इस्तिफ़तिता - ahmadiyya muslim jamaat · 2 gåÊ þ â man's capabilities and...

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इसफ़ ٌ مْ یِ لَ عَ نْ وُ لَ مْ عَ ا تَ ِ بُ َ و طٗ ہُ بْ لَ قٌ مِ ثٰ آ ٗ ہَ ّ نِ اَ ا فَ ہْ مُ تْ کَ ّ یْ َ مَ و طَ ۃَ ادَ ہَ ّ وا الشُ مُ تْ کَ تَ لَ و(अलबक़रः 284) तुम गवाही को मत छुपाओ और जो उसे छुपाता है उसका दिल गुनहगार है और जो काम तुम करते हो अाह तआला जानता है। लेखक हज़रत दमज़ा लाम अहमि क़ादियानी मसीह मौऊि व महिी माि अलैदहसलाम 16 मई 1897 ई० I

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  • इस्तिफ़तिता ْوَن َعِلْیٌم

    ُْعَمل

    َُبٗہ ط َوہللُا ِبَا ت

    ْل

    َِثٌم ق

    ٰ ا

    ٓٗہ

    َِّان

    َُتْمَہا ف

    ْک

    َ ط َوَمْ ّی

    ََہاَدۃ

    َُّتُموا الش

    ْک

    َ ت

    َ َول

    (अलबक़रः 284)तुम गवाही को मत छुपाओ और जो उसे छुपाता है उसका दिल गुनहगार है

    और जो काम तुम करते हो अल्ाह तआला जानता है।

    लेखकहज़रत दमज़ाज़ा ग़ुलाम अहमि क़ादियानी

    मसीह मौऊि व महिी माहूि अलैदहससलाम16 मई 1897 ई०

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  • नाम पुसतक : इससतफ़ताName of book : Istiftaलेखक : हज़रत दमज़ाज़ा ग़ुलाम अहमि क़ादियानी मसीह मौऊि व महिी माहूि अलैदहससलामWriter : Hazrat Mirza Ghulam Ahmad Qadiani Masih & Mahdi Alaihissalam अनवुािक : डॉ अनसार अहमि, एम.ए.एम.द़िल, पी एच. डी., पी.जी.डी.टी., आनसज़ा इन अरदबकTranslator : Dr Ansar Ahmad, M.A, M. phil, Ph. D,

    P.G.D.T, Hons in Arabicटाइदपंग, सैदटंग : अमतुल करीम नययराTyping Setting : Amtul Kareem Nayyaraसंसकरण तथा वरज़ा : प्रथम संसकरण (दहनिी) अगसत 2018 ई०Edition. Year : 1st Edition (Hindi) August 2018संखया, Quantity : 1000प्रकाशक : नज़ारत नश्र-व-इशाअत, क़ादियान, 143516 दज़ला-गुरिासपुर (पंजाब)Publisher : Nazarat Nashr-wa-Isha'at, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur, (Punjab)मुद्रक : ़िज़ले उमर दप्रंदटंग प्रेस, क़ादियान, 143516 दज़ला-गुरिासपुर, (पंजाब)Printed at : Fazl-e-Umar Printing Press, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur (Punjab)

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  • प्रकताशक की ओर से हज़रत दमज़ाज़ा ग़ुलाम अहमि सादहब क़ादियानी मसीह मौऊि

    व महिी मा'हूि अलैदहससलाम द्ारा दलदखत पुसतक का यह दहनिी अनुवाि श्री डॉ० अनसार अहमि ने दकया है और ततपश्ात मुकर्रम शेख़ मुजादहि अहमि शासत्ी (सिर ररवययू कमेटी), मुकर्रम ़िरहत अहमि आचायज़ा (इंचाजज़ा दहनिी डेसक), मुकर्रम अली हसन एम. ए. और मुकर्रम नसीरुल हक़ आचायज़ा ने इसकी प्रयू़ि रीदडंग और ररवययू आदि दकया है। अल्ाह तआला इन सब को उत्तम प्रदतफल प्रिान करे।

    इस पुसतक को हज़रत ख़ली़ितुल मसीह ख़ादमस अययिहुल्ाहु तआला दबनदरिदहल अज़ीज़ (जमाअत अहमदिया के वतज़ामान ख़ली़िा) की अनुमदत से दहनिी प्रथम संसकरण के रूप में प्रकादशत दकया जा रहा है। दवनीत हाद़िज़ मख़ियूम शरी़ि नादज़र नश्र व इशाअत क़ादियान

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  • पु्तिक पररचयइस्तिफतिता

    यह पुसतक 12 मई 1897 ई० को दलखी गई इसके दलखने का उद्ेशय आयज़ा क़ौम के झयूठे आरोप लगाने का उत्तर िेना था दक लेखराम नऊज़ुदबल्ाह आपके रड्ंत् से क़तल हुआ है। इस पुसतक में लेखराम से संबंदित भदवषयवाणी पर दवसतार पयूवज़ाक बहस की गई है तथा इस भदवषयवाणी के समसत पहलुओं पर प्रकाश डाल कर दवद्ानों और समीक्षकों से मांग की गई है दक वे इलहामों को पढ़कर गवाही िें दक जो भदवषयवाणी लेखराम की मृतयु के बारे में की गई थी वह वासतदवक तौर पर पयूरी हुई या नहीं। इस पुसतक के पढ़ने से प्रतयेक नयायदप्रय इनसान को यह दनसश्त तौर पर ज्ान हो जाता है दक वासतव में ख़ुिा तआला मौजयूि है और वह समय से पयूवज़ा अपने दवशेर बनिों पर परोक्ष (ग़ैब) की बातें प्रकट दकया करता है।

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    इस्तिफ़तिताYou should not conceal your testimony, and he who does conseal is surely wicked minded; and God is perfectly aware of what you do.- (Sura Baqar R. 38) Sir,I beg to enclose herewith a copy of the pamphlet named ''Istifta' '. The motive which has led me to write it is, that the Aryas entertain quite a false notion that Lekh Ram was murdered at my instigation. I am inclined to excuse them for this, as they are entirely ingorant of the supernatural origin of prophecies, and according to their belief inspiration and revelation from God belonged only to the hoary antiquity, now they have become extinct, in other words the divine influence is not eternal, but a thing of the past. Therefore they cannot reconcile the prophetic phenomena with the present age. However a study of the pamphlet, it is hoped, will not only clear me of any participation direct or indirect in Lekh Ram's murder, but will also be useful to those who deny the existance of prophetic revelation in this age, and who consider the power of telling future events inconsistent with the laws of Nature. At any rate this pamphlet will probably be interesting and instructive to those who sicncerely seek a reply to the questions:-(1) ''Is there a God at all''? (2) ''If so, does He reveal future events to His Elite.''? I have answere those questions by fully explaining such reasons as conclusively prove that tha prophecy about the Lekh Ram was actually revealed by God, and that it was altogether out of the Province of

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    इस्तिफ़तिताman's capabilities and device. I have repeatedly said that Lekh Ram had challenged me to make the prophecy concerning himself which if it were fulfilled was to be the sole criterion of the truth or falsehood of Islam and the Arya faith. And when the prophecy was made, both the parties agreed to give it a very wide publication and awaited the result most anxiously. At last is has been most clearly and definitely fulfilled. The most curious phase of the prophecy, which has been very thoroughly discussed in these pages, is, that it was published in clear and unequivocal words in the''BURAHIN-I-AHMADIYYAH'' about seventeen years ago when Lekh Ram was a mere boy of twelve or thirteen years. The readers of this pamphlet, must carefully consider this fact which, I believe, will improve their faculty of discernment, and by cleary shewing them the difference between Divine and human powers, will settle their thoughts and satisfy their minds. It would not be out of place to invite your attention to another of my books-''SIRAJ-I-MUNIR'' or ''THE BRIGHT SUN,''- which deals with this important question from another point of view. All the prophecies which were made and literally fulfilled before Lekh Ram's death, have been collected therein, and a few of them concerned some other Aryas who are still alive to bear testimony to what they experienced in their own cases. If any of my readers before attemting a reply to this pamphlet should like to see the ''SIRAJ-I-MUNIR'' it

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    इस्तिफ़तिताshall be sent to him with great pleasure. I should also mention that those Maulvies, who like the Aryas, bewildered by the too accurate and unexpected fulfilment of the prophecy, and who being utterly devoid of spirtuality are befogged by doubt, will find it worth their while to persue this book. I send this pamphlet to you so that after a careful consideration of the arguments I have given, you may give your impartial opinion as to the following points:- 1. Has the prophecy about Lekh Ram been acutally fulfilled? 2. If so can it be said that the prophecy is suprernatural, that is, neither a design of man nor a mere accident, but a special manifestaion of the Divine powers, which may be termed a revealed prophecy?And communicate the same with your arguments in support of your views to Your ever faithful, Kadian: MIRZA GHULAM AHMED Dated 1st May 1897 Chief of Kadian

    Gurdaspur District Punjab.

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    इस्तिफ़तिता

    बिस्मिल्लाबिर्रिमिलाबिर्रिीमिििमिदुहू व िुसल्ी अलला रसूबलबिल करीमि

    ِبَما تَْعَملُْوَن َعِلْیٌم ُبٗہ ط َواہللُ ْٰاِثٌم قَل

    ُٓتْمَہا فَِانَّٗہ

    َْہادََۃ ط َوَمْن یَّک ُتُموا الّشَ

    ْ َوَل تَک

    (अलिक़रः 284)अिुवलाद- तुमि गवलािी को मित छुपलाओ और जो उसे छुपलातला िै उसकला बदल

    गुििगलार िै और जो कलामि तुमि करते िो अल्लाि तआलला जलाितला िै।जिलाि मिि! मिैं इस बिट्ी के सलाथ आपकी सेवला मिें एक पु्तक

    भेजतला हूूं बजसकला िलामि इस्तिफ़तिता (फ़तवला मिलाँगिला-अिुवलादक) िै। इस पु्तक के बलखिे की आवश्यकतला ्यि हुई िै बक आ्य्य क़ौमि िे सीमिला से िढ़कर इस िलात पर िल बद्यला िै बक लेखरलामि इस व्यसति अथला्यत् इस लेखक के षड्यंत्र से क़तल हुआ िै और मिेरी समिझ मिें वि कुछ असमिथ्य भी िैं क्योंबक वे इलिलामिी भबवष्यवलाबि्यों की बवलक्षि पद्धबत से बिलकुल अिबभज्ञ िैं। कलारि ्यि िै बक उिकी आ्थला के अिुसलार िज़लारों वष्य से ख़ुदला के इलिलामि पर मिुिर लग गई िै और ख़ुदला कला कललामि आगे ििीं अबपतु पीछे रि ग्यला िै। इसबलए वे बकसी प्रकलार समिझ ििीं सकते बक ख़ुदला की ओर से ऐसी भबवष्यवलाबि्यलायं भी िो सकती िैं। ििरिलाल िमिलारे िलाथ मिें जो अपिे िरी िोिे के कलारि िै उिकला वि्यि कर देिला ि केवल लेखरलामि के सिला्यकों के सयंदेिों को बमिटलािला िै अबपतु ऐसे लोगों की जलािकलारर्यों को भी िढ़लािला िै जो इस ्युग मिें बकसी इलिलामिी भबवष्यवलािी के मिूल अथ्य पर भी ऐतरलाज़ रखते िैं और ग़ैि (परोक्ष) की िलातों को समि्य से पूव्य वि्यि करिला प्रकृबत के बि्यमि के बवरुद्ध समिझ रिे िैं। सयंभवतः ्यि पुस्तकला उि लोगों के

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    इस्तिफ़तिताबलए भी रुबिकर और ज्ञलाि मिें वृबद्ध कला कलारि िोगी जो िलाबद्यक रुबि के सलाथ इस िलात की छलाििीि मिें िैं बक क्यला ख़ुदला वला्तव मिें मिौजूद िै? और क्यला वि समि्य से पूव्य बकसी पर ग़ैि की िलातें प्रकट कर सकतला िै? इसी उद्ेश्य से इस पुस्तकला मिें ऐसे समि्त कलारि वि्यि बकए गए िैं जो भली भलायंबत बसद्ध करते िैं बक वि भबवष्यवलािी जो लेखरलामि के िलारे मिें की गई थी वि बिसचित तौर पर ख़ुदला तआलला की ओर से थी और बकसी प्रकलार सयंभव िी ििीं बक मििुष्य की ्योजिला िो ्यला मििुष्य उस पर समिथ्य िो सके। और इस िलात को िमि कई िलार वि्यि कर िुके िैं बक इस भबवष्यवलािी कला बिवेदि लेखरताम ने ््वयं ही कियता थता और उसको इ्ललामि तथला आ्य्य धमि्य के सि और झूठ की परीक्षला कला मिलापदयंड ठिरला्यला थला ततपचिलात दोिों पक्षों की पर्पर सिमिबत से दोिों पक्षों िे िडे ज़ोर से इस भबवष्यवलािी को प्रकलाबित बक्यला थला और बजस प्रकलार पिलवलािों की कुशती िोती िै इसी प्रकलार दोिों बगरोिों कला इस भबवष्यवलािी पर ध्यलाि लगला हुआ थला। अनततः िडी सफ़लाई से ्यि पूरी हुई। इस भबवष्यवलािी मिें ्यि िलात बितलायंत अद्ुत िै बजसको मिैंिे िसतििलाली तककों के सलाथ इस पुस्तकला मिें वि्यि कर बद्यला िै और वि ्यि िै बक ्यि भबवष्यवलािी मिलाि्य 1897 ई० के मििीिे से बजसमिें लेखरलामि क़तल हुआ िै 17 वष्य पूव्य िमिलारी पु्तक िरलािीि अिमिबद्यला के एक इलिलामि मिें िडी सफ़लाई से वि्यि की गई िै और िरलािीि के बलखिे कला वि ्युग थला बक िला्यद उस समि्य लेखरलामि 12-13 वष्य कला िोगला। ्यिी वि बवष्य िै बजसे िडे ध्यलािपूव्यक सोििला िलाबिए और ्यिी वि बवष्य िै बजससे आध्यलातमि ज्ञलाि की उन्नबत िोगी और ख़ुदला के कला्य्य तथला मििुष्य के

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    इस्तिफ़तिताकला्य्य मिें खुलला-खुलला अनतर बदखलाई देगला और हृद्य मिें सलायंतविला और सयंतुसटि पैदला िो जलाएगी और सयंभवतः ्यिलायं इस िलात कला वि्यि करिला भी ललाभप्रद िोगला बक अभी मिैंिे अपिी एक अन्य पु्तक मिें बजसकला िलामि 'बसरलाजे मिुिीर' िै अपिे िरी िोिे और सच्लाई बसद्ध करिे के बलए एक और बसलबसलला गवलाि की तरि प्र्तुत बक्यला िै, और वि ्यि िै बक मिैंिे वि समि्त भबवष्यवलाबि्यलायं जो लेखरलामि की मिृत्यु से पूव्य पूरी िो िुकी थीं कबथत पु्तक मिें एकत्र करके बलख दी िैं और उिकी व्यव्थला िहुत उत्तमि रूंग मिें बदखलाई िै। उि भबवष्यवलाबि्यों के कुछ ऐसे आ्य्य भी गवलाि िैं बजिके िलारे मिें ्यि भबवष्यवलाबि्यलायं की गई थीं। इसबलए मिेरे िज़दीक ्यि अचछला िोगला बक जो सज्जि अपिी रला्य बलखते समि्य 'बसरलाजे मिुिीर' कला देखिला उबित समिझें वे मिुझसे मिलायंगे। मिैं वि पु्तक उिकी सेवला मिें भेज दूयंगला और ्यि िलात भी वि्यि करिे ्योग्य िै बक जैसला बक आ्यकों की उस भबवष्यवलािी के िलारे मिें अकलारि सयंदेि िै बजिके कलारि इसके अबतररति कुछ ििीं बक भबवष्यवलाबि्यों की प्रबतष्ला िे उनिें आचि्य्य मिें डलाल बद्यला िै ऐसला िी िमिलारे बवरोधी मिौलवी भी जो रूिलाबि्यत से वयंबित िैं बकसी भवि मिें पडे हुए िैं तो उिके बलए भी ्यि पु्तक ललाभप्रद िोगी िितते बक वे ध्यलािपूव्यक पढ़ें और ्यि पु्तक इस पत्र के द्लारला आपकी सेवला मिें प्र्तुत की जलाती िै बक आप पु्तक के प्र्तुत कलारिों पर बविलार करके अपिे िलाबद्यक न्यला्य की मिलायंग से वि फ़तवला बलखें बजसकला बलखिला प्र्तुत कलारिों की दृसटि से उबित िो। अथला्यत् ्यि बक लेखरलामि के मिरिे के िलारे मिें भबवष्यवलािी की गई थी क्यला वि वला्तव मिें पूरी िो गई ्यला ििीं? और क्यला वि इस उच् कोबट की बवलक्षितला पर िै ्यला ििीं बजसके

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    इस्तिफ़तितािलारे मिें ठोस तौर पर कि सकते िैं बक ि वि मिलािवी्य ्योजिला िै और ि सयं्योग की िलात िै अबपतु ख़ुदला तआलला कला वि बविेष कला्य्य िै बजसको इलिलामिी भबवष्यवलािी कििला िलाबिए।

    السالم ىلع نم اتبع الهدى

    लेखक: ग़ुललामि अिमिद क़लाबद्यलािी 8 बज़लिज्जः 1314 बिजरी

    िोट:- पुिः ्यि बक जो सज्जि लेखरलामि की भबवष्यवलािी के बििलाि पर सत्यलापि के उद्ेश्य से अपिी गवलािी सयंलगि िकिे पर करिला ि िलािें उि पर अबिवला्य्य िोगला बक ्यि पु्तक इस्तफतला अपिे पत्र के सलाथ वलापस करें।

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    इस्तिफ़तिता

    किस्मल्ताकहर्रहमताकनर्रहीमनहमदुहू ्व नुसल्ी अलता रसूकलकहल िरीम

    इस्तिफतिताक्यला फरमिलाते िैं समिीक्षक लोग और बवद्लाि लोग बक ्यि इलिलामिी

    गवलाबि्यलायं जो िीिे बलखी जलाती िैं उि पर दृसटि डलालिे से उि पर सयंतोषजिक पररिलामि ्यि बिकलतला िै ्यला ििीं बक जो भबवष्यवलािी लेखरलामि की मिृत्यु के िलारे मिें की गई थी वि बिसचित तौर पर पूरी िो गई। ्यबद उिकी रला्य मिें पूि्य बवश्लास और सयंतुसटि के सलाथ बिमिबलबखत भबवष्यवलाबि्यों से ितौर द्तलावेज़ सलाक््य िैं पूि्य ्पटितला से ्यि िलात बसद्ध िोती िै बक वे लेख मिलािवी्य अटकलों और ्योजिलाओं से श्ेष्तर और बवलक्षि िैं तो केवल ख़ुदला के बलए सच्लाई की सिला्यतला के बलए जो जवलायं मिदकों और ििलादुरों तथला ख़ुदला से डरिे वलालों कला कलामि िै सत्यलापि के बलए इस बिियंध के िीिे अपिी गवलािी अयंबकत करें। मिुझे बवश्लास िै बक ख़ुदला तआलला उिको इस सच्ी गवलािी कला प्रबतफल देगला और दुबि्यला तथला दीि (धमि्य) की कुिलतला और सफलतला से पूि्य भलाग प्रदलाि करेगला अन्यथला सच्ी गवलािी छुपलािे के जो दुषपररिलामि िैं उिकला प्रकटि भी ख़ुदला के कलािूि के अिुसलार अबिवला्य्य िै। परनतु ्यबद बकसी के िज़दीक बिमिबलबखत इलिलामिी गवलाबि्यलायं सयंतोषजिक ििीं अबपतु उिके बविलार मिें वला्तव मिें मिलािवी्य षड्यंत्र थला जो इलिलामिी भबवष्यवलािी के िलामि से प्रबसद्ध बक्यला ग्यला बजसकला पररिलामि ्यि हुआ बक अयंततः उसी िसतििलाली षड्यंत्र के कलारि लेखरलामि 6 मिलाि्य 1897

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    इस्तिफ़तिताई० को ललािौर मिें मिलारला ग्यला तो उसे अबधकलार िै बक इस कलागज़ पर अपिी गवलािी अयंबकत ि करे और मिुझे क़लाबतलों मिें समिझतला रिे। बकनतु ्यबद उसके िजदीक ्यि इलिलामिी गवलाबि्यलायं मिितवपूि्य िैं बजिसे िमि ललाभ प्रलाप्त करिे के अबधकलारी िैं तो धलाबमि्यक सिलािुभूबत की इस समि्य िमि कोई मिलायंग ििीं करते। परनतु मिलािवी्य सिलािुभूबत और वि भी ठीक-ठीक न्यला्य की दृसटि से कलािूि बजतिला िमिें अबधकलार देतला िै उसे िमि सभ्यतलापूव्यक बवद्लाि लोगों से ितौर फ़तवला मिलायंगते िैं िमि इस फ़तवे के मिलाध्यमि से समिीक्षकों से क्यला िलािते िैं? केवल ्यिी बक जो कुछ िमि लेखरलामि की मिृत्यु के िलारे मिें भबवष्यवलाबि्यों कला एक सयंपलाबदत एवयं पूि्य बसलबसलला उिके सलामििे रखते िैं। वे उस पर अत्ययंत ध्यलािपूव्यक फ़तवे के तौर पर रला्य बलखें और अपिी पबवत्र अनतरलातमिला के जोि से गवलािी दें बक क्यला िुबद्ध और ईमिलािदलारी उबित ििीं ठिरलाती बक इस इलिलामिी बसलबसले के बवलक्षि ि्यलाि को ख़ुदला तआलला की ओर समिद्ध बक्यला जलाए? और क्यला एक िुबद्धमिलाि के मिस्तषक मिें आ सकतला िै बक भबवष्यवलािी की ्यि समि्त िलाखलाएयं जो मिलािवी्य िसति्यों से श्ेष्तर िैं झूठ के समिथ्यि मिें सिसला फूट पडें? इस समि्य ्यि वि्यि करिला आवश्यक िै बक आ्य्य सज्जिों के िलाथ मिें इस भबवष्यवलािी को झुठललािे के बलए जो कुछ िै वि इससे अबधक ििीं बक उनिोंिे िजलाए इसके बक ख़ुदला के अद्ुत कला्यकों पर बविलार करते ्यि तरीकला अपिला्यला िै बक कुधलारिला के कलारि मिलािवी्य षड्यंत्र की सयंभलाविला को वि दजला्य बद्यला िै जो सलामिर्य्यवलाि ख़ुदला के कला्यकों से बवबिटि िै। िूँबक ्यि भबवष्यवलािी िलार वष्य से कुछ अबधक की थी और कई सभलाओं के भलाषिों तथला लोगों द्लारला ्यि िलात बिनदुओं तक

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    इस्तिफ़तितापहुूंि गई थी बक भबवष्यवलाबि्यों मिें ्यि बलखला ग्यला िै बक लेखरलामि के जीवि कला अनत भ्यलावि तौर पर िोगला और ्यि बक ईद के बदिों मिें उसकी मिृत्यु िोगी और 6 वष्य के अनदर िोगी, और भबवष्यवलािी अपिे ्पटि िबदों मिें क़तल की घटिला की ओर सयंकेत करती थी। इसबलए उनिोंिे इस िलात को िहुत असयंभव समिझला बक ख़ुदला तआलला की ओर से कोई भबवष्यवलािी ऐसे ्पटि पतों और बििलािों के सलाथ िो परनतु इस िलात को ज्ञलािगम्य ि समिझला बक समि्य से पूव्य ्यि समि्त परोक्ष की िलातें कोई इनसलाि अपिे मिुयंि से बिकलाले और बफर वैसी िी पूरी कर के बदखलला दे। इसबलए उनिोंिे इस इलिलामिी भबवष्यवलािी को इनसलािी षड्यंत्र पर िररत्रलाथ्य कर बल्यला और िडे आग्रिपूव्यक अखिलारों मिें छपवला्यला बक ऐसी सफ़लाई से भबवष्यवलािी करिला और ऐसे खुले-खुले और ्पटि तरीके से बतबथ, बदि और मिृत्यु के रूप को समि्य से पूव्य वि्यि करिला ख़ुदला कला कलािूि ििीं िै। अबपतु सत्य ्यि िै बक ्यिी व्यसति अथला्यत् ्यि लेखक लेखरलामि कला क़लाबतल िै और भबवष्यवलािी गिरे षड्यंत्रों और लमिे समि्य के सोिे हुए ्यतिों कला पररिलामि िै। इसी आधलार पर उनिोंिे पर्पर सिमिबत के सलाथ इस लेखक को दोषी ििलािे के बलए ज़ोर बद्यला और इस बविलार की अबभव्यसति मिें अखिलारों के कॉलमि के कॉलमि कलाले कर डलाले और सरकलार मिें जलासूबस्यलायं कीं, ्यिलायं तक बक 8 अप्रैल 1897 ई० वीरवलार के बदि अयंग्रेज़ी अफ़सरों िे क़लाबद्यलाि मिें आकर मिेरे घर की तललािी ली। तललािी के समि्य लेखरलामि के ि्तलाक्षर बकए हुए पत्र बमिले और वि प्रबतज्ञलापत्र भी बिकल आ्यला बजसमिें आकलािी्य बििलािों के बदखललाए जलािे के िलारे मिें िततें क़ला्यमि िोकर दोिों सद््यों की सिमिबत से सच्ी भबवष्यवलािी कला सि और

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    इस्तिफ़तिताझूठ कला मिलापदयंड ठिरला्यला ग्यला थला। अतः बडस्रिकट सुपररनटेनडेनट पुबलस के सलामििे वि कलाग़ज़ पढ़ला ग्यला बजसकला बिियंध ्यि थला बक जो भबवष्यवलािी लेखरलामि के िलारे मिें की जलाएगी वि इ्ललामि धमि्य और आ्य्य धमि्य मिें एक अयंबतमि फ़ैसलला िोगी। ्यबद भबवष्यवलािी सच्ी बिकली तो वि इ्ललामि धमि्य की सच्लाई की गवलाि िोगी और बिनदू धमि्य के झूठे िोिे पर प्रमिलाि ठिरेगी और ्यबद झूठी बिकली तो वि बिनदू धमि्य की सच्लाई पर गवलाि िोगी और िऊज़ुबिल्लाि इ्ललामि कला झूठला िोिला ितलाएगी। और ्यि ित्य पयंबडत लेखरलामि िे अपिे आग्रि से बलखवलाई थी क्योंबक मिुझे ख़ुदला तआलला के वलादों पर बवश्लास थला। इसबलए मिैंिे भी इसे ्वीकलार कर बल्यला थला अि वि कबठिलाई बजसके बलए इस इस्तफतला (फ़तवला मिलायंगिे) की आवश्यकतला पडी केवल इतिला िी ििीं बक आ्य्य लोगों िे इस लेखक पर गुप्त षड्यंत्र कला आरोप लगला्यला अबपततु िमिलारी क़ौमि के कुछ मििलाि लोगों िे भी उिसे सिमिबत कर ली और ्यि िलािला बक ऐसी मििलाि भबवष्यवलािी बजसके झुठललािे कला पररिलामि प्रबतज्ञलापत्र (मिुआिदः) के कलाग़ज़ों के अिुसलार इ्ललामि कला झूठललािला िै बकसी प्रकलार झूठी ठिरलाई जलाए। अतः मिौलवी अिू सईद मिुिममिद हुसैि सलाबिि िटलालवी एडीटर इिलाअतु्सुन्नः और इसी प्रकलार अन्य कुछ मिौलबव्यों िे सलाव्यजबिक तौर पर ्यि रला्य प्रकलाबित कर दी िै बक ्यि भबवष्यवलािी झूठी बिकली तो उनिोंिे एक पत्र मिेरी ओर भी भेज बद्यला बजसमिें उनिोंिे बलखला थला बक मिैंिे अपिी िेक िी्यत के सलाथ ्यि फ़ैसलला बक्यला िै बक भबवष्यवलािी पूरी ििीं हुई अथला्यत् लेखरलामि की मिृत्यु केवल सयं्योग की िलात थी बजसमिें ख़ुदला कला कुछ ि्तक्षेप ििीं। और इस िलात पर िल बद्यला बक ्यि िलात प्रमिलाबित क्यों मिलाि ली जलाए

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    इस्तिफ़तिताबक भबवष्यवलािी सि हुई और क्यों ्यि ्वीकलार ि बक्यला जलाए बक ्यि एक सयं्योग की मिृत्यु िै जो भबवष्यवलािी के समि्य मिें घबटत िो गई।

    इस झुठललािे की िमिें अपिे व्यसतिगत उद्ेश्यों के बलए तो कुछ परवलाि ि थी परनतु िूयंबक प्रबतज्ञलापत्र के कलाग़ज़ तललािी के समि्य मिें पकडे गए और बडस्रिकट सुपररनटेनडेनट पुबलस के सलामििे पढ़े गए और प्रत्येक दुशमिि और दो्त को सूििला िो गई। तो अि ऐसी सच्लाई बजस मिें कमिी करिे से इ्ललामि पर अिुबित प्रिलार िोतला िै अक्षम्य ििीं। इसी अत्यलावश्यकतला के कलारि ्यि समि्त वृतलायंत बवद्लािों की सेवला मिें प्र्तुत करिला पडला तलाबक वि देखें बक बकतिे अत्यलािलार कला इरलादला बक्यला ग्यला िै अफ़सोस बक इि लोगों िे इि बविलारों को व्यति करते समि्य ्यि ििीं सोिला बक इि तलावीलों (असल अथकों से िटकर अथ्य करिला) से दुबि्यला मिें बकसी ििी की भबवष्यवलािी ्थलाबपत ििीं रिेगी। क्योंबक प्रत्येक ्थलाि पर इस भ्रमि कला दरवलाज़ला खुलला िै बक ्यि सयं्योगलातमिक घटिला िै। अतः ्यबद ्यिी रला्य सच्ी िै तो इनिें इक़रलार करिला िलाबिए बक समि्त िबि्यों की िुिुववत पर कोई भी सिूत ििीं और सि सयं्योगलातमिक घटिलाएयं िैं।

    तौरलात और क़ुआ्यि िे िुिुववत कला िडला सिूत केवल भबवष्यवलािी को ितला्यला िै और एक उपद्रवी व्यसति बकसी सच्ी भबवष्यवलािी को िडी सरलतला से सयं्योग की िलात कि सकतला िै परनतु मिैं िल दे कर कितला हूूं बक ्यि सि सनदेि इस प्रकलार के िैं बक जैसे बक एक िलास्तक कलारीगरर्यों को एक िेकलार बसलबसलला ठिरला कर ख़ुदला तआलला के अस्ततव के िलारे मिें सनदेि पैदला कर लेतला िै और दुबि्यला की सयंपूि्य व्यव्थला को सयं्योग की िलात ठिरलातला िै और बफर जि समिझ आती

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    इस्तिफ़तितािै और ख़ुदला की कृपला उसके सलाथ िोती िै और इस सयंसलार के उत्तमि और सुदृढ़ कलामि को देखतला िै और ख़ुदला तआलला की कलारीगरी की िलारीबक्यों और उसकी उत्तमि बिकमितों से अवगत िोतला िै तो बववि िोकर उसे पिली रला्य छोडिी पडती िै इसबलए बि्सयंदेि समिझिला िलाबिए बक ्ये आरोप भी ऐसे िी िैं और ्ये आरोप उसी समि्य तक हृद्य मिें उठते िैं बक जि तक एक भबवष्यवलािी के िलारीक पिलुओं पर िज़र ििीं पडती और ख़ुदला तआलला की ख़ुदलाई की व्यव्थला को अपूि्य समिझला जलातला िै। असल िलात ्यि िै बक ऐसे सयंदेि िमिेिला उि लोगों के हृद्यों मिें पैदला िोते िैं बजिके हृद्य ख़ुदला के आध्यलासतमिक ज्ञलाि (सच्ी मिलाररफ़त) से वयंबित िैं। वे ख़ुदला के कला्यकों से आचि्य्य िबकत िोकर इनकलार करिे की ओर झुक जलाते िैं और घटिलाओं को उस पिलू की ओर खींि लेते िैं बजस पिलू तक उिके मिोटे और सतिी बविलार ठिर गए िैं और उसी पर वे िल देते रिते िैं। िमि उिसे पूछते िैं बक ्यबद लेखरलामि सयं्योग से क़तल के द्लारला मिर ग्यला तो इस प्रकलार से भी तो सयं्योगलातमिक िलात कला घबटत िोिला सयंभव थला बक कोई व्यसति उसके िलारे मिें क़तल कला इरलादला ि करतला ्यला ्यबद करतला तो अपिे इरलादे मिें असफल रितला ्यला ्यबद बकसी सीमिला तक आक्रमिि करतला तो सयंभव थला बक इस से मिृत्यु तक िौित ि पहुुँिती बफर क्यला कलारि बक अन्य पिलुओं के समि्त सयंभव सयं्योग प्रकटि मिें ि आते और ्यि सयं्योग जो उि पिलुओं के िलारे मिें अपिे सलाथ कबठिलाइ्यलायं भी रखतला थला प्रकटि मिें आ ग्यला। क्यला ्यि ख़ुदला िे बक्यला ्यला बकसी अन्य िे? तो वि सव्यज्ञ और िहुत सुििे वलालला ख़ुदला बजसके इनसलाफ़ पर दोिों सद््यों िे इस मिुक़द्मिे को छोडला थला और बजस के सयंियंध

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    इस्तिफ़तितामिें एक सद््य िे ख़िर भी दी थी बक उसिे मिुझ पर प्रकट बक्यला िै बक मिैं ऐसला िी करूूंगला। उसके िलारे मिें ऐसला गुमिलाि क्यों बक्यला जलाए बक उसिे न्यला्यपूि्य फ़ैसलला ििीं बक्यला और क्यों ऐसला समिझला जलाए बक उसिे मिुफ़तरी की सिला्यतला की। ्यबद ्यि मिलाि बल्यला जलाए बक ख़ुदला की ्यि भी आदत िै बक वि ऐसे झूठे की भबवष्यवलाबि्यलायं भी सच्ी कर देतला िै बजि भबवष्यवलाबि्यों को वि अपिी सच्लाई के सिूत कला कलारि ठिरलातला िै तो जैसे ख़ुदला कला जलाि िूझ कर ्यि इरलादला िै के झूठों को सच्ों के सलाथ िरलािर करके सि के समपूि्य बसलबसले को िटि और अ्त-व्य्त कर दे। ्यबद ्यि सिी िै बक ख़ुदला सच्े कला सिला्यक िोतला िै और अपिे वलादों को पूरला करतला िै ि बक इबफ़तरलाओं को। तो इस बसद्धलायंत को मिलाििला एक न्यला्यलाधीि के बलए आवश्यक िोगला आपबक जो भबवष्यवलािी ख़ुदला के िलामि पर की जलाए और वि पूरी िो जलाए तो वि ख़ुदला की ओर से िै। और ्यबद इस बसद्धलायंत को ि मिलािला जलाए तो ख़ुदला की समि्त बकतलािें प्रमिलाििीि रि जलाएयंगी और उिकी सच्लाई पर बवश्लास करिे के समि्त मिलाग्य ियंद िो जलाएयंगे। इसी की ओर ख़ुदला तआलला सयंकेत करतला िै और कितला िै

    (29 – अलमिोबमिि) ُْ

    كُ

    ِذي يَِعدَّ ال

    ُْ َبْعض

    ُا يُِصْبك

    ًْن يَُك َصاِدق َواإِ

    अथला्यत् सच्े की ्यि बििलािी िै बक उसकी कुछ भबवष्यवलाबि्यलायं पूरी िो जलाती िैं। कुछ की ित्य इसबलए लगला दी बक अज़लाि के िलाद की भबवष्यवलाबि्यों मिें रुजू और तौिः की िलालत मिें अज़लाि कला बवलयंि वैध िै। ्यद्यबप कोई भी ित्य ि िो तो सयंभव िै अज़लाि की भबवष्यवलाबि्यलायं ्थबगत रखी जलाएयं और अपिी मिीआद के अनदर पूरी ि िों जैसला बक ्यूिुस की क़ौमि के बलए हुआ। अतः ख़ुदला के िलामि पर जो भबवष्यवलािी

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    इस्तिफ़तितापूरी िो जलाए उसके िलारे मिें सयंदेि करिला और उसे सयं्योग पर िररतलाथ्य कर देिला जैसे ख़ुदला तआलला की धलाबमि्यक व्यव्थला पर एक आक्रमिि िै और िुिुववत की सयंपूि्य इमिलारत को धव्त करिे कला इरलादला िै।

    इि प्र्तलाविला सयंियंधी िलातों को ्यिलायं तक बलखकर अि िमि उि इलिमिी सलाक््यों को क्रमििः प्र्तुत करते िैं बजिकला मिलालूमि करिला फ़तवला देिे से पूव्य अिमि और आवश्यक िै, और उि सलाक््यों पर जो बजरि के प्रशि िो सकते थे िमििे पिले से तथलाकबथत उपरोति वि्यिों मिें उिकला खयंडि कर बद्यला िै और िला्यद भबवष्य मिें भी कुछ बलखला जलाए।

    अि िमि प्र्तलाविला सयंियंधी िलातों को ्यिलायं तक बलखकर सव्यप्रथमि पयंबडत लेखरलामि के उि पत्रों तथला अिदिलामिः के ख़ुललासे को उत्तर सबित ्व्ययं दज्य करते िैं जो इस भबवष्यवलािी से पिले पलार्पररक पत्रलािलार के तौर पर प्रकटि मिें आए। और वे ्ये िैं:-

    लेखरताम िी ओर से पत्र सेवला मिें आदरिी्य बमिज़ला्य सलाबिि! िमि्ते

    जि से मिैं ्यिलायं क़लाबद्यलाि मिें आ्यला हूूं िहुत सला पलार्पररक पत्रलािलार िो िुकला िै, कोई बविेष पररिलामि ििीं बिकलला। अि क्योंबक मिुझे सच्लाई को घोबषत करिे के बविलार से कोई उत्तमि फ़ैसलला करिला आवश्यक िै इसबलए सेवला मिें कटि देतला हूूं बक आज बदि को कोई समि्य बिधला्यररत करके आप मिदरसे मिें पधलारें ्यला कोई अन्य ्थलाि अपिे ्व्ययं के घर के अबतररति बिधला्यररत करके सूबित करें तलाबक ियंदला भलाई बकिि बसयंि, िकीमि द्यलारलामि और पयंबडत बििलालियंद जी के सलाथ उपस्थत िोकर आसमिलािी बििलािों, इलिलामिों और ििस के िलारे मिें आप से कुछ फ़ैसलला कर ले। अन्यथला आप भलीभलायंबत ्मिरि रखें

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    इस्तिफ़तिताबक अि मिेरी ओर से समिझलािे कला प्र्यलास पूि्य िो ग्यला सच्लाई के मिलामिले से मिुयंि िुरलािला िुबद्धमिलािों से असयंभव िै। अबधक बि्यलाज़ सत्यलाबभललाषी - लेखरलामि 5 बदसयंिर 1885 ई०

    पंकिति लेखरताम िता दूसरता पत्रकृपला कीबजए जिलाि बमिज़ला्य सलाबिि! िमि्ते

    भलाई बकिि बसयंि कला सयंबक्षप्त मिौबखक और मिौलवी दीि मिुिममिद तथला मिुिममिद उमिरदीि कला बव्तृत मिौबखक तौर पर मिेरे पत्र कला आपकला उत्तर इस प्रकरि के सलाथ पहुूंिला बक आ्य्य धमि्य और इ्ललामि धमि्य के दो तीि मिलामिलों पर ििस की जलाए। और मिुिलािसः के बि्यमि दोिों सद््यों की इचछलािुसलार बिधला्यररत बक्ये जलाएयं। अतः इसके उत्तर मिें सेवला मिें कटि देतला हूूं बक मिेरला उद्ेश्य पेिलावर से कबद्यलाि आिे कला केवल ्यिी थला। और अि तक भी इसी आिला पर ठिरला हूूं बक आप के िमितकलार और बवलक्षि करलामिलात, इलिलामि और आसमतानी कनशतानों की पुसटि करके देख लूयं तथला इससे पूव्य बक बकसी अन्य बसद्धलायंत पर ििस की जलाए ्यिी मिलामिलला बविेष प्रबतसष्त लोगों की एक सभला मिें भलीभलायंबत त्य िोिला िलाबिए। और ्यबद इसके बसद्ध करिे मिें आप असमिथ्य िोकर िििला िलािें तो अन्य ििस से भी मिुझे बकसी प्रकलार कला इनकलार ििीं। ्यिलायं पर ्यि िलात भी ्मिरि रखिे ्योग्य िै बक अपिे घर मिें िैठकर अपिे अिु्यलाब्य्यों के सलामििे सिूत को देिला और िलात िै तथला उलेमिला और प्रकलाणड बवद्लािों मिें पुसटि िोिला और िीज़ िै। आिला िै बक आप सिी उत्तर से सममिलाबित करें और ििलािे

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    इस्तिफ़तिताइत्यलाबद को मिध्य मिें ि ललाएयं। बि्यलाज़मियंद (आज्ञलाकलारी) लेखरलामि, आ्य्य समिलाज क़लाबद्यलाि दोिलार, तीसरी िलार आप से बिवेदि करतला हूूं बक ्यबद तबिक भी सच्लाई के लक्षि रखते िो तो बदखललाइए अन्यथला ख़ुदला के बलए रुक जलाइए। िर रसूललायं िललाग़ िलाबिद व िस। लेखरलामि

    पंकिति लेखरताम िता तिीसरता पत्र बमिज़ला्य सलाबिि िनदगी!

    मिुझे लयंिे िौडे अबलफ़ लैलला के उपन्यलासों से िफ़रत िै। इसबलए िबदों की पुिरलावृबत से भी पत्र को लयंिला करिला ििीं िलाितला हूूं। सेवला मिें खुललासला प्र्तुत िै बक विी िततें (ख़ुदलाई बििलाि बदखलािे के िलारे मिें) जो मिैंिे तै्यलार करके भेजी थीं। बजि की िकल आपके पलास मिौजूद िै। आपकी अपिी ितकों सबित िलार न्यला्यकतला्यओं के पलास जलािला िलाबिए। जो न्यला्यकतला्यओं से त्य िो कर आए उि पर िमि दोिों को अमिल करिला िलाबिए बकसी िकीमि कला कथि िै “्यके दरगीर व मिुिकमि गीर” अथला्यत् एक दरवलाजला पकड ले और उसे िी दृढ़तलापूव्यक पकडे रख।

    मिेरला इस पर अमिल िै। परनतु अफ़सोस िै बक आप बकसी िलात पर ठिरते बदखलाई ििीं देते। िे भलाई ्यि तो अवश्य िोगला बक (आसमिलािी बििलाि कला सच्ला ्यला झूठला िोिे के समि्य) ्यबद मिेरे बलए मिुिममिदी धमि्य की ित्य िै। तो आपके बलए आ्य्य धमि्य भी आवश्यक िै। ऐसी स्थबत मिें िदलला तीि सौ रुप्यला िोगला। ्यबद ख़ुदला वयंद कृपलालु िे सच्लाई की बवज्य की तो रुप्यला ले लूयंगला। अन्यथला आपकला रुप्यला आपके सुपुद्य और मिेरी मिेिित ििला्यद और आपकी आ्य दोिरी

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    इस्तिफ़तिताऔर दोिरला पुण्य। आपकी तो पलायंिो उुँगबल्यलाँ घी मिें िैं। घिरलाते क्यों िो। आपकला मिुजीिुद्लावलात1★ िोिे कला दलावला िै और ्यबद इसी प्रकलार मिौबखक जमिला खि्य करिला िी पसयंद िै तो िहुत अचछला िै। ख्यलाली पुललाव पकलाइए और समि्त सयंसलार मिें बकसी कला सतकलार मित कीबजए। आपकला अबधकलार िै िलाथ अपिला, जीभ अपिी। मिुझे ्यिलायं आज ्यिलायं आए पच्ीस बदि कला समि्य व्यतीत िो ग्यला। मिैं कल परसों तक जलािे वलालला हूूं। ्यबद कुछ ििस करिला िै तो भी और ्यबद िततें (अथला्यत् बििलाि बदखलािे कला अिदिलामिः) न्यला्यवलािों के पलास भेजिी िैं तो भी बिि्य्य कीबजए। अन्यथला िलाद मिें ्यलारों मिें डींगें मिलारिे कला कुछ ललाभ ि िोगला। परनतु उबित िोगला बक आज िी मिदरसे के मिैदलाि मिें पधलारें। िैतलाि, िफलाअत और िक़्क़ुल क़मिर कला सिूत दें। व्यव्थला के बलए न्यला्यकतला्य भी बि्युति कर लीबजए। मिेरी ओर से बमिज़ला्य इमिलामिुद्ीि सलाबिि को न्यला्यकतला्य समिझ लें। ्यबद इस पर भी आपको िस ििीं तो ख़ुदला के बलए रुक जलाइए। आज्ञलाकलारी लेखरलामि - 13 बदसयंिर 1885 ई०

    चौथता पत्रजिलाि बमिज़ला्य सलािि! िमि्तेआपकला दो पृष्ों कला पत्र आ्यला िै बजससे सलाफ़ तौर पर ्पटि हुआ 1 ★इस मिुजीिुद्लावलात िबद से लेखरलामि कला अरिी जलाििला बितलायंत ्पटि तौर पर बसद्ध िोती िै बजस िच्े िे अभी अरिी कला पिलला क़ला्यदला पढ़ला िोगला वि जलाितला िै बक मिुजीि कला िबद ख़ुदला तआलला के बलए आतला िै अथला्यत दुआओं कला ्वीकलार करिे वलालला ्यि िलाि इफ़आल से फलाइल कला सीग़ला िै। अतः लेखरलामि को ्यि कििला िलाबिए थला बक आपको मिु्तजलािुद्लावलात िोिे कला दलावला िै अि बविलार करो बक आ्य्य लोगों कला बकतिला झूठ िै बक लेखरलामि को अरिी भी आती थी ्यि उसके िलाथ के बलखे हुए पत्र िैं जो ्यिलायं बलखे जलाते िैं। सि तो ्यि िै बक ्यि व्यसति दोिों भलाषलाओं से वयंबित थला ि सयं्कृत जलाितला थला ि अरिी और झूठ िोलिे वलाले की िमि जीभ ियंद ििीं कर सकते। इसी से

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    इस्तिफ़तिताबक पबवत्र क़ुआ्यि केवल इब्लािीमि, मिूसला, ईसला, मिुिममिदसअव, ्युसूफ़, लूत, बसकूंदर, लुक़मिलाि के बक्सों और व्यथ्य की िलातों से भरला हुआ िै। मिुझे िीते हुए कल के पत्र की ितकों पर ििस करिला ्वीकलार िै। और आप ्पटि तौर पर िीलः, ििलािला, टलाल-मिटोल और वलाद-बववलाद कर रिे िैं। बमिज़ला्य जी अफ़सोस, अफ़सोस आपको फ़ैसलला करिला ्वीकलार ििीं िै। बकसी िे क्यला सि किला िै।“उज़्र िला मिला’क़ूल सलाबित मिी कुिद तक़्सीर रला” इसके अबतररति आप बद्ती्य मिसीि िैं। ्व्ययं के दलावे को बसद्ध करके बदखलाइए। अन्यथला व्यथ्य िोर और उपद्रव ि मििलाइए। लेखरलामि आ्य्य समिलाज क़लाबद्यलाि- 9 िजे बदि

    पतांच्वतां पत्र :-बमिज़ला्य सलाबिि - कुनदि कोि (इसके आगे एक टूटला िबद िै जो पढ़ला ििीं जलातला) अफ़सोस बक आप ्व्ययं को घोडला और दूसरों के घोडे को खच्र ितलाते िैं। मिैंिे वैबदक आरोप कला िुबद्ध से उत्तर बद्यला और आपिे कुआ्यिी आरोप कला उत्तर िकल से। परनतु वि िुबद्ध से िहुत दूर िै ्यबद आप बिवृत्त ििीं तो मिुझे भी कलामि िहुत िै। अचछला आसमिलािी बििलाि तो बदखला दें ्यबद ििस ििीं करिला िलािते तो। रबिुल अि्य खैरुल मिलाबकरीि से मिेरे िलारे मिें कोई आसमिलािी बििलाि तो मिलायंगे तलाबक बिि्य्य िो।2 ★ लेखरलामि2 ★ इस जगि लेखरलामि िे बििलाि मिलायंगते समि्य ख़ुदला तआलला कला िलामि ख़ैरुल मिलाबकरीि रखला। और ख़ुदला तआलला के िलारे मिें मिलाबकर कला िबद उस स्थबत मिें िोलला जलातला िै बक जि वि िलारीक सलामिलाि से अपरलाधी को मिलारतला ्यला अपमिलाबित करतला िै। अतः लेखरलामि के मिुयंि से ्व्ययं वे िबद बिकल गए बजिसे बसद्ध िोतला िै बक वि अपिी मिौत कला बििलाि मिलायंगतला थला। अथला्यत ऐसला बििलाि बजसके सलामिलाि िहुत िलारीक िों। अतः ख़ुदला की कुदरत बक उसी प्रकलार से उसकी मिृत्यु हुई। और ऐसे क़लाबतल के िलाथ से मिलारला ग्यला बजसकी

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    इस्तिफ़तिताइि समि्त पत्रों के उत्तर मिें बव्तलारपूव्यक पत्र बलखे गए थे बजिकला िकल करिला ्यिलायं आवश्यक ििीं। लेखरलामि की तबि्यत मिें इबफ़तरला और झूठ कला तत्व िहुत थला इसबलए वि िलार-िलार अपिे पत्रों मिें बलखतला िै बक ििस ििीं करते। मिुझे कोई बििलािी ििीं बदखलाते। और उबित उत्तर ििीं देते। िलाललायंबक ििस के बलए ्यि सलाफ तरीकला उसके सलामििे प्र्तुत बक्यला ग्यला बक वि वेद की पलाियंदी से और उसकी श्ुबत्यों कलार्रवलाई प्रत्येक को अत्ययंत आचि्य्य मिें डलालती िै बक ्यि उसिे क्योंकर ठीक प्रकलािमिलाि बदि मिें आक्रमिि बक्यला, और क्योंकर आिलाद घर मिें उसे िलाथ उठलािे कला सलािस हुआ, और क्योंकर वि छुरी मिलारकर सलाफ़ बिकल ग्यला, और क्योंकर बिनदुओं की एक आिलाद गली मिें मिक़्तूल के वलाररसों के िोर डलालिे के िलावजूद पकडला ि ग्यला। तो जि िमि इि घटिलाओं पर ध्यलािपूव्यक बविलार करते िैं तो तबि्यत तुरूंत इस ओर िली जलाती िै बक ्यिी वि कला्य्य िै बजसे ख़ैरुल मिलाबकरीि की ओर समिद्ध करिला िलाबिए। िमि बलख िुके िैं ख़ुदला कला िलामि पबवत्र क़ुआ्यि के अिुसलार ख़ैरूल मिलाबकरीि उस समि्य किला जलातला िै बक जि वि बकसी दणड मिें अपरलाधी को िलारीक सलामिलािों के प्र्योग से दणड मिें बगरफ़तलार करतला िै। अथला्यत उसके दणड के ऐसे सलामिलाि उपलबध करतला िै बक बजि सलामिलािों को अपरलाधी बकसी अन्य इरलादे से अपिे बलए ्व्ययं उपलबध करतला िै। तो विी सलामिलाि अपिी अचछलाई ्यला प्रबसबद्ध के बलए अपरलाधी जमिला करतला िै। विी उसके अपमिलाि और मिौत कला कलारि िो जलाते िैं। प्रकृबत कला बि्यमि सलाफ़ गवलािी देतला िै बक ख़ुदला कला ्यि कला्य्य भी दुबि्यला मिें पला्यला जलातला िै बक वि कभी िेिमि्य और िेरिमि अपरलाबध्यों कला दणड उिके िलाथ से बदलवलातला िै तो वे लोग अपिे अपमिलाि और तिलािी के सलामिलाि अपिे िलाथ से जमिला कर लेते िैं और उिकी िज़र से वे िलातें उस समि्य तक गुप्त रखी जलाती िैं जि तक बक ख़ुदला कला प्रलारबध उतर जलाए। अतः इस गुप्त कलार्रवलाई की दृसटि से ख़ुदला कला िलामि मिलाबकर िै। दुबि्यला मिें इसके िज़लारों िमिूिे पलाए जलाते िैं। तो लेखरमि के मिलामिले मिें ख़ुदला कला मिक्र ्यि िै बक सव्यप्रथमि उसी के मिुयंि से किलला्यला बक मिैं ख़ैरुल मिलाबकरीि से अपिे िलारे मिें बििलाि मिलायंगतला हूूं इस बिवेदि मिें उसिे ऐसला अज़लाि मिलायंगला बजसके सलामिलाि गुप्त िों और ऐसला िी घबटत हुआ क्योंबक बजस व्यसति को िुद्ध करिे के बलए उसिे रबववलार कला बदि बिधला्यररत बक्यला थला और आ्यकों कला रबववलार के बदि एक खुिी कला जलसला त्य हुआ थला जैसला बक ईद कला बदि िोतला िै। तलाबक उस व्यसति को िुद्ध बक्यला जलाए। तो विी खुिी के सलामिलाि उसके बलए तथला उसकी क़ौमि के बलए मिलातमि के सलामिलाि िो गए और ख़ैरुल मिलाबकरीि के िलामि को खुदला तआलला िे समि्त आ्यकों को भलीभलायंबत समिझला बद्यला। इसी से

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    इस्तिफ़तिताके िवलाले से ििस करे और िमि पबवत्र क़ुआ्यि की पलाियंदी से और उस की आ्यतों के िवलाले से ििस करें। तो क्यों बक वि मिलात्र मिूख्य थला और उसमिें ्यि भी िसति ििीं थी बक प्रत्येक ्थलाि पर वेद की श्ुबत प्र्तुत कर सके। इसबलए वि िलाललाकी से िमिलारी मिूल मिलायंग को बलखिे मिें िी ििीं ललातला थला। िलायं िूंसी-ठट्े से िलार-िलार आसमिलािी बििलाि मिलायंगतला थला। तो िमि ्यिलायं अपिला अयंबतमि पत्र िक़ल कर देते िैं जो उसके अयंबतमि प्रशि के उत्तर मिें बलखला ग्यला थला और वि ्यि िै:जिलाि पयंबडत सलाबिि! आपकला पत्र मिैंिे पढ़ला आप बिसचित समिझें बक िमिें ि ििस से इनकलार िै और ि बििलाि बदखललािे से। परनतु आप सीधी िी्यत से सच्लाई की मिलायंग ििीं करते अिुबित िततें िहुत कर देते िैं। आपकी जीभ गलाबल्यलायं देिे से रुकती ििीं। आप बलखते िैं बक ्यबद ििस ििीं करिला िलािते तो रबिुल अि्य और ख़ैरुल मिलाबकरीि से मिेरे िलारे मिें कोई आसमिलािी बििलाि मिलायंगे। ्यि बकतिे िूंसी-ठट्े के वलाक्य िैं। जैसे आप उस ख़ुदला पर ईमिलाि ििीं ललाते जो गु्तलाखों को िेतलाविी दे सकतला िै। िेष रिला ्यि सयंकेत बक ख़ुदला अि्य पर िै और मिक्र करतला िै ्यि ्व्ययं आपकी अज्ञलाितला िै। मिक्र िलारीक और गुप्त ्यति को किते िैं बजसकला ख़ुदला पर िररतलाथ्य करिला अवैध ििीं और अि्य कला वलाक्य ख़ुदला तआलला की श्ेष्तला के बलए आतला िै। क्योंबक वि सि ऊूंिों से अबधक ऊूंिला और प्रतलाप रखतला िै। ्यि ििीं बक वि बकसी मििुष्य के समिलाि बकसी तखत कला मिोितलाज िै। ्व्ययं क़ुआ्यि मिें िै बक प्रत्येक व्तु को उसिे थलामिला हुआ िै और वि क़ला्यमि रििे वलालला िै बजस को बकसी व्तु कला सिलारला ििीं। बफर जि पबवत्र क़ुआ्यि ्यि फ़रमिलातला िै तो अि्य कला आरोप करिला बकतिला अन्यला्य िै। आप अरिी

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    इस्तिफ़तितासे अिबभज्ञ िैं। आपको मिक्र के अथ्य भी मिलालूमि ििीं। मिक्र के अथ्य मिें ऐसी कोई अवैध िलात ििीं िै जो ख़ुदला तआलला की ओर समिद्ध ििीं िो सकती। दुटिों को दणड देिे के बलए ख़ुदला के जो िलारीक और गुप्त कला्य्य िैं उिकला िलामि मिक्र िै। िबदकोि देखो बफर ऐतरलाज़ करो। मिैं ्यबद आपके कथिलािुसलार वेद से अिपढ़ हूूं तो क्यला िलाबि िै। क्योंबक मिैं आपके मिलान्य बसद्धलायंत को िलाथ मिें लेकर ििस करतला हूूं। परनतु आप तो इ्ललामि के बसद्धलायंत से िलािर िो जलाते िैं। सलाफ़ झूठ ििलाते िैं। िलाबिए थला बक अि्य पर ख़ुदला कला िोिला बजस प्रकलार से मिलािला ग्यला िै पिले मिुझ से पूछते। बफर ्यबद गुयंजलाइि िोती, ऐतरलाज़ करते और ऐसला िी मिक्र के अथ्य पिले पूछते बफर ऐतरलाज़ करते। बििलाि ख़ुदला के पलास िै वि िसतिमिलाि िै बक आप को बदखलाए। व्सललामिो अलला मिबित्तिअल हुदला ख़लाकसलार - बमिज़ला्य गुललामि अिमिद

    और वि मिुआबिदः जो बििलािों के देखिे के बलए लेखक और लेखरलामि के मिध्य बलखला ग्यला थला उसकला िीष्यक जो लेखरलामि िे अपिे िलाथ से बलखला थला ्यि िै- "ओमि परमिलातमििे िमिः िे सबिदलाियंद ्वरुप परमिलातमिला सत्य कला प्रकलाि कर और असत्य कला िलाि कर तलाबक तेरी सत्य वेद बवद्यला सि सयंसलार मिें परमिरत िोवे।3 ★ बफर इसके िलाद उस लयंिे िौडे प्रबतज्ञला पलात्र कला खुललासला ्यि िै बक ्यबद कोई भबवष्यवलािी लेखरलामि को ितलाई जलाए और वि सच्ी ि िो तो वि बिनदू धमि्य की सच्लाई कला प्रमिलाि िोगी और भबवष्यवलािी करिे वलाले पर अबिवला्य्य 3 ★ ्यि ित्य बक लेखरलामि इ्ललामि को ्वीकलार करे उस समि्य की ित्य िै जिबक कुछ मिलालूमि ि थला बक जो भबवष्यवलािी ख़ुदला तआलला की ओर से िोगी उसकला बिियंध क्यला िोगला इसी से

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    इस्तिफ़तितािोगला बक आ्य्य धमि्य को अपिलाए ्यला तीि सौ सलाठ रुपए लेखरलामि को दे दे जो पिले से िरमिपत बिवलासी क़लाबद्यलाि की दुकलाि पर जमिला करला देिला िोगला। और ्यबद भबवष्यवलािी करिे वलालला सच्ला बिकले तो ्यि इ्ललामि की सच्लाई कला प्रमिलाि िोगला और पयंबडत लेखरलामि पर अबिवला्य्य िोगला बक इ्ललामि धमि्य ्वीकलार करे।4★ बफर इसके िलाद वि भबवष्यवलािी ितलाई गई बजसके अिुसलार 6 मिलाि्य 1897 ई० को लेखरलामि के जीवि कला अनत हुआ। परनतु इससे पिले बक वि भबवष्यवलािी लेखरलामि पर प्रकट की जलाती दोिलारला बवज्ञलापि द्लारला 20 फरवरी 1886 ई० उिको सूििला दी गई थी बक ्यबद उिको भबवष्यवलािी प्रकट करिे से कटि पहुूंिे तो उसे प्रकट ि बक्यला जलाए। परनतु लेखरलामि िे िडी बिभभीकतला और गु्तलाखी से जैसला के 20 फरवरी 1893 ई० के बवज्ञलापि मिें इस िलात की ििला्य िै, मिेरी ओर अपिला ि्तलाक्षर बक्यला हुआ एक कलाड्र भेजला बक मिैं आप की भबवष्यवलाबि्यों को बिरथ्यक समिझतला हूूं। मिेरे िलारे मिें जो िलािो प्रकलाबित करो मिेरी ओर से इजलाज़त िै और मिैं कुछ भ्य ििीं करतला। इस पर भी िमिलारी ओर से िडला बवलमि हुआ और कलारि ्यि हुआ बक अभी ख़ुदला तआलला की ओर से मिुझ पर भबवष्यवलािी की मिीआद ििीं खुली थी और लेखरलामि कला आग्रि थला मिीआद की क़ैद से भबवष्यवलािी ितलाई जलाए। अयंततः 20 फरवरी 1893 ई० को िहुत ध्यलाि, दुआ और बवि्य के िलाद मिलालूमि हुआ बक आज की बतबथ से अथला्यत् 20 फरवरी 1893 ई० से छः वष्य के मिध्य लेखरलामि 4 ★ ्यि लेखरलामि िे भबवष्यवलािी के अयंजलामि के बलए दुआ की थी बक ्यबद इ्ललामि सच्ला िै तो इिकी भबवष्यवलािी सच्ी बिकले और ्यबद बिनदू धमि्य सच्ला िै तो आपकी की हुई भबवष्यवलािी झूठी बिकले अि िमि दि्यकों से पूछते िैं बक ्यबद इस लेखरलामि वलाली भबवष्यवलािी को झूठला समिझला जलाए तो बकस सद््य पर इस दुआ कला दुषप्रभलाव पडेगला? इसी से

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    इस्तिफ़तितापर सखत अज़लाि बजसकला पररिलामि मिृत्यु िै उतलारला जलाएगला और इसके सलाथ ्यि अरिी इलिलामि-

    عْجل َجَسٌد ہل خوار۔ ہل نصٌب َو َعذابअथला्यत् ्यि िछडला बिजभीव िै बजसमिें से बिरथ्यक आवलाज़ आ रिी

    िै। अतः उसके बलए दुख की मिलार और अज़लाि िै।इस बवज्ञलापि के पृष् 2 और 3 मिें ्यि इिलारत िै अि मिैं इस

    भबवष्यवलािी को प्रकलाबित कर के समि्त मिुसलमिलािों, आ्यकों, ईसलाइ्यों तथला अन्य बफ़क़कों पर प्रकट करतला हूूं बक ्यबद बकसी व्यसति पर 6 वष्य के अनदर तक आज की बतबथ से अथला्यत् 20 फरवरी 1893 ई० से कोई ऐसला अज़लाि जो सलाधलारि कटिों से बिरलालला और बवलक्षि िो अथला्यत् जो रोग और िीमिलारर्यलायं मििुष्य के बलए ्वलाभलाबवक तथला मिलामिूली िैं बजिसे मििुष्य कभी ्वला्र्य पलातला और कभी मिरतला िै उिमिें से ि िो। और अपिे अनदर ख़ुदलाई धलाक रखतला िो (अथला्यत् ख़ुदला के प्रकोप के बििलाि उसमिें मिौजूद िों) ि उतरे तो समिझो बक मिैं ख़ुदला तआलला की ओर से ििीं और ि उसकी रूि से मिेरला ्यि िोलिला िै (अथला्यत् मिेरे सि और झूठ कला आधलार ्यिी भबवष्यवलािी िै) और ्यबद मिैं इस भबवष्यवलािी मिें झूठला बिकलला तो मिैं प्रत्येक दणड भुगतिे के बलए तै्यलार हूूं। और इस िलात पर सिमित हूूं बक मिेरे गले मिें र