भारत पाक िम्बन्ध: स्वूप और बदलाव...

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ISSN 2320 0871 भारतीय भाषाओं की अंतराारीय मासिक शोध पिका 17 नवंबर 2014 पीअर रीयूड ररसच जचल This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 21 भारत-पाक िबध: वऱप और बदलाव (1990 िे 2005 के िंदभ म) डॉ.शीला ओझा ोफे िर, राजनीतत ववान शािकीय महाववयालय, नागदा, मयदेश, भारत शोध िंेप भारत-पाक िबध 1947 क े पचात ही तनाव और आपिी िाव को वकसित करने की िया म ही ववकसित ए। शीत य ध की िमातत क े पचात 1990-91 क े पचात दोन दे श म जहा परपर िहयोग बढाने की आवयकता पर बल रहा वहीं 1998 क े बाद अण शतत का दजा ातत करने ि दोन दे श म नये तनाव दे खे जा िकते ह । यह भी महवप णा है क वषा 2000 क े बाद दोन दे श म िहयोग क े नये याि ह ए ह जो अतररारीय तनाव और दोन देश क े बीच िबध को िामाय करने की िया का पररणाम ही है। त त शोध पि म वगतकाल म भारत-पाक िबध पर काश डाला गया है । इि वववेचन िे भवय का आकलन करने म ि बंध नतना धा ारण म िहायता समले गी। तावना भारत-पाक िबध का ववलेषण भारत की वदेश नीतत का िबिे जटिल प है। य ये िबंध लगातार कई परेशातनय िे त रहे ह और इन िंबंध म जनमत की िंवेदनशीलता िबिे अधधक रही है जिके फलवऱप ये िंबंध और भी अधधक जटिल ह ए ह। दोन देश के बीच तीन बार िमशः 1948, 1965 और 1971 म िशि िंघषा हो चुके ह। वतामान म जबक दोन रार अणुशतत िपन रार ह तब पारपरक तनाव का वऱप और उिके भाव म बदलाव आ गया है। वैिे यह वशेष उलेखनीय है क भारत और पाकतान के बीच 1971 के पचात ् िशि िंघषा नहीं ह आ है। वपछले 27 वष म अनेक अविर ऐिे आये ह जबक दोन रार के बीच िशि िंघषा के अविर आ िकते थे कतु दोन देश की राजनतयक िमताओं और युध के तक ल भाव की िंभावनाओं के फलवऱप िशििंघषा के अविर लगातार िलते आ रहे ह। भारत-पाक िंबंध म तनाव के कारण की खोज अनुधचत नहीं है। इन कारण म िवाथम दोन देश के बीच ववभाजन की ऐततहासिक प ठभूसम है। वातवकता यह है क 1947 म भारत-पाक वभाजन िे ही दोन देश के बीच तनाव को जम टदया है। वभाजन यटद शांततपूणा िहअतव की भावना के िाथ होता तो अछे िबंध की थापना होती लेकन इिके ववपरीत भारत-पाक ववभाजन आपिी अववाि, िदेह, किुता और वैमनय पर ह आ है , इिसलए दोन देश के मय िंबंध म तनाव का जम आरभ

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  • ISSN 2320 – 0871 भारतीय भाषाओ ंकी अतंरााष्ट्रीय मासिक शोध पत्रिका 17 नवंबर 2014

    पीअर रीव्यूड ररसर्च जर्चल

    This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 21

    भारत-पाक िम्बन्ध: स्वरूप और बदलाव (1990 िे 2005 के िंदभों में)

    डॉ.शीला ओझा प्रोफेिर, राजनीतत ववज्ञान शािकीय महाववद्यालय, नागदा, मध्यप्रदेश, भारत

    शोध िकं्षेप भारत-पाक िम्बन्ध 1947 के पश्चात ्ही तनाव और आपिी िद्भाव को ववकसित करन ेकी प्रक्रिया में ही ववकसित हुए। शीत युद्ध की िमाप्तत के पश्चात ् 1990-91 के पश्चात ् दोनों देशों में जहााँ परस्पर िहयोग बढान े की आवश्यकता पर बल रहा वही ं1998 के बाद अणु शप्तत का दजाा प्रातत करन ेिे दोनों देशों में नये तनाव देखे जा िकते हैं। यह भी महत्तत्तवपूणा है क्रक वषा 2000 के बाद दोनों देशों में िहयोग के नये प्रयाि हुए हैं जो अन्तरराष्ट्रीय तनाव और दोनों देशों के बीच िम्बन्धों को िामान्य करने की प्रक्रिया का पररणाम ही है। प्रस्तुत शोध पि में ववगतकाल में भारत-पाक िम्बन्धों पर प्रकाश डाला गया है। इि वववेचन ि ेभववष्ट्य का आकलन करन ेमें िंबधं पुनतनाधाारण में िहायता समलेगी।

    प्रस्तावना भारत-पाक िम्बन्धों का ववश्लेषण भारत की ववदेश नीतत का िबिे जटिल पक्ष है। यों ये िंबंध लगातार कई परेशातनयों िे ग्रस्त रहे हैं और इन िंबंधों में जनमत की िंवेदनशीलता िबिे अधधक रही है प्जिके फलस्वरूप ये िंबंध और भी अधधक जटिल हुए हैं। दोनों देशों के बीच तीन बार िमशः 1948, 1965 और 1971 में िशस्ि िंघषा हो चुके हैं। वतामान में जबक्रक दोनों राष्ट्र अणुशप्तत िम्पन्न राष्ट्र हैं तब पारस्पररक तनाव का स्वरूप और उिके प्रभावों में बदलाव आ गया है। वैिे यह ववशेष उल्लेखनीय है क्रक भारत और पाक्रकस्तान के बीच 1971 के पश्चात ्िशस्ि िंघषा नहीं हुआ है। वपछले 27 वषों में अनेक अविर ऐिे आये हैं जबक्रक दोनों राष्ट्रों के

    बीच िशस्ि िंघषा के अविर आ िकत ेथे क्रकन्तु दोनों देशों की राजनतयक िक्षमताओं और युद्ध के प्रततकूल प्रभावों की िंभावनाओं के फलस्वरूप िशस्ििंघषा के अविर लगातार िलत ेआ रहे हैं। भारत-पाक िंबंधों में तनावों के कारणों की खोज अनुधचत नहीं है। इन कारणों में िवाप्रथम दोनों देशों के बीच ववभाजन की ऐततहासिक पषृ्ट्ठभूसम है। वास्तववकता यह है क्रक 1947 में भारत-पाक ववभाजन िे ही दोनों देशों के बीच तनाव को जन्म टदया है। ववभाजन यटद शांततपूणा िहअप्स्तत्तव की भावना के िाथ होता तो अच्छे िंबंधों की स्थापना होती लेक्रकन इिके ववपरीत भारत-पाक ववभाजन आपिी अववश्वाि, िंदेह, किुता और वैमनस्य पर हुआ है, इिसलए दोनों देशों के मध्य िंबंधों में तनाव का जन्म आरम्भ

  • ISSN 2320 – 0871 भारतीय भाषाओ ंकी अतंरााष्ट्रीय मासिक शोध पत्रिका 17 नवंबर 2014

    पीअर रीव्यूड ररसर्च जर्चल

    This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 22

    िे ही हुआ है। भारत-पाक के मध्य जो वववाद उत्तपन्न हुए उनमें कुछ प्रमुख, जैिे- अन्तरराष्ट्रीय िीमा-वववाद, अल्पिंख्यकों की िमस्या, देशी राजा और नवाबों की ररयाितों के ववलय का प्रश्न एवं िैन्य िामग्री का बंिवारा है। इन िमस्याओं में िे कुछ का तनदान हो गया लेक्रकन ररयाितों के ववलय िे िंबंधधत वववाद िबिे मुप्श्कल था। इिी कारण ववभाजन के बाद तुरन्त जम्मू-कश्मीर ररयाित के ववलय के मामले पर भारत और पाक्रकस्तान के बीच पहला युद्ध 1948 में हुआ। वैिे भारत-पाक्रकस्तान के बीच आपिी नाराजगी के कारणों का ववश्लेषण करत े िमय एक ववचार यह भी है क्रक भारत और पाक्रकस्तान के बीच नाराजगी मूल आस्थाओं के कारण रही है। भारत-पाक्रकस्तान के बीच ववभाजन का मूल आधार द्वव-राष्ट्र सिद्धान्त है प्जिमें धासमाक आधारों पर भारत-पाक्रकस्तान के ववभाजन की मांग थी और 1947 में दोनों राष्ट्रों के बीच इि आधार पर ववभाजन हुआ और इिे तब और भी अधधक िुदृढ क्रकया गया जबक्रक पाक्रकस्तान ने अपने आपको इस्लासमक राष्ट्र के रूप में घोवषत क्रकया और भारत ने अपने को एक धमातनरपेक्ष राष्ट्र के रूप में स्थावपत करने का तनणाय सलया। हाल ही में पाक्रकस्तान की िीमा में इस्लाम के आधार पर अपने तनयमों का तनमााण कर एक बार क्रफर पाक्रकस्तानी राजनीतत को पीछे धकेलने की चषे्ट्िा की है। ये प्रयाि इि मूल भावना को दृढ करत े हैं क्रक भारत और पाक्रकस्तान की स्थापना दो अलग-अलग मूल्यों की स्थापना को लेकर हुई और यह अववश्वाि और तनाव का मूल कारण है। भारत-पाक िंबंधों के कारणों में पाक्रकस्तान के मनोववज्ञान का उल्लेख मणणशंकर अय्यर ने

    अपनी पुस्तक पाक्रकस्तानी पेपिा में क्रकया है। उनके अनुिार पाक्रकस्तान का पड़ोिी भारत, पाक्रकस्तान की तुलना में राजनैततक रूप िे अधधक प्रबुद्ध है, प्रजातांत्रिक परम्पराओं की जड़े अधधक गहरी हैं और नागररक जीवन अधधक िम्पन्न और िुववधाओं िे भरपूर है। इिीसलए पाक्रकस्तानी नेततृ्तव के सलए यह ईष्ट्याा का ववषय रहा है। इिी तका को आगे बढात े हुए मणणशंकर स्पष्ट्ि करत े हैं क्रक पाक्रकस्तान में नाराजगी का एक कारण यह भी होता है क्रक यह तथ्य या यह जानकारी भारत िे जुड़ी हुई और भारत पर आधाररत है। भारत-पाक िंबंधों के एक और मनोवैज्ञातनक पक्ष को रेखांक्रकत करत े हुए मणणशंकर अय्यर मानते हैं क्रक पाक्रकस्तान के मनोववज्ञान में यह तथ्य बहुत स्पष्ट्ि तौर पर घर कर गया क्रक वह एक छोिा देश है। वैिे जनिंख्या इण्डोनेसशया के बराबर है परन्तु उिमें यह भाव लगातार बना हुआ है क्रक वह एक छोिा देश है और उिे अपने अप्स्तत्तव के सलए लगातार प्रयत्तनशील रहना पड़ता है और भारत उिके अप्स्तत्तव के सलए लगातार खतरा है। इि दृप्ष्ट्ि िे वे िब प्रयाि जो भारत-पाक िंबंधों में एकता और तनकिता के सलए होत ेहैं, वे पाक्रकस्तान में एक मनोवैज्ञातनक भय को जन्म देत े हैं और अपने अप्स्तत्तव के सलए पाक्रकस्तान को और अधधक उग्र नीततयों के सलए बाध्य करत ेहैं। भारत-पाक िंबंधों के ववश्लेषक प्जनमें जे.एन.दीक्षक्षत का नाम प्रमुख है, इि बात का स्पष्ट्ि उल्लेख करत े हैं क्रक दोनों देशों के असभजन प्जनमें पाक्रकस्तानी िैन्य असभजन ववशेष रूप िे िक्रिय हैं, चाहत ेहैं क्रक पाक्रकस्तान और भारत में तनावों के बने रहने के तनरन्तर

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    पीअर रीव्यूड ररसर्च जर्चल

    This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 23

    अविर होने चाटहए, तयोंक्रक जब तक भारत-पाक तनाव बने नहीं रहेंगे, तब तक पाक्रकस्तान में िैन्य असभजन महत्तत्तवपूणा नहीं होगा। भारत-पाक तनाव िैन्य असभजन को एक ववशेष महत्तत्तव प्रदान करत ेहैं। 1971 में बांग्लादेश के तनमााण में भारत की भूसमका को पाक्रकस्तान का िैन्य असभजन अत्तयधधक महत्तत्तवपूणा मानता है। भारत में इि ववभाजन को उि ववचारधारा की ववजय माना जाता है प्जिके अन्तगात धमा पर आधाररत राज्य तनमााण अनुधचत है और िांस्कृततक तथा भाषायी एकीकरण के अभाव में राष्ट्र का िंचालन और स्थातयत्तव िंभव नहीं है। नये पाक्रकस्तान की प्स्थतत लगातार कमजोर रही है और उिके फलस्वरूप पाक्रकस्तान के राजनीततकारों ने भारत की पप्श्चमी िीमाओं को तनरन्तर तनावपूणा बनाये रखने का काया क्रकया है। इिके अन्तगात पंजाब एवं कश्मीर में आतंकवाद और छोिे स्तर पर अनुपप्स्थत युद्ध लगातार चल रहा है, प्जिके फलस्वरूप भारत-पाक िीमाएं लगातार तनावपूणा बनी हुई है। अनुपप्स्थत युद्ध के कारण अप्स्थरता के िाथ-िाथ क्षेि में लम्बे िमय तक तनाव की उपप्स्थतत भी रहती है। वपछले 15 वषों िे यह प्रवपृ्त्तत भारत-पाक िंबंधों को लगातार प्रभाववत कर रही है। भारत-पाक िंबंधों का ववश्लेषण एक और दृप्ष्ट्िकोण िे भी क्रकया जा िकता है प्जिमें दोनों देशों की िैन्य तैयारी और व्यय का आधार है। भारत की रक्षा िेनाएं 1.050 हजार 1996-97 तथा 1997-98 में 320,000 करोड़ रुपये रहा। इन्हीं वषों में पाक्रकस्तान की िैन्य शप्तत 1996-97 तथा 1997-98 में 587 हजार रही और पाक्रकस्तान का िैन्य व्यय 1996-97 में

    127,441 करोड़ रुपये और 1997-98 में 134.02 करोड़ रुपये रहा है। दोनों देशों की तुलना को गहराई िे देखने पर यह स्पष्ट्ि होगा क्रक राष्ट्रीय िकल उत्तपाद में पाक्रकस्तान का िैतनक व्यय अधधक है प्जिका प्रततकूल पररणाम वहां की अथाव्यवस्था पर लगातार बना हुआ है।1 िैन्य शप्तत के बढत ेप्रभाव का अिर पाक्रकस्तान की राजनैततक व्यवस्था पर भी है। भारत-पाक िंबंधों के ववश्लेषण में िैन्य तैयारी और प्रभावों का ववश्लेषण महत्तत्तवपूणा है जो इन िंबंधों को िमझने की जानकारी लगातार देत ेहैं। भारत-पाक िंबंधों में एक बात का अनुभव लगातार रहता है क्रक भारत-पाक्रकस्तान के बीच मूलभूत अन्तर उिके आकार और क्षमाताओं का है। यह प्स्थतत 1971 के पश्चात ्और भी अधधक स्पष्ट्ि नजर आती है। भारत की जनिंख्या 1994 के मध्य 913 समसलयन थी, पाक्रकस्तान की जनिंख्या 126.3 समसलयन। भारत का क्षेिफल 3288 हजार वगा क्रकलोमीिर तथा पाक्रकस्तान का क्षेिफल 796 हजार वगा क्रकलोमीिर है। अथाव्यवस्था के आकार और उिकी ववसभन्नताएं भी पाक्रकस्तान और भारत के अंतर को लगातार स्पष्ट्ि करती है। भारत-पाक िंबंधों में िबिे अधधक महत्तत्तवपूणा पक्ष यह रहा है क्रक अन्य देशों के प्रभावी हस्तक्षेप िे पाक्रकस्तान को बल समला है। इि िम में िबिे पहले उल्लेख अमेररका का क्रकया जा िकता है। पाक्रकस्तान आरम्भ िे ही अमेररकी िैन्य िंगठन िेन्िो और सिएिो का िदस्य रहा है और इिसलए अमेररका द्वारा उिे लगातार िैन्य मदद की गई। िैद्धांततक रूप िे यह मदद िाम्यवादी प्रभाव को क्षेिीय स्तर पर कम करने के सलए प्रातत होती थी क्रकन्तु इिका व्यावहाररक

  • ISSN 2320 – 0871 भारतीय भाषाओ ंकी अतंरााष्ट्रीय मासिक शोध पत्रिका 17 नवंबर 2014

    पीअर रीव्यूड ररसर्च जर्चल

    This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 24

    उपयोग भारत के ववरुद्ध ही हुआ। इन्हीं िंबंधों के तहत पाक्रकस्तान की नीततयों के ववसभन्न पक्षों को भी अमेररकी िमथान प्रातत रहा। अन्तरराष्ट्रीय िंबंधों के ववश्लेषक 1980 के दशक में अमेररकी रुझानों में बदलाव देखत े हैं और अमेररका अधधक वववेकपूणा और यथाथावादी दृप्ष्ट्िकोण अपनाता है प्जिके अन्तगात भारतीय पक्ष को आवश्यकताओं के प्रतत अधधक िंवेदनशीलता रहती है। चीन का पाक्रकस्तान को िैन्य और अन्तरराष्ट्रीय प्रश्नों पर िमथान-क्षेि के बाहर का हस्तक्षेप माना जा िकता है। यह िमथान 1962 के भारत-चीन िंघषा के पश्चात ् अधधक मुखर और प्रभावशाली हुआ। िैन्य ववश्लेषक पाक्रकस्तान के प्रतत चीनी िहयोग को अधधक िंतुलक और महत्तत्तवपूणा मानत े हैं। चीन ने पाक्रकस्तानी िेना के आधुतनकीकरण में ही मदद नहीं दी वरन ्उिने अणु शस्िों के ववस्फोि में पाक्रकस्तान को पूरा िहयोग टदया। चीन का वपछले कुछ दशकों में ववसभन्न अन्तरराष्ट्रीय वववादों में पाक्रकस्तान को िमथान समला है। चीन का प्रयाि दक्षक्षण एसशया में भारत प्रभाव को िीसमत करने की दृप्ष्ट्ि िे अधधक रहा है। बाहरी हस्तक्षेप की दृप्ष्ट्ि िे पाक्रकस्तान ने अपने इस्लामी आग्रहों का उपयोग क्रकया है। इिके अन्तगात पाक्रकस्तान को पप्श्चम और मध्य एसशयाई तले िम्पन्न राज्यों का िहयोग समला है। ये राष्ट्र प्जिमें िऊदी अरब प्रमुख है, पाक्रकस्तान के प्रभाव और िम्पन्नता को बढाने में लगातार रुधच लेत े हैं और पाक्रकस्तान में बाह्य दबावों को कम करत ेहैं। इि िामान्य पषृ्ट्ठभूसम के ववश्लेषण के पश्चात ्हाल ही में हो रहे ववसभन्न प्रयािों का प्जनमें

    पारस्पररक ववश्वाि को बढाने और तनावों को कम करने की गंभीर और आवश्यक कोसशश है, उिका आकलन आवश्यक है। मई, 1998 में भारत में परमाणु परीक्षण व जून, 1998 में पाक्रकस्तान द्वारा क्रकये गये परमाणु परीक्षण में दोनों देशों के बीच के तनावों को काफी बढा टदया था। इि बढे हुए तनाव को कम करने के सलए भारतीय प्रधानमंिी वाजपेयी और पाक्रकस्तान के प्रधानमंिी नवाज शरीफ ने परस्पर समलकर आपि में बातचीत करने की इच्छा जाटहर की, इिका उन्हें शीघ्र ही अविर भी समल गया। जुलाई, 1998 में कोलम्बो में आयोप्जत दक्षेि का सशखर िम्मेलन प्जिमें दोनों देशों के प्रधानमंिी समले एवं चचााएं कीं, इि चचाा का कोई पररणाम नहीं तनकला। लेक्रकन आपि में वातााएं होना तनप्श्चत क्रकया गया। 31 जुलाई, 1998 को दक्षेि िम्मेलन की िमाप्तत के पश्चात ्पाक्रकस्तान के ववदेश मंिालय के प्रवतता ताररका अल्ताफ ने पे्रि कान्रें ि में कहा- ‘‘अब बातचीत राजनतयकों के स्तर पर जारी रहेगी।’’2 िाथ ही यह भी बताया क्रक डरबन में होने वाले गुितनरपेक्ष राष्ट्रों के सशखर िम्मेलन के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों की भेंि होगी। इिके अलावा भारतीय ववदेश िधचव के. रघुनाथ और पाक्रकस्तान के ववदेश िधचव शमशाद के बीच बातचीत के दौर हुए लेक्रकन इिमें भी कोई प्रगतत या िमझौता नहीं हो पाया। लेक्रकन 18 अतिूबर, 1998 को भारत-पाक्रकस्तान की ववदेश िधचव स्तरीय बातचीत हुई, प्जिे हम अगर िफल या अिफल वाताा न कहत े हुए यह कह िकत े हैं क्रक दोनों देशों की बातचीत आगे बढी है। दोनों पक्षों ने अपनी बातें दोहराई, पर यह अप्रत्तयासशत ही था तयोंक्रक दोनों एक-दिूरे िे

  • ISSN 2320 – 0871 भारतीय भाषाओ ंकी अतंरााष्ट्रीय मासिक शोध पत्रिका 17 नवंबर 2014

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    This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 25

    1994 िे ही गंभीरतापूवाक बात नहीं कर रहे हैं। परमाणु परीक्षणों के बाद के हालातों को देखते हुए दोनों ने ही परस्पर ववश्वाि बनाए रखने की पेशकश कर तका िंगत और तनयंत्रित टदखने की पूरी कोसशश की। हालांक्रक पाक्रकस्तान के अधधकाररयों ने औपचाररक बातचीत के दौरान कोई लचीलापन नहीं टदखाया। इि वाताा में शासमल ववदेश िधचव शमशाद अहमद का मानना है क्रक, ‘‘कश्मीर िमस्या आज दतुनया के िबिे जटिल मामलों में िे एक है।’’ पाक्रकस्तान के िाथ बातचीत करने में यह िबिे बड़ी चुनौती है प्जििे वाताा की मेज पर नहीं तनपिा जा िकता है।3 भारत-पाक िम्बन्ध मूलतः वववादों और आपिी ववश्वाि के अलग-अलग तरीकों के प्रयाि करने के बीच ही ववकसित होत ेहुए नजर आत ेहैं, इन दोनों प्रवपृ्त्ततयों को नये राजनतयक वातावरण में देखने का प्रयाि रहा है। अगर वाताा आपिी अववश्वाि और तनावों के दौर िे गुजरती हुई नजर आती है इिके ववपरीत 2004 के बाद के प्रयािों में एक िमझ और लचीलापन लगातार नजर आता है। इन प्रवपृ्त्ततयों को हम 2005 में सितम्बर तक देखने का प्रयाि कर रहे हैं प्जनमें द्ववपक्षीय िम्बन्धों की कततपय घिनाओं को ववस्तार िे िमझने का प्रयाि क्रकया गया है, दोनों देशों के बीच आपिी दृप्ष्ट्िकोणों और िमस्याओं को िमझने का प्रयाि अधधक उल्लेखनीय है न क्रक पररणाम तयोंक्रक पारस्पररक वववाद कई अथों में परम्परागत रूप में ही उपप्स्थत है ऐिी प्स्थततयों में ववकसित हो रही पारस्पररक िमझ को रेखांक्रकत करना ही इि ववश्लेषण का उद्देश्य है।

    भारत अपने पड़ोसियों ववशेषकर पाक्रकस्तान िे बार-बार दोहरा रहा है क्रक भारत अपने राष्ट्रीय टहत में ‘‘प्स्थर, िुरक्षक्षत और खुशहाल पाक्रकस्तान’’ चाहता है। वह लंत्रबत मुद्दों को िुलझाने के सलए पाक्रकस्तान िे गंभीर और तनरन्तर बातचीत करना चाहता है। आने वाले िमय में भारत-पाक के बीच घतनष्ट्ठ िांस्कृततक और आधथाक िहयोग िे लेकर सियाधचन तथा िरिीक वववादों पर हुए िमझौतों पर ववचार करने जैिे ववषयों पर वाताा जारी रखने का ववचार है। इििे यह तो स्पष्ट्ि है क्रक उन्हें कश्मीर के प्रश्न का िमाधान तो तुरन्त होने की उम्मीद नहीं है। ऐिी प्स्थतत में यह ववकल्प बचता है क्रक हम तनावों के क्षेिों को कम करत ेजायें और िामान्यीकरण की प्रक्रिया को आरम्भ कर वववादास्पद प्रश्नों िे िंबंधधत दबावों िे बढे तनावों को कम करने की भूसमका तनभा िकने के िाथ ही भारत-पाक िंबंधों में जो पुरानी कड़वाहि है उिके पक्षों की और उिके अहिाि को कम करने की कोसशश कर िकत ेहैं। इिके सलए यह आवश्यक है क्रक भारत अपने पड़ोिी देश को आश्वस्त करें क्रक भारत िे पाक की भौगोसलक अखण्डता को क्रकिी प्रकार का भय नहीं है तयोंक्रक पाक्रकस्तान हमेशा ही यह बात दोहराता रहता है क्रक भारत िे पाक्रकस्तान की भौगोसलक अखण्डता प्रभाववत हो रही है। स्वतंिता के पचाि वषों के बाद आज तक इिी िोच ने दोनों देशों के बीच िंबंधों को तनावपूणा बनाये रखा है, अगर यह िंदेह दरू हो जाता है तो तनप्श्चत ही भारत-पाक्रकस्तान िंबंधों में प्स्थरता और शांतत स्थावपत हो िकती है जो क्रक इि क्षेि के सलए महत्तत्तवपूणा है।

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    पीअर रीव्यूड ररसर्च जर्चल

    This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 26

    भारत-पाक िम्बन्ध तथा अमेररकी िमीकरण वतामान पररप्स्थततयों में भारत को पाक्रकस्तान के िंदभा में अपनी नीतत को बहुत ही िोच िमझकर और िुतनयोप्जत रूप िे तनप्श्चत करना चाटहए। हमें वैप्श्वक ताकतों के पुन:धु्रवीकरण, अफगातनस्तान युद्ध के प्रभाव, पाक्रकस्तान में आन्तररक परेशातनयां, पाक्रकस्तान के शािकों पर पाक अधधकृत कश्मीर द्वारा लगातार बनाये जा रहे दबाव, पाक्रकस्तान और भारत की हधथयारों िंबंधी िंभावनाओं के बदलत े िमीकरणों, ववशेषकर दोनों देशों में क्रकये गये परमाणु परीक्षणों के बाद की प्स्थतत तथा त्रबगड़ती आधथाक पररप्स्थततयों को ध्यान में रखकर करना चाटहए। जहां तक परमाणु परीक्षणों की बात की जाती है क्रक भारत में परमाणु परीक्षणों के िाथ ही भारत की प्स्थतत अधधक मजबूत हो गई है। इि िंदभा में नोबल पुरस्कार ववजेता अमत्तयािेन का कहना ठीक है क्रक 1965 के भारत-पाक युद्ध एक पारम्पररक हधथयारों के मामले में पाक्रकस्तान की तुलना में भारत अधधक शप्ततशाली था। उनका आकलन यह स्पष्ट्ि करता है क्रक भारत में हुए परमाणु परीक्षणों और उिके बाद पाक्रकस्तान में भी हुए वैिे ही परीक्षणों के बाद भारत और पाक्रकस्तान की हधथयार क्षमता लगभग एकिमान हो गई है। परमाणु हधथयारों में ववध्वंि की इतनी ज्यादा क्षमता है क्रक परमाणु युद्ध में क्रकिी का जीतना या हारना कहना मुप्श्कल है तयोंक्रक दोनों पररप्स्थततयों में दोनों ही पक्षों को भारी नुकिान होगा। इिसलए पाक्रकस्तान के िाथ परमाणु युद्ध की बात करना गलत होगा।

    पाक्रकस्तान के राष्ट्रपतत प्रारम्भ में जो कह रहे थे उिमें बदलाव टदखाई देता है तयोंक्रक यह बदलाव युद्ध के हालात, पाक्रकस्तान में आंतररक तनावों एवं धगरत े आधथाक, िामाप्जक तथा राजनैततक हालातों के कारण हुआ है हालांक्रक कश्मीर िमस्या पर अपना दबाव बनाए हुए हैं। इिका कारण ज्यादातर पाक्रकस्तान की अंदरूनी मजबूररयां हैं। वल्डा रेड िेन्िर एवं पेंिागन पर 11 सितम्बर, 2001 के हमले के बाद िे अमेररका प्जन पररप्स्थततयों में उलझ गया है, उन्होंने अमेररका को आतंकवाद के ववरुद्ध कड़े कदम उठाने पर मजबूर कर टदया है। इिमें पाक्रकस्तान के िाथ-िाथ भारत को भी शासमल होना पड़ा है। इन पररप्स्थततयों में दोनों देशों ने आपिी बातचीत एवं ववचार-ववमशा द्वारा िंघषा के मुद्दों को िुलझाने की बात करना शुरू कर दी थी। लेक्रकन इिमें भी पाक्रकस्तान द्वारा यह शता रखी गयी क्रक दोनों देशों के बीच क्रकिी िमझौत ेिे पहले कश्मीर िमस्या का शांततपूणा हल क्रकया जाना आवश्यक है। इि िंदभा में भारत का स्पष्ट्ि कहना रहा है क्रक िमझौत ेकी बात त्रबना क्रकिी तीिरे देश की मध्यस्थता के होना चाटहए। इििे यह अहिाि हो रहा है क्रक युद्ध का माहौल काफी हद तक शांत हो गया। पाक्रकस्तान के पहले िे चले आ रहे कड़ ेरुख को कम करने में उिकी धगरती आधथाक प्स्थतत तथा ववदेशी ववत्ततीय िहायता प्रातत करने की इच्छा महत्तत्तवपूणा रही है। इिके बावजूद पाक्रकस्तान में पनप रहे आतंकवाद ने भारत एवं पाक्रकस्तान के मध्य तनाव एवं िंघषा को बढाया है। यह आभाि हमें 13 टदिम्बर, 2001 को भारतीय िंिद पर हुए हमले में स्पष्ट्ि हो जाता तयोंक्रक जो हमला हुआ था, उिमें आतंकवादी िगंठन पाक्रकस्तान में

  • ISSN 2320 – 0871 भारतीय भाषाओ ंकी अतंरााष्ट्रीय मासिक शोध पत्रिका 17 नवंबर 2014

    पीअर रीव्यूड ररसर्च जर्चल

    This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 27

    प्रसशक्षक्षत आत्तमघाती प्जहादी शासमल थे यह बात पाक्रकस्तान के ववसभन्न िमाचार पिों ने भी स्पष्ट्ि की है। इिी िंदभा में भारतीय प्रधानमंिी वाजपेयी ने दक्षेि िम्मेलन में जाने िे पहले बहुत ही महत्तत्तवपणूा बयान देत े हुए कहा क्रक आतंकवाद का मुख्य स्रोत पाक्रकस्तान है िाथ ही यह क्रक पाक्रकस्तान ने अपनी धरती िे आतंकवाद फैला रहे िंगठनों के ववरुद्ध कायावाही की है, वह िंतोषजनक नहीं है इिका पूरा ब्योरा हमें समलना चाटहए, तयोंक्रक हम यह देखना चाहेंगे क्रक इिमें 13 टदिम्बर को िंिद पर हमला करने वाले आतंकवादी शासमल है या नहीं। िाथ ही पाक्रकस्तान जब तक आतंकवाद को िमथान देना बंद नहीं करता तब तक मुशराफ के िाथ समलना या बातचीत करने का प्रश्न ही नहीं उठता तयोंक्रक आतंकवाद और बातचीत िाथ-िाथ नहीं चल िकत।े काठमांडू में आयोप्जत दक्षेि िम्मेलन में राष्ट्रों के प्रमुखों िे पहले जो ववदेश मंिी व ववदेश िधचव पहंुच े हैं, उन्होंने सशखर िम्मेलन में उठाए जाने वाले और उठने वाले मिलों की िवािम्मतत िे रेखांक्रकत कर सलया। इिमें प्रमुख मिला ‘आतंकवाद’ था, प्जिमें यह स्वीकार क्रकया गया था क्रक आतंकवाद पर काबू पाने के सलए िंयुतत राष्ट्र द्वारा पाररत प्रस्ताव स्वीकार क्रकया जाए और उि पर अमल क्रकया जाए। ववदेश िधचवों के स्तर पर ही इि प्रस्ताव का अनुमोदन हो गया था प्जिका ववरोध पाक्रकस्तान के राष्ट्रपतत मुशराफ नहीं कर पाये वरन ् उन्हें आतंकवाद ववरोधी इि प्रस्ताव का अनुमोदन करना पड़ा। जहां तक भारत-पाक वववाद को िुलझाने में महाशप्ततयों के िंदभा में देखा जाए तो उि

    िमय की बात करेंगे जब ववश्व की राजनीतत का दो महाशप्ततयों, अमेररका एवं िोववयत िंघ के बीच धु्रवीकरण था। यह प्रभाव केवल यूरोप ही नहीं बप्ल्क एसशया में भी उपप्स्थत था प्जिके दषु्ट्पररणाम भारत और पाक्रकस्तान ने काफी लम्बे अिे तक िहे हैं। अमेररका एवं िोववयत िंघ अधधकांशतः अपने-अपने टहतों के आधार पर क्रकिी राष्ट्र के मामले में दखलंदाजी करत ेरहे हैं। यूरोप, एसशया, अरीका तथा लेटिन अमेररका के देशों के बीच इन दोनों में िे क्रकिी एक महाशप्तत के िाथ गठजोड़ के अलावा कोई ववकल्प नहीं था। इि प्स्थतत को नासिर िीिो एवं नेहरू ने समलकर गुितनरपेक्ष आंदोलन के माध्यम िे बदलने की कोसशश की। इि आंदोलन के जररये गुितनरपेक्ष देशों को अपनी राजनीततक एवं आधथाक पररप्स्थततयों के अनुरूप स्वतंि नीततयां अपनाने की गुंजाइश समल पाई थी। िोववयत िंघ के ववघिन के िाथ ही दो धु्रवीय दतुनया एक धु्रवीय रह गयी, तयोंक्रक अमेररका अब अकेली महाशप्तत है। 11 सितम्बर के बाद थोपे गये इि वतामान आतंकवादी युद्ध की िबिे बड़ी िािदी यह है क्रक पहले जहां गुितनरपेक्ष आंदोलन ववसभन्न शािन प्रणासलयों के बीच िद्भाव बनाने का काया करता था, वहीं अब इस्लामी एव ं गैर इस्लामी देशों को अलग-अलग जमातों में बांिने का प्रयाि हो रहा है। ऐिे हालात में भारत और पाक्रकस्तान के बीच क्रकिी राष्ट्र की मध्यस्थता इिे और वववादास्पद बना िकती है। भारत-पाक िम्बन्धों में बढता तनाव एवं अमेररकी प्रभाव 11 सितम्बर, 2001 में हुए अमेररका पर आतंकवादी हमले के बाद पहली बार अमेररका ने भारत-पाक तनाव को गंभीरता िे लेत े हुए दोनों

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    पीअर रीव्यूड ररसर्च जर्चल

    This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 28

    ही राष्ट्र प्रमुखों को आपिी तनाव कम करने एव ंिंयम बरतने की अपील की है। अमेररका के इि तरह के कूिनीततक प्रयािों का उद्देश्य शायद यह हो िकता है क्रक भारत को अपने ऊपर हमले िे बचाने के सलए प्रततरोध की रणनीतत अपनाने िे रोकना है। अफगातनस्तान में अलकायदा के णखलाफ अमेररका ने इिी तरह का प्रयोग क्रकया था। तयोंक्रक भारतीय प्रधानमंिी वाजपेयी द्वारा भारतीय िंिद पर 13 टदिम्बर को हुए हमले के बाद यह कहना क्रक भारत को तुरन्त ही फौजी हमला बोल देना था। भारत की ओर िे प्रततरोध हुआ। आतंकवाटदयों के खतरे को तनमूाल करने के सलए तनयंिण रेखा पार कर पाक्रकस्तान अधीनस्थ कश्मीर में प्स्थत स्थानों पर युद्ध के हालाता वास्तव में मई, 2002 में हुए अल्मािी िम्मेलन िे पहले ही बन चुके थे। इि िम्मेलन में वाजपेयी और मुशराफ दोनों ही मौजूद थे। वाजपेयी की इि बात िे अब अमेररका िहमत होने लगा क्रक भारत-पाक्रकस्तान के िाथ क्रकिी तरह का िंवाद तभी रखेगा जब भारत तनयंिण रेखा िे घुिपैठ रूकने को लेकर आश्वस्त हो। इि िंदभा में अमेररका ने मशुराफ िे स्पष्ट्ि तौर पर यह कहा क्रक पाक्रकस्तान स्थायी रूप िे घुिपैठ को बंद करे। पाक्रकस्तान अधीन कश्मीर में आतंकवादी िंगठनों को खत्तम करत ेहुए भारत द्वारा प्जन अत्तयंत वांतछत 20 आतंकवाटदयों की मांग की गई है उि पर कुछ करने के सलए ठोि कदम उठाए। इिी दौरान िंयुतत राष्ट्र में पाक्रकस्तान के प्रतततनधध मुनीर अकरम ने जब यह बयान टदया क्रक भारत के िाथ पारम्पररक युद्ध की प्स्थतत में भी पाक्रकस्तान अणुशप्तत ववकल्प अपना िकता है, इिकी प्रततक्रिया में अमेररका ने इि बयान पर कड़ी प्रततक्रिया व्यतत

    करत े हुए पाक्रकस्तान पर कूिनीततक दबाव डाला प्जिके पररणामस्वरूप पाक राष्ट्रपतत मुशराफ ने तुरन्त यह स्पष्ट्ि क्रकया क्रक वे ‘एिमी अवववेक’ की कोई कारावाई नहीं करेंगे। अमेररकी प्रयािों िे एक िीमा तक युद्ध की िंभावनाएं खत्तम हो गई लेक्रकन अब यह भी स्पष्ट्ि टदखाई देने लगा है क्रक इि उपमहाद्वीप में अमेररकी प्रभाव महत्तत्तवपूणा होता जा रहा है। जबक्रक भारत कश्मीर मुद्द े पर क्रकिी तीिरे पक्ष की मध्यस्थता का ववरोध करता रहा है। अमेररकी प्रभाव अल्मािी िम्मेलन में टदखाई देता है तयोंक्रक इि िम्मेलन में पाक्रकस्तान ने आतंकवाद की भत्र्िना करत े हुए अल्मािी करार पर हस्ताक्षर क्रकए हैं प्जिमें कहा गया है क्रक कोई भी िदस्य देश अलगाववादी आंदोलनों का िमथान नहीं करेंगे। इिका मतलब यह है क्रक पाक्रकस्तान आतंकवाटदयों को अपनी धरती का इस्तमेाल नहीं करने देगा। इिकी प्रततक्रिया में भारतीय प्रधानमंिी वाजपेयी ने भी यह स्पष्ट्ि करत े हुए कहा क्रक, ‘‘मुशराफ के भाषण में क्रकए गए आतंकवाद के णखलाफ वादों के अनुरूप वास्तववक कायावाहीक्रकए जाने पर हम अनुकूल कदम उठायेंगे।’’ इि तरह अमेररकी कूिनीततक प्रयािों का रूि व चीन ने िमथान क्रकया है लेक्रकन इििे चीन इि उप महाद्वीप एव ं मध्य एसशयाई गणराज्यों में अमेररका के बढत े प्रभाव िे धचतंतत भी है। लेक्रकन भारत क्रफलहाल तो पाक्रकस्तान पर दबाव और अमेररका िे तनकिता बनाए रखत ेहुए िीमा पार के आतंकवाद का स्थायी िमाधान कराने की कोसशश में टदखाई देता है। उिने एक ऐिा दस्तावेज तैयार क्रकया है प्जिमें ‘आतंक की दीवार’ का प्जि करत े हुए कहा गया है क्रक

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    पीअर रीव्यूड ररसर्च जर्चल

    This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 29

    प्जिके एक ओर अफगातनस्तान और दिूरी ओर भारत है तथा पाक्रकस्तान िे जारी घुिपैठ भारत िे फैलकर पूरे क्षेि को अप्स्थर कर िकता है। वाजपेयी ने तनयंिण रेखा िटहत भारत-पाक िीमा की िंयुतत तनगरानी के प्रस्ताव के द्वारा भारत के रुख में नरमी का िंकेत टदया है। वैिे यह प्रस्ताव कोई नया नहीं है। 1989 में दोनों देशों के गहृ िधचवों ने पाक्रकस्तान िे लगी पंजाब िीमा की प्रभावी और िमप्न्वत तनगरानी के िमझौत े पर हस्ताक्षर क्रकए थे। उि िमय पंजाब में आतंकवाद अपनी चरम प्स्थतत में था और कश्मीर में उग्रवाद शुरू नहीं हुआ था। हालांक्रक पाक्रकस्तान ववश्वाि बढाने के दिूरे उपायों पर तैयार हो गया लेक्रकन तनगरानी के प्रस्ताव पर कोई प्रततक्रिया नहीं दी बप्ल्क उिने तनयंिण रेखा पर अंतरााष्ट्रीय पयावेक्षक तैनात करने की मांग की है और िंयुतत तनगरानी के प्रस्ताव को भारत के िाथ वाताा की शता िे जोड़ टदया है। भारत ने तनयंिण रेखा पर अमेररका और त्रिटिश तनगरानी में फौज तैनात करने के इि प्रस्ताव को इन आधारों पर अमान्य कर टदया है क्रक उि इलाके में यह िंभव नहीं और यह भारत-पाक्रकस्तान के द्ववपक्षीय मामले में अन्तरराष्ट्रीय हस्तक्षेप है। हाल ही में अमेररका में क्रफर पाक्रकस्तान पर प्रततबन्ध की मांग उठने लगी है, तयोंक्रक आतंकवाद को मदद देने के सलए नये िबूत िामने आए हैं। यह बात अमेररकी डमेोिेटिक नेता रें क पलाने ने कही है क्रक उन्हें इि िंदभा में जानकारी समली है क्रक उत्ततर कोररया के परमाणु कायािम को वपछले दो माह िे बैलेप्स्िक समिाइल के बदले में पाक्रकस्तान मदद कर रहा है। उन्होंने कहा क्रक अमेररकी नासभकीय अप्रिार

    ब्यूरो के प्रमुख जान फि बुल्फ उत्ततर कोररया की भूसमका की जांच कर रहे हैं और आशा है क्रक वे उिके णखलाफ क्रफर िे प्रततबन्ध लगाने की अनुशंिा कर िकत ेहैं। िाथ ही िीमा पार आतंकवाद को बढावा देने के सलए आलोचना करत े हुए कहा क्रक आतंकी गततववधधयों को रोकने के सलए प्जििे दक्षक्षण एसशया क्षेि के िाथ ही अमेररका के सलए भी खतरा है, बुश प्रशािन को पाक्रकस्तान के िंदभा में अपनी ववदेश नीतत की िमीक्षा करना चाटहए। पाक्रकस्तान में अभी भी ऐिे मदरिे मौजूद हैं जहां िे इस्लासमक आतंकी िंगठनों को सशक्षक्षत क्रकया जाता है। पाक्रकस्तान की जािूिी िंस्था आई.एि.आई. का भी तासलबानों व कश्मीरी आतंक्रकयों िे गठजोड़ है। इििे पाक्रकस्तान में मजबूती प्रदान की जाती है। पलोन ने आगे यह भी कहा क्रक आतंकवाद को खत्तम करने के सलए आतंकी गततववधधयों का केन्र बने मदरिे बंद करने का वादा पूरा करने में जनरल मुशराफ अिफल रहे हैं। इिसलए पाक्रकस्तान को अपनी प्जम्मेदाररयों िे भागने में छूि नहीं समलनी चाटहए। अतः पाक्रकस्तान के व्यवहार को देखत ेहुए उिके णखलाफ आधथाक व िैन्य प्रततबन्ध लगाने का पक्षधर हंू। उपयुातत ववश्लेषण के पश्चात ् तनष्ट्कषातः यही कहा जा िकता है क्रक भारत और पाक्रकस्तान के बीच िीमा पर घुिपैठ, िीमा पार आतंकवाद, भारत-पाक िीमा के पार हमले करने के सलए पाक्रकस्तान की जमीन पर चल रहे प्रसशक्षण सशववरों तथा कश्मीर मुद्द ेके हल जैिी िमस्याओं के बीच िीधी बातचीत करत े हुए तनपिाने के िमबद्ध प्रयाि करने चाटहए।

  • ISSN 2320 – 0871 भारतीय भाषाओ ंकी अतंरााष्ट्रीय मासिक शोध पत्रिका 17 नवंबर 2014

    पीअर रीव्यूड ररसर्च जर्चल

    This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 30

    श्रीनगर-मजु्जफराबाद बि िेवा भारत-पाक्रकस्तान िीमा के दोनों ओर बिे हुए कश्मीररयों के सलये 7 अप्रैल, 2005 का टदन अमन के नाम इततहाि में दजा हो गया है। आणखर तय कायािम के अनुिार श्रीनगर िे मुज्जफराबाद के सलये बि रवाना हो गयी। हालांक्रक आतंकवाटदयों ने इिे रोकने के सलए एक टदन पूवा 6 अप्रैल को श्रीनगर के पयािन केन्र में आग लगाकर भयभीत करने के पूरे प्रयाि क्रकये थे। लेक्रकन भारत और पाक्रकस्तान की िरकारों ने धैया व टहम्मत के िाथ अपनी इि शांतत प्रक्रिया को आगे बढात ेहुए इरादे को पूरा क्रकया। िाथ ही दोनों ओर के यात्रियों ने िारे खतरों के बावजूद टहम्मत के िाथ यािा की प्जिे वररष्ट्ठ पिकार कमलेश्वर ने इि िंदभा में कहा क्रक अगर भयानकतम खतरा उठाकर िफर करने वाले मुिाक्रफर न होत े तो यह अमन का िफरनामा कभी ऐततहासिक घिना नहीं बन पाता। श्रीनगर िे मुज्जफराबाद तक का 170 क्रकलोमीिर का यह रास्ता वही है प्जििे 58 वषा पहले पाक्रकस्तानी कबाइली हमलावर आए थे। यह वही तनयंिण रेखा है जहां तक भारतीय फौज ने इन पाक्रकस्तानी हमलावरों को बाहर क्रकया था। आज यह तनयंिण रेखा शांतत रेखा में बदल गई है। शांतत की यह प्रक्रिया ऐिी है प्जिकी टदशा बदलना बहुत मुप्श्कल होगा। जहां तक इि ऐततहासिक यािा की बात करत ेहैं तो इिमें पाक्रकस्तानी कश्मीर िे 30 यात्रियों में िे पााँच मटहलाएं थीं। भारत की ओर िे उनका स्वागत अमन िेतु पर क्रकया गया। यह वही पुल था जो 58 िाल पहले हमलावरों ने तोड़ टदया है। जो भारत-पाक तनयंिण रेखा का ववभाजक प्रतीक

    बना था और इिे पुनः जोड़ा गया है। मुज्जफराबाद के इि काक्रफले को वहां के प्रधानमंिी सिकन्दर हयात ने रवाना क्रकया। भारत िे प्रधानमंिी मनमोहन सिहं ने हरी झंडी टदखाई। इि अविर पर ववदेश मंिी निवरसिहं एवं कांगे्रि अध्यक्ष िोतनया गांधी भी उपप्स्थत थीं। लेक्रकन इिमें महत्तत्तवपूणा बात यह कही जा िकती है क्रक इि पूरी प्रक्रिया के दौरान पाक्रकस्तान के राष्ट्रपतत मुशराफ कहीं भी टदखाई नहीं टदए जबक्रक उनकी स्पष्ट्ि िहमतत के त्रबना शांतत यािा िम्भव ही नहीं थी। यही बात मुशराफ की राजनीततक और राजनतयक िूबबूझ का गहरा पररचय देती है। पाक्रकस्तान की मुख्य राजनीततक पािी जमात े इस्लामी ने इि शांतत यािा का गहरा ववरोध क्रकया था। पाक्रकस्तान के आतंकवादी िंगठन तो शुरू िे ही इि िड़क को खोले जाने का ववरोध कर रहे थे। भारतीय कश्मीर में भी चार आतंकवादी जमात ेऔर हुररायत कान्रें ि इि शांतत यािा के ववरोध में थी। उन्होंने कश्मीर बंद की घोषणा कर रखी थी। िाथ ही यह बात भी िही है क्रक पाक अधधकृत कश्मीर में भारत ववरोधी आतंकवादी िंगठन अभी भी िक्रिय हैं यह भी प्रमाणणत होता है क्रक यह िब उि िमय प्रारम्भ हुआ था जब पाक्रकस्तान में फौजी शािक प्जया-उल-हक थे। तभी अफगातनस्तान में पाक्रकस्तान की मदद िे अमेररका ने रूिी आधधपत्तय का ववरोध शुरू क्रकया था और पाक्रकस्तान को भरपूर फौजी और आधथाक िहायता दी थी। उिी मदद िे प्जया-उल-हक ने अफगातनस्तान में तासलबान को खड़ा क्रकया था और भारत के ववरोध में आतंकी प्जहाटदयों को। इिसलए कश्मीर में आतंकवाटदयों का िंचालन

  • ISSN 2320 – 0871 भारतीय भाषाओ ंकी अतंरााष्ट्रीय मासिक शोध पत्रिका 17 नवंबर 2014

    पीअर रीव्यूड ररसर्च जर्चल

    This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 31

    पाक्रकस्तान की खुक्रफया एजेन्िी आईएिआई करती थी। यह िब पाक प्रधानमंिी नवाज शरीफ के िमय तक चलता रहा है। यह स्पष्ट्ि हो जाने के बाद क्रक इन भारत ववरोधी आतंकवादी िंगठनों को पाक्रकस्तान िरकार की मदद प्रातत नहीं है, यह देखना बेहद आवश्यक हो गया क्रक इन खतरनाक िंगठनों के पीछे कौन है ? आणखर कोई एक या कई शप्ततयां ऐिी तो अवश्य हैं जो पाक्रकस्तान में ही नहीं भारत में भी मौजूद हैं जो भारत-पाक शांतत प्रयािों को ववफल बनाना चाहती है, नहीं तो श्रीनगर के पयािक केन्र को इतनी बुरी तरह जलाकर नष्ट्ि नहीं क्रकया जा िकता था। यह तो अच्छा हुआ क्रक श्रीनगर िे मुज्जफराबाद जाने वाले 21 यािी इिी िूररस्ि िेन्िर के पररिर में िुरक्षा के सलए रखे गए थे। वे भाग्य िे िामने वाली दिूरी इमारत में थे, इिीसलए बच गये। दोनों तरफ की जनता शाप्न्त चाहती है और उनके इन िद्प्रयािों िे ही शांतत आई, दोस्ती की नई राह खोली है। इि रास्त ेका ववस्तार करने के सलए जनता के बीच िम्पकों को और अधधक बढाया जाए। उम्मीद यही है क्रक कारधगल स्कािूा का रास्ता तो खुलेगा ही, बहुत जल्दी राजस्थान के िाथ जम्मू-सियालकोि का रास्ता भी खुल िकेगा। दोनों देशों के बीच िम्पका के ये प्रयाि नये िम्बन्धों की शुरुआत है। पाक राष्ट्रपतत परवेज मशुराफ की भारत यािा 16 िे 18 अप्रलै, 2005 पाक्रकस्तान के राष्ट्रपतत परवेज मुशराफ की तीन टदन की भारत यािा (16 िे 18 अप्रैल, 2005) इि बार बहुत ही िहजता के िाथ िम्पन्न हो गई। इि बार पूरी यािा के दौरान ऐिा एक शब्द

    नहीं कहा प्जििे मेजबान भारत को तकलीफ हों उन्होंने अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन धचश्ती की दरगाह में अमन की दआु की। नई टदल्ली में भारत-पाक वन-ड े मैच देखा। पूरी तरह तनावमुतत और खुश टदखाई टदए। यहां तक क्रक यािा के अंततम टदन िाझा बयान जारी करने की खाततर उन्होंने क्रफलीपीन्ि के सलए अपनी उड़ान दो घण्िे िाल दी। पिकार वाताा में तनःिंकोच प्रश्नों के जवाब देत े टदखाई टदए और कहा क्रक, ‘‘मैं नया टदल लाया हूाँ।’’ यह िब िुखद रहा तयोंक्रक वपछली यािा 2001 में आगरा सशखर वाताा के दौरान वे काफी उत्ततपे्जत रहे, पिकार वाताा में जवाब नहीं टदए और िाझा बयान की बैठकर छोड़कर चले गये लेक्रकन इि बार समिता, भाई-चारे और िद्भाव के रूप में टदखाई दे रहे थे। इि िंदभा में स्वयं मुशराफ ने कहा भी है क्रक ‘‘उि िमय हम एक-दिूरे िे नाराज थे। एक-दिूरे की हत्तया कर रहे थे। चौतरफा तनाव था। अब दोस्ती है और माहौल खुशनुमा है।’’ दोनों देशों के प्रमुखों मनमोहन सिहं एवं मुशराफ के बीच बातचीत में कई महत्तत्तवपूणा मुद्दों पर िहमतत बनी। भारतीय प्रधानमंिी मनमोहन सिहं ने कहा क्रक िीमाओं का तनधाारण िंभव नहीं है, लेक्रकन वे दोनों देशों की जनता को नजदीक लाना चाहत े हैं। दोनों देशों ने िंयुतत व्यापार पररषद् गटठत करने का एवं राजस्थान के मुनाबाव और सिधं के खोखरापार के बीच अतिूबर के बजाय टदिम्बर तक रेल िम्पका बहाल करने पर िहमतत जताई। िाथ ही भारत-पाक ने व्यापार बढाने के सलए िंयुतत व्यापार पररषद् गटठत करने व बगलीदार बांध वववाद तनबिारे के सलए तिस्थ एजेन्िी को िौंपे जाने

  • ISSN 2320 – 0871 भारतीय भाषाओ ंकी अतंरााष्ट्रीय मासिक शोध पत्रिका 17 नवंबर 2014

    पीअर रीव्यूड ररसर्च जर्चल

    This paper is published online at www.shabdbraham.com in Vol 3, Issue 1 32

    पर िहमत हो गए। दोनों देश श्रीनगर-मुज्जफराबाद बि िेवा के फैरे बढाने, सियाधचन और िरिीक मुद्दे के िमाधान पर भी िहमत हुए। वाताा के दौरान प्रधानमंिी मनमोहन सिहं ने कहा क्रक हम व्यापार बढाना चाहत े हैं और इि दौरान आने वाली िमस्याओ ंकातनप्श्चत रूप िे िमाधान चाहेंगे। भारतीय प्रधानमंिी मनमोहन सिहं व पाक राष्ट्रपतत मुशराफ के बीच 17 अप्रैल को महत्तत्तवपूणा मुद्दों पर िहमतत जताई। दोनों शीषास्थ नेताओं के बीच बातचीत लगभग तीन घंिे तक चली। इिके पहले दोनों ने सशष्ट्ि मण्डल स्तर की वाताा की। क्रफर दोनों ने ववदेश मंत्रियों के िाथ और अंत में अकेले चचाा की। भारतीय प्रतततनधध मण्डल में ववदेश मंिी निवर सिहं, रक्षामंिी प्रणव मुखजी, वाणणज्य मंिी कमलनाथ, रेलमंिी लालू प्रिाद यादव, ववदेश िधचव श्याम िरन, राष्ट्रीय िुरक्षा िलाहकार एम. के. नारायणन, प्रधानमंिी के प्रधान िधचव िी. के. नायर, पाक्रकस्तान में भारत के राजदतू सशवशंकर मेनन और ववदेश मंिालय में पाक्रकस्तान िम्बन्धी मामलों के िंयुतत िधचव टदलीप सिन्हा शासमल थे। पाक्रकस्तान के प्रतततनधध मण्डल में मुशराफ के िाथ वहां के ववदेश मंिी खुशीद महमूद किूरी, िूचनामंिी रासशद शेख और व्यापार एवं वाणणज्य के वररष्ट्ठ अधधकारी थे। इि वाताा के दौरान पाक्रकस्तान ने अपने पक्ष को रखत े हुए सशकायत की थी िवााधधक प्राथसमकता वाले देश (एमएफएन) का दजाा टदए जाने का कोई लाभ नहीं हुआ है। भारतीय शुल्क और गैर बाधाएं व्यापार िम्पकों को बढाने में मददगार िात्रबत नहीं हो रहे हैं। इि िमस्या के िमाधान

    करने का भारत द्वारा आश्वािन देकर िहमतत जताई गई। िाथ ही फरवरी में ववदेश मंिी निवरसिहं की इस्लामाबाद यािा के दौरान प्जन त्रबन्दओंु पर िहमतत बनी थी उन्हीं को क्रफर िे आगे बढाने की बात हुई। मुनाबाव-खोखरापार रेल लाईन के खुलने की ततधथ 2 अतिूबर िे बढकर टदिम्बर, 2005 हो गई और कराची और मुम्बई में वाणणज्य दतूावाि खोलने के तनणाय के प्रतत दोनों देशों में प्रततबद्धता टदखाई। भारत-पाक ववदेश मिंी स्तर वाताा 5-6 सितम्बर, 2004: टदल्ली भारत के ववदेश मंिी निवर सिहं और पाक्रकस्तान के ववदेश मंिी खुशीद महमूद के बीच वाताा के बाद नई टदल्ली में जारी ियुंतत बयान में इि बात पर ववश्वाि प्रकि क्रकया गया क्रक दोनों देशों के बीच जारी िमग्र िंवाद के माध्यम िे जम्मू-कश्मीर िटहत िभी द्ववपक्षीय िमस्याओं का शांततपूणा व दोनों पक्षों में स्वीकाया िमाधान हो जायेगा। दोनों ववदेश मंत्रियों में िमग्र बातचीत की प्रक्रिया को गंभीरता के िाथ आगे बढाने का दृढ तनश्चय प्रकि क्रकया। िंयुतत राष्ट्रिघं के सिद्धान्तों व चािार पर प्रततबद्धता व्यतत करत े हुए दोनों ने सशमला िमझौत ेकी भावना को पूरी तरह लागू करने की इच्छा व्यतत की। 6 जनवरी, 2004 के िंयुतत बयान का उल्लेख करत ेहुए कहा गया है क्रक आतंकवाद और टहिंा िे मुतत वातावरण में बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढाया जायेगा। िंयुतत बयान के अनुिार 13 मुद्दों पर दोनों देशों के ववदेश मंत्रियों के बीच िहमतत हुई। पारम्पररक व परमाणु मामलों में आपिी ववश्वाि

  • ISSN 2320 – 0871 भारतीय भाषाओ ंकी अतंरााष्ट्रीय मासिक शोध पत्रिका 17 नवंबर 2014

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    की टदशा में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में दोनों देशों के ववशेषज्ञों की बैठक होगी। इि बैठक में समिाइल परीक्षण के बारे में अधग्रम चतेावनी के िम्बन्ध में तैयार क्रकए गए िमझौत ेके मुद्दों पर ववचार होगा। भारतीय िीमा िुरक्षा बल और पाक्रकस्तान रेन्जिा के बीच वषा में दो बार बैठक होगी। दोनों देशों के नारकोटिति तनयंिण प्राधधकरण की बैठक होगी, प्जिमें आशय पि को अंततम रूप टदया जायेगा। नवम्बर में भारतीय तिरक्षक और पाक्रकस्तान मेरी सितयूररिी एजेन्िी के बीच बैठक होगी, प्जिमें िंचार िम्बन्ध स्थावपत करने के िम्बन्ध में आशय-पि पर ववचार होगा। व्यापार िे जुड़ ेमुद्दों पर ववचार करने के सलए दोनों देशों के ववशेषज्ञों की कमेिी बनाई जायेगी। सियाचीन के िम्बन्ध में रक्षा िधचवों की बैठक में सलए गए तनणायों को लागू क्रकया जायेगा। िरिीक क्षेि में िीमा तनधाारण के िम्बन्ध में ियुंतत िवे कराया जाएगा। नागररक कैटदयों व मछुआरों के िवाल को प्रभावी व तजेी के िाथ तनपिाने के सलए कोई तंि ववकसित क्रकया जायेगा। धासमाक स्थलों की यािा करने वाले तीथा यात्रियों के सलए िुववधाओं में बढोतरी की जायेगी। ऐततहासिक स्थलों के रख-रखाव के िम्बन्ध में भी कदम उठाए जायेंगे। दोनों देशों के ववदेश मंिालयों के बीच ववचार-ववतनमय को बढावा टदया जायेगा, और ववदेश िेवा के प्रसशक्ष ु अध्ययन के सलए एक-दिूरे के देशों की यािा कर िकें गे। दोनों पक्ष इि बात पर िहमत थे क्रक उच्चस्तरीय मुलाकातों व यािाओं को बनाए रखा जाए। यह भी तनप्श्चत हुआ क्रक टदिम्बर, 2004 �