी क पररिार का

विघिन एि असगत सिरपी रोगी की विचार परविया म सपषट रप स दखा जा सकता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 189

माता-वपता का अनपयकत ििावहक समबनि तरा सिगातमक समायोजन भी बचचो म

मनोविदलता क परवत उनमखता बढ़ाता ह अतः सपषट ह वक पररिार की कोई भी वसरवत

बालक म अनपयकता असरकषा तरा हीनता उतपनन कर सकती ह और आग चलकर उसक

घातक परभाि वदखाई द सकत ह मनोविदलता क रोवगयो का इवतहास दखन स सपषट ह वक

य रोगी बचपन स ही दर भागन का परयास करत ह ि अपन विचारो को दसरो स नही कह

पात ह इनका वचनतन अपन तक ही सीवमत रहता ह

ii) शशिकालीन मनो-घात- मनोिजञावनको न शशिकाल क आघातो को मनोविदलता का

कारण माना ह िाहल न मनोविदलता क 568 रोवगयो का अधययन वकया और बताया वक

4 परवतशत रोवगयो क मा-बाप की मतय उनकी बालयािसरा म ही हो गई री अरिा तलाक

आवद कारणो स िह अलग हो गय र ऐस रोगी पाररिाररक आघातो को सहन नही कर

पाय तरा उनक मन म ऐस घाि उतपनन हो गय वजसक कारण िह जीिन की दबाि पणथ

पररवसरवतयो का सामना करन म अपन को असमरथ पान लग य रोगी बड़ होकर जीिन की

कविन पररवसरवतयो स बचन क वलए बालयािसरा का सहारा लन लग

iii) वनराशा तरा अनतदवथनदव- मनोिजञावनको का कहना ह वक दोषपणथ वयवकतति विकास रोवगयो

म अतयाविक सिदनशीलता समपको स दर भागना तरा असरकषा की भािना क कारण

रोगी क सममख वकशोरािसरा या पिथ-परौढ़ािसरा की अनक समसयाय उपवसरत होती ह

परतयक असामानयता क पीछ वनराशा की मखय भवमका होती ह मनोविदलता क रोवगयो

की असिलता ितथमान पररवसरवत क समायोजन म बािक होती ह इस परकार रोगी

विवभनन वनराशाओ तरा अनतदवथनदव तातकावलक कारण ह

iv) परवतगमनातमक सिरप- मनोविदलता परवतगमन की चरमसीमा ह फराइड क अनसार

मनोविदलता अचतन म वछपी समलवगकता का पररणाम ह रोगी परवतगमन दवारा अचतन

की दवमत इचछाओ स अहम की रकषा करता ह यग न मनोविदलता का कारण बालयािसरा

की ओर पलायन माना ह कयोवक शशिािसरा म इन आिगो की परिानता होती ह रोगी

का बौविक एि सिगातमक सिरप अतयाविक असपषट अतावकथ क तरा असगत होता ह

रोगी वशशओ क समान ऐस कालपवनक जगत म खोया रहता ह वक उस िासतविकता का

जञान नही रहता ह

v) अनय मनोिजञावनक कारण- एलडर न मनोविदलता का कारण हीनता की भािना माना ह

हीनता की भािना क कारण वयवकत समायोजन करन म असिल हो जाता ह वजसक

पररणामसिरप उसम विवभनन परकार क वयामोह विभरम भय आवद लकषण उतपनन हो जात

ह फराइड मनोलवगक विकास क परभाि को मनोविदलता का कारण बताता ह कछ

मनोिजञावनक मनोविदलता का कारण अनतमथखी वयवकतति मानत ह

4) सामाविक कारण

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 190

अनक अधययनो क अनसार मनोविदलता रोग कछ सामावजक समहो म अविक पाया

जाता ह कयोवक बड़ शहरो म वयवकत क सममख अविक कविन समसयाओ तरा दबािपणथ

पररवसरवतया होती ह इसी परकार कछ वयिसायो तरा िमो म मनोविदलता का घिनािम अविक

ह अतः हम कह सकत ह वक सामावजक और मनोिजञावनक कारक आपस म इतन समबवनित ह वक

इनह एक-दसर स अलग नही वकया जा सकता ह

1233 मनोविदलिा क सामानि लकषण -

मनोविदलता दो परकार की परवियाओ क पररणामसिरप उतपनन होती ह मनोविदलता एक

समय म होन िाला रोग नही ह अवपत कािी समय तक िीर-िीर अनक विवचतर लकषण उसक

वयिहार म विकवसत होत रहत ह वजस परविया को मनोविदलता कहत ह इसक अवतररकत कछ

सािवगक विकवतया अचानक उसक वयिहार म उतपनन हो जाती ह तब इस परवियातमक

मनोविदलता कहत ह मनोविदलता क कई परकार ह वकनत कछ ऐस सामानय लकषण ह जो सभी

मनोविदलता म समान रप स पाय जात ह

1) िासिविकिा स पलािन- मनोविदलता क रोवगयो का परिान लकषण जीिन की िासतविकता

स पलायन करना ह यह रोगी अपन दवारा वनवमथत (कालपवनक) दवनया म विचरण करत ह इनका

िासतविकता स कोई समपकथ नही होता ह और न ही बाहय घिनाओ म कोई रवच लत ह

इनकी समवत वचनतन परतयकषीकरण तरा कलपनाए आवद इनक वनजी आनतररक जीिन स

वनयवनतरत होत ह य रोगी अपन आसपास क ससार म कोई रवच नही लत ह इस कारण इनका

लोगो स समबनि िि जाता ह

2) सािगातमक विकवििा- सिगातमक उदासीनता इन रोवगयो का मल कनर वबनद ह

सिगातमक पररवसरवतयो क परवत रोगी उदासीन रहता ह यहा तक वक अपन वपरयजन की दघथिना

हो जान पर भी दख वयकत नही करता ह वकसी परशन का उततर नही दता ह भख पयास क परवत

उसका धयान नही रहता उस एकानत म रहना अचछा लगता ह असपताल क एक िाडथ म रहन

िाल दो रोगी आपस म एक-दसर का नाम तक नही जानत जस-जस रोग की तीवरता बढ़ती

जाती ह उनकी उदासीनता भी बढ़ती जाती ह कभी-कभी यह रोगी अकारण हसन लगत ह रोन

लगत ह आवद मनोविदलता क रोवगयो म अनक सिगातमक परवतवियाय वदखाई पड़ती ह- 1)

अनपयकता 2) उदासीनता एि सिगातमकता का अभाि 3) दढ़ता 4) उभय भािातमकता 5)

अविशवास 6) विपरीत सिगातमकता 7) सािवगक ररवकतता

3) विकि-वििार परवकरिा- मनोविदलता क रोगी क विचारो म अनक विकवतया पायी जाती ह

इन रोवगयो का विचार-िम अतावकथ क विवचतर तरा बड़ा ही असगत परतीत होता ह सािारण

िसत क परवत इनकी वियाय बड़ी ही विवचतर एि जविल होती ह इस कारण इनक सामावजक

समबनि पयाथपत रप स असत-वयसत हो जात ह इनह अपन वचनतन पर वनयनतरण नही होता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 191

इनक विचार असपषट वदशाहीन विशरखवलत तरा भरावनतपणथ होत ह िषलर बलवय तरा रोशा

परीकषणो क आिार पर इन रोवगयो क वचनतन म वनमन विशषताए पायी जाती ह

i एक ही परतयय म अनक परतययो क रप को वयकत करना

ii मतथ अमतथ क मधय भद न करना iii परतययो म सिवनवमथत निीन अरथ जोड़ना iv परतीको को अविक मातरा म परयोग करना v जस सतय एि कालपवनकता को एक समझना vi तकथ शासतर क वनयमो का पालन न करना vii वकसी िसत की वििचना करत समय वयवकतगत परसगो का अतयाविक उपयोग करना

इन रोवगयो का वचनतन मतथ होता ह बललर न एक रोगी स पछाldquoकया तमहार मवसतषक पर

कोई िसत अवतररकत दबाि डाल रही हrsquorsquo रोगी न उततर वदया lsquolsquoहा लोहा भारी होता हrsquorsquo इनक

वचनतन म इस विवचतरता का कारण इनका सिवनवमथत ससार एि विकत सािवगक अवभिवततयो की

परिानता ह यह रोगी जसरथ क सार िसतगत समबनि रखन म अपन को असमरथ पात ह

4) िाषा समबनधी विकवििा- मानवसक हास क कारण मनोविदलता क रोगी गग वयवकत की

तरह चपचाप एि शानत बन रहत ह इनक शबदो तरा विचारो म कोई तावकथ क समबनि नही

होता ह इनकी भाषा म कई विकवतया पायी जाती ह

1) असपषटता 2) पनरािवतत 3) असगतता 4) असमबवनित

5) निीन शबदो का वनमाथण आवद वजनका अरथ रोगी ही सिय समझ पाता ह

5) विामोह- वयामोह ऐस झि विशवास ह जो वयवकत क मवसतषक म इतना गहरा सरान बना लत ह

वक लाख तकथ तरा परमाण दन पर भी रोगी उनह सतय ही मानता ह रोगी क वयामोह सिपनो क

समान होत ह वजनम िह अपन को कोई बड़ा वयवकत या राजा या महान परष मान बिता ह

मनोविदलता क रोगी म दणडातमक तरा महानता क वयामोह की मातरा अविक पायी जाती ह

रोगी वचवकतसक को अपना शतर दिा को विष समझता ह अपनी ओर आत हए वयवकत को

दखकर यह कहता ह वक यह मझ मारन क वलय आ रहा ह मरी हतया करना चाहता ह

मनोविदलता क रोगी क वयामोह बड़ विवचतर एि अतावकथ क होत ह पज न एक अवििावहत

सतरी रोगी का उदाहरण परसतत वकया ह िह सतरी िि परान कपडो का बणडल बनाकर उस अपना

बचचा कहती री िाडथ क डॉकिर को बचच का वपता बताती री डाकिर को िाडथ म आता

दखकर बचच को पयार करन लगती री और वकसी अनय वयवकत को छन नही दती री परवतवदन

रात म उस अपन पास सलाती री

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 192

6) विभरम- अनय मानवसक रोवगयो की अपकषा मनोविदलता क रोवगयो को विभरम भी होत ह

इसम रोगी को सनन समबनिी विभरम अविक होत ह रोगी िमकी वतरसकार तरा परशसा भरी

आिाज सनता ह कभी-कभी अपन कपड़ उतारकर मारपीि करन क वलए तयार हो जाता ह

इसक विपरीत रोगी को दवषट सिाद गि तरा सपषथ समबनिी विभरम होत ह िह एकात म बिकर

अलौवकक रशय दखता ह जस कभी भगिान सिय परकि होत ह कभी वदवय परकाश क रप म

सदष परापत होता ह कभी मत समबवनियो क दशथन करता ह शककी सिभाि क रोगी अकसर

सपषथ समबनिी विभरम का अनभि करत ह

7) लखन विलकषणिा- ऐस रोवगयो की वलखािि म विवचतरता पायी जाती ह ि अपनी लखनी

म शबद तरा िाकयो को बारमबार वलखत ह वनररथक शबदो का परयोग करत ह वयाकरण तरा

विराम आवद का इनह जञान नही रहता ह कभी-कभी वबलकल शानत हो जात ह और कभी-कभी

बहत अविक वलखत ह

8) वििहार समबनधी विकवि- मनोविदलता का रोगी अपन शरीर को विवचतर ढग स एक ही

मरा म मरोड़कर कई वदन तक बिा या खड़ा रहता ह ि शनय म िकिकी बाि घरत रहत ह

विवचतर ढग स हसत ह तरा दढ़ एि शषक वयिहार करत हए वदखाई दत ह वयिहार म

सामावजक परवतमानो का अभाि तरा अपन परवत अतयाविक उदासीनता रहती ह

9) शारीररक दशा- मनोविदलता क रोगी का शरीर इतना दबथल हो जाता ह वक िह शारीररक

पररशरम करन म अपन को असहाय एि असमरथ पाता ह उस नीद नही आती ह यह सदी-गमी

स अपना बचाि नही कर पात ह भख भी नही लगती ह सिचछता का इनह जञान नही रहता ह

10) अनि लकषण- उपरोकत लकषणो क अवतररकत तीवर वचनता एि आतक धयान क परवत अतयाविक

विचलनशीलता नवतकता म रवचयो का अभाि अविगम योगयता का अभाि तरा विकत

समरण शवकत आवद लकषण भी मनोविदलता क रोवगयो म उतपनन हो जात ह रोगी दसरो की

परवतवियाओ क समबनि म पिथ अनमान तरा कलपना कर सकन म अपन को असमरथ पात ह

इनम सख की अनभवत करन की योगयता नही होती ह इनका जीिन दसरो क अनरप वयिहार

करन योगय नही रहता ह

इस परकार सपषट होता ह वक मनोविदलन क रोगी म अनक परकार क लकषण वदखाई पड़त ह

इनम कछ िनातमक तो कछ नकारातमक होत ह

1234 मनोविदलिा का उपिार-

मनोविदलता क रोगी की अतावकथ कता एि विवचतरता इतनी बढ़ जाती ह वक उसका

समपणथ वयवकतति वछनन-वभनन हो जाता ह आज स तीन दशक पिथ इन रोवगयो का उपचार आसानी स

समभि नही रा 30 परवतशत रोवगयो क उपचार हत उनह मनोवचवकतसालयो म भज वदया जाता रा

वजसम 23 परवतशत रोवगयो म कछ सिार हो जाता रा तरा 7 परवतशत रोवगयो की वसरवत म कोई

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 193

सिार नही होता रा परनत आज मनोविदलता रोग की अनक निीन उपचार पिवतया विकवसत हो

गई ह जस -

1) रसािन विवकतसा विवध- रोगी की दशा को सिारन क वलय सकल न एक उपचार

पिवत का परवतपादन वकया रोगी जब दौर की वसरवत म होता ह तब उसको इनजकषन दवारा

इनसवलन की अवतररकत मातरा रकत म परिावहत की जाती ह वजसस उसकी वसरवत म रोड़ा

सिार हो जाता ह मड़यना न इनसवलन क सरान पर मटराजोल इनजकषन का परयोग वकया ह

रोगी की तीवर आशका वचनता एि तनाि को दर करन क वलय दवषचनता उनमलक

औषवियो का परयोग वकया जाता ह यह औषविया रोग क लकषणो को कछ सीमा तक

सिार सकती ह उनका उपचार नही कर सकती ह

2) शारीररक विवकतसा- शारीररक वचवकतसा क अनतगतथ दो परकार की पिवतया परयोग म

लायी जाती ह-

i विदयत आघात वचवकतसा- रोगी क विवभनन लकषणो को समापत करन क वलए विदयत

आघात वचवकतसा का परयोग वकया जाता ह इसम रोगी की कनपिी पर दो विदयत

आघात वचवकतसा का परयोग वकया जाता ह इसम रोगी की कनपिी पर दो इलकटरोड़

लगा वदय जात ह तरा रोगी क दातो क मधय म आघात शलय कछ सकणड तक एक

वनवित ऐवमपयर की विदयत िारा परिावहत हो जाती ह वजसस रोगी तड़प क सार दौर

की वसरवत म चला जाता ह इसक पिात रोगी अपनी पिथ बातो को कछ समय क

वलय भल जाता ह

ii मवसतषकीयशलय वचवकतसा- शलय वचवकतसा क माधयम स मवसतषक कािकस ि रलमस क मधय उस भाग को विचछवदत कर वदया जाता ह वजसका समबनि वयवकत की उचच

मानवसक वियाओ तरा सिगो स होता ह इस वचवकतसा स रोगी की वसरवत म वयापक

सरायी सिार आ जाता ह तरा रोगी को समायोजन करन म सहायता परापत होती ह यह

वसरवत जोवखमपणथ भी होती ह

3) मनोसामाविक विवकतसा- मनोविदलता क रोगी की वनराशा तरा मानवसक दवनदवो को

समापत करन की विवभनन मनोसामावजक विवि ह-

समह वचवकतसा- इस पिवत म रोगी क वलए ऐसा िातािरण तयार वकया जाता ह वजसम िह आपस

म वमल-जलकर वयवकतगत रप स िाताथलाप कर सक अपनी बीमारी क कारणो तरा उतपवतत को

समझ सक समह वचवकतसा पिवत म साइकोरामा तरा भवमका वचवकतसा विवि का भी परयोग

वकया जाता ह वजसक दवारा वयवकत क अचतन म दवमत विचार इचछाय एि वििलताय अवभनय

करत समय अवभवयकत हो जाती ह वजसस रोगी क लकषणो म कमी आ जाती ह इसक अवतररकत

पविग वचवकतसा पिवत तरा सगीत वचवकतसा पिवत आवद का भी परयोग उपचार हत वकया जाता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 194

4) सामदाविक उपिार- इस उपचार पिवत म मनोविदलता क विवभनन रोवगयो की वयिसरा

एक ऐस सरान पर की जाती ह जहा ि सिय की दख-रख म अपनी आिशयकताओ जस-

भोजन पानी सनान मलमतर तयाग आवद कायथ सिय करत ह कछ समय पिात रोगी सिय

सामानय रप स कायथ करन लगत ह अतः उनकी वसरवत म पयाथपत सिार वदखाई दता ह

सामानयतः इन रोवगयो का उपचार मानवसक असपतालो म ही समभि ह इनह घर पर रखकर

िीक नही वकया जा सकता ह

124 उतसाह-विषाद मनोकति सन 1854 म िालरि ि बलाजथर न इस रोग क समबनि म सिथपररम वयाखया परसतत की

िालरि न 1879 म एक ऐस रोगी का उललख वकया वजसम उतसाह ि विषाद दोनो लकषणो की

वमवशरत अिसरा री इस अिसरा को उसन सिमणकालीन अिसरा कहा

1241 उतसाह-विषाद मनोविकवि क सामानि लकषण-

सामानयतः उतसाह-विषाद मनोविकवत क रोवगयो म अगरवलवखत सामानय लकषण पाए जात ह-

i परतिकषीकरण की अिोगििा- सामानयतः इस परकार क रोवगयो क परतयकषीकरण का दोष

आ जाता ह ि वकसी भी िसत को दख सकत ह लवकन समबनि म अविक जानकारी नही

होती अगर इस परकार क रोवगयो को कछ पढ़न को वदया जाए तरा उनस पछा जाय वक

इसम कया वलख हआ ह तो ि कछ भी बतान म समरथ नही होत इसका परमख कारण होता

ह वक इनम एकागरता की कमी होती ह

ii अवि उततिना ि ििना का खोना- सामानयतः इस परकार क रोगी को अविक

उततजनशील एि आिशयकता स अविक उदास रहन क िलसिरप अपनी चतना का जञान

नही होता रोवगयो को समय सरान वदनाक आवद का भी जञान नही होता इसका मखय

कारण इस रोग का मखय आिमण ह वजसक िलसिरप अचतन मन की गरवनरया चतना

पर परभाि जमा लती ह तरा रोगी की चतना समापत या कम हो जाती ह इस तय को

िपवलन न भी सिीकार वकया ह कयोवक उसका कहना रा वक इस परकार क रोग क अनतगतथ

रोगी को अपन िातािरण का जञान या चतना नही रहती ह

iii वमिा वनणयि शवि- रोगी म झि या सतय क समबनि म वनणथय शवकत की कमी हो जाती

ह वजसक िलसिरप िह कभी-कभी िह झि को सतय और सतय को झि समझन लगता

ह इसी कारण रोगी म अनक वमया विचार आत ह तरा िह सदि कलपना की दवनया म

विचरण करता रहता ह अगर िह वकसी सरान पर दो वयवकतयो को बात करत दखता ह तो

यह समझता ह वक उस िासी दन की योजना बनाई जा रही ह ि इस पणथ रप स सही भी

मान लत ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 195

iv विपियि िथा विभरम- रोगी मखयतः अपनी वचततिवतत क अनरप विपयथय तरा विभरम का

वशकार हो जाता ह जस- उतसाह की अिसरा म रोगी वकसी भी आन िाल वयवकत को

अपना पतर समझ लता ह तो विषाद की अिसरा म िही आन िाला वयवकत उस घातक शतर

क रप म वदखाई पड़ता ह

v सािगातमक िनािो का बाहलि- उतसाह-विषाद मनोविकवतयो क रोवगयो म मखयतः

सिगातमक की परिानता होती ह उतसाह की अिसरा म रोगी बहत अविक आशािादी हो

जाता ह िह इतनी वियाय करता ह वजनको दखकर पता चलता ह वक उसम बहत अविक

शवकत आ गई ह विषाद की अिसरा म रोगी आिशयकता स अविक भयभीत ि सदि

वनिथनता या अपनी हतया आवद की भािना स गरसत रहता ह विषाद क 75 परवतशत रोगी

आतमाहतया करन क विचार रखत ह तरा करीब 10 स 15 परवतशत रोगी आतमहतया करन

का परयास भी करत ह

1242 उतसाह-विषाद मनोविकवि क कारण-

उतसाह-विषाद मनोविकवत क पिथ परितयातमक तरा तातकावलक कारणो को हम मखयतः

तीन भागो म बािकर अधययन कर सकत ह-

1 जविक कारक 2 मनोिजञावनक कारक 3 सामावजक कारक

1) िविक कारक िपवलन परसी आवद न उतसाह-विषाद मनोविकवत क कारण िश-परपरा माना

जाता ह वबरज का कहना ह वक करीब 70 परवतशत रोवगयो म िश परमपरा का हार रहता ह

सटरकर ि इबो का मत ह वक वयवकत िश-परमपरा क माधयम स कछ शीलगण परापत करता ह जो

इस रोग को उतपनन करन म सहायक ह रोसनॉि हणडी ि पलस आवद अनक विदवानो न यमजो

पर अधययन वकय तरा अपन अधययन क आिार पर बताया वक मलभत रप स इस रोग को

उतपनन करन का कारण िश-परपरा ह सलिर न अपन अधययन दवारा इस तय को बताया वक

समान जनसखया म इस रोग क उतपनन होन की समभािना किल 005 ही ह जबवक इन रोवगयो

क मा-बाप भाई-बवहन ि बचचो म इस रोग की समभािना करीब 15 परवतशत ह रनी ि िाउलर

न 208 उतसाह-विषाद क रोवगयो म 63 परवतशत िश-परपरा क परभाि को पाया इन अधययनो

स पणथतः सपषट हो गया ह वक इस रोग क उदभि म िशपरमपरा का महतिपणथ हार ह

कछ विदवानो न शारीररक बनािि को भी इस रोग का कारण माना ह जस- िशमर न 85

रोवगयो का अधययन करन क बाद बताया वक इस रोग का कारणशारीररक गिन भी ह उसन

वपकवनक परकार क वयवकतति िाल वयवकतयो को परमख रप स इस रोग का वशकार बताया इस परकार

क वयवकत कद म तो नाि तरा इनकी तोद लमबी होती ह शलडन न ऐस वयवकतयो को वजनकी

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उततराखड मकत विशवविदयालय 196

शारीररक बनािि lsquoमसोमाविथ कrsquo ि lsquoऐणडोमाविथ कrsquo परकार की होती ह इस रोग का वशकार शीघर हो

जान िाला बताया ह

कछ विदवानो न आनतररक-शारीररक उपरवयो को भी इस रोग का कारण माना ह

अनतःसरािी गरवनरयो म गड़बड़ी पाचन विया तरा रकत-चाप म गड़बड़ी आवद क कारण स भी यह

रोग उतपनन हो जाता ह एक अतयनत रोचक तय का वििरण जमस 1961 न वकया ह उसन बताया

ह वक विषाद-वसरवत की अपकषा उतसाह की वसरवत ि शारीररक रचना समबनिी कारक अतयनत

सहायक होता ह

यहा इस बात को पणथतः धयान म रखना चावहए वक किल जविक कारक ही एकमातर इस

रोग को उतपनन करन म सहायक नही होत ह बवलक अनय कारण इसक उतपनन करन म सहायक होत

2) मनोिजञावनक कारक अनक मनोिजञावनको न जस-मयर कबी तरा बललर आवद न उतसाह-

विषाद मनोविकवत क कारणो म मनोिजञावनक कारको का उललखनीय परभाि बताया ह इनका

कहना ह वक उतसाह-विषाद मनोविकवत मनोविकवत क रोवगयो म मानवसक गिन एि मानवसक

वियाओ का अविक परभाि पड़ता ह पणथ रप स वकसी विशष मनोिजञावनक वसरवत को

उतसाह-विषाद क रोग क कारण तरा ितथमान जविल ि तीवर दबािपणथ अिसराए इस रोग क

विकास म सहायक होती ह यग न कहा वक जो वयवकत बवहमथखी वयवकतति िाल होत ह ि

परिानतः इस मनोविकवत क वशकार हो जात ह फरायड न उतसाह-विषाद मनोविकवत क

मानवसक कारणो की वयाखया अपन मनोलवगक विकास क वसिानत क आिार पर की ह मा-

बाप क बीच वयिहार मानवसक विकास म एक महतिपणथ भवमका वनभात ह अविकतर ऐसा

दखा गया ह वक अविकाशतः इस रोग स गरसत रोगी का अतयनत कड अनशासन उचच नवतक

आदषथ ि मानयताओ म पालन-पोषण हआ होता ह

मकडगल न उतसाह-विषाद मनोविकवत क मानवसक कारणो पर अविक जोर वदया ह तरा

उसक अनसार यह रोग आतम-सममान ि आतम-समपथण की परिवततयो क असतवलत विकास क

कारण उतपनन होता ह एडलर न आतम-परवतषठा ि हीन-भािना को ही इस रोग का कारण माना ह

इसका कहना ह वक जब इनका परकाशन सही रप म नही होता तो इसका दमन हो जाता ह और

उसम हीन-भािना विकवसत हो जाती ह तरा िह उतसाह-विषाद मनोविकवत क रोग स गरसत हो

जाता ह फरायड न परम अहम ि अहम क आिार पर इस रोग की वयाखया की ह इसी परकार

इिालड सटरकर इिॉग आवद विदवानो न भी मनोिजञावनक कारको की परिानता को सिीकार वकया ह

3) सामाविक कारक अनक विदवानो का कहना ह वक कछ ऐसी विशष ससकवत या सामावजक

कारक होत ह जहा यह रोग अविक रोग अविक होता ह इस समबनि म िीगलहोल का कहना

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उततराखड मकत विशवविदयालय 197

ह वक नयजीलड़ म यह रोग मनोविदलता की तलना म लगभग 212 गना अविक होता ह

जबवक अमरीका म इन दोनो क अनपात म एक विपरीत समबनि पाया जाता ह करोदर न अपन

एक अधययन म दखा वक सिथपररम मानवसक असपताल म परिश करन िाल रोवगयो म स करीब

286 परवतशत रोगी मनोविदलता क र तरा किल 38 परवतशत उतसाह-विषाद क रोगी र इसी

परकार क पररणाम सिनबरोक न भी परापत वकए ह इस समबनि म यह बात उललखनीय ह वक

जविल सिभाि की ससकवत ि इनक वनवित परभाि क समबनि म पणथ अधययन परापत नही परापत

हए ह

1243 विवकतसा-उपिार-

इस रोग स गरसत अविकाश रोवगयो को वचवकतसालय म भती करा दना आिशयक ह कयोवक

िहा उनकी दखभाल भली-भावत की जा सकती ह इनक उपचार क वलए सबस परमख बात यह

धयान म रखनी चावहए वक इनह बाहय उददीपको क परभाि स बचाया जाए उनक सामन ऐसी

पररवसरवत उतपनन न की जाए वजसस उनह झझलाहि या उतसाह की पररणा वमल उनह िहलन पढ़न

एि हार स कछ कायथ करन क वलए परोतसाहन दना चावहए तरा उनम यह आशािादी दवषटकोण

उतपनन करना चावहए वक य वनवित रप स िीक हो जायग उददीपत अिसरा म रोवगयो को परवतवदन

गमथ पानी स नवहलान स लाभ होता ह

उतसाह की अिसरा म रोगी को ऐसी वियाओ स बचाना चावहए वजसस उनकी शवकत म

कमी आती ह इस परकार क रोग की हाइरो-उपचार पिवत वजसम िणड पानी क िब म रोगी को

डाला जाता ह तरा कछ शामक औषवियो का भी परयोग करना चावहए वजनस उनक लकषणो की

तीवरता म कमी आ सक कछ विशष वसरवतयो म विदयत पिवत लाभदायक होती ह इस परकार क

परयासो स रोगी क लकषणो की वयिसरा म कमी आ जाती ह तरा मनोवचवकतसा की पषठभवम तयार

हो जाती ह

विषादातमक वसरवत म रोवगयो क उपचार म मखय धयान यह दना चावहए वक उसकी

वनवषियता को दर वकया जा सक उस गमथ पानी स नवहलाना तरा मावलश करिानी चावहए विदयत

आघात भी लाभदायक होता ह रोगी क सार सदि सहानभवत वयिहार करना चावहए तरा उसक

सार ऐसा वयिहार करना चावहए या ऐसी वसरवत उतपनन करन का परयास करना चावहए वजसस वक

उसकी मनोवचवकतसा समभि हो सक

125 वयामोही विकति या परानोइया विकति िपवलन न उन मानवसक रोवगयो क वलय परानोइया शबद का परयोग वकया वजनक वयवकतति

म वयिवसरत रप स महानता तरा दणड क वयामोह पाय जात ह तरा रोगी का शष वयवकतति पयाथपत

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उततराखड मकत विशवविदयालय 198

सगवित रहता ह उसका िासतविकता स उवचत समपकथ बना रहता ह रोगी का बौविक हास बहत

कम होता ह उसक वयामोह की वयाखया इतनी तावकथ क होती ह वक यवद उनको एक बार सही मान

वलया जाए तो उसक समसत विचार तावकथ क लगन लगत ह कमरॉन क अनसार रोगी तनाि एि

वचनता स बचाि करन क वलए आरोपण तरा असिीकारण का सहारा लता ह वजसक पररणाम

सिरप रोगी म वयिवसरत वयामोह उतपनन हो जात ह परानोइया क रोगी म कामकता आवद वयामोह

भी उतपनन हो जात ह

िीिन एि लायड 2003 क अनसारldquoवयामोही विकवत ऐसी विकवत ह वजसम रोगी

दणडातमक तरा शरषठता विकवतयो स गरसत हो जाता हrsquorsquo

बिवजन इतयावद 1993 क अनसारldquoवयामोही विकवत म वयामोही तनतर म मौवलक

असामानयता पायी जाती ह िासति म कछ मामलो म वयामोही तनतर ही असामानय होता ह अनय

दवषटयो स वयवकत सामानय परतीत होता हrsquorsquo

इस परकार सपषट होता ह वक वयामोही विकवत स परभावित रोगी म शरषठता एि दणड समबनिी

भरावनत की अविकता होती ह अनय दवषटयो स रोगी का वयिहार सामानय होता ह

परानोइया क रोगी जो नकारातमक िारणा बनात ह उसका दायरा आग चलकर बढात जात

ह कभी वकसी एक को अपन वलए खतरा मानत ह तो आग चलकर अनक लोगो को सिय क वलए

खतरा मान सकत ह जबवक ऐसा िासति म होता नही ह िह ऐसा lsquoवमया समदायrsquo तयार कर लत

ह वजसक बार म उसकी िारणा होती ह वक लोग उस नकसान पहचान की सावजश रच रह ह या

रचत ह इसवलए उसका समायोजन खराब हो जाता ह तरा कायथकशलता म कमी आ जाती ह

1251 विामोही विकवि (परानोइिा) क परकार िथा उसक लकषण-

परानोइया क परकारो को वयामोहो क आिार पर िगीकत वकया गया ह-

1) दणडातमक परानोइया- इसम दणड समबनिी वयामोहो की परिानता होती ह रोगी को यह दढ़ विशवास होता ह वक कोई वयवकत उस दणड दन का परयतन कर रहा ह िह सभी को अपना शतर

मानता ह पररिार क सभी सदसय उसकी दवषट म शतर होत ह रोगी क य विचार उस आिमण

करन या हतया करन क वलए बाधय कर दत ह

2) महानता परानोइया- यह रोगी क ऐस वदिासिपन ह वजस िह सतय मान बिता ह रोगी को यह विशवास होता ह वक िह विषि का महानतम वयवकत ह सबस िनी वयवकत ह सबस बविमान

वयवकत ह आवद

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उततराखड मकत विशवविदयालय 199

3) कामक परानोइया- विशर न एक रोगी का बड़ा ही सनदर िणथन परसतत वकया ह एक यिक एक उचच कल की लड़की स परम करन लगा उसन अपनी परवमका को एक परम पतर वलखा उततर न

परापत होन पर समझा वक िह यिती वििाह करना चाहती ह उसन दसरा पतर उस यिती क वपता

को वलखा वक उसकी पतरी मझस वििाह करना चाहती ह वपता न उस यिक को मानवसक

वचवकतसालय भज वदया

4) ईषयाथतमक परानोइया- इसम रोगी पवत या पतनी एक-दसर पर विशवासघात का आरोप लगात ह

तरा उनक परमाणो को एकतर कर जाससी करत हए वदखाई दत ह यवद रोगी घर स बाहर जाता

ह तो सतरी उसस लौिन क बार म पछती ह वक वकतनी दर म घर िापस आओग यह सनकर

रोगी को सनदह हो जाता ह वक उसकी सतरी उसक पीछ अपन परमी स वमलगी इसी परकार सतरी भी

अपन पवत क चररतर पर सनदह करन लगती ह

5) मकदमबाजी का परानोइया- इसम रोगी लगातार मकदमो म लीन रहता ह अपन दोशो को दसरो पर आरोवपत करता ह इन रोवगयो क मकदमो को कोई कानन आिार नही होता ह

इसवलए रोगी मकदमा हार जाता ह रोगी अपन अविकारो क वलय वनरनतर मकदमबाजी करता

रहता ह यवद मकदमा जीत भी जाता ह तो पनः वकसी बहान स उस मकदम को विर स लड़ना

आरमभ कर दता ह

6) सिारातमक परानोइया- इसम रोगी अपन को ससार का सिारक तरा उिार करन िाला मानता ह िातािरण म उतपनन विवभनन सकिो का वनिारण करन क वलय िह अपन को सकषम मानता

7) िावमथक परानोइया- इसम रोगी अपन को lsquoपरमातमा का अितारrsquo या भगिान का दत समझता ह रोगी अनक परकार क उपदश दत ह जस-रोगी वयवकतयो को उपदश दता ह वक रात म अपनी

पतनी को अनय वयवकतयो क पास भज दना चावहए उनका ऐसा करना बहत बड़ा िावमथक कायथ

ह इस परकार इन रोवगयो क य विवचतर विचार इनह यह सोचन पर मजबर करत ह वक उनका जनम

ससार की रकषा करन क वलय हआ ह

8) रोग स समबि परानोइया- इस परकार क वयामोह रोवगयो म दढ़ विशवास पदा करत ह रोगी अपन को भयकर रोग जस- क सर िी बी आवद स गरसत पाता ह उस विशवास ह वक उसका इलाज

कोई वचवकतसक नही कर सकता ह उसका सिासय िीर-िीर वगरता जा रहा ह|

1252 विामोही विकवि (परानोइिा) क कारण-

परानोइया ततकावलक दबािपणथ पररसरवतयो तरा वयवकतति क दोषपणथ विकास क

पररणामसिरप उतपनन होता ह परमख कारण अगरवलवखत ह-

1) िविक कारक- परानोइया को अनिावशकता क आिार पर मानन क वलय आज तक कोई

परमाण नही वमला ह परनत विर भी कछ विदवान इस िशानिम कारक क रप म सिीकार करत

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 200

ह िशमर का करन ह वक ऐसरवनक परकार क वयवकतयो म परानोइया उतपनन होन की

समभािना पायी जाती ह जबवक रोजन एि कन न बताया वक परानोइया का विवशषट शारीररक

सरचना स कोई समबनि नही होता ह इसी परकार शरीर क विवभनन रासायवनक सराि तरा

मवसतषक कोशो क सिरप का परानोइया की उतपवतत म परतयकष समबनि नही ह

2) मनोिजञावनक कारक- परानोइया की उतपवतत क बार म मनोिजञावनक कारक अतयनत

महतिपणथ ह कोलमन न अपन अधययनो क आिार पर मनोिजञावनक कारको क परारवमक

कारक वनमनवलवखत बताय ह-

i) दोषपणथ वयवकतति का विकास- बालयािसरा म बालक पर किोर अनशासन अवतसरकषण

अतयाविक वतरसकार माता-वपता क उचच नवतक आदषथ आवद ऐसी वसरवतया ह जो वयवकत क

जीिन म दबािपणथ समसयाओ क उपवसरत होन पर उसका सनतलन खो दती ह दोषपणथ

विकास बचपन स ही बचच की वजददी अनशासन विरोिी उदास तरा पलायन परिवतत िाला

बना दता ह यही अनपयकत विकास आग चलकर वयवकत म विवभनन वयामोह एि विभरम उतपनन

करता ह िह जीिन म महान बनन क सिपन दखन लगता ह अपन उचच लकषयो तरा

आकाकषाओ को परापत करन म जब िह असिल होता ह तो उसम दणडातमक वयामोह उतपनन हो

जात ह

ii) असिलता तरा हीनता- रोजन एि कन क अनसार परानोइया क रोगी का वयिहार सिय क परवत शरषठता की भािना सामावजक वयिहार आलोचनातमक बचनी लालसा परशसा इनक

अनदर की भािनाओ की पवषट करती वदखाई दती ह रोगी अपन अनदर हीनता की भािना को

कषवतपवतथ दवारा महानता क वयामोह क रप म परा करन का परयास करता ह

iii) लवगक असमायोजन- वयवकत क दोषपणथ विकास किोर अनशासन तरा उचच नवतक आदशो

क कारण ऐसा रोगी सिभाविक यौन इचछा को घवणत तरा पाप समझन लगता ह वजसक

पररणामसिरप िह अपन को बरहमचारी या महान िावमथक गर मान लता ह अतः रोगी लवगक

असमायोजन स गरसत हो जाता ह

iv) अपराि परिवतत का आरोपण- रोगी क उचच नवतक आदशो क पररणामसिरप सािारण स

अनवतक कायथ भी उसम अपराि भािना को जागरत करत ह इस परकार यह अपराि परिवतत

वयवकत म आतम-अिमलयन की वसरवत उतपनन करती ह वजसस उसका अह अतयाविक

परभावित होता ह अतः िह आरोपण की परविया दवारा इस वसरवत को दसर वयवकतयो म दखना

आरमभ कर दता ह परानोइया क रोवगयो की यह अपराि परिवतत उनम सनदह परिवतत को जागरत

करती ह

v) तातकावलक पररवसरवतया- दोषपणथ वयवकतति िाल वयवकतयो म विवभनन तातकावलक पररवसरवतया अगरवलवखत ह-

क) ऐसी वसरवत जो रोगी म अविशवास तरा सनदह पदा कर और रोगी को यह आशका हान लग

वक उसक जीिन क सार कोई िोखा तरा विशवासघात वकया जा रहा ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 201

ख) ि पररवसरवतया जो रोगी को सतकथ बनान क अवतररकत सामावजक समपको स दर रख ग) ऐसी अनक पररवसरवतया जो ईषया तरा शतरता को बढ़ाती ह वजसम रोगी म हीनता घणा

तरा विरोि की भािनाय उतपनन हो जाती ह

घ) ि पररवसरवतया जो वयवकत क आतमसममान को कम करती ह रोगी आरोपण तरा

असिीकारण मनोरचनाओ का सहारा लता ह

ङ) जब वयवकत अपन दोषो को दसर वयवकतयो म दखता ह तो उसकी वचनता एि तनाि आवद

बढ़ जाता ह और िह तीवरता क सार असिीकारण तरा आरोपण मनोरचना का परयोग

करता ह

च) जब कोई पररवसरवत िरता क वयिहार को परदवशथत करती ह तब वयवकत उसका परवतरोि करता ह

छ) ऐसी पररवसरवतया जो वयवकत म एकानतता तरा आलसय उतपनन करती ह वयवकत मौन िारण

कर लता ह

vi) कमरान का सिवनवमथत समदाय- रोगी अपन कालपवनक जगत म रहत हए विवभनन वयामाहो स गरसत रहता ह वजसक पररणामसिरप वयवकत िातािरण क विवभनन वयवकतयो स समपकथ करन म

घबराहि का अनभि करता ह ऐसा वयवकत न तो सहयोग करता ह और न ही सहयोग लना

पसनद करता ह ऐसी वसरवत म रोगी क कायो तरा विचारो म समनिय नही पाता ह और वयवकत

अपना वयवकतगत जगत वनवमथत कर लता ह वजस कमरॉन न lsquoसिवनवमथत समदायrsquo का नाम वदया

3) सामाविक कारक- परानोइया क रोवगयो का शवकषक सामावजक आवरथक सतर तरा जीिन

लकषय अनय रोवगयो की अपकषा अविक उचच होता ह इन लकषयो की पवतथ हत अपनी योगयता क

अभाि म उनम हीनता एि अनपयकता की भािना उतपनन हो जाती ह यह भािना महानता क

वयामोह म विकत एि अवतरवजत रप म पायी जाती ह लकास 1962 न एक रोगी की आय

वलग तरा सामावजक सतर को विशलवषत कर वनमनावकत वनषकषथ परसतत वकया ह-

i) उचच सामावजक सतर िाल तरा अवििावहत रोवगयो म दिीय शवकत एि िावमथक वयामोह

की परिानता पायी जाती ह

ii) महानता का वयामोह घर क सबस बड़ बालक तरा उचच सामावजक सतर िालो म अविक पाया जाता ह

iii) हीनता समबनिी वयामोह की परिानता वनमन सामावजक सतर तरा पररिार क छोि बालक म अविक पायी जाती ह

iv) कामका वयामोह वसतरयो म अविक पाया जाता ह v) अविक आय िाल रोवगयो म दणडातमक वयामोह की परिानता पायी जाती ह

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इसस सपषट होता ह वयामोही विकवत या परानोइया स परभावित वयवकत की दसरो क बार म

सोच ही नकारातमक एि सदहातमक हो जाती ह उसकी दवषट म लोग उस नकसान पहचान का

शडयनतर रच रह ह यह उसक वलय ही हावनकारक हो जाता ह िह कसमायोजन क वशकार हो जाता

1253 उपिार िथा पररणाम-

यह दभाथगय की बात ह वक वयामोही विकवत या परानोइया स गरसत रोगी सिय क बार म ऐसी

नकारातमक एि सदहातमक िारण बना लत ह वक ि उसस बाहर वनकलना ही नही चाहत ह ि

अपनी तयहीन बातो क विरि कछ सनना भी नही चाहत ह ि समझत ह वक उनह कछ हआ ही

नही ह अतः ि उपचार क वलए तयार ही नही होत इसका पररणाम यह होता ह वक उनकी समसयाए

जयो की तयो बनी रहती ह

यह भी दखा जाता ह वक यवद उनह दिाए दी जाए तो ि दिाए लन को तयार नही होत ह

उनह यह आशका रहती ह वक लोग उनक सार िोखा कर दग दिा म कछ अनय हावनकारक चीज

वमला दग अतः ि कहत ह वक आप लोग कयो परशान ह हम कछ नही हआ ह

यवद ऐस रोगी असपताल म भती वकय जात ह तो ि अनय रोवगयो एि सिाि स सिय को

बड़ा या शरषठ मान लत ह तरा तदनसार वयिहार भी करत ह उनकी यह भी िारण होती ह वक उनक

पररिार क लोग तरा सिाि िाल वमलकर उनक वखलाि षडयनतर रच रह ह बगर वकसी उवचत

कारण क उनह जबरदसती भती कराया गया ह ि कोिथ का भी सहारा ल सकत ह कभी-कभी कोिथ

उनह उनक अनसार रहन क वलए आदश भी पाररत कर दती ह चवक उनकी दवषट म उनह कछ हआ

ही नही ह अतः ि दिाए लन स भी मना कर दत ह

िस कभी-कभी यह भी दखा जाता ह कछ वयामोही रोगी यह सोचन लगत ह वक यवद

सिाि की बात नही मानी गई तो उनह कािी समय तक यहा रहना पड़ सकता ह अतः ऐसी दशा म

दिाओ को खा लना ही अचछा ह तावक जलदी यहा स मवकत वमल जाए ि यह भी कह सकत ह वक

पहल उनक मन म अिशय ही नकारातमक सदहातमक विचार जरर र परनत अब इन विचारो का ि

पररतयाग कर चक ह मनोविदलता को वनमन नौ िगो म िगीकत वकया अतः उनह यहा स मकत कर

वदया जाए इन कारणो स वयामोही विकवत क रोवगयो क उपचार म आपवकषत सिलता कविन हो

जाती ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 203

126 साराश डीएसएम IV म मनोविदलता एि वयामोही विकवत इतयावद को एक िगथ मनोविवकषपतीय

िगथ म रखा गया ह मनोविदलता मानवसक विकारो क एक समह का नाम ह वजनम कछ विवशषट

लकषण रोगी क वयवकतति को अवयिवसरत कर दत ह

मनोविदलता को वनमन नौ िगो म िगीकत वकया ह

मनोविदलता विकारो की उतपवतत क वलय कोई एक कारक उततरदायी नही ह विवभनन

कारक सवममवलत रप स अपना परभाि वयवकत पर डालत ह इन कारको को तीन भागो म बािा जा

सकता ह

1 जविक कारण 2 मनोिजञावनक कारण 3 सामावजक कारण

मनोविदलता क सामानय लकषण एि अनक निीन उपचार पिवतया ह

िारलि तरा बलाजथर 18501954 न बताया वक य दो लकषण ह िपवलन क अनसार

इसम रोगी एक ही रोग स गरसत होता ह लवकन इस रोग क दो विरोिी लकषण होत ह अतयाविक

परसननता की अिसरा म विचारो की उड़ान मनोगतयातमक सवियता ि उतसाह क लकषण परकि होत

ह लवकन इसक विपरीत उदासीनता की अिसरा म रोगी म मानवसक अिरोि विचारो म

तकथ हीनता मनोतयातमक सवियता की कमी आवद क लकषण दवषटगोचर होत ह

उतसाह-विषाद मनोविकवत क अनक लकषण कारण एि उपचार ह

वयामोही विकवत को पहल परानोइया कहा जाता रा परानोइया की उतपवतत गरीक भाषा क

दो शबदो स वमलकर हई ह-परा तरा नोइया परा का अरथ ह वमया अरिा विकत तरा नोइया का

अरथ हः तकथ इस परकार परानोइया का शावबदक अरथ वमया तकथ अरिा विकत तकथ करना होता ह

127 शबदािली bull परानािर मनोविदलिा परानायड मनोविदलता क रोवगयो म बाह िासतविकता स िाछनीय

समायोजन करन की योगयता का पणथ अभाि पाया जाता ह

bull विामोह वयामोह ऐस झि विशवास ह जो वयवकत क मवसतषक म इतना गहरा सरान बना लत ह

वक लाख तकथ तरा परमाण दन पर भी रोगी उनह सतय ही मानता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 204

bull विामोही विकवि ऐसी विकवत ह वजसम रोगी दणडातमक तरा शरषठता विकवतयो स गरसत हो

जाता ह

128 सिमलयाकन हि परशन 1) मनोविदलता क रोगी म कौन कौन सी सिगातमक परवतवियाए होती ह 2) सीजो-अिवकिि मनोविदलता वकस कहत ह

3) सिमणकालीन आिसरा वकस कहत ह

4) उतसाह वििाद क कौन-कौन स तीन कारण ह

5) हाइरो उपचार पिवत वकसस की जाती ह 6) परानोइया का शावबदक अरथ कया ह

7) सिवनवमथत समदाय वकस कहत ह सिवनवमथत समदाय वकसकी खोज ह

8) वयामोह ि विभरम म कया अनतर ह

उततर 1) i) अनपयकता ii) उदासीनता एि सिगातमकता का अभाि iii) दढ़ता iv) उभय

भािातमकता v) अविशवास vi) विपरीत सिगातमकता vii) सािवगक ररवकतता

2) सीजो-अिवकिि मनोविदलताः- मनोविदलता क इस परारप म मानवसक लकषणो की परिानता क

सार-सार उतसाह अरिा विषाद की वसरवत भी उतपनन होती ह इसम रोगी वचनता की वसरवत म

विवचतर वयिहार परकि करता ह

3) िालरि न 1879 म एक ऐस रोगी का उललख वकया वजसम उतसाह ि विषाद दोनो लकषणो की

वमवशरत अिसरा री इस अिसरा को उसन सिमणकालीन अिसरा कहा

4) i) जविक कारक ii) मनोिजञावनक कारक iii) सामावजक कारक

5) िणड पानी क िब म रोगी को डाला जाता ह तरा कछ शामक औषवियो का भी परयोग करना

चावहए वजनस उनक लकषणो की तीवरता म कमी आ सक

6) परानोइया की उतपवतत गरीक भाषा क दो शबदो स वमलकर हई ह-परा तरा नोइया परा का अरथ ह

वमया अरिा विकत तरा नोइया का अरथ हः तकथ इस परकार परानोइया का शावबदक अरथ वमया

तकथ अरिा विकत तकथ करना होता ह

7) रोगी अपन कालपवनक जगत म रहत हए विवभनन वयामाहो स गरसत रहता ह वजसक

पररणामसिरप वयवकत िातािरण क विवभनन वयवकतयो स समपकथ करन म घबराहि का अनभि करता

ह ऐसा वयवकत न तो सहयोग करता ह और न ही सहयोग लना पसनद करता ह ऐसी वसरवत म रोगी

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उततराखड मकत विशवविदयालय 205

क कायो तरा विचारो म समनिय नही पाता ह और वयवकत अपना वयवकतगत जगत वनवमथत कर लता

ह वजस कमरॉन न lsquoसिवनवमथत समदायrsquo का नाम वदया ह

8) वयामोह ऐस झि विशवास ह जो वयवकत क मवसतषक म इतना गहरा सरान बना लत ह वक लाख

तकथ तरा परमाण दन पर भी रोगी उनह सतय ही मानता ह

विभरम म रोगी िमकी वतरसकार तरा परशसा भरी आिाज सनता ह कभी-कभी अपन कपड़

उतारकर मारपीि करन क वलए तयार हो जाता ह इसक विपरीत रोगी को दवषट सिाद गि तरा सपषथ

समबनिी विभरम होत ह िह एकात म बिकर अलौवकक रशय दखता ह जस कभी भगिान सिय

परकि होत ह कभी वदवय परकाश क रप म सदष परापत होता ह कभी मत समबवनियो क दशथन करता

ह शककी सिभाि क रोगी अकसर सपषथ समबनिी विभरम का अनभि करत ह

129 सनदभथ गरनर सची bull आिवनक असामानय मनोविजञान- डा0 अरण कमार वसह

bull असामानय मनोविजञान- डा0 डी0एन0 शरीिासति

bull असामानय मनोविजञान- डा0 लाभ वसह एि डॉ0 गोविद वतिारी

1210 तनबनिातमक परशन 1 मनोविदलता क सिरप तरा परकारो की वयाखया कररय 2 मनोविदलता क लकषण विकवसत होन की अिसराओ पर परकाश डावलय

3 परानोइया क कारणो का वििचन कररय 4 उतसाह विषाद मनोविकवत क लकषणो पर परकाश डावलए 5 विपपणी-

i) मनोविदलता क कारण

ii) उतसाह विषाद क लकषण

iii) परानोइया क सामावजक कारक

iv) विित आघात वचवकतसा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 206

इकाई-13 मनोधचककतसा की परकति एि महति 131 परसतािना

132 उददशय

133 मनोवचवकतसा क सिरप एि अरथ

1331 मनोवचवकतसा की परमख पररभाषाए

1332 मनोवचवकतसा क सिरप

134 मनोवचवकतसा क उददशय एि महति

135 मनोवचवकतसा क सामानय चरण

136 साराश

137 शबदािली

138 सिमलयाकन हत परशन

139 सनदभथ गरनर सची

1310 वनबनिातमक परशन

131 परसिािना इस इकाई स पिथ की इकाईयो क अधययन क पिात आप विवभनन मानवसक रोगो क बार म

जान गय होग

आज क भागदौड़ की विनदगी म लोग मानवसक रप स परशान रहन लग ह इन परशावनयो

क कारण वयवकत क वयवकतति म विकार उतपनन होन लगता ह वयवकतति म आय विकार को समय

रहत दर करना आिशयक हो जाता ह वजसक वलए विवभनन परकार की मनोवचवकतसा परविवियो का

उपयोग वकया जाता ह

इस इकाई क अधययन क उपरानत आप मनोवचवकतसा की परकवत महति एि वचवकतसा म

अपनाय जान िाल सामानय चरणो क बार जानकारी परापत कर सक ग

132 उददशय परसतत इकाई क अधययन क उपरानत आप बता सक ग वक-

bull मनोवचवकतसा का अरथ कया ह

bull मनोवचवकतसा का ितथमान म महति कया ह एि उसक उददशय कया ह

bull मनोवचवकतसा क सामानयतः कौन-कौन स चरण ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 207

133 मनोधचककतसा क सिरप एि अरथ सामानयतः वकसी असिसर वयवकत को ओषवि या शलय आवद परविवियो स पनः सिसर बनान को

उपचार या वचवकतसा कहा जाता ह इसी तरह स मानवसक रप स विकषबि वयवकतयो की

मनोिजञावनक विवियो दवारा उपचार करना मनोवच वकतसा कहा जाता ह सरल शबदो म वचवकतसा का

अरथ ह रोगो का उपचार करना तरा मनोवचवकतसा का अरथ ह मानवसक रोगो का उपचार करना इस

नदावनक हसतकषप भी कहा जाता ह कयोवक इसम नदावनक मनोिजञावनक अपन वयिसायी या पशिर

कषमता का उपयोग करत हए मानवसक रप स या सािवगक रप स विकषबि वयवकत क वयिहार को

परभावित करन की कोवशश करता ह सामानयतः मनोवचवकतसा का उपयोग उन मानवसक रोवगयो क

वलए लाभकारी होता ह जो मनःसनायविकवत स पीवड़त होत ह इसका उपयोग दसर परकार क

मानवसक रोवगयो जस मनोविवकषपत या मनोविकवत क रोवगयो क सार भी वकया जाता ह परनत ऐस

रोवगयो को मनोवचवकतसा क अलािा मवडकल वचवकतसा भी दना अवनिायथ होता ह मनोवचवकतसा

का मल उददशय वयवकत क समायोजन क मागथ म आन िाल अनक दवमत मानवसक विषम जालो

कणिाओ ि अनतिथनिो क वनबथलताजनय लकषणो क अचतन स चतन सतर पर ला कर क वयवकतति

विकास ि समायोजन क मागथ को इस परकार परषसतर करना होता ह वजसस वयवकत म अपन मल सघषो

क सिरप को लगभग िसतपरक आिार पर समझ सकन की वयापक ि गहरी अतदथवषट विकवसत हो

सक और ऐसा वयवकत जीिन म अपना बहपकषीय समायोजन पररपकिता तरा सयोगयता क सार-

सार एक परकार स अपनी आतम-वसवि क मागथ पर भी सहज रप स अगरसर हो सक

1331 मनोविवकतसा की परमख पररिाषाए-

विवभनन मनोिजञावनको न मनोवचवकतसा को अपन-अपन तरह स पररभावषत वकया ह वजसम

स कछ पररभाषाए इस परकार ह

ओलबगथ क अनसार- मनोवचवकतसा सािवगक परकवत की समसयाओ क वलए उपचार का

एक परारप ह वजसम एक परवशवकषत वयवकत जान बझकर एक रोगी क सार पशिर सबि इस उददशय स

कायम करता ह वक उसम घनातमक वयवकतति ििथन तरा विकास हो वयिहार क विकत परारप क

मवदत ितथमान लकषणो को दर वकया जा सक या उसम पररमाथजन वकया जा सक

वकसकर क अनसार- मनोवचवकतसा म मनोिजञावनक विवियो स सिगातमक ि वयिहार

विकषोभो का उपचार वकया जाता ह य विविया विवभनन परकार की होती ह वजनम स कछ वयवकतयो

स समबवनित होती ह तरा कछ समहो स वकसकर की यह पररभाषा मखयतः वनमन विशष बातो पर

जोर दती ह

bull इसम सिगातमक एि वयिहार समबनिी विकषोभो स गरसत वयवकतयो का उपचार वकया जाता ह

bull मनोवचवकतसा विविया मखयतः मनोिजञावनक होती ह

bull मनोवचवकतसा विविया मखयतः दो परकार की होती ह - वयवकतगत एि सामवहक

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उततराखड मकत विशवविदयालय 208

रौिर क अनसार- मनोवचवकतसा मनोिजञावनक की एक सवनयोवजत विया होती ह वजसका

उददशय वयवकत की विनदगी म ऐसा पररिथतन लाना होता ह जो उसकी विनदगी को भीतर स अविक

खश तरा अविक सरचनातमक या दोनो ही बनाता ह

वनिजील िनथसिीन एि वमवलक (1991) क अनसार- मनोवचवकतसा म कम स कम दो

सहभागी होत ह वजसम स एक को मनोिजञावनक समसयाओ स वनबिन म विशष परवशकषण तरा

सविजञता परापत होती ह और उसम स समसया का अनभि करता ह और ि दोनो समसया को कम

करन क वलए एक विशष सबि कायम वकय होत ह मनोवचवकतसा सबि एक पोशक परनत

उददशयपणथ समबनि हाता ह वजसम मनोिजञावनक सिरप की कई विवियो का परयोग रोगी क िावछत

वयिहार म पररिथतन लान क वलए वकया जाता ह

इन पररभाषाओ का विशलषण करन स यह सपषट होता ह वक मनोवचवकतसा म रोगी तरा

वचवकतसक क बीच िाताथलाप होता ह वजसक माधयम स रोगी अपनी सािवगक समसयाओ एि

मानवसक वचनताओ की अवभवयवकत करता ह तरा वचवकतसक विशष सहानभवत सझाि एि सलाह

दकर रोगी म आतमविशवास तरा आतम सममान कायम करता ह वजसस रोगी की समसयाए िीर-िीर

समापत होती चली जाती ह और उसम िीक ढग स अपन िातािरण क सार समायोजन करन की

कषमता पनः विकवसत हो जाती ह

1332 मनोविवकतसा क सिरप-

मनोवचवकतसा म वनवहत सिरप को अविक सपषट करन क वलए वनमनावकत तीन मौवलक

तयो पर परकाश डाला जायगा

1) सहिोगी- मनोवचवकतसा म दो सहयोगी होत ह- पहला सहयोगी रोगी होता ह तरा दसरा

सहयोगी वचवकतसक होता ह रोगी िह वयवकत होता ह वजसम सािवगक या मानवसक कषबिता

इतनी अविक उतपनन हो जाती ह वक उस वकसी परवशवकषत वचवकतसक की मदद अपनी

समसयाओ क सामािान क वलए लना पड़ जाता ह रोगी म कषबिता की मातरा अविक भी हो

सकती ह या रोड़ी भी हो सकती ह मनोिजञावनक दवारा वकय गय शोिो स यह सपषट हआ ह वक

मनोवचवकतसा क वलए सबस उततम रोगी िह होता ह वजसम कछ विशष गण होत ह जस

मनोवचवकतसा स सबस अविक लाभ उन रोवगयो को होता ह जो अपन वयिहार म पररितथन

लान क वलए सािारण मातरा म वचनता वदखात हो तरा वचवकतसक को अपनी समसयाओ क बार

म सामानयतः जानकारी द सकत ह गरमन तरा राजीन न अपन अधययन स इस तय की पवषट

की ह

मनोवचवकतसा का दसरा सहयोगी वचवकतसक होता ह वचवकतसक िह वयवकत होता ह जो

अपन विशष परवशकषण तरा अनभि क कारण रोगी को अपनी समसयाओ स वनबिन म मदद करता

ह वचवकतसा क वलए यह आिशयक ह वक उसम विशष कौषल हो और िह विशष रप स परवशवकषत

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 209

हो तावक मनोरोगी की समसयाओ को समझ सक और तब उसक सार इस ढग स अनतःविया कर

सक वक मनोरोगी विर अपनी समसयाओ स िीक ढग स सामना कर सक परवसि मनोवचवकतसक

कालथ रोजसथ क अनसार एक उततम वचवकतसक म परानभवत परमावणकता तरा शतथहीन िनातमक

सममान दन की कषमता आिशयक होनी चावहए

2) विवकतसीि साबाध- मनोवचवकतसा का दसरा महतिपणथ पहल वचवकतसक तरा मनोरोगी क

बीच विकवसत विशष समबनि होता ह वजस वचवकतसीय समबनि कहा जाता ह वचवकतसीय

समबि एक ऐसा समबि होता ह वजनम वचवकतसक तरा रोगी दोनो ही यह जानत ह वक ि एक

विशष सरान पर कयो एकवतरत हए ह तरा उनकी अनतः वियाओ का वनयम तरा लकषय कया ह

वचवकतसक की यह कोवशश रहती ह वक िह रोगी क सार एक ऐसा सिसय समबनि बना सक

वक िह अराथत रोगी अपन वयिहार म पररितथन लान क वलए कािी उतसक रह कोरचीन क

अनसार वचवकतसीय समबनि म आषवकत तरा अनाषवकत या अलगाि का सतलन होना चावहए

3) मनोविवकतसा की परविवध- मनोवचवकतसा की कई पिवतया ह मनोवचवकतसा की परतयक

पिवत की अपनी-अपनी विशषताए ह मनोवचवकतसा की परविवियो म अनतर होन का मखय

कारण उनक पीछ वछप हए वयवकतति वसिानत तरा ि सार पररिथतन ह जो वचवकतसक रोगी म

उतपनन करना चाहता ह यदयवप मनोवचवकतसा क कई परकार ह विर भी कई परविविया ऐसी ह

जो उन सभी परकारो म सामानय ह इन परविवियो का सिरप मलतः मनोिजञावनक होता ह

मनोवचवकतसा क कछ ऐसी परविविया वनमनवलवखत ह

i) सझ उतपनन करना

ii) सािवगक अशावत को कम करना

iii) नयी सचना दना

iv) पररितथन क वलए उममीद एि विशवास विकवसत करना

सपषट हआ वक मनोवचवकतसा एक जविल परविया ह वजसम वचवकतसक रोगी की सािवगक

एि मनोिजञावनक समसयाओ का उततम वनदान हो पाता ह

134 मनोधचककतसा क उददशय एि महति आिवनक यग म मनषय न अपन बाहर क ससार क परवत अविक स अविक मातरा म जञान

अवजथत वकया ह उसन न किल प िी क भीतर वछप हए पराकवतक खजानो को ढढ वनकाला ह

बवलक अनतररकष तक भी अपनी पहच बना ली ह परनत वजतना धयान उसन बाहय जगत पर वदया ह

उतना अपन भीतर क ससार पर नही वदया अपन स बाहर की दवनया क बार म तो िह बहत कछ

जान गया ह परनत सिय क बार म िह कछ भी नही जानता ह िह यह तो जानता ह वक सौर मणडल

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 210

क परतयक गरह की दरी प िी स वकतनी ह लवकन उस यह नही मालम ह वक िह सिय अपन ही

आतम स वकतनी दरी पर ह

अपन सि स बढ़ती हई दरी मनषय की दवषचनता तरा उसस उतपनन होन िाली विवभनन

असमानयताओ का मल कारण ह रािा कमल मखजी क शबदो म आज का यग मलय विहीनता का

यग ह अतः आज क मानि को न तो अपना होश ह और न ही अपनी मवजल का िह वदशा क

अभाि म इिर-उिर भिक रहा ह

मनोवचवकतसा का सामानय उददशय रोगी क सिगातमक एि वयिहारातमक समसयाओ तरा

मानवसक तनाि को दर करक उसम सामयथ आतमबोि पयाथपतता पररपकिता एि अपन आसपास

क सामावजक िातािरण स समजसय सरावपत करन की कषमता आवद का विकास करना होता ह

मनोवचवकतसा क कछ विवशषट लकषय या उददशय वनमनावकत ह

1) तीवर भािो की अवभवयवकत करक सािवगक दबाि को कम करना- मनोवचवकतसा का एक उददशय रोगी क भीतर वछप भािो की अवभवयवकत करना होता ह इसक पीछ तकथ यह वछपा होता ह वक

जब रोगी अपन भीतर वछप परशानी उतपनन करनिाल भािो की अवभवयवकत करता ह तो इसस

उसका सािवगक दबाि कम हो जाता ह तरा रोगी की मानवसक बीमारी की गमभीरता बहत ही

कम हो जाती ह

2) रोगी दवारा सही कायथ करन की पररणा को मिबत करना- मनोवचवकतसा का कोई भी परकार हो मनोवचवकतसक हमशा यह कोवशश करत ह वक ि रोगी को सही कायथ करन की पररणा को तीवर

कर मनोवचवकतसक का यह एक सामानय उददशय ह जो बहत महतिपणथ ह रोगी अविक िाछनीय

ढग स वयिहार कर सक इसक वलए सझाि अननय सममोहक आवद जसी वचवकतसा का सहारा

वलया जाता ह

3) अिावछत एि अनवचत आदतो म पररिवतथत करना- मनोवचवकतसा का उददशय एक ऐसी

पररवसरवत को उतपनन करना होता ह वजसम रोगी क अिावछत अनवचत एि वयिहारगत सकि

उतपनन करन िाली आदतो का परवतसरापन नई िावछत आदतो स वकया जा सक इसक वलए

मनोवचवकतसक अनबिन एि सीखन क सामानय वनयमो का सहारा लत ह तरा ि ऐस िावछत

आदतो क बाद पनिथलन दकर उसको सीखलान की कोवशश करत ह

4) रोगी की सजञानातमक सरचना म पररमाथजन करना- मनोवचवकतसा का एक उददशय यह भी ह वक रोगी अपन बार म दसर वयवकतयो क बार म तरा िातािरण क अनय िसतओ एि घिनाओ

आवद क बार म पणथतः अिगत हो तरा इस सजञानातमक सरचना म वयापत असगवत को पहचान

तरा उस आिशयकतानसार पररिवतथत कर कयोवक इस तरह की असगतता स वयवकत की सामानय

अििारणा हो जाती ह और िह मानवसक रोग का वशकार हो जाता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 211

5) रोगी क जञान को तरा परभािी वनणथयो को लन की कषमता म िवि करना- मनोवचवकतसा का उददशय रोगी क ितथमान जञान को इस योगय बना दना होता ह वक िह अपनी वजनदगी म परभािी

वनणथय ल सक उस विवभनन अिसरो क बार म पयाथपत जञान वदया जाता ह तरा परतयक विकलप

क पकष विपकष म तय उनक सामन रखा जाता ह तरा विर उनह ऐसी पररवसरवतयो का सामना

कराक ऐसी कषमता िीर-िीर विकवसत की जाती ह वक ि अपन जीिन क सभी महतिपणथ वनणथय

को लन म सकषम हो सक

6) रोगी म आतमजञान या सझ म िवि करना- मनोवचवकतसा का उददशय रोगी म पयाथपत सझ

विकवसत करना होता ह वजसस िह यह समझ सक वक िह वकस तरह वयिहार करता ह तरा

कयो करता ह ऐसा करन क वलए मनविवकतसक अचतन म वछप इचछाओ को चतन म लात ह

जब रोगी अपन अचतन की अवभपररणाओ एि इचछाओ को चतन म लाकर उस समझन की

कोवशश करता ह तो उसस उसम आतम जञान या सझ उतपनन होता ह और रोगी की कसमायोजी

वयिहार की गमभीरता म कमी होन लगती ह

7) अनतथियवकतक सबिो पर बल वदया जाना- मनोवचवकतसा का एक उददशय यह भी सपषट करना होता ह वक वकस तरह स रोगी का वयिहार उसक वचनतन स परभावित होता ह और उसका

वयिहार वकस तरह स वचनतन क विवभनन पहलओ पर वनभथर करता ह इसम रोगी तरा अनय

लोगो क बीच हए सचार पर पयाथपत बल वदया जाता ह वजसस अनतियवकतक समबनि को

अविक सनतोषजनक बनया जा सक

8) रोगी क सामावजक िातािरण म पररितथन उतपनन करना- मनोवचवकतसा का परारप चाह वकसी भी परकार का हो इसका एक उददशय रोगी क सामावजक िातािरण म पररितथन लाना होता ह

वकसी भी रोगी का िासतविक भला तो तभी होता ह जब िह अपन वदन-परवतवदन की विनदगी म

िीक ढग स सामायोजन कर सक यदयवप रोगी का सामावजक िातािरण वजसम िह दसरो स

परभावित होता ह मनोवचवकतसा क वनयनतरण स बाहर होता ह विर भी कोवशश इस बात की की

जाती ह वक रोगी क सामावजक िातािरण क एजनिो को इस ढग स परभावित वकया जाय वजसस

उसम पयाथपत पररितथन आ जाय और रोगी का सामावजक जीिन सखमय हो सक

9) रोगी क शारीररक परवियाओ म पररितथन लाना वजसस उसक ददथनाक अनभवतयो को कम वकया

जा सक तरा शारीररक चतना म िवि की जा सक- मनोवचवकतसा म यह एक पिथ कलपना

रहती ह वक मन तरा शरीर दोनो ही एक दसर को परभावित करत ह मनोवचवकतसा का मत ह वक

रोगी क शारीररक दखो को कम करक तरा उसम शारीररक चतना म िवि करक मनोवचवकतसा

की पररवसरवत क वलए उनह अविक उपयोगी बनाया जा सकता ह यही कारण ह वक कछ

मनोवचवकतसा जस वयिहार वचवकतसा म परवशकषण दकर उनक तनाि एि वचनता को दर वकया

जाता ह और इस परवत अनबनि क वलए आिशयक भी माना जाता ह उसी तरह रोगी क

शारीररक चतना म िवि करन क वलए विवभनन तरह क वयायामो जो भारतीय योग क वनयमो पर

आिाररत होत ह का सहारा वलया जाता ह

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10) 135 मनोचिकितसा ि सामानय िरण-

1) पारसपररक विशवास तरा सौहादथ की सरापना- पररम चरण म मनविवकतसक तरा समबवनित रोगी क मधय वनःसकोच आदान-परदान क मागथ को परषसतर करन क वलए पारसपररक विशवास क

पयाथिरण ि सौहादथ की सरापना की अतयाविक महतिपणथ भवमका होती ह कयोवक ऐस सदभाि

क पररिश म ही तनािो ि अनतिथनिो को मनोवचवकतसक क सममख परसतत करन क वलए

अवभपरररत होता ह इसक वलए सिथपररम आिशयकता एक ऐस शानत कमर की होती ह जहा

रोगी क सार साकषातकार अरिा विचार विमशथ वकया जा सक वचवकतसक एक ऐसी मतरीपणथ

और सिीकायाथतमक अवभिवतत अपनाता ह जो रोगी म विशवास सरावपत करन म सहायक वसि

हो सक और रोगी खल वदल स अपनी िासतविक समसयाओ को बतात समय सरकषा का

अनभि कर

2) रोगी दवारा सघषथपणथ तनािो की मकत अवभवयवकत- दसर चरण म रोगी अपनी तीवर सघषो क तनािो को वनःसकोच भाि स मनोवचवकतसक क सामन अवभवयवकत करता ह मनोवचवकतसक

भी बहत धयान स उसक परतयक भािपणथ अवभवयवकत म अपनी गहन अवभरवच परदवशथत करता ह

और उस इस समबनि म अविक स अविक अपन वयवकतगत ि एक परकार स मनोवचवकतसक

रोगी दवारा कही गई छोिी स छोिी बात म एक परकार की सारथकता क होन का सकत भी दत हए

होता ह वजसस रोगी भी अपनी परतयक बात वनभथय होकर कहन क वलए सिभाविकतः

अवभपरररत होता रहता ह

3) िासतविक समसया क परवत अनतथदवषट का विकास- इस चरण म रोगी क समसयापणथ वयिहार अरिा अपसमायोजन क समबनि म तरा रोगी दवारा परसतत भािपणथ िाताथलाप क पररपरकषय म

मनोवचवकतसक आिशयक अनतथरवषट विकवसत करता ह रोगी भी इस विषय म मनोवचवकतसक

को अपनी िासतविक समसया को बतान म उसकी सहायता करता ह परनत इस समबनि म

िासतविक वनणथय मनोवचवकतसक का ही होता ह इस परकम म रोगी को भी पयाथपत आतमबोि

का अिसर वमलता ह और िह अपन वयिहार की नयनताओ अकशलताओ अयोगयताओ

अकषमताओ ि वमया आकाकषाओ तरा उलझनो को भी लगभग वनरपकष रप म समझन लगता

4) वयवकतति पररितथन- जस ही रोगी अपन दवारा अपनाय जान िाल दोषपणथ ढगो क बार म अतदथवषट परापत कर लता ह िस ही िह इस योगय हो जाता ह वक अपन वयिहार म िाछनीय

पररितथन ल आय और अविक उपयकत समायोजी उपायो को अपनाय हो सकता ह वक यह

पररितथन बहत छोि हो या इतन बड़ हो वक रोगी को अपनी िारणाओ आदतो सामावजक

भवमकाओ और वयिहार क अनय पकषो को परी तरह स बदलना पड़ कछ वसरवतयो म वकसी

दोषपणथ आदत की जगह सही आदत डालन म रोगी की सहायता की जाती ह अनय वसरवतयो

म उसकी िारणाओ अरिा परवतविया परारपो म महतिपणथ पररितथन करन म उसकी सहायता

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की जाती ह वयवकतति पररितथन की परी परविया मलतः नयी बातो को सीखन पर कवनरत रहती

ह और इस सिगातमक पनः वशकषण कहा जाता ह

5) समापन- जब रोगी अपन िनिो पर काब पा लता ह और अपनी समसयाओ क समािान की

ओर कािी कछ अगरसर हो जाता ह तब वचवकतसा क समापन का समय आ जाता ह िस तो

यह कोई अविक कविन चरण नही ह कयोवक सिय रोगी को विशवास होता ह वक अब िह

सितनतर रप स आग बढ़ सकता ह विर भी यह आिशयक ह वक रोगी क वलए कलीवनक क दवार

सदि खल रख जाय और जब भी उस आिशयकता पड़ िह मनोवचवकतसक क पास चला

आय

136 साराश मनोवचवकतसा का उददशय पयाथपत वयवकतति समायोजन परापत करन म रोगी की सहायता करना ह अतः

इसम विवभनन अशो तक वयवकतति पररितथन अरिा वयवकतति पनः सरचना करनी पड़ती ह वकस

रोगी क वलए कौन सी परविवि अपनाई जाय यह इस बात पर वनभथर करता ह वक रोगी की

आिशयकताए कया ह उसक पास सािन वकतन ह और रोगी को वकतनी वचवकतसीय सवििाए

उपलबि ह मनोवचवकतसा क कछ लकषय या उददशय होत ह जस- तीवर भािो की अवभवयवकत करक

सािवगक दबाि को कम करना रागी दवारा सही कायथ करन की पररणा को उतपनन करना अिावछत

एि अनवचत आदतो को पररिवतथत करना रोगी की सजञानातमक सरचना म पररमाथजन करना रोगी क

आतमजञान तरा सझ म िवि करना रोगी क सामावजक िातािरण म पररितथन करना अनतथियवकतक

सबिो पर बल वदया जाना आवद मनोवचवकतसा का परमख लकषय ह विविि वसिानतो पर आिाररत

अनक मनोवचवकतसाओ की विचारिाराओ तरा परविवियो म वभननता पायी जाती ह विर भी

आरमभ स लकर अनत तक कछ ऐसी अिसराए तरा चरण ह जो सभी मनोवचवकतसाओ म समान

रप स पाय जात ह जस- पारसपररक विशवास तरा सौहादथ की सरापना रोगी दवारा सघषथपणथ तनािो

की मकत अवभवयवकत िासतविक समसया क परवत अतदथवषट का विकास वयवकतति पररितथन सौहादथपणथ

समापन आवद

137 शबदािली bull मनोविवकतसा मानवसक रप स असिसर एि सािवगक रप स विकषबि वयवकतयो की

मनोिजञावनक विवियो स उपचार करना मनोवचवकतसा कहलाता ह

bull अतदथवषट वयवकत क सिय क बार म आतमजञान या आतमबोि

bull साािवगक दबाि रोगी क भीतर वछप हए भाि को सािवगक दबाि कहत ह

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bull साजञानातमक सारिना रोगी का अपन बार म दसर वयवकतयो क बार म तरा िातािरण क अनय

िसतओ एि घिनाओ क बार म जानकारी सोच एि विचार ही उसका सजञानातमक सरचना

होता ह

bull अनिििविक साबनध वयवकत का अपन सामावजक िातािरण म उपवसरत अनय लोगो क सार

वयिहार

bull मनःसनािविकवि यह सजञानातमक सिगातमक ि वयिहारातमकता स सबवनित मानवसक

विकवतयो का एक सािारण परकार ह दसर शबदो म रोगी मानवसक रप स तो असिसय रहता ह

लवकन उस आसपास क िातािरण आवद क बार म पणथ जञान होता ह

138 सिमलयाकन हि परशन 1) मनोवचवकतसा क परमख उददशय कौन-कौन स ह

2) मनोवचवकतसा क सामानय चरण कौन-कौन स ह

उततर 1) मनोवचवकतसा क परमखय उददशय वनमन ह

bull तीवरभािो की अवभवयवकत करक सािवगक दबाि को कम करना

bull रोगी दवारा सही कायथ करन की पररणा को मजबत करना

bull अिावछत एि अनवचत आदतो को पररिवतथत करना

bull रोगी की सजञानातमक सरचना म पररमाजथन करना

bull रोगी म आतमजञान या सझ म िवि करना

2) मनोवचवकतसा क सामानय चरण -

bull पारसपररक विशवास तरा सौहादथ की सरापना करना

bull रोगी दवारा सघषथपणथ तनािो की मकत अवभवयवकत

bull िासतविक समसया क परवत अतदथवषट का विकास

bull वयवकतति पररितथन समापन

139 सनदभथ गरनर सची bull Coleman JC (1976) Abnormal Psychology and Modern life

(Taraporevala)

bull Davison GC amp Neal JM (1986) Abnormal Psychology An experimental

clinical Approach John Wiley amp Sons Newyork

bull Miller MC Psychoanalysis and Its Derivatives

bull Mac Donal Ladell Tessus P20

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 215

bull Page- Abnormal Psychology P46

bull Symonds- The dynamics of Human Adjustment

bull अरण कमार वसह (2001 2009) आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसीदास

नई वदलली

bull एच0क0 कवपल (2001) अपसामानय मनोविजञान आगराः भागथि बक हाउस कचहरी घाि

आगरा

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ0 गोविनद वतिारी- असामानय मनोविजञान (2001) असामानय मनोविजञान

आगरा विनोद पसतक मवनदर आगरा

bull मखीजा एि मखीजा (1980 2009) अपसामानय मनोविजञान आगराः लकषमी नारायण

अगरिाल हासपीिल रोड आगरा

1310 तनबनिातमक परशन 1 मनोवचवकतसा को पररभावषत करत हए इसक उददशयो का िणथन कीवजए 2 मनोवचवकतसा क महति एि परकवत का विसतारपिथक िणथन कीवजए 3 मनोवचवकतसा क अरथ को सपषट करत हए इसक परमख चरणो का विसतार स िणथन कीवजए

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इकाई-14 तनदशातमक एि अतनदशातमक मनोधचककतसा 141 परसतािना

142 उददशय

143 वनदशातमक एि अवनदशातमक मनोवचवकतसा

144 मनोवचवकतसा की परविविया

145 मनोविशलषणिादी वचवकतसा

146 फरायड दवारा परवतपावदत मनोविशलषण वचवकतसा क परमख चरण

147 सममोहन वचवकतसा

148 सममोहनातमक वयिहार

149 वयिहार वचवकतसा

1410 अवनदशातमक या रोगी कवनरत मनोवचवकतसा

1411 साराश

1412 शबदािली

1413 सिमलयाकन हत परशन

1414 सनदभथ गरनर सची

1415 वनबनिातमक परशन

141 परसिािना इस इकाई क अधययन क पिथ आप विवभनन परकार क मानवसक विकारो क बार म

जानकारी परापत कर चक होग अब परशन यह उिता ह वक उकत मानवसक विकारो क समािान हत वकस

परकार की मनोवचवकतसा की आिशयकता होती ह

सामानयतः वकसी मानवसक रोगी क वलए कौन सी वचवकतसा की परविवि अपनाई जाए यह

इस बात पर वनभथर करता ह वक मानवसक रोगी की आिशयकताए कया ह उसक पास सािन वकतन

ह और रोगी को वकतनी वचवकतसीय सवििाय उपलबि ह

इस इकाई क अधययन क उपरानत आप विवभनन परकार क मनोवचवकतसा परविवियो क बार

म जानकारी परापत कर सक ग और यह भी जान पायग वक इन परविवियो का उपयोग वकन-वकन

मानवसक रोगो को दर करन क वलए वकया जाता ह तरा उसम वकन-वकन चरणो का परयोग होता ह

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142 उददशय परसतत इकाई क अधययन क उपरानत आप जान सक ग वक -

bull मनोवचवकतसा क कौन-कौन स परकार होत ह

bull मनोवचवकतसा की कौन सी परविवि वकस परकार क मानवसक रोग को दर करन क वलए उपयोग म

लायी जाती ह

bull मनोवचवकतसा की विवभनन परविवियो का रोगी क वलए कया महति ह

bull वनदशातमक एि अवनदशातमक वचवकतसा कया ह

bull मनोवचवकतसा विवियो का परयोग कस वकया जाता ह

143 तनदशातमक एि अतनदशातमक मनोधचककतसा वकसी भी मनोवचवकतसा को सिल बनान म वकतना उततरदावयति वचवकतसक का होना

चावहए और वकतना सिय रोगी का इस विषय पर मनोवचवकतसको क बीच मतविवभननता ह

वनदशातमक मनोवचवकतसा म वचवकतसक अविक सविय भवमका वनभाता ह िह रोगी क अचतन म

दवमत सिगातमक मनोगरवनरयो को पता लगान म सिय पहल करता ह और वयवकतति पररितथन क

वलए िनातमक वियाए करन क वलए रोगी को परोतसावहत करता ह

अवनदशातमक (Non Directive) वचवकतसा म वचवकतसक अपकषाकत कम सविय रहता

ह और वचवकतसा की सिलता म रोगी की सविय भवमका महतिपणथ होती ह इस परकार की पिवत

का परवतपादन कालथ रोजसथ न 1942 म वकया रा

वचवकतसक रोगी को एक ऐसा वमतरतापणथ तरा अनजञातमक िातािरण परदान करता ह

वजसस रोगी सिय को सरवकषत और सिीकत अनभि करत हए अपन आनतररक विचारो और

भािनाओ को वकसी वननदा अरिा परवतकार क भय क वबना वयकत कर सकता ह मनोवचवकतसक

रोगी क अचतन म वछपी हई भािनाओ एि अवभिवकतयो का सकषम परीकषण और वयाखया करन क

बजाए रोगी की किल इतनी सहायता करन का परयास करता ह वक िह वचवकतसा वसरवत म अपनी

समसयाओ क बार म सिय समझ सक इन भािनाओ क सपषटीकरण क वलए मनोवचवकतसक

वयाखया क सरान पर परवतवबमब (Reflection) परसतत करन स काम लता ह

सामानयतः अवनदशातमक वचवकतसा ऐस रोवगयो क वलए अतयविक परभािशाली वसि

होती ह वजनका वयवकतति अपकषाकत अविक वसरर होता ह वकनत कछ विवशषट तातकावलक

समसयाओ का सामना करन म कविनाई का अनभि कर रह होत ह इसक विपरीत मानवसक रप स

अविक गमभीर रोवगयो क वलए वनदशातमक मनोवचवकतसा (Directive Psychotherapy)

सिाथविक उपयकत एि परभािशाली होता ह

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144 मनोधचककतसा की परविधिया मानवसक रोगो को दर करन क वलए मनोिजञावनको न अनक परविवियो का आविषकार वकय

ह पहल इस परकार की विविया दाशथवनक होती री परनत आज िजञावनक हो गई ह इसका अरथ यह

नही ह वक आज पराचीन विवियो का मनोवचवकतसा म कोई महति नही ह िासतविक तय यह ह वक

आज भी हम अनक पराचीन विवियो का उपयोग करत ह मनोवचवकतसा क अनक परकार की विवियो

का विकास मानवसक रोगो एि समसयाओ को दर करन क वलए हआ ह वजसका मनोिजञावनको न

अपन-अपन तरीको स िणथन वकया ह

वकसकर क अनसारः-

(अ) सहायक मनोवचवकतसा (Supportive Psychotherapy)

(ब) पनवशकषातमक मनोवचवकतसा (Re-educative Psychotherapy)

(स) पनरथचनातमक मनोवचवकतसा (Re-constractive Psychotherapy)

सामानय िगीकरण (General Classification)-

(अ) मनोवचवकतसा की पराचीन परविविया-

bull सममोहन (Hyponotism)

bull ससचन (Suggestion)

bull परतयायन (Persuation)

(ब) मनोवचवकतसा की निीन परविविया-

bull मनोविशलषण वचवकतसा

bull वयिसावयक वचवकतसा

bull अवनदशातमक या रोगी कवनरत वचवकतसा

bull वनदशातमक वचवकतसा

bull सामवहक वचवकतसा

bull अवसतििादी मनोवचवकतसा

bull मनोजविक वचवकतसा

bull आघात वचवकतसा

bull मनोनािक

bull मनःशलय वचवकतसा

bull अनय वचवकतसा

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उततराखड मकत विशवविदयालय 219

नोरिास परोचासका एि गालाघर (Norcross Prochaska amp Gallagher 1989) न

एक सि वकया वजसम उनहोन मनोवचवकतसा क विवभनन परारपो क परवत करीब 579 नदावनक

मनोिजञावनको की अपनी उनमखता का विशलषण वकया वजस नीच वदय गय वचतर म परसतत वकया गया

मनोवचवकतसा क विवभनन परकारो क परवत मनोवचवकतसको की उनमखता

वचतर स सपषट ह वक करीब 21 परवतशत नदावनक मनोिजञावनक मनोगतयातमक वचवकतसा

(Psychodynamics) 16 परवतशत मनौिजञावनक वयिहार वचवकतसा (Behavioural) 13 परवतशत

मनोिजञावनक सजञानातमक वचवकतसा 12 परवतशत मानितािादी अनभािातमक वचवकतसा 9

परवतशत अनय वचवकतसा तरा 29 परवतशत मनोिजञावनक गरहणशील या सकवलत (Electic) उपागम

अराथत कई वचवकतसीय पिवत को एक सार वमलाकर एक नया दवषटकोण अपनात हए रोवगयो का

उपचार करत ह

145 मनोविशलषणिादी धचककतसा मनोवचवकतसा क इवतहास म फरायड पहल ऐस मनोिजञावनक र वजनहोन मानवसक विकवतयो

स गरवसत लोगो क उपचार म मनोिजञावनक विवियो का िजञावनक परयोग वकया मनोविशलषण

वचवकतसा वनदशक मनोवचवकतसा का एक मखय परकार ह इसक अनतगथत वयवकत क अचतन म

दवमत अनतिथनिो ि मानवसक विषमजालो को मकत साहचयथ सिपन विशलषण तरा कभी-कभी

दवनक जीिन की तरवियो ि विसमवतयो क सकतो क आिर पर भी उपचार वकया जाता ह इस

वचवकतसा परविवि की आिारभत अििारणा यह ह वक जब एक रोगी क रोग स समबवनित दवमत

अनतिथनि मनोविशलषण दवारा उसक अचतन सतर स चतन सतर पर आ जात ह तब वयवकत क अचतन

म उनक दवारा जवनत सिगातमक तनाि भी एक दम कम होन लगता ह और उसक पिात उसस

समबवनित रोग क समसत लकषण भी परायः सितः ही समापत होन लगत ह परनत वयािहाररकतः

Humanistic 12

Cognitive 13

Behavioural 16

Psychodynamic

21

Electic 29

Other 9

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 220

समबवनित वयवकत का सिल मनोविशलषण कर पाना भी अवत महतिपणथ होन क सार-सार अपन म

एक जविल समसया ह

146 फरायड दिारा परतिपाहदि मनोविशलषण धचककतसा क परमख चरण 1) सििनतर साहििय की अिसथा (Stage of free Association)- फरायड की वचवकतसा

परणाली की सबस पहली अिसरा सिततर साहचयथ की होती ह रोगी को एक मनद परकाश यकत

ककष या कमर म एक आरामदह एि गददीदार कोच पर वलिा वदया जाता ह तरा वचवकतसक

का आसन रोगी क वसर की तरि इस ढग स रखा जाता ह वक मनोवचवकतसक रोगी क दवारा मकत

िाताथलाप क परकष म उिन िाली समसत छोिी ि बड़ी सिगातमक परवतवियाओ क सिरपो को

सरलतापिथक दख सकता ह परनत रोगी मनोवचवकतसक को दखन की वसरवत म न हो

वचवकतसक रोगी स कछ दर तक सामानय ढग स बातचीत कर एक सौहादथपणथ िातािरण

सरावपत कर लता ह और रोगी स यह अनरोि करता ह वक उसक मन म जो कछ भी आता

जाए उस वबना वकसी सकोच क कहता जाय चाह िह विचार सारथक हो या वनररथक हो नवतक

हो या अनवतक हो रोगी क बातो को वचवकतसक धयान पिथक सनता ह और यवद कही रोगी को

वहचवकचाहि आवद होती ह तब वचवकतसक उसकी सहायता करत ह इस परविवि को सितनतर

साहचयथ की विवि कहा जाता ह वजसका उददशय रोगी क अचतन म वछप अनभिो मनोलवगक

इचछाओ एि मानवसक सघषो को करदकर अचतन सतर पर लाना होता ह

2) परविरोध की अिसथा- परवतरोि की अिसरा सितनतर साहचयथ की अिसरा क बाद उतपनन

होती ह रोगी जब अपन मन म आन िाल वकसी भी तरह क विचारो को कहकर विशलषक को

सनाता ह तो इसी परविया म एक ऐसी अिसरा आ जाती ह जहा िह अपन मन क विचारो को

वयकत नही करना चाहता ह और िह या तो अचानक चप हो जाता ह या कछ बनाििी बात

जानबझकर करन लगता ह इस अिसरा को परवतरोि की अिसरा कहा जाता ह परवतरोि की

अिसरा तब उतपनन होती ह जब रोगी क मन म शमथनाक एि वचनता उतपनन करन िाली बात

आ जाती ह वजस िह वचवकतसक को नही बताना चाहता ह िलसिरप िह चप या शानत हो

जाता ह या उसकी जगह पर िह कछ दसरी बनाििी बात करन लगता ह वचवकतसक इस

परवतरोि की अिसरा को समापत करन का परयास करता ह तावक उसक उपचार म परगवत हो सक

परवतरोि को समापत करन क वलए वचवकतसक सझाि सममोहन वलखकर विचार वयकत करन

पवनिग वचतराकन आवद का सहारा लता ह िह रोगी स घवनषठ सबि सरावपत कर उसका

विशवासपातर बनता ह तावक परवतरोि की इचछाओ की अवभवयवकत आसानी स हो सक

3) साकरमण (Transference)- मनोविशलषण वचवकतसा म परवतरोि क सार ही दसरी कविनाई

सिमण की होती ह सिमण का अरथ ह रोगी क सिगो आवद का वचवकतसक पर चला जाना

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 221

अराथत रोगी अपन सिगो का सिाभाविक पातर वचवकतसक को मान लता ह जस जस वचवकतसा

म परगवत होती ह िस िस ही सिमणो का भी विकास होन लगता ह तरा रोगी क वलए

मनोविशलषक ही उसक परम घणा िोि आवद भािो का पातर बन जाता ह सिमण स

वचवकतसक को कािी परशानी उिानी पड़ती ह यह सिमण िनातमक तरा ऋणातमक दोनो

परकार का होता ह िनातमक सिमण म रोगी क सिग वचवकतसक क परवत परम क होत ह जबवक

ऋणातमक सिमण म रोगी वचवकतसक स घणा करता ह सिमण स बचाि क वलए

वचवकतसको को अनभिी होना आिशयक होता ह कयोवक कभी-कभी मवहला रोगी अपनी काम

परिवतत का मौवलक पातर वचवकतसक को समझन लगती ह तरा उसस परम करन लगती ह इस

परकार िह अपनी काम समबनिी मौवलक भािनाओ को सरानानतररत कर दती ह वचवकतसक

को इस वसरवत का लाभ तो उिाना चावहए परनत सिय को इस वसरवत म नही डालना चावहए

4) सिपनविशलषण की अिसथा- रोगी क अचतन म दवमत पररणाओ बालयािसरा की

मनोिजञावनक इचछाए एि मानवसक सघषो को चतन सतर पर लान क वलए विशलषक रोगी क

सिपन का अधययन एि उसका विशलषण करता ह फरायड क अनसार सिपन का समबनि अचतन

की दवमत इचछाए होती ह कयोवक दवमत इचछाओ का अचतन म अवसतति समापत नही होता

बवलक ि बाहर वनकलन क अिसर खोजती रहती ह तरा मौका आन पर तवपत चाहती ह तरा

सिपन उसकी तवपत का सािन होता ह इस परकार सिपन दवमत इचछाओ की पवतथ ह इसी कारण

फरायड क वसिानतो को इचछापवतथ का वसिानत भी कहा जाता ह रोवगयो क सिपनो क अनसार

सिपनो का विशलषण करक वचवकतसक उसक अचतन क सघषो एि वचनताओ क बार म जान

पात ह रोगी क सिपनो क अवयकत विषयो क अरो का विशलषण करक वचवकतसक उनह

समझता ह वजसस रोगी को अपन मानवसक सघषथ एि सिगातमक कविनाई क िासतविक कारण

को समझन म सहायता वमलती ह

5) समापन की अिसथा- वचवकतसा क अनत म वचवकतसक क सिल परयास क िलसिरप रोगी

को अपन सिगातमक कविनाई एि मानवसक सघषो क अचतन म वछप कारणो का अहसास

हाता ह वजसस रोगी म सझ का विकास होता ह रोगी म सझ का विकास हो जान स उसक

आतम परतयकषण तरा तरा सामावजक परतयकषण म पररिथतन आ जाता ह इसस रोगी की

मनोिवतत विशवास एि मलयो म िनातमक पररितथन आता ह तरा िह अपन वयवकतगत पररणाओ

को सही सनदभथ म समझन लगता ह रोगी म सझ का विकास हो जान स वचवकतसक रोगी स

िीर-िीर समबनि विचछद करन का परयास करता ह

147 सममोहन धचककतसा यह वचवकतसा परविवि पराचीन वमशर की जावतयो और अनय कई जावतयो म बहत पहल स

परचवलत रा वकनत इसका मनोवचवकतसा म आिवनक उपयोग मसमर न आरमभ वकया सममोहन एक

अतयविक ससचय अिसरा ह जो एक सहयोगशील परयोजय म एक कशल वचवकतसक दवारा उतपनन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 222

की जा सकती ह सममोहन अिसरा म परयोजय किल उसकी िासतविक अरिा परवतकातमक वसरवत

पर धयान कवनरत करता ह वजसक वलए वचवकतसक उस वनदश दता ह

148 सममोहनातमक वयिहार सममोहन क परभाि दवारा अनक रोचक वयिहार उतपनन वकय जो सकत ह

1) िली हई समवििो का पनः समरण- सममोहन दवारा गत जीिन क उन अवभघात पणथ अनभिो

को विर स चतन सतर पर लाया जा सकता ह वजनह रोगी न वकसी कारण िश दवमत कर वदया

रा बालयािसरा और वकशोरािसरा क विवभनन अवभघातपणथ अनभिो को पनः जागरत करक

रोवगयो क विकत पयाथिरण समबनिी अवभिवततयो अरिा आतम समबनिी अवभिवततयो को

सशोवित वकया जा सकता ह

2) आि परविगमन- रोगी को सममोवहत करक यह सझाि या ससचन वदया जाता ह वक िह विर स

5 िषथ का बालक बन गया ह अब िह पाच िषथ क बालक क समान काम करगा बोलगा

सोचगा इस परकार परवतगमन करत हए रोगी की वलखािि बचकानी हो जाती ह आय परवतगमन

का उपयोग करत हए रोगी को उस समय स पहल िाली वसरवत म पहचा वदया जाता ह वजस

समय उसक लकषण पहली बार उतपनन हए र इस परकार उन विवशषट घिनाओ का याद वकया

जा सकता ह वजनक कारण लकषणो को अिकषपण हआ रा इस परकार आय परवतगमन का

परयोग दवमत अवभघातो को जञात करक उनस समबवनित लकषणो को दर करन म वकया जाता ह

3) सिपन उपपादन (Dream Induction)- सममोहन दवारा रोगी म सममोहन तनरा अरिा बाद

म सामानय जागरत अिसरा म सिपन उतपनन कराय जा सकत ह इस परकार क सिपन अरिा

विभरम रोगी क दवमत अनतिथनदो को वयकत करन म कािी सहायक वसि होत ह और रोगी म

सिगातमक अवभघात क परवत परभाि गरहणशीलता को समापत कर दत ह

4) सममोहनोततर सासिन (Post-hypnotic suggestion)- मनोवचवकतसा क वलए सममोहन

परविवियो म सबस अविक परयकत होन िाली विवि सममोहनोततर ससचन ह इसक अनतगथत

सममोहन तनरा म वदय गय ससचनो को रागी जागरतािसरा म परा करता ह ऐसा करत समय

रोगी को इसका कारण जञात नही होता उदाहरण क वलए सममोहन तनरा म रोगी को यह ससचन

वदया जाता ह वक जागन क बाद िह हकलाना बनद कर दगा या वसगरि नही वपयगा यवद इस

परविवि को सचार रप स चलाया जाय तो सममोहन ससचन जागरतािसरा म बहत दर तक

परभािशाली बन रहत ह वकनत परायः इनकी अिवि बहत कम होती ह यवद ससचन का

पनथबलन (Reinforcement) वकया जाय तो िह विर स हकलाना या वसगरि पीना शर कर

दगा

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उततराखड मकत विशवविदयालय 223

149 वयिहार धचककतसा सिथपररम 1953 म वलणडसलय सकीनर तरा सोलोमोन दवारा परकावशत एक शोि पतर म

वयिहार वचवकतसा पद का उपयोग वकया गया विवभनन अविगम वसिानतो विशष रप स अनकलन

वसिानत दवारा परवतपावदत वनयमो का उपयोग मानवसक रोगो क उपचार म वकया जान लगा वयिहार

वचवकतसा क बदल म कभी-कभी वयिहार पररमाजथन पद का भी उपयोग वकया जाता ह वयिहार

वचवकतसा मनोवचवकतसा की एक ऐसी परविवि ह वजसम मानवसक रोगी का उपचार कछ ऐसी

विवियो स वकया जाता ह वजसका आिार अनबनिन क कषतर म विशषकर पिलि तरा सकीनर दवारा

तरा सजञानातमक सीखन क कषतर म वकय गय परमख वसिानत या वनयम होत ह वयिहार वचवकतसा क

पीछ परमख िारणा यह ह वक अतीत म सीखी गयी कसमयोवजत वियाओ को सशोवित अरिा

विसमत वकया जा सकता ह इस वचवकतसा परणाली म ऐस उदवीपन चरो म हरिर या पररितथन वकया

जाता ह जो विशष परकार क वयिहार समबनिी पररितथन उतपनन कर सकत ह वयिहार वचवकतसा इस

अििारणा पर आिाररत ह वक कसमायोजी वयिहार क दो परमख कारण होत ह

bull दोषपणय अनकवलि परविवकरिाए (Deficient conditioned reaction)-

वयवकत आिशयक समायोजी अनवियाओ को अवजथत करन म असिल रहता ह इसक

अनक कारण हो सकत ह जस दोषपणथ अनकलन सही अनकलन क अिसरो का अभाि आवद

bull अवधशष अनकलन परविवकरिाए-

यह भी सभि हो सकता ह वक रोगी न कछ विषम पररवसरवतयो म कछ कसमयोजी दविता

परवतवियाए सीख ली ह अब य परवतवियाए इतनी सामानयीकत हो चकी ह वक वयवकत िासतविक

पररवसरवतयो म भी दविवतत रहता ह

एक तरि मनोविशलषणिादी वचवकतसक यह परयास करता ह वक लकषणो क पीछ वछप हए

गवतक कारणो की खोज कर और उनह परी तरह स समापत कर इसक विपरीत वयिहारिादी

वचवकतसक रोगी क लकषणो को ही मखय समसया मानता ह

वयिहार वचवकतसा का मखय उददशय ऐसी समायोजी अनकवलत अनवियाय उतपनन करता ह

जो रोगी की कसमयोगी अनवियाओ का सरान ल सक

वयिहार वचवकतसा की परमख परविविया वनमनित ह

bull सरल कलावसकी अनकलन

bull उदवीपन परसत अनकलन

bull विया परसत अनकलन

bull अपिती अनकलन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 224

bull पारसपररक अनतबाथिा

1) सरल कलावसकी अनकलन (Simple Classical Conditioning)- यह एक परकार का

परवतसमबिन परविवि पर आिाररत ह इस परकार की परविवि का मल आिार यह ह वक विकवत

वयिहार स समबवनित उदीपक एक विशष सि या उदीपक वसरवत क सार अनबवनित हो जात

ह वजनह अगर उनही अनवियाओ क सार अनबवनित कर वदया जाय तो रोगी िीक हो सकता

ह उदाहरण क वलए इसका उपयोग असयत मतरता क उपचार म इस परकार वकया जाता ह इसम

एक ऐस विदयत उपकरण का उपयोग वकया जाता ह वक जस ही सोय हए बालक म मतर तयागन

की परविया आरमभ होती ह िस ही घणिो बजन लगती ह पनरािवतत का पररणाम यह होता ह

वक जस ही मतराशय म िलाि की सिदना उतपनन होती ह िस ही बालक जाग जाता ह यह

परविया वनमनित होती ह

उरदीपन परसि अनकलन (Respondent Conditioning)- िोलप (1950) न दवषचनता

अनविया को समापत करन क वलए उददीपन परसत अनकलन क वनयमो का उपयोग वकया इस परविवि

को सालिर तरा ओलप न वयिवसरत असिदीकरण कहा ह इस विवि का उपयोग तब वकया जाता

ह जब रोगी म पररवसरवत क परवत अचछी तरह स अनविया करन की कषमता होती ह परनत िह ऐस

नही करक उसस डरकर या वचवनतत होकर अनविया करता ह इस परविवि क अनतगथत वचवकतसक

ऐसी पररसरवतयो की सची तयार करता ह जो रोगी म दवषचनता उतपनन करती ह इन पररवसरवतयो को

परबलता क आिार पर िमबि वकया जाता ह वजस हम उददीपन पदानिम कह सकत ह

वचवकतसक रोगी को गहन पशीय वशवरलीकरण का परवशकषण दता ह वशवरल अिसरा म उस यह

कहता ह वक दविता उददीपनो क पदानिम म स उस उददीपन की सपषट और सजीि कलपना कर जो

कम स कम दविता उतपनन करता ह यवद उसकी कलपना स तनाि का अनभि होन लग तो िह पनः

वशवरलीकरण पर धयान कवनरत कर अननततः रोगी इस योगय हो जाता ह वक दविता क वबना

उददीपन की कलपना कर सकता ह ततपिात उददीपन पदानिम क अगल उददीपन पर इसी परविया की

पनरािवतत की जाती ह अनत म तीवरतम दविता उददीपन की कलपना करन पर भी रोगी म दविता

उतपनन नही होती और िीर-िीर रोगी इतना सिसर हो जाता ह वक िासतविक उददीपनो का सामना

दविता क वबना कर सकता ह

2) वकरिा परसि अनबनधन (Operant Conditioning)- इस परकार की परविवियो म पनबथलन

क माधयम स वयिहार म पररितथन वकया जाता ह उदाहरण क वलए भोजन एक शवकतशाली

परबलक ह वयिहार वचवकतसा क कषतर म अनक कसमायोजी वयिहार परारपो को िीक करन क

घणिी की धिवन बालक का

जागना

मतराशय म

िलाि

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 225

वलए इसका उपयोग वकया जाता ह भोजन की मातरा घिान-बढ़ान क पररणाम सिरप उतपनन

होन िाली विशष परकार की अनवियाओ का सामानयीकरण सामावजक अनवियाओ पर होन

लगता ह इस परविवि दवारा मनोविदलन आवद मनसताप स पीवड़त रोवगयो म सामावजक

अनतविया बढ़न लगती ह इस परकार की वचवकतसा की एक परमख कमी यह ह वक रोग जड़ स

समापत नही होता लवकन दखद लकषणो म अिशय ही सिार हो जाता ह

3) अपििी अनकलन (Aversive Conditioning)- अपिती अनकलन या विरवच

वचवकतसा वयिहार वचवकतसा की एक ऐसी विवि ह वजसम वचवकतसक रागी क अिावछत

वयिहार न करन का परवशकषण का कछ ददथनाक या असखद उदीपको को दकर करता ह इस

तरह की परविवि म वचनता उतपनन करन िाली पररवसरवत या उदीपक क परवत रोगी म एक तरह

की विरवच पदा कर दी जाती ह वजसस उतपनन होन िाली अिावछत या कसमायोवजत वयिहार

अपन आप िीर-िीर बद हो जाता ह

रोगी म विरवच उतपनन करन क वलए दणड वबजली का आघात तरा कछ विशष दिा

आवद का उपयोग वकया जाता ह उदारणारथ- मददयवयसवनता क उपचार म एनिाबयज नामक औषवि

का उपयोग वकया जाता ह इस औषवि क सिन क पिात यवद रोगी मवदरापान कर तो उसम अनक

पीड़ादायक लकषण उतपनन हो जात ह जस- मतली होना सास लन म कविनाई उलिी होना आवद

एनिाबयज और मवदरापान को बार-बार यवगमत करन पर रोगी समझन लगता ह वक मवदरापान स उस

पीड़ादायक वसरवत का सामना करना पड़गा अतः िह मवदरापान करना छोड़ दगा ह

4) पारसपररक अनिबायधा- कभी-कभी कसमायोजी अनवियाओ को सािारण अनतबाथिा अराथत

अपरबलन दवारा समापत वकया जा सकता ह उदाहरण क वलए यवद वकसी वयवकत को िाययान स

यातरा करन की दभीवत हो तो पहल उस प िी पर रक हए िाययान म बिन का अभयास कराना

चावहए बाद म उस हिाई अडड पर दौड़त हए हिाई जहाि म बिन का अभयास कराना चावहए

और अनत म अनय यावतरयो क सार वकसी कम दरी की उड़ान पर भजा जा सकता ह इस विवि

को पारसपररक अनतबाथिा कहा जाता ह

1410 अतनदशातमक या रोगी कननदरि मनोधचककतसा

इस परकार की परविवि का परवतपादन कालथ रोजसथ न 1942 म वकया रा रोगी कवनरत

मनोवचवकतसा इसवलए कहा जाता ह कयोवक सिय रोगी ही यरा समभि मनोवचवकतसा की अनतथिसत

और वदशा को वनिाथररत करता ह इस वचवकतसा का मखय उददशय यह जञात करना होता ह वक वयवकत

सिय को और अपन जीिन की घिनाओ को वकस परकार दखत ह रोजसथ न अपनी वचवकतसा विवि

म रोगी क वलए कलायि तरा वचवकतसक क वलए सलाहकार शबद का परयोग वकया ह

1) अवनदशातमक मनोविवकतसा की सामानि परकविः

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 226

अवनदशातमक मनोवचवकतसक की उपरोकत रपरखा स उसकी सामानय परकवत सपषट हो

जाती ह अनय ससगवित वसिानतो और इस वसिानत म वनमनवलवखत अनतर सपषट रप स रवषटगोचर

होत ह -

bull वचवकतसक क वनदशन और िलन का बहत बड़ा उततरदावयति सपषट रोगी पर होता ह

bull वचवकतसक की भवमका मखयतः भािनाओ क सिीकरण पररितथन और सपषटीकरण तक सीवमत

होती ह

bull वचवकतसक और रोगी क बीच कम स कम अनयारोपण उतपनन होन वदया जाता ह तावक समापन

क समय जविल अनयारोपण क समबनिो को सभालन की कोई आिशयकता ही नही पड़

bull इस वचवकतसा पिवत म नदावनक मनोिजञावनक परीकषणो क महति को समापत कर वदया गया ह

कयोवक इनह सामानयता अनािशयक माना जाता ह इन परीकषणो म नषट होन िाल समय को रोगी

क समसयाओ क समािान म लगा दना अविक लाभपरद होगा

2) पीविि वििहार स समबवनधि रोगी कवनिि मनोविवकतसा का समपरतिि-

रोजसथ क अनसार मानवसक रोगी ि लोग ह वजनहोन अपन अनभिो की उपकषा की ह और

अपन िासतविक आतम स दर हि गय ह कसमायोजी परवतरप परायः बालयािसरा म आरमभ होत ह

बालक अपन माता वपता स यह सीखता ह वक कछ विशष आिग जस लवगकता आिामकता

आवद असिीकायथ ह माता वपता का सनह परापत करन क वलए वयवकत अपन आतम क महतिपणथ पकषो

की अिहलना कर दता ह

कालथ रोजसथ का विशवास ह वक आतमिासतिीकरण की वयवकत म आिशयकता होती ह

चवक कसमायोवजत वयसक बहत लमब समय स अपनी पहचान क महतिपणथ पकषो की अिहलना

करता रहता ह इसवलए उसकी िवि रक गयी ह िह नय अनभिो क परवत रकषातमक हो जाता ह िह

गहर समबनि सरावपत करन म वझझकता ह िह नई वियाओ का अनिषण नही करता ह रोगी

कवनरत वचवकतसा क अनसार तवनतरकातापी लकषण इसी अिरि िवि का पररणाम ह

3) रोगी कवनिि मनोविवकतसा क लकषि और कािय विवधिा-

रोगी कवनरत मनोवचवकतसा का मखय उददशय रोगी की योगयताओ का सही वदशाओ म

विकास करना ह और इस वदशा का वनिाथरण सिय रोगी करता ह रोगी क आतम समपरतयय को

बढ़ाना मनोवचवकतसा का मखय उददशय ह रोगी कवनरत वचवकतसक वनदान और अनय परकार क

मलयाकनो की अिहलना करत ह ि न तो यह वनिाथररत करत ह वक विचार कया ह और न ही उपचार

की सामररकी को वनवित करत ह ि रोगी क ितथमान जीिन अरिा अतीत की विवशषट घिनाओ म

भी रवच नही रखत उनक अनसार महतिपणथ बात यह ह वक रोगी और वचवकतसक इस समय एक

दसर का सामना वकस परकार करत ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 227

4) रोिसय की विवकतसा परवकरिा क मयि िरण-

bull रोगी का सहायतारथ आगमन (The client comes for help)-

रोजसथ क मतानसार- रोगी सिय ही अपनी कविनाईयो को दर करन क वलए वचवकतसक क

पास आता ह अनय शबदो म रोजसथ का विचार रा वक उपचार की सिलता इस बात पर आिाररत ह

वक रोगी म अपनी कविनाईयो को दर करन की इचछा वकतनी तीवर ह यही कारण ह वक उसन अपनी

परविवि की सिलता का पररम चरण यह बताया ह वक रोगी को यह सपषट कर दना चावहए वक यहा

इस परकार पयाथिरण सवजत वकया जायगा वक रोगी सिय ही अपनी समसयाओ को समझगा तरा

उनका वनराकरण करन का परयतन करगा

bull भािना की अवभवयवकत (Expression of Feeeling)-

जब रोगी वचवकतसक क पास आता ह तब वचवकतसक इतना सहानभवत पणथ वयिहार करता

ह और इस परकार का पयाथिरण सवजत करता ह वक रोगी अपनी भािनाओ आवद को वयकत करन को

उतसावहत होता ह इसक पररणाम सिरप रोगी क अचतन मन स समबवनित या अनतवनथवहत घणा

विरोि ि अनय अिावछत भािनाओ को चतना म आन का अिसर वमलता ह यहा वचवकतसक का

परमख कायथ ह वक रोगी की इन भािनाओ को समझन का परयास कर और रोगी को इनह परकि करन

क वलए परोतसावहत कर

bull रोगी म अतदथवषट का विकास (Development of Insight)-

अवनदशातमक वचवकतसा म वचवकतसक समपणथ वचवकतसा परविया म सविय रप स भाग

नही लता रोगी सिय ही अपनी समसयाओ स समबवनित इचछाओ भािनाओ विचारो सिगो

आवद की अवभवयवकत करता ह वजसक िलसिरप उस अपनी कविनाईयो या समसयाओ क समबनि

म अतदथवषट उतपनन हो जाती ह वजसस वक उस िासतविकता का जञान होता ह सिगो स सपषट रप का

पता चलता ह तरा यह परयास करना आरमभ करता ह वक िह वकस परकार पयाथिरण क सार उवचत

समायोवजत कर

bull िनातमक चरण-

जब रोगी को अपनी कविनाई यो ि समसयाओ की जानकारी हो जाती ह तो िह यह वनवित

कर लता ह वक उस वकस कायथ को करना चावहए वकसको नही करना चावहए यहा वचवकतसक को

बड़ी बविमानी स कायथ करना चावहए तरा रोगी को उपयकत सझाि ि वनदश दना चावहए रोगी िीर-

िीर अपनी कविनाई यो को समझता ह तरा सिय ही समायोजन का सवनयोवजत तरीका खोजता ह

तरा उसम उपयकतता की भािना जनम लती ह

bull समपको का समापन-

जब रोगी म अपन लकषणो क परवत आिशयक अतदथवषट विकवसत हो जाती ह और विर इस

समबनि म उसक आिशयक वनणथय ि कायथ दषा क परवत भी उपबोिक क समरथन ि अनमोदन का

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उततराखड मकत विशवविदयालय 228

जब उस हावदथक तरा सवनवित आशवासन वमल जाता ह तब आग विर सपषटतः इस अधययन क

सौमयपणथ समापन की वसरवत आ जाती ह जो वक एक परकार स औपचाररक न हो कर भविषय म

विर वमलन की भािपणथ परतयाशा ि सिभाविक इचछा क सार समापत होती ह इस परविया म पहल

रोगी या सिारी दवारा ही होती ह तरा इसक तरनत पिात रोगी अपन वयिहार म आिशयक पररितथन

लाकर जीिन म अपन आतमवसवि क मागथ की ओर वनवित होकर अगरसर होन लगता ह

1411 साराश मनोवचवकतसा का उददशय पयाथपत वयवकतति समायोजन परापत करन म रोगी की सहायता करना

ह परतयक मनोवचवकतसा का उददशय पररपकिता कषमता तरा आतमिासतिीकरण की वदशा म

वयवकतति का विकास करना ह फरायड दवारा परवतपावदत मनोविशलषण वचवकतसा क परमख चरण ह-

सितनतर साहचयथ की अिसरा परवतरोि की अिसरा सिमण की अिसरा सिपन विशलषण की

अिसरा वयिहार मनोवचवकतसा क परमख परकार ह- सरल कलावसकी अनकलन उददीपन परसत

अनकलन विया परसत अनकलन तरा पारसपररक अनबनिन रोगी कवनरत वचवकतसा क परमख

चरण ह- रोगी का सहायतारथ आगमन भािना की अवभियवकत रोगी म अतदथवषट का विकास तरा

समपको का समापन

1412 शबदािली bull परविरोध मनोवचवकतसा क दौरान जब रोगी अचानक चप हो जाता ह या िह अपन मन क

विचारो को वयकत नही करना चाहता ह तब ऐसी अिसरा को परवतरोि कहा जाता ह

bull सथानानिरण रोगी अकसर अपनी गत वजनदगी म जसी मनोिवतत वशकषक माता या वपता या

वकसी अनय क बार म बना रखा ह िसी ही मनोिवतत िह वचवकतसक क परवत विकवसत कर लता

ह इस ही सरानानतरण की सजञा दी जाती ह

bull धनातमक सथानानिरण इसस रोगी विशलषक या वचवकतसक क परवत अपन सनह एि परम की

परवत वियाओ को वदखलाता ह

bull ऋणातमक सथानानिरण इसम रोगी वचवकतसक क परवत अपनी घणा एि सिदनातमक

अलगाि की परवत वियाओ की अवभवयवकत करता ह

bull परविसथानानिरण इसम मनोवचवकतसक ही सिय रोगी क परवत सनह परम एि सिगातमक

अलगाि की परवतवियाओ की अवभवयवकत करता ह

bull सझ िा अतदथवषट जब रोगी क आतम परतयकषण एि सामावजक परतयकषण म पररितथन आता ह

और रोगी की मनोिवतत विशवास एि मलयो म िनातमक पररितथन आता ह तरा िह अपन

वयवकतगत पररणओ को सही सनदभथ म समझन लगता ह तब रोगी म सझ या अतदथवषट का विकास

हो जाता ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 229

bull कसमािोविि विवि कसमायोवजत वयवकत िस वयवकत को कहा जाता ह जो वजनदगी की

समसयाओ स वनबिन क वलए पयाथपत सामयथ वकसी कारणिश नही विकवसत कर पाय या सीख

पाय

bull करमबदध असािदीकरण मलतः वचनता कम करन की एक परविवि ह जो इस वनयम पर

आिाररत ह वक एक ही समय म वयवकत वचनता और विशराम दोनो ही अिसरा म होता ह तो

उसम वचनता उतपनन करन िाल उददीपक को बढ़त िम म वदया जाता ह अनततः रोगी वचनता

उतपनन करन िाल उददीपको क परवत असिवदत हो जाता ह

1413 सिमलयाकन हि परशन 1) वकसकर क अनसार मनोवचवकतसा क कौन-कौन स परकार ह

2) मनोवचवकतसा की पराचीन परविविया कौन-कौन सी ह

3) वयािहार मनोवचवकतसा की परमख विविया कौन कौन सी ह 4) रोगी मनोवचवकतसा क परमख चरण कौन-कौन स ह

उततर 1) वकसकर क अनसार मनोवचवकतसा क वनमन परकार ह-

bull सहायक मनोवचवकतसा

bull पनवषथकषातमक मनोवचवकतसा

bull पनरथचनातमक मनोवचवकतसा

2) मनोवचवकतसा की पराचीन परविविया वनमन ह-

bull सममोहन

bull ससचन

bull परतयायन

3) वयिहार वचवकतसा की परमख विविया वनमन ह-

bull सरल कलावसकी अनकलन

bull विया परसत अनकलन

bull अपिती अनकलन

bull पारसपररक अनतबाथिा

4) रोगी िवनरत वचवकतसा क परमख चरण वनमनित ह-

bull रोगी का सहायतारथ आगमन

bull भािना की अवभवयवकत

bull रोगी म अनतदवथवशि का विकास

bull िनातमक चरण

bull समपको का समापन

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उततराखड मकत विशवविदयालय 230

1414 सनदभथ गरनर सची bull Coleman JC (1976) Abnormal Psychology and Modern life

(Taraporevala)

bull Davison GC amp Neal JM (1986) Abnormal Psychology An experimental

clinical Approach John Wiley amp Sons Newyork

bull Miller MC Psychoanalysis and Its Derivatives

bull Mac Donal Ladell Tessus P20

bull Page- Abnormal Psychology P46

bull Symonds- The dynamics of Human Adjustment

bull अरण कमार वसह (2001 2009) आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसीदास

नई वदलली

bull एच0क0 कवपल (2001) अपसामानय मनोविजञान आगराः भागथि बक हाउस कचहरी घाि

आगरा

bull डॉ0 लाभ वसह डॉ0 गोविनद वतिारी- असामानय मनोविजञान (2001) असामानय मनोविजञान

आगरा विनोद पसतक मवनदर आगरा

bull मखीजा एि मखीजा (1980 2009) अपसामानय मनोविजञान आगराः लकषमी नारायण

अगरिाल हासपीिल रोड आगरा

1415 तनबनिातमक परशन bull दीघय उततरीि परशन

1 मनोविशलषण वचवकतसा कया ह इसक परमख चरणो का विसतार स िणथन वकवजए

2 वयिहार वचवकतसा स कया तातपयथ ह इसकी परमख विवियो का िणथन वकवजए 3 अवनदवशत मनोवचवकतसा या रोगी कवनरत मनोवचवकतसा स कया अवभपराय ह इसक परमख

चरणो का िणथन वकवजए

bull लघ उततरीि परशन

1 सममोहन स कया तातपयथ ह

2 मकत साहचयथ विवि स कया समझत ह 3 अनतदथवषट म विकास स कया आशय ह

4 अवनदवशत मनोवचवकतसा का उददशय कया ह 5 वयिहार वचवकतसा का कया लकषय ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 231

इकाई-15 मनोधचककतसा-सामहहक धचककतसा एि वयिहार धचककतसा

151 परसतािना

152 उददशय

153 मनोवचवकतसा का अरथ

154 सामवहक वचवकतसा

155 वयिहार वचवकतसा

156 साराश

157 शबदािली

158 सिमलयाकन हत परशन

159 सनदभथ गरनर सची

1510 वनबनिातमक परशन

151 परसिािना विवभनन परकार क मानवसक रोगो को दर करन हत वजस परविवि को उपयोग म लाया जाता

ह उस मनोवचवकतसा कहत ह इसका मखय उददशय रोगी म आतम-विशवास एि दसरो क परवत आसरा

क भाि का विकास ह

वपछली इकाइयो म आपन विवभनन परकार क मानवसक रोगो-मनो सनायविकवतयो एि

मनोविकवतयो क लकषण कारण आवद की जानकारी परापत की तरा इन रोगो क बीच की वभननता को

जानन का परयास वकया

परसतत इकाई का मखय उददशय इन बीमाररयो क वनदान हत परचवलत तकनीको की जानकारी

परापत कराना ह वजसम समह वचवकतसा एि वयिहार वचवकतसा क सिरप एि महति पर परकाश डाला

गया ह

152 उददशय परसतत इकाई को पढ़न क पिात आप इस योगय हो सक ग वक आप-

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उततराखड मकत विशवविदयालय 232

bull मनोवचवकतसा का अरथ समझ सक

bull सामवहक वचवकतसा क सिरप पर परकाश डाल सक

bull वयिहार वचवकतसा क विवभनन रपो को रखावकत कर सक

bull सामवहक वचवकतसा एि वयिहार वचवकतसा क सापवकषक परभािकता को बता सक

153 मनोधचककतसा का अरथ मनोवचवकतसा उन मनोिजञावनक परविवियो को कहत ह वजनक दवारा वयवकतति समबनिी

उलझनो अरिा गवतरयो को सलझाया जाता ह इसकी परविया का परारभ वचवकतसा और रोगी क

बीच पारसपररक िाताथलाप दवारा होता ह इस िाताथलाप स वचवकतसक और रोगी क बीच एक परकार

का समबनि विकवसत होता ह वजसक िलसिरप रोगी वचवकतसक की सलाह उसक दवारा वदय गए

सकतो एि उसकी बातो को मानन लगता ह रोगी म आतम-विशवास उतपनन होता ह इस आतम-

विशवास और आसरा का उपचार क दवषटकोण स विशष महति होता ह इसक कारण रोगी को अपना

वयवकतति सबल बनान अपनी समसयाओ को सलझान और िातािरण क सार अनकल समायोजन

सरावपत करन म पयाथपत मदद वमलती ह

मानवसक रोग क मलतः दो परकार ह- मनःसनायविकवत एि मनोविकवत मनोसनायविकवत

स पीवड़त रोवगयो क उपचार हत िसततः मनःवचवकतसा ही एकमातर उपयकत वचवकतसा की विवि ह

जबवक मनोविकवत स पीवड़त रोवगयो क उपचार क वलए मनोवचवकतसा क अवतररकत अनय विवियो

जस- औषवि वचवकतसा इनसवलन वचवकतसा विदयतीय आघात वचवकतसा आवद का भी परयोग

वकया जाता ह

उपरोकत वििचन स सपषट ह वक-

1 मनोवचवकतसा दवारा मानवसक रोवगयो का उपचार वकया जाता ह 2 मनोवचवकतसा की परविविया मनोिजञावनक सिरप की होती ह 3 मनोवचवकतसा की परविवियो दवारा वयवकतति एि सिग समबनिी उपरिो को कम या दर करन

का परयास वकया जाता ह

154 सामहहक धचककतसा सामवहक वचवकतसा सिय म कोई सिततर वचवकतसा पिवत नही ह बवलक विवभनन वचवकतसा

पिवतयो जस- मनोविशलषण सममोहन वयिहार पररमाजथन आवद का सामवहक पररवसरवत म

उपयोग ह इसकी शरआत वदवतीय विशव यि क समय सना म मानवसक रोवगयो क इलाज हत हई

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उततराखड मकत विशवविदयालय 233

सामवहक वचवकतसा स तातपयथ मनःवचवकतसा की वकसी विवि का एक सार एक स अविक मानवसक

रोवगयो पर परयोग ह

सामवहक उपचार की पिवत का उपयोग पराचीन समय म भी वकया जाता रा पराचीन समय

म दो चार या पाच रोवगयो को वमलाकर एक छोिा समह बना वलया जाता रा और रोवगयो की उमर

आिशयकता कषमता एि वचवकतसक की सझ-बझ क अनसार विवभनन परकार की वचवकतसा

परविवियो का उपयोग वकया जाता रा इस परमपरागत सामवहक वचवकतसा-विवि क विवभनन रप

आज भी उपयोग म लाय जात ह

1) वररवकटक सामवहक विवकतसा- इस परविवि का उपयोग मदयपान की आदत स गरसत रोवगयो

पर वकया जाता ह रोवगयो को सामवहक रप स इसक बर परभािो स समबवनित तयो को

वयाखयान क रप म परसतत वकया जाता ह इसक वलए विलम विवडयो िप या इसी परकार क

अनय तरीक भी उपयोग म लाय जात ह

2) मनःअविनि- मनः अवभनय भी सामवहक वचवकतसा-विवि का ही एक रप ह वचवकतसा की

यह विवि अवभनय करन की परविवि पर आिाररत ह इसम रोगी को वकसी रगमच जसी

पररवसरवत म अपनी समसयाओ सिगो एि अनय मानवसक विकारो को एक-दसर क सामन

परकि करन का अिसर वमलता ह चवक रोगी इन समसयाओ को दसरो क सामन रगमच-जसी

वसरवत म परकि करता ह इसवलए रोगी का वयिहार िासतविक जीिन की भावत होता ह रोगी

अपन समह क सभी लोगो को परायः एक जसी समसयाओ स वघरा हआ अनभि करता ह इसस

उस यह विशवास होता ह वक उसकी समसयाए किल उसकी नही ह अवपत दसर लोगो की

समसयाए उसक समान ही ह इसस रोगी म आतमविशवास और सतोष की भािना का विकास

होता ह वजसक पररणामसिरप रोग क लकषण दर हो जात ह और ि सामानय जीिन वयतीत करन

योगय बन जात ह खासकर अनतः पारसपररक समबनिो क सिार म सामवहक वचवकतसा का

अचछा परभाि विशष रप स पड़ता ह

मनः अवभनय की परविवि म रोगी को कभी मातर दशथक क रप म तो कभी रगमच पर

अवभनय करन िाल पातर क रप म कायथ करना पड़ता ह इन दोनो परकार की वसरवतयो म वचवकतसा

की यह विवि लाभपरद होती ह इस विवि का मल उददशय रोगी म सझ-बझ को बढ़ाना

अनतःपारसपररक समबनिो को सिारना एि सिगातमक वचनता क सतर म कमी लाना अरिा दर

करना होता ह

3) सामवहक मठिि-विवकतसा- यह एक परकार की सामवहक मिभड़ की वसरवत होती ह वजसम

समह क परतयक सदसय को एक विशष िातािरण म रखा जाता ह जहा ि वबना वकसी वनयनतरण

क आपस म खलकर अपनी समसयाओ पर बातचीत कर सक इस पररवसरवत म रोगी यह

अनभि करता ह वक वकस परकार िह समह क दसर सदसयो को परभावित करता ह तरा सिय भी

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उततराखड मकत विशवविदयालय 234

दसरो स परभावित होता ह इन पररवसरवतयो म वचवकतसक परायः रोवगयो स ओझल रहन की

कोवशश करता ह लवकन िह उनकी गवतविवियो पर नजर रखता ह और आिशयकता पड़न पर

रोवगयो को अपनी समसयाओ को वयकत करन म परोतसावहत करता ह वचवकतसा की इस परविवि

क विकास का इवतहास विगत 50 िषो का ह इस मिभड़ समह की वसरवत म रोगी समह क

दसर रोवगयो स यरारथ रप म वमलता ह जहा विवभनन परकार की वियाए होती ह जस- शारीररक

वयायाम खल मावलश परभति सरापन चतना क विकास का परवशकषण जीिन वनयोजन

इतयावद इन वियाओ क िलसिरप रोगी क वयवकतगत विकास और उतरान का मागथ परशसत

होता ह और आतमबोि समनिय मौवलकता इतयावद का विकास उचच अशो म होता ह

सामवहक वचवकतसा-परणाली क सदसयो की सखया परायः 6 स 12 क बीच होती ह तरा इस

समह की गवतविवियो का सचालन एक या दो नता क नतति म होता ह वचवकतसा की इस परणाली

का मखय उददशय सामवहक रप स परसपर विचारो का आदान-परदान की परविया परोतसावहत करना

होता ह वजसस सामावजक िासतविकता की सझ का विकास हो सक इसक वलए टरवनग गरप िवकनक

अरिा lsquoिी गरपrsquo का उपयोग वकया जाता ह इस िकवनक या परविवि का उददशय समह क सदसयो म

ऐसा अनभि कराना होता ह वक उनक वयिहार का दसरो पर और दसरो क वयिहार का उन पर कया

परभाि पड़ता ह इस तरह एक-दसर की भािनाओ को समझन की योगयता का विकास होता ह

वजसस रोगी अपन वयिहार को इस परकार मोड़ना सीख लत ह वक समह क दसर सदसयो क सार

सखद एि मानिीय सबि सरावपत कर सक और इस परकार सामजसय की योगयता का विकास हो

सक

सामवहक वचवकतसा म कछ अनय परविविया भी उपयोग म लायी जाती ह जस- पनवशथकषण

परविवि भवमका अवभनय परविवि समह-विशलषण परविवि इतयावद

अनय वचवकतसा विवियो की तरह समह वचवकतसा विवि क भी अपन गण-दोष ह वजन पर

परकाश डालना आिशयक ह

4) सामवहक विवकतसा क गण-

i इस विवि म समह क सदसयो दवारा सामावजक िासतविकता का सिरप सपषट होता ह

िलसिरप रोगी को िासतविकता का सहज बोि होता ह

ii सामवहक िातािरण रोवगयो क अनतःपारसपररक सबिो क विकास म विशष रप स लाभपरद होता ह

iii समह क सदसय अपनी सदसयता बरकरार रखन हत सहज रप स िावछत परवतवियाओ का

सिरप बनाय रखत ह िलतः िावछत परवतवियाए बार-बार दहराई जाती ह जो िीर-िीर पणथ

रप स सरावपत की जाती ह और अिाछनीय वयिहार लपत हो जात ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 235

5) सामवहक विवकतसा क दोष-

i इस विवि की सबस पहली तरवि यह ह वक चवक इस विवि म एक ही सार कई रोवगयो की

वचवकतसा की जाती ह अतः उवचत वचवकतसा मवशकल होती ह एक ही सार वचवकतसक को

कई रोवगयो पर धयान दना पड़ता ह जो वयािहाररक नही परतीत होता ह

ii इस विवि की दसरी तरवि यह ह वक इसका सिलतापिथक सभी रोवगयो पर उपयोग नही वकया जा सकता इसकी सिलता रोगी क सिभाि और रोगी की गभीरता पर वनभथर करता ह कछ रोगी

ऐस होत ह जो समह को भग कर द सकत ह अरिा इसक सचालन की परविया अिरि कर

सकत ह उदाहरण क वलए उपरिकारी रोगी दखदायी और भरमणकारी रोगी की वचवकतसा म

इस विवि का सिल परयोग सभि नही होता

155 वयिहार धचककतसा वयिहार वचवकतसा भी अपन-आप म कोई अकली विवि नही ह िसततः वचवकतसा की यह

एक ऐसी पिवत ह वजसम सीखन की विया स सबवित परयोगो दवारा परवतपावदत वसिानतो और

वनयमो पर आिाररत कई परविविया सवममवलत ह य परविविया वयिहारिाद की उपज ह वचवकतसा

की इस पिवत का उपयोग 1960 क आस-पास परारमभ हआ तरा आजकल अनक परकार क

कसमायोवजत वयिहारो क सशोिन या पररमाजथन क वलए इसका उपयोग वकया जान लगा ह

इसीवलए इस वयिहार पररमाजथन वचवकतसा पिवत भी कहत ह इस विवि क विकास का मखय शरय

रसी शरीरशासतरी पिलोि को जाता ह वजनहोन अपन परयोगो दवारा समबनि परतयाितथन का वसिानत-

परवतपावदत वकया ह वयिहार पररमाजथन हत आज वजन परविवियो का उपयोग वकया जाता ह ि सब

समबनि परतयाितथन क वनयमो पर आिाररत ह वचवकतसा की इस पिवत का मल उददशय रोगी को

कसमायोवजत वयिहार की जगह समायोजन योगय वयिहार वसखलाना होता ह इस विवि की मखय

मानयताए वनमनवलवखत ह-

i मानवसक रोग अरिा वयवकतति की असामानयता (शारीररक विकवतयो क कारण उतपनन मानवसक रोगो को छोड़कर) सही अरथ म कोई रोग नही ह बवलक दोषपणथ वशकषण-परविया का दयोतक ह जो

वकनही कारणो स परबवलत होती रही ह तरा-

ii वयवकत जीिन की समसयाओ क सार उपयथकत समायोजन योगय वयिहार अरिा योगयता अवजथत

करन म जब वििल रहता ह तो कसमायोवजत वयिहार अवजथत कर लता ह

अतः वयिहार पररमाजथन दवारा कसमायोवजत वयिहार को पररिवतथत कर समायोजन योगय

वयिहार अवजथत करन का अिसर परदान वकया जाता ह वजसम रोगी विकत वयिहारो को तयाग कर

नय एि उपयकत वयिहार करना सीख लता ह

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आजकल वयिहार पररमाजथन हत कई परकार की परविविया उपयोग म लायी जाती ह वजनम

वनमनवलवखत परिान ह-

1 सरल विलोपन

2 िमबि असिदीकरण

3 अनतःविसिोिक वचवकतसा

4 दढ़गराही वचवकतसा

5 विरवच-वचवकतसा

1) सरल विलोपन- ऐसा हम परायः अनभि करत ह वक जब वकसी वयिहार को परबलन नही

वमलता (अराथत वकसी तरह परोतसावहत नही होता ह) तब िह वयिहार कछ समय बाद लपत हो

जाता ह कहन का अवभपराय यह ह वक परबलन या परोतसाहन क अभाि म पराणी का वयिहार

वचरसरायी नही हो पाता अतः वकसी कसमायोवजत वयिहार को दर करन हत उस परबवलत

करन िाल तति का हिा दन या बनद कर दन पर रोगी क असामानय वयिहार का विलोप हो

जाता ह यह परविवि उन पररवसरवतयो म विशष रप स लाभपरद होती ह वजनम असामानय

वयिहार दसरो दवारा अनजान म परबवलत होत रहत ह जस यवद वकसी निखि बालक क

वयिहारो क परवत माता-वपता परायः लापरिाह रहत हो तो उनक माता-वपता की यह लापरिाही

बालक क निखि वयिहारो को अनजान म परबवलत करती ह अब बचच क वयिहार म सिार

लान हत माता-वपता का धयान आकषट करना आिशयक हो जायगा इसीवलए बचचो म अचछी

आदतो का वनमाथण करन उनम िोि भय परम और ईषयाथ क सिगातमक भािो को वनयवतरत

करन बरी आदतो का तयाग करन इतयावद क वलए माता-वपता का बचचो क परवत सहज या

सचत रहना जररी होता ह अतः लापरिाह माता-वपता क सहज हो जान पर बचचो क निखि

वयिहारो को वजन ततिो स परबलन वमलता ह ि बनद हो जात ह तरा सार ही बचचो क अचछ

आचरण का परबल होन लगता ह इस परकार िीर-िीर निखि बचच अचछ बचचो क गणो को

सीख लत ह

वयिहार पररमाजथन की यह सबस सरल परविवि ह लवकन इस परविवि दवारा कसमायोवजत

वयिहारो को समापत करना कविन होता ह कयोवक य वयिहार एक लमब अरस स परबवलत होत रहत

ह इसवलए अभयसत वयिहार हो जात ह इसीवलए िलप (1969) न इन वयिहारो को समापत करन

हत परबवलत करन िाल ततिो क अचानक या एक-एक करक पणथ रप स हिा दन की आिशयकता

पर जोर वदया ह रोवगयो की विकत आदतो या आचरणो को विलपत करन या दर करन क सार-ही-

सार उपयकत समायोजन योगय वयिहारो को परोतसावहत भी वकया जाता ह जो िनातमक परबलन क

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रप म कायथ करत ह आयलन एि माइकल (1959) न एक रोगी का उदाहरण दत हए बतलाया ह

वक मनोविकवत स पीवड़त रोवगयो क िाडथ म कायथरत नसो को यह वनदश वदया गया वक ि रोवगयो क

वयामोहयकत करनो पर धयान न द और उनक सामानय करनो को परोतसावहत कर अराथत रोगी जब

वकसी परकार क वयामोह की चचाथ कर तो नसथ उसकी बातो को अनसनी कर द लवकन जब कोई

सामानय बातचीत कर तो रोगी को ऐस करनो क वलए परोतसावहत वकया जाए नसो दवारा इस वनदश

का पालन करन क िलसिरप दखा गया वक उस िाडथ क परायः सभी रोवगयो क वयामोहातमक

वयिहारो म महतिपणथ कमी आयी तरा उन रोवगयो म सामानय एि समायोजन योगय वयिहारो का

विकास होन लगा

2) करमबदध असािदीकरण- इस परविवि म रोगी को एक वयिवसरत िम म उसकी वचनता स

सबवित पररवसरवतयो की उपवसरवत म शानत या वशवरल रहन का परवशकषण वदया जाता ह

अराथत वचनतोतपादक पररवसरवत क परवत रोगी को िीर-िीर वचनतामकत रहन अरिा वचनता-सतर

को कम करन की आदत का वनमाथण कराया जाता ह इस आदत का वनमाथण िवमक ढग स

कराया जाता ह इस िवमक ढग स वचनता-सतर को कम करन की आदत डालन क िलसिरप

रोगी कछ समय बाद पणथतः वचनतामकत हो जाता ह

इस विवि का आिार समबनि परतयािथतन का वसिानत ह इस परविवि की मानयता यह ह वक

वयवकत म कसमायोवजत वयिहार वकसी उततजना क सार समबवनित या अनबवनित हो जान क

िलसिरप विकवसत होता ह अतः इन अनबवनित परवतवियाओ को असमबि करक समायोवजत

वयिहार को विकवसत वकया जा सकता ह इस परविवि का उपयोग सबस पहल िािसन और रयनर

न अलबिथ नाम क बालक का भय दर करन म वकया रा जोनस न भी पीिर नाम क एक बालक पर

इस परविवि का उपयोग वकया रा जो िोवबया स पीवड़त रा बाद म बलप न इस परविवि का उपयोग

कई रोवगयो पर वकया बलप न इस विवि का उपयोग वनमनवलवखत ढग स वकया ह -rsquo

i रोगी को शानत रहन का परवशकषण दना -

िलप क अनसार रोगी की वचवकतसा क िम म सबस पहल वचनतोतपादक पररवसरवत की

उपवसरवत म शानत रहन का परवशकषण वदया जाना चावहए इस परवशकषण म लगभग 6 स 7 सतर लगत

ह रोगी को विशरामपिथक रहन का वनदश वदया जाता ह उस अपनी मासपवशयो को िीर-िीर

सकवचत करन तरा उस ढीला करन की आदत हत परवशकषण वदया जाता ह तरा यह परवशकषण तब

तक जारी रखा जाता ह जब तक रोगी पणथ रप स विशराम की अिसरा परापत करन म सिल नही हो

जाता कभी-कभी रोगी को विशरामािसरा म लान हत समावि सममोहन विशरावनत औषविया

इतयावद उप-परविविया भी काम म लायी जाती ह

ii शरखला-वनमाथण -

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वचवकतसा क परारवमभक सतरो म ही रोगी की वचनतोतपादक उततजनाओ की शरखलाबि

साररणी तयार कर ली जाती ह अराथत वकस परकार की उततजना रोगी की वचनता उतपनन करन म

वकतन महति या मलय की ह उसक अनसार एक सची तयार कर ली जाती ह वजसम विवभनन

वचनतोतपादक उततजनाओ को िमशः हरास क िम म सचीबि वकया जाता ह अराथत सबस अविक

मलय िाली उततजनाओ को सबस पहल और उसक बाद िमशः कम मलय िाली उततजनाओ को

रखा जाता ह जस यवद कोई मवहला रोगी अपन पवत क परवत ईषयाथ का भाि स गरसत हो तो उसस

सामानय िाताथलाप दवारा उन सभी पररवसरवतयो क बार म जानकारी परापत की जायगी वजनम रोगी को

ईषयाथ या वचनता होती ह इस िाताथलाप क िम म ही इस बात की जानकारी भी हावसल की जायगी

वक वकन पररवसरवतयो म रोगी वकतना अविक या कम वचवनतत होता ह सभि ह उसकी वचनता उस

समय सबस अविक होती हो जब िह अपन पवत को वकसी lsquoबारrsquo या कलब म वकसी सनदर यिती क

सार हस कर बात करत हए दखती हो इसस कम वचनता उस समय होती हो जब िह अपन पवत को

कायाथलय की वकसी सहयोगी मवहला या सकटरी की परशसा करता हआ दखती ह और सबस कम

वचनता उस समय होती ह जब िह अपन पवत को वकसी यिती पर िकिकी लगाय हए दखती ह अब

इन तीनो परकार की पररवसरवतयो को उनक महति या अविमानय मलय क अनसार िमशः सचीबि

कर लन क बाद ही असिदीकरण की परविया परारमभ की जायगी

iii असिदीकरण क वििान -

जब रोगी विशरामािसरा की आदत अचछी तरह विकवसत कर लता ह और वचवकतसक रोगी

की वचनताओ स समबवनित पररवसरवतयो या उततजनाओ की सची बना लता ह तब असिदीकरण की

परविया परारमभ की जाती ह इसम रोगी को पणथ रप स विशरामािसरा म रहन का वनदश वदया जाता

ह रोगी जब आख बद करक वनवित हो जाता ह तब उसक सामन वचवकतसक कछ पररवसरवतयो का

िणथन करता ह अरिा रोगी को विशष परकार की पररसरवत की कलपना करन को कहा जाता ह तरा

उस यह भी वनदश वदया जाता ह वक इन पररवसरवतयो की कलपना करत समय भी िह पणथ विशराम

की वसरवत म रह सबस पहल एक तिसर पररवसरवत का िणथन वकया जाता ह रोगी यवद इन तिसर

उततजनाओ क उपवसरत होन पर भी शानत रहता ह तो उसक समकष उस पररवसरवत का कालपवनक

िणथन वकया जाता ह वजसम रोगी कम स कम वचवनतत होता ह इसक बाद उसस अविक

वचनतोतपादक पररवसरवत का िणथन वकया जाता ह और इसी तरह िमशः बढ़त हए मलय की उततजक

पररवसरवतयो की कलपना करन को कहा जाता ह ऐसा करन क िम म वजस उततजना क उपवसरत

होन पर रोगी की विशरामािसरा भग होती ह िही पर सतर समापत कर वदया जाता ह इसी परकार

लगातार कई सतरो तक रोगी की वचनतोतपादक पररवसरवतयो की कलपना करन और उनकी उपवसरवत

म शात रहन की आदत डाली जाती ह वचवकतसा-सतर तब तक जारी रखा जाता ह जब तक रोगी

पणथतः सभी वचनतोतपादक पररवसरवतयो म वचनता या तनाि का अनभि नही करन म सिल नही हो

जाता इस परकार वचनता भय या अनय सिगातमक तनाि उतपनन करन िाली परतयक पररवसरवत म

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उततराखड मकत विशवविदयालय 239

रोगी क असिदी होन की अिसरा तक वचवकतसा-सतर जारी रखा जाता ह सािारणतः इन सतरो की

अिवि 15 स 30 वमनि की होती ह तरा सपताह म 2 स 3 बार इन सतरो की पनरािवतत की जाती ह

वचवकतसा की परी अिवि वकतनी लमबी होगी यह रोगी तरा उसक मजथ की गभीरता पर वनभथर

करगी

3) अनिःविसफोटक विवकतसा- इस बाहलय वचवकतसा भी कहत ह यह भी एक परकार की

सिदीकरण परविवि ह वचवकतसा की इस परविवि म रोगी क समकष िह पररवसरवत परसतत की

जाती ह वजसम रोगी सबस अविक वचनता या भय का अनभि करता ह इस परविवि म िमशः

नयनतम मलय स बढ़त हए िम म अविक मलय िाली वचनतोतपादक उततजना परसतत नही की

जाती रोगी को सिाथविक वचनतोतपादक पररवसरवत म तब तक रखा जाता ह जब तक उसकी

वचनता या भय सितः कम या समापत नही हो जाती इस परविवि का मखय उददशय रोगी को यह

अनभि कराना होता ह वक सिाथविक वचनतोपातदक पररवसरवत भी अविक समय तक नही रहती

तरा य पररवसरवतया सहन योगय होती ह इस परकार रोगी जब बार-बार सिाथविक वचनतोतपादक

पररवसरवत की कलपना करता ह और उन पररवसरवतयो म सहनशवकत का विकास करता ह तो

िीर-िीर िह उन पररवसरवतयो की उपवसरवत म भी वचनतामकत या भयमकत रहन की आदत का

वनमाथण कर लता ह

4) दढ़गराही परवशकषण- वयिहार-पररमाजथन की इस परविवि का उपयोग ऐस रोवगयो क सार वकया

जाता ह वजनका पारसपररक समबनि वचनता या सिगातमक अवसररता क कारण वबगड़ जाता ह

अरिा समायोजन योगय समबनिो की सरापना म अिरोि उतपनन होता ह वचवकतसक रोगी स

बातचीत करक उस यह विशवास वदलाता ह वक उसका वयिहार वकन कारणो स असगत एि

कसमायोवजत हो गया ह सार-ही-सार रोगी म परभति की भािना का विकास कराया जाता ह

तावक रोगी म आतमविशवास एि आतमहतता क भाि उतपनन हो सक और रोगी दढ़गराही बन सक

िलप और लजारस क अनसार रोगी और वचवकतसक क बीच िाताथलाप क िलसिरप उसकी

वचनता क सतर म कमी आती ह और रोगी म दढ़गराही परवतवियाए पनपन लगती ह रोगी की इन

दढ़गराही परवतवियाओ क सबल रप स विकवसत होन क वलए वचवकतसक इन परवतवियाओ को

परोतसावहत या परबवलत भी करता ह वजसम रोगी इनका परकाशन िासतविक जीिन म कर सक

दढ़गराही परवतवियाओ को विकवसत करना आसान काम नही ह लवकन िलप क अनसार

रोगी को परवशकषण और पिाथभयास दवारा दढ़गराही बनाया जा सकता ह इसक वलए वचवकतसक को

रोगी म वचनता उतपनन करन िाल वयवकत की भवमका और रोगी की दढ़गराही वयवकत की भवमका अदा

करनी पड़ सकती ह इस परकार भवमका अदा करन की परविवि दवारा वचनता स समबवनित उततजना का

समबनि-विचछद वकया जा सकता ह दढ़गराही परवशकषण क वलए वचवकतसक विवभनन पररवसरवतयो म

दढ़गराही परवतविया रोगी क सामन परदवशथत करत हए कािथन विलम तसिीर िीवडयो िप इतयावद का

भी परयोग करता ह इन सािनो दवारा रोगी क समकष दो परकार क वयवकत उपवसरत होत ह वजनम एक

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उततराखड मकत विशवविदयालय 240

रोगी की समसयाओ को परकि करता ह और दसरा उन पररवसरवतयो म दढ़गराही परवतविए करता हआ

परतीत होता ह बाद म रोगी को भी उस तरह की पररवसरवत म परदवशथत परवतवियाए करन क वलए

कहा जाता ह

5) अरविकर अनकलन- वचवकतसा की इस परविवि का समबनि पराचीन समय क वचनतन क

सार ह पराचीन समय क लोग वकसी वयवकत क अिाछनीय आचरण को दर करन हत दणड दन

की विवि का उपयोग करत र आज भी विकासशील बालको क अनशासनहीन वयिहारो

अरिा बरी आदतो को सिारन हत वकसी न वकसी परकार स दवणडत वकया जाता ह

वयिहार पररमाजथन वचवकतसा विवि क अनतगथत यह दणड कसमायोवजत वयिहार को

परोतसावहत करन िाल तति को दर करन अरिा अरवच उतपनन करन िाली उततजनाओ को उपवसरत

करक वदया जाता ह इसक वलए अविकतर विदयत आघात अरिा विशष परकार की दिा का उपयोग

वकया जाता ह इन उततजनाओ को परसतत करन का मल उददशय रोगी क अिाछनीय या कसमायोवजत

वयिहार उतपनन करन िाली उततजनाओ क मलय को घिाना होता ह वजसम रोगी उनक परवत आकषट

न हो सक और इस तरह उन उततजनाओ क परवत अरवच उतपनन हो जाय

इस विवि का उपयोग सिथपररम कािोरोविक न सन 1930 ई म मदयपान की बरी लत स

पीवड़त रोवगयो की वचवकतसा हत वकया रा रोगी क समकष शराब की बोतल परसतत करन पर जस ही

रोगी उस लन क वलए आग बढ़ता ह अरिा लालच की दवषट स उस दखता रा उसक शरीर म

वबजली का करि लगाया जाता रा इसी तरह शराब की गि अरिा उसक सिाद की कलपना करन

पर भी वबजली स आघात पहचाया जाता रा वबजली दवारा आघत पहचाय जान क िलसिरप रोगी

न िीर-िीर शराब की उपवसरवत को वबजली आघात स समबवनित कर वलया और उसम आकषथण

की जगह विकषथण की विरवच क भाि विकवसत होन लग वजसस अनततः उसकी आदत छि गई

अरवचकर अनकलता को कछ मनोवचवकतसक यावतरक वतरसकार वचवकतसा भी कहत ह

कयोवक इस विवि म अिाछनीय वयिहार को दर करन हत वकसी दसर परकार की सबल उततजना का

सहारा वलया जाता ह वजसक िलसिरप रोगी म समबवनित उततजना क परवत विरवच पदा होती ह

लॉिास िोगिवलन जमस आवद वचवकतसको न भी मदयपान लवगक विकवतया बाधयता विभरम

इतयावद विकवत लकषणो को दर करन म इस विवि का सिलतापिथक परयोग वकया ह अरवचकर

उततजना क रप म कछ लोगो न क करान िाली दिा विदयत आघात अरिा सामावजक आलोचना

आवद का सहारा वलया ह

उपयथकत परविवियो क अवतररकत कछ अनय परकार की परविविया मानवसक रप स असतवलत

रोवगयो क वयिहार को पररिवतथत करन हत उपयोग म लायी जाती ह इन सभी परविवियो क मल

उददशय सगत एि अवभयोजन योगय वयिहारो क वलए घनातमक रप स सवनयोवजत ढग स परोतसावहत

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उततराखड मकत विशवविदयालय 241

करना या परबवलत करना होता ह इनम रोगी की परवतवियाओ को िावछत वदशा म वनवमथत करना

परवतमान या परवत क रप म िावछत परवतवियाओ को परदवशथत करन एि अनकरण करन साकवतक

वमतवयवयता की परविवि इतयावद परविविया परमख ह

6) वििहार विवकतसा विवध का मलिााकन- आिवनक मनविवकतसको की दवषट म वयिहार

वचवकतसा मनोविशलषण सममोहन अरिा अनय वचवकतसा विवियो की तलना म अविक

उपयोगी एि कशल विवि ह इस विवि की उपयोवगता क वनमनवलवखत परमख कारण ह -

i अनय विवियो की तलना म यह एक आसान उपागम ह वचवकतसक दवारा रोगी क वजस वयिहार

म पररमाजथन लाना होता ह उस पहल ही सवनवित कर वलया जाता ह तरा वजस परविवि का

उपयोग करना होता ह इस भी सवनवित कर वलया जाता ह वचवकतसक को रोगो क

विकासातमक पहल का अधययन करन की आिशयकता नही पड़ती अतएि वचवकतसा की

परविया शीघर ही परारमभ कर दी जाती ह तरा बहत कम समय म ही रोगी म समायोजन योगय

वयिहार करन की आदत का वनमाथण हो जाता ह

ii इस विवि की दसरी परिान विशषता यह होती ह वक इसम अपकषाकत समय एि खचथ कम लगता ह तरा अविक सहयोगी कायथकताथओ की भी आिशयकता नही पड़ती अराथत कम

समय खचथ एि कछ ही कायथकताथओ क सहयोग स इस विवि का उपयोग सिलतापिथक वकया

जा सकता ह तरा शीघर ही इसक अचछ पररणाम दवषटगोचर होन लगत ह

iii इस विवि की तीसरी महतिपणथ विशषता यह ह वक यह विवि सपषट रप स वशकषण-वसिानतो पर

आिाररत ह अतएि वचवकतसक क वयवकतति योगयता अरिा दकषता की कोई खास

आिशयकता नही पड़ती अराथत अपकषाकत कम दकष वचवकतसक भी सािारण परवशकषण परापत

कर इस विवि का उपयोग कर सकत ह

लवकन इस विवि की उपयोवगता सभी परकार क रोवगयो क वलए नही ह कछ विशष परकार

क गभीर मानवसक रोवगयो जस मनोविदावलता अरिा अवततीवर विषाद की अिसरा िाल रोगी

आवद की वचवकतसा इस विवि दवारा परायः समभि नही होती इस परकार इस विवि की विवभनन

परविवियो का उपयोग भी अलग-अलग परकार क रोगो क अनसार वकया जाता ह अतएि वकस

परकार क रोगी क वलए वकस परकार की परविवि का उपयोग उवचत होगा इसका चनाि समझ-बझकर

वकया जाना उवचत ह अनयरा वचवकतसा वििल हो सकती ह

156 साराश वजन मनोिजञावनक परविवियो क दवारा वयवकतति-समबनिी उलझनो अरिा गरवनरयो को

सलझाया जाता ह उस मनोवचवकतसा कहत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 242

सामवहक वचवकतसा पिवत िसी वचवकतसा पिवत ह वजसम मनोविशलषण सममोहन

वयिहार पररमाजथन आवद का सामवहक पररवसरवत म उपयोग वकया जाता ह

वडडवकिक सामवहक वचवकतसा म रोवगयो को अपनी विकवतयो (जस मदयपान नशाखोरी

आवद) को दर करन हत सामवहक रप स विकवतयो क बर परभाि स समबवनित तयो को वयाखयान

क रप म परसतत वकया जाता ह

मनःअवभनय म रोगी को वकसी रग-मच जसी पररवसरवत म अपनी समसयाओ सिगो एि

अनय मानवसक विकारो को एक-दसर क सामन परकि करन का अिसर वमलता ह

सामवहक मिभड़ वचवकतसा म रोवगयो क समह को एक विशष िातािरण म रखा जाता ह

जहा ि वबना वकसी वनयतरण क आपस म खलकर अपनी समसयाओ पर बातचीत कर सक

वयिहार वचवकतसा मनोवचवकतसा की एक ऐसी पिवत ह वजसम सीखन की विया स

समबवनित परयोगो दवारा परवतपावदत वसिानतो और वनयमो पर आिाररत परविविया उपयोग म लायी

जाती ह इसक अनतगथत सरल विलोपन िमबि असिदीकरण अनतःविसिोिक वचवकतसा

दढ़गराही परवशकषण अरवचकर अनकलन आवद वचवकतसा पिवत का उपयोग वकया जाता ह

157 शबदािली bull मनःअविनि समह वचवकतसा की एक विवि वजसम रोगी को वकसी रग-मच जसी पररवसरवत

म अपनी समसयाओ सिगो एि अनय मानवसक विकारो को एक-दसर क सामन परकि करन का

अिसर वमलता ह

bull करमबदध असािदीकरण वयिहार वचवकतसा की एक ऐसी पिवत वजसम वचनतोतपादक

पररवसरवत क परवत रोगी को िीर-िीर वचनतामकत रहन अरिा वचनतासतर को कम करन की

आदत का वनमाथण कराया जाता ह

158 सिमलयाकन हि परशन 1) इनम स वकसका उपयोग सामवहक वचवकतसा परविवि क रप म वकया जाता ह

(अ) आतम-ससचन (ब) िमबि असिदीकरण

(स) मनःअवभनय (द) दढ़गराही परवशकषण

2) इनम स कौन सामवहक वचवकतसा की विवि नही ह

(अ) वडडवकिक सामवहक वचवकतसा (ब) सामवहक मिभड़ वचवकतसा

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 243

(स) मनःअवभनय (द) दढ़गराही परवशकषण

3) वनमनवलवखत म स कौन-सी वचवकतसा पिवत मलतः सीखन क अनकलन वसिानत पर

आिाररत ह

(अ) वयिहार वचवकतसा (ब) सामवहक वचवकतसा

(स) मनोविशलषण (द) सममोहन

4) वयिहार वचवकतसा की वजस विवि म वचनतोतपादक पररवसरवत क परवत रोगी को िीर-िीर वचनतामकत रहन अरिा वचनतासतर को कम करन की आदत का वनमाथण कराया जाता ह उस

कहत ह -

(अ) सरल विशलषण (ब) िमबि असिदीकरण

(स) दढ़गराही परवशकषण (द) इनम स कोई नही

उततर 1) स 2) द 3) अ 4) ब

159 सनदभथ गरनर सची 1 असामानय मनोविजञान-नगीना परसाद एि महममद सलमान

2 असामानय मनोविजञान- वसनहा एि वमशरा भारती भिन

3 मनोविकवत एि उपचार- जीडी रसतोगी

1510 तनबनिातमक परशन 1 समह वचवकतसा विवि स आप कया समझत ह यह मनःअवभनय विवि स वकस परकार

समबवनित ह

2 मनोवचवकतसा की विवि क रप म वयिहार-वचवकतसा पिवत क गण-दोषो की वििचना कीवजए

3 सवकषपत विपपवणया वलख -

(अ) मनःअवभनय (ब) िमबि असिदीकरण

(स) दढ़गराही परवशकषण (द) अरवचकर अनकलन

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 244

इकाई-16 मानससक दबथलिा िरा इसक कारण 161 परसतािना

162 उददशय

163 मानवसक दबथलता की पररभाषा

164 मानवसक दबथलता की विशषता

165 मानवसक दबथलता क कारण

166 मानवसक दबथलता एि घिनािम

167 साराश

168 शबदािली

169 सिमलयाकन हत परशन

1610 सनदभथ गरनर सची

1611 वनबनिातमक परशन

161 परसिािना मानवसक दबथलता को मानवसक मदन अलपबवि मानवसक अपणथता मानवसक नयनतमता

मदबविता मवसतषक की कमजोरी तरा जड़ता आवद क नाम स पकारा जा सकता ह वजन वयवकतयो

म बवि का विकास नही हो पाता या अपनी आय क अनरप बवि का विकास नही होता ि सभी

इसी िगथ म आत ह दसर शबदो म ऐस वयवकतयो की बवि लवबि (IQ) सामानय स वनमन सतर की

होती ह परायः वजन वयवकतयो की बवि लवबि का सतर 70 स नीच रहता ह उनह मानवसक विकास

की दवषट स मनद बवि माना जा सकता ह इस दशा क कारण वयवकत जीिन की परतयक अिसरा म

अपन वलय दसरो पर वनभथर करता ह परायः उस परतयक कायथ क वलए दसर क वनरीकषण और

मागथदशथन की आिशयकता होती ह सकषप म हम यह कह सकत ह वक िह अपन कायो को करन म

पणथतः असमरथ रहता ह मानवसक दबथलता की वसरवत बालक-बावलकाओ म जनम क समय पर भी

दखन को वमलती ह लवकन इस हारमोनल असतलन स लत ह

मानवसक दबथलता की कोई सपषट पररभाषा नही ह जो परतयक दश क वयवकतयो की मानवसक

दबथलता का सपषटीकरण कर सक इस असामानयता की पररभाषा दश की सामावजक आवरथक

राजनीवतक िावमथक पाररिाररक मलयो और पमपराओ पर आिाररत होती ह तरा इसका अरथ भी

सरान दश क अनसार ही बदलता रहता ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 245

162 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद आपः

bull मानवसक दबथलता एक परकार की मानवसक विकवत ह

bull इसका समबनि बौविक कषमता स होता ह यरारथ म यह रोग नही ह

bull यह मन और बवि की कमजोरी ह

bull मानवसक दबथलता को मानवसक कमजोरी मानवसक अपणथता मनदबविता मवषतसक की

कमजोरी जड़ता आवद क नाम स पकारा जाता ह

163 मानससक दबथलिा की पररभाषा िालमन (Wolman) क अनसार मानवसक दबथलता क कषतर का समबनि ऐस वयवकतयो स ह

वजनका समायोजन उपलवबि एि जसी अिसराओ अरिा परभािो दवारा कवित अरिा अपयाथपत रह

गय ह जो सामानय अरिा औसत स सपषट रप स नीच बौविक विकास क सतर को उतपनन करत ह

पज (Page) क अनसार मानवसक दबथलता वनमन मानवसक विकास की एक दशा ह जो

वयवकत म जनम स विदयमान होती ह या बालयाकाल क आरमभ म उतपनन हो जाती ह वद अमररकन

एसोवसएशन ऑन मिल ररिाडशन (The American Association on Mental Retardation

1992) क अनसार lsquolsquoमानवसक दबथलता का समबनि ितथमान वियािवि म पयाथपत पररसीमाओ स

होता ह इसम सारथक रप स अिोऔषत बौविक विया होती ह तरा वनमनावकत उपयकत समायोजी

कौशल कषतरो म दो या दो स अविक समबवनित पररसीमाए सार-सार होती ह- सचार आतम दख

रख घरल वजनदगी सामावजक कौशल सामदावयक अनपरयोग आतम वदशा सिासय सरकषा

कायाथतमक वशकषा अिकाश एि कवष मानवसक दबथलता 18 साल की आय क पहल ही

अवभलवकषत होती हrsquorsquo

164 मानससक दबथलिा की विशषिाए दवनक जीिन म हम मानवसक रप स दबथल वयवकतयो को आसानी स उनक हाि-भाि

बोलचाल उिन-बिन चलन-विरन स तरनत पहचान जात ह वक यह वयवकत मानवसक रप स दबथल

ह सािारण तरा सािरणतया हम वनमन रप म उनम विशषताए पात ह

1) शारीररक कमी-

bull मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का शारीररक विकास पणथ रप स नही हो पाता ह

bull पररम दवषट म ही यह पहचान जा सकत ह

bull कद का छोिा या बौनापन असपषट बोली िड़ी-मड़ी चाल

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 246

bull शरीर क वकसी अग का कद क अनसार कम या अविक विकवसत होना

bull शारीररक अग म एक परकार का विचलन या विवचतरता दखन को वमलती ह

2) निनिमिम बौवदधक कषमिा-

bull मानवसक दबथलता म कमी एक परमख विशषता ह

bull मानवसक रप स दबथल वयवकत की औसत बवि समानय लोगो स कम होती ह

bull मानवसक दबथल वयवकत िातािरण क सार समायोजन सरावपत नही कर पात

bull कलपना शवकत याददासत (समवत) आतमविशवास की कमी होती ह

bull जीिन समबनिी समसयाओ को समझ नही पात

bull आय क सार बवि सतर नही बढ़ता ह

bull पढ़न-वलखन की कषमता नही होती ह

bull वयिहार कशलता की कमी होती ह

bull वचनतन करन की शवकत वबलकल नही होती

bull परायः वचनतन स दर भागत ह

bull आय क अनसार वयिहार नही करत ह

3) सामाविक समािोिन की कमी-

bull मानवसक रप स दबथल वयवकत की तकथ शवकत ि कलपना शवकत सामानय वयवकतयो स कम होती

bull मानवसक रप स दबथल वयवकत सामावजक समायोजन म कविनाई महसस करत ह

bull य लोग अपनी दखभाल सिय नही कर सकत ह

bull सिय कोई परबनि नही कर सकत ह

bull सदि दसरो पर वनभथर रहत ह

bull कभी-कभी य लोग सिय न खाना खा सकत ह न कपड़ पहन सकत ह और न ही शारीररक

सिाई कर सकत ह

4) सामाविक आिोगििा-

bull मानवसक रप स कमजोर वयवकत म बवि का सतर सामानय रप स कम होता ह

bull मानवसक मनदन िाल वयवकत वनःसकोच यौन समबनिी अपराि एि समाज विरोिी कायथ करत

bull शारीररक दबथलता क कारण य परायः उकत कायो क परवत वजममदार भी िहराए जात ह

bull समाज म एक परकार स हसी क पातर होत ह

bull सामावजक अिसरो पर उपहास क कारण बनत ह

bull अपन उपहास का कारण नही समझत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 247

5) वशकषा का विापक अिाि-

bull मानवसक दबथलता क कारण इन वयवकतयो म वशकषा का वयापक अभाि होता ह

bull परायः परारवमक सतर स ही वशकषा स िवचत होत ह

bull वशकषण-परवशकषण परापत करन की इचछा भी कम होती ह

6) िीिन अलप परतिाशा-

bull मानवसक रप स दबथल वयवकतयो की औसत आय सामानय वयवकतयो की औसत आय स कम

होती ह

bull मानवसक रप स पीवड़त बालकबावलकाए वबरल ही दीघाथय तक पहचत ह

bull मानवसक मवदत बालकबावलकाओ की वकशोरािसरा म ही मतय हो जाती ह

bull यह भी दखन को वमला ह वक आय क सार-सार इन वयवकतयो म मानवसक कमजोरी और भी

अविक गहरी हो जाती ह जो परायः इनकी मतय का कारण बनती ह

7) धिान की कमी-

bull मनद बवि क कारण धयान विसतार अवत नयनतम रहता ह

bull मनद बवि बालकबावलकाओ म धयान लगान सीखन एि पनःसमरण का अभाि रहता ह

bull धयान क कनरीकरण म असिल रहत ह

bull भविषय की वचनता नगणय रहती ह

bull मातर ितथमान म खान ि पहनन तक सीवमत रहत ह

bull एकागरवचततता का अभाि रहता ह

8) सीवमि पररणा एिा सािग-

bull मानवसक दबथलता स गरवसत वयवकत म सामानय सिगो तरा सामावजक पररणाओ की कमी पायी

जाती ह

bull ऐस वयवकत पररवसरवत क अनकल सिग वदखला सकन म असमरथ होत ह

bull सािारण पररणाय जस वकसी लकषय को परापत करना दसरो स मलजोल रखना आवद की कमी

पायी जाती ह

165 मानससक दबथलिा क कारण मानवसक दबथलता क कारणो क समबनि म मनोिजञावनक एकमत नही ह अविकाश

मनोिजञावनक मानवसक दबथलता का कारण िशानिम मानत ह परनत िशानिम वकतना परभािी

रहता ह इस पर भी एकमत नही ह मानवसक दबथलता कभी-कभी वकसी अपरतयावशत घिना क घिन

या मवसतषक की चोि क कारण म होती ह अनक समय मवसतषक की समवत गरवर क चोविल होन पर

समवत अभाि भी मानवसक दबथलता को बढ़ाता ह मानवसक दबथलता का कभी-कभी कारण भी सपषट

नही हो पाता वजसस मनद बवि िाल वयवकतयो क लकषण भी अलग-अलग होत ह पररणामसिरप

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 248

उनक कारण भी अलग-अलग हो जात ह उदाहरणारथ यवद नािा वयवकत कायथ करन म अकषम ह

लवकन एकागरता सामानय वयवकतयो की भावत ह इसी परकार यवद कभी मनद बवि वयवकत की सपषट

आिाज नही ह तो िह इशार स समझता ह लवकन कायथ करन की कषमता ह मनोिजञावनको न इनक

सिरप को सपषट करन क वलए कछ कारण बताए ह वक कयो मानवसक दबथलता होती ह

1) साकरमण रोग-

bull जनम-आघात क कारण भी मानवसक दबथलता हो सकती ह

bull जनम क तरनत बाद या गभाथिसरा म वकसी परकार की बीमारी स परभावित होन पर बचच क

मवसतषक का सामानय विकास मनद पड़ जाता ह तरा उसम मानवसक दबथलता उतपनन हो जाती

bull गभथिती माता यवद वकसी भी सिामक रोग स गरवसत ह तो उसका असर गभथ म पलन िाल

उसक बचच क मवसतषक या बचच क बनािि पर भी पड़ता ह

bull एडस रोग स गरवसत माता-वपता क बचच भी मद बवि क वशकार होत ह

bull माता-वपता यवद वसिवलश (यौन रोग) स पीवड़त ह तो बचच म भी शारीररक कमी दखी जाती ह

bull नशा या मधयपान करन िाल सतरी-परषो क बचचो का मानवसक सतर भी कम होता ह

2) कपोषण-

उपयकत पोषण क अभाि म भी बचच मानवसक रप स दबथल पदा होत ह परायः यह पाया

जाता ह वक विकवसत दशो क वयवकतयो का बौविक सतर अविकवसत दशो की तलना म अविक

होता ह

bull कपोषण क कारण बचच सिसर नही होत कभी-कभी मानवसक रप स दबथल बचच ही पदा होत

bull कपोषण स बचच जहा मानवसक रप स दबथल रहत ह िहा उनक अगो का समवचत विकास नही

हो पाता ह

bull कपोषण क कारण दवकषण अफरीका क एक दश क एक परानत की जनसखया बौनी ह

bull गभथिती माता का पौवषटक आहार न किल बचच को सदढ़ बनाना ह बवलक होन िाल बचच क

बौविक सतर को भी बढ़ाता ह

3) िलिाि-

वकसी दश या परानत की जलिाय का उस दश की जनसखया क बौविक सतर पर भी परभाि

पड़ता ह

bull परायः बड़ परानतो क वयवकतयो म मानवसक दबथलता गमथ दशो की तलना म कम होती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 249

bull गमथ जलिायम गभथ म भरण आसानी स पररपकि हो जाता ह वजसस माताए जलदी-जलदी गभथिती

हो जाती ह िलसिरप उसका परभाि बार-बार परसि क कारण जहा माता क सिासय पर पड़ता

ह िही बचच की मानवसक वसरवत ि सिासय पर भी पड़ता ह

4) नशा-

bull गभाथिसरा म कछ माताए नशा करती ह जस एलकोहल कनन तमबाक मरीजआना आवद स

भरण की मानवसक अिसरा परभावित हो जाती ह

bull जब रवय खड़ी या परहन (Placenta) को पार करक गभथसर वशश कषवत पहचाता ह तो

िीरिोजनस (Teratogens) कहा जाता ह

bull फरावसका तरा उनक सहयोवगयो (Frascia etc 1994) क अनसार कोकन तमबाक तरा

माररजआना तीन महतिपणथ िीरोिजनस ह जो मानवसक रप स गभथसर वशश को कमजोर करत

bull सोचन ि करन की कषमता कम होना

bull परतयक कायथ म दरी करना

bull वशकषा क परवत कम लगाि

bull हबर (Heber 1970) िाजथन एि आसन िगथ (Tarjan amp Eisenberg 1972) न अपन-

अपन अधययनो म पाया ह वक जब बचच ऐस पाररिाररक ससकवत स आत ह वजनम बौविक

चतन की कमी पायी जाती ह तरा पररिार म गरीबी होती ह तो कम स कम 58 परवतशत बचच

मानवसक रप स अिशय दबथल हो जात ह

166 मानससक दबथलिा एि घटनाकरम विवभनन शोि अधययनो म मानवसक दबथलता का सतर परतयक दश म अलग-अलग बताया

ह यह उपयकत कारणो एि उपचार क अभाि म वनमन होता ह

मानवसक दबथलता की गवत लगभग 5 िषथ की आय म तीवर होत दखी जा सकती ह

इस आय स ही मानवसक दबथलता क लकषण दख जा सकत ह

जनम स तीन-चार िषथ की आय म परायः मनदन की वसरवत सपषट नही हो पाती

परायः यह माना जाता ह वक पाच िषथ की आय स पिथ की उसक बोलन-चलन म वयििान

अजञान कारणो स हो रहा ह

परायः अलपाय म ही अविकाश मानवसक दबथलता क वशकार बचचो की मतय हो जाती ह

लगभग 15 िषथ क बाद इनकी सखया म कमी होन लगती ह

परौढ़ािसरा तक पहचन तक इनकी सखया लगभग नगणय-सी रह जाती ह

ऐस वयवकतयो का आय विसतार कम होता ह

अनक बार शारीररक कमी क कारण ही इनकी अकाल मतय हो जाती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 250

दःख बीमारी क लकषणो का सही रप स जञान न होना ि उस अवभवयकत करन म उपचार म

कविनाई आती ह उपयकत उपचार म कमी क कारण मतय हो जाती ह

1) मटाबोवलजम म कमी-

bull मानवसक दबथलता का एक कारण मिाबोवलजम का कम या िवि न होना

bull मिा बोवलजम की कमी आहार िशा तरा परोिीन क कारण होती ह

bull राइराइड गरवनरयो म उचचािचन होन स मानवसक दबथलता बढ़ती ह

2) मवसिरक क अागो की कषवि िा विकास न होना-

मानवसक दबथलता का एक कारण मवसतषक क अगो की कषवत या आय क अनसार विकास

न होना ह

bull कभी परौढ़ लोगो क मवसतषक म चोि लगन क कारण भी मानवसक दबथलता को बढ़ािा वमलता

bull चोविल वयवकत समरण शवकत खो बिता ह या अपनी ितथमान उमर स कम की सोच रखता ह यह

भी मनद बवि का कारण ह

bull अनक समय चोविल वयवकत वचड़वचड़ा या पागलो की सी हरकत करता ह

उमर क अनसार मवसतषक क अगो का विकास न होन पर िह मानवसक दबथलता का वशकार

हो जाता ह

सामावजक - सासकवतक िचन

कछ विशषजञो का मत ह वक िातािरण समबिी आिशयक ततिो क अभाि म बचच

सिगालमक रप स उतपनन किा क वशकार हो जात ह वजनस उनम मानवसक दबथलता उतपनन हो

जाती ह कारसन 1988ि न अपन अधययन क आिार पर बतलाया ह वक जब बचच को माता-

वपता क सनह स िवचत रह जाना पड़ता ह

तो उसस भी मानवसक दबथलता उतपनन होती ह इस तरह की घिना क कारण हो सकत ह

वजनम सामावजक आवरथक सतर का वनमन होना माता-वपता का तलाक या मतय घरो म वयवकतयो की

सखया अविक होना आवद होता ह

पाररिाररक पषठभवम

हबर (1972) िारजन एि आसनिगथ (1972) न अपन-अपन अधययनो म बताया ह वक

जब बचच ऐसी पाररिाररक ससकवत स आत ह िौवहक उततजन की कमी पायी जाती ह तरा पररिार

गररबी स अवभसावपत होता ह तो कम स कम ऐस 58 परवतसत बचच मानवसक रप स अिशय दबथल

हो जात ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 251

लविस क दो विपररत पाररिाररक परषठभवम का अधययन करन पर कछ आकड़ परात वकय

पररिार मखथ मढ़ जड़

शरसि पररिार 12 33 33

नयनतम पररिार 62 35 27

3) गिायिसथा क दोष-

कछ मानवसक दबथलता गभाथिसरा क दौरान कछ अजञात कारणो स उतपनन होती ह इस

तरह की मानवसक दबथलता का कारण जनमजात मवसतषकीय दोष बताया गया ह मगोवलजम

लिशीषथता िहदशीषथता जलशीषथता तरा एनन वसिली ऐस ही मानवसक दबथलता क कछ

उदाहरण ह

अविकाश मनोिजञावनक मानवसक दबथलता का कारण िशानिम मानत ह परनत िशानिम

का वकतना परभाि रहता ह इस बार म मनोिजञावनक एक मत नही ह इमना अिशय ह वक 50 स 75

परवतशत दबथल वयवकत क माता-वपता भी दबथल िवि क होत ह इस बात की पवसि गोडाडथ

(Goddard) कालीकाक (Kallikak) न पररिारो का अधययन करक की रोजनोि (Rosanoff)

तरा उसक सहयोवगयो न समान तरा असमान जड़िा बचचो का अधययन करक बताया वक 91

परवतशत समान जड़िॉ बचच और 53 परवतशत असमान जड़िा बचच मानवसक दबथल पाय जात ह

जनम आघात क कारण भी मानवसक दबथलता हो सकती ह एसा जनम क समय या जनम क

बाद मवसतसक पर आघात पहचन क कारण होता ह परनत यही किल कारण नही ह कयोवक कछ

बचच वबना जनम आघात क भी मानवसक दबथलता स गरसत हो जात ह

कछ विशष परकार की अनतथसतरािी गरवनरयो क सामानय रप स कायथ करन क कारण भी

मानवसक दबथलता उतपनन हो जाती ह

167 साराश मानवसक दबथलता ऐस अलप बौविक विकास का बोि होता ह वजसम समबवनित वयवकत

का वकसी जविक अरिा अवजथत कारणो स अपन जीिन म वयािहाररक तरा सामावजक समायोजन

एक परकार स लगभग सरायी रप स वशवरल पड़ जाता ह यह एक परकार की मानवसक विकवत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 252

जो जनम स या मवसतषक म वकसी गमभीर चोि क कारण उतपनन होती ह यह मन ि बवि की

कमजोरी ह परायः हम मदबवि का अरथ उस रोगी स लत ह वजनका बौविक विकास सामानय

वयवकतयो स कम हो जाता ह परायः इस रोग स गरवसत वयवकतयो की दसरो पर वनभथरता रहती ह इस

परकार क वयवकतयो की जीिन परतयाशा सामानय वयवकतयो स कम होती ह मानवसक दबथलता क

कारक ि लकषण अनक होत ह वजनका पिथ म विसतार स िणथन वकया गया ह मानवसक दबथलता स

गरवसत वयवकत सभी दशो म दख जा सकत ह वकसी दश म इनकी परवतशत रप सखया अविक होती

ह तो कही कम

मानवसक दबथलता क अनतगथत ऐस वयवकतयो को रखा जा सकता ह वजनक मानवसक

विकास की मातरा अपणथ ह या अिरोवित हो गयी ह वजनम आय म िवि क अनरप बवि का

विकास कम हो रहा ह या अिरि हो गया ह सकषप म उकत वििचना वनमन परकार स सारावशत कर

सकत ह

bull सामानय वयवकत की बवि स बहत कम बवि

bull मानवसक दबथलता स तातपयथ सीवमत समायोजन सीवमत बौविक कषमता शारीररक कमी

सीवमत पररणा धयान चतना म कमी बौनापन आवद स ह

bull मानवसक दबथलता क सामानय कारणो म गमभीर (सिमण) मदयपान मवसतषकीय अगो म कषवत

आवद परमख ह

bull जनम स मद बवि वयवकतयो का उपचार बहत कम दखा गया ह

168 शबदािली bull मानवसक दबयलिा इसम दोषपणथ वचनतायकत िातािरण म आगरहपणथ और अवनिायथ विचार

वचवकतसा समबनिी वििरण पर हािी रहत ह

bull मनोविकवि एक परमख मानवसक अवयिसरा जो विया समबनिी हो सकती ह उसम

विशषतः िासतविकता का अनपयकत मलयाकन होता ह

bull मादबवदधिा इसम सोच-विचार की कषमता कम होती ह

bull मानवसक विकास जस-जस बचचा बढ़ता जाता ह उसम सोचन-समझन की कषमता भी बढ़ती

जाती ह

bull वनरीकषण वनरीकषण स तातपयथ दखरख स होता ह

bull मागयदशयन मागथदशथन म उसको सही रासत का जञान होता ह

bull निनिम बौवदधक कषमिा दबथल वयवकत की औसत बवि सामानय लोगो स कम होना

bull कलपनाशवि सोचन-विचारन की कषमता

bull सामाविक अिोगििा समाज म उिन-बिन खान-पीन रहन म असमरथ

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 253

bull िीिन अलपपरतिाशा मानवसक मदन की वसरवत वजतनी ही अविक गहरी होती ह उसकी

जीिन परतयाशा भी उतनी ही कम रहती ह

bull धिान विसिार धयान स सनना

bull एकागरविततिा कोई भी कायथ मन लगाकर करना

bull बवदध लवबध योगयता परवतमान

bull अपरतिावशि अचानक

bull वसफवलटा यौन रोग

bull कपोषण वििावमन यकत खान का अभाि

bull अदधयविकवसि वजसका परा विकास नही हो पाता ह

169 सिमलयाकन हि परशन I िसिवनषठ परशन

1) मानवसक दबथलता म वयवकत की बवि लवबि (IQ) होती ह-

a) 70 स ऊपर b) 70 स नीच

c) 20 स नीच d) 50 स नीच

2) तीवर मानवसक दबथलता क सतर म वयवकत की बवि लवबि (IQ) होती ह

a) 52 स 60 तक b) 25 स 35 तक

c) 36 स 51 तक d) 60 स 70 तक

3) मानवसक रप स दबथल वयवकत की तकथ शवकत तरा कलपनाशवकत सामानय वयवकतयो म होती ह-

a) कम होती ह b) जयादा होती ह

c) बराबर होती ह d) नही होती ह

4) मानवसक रप स पीवड़त वयवकत म लकषण पाय जात ह-

a) शारीररक कमी b) सामावजक अयोगयता

c) नयनतम बोविकता d) उपरोकत सभी

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 254

II ररि सथान की पविय कीविि-

1) मानवसक रप स कमजोर वयवकत म बवि का सतर सामानय रप सहोता ह

2) मानवसक दबथल वयवकत िातािरण क सार सरावपत नही कर पात ह 3) आय क सार बवि सतर बढ़ता ह

4) कलपना शवकत याददाशत तरा आतमविशवास की होती ह

5) ऐस वयवकतयो का आय विसतारहोता ह

6) कपोषण क कारण दवकषण अफरीका क एक दश क एक परानत की जनसखया ह

III सति-असति बिाइि-

1) मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का शारीररक विकास पणथ रप स नही हो पाता ह सतयअसतय

2) वयवकतयो की पढ़न-वलखन की कषमता अविक होती ह सतयअसतय

3) ऐस वयवकत दसरो पर वनभथर रहत ह सतयअसतय

4) एकागर वभननता का अभाि रहता ह सतयअसतय

5) लगभग 15 िषथ बाद इनकी सखया म कमी होन लगती ह सतयअसतय

IV एक शबद म उततर दीविि-

1) मानवसक रप स दबथल वयवकत की औसत बवि सामानय लोगो स कम होती ह या जयादा

2) वकस गरवनर म उचचािचन होन स मानवसक दबथलता बढ़ती ह 3) कपोषण क कारण वकस दश क एक परानत की जनसखया बौनी ह 4) जब रवय खड़ी या परहन (Placenta) को पार करक गभथसर वशश को कषवत पहचाता ह उस

कया कहत ह

उततर I िसतवनषठ परशन-

1) b 2) b 3) a 4) d

II ररकत सरान की पती कीवजए -

1)कम 2) समायोजन 3) नही 4) कमी 5) कम 6) बौनी

III सतय असतय बताइय -

1) सतय 2) असतय 3) सतय 4) सतय 5) सतय

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उततराखड मकत विशवविदयालय 255

IV एक शबद म उततर दीवजए -

1) कम 2) राइराइड गरवनरयो 3) दवकषण अवफरका 4) िीरिोजनस

1610 सनदभथ गरनर सची bull कोचीन एसज माडथन कलीनीकल साइकोलोजी सीिीएस पवबलशसथ वदलली 1989

bull कवपल एच क असामानय मनोविजञान हरपरसाद भागथि कचहरी घाि आगरा 2001

bull कवपल एच क आिवनक नदावनक मनोविजञान भागथि बक हाउस आगरा वदवतीय ससकरण

1996-97

bull कवपल एच क अनसिान विविया हरपरसाद भागथि आगरा 1989

bull रािर ज पी कलीनीकल साइकोलोजी परवनिसहाल आि इवणडया नई वदलली 1964

bull सणडिगथ एनडी िाइलर एल ई कलीनीकल साइकोलोजी म यन एणड कमपनी वलवमिड

लदन 1963

bull वसह आरपी नदावनक मनोविजञान वि प मवनदर आगरा 1981

bull वसह लाभ एि वतिारी गोवबनद असमानय मनोविजञान विनोद पसतक मवनदर 1984

bull शरीिासति अजय कमार मनोविकवत विजञान अगरिाल पवबलकशन आगरा 2009

bull ओझा आर क असामानय मनोविजञान हरपरसाद भागथि कचहरी घाि आगरा 1991

bull चौब एसिी असामानय मनोविजञान और आिवनक जीिन विनोद पसतक मवनदर आगरा

1988-89

bull वसह ए क आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसीदास नई वदलली 2002

1611 तनबनिातमक परशन bull लघ उततरीि परशन

1 मानवसक दबथलता क सिरप का िणथन कीवजए 2 मानवसक दबथलता क घिना िम को बताइए 3 वकनही दो मानवसक दबथलता की विशषता का िणथन करो

bull विसिि परशन

1 मानवसक दबथलता वकस कहत ह उदाहरण सवहत वयाखया कीवजए

2 मानवसक दबथलता की विशषताओ का उललख कीवजए

3 मानवसक दबथलता क कारणो को सपषट कीवजए 4 मानवसक दबथलता पर सकषप म वनबनि वलवखए

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उततराखड मकत विशवविदयालय 256

इकाई-17 मानससक दबथलिा की रोकराम और उपचार 171 परसतािना

172 उददशय

173 मानवसक दबथलता की रोकराम

174 मानवसक दबथलता स गरवसत वयवकत म िलाि म वनयतरण

175 मानवसक रप स गरवसत वयवकतयो का उपचार

176 साराश

177 शबदािली

178 सिमलयाकन हत परशन

179 सनदभथ गरनर सची

1710 वनबनिातमक परशन

171 परसिािना मद बवि क लोगो की सखया म िवि का तातपयथ िशानिम स ह या माता-वपता क जीनस

(जो मनद बवि यकत ह) उनकी आन िाली पीढ़ी म न आ जाए अनक अधययनो स यह भी पता

चला ह वक वकसी पररिार म यवद एक स अविक मद बवि वयवकत ह तो इसका अरथ ह वक कही न

कही यह मानवसक दबथलता उसम िशानिम स तो नही ह तब ऐस मद बवि वयवकतयो क परजनन पर

वनयतरण लगाया जाए

172 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull मानवसक दबथलता की रोकराम क बार म जान सक ग

bull मानवसक दबथलता का उपचार कर सक ग

bull मदबवि लोगो की सखया म वनयतरण कर सक ग

bull मानवसक दबथलता स गरवसत वयवकत म इस रोग क िलाि म वनयतरण कर सक ग

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उततराखड मकत विशवविदयालय 257

173 मानससक दबथलिा की रोकराम 1) बाधिाकरण- आिवनक मनोविजञान विशषजञो का मानना ह वक अगर वकसी पररिार म कोई मद

बवि बचचा ह तो उसकी नसबनदी कर दी जाए यदयवप यह कदम नयायोवचत नही ह परनत

मानवसक दबथलता को रोकन का महतिपणथ उपाय ह वजसस आन िाली पीड़ी म मानवसक

दबथलता आग नही बढ़ पायगी

2) गियपाि- यवद मानवसक रप स दबथल मवहला गभथिती हो तो उसका गभथपात करा वदया जाए

तावक उसक बचच पदा न हो सक कयोवक मदबवि क बचचो क होन की सभािना अतयविक

रहती ह

3) शादी-विाह पर रोक- यवद वकसी पररिार म मानवसक रप स दबथल वयवकत ह तो माता को

चावहए वक िह उसकी शादी न कर मरा यहा तक सझाि ह वक सरकार को चावहए वक एक ऐसा

कानन बनाया जो गमभीर रप स मानवसक दबथल वयवकतयो क वििाह पर रोक लगा सक

4) कशल परसविकिी- यह भी आिशयक ह वक जो परसवतकती ह उसका कशल होना आिशयक

ह कयोवक गभथिती माताओ क वलए जनम क समय वशश क वसर को वकसी परकार का अघात न

पहच और जनन परविया सिल हो सक कभी-कभी अनक वशशओ जनम क समय आघात स

ही मानवसक मदन की वसरवत उतपनन होती दखी जाती ह

5) कपोषण- गभथिती माताओ को कपोषण बीमारी तरा लमब समय स तनाि स बचाना चावहए

बामवनषटर (Baumeister) न ऐसी माताओ को एलकोहल स दर रहन की सलाह दी ह

174 मानससक दबथलिा स गरससि वयनकि म फलाि म तनयतरण

मानवसक रप स दबथल वयवकत का पणथरपण इलाज तो सभि नही ह परनत उनका उपचार

करक िलाि को रोका जा सकता ह

1) मािा-वपिा को िागरक बनाना- मानवसक रप स दबथल वयवकतयो क उपचार म सबस

पहला कदम यह ह वक पीवड़त वयवकत क माता-वपता को इस वदशा म जागरक करना होगा वक

उनका बचचा मानवसक रप स मद बवि ह तरा उसकी आिशयकतानसार दख रख की जाए

ऐसी पररवसरवत क वलए इस बात की आिशयकता ह वक माता-वपता को इस ढग स वशवकषत की

जाए वक ि अपन बचचो की ऐसी कमजोररयो का बालयािसरा म ही पहचान कर ल वजसस

ऐस बचचो का उवचत वयवकतति और वयािसावयक परवशकषण दकर आतमवनभथर बनाया जा सक

2) सकल परवशकषण- मानवसक रप स दबथल वयवकतयो को उनह रोजगारोनमख विषयो पर परवशकषण

दकर आतमवनभथर बनाना होगा ऐस मद बवि बचचो का सकल अलग या विर उनकी ककषाए

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उततराखड मकत विशवविदयालय 258

अलग रखी जाय कयोवक सामानय बचचो म उनकी दख-रख सभि नही ह इनक पाियिम

इनकी समझ क सार अलग हो

विशष ककषा क इन लाभो क सार कछ समसयाए भी ह जस- हलिर हॉलजमन एि

मवससक (Helter Holtzman amp Messick 1982) न अपन अधययन क आिार पर यह बताया

ह वक इस परकार का कायथिम परायः अलग मकान म वनयवमत ककषाओ स हिकर चलाया जाता ह

तरह का लगाि सामानयीकरण का परवतकल होता ह तरा सामानय छातरो म मानवसक एि दबथल

बचचो क परवत पिाथगरह उतपनन कर दता ह इसवलए आजकल इस तरह क विशष वशकषा का विकलप

ढढ वलया गया ह वजसम सािारण राय स मानवसक दबथल बचचो को भी आवशक रप स सामानय

बवि क बचचो की ककषा म बिाकर कछ समय क वलए वशकषण वदया जाता ह इस डनन (Dunn

1968) न मखय परिाही कहा ह

3) पाररिाररक पिायिरण- मनोिजञावनको का मत ह वक मानवसक रप स दबथल बचचो का

पाररिाररक िातारण सौहादथपणथ होना चावहए माता-वपता ऐस बचचो को सनह पयार अनय

बचचो क समान द ऐस म इन बचचो म आतमविशवास एि मनोबल म िवि होगी पररिार क

पररवचत ि सखद पयाथिरण म रहन स भी अकसर दखा गया ह वक उनका बौविक विकास

अपकषाकत अविक तरा शीघर होता ह

4) िािािरण म सधार- ऐस बचचो क पाररिाररक िातािरण म सिार करना होगा उनह वकसी

परकार की कमी का एहसास न हो मानवसक रप स दबथल वयवकतयो को समाज ि घर म उवचत

सममान वमलना चावहए गमभीर रप स मानवसक दबथलता स गरवसत बचचो को ऐस िातािरण

विशष रप स ऐसी ससरा म रखकर उपचार वकया जाना चावहए जहा उनक उपचार क वलए

विशष परबनि हो

5) मवरकल उपिार- ऐस बचच जो मानवसक रप स पीवड़त ह उनका मवडकल उपचार भी

आिशयक ह मवडकल उपचार म विशषकर हामोन वचवकतसा का विशष महति बतलाया ह

जस हाइपोरायरावडजम (Hypothyroidism) या िविवनजम की वचवकतसा राइिाकसीन की

सई दकर या विवकया वखलाकर आसानी स वकया जा सकता ह

175 मानससक रप स गरससि वयनकियो का उपचार मानवसक रप स दबथल या मद बवि को कस रोका जाए या कम वकया जाए एक तय ह

तरा इसका उपचार वकस भावत हो यह दसरा तय ह िस तो मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का

पणथरप स उचार समभि नही ह कयोवक यह जनमजात वबमारी होती ह अतएि समल वनिारण नही

हो पाता

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उततराखड मकत विशवविदयालय 259

जसा वक अलपबवि या मानवसक मदन अनक परकार की होती ह यह वयवकत म अलग-

अलग होती ह हम उनक हाि-भाि आकार या बवि लवबि स उनका िगीकरण करत ह इसी

िगीकरण क आिार पर मनोवचवकतसक एि वचवकतसक उनक लकषणो क आिार पर उनका उपचार

भी करत ह

bull उदाहरणारथ- भौगोवलक मानवसक मन स गरवसत वयवकत क अविकाश शारीररक लकषण बाहरी

रप स मगोल दश क वनिावसयो क लकषणो स वमलत-जलत ह ऐस वयवकत का कद नािा या

छोिा होता ह मनोिजञावनक इस िशानगत मानत ह इनक लकषण जनम स उभर जात ह

bull शरीर क अगो का विकास समान रप स नही होता ह

bull यह रोग गभथिती माता क हारमोनो म असतलन आन स होता ह अतः गभथिती माता को

सतवलत आहार वदया जाए वजसस बचचा इस बीमारी पदा न हो

bull गभथिती माता को कभी भी एकस-र नही कराना चावहए कयोवक इसस मगोवलया बीमारी को

बढ़ािा वमलता ह

1) िरिामनिा-

जडिामनता ऐसी मानवसक दबथलता ह वजसम गभथसर वशश क शरीर क हारमोन असतवलत

होन स असामानयता आ जाती ह रायराइड गरवनरयो म असतवलत विकास या विकार आन स यह

रोग उतपनन होता ह परायः य रोगी बौन होत ह आयोडीन की कमी कपोषण का सीिा असर

रायराइड गरवनरयो म पड़ता ह वजसका वशकार गभथसर वशश होता ह

bull राइरोवकसन ि आयोडीन की कमी स यह रोग होता ह अतएि यरा समय उकत अियिो की

कमी को परा वकया जाए

bull इजकशन क माधयम स राइरोवकसन पहचाकर रोग िलन को रोका जा सकता ह

2) िलशीषयिा-

bull इस परकार का मद बवि रोग कभी जनम स या जनम क 2-3 िषथ बाद भी दखन को वमलता ह

इस बीमारी म वसर का आकार मर रवय क अतयविक मातरा म सवचत होन क कारण शरीर क

अनय भागो की अपकषा लगभग दगना हो जाता ह मवसतषक म सजन आन स विकार उतपनन

हो जात ह

bull जलशीषथता का उपचार परायः कविन ह कयोवक इसम समपणथ मरदणड ि मवसतषक म गड़बड़ी

उतपनन होन की अविक समभािनाए होती ह

bull परायः शलय वचवकतसा स ही इसका उपचार हो सकता ह

3) पी क ि-

पी क य मानवसक मनदन की एक ऐसी वसरवत ह वजसम रोगगरसत वशश का शारीररक तरा

मानवसक विकास रक जाता ह पाचक रसो क अभाि म विनाइललावनक की मातरा बढ़ जाती ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 260

वजसस बचच का मिाबोवलजम वबगड़ जाता ह िलसिरप बचच का मानवसक विकास िीमी गवत स

बढ़ता ह या रक जाता ह बचच को कछ समय बाद मगी क दौर पड़न लगत ह अतएि पीकय

रोग स गरवसत बचच क इलाज म जरा भी दरी नही करनी चावहए बचच को ऐसा भोजन वदया जाए

वजसस विनाइललावनक की मातरा बहत नयनतम हो वजसस बालक क मवसतषक को होन िाली कषवत

स बचाया जा सक

मनवसक दबयलिा स समबवनधि दबयलिाए एिा उनक उपिार(PROBLMS RELATING

TO MENTAL DEFICIENCY amp THEIR TREATMENTS)

ितथमान समय क छातर-छातराओ स समबवनित समसयाओ का मनोिजञावनक एक महतिपणथ

कारक ह ियसथ (1985) का मानना ह वक छातरछातराओ का नदावनक मनौिजञावनक समसयाओ का

अधययन परायः वनमन रपो म करत ह

I मानवसक दबयलिा स समबवनधि समसिाए (Problems Relating to mental

Deficiency)-

1 ऐस छातरछातराए वजनकी बौविक कषमता अपनी िासतविक आय स भी तलना म कम होती ह

तरा ि अपन वदन परवतवदन की सामानय वजनदगी म समायोजन नही कर पात ह नदावनक

मनोिजञावनक का मानना ह वक मनद बवि क छातरछातराओ क पाियिम परक हो तरा उनकी

बवि क सतर को ऊचा उिान क सतत परायास वकय जाय

2 कषमता परवशकषण (Ability Training) िपहािथ (1971) अकसर ऐस अलपबवि क

छातरछातराओ को उस विशष कषतर म परवशकषण वदया जाना चावहए वजसक कारण उनक उपलवबि

कषतर म कमी आई ह

3 कौशल परवशकषण (Skill Training) ऐस बालक बावलकाए जो वकसी विशष कषतर म दकषय ह

परनत उस हत उनह पयाथपत अिसर नही वमल पाया हो वजसक कारण ि मनोिजञावनक रप स

असिसर ह ऐस रोवगयो क कौशल को छोि-छोि परयोग करक उनक कौशल को उभारा जा

सकता ह

II वििहार विकवि स समबवनधि समसिाए (Problems Relating To Behaviour

Disorders)-

नदावनक मनोिजञावनको का यह विशवास रहा ह वक यदा-कदा वयिहार विकवत स भी अनको

परकार की मनोिजञावनक समसयाए उतपनन हो जाती ह ऐस बचचो यिा िगथ म वकसी कायथ को सीखन

की अकषमता पाई जाती ह य सामानय िगथ क समान वयिहार नही करत ह

परायः ऐस बचचो म विषाद (Depression) मनोदशा सदा बनी रहती ह इस तरह क

मनोरोवगयो की चाररवतरक विकवत वकशोर अपराि वयवकतति विकवत आवद की शरणी म रखा जाता

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उततराखड मकत विशवविदयालय 261

ह अतः नदावनक मनोिजञावनको को ऐस बचचो की समसयाओ को परारवमकता दत हए उपचार

करना पड़ता ह ऐस मनोरोवगयो का कारण मनोिजञावनक तरा शारीररक दोनो होता ह य समाचर

वदनोवदन बढ़ जाती ह जो अविभािको को तरा वशकषको दोनो की समसया उतपनन करती ह कॉिमन

(1987) क अनसार बचचो का अपन माता-वपता भाई-बवहन ि सग समबवनियो तरा अपन वमतरो क

सार अचछ समबनिो का न होना या उपकषापणथ वयिहार वकया जाना परमख कारण ह कॉिमन न ऐस

रोवगयो क उपचार हत अनक मॉडल बनाए ह वजनम वनमन परमख ह

i) मनोगवतक माडल- जब वयिहार विकवत का कारण बचचो क उपाह अह पराहम

असतलन क कारण काई विकवत आती ह तो उस मनोगवतक परभाि कहत ह इसक उपचार

हत रोगी को नदावनक मनोिजञावनक की परामशाथनसार कायथ करना चावहए

ii) जविक माडल- जब अनिावशक कारणो स विकवत आवत ह ऐस मनोरोवगयो क जविक

माडल क अनतथगत रखा जाता ह इनका उपचार मवडकल वचवकतसा दवारा समभि ह

iii) पाररवसरवतकी मॉडल- बचचो का अपना िातािरण क सार अनय लोगो तरा सामावजक

समसयाओ क सार अनतःविया पर बल डालता ह वजसस िादय परिश क सार वमलजलिा

रहन पर उनक बाचार-वयिहार पर भी अनकल परभाि पड़ता ह

III सािार विकवि स समबवनधि समसिाए-

ऐस वयवकत वजनम िाणी या भाषा स समबवनित विकवतया होती ह को सचार विकवत कहत

ह इस परकार क मनोरोगी सामावजक रप स कसमायोवजत होत ह तरा अपनी भािनाओ को सही

रप म वयकत नही कर पात ह उदाहरणारथ यदी बचपन म िाणी या भाषा दोष हो उस सचार विकवत

नही कहा जा सकता

यदी 14-15 िषथ क बाद उसी परकार भाषा या िाणी का परयोग दवनक वजिन म करता ह तब

सचार विकवत कहा जा सकता ह नदावनक मनोिजञावनको का मानना ह वक कछ सचार विकवतया

आवगक होती ह तरा कछ विकवतया कायाथतमक आवगक तातपयथ शारीररक कमी क कारण सही न

बोल पाना ह

नदावनक मनोिजञावनको का मत ह वक कछ सचार विकवतया आवगक होती ह कछ

विकवतया कायाथतमक होती ह आवगक होन स ऐस विकवतयो का कारण कछ शारीररक असामानता

जस- दात का न होना िाणी पवशयो म पकषापात शरिण दोष आवद पाय जात ह जब सचार

विकवतयो का आिार कायाथतमक होता ह तो इसका कारण शारीररक न होकर पयाथिरणी परभाि होत

ह ऐस बचचो को िातािरण दोषपणथ वमलन क कारण य अनपयकत सचार करना सीख लत ह

ऐस बचचो क उपचार म नदावनक मनोिजञावनक मनोरोग विजञानी तरा अनय परामवडकल

विशषजञ सयकत रप स राम लत ह य लोग बचचो म पहल सनन की कषमता विकवसत करन की

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 262

कोवशश करत ह तरा समान आिाज क बचचो म विभद करना उनह वसखलात ह बचचो को कविन

शबद िाकय आवद सीखलाया जाता ह ऐस परवशकषण दत समय बचचो क सामन एक उततम भाषा

मॉडल परसतत वकया जाता ह तरा उपक घनातमक वनषपादन को परसकत वकया जाता ह तरा उस

सही-सही ढ़ग स बोलन क वलए परोतसावहत वकया जाता ह मकडोनालड (1989) म एक अधययन

वकया और पररणाम म दखा वक 15 ऐस बचचो म करीब 7 बचचो न वजनम सचार विकवत का

आिार कायाथतमक रा उपयकत ढग क परवशकषण स कािी लाभावनित हए

IV परवििाशाली बचिो स साबवनधि समसिाए-

वसगो (Seagoe1974) न परवतभाशाली बचचो क विवभनन समसयाओ का एक समसर

सिकषण वकया और यह बतलाया की इनकी समसयाए अविक परबल होती ह ऐस बचच लापरिाह

परकवत क होत ह ि परायः अपन सीवमत जञान या समझ बझ क आिार पर लमब एि आडबरी करन

परसतत करत रहत ह वकसी भी विचार गोषठी म अनािाशयक रप स परमख वदखलान वक कोवशश

करत ह परायः अलग कायथ या सतर पर बढ़न की अियथता दखी जाती ह ऐस बचचो को वकताब

विशषकर अतयनत पढ़न म अविक मन लगता ह हम बचचो का जब वदन परवतवदन की ििनाओ म

जब सपषट तकथ नही वमलता तो ि कवित हो जात ह ऐस वयवकत पनिाथिवतत स भी कवित हो जात ह

तरा बहत जलद वकसी चीज या कायथ म रवच खोन लगत ह

ऐस बचचो म परवतभा तरा कोशल की पयाथपतता होती ह विर भी समसयाओ क कारण इन

पर नदावनक मनोिजञावनक सकल परामशथदाताओ तरा वशकषा मनोिजञावनको को विशष धयान दना

पड़ता ह ऐस बचचो की समसयाओ का वनिारण करन क वलए विशष पाियिम तयार करना अनय

िगो को वदय जान िाल कायथिम म उनकी भागीदारी करना विशष योगयता िाल वशकषक वक

बहाली करना आदी परमख ह

मनवसक दबथलता की सिल वचवकतसक अतयविक कविन कायथ ह पणथरप स इसका

उपचार नही हो सकता कछ अशो तक सिार अिशय वकय जा सकत ह मानवसक दबथलता रोकन

का सरल उपाय इस रोग स गरसत वयवकत वक सनतान उतपनन करन की शवकत को नषट करक वकया जा

सकता ह तरा इसस मानवसक दबथलता िाल अनय बचचो क जनम को रोका जा सकता ह Page क

अनसार इस विवि क दवारा अविक स अविक 15 मानवसक दबथलता म कमी हो सकती ह

मनवसक दबथल बचचो को सामानय बचचो स अलग रखकर भी मानवसक दबथलता म कमी

आती ह सामावजक सरकषण परदान करक भी कमी की जा सकती ह परनत यह विवि भी सनतोषजनक

नही ह मानवसक दबथलता स गरसत वसतरयो का मभाथपात क दवारा बचचा पदा रोका जा सकता ह

इसक अवतररकत माता-वपता को वशकषा क दवारा बचच वक मानवसक दबथलता का परारवमभक

उपचार का जञान करना चावहए अकसर ऐसा होता ह वक माता मानवसक दबथल बचच वक अपकषा

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अनय बचचो को अविक चाहन लगती ह इसस मानवसक दबथल बचचो का मानवसक सनतलन वबगड़

जाता ह तरा उनम सिगातमक अवसररता आ जाती ह इस दर करन क वलए घर का परवशकषण दना

चावहए सकल परवशकषण की भी वयिसरा करनी चावहए इस समबनि म वयिसाय वचवकतसा बहत

लाभदायक वसि होती ह इस परकार क बचचो को वकसी ससरा म भजा जा सकता ह

176 साराश वयवकतयो म मद बवि एि मानवसक दबथलता क रोकराम ि उपचार दो अलग-अलग तय

ह इसी परकार बचचो म मद बवि क िलाि सखयातमक रप स कम करना तरा रोग स गरवसत बचच

म रोग क िलाि पर वनयतरण करना दसरी बात ह रोकराम क अतगथत हम बीमारी स पिथ क

वनिारण क उपयोग को लत ह जबवक उपचार म हम बीमारी को दर करन क वलए उपचार करत ह

परायः समाज म हम अनक परकार क वयवकतति क लोग वमलत ह कछ की बवि कशागर

होती ह ि अचछा-बरा समझत ह वजनह हम सामानय वयवकत कहत ह असामानय वयवकत दो परकार क

हो सकत ह एक िह जो मानवसक विकवत का वशकार ह जो जनम क बाद वकसी घिनािम या

दघथिना या वदमागी विकवत क कारण हआ वजस हम बोलचाल की भाषा म lsquoपागलrsquo कहत ह जो

जनम क कई िषथ बाद उकत घिना स हो सकती ह या दसर शबदो म िह lsquoपागलrsquo होन स पिथ एक

सामानय वयवकत रा परनत मद बवि स गरवसत वयवकत परायः जनम स लकर तीन-चार िषथ क पिात तक

जब उसका मानवसक विकास आय क अनसार नही होता ह तो हम उस मानवसक रप स दबथल कहत

ह ऐस वयवकत िशानिम म भी हो सकत ह या नही भी परनत होन की समभािना परबल रहती ह मद

बवि बचचो क जनम क रोकराम क वलए ऐस उपाय वकए जाय वजसस मद बवि लोगो की परजनन

शवकत को रोका जाए ऐस लोगो की नसबनदी कर मदबवि बचचो की जनमदर पर वनयतरण लगाया जा

सकता ह यवद कोई मदबवि की मवहला गभथिती ह तो उसका गभथपात वकया जाए सरकार ऐसा

वनयम या कानन बनाय वजसस मदबवि की सतरी ि परष का वििाह न हो सक इसक अवतररकत मद

बवि वयवकतयो क अवभभािको को चावहए वक उकत परविया को सिय अपन घर स शर कर दसरो क

वलए पररणासरोत बन

समाज क मद बवि लोगो क वलए परक सकल मनोरजन कनर या पनिाथस की वयिसरा हो

चकी मानवसक दबथलता क अनक परकार ह कछ बौन नाि शीषथ जलसतर या हारमोनस की कमी क

कारण मानवसक दबथलता आवद अतएि उनक उपचार भी उनकी वसरवत ि दशा दखकर हो यदयवप

जनम स मानवसक दबथलता का उपचार बहत कम ह परनत हारमोनस म विकवत या मोिाबोवलजम म

गड़बड़ी स उतपनन मानवसक दबथलता का उपचार वचवकतसा पिवत म पयाथपत ह जबवक जनम स

मानवसक मदन को मनोिजञावनक ढग स हो सकता ह

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177 शबदािली bull बनधिाकरण सतरी-परषो की नसबदी वजसस परजनन शवकत पर रोग लगाकर जनम सतर को रोका

जाए

bull गियपाि जनम स पहल मवहला गभथ क भरण का वनसतारण

bull वफनाइललावनन शरीर म उतपनन होन िाला हावनकारक रस

bull फवनल कटीन िररिा (पीकि) मिाबोवलजम क विकार क कारण उतपनन होन िाला िम

bull िि-िामनिा हारमोन असनतवलत होन स असामानयता आ जाती ह

178 सिमलयाकन हि परशन I ररि सथान िररए-

1) आयोडीन की कमी कपोषण का सीिा असरगरवनरयो म जाता ह

2) पाचक रसो क अभाि मकी मातरा बढ़ जाती ह 3) क माधयम स राइरोवकसन पहचाकर रोग िलन को रोका जा सकता ह

4) म वसर का आकार अनय भागो की तलना म दगना हो जाता ह

II सति असति बिाइि-

1) बनधयाकरण स मानवसक दबथलता को रोका जा सकता ह सतयअसतय

2) गभथिती मवहलाओ को कपोषण बीमारी तरा तनाि म रहना चावहए सतयअसतय

3) मनद बवि बचचो का सकल अलग स होना चावहए सतयअसतय

4) मानवसक रप स दबथल बचचो का पाररिाररक िातािरण सौहादथपणथ होना चावहए सतयअसतय

5) शलय वचवकतसक स ही जलशीषथता का उपचार हो सकता ह सतयअसतय

उततर I ररकत सरान कररए-

1) राइराइड 2) विनाइललावनक 3) इनजकशन 4) जलशीषथता

II सतय असतय बताइए-

1) सतय 2) असतय 3) सतय 4) सतय

179 सनदभथ गरनर सची bull कोचीन एसज माडथन कलीनीकल साइकोलोजी सीिीएस पवबलशसथ वदलली 1989

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bull कवपल एच क असामानय मनोविजञान हरपरसाद भागथि कचहरी घाि आगरा 2001

bull कवपल एच क आिवनक नदावनक मनोविजञान भागथि बक हाउस आगरा वदवतीय ससकरण

1996-97

bull कवपल एच क अनसिान विविया हरपरसाद भागथि आगरा 1989

bull रािर ज पी कलीनीकल साइकोलोजी परवनिसहाल आि इवणडया नई वदलली 1964

bull सणडिगथ एनडी िाइलर एल ई कलीनीकल साइकोलोजी म यन एणड कमपनी वलवमिड

लदन 1963

bull वसह आरपी नदावनक मनोविजञान वि प मवनदर आगरा 1981

bull वसह लाभ एि वतिारी गोवबनद असमानय मनोविजञान विनोद पसतक मवनदर 1984

bull शरीिासति अजय कमार मनोविकवत विजञान अगरिाल पवबलकशन आगरा 2009

bull ओझा आर क असामानय मनोविजञान हरपरसाद भागथि कचहरी घाि आगरा 1991

bull चौब एसिी असामानय मनोविजञान और आिवनक जीिन विनोद पसतक मवनदर आगरा

1988-89

bull वसह ए क आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसीदास नई वदलली 2002

1710 तनबनिातमक परशन bull लघ उततरीय परशन

1 वनमन म स वकसी चार पर सवकषपत विपपणी वलवखय

i) बधयाकरण ii) कपोषण

iii) पाररिाररक पयाथिरण iv) सकल परवशकषण

v) मवडकल उपचार vi) जलशीषथता

vii) गभथपात viii) पीकय

bull विसतत उततरीय परशन

1 मानवसक दबथलता की रोकराम कस की जा सकती ह

2 मानवसक रप स गरवसत वयवकतयो का उपचार कस वकया जाता ह

3 मानवसक मदन स पीवड़त वयवकतयो म िलाि म कस वनयतरण वकया जा सकता ह

4 मानवसक रप स मवनदत वयवकतयो क उपचार तरा रोकराम पर एक सयकत कायथिम तयार कीवजए

5 मानवसक मनदन या वपछड़पन को रोकन क वलए वकन उपायो को अपनाया जा सकता ह

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इकाई-18 दबथलिा क परकार और पनिाथस 181 परसतािना

182 उददशय

183 मानवसक दबथलता की कसौविया

184 बवि क आिार पर िगीकरण

185 मानवसक दबथलता क परकार का आिवनक विचार

186 वशकषा की कसौिी क आिार पर

187 नदावनक कसौिी क आिार पर िगीकरण

188 मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का पनिाथस

189 साराश

1810 शबदािली

1811 सिमलयाकन हत परशन

1812 सनदभथ गरनर सची

1813 वनबनिातमक परशन

181 परसिािना अमररकन एसोवएशन ऑन मिल वडविवसयनसी तरा अमररकन मनोरोग विजञानी सघ न

वमलकर बवि क आिार पर मानवसक दबथलता क सतर या परकार बनाय ह नदावनक मनोिजञावनको

क अनसार मानवसक दबथलता क कई परकार बतलाय ह इन लोगो क दवारा मानवसक दबथलता क सतर

का वनिाथरण करन म कछ कसौवियो को सामन रखा गया ह

182 उददशय इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull मानवसक दबथलता की कसौवियो का िणथन कर सक ग

bull मानवसक दबथलता क परकार या िगीकरण जान सक ग

bull मानवसक दबथलता स गरवसत वयवकतयो का पनिाथस कस होगा

bull वयािसावयक परवशकषण एि उदयम सिा

bull सिासय सिा

bull मनोरजन सवििा

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183 मानससक दबथलिा की कसौहटया bull मनोिजञावनको न मानवसक दबथलता क अनक परकार बताय ह तरा कछ कसौविया वनिाथररत की

bull बवि क आिार पर

bull समायोजन योगय वयिहार क आिार पर

bull नदावनक कसौिी क आिार पर

184 बदधि क आिार पर िगीकरण बवि क सतर क आिार पर मानवसक दबथलता को मापना ह वक मानवसक रप स दबथल

वयवकत को कहा पर रख अराथत उनकी बवि लवबि (IQ) का सतर कया ह 90 स 110 की बवि

लवबि को सामानय या औसत बवि लवबि माना गया ह वयवकत म 90 स बवि लवबि वजतना ही कम

होगा उसम मानवसक दबथलता का सतर भी उतना ही कम होगा

i मखय (Moron)

bull इस सतर क मानवसक दबथल वयवकत का बवि लवबि 25 स 50 तक रहता ह

bull जनम स 5-6 िषथ तक वयिहार सािारण बचचो की तरह रहता ह

bull 6 िषथ क बाद बवि विकास अनय सामानय बचचो की तलना म रक जाता ह

bull परवतकल वसरवत का सामना नही कर पात

bull दवनक जीिन म परवतकल वसरवत म घबरा जात ह

bull आिशयक अभयास क उपरानत य परवतकल वसरवत का सामना करत ह

उदाहरणारथ यवद मखथ वयवकत को छतरी क उपयोग ि लाभ को परयोगातमक रप स समझाया

जाए तो सीखन क बाद छतरी का सही उपयोग कर सकत ह

bull इस परकार क शरणी क वयवकतयो का हाि-भाि शकल-सरत मानवसक वयिहार भी सामानय

जसा होता ह

bull इनम शारीररक दोष कम पाय जात ह

bull शारीररक विकास तो हो जाता ह परनत मानवसक विकास नही हो सकता ह

bull इस परकार की शरणी क वयवकतयो को आतमवनभथर भी बनाया जा सकता ह

मढ (Imbecile)

bull इस शरणी क मानवसक रप स दबथल वयवकत की बवि लवबि 20 स 40 क बीच होती ह

bull मानवसक आय 3 स 7 िषथ होती ह

bull शारीररक विकास का सिरप लगभग सामानय स वनकि ही रहता ह

bull मोिा कायथ ही कर पात ह

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िि (Idiot)

bull मानवसक दबथलता की नयनतमतम शरणी को जड़ कहत ह

bull इस परकार क वयवकतयो म बवि की मातरा कम होती ह

bull बवि लवबि का सतर 20 क वनकि अरिा कम होता ह

bull इस शरणी क मानवसक दबथल वयवकतयो का वयिहार 2 स 3 उमर क बचचो क समान होता ह

bull ऐस वयवकत परायः अपनी रकषा नही कर पात ह

bull इनह कड़ी दख-रख की आिशयकता होती ह

bull ऐस वयवकत अपन अपन घर ि माता-वपता को पहचानन म भी कविनाई अनभि करत ह

bull इस शरणी क वयवकत अपन शरीर की सिय सिाई भी नही कर पात ह

bull इस परकार क मानवसक दौबथलय वयवकतयो का बचचो की तरह दख-भाल करनी होती ह

bull ऐस वयवकत शरीर क वकसी अग का उपयोग करना नही जानत ह

185 मानससक दबथलिा क परकार का आितनक विचार आिवनक नदावनक मनोिजञावनको का विचार ह वक बवि क आिार पर मानवसक मनदन का

अधययन करना नयायोवचत नही ह मानवसक दबथलता का वनदान इस आिार पर वकया जाना चावहए

वक समबवनित वयवकत का विकासातमक िम कसा ह इनको हम वनमन िम म रख सकत ह

1) अलप मानवसक दबयलिा-

bull इस शरणी की मानवसक दबथलता स गरसत वयवकतयो की बवि लवबि 52-67 क बीच होती ह

bull ियसक हो जान पर भी इनकी बौविक कषमता 9 स 11 साल क बालको क करीब होती ह

bull इनम वकसी भी परकार की मवसतषकीय विकवत तरा अनय शारीररक विकवत नही होती ह

2) साधारण मानवसक दबयलिा-

bull इस शरणी क मानवसक रप स दबथल वयवकतयो की बवि-लवबि 35-51 क बीच होती ह

bull ियसक होन पर 4-7 िषथ क बचचो क समान होती ह

bull शारीररक बनािि कछ बडोल होती ह या शारीररक कमी रहती ह

bull नाराज होन पर ऐस वयवकत शीघर ही िोवित हो जात ह कभी-कभी आिामक हो जात ह

3) िीवर मानवसक दबयलिा-

bull इस शरणी क वयवकतयो का बवि लवबि का सतर 20 स 35 क बीच होता ह

bull इनह आवशरत दबथल भी कहा जा सकता ह

bull अपनी दख-रख क वलए दसरो पर वनभथर रहत ह

bull ऐस वयवकत अपन विचार वयकत करन म कछ असमरथ रहत ह

bull इनम सिदी दोष तरा वियातमक विकलागता भी होती ह

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उततराखड मकत विशवविदयालय 269

bull इनका गतयातमक समबनिी तरा िाक समबनिी विकास अतयविक अिरि एि मद होता ह

4) अवि गािीर मानवसक दबयलिा-

bull मानवसक दबथलता का सबस गमभीर परकार ह

bull रोग स गरवसत वयवकत की बवि-लवबि 20 स नीच होती ह

bull शारीररक बनािि भददी-बडोल होती ह

bull इनक चलन-विरन स ही इनका वयवकतति सपषट वदखायी दता ह

bull ऐस वयवकतयो को कछ सीख पाना अतयनत कविन होता ह

bull ऐस वयवकतयो को परायः मगी क दौर पड़त ह

bull अविकतर मक रहत ह

bull आिाज सपषट नही होती ह

bull सिय का कछ भी कायथ जस खाना घमना या शारीररक सिाई क वलए दसरो पर वनभथर रहत ह

bull मवहलाओ को मावसक िमथ का धयान भी नही रहता

bull ऐस वयवकत कभी-कभी िर भी हो जात ह

bull सोचन ि समझन की कषमता ि शवकत नही होती

bull ऐस वयवकतयो की आय भी बहत कम होती ह

बवि-लवबि ि सामायोजन वयिहार क आिार पर

सारणी- बवि-लवबि वितरण

बवि-लवबि का पररसर जनसखया परवतशत

130 ि अविक 22

120 - 129 67

110 - 119 161

90 - 109 500

80 - 89 161

70 - 79 67

69 तरा कम 22

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1) मावपि बवदध-

मावपत बवि क आिार पर मानवसक नयनता क िवगथकरण का शरय वबन (Binet) तरा

साइमन (Simon) को वमलता ह वजनहोन मानवसक नयनता स पीवड़त बालको को पहचानन क वलए

पररम बवि-पररकषण का विकास और मानवसक आय का सपरतयय परसतत वकया बाद म सिनथ (Stern)

न बवि-लवबि (IQ) का सपरतयय परसतत वकया

मावपत बवि क अनसार वजन वयवकतयो की बवि-लवबि 90 और 110 क बीच होती ह

उनह सामानय बौविक सतर का वयवकत कहा जाता ह 50 जनसखया इसी शरणी म आाती ह इस

जड़बवि (Idiot) 26-49 IQ िाल वयवकत को हीनबवि (Imbecile) और 50-69 IQ िाल

वयवकत को मनदबवि (Moron) कहा जाता ह

2) विनकली वििहार-

िषो क अनभि स जञात हआ वक बवि परीकषाओ क आिार मानवसक नयनतमता का

िगीकरण अपणथ ह कयोवक समान बवि-लवबि क रोवगयो म सामावजक वयनकलता क वयापक

अनतर पाय जात ह वयनकली वयिहार क आिार पर मानवसक नयनतमता को तीन भागो म बािा

गया ह

अपरवशकषणीि-

यह सबस छोिा िगथ ह वजसम 5 मानवसक नयनतमता क रोगी आत ह यह रोगी पणथ रप स

परावकषत होत ह

1 परवशकषणीि- यह दसर मखय समह म लगभग 20 रोगी आत ह इनह दवनक वजिन स

सिािलमबी बनन क वलए परवशवकषत वकया जा सकता ह इन रोवगयो वक सिाथविक अिहलना

की जा सकती ह

2 वशकषणीि- इस समह म 75 रोगी आत ह यवद विशष वयिसरा वक जाए तो यह परयापत मातरा

म वशकषा परापत कर सकत ह और इस परकार समदाय म सामावजक और आवरथक समायोजन कर

सकत ह

अमरीकी मनोरोग सबनिी सघ क अनसार -

i) 70-84 बवि- लवबि िाल वयवकत हलकी मानवसक नयनतमता का होता ह

ii) 50-70 बवि-लवबि िाला वयवकत सािारण मानवसक नयनतमता का होता ह

iii) 0-50 बवि-लवबि िाला वयवकत तीवर मानवसक नयनतमता का होता ह

विशव सिासर सगिन क अनसार -

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उततराखड मकत विशवविदयालय 271

i) 50-69 बवि-लवबि िाल हलक मनदनप परकार क होत ह

ii) 20-49 तक वयवकत सािारण मनदन िाल होत ह

iii) 0-19 तक क वयवकत तीवर मनदन क होत ह

िडगोलड मानवसक दबथलता क अनसार क अनसार ndash

i) पराथवमक मानवसक दबयलिा- मानवसक दबथलता क इस िषथ म िडगोलड क अनसार

80 वयवकत आत ह इस परकार क वयवकतयो वक बवि-लवबि कम होन का करण िश

परमपरा ह परनत कभी-कभी बीज कोशो म दोष हो जान पर पर भी मानवसक दबथलता आ

जाती ह इस दोष क िलसिरप वयवकतयो का मानवसक विकास रक जाता ह ि

सामावजक सतलन वबगड़ जाता ह गोडाडथ तरा अनय मनोिजञावनको क अधययनो क आिार

पर बताया ह वक जड़ या मढ़ की अपकषा मखथ क समबवनियो क मधय परारवमक मानवसक

दबथलता की सखया बहत कम होती ह

ii) गौि मानवसक दबयलिा- इस िषथ म लगभग 20 मानवसक दबथल वयवकत आत ह तरा

बवि की कमी क दोष का कारण िशानिम नही होता मानवसक कषवत इसका मखय कारण

ह जब वयवकत क मवसतषक म आघात या अनय कारण स कषती पहचती ह तरा उसका

मानवसक विकास अिरि हो जाता ह वजसक िलसिरप उसम मानवसक नयनतमता आ

जाती ह लवडस (Landis) क अनसार इस शरणी म जड़ तरा मढ़ मानवसक दबथलता भी

आती ह

iii) विकारातमक मानवसक दबयलिा- उप ससकवतक मानवसक दबथलता क वयवकतयो की

अपकषा इस िगथ म आन िाल वयवकतयो म शारीररक दोष सपषट रप स दख जा सकत ह तरा

य वयवकत सामानय वयवकतयो स भीनन वदखायी पड़त ह

186 सशकषा की कसौटी क आिार पर bull ऐस मानवसक रप स दबथल वयवकत वशकषा गरहण कर सकत ह परनत वशकषा गरहण दशा िीमी

होती ह

bull समाज म अपन को समायोवजत कर सकत ह

bull वकसी कायथ को करन की कषमता बहत मद होती ह

bull परवशकषण स कछ हद तक अपन शवकषक एि वयािसावयक कौशल को उननत बनान म सिल

होत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 272

187 नदातनक कसौटी क आिार पर िगीकरण जविक विकवतयो क आिार पर भी मानवसक दबथलता का िगीकरण वकया जाता ह जविक

विकवतयो का अरथ शारीररक कमजोरी या विकवत स ह

1) मागोवलिन परकार-

bull इस परकार क दबथल वयवकतयो की मखाकवत मगोवलयन लोगो स वमलती-जलती ह

bull बवि-लवबि का सतर 50 स 70 तक विसतत होता ह

bull ऐस वयवकत का कद छोिानािा शारीररक भार बहत कम होता ह

bull ऐस मानवसक दबथलता स पीवड़त वयवकत की नाक चपिी आख िसी होती ह

bull ऐस वयवकत अपनी दख-रख सिय कर लत ह

bull आय की परतयाशा कम होती ह

bull लगभग 14 या 15 िषथ होती ह

इस परकार की मानवसक दबथलता का िणथन सबस पहल पहल वबरिन क मनोवचवकतसक

लगडान डाउन (Langdan Down) न 1886 ई म वकया रा बरगगी तरा उनक सहयोवगयो

(Brugge et el 1994) दवारा वकय गय अधययनो स सपषट हआ ह वक ऐस बचचो म उमर का

पिथपकि परभाि जस कम उमर म शरीर पर झररथया पड़ना घविया समवत एि सभरावनत आवद भी सपषट

रप स दखन को वमलत ह

2) फवनल कटोन िररिा (PKU)-

bull जब परोिीन मिा बोवलजम क कारण वयवकत का मानवसक ि शारीररक विकास अिरि हो जाता

ह इस परकार मानवसक दबथलता गरवसत वयवकतयो को पीकय कहत ह

bull परायः बीस हजार निजात वशशओ म इनकी सखया एक या दो होती ह

bull जनम क कछ वदनो पिात ही वशश म कवमया वदखाई दन लगती ह

bull परोिोमिाबोवलजम की गड़बड़ी स िलालानाइन यकत भोजन दकर उकत गड़बड़ी स मकत होता ह

bull इस समबनि म कछ ऐसा अनमान लगाया जाता ह वक इस विकार का मल कारण ऐस बालक म

वकसी गौण जीन का अचानक परभािी हो जाना ही ह

परारमभ म ऐस बचचो म लकषण की शरआत कछ विशष शारीररक लकषण जस- शरीर स

पसीन की विवचतर गनि कमपन एवकजमा आवद स होती ह

3) बौनापन-

bull इस परकार की मानवसक दबथलता को हाइपोररोयवडजम भी कहा जाता ह

bull यह दबथलता शरीर म राइराइड हामोनस की कमी एि अविकता स होती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 273

bull ऐस वयवकत का कद छोिा होता ह

bull वसर बड़ा गदथन मोिी तरा आखो की पलक मोिी होती ह

bull चार या पाच िषथ की आय स लकषण वदखायी दन लगत ह

4) लघ शीषयिा िथा िहद शीषयिा-

bull यह मानवसक दबथलता दोनो परकार की होती ह

bull लघ शीषथता म वसर सामानय स बहत छोिा होता ह

bull कद छोिा होता ह

bull सिभाि स वजदद

bull यौन दराचार की भािना परबल होती ह

bull िहद शीषथता वसर का औसत आकार शरीर स अविक होता ह

bull बोलचाल की बोली म बहद शीषथता गरवसत रोगी को हाड कहत ह

ऐस वयवकतयो क वसर की पररवि 17 इच स शायद ही अविक होती ह जबवक सामानय

पररवि लगभग 22 इच का होता ह इन वयवकतयो की मखय पहचान यह ह वक इनक वसर शक-

आकारीय होत ह

5) िल शीषयिा-

bull इस परकार की मानवसक दबथलता म वशश क मवसतषक म जल रवय भर जाता ह वजस सरबरो-

सपाइनल रवय कहा जाता ह

bull इस कारण मवसतषक का आकार बढ़ जाता ह

bull परायः इस रोग स गरवसत बचचो की जीिन परतयाशा बहत कम होती ह पाच स सात िषथ तक

का जीिन रहता ह

जलशीषथता की अिसरा जनमजात होती ह परनत कभी-कभी उन बचचो म भी विकवसत हो

जाता ह वजनका विकास सामानय होता ह

6) िि बवदध विरदान-

bull इस परकार क मानवसक रप स दबथल वयवकतयो की बवि लवबि बहत कम होती ह

bull कभी-कभी पिथ की महतिहीन घिना का समरण रोचक ढग स करत ह

bull दसर क दवारा बनाय गय कायथ को करत ह अपन वििक स कोई कायथ नही करत

7) हारमोनो म असनिलन होना-

bull सिथविवदत ह वक हारमोनो म वकसी भी परकार क पररितथन आन स विकत वयवकत या तो िीक हो

जात ह या उनम मानवसक मदता आ जाती ह

bull इस परकार क रोगी वचढ़वचढ़ या कभी वहसक रप िारण कर लत ह

bull कभी-कभी इनकी समरण शवकत कषीणथ हो जाती ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 274

8) अदधय विवकषपत-

bull वकसी दघथिना शारीररक आघात मवसतषक की गाि आवद स ियमर उतपनन होन पर वयवकत मद

बवि हो जात ह

9) टनयर सालकषण-

bull इस परकार की मानवसक दबथलता वसिथ बावलकाओ म पायी जाती ह

bull मानवसक दबथल वयवकत की गदथन छोिी एि झकी होती ह

bull इनकी बवि लवबि 30-40 क लगभग होती ह

bull इस तरह की मानवसक दबथलता का कारण यौन िोमोजोमस म गड़बड़ी होती ह

10) कलाइनफलटर सालकषण-

bull इस तरह की मानवसक दबथलता वसिथ परषो या बालको म होती ह

bull ऐस बालको म ियसकता आ जान पर भी उनकी यौन गरवनर अपररपकि होती ह

bull इनकी बवि लवबि परायः 35-40 क बीच होती ह

11) दबयल एकस सालकषण-

इस तरह क बालको म जो मानवसक दबथलता उतपनन होती ह उसका कारण यौन गणसतर का

कमजोर होना होता ह

bull इस तरह बचचो म विरोिातमक तरा विधिसातमक वयिहार करन की परिवतत अविक होती ह

bull डायकनस तरा उनक सहयोवगयो (Dykens et al 1994) दवारा वकय गय अधययनो स यह

सपषट हआ ह वक दबथल एकस सलकषण का कारण जनवनक तरवि ह जो एक पीढ़ी स दसरी पीढ़ी

तक सरानानतरण होत रहता ह

12) विवलिमस सालकषण-

इस सलकषण की उतपवतत का कारण गणसतर सखया सात पर एक जीन का विलोवपत होना ह

bull ऐस बचचो म शबदािली एि वयाकरण स समबि कौशल वदखता ह

bull होडापपा तरा डायकनस (Hodapp amp Dykens 1994) न विवलयमस सलकषण िाल बचचो

को वचनतन क सापकष अनपवसरवत म भाषा िाला बचचा कहा ह

188 मानससक रप स दबथल वयनकियो का पनिाथस भारत म परायः मानवसक रप स गरवसत या मद बवि क वयवकत या तो दया क पातर होत ह या

हास-पररहास क कनर बन जात ह अनक समाज सिी ससराओ ि एनजीओ न इनक पनिाथस क

कछ वयािसावयक परवशकषण क कायथिम चलाए ह वजसम य अपन परो पर खड़ हो सक परनत आज

आिशयकता आज आिशयकता ऐस मद बवि क वयवकतयो वजनह हम परायः बाजारो गवलयो म घमत

मनोविकवि विजञान BAPY 102

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दखत ह क पनिाथस की ह परायः य मद बवि क वयवकत अपन घरो स भिक जात ह उनह ऐसी

ससराओ क हिाल वकया जाए जो इनकी समवचत दखरख कर सक

परायः हम मद बवि ि मानवसक विकत वयवकतयो म अतर नही कर पात और उनह

पागलखानो म पहचा दत ह मानवसक रप स विकत वयवकत वहसक होता ह जबवक मद बवि वयवकत

परायः वहसक नही होता कभी-कभी वचढ़ान पर ही िह वहसक होता ह अतएि उनह पागलखान न

भजकर पनिाथस क वलए कदम उिाना चावहए

इस िम म उनकी सिासय सिा मनोरजन सवििा ि जीिन की अनय मलभत

आिशयकताओ की पवतथ की ओर भी धयान दना होगा ऐस सिय सिी परवशवकषत वयवकतयो को इन

लोगो क पनिाथस की वजममदारी सौपनी होगी

189 साराश समाज म विवभनन परकार क मद बवि क वयवकत दखन को वमलत ह हम उनक बोलन

विचार चलन-विरन उिन बिन दसरो पर वनभथरता खान-पान खान-पान क ढग स अनमान लगा

लत ह वक इस वयवकत की बवि लवबि वकस परकार की होगी मानवसक दोबथलयता तरा मानवसक

बीमारी को हम परायः एक ही मान लत ह जबवक दो अलग-अलग परकार की मनोदशाए ह इनको

सरल रप म हम वनमन परकार स विभावजत कर सकत ह

मानवसक दबथलता मानवसक बीमारी

1 मानवसक दबथलता म बौविक विकास एक सतर क बाद रक जाता ह या विकास की

गवत बहत िीमी होती ह उदाहरणारथ एक

15 िषथ क वयवकत की सोच 5 या 6 िषथ क

बचच क समान होती ह

2 मानवसक दबथलता जनमजात होती ह 3 मानवसक दबथलता म वयवकत की बवि सीवमत

होती ह

4 मानवसक दबथलता म वयवकतति का विघिन बहत कम पाया जाता ह

5 मानवसक रप स दबथल वयवकत की शारीररक रचना परायः विकत भददी बौनी होती ह तरा

पहली नजर म हम पहचान जात ह वक िह

1 मानवसक बीमारी म बवि का विकास रकता नही ह परनत बीमारी क कारण उसम

विकती आ जाती ह

2 मानवसक बीमारी जनमजात न होकर अवजथत होती ह

3 मानवसक बीमारी म वयवकत की बवि सीवमत नही होती

4 मानवसक बीमारी म गमभीर विघिन पाया जाता ह

5 मानवसक बीमारी स गरवसत वयवकत की शारीररक रचना विकत नही होती ह उनक

वियाकलापो स ही हम पहचानत ह वक िह

मानवसक रप स विकत ह

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 276

मद बवि स गरवसत ह

6 मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का उपचार कविन होना ह तरा पणथ रप स उपचार भी

नही होता

6 मानवसक बीमारी स पीवड़त वयवकत का उपचार समभि ह तरा पणथ रप स िीक हो

सकत ह यवद सही उपचार हो

अतएि उपयथकत कारणो स मानवसक रप स दबथल वयवकतयो ि मानवसक बीमारी स गरवसत

वयवकतयो म अतर दख सकत ह मानवसक दबथलता क अनक परकार भी कसौवियो क आिार पर

बताए गए ह उनही क आिार पर िगीकरण करत ह वक अमख मदबवि क वयवकत का लवबि-सतर

वकस परकार का ह लवकन 80 परवतशत रप म एक समानता होती ह वक इनकी जीिन तावलका बढ़ी

नही होती परायः यह उमर स पहल ही पर परायः यह उमर स पहल ही परलोक वसिार जात ह

आज आिशयकता इस परकार क वयवकतयो क पनिाथस की ह सरकार समाजसिी ससरा या

एनजीओ को इनक पनिाथस क बार म गमभीरता स सोचना होगा लोगो को इनकी मनोरजन का

सािन या दयापातर नही बनाना चावहए

मानवसक दवि स माद विवििो का िगीकरण-

बवि लबिाक क दवषटकोण स विवभनन मानवसक सतर क वयवकतयो का िजथन इस परकार वकया जाता

ह-

बवि लवबि (IQ) शरणी (Degrees)

140 या ऊपर परवतभाशाली (Genius)

120 स 140 अवत शरषठ (Very Superior)

110 स 120 शरषठ (Superior)

90 स 110 सामानय या औसत (Normal or Average)

80 स 90 मद या हीन बवि (Dull)

70 स 80 सीमािती (BorderLine)

70 स नीच दबथल बवि (Feeble Minded)

50 स 60 मढ़ (Moron)

20 स 50 मखथ (Imbecile)

मनोविकवि विजञान BAPY 102

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20 स नीच जड़ बवि (Idiot)

ऐसा अनमान लगाया जाता ह वक लगभग 50 परवतशत लोग सामानय बवि क होत ह 25

परवतशत औसत स ऊच परवतभाशाली या शरषठ होत ह और शष 25 परवतशत औसत स नीच िगथ म

आत ह औसत स नीच आन िाल िगथ म 16 परवतशत मद बवि होत ह और 9 परवतशत हीन-बवि

होत ह हीन बवि िगथ म मढ़ मखथ और जड़ बवि सभी िगथ क लोग आ जात ह

1810 शबदािली bull पनिायस मानवसक दबथलता िाल बचचो को परवशकषण दना तरा उनको रचनातमक सिाओ म

रखना

bull समािोिन सब क सार वमलजल रहना

bull परविकल उलिा

bull निनिमिम कम स कम

bull अलपमानवसक दबयल कम मनद बवि

bull अिरदध रका हआ

bull गतिातमक घमना विरना

bull िाक बोलना

bull मक चपचाप

bull मागोवलिन ऐस वयवकत जो शारीररक लकषण बाहरी रप स मगोल दश क वनिावसयो क

लकषणो स वमलत-जलत ह

bull मटाबोवलजम समसत समसत चयपचय परिम

bull लघ शीषयिा इसम वसर शरीर की अपकषा बहत छोिा होता ह

bull ि दध शीषयिा वसर का औसत आकार शरीर स अविक होता ह

bull िलशीषयिा कपाल म परमवसतषक मर रि अविक होना

bull कषीणय कमजोर होना

1811 सिमलयाकन हि परशन I बह विकलपीि परशन-

1) मखथ क समतलय बवि लवबि क सतर को कहा जाता ह-

a) मद मानवसक दबथलता

b) सािारण मानवसक दबथलता

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 278

c) तीवर मानवसक दबथलता

d) गभीर मानवसक दबथलता

2) मनोविजञान म जड़ स तातपयथ ह-

a) महामखथ स

b) ऐस वयसक वयवकत स वजसकी मानवसक आय 8 साल की हो

c) ऐस वयसक वयवकत वजसकी बवि लवबि 20 स नीच हो

d) ऐस वयवकत स वजसकी मानवसक आय 5 साल की हो

3) बौनापन एक ऐसी मानवसक दबथलता का परकार ह वजसम-

a) पीयष गरवनर (Pituitary gland) स अविक सतराि वनकलता ह

b) पीयष गरवनर स कम सतराि वनकलता ह

c) रायरायइ गरवनर (Thyriod gland) स अविक सतराि वनकलता ह

d) रायरायड गरवनर स कम सतराि वनकलता ह

4) िनथर सलकषण (Turnerrsquos syndrome) मानवसक दबथलता का एक ऐसा नदवनक परकार ह

जो-

a) वसिथ वसतरयो म पाया जाता ह

b) वसिथ मदो म पाया जाता ह

c) दोनो यौन क वयवकतयो म पाया जाता ह

d) वसिथ िनमानष म पाया जाता ह

II एक शबद म उततर दीविि-

1) सामानय स बहत छोिा वसर वकस परकार की मानवसक दबथलता म होता ह 2) बौनापन मानवसक दबथलता स शरीर म कौन स हामोनस की कमी ि अविकता होती ह 3) सामानय वयवकत की बवि लवबि सतर कया ह 4) वकस परकार क मानवसक दबथलता म वयवकत का कद छोिा नािा शारीररक भार बहत कम होता

मनोविकवि विजञान BAPY 102

उततराखड मकत विशवविदयालय 279

5) हाइपोररोयवडजम वकस परकार की मानवसक दबथलता ह

उततर I बह विकलपीय परशन-

1) a 2) c 3) d 4) a

II एक शबद म उततर दीवजए-

1) लघशीषथता 2) राइराइड हामोनस 3) 90 स 110

4) मगोवलयन परकार 5) बौनापन

1812 सनदभथ गरनर सची bull कोचीन एसज माडथन कलीनीकल साइकोलोजी सीिीएस पवबलशसथ वदलली 1989

bull कवपल एच क असामानय मनोविजञान हरपरसाद भागथि कचहरी घाि आगरा 2001

bull कवपल एच क आिवनक नदावनक मनोविजञान भागथि बक हाउस आगरा वदवतीय

ससकरण 1996-97

bull कवपल एच क अनसिान विविया हरपरसाद भागथि आगरा 1989

bull रािर ज पी कलीनीकल साइकोलोजी परवनिसहाल आि इवणडया नई वदलली 1964

bull सणडिगथ एनडी िाइलर एल ई कलीनीकल साइकोलोजी म यन एणड कमपनी वलवमिड

लदन 1963

bull वसह आरपी नदावनक मनोविजञान वि प मवनदर आगरा 1981

bull वसह लाभ एि वतिारी गोवबनद असमानय मनोविजञान विनोद पसतक मवनदर 1984

bull शरीिासति अजय कमार मनोविकवत विजञान अगरिाल पवबलकशन आगरा 2009

bull ओझा आर क असामानय मनोविजञान हरपरसाद भागथि कचहरी घाि आगरा 1991

bull चौब एसिी असामानय मनोविजञान और आिवनक जीिन विनोद पसतक मवनदर आगरा

1988-89

bull वसह ए क आिवनक असामानय मनोविजञान मोतीलाल बनारसीदास नई वदलली 2002

1813 तनबनिातमक परशन bull लघ उततरीि परशन

1 बवि क आिार पर मानवसक दबथलता का िगीकरण कीवजय

2 मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का पनिाथस वकस परकार वकया जा सकता ह 3 मानवसक दबथलता तरा मानवसक रोग म अनतर बताइय 4 बवि क आिार पर मानवसक दबथलता का िगीकरण कीवजए

मनोविकवि विजञान BAPY 102

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5 मानवसक रप स दबथल वयवकतयो का पनिाथस वकस परकार वकया जा सकता ह 6 मानवसक दबथलता तरा मानवसक रोग म अनतर बताइए

bull विसिि उततरीि परशन

1 मानवसक मदन क विवभनन सतरो या परकारो का िणथन करो 2 मढ़ मखथ जड़ बवि क अतर को समझाइय

3 मानवसक मदन या दबथलता क वकनही दो परकारो का िणथन कर तरा इसक कारक क रप म िातािरण की भवमका का िणथन कर

4 मानवसक मदन तरा आनतररक रोग म अनतर कीवजय

5 मानवसक मदन िाल बचचो क विकास को कस परोतसावहत वकया जा सकता ह 6 मानवसक मनदन क विवभनन सतरो या परकारो का िणथन करो 7 मढ़ मखथ जड़ बवि क अनतर को समझाइए

8 मानवसक मनदन या दबथलता क वकनही दो परकारो का िणथन कर तरा कारक क रप म िातािरण की भवमका का िणथन करो

9 मानवसक मनदन तरा आनतररक रोग म अनतर बताइए

10 मानवसक मनदन िाल बचचो क विकास को कस परोतसावहत वकया जा सकता ह

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