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.......................................................................................................................................................................................

बाल लगिक शोषण का परसार: अकसर पछ जान वाल परशन.......................................................................................................................................................................................

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परथम परकाशन, 2014 दसरा परकाशन, 2016यह सामगरी कॉपरीराइट दारा सरकषित नही ह और बाल लगिक शोषण क मद को बहतर तरीक स समझन क ललए यसक लोिो दारा सततर रप स इसतमाल की जा सकतरी ह। तथापप, यद आप इस पषयसत का परयोि करत हए ससाधन सामगरी तयार करत ह तो हम चाहि की आप उसकी जानकारी अपपण को परान कर।

गचतरण:सशरी षाली थाल और शरी आन िललकर

कर डिजाइन और लआउट:लसकसॉफस डिजाइन

अपपण दारा पकलसत और परकालशत

पता: परथम तल, िलटा कलमकलस परा. लल., ज-1, कामा इिससरियल जोन, ाल भटट रोि, िोरिा (ई), मबई – 400 063.टलीफोन: 26862444 / 26868444; मोबाइल: 98190 51444परामशप सहायता क ललए: 98190 86444ईमल: [email protected]; बसाइट: www.arpan.org.in

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विषयसची1 परिचय i बाल लगिक शोषण कया ह? ........................ 1

2 वयापकता औि घटनाएi भाित म बाल लगिक शोषण की वयाहपकता

ककतनी ह? ............................................... 3ii कया बाल लगिक शोषण ववकससत दशो म

अगिक होता ह? इसस कस ननपटा जाता ह? 4iii पिचमी दशो म जयादा खला सवाद होता ह

औि लोि बाल लगिक शोषण क सबि म मौजद कठोि काननो क परनत अगिक जािरक होत ह किि भी वहा बाल लगिक शोषण अगिक कयो होता ह? ................................. 4

iv कया लडक भी सशकाि हो सकत ह?............. 5

3 शोषणकताता i लोि बचचो का लगिक शोषण कयो कित ह? .................................................. 6ii शोषणकताता ककस परकरिया को अपनात ह? ...... 7iii कया आपको लिता ह कक बचच “भडकाऊ”

कपड पहन कि शोषण को आमतरित कित ह? 8iv बालकामक औि ककशोिकामक कौन होत ह? 8v नाबासलि दवािा नाबासलिो क परनत लगिक

अगरिमो क परयास ककए जान क सबि म आप कया कहना चाहत ह? ................................ 9

vi कया शोषणकताता को समझाना औि उनह पिामशता दना सभव ह? यह ककतना मददिाि होता ह? .................................................. 9

4 दसिो को बतानाi बचच शोषण क बाि म ततकाल कयो नही

बतात ह? ............................................... 11ii बचच शोषण क बाि म कब बतात ह? ....... 12

5 परभाव औि उपचािi बाल लगिक शोषण का बचचो/वयसको पि

कया परभाव पडता ह? ............................. 13ii कयाा आपको लिता ह कक बचचा िजसका

शोषण हआ ह कभी अपन ननयसमत जीवन म वावपस लौट पाता ह? ............................... 15

iii आप शोषण क सशकाि हए लोिो को इस सदम स उभिन म ककस परकाि मदद कि सकत ह? ............................................. 15

6 काननी हसततकपi कया बाल लगिक शोषण क मामल की पसलस

म रिपोटता किना अननवायता ह? .................. 16ii एक बाि शोषण की रिपोटता ककए जान क बाद,

पसलस कया काितावाई कििी? .................... 17iii नयायालय को बाल लगिक शोषण क मकदम

की काितावाई क दौिान कौन स सिकातमयक उपाय अपनान चाहहए? ........................... 17

iv CWC कया ह औि बचच को क सामन कब परसतित ककया जाता ह? बाल लगिक शोषण क मामल म CWC की कया भसमका होिी? ... 17

v सपणता परकरिया को पिा किन क सलए ककतनी समय-सीमा ह? ....................................... 18

vi हम आसपास क गचताओ का ननिाकिण ककस परकाि कि सकत ह? यहद परनतवादी दोषी पाया जाता ह अथवा दोषी नही पाया जाता ह तो इसका कयाी तातपयता ह? ........................... 18

vii अिि परिवाि सनवाई क दौिान सथानातरित हो जाता ह या मामल (Case) को वापस लन का िसला किता ह तो कया यह सभव ह? कया अपिािी को ऐसी िसथनत म मकत छोड हदया जाएिा? ................................................. 19

viii यहद काननी नयात उपलबि नही ह तो परिवाि बचच की सिका ककस परकाि सननिचत कि सकता ह? .............................................. 20

ix कया POCSO का करियानवपयन सही तिीक स ककया जा िहा ह? ................................ 20

7 परौदयोगिकी औि बाल लगिक शोषण

i हम परौदयोगिकी क बाि म जानन की आवियकता कयो ह औि यह लगिक रप स नकसान पहच बचचो क सलए ककस परकाि परयोि की जा सकती ह? .......................... 22

ii बचच का ऑनलाइन रिसमि ककस परकाि सभनन ह? ............................................... 24

iii हम ऑनलाइन घहटत हो िही समसयाजओ का पता ककस परकाि लिा सकत ह? ............. 24

iv जब बचच परौदयोगिकी का इसतनमाल कित ह तो हम उनह ककस परकाि सिककत िख सकत ह? ............................................. 24

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8 ववकलािता क साथ िहन वाल बचच

i ववकलाि बचचो क बाल लगिक शोषण का कया जोखखम ह? ................................... 25

ii कया ववकलाि बचचल को वयिकतित सिका सशका क बाि म बताए जान की आवयाकता होती ह? ............................................... 26

iii सीसमत सवाद कि सकन वाल बचच? को वयिकतित सिका सशका क बाि म जानकािी परदान किन क सलए शिठ तिीका क या ह? ...................................... 26

9 बाल लगिक शोषण क साथ कायता किना: जािरकता पदा किना औि िोकथाम क सलए कायता किना

i यह दखत हए कक बाल लगिक शोषण क बाि मबात किन म असहजता ह, आप जािरकता लान क सलए कयाम किि? ...................... 27

ii लब-चौड आकडो क बावजद, बाल लगिक शोषण ननवािण कायतारिम की पहच इतनी सीसमत कयोब ह? .................................... 28

10 वयिकतित सिका सशका सबिी जानकािी

i वयिकतित सिका सशका कया ह? इस कौन परदान कि सकता ह? ............................... 29

ii वयिकतित सिका सशका म आय क अनसाि ववषयवसत होना कयोक महतवपणता ह? ...... 30

iii माता-वपता कया कि सकत ह? .................. 31iv शिीि क ननजी अिो का नाम ससखाना

महतवपणता कयो ह? .................................. 32v CBSE/ ICSE पाठयरिम म ववजान क

अधयाायो म शिीि क ननजी अिो क बाि म ववसततत औि वयाहप तिीक स बताया जाता ह। किि हम अपन बच चो को वयिकतित सिका सशका (PSE) कायतारिम परदान किन की आवयकता कयो ह? ................................ 33

vi जब बचचो को वयिकतित सिका क बाि म बताया जाता ह तो कयाक व सिककत सपशता का भी वविोि किि? .................................... 33

vii ववसभनन बोि सति क बचच वयिकतित सिका सशका ककाओ म दी िई जानकािी को ककस परकाि रिहण कित ह? ............................ 33

viii ववशष आवयाकताओ वाल बचचो को वयिकतित सिका ककस परकाि ससखाई जाती ह? ................................................ 33

ix बचच अपनी िहन-सहन की िसथनत की वजह स आमतौि पि वयसको क बीच लगिक करिया को दखत ह अथवा लगिक वयवहाि परकट किन वाल िसथनत औि सदशो को दखत ह। उनस वयिकतित सिका क बाि म बात किना ककतना वयावहारिक ह? ............................ 35

x कया बचच वयिकतित सिका ककाओ म परापत जानकािी औि सीख िए कौशलो को वािसतवक जीवन म असिककत परििसथनत का सामना किन पि परयोि किन म सकम होि? ............................... 35

11 बाल लगिक शोषण क मामलो म हसतकप किना

i यहद म ककसी ऐस बचच क सपकता म आता ह जो लगिक शोषण का सशकाि हआ ह तो मझ कया किना चाहहए? ............................... 37

ii सि-सबिी दवािा लगिक शोषण क मामल म कोई वयिकत, जो कक उस परिवाि का सदसय नही ह, कस औि ककतना हसतककप कि सकता ह? .............................................. 38

iii म वयसको क अनगचत वयावहाि को ककस परकाि सभाल? ....................................... 39

12 गचताए औि आशकाएi माता-वपता लगिक शोषण जस सवदनशील

ववषय क बाि म ककस परकाि बात कि सकत ह? ....................................................... 40

ii कई बाि छोट बचचो को उनक ननजी अिो को सपिशता कित हए दखा जाता ह, कया यह बाल लगिक शोषण का लकण ह अथवा यह ककसी वयिकत की लगिकता का पराकत नतक परनततबब ह? ........................................ 41

iii जब बचच एक-दसि क साथ खलत ह तो हम उनकी िजजासा औि अनववषण की परवतवति को ककस परकाि सभाल? ............................. 42

iv जब बचचक दघताटनावश माता-वपता को सभोि कित दख ल तो हम ऐस िसथनत म कया परनतकरिया दनी चाहहए? ........................... 42

v जब बचच हमस यह पछ कक बचच ककस परकाि पदा होत ह तो हम ककस परकाि जवाब दना चाहहए? ......................................... 43

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vi जब बचचा ऐस सवाल पछ कक जब माता-वपता म स कोई एक अपन कपड बदल िहा होता ह तो उनह कमि म कयो नही जान हदया जाता? उस समय माता-वपता म स दसिा अदि कयो जा सकता ह तो माता-वपता को ककस परकाि जवाब दना चाहहए? ........................ 43

vii कयाो म बचच दवािा इस ववषय को िभीिता स सलए जान क सलए समाचािो अथवा रिाइम पटोल, साविान इडिया जस कायतारिमो स उनको कहानी बता सकता/सकती ह? ......... 44

viii यहद बचचा माता-वपता स कछ नछपाता ह जस कक अपन परिणाम क बाि म अथवा सकल की मीहटि क बाि म, तो पहली परनतकरिया यह होती ह कक बचच पि गचलला या जाता ह अथवा उस मािा-पीटा जाता ह। ऐस परििसथनत म इसक बजाय कया ककया जा सकता ह? .. 44

ix सशकक तबना ककसी लगिक मशा क बचचो को छत ह लककन कई बाि उन पि बचचो का लगिक शोषण किन का आिोप लिता ह। कछ सशकक यवा होत ह औि कई बाि बचच ववपिीत सलि क सशकको क परनत आकवषतात हो जात ह। तो कया यह बचच का दोष ह औि सशकक का नही? ..................................... 45

x अपन बचच क साथ यौवन आिभ होन क बाि म बात किन की सही उमर कया ह? ........... 45

xi यौवन आिभ होन क दौिान बचच की सबस बडी गचता कया होती ह? .......................... 46

xii कया लडको को लडककयो क यौवन आिभ होन क बाि म जानना चाहहए? कया लडककयो को लडको क यौवन आिभ होन क बाि म जानना चाहहए? .................................................. 46

xiii कया माता का बट स औि वपता का बटी स यौवन आिभ होन क बाि म बात किना उगचत ह? ............................................... 46

xiv माता-वपता औि बचचो क बीच अचछ सबिो की कया ववशषताए होती ह? ..................... 47

xv मि बचच क मि साथ अचछ सबि होन स मि बचच क सवाथय औि ववकास को कया लाभ पहचिा? ............................................... 47

xvi म माता या वपता क रप म बचचो क साथ अचछ सबि बनान क सलए कया कि सकती/सकता ह? ............................................ 47

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1 | पििचय

1. परिचय

परशन i.....................................................................................

बाल लगिक शोषण कया ह?

बाल लगिक शोषण (CSA ) बाल शोषण का एक परकाि ह। बाल लगिक शोषण तब होता ह जब कोई वयिकत अपन लगिक सख क सलए ककसी बचच का परयोि किता ह।

बाल लगिक शोषण जयादाति उन लोिो दवािा ककया जाता ह िजनक पास शिकत औि/अथवा परागिकाि होता ह औि कभी-कभी उन लोिो

1दवािा ककया जाता ह िजन पि ऐसा न किन का वववास होता ह। शोषण अगिकति सबगियो दवािा ककया जाता ह औि इस परकाि ऐस वयिकत दवािा बचच की लाचािी औि असिका का आसानी स िायदा उठाया जाता ह।

बाल लगिक शोषण शािीरिक, दय अथवा मौखखक परकत नत का हो सकता ह। इसम बचच क ननजी अिो (योनन, सतन/छाती, सलि, अणिकोष, कलह, िदा) को सपशता किना औि/अथवा सहलाना; बचच स अपन ननजी अिो को सपशता किवाना अथवा सहलवाना; मख, योनन अथवा

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पििचय | 2

िदा परवश अथवा अपन लगिक सख की मशा स ककया िया कोई भी सपशता शासमल ह। तबना सपशता ककए हए शोषण म बचच को अपन ननजी अिो हदखाना, बचच स बात कित समय लगिक भाषा का परयोि किना, बचच की अलील तसवीि लना औि बचच को कामोददीपक लख (पोननोरिाफी) हदखाना शासमल ह।

बाल लगिक शोषण बचच क शिीि औि वववास का उललघन ह औि यह कानन क ववरदि ह।

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3 | वयापकता औि घटनाए

2. वयापकता और घटनाए

परशन i.....................................................................................

भारत म बाल लगिक शोषण की वयापकता ककतनी ह?

महहला एव बाल ववकास मरिालय न भाितभि म बड पमान पि ककए िए शोि क आिाि पि वषता 2007 म बाल लगिक शोषण पि एक अधययन परकासशत ककया था । यह अधययन 13 िाजयो म ककया िया था औि इसम नमन क तौि पि 12,447 बचचो क समह न, 2324 यवाओ न

औि 2449 सटकहोलििो न भाि सलया था। इसक अलावा भाित म औि अगिक कनदीय िटाबस अथवा ननििानी तरि नही ह जो बाल लगिक शोषण स सबगित उपलबि आकडो को एक साथ लात हो।

िाटीय अधययन म ननमनसलखखत सगचत ककया िया था:

1) 53.22% बचचो न एक अथवा एक स अगिक परकाि क लगिक शोषण का सामना ककए जान की सचना दी।

2) आधर परदश, आसाम, तबहाि औि हदलली

2

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वयापकता औि घटनाए | 4

म लडक औि लडककयो, दोनो, न लगिक शोषण क अगिकतम परनतशत की सचना दी।

3) 21.90% जवाब दन वाल बचचो न लगिक शोषण क िभीि परकाि का सामना किन की सचना दी औि 50.76% न लगिक शोषण क अनय परकािो की सचना दी।

4) 50% अपिािी ऐस वयिकत थ जो बचच क जानकाि थ अथवा उनकी हससयत वववास औि ििममदािी की थी (परिजन, ननकट सबिी, समरि अथवा पडोसी)।

5) लडको को भी लडककयो क समान जोखखम था।

जबाव दन वाल बचचो म स 5.69% न लगिक शोषण होन की सचना दी (जसा कक अधययन म परिभावषत ककया िया ह: लगिक शोषण स असभपराय िदा, योनन म परवश अथवा ओिल सकस ह)।

परशन ii.....................................................................................

कया बाल लगिक शोषण ववकससत दशो म अगिक होता ह? इसस कस ननपटा जाता ह? बाल लगिक शोषण (CSA ) हि कही होता ह। असल म, अनसिान क अनसाि, भाित म ववकससत दशो की अपका बाल लगिक शोषण की अगिक घटनाए घहटत हई। ववकससत दशो म अगिक मामलो की सचना दी जाती ह कयोकक वहा जािरकता पदा किन औि बाल सिका क मददो औि मामलो स ननपटन क सलए मकननजम ह। भाित म बाल लगिक शोषण क मदद पि कम ही चचाता होती ह कयोकक यहा सकस स जडी हि बात को एक विजतात कायता क रप म दखा जाता ह। परिणामसवरप, बचच ककसी वयिकतित समसया को अपन माता-वपता अथवा अधयापको औि दखिखकताताओ को बहत कम बतात ह औि इस परकाि उनह कोई मदद नही समल पाती ह। अगिकति ववकससत दशो म, “बाल सिका” शबदो का परयोि आमतौि पि बचचो औि नाबासलिो की सिका औि उनह सवा परदान किन क सलए सिकाि दवािा सचासलत सवाओ का वणतान किन

क सलए ककया जाता ह। इन सवाओ म ववसशट रप स सशका, पालक दखिख, िोद लन की सवाए, जोखखमपणता परिवािो की अखि िहन म मदद किना औि बाल शोषण क आिोपो की जाच किना शासमल ह। समदायो औि पशविो को बाल शोषण क मामलो स अवित किाया जाता ह औि इनकी िोकथाम किन औि मामलो को हल किन क सलए उनह परसशककत ककया जाता ह। अधयापको औि िॉकटिो क सलए बाल शोषण की ककसी भी आशका अथवा जानकािी की सचना दना अननवायता ह।

“सचना दना अननवायता” स असभपराय ह कक यहद सचना नही दी जाती ह तो उस वयिकत को काननी रप स ििममदाि ठहिाया जा सकता ह। बाल शोषण क मामल (Cases) की सचना हदए जान क बाद, जाच की जाती ह। दश क आिाि पि, िजन बचचो का लगिक शोषण हआ ह उनक पास पिामशता परापत किन औि गचककतसीय उपचाि परापत किन क अनक ववकलप होत ह ताकक उनक बहाली क सिि म मदद समल सक।

परशन iii................................................................................

पिशचमी दशो म जयादा खला सवाद होता ह और लोि बाल लगिक शोषण क सबि म मौजद कठोर काननो क परनत अगिक जािरक होत ह किर भी वहा बाल लगिक शोषण अगिक कयो होता ह?पिचमी दशो म बाल लगिक शोषण कई उनही कािणो स अननयतरित ह िजनकी वजह स यह भाित म अननयतरित ह। बाहिी ववसभननताओ क बावजद बाल लगिक शोषण का सदभता सभी दशो म एक ही ह: सससटम की वजह स अपिाि को ससदि किना मिकल होता ह; जो कछ घहटत होता ह उसक सलए पराय: पीडडत को ही ििममदाि ठहिाया जाता ह; परिवाि सचना दन म बहत अगिक शमता महसस कित ह; आमतौि पि अपिािी क साककयो को पीडडत की बातो की

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5 | वयापकता औि घटनाए

4) लडक लगिक िनतववगियो म जलदी शासमल होन क िवता का सामािजक दबाव महसस कित ह, भल ही वह अनचाहा हो, िजस शोषण क बजाय एक खल क रप म जयादा दखा जाता ह।

भल ही लडको का शोषण हआ हो, व ननमनसलखखत कािणो स लडककयो की अपका कम रिपोटता कित ह:

क) अपिािी परष होन की िसथनत म, समलगिकता वयवहाि स जडा सामािजक कलक (लडको क अगिकति लगिक अपिािी परष होत ह);

ख)) इस अपका को पिा किन की इचछा कक परष आतमननभताि होत ह;

ि) बाहि जान की सवतरिता औि आजादी नछनन का िि (उदाहिण क सलए, हो सकता ह व नही चाह कक उनकी लडककयो की तिह सिका की जाए); औि

घ) लडको को अपनी भावनाओ को अपन तक सीसमत िखन औि “सबल” हदखाई दना ससखाया जाता ह।

‘परषतव आदशता’ क बाि म उपयताकत समथक औि िािणाए जो कक हमशा ननयरिण म ह औि जो कभी सिनत का सशकाि नही हो सकता ह औि जो वयसको (ववशषकि महहलाओ) औि यवा लडको क बीच लगिक वयवहाि को हाननिहहत मानता ह, एक ऐसा माहौल तयाि किता ह जहा लडको क सलए लगिक शोषण को परकट किन क सलए बहत कम सवीकायताता औि सहायता होती ह।

अपका अगिक तिजीह दी जाती ह; लडको को अपन साथ समलगिकता क कलक क जड जान का िि िहता ह (उनका शोषणकताता परष होन की िसथनत म) औि, नन:सदह लगिकता दननयाभि म एक बहत ही सवदनशील ववषय ह, जो बाल लगिक शोषण क बाि म चचाता किन म बािक ह।

परशन iv.....................................................................................

कया लडक भी सशकार हो सकत ह?हा, लडक भी लगिक शोषण क उतन ही सशकाि होत ह िजतनी लडककया होती ह। भाित औि पिचम म लडको क लगिक शोषण औि लडककयो क लगिक शोषण क बीच का अनपात बहत अलि ह। भाित म लगिक शोषण ककए िए लडको की सखया भी उतनी ही ह िजतन लगिक शोषण की सशकाि लडककयो की ह, हो सकता ह लडको की सखया अगिक भी हो; जबकक परकासशत अनसिान क अनसाि पिचम म लडको की अपका लडककयो का शोषण अगिक होता ह।

लडको क लगिक शोषण को कई कािणो स कम रिपोटताकी जाती ह, कम पहचाना जाता ह औि कम उपचाि ककया जाता ह, िजसस ऐसा लिता ह कक लडको का शोषण नही होता ह अथवा कम होता ह। लडक कई वजह स जोखखम म होत ह। य कािण लडको औि लडककयो क सलए अलि-अलि ह:

1) जब सावताजननक सथलो क परयोि की बात आती ह अथवा अलि-अलि परकाि क लोिो क साथ बातचीत किन की बात आती ह तो लडको को लडककयो की अपका अगिक सवतरिता दी जाती ह;

2) लडको को लगिक हहसा क परनत जािरक नही ककया जाता ह, जबकक लडककयो को कछ हदद तक यह सशका परापत होती ह;

3) लडको पि परषतव क ववसभनन आदशशो क अनसाि जीन का भाि िाला जाता ह;

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शोषणकताता | 6

शोषणकताता

परशन i.....................................................................................

लोि बचचो का लगिक शोषण कयो करत ह?इस परन का एक आसान औि सीिा-सादा जवाब दना कहठन ह कयोकक इसक कई कािण हो सकत ह। कछ शोषणकताताओ का सवय का शोषण हआ था इससलए उनकी लगिक आवयकताए परभाववत हई थी। कछ एक बचपन म पीडडत हए थ औि व अपनी शिकतहीनता औि लाचािी पि ननयरिण परापत किना चाहत ह औि अपनी भावनाओ स

3उभिना चाहत ह। अनय लोिो का सीि शोषण तो नही हआ लककन ककसी चीि न उनक लगिक ववकास को परभाववत ककया था (जस कक घिल हहसा दखना) इससलए व ककसी ववशष आय क बचचो क साथ सकस किना चाहत ह। कई यथोगचत तिह स पल-बढ लककन व अगिक तनाव की िसथनत स ननपटन क सलए सकस हत आसानी स इसतमाल ककए जा सकन वाल बचचो का परयोि कित ह। बहत कम अपिािी मानससक रप स बीमाि वयिकत होत ह। लककन उनम भी आवि पि ननयरिण की कमी औि तनाव को दि किन क सलए सवसथ अवसिो की कमी क साथ कोई

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7 | शोषणकताता

लगिक समसया होती ह (हम म स कइयो की तिह ही, लककन अलि परकत नत म)। य अपिािी आमतौि पि परनतिमन की परवतवति क होत ह। परनतिमन ककसी वयिकत दवािा तनाव का सामना ककए जान पि मानससक उमर म पीछ हटन की परकरिया ह। जब हम पिशानी म होत ह अथवा िि हए होत ह तो हमािा वयवहाि अगिक बचकाना हो जाता ह। उदाहिण क सलए, जब कोई माता अपन बचच क कम अक आन क वजह स तनावरिसत होती ह तो वह अपन बचच को पीटती ह। यह वही वयवहाि ह जो उसक माता-वपता अपनात थ। बाल लगिक शोषण कवल सकस क बाि म ही नही ह, यह शिकत औि ननयरिण क बाि म भी ह। औि इस परकाि लगिक शोषण जानबझ कि ककया हआ वयवहाि होता ह। हमािा समाज इस परकाि स बना हआ ह जो कछ ववशष परकाि क लोिो को ववशष अगिकाि की िसथनत म िखता ह औि कछ को शिकतया परदान किता ह। इस सामािजक अवसिचना म लोिो क पास जो शिकत औि ववशष अगिकाि ह व ववसभनन कािको पि ननभताि कित ह जस कक सलि, विता, जानत, कमता, मानससक सवासथय, लगिक असभववनयास, आय औि जातीयता। अपिागियो को इन कािको क आिाि पि आमतौि पि अपनी उन शिकतयो की जानकािी होती ह जो व पीडडत पि िखत ह। उदाहिण क सलए, जब हम कहत ह “लडक तो लडक होत ह”, तो हम लडको को दसि लोिो क शिीि पि अगिकाि परापत होन का अनभव किात ह औि इस परकाि हम उनह सहानभनत औि सममान सीखन का अवसि परापत किन औि अपन कायशो का दानयतव उठान स िोकत ह। असवसथ लगिक आवयकताओ औि खिाब अनकिण तरि वाल वयसको क सलए, बचचो क साथ सकस किना तनाव को मकत किन का िासता बन जाता ह। पराय: जब व सकस कि लत ह तो उनका तनाव दि हो जाता ह, औि व किि कभी ऐसा न किन का वादा कित ह – लककन उनकी अततपत आवयकताए किि स जाि उठती ह औि बचचो क साथ सकस किन की उनकी इचछा जािी िहती ह। तनाव एक ऐसी सामानय चीि ह जो लोिो को वह किन क सलए मिबि किता ह िजस व जानत ह कक किना गलत ह। लगिक हहसा हमशा उददयपणता होती ह औि जानबझ कि की जाती ह औि शोषण आमतौि

पि पीडडत को उस पि परभतव अनभव किान क सलए ककया जाता ह। लगिक शोषण म कभी भी बचच का दोष नही होता ह। यह बचच क वयवहाि क कािण नही होता ह अथवा बचच दवािा सवय को परसतत ककए जान क तिीक की वजह स नही होता ह।

परशन ii.....................................................................................

शोषणकताता ककस परकरिया को अपनात ह? िजन लोिो को बचचो स सकस किन की इचछा अथवा आवयकता होती ह उनकी बचचो तक आसान पहच होती ह अथवा व ककसी ववशष बचच क साथ सबि सथावपत कित ह। इस तयाि किन की (रिसमि) परकरिया कहत ह, इस परकरिया दवािा ककसी बचच औि उसक माहौल को शोषण क सलए तयाि ककया जाता ह। यह एक वयविसथत परकरिया होती ह। अपिािी ककसी बचच की कमिोरियो का पता लिात ह औि लकय को पहचानत ह। कमिोरियो म शासमल ह ऐस बचच िजनह लिता ह कक उनह पयाि नही समलता अथवा जो अनचाह अथवा अलोकवपरय महसस कित ह, िजनको पारिवारिक समसयाए होती ह, िजनका कोई पयतावकण नही किता ह अथवा िजनम आतम-सममान की कमी होती ह। सभाववत शोषणकताता ऐस बचचो को समरिता क परतीक क रप म सकािातमक सदश, आदि, उपहाि अथवा चॉकलट दकि उनकी कमिोरियो का िायदा उठात हए उनका वववास जीतता ह। इस परकाि उतपनन हए लिाव क आिाि पि अपिािी बचच को उसक माहौल स अलि-थलि किन क िासत खोजता ह जस कक अपिािी क घि जाना, मवी दखन जाना अथवा अनय असावताजननक सथानो पि जाना। जब शोषणकताता लगिक सपशता क सलए बचच को असवदनशील बनाना शर किता ह तो वववास का यह लिाव औि अलिाव बचच की सिका को तोडन म मदद किता ह। शोषणकताता बचच को यह भी कह सकता ह कक यह सपशता पयाि अथवा सनह ह, बचच को िजस ककसी ततव की आवयकता होती ह वह वोही ह। तब बचचा चपपी म िस जाता ह (कत पया बचच दवािा सचना न हदए जान क सलए उपयताकत दो कािणो का सदभता ल)। यह

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शोषणकताता | 8

शोषणकताता दवािा बचच पि अनतम ननयरिण होता ह। सभाववत शोषणकताता बचच क आसपास क लोिो को भी तयाि (रिम) किता ह, जस कक माता-वपता औि परिजनो को। व कई तिीको स इन वयसक लोिो का वववास जीत कि ऐसा कित ह। रिसमि एक जहटल औि रिसमक परकरिया ह, शोषणकताता ककसी भी परकाि की लगिक िनतववगि शर किन स पहल बचच को कई सपताह, महीन अथवा वषशो तक ऐस वयवहाि स रिम कि सकत ह जो दखन म अनगचत नही लिता हो। रिसमि ककया जाना शोषणकताता क सलए महतवपणता होता ह कयोकक यह बचच तक पहच सननिचत किता ह औि शोषण क परकट ककए जान अथवा खलासा ककए जान की सभावना को भी कम किता ह।

लककन रिसमि मारि कछ समनटो की भी हो सकती ह। इस शोषणकताता दवािा बचचो क ववरदि सामािजक मलयो औि अपकाओ का परयोि ककए जान क दौिान पिा ककया जा सकता ह। उदाहिण क सलए, बचच को यह बताना कक उनह अपन बडो का सममान किना चाहहए अथवा यहद शोषणकताता कोई अधयापक ह तो वह बचच को िल किन की िमकी भी द सकता ह। इस परकाि सभी समाज शोषणकताताओ को अपन वयवहाि को जािी िखन औि बाल लगिक शोषण को मिबत किन की अनमनत परदान कित ह।

परशन iii.....................................................................................

कया आपको लिता ह कक बचच “भडकाऊ” कपड पहन कर शोषण को आमतरित करत ह?दख की बात ह कक हमािा समाज पीडडत पि आिोप लिाकि आमतौि पि शोषणकताता को माि कि दता ह (यह एक परमख कािण ह िजसकी वजह स बचच शोषण की सचना नही दत ह)। तथावप, ककसी क कपड पहनन क तिीक अथवा वयवहाि का लगिक शोषण स कोई लनादना नही होता ह, बस यह कवल शोषणकताता को बचच पि दोष लिान का कािण परदान किता ह।

यहद भडकाऊ कपड पहनना बचचो क लगिक शोषण का कािण होता तो तीन माह की

अलपआय क बचचो का शोषण नही होता। बचचो क लगिक शोषण का दानयतव पिी तिह कवल शोषणकताता का होता ह। शोषणकताता सकस किन क परनत असभपररित होता ह औि यह असभपरिणा उस बचचो औि उसक आसपास क लोिो को रिम किन की परिणा दता ह।

हम बचचो को दानयतव औि सवतरिता की उगचत भावना क साथ व जो पहनना चाहत ह वह पहनन की आजादी परदान किनी चाहहए। हम यह बात समझन की आवयकता ह कक शोषणकताता उन बचचो को चनिा िजन बचचो को सामािजक ननयम औि मानको को पिा न किन की वजह स दोषी ठहिाया जान की सभावना होती ह।

परशन iv.....................................................................................

बालकामक और ककशोरकामक कौन होत ह?बालकामक व लोि होत ह जो बचचो क परनत लगिक रप स आकवषतात होत ह औि जो कवल बचचो क साथ सकस किना पसद कित ह। उनकी वयसको क साथ लगिक सख की इचछा नही होती ह अथवा बहत कम होती ह। ककशोिकामक लोि कवल ककशोिो क साथ सकस किना पसद कित ह। बालकामक औि ककशोिकामक कोई भी हो सकता ह – बढा अथवा जवान, अमीि अथवा ििीब, सशककत अथवा असशककत, िि-पशवि अथवा पशवि, औि ककसी भी विता अथवा जानत का वयिकत। उनकी ववशष आय अथवा सलि क परनत अपनी पसद होती ह। अगिकति लगिक अपिाि किन वाल परष होत ह, लककन जात महहला अपिागियो की सखया म भी बढोतिी हो िही ह, जस कक सयकत िाजय अमरिका म महहला अधयापक।

अपिागियो क परािसभक चतावनी सकतो म शासमल ह:

क) वयसको की अपका बचचो क साथ जयादा सहज हदखना;

ख) बचचो को मोहक अथवा सकसी कहना;

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9 | शोषणकताता

ि) बचचो क साथ अकला िहन की कोसशश किना;

घ) ववसशट वयवहाि क सलए ववशष बचचो को पिसकाि दना; औि

ड) धयान दन क सलए ककसी ववशष बचच को चनना।

यह धयान दना िरिी ह कक य कवल सकतक ह औि यह नही माना जाना चाहहए कक इन ववशषताओ वाल लोि सभाववत लगिक शोषणकताता ह। ननिति सतकता ता क साथ इन ववशषताओ की जानकािी को चतावनी क रप म इसतमाल ककया जा सकता ह।

बचचो क साथ सकस की इचछा िखन वाल अगिकति परष औि महहलाए अपनी इचछाओ को पिा नही कित ह। अगिकति जानत ह कक व बचचो को नकसान पहचाना नही चाहत ह, अथवा जल जाना नही चाहत ह या सावजताननक रप स शसमिदा नही होना चाहत ह।

जब बचच क आसपास क वयसक लोि आिसभक चतावनी सकतो स सतकता हो जात ह औि िजनम मददिाि तिीक स ऐस वयवहाि वाल वयसको क पास जान का साहस होता ह व बचचो को सिककत माहौल परदान किन म मदद कित ह।

परशन v.....................................................................................

नाबासलिो दवारा नाबासलिो क परनत लगिक अगरिमो क परयास ककए जान क सबि म आप कया कहना चाहत ह?बचचो सहहत सभी वयिकत लगिक पराणी होत ह – मनो-लगिक ववकास भी उतना ही महतवपणता होता ह िजतना शािीरिक, जानातमक, भावनातमक, आधयाितमक औि सामािजक ववकास महतवपणता ह।

ववकासातमक िजजासा क आिाि पि बचचो का लगिक वयवहाि म शासमल होना आमतौि पि शसमिदा किन वाला औि खखससयाना होता ह औि व ऐसा अपनी आय क बचचो क साथ

कित ह। इस मामल (Case) म, दोनो ही बचच िजजासावश ‘लगिक खलो’ म शासमल होत ह औि ऐस म िरिी नही ह कक एक बचचा दसि क सामन इसका परसताव िख। जब इन बचचो को ऐसा न किन क सलए कहा जाता ह तो व ऐसा किना बद कि दत ह।

जब बचच ऐसा किना बद नही कित ह, जब व बलपवताक दसि बचच को ऐसा किन क सलए कहत ह अथवा जब व िि हदखात ह अथवा असामानय हदलचसपी लत ह तो व ऐसा कई कािणो स कि सकत ह। उदाहिण क सलए, हो सकता ह बचच का लगिक शोषण हआ हो अथवा उनह आय-अनगचत लगिक सदश समलन क कािण व सकस औि लगिकता को लकि भरसमत हो।

बचचा लगिक शोषणकताता बनन क शरआती चिणो म हो। यह जानना िरिी ह कक बचचो औि यवाओ क लगिक कदाचाि क परनत ककस परकाि की परनतकरिया दनी ह। बचचो क लगिक कदाचाि को पहचानना औि शरआती चिणो म तबना ककसी शमता अथवा अपिािबोि क उगचत लगिक वयवहाि क बाि म सशका दना बचचो क ववकास म मदद किता ह औि उनह भववय म लगिक शोषणकताता बनन स भी िोकता ह।

परशन vi.....................................................................................

कया शोषणकताताओ को समझाना और उनह परामशता दना सभव ह? यह ककतना मददिार होता ह?लगिक शोषणकताताओ को पिामशता दन औि उनका परबिन किन क अनक तिीक ह।

इस समझन क सलए, ववशषकि भाित म इस औि अगिक समझन क सलए इस पि कायता चल िहा ह। पसलस सहहत सभी लोिो दवािा अपिागियो की मदद ककया जाना बहत अगिक महतवपणता ह।

शोषणकताताओ को अपनी लगिक इचछा को समझना औि उन पि ननयरिण किना सीखन की आवयकता होती ह (कभी-कभी धयान दवािा);

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शोषणकताता | 10

उनह ननणताय लन की अचछछी तकनीक सीखनी होती ह; उनह अपन वयवहाि की ििममदािी सवीकाि किन की आवयकता होती ह; औि उनह यह सीखना होिा कक उनकी कौन सी बात अनय लोिो को कट पहचाती ह (सहानभनत)।

शोषणकतातािजतना छोटा होिा उसको बदलना उतना ही कम मिकल होिा। हमन पाया ह कक यवा शोषणकताताओ क साथ काम किना औि उनह बदलना आसान होता ह कयोकक व पयतावकण औि सलाह क परनत अगिक खल होत ह। सयकत िाजय अमरिका जस दशो म शोषणकताताओ की थिपी किन स थिपी म सिलता समली ह। लककन समसया यह ह कक अगिकति शोषणकताता कभी भी पता नही पड पाता इससलए उनह वह मदद कभी भी नही समल पाती ह िजसकी उनह आवयकता होती ह।

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11 | दसिो को बताना

4दसरो को बताना

परशन i.....................................................................................

बचच शोषण क बार म ततकाल कयो नही बतात ह?बचचो दवािा शोषण की घटना क बाि म ततकाल न बताए जान अथवा कभी भी ककसी को नही बताए जान क अनक कािण ह:

क) कई परििसथनतयो म, बचचो को सकस औि लगिकता क बाि म जो कछ पढाया जाता ह उसकी वजह स बचच घटना को आमतौि पि अपिाि, अथवा असामानय/

अपराकत नतक वयवहाि क रप म नही दखत ह। ऐसा ववशषकि तब होता ह जब लगिक शोषण इस परकाि ककया जाए कक बचचा इस सौमय औि पयाि समझ। ‘सिककत’ औि ‘असिककत’ सपशता क बाि म कोई समझ न होन की वजह स बचचा लगिक शोषण को पयाि की असभवयिकत समझ सकता ह औि शोषणकताता को अपन स पयाि किन वाला औि पिवाह किन वाला समझ सकता ह।

ख) कछ परििसथनतयो म, जब बचच को उललघन का पता चल जाता ह तो व इसक बाि म बतान क सलए भरसमत औि

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दसिो को बताना| 12

ििा हआ महसस कित ह। उनक भरम म अनक गचताए शासमल होती ह, जस कक कया व िजस वयिकत स पयाि कित ह वह मिकल म िस जाएिा ह, कया व सवय भी मिकल म िस जाएि औि उसक बाद कया होिा।

ि) आमतौि पि बचचो का यह िि होता ह कक उन पि कोई भी वववास नही कििा, ववशषकि यहद शोषणकताता कोई जाना पहचाना वयिकत हो औि सभवत: कोई ऐसा वयिकत को िजसक पास शिकत भी हो।

घ) बचच/यवा को इस बात का भी िि हो सकता ह कक उस पि यह भी आिोप लि सकत ह कक शोषणकताता दवािा उस चन जान क सलए वह सवय ििममदाि ह कयोकक उसन शोषणकताता को हा भिी ह औि शोषणकताता का कहना माना ह।

ड) बचच दवािा मदद न माि जान अथवा शोषण की सशकायत न ककए जान स उस सवय पि पीडडत का ठपपा लिन की शमता महसस हो सकती ह। यहद बचचा एक लडकी ह तो उस खिाब लडकी का ठपपा लिन औि कवािी न होन का ठपपा लिन का िि होता ह।

च) बचच को माता-वपता का पयाि खोन औि शोषणकताता (जो कक आमतौि पि कोई जानकाि/सबिी/ दखिखकताता होता ह) का पयाि खोन का भी िि होता ह। बचच को दोसती खतम होन का भी िि होता ह।

छ) बचचा शोषणकताता दवािा उस अथवा उसक परिवाि को नकसान पहचाए जान की िमकी का भी िि हो सकता ह।

इन कािणो स बचच शोषण क बाि म ककसी को नही बतात ह, बचच पराय: अपन आपको यह समझा लत ह कक जो कछ घहटत हआ वह एक सपना था अथवा एक दघताटना थी अथवा उनहोन इसकी कलपना की थी – अथवा व सवय को यह समझा लत ह कक जो कछ घहटत हआ ह व उसस उबि जाएि औि इसक बाि म ककसी औि को बतान स परििसथनतया औि अगिक खिाब हो सकती ह।

परशन ii.....................................................................................

बचच शोषण क बार म कब बतात ह?सबस महतवपणता ततव जो बचचो को शोषण क बाि म बतान क सलए परोतसाहहत किता ह वह ह मददिाि, वववासी औि सहानभनतपणता माहौल। बचच आमतौि पि उस वयिकत क सामन ही बात बतात ह िजनक सामन व सिककत महसस कित ह। व कवल उस वयिकत पि ही वववास किि जो उनक अनसाि उनकी बात पि वववास कििा, उनकी मदद कििा औि उनक साथ जो कछ घहटत हआ ह उसक सलए उन पि दोष नही िालिा।

कछ औि परििसथनतया भी ह जो बचच को शोषण क बाि म बतान क सलए पररित किती ह।

क) जब शोषणकताता ककसी औि बचच का शोषण किना शर किता ह जस कक भाई-बहन अथवा समरि का, तो पीडडत उस बचान क सलए इसकी जानकािी ककसी को दिा।

ख) जब बचचा औि अगिक ददता औि असभघात को सहन नही कि पाता ह।

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13 | परभाव औि उपचाि

परभाव और उपचार

परशन i.....................................................................................

बाल लगिक शोषण का बचचो/वयसको पर कया परभाव पडता ह?बाल लगिक शोषण क ववववि औि असखय परिणाम होत ह। लगिक शोषण बचच क जीवन को मनोवजाननक औि सामािजक सतिो पि औि लगिक वयवहाि पटनता को परभाववत किता ह।

शािीरिक परभावो म िभतािािण होना, यौनन अथवा िदा करि म चीिा लिना, लगिक सचारित िोि

होना, सरिमण की वजह स ननजी अिो स िकतसाव होना अथवा असामानय बदब आना, बाि-बाि मरि मािता का सरिमण होना, मलतयाि क समय ददता होना, अनिचछक रप स चप िहना औि िसटोइटसटाइनल समसयाओ औि अकसि ससिददता सहहत मनोदहहक बीमािी होना शासमल ह।

मनोवजाननक परभावो म लोिो अथवा जिहो स असामानय अथवा तबना वजह िि लिना, ििावन सपन आना, खान औि सोन म बािा होना, तनाव, अनत-चौकस िहना, भावनातमक रप स

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आगशत िहन वाला वयवहाि, उदासीनता, अकसि हदन म सपन दखना, अलिाव महसस किना, सवय पि औि दसि लोिो पि वववास किन की कमी, परनतिामी वयवहाि जस की अिठा चसना, समटटी खाना औि तबसति िीला किना शासमल ह। सबस िभीि परभाव आतमहतया किना हो सकता ह।

सामािजक परभावो म अचानक स सबि तोडना, अतयगिक खश वयवहाि, िससा आना औि शककक परदशतान म कािी अगिक बदलाव आना शासमल ह।

बचपन म लगिक शोषण होन स लगिक वयवहाि औि परकाि म परबल औि दय बदलाव आ सकत ह। इनम स कछ बदलावो म अगिक कपड पहनना, कम कपड पहनना, लगिक तनाव, औि दोहिाए जान वाला लगिक वयवहाि जस कक बहत अगिक हसतमथन किना, ननिति लगिक करिया, अनय लोिो क परनत लगिक रप स िाली-िलौज वाली भाषा का इसतमाल किना अथवा दसिो क परनत िससा आना शासमल ह। यह भी सभव ह कक बाल लगिक शोषण का असभघात लगिक पहचान तनाव अथवा भरम उतपनन कि सकता ह।

शोषण का परभाव, परभाववत किन वाली चीिो क आिाि पि अलि-अलि होिा िजनम सलि, सकस औि आय शासमल ह। परभाववत किन वाली अनय चीिो म पीडडत क साथ शोषणकताता का सबि, लगिक शोषण की परकत नत (शोषण ककतनी बाि, कहा औि ककतन शोषणकताता न ककया), पीडडत क आसपास उपलबि सहायता सससटम, औि शोषण क समय पीडित की मानससक अवसथा शासमल ह। अलपावगिक परभाव को दीघातावगिक परभाव स अलि किना कहठन ह कयोकक अलपावगिक परभाव ककसी दीघातावगिक समसया की शरआत हो सकता ह।

कछ दीघातावगिक परभाव ननमनसलखखत हो सकत ह:

क) वववसनीय वयिकत दवािा बचच को िोखा हदए जान क अनभव बचचा एकाकीपन म जा सकता ह औि अतिि सबि बनान औि पािसपरिक िनतशीलता स ववमख हो सकता ह। इसस बचचा महतवाकाकी सीमाए तय कि लता ह िजसस भववय म उसका

शोषण होन औि किि स पीडडत होन का खतिा होता ह।

ख) कलक लिन क िि स आतमवववास म कमी आ सकती ह, अपिाि, शमता महसस हो सकती ह औि परिणामसवरप सवय को अलि-थलि किन की परवतवति उतपनन हो जाती ह।

ि) शिकतहीनता क अनभव स अवसाद हो सकता ह, वयिकत कटा हआ िह सकता ह अथवा असामािजक वयवहाि औि अपिाि म शासमल हो सकता ह (नशीली दवाओ, एलकोहल का सवन) िजसम लगिक रप स अपिािी वयवहाि दशाताना औि अपन सवय क शोषण को पन:असभनीत किना शासमल ह।

घ) छोटी आय म लगिक िनतववगियो का अनभव लगिक अवववकी वयवहाि को जनम दता ह अथवा छडछाड क अनभव की यादो की वजह स वयिकत सकस स ववमख हो सकता ह, उतिगचत होन औि चिम सख परापत किन म कहठनाई औि सवय औि अपनी लगिकता क बाि म नकािातमक अथता ननकालना शासमल ह।

अनतम हटपपणी क रप म, लगिक शोषण का अनभव किन वाल बचचो पि उनक असभभावको/वववासी वयसक लोिो/वपरयजन दवािा वववास ककए जान औि उनकी सहायता ककए जान पि व बहत ही तिी स ठछीक होत ह। असल म, कछ बचच औि यवा पीडडत, ववशषकि िजनका शोषण स पहल मिबत भावनातमक सहायता सससटम होता ह, उन पि बाल लगिक शोषण का कोई परभाव नही हदखाई दता ह। अतत: यह याद िखना िरिी ह कक शोषण क परभावो क बाि म जािरक िहना चाहहए, यह भी िरिी ह कक ककसी वयिकत क वयवहाि/वयवहािातमक बदलावो औि उनक बाल लगिक शोषण क बीच सबि को लकि कोई िािणा नही बनाई जानी चाहहए।

परभाव औि उपचाि | 14

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15 | परभाव औि उपचाि

परशन ii.....................................................................................

कया आपको लिता ह कक शोषण का सशकार बचचा कभी अपन सामानय जीवन म वापस जा सकता ह?हा, लगिक शोषण उन कई अनभवो म स बस एक ह जो हमाि बचच अनभव कि सकत ह, िजनम यदि, ििीबी, चोिी, हतया, बाढ, या किि अपनी पयािी दादी की मततय शासमल ह। बाल लगिक शोषण क सशकाि आि सामानय औि सवसथ जीवन जी सकत ह। व ददता स मकत होना सीख सकत ह। व अपनी जािरकता बढान की हदशा म काम कि सकत ह कक शोषण न उनह कस परभाववत ककया ह ताकक व उन परभाववत करिो पि काम कि औि उनह हल कि। जयादाति उनह इस पिी परकरिया क दौिान समथतान की िरित होती ह। कभी-कभी इसक सलए एक सही गचककतसक, या यहा तक कक एक धयान िखन वाल वयसक वयिकत की भी िरित होती ह।

जयादाति मामलो म, लोिो क जीवन बस तब बदल जात ह, जब िजनस वो पयाि कित ह या िजन पि वववास कित ह, व उनह सनत ह औि उनको सहािा दन का सकलप लत ह। इस तिह, एक बाि हम ककसी शोषण क सशकाि वयिकत का वववास पा ल, तब हमाि पास उनह अनय ससािनो की ओि िाह हदखान का अवसि होता ह, जो उनकी आि मदद कि सकत ह।

परशन iii.....................................................................................

हम शोषण क परभाव स उभरन म पीडडतो की कस मदद कर सकत ह?सबस महतवपणता चीि िजसकी शोषण क सशकाि वयिकत को िरित होती ह, वह ह सहािा, ववशष रप स दखभाल किन वालो स। समथतान परणाली को:

क) शोषण क सशकाि वयिकत क निरिए पि वववास किना चाहहए,

ख) बचच/यवा को दोष नही दना चाहहए,

ि) बचच/यवा को अपनी भावनाओ को बाहि ननकालन दना चाहहए, औि

घ) पिी गचककतसा परकरिया क दौिान समथतान परदान किना चाहहए।

कछ मामलो म, पीडडत खद ही अपन दम पि ठछीक हो सकता ह, ववशष रप स, अिि व जानत हो कक जो हआ उसम उनकी कोई गलती नही थी औि उनह पता ह कक किि स दरवयवहाि ककए जान स व खद को कस बचा कि सकत ह।

अनय मामलो म, पीडडतो को पशविो की मदद उदाहिण क सलए, पिामशता या मनोिोि दखभाल की आवयकता हो सकती ह। पारिवारिक औि पशवि समथतान वाल बचच औि वयसक, कई बाि, ददतानाक अनभवो क बावजद लौट सकत ह औि उनननत कि सकत ह।

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काननी हसतकप | 16

काननी हसतकप

परशन i.....................................................................................

कया पसलस को बाल लगिक शोषण क मामल (Case) को सगचत करना अननवायता ह?हा। ‘लगिक अपिािो स बचचो का सिकण अगिननयम (POCSO)’, 2012 की िािा 19, पसलस को लगिक शोषण का मामला रिपोटता किना अननवायता किता ह। इस कानन म कहा िया ह कक: ‘कोई भी वयिकत (बचचो सहहत), िजस लिता ह कक इस अगिननयम क तहत कोई अपिाि होन की

सभावना ह या उस पता ह कक ऐसा कोई अपिाि ककया िया ह, तो वह इस तिह की जानकािी को (क) ववशष ककशोि पसलस इकाई; या (ख) सथानीय पसलस को उपलबि किाएिा।

22 फिविी 2013 म सशका मरिालय, महािाट सिकाि दवािा जािी ककए िए एक परिपरि न भी, सकलो क सलए शोषण की ऐसी ककसी भी घटना क उनक सजान म लाए जान पि, लगिक शोषण को सगचत किना अननवायता कि हदया ह।

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17 | काननी हसतकप

परशन ii.....................................................................................

एक बार जब शोषण की सचना दी जान क बाद, पसलस कया कारतावाई करिी?अिि बचचा शोषणकताताको जानता ह, तो शोषणकताताको गििफताि कि सलया जाएिा। ‘लगिक अपिाि स बचचो का सिकण अगिननयम (POCSO)’, 2012, क तहत, शोषण क सति पि धयान हदए तबना एक गचककतसीय जाच अननवायता ह। बचचा औि शोषणकताता दोनो को गचककतसीय जाच क सलए भजा जा सकता ह। पसलस घटना क समय पहन िए कपडो को सबत क रप म भी एकतरित कििी।

बचच क बयान को दजता ककया जाएिा। की पिवाह ककए तबना । यहद अनय लोि ह िजस बचच न बताया हो, तो उनक बयान भी दजता ककय जाएि।

POCSO अगिननयम, 2012, म, जाच कित समय, जाच क दौिान बचच की िका किन क सलए ववशष सिका उपायो का पराविान ह। उदाहिण क सलए, बचच को बयान दजता किान क सलए पसलस सटशन नही बलाया जा सकता। अिि बचची कोई लडकी ह, तो कवल ककसी महहला पसलस अगिकािी को ही बयान लना चाहहए। बचच का बयान, बचच क ननवास पि या ककसी अनय जिह पि जहा बचचा सहज हो, सलया जा सकता ह।

बचच क इलाक का दौिा किन वाल पसलस अगिकािी साद कपडो म होन चाहहए। जाच औि पिीकण क दौिान, बचच की पहचान की िका की जाएिी औि िोपनीय िखा जाएिा।

परशन iii.....................................................................................

CWC कया ह और बचच को CWC क समक कब पश ककया जाता ह? बाल लगिक शोषण क मामलो म CWC कया भसमका ननभाएिी?CWC बाल कलयाण ससमनत को सदसभतात किता ह। ससमनत की कायता यह जाच किना ह कक कया एक बचच क घि का माहौल सिककत ह औि यहद

नही, तो उस बचच को बाल ितह म दाखखल किा कि, उस िाजय की सिककत दखभाल म िखना। आमतौि पि जब एक लगिक शोषण की सचना दी जाती ह तो, परािसभक जाचो क बाद, बचच को CWC क समक पश ककया जाएिा। अिि माता-वपता बचच की सिका सननिचत कि सकत ह, तो बचच को बाल ितह म नही िखा जाएिा। महािाट म िसथत CWC की एक सची अनबि म दी िई ह।

परशन iv.....................................................................................

बाल लगिक शोषण स जड ककसी मामल (Case) म सनवाई करत समय अदालत को कया सरकातमक उपाय अपनाना चाहहए?लगिक अपिाि स बचचो का सिकण अगिननयम, 2012 औि इसक तहत बनाए िए ननयम, 18 वषता स कम उमर क बचच क लगिक शोषण स सबगित सभी मामलो म सनवाई क सलए बचच क अनकल ववशष परकरियाए औि एक ववशष अदालत ननयत कित ह।

बचच क सलए सनवाई की पिी परकरिया को कम ददतानाक बनान क सलए ककए िए सिकातमक उपायो म शासमल ह:

क) अिि बचच को अदालत म िवाही दन म िि लिता ह तो बचच को वीडियो कॉनफ ससि क माधयम स िवाही दन की सवविा परदान की जा सकती ह। िवाही दत समय, आिोपी को बचच की दिट स परििककत ककया जाना चाहहए।

ख) नयायािीश, असभयोजक औि बचाव पक क वकील सहहत सभी वयिकत अदालत की औपचारिक वशभषा म नही होन चाहहए। बठन की वयवसथा ककसी भी औपचारिक अदालत स अलि औि कम ििावनी होनी चाहहए। मामल क सलए बलाए जान स पहल, बचच को समथतान किन वाल वयिकत क साथ एक ववशष कमि म इतिाि किाया जाना चाहहए िजसम बहत साि खखलौन औि नात क चीि होनी चाहहए, औि न कक अदालत क ककसी खल कमि म इतिाि किाया जाना चाहहए।

ि) इस कमि स अदालत क कमि म एक अलि

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काननी हसतकप | 18

परवश दवाि परदान ककया जाना चाहहए। बचच को कठघि म नही खडा ककया जाना चाहहए, बिलक बठकि िवाही दन की अनमनत दी जानी चाहहए औि िवाही क दौिान उस बाि-बाि अतिाल हदए जान चाहहए।

घ) बचच को इन अतिालो क दौिान पानी पीन या जलपान किन की अनमनत दी जानी चाहहए। अिि वह बचचा िि हआ ह या उस हदन िवाही द नही पा िहा ह, तो मामल (Case) को सथगित कि हदया जाना चाहहए, लककन अनयथा बचच की तहकीकात औि िजिह उसी हदन की जानी चाहहए।

ङ) िवाही क दौिान ककसी पिामशतादाता (Counsellor) या ककसी समथतान किन वाल वयिकत को बचच क बिल म बठन हदया जाना चाहहए। सबस महतवपणता बात यह ह कक बचच क परतयक िजिह की अनमनत नही दी जानी चाहहए। बचाव पक क वकील को परनो को सलखखत रप म जज को दना चाहहए औि जज को किि उनह बचच क समक एक सिल औि सहज तिीक स िखना चाहहए।

च) अिि बचच को अदालत की भाषा समझ नही आती ह या कोई ववकलािता या सीखन स सबगित ववकाि ह, तो बयान क दौिान एक अनवादक या एक ववशषज परदान ककया जाना चाहहए।

परशन v.....................................................................................

सपणता परकरिया ककतनी समय सीमा क भीतर खतम हो जाएिी?इसस पहल, मकदम म लिभि एक स दो साल लि जात थ। लककन लगिक अपिाि स बचचो का सिकण अगिननयम, 2012 क अतितात पिी परकरिया म तिी लाए जान की उममीद ह। पसलस दवािा की िई जाच, FIR दजता किन की नतगथ स तीन महीन क भीति पिी हो जान की उममीद ह। इसक बाद, ववशष अदालत मामल पि गौि ििमाएिी औि वह आिोप तय कििी िजसक तहत आिोपी वयिकत पि मकदमा चलाया जाएिा। यह महतवपणता ह कयोकक सिा उस ननयत आिोप क अनसाि दी जाएिी जो सातबत हो जाएिा। जाच पिी हो जान क बाद, मकदम को शर होन म लिभि एक महीन लिता ह।

ननचली अदालत (जो एक ववशष रप स नासमत सरि अदालत ह), कोसशश कििी कक आिोप तय ककए जान तािीख स लिभि दो महीनो क भीति मामला पिा हो जाए। मकदम क शर हो जान क बाद, बचच को अदालत क समक अपना बयान दन क सलए एक या दो बाि अदालत म बलाया जाएिा।

आदशता रप म, ककसी ववसशट मामल (Case) म, पिी परकरिया, थान म पहली सशकायत दजता किाए जान की तािीख स एक वषता क भीति पिी की जाएिी। लककन, यह कानन नया ह औि इसकी परकरिया अभी भी िीि-िीि ववकससत हो िही ह, कयोकक परणासलया अभी भी जयादाति अदालतो म नही ह।

परशन vi .....................................................................................

हम दोषी या दोषी नही पाए जान का अरता कया होता ह, उसस जडी गचताओ को कस सबोगित कर सकत ह?FIR (परथम जाच रिपोटता) दजता हो जान औि अदालत दवािा आिोप तय ककए जान क बाद, आिोपी को पछा जाएिा कक कया वह जमता कबलना चाहता ह/चाहती ह, अथातात, अपन ऊपि लिाए िए आिोपो को सवीकाि किना चाहता ह/चाहती ह। यह सामानय चलन ह कक आिोपी अपन जमता नही कबलिा, अथातात, आिोपो स इनकाि कि दिा, औि मकदमा शर हो जाएिा। मकदम क अत म, आिोपी वयिकत या तो दोषी पाया जाएिा या बिी कि हदया जाएिा। यह कई परकाि क तथयो पि ननभताि कििा – घटना क समय औि उस समय क बीच का अतिाल, जब बचच न बडो को इसक बाि म सगचत ककया था औि जब बड पसलस सटशन िए थ औि सशकायत दजता किाई थी। िजतनी जयादा दिी हई होिी, इकटठा ककए िए सबत मामल (Case) को सातबत किन क सलए कमिोि औि अपयातापत हो सकत ह। जयादाति मामलो म, तबना ककसी भी समथतान गचककतसा या िोिससक सबत क, कवल बचच दवािा हदया िया बयान ही सबत होता ह। इसस बाल लगिक शोषण क मामल (Case) को सातबत किना मिकल

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19 | काननी हसतकप

हो जाता ह। अिि शोषणकताता वपता या किीबी रितदाि या घि क सलए िोटी कमान वाला होता ह, तो मा या परिवाि क अनय सदसय हो सकता ह मकदमा चलान का समथतान न कि औि सबत दन भी न आए।

हम धयान म िखना चाहहए कक हमाि अपिाि ससदगि की दि बहत कम ह। बाल लगिक शोषण क मामलो म अपिाि ससदगि की दि कवल 10% क आसपास ह (जो सामानय अपिाि ससदगि की दि स, जो किीब 26% ह, बहत कम ह)।

तो हम आिोपी क बिी हो जान को कलीन गचट क रप म नही दख सकत ह या यह सातबत नही होता कक शोषण हआ ही नही। यह अिि ककया िया तो, उस बचच क सलए, िजसन चप िहकि पीडा सहन क बजाय अपिाि को सगचत किन का साहस ककया, बहत हतोतसाहहत किन वाला होिा। बचच को इसक बाि म जािरक किना आवयक ह। लककन इसका मतलब यह नही ह कक हि मामल (Case) का परिणाम अपिाि ससदगि होिा। लककन एक बाि मामला (Case) पसलस को सगचत कि हदया िया औि आिोपी को मकदम का सामना किना पडा, तो पिी परकरिया आिोपी वयिकत क सलए कलक बन सकती ह औि हो सकता ह वह यही अपिाि किि स न दोहिाए। इसक अलावा िजस बचच न अपिाि की सचना दी ह, औि जयादा ननिि हो जाएिा औि परिवाि क सदसय भी औि जयादा जािरक हो जाएि।

बिी हो जान का मतलब यह नही ह कक बचचा सच नही बोल िहा था। इसका कवल यह मतलब ह कक असभयोि पक (पसलस औि असभयोजक) अदालत क समक पयातापत सबत पश किन म सकम नही िह। ककसी भी बचच को इसक सलए िजममदाि नही ठहिाया जा सकता ह औि न ही अपिाि की सचना दन क सलए या अपिाि ससदि किना पकका न किन क सलए दोषी महसस नही किाया जा सकता ह। बचच को बिी होन की खबि स लिन वाल आघात स ननपटन क सलए औि जयादा समथतान औि सहाि की आवयकता पड सकती ह।

परशन vii.....................................................................................

अिर पररवार सनवाई क दौरान सरानातररत हो जाता ह या मामल (Case) को वापस लन का िसला करता ह तो कया यह सभव ह? कया अपरािी को ऐसी िसरनत म मकत छोड हदया जाएिा?एक बाि FIR दजता किाई जान औि जाच पिी हो जान क बाद, अिि पसलस को पाता लिता ह कक पयातापत सबत ह, तो काििात असभयोजक को भज हदए जाएि औि मकदमा शर कि हदया जाएिा। पीछ लौटना या ‘मामला वापस लना’, सभव नही ह कयोकक यह एक आपिागिक सशकायत ह औि असभयोजन िाजय दवािा ककया जाता ह औि वयिकतित रप स पीडडत दवािा नही। आपिागिक मकदम म कवल पीडडत औि उसक रितदाि ही िवाह होत ह।

बचचा औि उसक परिवाि वाल कायतावाही शर नही कित या मकदम की अिवाई नही कित। वह एक तिीका िजसस कोई बचचा या उसक परिवाि वाल इसस ननपटत ह वह ह अदालत म ‘परनतकल बयान द द’ औि असभयोजन पक का समथतान न कि। इसका मतलब यह ह, कक माता-वपता या बचचा नयायािीश क सामन तथयो को बतात समय अपनी उस कहानी को बदल ल, जो उनहोन शर म पसलस को बताई थी। इसस ववसिनत होिी औि नयायािीश को अपिािी ठहिान म मिकल हो सकती ह। कई उदाहिण ह जहा नयायािीश क सामन अदालत म पीडडत न आिोपी को पहचानन स मना कि हदया। शोषण का सशकाि बचचा यह भी कह सकता ह कक आिोपी वयिकत वह नही ह िजसन उसका शोषण ककया था औि पसलस न गलत वयिकत को पकड सलया ह। मामल स पीछ हटन का एक औि तिीका यह भी ह कक माता-वपता अदालत म आए औि नयायािीश क सामन यह कह कक उनका बचचा/वािता अदालत क सामन आकि बयान दजता नही किना चाहता ह।

अिि बचचा औि उसका परिवाि सनवाई क दौिान असभयोजन पक का समथतान नही किता ह, तो नयायािीश को अपिािी को आिोपी ठहिाना सभव नही होिा। यह आवयक ह कक शोषण का सशकाि

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काननी हसतकप | 20

बचचा अदालत म आिोपी को पहचान। कवल सबस असािािण परििसथनतयो म औि जब घटना क दसि िवाह हो जो अदालत म आकि नयायािीश क सामन वह बतान क सलए तयाि हो जो उनहोन पहल पसलस को बताया था, नयायािीश, पीडडत या उसक रितदािो क िवाही दन क सलए न आन या उनक अदालत म ‘परनतकल बयान’ दन क बाद भी आिोपी ठहिा पाएिा।

सभी अनय मामलो म, आिोपी को बिी कि हदया जाएिा अिि शोषण का सशकाि बचचा शोषण का सशकाि बचचा अदालत म आिोपी की पहचान नही किता ह।

परशन viii.....................................................................................

अिर काननी नयाय उपलबि नही ह, तो परिवार बचच की सरकषा कस सनिशचित कर सकता ह?एक बचचा जो लगिक शोषण सह चका ह उस दखभाल औि बहत कोमल वयवहाि की िरित होती ह। बचच को पहल ही बताया जाना चाहहए कक इस मामल म अपना सवताशठ दना हमािा कततावय ह, लककन अपिाि ससदि होन औि बिी ककए जान क मदद हमाि हाथ म नही ह। बचचा को यह पता होना महतवपणता ह कक रिहाई कवल इससलए होती ह कयोकक असभयोजन पक सहायक (सपोषक) सबत क साथ पि मामल को सातबत किन म सकम नही हो पाया। यह आवयक ह कक हि कोई सहयोि कि औि सभी हहतिािक - पसलस, असभयोजक औि नयायािीश सिोकाि औि सवदनशीलता क साथ अपना कायता कि। असली नयाय तब होता ह जब हि कोई उस िसथनत स आवयक परिवततान कि, िजसम शोषण हआ था। अथातात, बचचा, परिवाि, पडोस, सकल, समाज - सभी इस सकािातमक परिवततान म भाि ल। काननी नयाय नयाय का कवल एक ही रप ह, इस हाससल किना मिकल ह, औि अकसि तबलकल उगचत नही होता ह। बचच औि परिवाि को बचच की सिका सननिचत किन क सलए कौशल स सशकत ककया जाना चाहहए।

परशन ix.....................................................................................

कया POCSO को सही ढि स लाि ककया जा रहा ह?वयापक अनमान लिाना औि एक जवाब दना मिकल ह, कयोकक भाित एक ववशाल दश ह। यह उस पि ननभताि किता ह कक पसलस कसमतायो औि अनय सबगित हहतिािको म इन काननो क बाि म ककतनी जािरकता ह।

हमन मबई म दखा ह, कक कछ मामलो/िसथनतयो म इस लाि ककया जा िहा ह औि लोिो को इसकी जानकािी ह; लककन यह भी दखा जा िहा ह कक दश क अनय भािो म, इसका जान कम ह औि इस कानन का करियानवयन उतना सहज नही ह।

तो इस कानन को लाि किन का समथतान किन क सलए कम स कम यह ककया जा सकता ह कक पसलस कसमतायो औि जनता को इसक बाि म

जािरक ककया जाए।

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21 | काननी हसतकप

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23 | परौदयोगिकी औि बाल लगिक शोषण

1) इटिनट पि वसरिहीन, लगिक िसथनतयो म औि / या लगिक शोषण ककए जा िह बचचो की फोटो औि वीडियो दखना, खीचना औि / या ववतिण किना- इस बाल अलील साहहतय या बाल लगिक शोषण गचरिण कहा जाता ह।

2) इटिनट का उपयोि कित हए दसिो क साथ तसवीि साझा किना। कछ लोि दसिो को अपमानजनक तसवीि भजत ह जो बचचो म लगिक रगच िखत ह ।

3) कोई वयिकत बचचो औि यवा लोिो को तसवीि हदखा जा सकता ह औि इस िनतववगि को ‘सामानय बनाना’ चाह सकता ह ।

हालाकक, हि कोई िजसन बचच क शोषण की तसवीि दखी ह उनको दसिो को ववतरित नही किता या सीि बचचो का लगिक शोषण नही किता। वासतव म, जयादाति नही कित ह। लककन बचच क अलील साहहतय पि ननभताि होन वाल वयिकत की सवसथ वयसक रितो को बनाए िखन की कमता म कमी आ सकती ह औि बचच क साथ लगिक सपकता की तलाश किन क सलए उतिजना को बढा सकत ह।बचचो को लगिक कनत पहचान क सलए परौदयोगिकी का इसतमाल ककए जान क अनय तिीक हो सकत ह:1) ‘असली दननया’ म बचचो का लगिक शोषण

किन क सलए उनस समलन की वयवसथा किन क इिाद स उनक साथ ऑनलाइन सचाि किना औि ‘दोसती’ किना। इस ऑनलाइन रिसमि कहा जाता ह। इस तिह क वयवहाि को शर किन क सलए चटरमस सामािजक नटवककि ि साइट आम जिह ह। बचचो को वयिकतित जानकािी दन, ननजी चट रम म जान क सलए या वब कमि का उपयोि किन क सलए परोतसाहहत ककया जा सकता ह।

2) बचचो को लगिक बातचीत किन क सलए परोतसाहहत औि मिबि किना। इस कभी कभी साइबिसकस क रप म जाना जाता ह।

3) टकसट, ईमल, MSN या सामािजक नटवककि ि साइटो क माधयम स सपट

रप स लगिक सबिी तसवीि भजना। इस सकसहटि कहा जाता ह। उदाहिण क सलए, अपन ननजी अि हदखात हए या वसरिहीन अवसथा म ककसी यवा वयिकत की तसवीि।

बचच औि यवा लोि अपन आप को खति म िाल सकत ह औि खद को शोषण क सलए असिककत बना सकत ह कयोकक:1) इटिनट औि मोबाइल फोन क माधयम

बातचीत कित समय, यवा कम साविान हो जात ह औि ककसी स चीिो क बाि म बात कित समय आमन-सामन बात किन की तलना म कही अगिक खल तौि पि बात कित ह।

2) यवा हमशा ‘इटिनट पि सिककत िह’ सलाह का पालन नही कित ह। उनकी उमर औि ववकास की परकत नत क कािण व उतसाही होत ह औि जोखखम लन क सलए तयाि हो जात ह। उपयोिकताता, अकसि ऑनलाइन बातचीत म अनय लोिो स कही िई अपनी बहत सी बातो क बाि म भयभीत या शसमिदा होत ह औि नही चाहत कक उनक माता वपता, दखभाल किन वाल, उनक जीवन म अनय महतवपणता वयसक या यहा तक कक उनक दोसतो को भी इसका पता लि। इसक अलावा, अिि व ऑनलाइन रिसमि या बाल कामोददीपक गचरिो का सशकाि हए ह तो अकसि व शसमिदा औि जो कछ हआ उसका ििममदाि औि दोषी महसस कित ह िजसस इसक बाि म ककसी को बताना बहत कहठन हो जाता ह।

यह महतवपणता ह कक हम अपन बचचो को सपट सदश द कक यह बताना ठछीक ह, चाह उनह यह लिता हो कक उनहोन कछ गलत ककया ह।यह महतवपणता ह कक सभी वयसक, ऑनलाइन बातचीत स बचचो औि यवा को सभाववत खतिो क बाि म पता िह औि उनह नकसान स बचान क सलए सकम हो। इसका मतलब ह यह जानना कक परौदयोगिकी का दरपयोि कस ककया जा सकता ह औि बचचो को कया कमिोि बनाता ह।

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परौदयोगिकी औि बाल लगिक शोषण | 24

परशन ii.....................................................................................

बचचो की ऑनलाइन रिसमि कस अलि ह?कई िसथनतयो म, ऑनलाइन रिसमि अगिक तिी स औि अनाम हो सकती ह औि इसक परिणामसवरप उन लोिो की तलना म िजनस वह आमन-सामन बातचीत कित ह, बचच अपन ऑनलाइन ‘दोसत’ पि अगिक तिक स भिोसा किन लित ह। जो लोि बचचो को लगिक कनत पहचान की योजना बना िह ह वो अपन सवय असली पहचान, उमर औि सलि छपात हए उनक बाि म आसानी स जानकािी परापत कि सकत ह। जो लोि बचचो की ऑनलाइन रिसमि कित ह वो बचच क सलए समय या पहच स उतना परनतबगित नही होत ह िजतना ‘असली दननया’ म होत।

परशन iii .....................................................................................

हम ऑनलाइन हो रही समसयाओ का कस पता कर सकत ह?हम यह पहचानन म मदद किन क सलए कक कया बचच ऑनलाइन समसयाओ का सामना कि िह ह, य कछ सकतक हो सकत ह। जब बचचा:1) इटिनट पि अगिक समय तबताए ववशष रप

स ककसी नए ऑनलाइन दोसत स चपक-चपक बात कि;

2) अगिक िोपनीय बन - ववशष रप स परौदयोगिकी क उपयोि क आस-पास;

3) दिवािा बद कि औि जब कोई कमि म परवश कि तो जो वो सरिीन पि कि िहा हो उस छपाए

4) अपनी ऑनलाइन िनतववगियो क बाि म खलकि बात न कि पाए

5) अपन मोबाइल का जवाब दत समय उतििजत वयवहाि कि औि फोनकॉल को अकल म लन की िरित लि।

6) तबना ककसी सपटीकिण क कक वो कहा जा िहा ह, बचचा, परिवाि क घि स ननकलन का एक पटनता का ववकास कि।

7) ककसी नए दोसत क बाि म असपट बात

कि लककन आि कोई जानकािी न द।ऊपि उललखखत सकत औि लकण आवयक रप स यह सकत नही दत ह कक ऑनलाइन लगिक शोषण हआ ह। व ससिता सकतक ह। य सकत औि लकण, उन अनय चनौनतयो क सलए परदसशतात हो सकत ह िजनका सामना बचचा कि िहा ह, ऑनलाइन औि ऑफलाइन दोनो।

परशन iv.....................................................................................

हम अपन बचचो को परौदयोगिकी का उपयोि करत समय कस सरककत रख सकत ह?बचच औि यवा कम उमर स घि म औि सकल म कपयटि का उपयोि कित ह। कछ लोिो क सलए, यह कस काम किता ह इसका जान औि समझ अपन माता वपता औि दखभाल किन वालो की तलना म अगिक हो सकता ह। इसस कभी कभी हम यह समझ म नही आता कक परौदयोगिकी का उपयोि कित समय अपन बचचो को सिककत िखन क सलए उन पि कस नजि िख।जब हमाि बचच छोट होत ह, तो हम उनकी िनतववगियो पि अगिक ननयरिण िख सकत ह। लककन जस जस व ककशोिावसथा (यौवन) म परवश कित ह उनकी िोपनीयता औि आिादी की जरित क साथ, उन पि ननयरिण कम हो जाता ह। जस जस व बड होत ह तो बचचो को अगिक सवतरिता की अनमनत दन क साथ साथ उन जोखखमो को नयनतम किना िजनकी हम गचता ह, हमाि सलए चनौतीपणता हो सकता ह। यह महतवपणता ह कक हम परौदयोगिकी क बाि म पयातापत समझ िख ताकक हम अपन बचचो को नकसान स सिककत िख औि व इसका उपयोि सकािातमक रप म औि ििममदािी स कि। बचचो को सशकत ककए जान की िरित ह ताकक व ऑनलाइन खतिो स अवित हो औि असिककत बातचीत की पहचान कि सक । उदाहिण क सलए, बचचो क साथ खलकि सचाि किना औि उनह एक सिककत इटिनट उपयोि चकसलसट का ववकास किन म मदद किना औि उनह इसका पालन किन क सलए परोतसाहहत किना।

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ववकलािता क साथ िहन वाल बचच | 26

ववशष रप स, बौदगिक औि ववकास सबिी ववकलाि बचच भी अगिक आघातयोगय हो सकत ह कयोकक इस ववकलािता स सामािजक कौशल, ननणताय लन का कौशल औि समरि ननणताय लन की कमता परभाववत हो सकती ह। वयिकत (वयिकतित) दखभाल िसथनतयो, सचाि बािाओ औि मनोवजाननक लगिक ववकास क बाि म जानकािी की कमी क कािण ससथानो म िह िह ववकलाि बचच म भी दवयतावहाि का जोखखम बढ जाता ह। सभी सहटगस म, सचाि बािाए, बचच की सीि खलासा औि / या मदद मािन की कमता को परभाववत किती ह।

परशन ii .....................................................................................

एक बचचा जो ववकलाि ह उस वयिकतित सरका सशका क बार म ससखान की जररत ह?ववकास क सति क बावजद, सवसथ सबिो क ववकास क बाि म सशका क सलए परोतसाहहत ककया जाता ह, िजसम सकस सशका औि ननजी सिका सशका भी शासमल ह।

यह लगिक शोषण क उनक जोखखम को कम कि सकता ह। एक ववकासातमक उगचत तिीक स इन अविािणाओ का सशकण बचच को आतम सिका औि सिका क सलए आवयक कौशल ववकससत किन औि लगिक परकत नत क वयवहाि सहहत, उन वयवहािो म उलझान की सभावना को कम किन म मदद कििा जो सभवतः दसिो क सलए हाननकािक या आरिामक ह। हालाकक, यह जानना महतवपणता ह कक अगिकति ववकलाि बचच सवय की िका किन म सकम नही हो सकत ह- तो सबस महतवपणता य ह कक बचचो को अनगचत वयवहाि रिपोटता किन क सलए सशकत बनाया जाए।

परशन iii .....................................................................................

सीसमत अरतापणता सचार वाल बचच को ननजी सरका सशका क बार म जानकारी दन क सलए सबस अचछा तरीका कया ह?ववकलािता क साथ िहन वाल बचच, सचाि क सलए भाषा क ववसभनन सतिो का उपयोि कित ह। इसम बोलना, इशाि औि सचाि क ववकलप या आिम रप (धवनन उपकिण, टाइवपि, इशाि, गचरि, आहद) भी शासमल ह। शिीि क ववसभनन भािो को हदखान क सलए बचचो को सचाि तिीको क सयोजन क साथ-साथ इशाि ससखाए जा सकत ह। सीसमत अथतापणता सचाि वाल बचचो क सलए य िणनीनतया सहायक हो सकती ह।

बचच क माता-वपता औि सशकक को खद क सलए औि बचच क साथ, शौच औि बचच क दननक जीवन की अनय िनतववगियो क सलए आवयक मदद क उगचत सति क बाि म बननयादी सिका ननयमो की समीका किनी चाहहए। अिि शिीि क अिो क सलए शबदो औि इशािो औि साथ ही ककस सति की मदद की िरित ह, की समीका की जाए तो सभव ह कक सजानातमक ववकलािता क साथ, सीसमत अथतापणता सचाि वाला बचचा, एक अनगचत सपशता क होन पि सकत कि सकता ह या «बता» सकता ह। बचच की वयिकतित सशका योजना म कम स कम एक सिका लकय होना चाहहए।

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27 | बाल लगिक शोषण क साथ कायता किना

बाल लगिक शोषण क सार कायता करना: जािरकता पदा करना और रोकराम की हदशा म कायता करना

परशन i .....................................................................................

यह दखत हए कक बाल लगिक शोषण क बार म बात करन म चारो ओर परशानी ह तो आप जािरकता लान क सलए कया करि?सशका कजी ह औि यह ववकासातमक रप स ककया जाना चाहहए, छोट चिणो म। बचचो क माता-वपता औि सशकको औि अनय परासगिक हहतिािको

क बीच आवयक जान, दिटकोण औि कौशल को सवदनशील, समगथतात औि ववकससत किन क परयास ककए जा िह ह िजसस उनह बचच क चािो ओि एक सिका औि समथतान जाल बनान म मदद समल। इन हहतिािको को इससलए सबोगित ककया िया ह ताकक उनह समझ म आ सक कक बचचो को सिककत िखन म परतयक वयिकत को एक भसमका ननभानी होती ह। उदाहिण क सलए, माता-वपता को बताया जाता ह कक बचचो को सिककत िखन क सलए कस व, शिीि क ननजी अिो औि सिककत औि असिककत सपशता क मददो

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बाल लगिक शोषण क साथ कायता किना | 28

पि बचचो क साथ सचाि क चनलो को खोलकि एक महतवपणता भसमका ननभा सकत ह।

सिल कदम, जस बचच क शिीि क अनय भािो जस हाथ, पि औि चहि का परिचय किात समय उनक शिीि क ननजी अिो क नामो की सशका दना, शिीि क ननजी अिो क परनत तथयातमक दिटकोण का ववकास किन औि बचचो क लगिक शोषण होन क मामलो म व उसक बाि म आसानी औि सहजता स बात कि सक ि।

इसी तिह, बचचो को सपशता ननयम औि सिका कदम ससखाए:

ककसी को आपक शिीि क ननजी अिो को छन, दखन, या उसक बाि म बात किना कभी भी ठछीक नही ह ससवाय इसक कक वह आपको सवचछ औि सवसथ िखन क सलए हो। ककसी का आप स उनक शिीि क ननजी अिो को छन, दखना या बात किन क सलए कहना कभी भी ठछीक नही ह। ककसी क सपशता ननयम तोड जान क मामल म, 3 सिका कदम ह, ‘नही’ कह, भािो, औि ककसी स, िजस पि आप भिोसा कित ह उनस िरिी मदद लान क सलए कह।

इन सिल, आय उपयकत ननयमो क आिाि पि इन मामलो म बातचीत किक, औि यहद बचच बतात ह कक उनह छए जान की समसया ह तो माता-वपता को कया परनतकरिया किनी चाहहए, इसक बाि म सशकण द कि अपताण जािरकता औि अततः परिवततान लाना चाहता ह।

परशन ii .....................................................................................

आकडो म वदगि क बावजद, बाल लगिक शोषण की रोकराम क कायतारिमो की आउटरीच कािी सीसमत कयो ह?य कायतारिम अपन आउटिीच म सीसमत इससलए ह कयोकक इस हदशा म काम कि िह सिठन औि ससािन सीसमत ह। साथ ही साथ, बाल लगिक शोषण क मदद पि सवदनशीलता औि जािरकता की कमी औि इसक चािो ओि चपपी को दखत

हए सकल, वयिकतित सिका कौशल स सबगित «जीवन कौशल» मॉडयल को खलकि नही अपनात ह। एक अनय महतवपणता चनौती ह कक सभी माता वपता इस कायतारिम का समथतान नही कित कयोकक उनह लिता ह कक शिीि क ननजी अिो औि ननजी सिका क बाि म कोई जानकािी दन स बचचो की माससमयत चली जाएिी। अनय माता वपता सोचत ह कक इस मदद क बाि म कवल माता-वपता को अपन बचचो को ससखाना चाहहए, लककन किि भी अगिकति माता वपता, कामकता औि सकस औि कामकता क आसपास सिका क बाि म अपन बचचो क साथ बात किन म शसमिदिी महसस कित ह या कस बातचीत कि इसक बाि म उनह पता नही ह।

नोट: वयिकतित सिका सशका कायतारिमो क बाि म अगिक जानकािी क सलए कत पया वयिकतित सिका सशका पि अनभाि दख। आप औि अगिक जानकािी अपताण की वयिकतित सिका वकता बक औि मिी छोटी सी शिीि बक म परापत कि सकत ह। कत पया वबसाइट www.arpan.org.in औि दसतावि क अत म उललखखत अनय ससािनो पि जाए।

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29 | वयिकतित सिका सशका क बाि म जानकािी

वयिकतित सरका सशका क बार म जानकारी

परशन i.....................................................................................

वयिकतित सरका सशका कया ह? इस कौन परदान कर सकता ह?वयिकतित सिका सशका, बचचो को यह ससखान पि क हदत ह कक व खास ह औि उनक पास एक अदभत शिीि ह। वयिकतित सिका जानकािी दती ह कक बचचो को सिककत होन औि महसस किन की जरित ह (जस हमाि शिीि क ननजी अिो को जानना औि असली मदद ककसस समलिी यह

10जानना), उस जानकािी को सभालन क सलए कौशल (जस मखिता), औि अत म जानकािी क आिाि पि कौशल का अभयास किन क सलए आतमवववास महसस किन क सलए आतम सममान का ननमाताण किना। हम सबको सिककत औि सिककत िहन का अगिकाि ह। सिल रप म, वयिकतित सिका का ननमाताण सपशता ननयम औि ननयम का पालन किन क सलए सिका कदमो पि ककया िया ह।

ककसी का आपक शिीि क ननजी अिो को छना, दखना, या उसक बाि म बात किना कभी भी ठछीक नही ह ससवाय इसक कक वह आपको सवचछ

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वयिकतित सिका सशका क बाि म जानकािी | 30

औि सवसथ िखन क सलए हो। ककसी का आप स उनक शिीि क ननजी अिो को छन, दखन या बात किन क सलए कहना कभी भी ठछीक नही ह। ककसी क सपशता ननयम तोड जान क मामल म, 3 सिका कदम ह, ‘नही’ कह, भािो, औि ककसी स, िजस पि आप भिोसा कित ह, िरिी मदद लान क सलए कह।

एक असभभावक क रप म, अपन बचचो की वयिकतित सिका म आपका हहससा, अपन पयाताविण क बाि म जािरक िहना, अपन बचचो को कस सन, औि अिि बचच कभी असिककत महसस कि तो कस जवाब द, यह जानना ह।

वयिकतित सिका सशका, बचचो को सिककत िखन क बाि म उनक मलयो, दिटकोण औि अगिकािो क बाि म सदव चाल िहन वाली बातचीत ह। बचचो क माता-वपता / दखभाल किन वाल उनक सबस अचछ सशकक औि साथी ह औि बचचो को वयिकतित सिका सशका परदान किन क सलए सबस अगिक अनकल ह। हालाकक, यह दखत हए कक सभी माता-वपता इस मदद पि सदश दन म सहज नही होत औि सशकको की बडी सखया म बचचो तक पहच होती ह, सकल भी वयिकतित सिका सशका द सकता ह। अपताण सकलो म वयिकतित सिका सशका कायतारिम आयोिजत किता ह औि उनक «जीवन कौशल» कायतारिम म मॉडयल को शासमल किन क सलए सशकको / सलाहकािो को भी परसशककत किता ह।

परशन ii .....................................................................................

वयिकतित सरका सशका कया ह? इस कौन परदान कर सकता ह?हम सब अपन निरिए औि समझन की कमता क आिाि पि सीखत ह जो बहत कछ हमािी उमर पि ननभताि किता ह। नीच हम आप क सलए बचचो क सामानय मनोवजाननक लगिक ववकास क मापदि की रपिखा द िह ह।

क) जनम स 2 वषता तक: बचच कम उमर स ही अपन शिीि क बाि म उतसक होत ह। तीन

स पाच महीन तक क सशश भी अपन ननजी अिो को छना शर कि दत ह। य सामानय औि पराकत नतक ह कयोकक इन सपशशो स बचचो को अचछा लिता ह। बचच इसस, वयसको क समान, अनभनत औि लगिक सख परापत नही कित। हालाकक, यहद बचचा पिी तिह स शिीि क ननजी अिो को छन म वयसत िहता ह औि यह अनय िनतववगियो क साथ सतसलत नही ह तो इसकी जाच की जानी चाहहए। लिभि 2 साल की उमर म, बचचो म परष औि महहला होन क सलि की पहचान का ववकास होना शर हो जाता ह। यह समझ शिीि क ननजी अिो म मतभद की पहचान क साथ शर होती ह लककन जस जस बचच बढत ह यह इसस अगिक होता जाता ह।

ख) 2-5 वषता की उमर: इस सति पि बचच एक दसि क शिीि क परनत उतसक हो जात ह। अपन शिीि क साथ उनकी खोज भी जािी िहती ह औि बचच वसरिहीन िहना पसद कि सकत ह। इस उमर म बचचो म थोडा सकोच होता ह। य मनोवजाननक लगिक ववकास स सबगित सामानय वयवहाि ह। इसक साथ बचच समझत नही ह, अनय बचचो को छत ह या अपनी उमर स पि लगिक जान/वयवहाि कित ह। माता-वपता/ दखभाल किन वाल बचचो स ववसमय, रिोि या शमता/शसमिदिी क तबना जवाब द।

ि) 6-10 वषता की उमर: इन वषशो म बचच जववक औि सामािजक दोनो रप स लडका औि लडकी होन की अपनी समझ को बढात ह। बचचो म अपन शिीि क परनत सकोच औि शमता का ववकास होता ह, व वसरिहीन नही घमत ह या छपकि नहात ह। उनक इस सति क अत तक, लडको औि लडककयो दोनो म पवता लसमि ववकास क लकण हदखाई द सकत ह। यहद बचचो को इस मामल म पयातापत जानकािी नही दी जाती ह तो बचच शसमिदिी महसस कि सकत ह/जववक परिवततान को नही सभाल पात औि कई अकसि वविोिाभासी सदशो स उलझन महसस कित ह जो उनह ववसभनन सोतो स परापत होत ह। इस सति पि बचचो म शिीि क ननजी अिो की समझ ववकससत होती ह औि सावताजननक रप स व उगचत वयवहाि

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31 | वयिकतित सिका सशका क बाि म जानकािी

किन लित ह। कछ बचचो म, 8 या 9 साल की उमर म यौवन आ जाता ह।

घ) 11-18 वषता की उमर: आमतौि पि इस उमर म बचचो क यौवन औि मनोवजाननक लगिक का पणता ववकास हो जाता ह। यौवन बचपन औि वयसकता क बीच का समय ह जब लडककया औि लडक शािीरिक औि लगिक रप स परिपकव हो जात ह। यह वह सति ह जब एक लडकी एक औित बनती ह औि एक लडका एक आदमी बनता ह। जब एक लडका या लडकी का शिीि तयाि होता ह तो यौवन शर होता ह औि हि कोई अपनी िनत स बढता ह। आमतौि पि, लडको की अपका लडककयो म यौवन जलदी शर होता ह। लडककयो म यौवन की औसत उमर 12 साल ह। हालाकक यह 8-16 साल क बीच कभी भी शर हो सकती ह। लडको म यौवन की शरआत 9 औि 14 वषता क बीच होती ह। यौवन को परिवततान स जाना जाता ह कयोकक लडको म चहि क बाल, शिीि क बाल जसी दववतीयक लिक ववशषताए हदखाई दन लिती ह वही लडककयो म सतनो का आकाि बढता ह औि दोनो क जघन बालो म बढोतिी होती ह। इस सति पि ही लडककयो म माससक िमता शर होता ह औि लडक आवाि म परिवततान का अनभव कित ह। लडको म िातरि उतसजतान, सामानयतः सवपनदोष होन की सभावना भी होती ह। जसा कक पहल बताया िया कक पयातापत जानकािी औि समझ न होन पि, यह बचचो क सलए चनौतीपणता हो जाता ह कयोकक व शािीरिक परिवततानो को समझ नही पात औि शसमिदा होत ह। माता-वपता/दखभाल किन वाल यहद बचपन स इस सबि म उगचत बातचीत नही कित ह तो यह उनक सलए यह चनौतीपणता हो सकता ह। ऐस मामलो (Cases) म, माता-वपता अपन बचचो क सवालो, आशकाओ औि भरम क सलए वयावसानयको स मदद ल सकत ह।

परशन iii.....................................................................................

माता-वपता कया कर सकत ह?क) 18 महीन - 3 साल: बचचो को शिीि क सभी ननजी अिो क उगचत नाम बताए (जस लडको क सलए सलि, अिकोष, कलह औि िदा, लडककयो क सलए योनन, छाती, ननतब, िदा) जबकक आप हाथ, पि जस शिीि क अिो क बाि म बतात ह।

ख) 3-5 साल: अपन बचच को ससखाए कक जानघया/तबकनी स ढक शिीि क भाि उनक ननजी अि होत ह। बचचो को उनक ननजी अिो को सिककत िखन क ननयमो क बाि म ससखाए।

ननयम 1: ससवाय उनह साफ व सवसथ िखन क, ककसी क दवािा मि शिीि क ननजी अिो को छना, दखना या बात किना ठछीक नही ह। इसक अलावा, ककसी को मि शिीि क ननजी अिो को छन, दखन या उनक बाि म बात किन क सलए पछना भी गलत ह।

ननयम 2: यहद कोई इस ननयम को तोडन की कोसशश किता ह, तो म ‘‘नही’’ कह सकता ह औि भाि/दि जा सकता ह। यह ननयम बचचो म उनकी भावना क परनत जािरकता का ननमाताण किन म मदद कििा औि भावनाओ क माधयम स उनह सिककत औि असिककत िसथनत की पहचान किन म मदद समलिी। बचच क चािो ओि एक सहयोि परणाली का ननमाताण किना भी महतवपणता ह ताकक बचचा एक वयसक तक पहच सक औि मदद परापत कि सक।

ननयम 3: ककसी को बताना औि कहना जब तक मझ िरित अनसाि मदद समल।

ि) 5-8 साल की उमर: वयिकतित सिका पि बातचीत जािी िख िजसक बाि म पहल बताया जा चका ह। घि औि बाहि दोनो जिह सिककत औि असिककत िसथनतयो क उदाहिण द। एक ववशष िसथनत औि उगचत काितावाई किन को समझान क सलए बचचो क साथ ‘कया कि यहद’ खल खल। (उदाहिण क सलए, कया कि, अिि समठाई बचन वाला एक आदमी आपको अपन

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वयिकतित सिका सशका क बाि म जानकािी | 32

साथ कही ल जाना चाहता ह औि इस िपत िखता ह, आपको कया किना चाहहए?) बचचो को समझाए कक एक परिगचत वयिकत भी असिककत िसथनत पदा कि सकता ह। घि स दि सशकको औि अनय दखभाल किन वाल लोिो को उनकी सहयोि परणाली म शासमल कि।

घ) 8-12 साल: वयिकतित सिका का सदश दोहिाए। ‘‘ननयमो’’ क बजाय वयिकतित सिका ‘‘हदशा-ननददशो’’ क बाि म बातचीत कि। ‘‘कया कि’’ औि ‘‘कया न कि’’ पि उपदश दनक बजाय बचचो क साथ ढि स बात कि। उनक सदभता स सबगित उदाहिण औि िसथनतया पदा कि। सहयोिी क छन, बदमाशी औि सव-शोषण की उनकी गचताओ को समझ।

ि) 12-18 साल: बातचीत औि सचाि बढाए िजसम आप वयिकतित सीमाओ, लगिक शोषण औि सिका क बाि म उनक सवालो आशकाओ का जवाब द सकत ह। बचच को भावनातमक औि शािीरिक परिवततान क सलए तयाि कि ताकक बचचा यौवन को समझ सक। बचच की भावनाओ को सवीकाि कि। बचच को साथी का दबाव हिल किन औि अपनी पहचान खोजन म सहयोि कि। बचचो को बतान की बजाय उनकी बात सन।

परशन iv.....................................................................................

शरीर क ननजी अिो क नामो क बार म बताना कयो महतवपणता ह?हम अकसि बचचो को शिीि क ननजी अिो क गचककतसीय नाम नही बतात। शिीि क ननजी अिो को लबल किन क सलए अलि-अलि नामो का उपयोि किना परिवािो म आम ह। अकसि परिवाि हमाि शिीि क इन भािो क बाि म बात किन पि भी बचचो को सिा दत ह। इसक कई सभव नकािातमक परभाव होत ह: 1) यह हमाि शिीि क ननजी अिो क बाि म शमता की भावना पदा किता ह, 2) यह शिीि क ननजी अिो क सबि म ककसी समसया पि मदद लन क सलए बचचो को हतोतसाहहत किता ह औि 3)

यह समसया क परनत माता-वपता की समझ म अविोि उतपनन किता ह कयोकक बचच बातचीत नही कि सकत कक कया हआ।

उदाहिण क सलए, एक मा अपनी बटी को ससखाती ह कक कोई उसक “िल” को कभी न छए। बटी औि मा दोनो को पता ह कक िल उसक शिीि क ननजी अिो को दशाताता ह। लककन एक हदन, जब मा बहत वयसत ह जस कक मा अकसि होती ह, बटी भािी आती ह औि बताती ह कक ककसी न उसक िल को नकसान पहचाया ह। वयसत मा कवल िल शबद सनती ह, औि इससलए बटी स कहती ह जाओ औि दसिा ल आओ। अिि बटी योनन या ससिता शिीि क ननजी अिो का इसतमाल किती, तो मा सभावना ह कक वह अपना काम छोडकि बटी की बात सनती औि उसकी मदद किती।

परशन v.....................................................................................

CBSE/ICSE पाठयरिम म ववजान क पाठो म वयापक और ववसतत तरीक स शरीर क ननजी अिो क बार म बात की िई ह। तो किर हम कयो अपन बचचो को वयिकतित सरका सशका PSE कायतारिम क बार म बतान की जररत ह?ववजान पाठो म कवल जववक जानकािी दी िई ह औि यह कवल उचच रिि म बचचो को पढाया जाता ह। PSE कायतारिम, कौशल ससखाता ह, सवय की िका क सलए आवयक आतम सममान को बढाता ह औि सहयोि परणाली ववकससत किता ह। PSE तीन साल की उमर स बचचो को पढाया जा सकता ह औि ववजान क जहटलतओ को शासमल किन की आवयकता नही ह िजस सकल म बड ववदयागथतायो को ससखाया जाएिा। पीएसई कायतारिम एक ‘‘जीवन कौशल’’ मॉडयल ह जो बचचो को न कवल आय अनकल पयातापत जानकािी परदान किता ह, बिलक अपन शिीि क

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33 | वयिकतित सिका सशका क बाि म जानकािी

परनत सहानभनत, सव-महतव औि सवासमतव की भावना भी जाितत किता ह। महतवपणता रप स, PSE मॉडयल म सीखन की परकरिया म बचच क सिकक भी शासमल होत ह। PSE पाठो क दौिान बचचो को कायता हदया जाता ह िजसस माता-वपता को इसका हहससा बनन क सलए परोतसाहहत ककया जाता ह। कायता इस तिह स हदए जात ह कक व बचचो क परनो, आशकाओ, भरम औि ववचािो का उतिि द औि आवयकता पडन पि मदद लन क सलए परोतसाहहत कि सक । बचचो औि असभभावको क बीच बातचीत की यह परकरिया समसयाओ क बाि म बचचो को असभभावक स सहजसािन परदान किती ह ।

परशन vi.....................................................................................

जब बचचो को वयिकतित सरका क बार म बताया जाता ह तो कया व सरककत सपशता का भी ववरोि करि?वयिकतित सिका सशका सिककत सपशता क साथ-साथ असिककत सपशता क भी बहत स उदाहिण दती ह ताकक व दोनो क बीच अति कि सक । इसक अलावा वह इस पि भी िोि दती ह कक सिककत रप स छना सही होता ह औि न कवल बचच चाहत ह बिलक आवयकता भी होती ह। सपशता क बाि म बचचो को ससखान स नई सीख शबदो का परयोि किन औि कछ िसथनतयो को समझन म मदद समलती ह। लककन माता-वपता/दखभाल किन वालो को बचचो क साथ ियता िखना चाहहए औि उनक साथ बातचीत म शासमल होन क अवसि क रप म इसका परयोि किना चाहहए। समय क साथ यह गचता कम होिी। वयिकतित सिका सशका कायतारिम क सशकक/परसशकको को भी इन बचचो स बात किनी चाहहए औि बताए कक उनह सभी परकाि क छन स ििन की जरित नही ह औि वववास हदलाए कक आवयकता पडन पि व आवयक जान औि कौशल स सशकत ह।

परशन vii.....................................................................................

ककस परकार बचच वयिकतित सरका सशका ककाओ म दी िई ववसभनन सतरो की जानकारी को परापत कर सकत ह? वयिकतित सिका सशका म ववसभनन तिीको का उपयोि ककया जाता ह औि मखय रप स एक वयाखयान आिारित मॉडयल नही ह। परतयक मॉडयल उमर क अनसाि ह औि ववसभनन ववकासीय सतिो क सलए बनाया िया ह। वयिकतित सिका पाठो म िीत, कठपतली शो, भसमका ननभान औि कायतापरिको जस ववसभनन िनतववगियो का उपयोि होता ह। यह मॉडयल इटििकटव बनाता ह औि बचचो को दी िई जानकािी की परकरिया औि कौशलो का परयोि किन क अवसि दता ह।

पाठ पि हो जान क बाद, अपताण परियोजना का एक महतवपणता ततव एक-एक कि बचचो क सदह, भरम की िसथनत सपट किन क सलए उनक साथ सशकको का समलना ह औि महतवपणता सदश को दोहिाना ह। होमवकता शीट क मलयाकन क साथ-साथ य बातचीत बचचो की समझ क सति तक पहचन म परसशकको की मदद किती ह। परसशकक बचचो को सकल/बाहिी पिमशाताताओ(Counsellors) की ववशष आवयकता की सलाह द सकता ह। सदश को बनाए िखन क सलए बचचो क सलए महतवपणता ह कक सकल हि साल पीएसई मॉडयल पढाए औि माता-वपता भी ननयसमत अतिाल पि बचचो क साथ इस सदश को दोहिाए।

परशन viii.....................................................................................

ववशष जररत वाल बचचो को कस हम वयिकतित सरका ससखात ह?‘‘ववशष’’ या ‘‘ननःशकत’’ या ‘‘ववकलाि’’ या ‘‘चनौतीपणता’’ कई अलि-अलि रप ह। परतयक

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वयिकतित सिका सशका क बाि म जानकािी | 34

समह की अपनी अदववतीय िरित औि कमिोरिया ह। सामानय तौि पि, मानससक/शािीरिक रप स ववकलाि बचच अगिक लगिक शोषण का सशकाि बनत ह, कयोकक उनह वयसको (जो सभाववत अपिािी हो सकत ह) क दवािा अगिक दखभाल की िरित होती ह। सभी बचचो को सवय को सिककत िखन क सलए समान जानकािी की िरित ह। लककन ववशष आवयकता वाल बचचो क सलए, सामरिी क कछ पहलओ औि सािनो की िरित होती ह िजसम उनकी ववसशट चनौनतयो क आिाि पि अलि जानकािी परदान की जाए।

बचचो को सशकत बनान क साथ-साथ, माता-वपता औि दखभाल किन वालो को सशककत औि सशकत होना भी महतवपणता ह कयोकक ननःशकत बचच कछ िसथनतयो म सवय की िका किन म असकम हो सकत ह। इसका उददय सहयोि को मिबत औि ववसताि किना व औि बचचो व उनकी दखभाल किन वालो क बीच सचाि म सिाि किना ह।

उदाहिण क सलए, सनन म असमथता बचचो क मामल म, शािीरिक सपकता क माधयम स सवाद किन की िरित कभी कभी उनह अगिक जोखखम म िाल सकती ह। वयिकतित सिका पढात समय, हम दय सािनो क माधयम स अपना सदश उनह दत ह औि ववसशट िसथनतयो पि धयान दत ह जो उनह अगिक/अलि तिह स असिककत बनाती ह। इसी तिह, वहीलचयि पि घमन वाल बचचो क सलए, मदद परापत किन क सभनन तिीको पि धयान हदया जाता ह कयोकक हमशा शािीरिक रप स असिककत िसथनत स दि जा पाना उनक सलए सभव नही हो सकता ह। ननःशकत बचचो को यह बताना महतवपणता ह कक उनका शिीि ककतना अदभत अदववतीय औि ववशष ह कयोकक समाज अकसि उनह अनयथा लता ह! कत पया ‘ववकलािता क साथ जीन वाल बचचो’ का भाि दख।

परशन ix.....................................................................................

बचच अपनी रहन-सहन की िसरनत की वजह स आमतौर पर वयसको क बीच लगिक करिया को दखत ह अरवा लगिक वयवहार परकट करन वाल िसरनत और सदशो को दखत ह। उनस वयिकतित सरका क बार म बात करना ककतना वयावहाररक ह?

बचच को अपना वाताविण समझन की िरित ह। तनाव औि सभव अनगचत लगिक वयवहाि पदा होना समझ की कमी का नतीजा ह। इससलए, वयिकतित सिका सशका की शरआत स पहल, परसशकको को बचचो की पत ठभसम औि उनका वासतववक िहन-सहन को साविानीपवताक समझन की िरित ह। यह बचच क सदभता को समझन औि उगचत व अनगचत वयवहाि म उगचत सदश दन म हमािी मदद किता ह। इस सदभता म माता-वपता/दखभाल किन वालो औि बचचो क साथ िसथनत का पता लिाना महतवपणता ह ताकक माता-वपता िोपनीयता बनाए िखन क सलए अनतरिकत परयास कि सक , बचचो को भी यह समझाना चाहहए कक वयसको क सलए अनय वयसको क साथ ववशष तिीक स (लगिक सबि) अपनी भावनाओ को वयकत किना सामानय ह। लगिक वयवहाि का ननिीकण किन वाल बचच अकसि भरसमत होत ह औि जो दखत ह उसक अनसाि लगिक करिया कित ह। वयिकतित सिका बचचो को व कया दखत ह, क सलए आय अनकल सदभता परदान किती ह, बहति तिीक स उनक सवालो का जबाव दन क अवसि दती ह औि उमर क अनसाि वयवहाि परदान किती ह। यह माता-वपता को एक सभाववत शमतानाक िसथनत म सहयोि किती ह।

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35 | वयिकतित सिका सशका क बाि म जानकािी

परन X.....................................................................................

कया बचच वयिकतित सरका ककाओ म परापत जानकारी और सीख िए कौशलो को वासतववक जीवन म असरककत पररिसरनत का सामना करन पर परयोि करन म सकम होि?हा। हमाि अनभव क अनसाि, बचचो न बताया ह कक वयिकतित सिका सशका ककाओ क बाद शोषण होन पि व दढता क साथ ‘नही कहन, िसथनत स दि जान औि वववसनीय वयसको स मदद लन म सकम हो पाए ह। अनय दशो क शोि पि सहयोि िजसम वयिकतित सिका सीखन वाल बचच अपिाि किन स बचत ह औि ककसी भी रप म सहायता लन वालो बचचो की सखया बढती ह। इस सवाल पि भाित म अभी भी शोि हो िह ह, लककन हम आवसत लि िह ह।

वयिकतित सिका सशका एक जीवन कौशल मॉडयल ह। जीवन कौशल िोिमिाता की ििदिी की मािो औि चनौनतयो स ननपटन क सलए अनकल औि सकािातमक वयवहाि म बचचो को सशकत बनाता ह। लककन बचचो को सिककत िखन क सलए वयसको स बचचो तक को सशकत बनाया जाना चाहहए।

जीवन कौशल मॉडयल क रप म, PSE बचचो को ननणताय लन, िहिाई औि िचनातमक सोच, परभावी ढि स सचाि औि सिककत व सवसथ सबिो औि वयवहाि की पहचान किन म सशकत किता ह। जानकािी औि कौशल ननमाताण आय उपयकत ह औि अभयास सरि अभयास परकरियाओ दवािा समगथतात ह। य सननिचत किन का परयास ह कक बचच न कवल वयिकतित सिका क बाि म सीख िह बिलक इन कौशलो का परयोि किन म भी सकम ह यहद व ककसी असिककत िसथनतयो का सामना कित ह।

बचच इन जान औि कौशल का उपयोि कि वासतववक जीवन की िसथनतयो का सामना बहति

ढि स कित ह, यहद इन सदशो को दोहिाया जाता ह औि दखभाल किन वालो दवािा समान कौशल म उनह परखि ककया जाता ह। जब एक बड वयिकत या िजनस व पयाि, वववास, िि या सममान कित ह, दवािा शोषण ककया जाता ह तो अकसि बचच को लिता ह कक शोवषत होन क अलावा उनक पास कोई ववकलप नही ह। आखखिकाि बचचो को सवाल ककए तबना सममान औि पालन किना ससखाया जाता ह। इसक अलावा, कई बचचो वयिकतित सिका ककाओ म सीखन का आतमवववास औि आतमसममान नही होता ह। PSE म, हम कछ मददो को हल कित ह। हम उनह समझन म मदद कित ह कक व अदववतीय औि ववशष वयिकत ह जो सवय अपनी सिका कि सकत ह औि उनक पास सिककत किन का अगिकाि ह। हम ननिति इस तथय पि िोि दत ह अिि कोई छन का ननयम तोडता ह, इसम बचच की गलती कभी नही होती ह।

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वयिकतित सिका सशका क बाि म जानकािी | 36

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37 | बाल लगिक शोषण क मामलो म हसतकप

11परन i.....................................................................................

यहद म ककसी ऐस बचच क सपकता म आता ह जो लगिक शोषण का सशकार हआ ह तो मझ कया करना चाहहए?वयसक क रप म, यह बहत महतवपणता ह कक आप बचच को एक सिककत वाताविण म ल जाए िजसम व बता सक कक कया हआ ह।

क) जो हआ उसक बाि म बात किन क सलए बचच को परोतसाहहत कि, लककन जो नही हआ, उसक बाि म बातचीत न किन क परनत साविान िह - अकसि बचच वयसक को खश किना चाहत ह औि वयसक क कहन पि कछ भी किन का तयाि हो जात ह। बचच को परोतसाहहत किन क सलए एक अचछा तिीका एक सकरिय शोता होना ह, बचच या शोषणकताता या कया हआ क बाि म कोई ननणताय न कि। ‘‘कयो’’ जस शबदो की बजाय ‘‘आि कया हआ?’’ जस परन

बाल लगिक शोषण क मामलो म हसतकप

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बाल लगिक शोषण क मामलो म हसतकप | 38

पछना कम ननणातायक होत ह।

ख) शात िह। भावनातमक होन स बच जो जानकािी साझा किन म बचच को परभाववत कि सकता ह जस िससा (बचचा महसस कि सकता ह कक आप उस पि िससा हो िह ह) या उदासी (बचचा मकि सकता ह कयोकक वह आपको अपन कािण दखी नही किना चाहता।)

ि) कत पया बचच को कहानी दोहिान क सलए मिबि न कि या इस तिीक स पछताछ न कि कक बचच क सलए िमकी बन जाए या बचच को बाि बाि शोवषत महसस कि|

घ) बचच को सननिचत कि कक “आप बहादि ह”। उनह बताए की आप मदद किन की कोसशश किि। सहायता किन की परकरिया म बचच को भी शासमल कि। आि आप कया किि औि कस आप बचच को शासमल किियह बचच की उमर पि ननभताि कििा। उदाहिण क सलए, एक बड बचच क साथ आप उनह ककस औि कस बतान क अगिक ववकलप द सकत ह लककन यवा बचचो क सलए ववकलप कम होि औि आमतौि पि सबस पहल िि-दोषी (non-offending) माता-वपता को शासमल कि।

ई) हो िह शोषण क मामल म, बचच की सिका सवनोपरि ह तो पहला कदम शोषण को तित िोकना होता ह। ऐसी िसथनत म आपको बचच क माता-वपता/सशकक/दखभाल किन वालो को शासमल किन की आवयकता हो सकती ह। इसका मतलब यह भी हो सकता ह, अिि शोषणकािीवपता न घि नही छोडा औि मा न बचच का समथतान नही ककया, तो बचच को घि क बाहि एक सिककत सथान पि िखन की आवयकता होिी। (अगिमानतः एक रितदाि या अनतम उपाय एक ससथा ह)।

च) कत पया बचच क साथ ईमानदाि िह औि बचच को बताए कक आप अपनी बात को िोपनीय िखि औि कवल उन लोिो को बताएि िजनकी आपको सिककत िखन क सलए आवयकता होिी।

छ) बचच को आवसत कि कक उसन कछ भी गलत नही ककया ह। बचच न बतान क सलए आपको चना ह िजसका मतलब हो सकता ह कक वह सवदनशील ववषय पि आपस बात किन म सहज महसस किता ह। इस धयान म िखत हए, बचच स पछ कक कया व बतान की परकरिया को जािी िखना चाहत ह जस उसस आि की बात कि।

ज) बचच की सहायता क सलए एक पिामशतादाता (Counsellor) को शासमल कित हए उसक सलए सहायता माि, लककन ऐसा कवल शरआती बातचीत क बाद ही ककया जाए। मदद लन क सलए बचच स बात किना न छोड। बचच स जान कक अिला कदम कया ह औि इन कदमो क सलए उनह तयाि कि। जहा तक सभव हो उनकी भािीदािी महतवपणता ह।

झ) अिि बचच का लगिक शोषण हआ ह तो बचच क सलए एक गचककतसा जाच का परबि कि। एक गचककतसा का चयन कि िजस बचचो की जाच, लगिक औि शािीरिक आघात की पहचान किन का अनभव हो।

ट) अिि बचचा/परिवाि पराथसमकी दजता किना चाहता ह, तो कत पया एक अनभवी काननी ववशषज स काननी सहायता ल।

ठ) यह हमशा धयान िखना महतवपणता ह कक उपचाि औि नयाय की पिी परकरिया म बचच क हहतो औि जजरितो पराथसमकता दी जानी चाहहए।

परन ii .....................................................................................

सि-सबिी दवारा लगिक शोषण क मामल म कोई वयिकत, जो कक उस पररवार का सदसय नही ह, कस और ककतना हसतकप कर सकता ह?अनाचाि क मामल म, एक परिवाि क िि-सदसय दवािा हसतकप ननमन तिीको स ककया

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39 | बाल लगिक शोषण क मामलो म हसतकप

जा सकता ह:

क) आप िि शोषणकािीपरिवाि क सदसय क साथ सपकता म िह सकत ह औि उस वववास म ला सकत ह। आपको याद िखना चाहहए कक ककसी क पनत या पतनी या वपरय वयिकत पि दोषी होन का सदह किना बहत मिकल ह। इससलए, आपको िि-दोषी परिवाि क सदसय क साथ समझ औि ियता स काम लना होिा। अगिकाश िि-दोषी (non-offending) माता-वपता/असभभावक बचच का समथतान किि साथ ही व समगथतात महसस कित ह।

ख) हो िह शोषण को िोकन क सलए आप बाल लगिक शोषण पि काम कि िह सिठन की मदद ल सकत ह औि बचच की सिका कि सकत ह। दश क ववसभनन भािो म काम कि िह कछ सिठन ह जो काननी मदद क सलए हलप लाइन स सवाए उपलबि किात ह, कत पया दसतावि क अत म दी िई सिठनो की सची दख।

ि) िि-परिवाि क सदसय इस परकरिया म बाल कलयाण ससमनत (CWC) को शासमल कि सकत ह। CWC को दखभाल औि सिकण की िरित पि बचचो स सबगित मामलो स ननपटन का एकमारि अगिकाि ह अथातात उपचाि, पनवातास क साथ बहाली औि सामािजक पनः एकीकिण।

हालाकक, एक बाि CWC शासमल हो जाती ह तो घि स बचच को कही ओि ल जान का ननणताय औि बचच को दखभाल औि सिका दन म परिवाि को ‘अयोगय’ घोवषत किन सहहत भावी कायतावाही का ननणताय किन का एकमारि अगिकाि CWC का हो जाता ह। अतः CWC स सपकता किन का ननणताय पयातापत वववचना क बाद ही ककया जाना चाहहए।

परशन iii.....................................................................................

म वयसको क अनगचत वयवहार को ककस परकार सभाल?ककसी वयिकत क बाि म ननणताय लन क बजाय वयवहाि क परनत परकरिया किना महतवपणता ह।

सभव परनतकरिया क सलए सपकता क 2 तबद ह:

क) अिि आप अनगचत वयवहाि की पहचान कित ह औि

ख) अिि बचचा आपको ककसी भी अनगचत वयवहाि क बाि म बताता ह।

यहद आप अनगचत वयवहाि को दखत ह िजसका वविोि (जस कोई एक ‘ववशष’ बचच का दोसत बचचो म चप िहन औि छपान क सलए परोतसाहहत किता ह, या ननजी उपहाि दता ह) या कोई लगिक बातचीत (जस, बचच क शिीि क भाि का मजाक बनाता ह, लगिक शबदो क साथ बचच का वणतान किता ह, या बचच क साथ कया उगचत ह क बाि म सपट नही ह) तो ऐस वयिकत स बात किना महतवपणता ह। वयिकत का सामना न कि, कवल वयवहाि का सामना कि। आपको वयवहाि क बाि म ववसशट होन की आवयकता ह, सामानय होन की नही।

उदाहिण क सलए, ‘‘म हमशा तमह यवा लडककयो का लगिक शोषण कित दखता ह’’ की बजाय ‘‘मन वपछल सोमवाि तमह मीना क ननतबो को छत दखा’’। वयिकत को बताए कक आप झठ आिोप स उस बचान की कोसशश कि िह ह, साथ ही शोषण स बचच को भी सिककत कि िह ह। असली सदश ह कक आपन उस वयिकत को दखा ह।

अिि एक बचचा आपको कछ बताता ह, तो इनही चिणो का पालन कि, लककन आप छन/वयवहाि क समय बचच की भावनाओ को भी जोड सकत ह।

हालाकक यह महतवपणता ह कक अिि वयवहाि शोषण की सीमा स ऊपि हो जाता ह, तो आपको ककसी वयिकत को सगचत किन की आवयकता ह जो इस समसया स ननपट सक।

12

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गचताए औि आशकाए | 40

12परशन i .....................................................................................

लगिक शोषण जस सवदनशील अविारणाओ क बार म माता-वपता कस बात कर सकत ह?असभवावक होना आसान काम नही ह। माता-वपता चनौनतया लत ह ताकक वह बचचो को अपनी पणता कमता का अहसास किा सकत ह औि उनह सिककत िख सकत ह|

उनकी सिका सननिचत किन क सलए

गचताए और आशकाए

बचचो स उनक वयिकतित सिका क बाि म बातचीत किना जरिी ह| इसस वह असिककत परििसथनतयो को समझ औि उसका ननयरिण िख सकत ह| माता-वपता का इस बाि म बात किन क सलए शसमिदा/असहज महसस किना सवाभाववक ह, इसका कािण इन मददो क परनत समाज का निरिया औि वातािण ह िजसम हम पलत-बढत ह। वयिकतित सिका सशका शसमिदिी स बचन औि बढती उमर क साथ बातचीत जािी िखन म मदद किन क सलए उगचत शबदावली बताती ह। उदाहिण क सलए, छन का ननयम (साफ व सवसथ िखन को छोडकि ककसी क दवािा आपक शिीि क ननजी अिो को छना,

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41 |

दखना, बात किना उगचत नही ह) सिल ह, मिि समरि हदशा-ननददश असिककत िसथनतयो की पहचान म बचचो की मदद कित ह, अजनबी दवािा अनपयकत रप स छना या अकल दवािा अलील साहहतय हदखाया जाना। वयिकतित सिका सशका क बाि म अगिक जानन क सलए, कत पया ‘वयिकतित सिका’ भाि दख।

अपन बचच क साथ बात किन की तयािी क सलए:

क) सवय ववषय का पता लिाए।

आवयक शबदावली क साथ सहज हो जाए। समझ कक कयो आप ननयमो या ववषय क साथ असहज महसस कि सकत ह। पहल अपन पनत या पतनी औि दोसतो क साथ शबदो का उपयोि किन का परयास कि। यहद आप असहज महसस कि िह ह, तो आपक बचच को पता चल जाएिा। यह जानत हए कक आप असहज महसस कि िह, बचच आपक साथ बात नही किि कयोकक व सवय स आपको बचान की कोसशश कि िह ह। एक अनय कािण यह हो सकता ह कक व शिीि क ननजी अिो की शबदावली का परयोि किन क दि स िि िह हो। मदद क सलए अनय ववकलप वबसाइट (अपताण की वबसाइट पि सचीबदि) जस परिवाि क बाहिी सोत हो सकत ह या बाल िोि ववशषजो/सरिीिोि ववशषजो/सलाहकािो स पशवि मदद ल।

ख) सीखन योगय कणो का परयोि कि। यही कािण ह कक समय लन स पहल कभी-कभी ववषय उठता ह। सीखन योगय कण व होत ह जब बचच सवाल पछत ह या िजस व जानत ह, को कछ होता ह। इन सीखन योगय कणो का अगिक स अगिक परयोि कि।

परशन ii.....................................................................................

कई बार छोट बचचो को उनक ननजी अिो को सपशता करत हए

दखा जाता ह, कया यह बाल लगिक शोषण का लकण ह अरवा यह ककसी वयिकत की लगिकता का पराकनतक परनततबब ह? परतयक कायता को उसस सबगित ढाच क अनसाि दखा जाना चाहहए। एक दखभालकताता क रप म, आपको इस परििसथनत क सलए परनतकरिया दन स पहल यह मालम होना चाहहए कक एक बचचा अपन शिीि क ननजी अिो को कयो, कस औि कब छ िहा ह। एक बचच का उसक ननजी अिो क सलए पराकत नतक रझान होना बाल लगिक शोषण का सचक नही ह। यह जानना महतवपणता ह कक बचच सवय को िजजासा स लकि धयान ना दना स लकि आिाम पान तक क सलए कई कािणो स छत ह। बचच अकसि ऐस लगिक वयवहाि म सलगन होत ह जो कक ववकास सबगित िजजासा पि आिारित होता ह। यह सामानय बात ह औि य बचच आम तौि पि रकन क सलए कहन पि ऐसा किना बद कि दत ह या किि व बड होन पि सवाभाववक रप स बद कि दत ह।

हालाकक, एक दखभालकताता क रप म यह महतवपणता ह कक आप तबना कठोि, शसमिदा हए या इस पि बहत जयादा धयान आकवषतात ककए तबना उस िसथनत क सलए परनतकरिया द।

उदाहिण क सलए, बचचो को वयिकतित सिका ननयम याद हदलाना पयातापत हो सकता ह। लककन जब बचचो का उनक शिीि क ननजी अिो को छना इस हद तक हो जाए कक यह उनकी अनय दननक िनतववगियो को परभाववत किना शर कि द, तब आपको इस तिह क वयवहाि क सलए कािणो का पता लिान क सलए आि जाच किन की िरित होती ह। ऐसा हो सकता ह कक उनहोन लगिक शोषण का अनभव ककया हो या किि हो सकता ह कक व बस सकस औि कामकता क बाि म भरसमत ह। ऐसी िसथनतयो म बचचो को निमी क साथ हिल ककया जाना चाहहए औि यहद यह अनगचत वयवहाि जािी िहता ह तो उनह गचककतसकीय सहायता क सलए ििि ककया जाना चाहहए।

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गचताए औि आशकाए | 42

परशन iii.....................................................................................

जब बचच एक-दसर क सार खलत ह तो हम उनकी िजजासा और अनवषण की परववति को ककस परकार सभाल? बचचो को उनक सवालो औि गचताओ का सममानजनक तिीक स जवाब परापत किन का अगिकाि ह। इसका अथता ह कक वयसको को पछ जान पि आय क अनसाि उपयकत जानकािी दना चाहहए औि उनक सवालो का जवाब िभीिता स दना चाहहए (जस कक, बचच की उसकी िजजासा क सवाल पि हसी नही उडाए)। अपन बचचो को सिककत िखन क सलए माता वपता औि बचच क बीच खल कि बात किना शायद सबस महतवपणता चीि ह।

िरिी ह कक माता-वपता औि सशकक इस तिीक स जानकािी द िजस बचचा आसानी स समझ सक। इस ननजी सिका सबक की शबदावली औि परसि इसम मदद कित ह: शिीि क ननजी अिो की शबदावली, सिल सिका ननयम, एव आय क अनसाि उपयकत सिल उदाहिणो का उपयोि। माता वपता अपन सलए इन पाठो का उपयोि कि सकत ह। छोट बचचो क सलए, आप अपन छोट बचच क साथ समलकि इस वयिकतित सिका वकता बक का उपयोि कि सकत ह।

असभभावको / सशकको क रप म हम औि अगिक सतकता औि सनही हो सकत ह, औि बचचो क कायशो क बाि म उनक साथ निमी स बात कि सकत ह। साथ साथ, बचचो को कछ ऐस िण सीखन चाहहए िजसस उनह अपनी औि साथ ही दसिो की भावनाओ को जानन, समझन औि उनका सममान किन म मदद समलिी।

बचच जब बड होत ह, तो व दोसतो क एक समह का हहससा िहना चाहत ह। सागथयो का दबाव अकसि असहज या खतिनाक भी हो जाता ह (डरगस, शिाब, सकस)। कई बाि बचच सागथयो की मििी पान क सलए असिककत िसथनतयो क सलए भी तयाि हो जात ह।

असभभावक अपन बचचो को सपोटता कि सकत

ह औि उनह इस बाि म आतमवववास हदला सकत ह कक यहद कोई उनह इस तिह स छता ह िजसस उनह, िससा आता ह, दख होता ह या उलझन महसस होती ह, या उनह महसस होता ह कक व एक असहज औि असिककत िसथनत म िस िए ह, तो उनह उस मना किन का अगिकाि ह। हालाकक, ककशोिो का ननयमो को तोडना सामानय बात ह कयोकक व नए ननयमो औि ििममदारियो को आिमाना चाहत ह। इसका मतलब ह कक बचच अकसि एक दसि क साथ लगिक सबिो म सलगन होन क सलए सहमत हो जात ह (इस परकाि छन क ननयम को तोड दत ह)।

माता-वपता क सलए िरिी ह कक व उगचत औि सकािातमक अनशासन क दवािा ककशोिो क सलए सीमाए बनाए औि उनह अपन अनभवो स समझन एव सीखन म मदद कि। इसक बजाय, अिि व बचचो को मािपीट किक या मौखखक रप स पिशान किना जािी िखत ह, तो वह बचचा माता वपता क समथतान स दि हो सकता ह औि अनगचत वयवहाि किना जािी िख सकता ह।

परशन iv.....................................................................................

जब बचच दघताटनावश माता-वपता को सभोि करत दख ल तो हम ऐस िसरनत म कया परनतकरिया दनी चाहहए?

यहद बचच गलती स माता वपता को सकस कित दख लत ह, तो यह लगिक शोषण नही ह। हालाकक, माता वपता को सकस कित समय एकातता का परयास किना चाहहए। िरिी ह कक इस मामल म बचचो क साथ बात की जाए औि एक खली सचाि शर की जाए। ककसी भी कीमत पि इस मामल को टाला नही जाना चाहहए औि बचचो स झठ नही बोला जाना चाहहए।

बचचो को उनकी उमर क अनसाि उगचत तथयातमक जानकािी दी जानी चाहहए नही तो उनह वविोिाभासी बात पता चलिी। सभाववत ह कक बचच को यह जानकािी अनय सोतो स समल

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43 | गचताए औि आशकाए

जो जयादाति मामलो म समथक या पॉननोरिाफी हो सकता ह। यहद बचचो न परािसभक वषशो स ही वयिकतित सिका सशका परापत की ह औि माता-वपता का अपन बचचो क साथ एक अचछा बातचीत का चनल ह, तो बचचो औि माता वपता दोनो क सलए इन िसथनतयो को सभालना आसान हो जाता ह।

परशन v.....................................................................................

जब बचच हमस पछत ह कक बचच कस पदा होत ह तो हम कस जवाब दना चाहहए?बचच िजजास होत ह औि बहत साि सवाल पछत ह; व बढ िह ह औि हि हदन कई नई बात उनक सामन आती ह। जब बचच सवाल पछ , तो हम उनह उनकी उमर क मतातबक उगचत तिीक स ईमानदािी स जवाब दना चाहहए। इन सवालो क जवाब दन क सलए कोई एक तिीका नही ह कयोकक हि बचचा अलि होता ह औि उनका चीिो को समझन का तिीका अलि हो सकता ह। इन समय म, िरिी ह कक बचच क साथ िससा नही कि या शसमिदा न हो (शसमिदिी हदखाए) या बचच को इस तिह क सवाल पछन स नही िोक या परन को अनदखा न कि। माता-वपता ऐस तिीको की मदद ल सकत ह जो उनह बचचो को एक उमर क अनसाि उगचत ढि स तथयातमक रप स जवाब दन म सहज महसस किन म मदद कि सकत ह। माता वपता को अिि उस समय उनक सवाल का जवाब पता नही ह तो व अपन बचचो यह बता सकत ह।

किि यह माता-वपता की ििममदािी हो जाती ह कक व इस सवाल का जवाब खोज औि बचच को बताए। माता-वपता को इसका उपयोि एक बहान क रप म या उस सवाल स बचन क सलए नही किना चाहहए औि न ही उनह बचच दवािा इस दसिी बाि पछन क सलए इतिाि किना चाहहए।

बचच को उगचत रप स सशककत किन क परयास म, माता वपता / असभभावको को उनकी असवविा को दि किन की िरित होती ह। यहद

आवयक हो, तो व ककसी परिवाि क िॉकटि / सरिी िोि ववशषज / बचचो क गचककतसक / पिामशतादाता(Counsellor) जस पशवि मदद ल सकत ह कयोकक व बचच को इसस सबगित जानकािी द सकत ह। हालाकक, बचच पदा होन स सबगित परनो पि परथम सलाह क सलए, वयिकतित सिका शबदावली मदद कि सकती ह।

परशन vi.....................................................................................

जब बचचा ऐस सवाल पछ कक जब माता-वपता म स कोई एक अपन कपड बदल रहा होता ह तो उनह कमर म कयो नही जान हदया जाता? उस समय माता-वपता म स दसरा अदर कयो जा सकता ह तो माता-वपता को ककस परकार जवाब दना चाहहए?

माता-वपता छोट बचचो को छन क ननयम की याद हदलाकि इसका जवाब द सकत ह। हालाकक, हो सकता ह कक बड बचच इस जवाब स सतट नही हो औि व जानत हो कक जब वपता कपड बदल िह ह तो मा को अदि जान की अनमनत या इसक ववपिीत कयो होती ह। सकस ननजी भािो स सबगित होता ह लककन साथ ही एकातता स भी सबगित ह।

सकस औि एकातता का सबि रितो क साथ होता ह औि अलि अलि रितो म लोि अलि तिह स वयवहाि कित ह। उदाहिण क सलए, आप एक दोसत का हाथ पकड सकत ह, अपन माता-वपता को िल लिा सकत ह, अपन पडोसी को मौखखक रप स बिाई द सकत ह, लककन दकानदाि को ससिता हाथ समलाकि बात कित ह। यही अति पनत-पतनी औि माता वपता क बीच सबि म ह। उदाहिण क सलए, उनका धयान सबिो म उन अतिो की तिि आकवषतात कि सकत ह जो माता-वपता का अपन बचचो को साथ होता ह औि जो उनका आपस म होता ह: “कया आपकी मा आपकी दखभाल किती ह? कया

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गचताए औि आशकाए | 44

वह उसी तिह स आपक दोसतो या पडोससयो की दखभाल किती ह?” िजस तिह स वह आपक वपता का खयाल िखती ह कया वह वही सब आपक सलए भी किती ह? कछ ऐसी चीि होती ह जो वह कवल आपक सलए किती ह औि कछ वह कवल आपक वपता क सलए, या परिवाि क अनय सदसयो क सलए ही किती ह। इसी तिह आपक वपता िजस तिह आप का खयाल िखत ह औि िजस तिह वह अनय लोिो का खयाल िखत ह वह अलि होता ह। आपक माता-वपता एक-दसि को अलि तिह स पयाि कित ह। इससलए हम सभी की अलि अलि लोिो क परनत ििममदारिया अलि अलि होती ह औि हम अलि ढि स उनक परनत हमाि पयाि का इजहाि कित ह। इसी तिह जब तम बड हो जाओि, तो तमह बहत सी ऐसी चीि किन की अनमनत होिी जो तम अभी नही कि सकत या अभी समझ नही सकत हो। आपक माता-वपता वयसक ह औि उनका एक दसि क साथ वयवहाि किन का औि एक दसि का खयाल िखन का तिीका अलि होता ह”

परशन vii.....................................................................................

कया म बचच दवारा इस ववषय को िभीरता स सलए जान क सलए समाचारो अरवा रिाइम पटोल, साविान इडिया जस कायतारिमो स उनको कहानी बता सकता/सकती ह? इस तिह की कहाननया साझा किन क सलए हमाि इिाद अचछ होत ह। हालाकक खबिो या शो म परदसशतात इन कहाननयो की सामरिी बचचो क सलए आय उपयकत नही होती ह। इस बचचो क सलए नही वयसक दशताको क सलए सलखा जाता ह। यह बचचो म भय पदा कि सकता ह औि उनम असिका की भावना को बढा सकता ह, इस परकाि उनह औि अगिक कमिोि बना सकता ह। सशकत बनान का अथता भय पदा किना नही ह। बिलक यह उमर क अनसाि उगचत जानकािी क दवािा सशका औि कौशल परदान किना ह ताकक बचच जािरक िह औि अपनी खद की सिका कि सक ।

परशन viii.....................................................................................

यहद बचचा माता-वपता स कछ नछपाता ह जस कक अपन पररणाम क बार म अरवा सकल की मीहटि क बार म, तो पहली परनतकरिया यह होती ह कक बचच पर गचललाया जाता ह अरवा उस मारा-पीटा जाता ह। ऐस पररिसरनत म इसक बजाय कया ककया जा सकता ह?

पिचम म ककए िए अधययनो स पता चलता ह कक शािीरिक हहसा स बहति सकल परिणामो म मदद नही समलती ह औि अकसि वासतव म इसस सकल परिणाम औि खिाब हो जात ह। माता-वपता को अपन बचच को अनशाससत किन क सलए सकािातमक वकिलपक तिीक ढढन चाहहए। यह मिकल होता ह कयोकक हम अकसि वही कित ह जो हमाि माता-वपता न हमाि साथ ककया था। हम कछ अलि सीखन क सलए समय की िरित ह। लककन हम सब यह किन की कोसशश कि सकत ह:

क) बचच क साथ बात कि औि जानकािी साझा नही किन क बाि म उसका / उसकी िािणा औि कािण क बाि म पछ ।

ख) उस वववास हदलाए कक उस िजन चनौनतयो का अदशा ह हम उन पि साथ समलकि काम कि सकत ह औि कोई समािान ननकाल सकत ह।

जब हम बचच क ऊपि गचललात या उस माित ह तो उस सिा का कािण समझ नही आता ह कयोकक जयादाति इस बाि म कोई बातचीत नही होती ह। बचचा इस वयवहाि को सीखता ह औि अकसि िजन अनय लोिो क साथ उसका सबि ह उनक साथ वही वयवहाि किता ह। व सीखत ह कक मािना / हहसक वयवहाि किना ठछीक ह। हमशा गलती क बाि म बातचीत कि औि बचच को बताइए कक इसक बजाय कया चीि बहति मददिाि हो सकती थी।

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45 | चिताए औि आशकाए

माता वपता औि बचच क बीच बातचीत होना बहत महतवपणता ह, औि यह बचचो को माता-वपता क साथ खल कि बात किन औि उनकी गचताओ पि चचाता किन क सलए जिह दता ह।

परशन ix.....................................................................................

सशकक तबना ककसी लगिक मशा क बचचो को छत ह लककन कई बार उन पर बचचो का लगिक शोषण करन का आरोप लिता ह। कछ सशकक यवा होत ह और कई बार बचच ववपरीत सलि क सशकको क परनत आकवषतात हो जात ह। तो कया यह बचच का दोष ह और सशकक का नही? परम आकषताण होना आम औि सामानय बात ह। सशकको को सीमाए औि कछ मायनो म झठ आिोप स बचन क सलए पता होनी चाहहए।

1. सशकक एक सीमा बनाए िख सकत ह, िजतना सभव हो सक अपन छारिो को छन स बच।

2. छारि क साथ अकल िहन स बच जब तक कक दिवािा खला न हो या कोई अनय वयिकत िवाही क रप म उपलबि न हो।

3. ककसी सशकक को ककसी छारि को छन स पहल, जस कक यवा छारिो को िल लिाना, अचछा ह कक सशकक छारि स पछ ल कक कया यह उसक सलए ठछीक ह। बचचो को यह जानकािी द कक व अिि व पिशानी महसस कित ह तो व उस कभी भी बता सकत ह।

4. चहि या अनय भावो पि धयान द जो कक एक छारि की असवविा का सकत द सकत ह। यहद छारि सपशता क साथ पिशानी का कोई सकत दता ह, तो सशकक को उस तिीक स छारि को सपशता नही किना चाहहए कयोकक बचच का आवासन बहत िरिी ह चाह सबगित वयसक का इिादा कछ भी हो।

5. कछ िसथनतयो म एक खास उमर क बचच अपन सशकक क बाि म कलपनाए कि सकत ह। हालाकक, एक वयसक क रप म सशकक को सपट सीमाओ को बनाए िखन औि साथ ही इसक बाि म बचचो क साथ बात किना चाहहए। इस तिह की िसथनत म यह न तो बचच की औि न ही वयसक की गलती होती ह लककन इस िसथनत को अचछछी तिह स हिल ककया जाना चाहहए। सभी बचच, चाह वह लडक हो या लडककया, अपन आसपास क वयसको का धयान अपनी तिि आकवषतात किना चाहत ह, जो जरिी नही कक वह लगिक/ शािीरिक आकषताण या परम हो।

6. छारिो क साथ सकल क बाहि कोई भी रिता कायम न कि, जस कक ईमल, सोशल मीडिया औि फोन क माधयम स, ववशष रप स कोई भी लगिक रिता।

परशन x.....................................................................................

अपन बचच क सार यौवन आरभ होन क बार म बात करन की सही उमर कया ह?

यौवन ऐसी कोई जादई उमर नही ह िजसम आप यौवनक बाि “बात” कि सकत ह। लककन बात किना एक अचछा ववचाि ह। बहति ह कक आप अपन बचच क साथ यौवन क कोई लकण ववकससत होन स पहल बात कि ताकक व उनक सलए अजीब या शमता की चीि न हो। यहद आपका बचचा जानता ह कक आि आन वाल समय म कया होिा, तो यौवन म आन वाल परिवततानो को अपनाना आसान हो जाएिा। कछ माता वपता उनक बचच क सवाल पछन तक परतीका कित ह। यहद आपका बचचा शममीला ह, या सवाल नही पछता ह, या उसक शिीि क ननजी अिो क बाि म शमता की भावना िखता ह, तो आप पहल कि सकत ह। हो सकता ह कक आपक बात किन स पहल यहद परिवततान होन लि, तो आपक बचच म उलझन या भय पदा हो सकता ह।

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चिताए औि आशकाए | 46

यहद आपन अभी तक यह वातातालाप शर नही ककया ह औि आपक बचच म पहल ही यौवन क लकण हदखन शर हो िए ह, तो इनक बाि म बात शर किन म सकोच नही कि। इस बाि म उनस बात किन क सलए कभी भी दि नही होती ह। यहद उनह उनक शिीि म होन वाल इन परिवततानो स सबगित जानकािी आपक दवािा परापत नही होिी, तो सभव ह कक व इसक बाि म कही औि स जानन की कोसशश किि। उनकी परापत जानकािी गलत औि भरामक हो सकती ह। इसस सलए जोखखम बढ सकता ह कयोकक दसि लोि उन का िायदा उठा सकत ह। इस बाि म अगिक जानकािी क सलए ‘वयिकतित सिका पि सचना’ अनभाि दख।

परशन xi.....................................................................................

यौवन क दौरान बचचो की सबस बडी गचता कया होती ह?यौवन क दौिान बचचो की गचताए अलि अलि शखणयो की हो सकती ह: रित, अपकाए, शािीरिक परिवततान, कामकता, सशका, औि भववय।

यौवन स िििन वाल बचचो को बहत आवासन की िरित होती ह कक उनका शिीि सामानय ह। लडककयो औि लडको को अपन शिीि क बाि सवसथ भावनाए ववकससत किन म मदद की िरित होती ह। उनह जानना चाहहए कक सतन, सलि, ननपलस, लतबया (योनी क होठ), अिकोष औि कलाइटोरिस अलि अलि आकाि औि िि क होत ह, औि व सभी ठछीक ह। हम उनह समझाना चाहहए कक हि वयिकत एक दसि स अलि होता ह औि यह सभननता ही उनह अलि, ववशष औि अदभत बनाती ह। यौवन क दौिान बचचो को माससक िमता, लगिक ववचािो औि भावनाओ, सवपनदोष, सकस ततिपत, हसतमथन औि दववतीयक लगिक िणो क बाि म जानकािी होनी चाहहए।

बचचो को वयिकतित सीमाओ, सवसथ औि असवसथ सबिो क बाि म जानकािी क साथ-साथ सममान औि ििममदािी क बाि म भी जानकािी होनी चाहहए।

बचचो को, खद को सिककत िखन, असिककत िसथनत क मामल म मखि होन क बाि म जानना चाहहए, उदाहिण क सलए लगिक दादािीिी औि सागथयो क दबाव का कस जवाब द।

परशन xii.....................................................................................

कया लडको को लडककयो क यौवन आरभ होन क बार म जानना चाहहए? कया लडककयो को लडको क यौवन आरभ होन क बार म जानना चाहहए?

हा। ननिचत रप स। इस बाि म जानकािी होन स कक दोनो सलिो म कया हो िहा ह, बचचो की सवासथय िजजासा सतट होती ह। यह उनह आवसत किता ह कक हि वयिकत यौवन क माधयम स िििता ह, औि उनम अनय सकस क बाि म सममान औि समझ को मिबत बनाता ह। दोनो सलिो म यौवन क बाि म जानन स बचचो को परजनन कस होता ह यह समझन म मदद समलती ह। जब यह जानकािी एक उमर अनसाि उगचत, ननपक ढि स परदान की जाती ह तो इसस सहानभनत भी उतपनन हो सकती ह।

परशन xiii.....................................................................................

कया माता का बट स और वपता का बटी स यौवन आरभ होन क बार म बात करना उगचत ह?हा। यह हमाि बचचो को यह हदखान क सलए अचछा ह कक वयसको को महहलाओ औि परषो दोनो क शिीि क बाि म जानकािी होना सामानय ह। बचच उनक जीवन म अलि अलि लोिो क बाि म अलि अलि सवाल पछ सकत ह। औि जब बचच अलि-अलि लोिो क साथ होत ह तो चचाता क सलए ववसभनन अवसि पदा हो सकत ह -आपका बचचा आपक साथी स एक बात औि आपस कछ औि चीि पछ सकता ह। यहद आप

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47 | चिताए औि आशकाए

एकल असभभावक ह, तो आपका बचचा आपस अगिकति चीिो क बाि म बात कि सकता ह, लककन वह अनय वववसनीय वयसको स भी पछ सकता ह। यहद आपक बचच का कोई बडा भाई, बहन या परिवाि का अनय सदसय ह, तो आपका बचचा अपन सवालो क बाि म उनक साथ भी बात कि सकता ह। अत म, बचचो को ववसभनन दिटकोणो औि कामकता औि वयिकतित सिका क बाि म खली बातचीत स लाभ होता ह।

परशन xiv.....................................................................................

माता-वपता और बचचो क बीच अचछ सबिो की कया ववशषताए होती ह?

एक सवसथ रित क सबस महतवपणता िण ह:

1. एक दसि क सलए सममान

2. एक दसि की भावनाओ को समझना / सहानभनत िखना

3. एक दसि पि भिोसा िखना

4. एक दसि की भलाई क सलए गचता किना

एक-दसि को जानना। एक सवसथ सबि म, ककशोि सममान दशातात ह, भावनाओ को समझत ह, भिोसा कित ह औि किरि कित ह। बशक, सभी रित दोनो ओि स ननभाए जात ह। तो, एक सवसथ माता वपता-ककशोि रित म माता-वपता भी अपन ककशोि बचच क परनत सममान हदखात ह, उनकी भावनाओ को समझत ह, उन पि भिोसा िखत ह, उनकी भलाई क बाि म किरि कित ह, औि उनक जीवन म रगच लत ह|

परशन xv.....................................................................................

मर बचच क मर सार अचछ सबि

होन स मर बचच क सवासथय और ववकास को कया लाभ पहचिा?

ऐस कई कािण ह जो िजसम एक यवा को सिककत औि सवसथ िखन म माता वपता-यवा क बीच सवसथ सबि महतवपणता ह। बचचो क साथ मिबत सबि उनक साथ ककसी दिाचाि होन क जोखखम को कम कि दता ह औि िरित होन पि मदद पा सकता ह। एक मिबत औि खला रिता बचचो को सशकत बनाता ह कयोकक व जानत ह कक उनक माता-वपता उनह सपोटता किि औि उनक सलए उपलबि ह। माता वपता औि अनय दखभाल किन वालो क साथ सवसथ सबि होन पि बचच पयतावकण भी सवीकाि कि सकत ह, मलयो औि आदशशो को अपना सकत ह, औि सिका चिणो का पालन किि।

परशन xvi.....................................................................................

म माता या वपता क रप म बचच क सार अचछ सबि बनान क सलए कया कर सकती/सकता ह?

माता-वपता औि उनक यवा बचचो क बीच सबिो म सिाि क सलए कई तिीक ह।

सपकता म िह। हम ननयसमत रप स अपन यवाओ क साथ बात कित िहना चाहहए, जब सब कछ ठछीक ठाक चल िहा हो तब भी। हम अपन यवाओ को बता सकत ह कक हमाि जीवन म कया चल िहा ह औि पता कि सकत ह कक व कया कि िह ह।

साथ म समय तबताना। परिवाि इन हदनो बहत वयसत िहत ह। नौकिी, काम, औि अनय बातो क बीच, एक दसि क साथ का आनद लन क सलए अकसि बहत कम समय बचता ह। जो कछ भी समय हमाि पास बचता ह हम उस अपन यवा क साथ तबताना चाहहए। इसस हम अपन यवा क फी समय म स कछ को वयसत किन म मदद होिी, औि हम अपन यवा को बहति समझ पाएि। इसस हम सवसथ सबिो का ननमाताण किन म मदद समलिी, औि हमाि यवा

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चिताए औि आशकाए | 48

को पता चलिा कक हम उसकी पिवाह कित ह।

वाद ननभाए। यहद हम वाद कित ह, तो हम उनह ननभाना चाहहए (ऐस वादा कि जो कक सभव हो औि िजनह पिा ककया जाना सभव हो)। जब हम अपन ननयरिण स बाहि ककसी वजह स अपन वाद पि किन म असमथता होत ह, तो हम इसक बाि म अपन ककशोि क साथ बात किनी चाहहए। हम उनह बताना चाहहए कक हम कमा चाहत ह। हमाि यवा को पता होना चाहहए व हमाि वाद क सलए हम पि भिोसा कि सकत ह। यह वववास औि सममान पान का एक महतवपणता हहससा ह। यहद हम अपना वादा पिा किि, तो सभव ह कक व अपना वादा पिा किि।

हमाि यवाओ क साथ यवको की तिह पश आए। हालाकक हमाि यवक अभी तक वयसक नही हए ह, लककन व अब बचच नही ह औि उनह बचचो की तिह नही माना जाना चाहहए। हम उनक साथ ईमानदाि होना चाहहए। इस तिह क बयान जस, “तम अभी इस बाि म जानन क सलए छोट हो” एक यवक क समझन की कमता का अपमान कित ह।

ववशष परयासो को पहचान। हम अपन यवको को महतवहीन नही मानना चाहहए। हम उनक ववशष परयासो की परशसा किनी चाहहए जस, ककसी पिीका म अचछा किना, ककसी खल या पिफॉममस क सलए कहठन अभयास किना, या ककसी क सलए ववशष रप स ववनमर होना। हम अपन यवक को वह जसा ह वसा ही सवीकाि किना चाहहए। “तम अपन बड भाई जस कयो नही हो सकत?” या “तमहािी बहन न मझ कभी इतना जयादा पिशान नही ककया” जस कथन एक यवक को बहति किन म मदद नही कित ह। ऐसी हटपपखणयो स एक यवक को ससिता बिा लिता ह। हि यवा की एक ववशष ताकत होती ह। हम इन शिकतयो को पहचानना चाहहए औि अपन ककशोि को उनह बताना चाहहए।

उनह बताए कक हम उनकी पिवाह कित ह। हम अपन बचचो को पयाि कित ह, लककन ककतनी बाि हम उनह यह बतान क सलए समय ननकालत ह? हम अपना यवक को हि हदन बताना चाहहए कक हम उसकी ककतनी पिवाह कित ह। हम इस एक आदत बना लना चाहहए!

सहायक बन। जब हमाि यवा का बिा समय हो, हम उसक सहाि क सलए अपना किा पश कि सकत ह। हालाकक हमाि यवक बड होना चाहत ह, उनह अभी भी हमाि सहाि की जरित होती ह। हम उनह सहानभनतपवताक सनना चाहहए।

चभन वाल तानो स बच। कभी कभी हम इस परकाि तान दत ह कक उसस ककसी वयिकत को नीचा दखना पडता ह; या वह सममानजनक नही होता ह। हम अपन बचचो को इस तिह स गचढान स बचना चाहहए - ववशष रप स दसिो क सामन। इसस वासतव म पीडा होती ह।

हासय का उपयोि कि औि खश िह। हम अपन यवको क साथ हासय का उपयोि किन, औि कभी कभी अपन ऊपि मिाक बनान क सलए तयाि हो सकत ह। आपस म मिाक किना एक सकािातमक सबि को परोतसाहहत किता ह।

सीमाऐ औि ननयम बनान म अपन यवा को शासमल कि। माता-वपता क रप म हम अपन बचचो को सीमाए ननिातारित किन औि ननयमो क साथ िहन म मदद किनी चाहहए। लककन हम उनह यह ननणताय लन म कक उनक सलए सीमाऐ औि ननयम कया ह, एक सकरिय भसमका द सकत ह।

हमाि यवको क साथ वासतववक िह। हमाि यवा क साथ खल तौि पि औि अकसि बातचीत किन स, व हमाि साथ इस परकाि जडि कक हम उनकी भलाई क बाि म वासतव म किरि कित ह।

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49 | उन सिठनो की सची जो बाल लगिक शोषण औि उनस सबगित मददो पि काम कि िह ह

उन सिठनो की सची जो बाल लगिक शोषण और उनस सबगित मददो पर काम कर रह ह

पि भाित म चाइलिलाइन टलीफोन: 022-2495 2610, 2495 2611, 2482

1098/ 2490 1098/ 2491 1098हलपलाइन न: 1098ई-मल: [email protected] वबसाइट: www.childlineindia.org.inद चाइलिलाइन इडिया फाउिशन की भाित भि म 700 स अगिक साथी सिठनो क अपन नटवकता क माधयम स 34 िाजयो / सघ शाससत करिो म 366 शहिो / ििलो म उपिसथनत ह।

बिलोि असोससएशन ऑफ परोमोशन ऑफ सोशल एकशन (APSA)

34, अननासदपातालया, ववमानपिा, बिलौि, कनाताटक-560017टलीिोन: (+91) 80-252322749ई-मल: [email protected]वबसाइट: http://www.apsabangalore.org

एनफोलि एनिोलि परोएिकटव हलथ टसट553 B, परथम मिजल,8 मखय सडक, चौथा बलॉककोिामिल, बिलौि 560 034टलीफन: + 91-99000-94251,+91-80-25520489ई-मल: [email protected]वबसाइट: www.enfoldindia.org

चननई तलीि नय न.74, पिाना न.57,ई वी क सपत िोि,वपिी, चननई 600 007लिमाकता : दीना ताथी कायातालय क पासटलीिोन: +91-44-43235867ई-मल: tulircph बाल लगिक शोषण @yahoo.co.inवबसाइट: www.tulircphcsa.org

हदलली िाही B- 200 गचतिजन पाकता , दसिी मििल,नई हदलली 110091टलीफोन: 011 41607055ई-मल: [email protected]वबसाइट: www.rahifoundation.org

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उन सिठनो की सची जो बाल लगिक शोषण औि उनस सबगित मददो पि काम कि िह ह | 5049 | उन सिठनो की सची जो बाल लगिक शोषण औि उनस सबगित मददो पि काम कि िह ह

िोवा गचलडरनस िाइटस इन िोवा (C.R.G.)

गचलडरनस िाइटस इन िोवाफलट न.11, हाउस न. 754 / 1दसिी मिजल, करिसटीना अपाटतामटपोिवोरिम, बददि,िोवा - 403 521टलीिोन: 00 91 832 2426518ई-मल: [email protected]वबसाइट: www.childrightsgoa.org

िडिाव सकल ऑफ लाइफ P-81, साउथ ससटी 1, िडिाव,हियाणाटलीफोन: 0124-4286360, 0124-4286362ई-मल: [email protected]वबसाइट: www.schooloflife.org.in

जोिपिमानव कलयाण ससथान - मानव कलयाण सोसायटी

50, लकमी नििजोिपि 342010, इडियाटलीफन: 00 91 291 255 0390ई-मल: [email protected]

मबई आिभ आिभ इडिया401, चौथी मखिलएसी माकद ट, ताडदव,मबई 400 034।टलीिोन: +91 9892210066ई-मल: [email protected]वबसाइट: www.aarambhindia.org

आिन आिन टसट1/48 ताडदव ए / सी बािािताडदव,मबई 400 034टलीफोन: +91 (0) 22 23 525 832ई-मल: [email protected]वबसाइट: www.aanganindia.org

अपताण पहली मििल, िलटा कसमकलस पराइवट सलसमटि, J / 1, कामा औदयोगिक करि, कायातालय वाल भटट िोि, िोििाव ईसट, मबई 400063, भाितटलीफन: 022 2686 2444/2686 8444ई-मल: [email protected]वबसाइट: www.arpan.org.in

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51 | उन सिठनो की सची जो बाल लििक शोषण औि उनस सबिित मददो पि काम कि िह ह

बालपरिलता,एक बाल अगिकाि सिठन

पलॉट न 5/1, 11 / बी / 11, ववशाखा सोसायटी, नाििी ननवािा कॉमपलकस, िोििाव पवता, मबई 400065टलीिोन: 9619730382ई-मल: [email protected]

CEHAT मखय कायातालयCEHATसवद न 2804 व 2805आिाम सोसायटी िोि, वाकोलासातारिज पवतामबई - 400 055टलीफन: 91-22-26673571 / 26673154ई-मल: [email protected]

शाखा कायातालयपहल203, चचता वय अपाटतामटसट एथोनी िोिवाकोला, सातारिज पवतामबई - 400 055टलीफकस: 91-22-26661690ई-मल: [email protected]

हदलासाववभाि न 101क बी भाभा नििपासलका असपतालआि क पाटकि मािता बादा वसटमबई - 400 050टलीफोन: 022-26400229 (परतयक)022-26422775 / 266422541 एकसटशन 4376,4511ई-मल: [email protected]

FACSE – बचचो क लगिक शोषण क खखलाि िोिम

मबईटलीफोन: 9869989841ईमल: [email protected]

जीवन आिाि टासफॉमदहटव आफटिकयि सववतासि पराइवट सलसमटि

रसतमजी िीिल सीएचएस सलसमटि, दकान न S- 01 औि S -02, रिाउि फलोि, रसतमजी एकड, ज एस मािता, दहहसि पिचम, मबई 400068टलीफोन:ई-मल: [email protected]

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उन सिठनो की सची जो बाल लििक शोषण औि उनस सबिित मददो पि काम कि िह ह | 52

मजसलस काननी क दA 2/4 िोलिन वली, कसलना, मबई 400098 भाितटलीफोन: 91-22-26662394 / 26661252ईमल: [email protected]

रबर 218, परम बाि, पहली मिजल, रइया कॉलज क पीछ लन, कॉलोनी नससिि होम क पास, सि भालचद िोि, माटिा (सटल िलव), मबई - 400019टलीफोन: 9619061805, 098209 31171ई-मल: [email protected]वबसाइट: http://www.rubarooindia.com/wp/

द फाउिशन पजीकत त कायातालय:बी-402, नय सािि दशतान,िॉ ई Hatiskar मािता,परभादवी,मबई - 400 025

कायातालय पता:21-D, तीसिा फलोि,किलम सटि तबिलिि,68, ताडदव िोि, ताडदव,मबई 400034टलीफोन: 91 22 23521641ई-मल: [email protected]वबसाइट: www.thefoundation.in/project-h.e.a.l.html

पण मसकान - बाल लगिक शोषण क खखलाि एक पहल

पणटलीफोन: 9822377348मसकान हलपलाइन: + 91-9689062202 ई-मल: [email protected]

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53 | रिनथसची (तबतबसलयोरिाफी)

रिनरसची (तबतबसलयोरिाफी)सशकािो गचलडरनस एिवोकसी सटि, एव टनसी डिपाटतामट ऑफ गचलडरनस सववतासस, िी. िी. Stop it Now! सटॉप इट नाउ स सलया िया!: http://www.stopitnow.org/faq/faqs-on-prevention-for-children-with-disabilities

ककडस इन द नो। बाल सिकण क सलए कनािा क क द स परापत: https://www.kidsintheknow.ca/app/en/parents-faq

पलानि पिनटहि। पलानि पिनटहि िििशन ऑफ अमरिका स सलया िया Inc. 1-800-230-PLAN: https://www.plannedparenthood.org/parents/puberty-101-for-parents

पलानि पिनटहि. पलानि पिनटहि िििशन ऑफ अमरिका स सलया िया: https://www.plannedparenthood.org/parents/parent-teen-relationships

सटॉप इट नाउ! यक एव आयिलि. चाइलडस पल? बचचो औि यवाओ म शोषण को िोकना। सटॉप इट नाउ!

सटॉप इट नाउ! यक एव आयिलि. इटिनट एव बचच – समसया कया ह? सटॉप इट नाउ!

आप इस ससािन क सलए अनतरिकत जानकािी क सलए ऑनलाइन जा सकत ह:

http://www.stopitnow.org/sites/default/files/documents/files/tip_sheet_behaviors_to_watch_for.pdf

http://www.stopitnow.org/sites/default/files/documents/files/lets_talk.pdf

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ससािन | 54

ससािन1. मिी वयिकतित सिका वकता बक (http://

arpan.org.in/my-personal-safety-workbook/)

2. बचचो को सिककत िखन क सलए पिहटि हटपस औि सामानय हदशाननददश (http://arpan.org.in/parenting-tips-and-general-guideline-for-keeping-children-safe/)

3. बाल लगिक शोषण पि पिसतका (http://arpan.org.in/booklet-on-child-sexual-abuse/)

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